01-23-2021, 12:53 PM,
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desiaks
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RE: Kamukta kahani कीमत वसूल
अंज ने कहा "में डाक्टर को दिखाकर घर आ गई हैं, और मेरी मोम आपसे मिलने को कह रही हैं। क्या आप आ सकतं हो?"
मैंने कुछ सोचकर ही बोल दिया।
मैंने अंजू के घर की तरफ कार मोड़ दी अंजू का घर आफिस के पास ही था। वहां जाकर मैंने कार पार्क की और उसके दरवाजे को खटखटाया। अंजू ने दरवाजे खोला और मुझे बड़ी प्यारी सी स्माइल दी। फिर उसने मुझे कहा "वेलकम सर.
मैं अंदर पहुँचा तो उसकी माम ने मुझसे कहा- "सर, आप हमारे घर आए मुझे बड़ा अच्छा लग रहा है। आज आपकी वजह से हम इतने बड़े डाक्टर को दिखा पाए। मैंने तो कभी सोचा भी नहीं था की मैं इतने बड़े डाक्टर से इलाज करवा सकती हैं..."
मैंने कहा- नहीं आंटी, आप मुझे शमिंदा नहीं करें और कोई परेशानी तो नहीं हुई?
अंज इतने में पानी लेकर आ गई थी। कहने लगी- "सर, डाक्टर ने हमसे अच्छे से बात की थी। आपका नाम लेने की वजह से हमको ज्यादा इंतजार भी नहीं करना पड़ा..."
मैंने कहा- मुझे पता है मेरी डाक्टर से बात हो गई थी।
फिर अंजू की मोम ने कहा- "आप चाय पीकर जाइएगा.."
मैंने कहा- जी नहीं, मैं अब चलूँगा कुछ काम है।
अंजू ने कहा- "सर, प्लीज आप पहली बार आए हैं कुछ तो लीजिए."
मैंने कहा- "आज नहीं फिर कभी ले लेंगा.." और मैंने हाके से अंज को आँख मार दी।
अंजू शर्मा गई। मैंने अजू की माँ को नमस्ते की और खड़ा हो गया।
अंजू की मोम ने कहा- "अंज, सर को बाहर तक छोड़ आओ.."
अंजू मेरे साथ बाहर तक आई मैंने हल्के से अजू को कहा- "कल आफिस आओगी या नहीं?"
अंज बोली- "सर, मैं कल क्यों नहीं आऊँगी?"
मैंने कहा- आज का नाश्ता रह गया ना?
अंजू ने भी मुश्कुराते हुए कहा- "मंजूर है कल आपको जैसा नाश्ता करना हो कर लेना सर। आपने हमारे लिए इतना करा है हम तो आपके एहसान से दब गये हैं."
मैंने कहा- "ऐसा कोई एहसान नहीं करा मैंन। बस में तो इंसानियत है...' कहकर मैं चला आया। मेरे दिमाग में अब ऋतु के साथ अंज का भी चोदने का खयाल पनप गया था। मेरे दिमाग में अब दो-दो सीलबंद चूत घूम रही श्री अंजू और ऋतु दोनों को मैं अब अपने लण्ड के नीचे लाने की तरकीब सोचने लगा।
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01-23-2021, 12:54 PM,
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RE: Kamukta kahani कीमत वसूल
मेरा घर कब आ गया पता ही नहीं चला। मैंने दिमाग को फ्रेश करने के लिए बियर पी और डिनर लगाने को कहा। डिनर के बाद मुझे नींद आने लगी। मैं जल्दी सो गया अगले दिन सुबह मैंने आफिस जाने से पहले ऋतु को फोन किया की आज मैं आफिस देर से आऊँगा। तुम मेरे केबिन में जाकर वहां कुछ चेक रखें हैं उनको बैंक में लगवा देना। में जब आफिस पहुँचा तो ऋतु मेरे केबिन में ही बैठी थी।
ऋतु ने कहा- "सर, मेरी मोम आपसे मिलना चाहती हैं। अगर आप कहो तो उनको मैं आफिस में बुला ल...
मैंने ऋतु से पूछ- "उनको क्या काम है मेरे सं?"
उसने कहा- पता नहीं क्या बात है?
मैंने कहा- "ऑक बुला लो... और में बैठा सोच रहा था की ऐसा क्या काम होगा? कहीं मेरे और ऋतु के बारे में कोई बात तो नहीं पता चली? फिर मैंने सिर झटका और कहा देखते हैं।
करीब 3:00 बजे ऋतु की मोम आ गई। ऋतु की मोम को देखकर उनकी उम का आइडिया लगा पाना मुश्किल लग रहा था। ऋतु की मोम भी ऋतु जैसे गोरी और सुंदर थी, उनका फिगर एकदम मस्त था। ऋतु जैसा ही काले लंबे बाल। बस एक खास चीज जो मैंने नोटिस की, वो थी उनकी गाण्ड जो कि बिल्कुल सेंब के आकार में थी। साड़ी में अलग ही उभर रही थी।
ऋतु की मोम मेरे सामने बैठी थी फिर वो बोली- "सर, वैसे तो आपसे कुछ कहते भी नहीं बन पड़ रहा। पा मजबूरी ऐसी है की अगर आप हेल्प कर दो तो आपका बड़ा एहसान होगा हम पर..."
मैंने कहा- "आप बताइए तो सही। अगर मैं आपकी हेल्प कर सकता हैं तो जरूर करेंगा.."
वो बोली- "ऋतु की बड़ी बहन जिसकी शादी को अभी एक साल हुए हैं उसकी शादी के टाइम हमने किसी से इंटरेस्ट पर पैसा ले लिया था। लेकिन ऋतु के पापा अभी तक पैसों का इतजाम नहीं कर पाए। अब जिसको पैसा देना है वो हमको कल धमकी देकर गया है की अगर7 दिन में उसके पैसे नहीं लोटाये तो वो हमको जेल में भिजवा देंगा, और वो बड़ा गंदा आदमी है गंदी-गंदी गालियां देकर बात करता है। हम बड़ी मुशीबत में है और कोई सहारा नहीं है। अगर उसको पैसा नहीं लौटाया तो वो हमें बर्बाद कर देगा। हम कहीं के नहीं रहेंगे..." कहते कहते ऋतु की मम्मी की आँखों में आँसू भर गये और वो सिसकियां लेकर रोने लेगी।
मैंने उनको पानी दिया और कहा- "आप रोना बंद करिए। मैं देखता हैं आप मुझे उस आदमी का नाम बताओ, जिसको पैसे देने हैं, और कितने देने हैं ये बताइए.."
ऋतु की मम्मी ने मुझे उस आदमी का नाम बताया। नाम सुनकर मैं मन ही मन मुश्कुरा उठा। वो बंदा मेरे दोस्त का भाई था, जिसकी मैंने कई बार हेल्प की है। मैंने ऋतु की मम्मी से कहा- "ये आदमी तो सच में ही बड़ा गलत हैं। आपने इससे पैसे क्यों लिए आपको पता नहीं था बया?"
इसके बारे में वो बोली- "अत की बहन की शादी के टाइम हमको अचानक रुपयों की जरूरत पड़ गई और कहीं से इंतजाम नहीं हुआ। मजबूरी में इससे लेना पड़ा। उसने हमसे ब्लैंक चेक और स्टाम्प पेपर साइन करवा के रखें मैंने एक गहरी सांस लेते हुए कहा- "पैसा कितना लिया था?"
बो बोली- "275000 जोकि अब इंटरेस्ट जोड़कर एक लाख हो गया है। अब तो आपका ही सहारा है। अगर आप मदद कर दो तो हम इस मुशीबत से बच सकते हैं.."
मैंने कहा- "आप मुझे थोड़ा सोचने का टाइम दीजिए। मैं देखता है की मैं आपकी क्या हेल्प कर सकता है?" फिर मैंने कहा- "आप ये बताइए की आपको अगर मैं कहीं से इंतजाम करवा भी दूं तो आप वो पैसा कब तक लौटा सकते हैं?"
वो बोली- "ऋतु के पापा की तो कोई ज्यादा इनकम नहीं है। अत को जो आप सेलरी देते हैं, उससे ही घर चलता है। ऋतु की एक छोटी बहन और है जोकि अभी बी.ए. में हैं...
मैंने ये सुनकर कहा- "आप खुद सोचिए की आप किस तरह से इन हालात में पैसा लौटा पाएंगी?"
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01-23-2021, 12:54 PM,
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RE: Kamukta kahani कीमत वसूल
मैंने कहा- "आप मुझे थोड़ा सोचने का टाइम दीजिए। मैं देखता है की मैं आपकी क्या हेल्प कर सकता है?" फिर मैंने कहा- "आप ये बताइए की आपको अगर मैं कहीं से इंतजाम करवा भी दूं तो आप वो पैसा कब तक लौटा सकते हैं?"
वो बोली- "ऋतु के पापा की तो कोई ज्यादा इनकम नहीं है। अत को जो आप सेलरी देते हैं, उससे ही घर चलता है। ऋतु की एक छोटी बहन और है जोकि अभी बी.ए. में हैं...
मैंने ये सुनकर कहा- "आप खुद सोचिए की आप किस तरह से इन हालात में पैसा लौटा पाएंगी?"
ऋतु की मम्मी ने मेरे आगे हाथ जोड़ दिए और कहा- "अब आप ही हमारी मदद कर सकते हैं, वरना हम कहीं के नहीं रहेंगे..."
मैंने कहा- "आप मुझे शर्मिदा नहीं करिए। लेकिन मैं आपकी मदद कैसे करण? ये सोचने की बात है। आप अभी घर जाइए मैं आपको कल तक बता दूँगा.. और ये कहकर मैंने अपनी बात खतम कर दी।
ऋतु की मम्मी चली गई। मैं अपनी चेंगर पर झला झलने लगा। थोड़ी देर में ऋतु मेरे कैबिन में आई।
मैंने उसको बोला- "तुम जानती हो तुम्हारी मम्मी यहां क्यों आई थी?"
ऋतु से कोई जवाब नहीं दिया गया। वो बोली "सर, प्लीज हमारी हेल्प कर दीजिए। नहीं तो हम सबकी लाइफ बर्बाद हो जायेगी और मेरे पापा को हार्ट की प्रोबलम है। उनका कुछ हो गया तो हम सबका क्या होगा?"
मैंने ऋतु को कहा- "मुझे अभी सोचने दो की मैं क्या कर सकता हूँ? और तुम जाने से पहले मुझे मिलकर जाना..."
जानें से करीब 30 मिनट पहले ऋतु मरे केबिन में आईं।
मैंने उसको बड़े प्यार से कहा- "देखो ऋतु, मैं अभी तुमको कोई वादा नहीं कर सकता। पर तुम मुझे ये बताओ की इतना बड़ा अमाउंट वापिस कैसे करोगे तुम लोग? ऋतु मैं जानता हैं की तुम्हारी सेलरी से ही तुम्हारा घर चलता है। उससे अगर कटवावगी तो ये भी सोचकर देखो की घर का खर्चा कैसे चलेगा?"
ऋतु ये सुनकर रूबांसी सी हो गई और मेरे से चिपक कर रोने लगी। कुछ बोली नहीं।
मैंने उसको कहा- "रोना बंद करो। मैं कुछ ना कुछ करता है। पहले तुम जरा मुझं रिलॅक्स तो कर दो.."
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ऋतु समझ गई मैं क्या चाहता है। उसने मेरी जीन्स की जिप खोली और मेरा लण्ड बाहर निकालकर चूसने लगी। मुझे आज चुप्पे में मजा नहीं आ रहा था। वो लण्ड चूस जर रही है, पर मजा नहीं आ रहा था।
मैंने उसको कहा- "तुम दिल से नहीं चूस रही हो.."
उसने कहा- "ऐसा तो नहीं है सर."
फिर मैंने उसको कहा- "मुझे मजा नहीं आया तो में फ्री दिमाग कैसे हो पाऊँगा?"
सुनकर वो एकदम से मेरे लौड़े का पूरा मुँह में लेकर जोर-जार से चूसने लगी। अब मुझे मजा आने लगा। मैं उसकी चूची पर हाथ फेरता रहा। फिर मैंने उसके मुह में ही अपना सारा माल झाड़ दिया। वो सारा माल पी गईं।
अब मैंने उसको अपनी गोद में बैठा लिया और उसके गाल चूमने लगा। फिर मैंने उसकी कुरती में हाथ डाल दिया, तो वो कुछ नहीं बोली। फिर मैंने हल्के-हल्के उसकी सलवार के ऊपर से उसकी चूत को सहलाया। आज पता नहीं क्यों उसने कोई ना-नकुर नहीं की। मैं थोड़ी देर उसके जिश्म से खेलता रहा।
फिर मैंने उसको कहा- "अब घर जाओ, देर हो जाएगी.."
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RE: Kamukta kahani कीमत वसूल
फिर मैंने उसको कहा- "अब घर जाओ, देर हो जाएगी.."
उसने कहा- "सर प्लीज... आप हमको इस परेशानी से बचा लीजिए। आप जो कहोगे में करोगी। आपकी हर बात माऊँगी। आपको कोई भी शिकायत नहीं मिलेंगी..."
मैं जानता था की अब उसके पास और कोई रास्ता नहीं है। वो जानती है की मैं हेल्प की कीमत उसकी कुंवारी चूत को फाड़कर वसूल करगा। मैंने कहा- "चिंता मत करो। मैं हैं ना..."
वो चली गई। ऋतु के जाने के बाद मैं कुछ देर सोचता रहा। अब मेरे दिमाग में कुछ और ही नया प्लान चलने लगा था। मैं अब ये तो जान ही चुका था की ऋतु मेरे आगे पूरी तरह से समर्पण कर चुकी है। जब मर्जी उसको चोद सकता है। पर अब मैं उसको ऐसे नहीं चोदना चाहता था।
मैंने तिवारी को फोन लगाया। तिवारी वो बंदा था जिसने ऋतु की मम्मी को लोन दिया था। मैंने उसको कहा की मुझे आज रात को विक्टर बार में मिलो। वो बार मेरे दोस्त का ही है जिसमें मैं कभी-कभी चला जाता हैं। मैं ठीक 9:00 बजे बार में पहुँचा, तो तिवारी वहां पहले से बैठा था। मुझे देखकर तिवारी ने कहा- "आज अचानक से मुझे कैसे याद करा आपने?"
मैंने तिवारी से कहा- "पहले एक-एक पेंग पीते हैं। फिर बात करते हैं..."
तिवारी ने मेरे पेग में आइस डालते हुए कहा- "सरजी, आप मुझे जल्दी से बताओं की क्या बात है। जब में
आपका फोन आया है मैं सोच में पड़ा है."
मैंने मुश्कुराते हुए कहा "तिवारी तुमने किसी रमेश नाम के आदमी को कोई लोन दिया है?"
सुनते ही तिवारी बोला- "हाँ सरजी दिया है। पर आप में क्यों पूछ रहे हो?"
मैंने तिवारी से कहा- "तुमको इंटरस्ट मिल रहा है या नहीं?
तिवारी ने गली देते हुए कहा- "उसकी तो मैं अब माँ चोदकर ही पैसा वसूल करेंगा.."
मैंने कहा- "शांत बैठकर बात करो, गुस्सा मत दिखाओ। मैं तेरा फैसला करवा सकता है."
सुनकर तिवारी उल्लू की तरह मुझे देखने लगा।
मैंने मुश्कुराकर कहा- "पहले मुझे सब बात सच-सच बता। तूने उसको पैसा क्या देखकर दिया था?"
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तिवारी बोला "सर, मैं उस छिनाल की बातों में आ गया था..."
मैं समझा गया की वो ऋतु की माँ की बात कर रहा है। मैंने उससे अंजान बनते हए कहा- "कॉन छिनाल?"
तिवारी बोला. "उसकी रमेश की बीबी। शोभा साली अपनी चूचियां दिखाकर मेरे से पैसा ले गई और कहा की हर
महीने टाइम पर इंटरेस्ट देती रहेगी..."
मैंने भी सोचा- "इसकी दो जवान लड़कियां हैं, साली मुझसे क्या धोखा करेंगी? मैं उसकी लड़कियों को चोदकर पैमा ले लँगा.."
मेरी समझ में अब पूरा माजरा आ गया था। मैंने तिवारी को अपनी जेब से एक लाख का पैकेट निकालकर दिया
और कहा- "मैं अब जैसा बोलता है वैसा ही करता जा."
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RE: Kamukta kahani कीमत वसूल
मेरी समझ में अब पूरा माजरा आ गया था। मैंने तिवारी को अपनी जेब से एक लाख का पैकेट निकालकर दिया
और कहा- "मैं अब जैसा बोलता है वैसा ही करता जा."
तिवारी कभी मुझे और कभी पैसों को देख रहा था। उसकी समझ में नहीं आया की मैं क्या कह रहा हैं।
मैंने उसको कहा- "अपना दिमाग ज्यादा मत लगा। मेरी बात सुन। त कल ही उसका चेक बैंक में लगा दें..."
तिवारी बोला, "मैंने तो उसको 7 दिन का टाइम दिया है..."
मैंने कहा- "उल्लू के पट्टे तुझें पैसा मैं अभी दे रहा हूँ। तू 7 दिन क्या झक मरवाता रहेगा?"
तिवारी ने मुझसे कहा- "सर जी आप इन जैसे फकले लोगों के चक्कर में कहा से आ गये, माजरा क्या है?"
मैंने कहा- पहले कल चेक बैंक में लगवा, और जब तक मैं तुझे फोन नहीं कर त मेरे आफिस नहीं आना। तू मुझे जानता भी नहीं है। ये बात शोभा को नहीं बोलोगे समझा?"
तिवारी ने ही में मंडी हिला दी।
मैं वहां से घर आ गया। अगले दिन ऋतु आफिस में गुमसुम सी बैठी थी। मैंने उसको अपने केबिन में बुलाया
और पूछा- "क्या बात है?"
ऋत ने कहा- "सर, घर में सब उसी बात से परेशान हैं। इसलिए थोड़ा सा मूड खराब है और कोई बात नहीं.." फिर उसने कहा- "सर आप हमारी हेल्प करेंगे ना?"
मैंने कहा- "मैं तुमसे बाद में बात करता हैं। तुम अभी रूको जरा..." और मैंने पूरा दिन ऋतु को यह कहकर टाल दिया की मैं कुछ ना कुछ करता हूँ।
अगले दिन मैं आफिस में गया ही नहीं, मुझे कुछ काम था। ।
उसके अगले दिन में आफिस में देर से गया। तब तिवारी का मेरे पास फोन आया की शोभा का चेक बाउन्स हो
गया है।
मैंने उसको कहा की आज ही उसको लीगल नोटिस भेज दे और कल तक का टाइम दे दे..."
मैंने उस दिन भी ऋत् को कोई पाजिटिव जवाब नहीं दिया। बस उसको यही कहा की में कुछ ना कुछ करता है। टाइम बीत रहा था, ऋतु की बेचैनी बढ़ती जा रही थी। मुझे अंजू से पता चला की ऋतु के घर से उसकी मोम का भी कई बार फोन आया था। मैं तो बस अब कल का इंतजार कर रहा था।
और अगले दिन जब नाटिस शोभा को मिली तो उसका बुरा हाल हो गया। वो सीधा मेरे आफिस में आ गई। उसकी हालत ऐसी हो रही थी जैसे उसके जिश्म में खून ही नहीं हो, और था भी कुछ ऐसा ही।
मैंने कहा- क्या हुआ?
वो बोली- "तिवारी ने 7 दिन का टाइम दिया था। पर उसने तो 3 दिन में ही नोटिस भेज दिया। अब क्या होगा?" वो डर से काँप रही थी।
ऋतु ने मेरी तरफ देखते हुए कहा- "सर अब क्या होगा?"
मैंने कहा- "मैं तिवारी से बात करता हूँ... मैंने तिवारी को फोन लगाया।
तिवारी ने जो कहना था वो मैं उसको पहले ही समझा चुका था। मैंने जानबूझ कर सेल का स्पीकर आन कर दिया था, ताकी शोभा को सब सुनाई दे की क्या बात हो रही है? तिवारी ने मेरा फोन उठाकर मुझसे अंजान बनते हए कड़क आवाज में बात की। उसने मेरी बात सुनते ही मुझं साफ-साफ बोल दिया की मुझे पूरा पैसा अगर आज ही दे दो तब मैं केस वापिस ले सकता है।
मैंने उसको कहा- "एकदम से इतनी बड़ी रकम का इंतजाम कैसे हो पाएगा? प्लीज... तुम हमको कुछ दिन की मोहलत दे दो। हम पैसे का इंतजाम जल्दी कर लेंगे..."
उसने साफ-साफ मना कर दिया। तिवारी ने कहा- "मैं आज के बाद किसी भी कीमत पर केस वापिस नहीं लेगा। में तो अब शोभा को जेल भिजवाकर ही रहँगा.."
मैंने कहा- "हम तुमको अभी दुबारा फोन करते हैं...
फिर मैंने शोभा से कहा- "देखिए तिवारी कुछ नहीं सुन रहा। कुछ भी करके इसको आज ही पैसा देना होगा,
अगर नहीं दिया तो कल पोलिस आपके घर आ जाएगी.." कहकर मैंने शोभा की तरफ गौर से देखा।
शोभा ने मुझसे बिल्कुल रोते हुए कहा- “सर, हमारे पास तो काई भी इंतजाम नहीं है। हम तो सिर्फ आपकी हेल्प से ही कुछ कर सकते हैं.
मैंने ऋतु को कहा- "तुम जरा बाहर जाओ। मुझे अकेले में कुछ बात करनी है."
ऋतु बाहर चली गई।
उसके जाने के बाद मैंने शोभा से कहा- "देखिए अगर आप इस प्राब्लम से निकलना चाहते हो तो आपको मैं जैसा कह बैंसा करना होगा..."
शोभा ने कहा- "आप जो भी कहा हम करने को तैयार हैं."
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RE: Kamukta kahani कीमत वसूल
मैंने कहा- "आज शाम तक आपका केस फाइनल हो जाएगा। बस आप अपने पति को कल सुबह ही भेज दो, पूरे दो दिन के लिए..."
शोभा को मैंने भेज दिया।
उसके जाने के बाद मैंने ऋतु को बुलाया और कहा- "कल हमारी सुहागरात है। तुम कल आफिस नहीं आओगी.."
ऋतु ने मुझे हैरानी से देखा। मैंने उसको पूरी बात समझा दी की उसकी मम्मी से मेरी बात हो गई है, और में उसके ही घर में उसको चादूँगा। मैंने ऋतु को एक ए.टी.एम. कार्ड दिया और कहा- "कल बदिया सी लाल साड़ी और जो भी कछ लेना हो खरीद लेना, और किसी बंदिया पालर में जाकर मेकप करवा लेना मेहन्दी याद से लगवा लेना। तुम मुझे कल दुल्हन के लिबास में दिखनी चाहिए हो। समझी या नहीं?"
ऋत् ने हाँ में सिर हिलाया और चली गई।
उसके जाने के बाद मुझे एक बात और याद आ गई। मैंने उसको फोन किया और कहा- "तुम पेटीकोट सफेद कलर का ही लेना..."
ऋतु बोली- "वो किसलिए?"
मैंने कहा- "वो तुमको कल पता चल जाएगा..."
में अगले दिन की प्लानिंग करने लगा। फिर मैंने तिवारी का फोन किया की तुरंत उस नोटिस का रेफ्यूज करवा दे और शाम तक शोभा को फोन करके बता देना की उसको अब इरने की कोई जरबत नहीं है। लोन का पैसा मिल गया है।
आज आफिस में काई और काम नहीं था, मैं घर जाने के लिए निकल पड़ा। शाम को जैसे ही तिवारी का फोन शोभा के पास आया।
शोभा ने मुझे तुरंत ही फोन करके कहा- "आपने जैसा कहा था वैसा ही हो गया.."
मैंने उसको कहा- "अब तुम भी वैसा ही करो जैसा मैंने कहा है...
वो बोली- "आपने जैसा कहा है वैसा ही होगा..."
और फिर अगले दिन सुबह शोभा ने अपने पति को बाहर भेज दिया। मैंने दोपहर में शोभा को फोन किया। मैंने पूछा- "ऋतु तैयार हो रही है या नहीं?"
तब उसने कहा- "अभी हम बाजार में है, यहां से सीधा पार्लर जाएंगे.."
मैंने कहा- "उसकी फुल बाडी बैक्स जरगर करवा देना.." बयाकी मुझे पता है की ऋतु की टांगों पर बाल हैं।
शोभा ने कहा- "ठीक है करवा दूंगी.."
फिर मैंने कहा- "मैं रात को 9:00 बजे तक आ जाऊँगा..."
5:00 बजे में आफिस में सीधा घर चला गया। मैं जाकर दो घंटे सो गया क्योंकी रात को जागरण करना था। लगभग 8:00 बजे में उठा और मैंने 15 मिनट शाबर लिया और तैयार होकर घर से निकला। मैंने कार में विस्की की बोतल रखी और सीधा शोभा के घर की ओर चल दिया। में अपने साथ विस्की इसीलिए ले गया था,
क्योंकी में चुदाई से पहले जरा मूड बनाना चाहता था। शोभा का घर आ गया। मैंने घर के पास कार लगा दी
और डोरबेल बजा दी। शोभा ने दरवाजा खोला। मैं घर के अंदर दाखिल हो गया।
शोभा ने मुझसे कहा- "बैठिए."
मैं सोफे पर बैठ गया। मैंने शोभा से कहा- "ऋतु किधर है?"
उसने कहा- "दूसरे रूम में तैयार होकर बैठी है..."
मेरे लण्ड में तनाब आजा शरन हो गया। मैंने कहा- "पहले मैं जरा ड्रिंक करेंगा। तम मेरे लिए ग्लास और ठंडे पानी का इंतजाम करो..."
शोभा उठकर जाने लगी तो मैंने कहा- "शिल्पा कहां है?"
शोभा में घबराते हुए कहा "जी वो ऋतु के पास बैठी है। मैं लेकर आती है..."
मैंने कहा- "तुम यही बैठा, शिल्पा को बुला लो.." फिर शोभा से कहा- "तुम्हारा पति कब वापिस आएगा?"
उसने कहा- "वो दो दिन बाद ही आएंगे.."
मैंने हम्म्म्म कहा, फिर मैं बोला- "शोभा तुम अभी घबराई हुई लग रही हो। रिलैक्स हो जाओ.."
शोभा ने अपने चेहरा पर फेक स्माइल लाते हुए कहा- "नहीं नहीं, ऐसी कोई बात नहीं है.."
इतने में शोभा ने आवाज दी- "शिल्पा बैटा इधर आओ..."
उधर से आवाज आई- "जी मम्मी.." और शिल्पा रूम में आ गई।
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