RE: MmsBee कोई तो रोक लो
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मैं बहुत देर तक वहाँ वैसे ही खड़ा रहा और मेरे साथ साथ बाकी लोग भी वहाँ खड़े रहे. जब सबको वहाँ खड़े हुए काफ़ी देर हो गयी तो, बरखा ने मुझसे कहा.
बरखा बोली “आंटी की फ्लाइट तो कब की जा चुकी है. अब हम लोगों को भी यहाँ से चलना चाहिए.”
बरखा की बात सुनकर, मैं भारी दिल से सब के साथ बाहर आ गया. बाहर आने के बाद, निक्की ने हम सब को बाइ कहा और वो वापस अजय के घर के लिए निकल गयी. निक्की के जाने के बाद, हम सब भी वापस बरखा के घर जाने के लिए निकल पड़े. कुछ ही देर मे हम बरखा के घर पहुच गये.
मेहुल हमारे पहुचने के पहले ही, वहाँ पहुच चुका था और सबका हिसाब करने मे लगा था. राज उसके पास चला गया और रिया, नितिका नेहा बरखा के साथ अंदर जाकर हम सब के खाना खाने की तैयारी मे लग गयी.
मैं प्रिया के साथ उपर आ गया और अपने कपड़े पॅक करने मे लग गया. मुझे अपने समान की पॅकिंग करते देख, शायद उसे मेरे जाने की बात सताने लगी थी. जिस वजह से उसका चेहरा कुछ मुरझा सा गया था.
मैं उसके मन की इस हालत को समझ सकता था. इसलिए मैने उसका दिमाग़ इस बात से हटाने के लिए, बात बनाते हुए उस से कहा.
मैं बोला “मुझे अमि निमी और घर के बाकी लोगों के लिए कुछ खरीदी करनी है. क्या तुम मेरे साथ शॉपिंग करने चलोगि.”
मेरी बात सुनते ही प्रिया के चेहरे पर मुस्कुराहट आ गयी और उसने फ़ौरन मुझसे कहा.
प्रिया बोली “हां, ज़रूर चलूगी. लेकिन शॉपिंग पर सिर्फ़ हम दोनो ही जाएगे. हम दोनो के अलावा कोई तीसरा हमारे साथ शॉपिंग पर नही जाएगा.”
प्रिया की इस बात पर मैने भी मुस्कुराते हुए हां कह दिया. अभी मेरी प्रिया से बात चल ही रही थी कि, तभी बरखा आ गयी. उसने मुझे अपने कपड़े पॅक करते हुए देखा तो, अचानक ही उसके चेहरे की मुस्कुराहट गायब हो गयी और उसने मुझसे कहा.
बरखा बोली “क्या अब तुम हमारे यहाँ नही रुकोगे.”
मैं बोला “दीदी, ऐसी कोई बात नही है. लेकिन अब कल हम लोगों को घर के लिए निकलना है. उसके पहले मैं अमि निमी और घर के बाकी लोगों के लिए थोड़ा शॉपिंग करना चाहता हूँ. शॉपिंग करने के बाद, मुझे अपने समान की पॅकिंग भी करनी है. इसलिए अपने ये कपड़े ले जा रहा हूँ, ताकि रात को आराम से अपनी पॅकिंग कर सकूँ. अब रही बात आपके साथ रहने की, तो आप बिल्कुल फिकर मत कीजिए, मैं जब तक यहाँ हूँ, तब तक मेरा खाना आपके साथ ही होगा.”
मेरी बात सुनकर, बरखा के चेहरे की मुस्कुराहट वापस आ गयी. उसने मुस्कुराते हुए कहा.
बरखा बोली “चलो कोई कोई बात नही. सबके लिए शॉपिंग ना भी करो, तब भी चल जाएगा. लेकिन अमि निमी के लिए शॉपिंग करना बहुत ज़रूरी है. तो फिर तुम शॉपिंग के लिए कब जाने वाले हो.”
मैं बोला “बस दीदी, खाना खाने के बाद, मैं और प्रिया शॉपिंग के लिए निकल जाएगे.”
मेरी बात सुनकर बरखा ने मुझसे कहा.
बरखा बोली “मुझे भी अमि, निमी और आंटी के लिए कुछ समान भेजना था. यदि तुम लोगों को बुरा ना लगे तो, क्या मैं भी तुम्हारे साथ शॉपिंग के लिए चल सकती हूँ.”
मैं बोला “दीदी, इसमे बुरा लगने वाली कौन सी बात है. मैने तो आपसे साथ चलने के लिए सिर्फ़ इसलिए नही बोला था, क्योकि मुझे लगा था कि, कहीं आपको यहा पर कोई काम ना हो. यदि आप हमारे साथ चलना चाहती है तो, ज़रूर चल सकती है.”
मेरी बात सुनते ही बरखा ने कहा.
बरखा बोली “तो ठीक है, तुम लोग जल्दी से नीचे से आ जाओ. तब तक मैं सबके लिए खाना लगाती हूँ. फिर उसके बाद हम लोग शॉपिंग पर चलते है.”
मैने भी बरखा की बात मे, हां मे हां मिला दी और मेरी बात सुनते ही वो नीचे चली गयी. लेकिन बरखा के भी हमारे साथ जाने की बात को लेकर, प्रिया का मूह बन गया. मैं उसकी इस नाराज़गी को समझ सकता था.
लेकिन बरखा को अपने साथ जाने से रोकना मेरे बस मे नही था. मैं बरखा का दिल दुखाने की बात सोच भी नही सकता था. जिस वजह से मुझे प्रिया का दिल दुखाना पड़ गया था. मैने उसका बना हुआ मूह देख कर, उस से कहा.
मैं बोला “सॉरी, मैं जानता हूँ कि, तुम्हे बरखा दीदी का हमारे साथ जाना अच्छा नही लग रहा है. लेकिन मैं उनको जाने के लिए मना करके उनका दिल दुखाना नही चाहता था. मेरे पास उनको साथ लेकर चलने के अलावा कोई रास्ता नही था.”
मैने अपनी बात प्रिया को समझाने के लिए कही थी. लेकिन उसके उपर मेरी इस बात का उल्टा ही असर हुआ. मेरी बात सुनते ही, उसकी आँखों मे आँसू चमकने लगे और उनसे मेरे उपर भड़कते हुए कहा.
प्रिया बोली “तुमको सबकी खुशी का ख़याल रहता है. लेकिन तुम्हे कभी मेरी किसी खुशी का ख़याल नही रहता. मेरे लिए तुमने खुद तो कभी अपने मन से कुछ किया ही नही और आज जब मैने खुद तुमसे कुछ करने को कहा तो, तुमसे मेरे लिए वो भी ना हो सका. मुझे तुम्हारे साथ किसी शॉपिंग पर नही जाना. तुम बरखा दीदी के साथ ही जाकर अपनी शॉपिंग कर लो. आज के बाद मैं कभी तुमसे कुछ भी नही कहुगी.”
ये कहते कह कर वो गुस्से मे मेरे पास से उठ कर नीचे चली गयी और मैं हैरानी से उसे जाते हुए देखता रह गया. मैं ये तो जानता था कि, प्रिया को मेरी ये बात बुरी लगेगी. लेकिन मुझे इस बात की ज़रा भी उम्मीद नही थी कि, वो मुझसे इस हद तक नाराज़ हो जाएगी कि, मेरे साथ जाने से ही मना कर देगी.
हमेशा हर किसी की बात पर हंसते रहने वाली लड़की का, मेरी ज़रा सी बात पर इस तरह से नाराज़ हो जाने की, मुझे बस एक वजह नज़र आ रही थी और वो वजह थी कि, उसने अपने दिल का सारा हाल मेरे सामने खोल कर रख दिया था.
इसके बाद भी उसने मुझे अपने साथ हमदर्दी जताने तक का मौका नही दिया था. ऐसे मे मेरा उसकी कही एक छोटी सी बात को भी पूरा ना कर पाने से, उसके दिल को चोट पहुचि थी.
ये बात चाहे मेरे लिए बहुत छोटी थी. लेकिन जिस लड़की ने अपने लिए, कभी किसी से कुछ माँगा ही ना हो, उसके लिए एक बहुत बड़ी बात थी. ये ही वजह थी कि, मेरी बात से प्रिया के दिल को चोट पहुचि थी और अब मेरे साथ शॉपिंग पर जाना नही चाहती थी.
मैं अभी प्रिया के ख़यालों मे खोया हुआ था कि, तभी बरखा ने खाना खाने के लिए नीचे आने की आवाज़ लगा दी और मैं नीचे आ गया. मेरे आते ही सब खाना खाने बैठने लगे. मैं भी सबके खाना खाने बैठ गया.
लेकिन प्रिया जो मेरे पास बैठने का कोई भी मौका नही छोड़ती थी. आज मुझसे गुस्सा होने की वजह से नितिका के पास जाकर बैठ गयी. वो एक बार भी नज़र उठा कर मेरी तरफ नही देख रही थी. मुझे समझ मे नही आ रहा था कि, मैं उसे कैसे समझाऊ. जब मुझे कुछ समझ मे नही आया तो, मैने खाना खाते खाते एक एसएमएस प्रिया को भेज दिया.
मेरा एसएमएस
“आज कुछ कमी सी है तेरे बैगर.
ना रंग है ना रोशिनी है तेरे बगैर.
वक़्त अपनी रफ़्तार से चल रहा है,
बस धड़कन थमी हुई है तेरे बैगर.”
मेरा एसएमएस पहुचते ही प्रिया ने अपना मोबाइल निकाल कर देखा और फिर एसएमएस पढ़ने लगी. मेरे एसएमएस को पढ़ने के बाद, उसने मेरी तरफ देखा तो नही, लेकिन उसकी उंगलियाँ मोबाइल पर चलने लगी. जिसे देख कर नितिका ने उसे टोकते हुए कहा.
नितिका बोली “मोबाइल के साथ बाद मे खेल लेना. पहले अच्छे से खाना तो खा ले.”
नितिका की बात सुनकर, प्रिया ने मुस्कुराते हुए उस से कहा.
प्रिया बोली “कुछ नही, बस एक फालतू का एसएमएस आ गया था. उसे डेलीट कर रही थी.”
ये कह कर, वो फिर से खाना खाने लगी. उसके इस तरह मेरे एसएमएस को डेलीट कर देने से ही पता चल रहा था कि, उसका गुस्सा कम नही हुआ है. लेकिन मेरे पास उसको मनाने के लिए ना तो अभी समय था और ना ही एसएमएस करने के सिवा कोई दूसरा रास्ता था. इसलिए मैने उसे फिर से एसएमएस भेज दिया.
मेरा एसएमएस
“वो एक दोस्त जो प्यारा सा लगता है.
बहुत पास है फिर भी जुड़ा सा लगता है.
आया नही कोई पैगाम उसका,
शायद किसी बात पे खफा सा लगता है.”
लेकिन प्रिया ने मेरे इस एसएमएस का भी वो ही हाल किया, जो उसने मेरे पहले एसएमएस का किया था. उसकी इस हरकत से मैं समझ गया था कि, वो इतनी आसानी से नही मानेगी. फिर भी मैने एक आख़िरी कोसिस करते हुए उसे एक एसएमएस ऑर भेज दिया.
मेरा एसएमएस
“नज़र से नज़र चुराओगे कब तक.
दोस्ती हमारी भुलाओगे कब तक.
यू ही मिलते रहेंगे पैगाम हमारे,
इन पैगमों को मिटाओगे कब तक.”
मगर मेरे इस एसएमएस का भी वो ही हाल हुआ, जो मेरे पिच्छले एसएमएस का हुआ था. प्रिया को मनाने की मेरी सारी कोसिस बेकार हो चुकी थी. इसलिए मैं भी अब हार मान कर खाना खाने लगा.
खाना खाने के बाद, बरखा तैयार होने चली गयी. मैं प्रिया से बात करने की कोसिस मे लगा था. लेकिन वो मुझे बात करने का कोई मौका नही दे रही थी. तभी कीर्ति का कॉल आ गया और मैं बाहर आकर कीर्ति से बात करने लगा.
मैने उसे छोटी माँ के घर वापस लौटने की बात बताई. उसके बाद मैं उसे प्रिया की नाराज़गी की बात भी बताने लगा. जिसे सुनते ही कीर्ति हँसने लगी. उसे हंसते देख मैने उस पर गुस्सा करते हुए, उस से कहा.
मैं बोला “मैं बरखा दीदी और प्रिया के बीच फसा हुआ हूँ और तुझे मेरी इस हालत पर हँसी आ रही है.”
कीर्ति बोली “मैं हंसु नही तो ऑर क्या करूँ. तुम मुझे तो कभी मना नही पाते हो और प्रिया को मनाने चले हो.”
मैं बोला “चल अब अपनी बक बक बंद कर, बरखा दीदी आ रही है. मैं कॉल रखता हूँ.”
कीर्ति बोली “ओके, मैं कॉल रख रही हूँ. लेकिन मैं तुमको एक एसएमएस भेजती हूँ. तुम उसको भेज कर देखना, शायद तुम्हारा काम बन जाए.”
ये कह कर कीर्ति ने कॉल रख दिया और मैं उसका एसएमएस आने का इंतजार करने लगा. थोड़ी ही देर मे कीर्ति का एसएमएस आ गया और मैने वो एसएमएस प्रिया को भेज दिया.
कीर्ति का एसएमएस
“हो जाए कोई भूल तो ना दिल से लगाना.
जो भी शिकायत हो मिल के बताना.
समझो जो अपना तो हक़ हम पे जताना,
सच्ची है अगर दोस्ती तो दिल से निभाना.”
मैने कीर्ति का एसएमएस प्रिया को भेज तो दिया था. लेकिन मुझे प्रिया के मान जाने की ज़रा भी उम्मीद नही थी. मैं अभी घर के बाहर था, इसलिए मैं ये जान नही पा रहा था कि, प्रिया पर मेरे इस स्मस का क्या असर पड़ा है.
लेकिन हुआ वो ही, जिसकी मुझे ज़रा उम्मीद नही थी. मेरे एसएमएस भेजने के कुछ ही देर बाद, प्रिया का एसएमएस आ गया और मैं उसका एसएमएस पढ़ने लगा.
प्रिया का एसएमएस
“पंछी कह रहे है कि हम चमन छोड़ देंगे.
सितारे कह रहे है कि हम गगन छोड़ देंगे.
अगर हम तुम्हारी दोस्ती मे मर भी जाए तो,
तुम दिल से पुकार लेना हम कफ़न छोड़ देंगे.”
प्रिया का ये एसएमएस पढ़ते ही, मैं घर के अंदर जाने को हुआ. मगर तभी प्रिया और बरखा मुझे बाहर आती दिख गयी. उन्हे आते देख मेरा चेहरा खुशी से खिल गया. बरखा मेरे पास आकर मुझसे बात करने लगी. लेकिन प्रिया आते ही, सीधे गाड़ी मे जाकर बैठ गयी.
शायद उसकी नाराज़गी अभी भी कम नही हुई थी और वो अभी भी मुझसे नज़र नही मिला रही थी. लेकिन फिर भी मुझे इस बात की खुशी थी कि, वो हमारे साथ जाने को तैयार हो गयी है. अब मुझे इस मौके का फ़ायदा उठा कर, किसी ना किसी तरह उसकी इस नाराज़गी दूर करना थी.
प्रिया के गाड़ी मे बैठते ही, मैं और बरखा भी गाड़ी मे बैठ गये. कुछ ही देर मे हमारी गाड़ी एक शॉपिंग माल के सामने जाकर रुक गयी और हम लोग माल मे अपनी शॉपिंग करने चले गये.
मैने पापा के अलावा घर के सभी लोगों के लिए कुछ ना कुछ खरीदी की और उसके बाद अमि निमी के लिए खिलोने देखने लगा. इस बीच बरखा और प्रिया भी अमि निमी और छोटी माँ के लिए कुछ खरीदी करने लगी.
हम लोगों को अपनी शॉपिंग करने मे 3 बज गये. हमारी शॉपिंग तो अच्छी ख़ासी हो गयी थी. उसके बाद हम लोग घर के लिए वापस निकल पड़े. लेकिन इस सब मे मेरे हाथ से प्रिया को मानने का ये मौका भी निकल चुका था और प्रिया की नाराज़गी अभी भी मुझसे कम नही हुई थी.
हम घर पहुचे तो, मेहुल लोग राज के साथ घर वापस जा चुके थे. मैं और प्रिया कुछ देर वहाँ रुके और फिर हम भी प्रिया के घर के लिए निकल पड़े. प्रिया के घर वापस पहुचने मे हमे 4 बज गये.
घर पहुचते ही प्रिया, सीधे अपने कमरे मे चली और मैं शॉपिंग का समान लेकर अपने कमरे मे आ गया. कमरे मे आने के बाद मैने अपने कपड़े बदले और लेट कर प्रिया की नाराज़गी के बारे मे सोचने लगा.
मैं चाह कर भी प्रिया की नाराज़गी को दूर नही कर सका था. यही बात सोचते सोचते पता नही कब मेरी नींद लग गयी. दो रात लगातार जागने की वजह से मुझे इतनी गहरी नींद आई कि, मुझे किसी बात का होश ही रहा.
मेरी नींद शाम को 7 बजे प्रिया के जगाने पर खुली. मैने उठ कर, दरवाजा खोला तो, प्रिया ने बेमन से कहा.
प्रिया बोली “ज़रा अपना मोबाइल देखो, कौन कौन तुमको, कब से कॉल लगाए जा रहा है.”
प्रिया की बात सुनकर, मैने अपना मोबाइल उठा कर देखा तो, उसमे छोटी माँ, कीर्ति, बरखा, शिखा दीदी, अजय और सीरू दीदी के ढेर सारे कॉल थे. उन सबके कॉल देखने के बाद, मैने प्रिया से कहा.
मैं बोला “क्या हुआ, ये लोग मुझे इतना कॉल क्यो लगा रहे है.”
प्रिया बोली “शिखा दीदी और बाकी सब तुम्हे वहाँ बुला रहे है. बरखा दीदी, कुछ ही देर मे हमे लेने यहाँ आने वाली है. इसलिए अब तुम जल्दी से तैयार हो जाओ.”
प्रिया की बात सुनकर, मैने उसे चाय का बताया और फिर फ्रेश होने चला गया. फ्रेश होने के बाद, मैं तैयार होने लगा. अब मैं अमन के दिए कपड़े पहन रहा था. मेरे तैयार होते ही प्रिया भी चाय ले आई और हम दोनो चाय पीने लगे.
अभी हमारा चाय पीना हुआ ही था कि, तभी नितिका ने आकर बताया कि, बरखा आ गयी है. बरखा के आने की बात सुनकर, हम दोनो बाहर आ गये. बाहर राज, मेहुल, रिया भी तैयार खड़े थे. बरखा के साथ, नेहा और हीतू भी थे.
मेरे उनके पास पहुचते ही बरखा ने जल्दी चलने की बात कही और हम सब बाहर आ गये. बाहर आकर सब अलग अलग कार मे बैठने लगे. लेकिन मैं बाइक उठाने लगा तो, बरखा ने इसकी वजह पुछि, तो मैने उसे बताया कि, ये बाइक मुझे अजय के बंग्लो मे वापस रखना है.
इसके बाद सब कार मे बैठ कर आगे बढ़ गये और मैने भी अपनी बाइक आगे बढ़ा दी. अजय के बंग्लो मे कार रखने के बाद, मैने एक नज़र बंग्लो को देखने लगा. यहाँ मैने अपना बहुत ही कीमती समय बिताया था. इसलिए इस बंग्लो से दूर जाते हुए मुझे कुछ दुख भी हो रहा था.
मैं अभी बंग्लो को निहार ही रहा था कि, तभी प्रिया लोग आ गयी. मैने बंग्लो मे ताला लगाया और फिर प्रिया लोगों के साथ अमन के घर की तरफ बढ़ गया. कुछ ही देर मे हम अमन के घर पहुच गये.
अमन का घर किसी राजमहल से कम नही लग रहा था. हमारे वहाँ पहुचते ही हमारा स्वागत सीरू दीदी ने किया. वो हम लोगों को सीधे वहाँ लेकर आ गयी, जहाँ अजय और अमन के साथ घर के बाकी लोग थे.
मैने अमन की मोम और चाचा चाची के पैर छुकर, उनसे आशीर्वाद लिया. इसके बाद, मेरी नज़र शिखा दीदी को यहाँ वहाँ तलाश करने लगी. शायद सीरू दीदी मेरी नज़रो का मतलब, समझ गयी थी. उसने फ़ौरन ही मुझे टोकते हुए कहा.
सीरत बोली “तुम बेकार मे अपनी दीदी को यहाँ वहाँ ढूँढ रहे हो. वो तो शाम को ही आरू, हेतल और धीरू अंकल लोगों के साथ सूरत चली गयी है. वो बेचारी जाने से पहले तुमसे मिलना चाहती थी. इसलिए तुमको कॉल लगा रही थी. लेकिन तुमने उनका कॉल नही उठाया और उन्हे तुमसे मिले बिना ही जाना पड़ा.”
सीरू दीदी की ये बात सुनकर, मेरा चेहरा छोटा सा हो गया और अब मुझे वहाँ कुछ अच्छा सा नही लग रहा था. मैने अजय को उसके बंग्लो की चाबी दी और उसे बताया कि, मैने बाइक वही रख दी है.
इतना कह कर मैं बेमन से वही बैठ गया. मेरी बात सुनकर, अजय कुछ बोलने को हुआ. लेकिन तभी सेलू ने उसे टोकते हुए कहा.
सेलिना बोली “भैया, हमने आपसे कुछ करने को कहा था. यदि आप वो नही कर सकते तो, आप यहाँ से चले जाइए.”
सेलू की बात सुनकर, अजय ने मुझे बैठने को कहा और मैं उसके पास बैठ कर चुप चाप सबकी बातें सुन ने लगा. मुझे चुप चाप देख कर, अमन की मोम ने कहा.
आंटी बोली “क्या बात है बेटा, यहाँ सब कुछ ना कुछ बात कर रहे है. लेकिन तुम बिल्कुल चुप हो. तुम्हे शरमाने की ज़रूरत नही है. ये तुम्हारा ही घर है.”
आंटी की बात सुनकर, मैने कहा.
मैं बोला “आंटी, ऐसी कोई बात नही है. बात असल मे ये है कि, दो दिन से मेरी नींद पूरी नही हो पाई है. इसलिए सर मे थोड़ा सा दर्द है.”
मेरी ये बात सुनते ही सीरू दीदी ने कहा.
सीरत बोली “अरे इसमे परेशानी वाली क्या बात है. हमारी भाभी डॉक्टर है, वो अभी चुटकी बजाते ही तुम्हारा सारा सर दर्द दूर कर देगी.”
मैं सीरू दीदी को ऐसा करने से रोकना चाहता था. लेकिन उन्हो ने मेरी बात को अनसुना करते हुए, घर के अंदर की तरफ आवाज़ लगाते हुए कहा.
सीरत बोली “भाभी यहाँ आपका छोटा देवर सर दर्द से परेशान हो रहा है और आप हो कि किचन से बाहर निकलने का नाम नही ले रही है. सारा काम छोड़ कर जल्दी से यहाँ आइए.”
सीरू दीदी की आवाज़ सुनते ही, निशा भाभी अपने हाथ पोछ्ते हुए हमारे पास आ गयी. वो शायद सच मे ही किचन से आ रही थी. उनको देखते ही मेरे चेहरे पर मुस्कुराहट आ गयी. मैं खड़ा होने लगा तो, उन्हो ने मुझे टोकते हुए कहा.
निशा भाभी बोली “अरे बैठे रहो हीरो और ये बताओ कि, तुम्हारे सर को क्या हुआ.”
मैं बोला “कुछ नही भाभी, बस नींद पूरी ना होने की वजह से ज़रा सा सर मे दर्द है. नींद पूरी होते ही वो भी चला जाएगा.”
मेरी बात सुनकर, निशा भाभी ने कहा.
निशा भाभी बोली “फिकर मत करो. मेरे पास तुम्हारे इस सर दर्द की दवा भी है. मैं चुटकी बजाते ही, तुम्हारा सारा सर दर्द गायब कर दूँगी”
निशा भाभी की ये बात सुनकर, मैं कुछ कहने ही वाला था कि, तभी उन्हो ने किचन की तरफ देख, कर आवाज़ लगाते हुए कहा.
निशा भाभी बोली “निधि, ज़रा वहाँ से सर दर्द की दवा तो लेकर आना.”
निशा भाभी की आवाज़ सुनते ही किचन से निधि बाहर निकली. लेकिन उसके हाथ मे खाने का बर्तन था. वो उसे लेकर सीधे डाइनिंग टेबल की तरफ बढ़ गयी और उसे वहाँ रख कर हमारी तरफ मुस्कुरा कर देखने लगी.
अभी मैं हैरानी से निधि को देख रहा था कि, तभी मुझे फिर से किचन की तरफ से किसी के आने की आहट हुई. मैने पलट कर देखा तो ये निक्की थी. उसके हाथ मे भी एक खाने का बर्तन था और वो भी उसे लेकर सीधे डाइनिंग टेबल की तरफ बढ़ गयी और उसे वहाँ रख कर, मुझे देख कर, मुस्कुराने लगी.
मुझे कुछ समझ मे नही आ रहा था कि, ये सब क्या हो रहा. लेकिन अभी मेरा ऑर ज़्यादा हैरान होना बाकी था. क्योकि कुछ ही देर बाद, किचन से हेतल और आरू निकल आई. उन्हो ने भी वो ही किया, जो निधि और निक्की ने किया था.
हेतल और आरू को देखने के बाद, मेरी नज़र इस बार खुद ब खुद बेचेनी से किचन की तरफ चली गयी. क्योकि हेतल और आरू को देख कर, अब मुझे ऐसा लग रहा था कि, मेरे साथ मज़ाक किया जा रहा है और शिखा दीदी यही पर है.
मुझे इस तरह किचन की तरफ देखते देख कर, सीरू दीदी ने मुझे टोकते हुए कहा.
सीरत बोली “अरे अब किचन की तरफ क्या देख रहे हो. सारा खाना तो डाइनिंग टेबल पर सज चुका है और सजाने वाले भी सब यही है.”
लेकिन मुझे सीरू दीदी की बात पर यकीन नही आ रहा था. मैने अजय की तरफ देखा तो, उसने मुझे किचन मे देख लेने का इशारा किया. अजय का इशारा पाकर मैं उठ कर किचन की तरफ जाने लगा.
मुझे किचन की तरफ जाते देख कर, सीरू दीदी और सेलू ने रोकने की कोसिस की, मगर मैं उनकी बात को अनसुना करके किचन की तरफ बढ़ गया. वहाँ पहुचते ही मुझे शिखा दीदी दिखाई दे गयी.
वो मन लगा कर पूरियाँ तल रही थी. शायद उन्हे मेरे आने की खबर नही दी गयी थी. उन्हे देखते ही मेरे चेहरे की रौनक वापस आ गयी. मैने उनसे धीरे से कहा.
मैं बोला “दीदी.”
मेरी आवाज़ सुनते ही, उन्हो ने पलट कर देखा और मुझे अपने सामने पाते ही, उनके चेहरे पर सारे जमाने की खुशियाँ सिमट कर आ गयी. उन्हो ने मेरे उपर सवालों की बौछार करते हुए कहा.
शिखा दीदी बोली “भैया पता है, मैने आपको कितने कॉल लगाए थे. इनके यहाँ नियम है, कि शादी के बाद, पहली रसोई नयी दुल्हन ही पकाती है. इसलिए मैने आप सब को भी यहाँ बुलाने की इजाज़त ले ली थी. लेकिन आप का कॉल था कि, उठ ही नही रहा था. इसलिए मैने प्रिया और बरखा को आपको साथ लाने कहा था. मगर आप लोग कब आए. बरखा और प्रिया लोग कहाँ है. क्या वो लोग आपके साथ नही आई है.”
शिखा दीदी को अपने सामने देख कर, मुझे भी ऐसा लग रहा था कि, जैसे मैं उन्हे बरसो बाद देख रहा हूँ. उनके सारे सवालों का मैने मसूकुराते हुए एक छोटा सा जबाब देते हुए कहा.
मैं बोला “दीदी, सब लोग आए है. आप खुद ही देख लीजिए.”
मेरी बात सुनकर, शिखा दीदी मेरे साथ बाहर सबके पास आ गयी. बरखा और नेहा उन से मिलने लगी. निशा भाभी ने निधि और हेतल को किचन का काम देखने के लिए भेजते हुए मुझसे कहा.
निशा भाभी बोली “कहो हीरो, अब तुम्हारा सर दर्द कैसा है.”
निशा भाभी की बात सुनकर, मैने मुस्कुराते हुए कहा.
मैं बोला “भाभी, अब मेरा सर दर्द अच्छा है. लेकिन आप लोगों ने तो मुझे सच मे डरा ही दिया था.”
मेरी बात सुनकर, सब हँसने लगे और बरखा शिखा दीदी को सारी बातें बताने लगी. इसके बाद हम सबने साथ बैठ कर खाना खाया और फिर उसके बाद बहुत देर तक हमारी बातें चलती रही.
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