RE: SexBaba Kahani लाल हवेली
इस बीच राज अपने-आपको संभाल चुका था। उसने झटके के साथ हाथ घुमाया तो चमकदार-चाकू काम करता चला गया।
खून के छींटे उड़ गए।
स्टील रॉड वाले का पेट एक छोर से दूसरे छोर तक कट चुका था। उसकी अंतड़िया बाहर आ चुकी थीं।
फुटपाथ पर खून की नदी सी बह निकली थी। राज अपना काम करके फुर्ती से सीधा हुआ। अगर उसने संभलने में एक पल की भी देरी की होती तो जिसके हाथ में शिकारी चाकू था, उस पर टूट चुका होता। लेकिन! राज को संभलता देख चालू वाला ठिठक गया। यूं भी अपने साथी की हालत देख उसकी टांगें कंपकंपाने लगी थीं। हालांकि मुकाबला बराबर का था। चाकू उसके हाथ में भी था और चाकू ही सामने वाले के हाथ में, मगर उसके दिल में दहशत बैठ गई थी। आते-जाते लोग ठिठककर दूर ही ठिठक गए। किसी ने बीच में आने की कोशिश नहीं की।
राज चालू संभालता अपने प्रतिद्वंद्वी की ओर बढ़ा। प्रतिद्वंद्वी सावधान मुद्रा में एकदम तनकर खड़ा हो गया। उसने दो बार चाक को दाएं से बाएं और बाएं से दाहिने हाथ में किया।
दोनों समीप आ गए।
चाकू तेजी से घूमे।
राज एकदम निकट था। अंतिम समय में वह अपना हाथ रोककर घुटनों के बल गिरा। घुटनों तक की उसकी लम्बाई अनायास ही घट जाने की वजह से वह अचानक ही ऊपर से छोटा हो गया।
मवाली का वार खाली गया।
नीचे झुके राज ने चाकू दस्ते तक उसके पेट में उतार दिया। फिर तेज झटके के साथ वह मवाली का पेट चीरता चला गया।
उसकी हालत भी पहले मवाली जैसी हो गई। वह भी अपने ही खून में तड़पकर गिरा।
राज ने काम खत्म होते ही संकरी गली में दौड़ लगा दी। वह मौकाए-वारदात से शीघ्र अति शीघ्र दूर निकल जाना चाहता था।
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समुद्र की लहरों में तेज हलचल थी। आसमान में बादल छाए हुए थे और किसी भी घड़ी मूसलाधार वर्षा आरंभ हो सकती थी।
स्टीमर में जय के अलावा खबरी लाल...यानी पाल भी मौजूद था। स्टीमर मंथर गति से आगे बढ़ रहा था।
राज डेक पर खड़ा दूरबीन से उस दिशा में देख रहा था जिस दिशा में पाल ने लाल हवेली टापू के मिलने की संभावना व्यक्त की थी। तेज हवाएं बह रही थीं। सिर के बाल बेतरतीबी से बिखरे हुए थे।
"काम पूरा है न?" उसने जय से धीमे स्वर में पूछा।
"एकदम पूरा...।" जय रेलिंग के सहारे दूर समुद्र में उठती लहरों की ओर देखता हुआ बोला।
"मास्टर का आदमी आप था न?"
"बरोबर।"
"और माल?"
"माल पहुंचा को गया...बाप ये मास्टर है क्या चीज?"
"किसी खतरनाक संस्था का चीफ है। मैंने धोखे से उसकी जान बचा दी थी। बस...तब से वो मुझे बहुत मानता है।। उसकी संस्था दुनिया के आधे भाग में कार्यरत है। उसके दिए हुए फोन नम्बर पर मुझे हमेशा सही जवाब मिला और हमेशा पक्का काम हुआ।"
"उसका नाम क्या है?"
"मास्टर।"
"ये कोई नाम नई है।"
"मुझे यही नाम मालूम है।"
"बाप लाल हवेली कोई डेंजर जगो है क्या?"
"डेंजर ही होगी। मैं उस जगह से नावाकिफ
"अपुन आदमी साथ लाएला होता तो ठीक होता न?"
"नहीं...अभी कोई आदमी नहीं। स्टीमर का स्टाफ ही काफी है।"
"फिर भी..."
"तू और आदमियों की फिक्र छोड़, ये बता स्टीमर का स्टाफ भरोसे का है न?"
"एकदम भरोसे का...जिसका स्टीमरे है, अपुन का दोस्त होता वो।"
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