RE: xxx indian stories आखिरी शिकार
"फिर क्या हुआ ?" - राज ने व्यग्र स्वर से पूछा।
"मैंने देखा, अनिल मालगाड़ी के डिब्बे से आधा बाहर लटक रहा था । जार्ज टेलर ने उसकी गरदन दबोची हुई थी। अनिल बुरी तरह उसकी पकड़ में छटपटा रहा था । फिर मेरे देखते-ही देखते जार्ज टेलर ने अनिल को डिब्बे से बाहर धकेल दिया । अनिल बगल की रेल की पटरी पर जाकर गिरा । उसी समय उस पटरी पर विपरीत दिशा से एक ट्रेन आ रही थी । मैं बहुत दूर थी। मैं कुछ कर नहीं सकती थी । अनिल में पटरी से उठ पाने की हिम्मत नहीं थी । नतीजा यह हुआ कि वह विपरीत दिशा से आती ट्रेन के नीचे आ गया और कट कर मर गया । जैसे जार्ज टेलर ने जे सिहांकुल को चलती गाड़ी के आगे धक्का देकर मार डाला था वैसे ही उसने अनिल साहनी की भी जान ले ली।"
"यानी कि तुमने अपनी आंखों से मेरे भाई को देखा था ?" - मार्गरेट तीव्र स्वर से बोली।
"हां!"
मार्गरेट ने विचित्र नेत्रों से राज की ओर देखा ।
"तुमसे जार्ज टेलर को पहचानने में गलती तो नहीं हुई ?" - राज बोला।
"डोंट टाक नानसैंस ।" - रोशनी बोली- "मेरा और जार्ज टेलर का बरसों का साथ था । मुझसे उसे पहचानने में गलती नहीं हो सकती ।"
"अनिल साहनी के मरने के बाद क्या हुआ ?"
"मैं मालगाड़ी की ओर भाग रही थी । जब तक मैं पटरियों के समीप पहुंची, विपरीत दिशा से आती हुई रेलगाड़ी वहां से गुजर चुकी थी। अनिल साहनी की कटी हुई लाश पटरियों पर पड़ी थी और मालगाड़ी भी अपने स्थान पर रेंगने लगी थी । मैं जल्दी से मालगाड़ी में सवार हो गई । मैंने गाड़ी से बाहर दोनों ओर दूर तक देखा। जार्ज टेलर मुझे कहीं दिखाई नहीं दिया । मुझे विश्वास था कि वह
मालगाड़ी के ही डिब्बे में छुपा हुआ था । मालगाड़ी डेनवर पहुंच गई, गाड़ी स्टेशन के आउटर सिग्नल पर रुकी और फिर एकाएक मेरी निगाह एक डिब्बे से निकल कर भागते हुये जार्ज टेलर पर पड़ी । मैं भी गाड़ी से उतर कर उसके पीछे भागी । समुद्र तट तक मैंने उसका पीछा किया । वहां से वह एक मोटरबोट पर सवार होकर भाग निकला । मुझे विश्वास है कि वह जरूर अपने टापू की ओर गया था ।"
"लेकिन मेरे भाई की मोटरबोट तो यह है ।" - मार्गरेट तीव्र विरोधपर्ण स्वर से बोली- "अपनी मोटरबोट छोड़कर वह किसी दूसरी मोटरबोट पर सवार होकर टापू की ओर क्यों गया ?"
"यह सब मुझे नहीं मालूम ।" - रोशनी बोली "लेकिन मैंने उसे मोटरबोट पर सवार होकर टापू की ओर जाते देखा है।"
"और तुमसे जार्ज टेलर को पहचानने में कोई गलती नहीं हुई है ?" - राज ने पूछा । "सवाल ही नहीं पैदा होता ।" - रोशनी दृढ स्वर से बोली।
"आल राइट ।" - राज पटाक्षेप करता हुआ बोला - "हम जार्ज टेलर के टापू की ओर जा ही रहे हैं । अगर वह टापू पर है तो हम उसे जरूर
खोज निकालेंगे।" '
फिर कोई कुछ नहीं बोला ।
***
टापू राज की कल्पना से ज्यादा बड़ा निकला । वहां तेज हवायें चल रही थीं और वह गहरी धुंध की चादर से ढक हुआ था । डेनवर के समुद्र तट पर स्थिति शैड जैसा ही एक शैड वहां भी बना हुआ था, जिसमें मार्गरेट ने बड़ी सावधानी से लाकर मोटरबोट खड़ी कर दी। “कोई और मोटरबोट यहां नहीं है ।" - राज बोला।
"शायद जार्ज टेलर ने मोटरबोट कहीं और खड़ी की हो !" - रोशनी बोली।
"तुमने उसे समुद्र तट से मोटरबोट पर रवाना होते देखा था । सम्भव है वह यहां आया ही न हो ।"
"वह जरूर यहीं आया होगा ।" - रोशनी दृढ स्वर में बोली। '
"तुम ऐसा दावा कैसे कर सकती हो?"
"मेरा दिल कहता है ।"
"लेकिन..."
"अगर मेरा भाई टापू पर मौजूद है" - एकाएक मार्गरेट बीच में बोल पड़ी - "तो वह टापू पर मौजूद मकान के अतिरिक्त और कहीं नहीं हो सकता।"
"तुम हमें वहां का रास्ता दिखाओ।" - रोशनी अधिकारपूर्ण स्वर से बोली ।
मार्गरेट ने एक उपेक्षापूर्ण निगाह रोशनी पर डाली और फिर उसने राज को मोटरबोट से उतरने का संकेत किया।
राज और रोशनी मोटरबोट से नीचे उतर आये
राज ने मारिट की मोटरबोट को किनारे से बांधने में सहायता की । फिर मार्गरेट भी मोटरबोट से उतर आई।
मार्गरेट एक अंधेरी पगडण्डी पर चलने लगी। उसके पीछे रोशनी और सबसे पीछे राज चलने लगा।
"आप लोग मेरे एकदम पीछे चलिये ।" - मारिट चेतावनी भरे स्वर से बोली - "वर्ना कहीं दलदल में पांव पड़ जायेगा ।"
कोई कुछ नहीं बोला।
अन्धकार में वे थोड़ी दूर आगे बढे । फिर सामने चट्टानों में से काटकर बनाई गई सीढियां दिखाई देने लगीं । वे सीढिया चढने लगे।
लगभग दो सौ सीढियां तय करने के बाद एकाएक एक विशाल इमारत उनके सामने आ गई । इमारत दोमंजिली थी और चट्टानों में ही काटे हुए लम्बे-चौड़े प्लेटफार्म पर बनी हुई थी। उसकी दीवारें भारी पत्थरों की बनी हुई थीं।
इमारत के पिछवाड़े से और ऊंचाई की ओर सीढियां जा रही थीं।
मार्गरेट मुख्यद्वार की ओर बढी ।
"ठहरो।" - राज ने उसकी बांह थाम ली "शायद भीतर कोई हो !"
"भीतर कोई नहीं है ।" - मार्गरेट बोली - "यह औरत खामखाह अनाप-शनाप बक रही है ।"
"फिर भी रिस्क लेने की जरूरत नहीं ।"
"मुझे दरवाजे के पास तक जाने दो । मैं दरवाजा देखकर ही बात दूंगी कि भीतर कोई है या नहीं
"कैसे?"
"हम टापू छोड़ने से पहले दरवाजे को हमेशा सील कर जाते हैं । अगर सील ठीक हुई तो इसका मतलब है कि भीतर कोई नहीं गया ।"
"आई सी ।"
"तुम्हारे पास माचिस है ?"
राज ने सिगरेट लाइटर निकालकर जलाया । लाइटर का प्रकाश द्वार पर पड़ा । जहां द्वार के दोनों पल्ले मिलते थे वहां लाख की सील लगी हुयी थी जो एकदम सही सलामत मौजूद थी। साफ जाहिर था कि हाल ही मैं दरवाजे को खोला नहीं गया था ।
"क्या भीतर घुसने का कोई और भी रास्ता है ?" - राज ने पूछा।
"कोई नहीं ।" - मार्गरेट बोली - "भीतर घुसने का यही एक रास्ता है ।"
"शायद कोई खिड़की खुली हो!" - रोशनी बोली
"खिड़की के रास्ते कोई भीतर नहीं घुस सकता। हर खिड़की में मोटी-मोटी सलाखें लगी हुई हैं
और अगर खिड़की के रास्ते भीतर घुसा जा भी सकता हो तो भी मेरे भाई को अपने ही मकान में खिड़की के रास्ते घुसने की क्या जरूरत है ?" रोशनी कुछ नहीं बोली।
मार्गरेट ने अपने पर्स में से एक चाबी निकाली और उसकी सहायता से मुख्य द्वार का ताला खोला । उसने द्वार को धक्का देकर खोल दिया ।
तीनों भीतर प्रविष्ट हो गये।
|