RE: MmsBee कोई तो रोक लो
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शिखा के हिलते होठों का मतलब समझ मे आते ही मैं पलट कर अजय की तरफ देखने लगा. आरू अब भी अजय के सीने से लगी रो रही थी और अजय उसे समझाने की कोशिस कर रहा था.
उन दोनो को देख कर ही समझ मे आ रहा था कि, उनका ये रिश्ता, किसी खून के रिश्ते से भी कही ज़्यादा गहरा है. अजय ने आरू को बहलाने के लिए उसका ध्यान बटाते हुए कहा.
अजय बोला “ये कार लेकर तू कहाँ घूम रही है. ये तो अमन और निशा की शादी मे देने का गिफ्ट है.”
अजय की बात सुनकर, आरू ने कहा.
अर्चना बोली “शादी का गिफ्ट है तो क्या हुआ. गिफ्ट शादी के बाद तो घर मे ही आना है ना.”
अजय बोला “लेकिन मैने सोचा था कि, हम इस न्यू कार मे निशा को विदा करा कर लाएगे. मगर तूने इसे इस्तेमाल करके पुराना कर दिया.”
अब आरू थी तो अजय की ही बहन, उसने भी अजय की तरह से ही, अजय की बात का जबाब देते हुए कहा.
अर्चना बोली “ये कार पुरानी हो गयी तो क्या हुआ. आप एक न्यू कार ले लो. फिर हम न्यू कार मे ही उनको इदा विदा करा कर ले आएगे.”
उसकी इस बात को सुनकर, अजय ने हंसते हुए कहा.
अजय बोला “न्यू कार ले तो लेगे. लेकिन फिर इस पुरानी कार का क्या करेगे.”
अजय की इस बात का अर्चना ने बड़े ही भोलेपन से जबाब देते हुए कहा.
अर्चना बोली “करना क्या है. इस कार को मैं अपने आने वाले जनम दिन वनम दिन का गिफ्ट समझ कर, अपने पास रख लेती हूँ.”
अजय बोला “चल ठीक है. इसे तू ही रख ले. लेकिन अब तू घर जा. निशा तेरा शॉपिंग के लिए इंतजार कर रही होगी.”
अजय की इस बात को सुनने के बाद अर्चना ने पहली बार शिखा के घर की तरफ देखा. उसे सामने शिखा खड़ी दिखाई दी तो, उसने बड़े ही धीमे से कहा.
अर्चना बोली “इसी लिए तो यहाँ आई हूँ. आज अपनी दोनो भाभी के साथ हम लोग शॉपिंग वोपपिंग करेगे.”
इतना कह कर अर्चना अंदर जाने के लिए हुई तो, अजय ने उसका हाथ पकड़ कर रोकते हुए कहा.
अजय बोला “देख, जैसा तू सोच रही है. ऐसा अब नही हो सकता. तुझे नही पता कि, कल क्या हुआ है.”
अजय की इस बात के जबाब मे अर्चना ने मुस्कुराते हुए कहा.
अर्चना बोली “मुझे निक्की से सब कुछ पता चल गया है और आज मैं इसी बात का फ़ैसला करने के इरादे से यहाँ आई हूँ.”
आरू की इस बात पर अजय ने झूठा गुस्सा दिखाते हुए कहा.
अजय बोला “देख तू अब यहाँ कुछ गड़बड़ नही करेगी. यदि तूने कुछ किया तो, मुझसे बुरा कोई नही होगा.”
लेकिन अजय की बात सुनकर, अर्चना ने बहुत ही भावुक होते हुए कहा.
अर्चना बोली “आपसे अच्छा भी तो कोई नही है भैया. लेकिन आज आपको मेरी कसम है. आज आप हमें कुछ भी करने वरने से नही रोकेगे.”
ये कहते हुए आरू ने अजय से अपना हाथ छुड़ाया और अंदर जाने के लिए आगे बढ़ गयी. उसे अंदर जाते देख, सीरत ने चुटकी लेते हुए अजय से कहा.
सीरत बोली “वाह री किस्मत, किसी को ज़रा सी ग़लती पर तमाचा खाने को मिला और किसी को ग़लती करने पर गिफ्ट मे BMW कार मिल गयी.”
सीरत की बात सुनकर, अजय ने उसे घूरते हुए देख कर कहा.
अजय बोला “मेरे सामने ज़्यादा सीधी बनने की कोसिस मत कर. मैं जानता हूँ कि, इस सबके पिछे तेरा शैतानी दिमाग़ ही काम कर रहा होगा और ये आग भी तेरी लगाई हुई ही है.”
अजय की इस बात पर सीरत ने हंसते हुए आरू की नकल करते हुए कहा.
सीरत बोली “अब फ़ैसला वैस्ला तो होना ही था. इस से क्या फरक पड़ता है कि, इसके पीछे किसका दिमाग़ काम किया है. अब आग लगी है तो धुआँ उुआं भी निकलेगा.”
सीरत की बात सुनकर, अजय ने उसको मारने को हाथ उठाया. लेकिन तब तक वो सेलिना का हाथ पकड़ कर खिचते हुए गेट के अंदर भाग गयी. उस के पीछे पीछे निक्की और वो पहली लड़की भी अंदर चली गयी.
उधर आरू यहाँ से तो बड़े जोश मे अंदर गयी थी. लेकिन जब शिखा के सामने पहुचि तो शिखा का उखड़ा हुआ मूड देख कर, उसका सारा जोश ठंडा पड़ गया. शिखा ने ना तो उस से कोई बात की और ना ही उसे अंदर आने को कहा.
आरू को जब कुछ समझ मे ना आया कि वो क्या करे, तब वो पिछे पलट कर सीरू लोगों को देखने लगी. उसने सीरू लोगों को अजय से बात करते देखा तो, उन्हे अंदर आने का इशारा किया.
आरू का इशारा पाते ही सीरू ने अंदर दौड़ लगा दी. अंदर पहुच कर, वो भी बाकी सब के साथ शिखा के सामने खड़ी हो गयी. लेकिन शिखा पर उन सब के आने से भी कोई फरक नही पड़ा.
लेकिन वो आरू नही सीरू थी और वो इन सब बातों के लिए पहले से ही तैयार होकर आई थी. उसने शिखा की बेरूख़ी को देख कर भी मुस्कुराते हुए कहा.
सीरत बोली “आपसे हमें ऐसे ही किसी बर्ताव की उम्मीद थी. लेकिन हम यहाँ मेहमान नवाज़ी के लिए नही बल्कि आंटी से कुछ ज़रूरी बातें करने आए है. अब ये आपकी मर्ज़ी कि या तो हमें अंदर आने दें या फिर आंटी को ही यहाँ बुला दें.”
मैं अजय के साथ खड़ा ये सब देख रहा था. जब मैने देखा कि, शिखा उनकी किसी बात का कोई जबाब नही दे रही है तो, मैं उसके पास गया और उस से कहा.
मैं बोला “दीदी, ये हमारे मेहमान है. इनको अंदर आने दीजिए.”
मेरी बात सुनकर शिखा ने मेरी तरफ देखा और फिर अंदर चली गयी. इसे मैने शिखा की सहमति मानते हुए सब से अंदर आने को कहा. अंदर एक सोफा सेट और एक दीवान था.
एक सोफे पर आंटी बैठी टीवी देख रही थी और और दूसरे पर अभी शिखा आकर बैठ गयी थी. बरखा आंटी के पास ही खड़ी थी. हम सब आंटी के सामने जाकर खड़े हो गये. सबने आंटी से नमस्ते किया और फिर मैने सबका परिचय देते हुए आंटी से कहा.
मैं बोला “आंटी ये तीनो डॉक्टर. अमन की बहनें है और ये दो इनकी सहेली है.”
मगर आंटी ने मेरी बात काट कर, आरू की तरफ इशारा करते हुए कहा.
आंटी बोली “लेकिन ये तो अजजी की बहन है ना.”
आंटी की बात के जबाब मे आरू ने कहा.
अर्चना बोली “जी आंटी, आपने ठीक कहा.”
लेकिन आरू की बात सुनकर, शिखा ने चिढ़ते हुए कहा.
शिखा बोली “मम्मी ये सब झूठे है. इनकी किसी बात पर विस्वास मत कीजिए.”
शिखा की बात सुनकर, जहाँ आंटी की चौके बिना ना रह सकी. वही आरू का चेहरा उतर गया. लेकिन सीरत ने शिखा की बात के जबाब मे आंटी से कहा.
सीरत बोली “आंटी कल तक जो आरू इनको बरखा की तरह प्यारी थी. आज अचानक ऐसा क्या हुआ कि, वो इन्हे झूठी लगने लगी है.”
सीरत की बात सुनकर शिखा गुस्से मे सीरत को देखने लगी. मगर सीरत ने इसकी कोई परवाह ना कर, अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा.
सीरत बोली “आंटी इसकी वजह भी मैं ही बता देती हूँ. लेकिन पहले मैं हम सब का पूरा परिचय दे देती हूँ. मैं सीरत खन्ना, ये सेलिना खन्ना और ये अर्चना खन्ना है. ये अर्चना की सहेली निकिता और ये हेतल है.”
“इन्हो ने अभी सही कहा कि हम झूठे है. हम ने क्या झूठ बोला है. इसका फ़ैसला अब आप खुद कीजिएगा. हम तीनो डॉक्टर. अमन खन्ना की चचेरी बहन और डॉक्टर. अजय सिंग ठाकुर की मूह बोली बहन है.”
सीरत की बात सुनकर, आंटी और बरखा दोनो ही हैरानी से उसे देखने लगी. सीरत ने उनकी हैरानी को और भी ज़्यादा बढ़ाते हुए कहा.
सीरत बोली “आंटी आप ठीक सोच रही है. जिन्हे आप एक मामूली सा टॅक्सी ड्राइवर समझती है. वो एक साइकिट्रिस्ट है. लेकिन ये उनका पूरा परिचय नही है. क्योकि ये उनका पेशा नही है. पेशे से वो एक बिज़्नेसमॅन है और उनकी सूरत मे 5 टेक्सटाइल मिल्स है. इसके अलावा मुंबई सहित कयि बड़े शहरों मे उनके टेक्सटाइल शोरूम्स है और आज की तारीख मे वो सूरत के सबसे बड़े बिज़्नेसमॅन है.”
सीरत की इन बातों ने सबको हैरान करके रख दिया था. लेकिन हेतल ने सीरत की बात को बीच मे काटते हुए कहा.
हेतल बोली “ये भी अजय भैया का पूरा परिचय नही है. वो जितने बड़े बिज़्नेसमॅन है उस से भी कहीं ज़्यादा बड़े इंसान है.”
ये कहते कहते वो भावुक हो गयी और उसके आँसू बहने लगे. सीरत ने उसे दिलासा देते हुए कहा.
सीरत बोली “ये सच कहती है. मेरे भैया ने जिंदगी मे सिर्फ़ एक लड़की का दिल दुखाने के सिवा कभी किसी का दिल नही दुखाया.”
ये कहते हुए सीरत ने शिखा की तरफ देखा. शायद शिखा भी उसकी बात का मतलब समझ गयी थी. इसलिए उसने सीरत की तरफ से मूह फेर कर दूसरी तरफ कर लिया. लेकिन बरखा ने सीरत की बात का समर्थन करते हुए कहा.
बरखा बोली “ये तो हम भी जानते है कि, अजय भैया एक बहुत अच्छे इंसान है. वो मेरी भी बहुत फिकर करते है. बिल्कुल आरू की तरह मेरा भी ख़याल रखते है. लेकिन मेरी ये समझ मे नही आ रहा है कि, वो इतने बड़े आदमी होने के बाद भी मामूली से टॅक्सी ड्राइवर क्यो बने हुए है.”
बरखा की बात सुनकर, पहली बार सीरत उदास होती नज़र आई. उसने उदासी भरी आवाज़ मे इस बात का जबाब देते हुए कहा.
सीरत बोली “भैया के ड्राइवर बनने की वजह मैं ही हूँ. भैया एक टॅक्सी ड्राइवर क्यो और कैसे बने, मैं सब आपको बताती हूँ.”
अभी सीरत इतना ही बोल पाई थी कि, तभी हम सबके पिछे से एक आवाज़ आई.
पीछे से आई आवाज़ “लेकिन इस सब को समझने के लिए पहले आपको अजय की बीती हुई जिंदगी के बारे मे भी समझना होगा. जो मैं आपको बताती हूँ.”
आवाज़ सुनते ही हम सब ने पिछे पलट कर देखा तो, पिछे डॉक्टर. निशा खड़ी थी. उन्हे देखते ही सीरत, सेलू और आरू भाभी कह कर उस से लिपट गयी. वही शिखा ने अपनी जगह पर खड़े होते हुए कहा.
शिखा बोली “दीदी, आप यहाँ कैसे. कोई काम था तो, मुझे बुला लिया होता.”
शिखा की बात सुनकर, निशा ने मुस्कुराते हुए कहा.
निशा बोली “एक कहावत है कि, कुआँ (वेल) कभी प्यासे के पास नही आता. हमेशा प्यासे को ही कुएँ के पास जाना पड़ता है. बस ऐसे ही मेरे परिवार की ज़रूरत, मुझे तुम तक ले आई है.”
निशा की बातों से शिखा कुछ हड़बड़ा सी गयी थी. लेकिन फिर उसने खुद को संभालते हुए कहा.
शिखा बोली “आप खड़ी क्यो है, बैठिए ना. मेरा घर ज़्यादा बड़ा तो नही है. लेकिन आपके आने से मुझे बहुत खुशी हुई है.”
शिखा की बात सुनकर, निशा ने प्यार से अपना हाथ उसके गाल पर फेरते हुए कहा.
निशा बोली “पागल हो तुम. जिस घर मे तुम रहती हो, वो घर हमारे लिए कभी छोटा नही हो सकता. लेकिन जब मेरी चारों ननद खड़ी है तो, मैं कैसे बैठ सकती हूँ.”
निशा की इस बात ने शिखा को शर्मिंदा कर दिया था. मगर सीरत को शिखा की शर्मिंदगी का अहसास होते ही, उसने बात को सभालते हुए कहा.
सीरत बोली “अरे भाभी, आप हमारा खड़ा होना मत देखिए. इन्हो ने तो हम से बैठने को कहा था. मगर हम ने भी कह दिया कि, जब तक हम अपनी बात पूरी नही कर लेते. तब तक हम मे से कोई नही बैठेगा.”
ये कहते हुए सीरत ने निशा को पकड़ कर आंटी के पास बैठा दिया. मगर शिखा अपनी शर्मिंदगी की वजह से खड़ी ही रही तो, सीरत ने उसे भी पकड़ कर वापस उसकी जगह पर बैठाते हुए निशा से कहा.
सीरत बोली “भाभी, आप सही समय पर आई. अजय भैया के बारे मे हम से ज़्यादा आप जानती है. अब आप ही कुछ कहिए.”
सीरत की बात का जबाब देते हुए निशा ने कहा.
निशा बोली “हां, तुम शायद ठीक कहती हो. अजय की जिंदगी के बारे मे मैं सब कुछ जानती हूँ. कुछ मुझे अमन ने बताया और कुछ खुद अजय ने बताया है.”
ये कहते हुए निशा ने अजय के बचपन की कहानी को कहना सुरू किया. जो अजय मुझे रात को सुना रहा था. सब निशा की बातों को बड़े ध्यान से सुनने लगे. अजय के बचपन की कहानी सुनकर, कोई भी अपनी आँखों को नम होने से नही रोक सका. फिर कहानी वहाँ पहुच गयी, जहाँ शिखा के आ जाने की वजह से अजय ने अधूरा छोड़ दिया था.
अब आगे की कहानी निशा की ज़ुबानी….
इतना कह कर अमन चुप हो गया. लेकिन अमन की ये बातें मेरे दिल पर असर कर गयी. मैने अमन से माफी माँगते हुए कहा.
मैं बोली “सॉरी, मैं सच मे अजजी को बहुत ग़लत समझ बैठी थी. मैं अब तक हर बात को अपने नज़रिए से देखती आ रही थी. मैने कभी अजजी के नज़रिए से ये सब सोचने की और अजजी को समझने की कोसिस ही नही की थी. मगर अब ये भी एक सच है कि, अब अजजी को उस लड़की को भूलना होगा. ये ही अजजी और उस लड़की दोनो के लिए सही होगा.”
मेरी ये बात सुनकर, अमन को खुशी और दुख दोनो हुए. अमन ने मुझसे कहा.
अमन बोला “लेकिन उस लड़की को ये सब बातें कैसे पता चल गयी.”
मैं बोली “वो लड़की जब ब्लड लेने वहाँ पहुचि तो, उसे ब्लड नही मिलने पर उसने वहाँ हंगामा खड़ा कर दिया था. बाद मे उसे वहाँ काम करने वाले लड़के ने बता दिया कि, उसके भाई को दिया जाने वाला ब्लड किसी अमीर आदमी ने अपने पैसो के बल पर खरीद लिया.”
अमन बोला “लेकिन इस से ये कहाँ साबित होता है कि, ये सब करने वाला अजजी ही है.”
मैं बोली “साबित तो कुछ नही होता. लेकिन इस हादसे के बाद उस लड़की के मन मे अमीर लोगों के लिए सिर्फ़ नफ़रत है और जिस अमीर आदमी ने अपनी दौलत के बल पर उसके भाई की जान बचाने वाला ब्लड खरीदा था. वो उसे अपने भाई का कातिल मानती है.”
अभी मैं अपनी बात पूरी कर पाती कि, उस से पहले ही हमे कप्कपाती हुई आवाज़ मे सुनाई दिया. “मेरे भैया कातिल नही है.”
आवाज़ को सुनते ही मैं भाग कर आरू के पास आ गयी. वही अमन की आँखे खुशी से छलक उठी. उसने प्यार से आरू के सर पर हाथ फेरते हुए कहा.
अमन बोला “हां, तेरा भाई कातिल नही है. कौन कहता है कि तेरा भाई कातिल है.”
आरू को होश आ चुका था. लेकिन वो हमारी बात सुनकर परेशान थी. उसने अपनी परेशानी बताते हुए कहा.
अर्चना बोली “वो अक्तिवा वाली लड़की भैया को कातिल समझती है ना. उसे समझाओ कि, मेरे भैया कातिल नही है. वो बहुत अच्छे है. उनसे ये ग़लती मेरी जान बचाने के लिए हुई है.”
आरू को इस तरह देख कर मेरी भी खुशी का कोई ठिकाना नही था. लेकिन उस समय इसका अपने दिमाग़ पर ज़्यादा ज़ोर देना, इसकी सेहत के लिए सही नही था. इसलिए मैने प्यार से इसके सर पर हाथ फेरा और इसको समझाते हुए कहा.
मैं बोली “तुम इस बारे मे कुछ मत सोचो. तुम्हे किसी बात की फिकर करने की ज़रूरत नही है. हम है ना, हम उस लड़की को समझा कर सब ठीक कर देगे. अब तुम होश मे आ गयी हो ना. देखना अब सब ठीक हो जाएगा और वो ही तुम्हारी भाभी बनेगी. ये मेरा तुमसे वादा है.”
मेरी बात सुनकर आरू के दिल को कुछ तसल्ली हुई. इसने सर घुमा कर अमन की तरफ देखा तो, अमन की आँखों मे आँसू थे. इसने अपने हाथ को उठाने की कोशिस की तो, ये चोट की वजह से दर्द से कराह उठी. अमन ने तुरंत इसके हाथ को पकड़ कर, उसे उठने से रोकते हुए कहा.
अमन बोला “तेरे हाथ मे बहुत चोट आई है. तू हाथ मत उठा, मुझे बता, क्या करना है.”
अर्चना बोली “आपकी आँखों मे आँसू अच्छे नही लगते. मुझे ये पोछना है.”
आरू की बात सुनकर, अमन की आँखे और भी ज़्यादा छलक गयी. उसने अपने आँसू पोछ्ते हुए आरू से कहा.
अमन बोला “पागल ये आँसू नही है. ये तो वो खुशी है, जो अपनी प्यारी बहन के होश मे आने से मुझे हुई है. तू रुक, मैं अभी सबको बुलाता हूँ. देखना सबको तुझे होश मे देख कर, कितनी खुशी होती है.”
इतना कह कर, अमन सबको बुलाने जाने लगा. लेकिन आरू ने अमन को रोकते हुए कहा.
अर्चना बोली “भैया, अभी किसी को मत बोलो कि, मुझे होश आ गया है. आप सबको बुला लो. फिर मैं सबके सामने होश मे आकर, सबको सर्प्राइज़ दुगी.”
आरू की बात सुनकर, अमन ने मुस्कुराते हुए कहा.
अमन बोला “तू नही सुधरेगी. ऐसी बीमारी की हालत मे भी तुझे सर्प्राइज़ देने की पड़ी है. चल ठीक है, मैं किसी को कुछ नही बताउन्गा. अब तू आँख बंद करके लेट जा. मैं सबको बुलाकर लाता हूँ.”
अमन की बात सुनते ही आरू ने मुझे आँख मारी और फिर आँख बंद करके लेट गयी. लेकिन फिर ना जाने इसे क्या सूझा, तुरंत अपनी आँख खोली और मुझसे कहा.
अर्चना बोली “भाभी, लेकिन मेरे पास आने के बाद तो, सब चुप चुप ही रहेगे. फिर मुझे पता कैसे चलेगा कि, कब मुझे अपनी आँख खोलना है.”
आरू की ये हरकत देख कर, मैं भी मुस्कुराए बिना ना रह सकी. मैने कुछ सोचते हुए कहा.
मैं बोली “तू फिकर मत कर, जिस किसी की भी बात पर, मैं तेरे हाथ पर अपना हाथ रखू. तू आँख खोल कर उसकी बात का जबाब दे देना.”
मेरी बात सुनकर, आरू फिर से आँख बंद करके लेट गयी. थोड़ी ही देर मे अमन सबको लेकर आ गया. लेकिन हुआ वो ही, जो आरू बोल रही थी. आरू की तबीयत की वजह से सब खामोश से खड़े बस इसे देख रहे थे.
अमन ने मुझे इशारा करके पूछा कि, ये आँख क्यो नही खोल रही है. तब मैने उसे चुप रहने का इशारा किया और फिर सब से कहा.
मैं बोली “आप लोग ऐसे चुप रहेगे तो, कैसे चलेगा. अभी अमन आरू से बात कर रहा था तो, आरू के चेहरे पर कुछ भाव आ रहे थे. इसलिए आप सबको यहाँ बुलाया गया है. आप सब भी उस से कोई बात कीजिए. हो सकता है कि, आप मे से किसी की बात से आरू को होश आ जाए.”
मेरी बात सुनकर, सब आरू के पास आकर कुछ कुछ बातें करने लगे. मैने सोचा था कि, अजजी की बात सुनकर, आरू को होश आया है. इसलिए जब अजजी इस से कुछ कहेगा तो, मैं इस के हाथ पर हाथ रख दुगी.
लेकिन अजजी के पहले सीरत इसके पास आई और सीरत ने इसके कान मे आकर ऐसी कोई बात कह दी कि, ये अपने नाटक को भूल कर बीच मे ही बोल पड़ी.
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