09-24-2019, 01:53 PM,
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RE: Incest Kahani परिवार(दि फैमिली)
शीला नरेश के जाने के बाद हैंरान होकर वहीँ पर खड़ी थी, उसकी साँसें बुहत ज़ोर से ऊपर नीचे हो रही थी। उसका प्लान बिलकुल कामयाब हुआ था । वह सोचने लगी की नरेश को आखिर अचानक क्या हुआ जो वह अपनी नंगी छोटी बहन को ऐसे तडपता हुआ छोडकर चला गया ।
शीला को तभी याद आया के आखिर में उसके भाई ने उसकी गांड पकड़कर अपनी पेण्ट पर दबाई थी और वह ज़ोर से काम्प रहा था। अच्छा तो यह बात थी, शीला को उस वक्त अपनी चूत पर कुछ गीला गीला अहसास हुआ था । तभी नरेश ने उसे छोड दिया था।
शीला मन ही मन में मुस्कुरा रही थी वह समझ गयी थी के उसका भाई अपनी गर्मी को संभल न सका और यों ही झर गया था । शीला ने अपने कपडे पहने और बाहर निकल आई।
नरेश अपने कमरे में आकर बेड पर लेटा हुआ सोच रहा था की जो कुछ भी हुआ पता नहीं शीला उसके बारे में क्या सोच रही होगी, कहीं वह सब कुछ सब को बता तो नहीं देगी । मगर जब उसने शीला को किस दी थी तो वह भी उसका साथ दे रही थी, पर फिर भी एक अन्जाना डर नरेश के दिल में था ।
रेखा कुछ देर तक अपने बाप और मनीषा से बातें करने के बाद वहां से उठते हुए खाना बनाने की तैयारी करने लगी ।
"बापु जी रात को नींद तो अच्छी आ गयी आपको?" मनीषा ने रेखा के जाते ही अपने बाप से कहा ।
"हा बेटी नींद तो बुहत बढिया आई थी, मगर सब तुम्हारी मेहनत की वजह से" अनिल ने मोका देखकर अपनी बेटी पर लाइन मारते हुए कहा ।
"बापु जी आपकी सेवा करते करते हमारी हालत ख़राब हो गई थी रात को" मनीषा ने बात को आगे बढाते हुए कहा।
"क्यों क्या हुआ था बेटी?" अनिल ने अन्जान बनते हुए कहा।
"वो बापू जी आपको शांत करते करते हम गरम हो गये थे" मनीषा ने यह बात कहते हुए शर्म से अपना सर नीचे कर रखा था ।
"ओह इसका मतलब हमारी वजह से हमारी बेटी को तकलीफ उठानी पडी" अनिल ने अपनी बेटी की बात सुनने के बाद कहा।
"नही बापू इस में तकलीफ की क्या बात है वह तो हमारा फ़र्ज़ था" मनीषा ने कहा।
" वह तुम्हारा फ़र्ज़ था, तो क्या मेरा कुछ फ़र्ज़ नहीं बनता था की मैं तुम्हारी कुछ मदद कर पाता" अनिल ने गुस्से से कहा ।
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RE: Incest Kahani परिवार(दि फैमिली)
"भान्जे इन में दूध रखती हूँ" रेखा ने बर्तनों को नीचे झुककर रखते हुए कहा।
"मामी कितना दूध रख सकते हैं इन में" नरेश ने अपनी मामी के नीचे होकर बर्तन रखने से उसकी दोनों चुचियों को बुहत नज़दीक से देखते हुए कहा ।
"भान्जे बुहत ज़्यादा दूध समां जाता है इन में" रेखा ने बर्तन रखने के बाद जान बूझकर अपनी चुचियां नरेश के मूह से रगडकर ऊपर करते हुए कहा।
"मामी कभी हमें भी तो दूध पीला दिया करो" नरेश ने फिर से अपनी मामी की चुचियों को देखते हुए कहा।
"भान्जे कहो तो अभी गरम गरम पिला दूँ" रेखा ने फिर से दूसरा एक बर्तन उठाकर नीचे झुककर उसे रखते हुए कहा । रेखा के झुकने से उसकी बड़ी बड़ी चुचियां सीधा नरेश के आँखों के सामने आ गयी ।
"भान्जे क्या कहते हो पियोगे न गरम दूध" रेखा ने नरेश को अपनी चुचियों में खोया हुआ देखकर उससे फिर कहा।
"हा मामी क्यों नहीं पीयेंगे ताज़ा दूध है हम तो ज़रूर पिएँगे" नरेश ने यह कहते हुए इस बार अपने होंठ अपनी मामी की चुचियों के बने उभार पर रख दिये ।
"यआह्ह्ह्ह हहह क्या कर रहे हो भांजे मुझे नीचे उतारो तुम्हें अभी गरम दूध बनाकर देती हूं, नालायक़ तुम तो अपनी मामी की चुचियां का दूध ही पीने लगे" रेखा ने अपने भांजे के होंठ अपने उभारों पर पड़ते ही सिसकते हुए कहा ।
रेखा अपने भांजे को कुछ तडपाना चाहती थी इसीलिए उसने उसे टोक दिया । नरेश अपनी मामी की बात सुनकर होश में आते हुए अपनी मामी को नीचे उतार दिया।
"अरे हमारा भंजा तो बुहत थक गया, जाओ कुर्सी पर बैठो में तुम्हारे लिए दूध बनाती हूँ" रेखा ने नीचे उतरते ही अपने भांजे के माथे से पसीना पोछते हुए कहा।
नरेश की हालत बुहत बिगड चुकी थी, उसका लंड तनकर उसकी पेण्ट को फटने के लिए तैयार था । नरेश का दिल कर रहा था की अभी जाकर अपनी मामी को पकडकर अपना लंड उसकी चूत में घुसा दे, मगर वह ऐसा नहीं कर सकता था ।
नरेश किचन में ही कुर्सी पर बैठ गया, रेखा फ्रीजर से दूध निकालकर अपने भांजे के लिए गरम करने लगी । कुछ ही देर में दूध गरम हो गया जिसे वह एक गिलास में ड़ालने लगी ।
रेखा दूध को गिलास में ड़ालते हुए उसे लेकर नरेश के पास आ गयी । नरेश अपना कन्धा झुकाये हुए कुर्सी पर बैठा था जैसे कुछ सोच रहा हो।
"भान्जे गरम दूध" रेखा ने नीचे झुककर दूध का ग्लॉस अपने भांजे के सामने कर दिया, मगर नीचे झुकने से रेखा की साड़ी का पल्लु उसकी चुचियों से हट गया और उसकी चुचियां फिर से आधि नंगी होकर नरेश के आँखों के सामने आ गई ।
नरेश जो अपने ख्यालों में बैठा था अपनी मामी की आवाज़ सुनकर जैसे ही अपना कन्धा ऊपर किया उसकी हालत फिर से खराब होने लगी, उसकी मामी की चुचियां आधि नंगी उसके सामने थी । नरेश की नज़रें अपनी मामी की नंगी चुचियों में ही अटक गयी।
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