RE: Desi Sex Kahani रंगीला लाला और ठरकी सेवक
उसके गाढ़े वीर्य में इतनी चिपक थी, कि जीभ हटते हुए भी वो लाट बनकर उसकी जीभ तक किसी तार की तरह खिंचता चला गया…!
बेटे के वीर्य का स्वाद लेते ही उसकी रही सही समझ जाती रही, और उसने उसे अपनी मुट्ठी में कस कर पकड़ लिया…!
अपने लंड पर किसी के हाथ की पकड़ महसूस करके शंकर की नींद खुल गयी, अपनी माँ को पास बैठकर अपने लंड को पकड़े देख कर वो झटके से उठते हुए बोला-
माँ ! तू ये क्या कर रही है…?
अपने बेटे को उठते हुए देख कर रंगीली एक दम से हड़बड़ा गयी, उसकी चोरी पकड़ी गयी थी, लेकिन अपनी झेंप मिटाने के लिए उसने उसी पर पलट वार करते हुए कहा –
पहले तो तू ये बता, कि अभी तक सो क्यों रहा था, और ये तेरा पाजामा इतना गीला क्यों हो रहा है, मे तुझे उठाने आई थी, और जब ये देखा तो देखने लगी कि ये कैसे हुआ…?
शंकर ने उठते हुए पहले अपना हाथ बढ़ाकर अपने पाजामे को उपर करने की कोशिश की, तो रंगीली ने एक थप्पड़ उसके हाथ पर जड़ दिया और कड़क कर बोली…
इसे यहीं रहने दे, पहले मुझे इसका जबाब दे ये गीला क्यों हुआ…?
उसने अपने पाजामे को देखा जो वाकई में चिप चिपा सा हो रहा था, इससे पहले ऐसा कभी नही हुआ था उसके साथ, तो फिर आज क्यों..?
वो सोच में पड़ गया, फिर उसे अपने सपने के बारे में कुछ धुंधली सी बातें याद आई, और उसके चेहरे पर सकुन से भरी स्माइल आ गयी, जिसे देख कर रंगीली बोल पड़ी….
अब ऐसे मुस्करा क्यों रहा है, बता ना क्या बात है…?
वो उसे टालते हुए बोला – कुछ नही माँ, हो सकता है ज़्यादा देर सोने की वजह से मेरा मूत निकल गया होगा…!
रंगीली – अच्छा ! मूत ऐसा गाढ़ा-गाढ़ा, चिप चिपा होता होगा.. क्यों..? सही सही बता, वरना बहुत मारूँगी…!
शंकर अब कैसे बताए कि उसने रात सपने में क्या-क्या देखा और क्या-क्या किया..? सो अपनी माँ को टालते हुए बोला – मार ले माँ, अगर तुझे मेरी बात पर विश्वास नही है तो…!
रंगीली थोड़े गुस्से वाले लहजे में बोली – हां..हां.. खिला खिला के सांड जो कर दिया है, अब तुझे अपनी माँ की मार का क्या असर होना है…
फिर अपनी रोनी सी सूरत बना कर बोली – अब तो तू बड़ा हो गया है, अपनी माँ से बातें छिपाना सीख रहा है, कोई बात नही बेटा, यही तो होता आया है इस जगत में…
बच्चे बड़े होते ही अपने माँ बाप को दरकिनार करने लगते हैं, तू कॉन्सा नया काम कर रहा है…!
शंकर अपनी माँ की बात सुनकर तड़प उठा, उसके गले लगते हुए बोला, अपने बेटे को तू दूसरों की तरह समझती है माँ…!
तेरा बेटा तेरी एक आवाज़ पर अपनी जान कुर्बान कर सकता है…!
रंगीली ने उसके मुँह पर अपना हाथ रख दिया, और उसे अपने सीने से कसते हुए बोली – जान देने की बात नही करते मेरे बच्चे, ठीक है तू नही बताना चाहता है तो ना सही…!
शंकर – वो माँ मुझे शर्म आ रही है, जो सपना मुझे रात को आया उसके बारे में बोलते हुए, बस और कोई बात नही है…!
सपने की बात सुनकर रंगीली समझ गयी, कि रात उसके बेटे ने कोई ऐसा हसीन सपना देखा है, जिसे देख कर वो अपनी उत्तेजना पर काबू नही कर पाया और उसका वीर्य छूट गया…!
अब उसकी जिग्यासा और बढ़ गयी ये जानने की, कि आख़िर उसने सपने में ऐसा क्या देखा जो वो इतना उत्तेजित हुआ होगा…?
उसने फिलहाल उसे इस बारे में ज़्यादा कुछ नही कहा और बोली – चल ठीक है, अभी नही पुछति इस बारे में, तू जल्दी से उठ स्कूल जाना है, सलौनी आती ही होगी…
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