Incest Kahani परिवार(दि फैमिली)
09-24-2019, 02:26 PM,
RE: Incest Kahani परिवार(दि फैमिली)
विजय की नींद अपने लंड को अपनी बहन के गरम मुँह में महसूस करके टूटने लगी, उसने अपनी आखों को खोलते ही देखा की उसकी बहन उसका लंड चाट रही है । कंचन ने अब अपने भाई के लंड को अपने मूह से निकालते हुए अपनी टांगों को फ़ैलाकर उसके लंड को अपनी छूट के छेद पर टीका दिया और अपने वजन के साथ नीचे बेठते हुए अपने भाई के लंड को अपनी चूत में घुसाने लगी ।
कंचन के नीचे बैठते ही उसके भाई का लंड उसकी चूत में घूसने लगा ।अपने भाई के लंड को अपनी चूत में लेते हुए कंचन को थोडा दर्द हो रहा था मगर जो मजा उसे महसूस हो रहा था उसके सामने वह दर्द कुछ भी नहीं था, कंचन अपने भाई का आधा लंड अपनी चूत में घुसाने के बाद उसपर अपने चूतड़ो को उछालते हुए अंदर बाहर करने लगी।

कंचन अपने भाई के लंड पर उछलते हुए बुहत ज़ोर से साँसें लेते हुए सिसक रही थी । कंचन की चूत भी गरम होकर गीली होने लगी और वह अपने भाई के लंड पर उत्तेजना के मारे बुहत तेज़ी और ताक़त के साथ उछलने लगी जिस वजह से विजय का लंड पूरा उसकी बहन की चूत में घुसकर अंदर बाहर होने लगा ।
कंचन अपनी चूत में अपने भाई का पूरा लंड घूसने की वजह से मज़े के मारे हवा में उड़ रही थी और बुहत तेज़ी के साथ अपने भाई के लंड पर उछल रही थी। विजय की नींद टूट चुकी थी वह बस चुप चाप पडे हुए अपनी बहन को अपने लंड पर उछलते हुए देख रहा था । कंचन का जिस्म अचानक अकडने लगा और वह पागलोँ की तरह अपने भाई के लंड पर कूदने लगी।

"आह्ह्ह्ह भैया ओहहहहहहः" कंचन अपने भाई को जागता हुआ देख चुकी थी इसीलिए वह काँपते हुए अपने भाई को देखते हुए ज़ोर से सिसक कर झरने लगी । विजय अपनी बहन को झरते हुए देखकर अपने हाथों से अपनी बहन के चूतड़ो को पकडकर अपने लंड पर दबाने लगा ।
कंचन की चूत से जाने कितना पानी बहकर विजय के लंड को गीला करने लगा । कंचन पूरी तरह झरने के बाद अपने भाई के ऊपर ढेर हो गयी।
"दीदी लगता है आपकी तबीयत बिलकुल अच्छी हो गई है" विजय ने अपनी बहन की चुचियों को दबाते हुए कहा।
"चल बदमाश" कंचन इतना कहकर अपना मुँह अपने भाई के मूह पर रख दिया और दोनों भाई बहन एक दुसरे के होंठो और जीभों से खेलने लगे।
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09-24-2019, 02:26 PM,
RE: Incest Kahani परिवार(दि फैमिली)
विजय अपनी बहन की जीभ को चाटने से बुहत गरम हो गया । विजय ने अपनी बहन को कमर से पकडते हुए अपने ऊपर से उठाते हुए सीधा लिटा दिया और उसकी टांगों के बीचे आते हुए उसकी चूत में अपना लंड घुसाकर उसे पेलने लगा । विजय अपनी बहन की चूत में अपना लंड अंदर बाहर करते हुए उसके ऊपर झुक कर उसकी जीभ को निकालकर चूसने लगा ।
विजय का लंड अपनी बहन की जीभ को चूस्ते हुए उत्तेजना के मारे और ज्यादा फूलकर उसकी चूत में अंदर बाहर होने लगा और विजय का पूरा जिस्म एक नए मज़े के अहसास से सिहरने लगा । कंचन का भी मज़े के मारे बुरा हाल था। उसे इतना ज्यादा मज़ा आ रहा था की वह अपनी टांगों को अपने भाई की कमर में डालकर अपने चूतड़ो को उछाल उछाल कर उसके लंड को अपनी चूत में लेते हुए सिसक रही थी।

विजय भी अपनी बहन के सिसकने से अपना लंड पूरी तेज़ी और ताक़त के साथ उसकी चूत में अंदर बाहर करने लगा । कंचन ने अपनी बाहों को अपने भाई के पीठ में डालकर उसके पीठ को सहलाने लगी । कुछ ही देर में विजय का पूरा जिस्म काम्पने लगा और उसने अपनी बहन की जीभ को अपने मूह से निकालते हुए अपनी जीभ को उसके मूह में डाल दिया, कंचन समझ गयी की उसका भाई झडने वाला है इसीलिए वह उसकी जीभ को पकडकर अपने होंठो से चूसने लगी।

विजय का जिस्म अब झटके खाने लगा और वह अपने लंड को अपनी बहन की चूत से पूरा निकाल कर इतनी ज़ोर के साथ कंचन की चूत में पेलने लगा की उसका पूरा जिस्म भी अपने भाई के साथ काम्पने लगा । विजय के लंड से वीर्य की पिचकारियां निकलकर उसकी बहन की चूत में गिर रही थी और विजय ने झरते हुए अपनी जीभ को पूरा अपनी बहन के मुँह में घुसा दिया था ।
कंचन अपने भाई का गरम वीर्य अपनी चूत की गहराइयों में गिरने से खुद भी मज़े के मारे अपने भाई के पीठ पर अपने नाखूनों को गडाते हुए अपने चूतडों को उछलकर झरने लगी । कंचन झडते हुए अपने भाई की जीभ को बुहत ज़ोर से चूस रही थी, विजय को इतना जयादा मज़ा आया था और उसके लंड से इतना वीर्य निकला था की वह उसकी बहन की चूत से निकलकर नीचे गिर रहा था।

विजय पूरी तरह झरने के बाद अपनी बहन के ऊपर ढेर हो गया और उसका लंड सिकूड़ कर उसकी बहन की चूत से निकल गया । विजय का लंड निकलते ही कंचन की चूत से उसका और विजय का मिला जुला वीर्य बेड पर गिरने लगा, कंचन ने अपने होंठ अपने भाई की जीभ से हटा लिए थे और वह बुहत ज़ोर से हांफ रही थी ।
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09-24-2019, 02:26 PM,
RE: Incest Kahani परिवार(दि फैमिली)
विजय भी अपना सर अपनी बहन की बड़ी और नरम चुचियों पर रखकर हांफ रहा था।
"विजय अब जाओ यहाँ से सुबह हो गई है कहीं मम्मी न आ जाए" कंचन ने अपने भाई की पीठ को सहलाते हुए कहा।
"आह्ह्ह्ह दीदी पहले ज़ख़्म देती हो और फिर उसको सहलाती हो" विजय अपनी बहन का हाथ अपने पीठ पर लगने से दर्द के मारे सिसकते हुए बोला । कंचन ने झरते हुए अपने नाखुनों को अपने भाई की पीठ पर गडा दिया था । यह वही ज़ख़्म था।

"जखम मैंने क्या किया भाई" कंचन ने अन्जान बनते हुए कहा।
"वाह जब झर रही थी तो पता चला की यह जो इतने बड़े नाख़ून बना रखे हैं। यह मेरी पीठ में गडा रही हो" विजय ने अपनी बहन की एक चुची को सहलाते हुए कहा।
"सॉरी भैया मुझे पता ही नहीं चला था । मैं आगे से ख़याल रखूँगी" कंचन ने अपने भाई की बात सुनकर हँसते हुए कहा ।
"चलो ठीक है । मैं बुहत थक गया हूँ थोडा सा दूध पिला दो" विजय ने अपनी बहन की बड़ी और गोरी चुचियों को देखते हुए कहा।
"चल बदमाश अभी इन में दूध नहीं है" कंचन ने अपने बहन की बात सुनकर शरमाते हुए कहा।

"क्यों दीदी यह इतनी बड़ी तो हैं। इन में ज़रूर दूध होगा आप मुझसे झूठ बोल रही हो" विजय ने यह कहते हुए अपनी दीदी की एक चूचि को अपने मुँह में भर लिया और बुहत ज़ोर से चूसने लगा।
"ओहहहहहह बदमाश आराम से मैंने कहा न इनमें दूध नहीं है" कंचन अपनी चूचि को विजय के मुँह में ज़ोर से चूसने से दर्द के मारे चिल्लाकर कहा ।
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09-24-2019, 02:26 PM,
RE: Incest Kahani परिवार(दि फैमिली)
वाह दीदी इन में दूध तो नहीं है मगर यह दूध के बगैर ही बुहत मीठे है" विजय ने अपनी दीदी की चूचि से अपना मुँह हटाकर अपने होठो पर जीभ को फिराते हुए कहा।
"चल बदमाश अब जा" कंचन ने अपने भाई की बात सुनकर उसे धक्का देते हुए शरमाकर कहा ।
"दीदी मगर इनमें अब तक दूध क्यों नहीं आया" विजय अपनी बहन की आँखों में देखते हुए बोला।
"अरे पगले लड़की की चुचियों में दूध तभी आता है जब वह शादी के बाद बच्चे की माँ बनती है" कंचन ने विजय को समझाते हुए कहा।

"लेकिन दीदी मुझे आपकी प्यारी चुचियों का दूध पीना है" विजय ने अपनी बहन की बात सुनकर बच्चे की तरह ज़िद करते हुए कहा।
"चल बदमाश जब मेरी शादी हो जाये और में बच्चे की माँ बन जाओं तो यहाँ आकर तुम्हें अपना दूध पी ला जाऊंगी" कंचन ने अपने भाई की तरफ देखते हुए कहा।
"दीदी आप एक काम क्यों नहीं करती। मेरे बच्चे की माँ बन जाओ" विजय ने मुसकुराकर अपनी बहन की तरफ देखते हुए कहा।
"कमीने अपनी बहन को चोद कर मन भरा नहीं जो उसे अपने बच्चे की माँ बनायेगा। क्या मैंने तुझसे इसीलिए चुदवाया था की तेरे बच्चे की माँ बनकर सारे ज़माने के सामने शरमिंदा होती रहुँ" कंचन ने अपने भाई की बात सुनकर गुस्सा करते हुए कहा।

"नही दीदी मैं आपको शरमिंदा नहीं करना चाहता" विजय ने अपनी बहन की बात सुनकर कहा।
"तो फिर क्या चाहता है। जब मैं बिना शादी के माँ बनूँगी तो सभी उँगलियाँ उठाएँगे" कंचन ने अपनी भाई को समझाते हुए कहा।
"ये बात तो ठीक है मगर मैं आपको अपने बच्चे की माँ बनाना चाहता हू" विजय ने अपनी दीदी की तरफ देखते हुए कहा ।
"ठीक है जब मेरी शादी हो जाये तो मैं अपने पेट से पहला तुम्हारा एक बच्चा जनूँगी जो सिर्फ तुझे और मुझे पता होगा" कंचन ने अपने भाई की बात सुनकर सोचते हुए कहा।
"हाँ दीदी यह ठीक है किसी को शक भी नहीं होगा आई लव यू दीदी" विजय अपनी बहन की बात सुनकर खुश होते हुए बोला।

"ठीक है विजय अब तुम जाओ कहीं माँ न आ जाए" कंचन ने अपने भाई को मिन्नत करते हुए कहा।
"ठीक है दीदी में जा रहा हू" विजय अपने कपडे पहनकर वहां से जाते हुए अपने कमरे के पास आकर दरवाज़ा खटखटाने लगा ।
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09-24-2019, 02:26 PM,
RE: Incest Kahani परिवार(दि फैमिली)
नरेश ने आज अपनी बहन को जी भरकर चोदा था। इसीलिए वह गहरी नींद में सोया हुआ था । शीला भी अपनी कमसीन जवानी को अपने भाई के तगडे लंड से मसलवाने के बाद सुकून से सोयी हुयी थी, दरवाज़ा के खटकाने से शीला की नींद ही टूट गयी और वह नींद से जागते हुए उठकर दरवाज़े की तरफ जाने लगी।

शीला ने जैसे ही दरवाज़ा खोला उसके सामने विजय खडा था।
"भइया सुबह हो गई क्या?" शीला ने विजय को देखकर अँगड़ाई लेते हुए कहा । विजय जहाँ खडा था वहीँ पर बूत बनकर वैसे ही खडा रह गया क्योंकी शीला विजय के सामने बिलकुल नंगी खडी थी । वह नींद के नशे में यह भूल गयी थी की रात को अपने भाई से चुदाने के बाद वह नंगी ही सो गयी थी ।
"क्या हुआ भाई आओ न अंदर ऐसे क्या देख रहे हो" शीला ने विजय को अपनी तरफ ऐसे घूरता हुआ देखकर कहा।
"वो दीदी आपके कपडे" विजय के मूह से बस इतना ही निकल पाया । शीला कपड़ों का नाम सुनकर जैसे ही अपने आप को देखा उसके पेरों के नीचे से ज़मीन निकल गयी। वह बिलकुल नंगी होकर विजय के सामने खडी थी।

"भइया आपको शर्म नहीं आती इतनी देर से मेरे नंगे शरीर को घूर रहे हो और बताते भी नही" शीला ने जल्दी से अपनी नाइटी को उठाकर पहनते हुए विजय को डाँटते हुए कहा।
"दीदी आपको देखकर मेरी बोलती ही बंद हो गई थी" विजय ने शरारती मुसकान के साथ कहा ।
"च भला ऐसा क्या नज़र आ गया तुमको मेरे शरीर में" विजय की बात सुनकर शीला ने विजय के बिलकुल क़रीब आते हुए कहा।
"अब क्या कहुँ। होंठो से लेकर पैरों तक तो तुम्हारी हर चीज़ ख़ूबसूरत है फिर मैं किस चीज़ की तारीफ करुं" विजय ने भी बिलकुल मूड में आकर शीला की तारीफ करते हुए कहा।

"भइया सच में में आपको इतनी अच्छी लगती हू" शीला विजय की बातों से गरम होते हुए उसके बिलकुल क़रीब आ गयी थी । शीला विजय से बिलकुल सट कर खडी थी। जिस वजह से उसकी साँसें बुहत ज़ोर से चल रही थी और उसकी तेज़ साँसें विजय को अपनी साँसों के बिलकुल नज़दीक महसूस हो रही थी ।
"दीदी आप हो ही इतनी सूंदर की मुझे क्या हर किसी को आप अच्छी ही लगेंगी" विजय ने मौके का फ़ायदा उठाते हुए आगे होकर अपना मूह शीला के मूह से बिलकुल सटा दिया।
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09-24-2019, 02:26 PM,
RE: Incest Kahani परिवार(दि फैमिली)
"दीदी आपके होंठ कितने गुलाबी और रसीले हैं मन करता है इनका सारा रस पी जाऊं" विजय ने अपने हाथों से अपनी बहन के सर को पकडते हुए कहा।

"तो पियो न भैया" शीला ने अपनी जीभ को अपने होंठो पर फिराते हुए कहा । विजय का लंड उसकी पेण्ट में बुहत ज़ोर से उछल रहा था। शीला के इस अन्दाज़ को वह बर्दाशत नहीं कर सका और अपने तपते होंठ अपनी बहन के सुलगते हुए होंठो पर रख दिये ।
विजय शीला के दोनो होंठो को चाटते हुए अपने हाथों से उसके बालों को सहलाने लगा । शीला तो खुद भी यही चाहती थी उसने अपनी जीभ को निकालकर अपने भाई के मूह में डाल दिया, विजय शीला की जीभ को अपने मूह में महसूस करते ही बुहत ज्यादा उत्तेजित होते हुए उसकी जीभ को चाटने लगा।

शीला ने अपना हाथ नीचे ले जाकर विजय की पेण्ट में तने हुए लंड को पकडते हुए ज़ोर से मसल दिया।
"आह्ह्ह्हह्ह दीदी क्या कर रही हो" विजय अपने लंड को मसलने से दर्द के मारे शीला की जीभ को अपने मूह से निकालकर चीखते हुए कहा ।
"सॉरी भैया पर मुझे कंचन के कमरे में जाना होगा सुबह हो गई है" शीला ने विजय से अलग होते ही एक अदा से मुस्कराते हुए कहा।
"दीदी जैसे आपकी मर्ज़ि" विजय शीला की बात सुनकर हैंरान होते हुए बोला।
"आई लव यू भैया" शीला ने जाते हुए विजय के लंड को फिर से पकडते हुए मसल दिया और यह कहकर हँसते हुए वहां से चलि गयी।

विजय शीला को देखते ही रह गया । उसे समझ में नहीं आ रहा था की क्या करे । शीला के जाते ही विजय ने दरवाज़ा बंद किया और नरेश के साथ वहीँ सो गया ।



रेखा ने सुबह उठते ही अपने पति को उठाया और उसे नाश्ता कराके ऑफिस के लिए भेज दिया ।
रेखा ने अपने बच्चों को ४-५ दिन की छुट्टी लेकर घर में ही रहने के लिए कहा था क्योंकी मनीषा और उसके बच्चे घर में थे और इसी लिए रेखा ने किसी को नहीं उठाया सिर्फ अपने पति को उठाकर ऑफिस भेज दिया।

रेखा अपने पति को ऑफिस भेजने के बाद सीधा अपने ससुर के कमरे में चलि गयी । रेखा दरवाज़ा खोलकर जैसे ही अंदर दाखिल हुयी अनिल बेड पर सीधा लेटा हुआ था और उसकी चादर उसके ऊपर से हटी हुयी थी, अनिल का लंड उसकी धोती में ही तंबू बना हुआ था।
रेखा अपने ससुर के पास बैठ गयी और उसकी धोती को उसके लंड से हटा दिया । धोती के हटते ही अनिल का लम्बा और मोटा लंड ऊपर नीचे झटके खाते हुए रेखा को सलामी देने लगा।

रेखा का मन सुबह सुबह अपने ससुर का लंड देखकर खराब होने लगा और उसने अपना हाथ आगे बढाते हुए अपने ससुर के झटके खाते हुए लंड को पकड लिया।

रेखा का पूरा जिस्म अपने ससुर के लंड को पकडने से कांप उठा। क्योंकी वह बुहत ज्यादा कड़क और गरम था । रेखा ने अपने ससुर के लंड को थोडी देर तक अपने हाथ से सहलाने के बाद नीचे झुकते हुए अपने ससुर के लंड के गुलाबी सुपाडे को चूम लिया ।
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09-24-2019, 02:27 PM,
RE: Incest Kahani परिवार(दि फैमिली)
रेखा अपने ससुर के लंड को चूमने के बाद अपनी जीभ निकालकर उसके गुलाबी सुपाडे को चाटने लगी । रेखा कुछ देर तक अपने ससुर के लंड के सुपाडे को चाटने के बाद अपनी जीभ से अपने ससुर के पूरे लंड को ऊपर से नीचे तक चाटने लगी।
"आह्ह्ह्ह कौन । अरे बेटी तुम कब आयी?" अनिल अपने लंड में हरकत होने पर अपनी आँखें मलकर उठते हुए बोला।
"बाबुजी में अभी आई हूँ अब आपकी तबीयत कैसी है" रेखा ने अपनी जीभ को अपने ससुर के लंड से हटाकर सीधा होते हुए कहा ।
रेखा की जीभ के चाटने से अनिल का लंड बिलकुल साफ़ होकर चमका रहा था।
"बेटी अब कुछ बेहतर महसूस कर रहा हू" अनिल ने रेखा को बाज़ू से खीचते हुए अपने ऊपर गिराते हुए कहा।
"आह्ह्ह्ह क्या हुआ बापु" रेखा सीधा अपने ससुर के ऊपर गिर गयी और उसकी चुचियां सीधा अनिल के सीने में दब गयी जिस वजह से उसने सिसकते हुए कहा।

"बेटी मुझे तेरा दूध पिए हुए बुहत दिन हो गये हैं। देखो कितना कमज़ोर हो गया हू" अनिल ने अपनी बहु की साड़ी का पल्लु हटाते हुए कहा और उसके ब्लाउज के ऊपर से ही अपनी बहु की चुचियों के उभारों को चाटने लगा।
"आह्ह्ह्ह बापु आप इनका दूध पिएँ और जल्दी से ठीक हो जायें" रेखा ने अपने ब्लाउज को खोलकर ब्रा को अपनी चुचियों से नीचे करते हुए कहा ।
"बेटी तुम मेरा कितना ख्याल करती हो" अनिल ने यह कहते हुए अपनी बहु की एक चूचि को पकडकर अपने मूह में डाल दिया और उसे बुहत ज़ोर से चूसने लगा। रेखा का पूरा जिस्म अपने ससुर के मूह में अपनी चूचि के जाने से सिहरने लगा और उत्तेजना के मारे रेखा ने गरम होते हुए अपने हाथों से अपने पेटिकोट को अपने जिस्म से हटाकर अपनी पेंटी को भी नीचे सरका दिया।

रेखा की चूत से उत्तेजना के मारे पानी टपक रहा था।
"आहहहह बापु एक मींनट" रेखा ने अपनी चूचि को अपने ससुर के मूह से निकालकर अपनी टांगों को फ़ैलाकर अपने ससुर के खडे लंड पर बैठ गयी । अनिल का लंड उसकी बहु की चूत में सरकता हुआ पूरा घुस गया ।
"आह्ह्ह्ह बाबू जी" रेखा अपने ससुर का पूरा लंड घुसते ही ज़ोर से सिसकते हुए उसके ऊपर झुक गयी। अनिल अपनी बहु की चूत में अपना लंड घुसते ही उत्तेजित होते हुए रेखा के चुचियों को एक एक करके बुहत ज़ोर से चूसने लगा और अपने चूतडो को उछालकर अपनी बहु को चोदने लगा।
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09-24-2019, 02:27 PM,
RE: Incest Kahani परिवार(दि फैमिली)
"ओहहहह बापु आज आपका लंड इतना गरम क्यों है" रेखा ने अपनी चुचियों को चुसवाते हुए अपनी चूत में अनिल का लंड अंदर बाहर होने से उत्तेजना के मारे अपने चूतडो को उछालते हुए अपने ससुर का लंड अपनी चूत में लेते हुए सिसकार कर कहा।
"बेटी इसमें दो दिन की बीमारी की वजह से बुहत ज्यादा आग भर गयी है। इसीलिए यह बुहत गरम है" अनिल ने अपनी बहु की बात सुनकर अपने चूतडों को ज़ोर से उछालते हुए अपना लंड अपनी बहु की चूत में जड़ तक अंदर बाहर करते हुए कहा ।

"हाहहह बाबू जी तो आज अपनी सारी आग हमारी चूत में भर दो" रेखा अपने ससुर की बात सुनकर अपनी चूचि को उसके मूह से निकालते हुए सिसककर बुहत ज़ोर से अपने ससुर के लंड पर उछलते हुए बोली। अनिल अपनी बहु की बड़ी बड़ी चुचियों को जो उसके लंड पर उछलते हुए ज़ोर से हिल रही थी। उन्हें अपने हाथों में लेकर मसलने लगा ।
"हाहहह बेटी माफ़ करना मगर मैं झरने वाला हू" अनिल ने कुछ ही देर में सिसकते हुए अपनी बहु की चुचियों को ज़ोर से दबाते हुए कहा।
"बापु बस एक मिनट मैं भी झरने के क़रीब हू" रेखा अपने ससुर की बात सुनकर उसके लंड पर बुहत ज़ोर से उछलते हुए सिसकने लगी।

"ओहहहह बेटी आआह मैं झर रहा हू" अचानक अनिल अपने चूतडो को ज़ोर से उछलते हुए अपनी बहु की चूत में पानी छोड़ने लगा।
"आआह्ह्ह्ह बाबू जी आपका वीर्य ओह्ह्ह्हह कितना गरम है आहह मैं भी झर रही हुँ" रेखा भी अपने ससुर के लंड से निकला हुआ गरम वीर्य अपनी चूत में गिरने से सिसक कर झरने लगी । रेखा झरते हुए अपने ससुर के लंड पर पागलो की तरह उछालने लगी और पूरी तरह झरने के बाद अपने ससुर के ऊपर ही गिरकर हाँफने लगी ।

रेखा कुछ देर तक अपने ससुर के ऊपर ही पडे रहने के बाद उसके होंठो पर एक चुम्बन लेते हुए उसके ऊपर से उठ गयी।
"बाबू जी आप नहा कर फ्रेश हो जाओ । मैं आपके लिए नाशते का इन्तज़ाम करती हू" रेखा अपने कपडे पहनने के बाद वहां से जाते हुए कहा ।
रेखा अपने ससुर के कमरे से निकलने के बाद अपने कमरे में घुस गयी और नहाने के बाद नाश्ता बनाकर अपने ससुर के कमरे में चलि गई।
"बेटी मुझे बुहत ख़ुशी हो रही है की मुझे तुम जैसी बहु मिली जो मेरा इतना ख्याल रखती है" अनिल ने अपनी बहु को नाश्ता रखते हुए देखकर कहा।
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09-24-2019, 02:27 PM,
RE: Incest Kahani परिवार(दि फैमिली)
"बाबू जी आप नाश्ता कर लो मुझे काम है" रेखा नाश्ता रखने के बाद वहां से चलि गयी । रेखा ने अपने ससुर के कमरे से निकलते ही सभी को उठा दिया और खुद उनके लिए नाश्ता तैयार करने लगी, नाश्ता तैयार करने के बाद रेखा टेबल पर लगाने लगी। सभी नाश्ते की टेबल पर आ चुके थे ।
नाश्ता ख़तम करने के बाद सभी उठकर अपने कमरों में चले गए । विजय अपनी माँ को बर्तन उठाने में मदद करने लगा और सारे बर्तन किचन में रखने के बाद खुद एक कुर्सी ले कर किचेन में अपनी माँ के पास बैठ गया ।विजय वहां पर बैठे हुए अपनी माँ से बाते करने लाग।

"बेटा खाना खाने के बाद मुझे डॉक्टर के पास जाना है तुम भी साथ चलना" रेखा ने बर्तन धोते हुए अपने बेटे से कहा।
"क्यों माँ आपको क्या हुआ है" विजय अपनी माँ की बात सुनकर हैंरान होते हुए बोला।
"कुछ नहीं बेटा मुझे बच्चा रोकने वाला इंजेक्शन लगवाना है जो मैं हर ३ महीने बाद लगवाती हूँ । कहीं बच्चा हो गया तो फिर उसे गिराने में बुहत तकलीफ़ होगी" रेखा ने अपने बेटे को जवाब देते हुए कहा ।
"माँ इंजेक्शन मत लगवाओ। मैं आपसे एक बच्चा चाहता हू" विजय ने अपनी माँ की तरफ देखते हुए कहा।
"अरे बेटे कहीं पागल तो नहीं हो गये हो। यह कोई उम्र है मेरी बच्चा जनने की। इतना ही शौक़ है तो खुद शादी कर लो" रेखा ने अपने बेटे की तरफ देखकर हैंरान होते हुए कहा

माँ किस डॉक्टर के पास चलना है?" विजय ने अपनी माँ की बात सुनकर उससे पूछा।
"हमारे फैमिली डॉक्टर रवि मल्होत्रा" रेखा ने अपने बेटे से कहा।
"माँ मैंने सुना है वह बुहत ठरकी किस्म का डॉक्टर है। कहीं वह आपको इंजेक्शन की जगह कोई दूसरी चीज़ न लगा दे" विजय ने अपनी माँ की बात सुनकर हँसते हुए कहा ।
"बेशर्म वह हमारे फैमिली डॉक्टर है और अपनी माँ से ऐसी बाते करते हुए तुम्हें शर्म नहीं आती" रेखा ने अपने बेटे की बात सुनकर उसको डाँटते हुए कहा।
"माँ मुझे क्या पता मैंने भी लोगों से ही सुना है की वह लेडी पेशेंटस का इलाज बड़े अच्छे तरीके से करते है" विजय ने वैसे ही मुस्कराते हुए कहा।

"चल बदमाश जा सब्ज़ि लेकर आ। मुझे अभी बुहत काम है" रेखा ने अपने बेटे की बात सुनकर उसे डाँटते हुए कहा । विजय अपनी माँ की बात सुनकर वहां से उठते हुए सब्ज़ि लेने बाहर चला गया, रेखा जानती थी की उसका बेटा सही कह रहा है । वह अपने बेटे की बात को याद करते हुए ख्यालों में चली गयी ।
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09-24-2019, 02:27 PM,
RE: Incest Kahani परिवार(दि फैमिली)
रेखा उस दिन हमेशा की तरह रवि की क्लिनिक में इंजेक्शन लगवाने के लिए गयी थी । रेखा ने आज लाल रंग की नयी साड़ी पहनी हुयी थी और बुहत सजी संवरी हुयी थी । वह उस ड्रेस में किसी दुल्हन से कम नहीं लग रही थी, रेखा जैसे ही क्लिनिक में दाखिल हुयी उसने देखा आज वहां पर कोई ज्यादा भीड़ नहीं थी और डॉ रवि आज बिलकुल अकेले बैठे थे।
डॉ रवि की उम्र कुछ ज्यादा नहीं थी। वह ३० साल का एक नौजवान हॅडसम डॉ था । रवि की हाइट ५।६ इंच रंग बिलकुल गोरा और दिखने में बिलकुल किसी एक्टर की तरह हॅंडसम था।

"हल्लो भाभी जी आइये क्या हाल है" रेखा को देखते ही रवि ने कुर्सी से उठते हुए अपने दाँत निकालते हुए कहा।
"जी मैं बिलकुल ठीक हू" रेखा ने रवि को देखकर मुस्कराते हुए जवाब दिया और वहां पर पडी एक कुर्सी पर बैठ गई।
"भाभी आपकी तबीयत कैसी है और आप क्या लेंगी ठण्डा या गरम?" रवि ने घण्टी बजाकर अपने पिओन को बुलाते हुए रेखा से पूछा।

"जी शुक्रिया बस मैं वह इंजेक्शन लगवाने आई थी" रेखा ने अपनी साड़ी के पल्लू से अपने माथे को पोछते हुए कहा । गर्मी की वजह से रेखा के मूह से पसीना बह रहा था।
"दो कोक ले आओ बुहत गर्मी है" रवि ने रेखा का पल्लू उसकी चुचियों से हटने की वजह से उसकी चुचियों के उभारों को जो उसके ब्लाउज से थोडे बाहर निकले हुए थे । उन्हें घूरकर अंदर आये हुए पिओन को मुस्कराते हुए आर्डर दिया ।
"भाभी आप यह इंजेक्शन क्यों लगवाती हैं । अभी आपकी उम्र क्या है" रवि ने रेखा को घूरते हुए कहा।
"डॉ जी 3 बच्चे काफी हैं मेरे लिए और उनकी परवरिश पे भी धयान देना है" रेखा ने रवि की बात सुनकर उसे जवाब देते हुए कहा।

"अरे वाह भाभी जी क्या बात कही है। अगर यह सोच इंडिया की सारी औरतों में आ जाये तो हमारी आबादी जो इतनी तेज़ी से बढ़ रही है कुछ कम हो जाए" रवि ने रेखा की बात सुनते ही उसकी तारीफ करते हुए कहा। तभी वह पिओन दो कोक लेकर आ गया और वहां टेबल पर रखते हुए वापस बाहर चला गया ।
"भाभी आप भी लिजीये बुहत गर्मी है" रवि ने एक कोक उठाते हुए रेखा से कहा । रेखा ने भी एक कोक उठाया और आराम से पीने लगी।
"डॉ साहब अब जल्दी से इंजेक्शन लगा दो हमें देर हो रही है" रेखा ने कोक को ख़तम करते ही वापस टेबल पर रखते हुए कहा।
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