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RE: non veg kahani एक नया संसार
"ये पता लगाना तो तुम्हारा काम है इंस्पेक्टर।" अजय सिंह ने तनिक कठोरता से कहा था, उसे इस इंस्पेक्टर का बिहैवियर आज कुछ बदला हुआ लगा था, इसके पहले तो ये सब खुद उसके ही पालतू कुत्ते जैसे थे, बोला__"और अगर नहीं पता लगा सकते तो यहाॅ तुम्हारी कोई ज़रूरत नहीं है समझे?"
"अरे आप तो नाराज़ हो गए लगते हैं ठाकुर साहब।" इंस्पेक्टर ने मुस्कुराकर कहा__"माफ कीजियेगा। पर सवाल तो मैंने ठीक ही पूॅछा था आपसे।"
"हाॅ तो हमें भी इस बारे में भला कैसे पता होगा कि ये आग किसने लगाई है?" अजय सिंह उखड़े हुए लहजे से बोला__"अगर पता होता तो क्या वो अब तक ज़िन्दा बचा होता?"
"हाॅ ये तो है।" इंस्पेकटर ने अजीब भाव से अपने सिर को हिलाया__"आपके हाॅथों अब तक तो उसका कल्याण हो जाना निश्चित ही था।"
"वैसे ये तुम कैसे कह सकते हो?" सहसा इस बीच दीनदयाल ने सवाल किया__"कि फैक्टरी में लगी ये आग किसी के द्वारा लगाई गई है?"
"देखा आपने ठाकुर साहब।" इंस्पेक्टर ने तपाक से कहा__"आपका ये पीए कितना दिमाग़दार है? मेरे पूॅछने पर जो सवाल आपको पहले ही मुझसे पूॅछना चाहिये था वो आपने नहीं पूॅछा लेकिन आपके इस दीन के दयाल ने पूॅछ लिया। ख़ैर, अब जबकि पूॅछ ही लिया है तो मुझे भी सवाल का जवाब देने में कोई ऐतराज़ नहीं है। बात दरअसल ये है ठाकुर साहब कि फैक्टरी में लगी आग अगर साधारण रूप से लगी होती तो उसका रूप इतना उग्र न होता, ऐसा मेरा मानना है..जोकि बाॅकि सबके नज़रिये से ग़लत भी हो सकता है। ख़ैर....अब जबकि आग इस प्रकार भीषण रूप से लगी हुई है कि फैक्टरी का कोई कोना तक खाली नहीं बचा है तो कहीं न कहीं मन में ये बात आ ही जाती है कि हो सकता है ये आग किसी के द्वारा सोच समझ कर तथा तसल्ली से इस प्रकार लगाई गई हो कि आपकी फैक्टरी का कोई भी हिस्सा राम नाम सत्य होने से न बच सके।"
अजय सिंह को इंस्पेक्टर की ऊल जलूल बातों से गुस्सा तो बहुत आ रहा था किन्तु वो उसकी इन सब बातों से सहमत भी था। यकीनन ऐसा हो सकता था। क्योंकि पिछले कुछ समय से जिस तरह की घटनाएं उसके साथ घट रही थी उससे यही ज़ाहिर होता था कि एक बार फिर किसी ने उसके साथ इस प्रकार का नुकसानदायी खेल खेला है। ये अलग बात है कि इस बार इस खेल में उसकी समूची फैक्टरी को ही आग के हवाले कर दिया गया था। अजय सिंह को समझ नहीं आ रहा था कि आख़िर कौंन है जो उसके साथ ये सब कर रहा है?
"ठाकुर साहब इसी दुनियाॅ में हैं न आप?" उधर इंस्पेक्टर ने अजय सिंह को गहरी सोच में डूबे हुए देखकर कहा__"अगर हैं तो प्लीज ज़रा ग़ौर फरमाइये, मुझे आपसे कुछ सवालात करने हैं।"
"कैसे सवालात इंस्पेक्टर?" अजय सिंह बोला।
"यही कि फैक्टरी में लगी इस भीषण आग में किसी की जान तो नहीं गई न?" इंस्पेक्टर ने पूछा__"क्योंकि अगर ऐसा हो गया तो आपके लिए मुसीबत हो सकती है। फैक्टरी तो जल ही गई ऊपर से इस आग में जिनकी जान चली गई होगी उससे लम्बा बखेड़ा भी खड़ा हो जाएगा। अच्छा खासा केस बनेगा और आपको कानून की गिरफ्त में भी लेना पड़ सकता है।"
"ज्यादा बकवास करने की ज़रूरत नहीं है इंस्पेक्टर।" अजय सिंह गुर्राया__"जो भी होगा हम देख लेंगे। तुम अपना काम करो और फुटास की गोली लो, समझे??"
"जैसी आपकी मर्ज़ी ठाकुर साहब।" इंस्पेक्टर ने कहा और एक तरफ बढ़ गया।
"दीनदयाल।" इंस्पेक्टर के जाने के बाद अजय सिंह दीनदयाल से मुखातिब होकर कहा__"इस सबका न्यूज और मीडिया वालों को पता नहीं चलना चाहिए।"
"वैसे तो अब तक ये बात लगभग फैल ही चुकी होगी सर।" दीनदयाल ने कहा__"फिर भी न्यूज और मीडिया वालों से कुछ भी छुपा नहीं रह सकेगा। क्योंकि ये कोई साधारण मामला नहीं है, वो तो अच्छा हुआ कि हमारी फैक्टरी शहर से हट कर तथा शहर की आबादी से बहुत दूर थी जिससे फैक्टरी के अलावा बाकी और किसी का कुछ भी नुकसान नहीं हुआ। वर्ना सोचिए अगर ये फैक्टरी शहर में किसी आबादी वाली जगह पर होती तो क्या होता? आग की भीषण लपटों से आस पास के मकानों या और भी बहुत सी चीज़ों पर आग लग जाती जिसके परिणाम की कल्पना ही बड़ी भयंकर है। इस सबके बाद हम कहीं मुॅह छुपाने के काबिल नहीं रह जाते। जनता और कानून हमारे पीछे ही पड़ जाते।"
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RE: non veg kahani एक नया संसार
"जो नहीं हुआ उसके बारे में बात करने का कोई मतलब नहीं है दीनदयाल।"अजय सिंह ने गहरी साॅस ली__"यूॅ तो कानूनी रूप से इस बात की जाॅच तो होगी ही कि फैक्टरी में आग लगने की मुख्य वजह क्या थी? मगर....हमें तो पहले से ही इस बात का अंदेशा है कि इस सबमें उसी का हाॅथ है जिसने पिछले कुछ समय से हमारे साथ खेल खेलना शुरू किया है। समझ में नहीं आता कि आख़िर क्यों कर रहा है वो ऐसा? क्यों हमें बरबाद करने पर तुला हुआ है वो?"
"हैरत की बात है सर।" दीनदयाल ने गंभीरता से कहा__"हमें अब तक उसके बारे में कुछ पता नहीं चल पाया। वो हर बार धोखे से हमारा कुछ न कुछ नुकसान कर देता है और हम कुछ नहीं कर पाते।"
ये दोनो ऐसे ही अपना माथा पच्ची करने में लगे रहे। फैक्टरी के अंदर अब काफी हद तक आग पर काबू पा लिया गया था।
....................
उधर मुम्बई में आज एक बार फिर सब लोग एक साथ ड्राइंगरूम में रखे कीमती सोफों पर बैठे हुए थे।
"शहर के मशहूर बिजनेस मैन अजय सिंह की फैक्टरी में लगी आग, जिसमें सबकुछ जल कर खाक़ हो गया।" निधि ने अखबार में छपी ख़बर को पढ़ते हुए कहा__"मिली जानकारी के अनुसार ये आग उस समय लगी जब सारा शहर रात के अॅधेरे में गहरी नींद सोया पड़ा था। रात दो से तीन बजे के बीच फैक्टरी में आग लगी, और धीरे धीरे समूची फैक्टरी भीषण आग की चपेट में आ गई। फैक्टरी में मौजूद वर्कर खुद इस बात से अंजान हैं। फैक्टरी में लगी आग के उग्र रूप धारण करने से पहले ही फायर ब्रिगेड वालों को सूचित किया गया, जब तक दमकल की गाड़ियाॅ वहाॅ पहॅची तब तक फैक्टरी में लगी आग भयंकर रूप धारण कर चुकी थी। लगभग चार घंटे की मसक्कत के बाद फायर ब्रिगेड द्वारा इस भयंकर आग पर काबू पाया गया। फैक्टरी में आग लगने की सूचना फैक्टरी के मालिक अजय सिंह बघेल को दे दी गई थी। फैक्टरी में आग लगने से जो करोड़ों का नुकसान हुआ है उससे फैक्टरी के मालिक अजय सिंह गहरे सदमे में हैं। हमें विश्वस्त सूत्रों द्वारा ये पता चला है कि फैक्टरी के मालिक अजय सिंह ने अपनी फैक्टरी का कोई जीवन बीमा वगैरा नहीं करवा रखा था, इस लिए अब आप समझ सकते हैं कि आग लगने की वजह से फैक्टरी के मालिक अजय सिंह का कितना नुकसान हुआ होगा। फैक्टरी में आग लगने की वजह अभी तक सामने नहीं आई है। इस बारे में अभी पुलिस द्वारा जाॅच पड़ताड़ की जा रही हैं।"
"कैसी रही अंकल?" विराज ने होठों पर मनमोहक मुस्कान बिखेरते हुए कहा__"अजय सिंह को एक और झटका दे दिया मैंने।"
"तो क्या यही वो काम था जिसे तुम अजय सिंह के बिजनेस पार्टनर अरविंद सक्सेना द्वारा अंजाम देने की बात कह रहे थे?" जगदीश ने हैरत से कहा__"पर कैसे हुआ ये सब?"
"हाॅ राज कैसे किया तुमने ये सब?" गौरी ने भी चौंकते हुए पूछा।
"सब कुछ शुरू से और अच्छे से आप लोगों को बताता हूॅ।" विराज ने एक लम्बी साॅस खींचते हुए कहा__"जब अजय सिंह का बिजनेस पार्टनर अरविंद सक्सेना अपने उन फोटोग्राफ्स की वजह से मेरे इशारों पर काम करने को तैयार हो गया तो मैने उससे अजय सिंह के बिजनेस से संबंधित और भी कुछ महत्वपूर्ण जानकारी हाॅसिल की जिसका किसी को कुछ पता नहीं था।"
"क्या मतलब??" विराज की इस बात पर सब एक साथ चौंके थे__"कैसी जानकारी??"
"अरविंद सक्सेना के अनुसार।" विराज ने इत्मीनान से कहा__"अजय सिंह कपड़ा मील की आड़ में गैर कानूनी धंधा भी करता है। जिसमें गाॅजा, अफीम, चरस, आदि कई चीज़ें शामिल हैं। इन सबसे उसे लाखों करोड़ों का भारी मुनाफा होता है। चूॅकि ये गैर कानूनी धंधा है इस लिए इसमें उसे कानून का भी डर था मगर उसने अपनी चतुराई से कानून को भी इसमें शामिल कर लिया। कहने का मतलब ये कि इस धंधे से होने वाले मुनाफे में पुलिस और कानून के कई सारे नुमाइंदों का भी हिस्सा होता था। पुलिस और कानून का साथ मिलते ही ये धंधा और भी जोर शोर से चलने लगा मगर छिप छिपाकर ही। अजय सिंह की फैक्टरी शहर से बाहर ऐसी जगह पर है जहाॅ आबादी न के बाराबर ही है इस लिए फैक्टरी में ही इन सब चीज़ों का भी एक अलग से कारखाना बनाया गया था जो फैक्टरी के नीचे तहखाने में था। अब आप समझ सकते हैं कि अजय सिंह क्या है? कपड़ा मील की कमाई से इतना मुनाफा नहीं था जितना इस गैर कानूनी धंधे से था। ये तो ख़ैर शुरूआत है, अभी और भी बहुत सी चीज़ें हैं जिनके बारे में कोई नहीं जानता।"
"तुम तो जान ही गए होगे न?" जगदीश ने कहा__"फिर तो कोई समस्या ही नहीं है।"
"मुझे भी उतना ही पता है जितना सक्सेना को पता था।" विराज ने कहा।
"क्या मतलब??" जगदीश चौंका।
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RE: non veg kahani एक नया संसार
"सक्सेना अजय सिंह का पार्टनर ज़रूर था अंकल।" विराज कह रहा था__"लेकिन उसे खुद ये नहीं पता था कि उसका बिजनेस पार्टनर अजय सिंह वास्तव में है क्या? अरविंद सक्सेना एक फट्टू किस्म का इंसान था तथा साफ दिल का, ये अलग बात है कि उसका कैरेक्टर बाॅकी चीज़ में अजय सिंह से जुदा नहीं था। हाॅ ये जरूर था कि सक्सेना गैर कानूनी काम करने से डरता था, और शायद यही वजह रही थी कि अजय सिंह ने इस धंधे में सक्सेना को शामिल न करके उसे इससे दूर ही रखा। ख़ैर, एक दिन सक्सेना को किसी वजह से ये पता चल गया कि अजय सिंह गैर कानूनी धंधा भी करता है। उसने अपनी आखों से फैक्टरी के बेसमेंट में बने एक अलग ही कारखाने को देखा था। अजय सिंह को ये पता नहीं था कि सक्सेना उसकी असलियत जान चुका है। सक्सेना ने कभी अजय सिंह से इस बात का ज़िक्र भी नहीं किया। क्योकि वह जानता था कि इस धंधे में कोई किसी का नहीं होता, अगर बात इधर से उधर हो गई तो उसकी जान भी जा सकती है। सक्सेना उस दिन से परेशान भी रहने लगा किन्तु उसने ये सब अजय सिंह पर ज़ाहिर न होने दिया। वो अब किसी तरह अजय सिंह से पार्टनरशिप तोड़कर उससे कहीं दूर चला जाना चाहता था, मगर सवाल था कि कैसे करे ये सब? फिर एक दिन वो मेरी पकड़ में आ गया, मैने जब उसे अपने तरीके से टार्चर करके उससे अजय सिंह के बारे में पूॅछा तथा उससे पार्टनरशिप तोड़ने की बात कही तो वह कुछ देर न नुकुर करने के बाद इसके लिए तैयार हो गया। उसने मुझसे शर्त रखी कि इस सबमें उसका नाम नहीं आना चाहिए और उसे सुरक्षित इस देश से बाहर परिवार सहित भेज दिया जाए। मुझे उसकी शर्त से कोई आपत्ति नहीं थी इस लिए मैंने भी उसकी शर्त मान ली।"
"तो अजय सिंह का एक सच ये भी बाहर आ गया कि वह अपने इस बिजनेस की आड़ में गैर कानूनी काम भी करता है।" जगदीश ने गहरी साॅस लेते हुए कहा__"खैर तो तुमने इस सबके बाद सक्सेना से कैसे इस काम को अंजाम दिलवाया?"
"हे भगवान।" गौरी आश्चर्यचकित भाव के साथ कह उठी__"कितना गिरा हुआ इंसान है ये, ऐसा कोई काम नहीं बचा जो इसने किया नहीं है।"
"मेरा बस चले तो।" निधि ने बुरा सा मुॅह बनाते हुए कहा__"ऐसे ब्यक्ति को बीच चौराहे पर गोली मार दूॅ, हाॅ नहीं तो।"
"सक्सेना के बाॅकी जो छोटे मोटे कारोबार थे उन्हें मैंने आपके द्वारा खरीद लिया।" विराज कह रहा था__"और उसके एकाउन्ट में पैसा भी डलवा दिया गया। साथ ही उसको उसके परिवार सहित विदेश जाने का इंतजाम भी कर दिया गया था। अब सक्सेना के पास एक ही काम रह गया था जिसे वो मेरे कहने पर करने वाला था। कल रात उसने फैक्टरी जा कर बेसमेंट में तीन टाइम बम्ब फिट किये थे। ये काम उसने बड़ी सावधानी से तथा किसी की नज़र में आए बिना किया था। इस बात का खयाल किया गया था कि उस समय फैक्टरी में कोई न हो क्योंकि इससे बाॅकी तमाम वर्कर्स की या बहुत से बेकसूर लोगों की जान जाने का भी भीषण खतरा था। फिर सक्सेना ने बताया कि फैक्टरी में हप्ते में एक दिन का अवकाश होता है और इत्तेफाक़ से कल अवकाश ही था। तीन घंटे के टाइम के बाद बमों को फटना था। बमों के फटने से पहले ही सक्सेना अपने परिवार के साथ विदेश जाने वाली फ्लाइट पर बैठ कर निकल लिया था और इधर तीन घंटे बाद फैक्टरी के अंदर धमाका हो जाना था और खेल खतम।"
"बहुत खूब बेटे।" जगदीश के चेहरे पर प्रसंसा के भाव थे, बोला__"जब दिमाग़ से ही काम हो जाए तो हाॅथ पैर चलाने की ज़रूरत ही क्या है? वेल डन बेटे....आई एम प्राउड आफ यू।"
"वाह भइया वाह आपने तो कमाल ही कर दिया।" निधि ने खुशी में झूमते हुए कहा__"और साड़ी को फाड़ कर रुमाल कर दिया, हाॅ नहीं तो।"
"बेटा जो कुछ भी करना बहुत सोच समझ कर करना।" गौरी अंदर ही अंदर अपने बेटे के इस सराहनीय कार्य से खुश तो थी किन्तु प्रत्यक्ष में उसने यही कहा__"क्योंकि तुम जिसके साथ ये जंग कर रहे हो वो बहुत खराब आदमी है।"
"फिक्र मत कीजिए माॅ।" विराज ने सहसा ठंडे स्वर में कहा__"उस खराब आदमी के पर ही तो कुतर रहा हूॅ और एक दिन उसे अपाहिज भी कर दूॅगा। उसके लिए बहुत कुछ सोच रखा है मैंने। समय आने पर आप देखेंगी कि उसका क्या हस्र करता हूॅ मैं।"
"इस धमाके के बाद तो उसकी हालत खराब हो गई होगी बेटे।" जगदीश ने कहा__"संभव है कि इस हादसे की जाॅच ही न करवाए वो।"
"आपने बिलकुल ठीक कहा अंकल।" विराज ने कहा__"फैक्टरी में हुए इस भीषण काण्ड की जाॅच नहीं करवाएगा वो। क्योकि इससे उसे मिलेगा तो कुछ नहीं बल्कि उल्टा जाॅच से फॅस ज़रूर जाएगा। पुलिस और फाॅरेंसिक डिपार्टमेंट वाले हर चीज़ को बारीकी से जाॅचेंगे परखेंगे। उस दौरान वो लोग फैक्टरी का चप्पा चप्पा छान मारेंगे और इस सबसे उन्हें वो सबूत भी मिलेंगे जो इस बात की चीख चीख कर गवाही देंगे कि शहर का मशहूर बिजनेस मैन ग़ैर कानूनी धंधा भी करता था। बस खेल खतम।"
"देखते हैं क्या होता है?" जगदीश ने कहने के साथ ही पहलू बदला__"वैसे अब आगे का क्या करने का विचार है?"
"अभी और कुछ नहीं करना है।" सहसा गौरी ने हस्ताक्षेप किया__"अपनी पढ़ाई पर भी ध्यान देना कुछ, ये काम तो होता ही रहेगा।"
"गौरी बहन सही कह रही है राज।" जगदीश ने अपनेपन से कहा__"कुछ दिन में तुम्हारा काॅलेज भी शुरू हो जाएगा इस लिए अपने मन को थोड़ा शान्त भी रखो।"
"मैं भी यही सोच रहा हूॅ।" विराज ने मुस्कुरा कर कहा__"कुछ दिन अजय सिंह को भी अपनी हालत पर काबू पा लेना चाहिए। वर्ना कहीं ऐसा न हो कि हादसे पर हादसे देख कर वह हार्ट अटैक से ही मर जाए। फिर किससे मैं अपने तरीके से इंतकाम ले सकूॅगा?"
"एक के मर जाने से क्या होता है भइया?" निधि ने कहा__"सब उसके जैसे ही तो हैं, उनका भी वही हाल करना, हाॅ नहीं तो।"
निधि की बात पर सब मुस्कुरा कर रह गए।
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RE: non veg kahani एक नया संसार
अजय सिंह की हवेली में इस वक्त बड़ा ही अजीब सा माहौल था। ड्राइंगरूम में रखे सोफों पर इस वक्त परिवार के लगभग सभी सदस्य बैठे हुए थे। अजय सिंह, प्रतिमा, शिवा, अभय सिंह, करुणा, दिव्या तथा अभय व करुणा का दिमाग़ से डिस्टर्ब बेटा शगुन। शगुन अपनी माॅ करुणा के साथ की इस वक्त शान्त बैठा था कदाचित सब कोई खामोश व गुमसुम बैठे हुए थे इस लिए उन सबको देखकर वह भी चुपचाप बैठा था वर्ना आम तौर पर वह कोई न कोई विचित्र सी हरकतें करता ही रहता था। इन लोगों के बीच परिवार के दो सदस्य अभी अनुपस्थित थे, और वो थीं अजय सिंह व प्रतिमा की दोनों बेटियाॅ। अजय की छोटी बेटी नीलम मुम्बई में है, हलाॅकि उसे फैक्टरी में लगी आग की वजह से हुए भारी नुकसान की सूचना दे दी गई थी और वह मुम्बई से निकल भी चुकी थी यहाॅ आने के लिए। जबकि अजय सिंह की बड़ी बेटी रितू सुबह पुलिस स्टेशन चली गई थी, क्योंकि आज उसे चार्ज सम्हालना था। रितू को अपने पिता के साथ हुए हादसे का दुख तो था लेकिन वो कर भी क्या सकती थी? हाॅ ये ज़रूर उसके दिमाग़ में था कि इस केस की छान बीन वो बारीकी से खुद करेगी तथा इसके साथ ही यह पता भी लगाएगी कि ये सब कैसे हुआ??
(आप सबको बताने की ज़रूरत नहीं है कि ये सब लोग इस तरह गुमसुम से क्यों बैठे हुए थे। फिर भी बताना तो हर लेखक का फर्ज़ होता है कि वो हर बात को विस्तार से अपने पाठकों को बताए भी और समझाए भी।)
"क्या कुछ पता चला भैया कि फैक्टरी में किस वजह से आग लगी थी?" सहसा वहाॅ पर फैले इस सन्नाटे को अभय सिंह ने अपने कथन से चीरते हुए कहा__"आपने तो कहा था न कि पुलिस और फाॅरेंसिक डिपार्टमेंट के लोग इसकी बारीकी से छान बीन कर रहे थे?"
"किसी को कोई सुराग़ नहीं मिला छोटे।" अजय सिंह ने गंभीरता से कहा__"सबका यही कहना है कि शार्ट सर्किट की वजह से फैक्टरी में आग लगी थी। उस दिन क्योंकि अवकाश था इस लिए फैक्टरी में काम करने वाले वर्कर्स नहीं थे। फैक्टरी के अंदर कोई नहीं था और जो वहाॅ पर गार्ड्स वगैरा थे वो सब तो बाहर ही रहते हैं इस लिए किसी को पता ही नहीं चला कि फैक्टरी के अंदर कब क्या हुआ? जब तक पता चला तब तक फैक्टरी के अंदर भरे कपड़ों के स्टाक में आग पकड़ चुकी थी। फैक्टरी का इन्ट्री गेट बाहर से लाॅक था जिसकी चाभी मैनेजर के पास थी उस रात। मैनेजर किसी काम से बाहर था, तो आनन फानन में लाॅक तोड़ने की कोशिश की गई। लाक ऐसा था कि दरवाजे के अंदर से कनेक्टेड था जिसे खोल पाना आसान न था इस लोहे के दरवाजे को फिर किसी तरह ट्रक द्वारा तोड़ना पड़ा। इस काम में समय लग गया जिस वजह से आग ने उग्र रूप धारण कर लिया। फिर फायर ब्रिगेड वालों को सूचित किया गया। जब तक दमकल की गाड़ियाॅ वहाॅ पहुॅची तब तक फैक्टरी के अंदर लगी आग बेकाबू हो चुकी थी और फिर सब कुछ खाक़ हो गया।"
(आप लोग समझ ही गए होंगे कि अजय सिंह ये सब बातें अपने से बना कर ही अभय से कही थी। भला वो और क्या बताता उन लोगों से?)
"मैं इस बात को नहीं मानती डैड।" सहसा तभी ड्राइंगरूप में इंस्पेक्टर की वर्दी पहने हुए अजय सिंह की बेटी इंस्पेक्टर रितू ने दाखिल होते हुए कहा।
पुलिस इंस्पेक्टर की वर्दी में बला की खूबसूरत लग रही थी रितू। ऐसा लगता था जैसे ये पुलिस की वर्दी जन्म जन्मांतर से बनी ही उसके लिए थी। उसे इस रूप में देखकर वहाॅ बैठे सब लोगों की आॅखें फटी की फटी रह गईं। एकटक, अपलक देखते ही रह गए थे सब लोग उसे। वर्दी की टाइट फिटिंग में उसके बदन के वो सब उभार स्पष्ट नज़र आ रहे थे जिससे उसके भरपूर जवान हो जाने का पता चल रहा था। अजय सिंह तथा शिवा की आंखें कुछ अलग ही नज़ारा कर रही थी। ये बात किसी ने महसूस की हो या न की हो किन्तु उन बाप बेटों की फितरत से बाखूबी परिचित प्रतिमा ने साफ तौर पर महसूस किया। और अभय व करुणा की मौजूदगी को ध्यान में रखते हुए उसने तुरंत ही उन बाप बेटों को उनकी वास्तविक स्थित में ले आने की गरज से किन्तु सावधानी से कहा__"वाह मेरी बेटी पुलिस की वर्दी में कितनी सुन्दर लग रही है, कहीं किसी की नज़र न लग जाए तुझे। चल मैं तेरे कान के नीचे नज़र का काला टीका लगा देती हूॅ।"
"इसकी कोई ज़रूरत नहीं है माॅम।" रितु ने हॅस कर कहा__"यहाॅ पर सब अपने ही तो बैठे हैं। भला अपनों की भी कहीं नज़र लगती है क्या?"
"क्या पता?" प्रतिमा ने एक सरसरी सी नज़र अपने पति व बेटे पर डाली फिर बोली__"लग भी सकती है।"
अजय सिंह और शिवा दोनो ही प्रतिमा की इस बात पर चौंके और सम्हल कर बैठ गए। ये देख प्रतिमा मन ही मन मुस्कुराई थी।
"बहुत बहुत बॅधाई हो रितू।" करूणा ने मुस्कुराकर कहा__"आज से तुम पुलिस वाली बन गई हो।"
"धन्यवाद चाची जी।" रितू ने कहा तथा एक हाॅथ में पकड़े हुए पुलिस रुल को अपने दूसरे हाॅथ की हॅथेली पर हल्के से मारते हुए कहा__"मैं आपकी इस बात को नहीं मानती डैड कि आपकी फैक्टरी में लगी आग किसी शार्ट सर्किट की वजह से लगी है।"
"ये तुम क्या कह रही हो बेटी?" अजय सिंह मन ही मन उसकी इस बात से चौंका था किन्तु चेहरे पर उन भावों को उजागर न करते हुए प्रत्यक्ष में कहा __"अगर आग शार्ट सर्किट की वजह से नहीं लगी है तो फिर किस वजह से लगी है? जबकि पुलिस और फाॅरेंसिक डिपार्टमेंट के लोग अपनी छान बीन में इसी बात की पुष्टि करके गए थे?"
"यही तो हैरानी की बात है डैड।" रितू ने चहलकदमी करते हुए कहा__"वो लोग उस बात की पुष्टि कर गए जिसका कहीं कोई वजूद ही नहीं था, जबकि उस तरफ उन लोगों ने ज़रा भी ग़ौर नहीं किया जिस तरफ किसी बात के प्रमाण मिल जाने के किसी हद तक चान्सेस थे।"
"क्या मतलब है तुम्हारा?" अजय सिंह इस बार लाख कोशिशों के बाद भी अपने चेहरे पर बुरी तरह चौंकने के भाव न छिपा सका। वह तो चकित भी हो गया था कि उसकी बेटी जो अब तक साधारण सी थी वो अब इस रूप में ऐसी बातें भी करने लगी थी। उसे समझ न आया कि उसकी बेटी के अंदर कौन सा जासूसी कीड़ा समा गया है?
"मेरा मतलब तो स्वीमिंगपुल में भरे पानी की तरह साफ ही है डैड।" उधर रितू अजीब से अंदाज़ में अपने ही बाप की धड़कने बढ़ाते हुए कह रही थी__"मुझे तो ऐसा लगता है जैसे फैक्टरी में छान बीन करने आए पुलिस तथा फाॅरेंसिक डिपार्टमेंट के लोग छान बीन की महज औपचारिकता निभा कर चले गए हैं। वर्ना इतने भीषण काण्ड की इतनी मामूली सी वजह बता कर नहीं चले जाते बल्कि कुछ और ही पता करते।"
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RE: non veg kahani एक नया संसार
अजय सिंह अपनी पुलिस की वर्दी पहने बेटी को मुॅह बाए देखता रह गया। कानों में कहीं दूर से हथौड़े की चोंट का एहसास करने लगा था वो। फिर सहसा जैसे उसे वस्तुस्थित का ख़याल आया तो बोला__"मतलब क्या है बेटी? क्या तुम ये कहना चाहती हो कि तुम्हारे ही पुलिस डिपार्टमेंट के लोगों ने अपनी छान बीन में ग़लत रिपोर्ट दी है? जबकि तुम्हारे अनुसार उनकी इस रिपोर्ट के उलट कुछ और ही रिपोर्ट निकल सकती थी? इससे तो यही ज़ाहिर होता है कि तुम्हें अपने ही पुलिस डिपार्टमेंट की इस छान बीन के फलस्वरूप बनाई गई रिपोर्ट पर शक है?"
"मैंने ये कब कहा डैड कि मुझे अपने डिपार्टमेंट द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट पर शक है?" रितू ने कहा__"मैंने तो सिर्फ अपनी बात रखी है इस सिलसिले में कि अगर औपचारिकता की बजाय ठीक तरह से छान बीन की जाती तो शायद निष्कर्श कुछ और ही निकलता।"
"तुम्हारे कहने का मतलब तो वही हुआ बेटी।" अजय सिंह जाने क्या सोच कर पल भर को मुस्कुराया था, फिर बोला__"तुम्हें लगता है कि तुम्हारे डिपार्टमेंट वालों ने अपनी छान बीन में महज अपनी औपचारिकता निभाई है। इसका मतलब तो यही हुआ कि उन्होंने तुम्हारी नज़र में गंभीरता से छानबीन ही नहीं की।"
"बिलकुल।" रितू ने कहा__"पर ये उन पर मेरा कोई आरोप नहीं है डैड। क्योंकि मुझे पता है सबका अपना अपना दिमाग़ होता है, और सब अपने उसी दिमाग़ की वजह से किसी भी चीज़ का रिजल्ट निकालते हैं। जिसका जितना दिमाग़ चलता है वो उतना ही बता पाता है, मगर ज़रूरी नहीं होता कि कोई सच उतने ही दिमाग़ से निकलने वाला सच कहलाए। ख़ैर जाने दीजिए...मैं आपको ये खुशख़बरी सुनाने आई हूॅ कि इस केस को मैंने रिओपेन किया है जिसके लिए मैंने कमिश्नर से बड़ी मिन्नते की थी। मुझे अंदेशा है कि मेरे डिपार्टमेंट ने ठीक तरह से छान बीन नहीं की। इस लिए अब ये केस मैंने खुद अपने हाॅथ में लिया है और अब मैं खुद इसकी छानबीन करूॅगी।"
"क क्या????" अजय सिंह उछल पड़ा, चहरे पर पसीने की बूॅदे झिलमिला उठीं। फिर जल्दी ही उसने खुद को सम्हालते हुए कहा__"भला इसकी क्या ज़रूरत थी बेटी? मेरा मतलब है कि मान लो ये पता लग भी जाए कि फैक्टरी में आग वास्तव में किस वजह से लगी थी तो भी क्या होगा? क्या इससे वो सब वापस मिल जाएगा जो जल कर खाक़ मे मिल चुका है?"
"मैं मानती हूॅ डैड कि अब वो सब कुछ नहीं मिल सकता जो जल कर खाक़ हो गया है।" रितु ने कहा__"लेकिन छान बीन से हकीक़त का पता भी तो चलना चाहिए। आखिर पता तो चलना ही चाहिए कि फैक्टरी में आग खुद लगी थी या किसी के द्वारा लगाई गई थी?"
"किसी के द्वारा?" सहसा इस बीच अभय ने कहा__"इसका क्या मतलब हुआ रितू बेटी?"
"मतलब साफ है चाचा जी।" रितू ने अभय से मुखातिब होकर कहा__"फैक्टरी में आग अगर खुद नहीं लगी रही होगी तो ज़ाहिर है किसी के द्वारा आग लगाई गई थी। उस सूरत में सवाल यही उठता है कि किसने और किस वजह से फैक्टरी में आग लगाई? आप ही बताइए क्या ये जानना ज़रूरी नहीं है कि हम ऐसे इंसान का पता लगाएं जिसने हमारी फैक्टरी को आग लगा कर हमारा सब कुछ बरबाद कर दिया?"
"बिलकुल बेटा।" अभय ने कहा__"अगर छानबीन में यही सच सामने आता है तो इसका पता तो चलना ही चाहिए कि किसने ये सब किया और क्यों किया?"
अजय सिंह के काॅनों में सीटियाॅ सी बजने लगी थी। उसकी समझ में नहीं आ रहा था कि अब वह ऐसा क्या करे कि उसकी बेटी फैक्टरी की दुबारा छानबीन न करे? क्योंकि उसे पता था कि अगर रितू ने दुबारा छानबीन शुरू की तो वो सच्चाई भी सामने आ जाएगी जिसको वह किसी भी कीमत पर सामने नहीं लाना चाहता। पहले जो छानबीन हुई थी उसमें अजय सिंह ने ऊपर ऊपर से ही फैक्टरी की छानबीन करवाई थी वो भी सिर्फ औपचारिकता के लिए। सब उसके ही आदमी थे, पुलिस भी और फाॅरेंसिक डिपार्टमेंट के लोग भी। किन्तु अब ये केस फिर से रिओपेन हो गया, वो भी उसकी अपनी ही बेटी के द्वारा। उसे समझ नहीं आ रहा था कि अपनी बेटी को दुबारा से छानबीन करने से कैसे रोंके?
"रितू दीदी ठीक ही कह रही हैं डैड।" सहसा इस बीच काफी देर से चुपचाप बैठा शिवा भी अपने अंदाज़ में कह उठा__"फैक्टरी की दुबारा से छानबीन तो होनी ही चाहिए। कम से कम असलियत तो सामने आ ही जाए कि किसने ये सब किया है? कसम से डैड...जिसने भी ये किया होगा उसको छोड़ूॅगा नहीं मैं। कुत्ते से भी बदतर मौत मारूॅगा उसे।"
"खामोशशशशश।" अजय सिंह लगभग चीखते हुए कहा था__"चुपचाप बैठो, नहीं तो कमरे में जाओ अपने। तुम्हें बीच में बोलने की कोई ज़रूरत नहीं है समझे??"
"पर डैड मैंने ऐसा क्या ग़लत कह दिया?" शिवा ने बुरा सा मुॅह बनाते हुए कहा__"जिसकी वजह से आप मुझे इस तरह डाॅटकर चुप करा रहे हैं।"
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11-24-2019, 12:21 PM,
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RE: non veg kahani एक नया संसार
फैक्टरी के अंदर जाने से पहले की तरह ही कानूनन अभी प्रतिबंध लगा हुआ था। हलाॅकि पहले हुई छानबीन के मुताबिक प्रतिबंध हटाया ही जा रहा था कि ऐन समय पर रितू के द्वारा जब केस फिर से रिओपेन हो गया तो प्रतिबंध पूर्वत् लगा ही रहा। इसके साथ ही जाने क्या सोच कर इंस्पेक्टर रितू ने वहाॅ की सिक्योरिटी भी टाइट करवा दी थी।
अजय सिंह ने अपनी तरफ से कोशिश तो बहुत की कि उसे एक बार फैक्टरी के अंदर जाने दिया जाए लेकिन उसकी एक न चली थी। उसे इस बात ने भी बुरी तरह हैरान व परेशान कर दिया था कि इस शहर का पूरा पुलिस डिपार्टमेंट ही बदल दिया गया है। ऊॅची रैंक के सभी अफसरों का तबादला हो चुका था एक दिन पहले ही। सब-इंस्पेक्टर से लेकर कमिश्नर तक सबका तबादला कर दिया गया था। अजय सिंह इस बात से बेहद परेशान हो गया था, पुलिस कमिश्नर उसका पक्का यार था जिसके एक इशारे पर उसका हर काम चुटकियों में हो जाता था। अजय सिंह अपनी हार न मानते हुए प्रदेश के मुख्यमंत्री से भी संबंध स्थापित कर इस केस को रफा दफा करने का दबाव बढ़ाने को कहा किन्तु मुख्यमंत्री ने ये कह कर अपने हाॅथ खड़े कर दिये थे कि वह ऐसा चाह कर भी नहीं कर सकता क्योंकि ऊपर से हाई कमान का शख्त आदेश था कि इस केस से संबंधित किसी भी प्रकार की बात किसी के द्वारा नहीं सुनी जाएगी और न ही किसी के द्वारा कोई हस्ताक्षेप किया जाएगा। पुलिस को पूरी इमानदारी के साथ इस केस की छानबीन करने की छूट दी जाए।
प्रदेश के मुख्यमंत्री की इस बात ने अजय सिंह की रही सही उम्मीद को भी तोड़ दिया था। उसकी हालत उस ब्यक्ति से भी कहीं ज्यादा गई गुज़री हो गई थी जिसे चलने के लिए दो दो बैसाखियों का भी मोहताज होना पड़ता है। अजय सिंह की समझ में नहीं आ रहा था कि एक ही दिन में ये क्या हो गया है? शहर के सारे पुलिस डिपार्टमेंट का क्यों तबादला कर दिया गया?? और....और ऐसा क्या है जिसके चलते प्रदेश के सीएम तक को अपने हाॅथ मजबूरीवश खड़े कर देने पड़े? लाख सिर खपाने के बाद भी ये सब बातें अजय सिंह की समझ में नहीं आ रही थीं। वह इतना ज्यादा परेशान व हताश हो गया था कि उसे हर तरफ सिर्फ और सिर्फ अॅधेरा ही अॅधेरा दिखाई देने लगा था। ऐसा लगता था कि वह चक्कर खा कर अभी गिर जाएगा। हलाॅकि वो ये सब अपने चेहरे पर से ज़ाहिर नहीं होने देना चाहता था किन्तु वह इसका क्या करे कि लाख कोशिशों के बाद भी दिलो दिमाग़ में ताण्डव कर रहे इस तूफान को वह अपने चेहरे पर उभर आने से रोंक नहीं पा रहा था।
इंस्पेक्टर रितु पुलिस की वर्दी पहने कुछ ऐसे पोज में खड़ी थी कि अजय सिंह को वह किसी यमराज की तरह नज़र आ रही थी।
अजय सिंह अपनी ही बेटी से बुरी तरह भयभीत हुआ जा रहा था। बार बार वह अपने रुमाल से चेहरे पर उभर आते पसीने को पोछ रहा था।
"मैं आप सबको ये बताना चाहती हूॅ कि फैक्टरी की इसके पहले हुई छानबीन से मेरा कोई मतलब नहीं है।" रितु ने अजय सिंह के साथ आए बाॅकी सब पर एक एक नज़र डालने के बाद अजय सिंह से कहा__"अब क्योंकि ये केस फिर से मेरे द्वारा रिओपेन हुआ है तो इस केस की छानबीन मैं शुरू से और नए सिरे से ही करूॅगी। उम्मीद करती हूॅ कि आपको इस सबसे कोई ऐतराज़ नहीं होगा बल्कि इस छानबीन में आप खुद पुलिस का पूरा पूरा सहयोग देंगे।"
"तुमने बेकार ही इस केस को रिओपेन किया है बेटी।" अजय सिंह ने नपे तुले भाव से कहा__"मैं तो कहता हूॅ कि अभी भी कुछ नहीं हुआ है, अभी भी इस केस की फाइल बंद की जा सकती है। कोई ज़रूरत नहीं है इस सबकी, क्योंकि इससे वो सब कुछ मुझे वापस तो मिलने से रहा जो जल कर खाक़ हो गया है।"
"अब ये केस रिओपेन हो चुका है ठाकुर साहब।" रितु ने अपने ही बाप को ठाकुर साहब कह कर संबोधित किया। अजय सिंह इस बात से हैरान रह गया, जबकि रितु कह रही थी__"और जब तक इस केस से संबंधित कोई रिजल्ट सामने नहीं आता तब तक ये केस क्लोज नहीं हो सकता। केस को क्लोज करना मेरे बस में नहीं है बल्कि ये ऊपर से ही आदेश है कि केस को अब अच्छी तरह से ही किसी नतीजे के साथ बंद किया जाए।"
"ठीक है रितु बेटी।" सहसा प्रतिमा ने कहा__"तुम अपनी ड्यूटी निभाओ, हम भी देखना चाहते हैं कि इस सबके पीछे किसका हाॅथ है?"
"मुआफ़ कीजिये, इस वक्त मैं आपकी बेटी नहीं बल्कि एक पुलिस आॅफिसर हूॅ और अपनी ड्यूटी कर रही हूॅ।" रितु ने सपाट लहजे से कहा__"एनीवे, तो शुरू करें ठाकुर साहब??"
रितु की बात से जहाॅ प्रतिमा को एक झटका सा लगा वहीं अजय सिंह की घबराहट बढ़ने लगी थी।
"मेरा सबसे पहला सवाल।" रितु ने कहा__"फैक्टरी में आग लगने की सूचना सबसे पहले आपको कैसे हुई?"
अजय सिंह क्योंकि समझ चुका था इस लिए अब उसने भी अपने आपको इस केस से संबंधित किसी भी प्रकार की छानबीन या तहकीकात के लिए तैयार कर लिया।
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