Hindi Antarvasna - कलंकिनी /राजहंस
09-17-2020, 12:50 PM,
#27
RE: Hindi Antarvasna - कलंकिनी /राजहंस
"ठीक है। अब मैं रोकूगा भी नहीं। मां आती होंगी। वैसे कुछ ही दिनों की तो बात है। फिर कौन जाने देगा।" वह भी उठ गया। "अब कब मिलोगी?" विशाल ने पूछा।

अनीता ने तपाक से कहा—"शादी पर।” इतना कहकर वह घर की ओर चल दी।

विशाल अनीता की पीठ पर नजरें गड़ाये खड़ा रहा। आज अनीता शायद नहाकर सीधी यहां आ गई थी। उसके खुले बाल बहुत चमकदार व खूबसूरत लग रहे थे। वह बार-बार उड़कर आने वाले उन बालों को जो उसके गाल पर आ रहे थे, अपने हाथ से पीछे करती हुई आगे को बढ़ती जा रही थी।
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आज की रात विशाल और अनीता के लिये खुशियों की ढेर सारी सौगात लेकर आयी थी। आकाश ने शाम की अन्तिम लालिमा भी निगल ली थी। खामोशी! चीड़ तथा चिनार के वृक्ष बायु के हल्के-हल्के झोंकों के साथ नाच रहे थे। चारों ओर उतरता आ रहा था शबनमी अन्धेरा। आकाश में चांद मीठी-मीठी मुस्कान बिखेर रहा था। तारे पूरे जोश से टिमटिमा रहे थे। विशाल की शानदार कोठी पर छोटे-छोटे बल्बां की रोशनी जगमगा रही थी। उन बल्बों को देखकर ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे आकाश से उतरकर छोटे-छोटे तारे टिमटिमा रहे हों। स्तंभों के सहारे बंधी रंग-बिरंगी झंड़ियां हवा के हल्के झोंकों के कारण लगातार फड़फड़ा रहे थीं, मानो अभी उड़कर आकाश से गले मिलना चाहती हों। कोठी के बाहर एक छोटा बगीचा जिसके चारों ओर चीड़, चिनार, गुलमोहर के कुछ पेड़ लगे थे। मेहंदी के झाड़ के आस-पास कारें, बाइकें व अन्य बाहन खड़े थे। मेहमानों का एक बड़ा जमघट बड़े हॉल में था। हॉल भी बड़े शानदार तरीके से सजाया गया था। हॉल में रोशनी-ही-रोशनी थी।

छत के बीचों-बीच बल्बों का एक खूबसूरत झाड़ फानूस लगा था। उसके चारों ओर छोटे-छोटे झाड़-फानूस लगे थे, जिसमें रंग-बिरंगे बल्ब लगाये गये थे। हॉल में से बहुत प्यारी खुशबू फूट रही थी। लगता था रुह स्प्रे का भरपूर प्रयोग किया गया था। आने वाले मेहमान परफ्यूम में नहा-नहाकर आये थे। यह हॉल विशेष तौर पर पार्टी इत्यादि के लिये ही बनाया गया था। आम दिनों में इसमें एक ताला लटका हुआ दिखाई देता था। इस सजीले हॉल के बराबर में ही एक सजीला ब आधुनिक ड्राइंगरूम था। ड्राइंगरूम के गेट पर ही फूलों की पंखुड़ियों व रंगों से रंगोली बनाई गई थी। रंगोली गोल आकार में बहुत ही सुसजित लग रही थी। आने वाले, जाने से पहले उसको देखकर प्रशंसा करे बिना नहीं गुजरते। मेहमानों को स्वयं इस बात का अहसास था कि पैर रखने से रंगोली की शोभा बिगड़ जाएगी, इसीलिये सभी लोग उससे बच-बचकर चल रहे थे। दरवाजे पर भी फूलों की कुछ लड़ियां लटकाई गई थीं। जिनके पास से निकलने पर गुलाब की भीनी-भीनी खुशबू मन को तरोताजा कर देती थी। रूम के अन्दर एक शानदार मेज रखी हुई थी, जिस पर छलैक कलर का आधुनिक स्टाइल का शीशा लगा था। जिससे मेज की शोभा बढ़ गई थी। चारों ओर शानदार मखमली कबर के सोफे पड़े थे, जिन पर बहुत ही गुदगुदी गद्दियां लगी थीं। इन पर बैठने बाला नीचे को धंस जाये मगर उठने का मन न करे। मेज पर एक कांच का ही फ्लावर पॉट रखा था, जिसमें ताजे गुलाब की कलियां व अन्य कई तरह के फूल लगे थे। कोने में एक टेबल पर कलर टी.बी. रखा था। जिस पर हाथ से पेन्ट किया कबर पड़ा था। ड्राइंगरूम के दूसरे कोने में एक बड़ा फ्लावर पॉट रखा था। जिसमें बाजार से खरीदे हुए नकली फूल लगे थे। मगर बे ऑरिजनल फूलों से कम नहीं लग रहे थे।

उसी में मोर के कुछ पंख रखे थे। जो पंखे की हवा से इधर-उधर झुकते हुए ऐसे लग रहे थे जैसे नृत्य कर रहे हों। इस ड्राइंगरूम में कुछ विशेष मेहमानों की बैठने की व्यवस्था भी की गई थीं। आज अनीता और विशाल की सगाई पार्टी थी। इस सगाई के अवसर पर अनीता किसी अप्सरा के समान सजी हुई लोगों को घायल कर रही थी। गोल्डन कलर की सिल्क साड़ी, फिटिंग का हॉफ स्लीव का ब्लाउज, लम्बे घने काले खुले केश, कलाइयों में सोने की चूड़ियां, गोरी सुराहीदार गर्दन शानदार लॉकेट से सुशोभित थी, कानों में मैचिंग के खूबसूरत गोलाकार कुंडल। वह स्वयं कम कयामत नहीं लग रही थी। पाटी के लोगों की नजरें घूम-फिर कर अनीता पर टिक जाती थीं।

विशाल भी कम स्मार्ट नहीं लग रहा था। विशाल क्रीम कलर के सूट में काफी जानलेवा प्रतीत हो रहा था। उसके काले बाल जो सुन्दरता से काढ़े गये थे, एकदम सैट लग रहे थे। वह बार-बार उनको हाथों की उंगलियों से ऊपर करता हुआ बहुत दिलकश लग रहा था। सगाई की रस्म पूरी होने में अभी काफी समय था। इस शुभ अवसर पर विशाल अत्यधिक प्रसन्न था। उसकी खुशी उसके चेहरे पर साफ झलक रही थी। आंखों में अजीब-सी चमक थी। वह इधर-उधर दोस्तों से मिल-मिलकर बातें कर रहा था। बीच-बीच में वह खिलखिलाकर हंस पड़ता था। अनीता की मम्मी और विनीत मेहमानों में उलझे हुए थे। विनीत की खुशी का ठिकाना न था। प्रीति भी प्रसन्न नजर आ रही थी। प्रीति अनीता के पास बैठी उसके नाज नखरे उठा रही थी। अनीता की शादी के बाद प्रीति और विनीत की शादी का ही नम्बर था। अनीता को प्रीति बार-बार विशाल का नाम ले-लेकर छेड़ रही थी। अनीता शर्मा शर्मा कर निहाल हो रही थी। अनीता अपनी कुछ अन्य सहेलियों के कटाक्ष भी सहन कर रही थी। सगाई की रस्म अदा हुई तो चांदी के थाल में गुलाब की पंखुड़ियां रखी थीं। सगाई में आये मेहमानों ने उन दोनों पर मुट्ठी भर-भर कर उछाला। डिनर के बाद पार्टी समाप्त हुई। विशाल और अनीता आज समाज ब परिवार की नजरों में एक पबित्र बन्धन में बंध गये थे।
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RE: Hindi Antarvasna - कलंकिनी /राजहंस - by desiaks - 09-17-2020, 12:50 PM

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