RE: Indian Porn Kahani एक और घरेलू चुदाई
सुधा तो खुद कामवासना मे बुरी तरह से तप रही थी उसने कहा –बेटा एक काम कर कुँए पर जो पिछली तरफ बिना छत का बाथरूम सा बना हैं उधर चल कर नहाते हैं कम से कम चारदीवारी को ओट तो रहेगी कोई देखेगा भी नही और फिर मैं भी थोड़ा आराम से नहा सकूँगी
ताई जी की ये बात सुनकर सौरभ को नज़ाने क्यो यकीन सा होने लगा था कि आज किस्मत उस पर कुछ ज़्यादा ही मेहरबानी दिखा रही है उसने उसी पल सोच लिया कि ताइजी के थोड़ा सा और आगे सरकते ही आज वो चूत मारने मे कोई कसर नही छोड़ेगा फिर चाहे जो कुछ भी हो जाए आज ताई जी को अपना बना कर ही रहेगा वो
उसने कहा ताइजी वो तो काफ़ी दिनो से ऐसे ही पड़ा हैं आप अपने कपड़े धो लो तब तक मैं मोटर जोड़के उधर के नलके को चालू करता हू और थोड़ा साफ भी कर देता हूँ दो जिस्मो मे एक ऐसी आग लग चुकी थी जिसे अब ये ठंडा पानी भी नही बुझा सकता था अगर कुछ था तो बस एक दूसरे को अपनी बाहो मे भरना, एक दूसरे को पा लेने की हसरते……….
दोनो के दिल बड़ी तेज़ी से धड़क रहे थे दोनो ने इस रास्ते पर आगे बढ़ने का सोच लिया था दोनो घबराए से थे, पर आग दोनो के जिस्मो को पिघला रही थी बस इस आग को एक बोछार की सख़्त ज़रूरत थी, सौरभ दौड़ कर गया और जल्दी ही उस कच्चे बाथरूम को सॉफ कर दिया और पानी की मोटर चला दी थोड़ी देर बाद सुधा भी सावधानी से इधर उधर देख कर बाथरूम मे घुस गयी टूटे से किवाड़ को बंद कर लिया
सुधा- बेटे ये सही किया तूने अब आराम से नहा सकती हूँ
सौरभ अपने हाथ मे साबुन लेते हुए, ताई जी अब मैं भी अच्छे से साबुन लगा देता हूँ सुधा ने अपना मूह दीवार की तरफ किया और अपने ब्लाउज को उतार दिया ब्रा अंदर पहनी नही थी उसके उड़ते कबूतर बाहर आकर झूल गये पर चूँकि उसकी पीठ सौरभ की ओर थी तो वो उन कयामत चूचियो के दर्शन नही कर पाया था सुधा की नंगी, मखमली पीठ देख कर ही उसका लंड बुरी तरह से झूलने लगा था उसने ताई जीकी पे पीठ पर पानी का डिब्बा डाला और साबुन रगड़ने लगा सुधा को अपने जिस्म पर जवान लड़के का स्पर्श बड़ा ही मस्त लग रहा था
सौरभ का हाथ बार बार सुधा की बगल से होते हुए चूचिओ से भी रगड़ खा रहा था सुधा की चूत बुरी तरह से रस छोड़ रही थी उसने अपनी गान्ड को और पीछे कर लिया और सौरभ के लंड पर रगड़ते हुए बोली बेटा- ये क्या है जो डंडे जैसा मेरे पीछे चुभ रहा हैं
सौरब अपना हाथ आगे को ले गया और उसके दोनो बोबो को कस कर भीचते हुए बोला ताई जी आप ही देख लो ना क्या हैं , सुधा के बोबो पर सालो बाद किसी ने छुआ था वो मस्त हो गयी उसके मूह से सिसकारिया निकालने लगी सुध बुध भूलने लगी वो सौरभ भी पूरी मस्ती से सुधा के बोबो को मसल रहा था सुधा अपना हाथ पीछे ले गयी और सौरभ के कच्छे मे हाथ डालकर उसके लंड को मसल्ने लगी, अपने लंड पर पहली बार किसी औरत के हाथ को देख कर सौरभ तो जैसे झड़ने को ही हो गया
सुधा धीरे धीरे उसके लंड को अपनी मुट्ठी मे लेकर आगे पीछे करने लगी सौरभ और कस कस कर सुधा के बोबो को दबाने लगा दोनो के जिस्मो पर पड़ता ठंडा पानी जिस्मो की आग को और भड़काए जा रहा था जब सुधा ने सौरभ की दोनो गोटियो को अपने हाथ मे भर कर दबाया तो सौरभ जैसे मस्ती से झड़ने को ही हो गया उसको पता था कि आज वो कुछ भी करे ताई जी उसको रोकने वाली नही हैं उसने अपना हाथ चूचियो से हटाया और सुधा के पेटिकोट के नाडे को खोल दिया सुधा अब पूरी तरह से नंगी हो गयी थी उसकी मदमस्त गान्ड सौरभ की आँखो के सामने थी उसने सुधा का मूह अपनी ओर किया और उसके मोटे मोटे रसीले होटो पर अपने होंठ रख दिए और ताई जी के होटो का रस चूसने लगा
बरसो बाद सुधा के प्यासे होटो पर गरम लबो का अहसास हुआ था उसने अपना मूह खोला और अपनी जीभ सौरभ के मूह मे डाल कर चुसवाने लगी सौरभ का लंड उसकी चूत पर रगड़ खा रहा था सुधा बस उसकी बाहों मे पिसना चाहती थी एक बेहद लंबे चुंबन के बाद सुधा उस से अलग हुई उसकी फूली सांस अपनी कहानी बया कर रही थी वो सौरभ की आँखो मे देख कर मुस्कुराइ और फिर अपने घुटनो के बल बैठ गयी लंड अब बिल्कुल उसके चेहरे के सामने झूल रहा था बिना देर किए सुधा ने अपना मूह खोला और लंड के सुपाडे को अपने मूह मे भर लिया
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