RE: Sexbaba Hindi Kahani अमरबेल एक प्रेमकहानी
ये इन्सान को इन्सान से उस हद तक मिलाती है जैसे पानी में पानी. जैसे हवा में हवा. जैसे साँसों में सांसे और जैसे नींद से सपना. इस पढाई की कोई अंतिम सीमा नहीं होती तो इसकी कोई शुरुआत भी नही होती. इसको किसी ने होते न जान पाया तो किसी ने खत्म होते भी न जान पाया. ये मोहब्बत की पढाई है. ये तो दिल की दिल से इबादत है. और सच कहा जाय तो ये इन्सान से ऊपर उठकर है. ये धर्म और जाति से उठकर है. ये भगवान की असली इबादत है. तभी तो ये मोहब्बत है.
कोमल ने खत पूरा कर लिया था. आँखों में थोड़ी नमी थी जो दर्शा रही थी कि कोमल खत लिखते समय भावुक हुई थी. अपने राज को ये खत लिख कोमल के खिलते यौवन को फिर से नई स्फूर्ति मिल गयी थी. कई दिनों से मुरझाया कोमल वदन फिर से हरा भरा हो उठा था. चेहरे की लौटती लाली ने फिर से कोमल को कोमल बना दिया था.
आज फिर लग रहा था कि ये वाकई में वही कोमल है जो अक्सर इमली के पेड़ के नीचे खड़ी आलसी अंगड़ाईयां लिया करती थी. आँखों में फिर से वो समुंदरी गहराई दिखाई देना शुरू हो गयी थी जिसको देखने के लिए कोमल के दिल का मालिक राज पागल हुआ घूम रहा था. रात होने वाली थी लेकिन कोमल का सम्पूर्ण शरीर सुबह की रौशनी से भरने लगा था.
कोमल इस वक्त रात के साथ जवान होती जा रही थी. अगर राज के मन से कहा जाय तो चांदनी रात में कोमल के इस मोहक अलसाये रूप को कोई अप्सरा भी देख शरमा जाती. राज तो भगवान से दुनिया को ठुकरा कोमल को मांग डालता और इसी रूप को देख तो राज उसके मोह में पानी से पानी की तरह मिल गया था.
ये सब एक राज के खत ने कर दिया था. उपजाऊ धरती से वंजर हुई धरती में हरियाली इस राज के खत ने कर दी थी. ये तो मोहब्बत के उस टॉनिक का असर था जो कोमल को राज के खत से मिला था. जिसे पी कोमल फिर से जी उठी थी.
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