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desiaks
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RE: bahan sex kahani बहना का ख्याल मैं रखूँगा
अब आगे...................
दोपहर के भोजन के बाद माम और शालिनी ने मिलकर किचन का काम किया और मैं माम के बेडरूम में लेटकर टीवी देखने लगा,, कुछ देर बाद शालिनी और माम भी आ गईं और मेरे पास ही बेड पर लेट गई,,,,, हम लोग काफी देर तक बातें करते रहे और माम से कल वापस निकलने के लिए बताया तो वो थोड़ा भावुक हो गईं और हम दोनों को अपने सीने से लगा कर मेरे और शालिनी के बाल सहलाते हुए बोली,,,,
सरोजिनी माम- बस मेरे बच्चों तुम लोग ऐसे ही प्यार से रहो और कोई भी परेशानी हो तो मुझे तुरंत बताना,,,,, और शालिनी बेटा तुम अपने भाई के खाने पीने का भी ध्यान रखना,,, मेरा बच्चा बहुत मेहनत करता है,,, दिन भर फील्ड की जाब में कितना तो बाइक चलानी पड़ती है,,,
शालिनी- माम , मैं अपनी ओर से तो ध्यान रखती ही हूं,,,, फिर भी आप भैय्या से पूछ लो,,,,, इनको कोई शिकायत तो नहीं,,,
सागर- नहीं नहीं मम्मा,,, आप बिल्कुल फिकर ना किया करो,,, शालिनी और मैं दोनों एक-दूसरे का ख्याल रखते हैं,,,,, हां आप शालिनी से पूछ लीजिए,,, मैं इसका ख्याल रखता हूं कि नहीं,,,, और इसे शापिंग से कोई शिकायत तो नहीं है,,,
शालिनी- नहीं मेरे राजा भैय्या,,,, मुझे आपसे कोई शिकायत कभी नहीं होगी,,, आप जैसे मेरी छोटी छोटी सी चीजों का ध्यान रखते हो ना,, ऐसा कोई भाई नहीं करता होगा,,,आप इस दुनिया के सबसे अच्छे और प्यारे भैया हैं,,, लव यू हमेशा भाई,,,,,
सागर- लव यू टू बहना ,,,,,
सरोजिनी माम- अच्छा लगता है तुम दोनों को ऐसे देखना,,,,, और बेटा तुम दोनों के लिए एक सरप्राइज है,,,,
हम दोनों एक साथ बोले पड़े - जल्दी बताओ ना मम्मा ,,,
सरोजिनी माम- हम लोगों को आफिस की ओर से एक टुअर पैकेज मिला है पूरी फैमिली के लिए तीन दिन और चार रात किसी भी हिल स्टेशन पर गुजारने के लिए,,,,, अब मेरी फैमिली तो तुम्हीं दोनों हो ,,,, जब तुम लोगों को टाइम हो तो बताना,,, आफिस में पंद्रह दिन पहले बताना होगा बुकिंग के लिए,,,
हम दोनों बोल पड़े- वाव माम,, इट्स ग्रेट,,, हम लोग जल्दी प्लान करते हैं शालिनी और मेरी परीक्षा के पहले ही घूम के आते हैं,,,,,
और ऐसे ही हम लोग बातें करते हुए सुस्ताते हुए सो गए और शाम को चार बजे तक सोते रहे,,,, हम दोनों एक दूसरे की साइड से माम को चिपके हुए थे और सबसे पहले मेरी ही आंख खुली क्योंकि मुझे दिन में सोने की आदत नहीं रही थी,,,,,
मैं उठकर वाशरूम गया और किचन में जाकर चाय बनाकर माम के बेडरूम में ले आया और,,
मैं- चाय चाय,,, इट्स टी टाइम ब्यूटीफुल लेडीज ,,,
शालिनी और माम एक साथ चौंककर उठी और मेरे हाथ में चाय की ट्रे देखकर अपने आप को हंसने से रोक नहीं पाई और ,,,, मैंने ट्रे रखते हुए देखा कि शालिनी की टी-शर्ट से उसकी चूचियों का काफी हिस्सा नुमायां हो रहा था और उसने बेड पर पीछे टेक लगाकर अधलेटी अवस्था में ध्यान भी नहीं दिया और उधर माम भी उठकर अपने कपड़े ठीक कर रही थी,,,,,
मैंने आगे बढ़कर चाय का कप शालिनी को पकड़ाया और साथ ही उसे आंखों ही आंखों में इशारे से उसकी चूचियों की ओर देखते हुए बोला
मैं- इट्स हाट ,,,,
और इशारे से उसे ये भी बताया कि कमरे में माम हैं ,,,खैर, माम दूसरी तरफ देख रही थीं ,,, शालिनी की नजर भी नीचे की ओर गई तो उसे एहसास हुआ कि उसकी चूचियों का कुछ ज्यादा ही हिस्सा बाहर निकल आया है और उसने तुरंत अपने आप को बेड पर एडजस्ट करते हुए अपनी टी-शर्ट को नीचे खींच लिया हल्का सा और,,
शालिनी- थैंक्स भैय्या,,,,
और फिर हम सबने वहीं बेडरूम में ही चाय पी और मैंने माम से पूछा,,,
मैं- माम,, ये जो अपने घर के पीछे वाले खेत में ट्यूबवेल है,,, अभी चालू हालत में है कि नहीं ,,,
सरोजिनी माम- हां,, हां वहां थोड़ा काम भी करवाया था अभी कुछ दिन पहले,,, कमरे की थोड़ी मरम्मत कराई थी और मोटर भी बदलवा दी है,,, अपने सारे खेतों की सिंचाई इसी से होती है,,,
मैं- मैं आज ट्यूबवेल में नहाने की सोच रहा था,,, चलें माम हम सब उधर अपने खेतों में घूम भी आते हैं और फिर अंधेरा होने से पहले आ जायेंगे,,,,
सरोजिनी माम- अभी तो काफी तेज धूप है,, थोड़ी देर बाद जाना,,, मैं जरा मिश्रा जी के यहां भाभी संग बाजार जाऊंगी अभी,,,
शालिनी- तो मैं यहां अकेली क्या करूंगी??
सरोजिनी माम- क्यों तुम्हें नहीं नहाना ट्यूबवेल पर क्या ,,, अरे वहां टंकी के पीछे से कमरे में रास्ता बना दिया है,,, तुम्हें चेंज करने के लिए परेशान नहीं होना पड़ेगा,,,,
मैं- हां हां चल ना,,, वहां इतने दिनों से वाटर सप्लाई के बासी पानी से नहा नहा कर नहाने की असली ताजगी क्या होती है,, तू तो भूल ही गई होगी,,,
शालिनी- माम,,, मैं वहां काफी दिनों से गई नहीं,, आसपास कोई और लोग की फसल तो नहीं है आज कल ,,,
सरोजिनी माम- अरे बेटा,,, घर के पीछे से जाने के अलावा अब सारे रास्ते बंद हैं,,, मैंने खेतों में चारों ओर कंटीली बाड़ लगवा दी है और अब उधर कोई नहीं आता,,, और तेरा भाई तो है ही ना ,,,,,, शहर पहुंच कर भी तेरा डर नहीं निकला ,,,
मैं- माम,,, वहां की चाभी कहां है,,
शालिनी- मुझे पता है आप दरवाजे के पीछे ट्यूबवेल वाले कमरे की चाभी रखतीं हैं ना माम ,,,
सरोजिनी माम - हां तुम्हें तो पता ही है ना शालिनी बेटा,,, अरे मेरी आधी जिम्मेदारी तो तुमने ही उठा रखी थी यहां ,,, तुम्हारे जाने से कभी कभी बहुत परेशानी होती है,,
मैं- हां ,, माम ,,, आपको थोड़ी परेशानी होती तो होगी अकेले में,, लेकिन शालिनी के मेरे साथ रहने से मुझे बहुत आराम है,,, ये सारा काम पढ़ाई के साथ-साथ बहुत स्मार्टली करती है ,,,
और ऐसे ही बातों में हम लोग लगे रहे और मैं बीच-बीच में माम की नजर बचाकर शालिनी को आंखों के इशारे से मजे के लिए उकसाया,, और मैं कुछ देर के लिए अपने कमरे में आया और इस बीच माम तैयार हो कर बाजार जाने के लिए मेरे कमरे में आई और बोली
सरोजिनी माम- मैं घर को बाहर से लाक करके जा रही हूं,,,, तुम लोग पीछे से चले जाना ,,,,
और वो चली गई,,,,
मैं भी अपने कमरे से निकल कर शालिनी के कमरे में आ गया और वो अपने कुछ पुराने कपड़ों को बेड पर फैलाये हुए थी ,,,,,
मैं- चलें ट्यूबवेल पर,,
शालिनी- हां भाई अब तो माम से भी परमीशन ले ली है,,, वैसे अभी कल ही तो रास्ते में झरने के ठंडे पानी में नहाया था,,,,, और आज फिर से,,,,
मैं- ये दिल मांगे मोर,,, वैसे सच्ची बात ये है कि मुझे ट्यूबवेल में नहाये हुए काफी साल हो गए हैं,,, ट्यूबवेल की टंकी में कूदकर नहाने का आनंद ही कुछ और है,,,
शालिनी अपने कपड़े समेटते हुए बोली
शालिनी- भाई आप भी अपने कपड़े ले लीजिए मैं इन्हीं में से कुछ निकाल लेती हूं
और मैं अपने कमरे में आकर कपड़े लेकर शालिनी के हाथ में पकड़ी हुई पाली बैग में डाल कर घर के पीछे से निकल कर हम खेतों की ओर चल पड़े,,,,,
इस पूरे इलाके में हमीं लोगों की जमीन है और पीछे एक बड़ा बरसाती नाला,,हम दोनों खेतों की मेड़ों पर चलते हुए जा रहे थे,,,, कुछ दूर चलने के बाद मेड़ पतली थी और मैंने शालिनी से आगे चलने को कहा,, वहां से हमारे ट्यूबवेल का कमरा दिखाई दे रहा था,,,
शालिनी के आगे चलते हुए अपने आप को पगडंडी पर गिरने से बचाने के चक्कर में हर बार उसकी कमर का लचकना और उसके पिछवाड़े की दोनों दरारों को आपस में रगड़ते हुए देख कर पलभर में मेरी सोई हुई उमंगे जाग उठी और मेरा लौड़ा खड़ा होने लगा,,,, मैं कदम दर कदम शालिनी की बलखाती हुई चाल को देख कर मस्त हो रहा था और हम लोग ट्यूबवेल पर आ गये ,,,,
मैंने दरवाज़े का लाक खोला और हम लोग कमरे के अंदर आ गये ,,,, कमरे में एक लकड़ी का तख्त भी पड़ा हुआ था जो यहां खेत में काम करने वाले नौकरों के लिए था,,, कमरे में पंखा भी लगा था और मैंने आगे बढ़कर पंखा चलाया स्विच ऑन करके तो काफी सारी धूल उड़ती हुई कमरे में फैल गई, शायद यहां का पंखा काफी दिनों से किसी ने चलाया नहीं था और कमरे में भी काफी धूल थी,,,,,,,
फिर शालिनी ने भी कमरे में चारों तरफ देखा और
शालिनी- भैया, यहां कितनी धूल है कमरे में जाले भी बहुत हो गए हैं. मैं साफ कर दूँ थोड़ा ,,,,,,जब तक आप मोटर चला कर नहाओ
मैं- हाँ, कर दो,, अभी क्या जल्दी है आराम से नहायेंगे
शालिनी- ठीक है, मैं पंखा थोड़ी देर के लिए बंद करुँ ,,
मैं - ठीक है,, मैं भी हेल्प कर दूं,,
शालिनी ने पंखा बंद किया और जाले साफ़ करने के लिए झाड़ू ले आयी. फिर वो तखत पर चढ़ कर उछल-उछल कर जाले साफ करने लगी. उसके ऐसे उछलने की वजह से उसके बड़ी-बड़ी चूचियां जोर जोर से हिलने लगी. वास्तव में शालिनी की मंशा भी यही थी क्योंकि वो और उछल-उछल कर नाटकीय अंदाज़ में अपनी विशाल चूचियां हिला-हिला कर मेरा ध्यान अपनी ओर आकर्षित करने का प्रयास करने लगी,,
थोड़ी देर में कमरे में गर्मी बढ़ी क्योंकि अभी भी बाहर काफी तेज धूप थी और इस कारण मैने अपना टी-शर्ट निकाल दिया,,,,, अब मैं सिर्फ बनियान में था और शालिनी का मांसल शरीर भी पसीने में तर-बतर हो रहा था,,,,
शालिनी ने देखा कि वो मेरा ध्यान अपनी ओर आकर्षित करने में असफल हो रही है तो उसने एक दूसरा दांव मारा,,,,,
शालिनी- गर्मी कितनी बढ़ गयी है ना भैया ? मैं भी अपना टॉप निकाल दूँ ,,,, गन्दा भी हो रहा है,,,
मैंने उसको प्रश्न भरी निगाहों से देखा कि आज सूरज पश्चिम से कैसे निकल आया है शालिनी खुद थोड़ा सा बोल्डनेस दिखा रही थी अपनी तरफ से,,,, तभी मुझे खयाल आया कि कहीं नीलम के उकसाने का नतीजा तो नहीं है ये,, नीलम ने हम दोनों के लिए आगे बढ़ने में उत्प्रेरक का काम किया था,,,
शालिनी फिर थोड़ा समझाते हुए नाटकीय अंदाज़ में बोली
शालिनी- भैया…? ऐसे क्या देख रहे हो? मैंने अंदर ब्रा पहन रखी है?
मैं- ह..हाँ… फिर ठीक है,,, निकाल दो ,,,,,
शालिनी- फिर ठीक है मतलब? तुम्हें क्या लगता है, ये बिना ब्रा के संभल जायेंगे ?
मैं- ये…ये कौन?
शालिनी- भैया, तुम भी ना? ब्रा से कौन सम्भलता है ? तुम क्या…? ये…
और उसने अपनी बड़ी-बड़ी गोल-गोल चूचियों की ओर इशारा किया,,,,, मैं थोड़ा सकुचा-सा गया. माना कि हम-दोनों आपस में खुले हुए थे पर अपने प्राइवेट पार्ट्स के बारे में शालिनी इस तरह ज्यादा बात नहीं करती थी बिना किसी उकसावे के ,,, मैं आया तो यहां नहाने के लिए ही था मगर शालिनी के साथ मस्ती करने का लालच ज्यादा था और फिर मैं झेंपता हुआ सा बोला ,,,
मैं- हां,,हाँ, मुझे पता है!
आज शायद वो मुझसे मजे लेने की ठान चुकी थी और थोड़ा छेड़ते हुए
शालिनी- क्या पता है मेरे राजा भैया
मैं- तू अपना काम करेगी? गर्मी लग रही है बहुत? जल्दी से जाले साफ करो और पंखा चला ,,
शालिनी- अरे सॉरी, गुस्सा मत हो तुम… अभी करती हूँ.
और ऐसा कहते हुए उसने फट से अपना टॉप निकाल दिया जिससे उसकी विशाल चूचियां लगभग नंगी नुमाया हो गयी,,, शालिनी की चूचियां इतनी बड़ी थी कि वो ब्रा में बस जैसे-तैसे ही कैद रहती थी,,,,अगर टॉप ना पहना हुआ हो तो आधी से भी ज्यादा दिखाई देती थी,,,
और टॉप उतरते ही मेरी नजर उसकी गोल-गोल भारी-भारी चूचियों पर पड़ गयी,,,,,,, खैर इस तरह उसकी चूचियों को देखना मेरे लिए कोई पहला मौका नहीं था मगर जब शालिनी ने देखा कि कैसे उसका भाई ललचायी नजर से उसकी चूचियों को देख रहा है तो उसे नीलम की कही बात याद आ गई कि सब मरद एक जैसे होते हैं,, पर वो अनजान बनने का नाटक करती रही और जाले साफ करने में फिर से लग गयी,,,,
पर अब मेरा ध्यान अपनी बहन की चूचियों से हट ही नहीं रहा था,,, एक तो वे बड़ी-बड़ी थी और ऊपर से शालिनी उछल-उछल कर उनको हिला-हिला कर मेरा ध्यान आकर्षित कर रही थी,,,, मेरी जगह अगर कोई मुर्दा भी होता ना, तो वो भी इस दृश्य को देख कर जाग जाता,,,,,,, और मैं तो फिर भी इंसान था, और इस हसीन बदन को चाहने वाला,,,, मैं एक पल को भूल गया कि ये गोल-गोल चूचियां मेरी अपनी सगी छोटी बहन की हैं और हम लोग इस समय माम के पास गांव में हैं ना कि शहर में अकेले,,,ये सोचते हुए ही मेरे शरीर में झुरझुरी सी छा गई और मैं उसके बदन को एकटक देखता रहा,,,,,
थोड़ी देर बाद शालिनी ने ऐसे नाटक किया जैसे उसको अभी-अभी पता चला हो कि मैं उसकी चूचियों को भाई की नजर से नहीं बल्कि एक लड़के की तरह ताड़ रहा हूं,,,,,
मैं इस समय तखत के नीचे बैठा हुआ था और शालिनी मेरे एकदम पास तखत पर बैठ गयी, जिससे उसकी चूचियां ठीक मेरे चेहरे पर हो गई और उसने मुझसे थोड़ा नखरे-भरे अंदाज में पूछा,,,
शालिनी- देख लिया,,, जैसे पहली बार देखा हो,,, ही ही ही,,
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RE: bahan sex kahani बहना का ख्याल मैं रखूँगा
मेरा जैसे मोह भंग हुआ और तन्द्रा टूटते ही मैं हकलाते हुए बोला ,,,
मैं- ह.. हाँ… म.. मेरा मतलब है क्या…?
पर इसके वावजूद भी मैं अपनी नजरें शालिनी की चूचियों पर से हटा नहीं पाया,,,
शालिनी- वही जो देख रहे हो?
अब मैं बहुत ही शर्मिंदा-सा महसूस करने लगा क्योंकि इस तरह मैंने इतनी देर तक उसकी चूचियों को शालिनी की जानकारी में कभी नहीं देखा था और मैंने देखा भी और हल्के हल्के से सहलाया भी तो किसी ना किसी बहाने से,,,, और मैं इधर-उधर देखते हुए बोला
मैं- म…मैं कुछ नहीं देख रहा था?
पर आज शालिनी भी शायद इस मौके को जाने नहीं देना चाहती थी, उसने कहा,,,
शालिनी- झूठ मत बोलो भैया… मैंने अपनी आँखों से तुम्हें इनको घूरते हुए देखा है,,,,,
मैं जैसे चोरी करते पकड़ा गया और अपनी गलती कबूल करते हुए बोला-
मैं- सॉरी यार… वो गलती से नज़र पड़ गयी और मैं अपनी नज़र हटा नहीं पाया,,,
शालिनी- अरे इसमें सॉरी वाली क्या बात है भैया… कोई बात नहीं.. तुम्हारी कोई गलती नहीं है इसमें…
मैं-( आश्चर्य से ) मतलब?
शालिनी- अरे देखो भैया … मुझे पता है ये बड़ी हैं और आकर्षक भी… तो नजर चली भी गयी तो क्या हो गया? और वैसे भी तुम मेरे भाई हो … मुझे हर दिन हर तरह से देखते हो … इसमें क्या है,,,,,,, मगर प्लीज़ यार इस तरह टकटकी लगाकर ना देखा करो,,, शरम आ जाती है,,
मुझको जैसे राहत मिली हो,,, और मेरे सपने जो कब्रगाह की ओर बढ़ चले थे वो फिर से जिंदा हो गये और मैं बोला,,,,
मैं- थैंक्स बहना.. मुझे लगा तुम बुरा मान गयी होगी,,,
शालिनी ने माहौल को थोड़ा हल्का किया और मेरे सामने बैठ गयी और फिर वो धीरे से हंस दी…मेरे लौड़े का उभार शायद उसने देख लिया था पंखा अभी भी बंद थाऔर गर्मी अभी भी लग रही,,, पसीने की बूंदें शालिनी के पूरे शरीर पर थीं और उसकी हर सांस के साथ उसकी चूचियों का उठना बैठना जारी था,,,, फिर उसने मेरी आंखों में देखते हुए ऐसा बोला कि मेरे साथ ही साथ मेरे लन्ड को भी झटका लगा दिया,,,
शालिनी- वैसे… कैसी लगती हैं तुम्हें ये?
हम दोनों के बीच इतने खिलंदड़ीपने के बावजूद मैंने इतने सीधे सवाल की उम्मीद नहीं की थी शालिनी से, मैं फिर हकलाते हुए बोला
मैं- क.. क.. क्या??
शालिनी- अरे यही जो तुम देख रहे थे,, मेरी चूचियां और क्या गुरुजी,,,,
और अपनी मनमोहक चूचियों की तरफ देखा,,,
मैं थोड़ा हड़बड़ाता हुआ सा बोला,,,
मैं- वो बेबो,,,ये कैसा सवाल है?
शालिनी- अरे तुम इतनी देर से इनको देख रहे थे तो मैंने पूछा कि कैसी हैं,,,,
मैं- ठीक हैं ,,,
मैं- भाईजी,,,मैं एक लड़की हूँ और मेरा मन करता है कि मैं भी अच्छी लगूँ,,,,,, अब मेरा कोई लड़का दोस्त तो है नहीं, और ना ही कोई बॉयफ्रेंड है,,, तुम ही मेरे दोस्त हो,,,,,, मेरे भाई हो पर तुम एक लड़के भी तो हो,,, तो मैं तुमसे अपने बारे में तुम्हारा नजरिया जानना चाहती हूँ बस… कि ये तुमको कैसी लगीं?
यह बोलते हुए शालिनी ने अपनी चूचियों के नीचे अपने दोनों हाथ रखकर उन्हें ऊपर को उठा दिया,,,, और उसकी ब्रा से उछल कर उसकी गोरी गोरी चूचियां बाहर निकल आईं काफी ज्यादा,,,
अब मैं समझ गया था कि जो मौके मैं शहर में ढूंढता रहता था शालिनी के बदन को देखने के,,, वो मौका आज़ शालिनी खुद दे रही है यहां गांव में और मैंने भी अपने आप को आज शालिनी के आदेशों का गुलाम बनने में ही भला समझा और मिले मौके का फायदा उठाते हुए,,,,,, और उसकी बातों को समझते हुए
मैं- अच्छी तो हैं,,,
शालिनी- अच्छी हैं मतलब?
मैं- मतलब अच्छी हैं और क्या,,
शालिनी- अरे भैय्या मतलब क्या अच्छा लगा?
मैं- क्या बताऊँ मैं… बता तो रहा हूँ कि अच्छी हैं,, सुंदर हैं,,,
शालिनी-भाई मेरा मतलब है कि जैसे तुमको इनकी शेप अच्छी लगी या साइज? या दोनों
मैं- … ये वाकई कमाल की हैं बेबो,,, इनकी शेप भी अच्छी है और साइज भी,,,,एकदम गोल-गोल हैं और बड़ी बड़ी भी… और क्लीवेज तो बहुत ही ज्यादा अट्रैक्टिव बनता है तुम्हारा ,,,
इस बातचीत के बीच हमदोनों भाई-बहन एक दूसरे के बिल्कुल आमने-सामने बैठे थे, शालिनी ने ऊपर सिर्फ ब्रा पहन रखी थी जिसमें से उसकी बड़ी-बड़ी चूचियां दिखाई दे रही थी और उसने नीचे सिर्फ एक शॉर्ट्स पहना हुआ है जिनसे उसकी गोरी टांगें और जांघें बिल्कुल साफ़ दिखाई दे रही थी,,,,माहौल में अब थोड़ी-थोड़ी खुमारी छा रही थी,,,,
शालिनी थोड़ी भावुक होते हुए बोली,,,
शालिनी- मैं तुमको इतनी अच्छी लगती हूँ भैया?
मैं भी मौका देख कर थोड़ा प्यार जताते हुए उसके गालों को सहलाते हुए बोला,,,
मैं- हाँ मेरी स्वीट बहना… तू मुझे बहुत प्यारी लगती है,,,,
शालिनी- तो और क्या अच्छा लगता है तुम्हें मुझ में?
मैं- बताया ना, तू मुझे पूरी की पूरी अच्छी लगती है, और बहुत ही ज्यादा अच्छी लगती है. बल्कि तू दुनिया के किसी भी मर्द को बहुत अच्छी लगेगी,,,. बहुत खुशनसीब होगा वो इंसान जिसे तू मिलेगी,,,
शालिनी- भाई, थोड़ा डिटेल में बताओ कि क्या-क्या अच्छा लगता है तुम्हें मुझमें?
और यह कहते हुए खड़ी खड़ी होकर गोल-गोल घूम गयी और पोज़ मारने लगी, जैसे अपना प्रदर्शन कर रही हो,,,,
मैं- देख स्वीटी , तेरा चेहरा बहुत प्यारा है… तेरे होंठ बहुत खूबसूरत है… तेरी ये (चूचियों की तरफ इशारा करते हुए) भी बहुत प्यारी हैं, तेरी कमर भी पतली और आकर्षक है,,,
शालिनी(जिज्ञासा भरे लहजे में)- और-और?
मैं- और क्या बताऊँ?
शालिनी(थोड़ा मायूस होते हुए)- बस इतनी ही अच्छी लगती हूँ मैं तुमको?
मैं- अरे नहीं… नहीं… तू तो बिल्कुल परी-जैसी लगती है मेरी बहना,,,,
शालिनी- तुम ना ,,,,अभी मुझे बहन मत बुलाओ तो शायद और अच्छे से बता पाओगे ,,,
मैं- ऐसी बात नहीं है…तू तो सुपर सेक्सी है यार,,,
शालिनी- तो और बताओ ना कि क्या-क्या अच्छा लगता है तुम्हें मेरे बारे में?
मैं- तुम्हारे ये पैर भी बहुत ही प्यारे हैं और ये गोरी-गोरी जांघें भी… तुम्हारी कमर के नीचे ये पीछे का पार्ट भी बहुत आकर्षक है,,,
शालिनी- भैया इसको बट्ट बोलते हैं ना,,,, गांड भी बोलते हो ना तुम लड़के लोग,,,,
मैं- हां,, हां ,पता है कि इसको गांड बोलते हैं,,, मैंने ही तो तुम्हें यह सब बताया सिखाया है ,,,
शालिनी ( इठलाते हुए) - अच्छा? और इसको क्या बोलते हैं?
यह बोलते हुए शालिनी ने अपनी चूचियों की तरफ इशारा करते हुए शरारती मुस्कान दे डाली और फिर से मेरे सामने बैठ गयी,,, पर इस बार वो अपने पैर फैला कर बैठी,,, जैसे वो दिखा रही हो कि भाई असली खजाना और तुम्हारी मंजिल तो मेरे इन्हीं दोनों पैरों के बीच में ही है,,,,, अब तक मेरा लन्ड भी अपनी पूरी ताकत से फ्रेन्ची को फाड़कर बाहर निकल आने को बेकरार हो रहा था और तभी शालिनी ने धमाका किया,,,
शालिनी- जब मैं आपको इतनी सेक्सी और हॉट लगती हूं तो फिर दूसरों को आप शिकायत का मौका कैसे दे देते है,,,,,,
मैं- मतलब,,, साफ़ साफ़ बोलो ना स्वीटू,,, बात क्या है,,, ??
शालिनी ( थोड़ा गंभीर और गुस्से में)- आज आपकी शिकायत मिली,,,,, वो नीलम,,,,
मैं (चौंकते हुए)- क्या नीलम ने शिकायत,,, किस बात की,,,,, मुझसे,,,
शालिनी- हां भाई,,, अपने काम ही ऐसा किया था शायद,, अब सच क्या है वो तो आप जानो,,,
मैं- आखिर मैंने किया क्या है,,,
शालिनी- वो कह रही थी कि जब वो घर आई थी तो आप उसको घूर घूर कर,,,,,,,,
मैं- हां,,, तो,, अरे बेबो,,, मैंने ऐसा कुछ नहीं किया,,, अब जब उसका खजाना खुला होगा तो मैं क्या किसी की भी नजर जाएगी ही,,,
मुझे लगा कि मेरा नीलम की चूचियां घूरना और नीलम का शालिनी से बताना,,, शालिनी को अच्छा नहीं लगा,,,, अब यहां कारण तो कुछ भी हो सकता था कि शालिनी को शाय़द यह नहीं पसंद कि मैं उसकी ही सहेली को देखूं या कहीं ऐसा तो नहीं कि शालिनी अब मेरे लिए पजेसिव हो रही थी और उसे यह नहीं पसंद कि जब इतना उम्दा माल वो खुद ही है तो मैं किसी और को क्यूं देख रहा था,,,,
शालिनी- भाई वो कह रही थी कि तेरा भाई मेरी चूचियों को टकटकी लगाकर देख रहा था और उसे लगा कि आप उसे कहीं छू ना लो ,,,,,
मैं- ओह यार,,, मेरा ऐसा कोई इरादा नहीं था,,, और तुम्हें क्या लगता है कि मैं ऐसा कुछ कर देता,,, नहीं यार,,, विलीव मी,,,
शालिनी- भैय्या,,, आई हैव फुल फेथ आन यू ,,,,, वो नीलम कुछ ज्यादा ही बोलती रहती है,,, मैंने भी उसे अच्छे से समझा दिया था कि मेरा भाई ऐसा नहीं है,,, गलती उसकी खुद की है ऐसे कपड़े पहन कर हमारे घर आई ही क्यूं ,,,
शालिनी ने अभी नीलम के कपड़ों के बारे में ऐसे बोला जबकि वो खुद मेरे सामने ब्रा में बैठी थी और चूचियों का अधिकांश हिस्सा दिखा रही थी,,,,
मैं- अरे छोड़ो ना बेबो ये सब ,,,,और चलो अब नहाते हैं कितना पसीने पसीने हो गये हैं हम लोग,,,
शालिनी- आप बाहर एक बार निकल कर देख लो कोई आस पास में तो नहीं है,,,
और मैंने उठकर अपनी बनियान भी उतार दी और अपने आप को स्ट्रेच करने जैसे कंधे उचकाते हुए मैं कमरे से बाहर निकल आया और चारों तरफ घूम कर देखा कहीं कोई भी नहीं था और अब भी धूप थोड़ी तेज ही थी,,,,,,, मैं कमरे में वापस आया तो मैंने देखा कि,,,,,
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