MmsBee कोई तो रोक लो
09-09-2020, 01:00 PM,
#44
RE: MmsBee कोई तो रोक लो
37

अब तय हुआ कि 3 दिन बाद हम लोग मुंबई के लिए निकलेगे. आंटी थोड़ा परेशान थी मगर अब उनका रोना बंद हो चुका था और वो स्तिथि से समझौता कर चुकी थी. कोई नही जानता था कि आगे क्या होने वाला है. सब के मन मे एक अंजाना सा भय घर कर गया था. फिलहाल तो सब को सिर्फ़ हमारे मुंबई जाने की तैयारी की पड़ी थी.

आंटी के घर से आने के बाद छोटी माँ जहाँ मुझे समझाती रही वही अमि निमी का चेहरा उतरा हुआ था. मैं पहली बार उनकी नज़रो से दूर जा रहा था. उन्हे मेरा जाना अच्छा नही लग रहा था. वो नही चाहती थी कि मैं मुंबई जाउ. उनकी हालत को मैं समझ सकता था. मैने और छोटी माँ ने मिल कर किसी तरह उन्हे तैयार कर लिया. रात को पापा आए तो उन्होने छोटी माँ को कहा कि मैने पुन्नू के खाते मे पैसे डाल दिए है. उसे और ज़रूरत पड़े तो बोल देगा मैं और पैसे डाल दूँगा. एक तरह से पापा ने अंकल के इलाज मे कोई कमी ना हो इसका इंतेजाम कर दिया था.

रात को मेरी कीर्ति से बात हुई. वो भी मेरे जाने से उदास सी लग रही थी मगर वो अमि निमी की तरह अपनी उदासी को जाहिर नही कर रही थी. उसकी बातों मे एक अजीब सा दर्द था और उसकी बातों से मुझे उसकी उदासी महसूस हो रही थी और मेरा दिल बैठा जा रहा था. शायद कीर्ति को भी मेरी इस हालत का अंदाज़ा मेरी बातों से हो गया और वो बनावटी हँसी हंसते हुए बोली.

कीर्ति बोली "तू तो ऐसे बात कर रहा है जैसे कि मुंबई कुछ दीनो के लिए नही बल्कि हमेशा के लिए जा रहा हो. अरे हंसते हंसते जा और हंसते वापस आ."

मैं बोला "हाँ तुझे तो मेरे जाने से बहुत खुशी हो रही है मगर मुझे ज़रा भी खुशी नही है."

कीर्ति मुझे बहलाते हुए बोली "ये सब यहा की बातें है. वहाँ तो तुझे पहुचते ही रिया मिल जाएगी फिर तो तेरा वापस आने का मन ही नही होगा. इसलिए अब ये मूह फुलाने का नाटक बंद कर दे."

कीर्ति की बातों से ना जाने क्यों मुझे गुस्सा आ गया और इसी गुस्से मे मैने कॉल काट दिया. कीर्ति ने मुझे दो तीन बार कॉल लगाया पर मैने नही उठाया. तब उसने मुझे एक एसएमएस किया.

कीर्ति का एसएमएस
"मेरी किसी ख़ाता पर नाराज़ ना होना,
अपनी प्यारी सी मुस्कान कभी ना खोना,
सुकून मिलता है देखकर मुस्कुराहट तुम्हारी,
मुझे मौत भी आए तो भी मत रोना."

इसके बाद कीर्ति ने मुझे फिर कॉल लगाया लेकिन मैने नही उठाया तो उसने फिर एसएमएस किया.

कीर्ति का एसएमएस
"तुम रूठ जाओ मुझ से ऐसा कभी ना करना,
मैं एक नज़र को तरसूं ऐसा कभी ना करना,
मैं पूछ पूछ हारू सौ सौ सवाल कर के,
तुम कुछ जवाब ना दो ऐसा कभी ना करना."

मगर इसके बाद भी ना तो मैने उसके एसएमएस का कोई जबाब दिया और ना ही उसे कॉल लगाया. तब उसने फिर एसएमएस किया.

कीर्ति का एसएमएस "मेरा कॉल उठाओ नही तो मैं अपने आप को कुछ कर लूँगी."

एसएमएस करने के बाद उसने दो तीन बार फिर कॉल लगाया मगर मैने नही उठाया तो उसने फिर मुझे एसएमएस किया.

कीर्ति का एसएमएस
"रात गहरी है डर भी सकते है,
हम जो कहते है कर भी सकते है,
रूठने से पहले बस इतना सोच लेना,
हम तो पागल है मर भी सकते है."

कीर्ति का ये एसएमएस देख कर मैने गुस्से मे उसे कॉल लगा दिया.

मैं बोला "अब तुम्हे क्या परेशानी है. ये फालतू की बकवास क्यों कर रही हो."

मगर कीर्ति का गुस्सा अब सातवें आसमान पर था.

कीर्ति बोली "तुमने मेरा कॉल क्यों काटा."

मेरा गुस्सा कीर्ति को गुस्से मे देख कर शांत पड़ गया और मैने उस से झूठ कह दिया.

मैं बोला "मैने नही काटा था वो अपने आप कट गया था."

कीर्ति बोली "यदि अपने आप कट गया था तो फिर जब मैं कॉल लगा रही थी और एसएमएस कर रही थी तो क्यों नही उठाया."

मैं बोला "मैं गुस्से मे था."

कीर्ति बोली "तो अब गुस्सा शांत हो गया."

मैं बोला "हाँ."

कीर्ति बोली "क्यों शांत हो गया."

मैं बोला "क्योंकि तुम्हे गुस्सा आ गया था इसलिए."

मेरी बात सुन कर कीर्ति को हँसी आ गयी और उसे हंसते देख कर मुझे भी हँसी आ गयी.

कीर्ति बोली "तुम्हे मेरे गुस्से से डर लगता है."

मैं बोला "हाँ."

कीर्ति बोली "क्यों.?"

मैं बोला "क्योंकि मुझे तुम्हारी तरह मनाना नही आता."

मेरी बात सुनकर वो फिर हँसने लगी और उसकी हँसी मे मेरे दिल का सारा बोझ उतर गया.

मैं बोला "मुझे ना जाने मुंबई मे कितने दिन लग जाएँगे. क्या कल तुम कही घूम ने चलोगि."

कीर्ति बोली "हाँ बिल्कुल चलूगी मगर मेरी दो शर्त है."

मैं बोला "कैसी शर्त."

कीर्ति बोली "पहली तो ये कि आज के बाद तुम कभी मेरा कॉल इस तरह से नही काटोगे और चाहे तुम कितना भी गुस्सा क्यों ना रहो लेकिन मेरा कॉल उठाओगे."

मैं बोला "ठीक है आज के बाद कभी ऐसा नही होगा. अब दूसरी शर्त बोलो."

कीर्ति बोली "कल किसी ऐसी जगह चलो जहाँ हम आराम से बैठ कर ढेर सारी बात कर सके और हमें टोकने वाला कोई ना हो."

मैं बोला "ठीक है तो कल हम उसी वॉटरफॉल पर चलते है जहाँ पिक्निक पर गये थे. वो बहुत शांत है और वहाँ ज़्यादा भीड़ भाड़ भी नही रहती."

कीर्ति बोली "हाँ वो जगह ठीक रहेगी मगर घर मे क्या कहेगे."

मैं बोला "किसी से कुछ कहने की ज़रूरत नही है. हम स्कूल टाइम पर चलेगे और स्कूल टाइम पर ही वापस आ जाएँगे. किसी को कुछ पता ही नही चलेगा. लेकिन तुम घर मे इतना ज़रूर कह देना कि
तुम्हे स्कूल से आने मे देर हो जाएगी और हो सके तो नितिका से भी कुछ बहाना बना देना ताकि वो तुम्हे स्कूल मे ना पाकर घर फोन ना लगाए."

कीर्ति बोली "मुझे इतनी समझ है. मुझे कुछ मत समझाओ. तुम तो बस अपनी सोचो कि तुम्हे किस से क्या कहना है क्योंकि जो भी परेशानी आती है तुम्हारी तरफ से ही आती है."

मैं बोला "मेरी तरफ से कोई परेशानी नही आएगी."

इसके बाद हम लोगों मे कुछ देर इधर उधर की बातें होती रही. रात को 1 बजे हम ने एक दूसरे को गुड नाइट कहा और सो गये.

सुबह मेरी नींद कुछ देर से खुली. मैने टाइम देखा तो 6:45 बज चुके थे. मुझे कीर्ति से 7:30 बजे मिलना था. मैं जल्दी जल्दी तैयार हुआ मगर मुझे घर से निकलते निकलते ही 7:30 बज गये थे.
मैं जल्द से जल्द कीर्ति के पास पहुचना चाहता था इसलिए मैं बिना नाश्ता किए ही घर से निकल गया.

मैं 15 मिनिट देर से कीर्ति के पास पहुचा. आज उसने ऑरेंज कलर की स्लीव्ले शॉर्ट कुरती और ब्लॅक लेग्गी पहनी थी. उसमे वह बहुत सुंदर लग रही थी. मुझे देख कर कीर्ति बोली कि वो मेरा बहुत देर से इंतजार कर रही है. मैने उसे सॉरी बोला और उसकी स्कूटी पार्किंग मे लगाने के बाद हम लोग वॉटरफॉल के लिए निकल पड़े. वॉटरफॉल तक हमें पहुचने के लिए लगभग 1 घंटे का सफ़र तय करना था. मैं चुप चाप बाइक चला रहा था. कीर्ति भी चुप थी.

बहुत देर तक हम दोनो यू ही खामोशी के साथ चलते रहे. जब हम सिटी के बाहर निकल आए और रास्ते आने जाने वाली गाड़ियों की तादाद कम हो गयी तब कीर्ति ने मुझसे कहा.

कीर्ति बोली "आज मुझे बाइक नही चलाने दोगे."

मैं बोला "अभी रास्ता खराब है. कुछ देर बाद चला लेना."

फिर हम खामोशी से आगे बढ़ने लगे. कुछ देर बाद रास्ता सही आ गया तो कीर्ति ने फिर मुझसे कहा.

कीर्ति बोली "अब तो रास्ता सही आ गया है. अब तो मुझे बाइक चलाने दो."

उसकी बात सुनकर मैने बाइक रोक दी और मैं पीछे बैठ गया और कीर्ति बाइक चलाने लगी. लेकिन बाइक चलाते चलाते कीर्ति को शरारत सूझी और उसने बाइक की स्पीड बढ़ा दी.

मैं बोला "बाइक धीरे चलाओ. बड़ी गाडिया तेज़ी से निकल रही है."

कीर्ति ने बाइक की गति कुछ कम की मगर सिर्फ़ कुछ देर के लिए. थोड़ी देर बाद उसने फिर गति बढ़ा दी.

मैं फिर बोला "स्पीड कम करो."

कीर्ति बोली "मुझे इतने धीरे चलाने मे मज़ा नही आता है. तुम चुप चाप बैठो. कुछ नही होगा."

ये कह कर उसने स्पीड और बढ़ा दी.

मैं बोला "देखो अगर तुम्हे बाइक धीरे नही चलानी है तो तुम बाइक मुझे चलाने दो."

कीर्ति बोली "तुम्हे डर लग रहा है तो मुझे पकड़ कर बैठ जाओ क्योंकि अब बाइक मैं ही चलाउन्गी और ऐसे ही चलाउन्गी."

उसके तेज गति से बाइक चलाने से मुझे सच मे डर लग रहा था की कही कोई आक्सिडेंट ना हो जाए. इसलिए मैने अपने दोनो हाथ आगे किए और बाइक के हॅंडल से कीर्ति के हाथ अलग कर हॅंडल अपने हाथो मे ले लिया और बाइक की स्पीड कम कर दी. अब मैं हॅंडल संभाला था मगर कीर्ति के पैर अभी भी गियर और ब्रेक पर जमे हुए थे. वो कुछ देर तक तो हॅंडल अपने हाथों मे लेने की कोशिश करती रही. लेकिन जब मैने उसे ऐसा नही करने दिया तो वो कभी गियर बदलने लगी, तो कभी ब्रेक दबा कर छोड़ने लगी. जिससे बाइक झटके खाने लगी.

मैने उसे ऐसा करने से मना किया मगर जब वो नही मानी. तब मैने उसके पैर ब्रेक और कलिच से अलग कर अपने पैर जमा लिए. अब कीर्ति सिर्फ़ आगे बैठी थी और मैं बाइक चला रहा था. इस तरह बाइक चलाने मे मुझे परेशानी भी हो रही थी और अच्छा भी लग रहा था. एक तरह से कीर्ति मेरे से सीने से लगी हुई थी. जिस वजह से मेरे सीने की धड़कने बढ़ गयी थी. जिसका अहसास कीर्ति को भी हो रहा था. क्योंकि उसकी पीठ मेरे सीने से सटी हुई थी.

मैं अपने आपको उससे दूर रखने की भरपूर कोशिश कर रहा था. लेकिन बाइक चलाने के लिए मुझे आगे की तरफ झुकना पड़ रहा था. जिस वजह से कीर्ति को भी कुछ झुकना पड़ा था. पहले तो वो थोड़ा आगे की तरफ झुकी हुई थी मगर जब उसने मेरी बढ़ी हुई धड़कनो को सुना तो उसे फिर से शरारत सूझ गयी.

कीर्ति ने अपनी पीठ को पीछे कर बिल्कुल मेरे सीने से चिपका दिया. उसकी इस हरकत ने मेरे रहे सहे होश भी उड़ा दिए. मेरा दिल मुझे मेरे सीने से बाहर निकलता महसूस होने लगा. जब मुझसे नही रहा गया तो मुझे कीर्ति से बोलना पड़ा.

मैं बोला "क्या कर रही. ठीक से बैठ ना."

कीर्ति बोली "ठीक से ही तो बैठी हूँ और कैसे बैठूं."

मैं बोला "थोड़ा आगे खिसक कर बैठ. मुझे बाइक चलने मे परेशानी हो रही है."

कीर्ति बोली "और कितना आगे खिसक कर बैठू. क्या पेट्रोल की टंकी पर जाकर बैठ जाउ."

मैं बोला "देख फालतू की बक बक मत कर. तू पीछे आकर बैठ और मुझे बाइक चलाने दे."

कीर्ति बोली "मैं तुझे बाइक चलाने से कहाँ रोक रही हूँ. तुझे बाइक चलाना है तो ऐसे ही चला क्योंकि बाइक चाहे मैं चलाऊ या तू चला पर मैं तो आगे ही बैठुगी. अब ये फ़ैसला तू कर कि बाइक किसे चलानी है."

मैं बोला "ओके बाइक तू ही चला पर ज़रा धीरे चला. नही तो आक्सिडेंट हो सकता है."

कीर्ति ने कुछ देर कुछ सोचती रही फिर मुस्कुराते हुए बोली.

कीर्ति बोली "ठीक है मैं अब धीरे बाइक चलाउन्गी."

तब मैने उसे बाइक चलाने दी. फिर वो सारे रास्ते भर आराम से बाइक चलाती रही मगर बीच बीच मे ब्रेक लगा लगा कर शरारत भी करती रही और इसी तरह हम लोग वॉटरफॉल तक पहुच गये.

वहाँ पहुच कर हम लोग झरने के पास जाकर बैठ गये. कुछ देर तक हमारी यहाँ वहाँ की बातें होती रही. मैने कीर्ति से कहा.

मैं बोला "यार मुझे तो अब भूक लग रही है. देर से उठने की वजह से मैं नाश्ता भी नही कर पाया."

कीर्ति बोली "ये तो तेरे देर से उठने की सज़ा है. अब भूके बैठो रहो. हम तो यहाँ से 1 बजे के बाद ही निकलेगे."

मैने कहा "तू तो घर से नाश्ता करके निकली है. तुझे क्या फ़र्क पड़ेगा चाहे 1 बजे या 4 बजे. लेकिन मेरी तो सोच. मैने तो कल रात से खाना नही खाया."

कीर्ति बोली "यदि तुझे यहाँ कुछ खाने को मिल जाए तो ले आ मगर यहाँ से जाने की बात मत करना."

मैं बोला "यहाँ कहाँ कुछ खाने को मिलेगा. हमें यहाँ से कही खाने के लिए चलना चाहिए."

कीर्ति बोली "मैं तो यहाँ से नही जाने वाली. तुझे जाना है तो तू जा."

मैं बोला "ठीक है तुझे मेरा भूका रहना पसंद है तो यही सही. तेरी खुशी के लिए मैं भूका भी रह लुगा."

कीर्ति बोली "चल अब ज़्यादा नौटंकी करना बंद कर दे. मैं तेरी किसी नौटंकी मे फँसाने वाली नही हूँ. मैने कह दिया कि मैं 1 के पहले यहाँ से नही जाउन्गी तो मतलब नही जाउन्गी."

मैं बोला "तेरे चक्कर मे एक तो मेरी नींद पूरी नही हो पाती है और अब पेट भर खाना भी नसीब नही हो रहा है."

कीर्ति बोली "क्यों तेरी नींद पूरी क्यों नही होती. मैं तो रात को सिर्फ़ 1 या 1:30 बजे तक ही बात करती हूँ. उसके बाद तू किस से बात करता है."

मैं बोला "अरे रात को 1:30 बजे तू बात करना बंद करती है और मुझे नींद आते आते 2 बज जाता है और फिर सुबह 6 बजे से निमी जगाना सुरू कर देती है. अब भला 4 घंटे मे सोने मे कही नींद पूरी होती है. मुझे तो ये समझ मे नही आता कि तू कैसे रात को 1:30 बजे तक बात करने के बाद सुबह 6 बजे उठ जाती है और तेरी नींद भी पूरी हो जाती है."

कीर्ति बोली "वो ऐसे पूरी हो जाती है क्योंकि मैं स्कूल से आने के बाद खाना खा कर आराम से सो जाती हूँ ताकि रात को तुझसे बात करते समय मुझे नींद ना आए."

मैं बोला "गयी भैस पानी मे."

कीर्ति बोली "क्यों क्या हो गया."

मैं बोला "मैं तो समझ रहा था कि मेरी तरह तेरी भी नींद पूरी नही हो पा रही होगी मगर यहाँ तो पेट भर खाया जा रहा है और नींद भर सोया जा रहा है."

कीर्ति बोली "तो तुझे सोने से किसने मना किया है."

मैं बोला "अरे रात को 11 बजे मेरे सोने का समय सुरू होता है तो रात के 11 बजे तेरे बात करने का समय सुरू होता है फिर भला मैं कैसे सो सकता हूँ."

कीर्ति बोली "क्यों क्या तू मेरी तरह दिन मे नही सो सकता."

मैं बोला "मेरी दिन मे सोने की आदत नही है. तू दिन मे ही क्यों बात नही कर लेती. क्या रात को ही बात करना ज़रूरी है."

कीर्ति बोली "अरे जब तू मेरे लिए अपनी आदत नही बदल सकता तो मैं तेरे लिए अपनी आदत क्यों बदलू. वैसे भी मैं रात को जब तक तुझसे बात नही कर लेती मुझे नींद नही आती."

मैं बोला "ठीक है आज मैं दिन मैं सोया करूगा और रात को तुझसे बात किया करूगा."

कीर्ति बोली "गुड. ये हुई ना अच्छे बच्चो वाली बात. अब मुझे लगता है कि तू सुधर गया है."

मैं बोला "तुझे दिन मे मेरे सोने से परेशानी तो नही होगी ना."

कीर्ति बोली "तेरे दिन मे सोने से मुझे क्यों परेशानी होने लगी. मेरे तो बात करने का समय रात का है."

मैं बोला "अच्छे से सोच ले फिर बोलना. बाद मे अपनी बात से मुकरना मत."

कीर्ति बोली "हाँ सोच लिया. मैं अपनी बात से नही मुकुरुँगी."

मैं बोला "तो ठीक है. अब मेरे सोने का समय है. हम लोग रात को बात करेंगे."

ये कह कर मैने कीर्ति की गोद मे अपना सर रखा और आँख बंद करके लेट गया. उसकी गोद मे सर रख कर लेटने से मुझे अजीब ही तरह का सुकून मिला और मैं यू ही सर रख कर लेटा रहा. कुछ देर तक तो कीर्ति मुझसे बात करती रही पर जब मैं बिना कोई जबाब दिए यू ही उसकी गोद मे सर रख कर लेटा रहा. तब फिर वो मेरा सर अलग कर मुझे उठाने की कोशिश करने लगी. लेकिन मैं आँख बंद कर आराम से लेटा रहा.
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RE: MmsBee कोई तो रोक लो - by desiaks - 09-09-2020, 01:00 PM
(कोई तो रोक लो) - by Kprkpr - 07-28-2023, 09:14 AM

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