RE: MmsBee कोई तो रोक लो
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इस समय मेरे मन मे ऐसे ही बहुत से सवाल उठ रहे थे. जिनका जबाब मैं उस उपर वाले से माँगना चाहता था. मगर वो उपर वाला इस समय मेरे किसी भी सवाल का जबाब देने के मूड मे नही था. इसलिए उसने कुछ ऐसा किया, जिस से कि, मैं ये सब सवाल करना ही भूल जाउ.
मैं अपने इन्ही सवालों मे खोया हुआ था कि, तभी मेरे कानो मे दोनो मोबाइल बजने की आवाज़ सुनाई दी. असल मे हुआ ये था कि, मैं तो कीर्ति की बात सुनकर, अपने ख़यालों मे खो गया था और तभी एक घंटा पूरा होने की वजह से कीर्ति का कॉल कट गया था.
लेकिन मुझे इस बात का अहसास ही नही था. कॉल कटने के बाद, शायद मेरे कॉल ना उठाने की वजह से, वो मेरे दोनो मोबाइल पर कॉल लगाने लगी होगी. ये बात समझ मे आते ही मैने फ़ौरन कीर्ति का कॉल उठा लिया. मेरे कॉल उठाते ही उसने गुस्सा होते हुए कहा.
कीर्ति बोली “बात करते करते कहाँ खो जाते हो. मैं कितना कॉल लगा रही हूँ और तुम हो कि कॉल उठा ही नही रहे.”
मैं बोला “सॉरी, लेकिन अब तो मैने कॉल उठा लिया है ना, तो फिर क्यो अभी भी दूसरे मोबाइल पर कॉल लगाए जा रही है.”
कीर्ति बोली “अरे मैं कहाँ दूसरे मोबाइल पर कॉल लगा रही हूँ. तुम उस मोबाइल मे देखो कि किसका कॉल आ रहा है.”
कीर्ति की बात सुनते ही मैं अपना दूसरा मोबाइल निकाल कर देखने लगा. कीर्ति का कहना सच ही था कि, वो कॉल नही लगा रही है. क्योकि ये छोटी माँ का कॉल आ रहा था और उनका कॉल आते देख, मेरे चेहरे पर मुस्कुराहट आ गयी.
शायद इसी को माँ का दिल कहते है की, पल भर पहले मैं बड़ी बेचैनी से उन्हे याद कर रहा था और कुछ पल ही बाद उनका मेरे पास कॉल आने लगा. मैने छोटी माँ का कॉल आने की कीर्ति को बताई और छोटी माँ का कॉल उठाते हुए कहा.
मैं बोला “जी छोटी माँ, क्या हुआ, आप इतनी रात को कॉल क्यो लगा रही है. वहाँ सब ठीक तो है ना.”
मैने एक ही साँस मे छोटी माँ से इतने सारे सवाल कर डाले. लेकिन उन ने मेरे इन सारे सवालों को अनसुना करके, मुझसे मेरी ही शिकायत करते हुए कहा.
छोटी माँ बोली “बड़ा आया मेरी फिकर करने वाला, मैं कब से कॉल लगा रही हूँ और तू है कि, मेरा कॉल उठा ही नही रहा है. यदि मैने तेरा कॉल उठाने मे, इतनी देर लगाई होती तो, अभी तक तूने अपना मूह फूला लिया होता.”
छोटी माँ की ये बात सुनकर मुझे हँसी आ गयी और मैने उन्हे अपनी सफाई देते हुए कहा.
मैं बोला “सॉरी छोटी माँ, लेकिन मेरे देर से कॉल उठाने मे भी आपकी ही ग़लती है. मैं आपको याद करने मे इतना खो गया था कि, आपके कॉल आने का मुझे कुछ पता ही नही चला.”
मेरी इस बात पर छोटी माँ ने मुस्कुराते हुए कहा.
छोटी माँ बोली “चल झूठे, अब अपनी ग़लती छुपाने के लिए मुझे मस्का लगा रहा है.”
मैं बोला “हां, आपको तो मेरी याद आती नही है. इसलिए आपको मेरी बात मस्का लगाना ही लगेगी.”
छोटी माँ बोली “अच्छा तो तुझे लगता है कि, मुझे तेरी याद नही आती. यदि ये बात सच है तो फिर तू ही बता दे कि, मैं इतनी रात को तुझे कॉल क्यो लगा रही हूँ.”
छोटी माँ की ये बात सुनकर, मैं सच मे सोच मे पड़ गया कि, उन्हो ने इतनी रात को किसलिए कॉल लगाया होगा. लेकिन मुझे शिखा दीदी की शादी के अलावा कोई ऐसी बात समझ मे नही आ रही थी. जिसके लिए अभी छोटी माँ कॉल लगा सकती हो. इसलिए मैने यही बात छोटी माँ से बोलते हुए कहा.
मैं बोला “इसमे कौन सी बड़ी बात है. आपने बस शिखा दीदी की शादी मे देने वाले गिफ्ट के बारे मे बताने के लिए कॉल किया होगा.”
अपना अंदाज़ा छोटी माँ को बताने के बाद, मैं बेसब्री से उनके जबाब का इंतजार करने लगा. उधर छोटी माँ ने मेरी ये बात सुनते ही, मुझसे कहा.
छोटी माँ बोली “हां, मैने यही बात बताने के लिए तुझे इतने समय कॉल किया था. लेकिन तुझे तो लगता है कि, मैं तुझे याद ही नही करती. इसलिए अब सोच रही हूँ कि, तुझे ये सब बताने का कोई फ़ायदा नही है. जब गिफ्ट वहाँ पहुचेगा, तब तू उसे खुद ही देख लेना.”
मैं ये बात अच्छी तरह से समझ रहा था कि, छोटी माँ मुझे तंग करने के लिए ऐसी बातें कर रही है. लेकिन जब उन्हो ने गिफ्ट यहाँ पहुचने के बाद, देखने की बात की तो, मैं अपने आपको ना रोक सका और मैने उन्हे मनाते हुए कहा.
मैं बोला “छोटी माँ, मैं तो सिर्फ़ मज़ाक कर रहा था. अब आप भी मुझे तंग करना बंद कीजिए और जल्दी से बताइए कि, आपने क्या गिफ्ट देने का सोचा है.”
लेकिन अब छोटी माँ इतनी जल्दी मान जाने के मूड मे नही लग रही थी. उन्हो ने फिर मुझे तंग करते हुए कहा.
छोटी माँ बोली “अब तो तू बहुत समझदार हो गया है. जब तूने ये पता लगा लिया कि, मैने तुझे कॉल किसलिए था तो, अब ये भी खुद पता लगा ले कि, मैने क्या गिफ्ट देने बारे सोचा है.”
ये कह कर छोटी माँ हँसने लगी. मगर अब मुझे सबर नही हो रहा था और गिफ्ट के बारे मे जानने की बहुत ज़्यादा उत्सुकता थी. इसलिए मैने उनके सामने मिन्नत करते हुए कहा.
मैं बोला “प्लीज़ छोटी मा, अब ऑर परेशान मत कीजिए. प्लीज़ बताइए ना, आपने क्या गिफ्ट सोचा है.”
मुझे इस तरह अपनी मिन्नत करते देख, छोटी माँ को भी अब मुझे ऑर ज़्यादा परेशान करना ठीक नही लगा और उन्हो ने मुझे गिफ्ट के बारे मे बताते हुए कहा.
छोटी माँ बोली “ये गिफ्ट मैने नही, कीर्ति ने सोचा है. मुझे उसकी बात सही लगी इसलिए मैने भी इसके लिए हां कर दी.”
मैं बोला “लेकिन क्या सोचा है, ये तो बताइए.”
छोटी माँ बोली “अरे थोड़ा सबर तो रख, बता तो रही हूँ. हमने तेरी बहन को उसकी शादी मे, एक कार गिफ्ट मे देने की बात सोची है. अब तू बता कि, तुझे ये गिफ्ट पसंद आया या नही.”
छोटी माँ की ये बात सुनकर, मेरा चेहरा खुशी से खिल गया और मैने अपनी खुशी जाहिर करते हुए, उनसे कहा.
मैं बोला “मुझे ये गिफ्ट सिर्फ़ पसंद नही, बहुत ज़्यादा पसंद आया है. आइ लव यू मोम.”
मेरी बात सुनकर, छोटी माँ ने चौुक्ते हुए कहा.
छोटी माँ बोली “ये आख़िरी मे क्या बोला तू.”
मैं बोला “हाहहहाहा…सॉरी छोटी माँ.”
छोटी माँ बोली “चल कोई बात नही. तू अपना ख़याल रखना और किसी बात की चिंता मत करना. मैने तेरे खाते मे कुछ पैसे ऑर डाल दिए है. तुझे शादी मे जितना भी खर्च करना हो, कर लेना. यदि ये भी कम लगे तो, मुझे बता देना. अपनी बहन की शादी मे किसी बात की कमी नही होने देना.”
छोटी माँ की इस बात ने, मेरे मन मे शिखा दीदी की शादी को लेकर जो उत्साह था, उसको दुगुना कर दिया था. इसके बाद उन्हो ने मुझसे यहा शादी से जुड़ी बातों के बारे मे पुछा और फिर कल बात करने की बात कह कर कॉल रख दिया.
छोटी माँ से मेरी सिर्फ़ कुछ देर ही बात हुई थी. लेकिन उनकी इस कुछ देर की बात ने ही मुझे दिन भर की थकान और मेरे तनाव से मुक्ति दे दी थी. उनके कॉल रखने के बाद, मैने कीर्ति का कॉल उठाया तो, उसने चहकते हुए कहा.
कीर्ति बोली “कहो कैसी रही.”
मैं बोला “बहुत अच्छी रही, लेकिन गिफ्ट मे कार देने का ख़याल तेरे मन मे कैसे आया.”
कीर्ति बोली “क्यो, जब अज्जि अपनी बहन को कार बिना किसी बात के दे सकता है तो, क्या तुम अपनी बहन की शादी पर उसे कार गिफ्ट नही कर सकते.”
कीर्ति की ये बात सुनते ही मुझे एक पल मे ही सारा माजरा समझ मे आ गया और मैने उसे समझाते हुए कहा.
मैं बोला “तेरी ये सोच सही नही है. हमे किसी भी बात मे, किसी की बराबरी नही करनी चाहिए और अज्जि के पास जो कुछ भी है, वो सब शादी के बाद तो दीदी का ही होगा.”
कीर्ति बोली “शादी के बाद दीदी का होगा ना. शादी के पहले तो दीदी का नही है. बस इसलिए मैं चाहती थी कि, हमारी दीदी के पास अपने मायके की तरफ से एक बड़ा सा गिफ्ट हो.”
मैं बोला “अब बस भी कर, तेरे से बातों मे जीतना मेरे बस की बात नही है.”
कीर्ति बोली “तो फिर बेकार मे जीतने की कोशिस ही क्यो करते हो. अब ये सब बातें छोड़ो और एक ज़रूरी बात सुनो. आज शीन बाजी, शेज़ा के साथ घर आई थी और तुमको पुछ रही थी.”
मैं बोला “क्यो, क्या हुआ.? बाजी किसलिए आई थी.? उनके घर मे सब ठीक तो है ना.?”
कीर्ति बोली “हां सब ठीक है. बस उन्हे तुम्हारे मुंबई जाने के बारे मे मालूम ही नही था. इसलिए वो ये बात सुनकर, चौक गयी थी. क्या तुमने अपने मुंबई जाने के बारे मे उनको नही बताया था.”
मैं बोला “हां, मैने ये बात किसी को भी नही बताई थी. क्या वो किसी खास काम से आई थी.”
कीर्ति बोली “उन्हो ने ऐसा कुछ खास नही बताया. बस इतना ही कहा कि, तुम पिच्छले एक महीने से उनके घर नही गये. इसलिए वो तुम्हारा हाल चाल पुच्छने आ गयी. लेकिन बाजी के आने की बात से तुम इतना परेशान क्यो हो रहे हो.”
मैं बोला “ऐसी कोई बात नही है. मुझे तो बस ये सोच कर बुरा लग रहा है कि, यदि मैने अपने यहाँ आने की बात बाजी को बता दी होती तो, उन्हे मेरा हाल जानने के लिए इस तरह परेशान नही होना पड़ता और ये भी तो हो सकता है कि, उन्हे मुझसे कोई ज़रूरी काम पड़ गया हो, जिसकी वजह से वो मुझे देखते हुए घर तक आ गयी.”
मेरी इस बात के जबाब मे कीर्ति ने बड़े ही प्यार से मुझसे कहा.
कीर्ति बोली “तुम एक काम क्यो नही करते.”
मुझे समझ मे नही आया कि, कीर्ति अचानक मुझे कौन सा काम करने को बोल रही है. इसलिए मैने बड़ी उत्सुकता के साथ पुचछा.
मैं बोला “क्या काम.?”
कीर्ति बोली “अभी तुम्हे यहाँ की, कोई ना कोई फ्लाइट तो मिल ही जाएगी. तुम ऐसा करो कि कोई फ्लाइट पकड़ कर फ़ौरन घर आ जाओ और आकर अपनी प्यारी बाजी से ही पुच्छ लो कि, बाजी आप किस लिए हमारे घर आई थी. आपको मुझसे कोई ज़रूरी काम तो नही है.”
कीर्ति की इस बात को सुनते ही मैने अपना सर पीट लिया और मुझे अपनी की हुई ग़लती का अहसास भी हो गया. असल मे कीर्ति और शीन बाजी के बीच साँप और नेवले की दुश्मनी थी. दोनो एक दूसरे का नाम तक लेना भी पसंद नही करती थी.
ऐसे मे मेरा बाजी के आने की बात को लेकर, परेशान होना, कीर्ति को पसंद नही आया था. इसलिए वो मुझे इस तरह की जली कटी बातें सुना रही थी. उसने शायद मुझे बाजी के आने की बात सिर्फ़ इसलिए बता दी थी, क्योकि अभी मैं घर मे नही था. वरना वो इस बात को गायब ही कर जाती.
मुझे अपनी इस ग़लती का अहसास होते ही, मैने फ़ौरन अपनी ग़लती पर परदा डालते हुए, कीर्ति से कहा.
मैं बोला “सॉरी, अब तू इस बात को लेकर, अपना मूड खराब मत कर लेना. मैं तो ये सब इसलिए पुच्छ रहा था, क्योकि अभी असलम अपने नाना के घर गया हुआ है. इसलिए मुझे लगा कि, कहीं बाजी को मुझसे कोई ज़रूरी काम ना पड़ गया हो. वरना मैं ये सब तुझसे कभी नही पुछ्ता.”
मगर कीर्ति का मूड अभी भी सही नही था. उसने मेरी इन बातों से परेशान होकर, मुझे ताना मारते हुए कहा.
कीर्ति बोली “उन्हे कोई ज़रूरी काम वाम नही होगा. परसों से रमज़ान लगने वाला है. अब भला बिना चाँद देखे भी, क्या रमज़ान सुरू होता है. इसलिए वो अपने प्यारे चंदा को देखने आई थी.”
कीर्ति की इस बात को सुनकर, मैं सच मे ही बहुत परेशान हो गया. क्योकि मैं पिच्छले दो साल से, बाजी के यहाँ रोज़ की अफ्तारि का समान लेकर जाता था. ये सिलसिला तब सुरू हुआ था, जब मैं छोटी माँ के ना होने पर पापा से पैसे लेने उनके ऑफीस गया था और फिर वही पर मुझे छोटी माँ मिल जाने पर, हम दोनो ने वो देख लिया था, जिसके बाद मुझे पापा से नफ़रत हो गयी थी.
मैं तब इसी काम के लिए छोटी माँ से पैसा लेना चाहता था. लेकिन उस हादसे की वजह से मैं इतना दुखी था कि, मैं ये सब बातें भूल ही गया था. उस समय छोटी माँ ने मेरे मन से पापा की बातों को बाहर निकालने के लिए, मुझसे पुछा था कि, मुझे इतने पैसे किस काम के लिए चाहिए थे.
तब मैने उन्हे बताया था कि, मेरे दोस्त असलम के रोज़े सुरू हो रहे है और मैं उसके घर आफ्तारी का समान भेजना चाहता था. मगर अब मेरा किसी बात के लिए मन ही नही कर रहा है. लेकिन छोटी माँ ने मुझे समझाया और समान के लिए पैसे दिए.
जिसके बाद मैं आफ्तारी का समान लेकर, असलम के घर गया. असलम और शेज़ा तो ये सब देख कर बहुत खुश थे. लेकिन शीन बाजी ये सब देख कर बहुत नाराज़ हुई. वैसे तो वो मुझे बहुत प्यार करती थी. मगर एक छोटे से बच्चे से ये सब लेने का उनका दिल गवारा नही कर रहा था.
उन्हो ने इस सब के उपर से मुझे बहुत बातें सुनाई और मुझसे पुछा कि, मेरे पास इस समान के लिए इतने पैसे कहाँ से आए. तब मैने उन्हे सब कुछ सच सच बता दिया. मगर तब भी उन्हे मेरी बात पर विस्वास नही आ रहा था. जिस वजह से मैने उनकी बात छोटी माँ से करवा दी.
छोटी माँ ने उन्हे बताया कि, मैं जो भी बोल रहा हूँ, सच बोल रहा हूँ. तब जाकर उनको मेरे उपर विस्वास आया. मगर इसके बाद भी, उन्हो ने छोटी माँ से वो सब समान लेने से मना कर दिया. तब छोटी माँ ने उनको समझाते हुए कहा था.
छोटी माँ बोली “देखो शीन, तुम्हारी बात सही है कि, पुन्नू अभी छोटा है और उस से ये सब लेना तुमको शोभा नही देता. मगर तुम उसकी सिर्फ़ उमर क्यो देखती हो. तुम उसका, तुम लोगों के लिए प्यार क्यो नही देखती. आज पुन्नू यदि तुम्हारे लिए आफ्तारी लेकर आया है तो, तुमको किसने रोका है, तुम उसके लिए दीवाली मे फटाखे लेकर आ जाना.”
“मेरी एक बात याद रखो कि, त्योहार चाहे हमारा हो या तुम्हारा हो. हर त्योहार का मकसद सिर्फ़ प्यार और भाई चारा बढ़ाना होता है. लेकिन हम बड़े इस बात को समझते हुए भी, कभी समझ नही पाते और ये बच्चे नासमझ होते हुए भी हर त्योहार को मना लेते है. आज ये बच्चे यदि मेरा और तुम्हारा घर आगन महकाएगे तो, कल ज़रूर ये बड़े होकर सारे देश को महकाएगे. इसलिए इन फूलों को बढ़ने से मत रोको और इनको इनकी तरह ही खिलने दो.”
छोटी माँ की इस बात ने शीन बाजी के दिल पर असर किया और उन्हो ने मेरा दिया हुआ समान खुशी खुशी रख लिया. तब से मेरा रमज़ान मे बाजी के घर आफ्तारी भेजने का सिलसिला सुरू हो गया और वो अब भी चालू है.
मगर इस साल मेरे रमज़ान के समय मुंबई मे होने की वजह से, मुझे अपना ये सब कर पाना मुस्किल सा लग रहा था. लेकिन मैं चाहते हुए भी ये बात कीर्ति से नही कर सकता था.
क्योकि इस समय उसके सामने रमज़ान को लेकर अपनी परेशानी जाहिर करना, आग मे घी डालना ही था. अभी उसकी तबीयत भी सही नही थी, ऐसे मे मैं अपनी किसी भी बात से उसको परेशान करना नही चाहता था.
उधर कीर्ति अपनी बात बोलने के बाद, कुछ देर तक मेरे जबाब का इंतजार करती रही. लेकिन जब मैने कुछ नही कहा तो, उसे लगा कि, शायद मुझे उसकी बात का बुरा लग गया है. इसलिए उसने मुझसे कहा.
कीर्ति बोली “अब तुमको क्या हो गया. क्या मेरी बात का बुरा लग गया.”
मैं बोला “नही, मुझे तेरी किसी बात का बुरा नही लगा. लेकिन अब तू इस बात को यही ख़तम कर दे. अभी तेरी तबीयत ठीक नही है और ऐसे मे किसी बात पर गुस्सा होना तेरी सेहत के लिए अच्छा नही है.”
कीर्ति बोली “ओके, बाबा, अब मैं किसी बात पर गुस्सा नही होउंगी. लेकिन अब तुम मेरी एक बहुत ज़रूरी बात का जबाब दो.”
मैं बोला “हां, पुछ, क्या पूछना है.”
लेकिन अब कीर्ति का मूड बदल चुका था और वो कुछ मज़ाक मूड मे थी. उसने मुझसे कहा.
कीर्ति बोली “अभी तो तुम मूबाई मे हो. फिर तुम अपनी प्यारी बाजी के यहाँ आफ्तारी लेकर कैसे जाओगे.”
ये कह कर वो खिल खिला कर ऐसे हँसने लगी. जैसे कि इस बात के लिए मेरा मज़ाक उड़ा रही हो. लेकिन मैने उसकी इस बात को अनसुना करते हुए उस से कहा.
मैं बोला “अब तू अपनी नौटंकी बंद करती है या मैं कॉल रखू.”
कीर्ति बोली “अरे नही नही, तुम कॉल मत काटना. अब मैं तुमको ज़रा भी परेशान नही करूँगी. लेकिन ये तो बताओ कि, अब तुमने क्या करने का सोचा है.”
कीर्ति की बातों से लग रहा था कि, अब वो सच मे इस बारे मे जानना चाहती है. इसलिए मैने उस से सॉफ सॉफ कहा.
मैं बोला “अब इसमे सोचना क्या है. मैं जब वापस आउगा, तभी बाजी के घर जाउन्गा.”
कीर्ति बोली “तुम ऐसा क्यो नही करते कि, किसी के हाथ से आफ्तारी पहुचा दो.”
मैं बोला “ऐसा नही हो सकता. तू अभी बाजी को अच्छे से जानती नही है. वो मेरे अलावा किसी के हाथ से आफ्तारी नही लेगी.”
कीर्ति बोली “ऑर यदि उन्हो ने ले ली तो, क्या करोगे.”
मैं बोला “यदि ऐसा हो गया तो, तू जो भी बोलेगी, मैं वो करने को तैयार हूँ. लेकिन अब इस बात को यही ख़तम कर, अभी मुझे तुझसे ऑर भी ज़रूरी बातें करना है.”
कीर्ति बोली “सॉरी, बोलो ऑर क्या बात करना है.”
मैं बोला “अभी तूने मेरी और बरखा की सारी बातें सुनी है. उन सब बातों को सुन कर तुझे क्या लगता है कि, हमे क्या करना चाहिए.”
मेरी बात सुनकर, कीर्ति कुछ सोच मे पड़ गयी और फिर थोड़ी देर बाद उसने मेरी बात का जबाब देते हुए कहा.
कीर्ति बोली “देखो, हर कोई अपनी बहन या बेटी की शादी के लिए बहुत कुछ सपने देखता है और उसी तरह की तैयारी करता है. लेकिन यहाँ सब कुछ अचानक ही हो रहा है. इतनी जल्दी मे शेखर भैया के हर सपने को पूरा करना मुमकिन नही है. मगर उन सपनो को ज़रूर पूरा किया जा सकता है, जिन मे दीदी के लिए शेखर भैया के दिली ज़ज्बात झलकते है.”
“मेरी मानो तो सिर्फ़ उन्ही सपनो को पूरा करने की कोसिस करो. यदि तुम ऐसा कर सके तो, यकीन मानो, ये शादी सिर्फ़ दीदी के लिए ही बल्कि हर देखने वाले के लिए एक यादगार बन रह जाएगी. क्योकि शेखर भैया के उन सपनो मे बेशुमार प्यार छुपा है और जिन बातों मे प्यार छुपा हो, उन्हे आसानी से भुलाया नही जा सकता.”
इतना कह कर कीर्ति चुप हो गयी और मैं उसकी बातों के बारे मे सोचने लगा. तभी मुझे किसी के उपर आने की आहट हुई और मैने ये बात कीर्ति को बता कर मोबाइल जेब मे रख लिया.
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