RE: XXX Hindi Kahani अलफांसे की शादी
“आपसे ब्रिटेन के प्रसिद्ध जासूस मिस्टर जेम्स बाण्ड मिलना चाहते हैं मिस ब्यूटी!” जब काउण्टर क्लर्क ने आशा से यह वाक्य कहा तो आशा के पैरों तले से मानो जमीन खिसक गई, न चाहते हुए भी दिल बेकाबू होकर धड़कने लगा, मस्तक पसीन से भरभरा उठा, मुंह से निकला—“क...क्यों?”
“ये मैं नहीं बता सकती।”
आशा ने स्वयं को नियंत्रित करके पूछा—“कहां हैं मिस्टर बाण्ड?”
“वहां उधर!” काउण्टर क्लर्क ने हॉल के एक कोने वाली सीट की तरफ इशारा किया—“वे पिछले दो घण्टे से आपके इन्तजार में यहीं बैठे हैं।”
आशा ने घूमकर उधर देखा तो दिल मानो ‘धक्क’ से उछलकर गले में आ अटका।
कुर्सी पर बैठा जेम्स बाण्ड इसी तरफ देख रहा था—सफेद कमीज, काले सूट और उसी से मैच करती हुई मोटी ‘नॉट’ वाली टाई में इस वक्त वह बेहद खूबसूरत नजर आ रहा था—उसके सामने रखी मेज पर व्हिस्की से भरा एक गिलास रखा था, बाएं हाथ के बीच की उंगलियों में सुलग रही थी एक सिगरेट।
सम्पूर्ण साहस समेटकर आशा उसकी तरफ बढ़ गई।
नजदीक पहुंचते ही कुर्सी से उठकर खड़े होते हुए बाण्ड ने पूछा—“आर यू ब्यूटी?”
“य...यस!” नियंत्रित स्वर में कहती हुई आशा ने हाथ बढ़ा दिया।
“मेरा नाम तो आपने सुना ही होगा, जेम्स बाण्ड!” उसने गर्मजोशी के साथ हाथ मिलाते हुए कहा—“बैठिए!”
आशा मेज के पार, उसके सामने वाली कुर्सी पर बैठ गई—वह महसूस कर रही थी, बाण्ड अपनी ब्लेड की धार जैसी पैनी आंखों से उसे घूर रहा है, वह बाण्ड की योग्यताओं से परिचित थी—जिसने बसन्त स्वामी के रूप में विजय को देखते ही पहचान लिया था, उसके द्वारा स्वयं को पहचान लिए जाने पर आशा को कोई आश्चर्य नहीं होने वाला था—हां, यह सोचकर दिल जरूर डर रहा था कि पहचान लेने के बाद वह उसके साथ कैसा सलूक करेगा? तभी बाण्ड ने बड़े विनम्र स्वर में पूछा— “क्या लेंगी मिस ब्यूटी?”
“क...कुछ नहीं!” आशा ने सख्त स्वर में कहने की कोशिश की—“आप मुझसे क्यों मिलन चाहते थे?”
सीधे उसकी आंखों में झांकते हुए बाण्ड ने कहा—“यह जानने के लिए कि कोहिनूर को देखते समय आप नर्वस क्यों थीं?”
“म...मैं सम्बन्धित अधिकारियों को जवाब दे चुकी हूं...।”
“मैं उस जवाब से सन्तुष्ट नहीं हूं।”
आशा खुद को बहुत संभाल रही थी—“इसमें मैं क्या कर सकती हूं?”
“क्या आपने हजार पाउण्ड खोने की रिपोर्ट पुलिस में लिखाई थी?”
“न...नहीं!”
“क्यों?”
“म...मैंने जरूरत नहीं समझी, सिर्फ एक हजार पाउण्ड की ही तो बात थी।”
और बाण्ड इस तरह मुस्कराया जैसे किसी निष्कर्ष पर पहुंच गया हो, बोला—“जबकि आप सिर्फ उस एक हजार पाउण्ड के लिए इतनी नर्वस हो गई थीं कि आपका मन कोहिनूर देखने में नहीं लगा, तनावग्रस्त-सी हो गईं, आप—रजिस्टर में कांपती उंगलियों से साइन किए, कूपन को मुट्ठी में इतनी सख्ती से भींचे रखा कि...।”
“अ...आखिर आप लोग मुझसे चाहते क्या हैं?” आशा चीख-सी पड़ी—“क्यों परेशान कर रहे हैं मुझे?”
“मतलब?”
“उस दिन म्यूजियम से निकलने के बाद से अगले दिन की सुबह तक मुझे उस जासूस ने आतंकित रखा, यह सोचकर मैं डरी हुई सारी रात अपने कमरे में छुपी रही कि पता नहीं वह किस नीयत से मेरे पीछे लगा है—थाने में बुलाकर मुझसे तरह-तरह के सवाल किए गए, मैंने सभी का जवाब दिया और अब आप—आप भी उन्हीं सवालों को लेकर मुझे मानसिक यातनाएं देने चले आए हैं—क्या अपने देश में आप विदेशियों का ऐसा ही स्वागत करते हैं?”
“लन्दन में इस वक्त भी आपके अलावा बहुत-से विदेशी आए हुए हैं, शायद उनमें से किसी को ऐसी शिकायत नहीं है।”
“फ...फिर—आखिर मुझे ही क्यों परेशान किया जा रहा है?”
“यदि आप अपनी नर्वसनेस की वजह सच-सच बता दें तो शायद—”
आशा गुर्रा उठी—“आप आरोप लगा रहे हैं कि मैं झूठ बोल रही हूं।”
“बेशक!”
“ये...ये तो सरासर ज्यादती है, आपके दिमाग को मेरा सच, झूठ नहीं लगे तो इसमें मैं क्या कर सकती हूं—लगता है कि आप इस तरह नहीं मानेंगे, मुझे यहां अपने मुल्क के राजदूत से शिकायत करनी होगी।”
“ऐसा करके आप गलती ही करेगी।”
“तो क्या आप यह चाहते हैं कि मैं अपना टूर बीच ही में छोड़कर आपके देश से चली जाऊं?”
“ऐसा भला हम कैसे कह सकते हैं?” बाण्ड के होंठों पर अजीब-सी मुस्कान उभर आई—“बल्कि इसके ठीक विपरीत मैं तो आपसे यह कहूंगा कि पुलिस को सूचित किए बिना आप लन्दन से बाहर न जाएं।”
“ए...ऐसा क्यों?” आशा चिहुंक उठी—“क्या मैं यहां नजरबन्द हूं?”
“फिलहाल यही समझिए!” कहकर बाण्ड ने आशा के अन्तर्मन तक को हिला डाला, जबकि प्रत्यक्ष में वह अत्यधिक गुस्से की अवस्था में चीख पड़ी—“आखिर क्यों, क्या जुर्म किया है मैंने?”
“जुर्म पता लगने पर आपको नजरबन्द नहीं, गिरफ्तार किया जाएगा।”
“अ...आप एक विदेशी पर ज्यादती कर रहे हैं।”
“बात को समझने को कोशिश कीजिए मिस ब्यूटी।” बाण्ड उसे समझाने वाले भाव से बोला— “दरअसल कुछ ब्रिटिश जासूस ऐसा महसूस कर रहे हैं कि स्वयं को दुःसाहसी समझने वाले कुछ मूर्ख लोग कोहिनूर को प्राप्त करने का ख्वाब देख रहे हैं, ऐसा शक करने वाले ब्रिटिश जासूसों में से मैं भी एक हूं—हम लोग महसूस कर रहे हैं कि उनकी गतिविधियां चालू हैं।”
“क...कोहिनूर को चुराने की बात सोच रहे हैं?” आशा ने हैरत प्रकट की।
“जी हां!”
“म...मगर—इस बात से मेरा क्या मतलब, म...मेरा भला ऐसे सिरफिरे लोगों से क्या सम्बन्ध हो सकता है?”
“दरअसल उनकी गतिविधियों के बीच ही आप भी कोहिनूर देखने पहुंच गई—दुर्भाग्य से आप ‘एब्नॉर्मल’ भी थीं और उसकी जो वजह आप बता रही हैं, उससे हम सन्तुष्ट नहीं हैं, इसलिए आप संदेह के दायरे में हैं—यानी स्पष्ट शब्दों में हम आप पर उनका सहयोगी होने का शक कर रहे हैं।”
बाण्ड के मुंह से इतने स्पष्ट शब्द सुनकर आशा भीतर-ही-भीतर कांपकर रह गई, प्रत्यक्ष में बोली— “क...क...कमाल कर रहे हैं आप लोग।”
“मैं यकीन दिलाता हूं कि यदि आप बेगुनाह हैं तो आपको परेशान नहीं किया जाएगा।? कहते हुए बाण्ड ने सिगरेट ऐशट्रे में मसली, मेज से उठाकर गिलास एक ही घूंट में खाली किया और उसे वापस मेज पर रखता हुआ उठकर खड़ा हो गया, बोला— “फिलहाल मैं चलता हूं, यदि जरूरत पड़ी तो फिर कष्ट दूंगा।”
खड़ी होती हुई आशा ने उससे हाथ मिलाया।
उसके कोमल हाथ को धीमे से दबाते हुए जेम्स बॉण्ड ने कहा—“आपका नाम ब्यूटी है और निःसंदेह आप खूबसूरत भी हैं, परन्तु मेरे ख्याल से यदि आपके तांबे के रंग वाले बालों और इन नीली आंखों का रंग काला होता तो आप इससे कहीं ज्यादा खूबसूरत होतीं, जितनी अब हैं।”
कहने के बाद वह एक क्षण के लिए भी वहां रुका नहीं, बल्कि घूमाना और तेजी से लम्बी कदमों के साथ दरवाजे की तरफ बढ़ गया, जबकि हक्की-बक्की-सी आशा, उसी स्थान पर किसी स्टैचू के समान खड़ी रह गई थी—बाण्ड के उस अंतिम वाक्य ने उसके चेहरे को फक्क कर दिया था, दिल किसी हथौड़े की तरह पसलियों पर चोट कर रहा था—
आशा का सारा चेहरा पसीने से भरभरा उठा और यह सोचने के लिए वह विवश थी कि बाण्ड ने उसे पहचान लिया है?
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