MmsBee कोई तो रोक लो
09-09-2020, 02:20 PM,
RE: MmsBee कोई तो रोक लो
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मेरे आगे कदम बढ़ते ही प्रिया की आखों से आँसू छलकने लगे और उसने अपने दोनो हाथ दरवाजे से अलग कर लिए. मुझे लगा कि शायद मेरे गुस्से से डर कर, प्रिया मुझे जाने के लिए रास्ता दे रही है.

लेकिन मेरा ये वहम सिर्फ़ पल भर के लिए ही रहा. क्योकि अगले ही पल प्रिया बिजली की गति से मेरे सामने आकर घुटनो के बल बैठ गयी. इस से पहले कि मैं, उसकी हरकत को कुछ समझ पाता, उसने एक झटके मे अपना सर, मेरे पैरों पर रख दिया और दोनो हाथों से मेरे पैरों को जकड कर, बिलख बिलख कर रोने लगी.

वो मेरे पैरों पर अपना सर रखे फुट फुट कर रो रही थी और कह रही थी. “मुझे माफ़ कर दो, मुझसे बहुत बड़ी ग़लती हो गयी. मुझे छोड़ कर मत जाओ, मुझे माफ़ कर दो, मुझसे बहुत बड़ी ग़लती हो गयी.”

ना उसका रोना रुक रहा था और ना उसका बोलना रुक रहा था. उसका रोना और उसकी दर्द भरी आवाज़ मेरा सीना छलनी कर रही थी. मैं उस से अपने पैरों को छुड़ाने की कोशिश कर रहा था.

लेकिन उसमे उस समय ना जाने कहाँ से इतनी ताक़त आ गयी थी कि, मैं उसकी पकड़ से अपने पैरों को आज़ाद नही करवा पा रहा था. मेरी अपने आपको छुड़ाने की कोशिश, उसके बिलखने को और बढ़ा रही थी.

वो बिलख बिलख कर रोती जा रही थी और बस एक ही बात रटती जा रही थी. “मुझे माफ़ कर दो, मुझसे बहुत बड़ी ग़लती हो गयी. मुझे छोड़ कर मत जाओ, मुझे माफ़ कर दो, मुझसे बहुत बड़ी ग़लती हो गयी.”

मेरे हौसले उसके आगे पस्त पड़ गये और मैने अपने आपको उस से छुड़ाना बंद कर दिया. मगर मुझे किसी के और के आ जाने का डर भी लग रहा था. इसलिए मैने निक्की को कॉल किया और उस से कहा.

मैं बोला “प्लीज़ आप यहाँ जल्दी आओ. मगर अकेले ही आना. प्लीज़ जल्दी आओ.”

मेरी बात को सुनने के बाद निक्की ने आने मे ज़रा भी देर नही की और वो फ़ौरन भागते हुए आई. मगर कमरे मे आते ही उसकी भी वही हालत हुई जो मेरी थी. प्रिया को मेरे पैरो पर देख कर, उसका दिल भी रो पड़ा.

वो प्रिया के पास बैठ गयी और उसे मेरे पैरों पर से उठाने की कोशिश करने लगी. लेकिन प्रिया ने मेरे पैरों को नही छोड़ा. उसका रोना निक्की को देख कर और भी बढ़ गया.

प्रिया का रोना देख कर निक्की की आँखों मे भी आँसू आ गये. वो उसे समझाने की कोसिस कर रही थी. लेकिन उसकी किसी भी बात से प्रिया का रोना नही थम रहा था. निक्की ने उसे अपनी कसम भी दी तो, प्रिया ने उसकी कसम को भी अनसुना कर दिया.

मगर निक्की के कसम देने की बात से मुझे लगा कि शायद प्रिया मेरी कसम को ज़रूर मानेगी और यही सोच कर मैने प्रिया से कहा.

मैं बोला “प्रिया तुमको मेरी कसम, रोना बंद करो और मुझे जाने दो.”

लेकिन आज प्रिया की बहती गंगा जमुना को रोकना किसी की भी कसम के बस मे नही था. वो अभी भी बहुत बुरी तरह से बिलख ही रही थी. आख़िर मे मैने एक और कोशिश करते हुए कहा.

मैं बोला “प्रिया तुमको मेरी कसम, रोना बंद करो और मुझे जाने दो. यदि तुम मेरी कसम ना मानो तो, मेरा मरा हुआ मूह देखो.”

मेरी इस बात ने प्रिया के उपर अपना असर दिखाया. उसने मेरे पैरों को छोड़ दिया और निक्की के गले लग कर रोने लगी. निक्की उसे समझा रही थी, मगर प्रिया के आँसू नही रुक रहे थे.

मैं खामोश खड़ा बस उसे रोते देखता रहा. जब प्रिया चुप नही हुई तो, निक्की ने मुझसे कहा.

निक्की बोली “अब आप यहाँ खड़े मत रहिए. आप यहाँ से जाइए, वरना अभी कोई आपको बुलाने आ गया और उसने प्रिया को ऐसे रोते देख लिया तो, सब गड़बड़ हो जाएगी.”

मेरा दिल प्रिया को ऐसे रोते हुए छोड़ कर जाने का नही कर रहा था. मगर निक्की की बात भी सही थी. इसलिए मैं बुझे हुए मन से, प्रिया को रोते हुए छोड़ कर कमरे से बाहर निकल आया.

मैं सही समय पर कमरे से बाहर निकला था. क्योकि मेरे कमरे से बाहर निकलते ही मुझे, रिया अपनी तरफ आती दिखाई दी. मुझे आते देख उसने कहा.

रिया बोली “अच्छा हुआ, आप आ गये. मैं आपको ही बुलाने आ रही थी. निक्की और प्रिया कहाँ रुक गयी. वो आपके साथ क्यो नही आई.”

एक तो मैं प्रिया की हरकतों से तनाव मे आ गया था. उस पर रिया के मूह से ये सवाल सुनकर, मेरा तनाव और भी बढ़ गया. मुझे रिया के इस सवाल का कोई जबाब नही सूझा तो, मैने निक्की को कॉल लगा दिया. निक्की के कॉल उठाते ही मैने कहा.

मैं बोला “आप लोग आ क्यो नही रही हो. रिया आप लोगो को पूछ रही है.”

मेरी बात सुनकर निक्की को मेरे कॉल करने का मतलब समझ मे आ गया. उसने मुझसे कहा.

निक्की बोली “आप रिया से कहो कि, प्रिया को थकान महसूस हो रही है. मैं उसे थोड़ी देर बाद लेकर आती हूँ.”

मैने निक्की की कही बात रिया से कह दी. उसके बाद मैं रिया के साथ हॉल मे आ गया. अब मैं नही चाहता था कि कोई और निक्की या प्रिया के बारे मे पुच्छे. इसलिए मैने हॉल मे पहुचते ही दादा जी से कहा.

मैं बोला “अच्छा दादू, अब मैं चलता हूँ मगर आप से मिलने रोज आता रहूँगा.”

दादा जी बोले “ठीक है बेटा, लेकिन तुमने कुछ दिन के लिए जाने की बात कही थी. इसलिए हो सके तो, एक दो दिन रह कर वापस आ जाना.”

मैं बोला “जी दादू.”

इसके बाद मैने दादा जी और आंटी के पैर छु कर उनसे आशीर्वाद लिया. फिर अजय से चलने को कहा. दादा जी, आंटी और रिया मुझे बाहर तक छोड़ने आए. मैने हाथ हिला कर सबको बाइ किया और फिर कार मे बैठ गया. अजय ने भी सबको बाइ बोला और फिर गाड़ी आगे बढ़ा दी.

वहाँ से निकलते ही मुझे ऐसी राहत महसूस हुई. जैसे कि मेरी चोरी पकड़े जाते जाते रह गयी हो. लेकिन अब प्रिया का रोता हुआ चेहरा मुझे परेशान कर रहा था. मैं प्रिया के बारे मे सोच कर उदास और खामोश हो गया था. मुझे उदास देख कर अजय ने कहा.

अजय बोला “क्या हुआ. इतना उदास क्यो हो. क्या उन से दूर होने का दुख हो रहा है.”

मैं बोला “जब किसी से प्यार और अपनापन मिलता है तो, उस से दूर होने मे तकलीफ़ तो होती ही है.”

अजय बोला “हाँ ये बात तो है, मगर अब इस बारे मे ज़्यादा मत सोचो वरना और भी तकलीफ़ होगी. अब ये बताओ कि क्या करना है. अभी हॉस्पिटल जाओगे या घर चल कर आराम करोगे.”

मैं बोला “अभी हॉस्पिटल जाउन्गा. वहाँ राज मेरा वेट कर रहा होगा. मेहुल 3 बजे के बाद ही वहाँ पहुचेगा. तब तक मुझे ही वहाँ रुकना होगा. तुम मुझे वही छोड़ दो.”

अजय बोला “ओके.”

इसके बाद अजय ने मुझे हॉस्पिटल मे छोड़ दिया और मेरा समान लेकर वो अपने घर के लिए निकल गया. मैने राज को कॉल करके नीचे आने को कहा और फिर कीर्ति वाला मोबाइल निकाल कर कहा.

मैं बोला “हेलो.”

लेकिन कीर्ति की तरफ से कोई आवाज़ नही आती तो, मैने फिर कहा.

मैं बोला “हेलो, तू है या नही, मैं तुझसे ही बोल रहा हूँ.”

मेरी बात सुनते ही कीर्ति का जबाब आ गया. उसने कहा.

कीर्ति बोली “सॉरी, मुझे लगा कि, तुम किसी को कॉल लगा रहे हो.”

मैं बोला “ओके, अब ये बता क्या करना है.”

कीर्ति बोली “क्या मतलब, मैं कुछ समझी नही.”

मैं बोला “मैं पुच्छ रहा हूँ कि, प्रिया के बारे मे अब क्या करना है.”

मेरी बात सुनकर कीर्ति ने सिर्फ़ इतना कहा.

कीर्ति बोली “अब इसमे, मैं क्या बोलूं, तुम्हे जो ठीक लगे, वो तुम करो.”

कीर्ति की ये बात सुनकर मुझे ऐसा लगा, जैसे वो मुझसे अपने दिल की बात कहने से हिचक रही हो. इसलिए मुझे उस पर थोड़ा गुस्सा आया. मगर तभी मुझे राज आता हुआ दिखाई दिया तो, मैने अपनी बात को बीच मे ही रोकते हुए, कीर्ति से कहा.

मैं बोला “राज आ रहा है. अब तू फोन रख, मैं घर पहुचने के बाद तुझे कॉल करूगा.”

कीर्ति बोली “ओके जान, आइ लव यू, मुउउहह.”

मैं बोला “मुउउहह.”

इसके बाद कीर्ति ने कॉल रख दिया. तब तक राज भी आ गया. मेरी उस से थोड़ी बहुत बात हुई और मैने उसे आज अपने देर से आने की वजह बताई. फिर राज घर चला गया और मैं अंकल के पास आ गया.

मगर मेरे दिमाग़ मे अभी भी कीर्ति का जबाब ही घूम रहा था. मैं सोच रहा था कि, कीर्ति के दिल मे ऐसी क्या बात थी, जिसे वो मुझसे कहने मे हिचक रही थी. कहीं वो मेरी किसी बात को लेकर मुझसे नाराज़ तो नही थी या फिर कहीं उसे प्रिया या निक्की की किसी बात का बुरा तो नही लग गया.

ये सब बातें सोच कर, कीर्ति के मन की बात जानने की, मेरी बेचेनी बढ़ रही थी. अपनी इन्ही सोच मे गुम रहने के कारण मुझे पता ही नही चला कि, कब 3:30 बज गये.

मेहुल अभी तक नही आया था. इतने समय तक मेहुल के ना आने से मैं समझ गया कि, मेहुल यहाँ से जाते ही भूल गया होगा कि, आज से रात को मुझे हॉस्पिटल मे रुकना है और इसलिए वो आराम से ही सोकर उठा होगा. इस बात को सोच कर मुझे मेहुल के उपर गुस्सा आ गया.

रात से ही मेरा मूड खराब करने का दौर चल रहा था. पहले पापा और रिया की हरकत से मूड खराब हुआ. उसके बाद प्रिया ने उल्टा सीधा बक कर मूड खराब किया. उसके बाद जो कसर बाकी रह गयी थी, उसे कीर्ति ने प्रिया को गाली बक कर पूरी कर दी थी.

फिर रात जैसे तैसे मैने काट ही ली थी. सोचा था कि, दिन मे सब सही हो जाएगा. मगर दिन मे भी कुछ नही बदला. ये सिलसिला तो दिन मे भी वैसे का वैसे ही जारी रहा.

पहले प्रिया ने रोकर, फिर कीर्ति अपने मन की बात छुपा कर और उसके बाद मेहुल ने मेरे कहने पर भी हॉस्पिटल ना आकर, एक के बाद एक मेरा दिमाग़ खराब किया था. और तो और आज निक्की ने भी जली कटी सुनाने मे कोई कसर नही छोड़ी थी.

मैं ये सब बातें सोच कर, अपने आपको बहुत अकेला महसूस कर रहा था और इस अकेलेपन मे मुझे छोटी माँ की याद आने लगी. मैने अंकल से कहा मैं चाय पीकर आता हूँ और मैं बाहर पोर्च मे आ गया.

वहाँ आकर मैने छोटी माँ को कॉल लगा दिया. मैने दो बार छोटी माँ को कॉल लगाया लेकिन उनका मोबाइल नही उठा. शायद वो मोबाइल अपने कमरे मे रख कर किसी काम मे बिज़ी थी.

लेकिन मेरा मन उन से बात करने का कर रहा था. इसलिए मैं उन्हे कॉल लगाता रहा और 2-3 बार और कॉल लगाने के बाद मेरा कॉल उठ गया. मगर कॉल अमि ने उठाया था.

उसकी आवाज़ सुनते ही मेरे दिल को कुछ राहत महसूस हुई और मेरे चेहरे पर अपने आप मुस्कुराहट आ गयी. मैने उसे, ना पहचान पाने का नाटक करते हुए कहा.

मैं बोला “हेलो कौन.”

मेरी बात सुनकर अमि ने अपनी नाराज़गी जताते हुए कहा.

निमी बोली “क्या भैया, आप मेरी आवाज़ भी नही पहचानते. मैं अमि हूँ.”

मैं बोला “ओह्ह बेटू तू, मुझे तो लगा था कि कॉल छुटकी ने उठाई है. किधर है छुटकी.”

मैने ये बात अमि को चिडाने के लिए कही थी. लेकिन उसकी समझ मे मेरी ये बात नही आई और वो एक साँस मे मुझे सबके बारे मे बताने लगी.

अमि बोली “भैया, निमी बाहर खेल रही. मम्मी आंटी टीवी देख रही है. कीर्ति दीदी अपने कमरे मे है और चंदा मौसी हमारे बाजू वाले कमरे मे आंटी का समान रख रही है.”

मैं बोला “ चुप हो जा BBC लंडन. मैने तो सिर्फ़ निमी का पूछा था और तू सारे घर का हाल चाल देने लगी. ये बता कि तू यहाँ अकेले छोटी माँ के कमरे मे क्या कर रही है.”

अमि बोली “मैं भी निमी के साथ खेल रही थी. मम्मी का मोबाइल बज रहा था तो, उन्ही ने मुझे मोबाइल लेने भेजा था. आपका कॉल था इसलिए मैने उठा ली.”

मैं बोला “चल अच्छा किया. अब ये बता, तुम दोनो कीर्ति से झगड़ा तो नही करते हो.”

अमि बोली “नही भैया, हम लोग कीर्ति दीदी से बिल्कुल नही लड़ते. मगर आपको एक राज़ की बात बताऊ.”

मैं बोला ‘कौन सी राज़ की बात.”

अमि बोली “बताती हूँ, मगर पहले आप वादा करो कि, आप ये बात कीर्ति दीदी से नही करोगे. वरना वो मुझ पर बहुत गुस्सा करेगी.”

मैं बोला “ओके बाबा, मैं वादा करता हूँ कि, मैं ये बात कीर्ति तो क्या किसी से भी नही कहूँगा. अब बता, क्या बात है.”

अमि बोली “कीर्ति दीदी ना, कल रात को किसी से मोबाइल पर बात कर रही थी और बहुत गंदी गंदी गालियाँ दे रही थी.”

अमि की इस बात ने तो, थोड़ी देर के लिए मेरी ही बोलती बंद कर दी थी. एक तो मैं पहले से ही, इतने लोगों की बातों का तनाव झेल रहा था और अब एक तनाव अमि ने भी दे दिया था.

मगर अभी मेरे लिए सबसे ज़्यादा ज़रूरी अमि का मूह बंद करना था. ताकि वो इस बात को छोटी माँ या किसी और से ना करे. लेकिन उसके पहले ये जानना ज़रूरी था कि, उसने ये सब बात कैसे सुनी. इसलिए मैने अमि से कहा.

मैं बोला “बेटू, तूने नींद मे ज़रूर कोई सपना देखा होगा. भला कीर्ति किसी को गालियाँ क्यो देगी.”

अमि बोली “नही भैया, ये सपना नही सच है. कल रात को अचानक मेरी नींद खुली तो, कीर्ति दीदी हमारे पास नही थी और कमरे का दरवाजा खुला था. मुझे लगा कि शायद वो अपने कमरे मे सोने चली गयी है. इसलिए मैं दरवाजा बंद करने उठी तो देखा कि, आपके कमरे की लाइट जल रही थी. मैं समझ गयी कि कीर्ति दीदी वही है. मैं उन्हे देखने गयी तो, वो मोबाइल पर किसी को गालियाँ दे रही थी. ये देख कर मैं डर गयी और फिर से वापस आ कर सो गयी.”

अमि ने ये तो बता दिया कि, उसे ये बात कैसे पता चली. लेकिन अब सबसे ज़रूरी ये था कि, वो ये बात किसी से ना कहे. इसलिए मैने अमि को समझाते हुए कहा.

मैं बोला “बेटू, तूने ये बात छोटी माँ या फिर से तो नही बताई.”

अमि बोली “नही भैया, यदि मैं मम्मी से ये बात बोलती तो, वो दीदी को डाँटती और दीदी मुझसे गुस्सा हो जाती.”

मैं बोला “तू तो सच मे बहुत समझदार हो गयी है. देख ये बात किसी से मत बोलना. मैं जब आउगा तो कीर्ति को खूब डान्टुन्गा.”

अमि बोली “क्या भैया, अब आप बच्चो जैसी बात करने लगे. आप उनको डान्टोगे तो, उन्हे पता नही चल जाएगा कि, ये बात मैने आपसे बताई है.”

मैं बोला “लेकिन गाली बकना तो बुरी बात है. यदि कीर्ति को नही डांटा तो वो फिर गाली बकेगी.”

अमि बोली “मैं कुछ नही जानती. आपने मुझसे वादा किया था कि, आप ये बात किसी से नही कहोगे. यदि आप दीदी को डान्टोगे तो, मुझसे गुस्सा हो जाएँगी.”

मैं बोला “तो फिर उसके साथ क्या किया जाए.”

अमि बोली “आप जब खुद उनको गाली बकते पकडो, तब डाटना.”

मैं बोला “चल ठीक है. अभी मैं तेरी वजह से कीर्ति को छोड़ देता हूँ. लेकिन देख अब तू ये बात किसी से मत कहना.”

मेरी बात सुनकर अमि हँसने लगी. उसे हंसते देख कर मैने कहा.

मैं बोला “बेटू, क्या हुआ. तू हंस क्यो रही है.”

अमि बोली “भैया, आप तो बच्चों से भी बच्चे हो.”

मैं बोला “क्यो क्या हुआ. मैने ऐसा क्या बोल दिया.”

अमि बोली “अरे मैने आप से वादा लिया कि, आप ये बात किसी से मत बोलना और आप मुझसे ही कह रहे हो कि, ये बात किसी से मत कहना. हहेहहे.”

वो फिर से हँसने लगी और उसकी इस हँसी से मुझे कुछ राहत महसूस हुई. तभी मेरे मोबाइल पर मेहुल का कॉल आने लगा तो, मैने अमि से जताया कि, छोटी माँ से कहना मैं बाद मे बात करूगा. इसके बाद मैने कॉल काट दिया और मेहुल को कॉल लगाया. उसके कॉल उठाते ही, मैने उस से कहा.

मैं बोला “अब 3:45 बजे, तेरे 3 बजे रह है.”

मेहुल बोला “अबे मैं 3 बजे क्यो नही आ पाया, पहले सुन तो ले.”

मैं बोला “तो सुना ना, मैने कब तुझे बोलने से रोका.”

मेहुल बोला “जब तू पूरी बात बताने देगा. तभी तो मैं तुझे कुछ बताउन्गा ना.”

मैं बोला “चल बता, क्या बता रहा है.”

मेरे इतना बोलते ही मेहुल ने अपने देर से आने की वजह बताना शुरू कर दी. जैसे जैसे वो अपनी बात कहता जा रहा था. वैसे वैसे ही मेरे चेहरे का रंग बदलता जा रहा था. मेहुल की बात सुनते सुनते, मेरी आँखों से झर झर करके आँसू झरने लगे.
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RE: MmsBee कोई तो रोक लो - by desiaks - 09-09-2020, 02:20 PM
(कोई तो रोक लो) - by Kprkpr - 07-28-2023, 09:14 AM

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