MmsBee कोई तो रोक लो
09-11-2020, 12:10 PM,
RE: MmsBee कोई तो रोक लो
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मैने पलट कर पिछे देखा तो, प्रिया मुझे देख कर मुस्कुरा रही थी. आज ना जाने कितने दिन बाद मैं उसका मुस्कुराता हुआ चेहरा देख रहा था. उसे मुस्कुराते देख कर, मेरे दिल को बहुत सुकून मिला और मेरे चेहरे पर भी रौनक आ गयी.

मैं मुस्कुराते हुए उसके पास आ गया और उसके हाथ को अपने हाथ मे थाम कर उसके पास ही बैठ गया. उसने मेरे हाथ को मजबूती से पकड़ते हुए कहा.

प्रिया बोली “तुम हमेशा मेरे पास से भागने का बहाना ही ढूँढते रहते हो.”

उसकी इस बात के जबाब मे मैने उसका हाथ अपने हाथ से दबाते हुए कहा.

मैं बोला “मैं कहा तुम्हारे पास से भाग रहा था. तुम सो रही थी तो, मैं दूसरे कमरे मे जा रहा था. मुझे क्या पता था कि, तुम बस सोने का नाटक कर रही हो.”

मेरी बात सुनकर, प्रिया खिलखिलाने लगी. उसे खिलखिलाते देख कर, कीर्ति ने उसका साथ देते हुए कहा.

कीर्ति बोली “तुमने बिल्कुल सही पकड़ा, ये तुम्हारे पास से भाग ही रहा था.”

कीर्ति की बात सुनकर, पहली बार प्रिया का ध्यान कीर्ति की तरफ गया. उसने कीर्ति को गौर से देखते हुए कहा.

प्रिया बोली “तुम पुनीत की कज़िन कीर्ति हो ना.”

प्रिया की इस बात पर कीर्ति ने मुस्कुराते हुए कहा.

कीर्ति बोली “तुमने बिल्कुल ठीक पहचाना. मैं कीर्ति ही हूँ. लेकिन तुमने मुझे पहचान ने मे बहुत देर लगा दी.”

कीर्ति की बात पर प्रिया ने अपनी सफाई देते हुए कहा.

प्रिया बोली “नही, नही, मैं तो तुमको पहले ही पहचान गयी थी. लेकिन उस समय सभी मुझे घेर कर खड़े थे. इसलिए मैं कुछ बोल नही पाई थी. तुम्हारे साथ अमि निमी भी थी, मैं उनसे भी कोई बात नही कर पाई.”

ये कहते हुए प्रिया ने अपना चेहरा उतार लिया. उसका उतरा हुआ चेहरा देखते ही, कीर्ति ने फ़ौरन बात को संभालते हुए कहा.

कीर्ति बोली “अरे मैं तो मज़ाक कर रही हूँ. तुम किसी के बारे मे कुछ मत सोचो, अमि निमी कल फिर तुमसे मिलने आएगी. तुमने शायद देखा नही, तुम्हारे होश मे आने पर सबसे ज़्यादा शोर निमी ने ही मचाया था.”

कीर्ति की ये बात सुनते ही, प्रिया के चेहरे पर फिर से मुस्कुराहट आ गयी और उसने कीर्ति से कहा.

प्रिया बोली “हां, हां, मैने निमी को शोर मचाते देखा था. कल तुम उनको ज़रूर लाना, मुझे उनसे बात करना है.”

कीर्ति बोली “हां, मैं कल उनको ज़रूर लाउन्गी, फिर तुम उनसे जी भर के बात कर लेना.”

इसके बाद कीर्ति की प्रिया से थोड़ी बहुत अमि निमी के बारे मे बातें हुई. फिर प्रिया को थकान महसूस होने लगी तो, कीर्ति ने उसे आराम करने का बोला. मगर वो आराम करने की बात को टलने लगी.

लेकिन फिर मेरे और निक्की के समझाने पर वो आँख बंद करके लेट गयी. मगर उसने मेरा हाथ अपने हाथों मे पकड़े रखा. कुछ देर बाद जब उसकी नींद लग गयी तो, उसकी पकड़ मेरे हाथ पर ढीली पड़ गयी.

मगर इस समय वो बिल्कुल निमी की तरह मुझे पकड़ कर सो रही थी. जिस वजह से मैने उस से अपना हाथ छुड़ाने की कोई कोसिस नही की और उसके मासूम से चेहरे को बैठे देखता रहा.

अब सुबह का 5 बज रहा था. मैने कीर्ति और निक्की से आराम करने को बोला तो, दोनो उठ कर दूसरे कमरे मे चली गयी. इसके बाद मैं अकेला ही प्रिया के पास बैठा रहा और वो गहरी नींद मे सोती रही.

सुबह 7 बजे आकाश अंकल आ गये. मेरी उनसे थोड़ी बहुत बातें हुई. आकाश अंकल की आवाज़ सुनकर, प्रिया की नींद खुल गयी. फिर वो आकाश अंकल से बातें करती रही. इसी बीच निक्की और कीर्ति भी आ गयी.

आकाश अंकल ने निक्की से राज लोगों को जगा देने को कहा. उनकी बात सुनकर, निक्की सबको जगाने लगी. राज लोगों के जागने के बाद, आकाश अंकल ने हम लोगों से घर जाने को कहा. जिसके बाद हम लोग अपने अपने घर के लिए निकल पड़े.

मैं और कीर्ति 8 बजे घर पहुच गये. हम जब घर पहुचे तो छोटी माँ हॉस्पिटल जाने की तैयारी कर रही थी. उन्हो ने हम से प्रिया की तबीयत का पुछा और फिर कुछ देर बाद वो हॉस्पिटल के लिए निकल गयी.

छोटी माँ के जाने के बाद मैं अपने कमरे मे आ गया. मेरे आने के थोड़ी ही देर बाद, कीर्ति भी मेरे कमरे मे आ गयी. मैने उस से बाकी सब का पुछा तो, उसने बताया की, अभी सब सोए हुए है.

फिर मेरी कीर्ति से प्रिया और अमि निमी के बारे मे बातें होती रही. बातों बातों मे मैने कीर्ति से नेहा के बारे मे पुछा तो, उसने कहा.

कीर्ति बोली “नेहा हमारे साथ कोलकाता गयी थी और वहाँ से वापस नही लौटी है.”

कीर्ति की ये बात सुनकर, मैने हैरानी से कहा.

मैं बोला “क्या वो वहाँ पर दुर्जन मामा के साथ है.”

मेरी बात सुनकर, कीर्ति ने मुस्कुराते हुए कहा.

कीर्ति बोली “हां, वो उन्ही के साथ है. लेकिन उनका असली नाम दुर्जन नही, दुष्यंत है. मम्मी ने तुमको उन्ही को ढूँढने का काम सौपा था. लेकिन उन्हो ने मुंबई आने के बाद अपना नाम बदल लिया था. जिस वजह से यहाँ उनका असली नाम कोई नही जानता था.”

कीर्ति की ये बात सुनकर, मुझे कोई हैरानी नही हुई. क्योकि नेहा के पद्‍मिनी आंटी की बेटी होने से ही मुझे समझ मे आ चुका था कि, मौसी ने मुझे जिस आदमी को ढूँढने का काम दिया था, वो दुर्जन है.

लेकिन कीर्ति के मूह से दुर्जन को ढूँढने वाली बात सुनकर, मुझे इतना ज़रूर समझ मे आ रहा था कि, कीर्ति इस बारे मे और भी बहुत कुछ जानती है. इसलिए मैने इस बात को आगे बढ़ाते हुए कहा.

मैं बोला “ये बात तो मैं पहले ही समझ गया था. लेकिन मेरी समझ मे अभी तक ये बात नही आ रही है कि, दुर्जन मामा को हम से क्या दुश्मनी थी और उन्हो ने ये सब क्यो किया.”

कीर्ति अभी मेरी इस बात जबाब देने ही वाली थी कि, तभी वाणी दीदी आ गयी. उन्हो ने हम दोनो को देखते ही सबसे पहले प्रिया की तबीयत पुछि और उसके बाद, हम लोगों से आराम करने को कह कर चली गयी.

मैं कीर्ति से दुर्जन के बारे मे जानना चाहता था. लेकिन कीर्ति बाद मे बात करने की बात बोल कर अपने कमरे मे चली गयी. उसके जाने के बाद मैने मूह हाथ धोया और आकर लेट गया.

मेरे मन मे इस समय हज़ारों सवाल थे. लेकिन उन सवालों से ज़्यादा मुझे प्रिया के होश मे आने की खुशी थी. इसी खुशी मे खोया हुआ मैं पता ही नही चला कि, कब गहरी नींद की आगोश मे चला गया.

फिर मेरी नींद किसी के मेरी पीठ पर बैठे होने के अहसास से खुली. मैं पेट के बल बहुत गहरी नींद मे सोया हुआ था. तभी मुझे नींद मे अहसास हुआ कि कोई मेरी पीठ पर बैठा हुआ है.

मैने नींद की हालत मे अपनी आँख खोल कर पिछे देखा तो, निमी मेरी पीठ पर बैठी थी और मेरा कंधा पकड़ कर मुझे उठा रही थी. मैने उनिंदी सी हालत मे उस से कहा.

मैं बोला “छोटी मुझे परेशान मत कर और मुझे सोने दे.”

लेकिन उसने मेरी बात को अनसुना कर, मुझे हिलाते हुए कहा.

निमी बोली “भैया 3:30 बज गये है. जल्दी से उठ कर खाना खा लो.”

मगर उस समय मैं नींद के नशे मे था. इसलिए मैने उसे टालते हुए कहा.

मैं बोला “मुझे नही खाना खाना. तू जा और मुझे सोने दे.”

मगर उसने फिर मुझे हिलाते हुए कहा.

निमी बोली “भैया, उठ जाओ. आपको घर जाने की तैयारी भी करना है. मम्मी घर जाने की तैयारी कर रही है.”

निमी की ये बात सुनते ही, एक पल मे मेरी सारी नींद गायब हो गयी. मैने एक बार फिर पिछे पलट कर देखा तो, निमी के पिछे कीर्ति भी खड़ी थी. मैने निमी को अपने उपर से उतारा और उठ कर बैठते हुए कीर्ति से कहा.

मैं बोला “ये निम्मो क्या बोल रही है. छोटी माँ अचानक घर क्यो जा रही है.”

मेरी बात सुनकर, कीर्ति ने मुझे समझाते हुए कहा.

कीर्ति बोली “प्रिया को होश आ गया है और डॉक्टर ने उसे पूरी तरह ख़तरे से बाहर बताया है. प्रिया की वजह से मौसी एक दिन भी चंदा मौसी के पास नही रह पाई थी. इसलिए अब मौसी वहाँ जाकर चंदा मौसी के पास रहना चाहती है.”

कीर्ति की बात सुनकर, मैने थोड़ा परेशान होते हुए कहा.

मैं बोला “लेकिन मुझे क्यो ले जा रही है.”

मेरी बात सुनकर कीर्ति ने हंसते हुए कहा.

कीर्ति बोली “मौसी ने तुमको ले जाने की बात नही कही थी. ये बात तो तुम्हारी प्यारी आमो ने कही है कि, भैया हमारे साथ आए थे और हमारे साथ ही घर जाएगे.”

कीर्ति की बात सुनकर, मुझे सारा माजरा समझ मे आ गया और मैं उठ कर बाहर आ गया. बाहर छोटी माँ अपने जाने की तैयारी मे लगी थी. मैने उनके पास आते ही, उन से कहा.

मैं बोला “छोटी माँ, आप जा रही है, ठीक है. लेकिन अमि निमी को क्यो ले जा रही है. इन्हो ने तो अभी मुंबई देखा भी नही है. इनको यहाँ मेरे साथ ही रहने दीजिए ना.”

मेरी इस बात के जबाब मे छोटी माँ ने कहा.

छोटी माँ बोली “नही, ये दोनो यहाँ तुमको परेशान करेगी. इनका मेरे साथ जाना ही सही है.”

मैं बोला “नही छोटी माँ, ये मुझे ज़रा भी परेशान नही करेगी. आप इन्हे दो चार दिन और यहाँ रह लेने दीजिए ना.”

आख़िरकार मैने किसी तरह छोटी माँ को अमि निमी को यही रहने देने के लिए तैयार कर लिया. उनके हां कहते ही, मैं अपने कमरे मे आ गया और फ्रेश होने चला गया.

फ्रेश होने के बाद, मैं तैयार हुआ और जब कमरे से बाहर आया तो, छोटी माँ के जाने की तैयारी हो चुकी थी. वाणी दीदी भी उनके साथ जा रही थी. यहाँ पर मैं, अमि निमी और कीर्ति रुक रहे थे.

छोटी माँ की फ्लाइट 7:30 बजे की थी और अभी सिर्फ़ 4:30 बजा था. मेरे कमरे से बाहर आते ही, कीर्ति ने मुझे खाना लगा दिया और मैं खाना खाने लगा. खाना खाते खाते मेरी छोटी माँ से बातें होती रही.

मेरा खाना होने के बाद, हम सब हॉस्पिटल के लिए निकल पड़े. हॉस्पिटल मे छोटी माँ सब से मिली और फिर 6 बजे हम एरपोर्ट के लिए निकल गये. रास्ते भर छोटी माँ मुझे ढेर सारी बातें समझाती रही.

उन्हो ने मुझे समझाया कि वो एक दो दिन बाद वापस आ जाएगी. तब तक अमि निमी और बाकी सब लोगों का ख़याल मुझे ही रखना है. बस इन्ही सब बातों के चलते हम लोग एरपोर्ट पहुच गये.

छोटी माँ सिर्फ़ एक दो दिन के लिए मुझसे दूर हो रही थी. इसके बाद भी उनके जाने से मेरा दिल छोटा सा हुआ जा रहा था और मुझे सूनापन घेरने लगा था. मेरा दिल नही चाह रहा था कि, वो घर वापस जाएँ.
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