RE: MmsBee कोई तो रोक लो
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उस समय उसके बाल, उसके चेहरे पर आ गये थे. जिस से उसका चेहरा बहुत सुंदर दिखने लगा था. मैने उसे देखा तो देखता रह गया. कुछ पल के लिए तो, कीर्ति का चेहरा देख कर मेरी धड़कने ही थम गयी.
उसने अपने बाकी के बाल भी खोले और फिर सारे बालों को एक साथ समेट कर बाँध लिया. उस समय उसका ध्यान मेरी तरफ नही था. जब उस ने अपने बाल बाँध लिए, तब उस ने मेरी तरफ देखा.
उसने मुझे अपनी तरफ, इतनी गौर से देखते पाया तो, उसने मुस्कुराते हुए कहा.
कीर्ति बोली “इतने गौर से क्या देख रहे हो. क्या पहले कभी मुझे देखा नही है.”
मैं बोला “देखा तो है, मगर जो नज़ारा आज मैने देखा है. वो इसके पहले कभी नही देखा.”
कीर्ति बोली “क्यो, आज ऐसा क्या देख लिया. जो इस से पहले नही देखा था.”
मैं बोला “तेरे चेहरे पर बालों का बिखरना.”
कीर्ति बोली “इस मे कौन सी नयी बात है. हर लड़की के बाल, उस के चेहरे पर बिखरते ही है.”
मैं बोला “हर लड़की का तो, मैं नही जानता. लेकिन तेरे बिखरे हुए बालों मे, तू बहुत ज़्यादा सुंदर दिख रही थी. ऐसे मे तुझे देख कर मेरी धड़कने ही थम गयी थी.”
कीर्ति बोली “अच्छा जी, तो क्या ऐसे मे, मैं सुंदर नही दिखती हूँ.”
कीर्ति के ये बात बोलने का अंदाज कुछ ऐसा था कि, मुझे ऐसा लगा, जैसे मेरे कानो मे शहद घुल गया हो. मैने चहकते हुए, कीर्ति से कहा.
मैं बोला “हाए मैं मर जावा. ऐसी अदा पर कौन ना मार मिटे. एक बार फिर से बोलो ना.”
कीर्ति बोली “क्या.”
मैं बोला “वही जो अभी बोला था.”
कीर्ति बोली “यही कि, क्या ऐसे मे मैं सुंदर नही दिखती.”
मैं बोला “नही, जो उसके पहले बोला था.”
कीर्ति बोली “क्या बोला था.”
मैं बोला “वही, अच्छा जी.”
कीर्ति बोली “जाओ मैं नही बोलती. तुम मेरा मज़ाक उड़ा रहे हो.”
मैं बोला “नही जान, मैं तुम्हारा मज़ाक नही उड़ा रहा. प्लीज़ एक बार बोलो ना.”
कीर्ति बोली “क्यो बोलू. मैं नही बोलुगी.”
मैं बोला “तुम्हे मेरी कसम. प्लीज़ बोलो ना जान.”
कीर्ति बोली “अच्छा जी. अब खुश.”
मैं बोला “जान, मैं तो ये सुनकर सच मे पागल हो जाउन्गा. प्लीज़ एक बार फिर बोलो.”
कीर्ति बोली “अब नाटक बंद करो. मुझे गुस्सा आ रहा है. अब जल्दी से उपर चलो.”
मैं बोला “नही, जब तक तुम एक बार फिर नही बोलोगि. मैं यहा से हिलुगा भी नही.”
कीर्ति बोली “अच्छा जी, अब चलो भी.”
मैं बोला “हाँ अब चलो.”
फिर हम दोनो उपर पहाड़ियों पर जाने लगे. चलते चलते कीर्ति ने कहा.
कीर्ति बोली “जान एक बात पुच्छू.”
मैं बोला “हाँ पुछो.”
कीर्ति बोली “निक्की और प्रिया मे कौन ज़्यादा सुंदर है.”
मैं बोला “निक्की ज़्यादा सुंदर है. लेकिन प्रिया भी कोई कम सुंदर नही है. वो रिया से ज़्यादा सुंदर दिखती है. लेकिन अचानक तुझे ये सवाल पुच्छने की कैसे सूझी.?”
कीर्ति बोली “कुछ नही, बस ऐसे ही पूछ लिया.”
मैं बोला “कहीं तुझे ये तो नही लग रहा है कि, मैं कहीं प्रिया से सच मे तो, प्यार नही करने लगा.”
कीर्ति बोली “नही मुझे ऐसा कुछ नही लग रहा है. मुझे मेरी जान पर पूरा विस्वास है. मगर ना जाने क्यो मुझे, उस दिन तुम्हारा प्रिया वाली बात करना बहुत अजीब लगा था.”
मैं बोला “उसमे कुछ भी अजीब नही था. मैने तुझसे जो भी कहा था. वो सब सच था, सिवाय इसके कि, मैं प्रिया से प्यार करने लगा हूँ.”
मेरे ये बोलते ही कीर्ति मेरी तरफ देखने लगी. मैने उसका एक हाथ अपने हाथो मे पकड़ा और फिर आगे बढ़ते हुए, उसको उस दिन की सारी घटना बताने लगा. ये ही बात करते करते हम उपर पहुच गये.
उपर पहुच कर हम एक चट्टान पर बैठ गये. जब मेरी बात पूरी हुई तो, मैने कीर्ति के हाथों को चूमते हुए कहा.
मैं बोला “मुझे उस दिन खुद ये सब करना बुरा लग रहा था. लेकिन मेरे लिए, तेरे प्यार की सच्चाई प्रिया के सामने लाना ज़रूरी था. मैं उसे बस ये दिखाना चाहता था कि, तेरा प्यार, मेरे और प्रिया के प्यार से बहुत उपर है. निक्की भी उस समय इस सब मे मेरी मदद कर रही थी. जिस वजह से मैने उसे भी कुछ करने से नही रोका. मगर आज मैं तुझसे इस सब के लिए माफी माँगता हू. शायद मुझे ऐसा नही करना चाहिए था.”
कीर्ति बोली “नही जान, तुम्हे माफी माँगने की कोई ज़रूरत नही है. तुमने जो भी किया, वो सिर्फ़ मुझे उँचा दिखाने के लिए किया है. मगर मेरी समझ मे ये बात नही आ रही है कि, क्या प्रिया और निक्की दोनो हमारी सचाई को जान गये है.”
मैं बोला “नही, प्रिया सिर्फ़ इतना जानती है कि, मैं किसी लड़की से प्यार करता हूँ. लेकिन वो ये नही जानती कि, वो लड़की कौन है. मगर निक्की सब कुछ जानती है. उसे ये भी मालूम है कि, वो लड़की तुम हो.”
कीर्ति बोली “निक्की को ये सब कैसे मालूम पड़ा.”
कीर्ति की इस बात पर मैं उसे, हॉस्पिटल मे उसके कॉल आने से लेकर, निक्की से साथ हुई हर एक घटना के बारे मे बताने लगा. वो बड़े गौर से मेरी बात को सुन रही थी.
जब मैने उसे निक्की और मेहुल के बीच हुई बातों के बारे मे बताया. तब उसने मुझे टोकते हुए कहा.
कीर्ति बोली “ये तो निक्की ने सच मे बहुत ग़लत काम किया है. लेकिन उसको अपने और शिल्पा के बारे मे बताने की, तुम्हे ज़रूरत क्या थी.”
मैं बोला “जब वो मेरे और तुम्हारे रिश्ते के राज को जान चुकी थी तो, मुझे लगा कि वो मेरा सबसे बड़ा राज तो जानती ही है. ऐसे मे उसके ये सब जान लेने से मुझे कोई फरक नही पड़ेगा. यही सोच कर मैने उसे अपने और शिल्पा के बारे मे भी बता दिया था.”
कीर्ति बोली “क्या मेहुल से फिर तुम्हारी इस बारे मे बात हुई.”
मैं बोला “नही, मैं उसको अभी टालता जा रहा हूँ. मैने सोचा पहले तुझसे सलाह कर लूँ. फिर उस से कोई बात करूँ.”
कीर्ति बोली “ये तुमने बिल्कुल ठीक किया. अब ये बताओ निक्की से इस बारे मे आगे, तुम्हारी क्या बात हुई.”
मैं बोला “मैने इस बारे मे अभी तक कोई बात नही की है. उस दिन यदि उसने तुम्हारी कसम नही दी होती तो, शायद आज मेरी उस से बात भी नही हो रही होती. अभी भी जब वो मेरे सामने आती है. मुझे उस पर बहुत गुस्सा आता है.”
कीर्ति बोली “मुझे नही लगता कि, इस बात को बताने के पिछे निक्की का कोई ग़लत मकसद होगा. शायद वो ये सब करके तुम्हारी कोई मदद करना ही चाहती हो.”
मैं बोला “तुम किस मदद की बात कर रही हो. जो बात आज तक मैने किसी को पता नही चलने दी. उसने वो बात सिर्फ़ कुछ ही घंटो मे मेहुल को बता दी. उस ने ये सब कर के मेरे साथ विस्वाशघात किया है.”
कीर्ति बोली “तुम्हारा ये सोचना ग़लत नही है. मगर तुम एक बात क्यो भूल रहे हो. यदि उसे तुम्हारे साथ धोका ही करना होता तो, उस ने मेहुल को हम दोनो के रिश्ते की बात बताई होती. लेकिन उस ने ये बात मेहुल तो क्या, हमेशा उसके साथ रहने वाली प्रिया और रिया से भी छुपा कर रखी है. फिर उसने प्रिया को समझाने मे और अभी जब तुम यहाँ आए हो तब भी तुम्हारी मदद की है. ऐसा तो सिर्फ़ एक सच्चा दोस्त ही कर सकता है.”
कीर्ति की बात मेरे दिमाग़ मे बैठ गयी. मैने उस से पुछा.
मैं बोला “तुम्हे क्या लगता है. निक्की ने ऐसा क्यो किया हो सकता है.”
कीर्ति बोली “अब ये तो वो ही बेहतर बता सकती है. लेकिन जहाँ तक मेरा अंदाज है कि, शायद किसी वजह से, वो मेहुल को ये बताना चाहती हो कि, तुमने मेहुल के लिए कितनी बड़ी कुर्बानी दी है.”
मैं बोला “तेरी ये बात सही भी हो सकती है. वो सच मे हम लोगो की सबसे ज़्यादा मदद कर रही है. लेकिन फिर भी उसे देखते ही मुझे गुस्सा आ जाता है.”
कीर्ति बोली “वो इसलिए कि तुम अब तक उसकी इस ग़लती को भुला नही पा रहे हो. मगर तुम इस बात को सोच कर क्यो नही देखते कि, यदि इस बात मे उसकी ग़लती होती तो, वो उस दिन तुमको मानने के लिए हॉस्पिटल मे नही रुकी होती. वो भी सबके साथ घर चली गयी होती. तुमने तो उस से ये तक जानने की कोशिस नही की होगी, कि उस ने बाकी सब को हॉस्पिटल मे रुकने की क्या वजह बताई है.”
मैं बोला “तेरी ये बात बिल्कुल सही है. ना तो मैने उस से ये सब जानने की कोशिस की थी और ना ही तेरे बोलने से पहले ये बात मेरे दिमाग़ मे आई थी. तुझे क्या लगता है. क्या मुझे उस से इस बारे मे बात करना चाहिए.”
कीर्ति बोली “हाँ तुम्हे उस से भी बात करना चाहिए और मेहुल से भी बात करना चाहिए. नही तो मेहुल को ये लगेगा कि, तुम अभी भी शिल्पा से प्यार करते हो और वो अपने आपको इस सब के लिए दोषी मानेगा.”
मैं बोला “लेकिन मेरी समझ मे ये नही आ रहा कि, मैं मेहुल से इस बारे मे क्या बोलूं. निक्की तो उसे सब कुछ बता चुकी है. अब मैं इस बात को झुठला भी तो नही सकता.”
कीर्ति बोली “तुम्हे ये बात झुठलाने की ज़रूरत भी नही है. जो भी सच है. वो ही बोल दो और आख़िरी मे उसके सामने एक सवाल रख दो कि, यदि तुम्हारी जगह वो खुद होता तो वो क्या करता.”
मैं बोला “लेकिन ये भी तो हो सकता है कि, मेरे ये कहने से उसके और शिल्पा के बीच मे दूरी बढ़ जाए.”
कीर्ति बोली “मेरे पास इसका भी इलाज है. तुम उसके सामने ये बात रख देना कि अब तुम किसी और लड़की से प्यार करते हो. तुम्हारे इतना बोल देने से उसके मन का सारा बोझ उतर जाएगा.”
मैं बोला “ऐसे मे तो, मैं एक और समस्या मे घिर जाउन्गा. वो कहेगा कि, उसे उस लड़की से मिलवाओ. तब मैं वो लड़की कहाँ से लाउन्गा. जो उसके सामने इस बात को माने कि मैं उस से प्यार करता हूँ.”
कीर्ति बोली “ऐसी एक लड़की मेरी नज़र मे है. जो सिर्फ़ इस बात को ही नही मानेगी बल्कि ये भी मान लेगी कि, वो भी तुमसे प्यार करती है.”
मैं बोला “कहीं तुम नितिका की बात तो नही कर रही हो.”
कीर्ति बोली “खबरदार जो दोबारा नितिका का नाम बीच मे लाए. वो पहले ही तुम्हारे पीछे पागल है. मैं तुम्हारे गले से घंटी उतरना चाह रही हूँ और तुम मेरे ही गले मे घंटी बाँधने जा रहे हो.”
मैं बोला “सॉरी, मुझे कोई और समझ मे नही आया तो, मैं उसका नाम ले गया. तुम बताओ तुम्हारी नज़र मे ऐसी कौन सी लड़की है. जो खुशी खुशी ये सब करने को तैयार हो जाएगी.”
कीर्ति बोली “मेरी एक सहेली अंकिता है. वो मेरे साथ कोचिंग क्लासस मे पढ़ती है और सबसे बड़ी बात ये है कि वो मेरे स्कूल की भी नही है. इसलिए उसे कोई नही जानता है. उसे भी एक झूठे बाय्फ्रेंड की तलाश है.”
मैं बोला “मैं समझा नही.”
कीर्ति बोली “उसको उसके बाय्फ्रेंड ने, किसी दूसरी लड़की के लिए छोड़ दिया है. अब वो इस लफडे मे पड़ना नही चाहती है और अपने उस बाय्फ्रेंड को जलाना भी चाहती है. इसलिए वो कोई झूठा बाय्फ्रेंड बनाना चाहती है. उसने ऐसे किसी लड़के बारे मे मुझसे पुछा था. तब मैने उसकी मदद करने की नियत से, तुम्हारा नाम उसके सामने ले दिया और बता दिया था कि, तुम बाहर गये हो. तुम्हारे आते ही मैं उसको तुमसे मिलवा दुगी.”
मैं बोला “कहीं ऐसा ना हो कि, वो ही मेरे गले पड़ जाए.”
कीर्ति बोली “उसके गले पड़ने का कोई चान्स नही है.”
मैं बोला “वो क्यो भला.”
कीर्ति बोली “क्योकि मैने उसे बताया है कि, तुम मेरे बाय्फ्रेंड हो.”
कीर्ति की ये बात सुनते ही मेरे कान खड़े हो गये. मैने उस से कहा.
मैं बोला “तुझे ये सब उस से कहने की क्या ज़रूरत थी.”
कीर्ति बोली “मैं क्या करती. वो मेरे सामने रोज रोज अपने बाय्फ्रेंड की तारीफ किया करती थी. मैं भी उसको बताना चाहती थी कि, मेरा भी कोई बाय्फ्रेंड है और वो मुझसे अपनी जान से भी ज़्यादा प्यार करता है. एक दिन जब मुझसे नही रहा गया तो, मैने उसे ये बात बोल ही दी.”
मैं बोला “तूने ये नही सोचा कि, अगर उसे बाद मे पता चल गया कि, हम दोनो भाई बहन है. तब क्या होगा.”
कीर्ति बोली “अब जो भी होगा, देखा जाएगा. मुझे उस समय जो भी ठीक लगा मैने किया. वैसे भी मैं अपने आज को जी भर कर जीना चाहती हूँ. जितनी खुशी मुझे इस बात को बताने मे मिली है. उतनी खुशी मुझे कभी किसी बात मे नही मिली. मैं अपनी ये खुशी उस कल के लिए नही खोना चाहती थी. जिसमे पता ही नही क्या होने वाला है. इसलिए मैं कल के डर से आज की खुशियों को खोना नही चाहती.”
कीर्ति की इन बातों को सुन कर मेरा दिल भी उसकी बात को मानने को मजबूर हो गया. मैने उस की बात को रखते हुए कहा.
मैं बोला “चल अब जो हुआ, अच्छा हुआ. अब ये बता आगे क्या करना है.”
कीर्ति बोली “हम घर वापस लौटते समय, अंकिता से मिलते हुए चलेगे. अब तुम निक्की से अपनी नाराज़गी को ख़तम कर दो और उसे अपनी सफाई देने का मौका दो.”
मैं बोला “ठीक है, ऐसा ही होगा.”
कीर्ति बोली “जान, मैने भी अभी तुम्हे एक बात अभी नही बताई है.”
मैं बोला “कौन सी बात.”
कीर्ति बोली “पहले तुम बोलो कि, तुम अभी उस बात को लेकर ज़रा भी गुस्सा नही करोगे.”
मैं बोला “नही करूगा. अब बता.”
कीर्ति बोली “उस दिन मैने तुम्हे ये बताया था कि, मौसा जी ने मुझे उनके साथ, ना भेजने की बात पर मौसी जी से झगड़ा किया था. लेकिन मैने ये नही बताया था कि, उन ने मौसी जी के उपर हाथ भी उठाया था.”
मैं बोला “ये बात तो मुझे, सुबह यहाँ आते ही, अमि निमी से पता चल गयी है. मगर तुझे ये बात मुझे, उसी दिन बता देना चाहिए थी.”
कीर्ति बोली “कैसे बताती जान, मौसी जी ने तुम्हारे वापस आने तक, तुम्हे इस बारे मे बताने को मना किया था. वो नही चाहती थी कि, उनकी वजह से, तुम्हारे और मौसा जी के बीच मे कोई झगड़ा बढ़े.”
मैं बोला “झगड़ा तो अब बढ़ना ही है. लेकिन उनकी ये गिरी हुई हरकतें, वहाँ भी चालू है. अब वो वहाँ पर शायद, रिया को अपने जाल मे फसाना चाहते है.”
कीर्ति बोली “ये क्या बोल रहे हो जान, वहाँ मौसा जी ने ऐसा क्या कर दिया.”
कीर्ति की इस बात पर मैं उसे पापा के रिया लोगों के साथ, मुंबई घूमने से लाकर डिन्नर और फिर रिया के साथ किसी काम से जाने की बात को बताता चला गया. जिसे सुन ने के बाद कीर्ति ने कहा.
कीर्ति बोली “जान हो सकता है की, तुम्हारा सोचना ग़लत हो. उनके मन मे ऐसा कुछ भी ना हो.”
मैं बोला “अब मैं उनको और उनकी हरकतों को अच्छे से समझ चुका हूँ और मैं जितना उनको समझा हूँ. उस से तो मुझे यही लग रहा है कि, वो रिया को अपने साँचे मे ढालना चाहते है.”
कीर्ति बोली “यदि ऐसा है भी, तब भी रिया इतनी सीधी तो नही है कि, मौसा जी के इरादों को ना समझ सके.”
मैं बोला “तेरी ये बात सही है. लेकिन मुझे पापा की ये हरकत पसंद नही आ रही है. रिया के घर वाले हमारे उपर इतना विस्वास करते है. कहीं पापा की ये हरकत हम लोगों को उनकी नज़रों मे गिरा ना दे.”
कीर्ति बोली “मुझे नही लगता कि, मौसा जी ऐसा कुछ करेगे. उन्हे भी अपनी इज़्ज़त की चिंता होगी. वो जो कुछ भी करेगे, बहुत सोच समझ कर करेगे. यदि वो रिया के साथ कोई हरकत करते भी है तो, उसमे रिया की भी सहमति ज़रूर रहेगी. इसलिए इस बात को लेकर, तुम्हे ज़रा भी शर्मिंदा होने की ज़रूरत नही है.”
मैं बोला “तेरी ये बात भी सही है. फिर भी मुझे ये सब, ठीक नही लग रहा है. मैं उनकी इस हरकत को रोकना चाहता हूँ.”
कीर्ति बोली “यदि तुम ऐसा ही करना चाहते हो जान, तो मेरे पास इस सब को रोकने का एक रास्ता है. जिस से तुम उनकी इस हरकत को रोक सकते हो. लेकिन शायद तुम ऐसा ना कर सको.”
मैं बोला “तू बोल तो सही. मैं देखता हूँ कि, मैं ऐसा कर सकता हू, या नही कर सकता.”
कीर्ति बोली “जान ये तो हम जानते है कि, वहाँ पर रिया प्रिया और निक्की ये 3 लड़कियाँ है. जिन पर मौसा जी की बुरी नज़र हो सकती है. अब जहाँ तक मैं समझती हूँ कि, प्रिया और निक्की से तुम जो कुछ भी बोलोगे. वो लोग बिना सवाल किए मान लेगी. अब सिर्फ़ रिया बचती है. जिसके उपर मौसा जी की नज़र है. तब तुम ऐसा करो कि, उसको मौसा जी की नियत से सावधान कर दो. शायद वो तुम्हारी बात को समझ सके.”
मैं बोला “क्या मेरा पापा के खिलाफ ये सब बोलना ठीक रहेगा. इस से मेरी इज़्ज़त पर फरक नही पड़ेगा.”
कीर्ति बोली “जान ये सब मत सोचो. इस सब को सोचने से कोई फ़ायदा नही है. क्योकि यदि मौसा जी वो सब करते है. जो तुम सोच रहे हो. तब भी तो तुम्हारी इज़्ज़त पर फरक पड़ना ही है. जबकि ऐसा करके तो तुम उन लोगों को आने वाले ख़तरे से आगाह कर रहे हो. वो लोग यदि तुम्हे अपने घर की तरह ही मान रहे है. तब तुम भी उन्हे, अपना समझ कर ये बात बता रहे हो.”
मैं बोला “क्या मुझे तीनो को ये बात बोलना होगी या सिर्फ़ रिया को बोलना है.”
कीर्ति बोली “तुम रिया को सारी सच्चाई बता दो. हाँ निक्की और प्रिया को चाहो तो, किसी और तरीके से मौसा जी से दूर रहने के लिए बोल दो. लेकिन तुमको ये बात तीनो से ही बोलना पड़ेगी. क्योकि हो सकता है कि, वो मौसा जी को रिया के पास अपनी दाल ग़लती ना दिखे तो, वो निक्की या प्रिया को दाना डालने लगे.”
मैं बोला “तेरा कहना ठीक है. अब मुझे उस आदमी का कोई भरोसा नही है. क्या पता कब कौन सी गिरी हुई हरकत कर जाए. मैं रिया प्रिया और निक्की तीनो को ही सावधान कर दूँगा. इसके बाद उनकी मर्ज़ी. वो जो ठीक समझे करे.”
कीर्ति बोली “जानणन्न्.”
मैं बोला “हाँ, बोल ना क्या बोलना है.”
कीर्ति बोली “तुम्हारी ये सारी बातें अब हो चुकी है या अभी भी कोई बात बाकी है.”
मैं बोला “क्यो, क्या तुझे वापस चलना है.”
कीर्ति बोली “नही मुझे वापस नही जाना है. लेकिन यदि हम ये ही सब बातें करते रहेगे तो, फिर अपनी बातें कब करेगे.”
मैं बोला “तू बोल तो सही रही है. मगर अभी एक सबसे ज़रूरी बात बाकी रह गयी है.”
कीर्ति बोली “तो फिर जल्दी से उसे भी बोल डालो और इन बातों को ख़तम करो.”
मैं बोला “मुझे समझ मे नही आ रहा कि, वो बात तुझसे किस तरह बोलूं. पता नही उसको सुन कर तू क्या मतलब निकाले.”
कीर्ति बोली “जान तुम चिंता मत करो. मैं तुम्हारी किसी बात का, कोई ग़लत मतलब नही निकालुगी. अब तुम बेफिकर होकर अपनी बात कहो.”
मैं बोला “ठीक है, तो सुन. ये बात राज और रिया के घर से जुड़ी है. उनके दादा जी एक दिन मेरे पास आकर मुझसे बातों बातों मे बोले की, पिच्छले कुछ समय से मेरी बहू की तबीयत ठीक नही रहती है. मुझे उसके इलाज के लिए तुम्हारी मदद की ज़रूरत है. उनकी इस बात पर मैने उन से कहा कि, आपको मुझे क्या मदद चाहिए, आप मुझे बताइए. मैं आंटी के इलाज के लिए आपकी हर मदद करूगा. तब उन ने मुझसे आंटी के साथ सेक्स करने को कहा.”
मेरा इतना बोलना था कि, कीर्ति गुस्से से लाल हो गयी और दादा जी को उल्टा सीधा बोलने लगी.
कीर्ति बोली “क्या वो बूढ़ा सठिया गया है. तुमसे ऐसी बात करते हुए, उसे क्या अपनी उमर का भी ख़याल नही आया. जो इतनी गिरी हुई बात तुमसे बिना किसी शरम के कह गया. लानत है ऐसे ससुर पर, जो अपनी बहू को किसी और के साथ सेक्स करवाना चाहता है. वो भी उस औरत के, बेटे की उमर के लड़के के साथ. ऐसे बुड्ढे को तो मर जाना चाहिए. थू,”
मेरी पूरी बात सुने बिना ही, कीर्ति को यूँ भड़कते देख, मैने उसे समझाने की कोशिश करते हुए कहा.
मैं बोला “तुझे इतना भड़कने की ज़रूरत नही है. पहले मेरी पूरी बात तो सुन.”
लेकिन कीर्ति पर तो गुस्से का भूत सवार हो चुका था. उसने मुझे मेरी बात पूरी बोलने ही नही दी, और उल्टे मुझ पर ही आग बाबूला होकर अपनी भडास निकालने लगी.
कीर्ति बोली “तुम्हारे बदन मे इतनी ही आग लगी है तो, मैं कोई मर नही गयी हूँ. मैं अभी उस आग को बुझाने के लिए जिंदा बैठी हूँ. लेकिन यदि तुमने किसी और के साथ सेक्स करने के बारे मे सोचा भी तो, मैं तुम्हारा खून पी जाउन्गी. कान खोल कर सुन लो. यदि दोबारा ऐसी बात तुम्हारे मूह से निकली तो, मुझसे बुरा कोई और नही होगा.”
कीर्ति का ये रूप देख कर और उसकी बातें सुन कर तो, मेरे होश ही उड़ गये थे. मुझे इस बात का तो पहले से अंदाज़ा था की, कीर्ति इस बात को सुन कर गुस्सा कर सकती है और दादा जी को भला बुरा भी बोल सकती है.
लेकिन इस बात का अंदाज़ा नही था कि, वो इतना ज़्यादा गुस्से मे आ जाएगी कि, मुझे भी उल्टा सीधा बकने लगेगी. ये सब देख और सुन कर तो मेरी बोलती ही बंद हो गयी थी और मैं इस बात को, अभी इस वक्त करने के लिए, अपने आपको मन ही मन कोस रहा था.
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