RE: MmsBee कोई तो रोक लो
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वो बड़ी हैरानी भरी नज़रों से मुझे देख रही थी. इस समय उसकी आँखों मे आँसू भी झिलमिला रहे थे और उसके होठों पर मुस्कुन भी थिरक रही थी. उसके इस आँसू और मुस्कान से भरे चेहरे को देख कर, मुझे उस पर बहुत प्यार आ रहा था.
मेरा दिल कर रहा था कि, मैं अपने होठों से, उसकी आँखों मे चमकने वाले इन मोतियों को पी जाउ. मगर मेरे अंदर ऐसा करने की हिम्मत नही थी. लेकिन शायद इस समय प्रिया के दिल मे भी ऐसा ही कुछ चल रहा था.
इसलिए उसने मेरी किसी बात की परवाह किए बिना, मेरे दोनो हाथों को, अपने हाथों मे थाम लिया और फिर बारी बारी से मेरे हाथो को चूम कर, अपनी आँखों से लगा कर, बहुत ही भावुक होते हुए कहा.
प्रिया बोली “मुझे पता था कि, तुमको मेरी बहुत फिकर है. लेकिन मैने ये सपने मे भी, नही सोचा था कि, तुमको मेरे दर्द का इतना ज़्यादा अहसास है. तुम नही जानते कि, आज मैं कितनी खुश हूँ. आज यदि इस खुशी के बदले मे, तुम मेरी जान भी माँग लो तो, मेरे लिए ये भी बहुत कम है.”
प्रिया की ये बात सुनते ही, मैने उसके मूह पर हाथ रखते हुए कहा.
मैं बोला “मैं तुम्हारी जान नही, बल्कि तुम्हारी जान की सलामती चाहता हूँ. मैं चाहता हूँ कि, तुम हमेशा खुश रहो.”
मेरी इस बात के जबाब मे प्रिया ने मेरा हाथ छोड़ा और फ़ौरन अपने चेहरे से आँसुओं को सॉफ करके, मुस्कुराते हुए कहा.
प्रिया बोली “तुम मुझे हमेशा खुश देखना चाहते हो तो, मैं हमेशा खुश रहूगी. लेकिन तुम बस आज के दिन मुझसे भूलने भूलने की बात मत करो और मेरे साथ ऐसे ही रहो. फिर कल के दिन तुम मुझसे जो कुछ भी बोलोगे, मैं खुशी खुशी तुम्हारी बात मान लूँगी.”
प्रिया की ये बात सुनकर, मुझे थोड़ी हैरानी हुई कि, उसने इतनी आसानी से मेरी बात कैसे मान ली. फिर भी उसे अपनी बात मानते देख, मुझे खुशी हुई और मैने मुस्कुराते हुए उस से कहा.
मैं बोला “ठीक है, यदि तुम्हारे खुश रहने की यही शर्त है तो, मुझे तुम्हारी ये शर्त भी मंजूर है.”
प्रिया बोली “नही, ऐसे नही, पहले अच्छे से सोच लो. फिर बाद मे कोई वादा करना.”
मैं बोला “हां, मैने सोच लिया है. मैं वादा करता हूँ, की मैं आज तुमसे भूलने भूलने की कोई बात नही करूगा और तुम्हारे साथ ऐसे ही रहूँगा. लेकिन कल मैं तुमसे जो भी कुछ भी कहूँगा, तुम्हे मेरी वो बात मानना पड़ेगी.”
मेरी इस बात पर प्रिया ने बड़ी ज़ोर से खिलखिलाते हुए कहा.
प्रिया बोली “अब तुम्हारी बात मानने के लिए बचा ही क्या है.”
“उम्र दराज़ माँग कर, लाए थे चार दिन,
दो आरजू मे कट गये, दो इंतजार मे.”
ये कह कर, वो खिलखिला कर हँसने लगी. उसकी इस हँसी से मुझे इतना तो समझ मे आ गया था कि, मुझसे कही कुछ ग़लती हो गयी है. लेकिन बहुत सोचने के बाद भी, जब मैं अपनी ग़लती को नही पकड़ पाया तो, मैने झुझलाते हुए प्रिया से कहा.
मैं बोला “ये पागलों की तरह बिना बात की क्यो हंस रही हो. सॉफ सॉफ क्यो नही बोल देती कि, तुम्हे खुद ही अपनी शर्त मंजूर नही है.”
मेरी इस बात पर प्रिया ने अपना पेट पकड़ कर हंसते हुए कहा.
प्रिया बोली “अरे तुम अब भी कुछ नही समझे.”
मैं बोला “नही, मेरी समझ मे तुम्हारी कोई बात नही आ रही है.”
ये कहते हुए मैने अपना बुरा सा मूह बना लिया. मेरा इस तरह से मूह बना हुआ देख कर, प्रिया ने अपनी हँसी पर काबू पाते हुए कहा.
प्रिया बोली “इसमे ना समझ मे आने वाली क्या बात है. हमारे बीच अभी दो दिन की बात हुई है. इसमे से मेरा आज का दिन है और तुम्हारा कल का दिन है. मगर शायद तुम्हे पता नही है कि, आज कभी जाता नही है और कल कभी आता नही है.”
प्रिया की ये बात सुनते ही, मुझे उसकी बात का मतलब समझ मे आ गया और मैने फिर से उस पर झुझलाते हुए कहा.
मैं बोला “ये ग़लत है, तुमने आज मतलब सिर्फ़ सनडे के दिन की बात कही थी और अब तुम अपनी उस बात से मुकर रही हो.”
प्रिया बोली “हे झूठ मत बोलो, मैने सिर्फ़ आज का दिन कहा था. सनडे तो तुम अपने मन से जोड़े जा रहे हो. मैं नही, तुम अपनी कही बात से मुकर रहे हो.”
प्रिया कह तो सच ही रही थी. लेकिन जब उसने मुझे ये बात कही थी, तब मैं भी नही जानता था कि, वो आज और कल का मतलब ये निकालने वाली है. इसलिए मैने बिना सोचे समझे उसकी बात मान ली थी.
मगर अब जब मुझे उसकी ये चालबाजी समझ मे आई तो, मैं भी अपनी बात पर अड़ गया और हम दोनो मे अपनी अपनी बात को सही साबित करने की होड़ चलने लगी. लेकिन ना तो वो अपनी बात को ग़लत मानने को तैयार थी और ना ही मैं उसकी बात को सही मानने को तैयार था.
हमारी इस बहस का कोई नतीजा निकलता ना देख, मैने इस बात से पिछा छुड़ा लेने मे ही अपनी भलाई समझी. मैने बात को बदलते हुए, उसकी हथेली पर ब्लेड से बने हुए “पी” की तरफ इशारा करते हुए, उस से कहा.
मैं बोला “तुमने ये पागलपन क्यो किया था.”
मेरी बात सुनकर, प्रिया का ध्यान भी अपनी हथेली की तरफ चला गया और उसने बड़ी ही मासूमियत से मेरी बात का जबाब देते हुए कहा.
प्रिया बोली “भला मैने ऐसा क्या कर दिया. बस अपने नाम का पहला अक्षर “पी” ही तो लिखा है.”
उसकी ये बात सुनकर, मैं मुस्कुराए बिना ना रह सका. क्योकि एक तरह से उसकी बात सही भी थी. लेकिन इसकी हक़ीकत वो भी अच्छे से जानती थी और मैं भी अच्छे से जानता था. इसलिए मैने उसको को समझाते हुए कहा.
मैं बोला “लेकिन तुम्हे ये सब करने की क्या ज़रूरत थी. ये सब करके तुम्हे सिर्फ़ दर्द ही मिला होगा.”
प्रिया बोली “मैं उस समय बहुत दुखी थी और यकीन मानो इसे लिखने से मुझे दर्द नही, बल्कि मेरे दिल को थोड़ी राहत मिली थी.”
प्रिया की ये बात सुनकर, मैं बड़े गौर से उसका चेहरा देखने लगा. मेरे इस तरह से उसको देखने से प्रिया मुझसे नज़रे चुराने की कोसिस करने लगी. लेकिन फिर कुछ उसके दिमाग़ मे आया तो, उसने मुझे अपनी बातों मे उलझाते हुए कहा.
प्रिया बोली “मैं तो समझती थी कि, तुमको इसका पता नही है. लेकिन तुम तो इसके बारे मे पहले से ही जानते थे. मेरी समझ मे ये बात नही आ रही कि, तुमको इसका पता कब और कैसे पता चला था.”
प्रिया की ये बात सुनकर, मैं उसे घूर कर देखने लगा और वो मेरे इस तरह से घूर्ने का मतलब समझने की कोसिस करने लगी. लेकिन इस पहले की उसे मेरे घूर्ने का कुछ मतलब समझ मे आ पाता, उस से पहले ही मैने उस पर झूठा गुस्सा दिखाते हुए कहा.
मैं बोला “ज़्यादा भोली बनने की कोसिस मत करो. क्या ऐसा हो ही नही सकता कि, निक्की ने तुम्हे इस बारे मे कुछ ना बताया हो. यदि ऐसा होता तो, जब मैने नेहा के सामने तुम्हारा हाथ दिखाया था. तुमने उसके बाद ही, मुझसे इस बात के बारे मे पुच्छ लिया होता.”
मेरी ये बात सुनते ही प्रिया खिलखिला कर हँसने लगी और इस बार उसकी इस हँसी मे मैं भी उसके साथ हँसने लगा. अभी हमारे हँसी मज़ाक का ये दौर चल ही रहा था कि, तभी प्रिया की नज़र पानी पूरी वाले पर पड़ गयी और उसने मुझसे कहा.
प्रिया बोली “वो देखो, वहाँ पानी पूरी वाला खड़ा है. चलो वहाँ चल कर पानी पूरी खाते है.”
प्रिया की ये बात सुनकर, मैने एक नज़र पानी पूरी वाले की तरफ देखा और फिर प्रिया से कहा.
मैं बोला “तुमको पानी पूरी खाना है तो, तुम शौक से पानी पूरी खा सकती हो. लेकिन मुझे पानी पूरी खाना ज़रा भी पसंद नही है. इसलिए मुझे तो तुम इसके लिए माफ़ ही करो.”
लेकिन मेरी ये बात सुनने के बाद भी, प्रिया मुझसे पानी पूरी खाने की ज़िद करने लगी. तब मैने उसे अपनी बात समझाते हुए कहा.
मैं बोला “मैं सच कह रहा हूँ यार. मैं सच मे कभी पानी पूरी नही ख़ाता हूँ. तुम चाहो तो, किसी से भी पता कर सकती हो. तुमको पानी पूरी पसंद है तो, तुम चल कर पानी पूरी खा लो. मैं तुम्हारे साथ चल कर, तुमको पानी पूरी खाते हुए देखता हूँ.”
मेरी ये बात सुनकर, प्रिया ने पहले बुरा सा मूह बना लिया. लेकिन फिर अचानक ही उसे कुछ सूझा और उसने अपनी बात को मेरे सामने रखते हुए कहा.
प्रिया बोली “तुमने अभी तक मुझे मेरे बर्थ’डे का गिफ्ट नही दिया है. मुझे मेरे बर्थ’डे का गिफ्ट यही चाहिए.”
प्रिया की इस बात पर मैने मुस्कुराते हुए कहा.
मैं बोला “हां, मुझे पता है कि, मैने तुम्हारे बर्थ’डे का गिफ्ट नही दिया है. मैं भी तुम्हारे बर्थ’डे का गिफ्ट देना चाहता हूँ. बोलो तुम्हे अपने बर्थ’डे का क्या गिफ्ट चाहिए है.”
प्रिया बोली “मुझे मेरे बर्थ’डे का गिफ्ट ये ही चाहिए कि, तुम मेरे साथ पानी पूरी खाओ.”
उसकी इस बात को सुनकर, मैने ना मे अपना सर हिलाया. लेकिन फिर उठ कर खड़े होते हुए, उसे पानी पूरी खाने चलने का इशारा किया. मेरा इशारा पाते ही वो भी खुशी खुशी उठ कर खड़ी हो गयी और फिर हम दोनो पानी पूरी वाले के पास आ गये.
मगर मेरी परेशानी ये थी कि, मैं कभी पानी पूरी नही ख़ाता था. इसलिए मुझे सही से पानी पूरी खाना नही आता था. प्रिया ने पानी पूरी वाले से बड़ी बड़ी पानी पूरी खिलाने को कहा और वो हमको पानी पूरी खिलाने लगा.
उसने मुझे और प्रिया को बड़ी बड़ी पानी पूरी खिलाना सुरू कर दिया. प्रिया ने तो अपनी पानी पूरी को अपने मूह के अंदर रखते ही, उसे मूह मे गुम कर दिया. लेकिन जैसे ही मैने अपनी बड़ी सी पानी पूरी वाले ने मुझे एक बड़ी सी पानी पूरी को मूह मे रखा, वो पानी पूरी मूह मे रखते ही, फुट गयी और मेरे मूह के साथ साथ मेरी टी-शर्ट को भी गीला कर गयी.
मगर इस से भी ज़्यादा खराब हालत मेरे मूह की थी. क्योकि पानी पूरी का पानी बहुत ही तीखा था. उसके पानी से मेरा मूह जलने लगा और मेरी आँखों मे आँसू आ गये. मेरी हालत देख कर, प्रिया हँसने लगी और उसने मुझसे कहा.
प्रिया बोली “हे, ये क्या कर रहे हो. पानी पूरी के पानी से अपनी जीभ को नहालो, अपने कपड़ो को क्यो नहला रहे हो.”
मैने अपनी आखों और मूह को सॉफ करके, सिसियाते हुए प्रिया से कहा.
मैं बोला “मैं तो पहले ही कह रहा था कि, मैं पानी पूरी नही ख़ाता हूँ. उपर से इसका पानी इतना तीखा है कि, मेरा मूह ही जल गया.”
मेरी बात सुनकर, प्रिया ने हंसते हुए पानी पूरी वाले से कहा.
प्रिया बोली “भैया, इसकी पानी पूरी मे तीखा कम करना और इसे ज़्यादा बड़ी पानी पूरी मत देना. वरना ये अपने बाकी के कपड़ो को भी नहला देगा.”
प्रिया की बात सुनकर, पानी पूरी वाला भी हँसने लगा. उसने मेरे लिए अलग से छोटी छोटी पानी पूरी निकली और फिर कम तीखा पानी मे मुझे पानी पूरी खिलाने लगा. मगर मेरे लिए उन्हे भी खा पाना मुश्किल हो रहा था.
जैसे तैसे प्रिया की ज़बरदस्ती की वजह से मैने 3 पानी पूरी खा ली. मगर इसके बाद पानी पूरी खाने से मैने हार मान ली. तब प्रिया ने अपनी एक पानी पूरी अपने हाथों से मुझे खिला दी.
मैं जितनी देर मे सिर्फ़ 4 पानी पूरी खा पाया था. उतनी देर मे प्रिया ने 8-10 पानी पूरी खा ली थी. वो तो मुझे ऑर पानी पूरी खिलाना चाहती थी. लेकिन अब मैने पानी पूरी खाने से पूरी तरह से हार मान ली थी.
अब मैं सिर्फ़ प्रिया को पानी पूरी खाते देख रहा था. प्रिया ने एक दो पानी पूरी ऑर खाई और फिर पानी पूरी वाले के पैसे चुका कर, मुझसे कहा.
प्रिया बोली “हमारा यहाँ पर घूमना और तुम्हारा आराम करना बहुत हो चुका है. अब हमे यहाँ से चलना चाहिए.”
प्रिया की इस बात से समझ मे आ रहा था कि, वो अभी कहीं ऑर भी जाना चाहती है. इसलिए मैने उसे इस बात से रोकते हुए कहा.
मैं बोला “ठीक है, लेकिन अब मैं कही जाने वाला नही हूँ. अब हम यहाँ से सीधे बरखा दीदी के घर ही चलेगे.”
प्रिया बोली “अरे नही, अभी मुझे थोड़ी सी शॉपिंग करनी है. अभी 2 बजा है और हमने बरखा दीदी को 3 बजे का समय दिया है. इतनी देर मे मेरी शॉपिंग हो जाएगी.”
मैं प्रिया को शॉपिंग करने से मना करना चाहता था. लेकिन फिर मेरे दिमाग़ मे उसे बर्थ’डे गिफ्ट देने की बात आई तो, मैं भी शॉपिंग के लिए तैयार हो गया. मैने बाइक निकाली और फिर हम दोनो पास के ही एक शॉपिंग माल मे पहुच गये.
लेकिन वहाँ पर पहुचने के बाद, जब मैने प्रिया को ताबड तोड़ शॉपिंग करते देखा तो, मेरा दिमाग़ ही चकरा गया. मेरी समझ मे ही नही आ रहा था कि, वो इतनी शॉपिंग किस के लिए कर रही है.
मैं तो अपनी सारी शॉपिंग कल ही पूरी कर चुका था और अभी मुझे सिर्फ़ प्रिया के लिए ही कोई गिफ्ट खरीदना था. लेकिन उसकी इस शॉपिंग को देख कर, मैं वो गिफ्ट खरीदना भी भूल गया था.
वो शॉपिंग करने मे मगन थी और मैं उसकी इस शॉपिंग को देखने मे मगन था. अचानक ही शॉपिंग करते करते, उसे मेरी जेब का ख़याल आया और उसने कुछ झिझकते हुए मुझसे कहा.
प्रिया बोली “मुझे लगता है कि, मैने शॉपिंग कुछ ज़्यादा की कर ली है और इस शॉपिंग के लिए तुम्हारे दस हज़ार रुपये कम पड़ जाएगे.”
प्रिया की इस हरकत पर मैने मुस्कुराते हुए कहा.
मैं बोला “तुम्हे मेरी जेब का ख़याल बड़ी जल्दी आ गया. लेकिन फिकर मत करो, तुम जितनी चाहो, उतनी शॉपिंग कर सकती हो. मेरे पास क्रेडिट कार्ड है.”
मेरी ये बात सुनकर, प्रिया फिर से अपनी बाकी की शॉपिंग मे बिज़ी हो गयी. इस बीच मैने भी प्रिया के लिए लोंग स्कर्ट टॉप खरीद लिया. प्रिया सारी शॉपिंग जल्दी जल्दी ही कर रही थी. फिर भी हमे शॉपिंग करते करते 3 बज गये.
अब किसी भी समय बरखा दीदी का कॉल आ सकता था. इसलिए हम बिना देर किए घर के लिए निकल पड़े. रास्ते मे मैने प्रिया से पुछा कि, उसने ये इतनी सारी शॉपिंग किसके लिए की है तो, उसने बताया कि, यहाँ के सब लोगों के लिए की है. इसके बाद, वो मुझे ये बताने लगी कि, उसने किसके लिए क्या खरीदा है. मैं खामोशी से उसकी ये बातें सुनने लगा.
यहाँ के सब लोगों से मुझे कोई ना कोई गिफ्ट ज़रूर मिला था. लेकिन मैं शिखा दीदी की शादी मे उलझे होने और उसके बाद घर जाने की जल्दबाज़ी मे इस बात पर ध्यान ही नही दे पाया था. इसलिए अब प्रिया की इस शॉपिंग से, मुझे बहुत खुशी महसूस हो रही थी.
ऐसे ही बात करते करते हम बरख दीदी के घर के पास पहुच गये. बरखा दीदी के घर के पहले नेहा का घर था और मुझे दूर से ही नेहा अपने घर के सामने खड़ी किसी लड़के से बात करती नज़र आ गयी.
मैने ये बात प्रिया को बताई तो, उसने भी आगे झाँक कर नेहा के घर की तरफ देखा. फिर उसने मुझसे नेहा के गाड़ी ना रोकने की बात कह कर, सीधे बरखा दीदी के घर चलने को कहा.
उधर नेहा भी हम लोगों को आते हुए देख चुकी थी. इसलिए जैसे ही हम उसके पास से गुजरने को हुए, उसने हमे आवाज़ देकर रोक दिया. उसकी आवाज़ सुनकर, ना चाहते हुए भी मुझे बाइक उसके पास रोकना पड़ गयी.
वो इस समय उसी लड़के से खड़ी होकर, बात कर रही थी. जिसे निक्की ने मेहन्दी के दिन, मुझसे भगाने को कहा था. मेरे उनके पास पहुच कर, बाइक रोकते ही नेहा ने मुझसे कहा.
नेहा बोली “अच्छा हुआ, तुम दिख गये. हमारे यहाँ शिखा दीदी की शादी का एक गिफ्ट रखा है. तुम ऐसा करो, उसे बरखा को दे देना.”
नेहा की इस बात पर मैने बुरा सा मूह बनाते हुए कहा.
मैं बोला “तुम खुद ही ले जाकर क्यो नही दे देती. ये देखो, मेरी बाइक मे पहले से ही कितना बोझ लटकाए हुए है.”
ये कहते हुए मैने नेहा को प्रिया के हाथ मे थामे बॅग दिखाए. लेकिन इसके साथ ही मेरी नज़र प्रिया पर पड़ी तो, वो बहुत परेशान सी दिख रही थी. मुझे समझते देर नही लगी कि, उसकी परेशानी की वजह हो ना हो, वो ही लड़का है.
इधर मैं प्रिया के बारे मे सोच रहा था. उधर नेहा ने मेरी बात सुनकर, मुझे फटकारते हुए कहा.
नेहा बोली “मेरा काम नही करना है तो, सॉफ मना कर दो. इस तरह बेकार मे बहाने बनाने की ज़रूरत नही है.”
मेरे दिमाग़ मे इस वक्त कुछ ऑर ही चल रहा था. इसलिए नेहा की ये बात सुनते ही, मैने बाइक बंद की और प्रिया से नीचे उतरने को कहा. प्रिया के उतरते ही, मैं भी बाइक से उतरा और बाइक खड़ी करके नेहा के साथ गिफ्ट लेने अंदर जाने लगा.
मगर अंदर जाते जाते, मैं आधी दूर से ही पलट कर वापस प्रिया के पास आ गया. मैं प्रिया के पास वापस आया तो, मैने देखा कि, वो लड़का प्रिया का हाथ पकड़ा है और प्रिया उस से अपना हाथ छुड़ाने की कोशिस कर रही है.
मुझे अंदर से वापस बाहर लौटते देख, नेहा भी मेरे पिछे पिछे भागती हुई आ गयी थी. लेकिन तब तक मैं उस लड़के के सामने पहुच चुका था. उसने मुझे देखते ही, प्रिया का हाथ छोड़ दिया.
मगर तब तक उसके लिए बहुत देर हो चुकी थी. मेरे सीधे हाथ का एक मुक्का उसके जबड़े पर पड़ चुका था. इससे पहले कि, वो मेरे इस वार से संभाल पाता, मैने उल्टे हाथ से उसका गिरेबान पकड़ कर, एक ऑर जबर्जस्त मुक्का उसके जबड़े पर दे मारा.
मेरे इस अचानक के हमले से वो लड़का ही नही, बल्कि प्रिया और नेहा भी हड़बड़ा गयी थी. किसी को भी समझ मे नही आ रहा था कि, अचानक ये क्या हो गया. जब तक उनको ये बात समझ मे आई, तब तक वो लड़का ज़मीन की धूल चाट चुका था. मैं उस लड़के पर लात जूतों की बरसात किए जा रहा था और उस से कहता जा रहा था.
मैं बोला “इसका हाथ पकड़ने की, तेरी हिम्मत कैसे हुई. आज मैं तेरी एक एक हड्डी तोड़ कर रख दूँगा.”
वो लड़का मुझसे किसी भी तरह से कमजोर नही था. लेकिन इस समय मेरे अंदर इतना गुस्सा भरा हुआ था कि, वो मेरे सामने टिक ही नही पा रहा था. इधर प्रिया ने जब ये नज़ारा देखा तो, उसके हाथ मे थामे बॅग छूट कर ज़मीन पर गिर गये और वो आकर मुझे उसको मारने से रोकने लगी.
ये ही हाल नेहा का भी था. वो भी मुझे रोकने की कोसिस कर रही थी. मगर वो दोनो मिल कर भी मुझे रोक नही पा रही थी. उधर भीड़ जमा हो गयी थी और अब वहाँ जमा लोगों ने आकर मुझे पकड़ लिया था और उस लड़के को उठा कर खड़ा कर दिया था.
मैं अभी भी सबकी पकड़ से छूटने की कोशिस कर रहा था और अब वो लड़का भी खुद को लोगों से छुड़ा कर मेरी तरफ झपटने की कोसिस कर रहा था. तभी कहीं से बरखा दीदी भाग कर आ गयी.
वो मुझे शांत करते हुए पुच्छने लगी कि, क्या हुआ है. तो मैने गुस्से मे खुद को छुड़ाने की कोशिश करते हुए कहा.
मैं बोला “ये साला, प्रिया का हाथ पकड़ रहा था. छोड़ो मुझे, आज मुझे इसका हाथ ही उखाड़ के रख देना है.”
उधर वो लड़का भी कम गुस्से मे नही था. उसने भी मुझ पर भड़कते हुए कहा.
लड़का बोला “तू क्या मेरा हाथ तोड़ेगा. आज तो मैं तेरा सर काटुगा. तू जानता नही, तूने किस से पंगा ले लिया है.”
अभी वो लड़का इतना ही बोल पाया था कि, तभी उसके चेहरे पर एक ऑर जोरदार घुसा पड़ा. ये घुसा मारने वाला मेहुल था. उसने उस लड़के का गिरेबान पकड़ा और उसे लोगों से छुड़ाते हुए, मेरे सामने लाकर खड़ा करते हुए कहा.
मेहुल बोला “तू अभी इसका सर काटने की बात कर रहा था ना. तू यदि एक बाप की औलाद है तो, तू सिर्फ़ इसको हाथ लगा कर ही दिखा दे और यदि मैं अपने बाप की औलाद हुआ तो, तेरे हाथ लगाते ही, तुझे खड़े खड़े ही, इस ज़मीन के अंदर गाढ कर रख दूँगा.”
ये कहते हुए मेहुल ने उस लड़के का गिरेबान छोड़ते हुए, उसे मेरी तरफ धकेल दिया. मगर मेहुल की गुस्से मे लाल आँखें और उसका डील डौल देख कर, उस लड़के की, मुझे हाथ लगाने की हिम्मत ही ना हुई.
वो अपने कपड़े सही करते हुए भीड़ से निकल कर बाहर भाग गया. लेकिन हमसे थोड़ी दूर जाते ही, उसने पलट कर, हमारी तरफ देखते हुए कहा.
लड़का बोला “तुम लोग नही जानते, तुम लोगों ने अपनी मौत को दावत दी है. यदि मैने तुम लोगों की यहाँ लाशें ना बिछ्वा दी तो, मैं भी खालिद का भाई, सलीम नही.”
उस लड़के की ये धमकी सुनते ही, वहाँ जमा लोग, वहाँ से ऐसे गायब होने लगे. जैसे वो लोग वाहा थे ही नही. लेकिन मेहुल ने उसकी इस धमकी की परवाह ना करते हुए, उस से कहा.
मेहुल बोला “जा बे, तुझे जिसको लेकर, आना है, ले आ. अभी एक घंटे हम यही है. यदि इस एक घंटे मे तू यहाँ किसी को लेकर आया तो, उसका भी वो ही हाल होगा, जो तेरा हुआ है.”
मेहुल की ये बात सुनकर, वो लड़का भी मेहुल को, यहाँ से ना भागने की बात कह कर चला गया. लेकिन उस लड़के की धमकी की वजह से हमारे पास खड़े सारे लोग भी नौ दो ग्यारह हो चुके थे. अब हम लोगों के सिवा वहाँ कोई नही बचा था.
लेकिन उस लड़के की धमकी से, मुझे और मेहुल को छोड़ कर बाकी सब के चेहरे की हवाइयाँ उड़ गयी थी. तभी राज और रिया भी वही आ गये. वो पुच्छने लगे कि, यहाँ क्या हुआ है तो, नेहा ने उनकी इस बात का जबाब देते हुए कहा.
नेहा बोली “हुआ नही है, लेकिन यदि इन दोनो को जल्दी यहाँ से अलग नही किया गया तो, यहाँ बहुत जल्दी खून ख़राबा होने वाला है. इन दोनो ने खालिद के भाई सलीम को बहुत बुरी तरह से मारा है.”
नेहा की ये बात सुनते ही, राज और रिया के भी पसीने छूट गये. उनके चेहरे के उड़े हुए रंग को देख कर, अब मेरी और मेहुल की समझ मे भी, ये बात आ चुकी थी कि, हमने किसी बहुत बड़े गुंडे के भाई से पंगा ले लिया है और इसका नतीजा हमे बहुत महगा पड़ने वाला है.
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