RE: MmsBee कोई तो रोक लो
98
मैने सवालिया नज़रों से निक्की की तरफ देखा तो, वो खुद मेरी तरफ सवालिया नज़रों से देखने लगी. जैसे कहना चाहती हो कि, इसे अचानक क्या हो गया. ये ऐसा क्यो कर रही है.
लेकिन अभी मैं खुद ही इस सवाल मे उलझा हुआ था. ऐसे मे निक्की के इस सवाल का जबाब मैं क्या दे पाता. उपर से 4:45 बज गया था और अब किसी भी समय राज आ सकता था. ऐसे मे मेरे साथ प्रिया का इस तरह बैठना, मुझे उलझन मे डाल रहा था.
मगर प्रिया तो अभी भी इस सब से बेख़बर, अपनी दुनिया मे खोई हुई थी. प्रिया को उसकी दुनिया से वापस लाने के लिए, मैने निक्की की तरफ देखा और उसे इशारे से प्रिया को मुझसे अलग करने को कहा.
मेरी बात सुनकर निक्की प्रिया के पास आ गयी. उसने प्रिया के सर पर हाथ फेरते हुए कहा.
निक्की बोली “प्रिया, ओ प्रिया. ऐसे बैठ कर कहा खोई हुई है. हम लोग भी तेरे साथ है. हमे भी तो बता, तू इतनी खुश किस बात को लेकर है.”
निक्की की बात सुनकर प्रिया ने अपनी आँखे खोली और अपना सर मेरे कंधे से हटा कर निक्की को देखने लगी. लेकिन अभी भी वो मेरे हाथ को अपने हाथों से जकड़े हुए थी. उसने निक्की को देखा तो, मगर कुछ बोले बिना बस मुस्कुराती रही.
जब निक्की ने देखा कि उसे देख कर प्रिया की मुस्कुराहट और भी ज़्यादा गहरी हो गयी है. तब उसने प्रिया से कहा.
निक्की बोली “इतना ज़्यादा किस बात को लेकर मुस्कुरा रही है. कुछ हम लोगो को भी तो बता.”
प्रिया बोली “मैं नही बताउन्गी. यदि मैने तुम लोगों को बताया तो, तुम लोग मुझ पर हसोगे.”
निक्की बोली “हम तेरे उपर ज़रा भी नही हँसेगे. अब जल्दी से बता, तू किस बात को लेकर इतना खुश है.”
प्रिया बोली “अभी जब मैं राजेश अंकल के पास बैठी थी. तब उन्हो ने मुझे एक बात बताई थी. उसी बात को लेकर मैं इतनी खुश हूँ.”
मैं बोला “प्रिया क्यो परेशान कर रही हो. सीधे से बताओ ना, क्या बात है.”
मेरी बात सुनकर प्रिया ने मेरी तरफ हंसते हुए देखा और फिर नज़र नीचे करके कहने लगी.
प्रिया बोली “तुम्हारे पापा को मैं बहुत पसंद हूँ.”
इतना कह कर वो अपना सर नीचे करके फिर मुस्कुराने लगी. वो यूँ शर्मा रही थी. जैसे वो मुझे अपनी शादी की बात बता रही हो. मुझे उसकी इस बात का कोई मतलब समझ मे नही आया. मैने झुंझलाते हुए उस से कहा.
मैं बोला “यार, मुझे कुछ समझ मे नही आ रहा कि, तुम क्या कहना चाहती हो. जो भी कहना है, ज़रा ज़रा सॉफ सॉफ कहो.”
मेरी इस बात के जबाब मे प्रिया ने अपना सर झुकाए झुकाए, अपनी बात कहना सुरू किया.
प्रिया बोली “अभी मैं जब राजेश अंकल के पास बैठी थी. तब अंकल ने मुझे बताया कि कल अमर अंकल (पापा) उनके पास आए थे. अमर अंकल से उनकी हमारे घर के बारे मे बातें होती रही. तब अमर अंकल ने राजेश अंकल से कहा था कि, मुझे रिया की छोटी बहन प्रिया बहुत पसंद आई. जब पुन्नू और प्रिया शादी के लायक हो जाएगे. तब मैं प्रिया के पिताजी से ज़रूर, पुन्नू के लिए प्रिया का हाथ माँगूंगा.”
इतना कह कर प्रिया चुप हो गयी और फिर से शरमाने लगी. लेकिन प्रिया की बात सुनकर मेरे तोते उड़ गये. मेरी तो समझ मे नही आया कि, मैं प्रिया से क्या बोलू. मगर निक्की ने जब प्रिया की बात सुनी तो, उसने प्रिया से कहा.
निक्की बोली “प्रिया तू तो पुनीत के बारे मे सब जानती है. तुझे ये भी मालूम है कि, वो किसी और से प्यार करता है. फिर तू ये बात सुनकर इतना खुश क्यो हो रही है. क्या तू ये सब जानकर भी पुनीत से शादी करना चाहती है.”
निक्की की इस बात का जबाब प्रिया ने बड़े ही गुस्से से देते हुए कहा.
प्रिया बोली “हाँ, हाँ मुझे सब मालूम है. मैं कब कह रही हूँ कि, मैं इन दोनो के रास्ते मे आउगि.”
निक्की बोली “तो फिर तू इस बात को सुनकर इतना खुश क्यो हो रही है.”
इस बात का जबाब प्रिया ने बड़ी ही मासूमियत से देते हुए कहा.
प्रिया बोली “वो मैं अंकल की बातों मे ऐसा खो गयी थी कि, मुझे ये बात याद ही नही रही.”
प्रिया की ये बात सुनकर निक्की हँसने लगी और फिर उसने प्रिया से कहा.
निक्की बोली “अब तुझे बात याद आ गयी है तो, इनका हाथ छोड़ दे और ज़रा सही से बैठ जा. राज के आने का टाइम हो गया है. वो तुझे ऐसे देखेगा तो, ना जाने क्या सोचने लगेगा.”
निक्की की बात सुनते ही प्रिया ने मेरा हाथ छोड़ दिया और सही से बैठ गयी. अब निक्की उसे शादी की बात को लेकर छेड़ रही थी और वो निक्की के उपर गुस्सा कर रही थी. लेकिन मैं उन दोनो की इस हरकत से अंजान किसी और ही सोच मे खोया हुआ था.
मेरे दिमाग़ मे इस समय पापा की ये बात चल रही थी कि, उन्हो ने अंकल से मेरे और प्रिया की शादी की बात यूँ ही कह दी, या फिर इसके पिछे भी उनके गंदे दिमाग़ की कोई चल छुपी हुई है.
मैं इसी सब मे खोया रहा और राज आ गया. राज से हमारी थोड़ी बहुत बात हुई और फिर वो उपर अंकल के पास चला गया. उसके उपर पहुचने के बाद मेहुल नीचे आ गया. उस से मेरी थोड़ी बहुत बात हुई और फिर मेहुल के साथ निक्की प्रिया घर चली गयी.
उनके जाने के बाद मैं और राज बारी बारी से उपर नीचे होते रहे. इस बीच मेरी कीर्ति से भी थोड़ी बहुत बात हुई. फिर 10 बजे मेहुल आ गया तो, मैं और राज घर आ गये.
घर आने के बाद हम लोगों ने खाना खाया. खाना खाने के बाद मेरी सबसे बातें होती रही. फिर 11:15 बजे मैने सबको गुड नाइट कहा और अपने कमरे मे आ गया.
कमरे मे आकर मैं कीर्ति के फोन का वेट करने लगा. थोड़ी ही देर बाद कीर्ति का कॉल आ गया. उस से मेरी पापा की बातों को लेकर बात हुई और फिर ये बातों का सिलसिला रात को 1:10 बजे तक चलता रहा. उसके बाद हम सो गये.
सुबह 6 बजे मेरी नींद, रोज की तरह निक्की के जगाने से ही खुली. उसके जाने के बाद मैं फ्रेश होकर तैयार होने चला गया. आज रिया और प्रिया भी जल्दी उठ गयी थी. आज से उनका स्कूल सुरू हो रहा था तो, वो भी स्कूल के लिए तैयार हो रही थी.
मैं तैयार होकर अभी बैठा ही था कि प्रिया आ गयी. आज उसने अपने स्कूल की ड्रेस वाइट स्कर्ट और टॉप पहनी हुई थी. जिसमे वो बहुत सुंदर लग रही थी. उसे देखते ही मेरे चेहरे पर मुस्कुराहट आ गयी.
वो मेरे लिए नाश्ता लेकर आई थी. मैने उसे नाश्ता लिए देखा तो, मुस्कुराते हुए उस से कहा.
मैं बोला “क्या हुआ, आज नाश्ता निक्की की जगह तुम लेकर आ रही हो.”
प्रिया बोली “मैं स्कूल जा रही थी तो, सोचा तुमसे मिलती चलूं. निक्की चाय नाश्ता लाने की तैयारी कर रही थी तो, मैं नाश्ता लेकर आ गयी. निक्की चाय लेकर आएगी.”
मैं बोला “अच्छा किया. क्या तुम नाश्ता नही करोगी.”
प्रिया बोली “मैने नाश्ता कर लिया है. अब मैं चलती हूँ. दोपहर को खाने पर मिलुगी.”
इतना कह कर प्रिया चली गयी. उसके जाने के बाद मैने कीर्ति को कॉल लगाया और उस से बात करने लगा. कीर्ति भी स्कूल जाने की तैयारी कर रही थी. इसलिए मेरी उस से ज़्यादा बात नही हो सकी.
कीर्ति से बात करने के बाद मैं नाश्ता करने लगा. थोड़ी देर बाद निक्की चाय लेकर आ गयी और मेरे साथ ही चाय पीने लगी. मैने उस से पुछा.
मैं बोला “क्या आपके स्कूल की छुट्टियाँ अभी ख़तम नही हुई.”
निक्की बोली “आज से मेरे स्कूल की भी छुट्टियाँ ख़तम हो गयी है. लेकिन कल सनडे होने की वजह से, मैने आज की छुट्टी कर ली. मगर कल शाम को मैं वापस चली जाउन्गी.”
निक्की के मूह से उसके जाने की बात सुनकर, ना जाने क्यो मुझे अच्छा नही लगा. फिर भी मैने उस से कुछ नही कहा. मैं चुप चाप, चाय पीता रहा और फिर चाय पीने के बाद मैं हॉस्पिटल चला गया.
हॉस्पिटल पहुचने के बाद, मेरी अंकल से बात होती रही. बातों बातों मे अंकल ने बताया कि, पापा कल वापस जा रहे है. कोई और हालत होते तो, मुझे पापा के वापस जाने से ज़रूर बेहद खुशी हुई होती.
लेकिन उन्हो ने कीर्ति के साथ जो कुछ किया था. उसे याद कर के मुझे पापा का वापस जाना अच्छा नही लग रहा था. मुझे फिर इस बात का डर सताने लगा कि, वो वापस जाकर कही फिर कीर्ति के साथ कोई हरकत ना करे.
एक तरफ पापा तो, दूसरी तरफ निक्की के वापस जाने की बात ने, मुझे परेशान करके रख दिया था. जहाँ निक्की के जाने से मुझे उसके सुनेपन का भय सता रहा था तो, वही पापा के जाने से मुझे उनकी हरकतों का भय सता रहा था.
इन्ही सब सोच मे गुम रहते, मेरा बाकी का समय गुजर गया और फिर राज आ गया. राज से मेरी थोड़ी बहुत बातें हुई और फिर 12 बजे मैं खाना खाने घर आ गया.
अभी रिया लोग स्कूल से नही लौटी थी. मैने खाना खाया और फिर थोड़ी बहुत सबसे बात करके अपने कमरे मे आ गया. आज मैने खाने पर किसी से ज़्यादा बात नही की थी. शायद इस बात पर निक्की ने भी गौर किया था. इसलिए थोड़ी देर बाद वो मेरे कमरे मे आ गयी.
जब वो कमरे मे आई, तब मैं इन्ही सब ख़यालों मे खोया हुआ था. उसने मुझे यू परेशन देखा तो, मुझसे कहा.
निक्की बोली “क्या बात है. आज आप किसी बात को लेकर परेसान लग रहे है.”
मैं बोला “नही, ऐसी कोई बात नही है. मैं तो बस खाना खा कर आराम कर रहा हूँ.”
निक्की बोली “लगता है आप अभी भी मुझे अपना दोस्त नही मानते. यदि मानते होते तो अपनी परेसानी की वजह मुझे ज़रूर बता दी होती. ठीक है, मैं चलती हू.”
ये बोल कर वो वापस जाने को मूड गयी. लेकिन मैने उसे रोकते हुए कहा.
मैं बोला “आप नाराज़ हो कर वापस क्यो जा रही है. सच मे परेसानी वाली कोई बात नही है.”
मेरी बात सुनकर निक्की वापस मूडी और फिर मेरे पास आकर कहने लगी.
निक्की बोली “नही कोई बात तो ज़रूर है. जिसकी वजह से आपका चेहरा कुछ उतरा हुआ सा लग रहा है. ये बात और है कि, आप मुझे वो बात बताना नही चाहते.”
निक्की की बात के जबाब मे मैने कहा.
मैं बोला “बात सिर्फ़ इतनी सी है कि, मुझे आपका वापस जाना अच्छा नही लग रहा है.”
मेरी बात सुनकर निक्की ने हंसते हुए कहा.
निक्की बोली “ये तो बहुत अजीब बात है. आप जिसे प्यार करते है, वो भी आपके पास है और जो आपको प्यार करती है, वो भी आपके पास है. फिर आपको मेरा जाना इतना खराब क्यो लग रहा है.”
मैं बोला “आपकी बात सही है. लेकिन फिर भी मुझे आपका जाना अच्छा नही लग रहा है. आप जैसा दोस्त से दूर होने मे बुरा तो लगेगा ही.”
निक्की बोली “शुक्र है, आपने मुझे दोस्त तो माना. वरना तो मुझे लगता था कि, आपके दोस्तो मे मेरा नाम ही नही है.”
मैं बोला “कोई कह देने बस से तो दोस्त हो नही जाता. आपने मेरा हर समय साथ दिया है. यही तो एक सच्चे दोस्त होने की निशानी है.”
निक्की बोली “ओके तो फिर आप मेरे जाने की चिंता करना छोड़ दीजिए. मैं अभी दादा जी से बात करके अपनी छुट्टियाँ और बढ़ा देती हूँ. अब तो आप खुश है.”
मैं बोला “लेकिन ऐसा करने से आपकी पढ़ाई का नुकसान होगा.”
निक्की बोली “मैं कोई पढ़ाई मे कमजोर नही हूँ. जो थोड़े दिन की छुट्टी ले लेने से, मेरी पढ़ाई का नुकसान हो जाएगा. आप चिंता मत कीजिए, मेरी पढ़ाई का कोई नुकसान नही होगा.”
मैं बोला “थॅंक्स.”
अभी मैं इसके आगे और कुछ कह पाता, इसके पहले ही मुझे प्रिया की आवाज़ सुनाई दी.
प्रिया बोली “अब दोस्ती की है तो, निभानी ही पड़ेगी.”
उसकी बात सुनते ही हम हँसने लगे. वो अभी भी अपनी स्कूल ड्रेस मे थी. शायद स्कूल से आकर वो सीधे मेरे पास ही चली आई थी. मैने उसे आया देखा तो कहा.
मैं बोला “तुम कब आई.”
प्रिया बोली “जब निक्की छुट्टी लगाने की बात कर रही थी, तब ही आई हूँ.”
मैं बोला “छुप कर किसी की बात सुनना अच्छी बात नही है.”
प्रिया बोली “मैं छुप कर कहा सुन रही थी. मैं तो तुम लोगों के सामने ही खड़ी थी, पर तुम लोग अपनी बात मे ऐसे मगन थे कि, मेरी तरफ ध्यान ही नही दिया.”
मैं बोला “अब यदि बात सुनना हो गया हो तो, अंदर भी आ जाओ. ऐसे कब तक दरवाजे पर ही खड़ी रहोगी.”
प्रिया बोली “आती हूँ, आती हूँ. मैं इतनी आसानी से तुम्हारा पिच्छा नही छोड़ने वाली. बस 5 मिनट वेट करो. मैं कपड़े बदल कर आती हूँ.”
इतना बोल कर प्रिया वापस चली गयी. उसके बाद मैने निक्की से चाय पीने का कहा तो, वो चाय बनाने चली गयी. थोड़ी देर बाद निक्की चाय लेकर आई तो, प्रिया भी उसके साथ ही थी.
हम लोग बात करते करते चाय पी रहे थे. तभी मेहुल भी आ गया. फिर हम सब के बीच हँसी मज़ाक की बातें चलती रही. बातों बातों मे प्रिया ने मेहुल से पुछा.
प्रिया बोली “अच्छा एक बात बताओ. आपके अलावा पुनीत के और कितने खास दोस्त है.”
मेहुल बोला “इसका खास दोस्त कौन है, ये तो तुम इसी से पुछो. हाँ मुझे इतना मालूम है कि मेरे अलावा राहुल और असलम के साथ भी इसकी अच्छी पटती है.”
प्रिया बोली “क्या कोई लड़की दोस्त नही है.”
मेहुल बोला “यार तुम लड़कियों की यही परेसानी है. कोई बात सीधे तरीके से नही पूछती. हर बात को गोल गोल घुमा कर पूछती हो. सीधे से ये क्यो नही पुच्छ लेती कि, क्या इसकी कोई गर्लफ्रेंड है.”
प्रिया बोली “गर्लफ्रेंड का तो मुझे मालूम है. मैं सिर्फ़ ये जानना चाहती हूँ कि, गर्लफ्रेंड के अलावा कोई और लड़की दोस्त है.”
प्रिया की बात सुनकर मेहुल ने मुझे घूर कर देखा. फिर प्रिया से कहा.
मेहुल बोला “मुझे तो गर्लफ्रेंड का भी कल ही पता चला है. फिर भला किसी और लड़की के दोस्त होने का मुझे क्या पता चलेगा. लेकिन तुम ये बताओ, तुम इसके बारे मे इतनी जानकारी क्यो निकाल रही हो.”
मेहुल की इस बात को सुनकर प्रिया सकपका गयी. मैने प्रिया की हालत देखी तो, मुझे उस पर हँसी आ गयी. मैने उसका बचाव करते हुए मेहुल से कहा.
मैं बोला “वो इसलिए पुछ रही है क्योकि मैने ही उस से कहा था कि, तुम मेहुल से इस बारे मे पुच्छ लेना कि, मेरी किसी लड़की से दोस्ती है या नही.”
मेरी बात सुनकर मेहुल मेरे उपर ही भड़क उठा. मेहुल ने कहा.
मेहुल बोला “अबे जब तूने इसे अपनी गर्लफ्रेंड के बारे मे बता दिया तो, अपने किसी और दोस्त के बारे मे मुझसे पुच्छने को क्यो कहा. तू कौन सा हर बात मुझे बताकर रखता है.”
मैने बात को टालते हुए कहा.
मैं बोला “यार अब मुझे तेरी इस बहस मे नही पड़ना. मेरे तो हॉस्पिटल जाने का टाइम हो गया है. तुम लोग अपनी बातें करो, मैं हॉस्पिटल निकलता हूँ.”
मेरी बात सुनकर प्रिया भी खड़ी हो गयी और हॉस्पिटल चलने की ज़िद करने लगी. लेकिन मैने उसे अपने साथ जाने से रोकते हुए कहा.
मैं बोला “तुम अभी स्कूल से आई हो और आते ही यहा बातों मे लग गयी. अभी तुमने खाना भी नही खाया है. तुम ऐसा करो कि, खाना खाकर निक्की के साथ आ जाना.”
मेरी इस बात का समर्थन निक्की ने भी किया. जिस वजह से प्रिया ने मेरी बात मान ली. फिर उन लोगों को वही बातें करता छोड़ कर मैं बाहर आ गया. बाहर मुझे रिया खाना खाते दिखी.
वो इस समय अकेली ही बैठी खाना खाना रही थी. उसे देख कर मैं उसके पास ही रुक गया. मैने उसके पास बैठते हुए कहा.
मैं बोला “आज कल तो तुम्हारे पास मुझसे मिलने का भी टाइम नही रहता है. बहुत ज़्यादा बिज़ी रहने लगी हो.”
रिया बोली “ऐसी तो कोई बात नही है. बस तुम्हारा घर आने जाने का टाइम ही कुछ ऐसा है की, मेरी तुम से मुलाकात ही नही हो पाती है.”
मैं बोला “घर के बाकी भी लोग तो है. उनसे तो मेरी मुलाकात खाने के टाइम हो ही जाती है. लेकिन तुमने तो आज कल घर पर खाना ही खाना छोड़ दिया है. कहीं ये सब मेरी वजह से तो नही है.”
रिया बोली “ऐसा कुछ भी नही है. मैं अपने ज़रूरी काम की वजह से अंकल (पापा) के साथ रहती हूँ. इस वजह से मेरी तुम से दोपहर के खाने पर मुलाकात नही हो पाती है.”
मैं बोला “ठीक है, लेकिन यदि तुम्हारे पास थोड़ा टाइम हो तो, मुझे तुमसे कुछ ज़रूरी बात करनी है.”
रिया बोली “हाँ बोलो, मेरे पास अभी टाइम ही टाइम है.”
मैं बोला “अभी नही, अभी मुझे हॉस्पिटल जाना है. तुम चाहो तो हॉस्पिटल आ जाना या फिर रात को थोड़ा टाइम निकाल लेना.”
रिया बोली “ओके, मैं हॉस्पिटल आने की कोसिस करूगी. लेकिन हॉस्पिटल नही आ पाई तो, रात को ज़रूर तुमसे बात करूगी.”
मैं बोला “ठीक है, अब मैं चलता हूँ.”
इसके बाद मैं रिया को बाइ बोलकर हॉस्पिटल आ गया. मैं हॉस्पिटल पहुचा तो, राज नीचे ही बैठा था. उसने बताया कि उपर पापा है. फिर थोड़ी बहुत बात करके वो घर चला गया.
उसके जाने के बाद मैं उपर अंकल के पास आ गया. पापा की अंकल से बातें चल रही थी. लेकिन मेरे और पापा के बीच अभी भी कोई बात नही हुई. मेरा मन तो कर रहा था कि, मैं पापा से कहूँ कि, आप अभी वापस मत जाइए. मगर मेरे दिल मे उनके लिए इतनी नफ़रत थी कि, मेरे मूह से ये बात निकल ही ना सकी और कुछ देर बाद पापा चले गये.
शायद अंकल इतने दिनो से इस बात को गौर कर रहे थे कि, हम बाप बेटे के बीच कभी कोई बात चीत नही होती है. इसलिए उन ने पापा के जाते ही, इस बात को लेकर मुझे टोक दिया.
लेकिन मैने बातें बना कर अंकल की इस बात को टाल दिया और उन से यहाँ वाहा की बातें करने लगा. थोड़ी देर बाद कीर्ति का कॉल आने लगा तो, मैं नीचे आ गया.
नीचे आकर मैने कीर्ति का कॉल उठाया तो कीर्ति ने कहा.
कीर्ति बोली “जाओ मैं तुमसे बात नही करती. तुम्हे इतनी देर से मुझे कॉल करने का, टाइम ही नही मिल रहा है. मैं कब से तुम्हारे कॉल का वेट कर रही हूँ.”
मैं बोला “सॉरी जान, आज सच मे मुझे कॉल लगाने का टाइम नही मिल पाया. खाना खाते ही सब मेरे कमरे मे आ गये थे और मई चाहते हुए भी तुम्हे कॉल नही लगा सका.”
कीर्ति बोली “यदि घर मे कॉल नही लगा पाए थे तो, इधर आकर लगा सकते थे. लेकिन सच बात तो ये है कि, तुम्हे मेरी याद ही नही आई. इसलिए तुमने यहाँ आकर भी मुझे कॉल नही किया.”
मैं बोला “यहाँ पापा आए हुए थे और मैं अंकल के पास था. जब पापा गये, तब मैं तुझसे बात करने ही वाला था. लेकिन फिर अंकल से बात होने लगी और इसी बीच तेरा कॉल आ गया.”
कीर्ति बोली “मैं कुछ नही सुनुगि. तुमने ग़लती की है. तुम्हे इसकी सज़ा ज़रूर मिलेगी.”
मैं बोला “ठीक है, तुझे जो सज़ा देना है, जब मैं आउ तो मुझे दे लेना.”
कीर्ति बोली “नही, तुमने अभी ग़लती की है. तुम्हे इसकी सज़ा भी अभी ही मिलेगी.”
मैं बोला “बोलो, क्या सज़ा देना चाहती हो.”
कीर्ति बोली “तुम अपने दोनो कान पकड़ कर सॉरी बोलो.”
मैं बोला “ओके, मैं अपने दोनो कान पकड़ कर सॉरी बोलता हूँ.”
कीर्ति बोली “ऐसे नही, तुम सच मे अपने कान पकड़ कर सॉरी बोलो.”
मैं बोला “मैं सच मे अपने कान पकड़ कर सॉरी बोल रहा हूँ.”
कीर्ति बोली “मुझे बेवकूफ़ मत समझो. तुम सिर्फ़ बोल रहे हो. तुम अपने कान पकड़ नही रहे हो.”
मैं बोला “तू पागल हो गयी है क्या. यहाँ सब देख रहे है. वो मुझे ऐसे देखेगे तो, क्या सोचेगे.”
कीर्ति बोली “जिसे जो सोचना है, वो सोचता रहे. तुम अपने कान पकड़ते हो या मैं फोन रखू.”
आख़िर मे मुझे उसकी ज़िद के सामने झुकना ही पड़ा. मैने अपने दोनो कान पकड़े और कहा.
मैं बोला “ये ले मैं सच मे अपने कान पकड़ कर सॉरी बोल रहा हूँ. अब तो मुझे माफ़ कर दे.”
कीर्ति बोली “ओके ओके मैने तुम्हे माफ़ किया. अब दोबारा ऐसी ग़लती मत करना.”
मैं बोला “नही करूगा मेरी माँ. अब तेरा सज़ा देना हो गया हो तो, मैं कुछ बोलू.”
कीर्ति बोली “हाँ बोलो.”
मैं बोला “तू अब घर वापस चली जा.”
कीर्ति बोली “क्यो जान, मुझसे कोई ग़लती हो गयी क्या.”
मैं बोला “नही, तुझसे कोई ग़लती नही हुई है. लेकिन कल पापा वापस वहाँ आ रहे है. मैं नही चाहता कि, उनकी गंदी नज़र तुझ पर पड़े.”
कीर्ति बोली “जान, छोड़ो ना उस बात को, अब वैसा कुछ नही होगा.”
मैं बोला “नही, मुझे उस आदमी का कोई भरोसा नही है. तू मेरी बात मान और घर वापस चली जा.”
कीर्ति बोली “जान, मेरा भरोसा करो. मैं अब उन्हे ऐसी कोई ग़लती करने का मौका ही नही दुगी और रात को दरवाजा बंद करके सोया करूगी. तुम मेरी ज़रा भी चिंता मत करो.”
मैं बोला “देख यदि उस कमिने ने तेरे साथ कुछ ग़लत हरकत की तो, मैं उसे जिंदा नही छोड़ूँगा. इसलिए बेहतर यही होगा की, मेरी बात मान और वापस चली जा.”
कीर्ति बोली “नही जान, मैं अमि निमी को अकेला छोड़ कर नही जाउन्गी. मैं तुम्हारी ये बात कभी नही मानूँगी.”
मैं बोला “देख, मुझे मजबूर मत कर, यदि तू सीधे तरह से मेरी बात नही मानेगी तो, मैं छोटी माँ से बोलकर तुझे घर वापस भिजवा दूँगा.”
कीर्ति बोली “प्लीज़ जान, तुम्हे मेरी कसम है. तुम ऐसा कुछ नही करोगे. मेरा यकीन करो, अब मैं तुमहरि जान पर किसी की गंदी नज़र नही पड़ने दुगी.”
आख़िर ना चाहते हुए भी मुझे कीर्ति की कसम के आगे झुकना पड़ा. लेकिन फिर भी मुझे उसकी चिंता सता रही थी. उसे मेरी इस हालत का अहसास था. इसलिए उसने बात को बदलते हुए कहा.
कीर्ति बोली “जान, तुम्हारी मेहुल से बात हुई या नही.”
मैं बोला “हाँ हो गयी, मैने उसे अंकिता के बारे मे बता दिया है.”
कीर्ति बोली “मैने अंकिता से कह दिया है कि, शायद तुम अपने किसी दोस्त से उसकी बात कारवाओगे. यदि मेहुल बात करने का बोले तो, तुम उसकी बात अंकिता से करवा सकते हो.”
मैं बोला “नही, इसकी कोई ज़रूरत नही है. मैने वहाँ लौटने तक के लिए, बात को टाल दिया है.”
कीर्ति बोली “ठीक है जान, तुम्हे अंकल के पास से आए हुए बहुत देर हो गयी है. तुम वापस अंकल के पास जाओ. हम रात को बात करेगे.”
मैं बोला “ठीक है, मुउउहह.”
कीर्ति बोली “आइ लव यू जान. मुऊऊऊहह.”
इसके बाद कीर्ति ने कॉल रख दिया. मैं उपर अंकल के पास जाने के लिए मुड़ा. तभी मेरी नज़र निक्की और प्रिया पर पड़ी. वो मेरी ही तरफ चली आ रही थी.
|