Maa Sex Kahani माँ को पाने की हसरत
12-09-2019, 01:26 PM,
#75
RE: Maa Sex Kahani माँ को पाने की हसरत
दोनो शाम तक वापिस होटेल से मोरतुज़ा काका से विदा लेते हुए निकले....बेटे को इतना खुश देखके माँ को उस पर बेहद नाज़ हुआ कि अब उसे अपने पति की रूखी सुखी बातें और उसे झेलना नही होगा...अब उसे संभालने के लिए उसके बेटा ही काफ़ी है...अचानक माँ ने आदम को रोका और दोनो चूड़ियो के ठेले के पास आए....जिससे मैं ने बड़ी ही खूबसूरत लाल रंग की चूड़ियाँ खरीदी....उसका पति कभी उसे कुछ ऐसा नही दिलाता था...आदम ने अपने पैसो से माँ को चूड़िया खरीद के दी और उनकी कलाईयों में डाली...उफ्फ कितने अच्छे लगे रहे थे उनके हाथ चूड़ियो से भरे "जच रही है तेरे पे"......माँ शरमाते हुए मुस्कुरा बैठी ....फिर दोनो पास ही के एक चाइ के स्टॉल के पास स्टूल में बैठे चाइ की चुस्किया लेने लगे....घर आते आते रात हो गयी....माँ ने पिताजी को पहले से ही चाबी दे डाली थी लेकिन ये नही बताया कि हम मोरतुज़ा काका से मिलने गये थे...पिता जी भी कोई ख़ास ध्यान देते तो नही थे इसलिए हम कहाँ गये उन्हे कोई फरक नही पड़ा...जब घर पहुचे थे तो वो टी.वी पे वोई बोरिंग न्यूज़ देख रहे थे...

अगले दिन मैं सुबह सुबह रेलवे काउंटर गया....और वहाँ से माँ और खुद की अगले महीने की 20 तारीख के लिए टिकेट निकलवा लाया...माँ उदास थी कि वो यूँ इतने सालो बाद दिल्ली छोड़ने वाली थी...लेकिन मैने उसे दिलासा दी और कंधे पे हाथ रखते हुए मनाया कि अब तो ज़िंदगी सिर्फ़ एक दूजे के साथ काटनी है तो फिर काहे को चिंता? अब तू किसके साथ रहेगी तेरा अब है ही कौन? तू चाहे तो ननिहाल में रख दूं पर मैं नही चाहता कि तू किसी पे बोझ बन.....माँ मुस्कुराइ मेरी बातों से सहमत होते हुए उन्होने कहा कि वो अपनी मायके अगले हफ्ते चलेगी साथ में मैं भी उनके चलूं चलूं कम से कम मामा और नानी से तो मिल सकते है....मैने हामी भर दी....सॅलरी और नौकरी दोनो की बात मोरतुज़ा काका से फिक्स कर चुका था इसलिए उन्होने मेरे रहने तक का इंतेजाम करवाने का बोलके ये कहा कि मैं चाहू तो उनके घर भी ठहर सकता हूँ पर मैने मना किया कि क्यूंकी मैं अपनी अंजुम के साथ टाउन से थोड़ा बाहर रहना चाह रहा था ताकि हमे कोई डिस्टर्ब ना करे...और किसी को भी हमारी वहाँ मज़ूद्गी का अहसास ना हो...और मैं चाहता भी था कि रूपाली और बाकी सब से मैं माँ को दूर रखू उन्हे कुछ भी मालूम ना चलने दूं...मोरतुज़ा काका ने जगह मूहाय्या करवा दी थी जैसे ही वो होमटाउन पहुचे....मकान मालिक को पहले से कह दिया था कि किरायेदार में सिर्फ़ माँ-बेटे है जो अगले महीने पहुचेंगे

इधर पिता जी ने भी नोएडा जाने के लिए ट्रांसपोर्ट वाले को समान ले जाने का बोल दिया था....उन्होने आखरी बार हमसे हमारी राई माँगी....मेरा और उसकी पत्नी और मेरी माँ अंजुम का एक ही जवाब था कि हम दोनो एक साथ रहेंगे और हम वापिस बेंगाल जा रहे है...मैने सिर्फ़ इतना कहा कि मेरी नौकरी लग चुकी है...पिताजी ने काफ़ी समझाया कि मैं ग़लत डिसिशन ना लून ये ज़िंदगी का फ़ैसला है..पर मैं अड़ा रहा...पिताजी ने भी कहा कि ठीक है जब तक मेरे हाथ में हुनर है मैं भूका नही मरूँगा...हमने भी कह दिया कि हम उनके पास अब नही आएँगे....पिताजी ने माँ से तलाक़ के बारे में कुछ भी डिसकस नही किया वो अंजुम से सेपरेट होने को तय्यार थे...मैने पिताजी को सॉफ कह दिया कि हमे उनकी एक फूटी कौड़ी भी नही चाहिए....पिता जी से थोड़ी गरमा गर्मी हुई लेकिन बात बीच में सम्भल गयी....उस दिन के बाद से मैं अपने पिताजी से बिल्कुल ना के बराबर बात करने लगा....मैने माँ को विश्वास दिलाया कि एक बार मुझे पैर पे खड़ा होने दे तो फिर देखना हमारी घृहस्थी वापिस से कैसे बस्ती है? माँ का यूँ मेरे साइड होना मुझे इतना हौसला देना मुझे काफ़ी अच्छा लग रहा था...

उस रात ट्रांसपोर्ट वाले से बात करके मैने कुछ सामान अपने साथ होमटाउन ले जाने की बात पक्की की ही थी...कि इतने में समीर का कॉल आ गया

आदम : हां बोल समीर

समीर : भाई तू बता कैसा चल रहा है सब?

आदम : यार तुझसे बहुत बातें करनी थी

समीर : मुझे भी तुझसे बहुत बातें करनी थी कल शाम को फ्री है?

आदम : तेरे लिए और फ्री ना रहूं तू बोल के तो देख कब मिलना है तुझसे?

समीर : बात ही कुछ ऐसी है कि तेरा मुझसे मिलना दरकार है (मैने सोचा आख़िर समीर को मुझसे क्या काम आ पड़ा?)

समीर ने मुझे कल शाम हेमा आंटी के घर आने को कहा..मैं थोड़ा चमका हेमा आंटी के घर समीर को कैसे मालूम चला? मैं उससे और कुछ पूछता उसने आगे कुछ नही बताया बस बोला कि तू आ जाना बस उसकी बातों में एक शरारत सी थी...मैं समझ नही सका.....हेमा आंटी से उस दिन के बाद मैं मिला नही था...इसलिए अपनी माँ अंजुम को मैने कुछ नही बताया वैसे भी ज़ख़्म फिर उनके हरे हो जाते जो मैं कतई नही चाहता था

अगली शाम मैं हेमा आंटी के घर आया...सीडियो पर से चढ़ता हुआ हेमा आंटी की हरकत से मैं अब भी नाराज़ था...मैं एकदम गुस्सा था....फिर हैरानी में भी था कि समीर हेमा आंटी के घर कैसे पहुचा? बहुत सवालात लिए जब मैं उपर आया तो पाया दरवाजा खुला हुआ है....अंदर आते ही म्यूज़िक की आवाज़ सुनाई दी...एक टेबल पे नमकीन और कुछ विस्की बॉटल थी....समीर नमकीन ख़ाता हुआ मुझे देखके मुस्कुरा उठा

आदम : अबे तू यहाँ? (मैने समीर से हाथ मिलाते हुए गुस्से भरी नज़रों से हेमा को देखा जो शराब ज़रूर पी रही थी पर मुझे देखके उसकी हँसी गायब हो गयी थी वो एकदम सेहेम सी रही थी नज़रें नीचे किए)

समीर : आदम प्ल्स शांत हो जा जो हुआ उसमें आंटी ने अपनी ग़लती मानी तुझे गारंटी देके अपनी सहेली अंजुम आंटी को वो ले गयी ये उनकी सबसे बड़ी भूल थी वो अपनी ग़लती मान रही है वो चाह तो रही थी कि अंजुम आंटी से भी बात कर ले पर!

आदम : माँ आंटी से कोई बात नही करने वाली वो सख़्त इनके खिलाफ है अगर उन्हें मालूम चला कि मैं यहाँ आया हूँ तो मुझपे भी बरस पड़ेगा

हेमा : बेटा प्ल्स मुझे मांफ कर दे मुझे बहुत गिल्ट हो रहा है...मैं मानती हूँ कि मेरी उस एक ग़लती उस एक भूल से तेरी माँ के साथ कुछ भी हो सकता था अगर तू और समीर वक़्त पे ना आते

समीर मेरी बाँह पकड़ मुझे बाहर ले आया...उसने मुझे समझाया जो हुआ उसे भूल जाए...मैने समीर को बताया कि मैं और मेरी माँ अंजुम शहर छोड़के हमेशा हमेशा के लिए घर जा रहे है अपने होमटाउन...समीर ये सुनके नाखुश ज़रूर हुआ और दुखी भी...उसने कहा कि क्या ज़रूरत आ पड़ी? कम से कम अगर नौकरी की वजह थी तो उसे मैं बेझिझक कह सकता था....मैं उसके दुख और उसके ज़ज्बात को समझ सकता था कि अभी आए और अभी हमारी ज़िंदगियो में ऐसा मोड़ आ गया

मैं मुस्कुराया और समीर को समझाया कि पिता जी ने हमे छोड़ने का फ़ैसला करते हुए नोएडा शिफ्ट हो रहे है..हम उनके साथ नही जा सकते माँ भी उनके साथ नही रहना चाहती...समीर ने मेरे हालातों को समझा फिर उसने भी बताया कि कुछ दिन से उसका भी बिज़्नेस थोड़ा डाउन चल रहा है अब सोच रहा है कि वो भी वापिस माँ को लेके मुंबई चला जाए अब यहाँ रह ही क्या गया? जब दोस्त भी नही रहा...आदम ने उसे समझाया कि खामोखाः उसके लिए ऐसा क्यूँ सोच रहा है?....समीर मुस्कुराया उसने कहा कि एक वोई तो दोस्त था जो उसे समझ पाया इतने साल तक...खैर गिले शिकवे भूल जाए और यही वक़्त है कि अपनी माँ की इज़्ज़त का पूरा पूरा हेमा से बदला ले ये एक सुनेहरा अवसर है उसे चोदने का ..आदम ने कहा कि वो उसे इन्सिस्ट कर रहा है जबकि आदम उससे पहले हेमा आंटी को जानता था.....समीर ने बताया कि उस दिन जब हेमा को बचा कर वो बाहर निकला तो समीर को चलते वक़्त उसने अपनी आपबीती सुनाई तो समीर ने उसकी मज़बूरी और पैसो की ज़रूरत समझते हुए बिना आदम को बताए उसे 5000 रुपया दे दिया...जिससे हेमा को अहसास हुआ कि आदम का दोस्त समीर कोई बड़ा आदमी है

आदम : तो फिर तू यहाँ कैसे?

समीर : बस उसी पल मैने उसका नंबर ले लिया...इस हेमा रानी के शरीर का गठन पूरा उसकी माँ से भी ज़्यादा है...काफ़ी सेक्सी फिगर है और वैसे भी माँ ने अभी फिलहाल नो कह दिया है क्यूंकी वो बीमार चल रही है और मैं उन्हें ऐसे टाइम में डिस्टर्ब करना नही चाहता (आदम चुपचाप सुना)
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RE: Maa Sex Kahani माँ को पाने की हसरत - by sexstories - 12-09-2019, 01:26 PM

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