Maa Sex Kahani माँ को पाने की हसरत
12-09-2019, 01:34 PM,
RE: Maa Sex Kahani माँ को पाने की हसरत
राजीव : यक़ीनन परिवार ने हमारे रिश्ते पे थू थू कर दी लेकिन सच कहूँ तो हमारी नयी ज़िंदगी की शुरूवात सी हो गयी...आज हम एकदुसरे के साथ अकेले रह रहे है खुश है ज्योति के ही प्यार ने मुझे इस काबिल बनाया कि मैने पोलीस डिपार्टमेंट के लिए इतनी मेहनत करी और भगवान का करिश्मा देखो कि आज इस पोस्ट पे हूँ

आदम : वाक़ई सच में व्याबचारी रिश्तो को ऐसा माना जाता है जैसे गुनाह हो पर मुहब्बत तो दिल से होती है ये तो एक अँधा विचार है जिसे कोई राह नही दिखा सकता

राजीव : ह्म तो फिर तुमने क्यूँ नही शादी की अभीतक?

आदम : आप तो जानते है आजकल के माहौल को पराई बहू मोस्ट्ली सेपरेशन करने में ज़्यादा विश्वास रखती है ताकि उनका अपना परिवार सुखी से रहे वो खुशी से रहे मुझे ये सब करने का कोई मन नही मैं माँ के साथ ही खुश हूँ

कैसे कह पाता कि व्याबचारी रिश्तो में तो मैं खुद उलझा हुआ हूँ पर राजीव दा जितना कामयाब तो नही हो पाया भला माँ से रिश्ता शादी तक का इसके लिए तो अभी तक इंतजार में था मैं ...हम कुछ देर और बात किए फिर वो उतर गये बोले कि यही पे उनकी पत्नी ज्योति ट्रडीशनल डॅन्स सीखती है..वो उन्हें पिक अप करने चले गये मैने देखा कि एक बड़ी सुंदर सी महिला करीब 25 वर्ष की खड़ी कन्जिवरम साड़ी में बोतल जैसा उनका फिगर था वाक़ई बड़ी खूबसूरत नैन नक्श की थी वाक़ई राजीव दा बड़े भाग्य शाली थे...राजीव दा को देखतेः हुए वो मुस्कुराइ और उनसे गले मिली इतने में थ्री वीलर आगे बढ़ गया क्यूंकी एक आध कस्टमर मेरे बगल में आज़ु बाज़ू बैठ गये थे...

जब घर पहुचा तो मुझे खुशी हुई चलो समीर के बाद कोई और तो मिला ज्सिके साथ मैं अपना वक़्त काट तो सकता हूँ वरना अपनी इस जगह में आके भी इतने साल बाद जैसे अजनबी सा महसूस हो रहा था...घर में माँ बालों में तैल लगाए जैसे मेरा ही इंतेज़ार कर रही थी...आज उसका मूड ठीक था...मैने भी कोई कल उनके साथ हुए वाक्यात की बात नही छेड़ी..

और उनके पास बैठ गया और उन्हें राजीव दा से हुई नयी दोस्ती और मुलाक़ात दोनो बताने लगा....माँ बेहद खुश हुई कि चलो कोई तो मिला जिससे मैने दोस्ती तो की वरना समीर के बाद तो जैसे मैं अकेला सा हो गया था....माँ कंघी कर खाना बनाने चली गयी....मैने पाया कि माँ टीवी पे हिन्दी गाने लगाए सुन रही थी.....गाना काफ़ी रोमॅंटिक था इसलिए मैं बड़े गौर से सीन को देखने लगा जिसमें माधुरी को जॅकी कैसे सिड्यूस कर रहा था?

"देर से आना जल्दी जाना आए साहिब ये ठीक नही...
आए साहिब ये ठीक नही रोज़ बहाना करके जाना
प्यार किया है तो निभाना आए साहिब ये ठीक नही"

.....माँ भी जैसे किचन में गाने को सुन गुनगुना रही थी....मैने उसे पीछे से पकड़ लिया तो वो खुद को मुझसे छुड़ाने लगी....मैने उसे बताया कि अब हम जल्दी यहाँ से शिफ्ट हो जाएँगे तू बस चिंता ना कर तो माँ ने कहा कि तू अगर मुझे कहीं भी लेके जाए तो भी मैं खुश रहूंगी"....हम दोनो एकदुसरे के गले लग गये...

दो-तीन दिन तक सबकुछ नॉर्मल रहा माँ और मेरी ज़िंदगी में ऐसी कोई वाक़या नही घटा जिससे ये लगे कि कुछ हुआ है या फिर कुछ होगा? सबकुछ जैसे चल रहा था ठीक वैसे ही चल रहा था...इधर राजीव दा से एक आध बार और मुलाक़ात हुई इस बार वो सिविल ड्रेस में नही थे : वो अपनी वर्दी में थे मैं उनकी बाइक पे बैठा उनके घर भी गया था...वहाँ उन्होने अपनी वाइफ ज्योति से मिलवाया जैसे खूबसूरत थी वैसे ही दिल की भी उतनी नायाब और पाक वाक़ई मियाँ बीवी दोनो से ही मिलके जैसे मुझे अपनापन सा लगा था....राजीव दा आजकल मेरे साथ ड्यूटी के बाद काफ़ी देर रात गये तक फोन पे बात करते थे इस बीच माँ को भी राजीव दा के यहाँ ले गया था...तो वो माँ से मिलके काफ़ी खुश हुए साथ में उनकी बीवी ज्योति भाभी भी...हम मे कपल्स जैसा संबंध सा बन गया था....हम काफ़ी खुश रह रहे थे और राजीव दा वो तो मुझे अपनी बीवी के साथ हर रंगीन सिलसिलो की कहानी भी बताते थे उसे सुनके मैं गरम हो जाता था और वो गर्मी मैं अपनी प्यारी अंजुम से शहवत के तौर पे पूरी करता था

उस दिन मैं डेपारमेंटल स्टोर में एंक्वाइरी करने बैठा काम कर रहा था....पर थकावट बहुत ज़्यादा लग रही थी तबीयत भी कुछ ठीक सी नही लग रही थी सोचा हाफ-डे कर लूँ उपर से काम भी कम मिला हुआ था...मॅनेजर से बात करके मैं घर की ओर निकल गया...पता नही आज दिल क्यूँ घबराया बेचैन सा लग रहा था....कुछ समझ नही रहा था पूरे रास्ते बस फिकर हो रही थी जब माँ को कॉल लगाया तो माँ ने तुरंत फोन उठाया

माँ : हेलो?

आदम : हां माँ अफ तुम फोन नही उठा रही थी तो मुझे अज़ीब सी बेचैनी हो रही थी

माँ : हाहाहा तू भी ना काम में भी अपनी माँ के बारे में सोचता रहता है क्या होगा मुझे? काम में मैं व्यस्त थी वो क्या है ना कि लॉन में कपड़े डाल रही थी अब फिर फारिग होके खाना बनाउन्गी अब जा रही हूँ नहाने

आदम : अच्छा सुन मेरे लिए भी दोपहर का खाना बना लेना मैं घर आ रहा हूँ

माँ : अच्छा ठीक है तू आ जल्दी घर आ फिर

आदम : ठीक है माँ लव यू

माँ : लव यू टू बेटा

माँ ने इतना कह कर फोन कट कर दिया....वो अपने पास रखके तौलिए को लिए गुसलखने में घुस गयी वहाँ आके उसने अपनी गंदी नाइटी को उतारा साथ ही साथ अपने ब्रा और पैंटी को भी उसने आयने की तरफ देखते हुए अपने आर्म्पाइट्स में उग रहे बालों को सॉफ करना शुरू किया उसके बाद साबुन का झाग बना कर अपने गुपतांग के उपर उग रही झान्टो को सॉफ करने लगी क्यूंकी बेटा अगर देख लेगा तो फिर वो खुद उन्हें सॉफ कर देगा जिससे उसे शरम आती है...वो अपने गुपतांग के बाल सॉफ करते हुए नहाने लगी....
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RE: Maa Sex Kahani माँ को पाने की हसरत - by sexstories - 12-09-2019, 01:34 PM

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