RE: xxx indian stories आखिरी शिकार
"आपकी जानकारी के लिये यार्क स्टेशन से एक आदमी आपके कम्पार्टमेंट में सवार हुआ था । उसने रेडियो ब्राडकास्ट में आपका हुलिया सुना था और आपको फौरन पहचान लिया था । डार्लिंगटन उतरकर उसने पुलिस को रिपोर्ट कर दी थी । सूचना यार्ड पहुंच गई थी कि आप डेनवर की ट्रेन में सवार थे । मैं पुलिस हैलीकॉप्टर द्वारा बारविक पहुंच गया और वहीं से इस टेन पर सवार हो गया । साथ में मैं पीटर को ले आया था ताकि आपकी शिनाख्त हो सके। वैसे पीटर का जबड़ा अभी भी दुख रहा है ।"
“आप चाहते क्या हैं ?" - राज खोखले स्वर से बोला।
"यह भी बताने की जरूरत है!" - इन्स्पेक्टर आश्चर्य व्यक्त करता हुआ बोला - "यू आर अन्डर अरैस्ट, मिस्टर राज | आप डेनवर उतरकर मेरे साथ वापिस लन्दन चल रहे हैं ।"
"किस इलजाम में अन्डर अरैस्ट हूं मैं ?"
"इलजाम कुछ नहीं । आप अपनी मर्जी से मेरे साथ चल रहे हैं।"
"अपनी मर्जी से तो मैं यहां से हिलूंगा भी नहीं।"
"देखो, मिस्टर !" - इन्स्पेक्टर एकाएक बेहद कर्कश स्वर से बोला - "ज्यादा होशियारी दिखाने की कोशिश मत करो वर्ना पछताओगे । मैं तुम्हारी असलियत जान चुका हं इसलिये तम्हारे साथ इज्जत से पेश आना चाहता हं । तम प्रेस रिपोर्टर हो । यह तुम्हारा प्रेस कार्ड और पासपोर्ट मुझे तुम्हारे सामान में से मिला है ।" - इन्स्पेक्टर अपनी जेब से दोनों चीजें निकाल कर राज के सामने करता हुआ बोला - "तुम अपने देश के प्रधानमंत्री की प्रेस पार्टी के साथ लन्दन आये हो इसलिये तुम्हें और तुम्हारे देश को और तुम्हारे प्रधानमंत्री को किसी स्कैण्डल से बचाने के लिये मैं तुम्हारे साथ शराफत से पेश आ रहा हूं वर्ना मैं तुम्हें एक दर्जन चार्ज लगाकर गिरफ्तार कर सकता हूं जिनमें से इंगलैंड में अनाधिकार प्रवेश
और एक पुलिस अधिकारी पर हमला तो बड़े मामूली चार्ज हैं।"
राज ठण्डा पड़ गया ।
"डेनवर में हेलीकॉप्टर हमारी प्रतीक्षा कर रहा होगा । उसमें सवार होकर हम वापिस लन्दन जा रहे हैं । ओके?"
“आप मुझसे चाहते क्या हैं ?"
"मुख्यत: हम तुम्हारे अनिल साहनी और रोशनी नाम के दो साथियों को गिरफ्तार करना चाहते हैं जिनकी वजह से हमारे पुलिसमैनों की जान गई हैं और साथ ही मैं यह जानना चाहता हूं कि यह
सब कुछ क्यों हो रहा है ? इसके अलावा भी बहुत-सी बातें हैं जो तुम हमें बताओगे जैसे..."
उसी क्षण कम्पार्टमेंट का द्वार खुला ।
तीनों ने घूमकर द्वार की ओर देखा । द्वार पर मारिट खड़ी थी।
राज ने एक गुप्त दृष्टि इन्स्पेक्टर और पुलिसमैन के चेहरों पर डाली ।
उनकी सूरतों से ऐसा नहीं लगता था जैसे उन्होंने मार्गरेट को पहचाना हो। मार्गरेट भीतर प्रविष्ट होने लगी।
"आई एम सॉरी, मैडम" - इन्स्पेक्टर खेदपूर्ण स्वर से बोला - "यह कम्पार्टमेंट सुरक्षित है । आप किसी दूसरे कम्पार्टमेंट में जगह तलाश कीजिये ।"
"और कहीं जगह नहीं है ।" - मार्गरेट बोली - "और यह कम्पार्टमेंट खाली पड़ा है । और फिर मुझे कहीं लिखा तो दिखाई दे नहीं रहा कि यह
सुरक्षित कम्पार्टमेंट है।"
"फिर भी आप भीतर नहीं आ सकतीं । मैं पुलिस अधिकारी हूं और हमें इस कम्पार्टमेंट की जरूरत है
"ओह !" - मारिट निराश स्वर से बोली- "आई एम सॉरी।"
इन्स्पेक्टर उसके विदा होने की प्रतीक्षा करने लगा। \
"लेकिन अगर आप पुलिस अधिकारी हैं तो मैं आपसे एक बात पूछना चाहती हूं।" “पूछिये ।" - इन्स्पेक्टर उतावले स्वर से बोला ।
"जिस जंजीर को खींचकर गाड़ी रुकवाई जाती है उस पर लिखा है कि जंजीर खींचने वाले को पांच पाउण्ड जुर्माना हो सकता है । क्या यह सच है?"
“बिल्कुल सच है ?"
"और अगर किसी के पास पांच पाउण्ड न हो तो ?"
"तो उसे जेल जाना पड़ सकता है।"
"ओह । बैंक्यू ।" मारिट वहां से चली गई।
राज का दिल धड़कने लगा | जो ऊंट-पटांग बातें वह इन्स्पेक्टर से करके गई थी उनका एक ही मतलब हो सकता था ।
वह जंजीर खींचने वाली थी और वह राज को इस बात का स्पष्ट संकेत दे गई थी।
राज बड़ी व्यग्रता से ट्रेन रुकने की प्रतीक्षा करने लगा।
गाड़ी रुक गई।
"क्या हो गया ?" - इन्स्पेक्टर होंठों में बुदबुदाया
और खिड़की का पल्ला खोलकर बाहर झांकने लगा। राज ने देखा गाड़ी एक नदी के पुल पर खड़ी थी।
फिर उसने एक लापरवाही भरी निगाह पुलिसमैन पर डाली, वह भी उसके प्रति असावधान था । राज ने एक बार फिर अपने और कम्पार्टमेंट के दरवाजे के बीच में खड़े पुलिसमैन पर छलांग लगा दी।
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