RE: Desi Sex Kahani रंगीला लाला और ठरकी सेवक
जिग्यासा बस रंगीली ने पुछा – वो क्या तरकीब थी लाला जी…,
और फिर मज़े-मज़े में लाला जी ने सारी बात बता दी,
कैसे उन्होने उसके बाप को बातों में फँसाकर लालच देकर रामू जैसे ग़रीब और मरियल से आदमी के साथ उसका ब्याह कराया, फिर कैसे उन्होने रामू और उसके माँ-बाप को क़र्ज़ का डर दिखाकर उसे अपने यहाँ काम पर आने के लिए विवश किया…!
रंगीली, लाला के चेहरे पर टॅक-टॅकी लाए सारी दास्तान सुन रही थी, अंदर ही अंदर उनकी इस गंदी सोच के कारण उसका मन आत्म ग्लानि से भरता चला गया,
अपने जीवन के साथ हुए इतने घिनौने खिलवाड़ के कारण उसका दिल रो पड़ा.., वो तो अब तक इसे विधि का विधान समझ कर जी रही थी…
लेकिन ये सब लाला का बनाया हुआ विधान था, ये जानकार उसका मन खिन्न हो उठा..!
जो प्यार, जो मुहब्बत एक पल पहले तक लाला जी के लिए उसके मन में थी, वो अचानक से ही टूटती नज़र आने लगी, और उसका स्थान नफ़रत ने ले लिया…!
लेकिन वो अपनी स्थिति से भली भाँति परिचित थी, इसलिए उसने अपने मनोभावों पर नियंत्रण कर लिया, और ऐसा एक भी भाव अपने चेहरे पर आने नही दिया, जिससे लाला को लगे कि वो इस खुलासे से दुखी है…!
प्रत्यक्ष में अपने चेहरे पर मुस्कान बिखेरते हुए बोली – आप तो बड़े चालबाज़ निकले धरमजी…! बताओ, मुझ बेचारी को ऐसे फँसाया आपने…?
लाला – तुम्हें ये सुनकर दुख तो नही हुआ…?
रंगीली – दुख कैसा, अब मेरा बाप कोई धन्ना सेठ तो था नही जो किसी राज घराने में मेरा ब्याह करता, वो तो भला हो आपका जो फोकट में ही मेरा ब्याह करवा दिया…!
और सबसे अच्छा तो यही हुआ कि मे आपके दिल के करीब हूँ, और जो सुख मुझे कभी नही मिल सकते थे, वो मिल रहे हैं…! और क्या चाहिए मुझे…!
उसकी बात सुनकर लाला को राहत पहुँची, क्योंकि कहीं ना कहीं वो खुद भी ये सोच रहे थे, कि ये सच्चाई जानकार रंगीली कहीं उनसे नाराज़ ना हो जाए…!
लेकिन रंगीली अब नाराज़ ही नही हुई बल्कि उसके कोमल मन में नफ़रत का वो बीज़ पनप चुका था, जो आने वाले भविश्य में लाला के खानदान पर बहुत भारी पड़ने वाला था…!
वो अब दिखा देना चाहती थी, कि नारी मात्र ऐसे धन्ना सेठों के इशारे पर चलने वाला खिलौना नही होती..!
वो अपनी पर आजाए तो अच्छे अच्छे राज पटों को मिट्टी में मिला सकती है…!
“त्रिया चरित्रम, पुरुशस्य भाग्यम”
जिससे विक्रमादित्या जैसे राजा भी पार नही पा सके…, तो फिर ये तुच्छ सा लाला क्या चीज़ है…
अब एक नफ़रत की चिंगारी उसके कोमल हृदय में सुलग चुकी थी, जिसके भड़कते ही लाला का सब कुछ तबाह हो जाने वाला था…………….!
समय गुज़रता गया, रंगीली और लाला जी के बीच का रिस्ता और दिनो-दिन प्रगाढ़ होता जा रहा था,
अब रंगीली ने लाला जी से कहकर अपने पति रामू को उनके कारोबार के कामों में ही लगवा दिया, और वो रेलवे यार्ड की पल्लेदारी छोड़ कर वहीं लाला के खेतों में काम करने लगा…
इधर रंगीली लाला और कल्लू की खुराक से बचा-बचा कर कुछ बादाम-पिसता और भी पौष्टिक चीज़ें जो लाला जी अपनी जवानी बरकरार रखने के लिए इस्तेमाल करते थे उन्हें अपने पति रामू को भी खिलाने लगी..जिससे धीरे-धीरे उसके अंदर भी पौरुष बढ़ने लगे…
अब धीरे-धीरे रामू भी अपनी पत्नी के साथ रति सुख का आनंद लेने लगा, उसे अब रंगीली के प्रयासों से अपने अंदर के पौरुष को बढ़ाने की ललक पैदा होने लगी…!
बिस्तर पर रंगीली उसे पूर्ण सुख देने का भरसक प्रयास करती, अपनी कामुक बातों से उसे दम लगाकर चोदने के लिए प्रेरित करती, अब रामू उस पर अटूट विश्वास करने लगा, और उसकी हर बात मानने लगा…!
रामू ने अपनी पत्नी के सुझाव से शहर जाकर एक ऐसे तेल का भी पता कर लिया था, जिससे उसकी लुल्ली, लंड में तब्दील हो सके, उसे लाकर उसने रंगीली को दिखाया..
अब वो चुदाई से पहले उसके लंड की जमकर मालिश करती जिससे अब उसकी लुल्ली, अच्छा-ख़ासा लंड बनती जा रही थी, जिसे रंगीली सही से एंजाय करने लगी…!
लाला के प्रति उसके दिल में नफ़रत, और अपने पति के लिए प्रेम में तब्दीली होती जा रही थी…! आख़िर कुरूप ही सही था तो वो उसका पति ही इस सार्वजनिक जीवन में.
इस सबके बावजूद भी रंगीली ने लाला जी को ये एहसास कभी नही होने दिया कि वो उनके साथ सच्चे मन से चुदाई का मज़ा नही ले रही…!
वो तो अब लाला को पहले से भी ज़्यादा मज़ा देने की कोशिश करती जिससे उसके मन में कोई शक़ पैदा ना हो…!
|