SexBaba Kahani लाल हवेली
06-02-2020, 02:23 PM,
#87
RE: SexBaba Kahani लाल हवेली
"ऐ...।" उसने दरवाजे के करीब खड़े कैदी से कहा-"उसे बुला..."

"किसे...उसे?"

"अबे उसे नहीं...वो जो पुलिस की वर्दी पहने

"अच्छा...दरोगा जी को...अरे ऐई दारोगा साहेब...इधर आवा!"

___ सतीश मेहरा उठकर निकट पहुंचा। तब उसने गौर से राज को देखा।

धीरे-धीरे उसकी आंखें हैरत से फैलती चली गईं। वह कुछ कहने ही वाला था कि राज ने तुरन्त बायीं पलक दबाकर उसे इशारा किया। फिर बोला "चलो...तुम्हें बड़े साहब ने बुलाया है।" कहते हुए उसने चाबियों का गुच्छा निकालकर बैरकका ताला खोलने का प्रयास शुरू कर दिया।

चौथी चाबी ताले में लग गई। उसने फुर्ती से दरवाजा खोलकर सतीश को बाहर निकाला और उसे लेकर यूरीनल वाली साइड से बाहर निकल आया। बीच में सतीश ने बोलने की कोशिश की मगर राज ने उसे खामोश रहने का इशारा कर दिया। बैरीकेटिंग पार करते समय अनायास ही सतीश की पीठ के घाव में बैरीकेटिंग का नुकीला कांटा लग जाने से उसके मुख से तीखी कराहसी निकल गई। उसे पहरे वाले गार्ड ने सुन लिया।

"कौन है उधर...!" गार्ड दौड़कर आगे आता हुआ चिल्लाकर बोला-"ठहर जाओ वरना गोली मार दूंगा...।"

बाहर अंधेरेमें पोजीशन लिए बैठे जय ने देखा कि राज और सतीश दोनों ही उस गार्ड की ए. के. 47 रायफल के निशाने पर थे।

वह फायर करने चा रहा था कि जय ने ट्रेगर पर उंगली दबा दी।

तड़-तड़-तड़ की ध्वनि के साथ ही गार्ड दो-तीन झटके खाकर वहीं ढेर हो गया। उसकी ए. के. 47 से सिर्फ एक फायर हो सका था वो भी ट्रेगर दबते वक्तगन की बैरल आसमान की तरफ थी। गोली हवा को चीरती हुई ऊपर निकलती चली गई। उसके साथ ही भगदड़ मच गई।

सायरन गूंज उठा। यूं लगा जैसे हवाई हमला शुरूर हो गया हो।


सतीश मेहरा पूरी शक्ति लगाकर दौड़ रहा था। वह दूसरी बार उन आतकंवादियों की गिरफ्त में आना नहीं चाहता था। उसके पीछे था राज और राज के पीछे जय। उस अड्डे पर आदमियों की कोई कमी नहीं थी। वे सभी भाड़े के सैनिक थे...ट्रेनिंगशुदा भाड़े के सैनिका वहां उन्हें अतिरिक्त ट्रेनिंग दी जा रही थी। उनसे बच पाना नामुमकिन था। लेकिन! राज ने जो जाल बिछाया था वह भी कम नहीं था। एक रिमोट उसके हाथ में आ गया। दूसरा जय को पहले जय ने बटन दबाना आरंभ किया।

पीछे-दौडते कितने ही गार्ड लगातार होने वाले तीन-चार विस्फोटों के जाल में फंस गए।

आकाश की ऊंचाइयों में विस्फोट के साथ ही आग औरधुआंउमड़ता घुमड़ता चला गया। उसके बीच अनगिनत शरीरों के टुकड़े उड़ते चले गए।

राज ने तेजी से सतीश मेहरा को कवर किया-"मेरे साथ रहो सतीश...अलग-थलग भागने से खतरे में फंस जाओगे।"

"ऐसा क्यों?"

"इसलिए कि हम लोगों को उन बमों की स्थिति मालूम है जो हमने लगाए हैं। तुम्हें नहीं। मालूम इसलिए तुम उस क्षेत्र में फंसकर घायल हो सकते हो।"

"ओ. के! मैं समझ गया।"


"इधर से आओ।" सतीश राज के साथ-साथ दौड़ने लगा।

जय तबाही मचाता चल रहा था। उसका रिमोट फुर्ती से काम करता जा रहा था।

विस्फोटों का तांता लगा हुआ था।

आई. एस. आई. की उस यूनिट में हाहाकर मच गया था। यूनिट के कार्यकर्ता अपने दुश्मनों को पकड़ने उनके पीछे दौड़ने के बारे में भूलकर अपनी सुरक्षा के लिए इधर-उधर छिपने लगे।

राज ने सोचा था कि जो दो बम वह भूमिगत गोला-बारूद के स्टोर में लगा आया था, उन्हें वह सबसे बाद में चलाएगा। मगर जय के एक बम ने उस्मान बिल्लोच वाली बिल्डिंग को भी अपने लपेटे में ले लिया।

बस! वहीं अनर्थ हो गया।

बारूद के ढेर को चिंगारी लग गई और बारूद सुलग उठा।

फिर क्या था। जैसे लंका दहन आरंभ हो गया हो। विस्फोटों का न रुकने वाला क्रम जारी हो गया। जमीन थर्रा उठी। आकाश आग के शोलों से पट गया। ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे लाल हवेली टापू का अस्तित्व समाप्त होने जा रहा था। टापू में आग और धुआ उबलता हुआ मलवा राज सतीश और जय को जला रहा था।

जहां बोट छिपायी थी वहां तक पहुंच पाना मुश्किल हो रहा था।

जब भी वह पीछे पलटकर देखता, उसे लपटें और अधिक ऊंची होती दिखाई देतीं।
फिर!

तब जब वह मोटरबोट पर पहुंचा, उसे लगा नया जीवन मिल गया हो उस। मोटरबोट का इंजन चालू करके उसने पूरी रफ्तार दे दी।

मोटरबोट तोप से छूटे गोले की भाति निकल भागी। समुद्र में भी दूर-दूर तक शोले उछल रहे थे। मोटरबोट समुद्र की लहरों को रौंदती हुई तेजी से स्टीमर की ओर बढ़ी चली जा रही थी।

राज ने सतीश मेहरा को उसकी बहन से मिलवा दिया।

डॉली भाई से चिपटकर खूब रोई। भाई के मिलने की खुशी में उसके आंसू थम ही नहीं रहे थे। जय को राज ने बाकी हालात जानने को भेज दिया था।
शोलों से वह कुछ अधिक ही जल गया था इसलिए उसकी मरहम पट्टी भी जरूरी थी।

__ "तुम लाल हवेली की बाबत हैडक्वार्टर रिपोर्ट कर दो सतीश...।" राज सिगरेट सुलगाता हुआ बोला-"बताना कि तुम्हें किस तरह उस्मान अली के बनाए पाकिस्तानी अड्डे में कैद रखा गया था। तुम कहनाकि तुम उनके बारूद में आग लगाकर किसी तरह बच निकले। मेरा या जय का नाम लेने की जरूरत नहीं है।"

"क्यों तपन भाई?"

"उसकी वजह है...मैं बाद में बता दूंगा।"

"लेकिन क्या वजह है?"

"कहां न बाद में बता दूंगा।"

सतीश चला गया।

उसके जाते ही राज उसके पीछे-पीछे चल पड़ा। एक हाथ से कार ड्राइव करते हुए उसने मोबाइल निकालकर जोगलेकर से सम्पर्क स्थापित किया।

"जोगलेकर...।"

"हां...मैं बोल रहा हूं लायन साहब।"

"आवाज पहचान ली?"

"आपकी आवाज तो सपने में भी पहचान लूंगा।"
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RE: SexBaba Kahani लाल हवेली - by hotaks - 06-02-2020, 02:23 PM

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