Desi Sex Kahani दिल दोस्ती और दारू
08-18-2019, 01:18 PM,
#11
RE: Desi Sex Kahani दिल दोस्ती और दारू
आज के दिन कॉलेज मे कोई ऐसी आने वाली थी, जिसे नही आना चाहिए था, उस दिन भी मैं और अरुण कॉलेज के पीछे वाले गेट से अंदर गये और सीधे अपनी क्लास के अंदर दस्तक दी....नवीन पहले से ही आ चुका था...
"चल बाहर से आते है..."मैं अपनी सीट पर बैठा ही था कि नवीन ने अपने बॅग मे कुछ टटोलते हुए मुझसे बोला....
"क्यूँ....क्या हुआ ? "
"लगता है, बाइक की चाबी बाइक मे ही लगी रह गयी..."उसने घबराहट मे जवाब दिया...
मैने सोचा,अरुण को इसके साथ भेज दूं, लेकिन अरुण तो पीछे किसी से जान पहचान बना रहा था इसलिए मुझे ही उसके साथ जाना पड़ा....
"बाइक मे लगी है चाबी..."बाइक मे चाबी लगी देखकर नवीन ने राहत की साँस ली...
हम दोनो अभी बाइक स्टॅंड पर ही खड़े थे कि एक तेज़ी से आती हुई एक कार ने वहाँ खड़े सभी लोगो का ध्यान खींचा....कार देखकर ही अंदाज़ा लगाया जा सकता था कि अंदर बैठे हुए शक्स की हसियत कितनी ज़्यादा है....
"कोई रहीस बाप का लौंडा होगा..."मैने सोचा, लेकिन मेरी सोच मुझे तब धोका दे गयी, जब उस चमचमाती कार से लड़के की जगह एक लड़की बाहर आई,...लड़की क्या पूरी मॉडर्न अप्सरा थी वो, इयररिंग से लेकर उसके सॅंडल तक उसकी रहिसी और उसकी मॉडर्न जमाने के रंग मे रंगी उसकी शक्सियत की पहचान करा रही थी....पहले तो मैने उस लड़की को पूरा उपर से लेकर नीचे तक देखा और बाद मे मेरे नज़र अपने आप उस जगह पर अटक गयी, जो एक लड़की मे मुझे सबसे अधिक पसंद था,...और ऐसी हरकत करने वाला मैं वहाँ अकेला नही था, वहाँ खड़े लगभग सभी लड़कों का यही हाल था, सब अपनी पसंदीदा जगह देख कर ललचा रहे थे.....
"ये कौन है..."मैने नवीन से पुछा तो उसने जवाब मे कंधे उचका कर मना कर दिया....
वैसे तो उस कॉलेज मे बहुत सारी खूबसूरत लड़किया थी,लेकिन वो लड़की जो अभी-अभी कार से बाहर आई थी ,वो उनमे से सबसे अलग लगी मुझे...ऐसा मुझे क्यूँ लगा इसका रीज़न आज तक मैं नही जान पाया......उसे देखकर मैं और नवीन वही खड़े रह गये, हमारे कदम ज़मीन पर और आँखे उस लड़की पर ही जमी हुई थी....उसके साथ कार से एक और भी लड़की बाहर निकली, जो उसकी करीबी फ्रेंड होगी, ऐसा मैने मान लिया....
"एश...."उस लड़की की फ्रेंड ने पहली बार उस मॉडर्न अप्सरा का नाम पुकारा.....

"एश...."उस लड़की की फ्रेंड ने पहली बार उस मॉडर्न अप्सरा का नाम पुकारा.....
"एश...."मैने भी दिल ही दिल मे ये नाम लिया, और बहुत खुश भी हुआ और मेरे अरमान उसे देखकर बाहर आए
"इसको तो पटाना पड़ेगा..."
"क्या...?"नवीन बोला...
"कुछ नही, चल क्लास शुरू हो गयी होगी..."
बरसो से कुछ लफ्ज़ , कुछ अल्फ़ाज़ बड़ी मुश्किल और शिद्दत से लिख रखे थे मैने किसी के लिए, जो मेरे लिए खास हो और आज एसा को देखकर वो अल्फ़ाज़ मेरे दिल से बाहर आने के लिए मचल रहे थे......
"व्हेनएवेर आइ क्लोज़ माइ आइज़ , आइ सॉ मेनी फेसस इन माइ माइंड बट वन फेस ऑल्वेज़ रिमेन सेम इन माइ माइंड, इन माइ हार्ट......"


दट फेस ईज़ माइ लव........


"व्हेनएवेर आइ हियर एनी सॉंग , आइ फील हर इन एवेरी वर्ड ऑफ दट सॉंग, आइ हियर ,.हर वाय्स इन एवेरी बीट्स ऑफ दा सॉंग......"


दट वाय्स ईज़ माइ लव........


"व्हेनएवेर आइ फील एंपटिनेस इन माइ लाइफ, आइ सॉ आ ड्रीम वित माइ ओपन आइज़,

इन विच आन एंजल कम्ज़ इन माइ ड्रीम......"


दट एंजल ईज़ माइ लव........
.
"बाहर...बाहर, बिल्कुल बाहर..."दमयंती मॅम ने मुझसे कहा, जब मैने उनसे अंदर आने की पर्मिशन माँगी तो"ये क्या तुम्हारा घर है..."
"सॉरी मॅम..."नज़रें झुका कर मासूम बनने का नाटक करते हुए मैं बोला...
लेकिन मेरी उस मासूमियत का दम्मो रानी पर कोई असर नही हुआ, और उपर से उसने धमकी भी दे डाली कि यदि मैने उससे बहस की तो वो आने वाले 3 दिन तक अटेंडेन्स नही देगी
कल से ये सब कुछ मेरे साथ पहली बार हो रहा था, पहले कभी भी किसी ने क्लास से बाहर नही भगाया था, इसलिए मुझे मालूम तक नही था कि , टाइम पास कैसे करूँ ,उस समय कॉलेज मे घूम भी नही सकता था, क्या पता कोई सीनियर पकड़ कर रॅगिंग ले ले....दिल कर रहा था कि दमयंती के बाल पकडू और घसीट कर उसे क्लास से बाहर कर दूं....
"अंदर आ जाओ, और अगली बार से समय का ख़याल रखना..."दम्मो रानी ने मेरी तरफ देखा ,शायद मेरी झूठी मासूमियत और भोलेपन को उसने असली समझ लिया था....जब क्लास के अंदर आया तो एक बार फिर पूरी क्लास मुझे घूर रही थी, कुछ मुझपर हंस भी रहे थे और कलेजा तब जल गया तब देखा कि अरुण भी हंस रहा है....

"और बेटा, कहाँ घूम रहा थे तुम दोनो..."मैं अरुण के लेफ्ट साइड मे बैठा और नवीन राइट साइड मे बैठ गया...

"कहीं नही यार, बाइक स्टॅंड तक गये थे..."नवीन बोला"टाइम से वापस भी आ जाते यदि वो लड़की नही दिखी होती तो...."

"कौन लड़की बे, जल्दी बता..."

मॅम को शक़ ना हो इसलिए हम तीनो अपनी कॉपी मे सामने बोर्ड पर लिखा हुआ सब कुछ छाप रहे थे, और धीमी आवाज़ मे गप्पे भी लड़ा रहे थे.....

"मालूम नही कौन है, लेकिन है एकदम करारी आइटम....उसके सामने तो दीपिका भी कम है..."सामने बोर्ड की तरफ देखकर मैं बोला,...

एक दो बार दम्मो रानी से मेरी नज़र भी मिली, तब मैने अपना सर उपर नीचे करके उसे अहसास दिलाया कि मुझे सब कुछ समझ आ रहा है , जबकि ऐसा कुछ भी नही था, मैं तो उस वक़्त सिर्फ़ और सिर्फ़ एश के बारे मे सोच रहा था, उस वक़्त मैं सिर्फ़ और सिर्फ़ एश के बारे मे बात करना चाहता था....

"कितना अच्छा हो , यदि इस दम्मो की जगह वो अप्सरा हमे मेद्स पढ़ाए...."दिल के अरमानो ने एक बार फिर घंटिया बजाई, और इन घंटियो को किसी ने बहुत ज़ोर से बजाया....

"मॅम..."क्लास के गेट की तरफ से किसी की आवाज़ आई....और जब नज़ारे उस तरफ मूडी तो बस वही जमकर रह गयी, गेट पर एसा खड़ी थी...

"यस..."मैथ वाली मॅम ने एश से कहा...

"ये भी इसी क्लास मे पढ़ेगी ,"खुश तो बहुत हुआ था , बेंच पर कूद कूद कर डॅन्स करना चाहता था, अरुण और नवीन से कहना चाहता था कि"तुम लोग यहाँ से उठ जाओ बे, वो यहाँ बैठेगी..."लेकिन अफ़सोस तब हुआ जब वो बोली कि....
"मॅम सीएस ब्रांच की क्लास कौन सी है..."
" "
कॉरिडर मे सबसे पहला क्लास हमारा ही था, इसलिए वो शायद हमारे क्लास मे अपनी क्लास पुछने आई थी, सोचा कि रो रो कर उसे इस बात का अहसास दिलाऊ कि मैं कितना दुखी हूँ, उसके यूँ जाने से , अरुण मेरे अंदर की बेचैनी को समझ गया और बोला...
"ओये, ये नाटक बंद कर, नाउ कॉन्सेंट्रेट ओन्ली ऑन दीपिका मॅम"

एश तो अपनी क्लास मे चली गयी, लेकिन उसकी छाप मेरे दिल पर वो छोड़ गयी थी, और एश की छाप केवल मुझपर ही नही पड़ी थी, और बहुत से लोग थे, जिनका दिल एश के इस तरह से जाने के कारण उदास था....अरुण और नवीन भी इसी लिस्ट मे थे.....

"वो मेरी माल है, उसको देखना भी मत..."एश के जाने के बाद मैने फिर से बोर्ड पर नज़र गढ़ाई और जो कुछ भी दम्मो रानी लिख रही थी, मैं उसे अपनी नोटबुक मे छापते हुए उन दोनो से बोला....

"सेट तो मुझसे ही होगी..."नवीन ने कहा...

"गान्ड मे भर लो सब लड़कियो को, दीपिका को देखोगे तब भी यही बोलॉगे कि ये मेरी माल है, एश को देखोगे तब भी यही बोलोगे कि ये मेरी माल है, किसी और लड़की को भी देखोगे तो वो भी तुम दोनो की ही आइटम है, मैं यहाँ हिलाने आया हूँ है ना "

मैं और नवीन हंस पड़े, और एक बार फिर दमयंती मॅम अपनी ज्वालामुखी नज़रों से हम दोनो को घूर्ने लगी, दमयंती के इस तरह से देखने के कारण मैं और नवीन चुप हो गये और एकदम सीरीयस स्टूडेंट बनकर सामने डेस्क पर रखी बुक्स के पन्ने उलटने लगे.....

"चल आजा कॅंटीन से आते है..."रिसेस मे अरुण ने मुझसे कॅंटीन चलने के लिए कहा, और मेरी आँखो के सामने वो नज़ारा छा गया जब वरुण की आइटम मेरे चेहरे से प्यार कर रही थी....मैने अरुण को सॉफ मना कर दिया कि मैं कॅंटीन की तरफ नही जाउन्गा,और फिर मैं अपने ही क्लास के सामने आकर खड़ा हो गया, जहाँ कुछ लड़के खड़े होकर बात कर रहे थे, मैं खड़ा तो अपने क्लास मे था लेकिन आँखे सीएस ब्रांच की क्लास की तरफ टिकी हुई थी,...मैं उस वक़्त वहाँ खड़ा उस वक़्त का इंतेजार कर रहा था कि कब वो मॉडर्न अप्सरा अपने क्लास से बाहर निकल कर आए और मेरी आँखो को सुकून मिले....उपरवाले ने जैसे मेरी मन की बात सुन ली हो, एश अपने उसी फ्रेंड के साथ क्लास से बाहर निकली और बाहर खड़े सभी लोग मचल उठे, सभी एश को देख रहे थे.....हमारी क्लासस फर्स्ट फ्लोर पे थी और कॉरिडर के दोनो तरफ से नीचे जाने के लिए सीढ़िया बनी हुई थी....एश अपने फ्रेंड के साथ हमारी तरफ आने लगी,...मैं ये जानता था कि वो मेरे लिए तो इस तरफ नही आ रही है, लेकिन फिर भी धड़कने तेज हो गयी, और वो जब मेरे सामने से गुज़री तो मेरी ज़ुबान लड़खड़ाई
"आइ....."बस इतना ही बोल पाया मैं एश को देखकर , और आवाज़ भी इतनी धीमी थी कि मेरे साथ खड़े मेरे क्लास वाले भी उस आवाज़ का ना सुन पाए....
.
मैं पहले भी हैरान हुआ करता था और अब भी हैरान हुआ करता हूँ, कि अरुण कैसे जान जाता है कि दूसरे क्या सोच रहे है....
"मतलब...."ज़मीन पर औधा लेटा वरुण सिगरेट के छल्ले उड़ाते हुए मुझसे पुछा...

"मतलब की.."मैने अरुण की तरफ देखा, साला दारू की बोतल लिए बाथरूम से बाहर आ रहा था"अरुण की एक ख़ासियत है, वो किसी का भी शकल देखकर ये बता देता है कि उसके अंदर क्या चल रहा है ,वो बंदा किस सोच मे डूबा हुआ है...."
"ऐश है क्या..."
"हाँ बे,.."
"फिर तो..."ये बोलते हुए वरुण ज़मीन पर बैठ गया और अरुण की तरफ देखा....

"ये साला बाथरूम मे बोतल लेकर क्यूँ गया था ?"

"अपनी आदत है..."मेरे पास बैठते हुए वरुण की तरफ देखकर अरुण ने जवाब दिया...

"बड़ी अजीब आदत है बे, अच्छा हुआ खाने की प्लेट लेकर बाथरूम जाने की आदत नही है ,वरना एक तरफ से मेटीरियल बाहर निकलता तो दूसरी तरफ से अंदर जाता...."वरुण ज़ोर-ज़ोर से ठहाके लगाने लगा और मुझसे बोला"तू क्यूँ रुक गया बे, आगे बता क्या हुआ...."
.
उस दिन रिसेस मे जब मैने धीमी आवाज़ मे "आइ"बोला था , तब अरुण मेरे बगल मे ही खड़ा था, और जब एश हमारी आँखो के सामने से गुज़री तो वहाँ एक अरुण ही ऐसा लड़का था जो एश की जगह मुझे देख रहा था और मेरे चेहरे के बदलते रंग को देखकर वो समझ गया था कि मेरे अंदर अभी क्या चल रहा है......
"चल आजा..."मेरा हाथ पकड़ कर अरुण बोला...
"अबे कहाँ आजा..."
"चल एश से तेरी बात कराता हूँ..."
ये सुनते ही मैने तुरंत उसका हाथ दूर किया और बोला"तुझे ऐसा क्यूँ लगा कि मैं एश से बात करना चाहता हूँ ?"
"अब बेटा हम को गिनती गिनना ना ही सिख़ाओ...जब से तूने उसे देखा है, तेरे फेस पर लाली छाइ हुई है..."
"अबे हट....ऐसी दर्जनो लड़कियो को मैं रोज देखता हूँ, तो इसका मतलब ये तो नही कि मैं उससे बात करू...."
"अभी उन दर्जनो लड़कियो को छोड़ और बाई तरफ देख..."
दूसरी तरफ से एश अपनी जुल्फे लहराती हुए आ रही थी, उस वक़्त दिल मे अरमान उठे कि काश एश सीधे मेरे पास आए और मुझे बोले कि "हे हॅंडसम, व्हाट ईज़ युवर नेम..."
दिल मे अरमान जागे कि वो मुझे देखे और मुझे देखते ही उसे मुझसे प्यार हो जाए,
वो करीब आती गयी और मेरे मूह से "आइ......"वर्ड एक बार फिर बाहर आया, लेकिन जब वो अपने क्लास की तरफ घूमी तो ये "आइ...."वर्ड वापस अंदर चला गया....
"दिल तोड़ दिया उसने उस तरफ घूमकर..."अपने सीने मे हाथ रखकर सहलाते हुए मज़किया अंदाज़ मे मैं बोला...."यार, अरुण कुछ जुगाड़ करना....उसे एक बार सही से देखना चाहता हूँ...."
"चल आजा फिर..."अरुण ने एक बार फिर मेरा हाथ पकड़ा...
"अबे कुत्ते हाथ छोड़, छोटा बच्चा हूँ क्या, जो बात-बात पर हाथ पकड़ लेता है..."
"प्यार है पगले..."
"इस प्यार को थोड़ा कम ही रहने दियो "
सीएस ब्रांच मे अरुण का एक दोस्त था,जिसके पास जाकर मैं और अरुण बैठ गये....जहा अरुण अपने दोस्त से बात करने लगा वही मैं चुपके से एश को तकने लगा....
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08-18-2019, 01:18 PM,
#12
RE: Desi Sex Kahani दिल दोस्ती और दारू

ऐसा नही था कि मैने एश से पहले कोई खूबसूरत लड़की नही देखी थी, लेकिन जो कशिश उसमे थी वो आज तक मुझे किसी भी लड़की मे महसूस नही हुई थी, उस वक़्त हम दोनो किसी मॅगनेट के नॉर्थ-साउत पोल की तरह थे, जो हमेशा एक दूसरे को अट्रॅक्ट करते है.....इसी बीच फर्स्ट टाइम उसने मुझे देखा लेकिन मेरी नज़रे एका-एक दूसरी तरफ हो गयी, दिल की धड़कनो ने एक बार फिर बुलेट ट्रेन की स्पीड पकड़ ली.....
"क्या हुआ बे..."मुझे दूसरी तरफ देखते हुए देखकर अरुण ने पुछा...
"कुछ नही, बस उसने मुझे देख लिया...."
"तो, यही तो मौका था , आँख मार देता उसे उसी वक़्त..."
"फाटती है मेरी इन सब कामो से..."
"तब तो वो सेट हो चुकी तेरे से...."अरुण ने एश की तरफ देखा...
"अबे अरमान, एश तुझे ही देख रही है...."
"क्या...."दिल एक बार फिर तेज़ी से धड़का...और मैने एश की तरफ देखा, अरुण सच बोल रहा था वो मेरे तरफ ही देख रही थी...उस वक़्त मुझे ऐसा लगा जैसे की वक़्त ठहर गया हो, उस वक़्त मुझे ऐसा लगा कि वहाँ उस क्लास रूम मे मेरे और उसके सिवा कोई नही है....
"टू आइज़ इंटरक्ट वित ईच अदर अट कोन्स्टत टाइम "अरुण बोला और बोलने के तुरंत बाद मेरे कंधे को पकड़ कर ज़ोर से हिलाया"रिसेस ख़तम हुआ प्यारे, अब अपनी क्लास की तरफ चले या इस बार भी यही इरादा है कि नेक्स्ट पीरियड का टीचर तुझे बाहर निकाल दे...."
"रिसेस ख़तम हो गया..."
"बिल्कुल और तू पिच्छाले 20 मिनट. से उसको घूरे जा रहा है बिना पलके झपकाए...."
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अरुण और मैं एश की क्लास से बाहर आए, क्लास तो लग चुकी थी लेकिन टीचर अभी तक लापता था.....अपनी सीट पर बैठकर मैं कुछ देर पहले जो कुछ भी हुआ, उसको याद करने लगा और हाथो मे पेन पकड़ कर डेस्क पर उसका नाम लिखने लगा.....
"एश....."इस नाम को सामने वाली डेस्क पर पेन से लिखने के बाद मैं उसे अपने हाथो से छुने लगा,
वो नाम मैने नॉर्मल पेन से लिखा था, उस नॉर्मल पेन के नॉर्मल स्याही से लिखा था, लेकिन जो 4 अक्षर वहाँ उभरे थे, वो मेरे लिए नॉर्मल नही था,...उन चार अक्षरो से एक लगाव सा हो गया था....लेकिन उस वक़्त मैं ये भूल गया था कि मेरे बगल मे मेरा सबसे कमीना खास दोस्त अरुण बैठा है, जो मुझे एक पल के लिए भी चैन से साँस लेने नही देगा....मेरी इस हरकत वो मुझपर चिल्लाया...
"अबे ये क्या कर रहा है..."
उसके इस तरह से अचानक बोलने से मेरा ध्यान टूटा और जिन 4 अक्षरो से मुझे लगाव था ,उन्हे मैं मिटाने की कोशिश करने लगा....लेकिन स्याही सूख चुकी थी, इसलिए नाम मिटना थोड़ा मुश्किल था......
"हाथ हटा..."
"नही..."मैने एश के नाम के आगे ऐसे हाथ रख कर खड़ा था जैसे की मेरी हाथ हटाते ही मेरी इज़्ज़त लूटने वाली हो....
"देख अरमान, मुझे दिखा दे कि क्या लिखा है डेस्क पर तूने, वरना पूरी क्लास को बता दूँगा...."
"तेरी तो"क्या करता, मजबूरी मे हाथ हटाना ही पड़ा...
"तेरी हेडराइटिंग तो सॉलिड है..."ये बोलकर अरुण पीछे मुड़ा तो मैने वापस एश के नाम को अपने हाथो से ढक लिया...
"बोतल है..."अरुण पीछे बैठे किसी लड़के से बोला...
"पानी की बोतल..."
"नही दारू की बोतल....अबे क्लास मे हूँ तो पानी की बोतल ही माँगूंगा ना...."
"तो सीधे से बोल ना...."अरुण ने जिससे पानी का बोतल माँगा था वो बोला...
"अबे घोनचू ऐसे मे क्या खाक इंजिनियर बनेगा, साले ने 12थ का एग्ज़ॅम पक्का ओपन से पास किया होगा...अब ला दे बोतल"उसके हाथ से बोतल लेकर अरुण ने पानी की कुछ बूंदे डेस्क पर डाली और एश का नाम मिटाकर मुझसे बोला...
"ये आशिक़ी का जो भूत सवार है ना, उसको संभाल कर रख वरना लेने के देने पड़ जाएँगे...."
"साले तू मुझे बत्ती दे रहा है..."
"यही तो प्यार है पगले"
हफ्ते मे 3 दिन हमारा लॅब रहता था, और हर एक लॅब दो-दो पीरियड्स के बराबर था, हम सभी अपने बाकी के काम लॅब क्लास मे ही निपटाते थे, शुरू के आधे घंटे मे लॅब वाले सिर आकर हमे एक्सपेरिमेंट और एक्विपमेंट्स को कैसे उसे करना है, ये बता कर अपनी सीट पर विराजमान हो जाते और उसके बाद का पूरा समय हम एसएमएस भेजने मे, असाइनमेंट कंप्लीट करने मे यूज़ करते थे, हमारे कॉलेज के टीचर्स की एक बहुत ही खराब आदत ये थी कि वो छोटी सी छोटी बात पर या तो अटेंडेन्स कट कर देते थे, या फिर सीधे क्लास से बाहर ही भगा देते थे...उस दिन फिज़िक्स का लॅब था और लॅब मे मैं सीएस का असाइनमेंट कर रहा था और इस काम मे अरुण भी बखूबी मेरा साथ दे रहा था कि तभी कुर्रे सर की आवाज़ पूरे लॅबोरेटरी मे गूँजी....
"जो स्टूडेंट रीडिंग और फाइनल रिज़ल्ट दिखाएगा , मैं उसी को आज का अटेंडेन्स दूँगा...."
"लग गयी तब तो...."एक दर्द भरी गुस्से से भरपूर आवाज़ मे अरुण धीमे से बोला....
"अब क्या करे..."
"मालूम नही..."
तभी मुझे अपने स्कूल के दिनो की याद आ गयी, जब मैं लॅब से अक्सर पास आउट हो चुके स्टूडेंट्स की कॉपी मारकर छाप दिया करता था.....
"हम दोनो को प्रॅक्टिकल का मनुअल नही मिला है ना..."मैने अरुण से पुछा....हम दोनो का रोल नंबर. आगे पीछे था, इसलिए एक्सपेरिमेंट भी सेम था....
"कुर्रे दे रहा था, लेकिन मैने लिया ही नही....और वैसे भी इसको रीडिंग दिखानी है...."
"तू रुक मैं जुगाड़ जमा के आता हूँ..."
ये काम मैं पहले भी बहुत बार कर चुका था, इसलिए डर तो नही लग रहा था लेकिन फिर थोड़ी सी घबराहट हो रही थी....
"सर, हमारे पास मनुअल नही है..."लॅब वाले सर के पास खड़े होकर मैं मासूमियत से बोला...
उसके बाद कुर्रे ने बहुत माथापच्ची की, हमारा रोल नंबर. पूछा, और उसके बाद साले ने एक्सपेरिमेंट्स के बारे मे मुझसे पुछा....उस वक़्त तो साला एक्सपेरिमेंट का ऑब्जेक्ट क्या है मुझे ये तक नही मालूम था तो फिर बाकी उसका प्रिन्सिपल कैसे बताता......
"सर, यदि कोई पुरानी कॉपी मिल जाती तो थोड़ा आइडिया मिल जाता...."अपना रामबान मैने फैंका...
जहाँ कुर्रे बैठा हुआ था, वहाँ से बाई तरफ थोड़ा अंदर एक छोटा सा रूम था...उसने पहले 5 मिनट. तक मेरी शकल देखी और फिर मुझे अंदर जाने के लिए बोला....
"वो अंदर बैठी हुई है, उनसे माँग लो...."
"थॅंक यू सर...."
आधा काम तो निपटा लिया था, बस आधा काम और बाकी था, पहले मैने सोचा कि अंदर जिस रूम मे मैं जा रहा था वहाँ कोई कुर्रे की एज का ही टीचर होगा, यानी की 40 से 45 उम्र का, लेकिन मैने जैसे ही मैं अंदर घुसा आँखे बाहर आ गयी ये देखकर की अंदर दीपिका मॅम बैठी हुई है......
"मॅम, वो पुरानी प्रॅक्टिकल कॉपी चाहिए थी...."उस रूम के चारो तरफ देखते हुए मैं बोला....
"सर से पुछा है..."वो टेबल पर ऐसे बैठी थी, जैसे कि वो इस कॉलेज की प्रिन्सिपल हो....
"जी मॅम, उन्होने ही कहा है कि मैं अंदर जाकर अपना काम कर सकता हूँ..."मैने जान बुझ कर ऐसा कहा....
"कैसा काम..."चेयर पर सीधी होते हुए उसने मेरी तरफ निगाह डाली....
"वही वाला....."मैं बोला, फ्लर्टिंग करना मेरे लिए कोई नयी बात नही थी, मैं अक्सर मौका मिलने पर ये सब काम कर दिया करता था पर अफ़सोस की आज तक किसी लड़की ने मेरे अरमानो को ठंडा नही किया था......
"मकेनिकल फर्स्ट एअर राइट...."
मैने हां मे सर हिलाया तो दीपिका मॅम ने एक तरफ इशारा कर दिया...जहाँ पास आउट स्टूडेंट्स की प्रॅक्टिकल कॉपीस जमा की हुई थी, मैं वहाँ पहुचा एक दो कॉपी को खोलकर पढ़ने का नाटक करने लगा, लेकिन इस बीच मेरा ध्यान सिर्फ़ और सिर्फ़ दीपिका मॅम पर था कि वो मुझे देख तो नही रही है....दीपिका मॅम इस समय अपने मोबाइल मे बिज़ी थी, और यही मेरे लिए सही मौका था...मैने चुपके से एक प्रॅक्टिकल कॉपी को अपने शर्ट के नीचे पेट के पास फँसा लिया और उसके कुछ देर बाद तक मैं वही खड़ा रहा....
"ठीक है मॅम, मैं चलता हूँ...."
मुझे पूरी उम्मीद थी कि दीपिका मॅम ने मुझे नही देखा था, और मैं अपनी स्मार्टनेस पर खुद को प्रेज़ करता हुआ वहाँ से जा ही रहा था कि दीपिका माँ ने पीछे से आवाज़ दी...
"रूको..."
"जी मॅम..."दिल मे घबराहट एक बार फिर पैदा हो गयी....
"यू थिंक दट ऑल दा स्टाफ ऑफ कॉलेज आर फूल..."
"मतलब...?"
"मतलब ये कि..."वो अपनी चेयर से उठकर मेरे पास आई और सीधा मेरे पेट पर हाथ फिराती हुई बोली"ये तुम्हारे सिक्स पॅक्स इतने मजबूत है या लॅब की कॉपी चुरा कर ले जा रहे हो...."
इसके आगे बोलने की मेरी हिम्मत नही हुई,मैं किसी अपराधी की तरह वहाँ खड़ा दीपिका मॅम के अगले आक्षन का इंतज़ार कर रहा था....
"तुम्हारी जानकारी के लिए बता दूं कि मैं यही से पास आउट हूँ और मुझे मालूम है ये फंडे...इसलिए मेरे सामने होशियार बनने की कोशिश मत करना..."ऐसा बोलते हुए उसने प्रॅक्टिकल कॉपी निकाल ली और बोली"तुम्हारे जाने के बाद कुर्रे सर यहा आएँगे और वो मुझसे पुछेन्गे कि मैने कहीं कुछ उठा तो नही लिया, और फिर जब तुम बाहर जाओगे तो तुम्हारी चेकिंग भी होगी...."
" सालो ने कोहिनूर हीरा छुपा रखा है क्या यहाँ..."
"तुमने कुछ बोला..."
"सॉरी मॅम,..."
"अब जाओ..."उसके अगले पल ही दीपिका मॅम ने वो हरकत की जिसके कारण मेरा दिल लेफ्ट साइड से राइट साइड मे शिफ्ट होने वाला था, 1000 वोल्ट्स का झटका दिया दीपिका मॅम ने मुझे....उसने मेरा हाथ पकड़ा और सीधे अपनी गरम चूत से टच करा दिया और बोली "पसंद आया हो तो दोबारा बताना....."

मैं, उस रूम से बाहर निकला,वहाँ से आने के बाद मेरी सिट्टी पिटी गुम हो गयी थी, ऐसा लगने लगा था जैसे की किसी ने मेरे हाथ मे कुछ देर पहले करेंट का वाइयर पकड़ा दिया हो.......
"क्या हुआ ? लाया प्रॅक्टिकल कॉपी ?"मुझे अपने बगल मे चुपचाप बैठा देखकर अरुण ने मुझसे पुछा....
"अभी कुछ देर बात मत कर ,सदमे मे हूँ...."
"क्या हुआ....किसी ने चोरी करते हुए देख लिया क्या ? "
"मेरी चोरी पकड़ी भी गयी और उसकी सज़ा भी दे दी गयी..."मैं अब भी सदमे मे था.....
"आख़िर हुआ क्या..."
"कुछ नही, अब मैं ठीक हूँ..."मेरे दिल-ओ-दिमाग़ मे , मेरे पूरे जहाँ मे सिर्फ़ वही नज़ारा घूम रहा था, जब दीपिका मॅम ने मेरा हाथ पकड़ा और मेरे हाथ को अपनी चूत से टच करा दिया....
"आइ वाज़ ट्रेंबल्ड..."मैं बड़बड़ाया...
"ऐसा क्या देख लिया तूने..."
"कुछ नही..."
दीपिका मॅम ने जो किया उसपर मुझे यकीन नही हो रहा था, कोई भी लड़की बिना जान पहचान के ऐसे कैसे कर सकती है, ये जानते हुए भी कि मैं उसकी कंप्लेंट कर सकता हूँ, शायद मैने ही दीपिका मॅम को बढ़ावा दिया था ऐसा करने के लिए...ना मैं डबल मीनिंग मे उससे बात करता और ना ही वो मेरा हाथ पकड़ती और ना ही... अभी तक जो कुछ भी मेरे साथ हुआ था वो सब अनएक्सपेक्टेड था, मैने कभी नही सोचा था की मैं एक लड़की के पीछे पागल हो जाउन्गा और ना ही मैने ये सोचा था कि शुरुआत के कुछ दिनो मे ही मुझे वो छुने को मिल जाएगा......उस दिन के बाद दीपिका मॅम से जैसे मैं नज़र ही नही मिला पा रहा था, वो जब तक क्लास मे रहती मैं अपना सर झुकाए रहता और चुपके से उनकी तरफ देखता तो वो मंद-मंद मुस्कुराती नज़र आती....
"साला मैं कितना शर्मिला हूँ..."
मुझे मेरी ज़िंदगी के 18 साल बीत जाने के बाद ये मालूम चला कि, मैं भी उन लड़को मे से हूँ ,जिनकी लड़कियो को देखकर कुछ बोलने की हिम्मत नही होती.....एश कुछ दिनो से कॉलेज नही आई थी, मैं जब भी उसके क्लास मे जाकर अरुण के दोस्त से पुछ्ता तो वो ना मे सर हिला देता,...दिल बेचैन रहता था उसके बगैर , हर दिन रिसेस मे मैं अरुण को लेकर उसकी क्लास मे उसके दोस्त के पास जाता था और जहाँ वो बैठा करती थी, उस जगह को इस आस मे देखता था कि शायद वो लेट आई हो,लेकिन हर दिन उसकी जगह कोई और लड़की ही वहाँ बैठी हुई मिलती और हर दिन मैं उसके क्लास से उदास ही लौटता था....
अभी तक तो मैं बहुत सी अनएक्सपेक्टेड चीज़ो को झेल चुका था, लेकिन इन सबके आलवा भी कुछ और था जो कि मेरी ज़िंदगी मे पहली बार होने वाला था और सबसे बड़ी बात तो ये थी कि मुझे इस बात की भनक तक नही थी....


कुछ दिन बीतने के बाद मेरी कुछ और लड़को से दोस्ती हो गयी और हर दिन की तरह हम आज भी रिसेस मे अपनी क्लास के बाहर खड़े आस-पास से गुजरने वाली लड़कियो का मज़ा ले रहे थे.....एश के लिए मेरा इंटेरेस्ट कम होता जा रहा था, मैं अब हर खूबसूरत लड़की को देखकर इसी ख़याल मे डूब जाता कि मैं उसे अपने हॉस्टिल के रूम मे चोद रहा हूँ, एक अजीब सा बदलाव आ रहा था मुझमे दीपिका मॅम की उस हरकत से....
"सब लाइन मे खड़े हो..."किसी ने गला फाड़ कर कहा, और जब मेरी नज़र उस तरफ पड़ी तो देखा कि दो सीनियर्स हमे लाइन मे खड़े रहने के लिए कह रहे थे.....उनका कहना था कि हम सब लाइन मे खड़े हो गये....
"आँख नीचे कर बे...अपने बाप से आँख मिलाता है साले बीसी..."किसी एक को उसने चमकाया....
"क्या है बेटा , विश नही करते तुम लोग सीनियर्स को...गान्ड मे डंडा डाल के याद दिलाना पड़ेगा क्या...."उन दो मे से एक ने बॅग टाँग रखा था यानी वो रिसेस के बाद वो बंक मारने के प्लान मे था और दूसरा अपनी हथेलियो को रगड़ रहा था....
"चलो इधर आ जाओ और क्लास मे जितने लड़के है उन्हे भी बुलाओ..."जिसने बॅग टाँग रखा था वो बोला...
क्लास मे जितने लड़के थे उन सबको बुला लिया गया, मैं दिल ही दिल मे ये चाह रहा था कि कही से कोई टीचर आ जाए....लेकिन साला कोई नही आया, सब अपना पेट भरने मे लगे हुए थे.....
"तेरा नाम क्या है...."मुझे उपर से नीचे देखते हुए वो बोला....
"ज..ज..जी..."मैं हकलाया...सच तो ये था कि वहाँ खड़े हर लड़के की बुरी तरह से फट चुकी थी...
"नाम क्या है इंजिनियर साहेब आपका..."
"अरमान..."मैने एक पल के लिए उसकी तरफ देखा और जवाब देकर वापस अपनी गर्दन नीचे कर ली....
"दिल के अरमान आँसुओ मे बह गये...."वो गाते हुए मेरे पास आया और बेल्ट के पास पैंट को पकड़ कर ज़ोर से हिलाता हुआ बोला "यहाँ क्या करने आता है..."
"पढ़ने..."
"तो फिर कल से फॉर्मल ड्रेस मे आया कर, वरना यही से नीचे फैंक दूँगा...समझा"
"ज...ज...जी सर..."(तेरा बाप देगा पैसा फॉर्मल ड्रेस खरीदने का , बे साले चूतिए...)
"चल रिलॅक्स हो जा..."बेल्ट छोड़ कर मेरा कंधा सहलाते हुए वो बोला"मेरा नाम जानता है...."
"नही...."
"मैं हूँ बाजीराव सिंघम....समझा, कल से स्टूडेंट्स की तरह दिखना..."
उन दो चूतियो को मैं अकेला ही दिखा था क्या जो साले मेरी लेके चले गये, उनके जाने के बाद मालूम चला कि वो दोनो माइनिंग ब्रांच के थे.....
"ये तो माइनिंग के थे, इसका मतलब मेकॅनिकल वाले भी कुछ दिनो मे अपने दर्शन देंगे..."
हर कॉलेज मे अलग-अलग फंडा चलता है, हमारे यहाँ रॅगिंग तब होती थी, जब कुछ हफ्ते निकल जाते थे...सिटी मे रहने वाले तो फिर भी बच जाते थे, लेकिन हॉस्टिल वालो की ऐसी तैसी हो जाती थी....
उस दिन रिसेस के बाद हम सबके मन मे यही सवाल घूम रहा था कि इन सबसे कैसे बचा जाए, और उस दिन के बाकी के पीरियड्स इसी ख़ौफ़ मे निकल गये,...
मैं और अरुण कॉलेज की छुट्टी के बाद हॉस्टिल की तरफ ही जा रहे थे कि हॉस्टिल से थोड़ी दूर पर भीड़ दिखाई दी.....
"ये साले बीसी, यही चालू हो गये..."अरुण वही रुक गया और मुझसे बोला"इस रास्ते से मत जा, सामने सीनियर्स खड़े है...."
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08-18-2019, 01:19 PM,
#13
RE: Desi Sex Kahani दिल दोस्ती और दारू
हम दोनो दूसरे रास्ते से जाने के लिए पीछे मुड़े ही थे कि किसी सीनियर ने हमे देख लिया और उधर आने के लिए कहा, जहाँ भीड़ जमा थी....
"वापस कहाँ जा रहे थे सर..."मेरे कंधे पर हाथ रखकर कोई बोला...
"वो मोबाइल छूट गया है, क्लास मे..."
"अच्छा..."उसने मेरा बॅग एक झटके से खींचा और बॅग की चैन खोलकर पूरा समान रास्ते मे ही बिखेर कर बॅग मेरे हाथ मे थमा दिया....
"अपना समान उठा और निकल यहाँ से..."
मैने एक हाथ मे अपना बॅग पकड़ कर अपनी बुक्स और कॉपी को उठाने के लिए झुका ही था कि उस Mcएल सीनियर ने मेरे पिछवाड़े पर कसकर एक लात मारी और मैं वही ज़ोर से मुँह के बल गिरा....

"चूतिया समझ के रखा है क्या..."पीछे से उसकी आवाज़ आई, हाथो की मुत्ठिया बँध चुकी थी, और यदि उस वक़्त वो वहाँ अकेले रहता तो उस साले को इतना मारता कि रॅगिंग की स्पेलिंग तक भूल जाता वो, लेकिन मैं उठता उसके पहले ही उसके कुछ और दोस्त आ गये, और उसको पकड़ कर बोले कि...

"अभी नही, बाद मे देख लेंगे इन दोनो को..."जिसके जवाब मे वो चिल्लाया कि "साले झूठ बोलता है, तू रुक आज रात तेरी धुलाई करता हूँ ,साले बीसी..."

उसके बाद सिर्फ़ ये हुआ कि मेरी गुस्से से बंद मुत्ठिया ढीली पड़ गयी, और वो सीनियर जिसने मेरे पिछवाड़े पर अपने जूते के निशान छोड़े थे वो मुझे गालियाँ देते हुए वहाँ से चला गया....

"मैने उसे मारा क्यूँ नही, क्या मैं डरपोक....नही..."आज ज़िंदगी के 18 साल गुज़ार लेने के बाद एक और सच से सामना करना पड़ रहा था....आज तक स्कूल मे सिर्फ़ छोटी-मोटी लड़ाई हुई थी, जिसमे मैं हर बार पूरे ज़ोर और शोर से भाग लेता था....और अपनी ए ग्रेड स्टडी के लिए हर बार बच भी जाता था....स्कूल मे अक्सर सब यही बोलते कि मैं बहुत हिम्मतवाला हूँ, लेकिन आज कुँए का मेंढक समुंदर मे आया था, जिसका मुक़ाबला बड़े बड़े कछुओ और शार्क से था......

"चल अपने रूम चलते है...."अरुण ने मेरा बॅग उठाकर मुझे पकड़ते हुए बोला....मैं चुप रहा, चेहरा गुस्से से अब भी लाल था.....

"चल, भूल जा..."मुझे ज़बरदस्ती अरुण ने खींचा, जिसके चलते मैं उसपर झल्ला उठा....
"अबे छोड़"
"भाड़ मे जा..."गुस्से मे वो भी था, इसलिए वो भी मुझ पर चिल्लाया और मेरा बॅग मेरे हाथ मे पकड़ा कर वहाँ से हॉस्टिल की तरफ चला गया......

"उस साले ने लात मेरे पिछवाड़े पर मारी है और गुस्सा ये हो रहा है...."अरुण को हॉस्टिल की तरफ जाते हुए मैं देख रहा था....कुछ देर पहले जो हुआ, वो सब देखकर शायद अरुण को भी गुस्सा आया था...

"सॉरी...."जब अरुण ने दरवाजा खोला तो मैने उससे कहा....जिसके जवाब मे वो हँसते हुए बोला

"सॉरी से काम नही चलेगा, मैं तो गान्ड मारूँगा...."

"चल बे, दूर चल...मैं तो तुझे देखते ही समझ गया था कि तू है..."
अंदर आकर मैने अपना बॅग एक तरफ फैंका और बिस्तर पर लेट गया, अभी कुछ ही देर हुए थे कि एक छोटे कद का लड़का अरुण के पास आया, उसकी आँखो मे लगा चश्मा उसे एक सीरीयस स्टूडेंट की उपाधि दे रहा था....वो सीधे मेरे पास आया और मुझसे हाथ मिलाया वो भी बिना कुछ बोले.....और फिर सीधे जाकर अरुण के पास बैठ गया...

"साला पागल लगता है..."उसे देखकर मैने कहा....

अरुण के पास जाकर वो बात करने लगा, और अरुण से बात करने के दौरान वो अपना चश्मा उतारता और मेरी तरफ कुछ देर तक देख कर वापस अपना चश्मा अपनी आँखो मे टांगता अरुण से बात करने लगता.......
" सुन बे अरमान...ये भूपेश मेरे ही यहाँ का है...."

उस छोटी सी हाइट वाले लड़के का नाम भूपेश था, जिसका नामकरण अरुण ने पहले ही कर दिया था....
"बी.एच.यू."अरुण उसे इसी नाम से बुलाता था....

"उस लड़की का नाम क्या है , जो सीएस मे है..."भू ने एक बार फिर अपना चस्मा निकाल कर मेरी तरफ देखा और फिर चश्मे पर फूक मार कर अरुण की चादर से चश्मे को सॉफ करने लगा....

"एश...."अरुण बोला...
एश का नाम सुनते ही सारी थकान दूर हो गयी, मैं उठकर बिस्तर पर बैठ गया और अरुण की तरफ देखकर बोला"क्या हुआ..."

"भू को एश से प्यार हो गया है..."

"इसे और एश से प्यार "भूपेश की तरफ देखकर मैं बोला....(अबे साले, अपनी शकल देखी है, कहाँ वो और कहाँ तू)

"इसके पास उसका मोबाइल नंबर भी है..."

ये सुनकर मुझे झटका लगा,वैसे तो एश का नंबर. मालूम करना कोई बड़ी बात नही थी, उसके क्लास मे जो भी उसके करीब हो उससे एश का नंबर लिया जा सकता है....लेकिन मुझे झटका इसलिए लगा क्यूंकी भू एश के मामले मे मुझसे ज़्यादा आक्टिव था....जहाँ मैने उसे चुपके से घूर्ने का अलावा और कुछ नही किया था, वही भू ने उसका नंबर. अपने मोबाइल मे सेव करके रखा था.....

"उसे कॉल करता हूँ..."अरुण से वो बोला और अपना नोकिया 1200 निकाल लिया....

मैने अपनी 18 साल की ज़िंदगी मे बहुत से प्रेमी जोड़े देखे थे, लेकिन उनमे से सिर्फ़ एक या दो प्रेमी जोड़े ही एक-दूसरे के लिए पर्फेक्ट थे....वरना एक से बढ़कर एक घोनचू लौन्डे टनटन माल लेकर घूमते है, जिसे देखकर अक्सर मेरा कलेजा जल उठता है और सिर्फ़ एक लाइन मुँह से निकलती है
"हम मर गये है क्या, जो इस गन्दू के साथ घूम रही है...."

और इसी डर मे कि कही एश के साथ ये भू ना सेट हो जाए, मैं अपने बिस्तर से उठा और भूपेश के हाथ से उसका मोबाइल छीन लिया....

"अबे यदि उसने तेरे मोबाइल नंबर. की रिपोर्ट कर दी तो...."उसे डरते हुए मैं बोला....

"कोई बात नही सिम फ़र्ज़ी है..."

"आजकल लोकेशन ट्रेस हो जाते है, और वैसे भी वो किसी ना किसी से सेट होगी तो क्यूँ अपना बॅलेन्स फालतू मे खर्च कर रहा है...."

"बाद की बाद मे देखेंगे..."मेरे हाथ से मोबाइल लेकर अरुण ने मोबाइल भू को थमा दिया और बोला"तू कॉल कर..."

"ये साला अरुण, मेरे साथ है या इसके साथ"

"तूने कुछ बोला क्या..."अरुण मेरी तरफ देखकर मुझसे पुछा....

"ना, मैने कुछ नही बोला....मैं क्यूँ बोलूँगा कुछ...एश मेरी वाइफ है क्या, जो मुझे उसकी फिकर होगी...."
मेरा इतना कहना था कि दरवाजे पर किसी ने दस्तक दी...

"ले यार खोल..."अरुण मुझसे बोला,...
मैने पूरा दरवाजा खोला भी नही था कि एक जोरदार तमाचा मेरे गाल और कान पर पड़ा, मैं सन्न रह गया उस वक़्त और कान पर हाथ रखकर वही खड़ा रहा...अंदाज़ा लगाना मुश्किल नही था कि रूम के अंदर कौन आया था, जिसने अभी-अभी मेरा गाल लाल किया था वो वही था जिससे मेरी मुलाक़ात हॉस्टिल के बाहर हुई थी.....

"चल बे साइड चल..."मैं इस वक़्त दरवाजे और रूम के बीच मे खड़ा था, इसलिए उसने मुझे धक्का देते हुए कहा और सीधे जाकर मेरे बिस्तर पर बैठ गया, जो हाल मेरा था, वो हाल भू और अरुण का भी था, वो दोनो बिस्तर से खड़े हो गये थे.....

"नीचे बैठ वही ज़मीन पर..."मेरी तरफ इशारा करते हुए वो बोला"शकल याद है मेरी या भूल गया..."

"याद है..."

"हां तो हमेशा याद रखना, तेरे बाप की शकल है..."

उसने जैसे ही ये बोला, पूरा जिस्म गुस्से से लाल -पीला हो गया, यदि उस वक़्त मुझे अपने भाई के कहे हुए शब्द याद ना आए होते तो मा कसम उस साले को बहुत मारता......

"आइ कॉंटॅक्ट करेगा बे..."बिस्तर पर पूरा पसारता हुए रूम के दीवार की तरफ इशारा किया"उस दीवार को देख रहा है...मैने उसी दीवार पर तेरे जैसे ही एक चूतिए का सर पकड़ कर दे मारा था, साला चार महीने कोमा मे था....पोलीस भी कुछ नही उखाड़ पाई, क्यूंकी उसे कोई गवाह ही नही मिला जो ये बोलता कि वो सब मैने किया था...."

"तो ये सब मुझे क्यूँ बता रहे हो...."खून मेरा भी गरम था, इसलिए मैने बोल दिया...जिसका नतीज़ा ये हुआ कि वो सीनियर जो कुछ देर पहले मेरे बिस्तर पर पसरा हुआ था वो एकदम से उठ खड़ा हुआ और गुस्से से अपने दाँत पीसते हुए मेरे पास आया....

"सॉरी सर, उसे छोड़ दो, पागल है वो..."अरुण ने उस सीनियर को पकड़ा....

"समझा दे इस लौन्डे को वरना यहीं जान से मार दूँगा...."

"ठीक है, मैं इसे समझा दूँगा...."

"जा एक ग्लास पानी ला..."
अरुण वहाँ से पानी लेने चला गया और इधर रूम मे चुप्पी छाइ रही, अरुण कुछ देर मे ही वापस आ गया,लेकिन उसके हाथ खाली थे....

"सर, वो वहाँ का ग्लास शायद किसी लड़के ने अपने रूम मे रखा हुआ है, मैं बोतल मे आपके लिए पानी लाता हूँ...."अंदर घुसते ही अरुण बोला और बोतल लेकर वहाँ से पानी लेने चला गया.....

"तू इधर आ बे..."अरुण के जाने के बाद उसने मुझे अपने पास बुलाया और सिगरेट पीने के लिए पुछा....

"मैं नही पीता..."तपाक से मैने बिना एक पल गँवाए जवाब दिया,

वो सीनियर आगे कुछ बोलता उसके पहले ही अरुण दौड़ते भागते हुए बोतल मे पानी भरकर ले आया और उसे दे दिया....उसने बोतल मे मुँह लगाकर एक घूट पानी पिया और फिर बोतल मेरी तरफ बढ़ा दी...
"रिलॅक्स हो जा, और ले पानी पी..."

"मुझे प्यास नही है..."खून मेरा अब भी गरम था....

"पी ले पानी ,क्यूंकी इसके बाद मैं जो करने वाला हूँ उससे तेरा गला सूख जाएगा..."

उसके बात का मैने कोई जवाब नही दिया और वो अपने कंधे उचकाता हुआ बोला"तेरी मर्ज़ी...."

उसने अपने जेब से सिगरेट की पॅकेट निकाली और भूपेश को अपने पास बुलाया और रूम मे जल रहे बल्ब को ऑफ करने के लिए कहा....

"वापस ऑन कर जाके..."अंधेरे मे धुआ उड़ाते हुए उसने भू से वापस बल्ब को ऑन करने के लिए कहा और जब भू ने वापस बल्ब को ऑन कर दिया तो वो बोला....
"अब तू 100 बार बल्ब को ऑन करने के बाद बिस्तर पर आकर बैठ जाना और फिर उठकर बल्ब को ऑफ कर देना...चल शुरू हो जा...."

भूपेश की पहले से ही सिट्टी-पिटी गुम थी ,वो क्या बोलता...बिना कुछ बोले वो अरुण के बेड से बोर्ड तक 200 चक्कर मारने लगा......

"ले पी..."ऑन-ऑफ होते हुए बल्ब के बीच मे उसने मुझे एक सिगरेट दिया....

"मेरी आदत नही है..."

"इसीलिए तो पिला रहा हूँ, इंजिनियर साहेब...जब तक नशा पट्टी नही करोगे तो इंजिनियर कैसे बनॉगे...."

मज़बूरी मे सिगरेट को मुँह से लगाना पड़ा, भैया के द्वारा दी गयी नसीहत मे ये भी था कि मैं सिगरेट और शराब से दूर रहूं, लेकिन यदि मैं उस वक़्त ये सब नही करता तो उनके द्वारा दी गयी दूसरी नसीहत ,जिसमे उन्होने कहा था कि लड़ाई - झगड़ा मत करना, वो टूट जाती.....

"धुआ अंदर ले...मुँह मे रखकर तो पहली-दूसरी क्लास के लौन्डे भी सिगरेट पी लेते है..."

मैने वैसा ही किया, सिगरेट के धुए को अंदर लिया...सिगरेट के कश को अंदर क्या खींचा, पूरा का पूरा कलेजा जैसे बाहर आ गया, और मैं खांसने लगा.....

"एक कश और मार..."
मैने फिर कश अंदर लिया और नतीज़ा वही पहले जैसे ही रहा...
"एक कश और..."
तीसरी बार हिम्मत तो नही हो रही थी, लेकिन उस वक़्त कोई दूसरा रास्ता भी नही... भू अब भी बल्ब को ऑन-ऑफ करने मे लगा हुआ था....

"तेरे कितने राउंड हुए बे.."

"80...." हान्फते हुए भू ने जवाब दिया,

"बेटा अभी तो आधे भी नही हुए,...चल शुरू हो जा..."

तीसरी बार भी मैने सिगरेट के धुए को अपने सीने मे घुसाया और इस बार खांसने के साथ-साथ मेरी आँखो से आँसू भी निकल गये और सर भी घूमने लगा....

"आज के लिए इतना ही काफ़ी है, कल फिर मिलेंगे...."
उसका रूम से बाहर जाना था कि मैं और भू बिस्तर पर लेट कर हांपने लगे.....

"गंद....गंद...."भू बस इतना बोल पाया और हांपने लगा,
"क्या गंद-गंद कर रहा है बे..."
"गंद मार ली साले ने, चक्कर आ रहा है, पानी....पानी..."वो फिर हांपने लगा....
"इधर तो बीसी सर ही घूम रहा है...."अपना सर पकड़ कर मैं बोला...
"सिगरेट का असर ज़्यादा देर तक नही रहता, डॉन'ट वरी..."
"वरी गयी माँ चुदाने, तू जा दौड़कर पानी ला..."
अरुण के वहाँ से जाने के बाद मैं भू की तरफ मुड़ा, वो अपने सर छत की तरफ किए हुए हाँफ रहा था....
"क्यूँ बेटा, क्या हाल है...मज़ा आया.."
"बहुत मज़ा आया, दोबारा करने का मन कर रहा है...."
"जब से कॉलेज मे आया हूँ, साला सब मार के चले जाते है, अब दीपिका मॅम को ही ले ले, आज लॅब मे साली ने मेरा हाथ चूत से ही टच करवा दिया...."
"क्या...."उसने जैसे ही ये सुना उसकी सारी थकान दूर हो गयी और वो मेरे पास आकर बोला"दीपिका मॅम के बहुत चर्चे है कॉलेज मे ,ज़रा संभाल कर...एक बार जिसको ताड़ लेती है, उसे चोद्कर सॉरी उससे चुदवाकर ही दम लेती है....साली करॅक्टरलेस है..."
"तुझे कैसे पता..."
"मेरा एक दोस्त 2न्ड एअर मे है, उसी ने बताया दीपिका के जलवे के बारे मे, उसने ये भी बताया कि इसी वजह से उसको लास्ट एअर कॉलेज से निकालने भी वाले थे...लेकिन फिर होड़ और उसके बीच .....लेकिन तू फिकर मत कर, तुझे वो छोड देगी..."
"ऐसे कैसे छोड देगी..."
"तेरे मे वो बात ही नही है, वो उन्ही लड़को के साथ सेट्टिंग करती है जो हॅंडसम हो..."
"साला खुद तो बावरची लगता है और मुझे बोल रहा है, चल भाग यहाँ से..."
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08-18-2019, 01:19 PM,
#14
RE: Desi Sex Kahani दिल दोस्ती और दारू
उस वक़्त भू के उपर मेरा पूरा दिमाग़ उखड़ा हुआ था...साला मुझे बोल कैसे सकता है कि दीपिका मॅम मुझसे नही पट सकती....अरुण जब बहुत देर तक पानी लेकर नही आया तो हम दोनो ही बाहर निकले, मैने ये अंदाज़ा लगाया था कि हॉस्टिल मे हमारे रूम के बाहर बाकी लड़के झुंड बनाकर खड़े होंगे और हमसे पुछेन्गे कि सीनियर्स ने हमारी रॅगिंग कैसे ली...लेकिन उस वक़्त वहाँ कोई नही था, और जब आस-पास के रूम से जानी पहचानी आवाज़ जैसे कि थप्पड़, गालियाँ...आई तो मैं समझ गया कि ये सब झेलने वाला मैं अकेला नही हूँ....और सबसे ज़्यादा सुकून मुझे इस बात से मिल रहा था कि अब कोई मुझे ये नही कहेगा कि मैं डरपोक हूँ, क्यूंकी उस वक़्त तो सभी डरपोक थे......


"कहाँ मर गया था बे..."वॉटर कूलर की तरफ जाते हुए हमे अरुण मिला लेकिन उसके हाथ मे पानी का बोतल नही था , और वो हाँफ भी रहा था....
"कुछ सीनियर ने पकड़ लिया था..."अपने घुटनो पर हाथ रखकर हान्फते हुए वो बोला"जा मेरे लिए पानी लेकर आ...."
"बोतल तो आप ले गये थे..."
"वॉटर कूलर के पास जो ग्लास रखा होगा, उसी मे ले आ...."और लड़खड़ाते हुए अरुण रूम की तरफ निकल गया.....
मेरी और भू की हालत तो फिर भी ठीक थी ,लेकिन अरुण बिस्तर पर लेटा उल्टी साँसे भर रहा था.....

"अबे गर्ल्स हॉस्टिल मे कैसी रॅगिंग होती होगी..."भू वैसे शकल से तो चोदु दिखता था, लेकिन ट्रिक बड़ी धाँसू लगता था,.....
"मेरे ख़याल से सीनियर गर्ल्स, जूनियर गर्ल्स को ब्लूफिल्म दिखाकर अपना चूत चटवाती हों..."भू के इन अनमोल शब्दो ने मेरा और अरुण का रोम-रोम खड़ा कर दिया.....

"पागल है क्या बे, ऐसा थोड़े होता है..."मैने ऐसा इसलिए कहा ताकि भू अपने शुद्ध दिमाग़ से और भी ऐसे ख़यालात बुने, जिससे की हमारा रोम-रोम खड़ा हो जाए.....

"अबे किसी प्राइवेट कॉलेज मे तो सीनियर लड़के, ब्लूफिल्म दिखा रहे थे....लेकिन फिर पोलीस केस बन गया.."
फर्स्ट एअर का स्टूडेंट होने के नाते मुझे वैसे अच्छी बाते करनी चाहिए थी, लेकिन मेरा तर्की दिमाग़ उस वक़्त पूरे ले मे था,...
"जिस कॉलेज मे ये हुआ, उस वक़्त वहाँ फर्स्ट एअर के लड़के भी मौजूद थे क्या..."मैने सवाल किया और बेसब्री से जवाब का इंतज़ार करने लगा....
"तेरा मतलब ,जब फर्स्ट एअर की लड़कियो को ब्लूफिल्म दिखाया जा रहा था तब..."
"हां...हां, उसी वक़्त..."
"मालूम नही "
"साले ने कलपद कर दिया "
"मैं तो गर्ल्स हॉस्टिल जाउन्गा..."अरुण की साँस सीधी चलने लगी तो वो भी हमारी ज्ञान देने वाली बातो मे शामिल होते हुए बोला....
"क्या करेगा वहाँ जाकर सीनियर्स की चूत चाटेगा...."
"नही बे, सुनने मे आया है कि कुछ लड़के हमेशा गर्ल'स हॉस्टिल मे अपनी सेट्टिंग से मिलने - जुलने जाते रहते है....तो क्यूँ ना अपुन लोग भी चले..अरमान तू क्या बोलता है..."
""कॉलेज मे जाकर पढ़ाई करना बे, लौंडिया बाज़ी मे बिज़ी मत रहना और ना ही इस चक्कर मे पड़ना..."
"जी भाई..."

"अबे किधर मर गया..."मेरे कंधो को ज़ोर से हिलाते हुए अरुण ने मुझसे दोबारा पुछा...जिसके लिए मैने तुरंत ना कर दी और प्लान ये बना कि मौका देखते ही अरुण और भू गर्ल'स हॉस्टिल मे जाएँगे और मैं यहीं रूम मे पड़ा-पड़ा मक्खिया मारूँगा.....
अगले दिन हम फिर कॉलेज के पीछे वाले गेट से अंदर जा रहे थे, लेकिन आज भू भी हमारे साथ था, वो 5 चुड़ैल आज भी गेट के बाहर खड़ी थी.....
"मर गये..."
"मर्द बन बे, इन लौंदियो से क्या डरता है..."भू सीना तान के आगे चलता हुआ बोला...
"ओये चूतिए..."उन 5 चुडेलो मे से एक ने भू को आवाज़ दी "इधर आ बे चपरगंजू..."

पहले पहल तो भूपेश को यकीन नही हुआ और वो वही खड़ा होकर पीछे की तरफ देखकर कन्फर्म करने लगा कि उन्होने उसे ही चूतिया और चपरगंजू कहा...लेकिन जब उनमे से एक ने मादरचोद कहा तो भू को यकीन हो गया कि वो लड़किया उसे ही बुला रही है.....

"क्यूँ बे तुझे सुनाई नही देता..."भू की आँख मे लगे चश्मे को निकालकर उनमे से एक बोली, आज वहाँ उन पाँच चुडेलो मे सात साल से इंजिनियरिंग करने वाले वरुण की माल भी थी....

"एक भारतीय नारी को इस तरह से बात करना शोभा नही देता...."भू ने बुरी शकल बनाकर कहा और ये सुनते ही वो पाँचो चुड़ैल हंस पड़ी, हँसी तो मुझे और अरुण को भी आई लेकिन हम दोनो ने जैसे-तैसे अपनी हँसी को कंट्रोल किया.....

"मेरा नाम विभा है..."वरुण की आइटम ने अपना हाथ भू की तरफ करते हुए मुस्कुरा कर बोली,...

"माइसेल्फ भू..."विभा का हाथ अपने हाथो मे थामकर भू ने जवाब दिया"विभा, वो दोनो मेरे दोस्त है...अरुण आंड अरमान..."

विभा ने पहले अरुण को देखा और फिर उसकी नज़र मुझसे मिली और वो खिलखिला कर हंस पड़ी "ये तो वही चूतिया है, जिसके मुँह पर मैने समोसा पोता था...."

"तेरी माँ की "मेरा दिल एक बार फिर खुद पर चिल्लाया....

भू ने उन लड़कियो से कुछ देर और बात की और जिस शालीनता से वो पाँचो आइटम भू से बात कर रही थी उससे मेरे दिल मे एक डर पैदा हो गया कि कहीं ये एश को ना पटा ले.....
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"वो आई है क्या..."अपने क्लास मे घुसने से पहले मैं एश की क्लास मे घुसा, और पिछले कुछ दिनो की तरह आज भी अरुण के दोस्त ने ना मे सर हिला दिया और उदास मन से मैं वहाँ से अपने क्लास मे आया, वैसे आज का फर्स्ट पीरियड तो दम्मो रानी का था, लेकिन उसकी जगह दीपिका मॅम आई थी और मैं समझ गया कि इस पूरे पीरियड को अपना सर झुका कर गुज़ारना है....
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"अरमान, स्टॅंड अप...."दीपिका मॅम ने मुझे आवाज़ दी, लेकिन क्यूँ...ना तो मैने पूरी क्लास मे कुछ बोला और ना ही किसी से बात की,...उस क्लास मे उस वक़्त सबसे शांत बच्चा मैं ही था, फिर मुझे क्यूँ खड़ा किया

"व्हाट ईज़ जेवीएम ? " अपनी जगह पर मैं ठीक से खड़ा भी नही हो पाया था कि उसने मिज़ाइल दाग दी....दीपिका मॅम के इस क्वेस्चन का आन्सर देना तो दूर की बात थी मैने तो ये वर्ड जेवीएम ही पहली बार सुना था.....

"चुप क्यूँ हो आन्सर बताओ, अभी कुछ देर पहले ही तो बताया था...."

"मॅम, वो मैं भूल गया....एक बार फिर से बता दो..."कुछ देर तक दीपिका मॅम को देखा, फिर सामने की दीवार को देखा, और जब कुछ नही सूझा तो कुछ देर इस इंतज़ार मे चुप-चाप खड़ा रहा कि शायद मेरे अगल-बगल बैठे नवीन और अरुण मे से कोई धीरे से बोल दे,...लेकिन जब चारो खाने मैं चित हो गया तो दीपिका मॅम के आगे मैने सरेंडर कर दिया.....

"जावा वर्चुयल मशीन....अब याद रखना..."स्माइल मारते हुए वो बोली, मुझे आन्सर उसने इस अंदाज़ मे बताया जैसे कि थे मेट्रिक्स मूवी उसी ने बनाई हो....

"नाउ सिट डाउन..."घमंड भरी आवाज़ मे वो बोली...
उसके बाद उसने अपना प्रवचन फिर चालू कर दिया, आधे लुढ़क गये और आधे सामने की तरफ देखकर अपने ख़यालो मे खोए हुए थे....

"नाउ आइ'म गोयिंग टू अस्क सम बेसिक क्वेस्चन्स...."
"अरमान...."
"यस मॅम..."एक बार फिर बलि बकरा मैं ही बना(आ चूस ले अरमान का, साली जब देखो गान्ड हिलाती रहती है...)
"कुछ नॉर्मल क्वेस्चन पुच्छ रही हूँ तुमसे, आइ होप कि मुझे जवाब मिलेंगे..."
"आइ विल ट्राइ..."....(लंड फैंक के मारूँगा नही तो बैठा दे)
"विंडोस एक्सपी क्या है..."
"मतलब..."
"मतलब कि व्हाट डू यू मीन बाइ विंडोस एक्सपी ? "

"वो तो ऑपरेटिंग सिस्टम है, बस इतना ही मालूम है..."

"नोट बॅड, अच्छा ये बताओ, कंप्यूटर यूज़ करते हो..."सामने की चेयर पर अपनी गान्ड सटा कर उसने अगला सवाल किया...
"बिल्कुल करता हूँ..." (ब्लूफिल्म देखने का मज़ा तो बड़े स्क्रीन मे ही आता है...)

"तो बताओ कि किसी भी डॉक्युमेंट को प्रिंट करने के लिए शॉर्टकट तरीका क्या है...."

"कटरल + प...."इधर एक तरफ मैने जवाब दिया और वही दूसरी तरफ अपने बड़े भाई का मन ही मन शुक्रिया अदा किया , क्यूंकी उन्ही के बदौलत ही मैने इस सवाल का जवाब दिया था.....

दीपिका मॅम के दो क्वेस्चन्स का आन्सर क्या दिया, उसने मुझे कंप्यूटर की दुनिया का गॉडफादर समझ लिया और फिर एक के बाद एक सवाल पूछती गयी, और मैं हर बार यही बोलता"सॉरी मॅम...."

सीएस सब्जेक्ट का कोई थियरी एग्ज़ॅम नही था, ये सब्जेक्ट फुल्ली प्रॅक्टिकल बेस्ड था और जिस सब्जेक्ट का केवल प्रॅक्टिकल हो तो उसे प्रॅक्टिकल एग्ज़ॅम वाले दिन के आलवा किसी और दिन पढ़ना पाप था, और ये पाप मैं कैसे करता, इसीलिए दीपिका मॅम के बाकी के क्वेस्चन्स पर सिर्फ़ दो शब्द मुँह से निकले "सॉरी मॅम..."
"पढ़ना चालू कर दो ,वरना फैल कर दूँगी...सिट डाउन..."

उसने फैल करने की धमकी देकर सिट डाउन क्या बोला , मेरा शट डाउन ही हो गया, और मैं चुप चाप किसी लूटे पीटे की तरह बैठ गया.....

"अरमान, इस पर ट्राइ कर ,ये पट जाएगी..."दीपिका मॅम के क्लास से जाने के बाद अरुण बोला

"इसे पटा कर क्या करूँगा, साली चुदते वक़्त एचटीटीपी का फुल फॉर्म पुछेगि"
"अबे इससे अच्छी माल नही मिलेगी, "
"एश डार्लिंग है ना...."
" अपने अरमानो पर काबू रक्खो बेटा अरमान ,वरना....."
"वरना...."
"ये बीसी फिर आ गयी..."अरुण के इस तरह से तुरंत टॉपिक चेंज करने से मैं चौका
"क्या हुआ बे..."
"ये शेरीन लोडी ,फिर आ गयी सामने..."
मैने सामने की तरफ नज़र डाली तो देखा कि सामने वही लड़की खड़ी थी, जो कॉलेज के पहले दिन ही नेतागिरी झाड़ते हुए इंट्रोडक्षन क्लास चला रही थी, अरुण वैसे तो क्लास की दूसरी लड़कियो को गाली नही देता था,लेकिन शेरीन को देखते ही उसका पारा गरम हो जाता और उसके मुँह से शेरीन के लिए प्यार भरे शब्द निकल जाते......
"इतने दिन हो गये है और हम सब एक-दूसरे का नाम भी नही जानते...."मुँह बनाते हुए वो बोली....
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08-18-2019, 01:19 PM,
#15
RE: Desi Sex Kahani दिल दोस्ती और दारू
शेरीन ना ज़्यादा मोटी थी और ना ही ज़्यादा पतली...लेकिन यदि उसका फेस और उसकी आदत ढंग की हो तो शायद हम उसे छोड़ भी देते....क्लास खाली जा रही थी और इंट्रोडक्षन का दौर आगे बढ़ते हुए अरुण तक आया....
"युवर टर्न...."अरुण की तरफ उंगली दिखती हुए शेरीन बोली....
अपने अरुण भाई ताव मे आ गये और खड़े होकर बोले कि जिसको भी मेरे बारे मे जानना है वो दबी मे आकर मुझसे मिल ले....
___________________

"व्हाट..."नाक सिकोडती हुए शेरीन बोली,...

"हवेली मे मिलना फिर बताउन्गा तुझे ,व्हाट...."

"ये तो बहुत डेरिंग है साला..."इस वक़्त मेरी दोनो आँखे दो तरफ देख रही थी, मैं कभी शेरीन का चेहरा देखता तो कभी अरुण का और मुझे ना जाने क्या सूझा मैं अरुण के कान मे धीरे से बोला...
"तेरे लिए पर्फेक्ट माल है..."

"ज़िंदगी भर मूठ मार लूँगा, लेकिन इसे नही चोदुन्गा...."

अरुण तो शेरीन को धमकी देकर चुप हो गया, लेकिन अब अगला नंबर मेरा था ,उस वक़्त मुझे भी खड़े होकर अरुण की तरह बोल देना चाहिए था कि"जिसको भी मेरे बारे मे जानना है वो हवेली मे आकर मिले,...."

लेकिन मुझमे उस वक़्त उतनी हिम्मत नही थी, सबके सामने जाने से दिल घबरा रहा था,लेकिन फिर भी मैं उठा और जैसे -जैसे मेरे कदम आगे बढ़े, मैं अंदर ही अंदर काँपने लगा....
"गुडमॉर्निंग , फ्रेंड्स... आइ'म अरमान..."एक मरी सी आवाज़ मेरे मुँह से निकली...जिसे सामने वाले बेंच पर बैठे स्टूडेंट्स ही सुन पाए होंगे.....

"प्लीज़ स्पीक लाउड्ली...."शेरीन फिर बोली....

उस वक़्त शेरीन का फेस देखकर मन कर रहा था कि अपना जूता उतारकर सीधे उसके मुँह पे दे मारू,...और उसी वक़्त सिविल सब्जेक्ट वाली मॅम अंदर घुसी और घुसते ही मुझे पर गोली दाग दी....

"यहाँ क्या कर रहे हो खड़े होकर...."

"व...व...वो वो कुछ नही, बस अपना इंट्रोडक्षन दे रहा था और कुछ नही...."
"जाओ, अपनी जगह पर जाकर बैठो..."
.
"देख बे वो बाजीराव सिंघम पूरे कॉरिडर मे घूम रहा है..." अपनी कॉपी मे लिखकर अरुण ने बताया...

"अबे फॉर्मल ड्रेस तो मैने नही पहनी है...साला फिर लफडा करेगा"
"एक प्लान है...."सामने बोर्ड पर जो कुछ लिखा हुआ था उसे उतारते हुए अरुण बोला"रिसेस मे यदि कॉलेज के बाहर चलें तो बचा जा सकता है, और रिसेस जैसे ही ख़तम होगा वापस आ जाएँगे...."
"सॉलिड आइडिया है...."
इसी दौरान सिविल वाली मॅम बोर्ड पर कुछ लिखने के लिए मूडी, और उसकी बड़ी-बड़ी गान्ड हमारे सामने थी....वैसे तो सिविल वाली मॅम की एज 45+ रही होगी और उन्हे सामने से देखकर कोई ग़लत ख़यालात अपने मन मे ना लाए, लेकिन पीछे से यदि कोई उन्हे देखे तो फिर........
"ओये, साले इसको तो चोद दे"मेरी नज़र पूरी तरह से सिविल वाली मॅम के गान्ड पर जमी हुई थी....
"क्या हुआ..."मैं ऐसे रिएक्ट करने लगा जैसे मैने कुछ किया ही ना हो , लेकिन अरुण मुझसे ज़्यादा कमीना था
"अबे इसे क्यूँ घूर रहा है, इसे तो सब लोग मम्मी बोलते है...."
"मम्मी "
"नवीन बोल रहा था कि ये बहुत प्यार से पढ़ती है...मतलब कि एक क्वेस्चन को चाहे जितने बार भी पुछ लो, हमेशा शांत ही रहती है...प्रोफाइल. है ये यहाँ लेकिन इस बात का इसे बिल्कुल भी घमंड नही है..."

उस पूरे क्लास मे मैने और अरुण ने फुल2 मस्ती की , सिविल वाली मॅम ने हमे काई बार बात करते हुए और हँसते हुए भी देखा, लेकिन वो हर बार इग्नोर कर देती....सिविल वाली मॅम सच मे मम्मी थी
.
पिछले कुछ दिनो की तरह मैं आज भी रिसेस मे एश के क्लास मे घुसा इस आस मे कि शायद वो लेट आई होगी, लेकिन जवाब एक बार फिर ना मे सर हिलाकर अरुण के दोस्त ने दिया....उसके बाद मैं और अरुण बाइक स्टॅंड पर आए, मैने नवीन की बाइक की चाबी उससे माँग ली थी, बाइक स्टॅंड पर जहाँ एक तरफ अरुण ,नवीन की बाइक निकाल रहा था वही मैं दूसरी तरफ उस जगह को देख रहा था,जब कुछ दिन पहले मैने एश को पहली बार देखा था....उसकी कार आज वहाँ नही खड़ी थी और ना ही एश उस दिन की तरह वहाँ थी,लेकिन फिर भी ना जाने क्यूँ मुझे मोहब्बत सी हो गयी थी उस जगह से, मैं उस तरफ बढ़ ही रहा था कि अरुण ने हॉर्न मारा....
"ओये इधर पेशाब मत कर, बाहर कर लेना...."

"अबे मैं...."आगे क्या बोलू कुछ समझ नही आया इसलिए मैं इतना बोलकर चुपचाप बाइक मे बैठ गया....

"दो प्लेट समोसा देना काका..."कॉलेज के मेन बिल्डिंग से 2 कि.मी. दूर कॉलेज का मेन गेट था और उसी के आस-पास बनी दुकानो मे से एक दुकान पर बैठ कर मैने दो प्लेट समोसे का ऑर्डर दिया....

"एक प्लेट बना के देना...मतलब नमकीन, सलाद, तीखी-मीठी चटनी सब डाल देना....और हाँ थोड़ा दही भी डाल देना..."अरुण ने अपनी फरमाइश झड़ी, जिसे सुनकर मैने कहा...

"जब इतना सब कुछ डलवा रहा है तो थोड़ा ज़मीन की मिट्टी भी डलवा लियो..."
"वो तेरे लिए छोड़ी है...."
"थॅंक्स..."
पेट पूजा करने के बाद अरुण ने अपने जेब से 10 का नोट निकालकर टेबल पर ऐसे फैंका जैसे ताश खेलने वाला हुकुम का इक्का फैंकता है.....

"मैं आज भी फेके हुए पैसे नही उठाता हाइईई...."

"ठीक है..."उस 10 के नोट को उठाते हुए अरुण ने कहा"तू ही दे दे मेरा बिल..."

"नही बे मैं तो ऐसे ही अमिताभ बच्चन का डाइलॉग मार रहा था...."और मैने उसके हाथ से 10 का नोट छीन लिया.....
रिसेस मे जब कुछ देर ही रह गयी थी तब मैं और अरुण क्लास की तरफ पहुचे, हम दोनो उस वक़्त खुद को चालाक समझ कर बहुत खुश हो रहे थे कि रिसेस मे होने वाली रॅगिंग से हम दोनो बच गये, लेकिन हमारी चालाकी उस वक़्त दम तोड़ गयी जब बाइक स्टॅंड पर सीनियर्स ने हमे पकड़ लिया.....
"अरमान & अरुण...."सीनियर्स के पुच्छने पर मैने हम दोनो का नाम बताया.....
"तेरा क्या नाम है..."
"अरमान...."
अभी मैने अपना नाम ही बताया था कि हॉस्टिल वाला वो सीनियर वहाँ आ धमका जिसने कल से मुझे परेशान कर रखा था, उसने पहले अपने दोस्तो से हाथ मिलाया और फिर मुझे देखकर अपने दोस्तो से बोला...
"और पहलवान क्या हाल चाल है..."
"सब बढ़िया...."
मेरा इतना कहना था कि उसने कस कर एक थप्पड़ मुझे जड़ दिया, और उसके बाकी दोस्त हँसने लगे.....
"कितनी बार समझाया कि आइ कॉंटॅक्ट मत कर...लेकिन तेरे गान्ड मे बात घुसती ही नही...."
खून का घूट पीकर मैने अपनी आँखे नीचे की, और जब सारे सीनियर्स ने मुझे घेर लिया तो मैं समझ गया कि मेरे साथ कुछ बुरा होने वाला है कुछ बहुत ही बुरा....जिसकी मैने कल्पना तक नही की थी..........
____________________

हमारे भारत देश के संविधान के किसी धारा के किसी अनुच्छेद मे ये सॉफ कहा गया है रॅगिंग अल्लाउ नही है पर वहाँ बिके स्टॅंड पर सब कुछ ग़लत हो रहा था.....मुझसे जाने क्या दुश्मनी थी कि वो हॉस्टिल वाला सीनियर हाथ धो के मेरे पीछे पड़ा हुआ था और उस वक़्त मैं वहाँ बिल्कुल अकेला था....कुछ देर पहले अरुण ने बीच बचाव करने की कोशिश की थी,लेकिन जब अरुण की रोक टोक से सीनियर ज़्यादा परेशान हो गये थे तो उन्होने एक थप्पड़ उसके गाल पर रसीद कर उसे वहाँ से चलता किया और मुझे अपनी बाइक पर बैठा कर वहाँ से दूर कॉलेज ग्राउंड पर ले आए.....
"बाइक से उतरेगा बीसी ,या उतार कर फेकू..."
उस वक़्त मुझे लगा कि काश मेरे पास कोई सूपर पॉवर या कुछ ऐसा होना चाहिए था जिससे मैं इनकी बॅंड बज़ा सकूँ....लेकिन मैं एक नॉर्मल स्टूडेंट था जिसने फर्स्ट अटेंप्ट मे ही इतना शानदार कॉलेज पाया था.......
"मुझे यहाँ क्यूँ लाए हो सर..."बाइक से उतर कर मैं बोला....मेरे सवाल करने से वो और भी भड़क जाएँगे ये मैं जानता था, लेकिन वहाँ चुप खड़ा रह भी तो नही सकता था....इसलिए मैने उनसे मुझे वहाँ लाने का रीज़न पुछा और जैसे कि मेरा अनुमान था मुझे जवाब मे एक थप्पड़ मिला और साथ ही साथ मेरे पीठ पर एक लात और नतीज़ा ये हुआ कि मैं सीधे ग्राउंड पर बिखर पड़ा.....
"ऐसा तो सबके साथ होता होगा..."ये सोचते हुए मैं उठा, और अपने चेहरे की धूल सॉफ करने लगा..

ग्राउंड कॉलेज से थोड़ी दूर मे था और जब कॉलेज लगा हो तो उधर एक्का-दुक्का ही आते थे, लेकिन उस दिन जब मैं अपने चेहरे पर हाथ फिरा कर धूल सॉफ कर रहा था तो मुझे दो-तीन बाइक की आवाज़ सुनाई दी जो समय बीतने के साथ बढ़ती गयी और फिर वो बाइक ग्राउंड मे आकर खड़ी हो गयी, उन बाइक्स पर लड़किया थी और वो वही चुड़ैल थी जो अक्सर कॉलेज के पीछे वाले गेट पर खड़ी होकर गालियाँ बकती थी.....

"7 साल से इंजीनियरिंग. करने वाले उस गधे को भी बुला लो बे, बस उसी की कमी है...."ये मैने खुद से कहा....एक नॉर्मल पढ़ने वाला स्टूडेंट जब ऐसी सिचुयेशन मे फँसता है तो वो अक्सर घबराया हुआ होता है और कुछ का मूत तक निकल जाता है,लेकिन मैं थोड़ा अजीब बिहेवियर कर रहा था और अंदर ही अंदर कॉमेडी करे जा रहा था......

"ये तो वही कॅंटीन वाला है.."एक और बाइक आकर वहाँ खड़ी हो गयी और उस बाइक पर वही 7 साल से इंजीनियरिंग. करने वाला रावण सवार था.....वरुण बाइक से उतरा तो दूसरे सीनियर ने उसे एक सिगरेट दी और सर कहकर उसे विश भी किया.......
"गुड आफ्टरनून सर..."इरादा तो नही था लेकिन फिर भी मैं वरुण से बोला, क्या पता साला खुश हो जाए और मुझे बचा ले....
"यहाँ क्यूँ बुलाया छोटे..."उसी हॉस्टिल वाले सीनियर से वरुण ने पुछा ,जो मुझसे ना जाने किस जनम का बदला ले रहा था.....

"ये वही लड़का है सर, जो बहुत उचक रहा था...आज पकड़ मे आया है...."

"इधर आ..."वरुण ने अपनी दो उंगलियो से मुझे करीब आने का इशारा किया...

"नेम क्या है..."
"अरमान.....फर्स्ट एअर....ब्रांच-मेकॅनिकल....."मैने सब कुछ एक बार मे ही बता दिया क्यूंकी मुझे मालूम था कि उसका अगला सवाल यही होगा....

"ये तो बड़ा स्मार्ट बंदा है छोटे...."

"कुछ नही सर, आप देखो अभी इसकी स्मार्टनेस निकालता हूँ...."फिर उस छोटू ने मुझे वही बैठने के लिए कहा....
"अप...."जब मैं बैठा तब उसने कहा...

मैं खड़ा हो गया तो उसने फिर डाउन बोला....साली पूरी इज़्ज़त की लगी पड़ी थी, वो सब सीनियर लड़किया अपना पेट पकड़-पकड़ कर ठहाके लगा रही थी और इधर उठक बैठक करके मेरी साँसे फहूल रही थी.....

"सबसे बड़ा चूतिया है ये....मैने आज तक इससे बड़ा घोनचू नही देखा..."विभा ने मुझे देखते हुए कहा,

मेरा पूरा शरीर उस वक़्त पसीने से लथपथ था, पाँव दर्द का रहा था....और इसी बीच वो सिचुयेशन आई जब मैं केवल बैठ कर रह गया....दोबारा उठने की हिम्मत ही नही बची थी....

"अबे उठ.....,"वरुण ने विभा का हाथ पकड़ कर उसे अपनी तरफ खींचा और अपने जूते से वहाँ धूल को मेरे चेहरे पर उड़ाता हुआ बोला....

"अब....हिम्मत......नही है.."ज़ोर-ज़ोर से साँस लेते हुए मैने जवाब दिया और एक नज़ारा देखा कि वरुण और विभा के होंठ एक दूसरे से जुड़े हुए थे.....

"देखो सर, ये नही उठ रहा..."

"अबे उठ..."वरुण ताव से बोला"उठ जा वरना नंगा करके दौड़ाउंगा...."
"हाथ लगा के देख तेरी माँ चोद दूँगा..."ताव-ताव मे मैने बोल दिया ,लेकिन उसके अगले पल जब मुझे ख़याल आया कि मैने क्या बोला है तो मैं कुछ देर के लिए शुन्य हो गया और समझ गया कि मेरी ज़िंदगी का सबसे बुरा दिन आज आने वाला है.....

"बेल्ट निकाल, बीसी को इसकी औकात दिखाता हू..."विभा को दूर करके वरुण मेरे पास आया और अपने बड़े-बड़े मज़बूत हाथो से मेरे जबड़ो को पकड़कर दबाते हुए अपने दोस्तो से बोला"अबे बेल्ट दो..."
"सर, छोड़ो उसे....मर जाएगा ये..."
"मरने दे "
"अरे सर छोड़ो उसे..."बाकी सीनियर्स ने वरुण को मुझसे दूर किया और फिर मेरे पास आए...
"चल पुश अप कर..."
"आइ कॅन'ट..."
"तेरा बाप भी करेगा ,साले एमसी"वरुण की आवाज़ आई,

उनलोगो ने मालूम नही क्या प्लान बनाया था कि सभी ने मुझे घेर लिया और फिर पुश अप करने के लिए कहने लगे.....
"एक बात अपनी गान्ड मे ठूंस ले ,यदि तू ज़रा भी रुका तो वही खींच कर एक लात सब मारेंगे...चल अब शुरू हो जा...."
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08-18-2019, 01:20 PM,
#16
RE: Desi Sex Kahani दिल दोस्ती और दारू
वो लोग हद पार कर रहे थे और मैं उस वक़्त यही सोच रहा था कि क्या मैं कल का सूरज देख पाउन्गा ? और यदि मैं कल का सूरज देखूँगा भी तो किस हाल मे ? उस वक़्त मुझे ये भी नही मालूम था कि कल मैं कॉलेज मे रहूँगा
या किसी हॉस्पिटल मे अपने पूरे जिस्म मे पट्टी बँधवा कर पड़ा रहूँगा ?

मैने पुश अप करना शुरू कर दिया लेकिन तभी किसी ने मेरे पैंट का बेल्ट उतारने की कोशिश की और मैं वही रुक गया और खुद को ज़मीन से सटा दिया....

"ये आप लोग...."मैं कह भी नही पाया था कि मेरी कमर पर कसकर कई लात एक साथ पड़े , पूरा शरीर दर्द से कांप उठा और आख़िर मे मेरी आँख से आँसू निकले....धूल के कण मेरे पूरे जिस्म से चिपके हुए थे,...जब लड़को की लातों की बारिश थमी तो उन लड़कियो ने अपनी नोक वाली सॅंडल से मेरी कमर पर दस्तक की और वो पल ऐसा था जिसे मैं आज भी नही भुला सकता....उस दिन ना जाने कितने दिनो बाद मैं रोया था........

"चल फिर शुरू हो जा और याद रखना ,इस बार मत रुकना...."

मैने रोते हुए अपने हाथ ज़मीन से टिकाए और फिर पुश अप मारने लगा, इस बार एक लड़के ने अपने हाथ से मेरे पैंट मे लगी बेल्ट को निकाला और पैंट का बटन खोल दिया.....लेकिन मैं नही रुका क्यूंकी मुझे मालूम था कि रुकने का मतलब फिर से वही मार खाना....पूरे शरीर से बेतहासा पसीना निकल रहा था जिससे ज़मीन पर मेरी छाप बनी हुई थी.....जब मैं पुश अप कर रहा था तो उसी वक़्त विभा ने मेरी पैंट को नीचे खिसका दिया और खिलखिला के हँसने लगी.....

"रुकना मत बे..."
उसके बाद उन्होने मेरी कमर के नीचे के सारे कपड़े उतार दिए और मैं थक हार कर वही लेट कर रोने लगा....वो सब बहुत देर तक वही खड़े हँसते रहे ,मुझे गालियाँ देते रहे और फिर जब उनका मन भर गया तो वो वहाँ से चले गये........

यदि ये सब कॉलेज के अंदर होता तो शायद आज वो सब जैल मे होते,लेकिन ऐसा नही हुआ था....और कॉलेज के बाहर जो कुछ भी हुआ उसकी रेस्पॉन्सिबिलिटी कॉलेज की नही होती....मैं ग्राउंड से उठकर अपने हॉस्टिल की तरफ चला, उस वक़्त मैं अंदर से टूट चुका था...रोते-रोते आँसू ख़तम हो गये थे, आँखे सुर्ख लाल थी.....

ग्राउंड से निकलकर मैं सीधे हॉस्टिल की तरफ बढ़ा, रूम का दरवाज़ा पहले से ही आधा खुला हुआ था,जिसे पूरा खोलकर मैं अंदर घुसा....

"क्या हुआ...."घबराई हुई आवाज़ मे अरुण ने पुछा लेकिन मैं कुछ नही बोला या फिर कहे कि मुझमे कुछ बोलने की हिम्मत ही नही थी ,उस वक़्त यदि मैं कुछ बोलता तो यक़ीनन मैं रो पड़ता...इसलिए मैं उसी हालत मे सीधे जाकर अपने बेड पर लेट गया और अपनी आँखे बंद कर ली....पूरा शरीर दर्द और उन चुड़ेलों के सॅंडल की खरोचो से जल रहा था....

"ये क्या हो गया,...वो भी मेरे साथ...."उस वक़्त ना तो मुझे एश का ख़याल था और ना ही दीपिका मॅम का....उस वक़्त मैं ये भी भूल गया था मेरे भाई ने ये शहर छोड़ने से पहले कुछ नसीहत दी थी, दिल और दिमाग़ मे था तो सिर्फ़ बदला....मैं कुछ बड़ा धमाका करना चाहता था जिसकी चपेट मे आज ग्राउंड मे मौजूद सभी लोग आ जाए....

"कल सबकी माँ चोद दूँगा, फिर जो होगा देखा जाएगा....."कमर बहुत ज़ोर से दर्द कर रहा था,लेकिन फिर भी मैं उठकर बैठ गया....
" तू आराम कर अरमान..."

"बहुत सह लिया इन चूतियो को, तू देख मैं कल इनकी कैसे लेता हूँ...."खड़े होकर मैने कहा और अपना शर्ट उतारने लगा,...
"अबे किस चीज़ से मारा है तुझे..."

"वो पाँचो चुड़ैल सॅंडल पहन कर नाच रही थी ,साली रंडिया...."गुस्से से काँपते हुए मैं बोला और नहाने के लिए वहाँ से सीधे बाथरूम की तरफ की गया.....

उस रात कोई सीनियर हॉस्टिल मे नही आया और उस दिन मुझे हॉस्टिल मे सबसे अजीब जो बात लगी वो ये थी कि भू(बी-एच-यू)उस दिन रात भर किसी से फोन मे बात करता रहा ,वो किसी जुगाड़ की बात कर रहा था.....उस रात नींद मुझसे कोसो दूर थी, मैं बस यही चाह रहा था कि जल्दी से जल्दी सुबह हो और मैं एमकेएल से मिलू....
.
"माँ कसम सुन कर दुख हुआ...."हर रोज़ की तरह वरुण आज भी मुझसे पहले उठा और चाय बनाने के लिए गॅस ऑन करते हुए बोला...."ला दूध की बोतल पकड़ा...."

"अरुण, उधर दूध की बोतल रखी हुई है, ला दे..."

अरुण से मैने दूध की बोतल माँगी थी लेकिन उसने मुझे दारू की बोतल पकड़ा दी और तो और वो बोला कि एक कप चाय मेरे लिए भी बना दे....

"अबे उल्लू , मुझे हनी सिंग समझ रखा है क्या, जो चिप्स मे दारू डालकर खाउन्गा और फिर दोनो हाथ उपर करके उपर-उपर वाला गाना गाउन्गा,..."
"मतलब..."सर खुजाता हुआ वो बोला...

"मतलब की चाय दूध से बनती है शराब से नही...."

"ओह सॉरी ! ध्यान ही नही रहा...."

इसके बाद अरुण ने दूध का बोतल मुझे पकड़ाया और मैने वरुण को,, चाय बनाते हुए वरुण ने मुझसे पुछा....
"तो फिर उसके अगले दिन कुछ धमाका किया ,या एक बार फिर उनसे मार खाया..."

"उसके अगले दिन..."मैं उस वक़्त थोड़ा और सोना चाहता था,लेकिन वरुण को कुछ ज़्यादा ही उत्सुकता थी आगे जानने की ,इसलिए मुझे अपने यादों के समुंदर मे एक बार फिर तैरना पड़ा......
.
"आज क्या बोलेगा उनसे, वो सब तो हर दिन की तरह आज भी वहाँ खड़ी है...."

मैं और अरुण कॉलेज के पीछे वाले गेट से कुछ ही दूरी पर खड़े थे.....वैसे तो एक पढ़ने वाले स्टूडेंट को गालियाँ नही बकनी चाहिए ख़ासकर के लड़कियो को....लेकिन उस कल उन्होने जो कुछ भी मेरे साथ किया था उसने मेरे सारी अच्छी चीज़ो को ख़तम कर दिया था....
"सिगरेट कैसे पीते है, जल्दी से बता..."
"सिंपल...छोटा कश लेना और फिर धुए को अंदर खींच लेना....."
"ला सिगरेट दे, ट्राइ करता हूँ..."
"वो तो नही है...."
"चल कोई बात नही आजा..."कॉलर को मैने उपर किया और उन चुदैलो की तरफ बढ़ा.....पीठ और कमर मे बहुत दर्द था, इसलिए हॉस्टिल से निकलते वक़्त मैं थोड़ा झुक कर और लंगड़ा कर चल रहा था...लेकिन उस वक़्त मैने खुद को स्ट्रेट किया और बिंदास चल मे चलकर उनकी तरफ आया.....जैसे - जैसे मैं उनकी तरफ बढ़ रहा था बीते दिन ग्राउंड का हर एक मोमेंट मेरी आँखो के सामने छा रहा था......
"गुड मॉर्निंग बंदरियो...."
"हुह...."उन पाँचो चुदैलो की नज़र मुझपर पड़ी और विभा बोली"कल का भूल गया क्या,जो आज आ गया..."

मुस्कुराते हुए मैने विभा के चेहरे को देखा और फिर जानबूझकर अपनी नज़र उसके सीने पर टिकाई और अपने होंठो पर जीभ फिराते हुए मैने विभा से कहा....
"साइज़ क्या है तेरे मम्मों को...."

"व्हाट..."उसने मुझे थप्पड़ मारने के लिए अपना हाथ आगे बढ़ाया, तो मैने तुरंत उसका हाथ पकड़ लिया...
"बीसी, अपना हाथ संभाल..."उसे दूर झटका देते हुए मैने कहा....

मेरी इस हरकत से वहाँ सिगरेट पी रही एक लड़की के हाथ से सिगरेट छूट कर ज़मीन पर गिर गयी, जिसे उठाकर मैने एक छोटा सा खींचा जैसा कि अरुण ने बताया था और धुए को उसके फेस पर छोड़ते हुए बोला.....
"एक सिगरेट नही संभाल पा रही है तू , फिर मेरा लंड क्या पकड़ेगी....तुझे नही चोदुन्गा...तू रिजेक्ट...."

मैं जब उन पाँचो को बक रहा था तब शुरू -शुरू मे अरुण दूर खड़ा तमाशा देख रहा था, लेकिन बाद मे वो भी वही आ गया और विभा को देखकर बोला....
"एक बात बता तू, तुझे प्यार करने के लिए वो गधा ही मिला..."और हम दोनो हंस पड़े, अरुण ने बोलना जारी रखा"तेरे उस बाय्फ्रेंड को बेस्ट गधा ऑफ दा यूनिवर्स का अवॉर्ड मिलना चाहिए....साला 7 साल से इंजीनियरिंग. कर रहा है...."

हम दोनो एक बार फिर ज़ोर से हँसे, आज हँसने की बारी हमारी थी, कल जैसे मैं शांत खड़ा सह रहा था आज वही हालत उन पाँचो की थी.....

"सुनो बे रंडियो....दोबारा इधर दिखी तो यही पटक कर रेप कर दूँगा और चूत का भोसड़ा बना दूँगा....चल भाग यहा से...."

"रूको तुम दोनो , आने दो वरुण और उसके दोस्तो को..."एक लड़की ताव मे बोली.....

हम उन चूतिए सीनियर्स की माल को छेड़ा था ,जिससे मामला गरम तो होना ही था...लड़ाई तो होनी ही थी...तो फिर मेरे खास दोस्त अरुण ने सोचा कि जब युद्ध होना ही है तो क्यूँ ना फुल मज़ा ले लिया जाए और उसके बाद मैने ज़मीन से धूल उठाई और सबसे पहले विभा के चेहरे पर लगाया, वो गुस्से से पूरी लाल होकर मुझे घूरती रही,....

"ये उस दिन के समोसे का बदला और कल वाले कांड के लिए....."मैं बोलते-बोलते रुक गया, क्यूंकी हमे बचपन से यही सिखाया जाता है लड़कियो की इज़्ज़त करो उन्हे पूरा सम्मान करो....लेकिन जब लड़किया ही तुम्हारी मारने पर तुली हो तब क्या करना चाहिए ये किसी ने आज तक नही कहा था....
"छोड़ दे बे अरमान वरना यही रो पड़ेंगी ये..."
"जाओ, तुम पाँचो को मैने माफ़ किया, और जिसको बुलाना है बुला लेना....."
______________________

वो पाँचो अपना पैर पटक कर वहाँ से रफ़ा दफ़ा हो गयी और उन पाँचो के जाने के बाद सबसे पहले मैने जो काम किया वो ये था कि खुद को थोड़ा झुका लिया, साला बहुत देर से दर्द सहते हुए स्ट्रेट खड़ा था और फिर कॉलेज के अंदर जाने के लिए जैसे ही मुड़ा तो देखा कि वहाँ आस-पास बहुत से स्टूडेंट्स खड़े होकर हम दोनो को अपनी आँखे बड़ी-बड़ी करके देख रहे है, वो सभी हॉस्टिल मे रहने वाले फर्स्ट एअर के स्टूडेंट्स थे और वहाँ उनमे कुछ लड़किया भी थी....

"अबे ये लोग तो मुझे हीरो समझ रही होंगी...."सिगरेट को दूर फेक कर मैं बोला....

"चल बे, ये मुझे हीरो समझ रही होंगी...क्यूंकी जो किया मैने किया, तूने क्या किया...."

"वैसे एक बात बता..."सहारे के लिए मैने अरुण के कंधे पर हाथ रखा और कॉलेज के अंदर घुसा"वरुण और उसकी दानव सेना से कैसे निपटेंगे...."

"एक कट्टा खरीद लेते है साला और जब जब वो सब हमारी लेने आएँगे हम कट्टा दिखाकर उन्ही की ले लेंगे....क्या बोलता है..."
"कुछ ज़्यादा नही फेंक दिया..."बोलते - बोलते मैं रुका, और क्लास के अंदर चलने के लिए इशारा किया और लंगड़ाते हुए मैं सीएस क्लास के अंदर गया , आज भी अरुण का दोस्त हमसे पहले पहुच चुका था और मुझे देखकर उसने एक झटके मे कह दिया कि "वो नही आई है.."

"साला चूतिया..."मैने उसे गालियाँ बकि,...अरुण का दोस्त था इसलिए सिर्फ़ गालियाँ बकि यदि मेरा दोस्त होता तो जान से मार देता, साला स्लोली-स्लोली भी तो बोल सकता था कि एसा आज भी नही आई, ऐसे एक झटके मे बोल कर हार्ट अटॅक दे दिया साले ने

अपने क्लास मे आकर मैं चुप-चाप बैठ कर सामने क्लीन बोर्ड की तरफ देखने लगा, उस वक़्त जोश-जोश मे तो मैने उन पाँचो को बत्ती दे दी, लेकिन अब मुझे डर लगने लगा था....लेकिन उन सबकी कल की हरक़त से मुझमे इतनी हिम्मत तो आ ही गयी थी कि अब मैं चुप-चाप होकर मार नही खाउन्गा....
"एक मुक्का तो ज़रूर किसी को मारूँगा और वो भी पूरी ताक़त लगाकर...."

"क्या हुआ बे, किसको मारेगा..."

"कुछ नही ,सामने देख सर आ गये है..."

सामने सर को देखकर अरुण जमहाई लेते हुए बोला"ये फिर पकाएगा..."

वो पीरियड बीएमई का था और जो सर उस सब्जेक्ट को पढ़ाते थे उनका नाम मुझे आज तक नही मालूम, बाकी हम लोग उसे किसी भी नाम से बुला लेते थे जैसे कि लोडू, बक्चोद,चोदु,गन्दू एट्सेटरा. वो जब भी क्लास लेने आता तो एक चीज़ जो हमेशा मेरे साथ होती और वो ये थी कि मैं हमेशा गहरी नींद मे चला जाता भले ही मैं 12 घंटे ही सो कर क्यूँ ना आया हूँ......उस दिन भी मैं नींद की आगोश मे सो चक्कर लगा रहा था कि अरुण ने मुझे जगाया....

"क्या हुआ..."अपना मुँह फड़ते हुए मैने पुछा...

"वो लोडू क्वेस्चन कर रहा है, जाग जा..."
"मेरी बारी आएगी तो जगा देना..."
"अबे उठ..."मेरे पैर पर ज़ोर से लात मारते हुए अरुण ने कहा....."थोड़ा बहुत तो रेस्पेक्ट दे बे टीचर्स को..."
.
"इसोतीनल प्रोसेस समझ मे आया किसी को..."उस लोडू ने हम सबसे पुछा और आधी क्लास ने ना मे जवाब दिया....
"कोई बात नही , आगे देखो"
" सर...."एक लड़का खड़ा हुआ "जब यही समझ नही आया तो आगे क्या देखे..."
"घर मे बुक खोल कर पढ़ना यार ,ईज़ी है सब समझ मे आ जाएगा...."
उस लड़के को बैठा कर उस चूतिए ने अपना चूतियापा जारी रखा और मैं फिर लुढ़क गया....जिस लड़के ने अभी कहा था कि "जब यही समझ नही आया तो आगे क्या समझ मे आएगा..."वो ब्रांच ओपनर था, और उसका नाम मैने तो कभी किसी से नही पुछा लेकिन अक्सर डिस्कशन करते समय कुछ लोग उसका नाम शुभम बताते थे......

"आज कौन सा लॅब है..."मैने अरुण से पुछा....
कॉलेज शुरू हुए अभी ज़्यादा दिन नही हुए थे लेकिन इतने ही दिनो मे मुझमे बहुत ज़्यादा बदलाव आ गया था, जहा पहले मैं स्कूल मे टीचर्स की हर बात को बड़े ध्यान से सुनता था वही अब मैं टीचर्स को गालियाँ बकता और हर क्लास मे टाइम पास करता....कॉलेज लगे हुए यूँ तो बहुत दिन नही हुए थे लेकिन इन दिनो मे मैने एक बार भी हॉस्टिल जाकर बुक नही खोला था....मुझे सुबह उठकर फाइल ना ढूँढनी पड़े इसलिए मैने सब सब्जेक्ट की लॅब फाइल अपने बॅग मे डाल कर रखी हुई थी, आलम तो ये था कि जो बॅग मैं कॉलेज से जाकर हॉस्टिल मे फैंकता था वैसा ही बॅग सुबह उठाकर कॉलेज आ जाता और जब भी घर से या बड़े भाई का कॉल आता तो मैं अक्सर यही बोलता था कि स्टडी बढ़िया चल रही है.......

"असाइनमेंट जमा करो...."दीपिका मॅम अपने हाथ मे पेन लेकर चेयर पर सवार हो चुकी थी....

"पहले ये बताओ कि किसने किसने असाइनमेंट खुद से बनाया है...."

ये एक ऐसा सवाल था जिसमे सभी ने अपना हाथ खड़ा किया जबकि एक दो को छोड़ कर शायद ही कोई ऐसा रहा होगा जिसने असाइनमेंट खुद से बनाया होगा.....

"वेरी गुड..."अपने चेहरे पर आए बालो को पीछे करते हुए दीपिका मॅम फिर बोली"अब ये बताओ ,किसने असाइनमेंट नही बनाया...."

मैने पूरी क्लास की तरफ देखा, किसी ने भी अपना हाथ नही उठाया , दीपिका मॅम ने अपना दूसरा सवाल फिर दोहराया और इस बार सिर्फ़ एक हाथ खड़ा हुआ और वो हाथ मेरा था......

"क्यूँ...तुमने असाइनमेंट क्यूँ नही किया...."

"भूल गया मॅम..."मैने सीधा सा जवाब दिया.....

"रिसेस मे तुम मुझसे कंप्यूटर लॅब मे मिलना..."

मैने गर्दन हाँ मे हिला दी और बैठ गया , इस वक़्त मुझे सबसे ज़्यादा गुस्सा अरुण पर आ रहा था क्यूंकी उसने असाइनमेंट कंप्लीट कर लिया और मुझे बताया तक नही......

"क्यूँ बे मुझे क्यूँ नही बताया तूने..."उसके पैर पर जोरदार लात मार कर मैने पुछा....

"मुझे लगा कि तूने कर लिया होगा..."अपने पैर को सहलाते हुए उसने कहा..."अगली बार से बता दूँगा..."

उस दिन दीपिका मॅम का पूरा पीरियड असाइनमेंट जमा करने और चेक करने मे बीत गया, असाइनमेंट चेक करते समय दीपिका मॅम बीच-बीच मे मुझे देखती और कभी-कभी हमारी नज़रें भी टकरा जाती.....जब पीरियड ख़तम हुआ तो दीपिका मॅम ने जाते हुए मुझे एक बार फिर रिमाइंड कराया कि मुझे रिसेस मे उनसे मिलना है......
______________________________

"आज तो बेटा दीपिका मॅम तुझे चोद के रहेगी..."अरुण मेरे मज़े लेते हुए बोला...3र्ड पीरियड शुरू हो चुका था लेकिन टीचर लापता था और तभी मैने अपनी अकल दौड़ाई और नवीन से उसकी बाइक की चाबी माँगी......

"अबे बाहर सीनियर्स होंगे..."अरुण ने कहा और जिसे समझ कर मैं बैठ गया.....

मैने सोचा था कि एक असाइनमेंट कॉपी खरीद कर इस खाली पीरियड मे ही अस्सिगमेंट पूरा कर लूँ और रिसेस मे दीपिका मॅम के मुँह पर असाइनमेंट दे मारू, लेकिन सीनियर्स का नाम सुनकर मेरा पूरा प्लान चौपट हो गया.....

खुद को बाजीराव सिंघम और उसके साथ रहने वाला उसका एक और दोस्त अक्सर फर्स्ट एअर की क्लास के कॉरिडर मे चक्कर मारते रहते थे और जो क्लास भी खाली दिखी वो उसमे घुसकर अपना रोला झाड़ते, उस दिन जब हमारी क्लास खाली जा रही थी तो उसी वक़्त वो दोनो टपक पड़े......उनमे से एक जो खुद को बाजीराव सिंघम कहता था वो अंदर आया और उसके साथ हमेशा कॉलेज के चक्कर काटने वाला उसका दोस्त गेट पर खड़ा होकर निगरानी करने लगा.....बाजीराव सिंघम लड़कियो की तरफ जाकर गप्पे मारने लगा, इसी बीच सब नॉर्मल हो गये और आपस मे बात करने लगे....तभी वो चीखा और सब शांत हो गये....

"क्या है बे ये...सीनियर क्लास मे है और तुम लोग दिमाग़ की माँ-बहन किए जा रहे हो...."लड़को की तरफ आता हुआ वो बोला और फिर उसने मुझे देख लिया"तू खड़े हो, क्या नाम बताया था तूने अपना..."

"अरमान....."

"अरमान...."मुझे उपर से नीचे तक देखते हुए उसने वही कहा जिसकी मुझे आशंका थी"ज़्यादा उड़ी-उड़ी मे रहना बंद कर दे ,वरना....."गेट पर खड़े अपने दोस्त को पास बुलाकर उसने अपने दोस्त के कंधे पर हाथ रखा और फिर बोला....
"ये जो तुम्हारा सीनियर है ना मैं इसका भी बाप हूँ...."उसका इशारा गेट पर खड़े रहने वाले सीनियर की तरफ था...."तो अब सोच ले कि मैं तेरा भी बाप हूँ...."

उसका ये कहना था कि मेरा खून हज़ार डिग्री सेल्सीयस पर खौला, मैने उसे घूर कर देखा....एक बार फिर वही हुआ जो मैने सोच कर रखा है, वो मेरे पास आया और मेरा कॉलर पकड़ कर बोला..
"क्या घूर रहा है , मैं हूँ तेरा बाप..."

"बाप के कॉलर से हाथ हटा..."

ये सबके लिए एक धमाके की तरह था, मेरे मुँह से वो लफ्ज़ सुनकर खुद बाजीराव सिंघम और उसका दोस्त भी धमाके के चपेट मे आ गये....मैने बाजीराव सिंघम के शरीर को देखा और अंदाज़ा लगाया कि यदि हमारी लड़ाई हुई तो रिज़ल्ट बहुत देर तक मे आएगा, मतलब कि हम दोनो बराबर थे......

"तू जानता है कौन हूँ मैं...मैं हूँ बाजीराव सिंघम..."अपना सीना ठोक कर फिल्मी स्टाइल मे वो बोला....

"तू अगर बाजीराव सिंघम है तो मैं हूँ चुलबुल पांडे...अब बोल."

वो शांत हो गया ,और कुछ देर तक मेरी आँखो मे आँखे डाल कर आ जाने क्या सोचता रहा, उसके बाद उसने अपने दोस्त को बुलाया....और मैने अरुण को खड़ा होने के लिए कहा.....उस वक़्त दोनो तरफ दो लोग थे और दोनो ही बराबर लेकिन पलड़ा हमारा भारी था क्यूंकी मैने इसी बीच उन दोनो से कह दिया था कि जब हमारी लड़ाई चलेगी तो उसी समय हमारे क्लास का कोई एक स्टूडेंट जाकर प्रिन्सिपल ऑफीस मे ये न्यूज़ देके आएगा कि मेकॅनिकल फर्स्ट एअर मे कुछ सीनियर्स , जूनियर्स को बुरी तरह पीट रहे है, और प्रिन्सिपल सर मान भी लेंगे....उसके बाद तुम दोनो को कॉलेज से निकाल दिया जाएगा.....तो बेहतर यही है कि अभी क्लास से बाहर चले जाओ वरना कॉलेज से बाहर जाना पड़ेगा........

Reply
08-18-2019, 01:20 PM,
#17
RE: Desi Sex Kahani दिल दोस्ती और दारू
वो दोनो क्लास से बाहर चले गये,लेकिन मुझे यकीन था कि वो दोनो मुझे बाहर ज़रूर पकड़ेंगे और उसी वक़्त मैने अपने दुश्मनो मे उन दोनो का नाम भी जोड़ लिया.....मेरी आज इस दिलेरी की वजह से सबकी नज़र मुझपर होगी ये मैने पहले ही सोच लिया था, और उसी वक़्त मैने खुद से बोला कि"काश एश इस क्लास मे होती तो आज वो मुझसे ज़रूर पट जाती, फिर हम दोनो उसके पैसे पर बाहर खाना खाने जाते, उसके बाद एक ही कोल्ड ड्रिंक मे स्ट्रॉ डाल कर पीते और उसके बाद मैं उसे एक लाल गुलाब देता और वो शर्मा कर कहती कि "अरमान...तुम कितने वो हो...""

"दीपिका मॅम के पास नही जाना क्या...."अरुण की बेसुरी आवाज़ ने मुझे होश मे लाया....
"रिसेस हो गया..."
"5 मिनट. भी हो गये है...."
"तू भी चल ना..."
"तू जा "अंगड़ाई मारते हुए अरुण बोला"मुझे नींद आ रही है.."

मैं अकेले ही अपनी जगह से उठा और क्लास से बाहर जाने लगा तभी अरुण ने आवाज़ दी"संभाल कर कहीं वो तेरा रेप ना कर दे........"

"लड़किया भी रेप करती है क्या..."मैने हँसते हुए अरुण से पुछा
"आज कल की लड़किया कुछ भी कर सकती है...."उसने भी हँसते हुए जवाब दिया.....
"चल ठीक है, मिलता हूँ कुछ देर मे..."
मैं क्लास से बाहर निकल आया, कंप्यूटर लब ग्राउंड फ्लोर पर था और जैसे-जैसे मैं सीढ़िया उतर रहा था वैसे-वैसे ही एक डर, एक शरम मेरे अंदर अपना डेरा जमा रही थी....मैं यही चाह रहा था कि दीपिका मॅम कंप्यूटर लॅब मे अकेली ना हो, उनके साथ कुछ स्टूडेंट्स भी हो.....मैं अपने कॉलेज का शायद एकलौता ऐसा लड़का था जो दीपिका मॅम जैसी हॉट आइटम की करीबी से डर रहा था...

"मे आइ कम इन मॅम..."कंप्यूटर लॅब के गेट के पास खड़े होकर मैने अंदर आने की पर्मिशन माँगी....
"अरमान...कम इन"वो खुश होते हुए इस कदर बोली ,जैसे उसे कब से मेरा इंतेज़ार हो.....उसकी उस हँसी ने मुझे अंदर से डरा दिया और मेरे कानो मे अरुण की आवाज़ गूंजने लगी"संभाल कर ,कही वो तेरा रेप ना कर दे...."

"अरे अंदर आओ, बाहर क्यूँ खड़े हो..."उसने मुझे दोबारा अंदर आने के लिए कहा और मैं बजरंग बली का नाम लेकर जंग-ए-मैदान मे कूद गया....

"आपने मुझे बुलाया था..."जहाँ वो बैठी थी वहाँ जाकर मैं बोला और चारो तरफ नज़र दौड़ाई पूरे लॅब मे उसके और मेरे सिवा सिर्फ़ कंप्यूटर्स थे....

"तुमने असाइनमेंट कंप्लीट क्यूँ नही किया...."अपनी चेयर को मेरी तरफ खींच कर वो आराम से बैठ गयी,

"मस्त पर्फ्यूम लगाई है इस लंड की प्यासी ने..."मैं बड़बड़ाया...

"तुमने असाइनमेंट पूरा नही किया ,क्या मैं जान सकती हूँ कि ऐसा क्यूँ हुआ..."

"सॉरी मॅम, आइ फर्गॉट"
"क्या भूल गये.."
"असाइनमेंट करना भूल गया..."
वो अपनी जगह से उठी और मेरे पीछे खड़े होकर धीरे से बोली" फिज़िक्स लॅब वाली बात तो नही भूले..."

पूरे शरीर का पानी सूख गया और दिल की धड़कने तेज हो गयी ये सुनकर, मेरी ये हालत देखकर दीपिका मॅम की हँसी छूट गयी...
"तुम शरमाते बहुत हो..."मेरे कान पास अपना चेहरा लाकर वो बोली....
"मुझे भी कुछ दिन पहले ही ये पता चला कि मैं एक शर्मिला लड़का हूँ..."
"सो, अब क्या इरादा है..."
"इरादा तो ये है कि मैं आज रात भर असाइनमेंट लिखूंगा और फिर कल सब्मिट कर दूँगा..."दीपिका मॅम के अरमानो पर पानी डालते हुए मैने कहा....लेकिन उसके अगले ही पल दीपिका मॅम ने एक जोरदार धमाका किया....

"मुझे चोदने का विचार है या गे है तू..."खुन्नस मे वो बोली....

मैं एक बार फिर सदमे मे आ गया था, और आज का सदमा उस दिन के फिज़िक्स लॅब वाले सदमे से ज़्यादा बड़ा था....वो मेरे पीछे खड़ी मेरे जवाब का इंतजार कर रही थी और मैं सदमे से बाहर आने की कोशिश कर रहा था......
"पानी मिलेगा...."मैने टॉपिक चेंज करने के इरादे से कहा....
"कौन सा पानी...चूत वाला या बोतल वाला...."
दीपिका मॅम के इन लफ़ज़ो ने मुझे एक बार फिर सदमे मे डाल दिया और मुझे डर लगने लगा कि मुझे कहीं हार्ट अटॅक ना आ जाए....

"मैं एक सरीफ़ पढ़ाई करने वाला लड़का हूँ , मुझे इन सब मे मत फँसाओ...."अपनी इज़्ज़त बचाने के लिए मैने अपनी कोशिश जारी रखी....

"बोल तो ऐसे रहा है ,जैसे कभी मूठ ही ना मारी हो...."वो वापस सामने वाली चेयर पर बैठ गयी और अपने सामने रखे डेक्सटॉप पर कुछ करने लगी.....उसके बाद कुछ देर तक वो उसी मे बिज़ी रही और फिर बोली...
"इधर आओ..."
"किधर..."गला एक बार फिर सूखा...
"मेरे पास..."
लड़खड़ा ते हुए कदमो से मैं दीपिका मॅम की तरफ गया,जहा वो चेयर पर किसी महारानी की तरह बैठी हुई थी, उनके करीब जाकर मैं खड़ा हो गया और कंप्यूटर के स्क्रीन पर नज़र दौड़ाई,दीपिका मॅम ने एक वीडियो प्ले किया , वो वीडियो ऐसा था कि जिसे देखकर मेरे पसीने छूट गये, इस बार तो हार्ट अटॅक ही आ जाता लेकिन मैने खुद को संभाल लिया......
"दिस पोज़िशन आइ लाइक मोस्ट आंड यू..."

जवाब मे मैने अपने होंठो पर सिर्फ़ जीभ फिरा दी,अभी मेरे सामने एक फुल2 न्यूड फक्किंग वीडियो चल रहा था....ये कैसे हो सकता है, कोई टीचर अपने स्टूडेंट के साथ ऐसे बर्ताव कैसे कर सकती है....लेकिन हक़ीक़त तो वही था जो उस दिन लॅब मे मेरे साथ हो रहा था, उम्र के उस पड़ाव पर शायद बहुत सी चीज़े ऐसी थी जिसे जानना अभी बाकी था....

मेरा मन और तन डोलने लगा , सीधे-सीधे शब्दो मे कहें तो जब आपके सामने चुदाई की फिल्म चल रही हो तो लंड अपने आप खड़ा हो जाता है, मेरा भी लंड खड़ा हुआ , जिसे देखकर दीपिका मॅम ने अपने दाँत दिखा दिए....ना चाहकर भी उस वक़्त मैं ये चाहने लगा था कि दीपिका मॅम पहले अपने हाथो से मेरे लंड को सहलाए और फिर अपने मुँह से मेरे लंड को चूसे और उसके बाद किसी स्लट की तरह बोले कि "वाउ, युवर डिक ईज़ सो बिग...."

"किसी लड़की मे तुम्हे सबसे अच्छा पार्ट क्या लगता है...."वीडियो बंद करके दीपिका मॅम मेरे तरफ मूडी...

"मतलब...."मैं जानता था कि दीपिका मॅम के सवाल का क्या मतलब था ,लेकिन फिर भी मैने पुछा....
"मतलब कि चूत,गान्ड ,बूब्स ,लिप्स....."

"बूब्स आंड लिप्स...."मैने जवाब दिया और एक अजीब बात मुझे ये लगी कि,अब मुझे शरम नही आ रही थी.....
"टच माइ लिप्स..."
"किससे टच करूँ हाथ से या फिर होंठ से या फिर ......"

"अभी तो फिलहाल हाथ से मज़ा लो..."
मैने अपनी उंगलियो को दीपिका मॅम के होंठो पर रखा और धीरे-धीरे सहलाते हुए उसके होंठ के अंदर तक ले गया,....ये सब कुछ बहुत अजीब था, मुझे खुद यकीन नही हो रहा था कि मेरी मुरझाई तक़दीर मे एक अप्सरा कैसे आ गयी वो भी बिना कपड़ो के....

"वहाँ भी हाथ फिरा लूँ..."मेरा इशारा उसके मस्त बड़े-बड़े बूब्स की तरफ था,...दीपिका मॅम ने अपने सीने को एक बार देखकर बोली...
"ये सब पुछा नही जाता...."
"देन ओके..."और मेरे काँपते हुए हाथ उसके सीने से जा चिपके और ऐसे चिपके की छोड़ने का नाम ही नही ले रहे थे, लंड पैंट को फाड़ कर बाहर निकलने के लिए बेताब था तभी खड़े लंड पर ज़ोर से हथौड़ा मारते हुए दीपिका मॅम ने कहा...
"अब तुम जाओ..."

दुखभरे मन से मैने दीपिका मॅम की छातियों को देखा ,जिनसे मेरे हाथ चिपके हुए थे , मैं मासूमियत भरी आवाज़ मे बोला"एक बार इन्हे दबा लूँ..."

"तुम अब जाओ...."हंसते हुए उसने मेरे हाथ को दूर किया और मुझे तुरंत वहाँ से जाने का इशारा किया.....

"61-62 करना पड़ेगा अब..."कंप्यूटर लॅब से बाहर निकल कर मैं खुद पर झल्लाया और बाथरूम की तरफ चल दिया, आज कयि धमाके एक साथ हो चुके थे, पहले मैने उन पाँचो चुदैलो को बत्ती दी, फिर बाजीराव सिंघम और उसके दोस्त को और उसके बाद कंप्यूटर लॅब वाला धमाका.....लेकिन एक और धमाका बहुत जल्द होने वाला था और ये धमाका सबसे बड़ा भी था........

"मुझे मालूम चल गया है कि एश कॉलेज क्यूँ नही आ रही कुछ दिनो से...."मूठ मारने के बाद मरा सा मुँह लेकर मैं क्लास मे घुसा ही था कि अरुण बोला....

"क्यूँ....?"मैने अरुण की तरफ देखा....

अभी तक मैं यही समझ रहा था कि शायद उसके घर मे कोई काम होगा, या फिर उसकी तबीयत खराब होगी या हल्का फूलका बुखार होगा, ये भी हो सकता है कि वो अपने किसी रिश्तेदार से मिलने कहीं बाहर गयी हो और इसी वजह से वो कॉलेज ना आई हो, लेकिन अरुण ने धमाका करके मेरे दिमाग़ को शुन्य कर दिया, उसने एश के कॉलेज ना आने का जो रीज़न बताया ,उसे सुनकर यकीन ही नही हुआ और मैने अरुण से एक बार फिर पुछा....
"क्या बोला तूने मैने सुना नही..."

"एश ने स्यूयिसाइड करने की कोशिश की थी......"

मुझे फिर भी यकीन नही हुआ और ये सोचकर कि मैने ग़लत सुना होगा मैने एक बार और अरुण से पुछा...
"क्या..."
"एश ने स्यूयिसाइड करने की कोशिश की है..."

तीन बार से मैं लगातार वही सवाल पुछ रहा था और अरुण मेरे उन सवालो का एक सा जवाब दे रहा था....उस वक़्त कुछ हुआ ,कुछ अलग सा ही हुआ,कुछ अलग सा ही अहसास हुआ....मैं वहाँ से दौड़ते हुए सीधे कॉलेज से बाहर आया बिना ये सोचे हुए भी कि मुझे जाना कहाँ है, बिना ये सोचे कि सीनियर्स मुझे पकड़ सकते है और मेरा कचूमर बना सकते है....कॉलेज के मेन गेट से मैं निकला ही था कि मेरी नज़र उस एक पेड़ पर पड़ी जिस पर रंग बिरंगे फूल लगे हुए थे....वो वही पेड़ था, वहाँ उस वक़्त हवा भी वही बह रही थी ,जो रोजाना बहती थी , कॉलेज भी वही था और उसमे पढ़ने वाले स्टूडेंट्स भी वही थे...सूरज आज भी पूरब से निकल कर अपनी मंज़िल की तरफ बढ़ रहा था, लेकिन जब से एश के स्यूयिसाइड की खबर सुनी तो उस एक पल मे जैसे पूरी दुनिया बदल गयी हो, रंग-बिरंगी धरती जैसे अकल के कारण सुख गयी हो, ऐसा लगने लगा था मुझे उस वक़्त....लोग मेरे सामने से आते और चले जाते, उस वक़्त यदि कोई मुझपर लात-घुसो की बरसात भी कर देता तो मैं उसे सिवाय देखने के कुछ नही करता......

"अरुण...नवीन..."मैने ये दो नाम लिए, जो मेरे खास दोस्त थे ,

"कहाँ जा रहा है..."पीछे से मेरे खास दोस्त अरुण ने आवाज़ दी, वो भी मेरे पीछे-पीछे आ गया था बिना ये जाने उसे जाना कहाँ है....
"एश किस हॉस्पिटल मे है...."

मेरी घबराहट को अरुण पहचान गया और मेरी बेचैनी को समझकर वो बोला"ये तो मुझे नही मालूम...."
"तुझे किसने बताया कि एश ने स्यूयिसाइड करने की कोशिश की है...."

"क्लास मे कुछ लड़के बात कर रहे थे, जिसे मेरे दोस्त ने सुन लिया और फिर मुझे खबर दी...."

इस वक़्त एश से मिलने का बहुत दिल कर रहा था , लेकिन उससे मिलूं भी तो कैसे ,यदि मैं उससे मिला भी तो मैं क्या कहूँगा...कि मैं यहाँ क्यूँ आया, किसलिए आया किस हक़ से आया.....दिल मे हज़ार गोलिया फाइयर करके मैने वहाँ से वापस अपनी क्लास मे जाने का सोचा....

कॉरिडर मे अब भी स्टूडेंट्स बाहर थे, कुछ टहल रहे थे तो कुछ ग्रूप बनाकर बाते कर रहे थे, वहाँ मुझे अरुण का वो दोस्त भी दिखाई दिया जो एश की क्लास मे था.....

"सुन ना यार...."मैने अरुण के दोस्त को बुलाया और उस साले ने मेरी दुखती रग पर हाथ तो रखा ही साथ ही साथ हथौड़ा मारते हुए बोला...

"अरमान तुझे मालूम चला या नही....एश ने स्यूयिसाइड करने की कोशिश की है...."

"हां मालूम है...कोई वजह मालूम चली कि उसने ऐसा क्यूँ किया..."

"प्यार, मोहब्बत का चक्कर है दोस्त....तू भूल जा उसे..."

जितनी आसानी से उसने मुझे कह दिया उतनी आसानी से मैने उसकी बात को एक कान से सुनकर दूसरे कान से निकाल दिया और उससे पुछा कि एश किस हॉस्पिटल मे है....

"मालूम नही....लेकिन कॉलेज ऑफ होने तक किसी से पुछ्कर तुझे बता दूँगा...."

"थॅंक्स , अब चलता हूँ..."
"चल बाइ..."
वहाँ से मैं सीधे अपनी क्लास मे आकर बैठ गया ,ये सोच सोच कर दिल फटा जा रहा था कि एश ने किसी के प्यार मे अपनी जान देने की कोशिश की है....

"वो उसे बहुत प्यार करती है ,इसका मतलब मैं और मेरे अरमानो के लिए उसके दिल मे कोई जगह नही...."मैं उस वक़्त खुद से ही सवाल जवाब किए जा रहा था....

"लेकिन उस दिन क्लास मे तो वो मुझे देख रही थी...."मैं उस वक़्त झूठ को सच और सच को झूठ साबित करने पर लगा हुआ था, उस वक़्त मुझे ज़रा भी ख़याल नही था कि फिज़िक्स वाले सर क्लास मे आ चुके है....

"हे, तुम..."
"हाऐईयईईन्न...."अरुण ने मुझे नोंचा तो मैं होश मे आया....

"क्या हाई हाईीन लगा रखे हो, पढ़ना है तो चुप चाप रहो वरना बाहर जाओ..."

"बीसी मैने एक शब्द भी नही बोला..."उस फिज़िक्स वाले कुर्रे सर को देखकर मैने खुद से कहा.....

"आप फिज़िक्स के खिलाफ नही जा सकते..."जब किसी ने अपने दिमाग़ का थियरी कुर्रे सर को सुनाया तो उसे यही जवाब मिला....ये जवाब सिर्फ़ उसे ही नही बल्कि कयि और भी स्टूडेंट्स को मिला...जब भी कोई उल्टा सीधा सवाल करता तो कुर्रे सर उस पर अपना ब्रह्मास्त्र छोड़ कर कहते कि "आप फिज़िक्स के खिलाफ नही जा सकते...." और फिर सब शांत हो जाते....क्वेस्चन तो मेरे दिमाग़ मे भी था लेकिन उस वक़्त मैं नही पुछ पाया शायद एश की वजह से......कुर्रे सर की भी एक अजीब और बड़ी घटिया आदत थी वो क्लास ख़तम होने के कुछ देर पहले एक-एक स्टूडेंट से उस दिन जो पढ़ाया गया उसे बताने को कहते...जो बता देता वो बैठ जाता था लेकिन ना बताने वाले को कुर्रे सर फिज़िक्स डिपार्टमेंट मे बुलाते और वहाँ , इज़्ज़त की धज्जिया उड़ाते....

"तुम बताओ...."
मैं चुप चाप खड़ा हुआ और दिमाग़ को परत दर परत खोल कर देखने लगा कि मैं इस बारे मे कुछ जानता हूँ या नही.....थियरी ऑफ रेलेटिविटी के टॉपिक मे मैं वर्जिन था लेकिन कुछ दिन पहले मैने किसी न्यूज़ पेपर मे कुछ पढ़ा था और जो पढ़ा था वही कुर्रे सर के उपर दे मारा.....

"सर, मेरा एक सवाल है...कुछ दिन पहले मैने पढ़ा था कि कुछ पार्टिकल ऐसे भी है जिनकी वेलोसिटी लाइट के वेलोसिटी से भी तेज है और यदि ऐसा है तो फिर आइनस्टाइन का प्रिन्सिपल ग़लत हो गया , आप क्या कहते है इस बारे मे...."

"आइनस्टाइन हो या कोई आम आदमी , कोई भी फिज़िक्स के नियमो के खिलाफ नही जा सकता...बैठ जाओ..."
"थॅंक यू सर "

Reply
08-18-2019, 01:21 PM,
#18
RE: Desi Sex Kahani दिल दोस्ती और दारू
उस दिन बहुत से स्टूडेंट्स कुर्रे सर के लपेटे मे आ गये...मैं चाहता था कि अरुण भी उस लपेटे मे फस जाए लेकिन साला होशियार निकला और जब कुर्रे सर ने उसे खड़ा किया तो लंबा चौड़ा भाषण उसने दे डाला.....
"बड़े ध्यान से सुन रहा था कुर्रे का बोरिंग लेक्चर....."
"मतलब...."
" उसका लेक्चर सुने बिना तू इतना सब कैसे बोल सकता है..."
"ये सब तो पहले से मालूम था मुझे..."कंधा उचका कर वो बोला....
.
"मैं आज ड्रॉयिंग की क्लास अटेंड नही करूँगा...." अपना बॅग बंद करते हुए नवीन ने हम दोनो से कहा....
"क्यूँ जाके गान्ड मरवाना है..."
"लवदे..."अरुण को एक हाथ लगाकर नवीन ने कहा "जब देखो तब गाली भरे रहता है मुँह मे...."
"तू उसको हटा और ये बता कि आज ड्रॉयिंग की क्लास क्यूँ छोड़ रहा है....सुना है बहुत हार्ड सब्जेक्ट है ये..."मैं नही चाहता था कि वो वहाँ से जाए , क्यूंकी नवीन के साथ रहने से क्लास बोरिंग नही लगती थी...
"भैया आ रहा है घर से और 3 बजे उन्हे रेलवे स्टेशन लेने जाना है,..."
"जब काम 3 बजे है तो फिर अभी से क्यूँ जा रहा है,..."
"बस जा रहा हूँ....रूम की सॉफ-सफाई भी करनी है ,वरना भाई रूम मे आकर मेरा हाल-चाल बाद मे पुछेगा उससे पहले मुझे बोलेगा कि चल पहले रूम सॉफ कर..."
"आज तेरे रूम पर ही रुकने का प्लान है क्या उनका...."मेरे अंदर एक अलग ही ख्छिछड़ी पाक रही थी जिसमे मिर्च मसले डालते हुए नवीन बोला...
"नही, 4 बजे उनकी ट्रेन है..."
"आज रात मैं तेरे रूम पर रुकुंगा...."
"क्यूँ..."मेरे एकदम से कहने पर नवीन थोड़ा चौक सा गया,
"क्यूँ बे, तू आज उसके रूम पर क्यूँ रुकेगा...."अरुण ने मुझे बीच मे टोका...
"काम है कुछ..."
"गे गे गे गे..."एक धुन मे गाते हुए अरुण ने कहा....
"आक्च्युयली मैं सोच रहा था कि एसा जिस हॉस्पिटल मे है, वहाँ जाकर उसे देख आउ..."
"नवीन, लौंडा तो गया हाथ से..."मुस्कुराते हुए अरुण ने कहा"फिर मैं भी चलता हूँ..."
फिर क्या था हम तीनो ने अपना बॅग उठाया और निकल पड़े नवीन के रूम की तरफ....रास्ते भर मैने प्लान बनाया की मुझे हॉस्पिटल जाकर आक्च्युयली करना क्या है, लेकिन फिर याद आया कि हमे तो उस हॉस्पिटल का नाम तक नही मालूम जिसमे एश अड्मिट है.....
"अबे तू किसलिए मेरे साथ आया है..."बाइक पर बैठे हुए ही मैने कोहनी से अरुण को मारा....
"तेरे साथ उस हॉस्पिटल मे जाउन्गा ,जहाँ एश अड्मिट है..."
"घंटा जाएगा , पहले ये तो मालूम कर कि एश है किस हॉस्पिटल मे...."
कॉलेज से नवीन के रूम पहुचने मे सिर्फ़ आधा घंटा लगा,इधर नवीन रूम की सफाई मे लग गया और उधर मैं और अरुण उसके बिस्तर पर किसी महाराजा की तरह सवार होकर अपना प्लान बनाने लगे........
"भू को कॉल करता हूँ...."अरुण ने अपना मोबाइल निकालते हुए कहा.....भू भी एश के पीछे पड़ा हुआ था इसलिए अरुण ने सोचा कि शायद उसे कुछ मालूम हो और हमारा दाँव एक दम फिट बैठा, उस साले भू को मालूम था कि एश कहाँ अड्मिट है....
"काम हो गया...."कॉल डिसकनेक्ट करके अरुण ने कहा....
"कहाँ है वो और किस हालत मे है..."
"अपोलो मे है...."
"चल जल्दी से चलते है वहाँ...."मैं बिना कुछ सोचे समझे जाने के लिए उठ खड़ा हुआ, तभी नवीन जो रूम की सॉफ-सफाई मे लगा हुआ था वो बोला
"हेलो...किधर.."
"अपोलो..."
"बेटा ,अभी जाना है तो ऑटो मे जाओ ,क्यूंकी 3 बजे भाई को लेने रेलवे स्टेशन जाना है और वैसे भी अपोलो 2 कमरो का कोई छोटा हॉस्पिटल नही है जो मुँह उठा के पहुच गये...बेटा अंदर घुसने के लिए आइडी कार्ड लगता है....."हम दोनो के बढ़ते कदम वही रुक गये और अरुण के हाथ से नवीन ने बाइक की चाबी छीन कर कहा"पिछवाड़े मे लात मार के बाहर करेंगे वहाँ का सेक्यूरिटी गार्ड्स...."
"तो अब क्या करे...."
"4 बजे तक रुक ,भाई को रेलवे स्टेशन छोड़ने के बाद मैं भी साथ मे चलूँगा...."
उस दिन नवीन के भाई ने 1 घंटे बुरी तरह से बोर किया और नवीन के रूम को सॉफ देखकर खुश भी बहुत हुए, और जाते जाते हम तीनो को ठीक से पढ़ने की नसीहत भी दी, 4:30 बजे के लगभग नवीन रेलवे स्टेशन से वापस रूम पर आया और हम तीनो अपोलो हॉस्पिटल के लिए निकल पड़े......
"ले आ गया अपोलो , अब बोल अंदर जाने का क्या जुगाड़ है..."नवीन जब बाइक पार्क करके आया तो मैने उससे पुछा....
"मेरे इधर के अंकल यहाँ अड्मिट है, उनको बाहर बुलाता हूँ...."कहते हुए नवीन ने मोबाइल निकाला और फिर अपने अंकल से बात की,...कुछ ही देर मे नवीन के अंकल बाहर आए, नवीन और उसके अंकल ने कुछ देर ही हेलो जैसी कयि पकाऊ बाते की और फिर हमे दो कार्ड देकर बोले कि तुम तीनो मे से सिर्फ़ दो लोग ही अंदर जा सकते हो....जाना तो तीनो को था इसलिए हम तीनो एक दूसरे का मुँह तकने लगे कि कौन अपनी कुर्बानी देगा....लेकिन जब कोई फ़ैसला नही हुआ तो अंकल ने हम तीनो को कुछ देर रुकने के लिए कहा और फिर जुगाड़ करके एक और आइडी कार्ड लेकर आए....
"नवीन, अपने अंकल से पुच्छ के देख कि ये एश को जानते है कि नही...."
"चूतिया है क्या...."
"तू चूतिया, तेरा बाप....."इसके आगे मैने कुछ नही बोला और थोड़ी डोर खड़े नवीन के अंकल के पास गया, जो किसी से बात कर रहे थे.....
"अंकल, हमारे कॉलेज की एक लड़की ने स्यूयिसाइड करने की कोशिश की है,...उसे आप जानते है क्या....."
"एश......"
"ओ तेरी "अंदर ही अंदर खुश होते हुए मैने नवीन के अंकल से कहा"हाँ वही, जब यहाँ आए है तो सोचा कि उससे भी मिल लूँ...."
"वो मेरे करीबी दोस्त खुराना की एकलौती बेटी है , एश की स्यूयिसाइड की खबर सुनकर मुझे भी दुख हुआ था, लेकिन अब वो ठीक है और यदि उससे मिलना चाहते हो तो 125 रूम नंबर. मे जाओ"
"थॅंक यू अंकल"
वहाँ से खुशी-खुशी मैं अरुण और नवीन के पास आया और उन्हे रूम नो. 125 मे चलने के लिए कहा,..
________________________

गये थे बड़े आशिक़ बनकर, सोचा था किसी ना किसी बहाने उससे बात कर ही लूँगा , फिर उसका हाल चाल भी पुच्छ लूँगा, लेकिन ऐसा कुछ भी नही हुआ और ना ही इसके आस-पास कुछ हुआ.... जिस रूम मे एश अड्मिट थी , हम तीनो उस रूम के बाहर चुप चाप खड़े अंदर झाँक रहे थे क्यूंकी अंदर झक्क मार के झाँकने के सिवा हम तीनो या फिर कहे कि मैं कुछ कर भी नही सकता था, क्यूंकी जो काम मुझे करना था वो रूम. नंबर. 125 मे कोई और कर रहा था, जिन अरमानो की गठरी बनाकर मैं यहाँ आया था वो खुल कर जिस रूम मे एश अड्मिट थी उसके बाहर बिखर चुकी थी , कानो मे एक बार फिर वही आवाज़ गूँजी जिसे मैं सुनना नही चाहता था, जिसे मैं बर्दाश्त नही कर सकता था....."प्यार ,मोहब्बत का चक्कर है भाई, तू उसे भूल जा...." उस वक़्त अरुण भी चुप था और नवीन भी चुप चाप खड़ा था.....रूम के अंदर एश एक लड़के से बात कर रही थी, एश की आँख मे आँसू थे और उस लड़के की आँख भी हल्की नम थी, दोनो साले मेरी लव स्टोरी की धज्जिया उड़ा कर अपने लिए फॅमिली प्लॅनिंग कर रहे थे.....जिस लड़के ने एश का हाथ पकड़ रखा था उसे मैने कॉलेज मे शायद काई बार देखा था, और यदि मेरा अंदाज़ा सही था तो वो यक़ीनन मेरा सीनियर है......

"इसका नाम गौतम है और ये सेकेंड एअर मे है...."नवीन ने धीरे से कहा, लेकिन यदि वो ज़ोर से भी कहता तो कोई फरक नही पड़ता क्यूंकी वहाँ हमे सुनने वाला कोई नही था, जो बीमार थे वो तो अलॉट हुए रूम मे ही पड़े थे और जो उनके करीबी थे वो या तो अपने करीबी के साथ रूम मे थे या फिर बाहर की हवा खाने के लिए बाहर गये हुए थे...उस वक़्त हम तीनो रूम नंबर. 125 की खिड़की से अंदर देख रहे थे, हम तीनो ने देखा कि उस लड़के ने एश का हाथ अपने दोनो हाथो से थाम लिया और कुछ बोलने लगा...जिसे सुनकर एश की आँखे खुशी से छलक उठी....

उस वक़्त आँखो मे आँसू उसके भी थे ,उस वक़्त दिल मेरा भी रोया था.....उस वक़्त अपने प्यार के सामने वो भी चुप थी ,उस वक़्त अपने प्यार के सामने चुप मैं भी था....उसके बगैर जीने की आदत ना तो उसे थी और उसके बगैर जीना मेरा भी मुश्किल था......

धीरे-धीरे मेरे कदम खुद बा खुद बाहर के लिए चल पड़े, अब सिचुयेशन बिल्कुल अलग थी, जहाँ कुछ देर पहले तक मैं यहा आने के लिए मरा जा रहा था वही अब मैं जल्द से जल्द यहाँ से दूर जाना चाहता था,जहाँ कुछ देर पहले मेरा दिल उसके दीदार के लिए उछल-उछल कर बेतहाशा हुआ जा रहा था वही अब मेरा दिल हताश होकर शांत बैठ गया था....हॉस्पिटल से बाहर आते वक़्त मैने कयि लोगो को देखा, लेकिन फिर भी ना जाने क्यूँ ऐसा लग रहा था कि मैं वहाँ ,उस बड़े से आलीशान हॉस्पिटल मे बिल्कुल अकेला हूँ....कोई यदि वहाँ धीरे से भी कुछ बोलता तो उसकी आवाज़ जोरो से मेरे कानो मे चुभति....मुझे उस वक़्त ऐसा लगने लगा था जैसे की मैं बरसो से उस जगह क़ैद हूँ और वहाँ से निकलने की कोशिश कर रहा हूँ.......
"अरमान....."मेरे कंधे को पीछे से पकड़ कर अरुण ने मुझे ज़ोर से हिलाया...."कहाँ जा रहा है...."
"बाहर...."अपने चारो तरफ देखते हुए मैने अरुण से कहा,"क्यूँ कुछ हुआ क्या..."
"ये बाहर का रास्ता नही है...सामने देख तू उस रूम की तरफ जा रहा है जहाँ अनाथ डेथ बॉडीस को रखा जाता है...."
अरुण सच कह रहा था, मेरे सामने कुछ दूरी पर वही रूम था, मेरा सर घूमने लगा और उसके बाद आँखो के तार सुस्त पड़ने लगे मैं उस वक़्त सोना चाहता था और मेरे मन मे ना जाने क्या सूझा जो मैं उसी रूम की तरफ चल पड़ा जहाँ मरे हुए लोगो के शरीर को रखा जाता था....मेरा दिमाग़ मेरे काबू मे नही था....मैं बस सोना चाहता था....
"अबे रुक,..."नवीन और अरुण ने मुझे पकड़ा लेकिन मैं उन्हे घसीटते हुए आगे बढ़ने लगा.....
"वत्फ़, बीसी मरवाएगा हमे..."अरुण मेरे कान के पास चिल्ला कर बोला और अचानक ही मैं होश मे आया.....
"मुझे क्यूँ पकड़ के रखा है बे..."उन दोनो को घूरते हुए मैने कहा,....
नवीन कुछ कहना चाहता था, लेकिन अरुण ने उसे इशारा करके शांत कर दिया और खुद बोला...."कुछ नही चल यहाँ से....

जहाँ एक तरफ एश ने स्यूयिसाइड करने की कोशिश की थी वही मेरे और एश के प्यार ने भी, जो कि शुरू तक नही हुआ था, स्यूयिसाइड करने की कोशिश की.....वो दिन मुझे आज भी याद है जब मैं बहक कर उस काले रूम की तरफ जा रहा था....इंजिनियर था इसलिए छोड़ दिया वरना यदि डॉक्टर होता तो दिमाग़ निकालकर उसमे मेरे उस दिन के बिहेवियर का रीज़न ढूंढता........
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08-18-2019, 01:21 PM,
#19
RE: Desi Sex Kahani दिल दोस्ती और दारू

"मंदिरो मे तुझको पाने की लाख मन्नते भी कर लेता मैं....
यदि मिल जाती तू मुझको.....
मस्जीदो मे बैठ कर सुबह-शाम आदाब भी कर लेता मैं....
यदि वहाँ दिख जाती तू मुझको....
बड़ी दिलकश और दिल्चश्प निकली तेरी गम-ए-जुदाई.....
ना तू मिली और ना ही मैं मंदिर गया.....
ना तू दिखी और ना ही मैं मस्जिद गया.....
लेकर हाथो मे पैमाना तेरे इश्क़-ए-शराब का....
मैं वापस महफ़िल मे आकर बैठ गया......
"थोड़ा बरफ डाल, साला बहुत कड़वा है...."वरुण ने अपनी ग्लास खाली करके कहा"ये क्या बे, तू तो सेनटी कर रहा है मुझको अपने ये स्टोरी सुनकर, खैर आगे सुना..."
.
.
उसकी और मेरी मोहब्बत की बड़ी अजीब दास्तान है...
उधर ना उसका दिल खिला , इधर मेरा दिल भी रेगिस्तान है.....
उस दिन ना जाने मुझे क्या हो गया था , एश को गौतम के इतने करीब देखकर मैं अपना आपा खो बैठा था...उस दिन मैं नवीन के रूम पर नही रुका, अरुण का बहुत मन था लेकिन मेरी वजह से , मेरे हॉस्टिल वापस आने की ज़िद की वजह से नवीन ने मुझे और अरुण को शाम के समय हॉस्टिल छोड़ दिया....
"आइ वॉंट टू नो मोर अबाउट देम की उनका रिलेशन्षिप कब से और कैसे शुरू हुआ था...."हॉस्टिल के अंदर घुसते ही मैने अरुण से कहा....
" मैं सबकी जनम कुंडली लेकर नही बैठा हूँ, जो तू सबके बारे मे मुझसे पूछता फिरे...."अरुण खिसिया कर बोला....
"कुछ जुगाड़ नही है..."
"सॉलिड जुगाड़ है....यहाँ से कुछ दूरी पर दारू भट्टी है वहाँ से एक बोतल ला और पीकर एश और अपनी बेमतलब की लोवे स्टोरी का दा एंड कर दे....समझा..."
"सीधे-सीधे बोल ना कि तेरी फट गयी है..."
"जैसा तू समझ...."
मैं समझ गया था कि अरुण नाराज़ है और उसकी नाराज़गी की वजह शायद ये थी कि मैं ना तो खुद नवीन के रूम मे रुका और ना ही उसे रुकने दिया...
"अरमान का रूम यही है क्या..."मैं अपने बिस्तर पर और अरुण अपने बिस्तर पर लेटा हुआ था ,तभी मुझे ये आवाज़ सुनाई दी, मेरे रूम के बाहर कोई था जो मेरे बारे मे पुछ रहा था, मैं खुद बाहर जाने के लिए उठा ही था कि दनदना के तीन सीनियर्स मेरे रूम मे आ धम्के....
"तुम दोनो मे से अरमान कौन है..."
"मैं हूँ..."मैने उनसे कहा और अंदर ही अंदर शपथ ले ली कि यदि ये कुछ उल्टा सीधा करेंगे तो मैं बिना कुछ सोचे इनसे भिड़ जाउन्गा......
"इसे पहचानता है..."उन तीनो मे से एक के हाथ मे एक फोटो थी ,जिसे दिखा कर वो मुझसे पुछ रहे थे...उनके हाथ मे उसी शक्स की फोटो थी जिसने वरुण और उन पाँच चुदैलो के साथ मिलकर मेरी रॅगिंग ली थी.....
"हां...."
"इसने वरुण के साथ मिलकर तेरी रॅगिंग ली थी...."
"निशान अभी तक मेरे पीठ मे है...."
"तू सुन..."एक ने मेरे कंधे पर हाथ रखा और मेरी तरफ देख कर बोला"ये साला सबसे बड़ा चूतिया है और वरुण उससे भी बड़ा, एक सीनियर हॉस्टिल वाला जूनियर हॉस्टिल वाले की रॅगिंग ले तो वो चलता है क्यूंकी हॉस्टिल वाले सीनियर का ये जन्मसिद्ध अधिकार है....लेकिन यदि कोई सिटी वाला हॉस्टिल वाले की रॅगिंग ले तो फिर उनकी बॅंड बजानी पड़ती है....इसको तो हमने बहुत मारा , अब ये तेरे पास भूल के भी नही भटकेगा और रही बात वरुण की ....तो कल सुबह रिसेस मे बाइक स्टॅंड पर मिलना....."
"थॅंक यू सर...."मैं खुशी खुशी नाचना चाहता था,लेकिन मैने खुद को कंट्रोल किया....
"एक बात बता..."वापस जाते हुए उनमे से एक ने कहा"तूने आज उन पाँचो चुदैलो को छेड़ा था क्या..."
"हल्का सा मज़ाक किया था उनके साथ...लेकिन आपको किसने बताया..."
"मुझे किसने बताया वो छोड़ और यदि वो कल कॉलेज के पीछे वाले गेट के पास दिखे तो हल्का मज़ाक नही थोड़ा ज़्यादा कर लेना...."
"अरुण ये कौन था...."उन तीनो के जाने के बाद मैने अरुण से पुछा....
"अबे इसको नही जानता..."
"ना...कौन है..."
" वरुण का सबसे बड़ा दुश्मन , सामने का नाम नही मालूम लेकिन इसका सरनेम सीडार है और सब इसे सीडार ही कहते है....."
सीडार को हॉस्टिल मे रहने वाले मशीहा के नाम से भी पुकारते थे...कहते है कि जब सीडार फर्स्ट एअर मे था तो उसकी किसी सीनियर ने जम कर रॅगिंग ली थी, लेकिन उसके बाद उसने एनएसयूई का एलेक्षन जीता और सारे कॉलेज मे हाइलाइट हुआ और जब वो थर्ड एअर मे आया तो जिस सीनियर ने उसकी रॅगिंग ली थी उसे उसने कुत्तो की तरह मारा था.....अब वो फोर्त एअर मे था और हॉस्टिल के स्टूडेंट्स को परेशान करने वालो की खटिया खड़ी कर देता था.....हॉस्टिल वालो की यूनिटी का सबसे बड़ा पहलू शायद सीडार ही था.....लेकिन कुछ चूतिए रहते है जो खुद को तीस मार ख़ान समझ कर होशियारी मारते है....मेरी रॅगिंग हॉस्टिल के जिस सीनियर ने ली थी वो भी उन चूतियो मे से था और हमेशा सीडार के खिलाफ जाता था , यदि वरुण के साथ मिलकर उसने मेरी रॅगिंग ना ली होती तो शायद सीडार उसे छोड़ भी देता और बात दब भी जाती....लेकिन जब मैने कल उन 5 चुदैलो को छेड़ा तो वो पूरे कॉलेज मे गॉसिप का मॅटर बन गया और वही से ग्राउंड पर मेरी रॅगिंग की खबर सीडार को लगी......

एक बार फिर से मुझे कल का इंतजार था, मैं चाहता था कि एक बार फिर से वो पाँचो चुड़ैल कॉलेज के पीछे वाले गेट के पास खड़ी रहे और मेरी मुलाकात उनसे हो जाए......
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उस दिन की बात ही अलग थी, दो शेर आमने सामने थे, फरक सिर्फ़ इतना था कि एक असलियत का था तो दूसरा प्लास्टिक का बेजान.....एक शेर तो मैं था और दूसरा शेर वो पाँचो चुड़ैल खुद को मान रही थी , वो उस वक़्त कॉलेज के पीछे वाले गेट के पास खड़ी होकर इस धुन मे मगन थी कि उनके बाय्फ्रेंड मेरी अच्छी खबर लेंगे, लेकिन उससे भी अच्छी खबर तो मेरे पास थी.....वो पाँचो भी शायद कॉलेज के पीछे वाले गेट पर मेरा ही इंतज़ार कर रही थी.....
"ला सिगरेट दे, धुआ उड़ाते हुए जाउन्गा...."झाड़ियों मे घुसे हुए मैने कहा"और वहाँ मेरी बेज़्जती कर देना, मैं जो कहूँ उसे करना और ऐसे रिएक्ट करना जैसे मैं तेरा बाप हूँ..."
"पकड़ के हिला ले फिर..."
"मज़ाक कर रहा था, चल आजा..."
सिगरेट के कश मारते हुए मैं उनकी तरफ तैश से बढ़ा , आँखो मे काला चश्मा और उंगलियो मे सिगरेट फिराता हुआ मैं उनके पास पहुचा....
"क्या हाल है बंदरियो, उस दिन का याद नही जो आज यहाँ फिर मरने आ गयी...."अपना चश्मा नीचे करके मैने सिगरेट का कश लिया और उन पाँचो की तरफ फेक दिया....
"ज़्यादा ओवर आक्टिंग मत कर"अरुण मेरे कान मे फुसफुसाया....
"ऐसा क्या..."धीमी आवाज़ मे मैने कहा"चल अब देख..."
"अच्छा ये बताओ, तुम पाँचो चुड़ैल यहाँ क्या सोच कर खड़ी हो...."
पहले बंदरिया और फिर चुड़ैल....अपने लिए ऐसे वर्ड सुनकर उनका पहले से ही सब कुछ लाल हो गया था तभी विभा ने मुझे धमकी दी कि वरुण विल फक यू.....
"क्यूँ तू कम पड़ गयी क्या या फिर वो पहले से ही ऐसा है..."
"आज तुझे घसीट-घसीट का मारेंगे हमारे बाय्फरेंड्स...."
"माँ कसम बहुत बेकार डाइलॉग था...."अपने जेब से रजनीगंधा का पॅकेट निकाल कर मैने मुँह मे डाला और फिर बोला"मुँह मे रजनीगंधा....कदमो मे लौंडिया, ऐसे डाइलॉग मारा कर...."
ना जाने वो क्या सोच कर आज यहाँ खड़ी होकर मेरा इंतज़ार कर रही थी...खैर मैने अपना प्रोग्राम जारी रखा और सबसे पहले विभा के सीने पर नज़र डाली...
"यार, अरुण आजकल टेन्निस बाल बड़े महेंगे हो गये है और इनको देखो दो दो लटका के घूम रही है...."
"यू बस्टर्ड, युवर काइंड ऑफ बॉय ईज़ लाइक माइ पिस, गो फक युवरसेल्फ आंड युवर फॅमिली, "झल्लाते हुए विभा बोली....
"आंड युवर काइंड ऑफ गर्ल्स आर लाइक माइ लवदा का सफेद पानी, जस्ट शॅग आंड फ्लो इंटो टाय्लेट बाइ अप्लाइयिंग बर्नूली'स थिरेम आंड दा एनर्जी प्रोड्यूसस बाइ मी फॉर दिस वर्क ईज़ ईक्वल टू दा युवर सकिंग पवर ऑफ डिक,....."
"व्हाट...."वो अपना सर गुस्से से खुजाते हुए बोली....
"मतलब कि दिल के अरमान आँसुओ मे बह गये "
"तू रुक , अभी वरुण को बुलाती हूँ...."पाँव पटक कर विभा वहाँ से चली गयी और उसके पीछे -पीछे बाकी की चुड़ैल भी चल दी....
"क्या गाली दी है भाई...."उनको जाते हुए देखकर अरुण ने कहा..."वैसे बर्नूली थिरेम का फ़ॉर्मूला क्या है ,मुझे याद नही आ रहा..."
"वो तो मुझे भी नही मालूम "मैं बोला" और पहले तो विभा की गान्ड से अपनी नज़र हटा...."
"वो तो बस मैं......क्यूंकी आइ लाइक पिछवाड़ा "
"ये मत भूल कि अभी हम भी कॉलेज के पिछवाड़े मे खड़े है, जल्दी चल वरना क्लास के लिए देरी हो जाएगी...."
.
पंगा तो आज होना ही था, क्यूंकी वरुण और उसके दोस्त मुझपर पहले से ही भड़के हुए थे और उपर से आज मैने उनकी आइटम्स को भी छेड़ा था, और जहाँ तक मेरा अंदाज़ा था उसके अनुसार वो पाँचो फिर से मेरी शिकायत करेंगी और उसके बाद वरुण अपनी पूरी गॅंग के साथ मुझे मारने आएगा लेकिन उसके और मेरे बीच सीडार खड़ा था.....

"यदि सीडार नही आया तो...."मेरी धड़कने लाइट की वेलोसिटी से भी तेज चलने लगी, जब मेरे दिल मे ये ख़याल आया....क्यूंकी मैं जनता था कि यदि सीडार नही आया तो वरुण और उसके चम्चे मेरा बहुत बुरा हश्र करेंगे, मैने खुद को कयि बार समझाया कि ये सब मेरे बेतुके ख़याल है, सीडार मेरा साथ ज़रूर देगा लेकिन जब दिल नही माना तो मैने अपने मोबाइल निकालकर सीडार का नंबर डाइयल किया और उधर से तुरंत रेस्पोन्स मिला...
"हेलो..."
"सर मैं अरमान...."
"अरमान...."उसने मेरा नाम ऐसे लिया जैसे कुछ याद करने की कोशिश कर रहा हो और फिर बोला"हां बोल, अरमान..."
"वो सर, मैने आज फिर उन लड़कियो को छेड़ा , जो कॉलेज के पीछे वाले गेट पर खड़ी रहती है...."
"गुड, लेकिन अभी कॉल क्यूँ किया...."
"सर, वो विभा बोल के गयी है कि वो मुझे देख लेगी और उसका इशारा सॉफ था कि वो मुझे वरुण से...."
"डर मत, आज रिसेस मे कॉल करना"मेरी बात काट कर सीडार ने कहा और कॉल कट कर दी....
मोबाइल जेब मे रखकर मैने टाइम देखा, रिसेस होने मे चन्द मिनट. ही बाकी थे और मेरी साँसे तेज हो चली थी.....टीचर ने 10 मिनट. पहले ही क्लास छोड़ दी थी लेकिन ये हिदायत दी थी कि जब तक रिसेस का टाइम नही हो जाता कोई भी क्लास से बाहर नही निकलेगा.....किताबो से तो दुश्मनी हो गयी थी इसलिए पढ़ाई के बारे मे सोचना मैने मुनासिब नही समझा और एक बार फिर सीडार के बारे सोचने लगा.....

सीडार जहाँ एक तरफ इस साल एनएसयूआइ के एलेक्षन मे प्रेसीडेंट के पोस्ट के लिए खड़ा हुआ था वही दूसरी तरफ वरुण भी प्रेसीडेंट पोस्ट के लिए एक मज़बूत उम्मीदवार के रूप मे सीडार के खिलाफ था, इसलिए दोनो मे अनबन एक नॉर्मल सी बात थी....लेकिन ये अनबन इस साल से नही बल्कि बहुत पुरानी थी....पिछले साल वरुण ने कॉलेज के मेन गेट के पास हॉस्टिल वाले एक लड़के का शर्ट फाड़ दिया था और उसे बहुत मारा भी था और जब ये बात सीडार को मालूम चली तो वो पूरे हॉस्टिल वालो को समेट कर दूसरे दिन वरुण को उसी की क्लास मे यानी कि 4त एअर की क्लास मे घुसकर सबके सामने वरुण को औकात मे रहने की हिदायत दी थी....वरुण ना तो उस वक़्त सीडार का कुछ कर पाया और ना ही उसके बाद सीडार का कुछ उखाड़ पाया.....सीडार के पास जहाँ एकतरफ हॉस्टिल मे रहने वाले 200 लड़को का सपोर्ट था वही कॉलेज स्टाफ भी उसके साथ था, कॉलेज स्टाफ का सीडार के साथ होने की सबसे बड़ी वजह शायद ये थी कि वो अपने क्लास का टॉपर था , उपर से फुटबॉल का एक शानदार प्लेयर भी था.....
"मल्टी टॅलेंटेड लौंडा..."कुल मिलकर सीडार को यही बोल सकते है.....
रिसेस मे मैने एक बार फिर सीडार को कॉल किया और उसने मुझे बताया कि आगे क्या करना है.....मैं, अरुण के साथ क्लास से बाहर आया और बाइक स्टॅंड की तरफ बढ़ने लगा....ये जानते हुए भी कि वहाँ इस वक़्त वरुण की मंडली जमा होगी....लेकिन हमारे प्लान के मुताबिक मुझे बाइक स्टॅंड पर जाना ही था.....
"कॉलेज मे जाकर पढ़ाई करना बे, लौंडिया बाज़ी मे बिज़ी मत रहना और ना ही इस चक्कर मे पड़ना..."मेरे भाई की इस पहली अड्वाइज़ की मैने कल ही धज्जिया उड़ाई थी....क्यूंकी यदि एक लड़का किसी लड़की से मिलने हॉस्पिटल मे जाता है वो भी बिना जान पहचान के तो इसे हिन्दुस्तान के लोग लौंडियबाज़ी ही कहते है.....या फिर उसकी शुरुआत.

"दारू, सिगरेट इन सबको छुआ भी तो सोच लेना...."भाई की इस अड्वाइज़ का हाल पहले वाली अड्वाइज़ की तरह था....
.
"और यदि लड़ाई झगड़े की एक भी खबर घर पर आई तो उसी वक़्त तेरा टी.सी. निकलवा दूँगा समझा..." और अब मैं अपने भाई की इस आख़िरी अड्वाइज़ की धज्जिया उड़ाने जा रहा था.......
"वरुण वो देख...."मुझे देखकर बाइक स्टॅंड पर बैठे एक भारी भरकम शरीर वाले ने मेरी तरफ इशारा किया....
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08-18-2019, 01:21 PM,
#20
RE: Desi Sex Kahani दिल दोस्ती और दारू
"अरमान...."इस नाम ने वहाँ बाइक स्टॅंड पर बैठे सभी लोगो की ज़िंदगी मे खलबली मचा कर रखी थी....उन सबको ये हजम नही हो रहा था कि कल का आया हुआ लौंडा उनकी छमियो के साथ ऐसा बर्ताव करे.....वरुण अपने बाइक पर टेक दिए किसी शानशाह की तरह बैठा हुआ था, लेकिन उस वक़्त उसे ये नही मालूम था कि आज उसकी शानशाह की गद्दी ज़मीन मे गिरने वाली थी......

"औन, कम वित मी ,बिग्गेस्ट चूतियास ऑफ दिस कॉलेज यहाँ बैठे है अपनी गान्ड पसार कर...बहन के लोडो जाकर पढ़ाई करो ,वरना इस साल भी फैल हो जाओगे....."मैने बोला और जोश - जोश मे अरुण भी बोल पड़ा "और तू वरुण, साले तुझसे बड़ा गधा मैने अपनी पूरी ज़िंदगी मे नही देखा, साले तुझे शरम नही आती क्या जो 7 साल से फैल होता आ रहा है, बक्चोद ,म्सी ,बीसी, फ्सी, ए टू Z सी"

"ये सब मुझसे बोल रहा है क्या..."वरुण एक झटके मे खड़ा हो गया,

मैं जानता था कि अब यदि उसने मुझे धर लिया तो ज़िंदा नही छोड़ेगा..लेकिन मैं क्या करता रिस्क तो लेना ही था क्यूंकी ये सब हमारे प्लान का हिस्सा था और वैसे भी एमरान हाशमी ने कहा है कि जो रिस्क नही लेता उसका सबकुछ रिस्की हो जाता है.....

" वरुण ,तू एक बात बता ,तू हर साल फैल हो जाता है तो तेरे घरवाले तुझे गालियाँ नही देते क्या, साले तेरी शादी के लिए जब लड़कीवाले आएँगे तब तू क्या बोलेगा कि तूने 8 साल इंजिनियरिंग की लेकिन फिर भी इज़ीनियरिंग. कंप्लीट नही कर पाया....अबे चोदु एन्वाइरन्मेंट जैसे सब्जेक्ट मे तू फैल हुआ है , उस सब्जेक्ट मे तो अगर मैं दाए की बजाए बाए हाथ से भी लिखता तो पास हो जाता...."

अरुण लगातार वरुण के सर पर डंडे मारे जा रहा था और उसका असर भी वरुण पर होने लगा था , वो अपने दोस्तो के साथ गुस्से से मेरी तरफ भागा, और वहाँ मैं और अरुण भी भाग दिए.....मैं और अरुण आगे और वरुण और उसके दोस्त पीछे थे,...

"यार अरुण यदि , सीडार भाई वाला प्लान काम नही किया तो..."

"अबे डरा मत, तेरे चक्कर मे आके मैने भी वरुण को इतनी गालियाँ दे दी है कि, अब वो मुझे भी ज़िंदा नही छोड़ेगा...."
"चल और तेज भाग ,वरना ये साले पकड़ लेंगे...."
भागते-भागते मैं और अरुण ठीक उसी ग्राउंड पर पहुचे जहाँ कुछ दिनो पहले मेरी इज़्ज़त की खाल उतारी गयी थी....वहाँ ग्राउंड पर पहुच कर हम दोनो रुक गये.....

"ला तो बे, बात देना...आज इसकी सारी चर्बी उतार देता हूँ, बीसी हमसे पंगा लेगा...."
"सब मेरे पैर पकड़ कर माफी माँग लो, वरना ऐसी पेलाइ होगी कि महीनो मूठ मारने के काबिल नही रहोगे....."
सबसे पहले वरुण आगे बढ़ा लेकिन तभी सीडार पूरे हॉस्टिल वालो को लेकर वहाँ आ पहुचा जिन्हे देखकर वरुण और उसके दोस्त की हालत खराब हो गयी....मेरी तरफ बढ़ते हुए वरुण के कदम वही रुक गये और वो कभी मेरी तरफ देखता तो कभी सीडार की तरफ तो कभी हॉस्टिल के लड़को की तरफ.....
"तुझे बोला था ना, अपनी औकात मे रहना...."सीडार ने आते ही एक लात वरुण को जमा दी....
"सीडार, ये तेरा मामला नही है..."
"क्या बोला था मैने....हॉस्टिल वालो को हाथ तक मत लगा देना, लेकिन तू नही माना...."
"अबे ओये सीडार....आज इतने सारे लौन्डे तेरे साथ है इसीलिए उचक रहा है....भूल मत मैं तेरा सूपर सीनियर हूँ...."
"बीसी बोलता बहुत है....."ना जाने अरुण को क्या हुआ और उसने एक थप्पड़ वरुण के गाल पर धर दिया"उस दिन बाइक स्टॅंड का हिसाब चुकता हुआ..."
"अबे देख क्या रहे हो, मारो सालो को..."वरुण ने वहाँ मौजूद अपने दोस्तो से कहा....
वरुण और उसके दोस्त हमसे भीड़ पड़े, लेकिन हम उनसे कयि गुना ज़्यादा थे इसलिए चन्द मिनट मे ही हमने उन सबको बुरी तरह मारा, लात से, हाथ से उन सबको फूटबाल की तरह धोया और कुछ देर मे ही वरुण और उसके दोस्त ज़मीन पर लेटे कराह रहे थे......
"क्या हाल है गधे..."जहाँ वरुण लेटा हुआ था, उसके पास जाकर मैने कहा और पूरी ताक़त के साथ एक झापड़ उसके गाल पर दे मारा....साला क्या पॉवर थी उसके गाल पर खून जम गया....और उसका फेस रंग बिरंगा हो गया, एक तरफ का गाल सफेद तो दूसरी तरफ का एक दम लाल......
"चल पुश अप कर...."आराम से वहाँ बैठकर मैने वरुण से कहा.....
"आइ कॅन'ट..."रोते हुए उसने कहा....
"आ जाओ भाई लोग...."
आज भी वही होने वाला था जो कुछ दिन पहले इसी ग्राउंड पर हुआ था ,लेकिन फरक सिर्फ़ इतना सा था कि आज ग्राउंड पर मेरी जगह मुझे लिटाने वाला लेटा हुआ था और उसके उपर कूदने की बारी मेरी थी....और यदि टेक्निकल लॅंग्वेज मे बोला जाए तो इसे "थियरी ऑफ रेलेटिविटी ऑर फ्रेम ऑफ रेफरेन्स "भी कह सकते है ,

"सॉरी...."वरुण ने मरी सी आवाज़ मे कहा, उस दिन की तरह ही आज उसके मुँह से खून निकल रहा था...उस दिन की तरह ही आज उसका शरीर वहाँ की धूल मे सना हुआ था....
"रुक क्यूँ गये सब पेलो सबको...आख़िर थियरी ऑफ रेलेटिविटी का प्रिन्सिपल जो प्रूव करना है...."
"तुझे छोड़ूँगा नही..."
"सॉरी वरुण सर, आप फिज़िक्स के खिलाफ नही जा सकते....मार तो आपको ही खाना पड़ेगा "
"मैं चलता हूँ, नेक्स्ट क्लास अटेंड करनी है..."सीडार भाई ने अपनी घड़ी मे देखते हुए कहा और अपने कपड़े को ठीक किया...
"पर अभी तो रिसेस ख़तम होने मे बहुत टाइम है...."
"होड ने आज पहले बुलाया है, मैं चलता हूँ , तुम लोग ऐश करो...."इतना कहकर सीडार वहाँ से चला गया....
"बीसी , रुक क्यूँ गया , पुश अप कर..."पिछवाड़े पर एक ज़ोर की लात मारकर मैने वरुण से कहा, और मेरी देखा सीखी मे बाकियो के भी पिछवाड़े पर लात पड़े.....

"बस , अब और नही...."हान्फते हुए वरुण बोला....
वरुण के दोस्त तो कब के सरेंडर कर चुके थे और उन सबका मार खा के बुरा हाल भी था, उन सबकी हालत देख कर मन मे आया की छोड़ दूं, लेकिन तभी अरुण मेरे पास आया और मेरे कान मे कुछ ऐसा कहा ,जिसे सुनकर मैं फ़ौरन वरुण के पास पहुचा....
"चल जल्दी कर अभी 100 बार और उपर नीचे होना है...."
"ना, अब हिम्मत नही है..."पसीने से भीगा हुआ वरुण ज़मीन पर लेट गया और लंभी लंभी साँसे लेने लगा....
"एक शर्त मे छोड़ूँगा तुझे..."
"हहाआंन्न...."
"उन पाँचो चुदैलो को यहा कॉल करके बुला...."
मेरा अंदेशा जानकार वरुण ने सॉफ मना कर दिया और उसी वक़्त अरुण ने पास पड़ा हुआ एक मोटा सा डंडा उठाकर वरुण के सर पर निशाना लगाया और ज़ोर से डंडे को उसके सर पर ना मारकर ज़मीन पर दे मारा....वरुण ने सोचा कि अरुण उसे मारने वाला है ,इसीलिए वो ज़ोर से चिल्लाता हुआ बोला कि वो तैयार है उन पाँचो चुदैलो को यहा बुलाने के लिए......

"पानी दो वरुण सर को...."वरुण जब हान्फते हुए उठकर वहाँ बैठा तब मैने अपने ही क्लास वाले एक लड़के से कहा और भीड़ की झुंड मे से किसी ने बोला कि वरुण को पानी नही अपना मूत पिला दे....खैर मैने ऐसा कुछ भी नही किया और वरुण को बोतल वाला पानी ही पिलाया.....
"विभा, कहाँ हो...."वरुण ने विभा को कॉल किया और मैने उसे लाउडस्पिकर ऑन करने का इशारा किया...
"कब से ढूँढ रही हूँ तुझे....चूत मे खुज़ली हो रही है...कहाँ हो तुम...."
"ग़ज़ब...."मैं धीरे से बोला और सबको इशारा किया कि कोई नही हँसेगा.....
"मैं, वो ग्राउंड पर हूँ...."वरुण मेरी तरफ देखते हुए विभा से बोला"यहीं आ जाओ..."
"उसी ग्राउंड पर ना जहाँ कुछ दिन पहले हमने फर्स्ट एअर के एक लड़के की रॅगिंग ली थी...."
मोबाइल का लाउडस्पिकर अब भी ऑन था और मैं सब कुछ सुन रहा था, "आजा चुड़ैल , तू आजा एक बार "मैने खुद से बोला....
"हाँ, उसी ग्राउंड पर मैं हूँ..."
" ,यहाँ मेरी चूत जली जा रही है और तुम वहाँ क्या कर रहे हो....तुमने तो कहा था कि रिसेस मे बाइक स्टॅंड पर मिलना, और जब मैं वहाँ पहुचि तो ना तो तुम वहाँ थे और ना ही तुम्हारा कोई दोस्त...."
"तू अपनी चूत मे उंगली डाल और सीधे ग्राउंड पहुच...वरना बहुत बुरी तरह गान्ड मारूँगा अगली बार....समझी"
"ओके , आइ आम कमिंग...कॉंडम है ना इस बार, याद है लास्ट टाइम बहुत प्राब्लम हुई थी..."
"सब है, तू आजा जल्दी से..."
"फ्लेवर कौन सा है, आइ लाइक स्ट्रॉबेरी वाला कॉंडम...."
वरुण ने अपना सर पीटकर कॉल डिसकनेक्ट कर दी और फिर मेरी तरफ देखने लगा, जाने उसे ऐसा क्यूँ लगने लगा कि मैं उसे और उसकी महबूबा को वहाँ से सही-सलामत जाने दूँगा.... हम मे से सभी सीनियर्स वहाँ से चले गये और ग्राउंड पर उस वक़्त फर्स्ट एअर के 20-25 लड़के मौजूद थे....हम सब अलग-अलग जगह पर छिप गये थे और वरुण को वापस से पुश अप करने के लिए बोल दिया था और उसे ये भी बोला था कि यदि वो इस बीच कहीं रुका तो हम सब उसे पागल कुत्ता समझ कर उसपर पत्थर फेकेंगे....
"वरुण..व्हाट दा फक ?"अपनी स्कूटी से उतरकर विभा ,वरुण की तरफ भागी और उसी बीच मैं बाहर निकला और वरुण के पास खड़े हो गया....
"सुन बे झक़लेट , यदि तू एक पल्स के लिए भी रुका तो सब के सब मिलकर मारेंगे तुझे...ना ही रुकना और ना ही कुछ बोलना...."मैं धीरे से बोला...
विभा जब वरुण और मेरे एकदम करीब आ गयी तो मैने अपना दाया पैर उठाया और पुश अप कर रहे वरुण के उपर रख दिया,...,जिससे वरुण रुक गया.
"आप फिज़िक्स के खिलाफ नही जा सकते, अब उपर उठे हो तो नीचे तो जाना पड़ेगा ड्यू टू ग्रॅविटी..."वरुण के पीठ पर पाँव से दबाव बना कर मैने कहा......
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