RE: Sexbaba Hindi Kahani अमरबेल एक प्रेमकहानी
__ राज फिर हड्बड़ा उठा. इधर उधर रास्ते को देखा. वो लोग सचमुच में गलत रास्ते पर आ गये थे और ये गलती थी राज की, वह कोमल के पीछे पीछे चलता रहा और एक बार भी ये न कहा कि हम गलत रास्ते पर जा रहे हैं. फिर सर खुजलाते हुए डर कर एक आम के पेड़ की तरफ इशारा करता हुआ बोला, "हम गलत रास्ते पर आ गये. हमें तो उस तरफ जाना था जिधर वो आम का पेड़ खड़ा है."
कोमल ने प्यार भरे अंदाज से माथा पीटते हुए कहा, "दैय्या रे दैय्या! तो फिर तुम इतनी देर से मेरे पीछे चलते हुए क्या कर रहे थे जो तुम्हे रास्ते की ही खबर नही रही?"
राज इस बात का क्या जबाब देता? क्या वो कोमल से ये कहता कि में तुम्हारे इश्क के समंदर में गोता लगा रहा था? क्या वो ये कहता कि मैं तुम्हारे हुश्न और मतवाली चाल के चंगुल में फस गया था? ये बात कोमल भी जानती थी कि राज क्यों रास्ता भूल गया था? माना कि राज की गलती थी कि उसने रास्ता नही बताया लेकिन कोमल भी तो राज से पूंछ सकती थी कि उसे जाना कहाँ है?
ये पगली पूंछती कहाँ से? ये तो खुद मोहब्बत के ख़्वाबों के शहर में घूम रही थी. सुध वुध तो ये दोनों ही गंवा चुके थे लेकिन कबूले कौन? फिर वही बात. बिल्ली के गले में घंटी कौन बांधे? अब दोनों उस आम के पेड़ की तरफ चले जा रहे थे. जहाँ उन्हें कोई देख न पाए. जहाँ वो अपने इश्क का सजदा कर सकें. जहाँ वो अपनी साँसें थाम एक दूसरे को देख सकें और जहाँ वो अपनी मोहब्बत के जुर्म को कुबूल कर सकें.
आम के पेड़ के नीचे आ दोनों के कदम रुक गये. कोमल अभी आम के पेड़ को निहार रही थी. राज ने एक झटके में साईकिल उसके स्टैंड पर खड़ी कर दी. राज को हड्बड़ाहट ज्यादा थी और होती भी क्यों न? ये उसका पहला ऐसा इश्क था जिसका वो इजहार करने जा रहा था. और कोमल! कोमल भी तो पहली बार ही किसी के प्यार में पड़ी थी. उसका कौन सा प्यार करने का कारोवार था?
राज ने जल्दी से अपने बाल संबारे, मुंह पर हाथ फिराया. कमीज का कॉलर ठीक किया और चुपचाप खड़ा हो कोमल के पवित्र रूप के दर्शन करने लगा लेकिन तभी कोमल ने मुड़कर उसकी तरफ देखा. इस बार राज ने अपनी नजरें कोमल की नजरों से अलग न की. दोनों की नजरें ऐसे मिली जैसे सूरज की किरन और ओंस भरी धरती. सूरज की हल्की गर्म किरणें जमीन पर पड़ी ओस की बूंदों पर पड उन्हें गर्म करने लगी.
दोनों की साँसे किस लय में चल रहीं थी ये किसी को पता नही था. टकटकी लगाये दोनों की आखें अपने हमदम की आँखों की गहराइयाँ माप रहीं थी लेकिन जितना मापती गहराई उतनी बढती जाती थी. शायद इसीलिये दुनियां का कोई भी आशिक अपने महबूब की आँखों की गहराई न जान सका था.
लेकिन आँखे भी तो आँखे होती है. किसी भी चीज को कितनी देर देखे? ज्यादा देर तक पलकें न झपकाने के कारण दोनों की आँखों में आंसू आ गये. दोनों ने एक साथ अपनी नजरें एक दूसरे से हटा लीं. दोनों इधर उधर देखने लगे. समय कभी किसी के लिए नही रुका इसलिए आज भी भागा ही जा रहा था. दोनों के पैरों में सबकुछ जल्दी करने की गुगगुदी होती थी. लेकिन इश्क और हवस में अंतर होता है. जो इस समय इन दोनों दिलदारों के बीच दिखाई दे रहा था.
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