RE: MmsBee कोई तो रोक लो
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वेटिंग लाउंज मे आने के बाद, निक्की बाकी लोगों को, प्रिया की तबीयत को लेकर, डॉक्टर निशा की कही बातें बताने लगी. इस बीच मैने भी कॉल करके, मेहुल को प्रिया के बारे मे बता दिया. निक्की की बात पूरी होने तक, मेहुल भी वहाँ आ चुका था.
निक्की की बात सुनने के बाद, दादा जी ने सब से कहा कि, अब 8 बज गये है. प्रिया की तबीयत अब ठीक है तो, हम सब को अब घर वापस चलना चाहिए. लेकिन उसके पहले ये तय कर लो कि, अभी रात को प्रिया के पास कौन रुकेगा.
दादा जी की बात सुनकर, रिया और निक्की दोनो ही प्रिया के पास रुकने की बात कहने लगी. मगर राज उनको ये कह कर, वहाँ रुकने से मना करने लगा कि, रात का समय है, उन दोनो मे से, कोई भी वहाँ रुका तो, अकेला परेशान हो जाएगा. इसलिए रात को प्रिया के पास, उसका ही रुकना ठीक रहेगा.
सबको राज की बात सही लग रही थी. लेकिन अचानक ही मेहुल ने राज की बात को काटते हुए कहा.
मेहुल बोला “यार रात को तो, मैं भी यही हूँ और बीच बीच मे आकर प्रिया को देखता रहुगा. इसके अलावा डॉक्टर निशा ने भी, सिखा नाम की जिस नर्स की रात को, प्रिया के पास ड्यूटी लगवाई है. वो नर्स बहुत अच्छी है और मरीजों का बहुत अच्छी तरह से ख़याल रखती है.”
“मुझे उसके बारे मे इसलिए मालूम है, क्योकि अभी तक पापा के पास रात को, उसी की ड्यूटी रहती थी और वो रात को बार बार, पापा को आकर देखती रहती थी. पापा ने तो यहाँ तक कह दिया था कि, मुझसे ज़्यादा तो सिखा उनका ख़याल रखती है.”
“अब ऐसे मे यदि रिया या निक्की यहाँ पर रुकती है तो, उनके अकेले होने या परेशान होने का सवाल ही पैदा नही होता और यदि प्रिया के पास रिया या निक्की मे से कोई रहता है तो, वो इनके सामने अपनी कोई भी बात या परेशानी बेजीझक कह सकती है. इसलिए मेरी मानो तो, रिया या निक्की मे से ही किसी को प्रिया के पास रहने दो.”
मेहुल की बात राज और बाकी सब लोगों को भी ठीक लगी. इसलिए राज ने रिया और निक्की मे से, एक को रुकने के लिए कह दिया था. लेकिन अब भी बात वही के वही पर अटकी हुई थी. क्योकि रिया और निक्की दोनो ही प्रिया के पास रुकने की ज़िद कर रही थी.
मगर रात को हुई बातों की वजह से, मेरा मन कर रहा था कि, निक्की ही प्रिया के पास रुके. शायद निक्की भी यही चाह रही थी, इसलिए वो रुकने की ज़िद कर रही थी. लेकिन जब उसने देखा कि रिया उसकी बात मानने को तैयार नही है. तब उसने रिया से कहा.
निक्की बोली “मैं तो सिर्फ़ इसलिए यहाँ रुकने की ज़िद कर रही हूँ. ताकि यदि रात को ज़रूरत पड़ जाए तो, निशा भाभी या अमन भैया को आसानी से बुलाया जा सके. अब यदि इसके बाद भी तुम रुकना चाहती हो तो, मुझे तुम्हारे रुकने मे कोई परेसानी नही है.”
निक्की की इस बात को सुनकर रिया को अपनी ज़िद छोड़नी पड़ी. दादा जी और अंकल ने भी निक्की को रुकने की सहमति दे दी. इसके बाद दादा जी ने, राज से प्रिया और बाकी सबके खाने का इंतेजाम करने को कहा तो, राज खाना लेने चला गया.
राज के जाने के बाद, निक्की ने दादा जी से कहा कि, वो डॉक्टर निशा से एक बार प्रिया के खाने के बारे मे पुछ लेती है. ये कह कर वो डॉक्टर निशा के पास जाने लगी तो, मैं भी उसके साथ हो लिया.
हम दोनो डॉक्टर निशा के पास पहुचे तो, वहाँ डॉक्टर अमन और अजय पहले से ही बैठे थे. लेकिन ना तो अजय, टेक्शी ड्राइवर के भेष मे था और ना ही डॉक्टर अमन, डॉक्टर की भेष भूषा मे थे. दोनो ही साधारण भेष भूषा मे थे.
वो लोग अपने हँसी मज़ाक मे व्यस्त थे. उन लोगों को हँसी मज़ाक मे व्यस्त देख कर, मेरा मन अंदर जाने का नही था और मैं वही से वापस लौट जाना चाहता था. लेकिन तब तक डॉक्टर निशा की नज़र हम पर पड़ चुकी थी.
डॉक्टर निशा ने हमे देखते ही अंदर आने का इशारा किया तो, बाकी लोगों की नज़र भी हम पर पड़ गयी. मजबूरी मे निक्की के साथ मुझे भी अंदर जाना पड़ गया. हम लोग भी जाकर उनके साथ बैठ गये. हमारे बैठते ही डॉक्टर निशा ने अजय से कहा.
डॉक्टर निशा बोली “लो अजजी, तुम्हारा दोस्त और तुम्हारी रोज़ी रोटी का दुश्मन आ गया.”
मुझे डॉक्टर निशा की बात का मतलब तो समझ मे नही आया था. फिर भी उनकी बात सुनकर, मैं मुस्कुराए बिना ना रह सका. मैने मुस्कुराते हुए डॉक्टर निशा से कहा.
मैं बोला “अब मैने क्या कर दिया.”
डॉक्टर निशा बोली “क्यो, क्या तुमको नही मालूम कि, तुमने क्या किया है.”
मैं बोला “मुझे सच मे नही मालूम कि, मेरी वजह से अजजी की रोज़ी रोटी पर कैसे असर पड़ा है.”
मेरे इस जबाब को सुनकर सबके चेहरे पर मुस्कुराहट आ गयी. मगर डॉक्टर निशा ने फिर मुझे छेड़ते हुए कहा.
डॉक्टर निशा बोली “देखो कितना भोला बन रहा है. जैसे इसने कुछ किया ही ना हो.”
मैं बोला “अब मैं आपको कैसे यकीन दिलाऊ कि, मुझे सच मे कुछ नही पता कि, मुझसे क्या ग़लती हो गयी है.”
डॉक्टर निशा बोली “अच्छा चलो मान लेती हूँ कि, तुम्हे सच मे कुछ नही पता. लेकिन क्या तुम्हे ये भी नही पता कि, अजजी टॅक्सी चलाता है.”
मैं बोला “वो तो सभी को पता है. इसमे नया क्या है.”
डॉक्टर निशा बोली “फिर तुम्हे ये भी पता होगा कि, अब अजजी का टॅक्सी चलाने का टाइम हो गया है.”
मैं बोला “हाँ पता है.”
डॉक्टर निशा बोली “तो अब ये बताओ कि, अजजी टॅक्सी कैसे चलाए.”
मैं बोला “मैं कुछ समझा नही. अजजी को टॅक्सी चलाने मे क्या परेसानी है.”
डॉक्टर निशा बोली “बहुत बड़ी परेसानी है. प्रिया यहाँ हॉस्पिटल मे है और प्रिया के घर के सारे लोग यही है. उन से आज ही तुमने अजजी को मिलाया था और अब यदि वो अजजी को टॅक्सी चलाते देखेगे तो, क्या उनके मन मे सवाल नही आएगा कि, तुम्हारा दोस्त तो बहुत बड़ा आदमी है, फिर वो टॅक्सी क्यो चला रहा है. क्या इस से तुम्हारे लिए परेसानी खड़ी नही होगी.”
मैं डॉक्टर निशा के कहने का मतलब समझ गया था. मैं अभी उनकी इस समस्या का हल बताने ही वाला था कि, तभी मुझे कीर्ति की कही ये बात याद आ गयी कि, अजजी जिस लड़की से प्यार करता है, वो लड़की हॉस्पिटल की ही कोई लड़की है. ये बात याद आते ही, मैं जो बात कहने वाला था, उसे ना कह कर, बात घूमाते हुए कहा.
मैं बोला “तो इसमे कौन सी बड़ी बात है. सिर्फ़ दो तीन दिन की ही तो बात है. अजजी दो तीन दिन के लिए, यहाँ टॅक्सी ना चला कर, कहीं ओर टॅक्सी चला सकता है.”
मेरी बात सुनकर, डॉक्टर निशा मुझे हैरानी से देख रही थी. फिर उन्हो ने अपनी हैरानी जताते हुए अजय से कहा.
डॉक्टर निशा बोली “अजजी, सुन लो अपने दोस्त की बात, ये तो बिल्कुल नासमझ है, किसी बात को समझता ही नही है. जब तक तुम इसे सच्चाई नही बताओगे, इसके कुछ समझ मे नही आएगा.”
अजय डॉक्टर निशा की बात का कुछ जबाब दे पाता, उस से पहले ही, डॉक्टर अमन ने सिगरेट जलाते हुए कहा.
डॉक्टर अमन बोले “ग़लत, बिल्कुल ग़लत.”
डॉक्टर अमन की बात सुनकर, सब के सब, आश्चर्य चकित होकर, डॉक्टर अमन को देखने लगे. किसी के कुछ समझ मे नही आया कि, वो क्या कहना चाहते है. डॉक्टर निशा ने हैरानी भरे सबदों मे कहा.
डॉक्टर निशा बोली “तुम कहना क्या चाहते हो.”
डॉक्टर अमन ने सिगरेट का एक कश लगाया और डॉक्टर निशा की बात का जबाब देते हुए कहा.
डॉक्टर अमन बोले “बस यही कि, पुनीत ज़रा भी नासमझ नही है. बल्कि ज़रूरत से ज़्यादा स्मार्ट है.”
डॉक्टर निशा बोली “तुम्हारे कहने का क्या मतलब है.”
डॉक्टर अमन बोले “मतलब ये कि, मुझे पुनीत का ये जबाब, नासमझी वाला नही बल्कि समझदारी वाला लग रहा है.”
डॉक्टर अमन की ये बात सुनकर, सब इसका मतलब समझने की कोशिस करने लगे. लेकिन फिर भी किसी को उनकी बात समझ मे नही आई थी. इसलिए डॉक्टर निशा ने फिर कहा.
डॉक्टर निशा बोली “तुमको ऐसा क्यो लग रहा है.”
डॉक्टर अमन बोले “बिल्कुल सीधी सी बात है कि, अजजी को जानने वाले सभी लोग, ये अच्छी तरह से जानते है कि, अज्जि टॅक्सी पैसों के लिए नही चलाता है. फिर पुनीत को ऐसा जबाब देने की क्या ज़रूरत थी. मुझे तो उसके ऐसा कहने की, सिर्फ़ एक ही वजह समझ मे आती है कि, उसे कुछ ना कुछ इस बात का अंदाज़ा है और वो अपने उसी अंदाज़े को पक्का करना चाहता था.”
डॉक्टर अमन की ये बात सुनते ही, मेरे चेहरे पर मुस्कुराहट आ गयी. भले ही ये अंदाज़ा मेरा नही कीर्ति का था, मगर फिर भी डॉक्टर अमन की बात ग़लत नही थी. इसलिए मैं मन ही मन उनके दिमाग़ की दाद दिए बिना ना रह सका.
सब खामोशी से मेरी तरफ देख रहे थे और मैं सिर्फ़ मुस्कुरा रहा था. थोड़ी देर खामोशी रहने के बाद, मैने ही इस खामोशी को तोड़ते हुए कहा.
मैं बोला “मुझे लगता है कि, अज्जि को यहाँ टॅक्सी चलाने मे कोई परेसानी नही है. क्योकि अज्जि तो रात को टॅक्सी चलाता है और अभी कुछ देर बाद, जिन लोगों से अज्जि मिला है, वो सब चले जाएँगे. यदि रुकेगा भी तो, सिर्फ़ राज रुकेगा और राज अज्जि से अभी तक मिला ही नही है.”
मेरी बात की सहमति अजय और निक्की ने भी दी. मगर ये खुशी सिर्फ़ थोड़ी देर की थी. क्योकि उसके बाद डॉक्टर निशा ने फिर मुझे एक झटका दिया. उन्हो ने मेरी बात ख़तम होने के बाद कहा.
डॉक्टर निशा बोली “चलो, ये तो अच्छी हुआ. अजजी बेकार मे ही डर रहा था. लेकिन अब सच सच बताओ. प्रिया की ये हालत तुम्हारी वजह से हुई है ना.”
डॉक्टर निशा की बात सुनकर, मैं चौके बिना ना रह सका. मुझे समझ मे नही आया कि, उन्हे इस बात का शक़ मुझ पर क्यो है. मुझे निक्की पर पूरा विश्वाश था कि, वो किसी से कुछ नही कह सकती. अब बचा सिर्फ़ अजय, जिसे कि प्रिया से मेरे झगड़े के बारे मे पता था.
मैने ये जानने के लिए अजय की तरफ देखा. वो शायद मेरे इस तरह से देखने का मतलब समझ गया था. उसने इशारे मे मुझे सर हिलाकर ना कर दिया कि, उसने कुछ नही कहा.
अब मेरी समझ से ये बात दूर थी कि, डॉक्टर निशा को इस बात का शक़ बार बार मेरे उपर ही क्यो जा रहा है. आख़िर मे जब मुझसे नही रहा गया तो, मैने उनसे कहा.
मैं बोला “आपको ऐसा क्यो लगता है कि, प्रिया की तबीयत खराब होने मे मेरा हाथ है. जबकि मैं तो सुबह ही वहाँ से निकल गया था.”
मेरी बात सुनकर, डॉक्टर निशा मुस्कुरा दी और फिर उन ने अपनी बात को स्पष्ट करते हुए कहा.
डॉक्टर निशा बोली “क्योकि, मुझे प्रिया ने खुद बताया है.”
डॉक्टर निशा की ये बात सुनकर, मैने एक बार निक्की की तरफ देखा. लेकिन निक्की खुद इस बात को सुनकर हैरान दिख रही थी. मैं अभी कुछ ठीक से सोच भी नही पाया था कि, डॉक्टर निशा ने मुझे टोकते हुए कहा.
डॉक्टर निशा बोली “बोलो, क्या प्रिया के अपने मूह से कहने के बाद भी, तुम यही कहोगे कि, प्रिया की ये हालत तुम्हारी वजह से नही हुई है.”
मुझे अभी भी इस बात का पूरा विस्वास था कि, ये बात प्रिया ने नही कही है, इसलिए मैने डॉक्टर निशा की बात का जबाब देते हुए कहा.
मैं बोला “ऐसा हो ही नही सकता. मुझे पूरा विस्वास है कि, प्रिया ये बात किसी से नही कह सकती.”
मेरी बात को सुनकर, डॉक्टर निशा की मुस्कान और भी गहरी हो गयी. उन्हो ने मुझे मेरी बात का जबाब देते हुए कहा.
डॉक्टर निशा बोली “चलो तुमने इस बात को तो माना कि, तुम दोनो के बीच ऐसी कोई बात हुई है. बस तुम इस बात को मान रहे हो कि, ये बात प्रिया ने मुझसे कही है.”
डॉक्टर निशा की ये बात सुनकर, मैं सन्न रह गया. मैं खुद ही अपनी ज़ुबान से ये मान चुका था कि, मेरे और प्रिया के बीच कोई बात हुई है. डॉक्टर निशा ने बड़ी चतुराई से, मुझे अपनी बातों मे फसा कर, सच्चाई उगलवा ली थी और अब उनके चेहरे पर एक शरारती मुस्कान थी.
मैने एक नज़र बाकी सब की तरफ देखा तो, डॉक्टर अमन के चेहरे पर भी एक मुस्कुराहट थी. लेकिन अजय मुझे किसी बात की, चिंता ना करने का इशारा कर रहा था. जबकि निक्की गुस्से मे डॉक्टर निशा को घूर कर देख रही थी. मगर सब खामोश थे और एक दूसरे को देख रहे थे.
शायद निक्की को डॉक्टर निशा की ये बात पसंद नही आई थी. उसने इस खामोशी को तोड़ा और मेरी तरफ़दारी करते हुए, डॉक्टर निशा पर गुर्रा कर कहा.
निक्की बोली “ऐसी कोई बात नही है. यदि ऐसी कोई बात होती तो, प्रिया ने मुझे ज़रूर बताई होती. उसकी कोई बात मुझसे छुपि नही है. आप ये तुक्के के तीर चलाना बंद करो.”
निक्की की बात सुनकर, डॉक्टर निशा को हँसी आ गयी. उन्हो ने अब निक्की को छेड़ते हुए कहा.
डॉक्टर निशा बोली “तीर तो मैं पुनीत पर चला रही थी. लेकिन तुमको तकलीफ़ क्यो हो रही है. वैसे मैं तुमको बता दूं कि, ये तुक्के का तीर नही था. मैं सुबह जब प्रिया को देखने गयी थी तो, उसका चेहरा मुरझाया हुआ था और ऐसा लग रहा था कि, वो बहुत रोई है.”
“मगर तब मुझे यही लगा कि, शायद बीमारी की वजह से ऐसा हो. लेकिन जब दोपहर को उसे यहाँ लाया गया तो, उसकी जाँच करते समय मेरी नज़र एक ऐसी बात पर पड़ी कि, मुझे कुछ शक़ हुआ और उसके बाद, शाम को जब मैं उसे देखने पहुचि तो, पुनीत उसके पास था और उसका चेहरा खिला हुआ था. जिस से मेरा शक़ इस बात को लेकर पक्का हो गया.”
ये कह कर डॉक्टर निशा फिर से मेरी तरफ देखने लगी. मेरे मन मे इस बात को लेकर सवाल उठ रहे थे कि, डॉक्टर निशा ने ऐसा क्या देखा, जिसकी वजह से उनके मन मे ये शक़ पैदा हुआ था. मगर मैं चाह कर भी ये बात उन से नही पुच्छ पा रहा था. लेकिन मेरी इस मुस्किल को अजय ने आसान करते हुए कहा.
अजय बोला “तुमने ऐसा क्या देख लिया था. जिसकी वजह से तुम्हे शक़ हुआ था.”
अजय की बात का डॉक्टर निशा ने हंस कर, जबाब देते हुए कहा.
डॉक्टर निशा बोली “वैसे तो, मैने कल भी प्रिया को पुनीत से गुस्सा होकर जाते देखा था. तब मैने इस से पुछा था कि, क्या वो तुम्हारी गर्लफ्रेंड है. मगर इसने मना कर दिया था. तब मैने इसे समझाया था कि, उसको बिल्कुल परेशान मत करना और उसे हमेशा खुश रखने की कोशिश करना. यही उसकी सेहत के लिए अच्छा है.”
“उस समय मुझे इसकी बात पर यकीन हो गया था कि, प्रिया इसकी गर्लफ्रेंड नही है. मगर आज जब मैं दोपहर को प्रिया की जाँच कर रही थी. तब मुझे उसकी हथेली मे ब्लेड से काट कर बनाया हुआ “पी” नज़र आया. मुझे समझ मे नही आया कि, प्रिया ने खुद अपने नाम का अक्षर इस तरह से अपने हाथ पर काट कर क्यो लिखा है.”
“मगर जब मैं शाम को प्रिया के पास पहुचि तो, पुनीत उसके पास था और प्रिया का चेहरा खिला हुआ था. तभी मुझे लगा कि प्रिया के हाथ मे लिखे “पी” का मतलब पुनीत से भी जुड़ा हो सकता है.”
“मैने इस बात की सचाई जानने के, लिए जब प्रिया का ख़याल ना रखने के लिए, पुनीत को दोषी बताया तो, प्रिया के चेहरे की रौनक और भी बढ़ गयी. जिसे देख कर मैने उसके सामने अमन की बात सुरू कर दी. सब मेरी बातों को सुनने मे लगे थे. मगर प्रिया का सारा ध्यान सिर्फ़ पुनीत की ही तरफ था.”
“वो सबके साथ होते हुए भी ना जाने अपनी किस दुनिया मे गुम थी. तब जाकर मेरा ये शक़ पक्का हो गया कि, हो ना हो इन दोनो के बीच मे, कुछ ना कुछ खिचड़ी ज़रूर पक रही है.”
“अब प्रिया की हरकतों से तो, ये सॉफ जाहिर होता है कि, वो पुनीत को बहुत प्यार करती है. मगर पुनीत को देख कर ऐसा नही लगता कि, वो भी प्रिया से प्यार करता है. अब मेरी बात मे कितनी सच्चाई है, ये तो प्रिया, पुनीत या फिर निक्की ही बता सकते है.”
इतना बोल कर, डॉक्टर निशा मेरी ओर निक्की की तरफ देखने लगी. मुझसे तो डॉक्टर निशा की इस बात का कोई जबाब देते नही बन रहा था. वही निक्की डॉक्टर निशा के मूह से अपना नाम सुनकर, चौके बिना ना रह सकी थी.
वो शायद डॉक्टर निशा से इसकी वजह पुछ्ने वाली थी. मगर उसके कुछ बोलने के पहले ही, अजय ने डॉक्टर निशा की बात का जबाब देते हुए कहा.
अजय बोला “प्रिया पुन्नू को प्यार करती है या नही, ये तो मैं नही जानता. मगर इतना ज़रूर जानता हूँ कि, पुन्नू प्रिया को प्यार नही करता. क्योकि उसकी पहले से ही एक गर्लफ्रेंड है और वो दोनो एक दूसरे को बहुत प्यार करते है.”
अजय की बात सुनने के बाद, डॉक्टर निशा का चेहरा एका एक उतर गया. उनका फूल की तरह खिला हुआ चेहरा, अब मुरझा सा गया था और वो ना जाने किस सोच मे गुम हो गयी थी.
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