Antervasna नीला स्कार्फ़
10-05-2020, 12:43 PM,
#10
RE: Antervasna नीला स्कार्फ़
“अभी तो हुई नहीं दीदी। लड़केवाले कह रहे हैं कि जो आपके पास है, उसी में से आशीर्वाद समझकर कुछ दे दीजिएगा। मेरा तो जी बड़ा घबराता है दीदी। माँ का शहर में मेरी शादी करने का विचार महँगा न पड़ जाए।”
“तू क्या चाहती है बन्नी?” मैंने श्वेता की आँखों में देखकर उससे पूछा।

“सच कहें तो हमको कोई फर्क नहीं पड़ता कि शहर है कि गाँव। हम यही चाहते हैं बस कि माँ-पापा की परेशानी का कारण न बन जाए हमारी शादी।”
सारी बेटियाँ कैसे एक ही तरह से सोचती हैं! सारी बेटियाँ कैसे शादी के नाम पर समझौते करने के कारण भी ढूँढ़ लेती हैं!

प्रेम स्टूडियो में श्वेता की फोटो खिंचाने की नौबत नहीं आई। लड़केवालों को चैनपुर वाली फोटो की श्वेता ही पसंद आ गई और बुधवार की शाम का दिन देखवकी के लिए मुक़र्रर कर दिया गया।
गुड़गाँव के किसी मॉल में इकट्ठा होना था सबको। मैंने आधे दिन की छुट्‌टी ले ली और इन्होंने पूरे दिन की। टैक्सी वग़ैरह बुक हो गई।

चाची देखवकी की तैयारी में जुट गईं। रविवार का दिन पार्लर ढूँढ़ने और साड़ी तय करने में गुज़रा। चाची कोई कोताही नहीं बरतना चाहती थीं।
सोमवार को ये सुबह-सुबह दफ़्तर के लिए निकल गए और मैं ग्यारह बजे। मैंने रसोई की सारी जानकारी चाची और श्वेता को दे दी और सभी ज़रूरी फ़ोन नंबर भी सौंप दिए। देर रात जब हम दोनों घर पहुँचे तो न अपना घर पहचान में आ रहा था न श्वेता और चाची!
चाची ने दो कमरों का रूप तो जो बदला सो बदला, पार्लर जाकर अपना भी कायाकल्प कर आईं। सजे-सँवरे कमरे में बिस्तर पर बिछी कढ़ाईवाली चादर पर सलवार-सूट पहनी चाची को मुस्कुराते देखकर हम दोनों को लगा कि हम किसी दूसरे घर में घुस आए हैं। सामने से अपने बाल कुतरवाकर आई श्वेता भी कोने में खड़ी होकर फिक्क-फिक्क हँसती रही।
मैं हँसती हुई चाची के गले लग गई। “श्वेता की जगह चाचीजी आपको भेज दें तो भी लड़केवाले मना नहीं करेंगे।” इन्होंने भी मुस्कुराते हुए कहा। लगा जैसे चाची की गुलाबी ओढ़नी का रंग किसी ने उन्हीं के चेहरे पर मल दिया हो।
चाची बेहद ख़ुश थीं। हमारे लिए खाना तैयार था। श्वेता खाना लगाने में लग गई और चाची गर्म-गर्म रोटियाँ उतारने में। बेलने के साथ चकले पर गोल-गोल घूमती उनकी कलाइयों के साथ ताल बिठाते हुए चाची ने राम-जानकी विवाह का गीत छेड़ दिया, “जब श्रीरामचंद्र चलले बियाह करे, ताही बीचे चिरिया कलस लेले धावे कि ताही बीचे ना…” फिर ख़ुद से ही बातें करती हुईं चाची ने अपना माथा ठोक लिया, “ई हम का गा रहे हैं? कोई अपसकुन गीत नहीं गाएँगे।”
चाची आगे गाने लगीं, “रामचंद्र चलल बिवाह करे बाजन बाजे हे / आहे ऋषि मुनि आरती उतारे कउन बर सुंदर हे / रामचंद्र देखने में सावर, ओढ़ले पीतांबर हे / आहे उहे बर के आरती उतारब, उहे बर सुंदर हे।”
देखवकी की सुबह से जैसे चाची के पैरों में चक्कर लग गए थे। सुबह आठ बजे से ही चाची तीन बार पास के किराने की दुकान में जा चुकी थीं, कभी रोली, कभी अक्षत, कभी सिंदूर, कभी गुड़ लेने। पूजावाला कोना तो सुबह पाँच बजे से ही हथिया रखा था उन्होंने। पता नहीं कितनी मनौतियाँ माँगी थीं।
“ऋचा बबुनी, बियाह हो जाएगा न तो मोरार बाबा तर पूजा करेंगे, अपने से जाकर। पाकड़ पेड़ वाला मंदिर पर सवा किलो लड्डू का भोग लगाएँगे, मेहदार जाएँगे खाली पैर, बाबा महेंद्रनाथ का पूजा करने के लिए। एक बार इ रिस्ता पक्का हो जाए।”
बेचारी श्वेता डरी-सहमी-सी उनकी बातें सुनती रहती। इससे बड़ा इम्तिहान ज़िंदगी में उसे दुबारा न देना था। पास हो गई तो ठीक, न पास हुई तो बार-बार बैठने का डर!
मैंने श्वेता को अपनी साड़ी पहनाई, जॉर्जेट की पीली साड़ी में वो और खिल उठी थी।

“रिजेक्ट होने वाली नहीं है हमारी साली।” इन्होंने कहा तो चाची का चेहरा और खिल गया। टैक्सी पर सवार होकर हम सब गुड़गाँव के लिए रवाना हो गए।
चाची के बाक़ी नाते-रिश्तेदार सीधे वहीं पहुँच गए थे। मॉल की छटा देखकर चाची का मुँह खुला-का-खुला रह गया। शहर का ये रंग इन्होंने कभी नहीं देखा था। बड़े-बड़े शोरूम। आदमकद शीशों में सेल के बहाने आपको लूटने के लिए लगाए गए रंग-बिरंगे परिधान, जूते, घड़ियाँ!
हमारे साथ मॉल में घुसी बारात किसी बैंड पार्टी से कम नहीं लग रही थी। रंग-बिरंग कुर्तों और कलफ़वाली धोतियों में हमारे मामा-चाचा-भैया अलग से नज़र आ रहे थे। एक श्वेता की देखवकी के लिए कुल बारह लोग आए थे।
रेस्टोरेंट में टेबल एक साथ करवाकर हम बैठ गए और लड़केवालों का इंतज़ार करने लगे। थोड़ी देर में लड़का अपने माता-पिता के साथ आया और टेबल के दूसरे कोने पर बैठ गया। मामाजी और लड़के के पिता आपस में बातें करने लगे और लड़के की माँ उठकर मेरे और चाची की बग़ल में आकर बैठ गई।
प्रणाम-पाती के बाद लड़के से बातचीत का सिलसिला इन्होंने ही शुरू किया। लड़का पिता के साथ अपना बिज़नेस करता था, कई टैक्सियाँ चलती थीं उनकी। शादी के बाद यहीं गुड़गाँव से आगे मानेसर में टी-शर्ट और शर्ट बनाने की फैक्ट्री लगाना चाहता था।
बातचीत दरअसल, असली मुद्‌दे पर आकर रूक गई। तमाम कोशिशों के बाद श्वेता के मामाजी ने ही ज़िक्र छेड़ा, “लईकी पसंद हो तो बात आगे बढ़ाएँ।”
लड़के के पिता ने हँसकर उनका हाथ पकड़ लिया, “लड़की पसंद है और बात आगे बढ़ाते हैं। हम जानते हैं कि आप क्या पूछना चाहते हैं। हमको और कुछ नहीं चाहिए लड़की के अलावा। हम ठहरे बिजनेस वाले लोग। यहाँ भी अपने और आपके फायदे की ही बात करेंगे।”
मामाजी टुकुर-टुकुर अपने दोस्त का चेहरा निहारते रहे। लड़की के बियाह में लड़कीवालों के फायदे की भी भला कोई बात होती है क्या?

“बात ये है कि ये तो तुम्हें मालूम ही होगा कि पकवलिया में हमारा कोई नहीं। लेकिन उस गाँव में हमारी कुछ जमीन है, जानते हो ना रामखिलावन?” मामाजी ने सिर हिलाया।
“तो हम बस ये चाहते हैं कि तुम लोग हमारी जमीन को खरीद लो। तुमको जमीन मिल जाएगी और हमको पैसा। अब पैसा हमको माँगना होता तो सीधे माँगते। लेकिन हम तो तुम्हारा नफा भी नऽ देख रहे हैं। तुम हमारे दोस्त ठहरे।”
मामाजी चाची की ओर देखने लगे। चाची को तो इस सौदे की उम्मीद भी नहीं थी! कोई रुपया-पैसा, दान-दहेज़ माँगता तो उसपर बातचीत हो सकती थी, मोल-तोल हो सकता था। लेकिन इसपर क्या बातचीत होती? साठ बीघा ज़मीन वाले परिवार के बारे में सोच-सोचकर जिस चाची का दिल बल्लियाँ उछलता था, वही दिल आज बैठा जा रहा था। अपनी औक़ात देखकर शादी-ब्याह की बात करनी चाहिए, मुझे पापा का ब्रह्मवाक्य याद आ गया।
बिना किसी बातचीत के देखवकी वहीं ख़त्म हो गई। बाहर निकलते हुए मामाजी ने चाची के कंधे पर हाथ रखकर कहा, “मन बा तऽ बात आगे बढ़ी सुशीला। वैसे हमार मन नईखे जमत।” चाची ने कहा कुछ नहीं, सिर्फ़ गाड़ी में आकर बैठ गईं।
घर तक का आधे घंटे का रास्ता आधी सदी जितना भारी था। श्वेता और चाची चुपचाप थे, मैं और ये दोनों समझ नहीं पा रहे थे कि उन्हें सांत्वना कैसे दें। मेरे दिमाग़ में गाँव के आँगन में और फिर फ़ोन पर विभिन्न शहरों तक बीबीसी की माफ़िक़ पहुँचने वाले संदेश गूँज रहे थे, “बड़ा गई थी दिल्ली देखवकी कराने। कूद-कूद कर बेटी शहर में दिखा आने को किसने कहा था?”
मुझे पूरा यक़ीन था, चाची भी यही सोच रही थीं।
Reply


Messages In This Thread
RE: Antervasna नीला स्कार्फ़ - by desiaks - 10-05-2020, 12:43 PM

Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,586,726 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 554,067 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,269,737 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 959,858 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,701,908 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 2,121,576 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 3,021,910 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 14,302,777 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 4,115,148 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 293,217 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 2 Guest(s)