RE: XXX Hindi Kahani अलफांसे की शादी
“तुम इस युवक से बुरी तरह डरी हुई और आतंकित थीं—घबरा रही थी, डर रही थीं-उसी घबराहट की वजह से तुम तुरन्त तलाशी लिए जाने की रिपोर्ट न कर सकीं, जब घबराहट कुछ कम हुई तो रिपोर्ट करने के लिए कमरे से बाहर निकलना चाहा, तभी तुमने इस युवक को सामने वाले कमरे का ताला खोलते देखा, तुम बुरी तरह डरकर अपने कमरे में बन्द हो गईं—कहीं रिपोर्ट करने का युवक पर कोई उल्टा ही असर न हो, इस डर से तुम रिपोर्ट न कर सकीं और डर के मारे सारी रात जागती रहीं और सुबह को अन्त में तुमने रिपोर्ट करने का ही निश्चय किया, अपने कमरे का दरवाजा तुम पुलिस के आने पर ही खोलोगी।”
“इस सबसे क्या होगा?” अशरफ ने पूछा।
“सिक्योरिटी की नजरों में ब्यूटी साधारण लड़की साबित हो जाएगी।”
“वे लोग इसे गिरफ्तार भी तो कर सकते हैं।”
“किसलिए?”
“पूछताछ करने के लिए?”
“तुम्हारे ख्याल से वे किस किस्म की पूछताछ करेंगे!”
“ब्यूटी का इतिहास जानने की कोशिश करेंगे।”
“वह सब पक्का है ही, बेहिचक बता देना चाहिए।”
“वे यह भी पूछेंगे कि कोहिनूर देखते समय ये तनावग्रस्त या नर्वस क्यों थीं?”
“ये सवाल जरूर किया जाएगा क्योंकि सबसे महत्वपूर्ण सवाल यही है और इसी का जवाब जानने के लिए वे इतने पापड़ बेल रहे हैं, उनके पापड़ बेलने की उनकी प्रक्रिया रुक जाएगी और वे जवाब पाने के लिए आशा से यह सीधा सवाल करने के लिए विवश हो जाएंगे, यदि उन्हें माकूल जवाब मिल गया तो वे पापड़ बेलना बन्द कर देंगे, उससे न केवल आशा ही तनाव से बाहर निकल आएगी, बल्कि हम भी असुविधा से बच जाएंगे।”
“सोच तो तुम ठीक रहे हो, लेकिन...!”
“लेकिन क्या?”
“उसके सवाल के जवाब में आशा क्या कहेगी?”
“कोहिनूर को देखने जाने से पहले इसके एक हजार पाउण्ड कहीं खो गए थे, उन्हीं की वजह से यह मानसिक रूप से असंतुलित थी।”
“क्या वे इस बहाने पर यकीन कर लेंगे?”
“यकीन करें या न करें, मगर एक बहाना तो है।” विजय बोला— “इस बहाने के बाद वे आशा पर कोई जुर्म साबित नहीं कर सकेंगे और बिना किसी अपराध के पुलिस किसी को गिरफ्तार नहीं रख सकती, लिहाजा इसे छोड़ दिया जाएगा।”
“क्या जरूरी है कि इस घटना के बाद सिक्योरिटी का कोई जासूस आशा पर नजर नहीं रखेगा?”
“कोई जरूरी नहीं है।”
“बात तो फिर वहीं आ गई।”
“इसीलिए तुम्हारे लिए यह आदेश है आशा डार्लिंग की जब तक हमारा संकेत न हो, तब तक तुम किसी भी हालत में हममें से किसी से सम्बन्ध स्थापित करने की कोशिश नहीं करोगी, भले ही चाहे जैसी विशेष परिस्थिति हो—तुम्हें लंदन घूमने आई साधारण लड़की की तरह रहते रहना है—इस बात पर भी ध्यान नहीं दोगी कि हम क्या कर रहे हैं। या हमारे साथ क्या हो रहा है—यहां तक कि अगर तुम कहीं हममें से किसी की लाश भी पड़ी देख लो तो उतनी ही दिलचस्पी लेना जितनी किसी अपरिचित किसी लाश में लेता है।”
आशा ने स्वीकृति में गरदन हिलाई।
“अब तुम जा सकती हो।”
चौंकती हुई आशा ने पूछा—“क्या तुम सब लोग मुझे अपनी रिपोर्ट्स से अवगत नहीं कराओगे?”
“तुमसे कहा न आशा डार्लिंग।” किसी के बोलने से पहले ही विजय ने कहा— “फिलहाल हमारे अगले संकेत तक के लिए बिल्कुल भूल जाओ कि तुम हमारे साथ यहां किसी अभियान पर आई हुई हो।”
आशा चुप रह गई, विजय ने कहा— “जिस दिन मैं तुम्हें सफेद सूट में गुलाब लगाए लंच लेता नजर आऊं, उस दिन तुम मुझे फॉलो फोलो करने लगोगी, सिर्फ करोगी—मुझसे बोलोगी कुछ नहीं—यदि रास्ते में कहीं फूल निकालकर फैंक दूं तो मुझे फॉलो करना बन्द कर देना।”
“मैं समझ गई।”
“गुड!” विजय ने विकास को आदेश दिया—“अब तुम अपनी आशा आण्टी को होटल की छत तक छोड़ आओ प्यारे दिलजले, मगर सावाधान—किसी की नजर तुम पर पड़ी और बन्टाधार!”
विकास और आशा खड़े हो गए।
¶¶
करीब पन्द्रह मिनट बाद विकास लौट आया, उसने रिपोर्ट दी कि उन्हें किसी ने नहीं देखा है, सारा होटल सन्नाटे में डूबा पड़ा है, आश्वस्त होने के बाद विजय ने कहा— “अब तुम सुनाओ प्यारे दिलजले, अपना शिकार तुम्हें मिला या नहीं?”
“मिल गया है।” विकास ने संक्षिप्त-सा उत्तर दिया।
“वैरी गुड!” विजय उछल पड़ा— “इसे कहते हैं उपलब्धि—हां तो प्यारे—एक ही सांस में बता दो कि उसका क्या नाम है, कहां रहता है और तुमने किस तरह उसका पता लगाया?”
विकास ने सचमुच एक ही सांस में सब कुछ बता दिया। सुनने के बाद विजय ने कहा—“जी चाहता है प्यारे कि तुम्हारे दिमाग को चूम लूं, लेकिन ये साली खोपड़ी बीच में है, खैर—फिर कभी सही-हां तो प्यारे झानझरोखे और विक्रमादित्य, हमने तुम्हें लन्दन में कोई ऐसी जगह तलाश करने का काम सौंपा था, जहां बिना किसी विघ्न—बाधा के हमारी आपराधिक गतिविधियां चल सके, क्या रहा—यानी तुम ऐसी किसी जगह को खोज निकालने में कामयाब हुए या नहीं?”
“स्थान तो हमने कई देखे हैं, मगर उनमें से अधिकांश शहर से काफी दूर सन्नाटे में हैं—तुमने कहा था कि स्थान यदि शहर के बीच में मिल जाए तो ज्यादा अच्छा है।”
“मिला कोई?”
“मिला है और मकान नहीं, पूरी कोठी है वह!”
“किस सिच्युएशन में?”
“स्मिथ स्ट्रीट का सारा इलाका ही कोठियों से भरा पड़ा है और उन्हीं में से एक कोठी का नाम है—‘पीटर हाउस' यह कोठी करीब पांच सौ वर्ग गज के क्षेत्रफल में बनी हुई है, इसे पीटर नाम के व्यक्ति ने बनवाया था जो पांच साल पहले मर चुका है, पीटर के दो लड़के हैं-इन दोनों में इस कोठी को लेकर पीटर की मृत्यु के एक महीने बाद से ही झगड़ा है, दोनों कोठी पर अपना दावा पेश करते हैं और दिलचस्प बात ये हैं कि दोनों के पास पीटर की मृत्यु से पहले ही अपने-अपने हक में वसीयतें हैं—दोनों वसीयतों पर पीटर के साइन हैं और वे एक-दूसरे की वसीयत को नकली कहते हैं।”
“मामला वाकई दिलचस्प है।”
“पीटर हाउस को लेकर कुछ दिन तक तो दोनों भाइयों का झगड़ा होता रहा, फिर एक ने कुछ किराए के गुण्डों की मदद से पीटर हाउस पर कब्जा कर लिया—दूसरे भाई ने भी गुण्डे खरीदे और इन गुण्डों ने पहले भाई के गुण्डों को मार पीटकर भगा दिया तथा अपना कब्जा जमाकर बैठ गए करीब एक साल तक यही सिलसिला चलता रहा—इस लड़ाई में पहला भाई हार गया तो उसने अपने पास मौजूद पीटर की वसीयत के आधार पर मुकदमा दायर कर लिया, दूसरा भाई कोर्ट में हाजिर हुआ—उसने भी पीटर के ही साइन वाली अपनी वसीयत पेश कर दी, जिसके मुताबिक पीटर हाउस उसका था—इस तरह कानूनी लड़ाई शुरू हो गई—अभी तक कोई फैसला नहीं हुआ है, अदालत ने कोठी पर ताला लटकाकर अपनी सील लगा दी है—चाबी भी अदालत के पास है और जज ये घोषित कर चुका है कि फैसला होने पर चाबी जीतने वाले भाई को दे दी जाएगी।”
“यानी इस वक्त कोठी वीरान और बन्द पड़ी है, ताले पर अदालत की सील है।”
|