Indian Porn Kahani वक्त ने बदले रिश्ते
08-12-2019, 01:29 PM,
RE: Indian Porn Kahani वक्त ने बदले रिश्ते
आज रज़िया बीबी की चूत ने इतना पानी छोड़ा कि उस की अपने हाथ की उंगलियाँ भी अपनी ही चूत के पानी से भीग गईं.

ज्यों ही कमरे में ज़ाहिद और शाज़िया की चुदाई का खेल अपनी मंज़िल पर पहुँचा. तो कमरे के बाहर खड़ी रज़िया बीबी को भी एक दम जैसे होश आ गया.

रज़िया बीबी को फॉरन अहसास हुआ कि अपनी चूत में उंगलियाँ डाले आधी नंगी अपने बच्चो के कमरे के बाहर खड़ी है.और अगर ज़ाहिद या शाज़िया एक दम से अपने कमरे से बाहर निकल आए. तो रज़िया बीबी की चोरी पकड़ी जाएगी.

ये बात ज़हन में आते ही रज़िया बीबी एक दम घबरा गई. रज़िया बीबी ने एक दम से फर्श पर पड़ी अपनी शलवार उठाई और तेज कदमों के साथ चलती अपने कमरे में चली आई.

अपने कमरे में आते ही उस ने अपने दरवाज़े की कुण्डी लगाई और फिर अपनी कमीज़ भी उतार कर अपने बिस्तर पर लेट गई.

रज़िया बीबी ने अपनी आँखे बंद कीं और कुछ देर पहली होने वाले वाकये को सोचने लगी.कि कैसे आज उस ने अपने ही बेटे को अपनी सग़ी बहन की गरम और जवान चूत को चोदते पहली बार देखा था.

रज़िया बीबी की चूत एक दफ़ा फारिग होने के बावजूद अभी भी पूरी तरह से गरम और बे चैन थी.

इसीलिए अपनी आँखे बंद कर के बिस्तर की बॅक से टेक लगा कर अपने बच्चो की चुदाई के मस्त शो के बारे में सोचते हुए रज़िया बीबी का हाथ फिर से खुद ब खुद ही अपनी नंगी चूत की तरफ बढ़ गया.और उस ने अपनी चूत पर हाथ लेजा कर अपनी फुद्दि को फिर से आहिस्ता आहिस्ता सहलाना शुरू कर दिया.

“उफ़्फुऊऊुुुउउ कितना मोटा लंड है ना मेरे बेटे का,हाईईईईई ज़ाहिद का लंड किस तरह से फँस फँस कर जा रहा था मेरी बेटी शाज़िया की प्यासी चूत के अंदर, आआआआआआआहह” अपनी चूत की दाने को सहलाती और आहिस्ता आहिस्ता अपनी फुद्दि में अपने हाथ की उंगलियाँ घुमाते हुए रज़िया बीबी की बंद आँखों में इस वक्त वो ही मंज़र दौड़ रहा था.



जब शाज़िया अपने भाई के तने हुए मोटे लंड पर बैठ कर मज़े से उपेर नीचे हो रही थी.

“वैसे ये सब ज़ाहिद की वजह से ही हुआ है, उसी ने मुझे हिम्मत और मोका दिया ,कि में अपनी खुली आँखों से देख सकूँ कि कैसे एक इंसान अपनी जिन्सी भूक के हाथों मजबूर हो कर अपने ही खून के सगे रिश्ते के साथ अपने ताल्लुक़ात कायम करने पर तूल जाता है,मुझे ही अपने बेटे का शुक्र गुज़ार होना चाहिए जिस ने मुझे ज़िंदगी के इस रुख़ का नज़ारा करवाया है”रज़िया बीबी इस सोच में डुबी हुई थी.जब कि उस की उंगली उस की अपनी चूत को आहिस्ता आहिस्ता सहला रही थी.

“हाईईईईईईईईईईईईई ज़ाहिद तुम को अपनी दो साल से तलाक़ याफ़्ता बहन की प्यासी चूत का तो इतना अहसास है, मगर मेरी फुद्दि का कुछ ख्याल नही जो शाज़िया से ज़्यादा गरम और प्यासी है, अपनी बहन की फुद्दि में तो हर रोज़ लंड डाल कर उसे अपने लंड के पानी से भरते हो,मेरी सदियों से खुश्क फुद्दि को, कब अपने लंड के पानी से सरोबार करो गे,मेरी फुद्दि तुम्हारे लंड की ज़्यादा हॅक दार है मेरे बच्चेययययययी” रज़िया अपनी लज़्ज़त की दुनिया में डूब कर अपनी फुद्दि से खेल रही थी. और अपनी फुद्दि से खेलते खेलते पहले की तरह रज़िया बीबी की फुद्दि ने अपने बेटे ज़ाहिद के नाम का पानी अपनी चूत से फिर रिलीज़ कर दिया.

दूसरे दिन रज़िया भी जब सो कर उठी. तो एक ही रात में दो दफ़ा अपनी चूत का पानी निकालने के बाद आज उस की तबीयत बहुत ही अच्छी थी.

इसीलिए रज़िया बीबी जल्दी से उठी और अपने कपड़े पहन कर आज फिर सुबह सुबह अपने बच्चो ज़ाहिद और शाज़िया के कमरे का दरवाज़ा खट खटाने लगी.

अंदर कमरे में दोनो बहन भाई पूरे नंगे एक दूसरे की बाहों अभी तक सो रहे थे.

दरवाज़े पर दुस्तक सुन कर ज़ाहिद ने और शाज़िया समझ गये कि आज भी उन की अम्मी उस को सुबह सुबह उठाने चली आई हैं. इसीलिए जल्दी से अपने कपड़े पहन कर शाज़िया ने दरवाज़ा खोल दिया.



ज़ाहिद और शाज़िया के अंदाज़े के ऐन मुताबिक उन की अम्मी उन के सामने खड़ी थी.

“शाज़िया आज से तुम आ कर अपना घर और किचन संभाल लो,क्यों कि अब इस घर की बहू होने के नाते तुम इस घर की मालकिन हो अब मेरी बच्ची” ज्यों ही शाज़िया ने दरवाज़ा खोला तो रज़िया बीबी ने अपनी बेटी से कहा.

अपनी अम्मी के मुँह से बहू और घर की मालकिन के अल्फ़ाज़ सुन कर शाज़िया शरमा गई.

“शाज़िया जब में तुम्हें अपने ही सगे भाई की बीवी बन कर उस के साथ सोने की इजाज़त दे चुकी हूँ तो अब तो तुम ये शरम वरम छोड़ दो मेरी बच्ची” रज़िया बीबी ने जब अपनी बेटी के चेहरे को शरम से लाल होते देखा. तो उस ने शफकत से अपनी बेटी के सर पर अपना हाथ फेरते हुए कहा.

“अच्छा अम्मी में अभी किचन में जा कर सब काम संभालती हूँ” शाज़िया अपनी अम्मी के प्यार भरे अंदाज़ को देख कर खुस हुई.और फिर वो अपनी अम्मी को कमरे में ही छोड़ कर खुद किचन की तरफ चली गई.

शाज़िया के जाने के बाद रज़िया बीबी ने अपने बेटे की तरफ देखा. जो कि इस वक्त अपना तोलिया उठाए बाथरूम में नहाने जा रहा था.

रज़िया बीबी ने गौर किया कि शाज़िया के विपरीत ज़ाहिद को रवईया अपनी अम्मी के सामने बिल्कुल ऐसे ही था.कि जैसे वाकई ही ज़ाहिद अपनी सग़ी बहन को नही, बल्कि किसी आम लड़की को अपनी बीवी और अपनी अम्मी की बहू बना कर इस घर में लाया हो.

अपने बेटे पर नज़रें जमाते ही रज़िया बीबी की आँखों के सामने ज़ाहिद का खड़ा हुआ लंड फिर से घूम गया. और उस की चूत नीचे से फिर गीली होने लगी.
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08-12-2019, 01:29 PM,
RE: Indian Porn Kahani वक्त ने बदले रिश्ते
दूसरी तरफ ज़ाहिद को आज अपने पोलीस स्टेशन जाने की जल्दी थी. इसीलिए अपनी अम्मी की नज़रों की परवाह किय बगैर वो अपनी बहन से कही हुई अपनी अम्मी की बात पर मुस्कुराता हुआ बाथरूम में चला गया.

ज़ाहिद के बाथरूम जाने के बाद रज़िया बीबी भी किचन में चली आई.



जिधर उस की बेटी शाज़िया अब उस की बहू के रूप में सब घर वालों के लिए चाय और नाश्ता बनाने में मसरूफ़ थी.

रज़िया बीबी भी किचन में आ कर अपनी बेटी का हाथ बंटाने लगी.

थोड़ी देर बाद ज़ाहिद भी किचेन में चला आया. तो सब ने मिल कर एक साथ नाश्ता किया.

नाश्ते से फारिग होते ही ज़ाहिद अपनी मोटर साइकल ले कर बाहर जाने लगा. तो रज़िया बीबी ने शाज़िया को आहिस्ता से कहा “बेटी जाओ और अपने मियाँ को अलविदा करो”.

अपनी अम्मी की बात सुन कर शाज़िया पहले तो हिचकचचाई. मगर फिर अपनी अम्मी की हिदायत पर अमल करते हुए अपने भाई ज़ाहिद के पीछे पीछे गेट तक चली गई.

ज़ाहिद को अपनी बहन शाज़िया का आज यूँ एक बीवी की तरह घर के गेट तक आ कर उसे अलविदा करना अच्छा लगा.

अपनी बहन को उस के पीछे इस तरह गेट तक आता देख कर ज़ाहिद के दिल तो चाहा कि वो जाते जाते अपनी बहन की एक ज़ोर दार चुम्मि ले ले.

मगर फिर उस ने सोचा कि चुम्मि लेते लेते अगर उस का दिल फिर से अपनी बहन की चूत मारने को करने लगा. तो उसे पोलीस स्टेशन जाने में काफ़ी देर हो जाय गी.

इसीलिए अपने दिल पर पत्थर रख कर ज़ाहिद ने मोटर साइकल को किक लगाई और फिर घर से बाहर निकल गया.

घर का गेट बंद कर के शाज़िया ज्यों ही टीवी लाउन्ज में वापिस आई. तो उस ने अपनी अम्मी को टीवी लाउन्ज के सोफे पर बैठे पाया.

अपनी अम्मी को टीवी लाउन्ज में बैठा देख कर शाज़िया ने सोचा कि वो जल्दी से किचन में जा कर नाश्ते वाली डिशस को सॉफ कर के अपना काम ख़तम कर ले.

ये ही सोच कर शाज़िया ज्यों ही किचन की तरफ जाने लगी. तो उसे अपने पीछे से अपनी अम्मी की आवाज़ सुनाई दी.“शाज़िया ज़रा इधर मेरे पास आ कर बैठो”.

शाज़िया का दिल तो नही चाह रहा था. मगर उसे चारो-ना-चार अपनी अम्मी के पास आ कर सोफे पर बैठना ही पड़ा.

अपनी अम्मी के पास बैठ कर कोई बात करने की बजाय शाज़िया ने कमरे का टीवी ऑन कर के टीवी पर लगे हुए मॉर्निंग शो को देखना शुरू कर दिया.

जब रज़िया बीबी ने देखा कि शाज़िया उस से कोई बात चीत करने की बजाय अपना ध्यान टीवी में लगा रही है. तो उस ने खुद अपनी बेटी से अपनी बात स्टार्ट करने का सोचा और वो बोली “ शाज़िया मुझे समझ नही आ रही कि तुम्हारे और ज़ाहिद के दरमियाँ इतना सब कुछ होने के बावजूद, ना जाने क्यों तुम अभी तक मुझ से एक जिझक सी महसूस कर रही हो?”.

अपनी अम्मी की बात सुन कर शाज़िया ने कोई जवाब ना दिया और खामोशी से टीवी की तरफ अपनी नज़रें जमाए रखी.

“मेरी बच्ची मेरी ख्वाहिश है कि आज के बाद तुम मुझे अपनी माँ नही बल्कि नीलोफर की तरह अपनी सहेली समझो बेटी” रज़िया बीबी ने जब शाज़िया के मुँह से कोई जवाब नही सुना तो वो फिर बोली.

“अम्मी कह तो ठीक रही हैं,अब जब कि में अपनी अम्मी की रज़ामंदी से अपने ही सगे भाई की बीवी बन कर उस के साथ अपनी सुहाग रात मना चुकी हूँ,और आज मेरी अपनी सग़ी अम्मी ने मुझे अपनी बेटी से बढ़ कर अपनी बहू का दर्जा भी दे दिया है, तो अब मुझे अपने दिल से अपनी रवायती शरम और झिझक निकाल देनी चाहिए” ये बात सोचते हुए शाज़िया ने अपनी नज़रें अपनी अम्मी की तरफ कीं और बोली “ठीक है अम्मी में कोशिश करूँगी कि आइंदा आप से कोई झिझक और शरम महसूस ना करूँ”.

ज्यों ही रज़िया बीबी ने अपनी बेटी के मुँह से ये बात सुनी तो उस ने शाज़िया को खैंच कर अपने साथ चिमटा लिया और खुशी से अपनी बेटी के कान में शरगोशी की “ तो अब मेरी बहू मुझे मेरा पोता कब दे रही है”.

“अम्म्मिईीईई ऐसी बातें ना करो मुझे शरम आती है” अपनी अम्मी के मुँह से पोते की फरमाइश सुन कर शाज़िया अपना मुँह शरम से अपने हाथों में छुपाते हुए बोली.

“हाईईईईईई मेरी बच्ची शादी के बाद बच्चे पैदा होना तो एक क़ुदरती अमल है,इस में शरमाने वाली कौन सी बात है भला” रज़िया बीबी ने जब अपनी बेटी को फिर शरमाते देखा. तो उस ने अपनी बेटी शाज़िया को प्यार से समझाया.

इस से पहले कि शाज़िया कुछ जवाब देती कि इतनी देर में नीलोफर और जमशेद घर की ऊपर वाली मंज़िल से नीचे आ कर टीवी लाउन्ज में एंटर हुए.

“तुम लोग किधर जा रहे हो सुबह सुबह” शाज़िया ने ज्यों ही नीलोफर और जमशेद को अंदर आते देखा. तो वो उन की तरफ मुँह कर के पूछने लगी.

“शाज़िया में और जमशेद बाज़ार जा रहे हैं,तुम ने कुछ मंगवाना तो नही” टीवी लाउन्ज में आ कर नीलोफर ने शाज़िया से पूछा.

“नही मुझे कुछ नही चाहिए” शाज़िया ने जवाब दिया तो नीलोफर अपने भाई के साथ घर से बाहर निकल गई.

जमशेद और नीलोफर की इस तरह अचानक आमद का फ़ायदा उठाते हुए शाज़िया भी सोफे से उठ कर नीलोफर के पीछे पीछे किचन की तरफ चली गई.


,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
जमशेद ने चूँकि कंप्यूटर में डिग्री ली हुई थी . और उसे कंप्यूटर की फील्ड में काम करने का बहुत तजुर्बा भी था.

इस बिना पर जमशेद जानता था. कि आज कल कंप्यूटर की फील्ड में बाहर के मुल्क में काफ़ी जॉब्स अवेलबल हैं.इसीलिए वो अक्सर घर में बैठ कर ही दूसरे देशों में ऑनलाइन जॉब्स अप्लाइ करता रहता था.

अपनी बहन नीलोफर से जेहनी शादी के कुछ दिन बाद ही जमशेद को मलेशिया में एक कंप्यूटर की जॉब ऑफर हुई. जिस में अच्छी सेलरी के साथ साथ फॅमिली वीसा और रिहायश भी शामिल थी.

“ज़ाहिद तुम बताओ कि मुझे किया करना चाहिए” नोकरी की ऑफर मिलने पर जमशेद ने ज़ाहिद से इस बड़े में मशवरा किया.

“यार तुम को पता है कि मेरी अपनी पोलीस सर्विस भी अब चन्द साल की ही रह गई है, इसीलिए वैसे में भी ये चाहता हूँ कि तुम वहाँ जा कर नोकरी के साथ साथ मेरे पैसो से कोई बिजनेस स्टार्ट करो,तो फिर अपनी नोकरी ख़तम होते ही में भी अम्मी और शाज़िया के साथ तुम्हारे पास ही चला आऊँगा” ज़ाहिद ने जमशेद की बात के जवाब में उसे मशवरा दिया.दूसरी तरफ ज़ाहिद को आज अपने पोलीस स्टेशन जाने की जल्दी थी. इसीलिए अपनी अम्मी की नज़रों की परवाह किय बगैर वो अपनी बहन से कही हुई अपनी अम्मी की बात पर मुस्कुराता हुआ बाथरूम में चला गया.

ज़ाहिद के बाथरूम जाने के बाद रज़िया बीबी भी किचन में चली आई.



जिधर उस की बेटी शाज़िया अब उस की बहू के रूप में सब घर वालों के लिए चाय और नाश्ता बनाने में मसरूफ़ थी.

रज़िया बीबी भी किचन में आ कर अपनी बेटी का हाथ बंटाने लगी.

थोड़ी देर बाद ज़ाहिद भी किचेन में चला आया. तो सब ने मिल कर एक साथ नाश्ता किया.

नाश्ते से फारिग होते ही ज़ाहिद अपनी मोटर साइकल ले कर बाहर जाने लगा. तो रज़िया बीबी ने शाज़िया को आहिस्ता से कहा “बेटी जाओ और अपने मियाँ को अलविदा करो”.

अपनी अम्मी की बात सुन कर शाज़िया पहले तो हिचकचचाई. मगर फिर अपनी अम्मी की हिदायत पर अमल करते हुए अपने भाई ज़ाहिद के पीछे पीछे गेट तक चली गई.

ज़ाहिद को अपनी बहन शाज़िया का आज यूँ एक बीवी की तरह घर के गेट तक आ कर उसे अलविदा करना अच्छा लगा.

अपनी बहन को उस के पीछे इस तरह गेट तक आता देख कर ज़ाहिद के दिल तो चाहा कि वो जाते जाते अपनी बहन की एक ज़ोर दार चुम्मि ले ले.

मगर फिर उस ने सोचा कि चुम्मि लेते लेते अगर उस का दिल फिर से अपनी बहन की चूत मारने को करने लगा. तो उसे पोलीस स्टेशन जाने में काफ़ी देर हो जाय गी.

इसीलिए अपने दिल पर पत्थर रख कर ज़ाहिद ने मोटर साइकल को किक लगाई और फिर घर से बाहर निकल गया.

घर का गेट बंद कर के शाज़िया ज्यों ही टीवी लाउन्ज में वापिस आई. तो उस ने अपनी अम्मी को टीवी लाउन्ज के सोफे पर बैठे पाया.

अपनी अम्मी को टीवी लाउन्ज में बैठा देख कर शाज़िया ने सोचा कि वो जल्दी से किचन में जा कर नाश्ते वाली डिशस को सॉफ कर के अपना काम ख़तम कर ले.

ये ही सोच कर शाज़िया ज्यों ही किचन की तरफ जाने लगी. तो उसे अपने पीछे से अपनी अम्मी की आवाज़ सुनाई दी.“शाज़िया ज़रा इधर मेरे पास आ कर बैठो”.

शाज़िया का दिल तो नही चाह रहा था. मगर उसे चारो-ना-चार अपनी अम्मी के पास आ कर सोफे पर बैठना ही पड़ा.

अपनी अम्मी के पास बैठ कर कोई बात करने की बजाय शाज़िया ने कमरे का टीवी ऑन कर के टीवी पर लगे हुए मॉर्निंग शो को देखना शुरू कर दिया.

जब रज़िया बीबी ने देखा कि शाज़िया उस से कोई बात चीत करने की बजाय अपना ध्यान टीवी में लगा रही है. तो उस ने खुद अपनी बेटी से अपनी बात स्टार्ट करने का सोचा और वो बोली “ शाज़िया मुझे समझ नही आ रही कि तुम्हारे और ज़ाहिद के दरमियाँ इतना सब कुछ होने के बावजूद, ना जाने क्यों तुम अभी तक मुझ से एक जिझक सी महसूस कर रही हो?”.

अपनी अम्मी की बात सुन कर शाज़िया ने कोई जवाब ना दिया और खामोशी से टीवी की तरफ अपनी नज़रें जमाए रखी.

“मेरी बच्ची मेरी ख्वाहिश है कि आज के बाद तुम मुझे अपनी माँ नही बल्कि नीलोफर की तरह अपनी सहेली समझो बेटी” रज़िया बीबी ने जब शाज़िया के मुँह से कोई जवाब नही सुना तो वो फिर बोली.

“अम्मी कह तो ठीक रही हैं,अब जब कि में अपनी अम्मी की रज़ामंदी से अपने ही सगे भाई की बीवी बन कर उस के साथ अपनी सुहाग रात मना चुकी हूँ,और आज मेरी अपनी सग़ी अम्मी ने मुझे अपनी बेटी से बढ़ कर अपनी बहू का दर्जा भी दे दिया है, तो अब मुझे अपने दिल से अपनी रवायती शरम और झिझक निकाल देनी चाहिए” ये बात सोचते हुए शाज़िया ने अपनी नज़रें अपनी अम्मी की तरफ कीं और बोली “ठीक है अम्मी में कोशिश करूँगी कि आइंदा आप से कोई झिझक और शरम महसूस ना करूँ”.

ज्यों ही रज़िया बीबी ने अपनी बेटी के मुँह से ये बात सुनी तो उस ने शाज़िया को खैंच कर अपने साथ चिमटा लिया और खुशी से अपनी बेटी के कान में शरगोशी की “ तो अब मेरी बहू मुझे मेरा पोता कब दे रही है”.

“अम्म्मिईीईई ऐसी बातें ना करो मुझे शरम आती है” अपनी अम्मी के मुँह से पोते की फरमाइश सुन कर शाज़िया अपना मुँह शरम से अपने हाथों में छुपाते हुए बोली.

“हाईईईईईई मेरी बच्ची शादी के बाद बच्चे पैदा होना तो एक क़ुदरती अमल है,इस में शरमाने वाली कौन सी बात है भला” रज़िया बीबी ने जब अपनी बेटी को फिर शरमाते देखा. तो उस ने अपनी बेटी शाज़िया को प्यार से समझाया.

इस से पहले कि शाज़िया कुछ जवाब देती कि इतनी देर में नीलोफर और जमशेद घर की ऊपर वाली मंज़िल से नीचे आ कर टीवी लाउन्ज में एंटर हुए.

“तुम लोग किधर जा रहे हो सुबह सुबह” शाज़िया ने ज्यों ही नीलोफर और जमशेद को अंदर आते देखा. तो वो उन की तरफ मुँह कर के पूछने लगी.

“शाज़िया में और जमशेद बाज़ार जा रहे हैं,तुम ने कुछ मंगवाना तो नही” टीवी लाउन्ज में आ कर नीलोफर ने शाज़िया से पूछा.

“नही मुझे कुछ नही चाहिए” शाज़िया ने जवाब दिया तो नीलोफर अपने भाई के साथ घर से बाहर निकल गई.

जमशेद और नीलोफर की इस तरह अचानक आमद का फ़ायदा उठाते हुए शाज़िया भी सोफे से उठ कर नीलोफर के पीछे पीछे किचन की तरफ चली गई.


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जमशेद ने चूँकि कंप्यूटर में डिग्री ली हुई थी . और उसे कंप्यूटर की फील्ड में काम करने का बहुत तजुर्बा भी था.

इस बिना पर जमशेद जानता था. कि आज कल कंप्यूटर की फील्ड में बाहर के मुल्क में काफ़ी जॉब्स अवेलबल हैं.इसीलिए वो अक्सर घर में बैठ कर ही दूसरे देशों में ऑनलाइन जॉब्स अप्लाइ करता रहता था.

अपनी बहन नीलोफर से जेहनी शादी के कुछ दिन बाद ही जमशेद को मलेशिया में एक कंप्यूटर की जॉब ऑफर हुई. जिस में अच्छी सेलरी के साथ साथ फॅमिली वीसा और रिहायश भी शामिल थी.

“ज़ाहिद तुम बताओ कि मुझे किया करना चाहिए” नोकरी की ऑफर मिलने पर जमशेद ने ज़ाहिद से इस बड़े में मशवरा किया.

“यार तुम को पता है कि मेरी अपनी पोलीस सर्विस भी अब चन्द साल की ही रह गई है, इसीलिए वैसे में भी ये चाहता हूँ कि तुम वहाँ जा कर नोकरी के साथ साथ मेरे पैसो से कोई बिजनेस स्टार्ट करो,तो फिर अपनी नोकरी ख़तम होते ही में भी अम्मी और शाज़िया के साथ तुम्हारे पास ही चला आऊँगा” ज़ाहिद ने जमशेद की बात के जवाब में उसे मशवरा दिया.
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08-12-2019, 01:29 PM,
RE: Indian Porn Kahani वक्त ने बदले रिश्ते
जमशेद को ज़ाहिद का दिया हुआ मशवरा अच्छा लगा. इसीलिए ज़ाहिद के मशवरे के मुताबिक जमशेद ने अपनी बहन नीलोफर को साथ ले कर मलेशिया शिफ्ट होने का प्रोग्राम बना लिया.

अपनी उस सहेली जिस ने शाज़िया को उस के अपने ही सगे भाई से मिलवा कर शाज़िया की बे रोनक ज़िंदगी में फिर से बहार लौटाई थी.

अपनी उसी प्यारी सहेली से यूँ अचानक जुदा होना शाज़िया के लिए बहुत तकलीफ़ देय था.

इसीलिए एरपोर्ट पर नीलोफर और जमशेद को अलविदा करते वक्त शाज़िया की आँखों में भी आँसू आ गए.

मगर वो कहते हैं ना कि "जाने वाले को कौन रोक सका है भला". इसीलिए नीलोफर भी अपने सगे भाई के साथ परदेश चली गई.

इसी दौरान झेलम में एक नया एसपी आया. जिस ने झेलम सिटी में काफ़ी अरसे से पोस्टेड सब पोलीस ऑफिसर्स की दूसरे सिटीस में ट्रॅन्स्फर्स कर दीं.तो ज़ाहिद की पोस्टिंग भी रावलपिंडी हो गई.

अपनी बहन से अपने जिस्मानी ताल्लुक़ात कायम करने के बाद अब ज़ाहिद अपनी बहन और बीवी शाज़िया से एक पल की दूरी नही बर्दाश्त कर सकता था.

इसीलिए ज़ाहिद अपना झेलम वाला घर रेंट पर दे कर खुद अपनी अम्मी और बहन को साथ ले कर रावलपिंडी बहरिया टाउन रावलपिंडी में एक किराए के मकान में शिफ्ट हो गया.

नीलोफर और जमशेद के जाने के और रावलपिंडी आने के बाद रज़िया बीबी के घर में ज़िदगी अपनी मामोल की डगर पर चलने लगी.

रज़िया बीबी अब अपनी बेटी शाज़िया को अपनी बहू समझ कर उस से एक अच्छी सास वाला रवईया अपनाने लगी थी. और शाज़िया को अपनी अम्मी का ये नया रूप अच्छा लगने लगा था.

ज़ाहिद और शाज़िया दोनो बहन भाई अब अपने ही घर में एक मीयन बीवी की हएएसआइयत से अपनी जिंदगी गुज़रने लगे.

अब शाज़िया अपने भाई की असली बीवी की तरह अपने शोहर भाई की सब ज़रूरतों का ख्याल रखने लगी थी.

दोनो बहन भाई को अब एक दूसरे के साथ मियाँ बीवी की हैसियत से रहते हुए अब ऑलमोस्ट एक महीना होने को था.

इस दौरान शाज़िया को अहसास हुआ कि तकरीबन एक महीना होने वाला है और उसे इस दफ़ा माहवारी (मेन्स्ट्रुयल पीरियड) नही आए. मगर उस ने अपने भाई ज़ाहिद या अपनी अम्मी से इस बात का ज़िक्र नही किया था.

इस एक महीन के दौरान ही शाज़िया अपने भाई के लंड से जितना चुदवा चुकी थी. इतना तो शाज़िया ने शायद अपनी असली शादी के पहले 6 महीने में भी नही चुदवाया था.

चूकि ज़ाहिद और शाज़िया ने अपनी अम्मी की इजाज़त के बाद ही आपस में अपना जिस्मानी रिश्ता कायम किया था.

इसीलिए अब बिना किसी शरम और हया के ज़ाहिद ने अपनी बहन शाज़िया को कई दफ़ा अपनी अम्मी की मौजूदगी और गैर मौजूदगी में अपने घर की अलग अलग जगह पर अलग अलग पोज़िशन में चोदा.

कई दफ़ा जब रज़िया बीबी अपने कमरे में रेस्ट कर रही होती. तो कई दफ़ा ज़ाहिद अपनी अम्मी की अपने कमरे में मौजूदगी का फ़ायदा उठे हुए किचन में आ घुसता.



और किचन में काम काज में मसरूफ़ अपनी बहन शाज़िया से अपने प्यार की पींगे बढ़ाने लगता.

इसी तरह कई दफ़ा ज़ाहिद सुबह सवरे उठते ही शाज़िया से बेड टी की फरमाइश कर देता. और फिर अपनी बहन शाज़िया को मजबूर करता. कि वो बिना कपड़ों के सिर्फ़ और सिर्फ़ अपनी चड्डी और ब्रेज़ियर में उस के लिए किचन से चाय बना कर लाए.



शाज़िया को इस तरह अपनी चड्डी और ब्रा में अपने घर के किचन में जाते हुए बहुत शरम आती. और शरम के साथ साथ शाज़िया को डर भी लगा रहता कि कहीं उस की अम्मी अचानक किचन में आ गईं तो क्या हो गा.



मगर इस के बावजूद उसे अपने शोहर भाई के प्यार के आगे हर मान कर आधी नंगी हालत में चाय बना कर लाना पड़ती.



कभी रात के अंधेरे में ज़ाहिद शाज़िया को टीवी लाउन्ज के सोफे पर बिता कर अपनी बहन की चूत को मज़े ले ले कर चाट्ता. और शाज़िया की चूत से निकलते रस को अपनी ज़ुबान से चाट रहता.



कभी आधी रात को अपने कमरे में शाज़िया अपने भाई के मोटे लंड को अपने हाथ में ले कर उस से खेलती.



कभी वो अपने हाथ से अपने भाई के मोटे लंड की मूठ लगाती.



और कभी अपने भाई के मोटे लंड को अपने मुँह में भर कर उस की चुसाइ लगती.



कभी कभी अपनी अम्मी की टीवी लाउन्ज की मौजूदगी के बावजूद ज़ाहिद दिन की रोशनी में ही अपने बाथरूम में अपनी बहन के साथ चूमा चाटी करता.


और शाज़िया को बाथरूम के सींक पर बिता कर अपनी बहन की चूत में अपना लंड डाल कर उसे चोद डालता.
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08-12-2019, 01:30 PM,
RE: Indian Porn Kahani वक्त ने बदले रिश्ते
इस चुदाइ के बाद दोनो बहन भाई अक्सर इकट्ठे शवर करते और अपने मुँह से एक दूसरे के लंड और चूत को चाट कर अपने प्यार का इज़हार करते.

अपने भाई के मोटे ताज़े और जवान लंड को अपनी फुद्दि में ले कर हर रोज़ उस से अपनी चूत की प्यास बुझवाना शाज़िया की अब एक आदत सी बन गई थी.

एक दूसरे को इतना ज़्यादा चोदने और चुदवाने के बावजूद दोनो बहन भाई के जिस्मो में चुदाई की आग कम नही हुई बल्कि ये आग अब पहले से भी ज़्यादा भड़क रही थी.

ज़ाहिद और शाज़िया को ये शक था. कि उन की अम्मी उन की सारी हरकतों या चुदाई से बे खबर थी. तो ये उन की भूल थी.

क्यों कि इस सारे अरसे के दौरान रज़िया बीबी ने कई दफ़ा अपने दोनो बच्चो की मस्तियों और चुदाई के लम्हात को ना सिर्फ़ छुप छुपा कर नज़ारा किया था.

बल्कि रज़िया बीबी ने अपने बेटा और बेटी की इन चुदाई की इन वारदातों को देखते हुए अक्सर अपनी चूत में उंगली कर के अपनी गरम फुद्दि को भी अपने ही हाथों से शांत किया था.

कहते हैं ना कि जिस तरह फूलों की बेल को हर रोज़ पानी देने से उस में फूल और खुश्बू ज़्यादा आती है .

इसी तरह भाई से दिन में कई कई दफ़ा चुदा कर शाज़िया के चेहरे पर अब बहुत ताज़गी आने लगी थी. साथ ही साथ अब शाज़िया का जिस्म में पहले से भी ज़्यादा निखार आने लगा था.

अपनी बेटी के जिस्म पर दुबारा से चढ़ती हुई इस जवानी के इस रूप को रज़िया बीबी ने भी नोट किया था.

फिर एक दिन ज़ाहिद के पोलीस स्टेशन जाने के बाद जब शाज़िया किचन में खाना बना रही थी.

तो उस की अम्मी रज़िया बीबी उस के पास किचन में चली आईं.और एक कुर्सी पर बैठ कर बहुत गौर से अपनी बेटी के जिस्म का जायज़ा लेने लगीं.

“शाज़िया में एक बात कहूँ,तुम अपने भाई की बीवी बनने के बाद तो तुम पहले से भी ज़्यादा खूबसूरत हो गई हो मेरी बच्ची" रज़िया बीबी ने अपनी बेटी की तरफ देखते हुए अपनी बेटी के खिलते हुए हुश्न की तारीफ की.

" अम्मी आप तो ऐसे कह रही हैं जैसे में पहले बदसूरत थी”.शाज़िया अब अपनी अम्मी से पहले के मुक़ाबले में काफ़ी फ्री हो चुकी थी. इसीलिए आज अपनी अम्मी के मुँह से अपनी तारीफ सुन कर शाज़िया को ज़रा भी शरम महसूस नही हुई. बल्कि उसे अपनी अम्मी के मुँह से अपनी तारीफ सुनना अच्छा लगा और उस ने मज़ाक में अपनी अम्मी से पूछा.

“नही मेरी बच्ची ऐसी बात नही,असल में अपने तलाक़ के बाद से तुम ने अपना ध्यान रखना छोड़ दिया था,और अब अपने ही भाई की बीवी बन कर तो तुम्हारी जवानी ना सिर्फ़ लौट आई है बल्कि पहले से और भी ज़्यादा निखर आई है” रज़िया बीबी ने अपनी बेटी के सवाल के जवाब में उसे समझाया.

"ऐसा क्या निखार आया है मेरी जवानी में अम्मी” शाज़िया ने अपनी अम्मी से मज़ीद फ्री होते हुए पूछा.

“में बताती हूँ कि तुम्हारी जवानी में क्या निखार आया,असल में तुम्हारा बदन पहले से भी ज़्यादा भर गया है, जिस की वजह से तुम्हारे कपड़े भी पहले से ज़्यादा टाइट होने लगे हैं मेरी बच्ची”. रज़िया बीबी ने शाज़िया से कहा.

इस से पहले कि शाज़िया अपनी अम्मी को कुछ जवाब दे पाती. शाज़िया को एक दम एक चक्कर सा आया और वो लड़ खड़ा कर किचन के फर्श पर गिरने लगी.

“क्या हुआ है तुम्हें, मेरी बच्ची” ज्यों ही रज़िया बीबी ने अपनी बेटी को यूँ लड़खड़ाते देखा. तो उस ने एक दम कुर्सी से उठ कर अपनी बेटी को अपने हाथों में संभाल लिया. जिस से शाज़िया किचन के फ्लोर पर गिरने से बच गई.

अपनी अम्मी के हाथों का सहारा पाते ही शाज़िया गिरने से बच तो गई. मगर इस के साथ ही उस ने एक दम से उल्टी (वॉमिटिंग) कर दी.

“लगता है तुम्हारी तबीयत ठीक नही चलो में तुम्हें लेडी डॉक्टर के पास लिए चलती हूँ”. अपनी बेटी को यूँ एक दो मल्टी करते देख कर रज़िया बीबी ने शाज़िया से कहा.

रज़िया बीबी एक समझ दार औरत थी. इसीलिए अपनी बेटी की हालत और उस की उल्टी को देख कर वो फॉरन समझ गई. कि उस की बेटी का पावं भारी (प्रेग्नेंट) हो गया है.

कोई आम हालत होते तो अपनी तलाक़ याफ़्ता बेटी को यूँ उल्टियाँ करते देख कर रज़िया बीबी ना सिर्फ़ अपने हाथों से अपनी बेटी का गला दबा देती. बल्कि शरम से खुद भी खुद खुशी कर लेती.

मगर अपने बेटे ज़ाहिद की हराम की कमाई ने ना सिर्फ़ रज़िया बीबी बल्कि अपने बेटा और बेटी को एक गुनाह भरी राह पर चला दिया था.

बल्कि अपने बेटे की रिश्वत की कमाई ने रज़िया बीबी के अपने ज़मीर को इतना मुर्दा कर दिया था. कि आज ये जान कर उस का दिल खुशी से फूले नही समा रहा था. कि उस की अपनी सग़ी बेटी की कोख में उस के अपने सगे बेटे का बच्चा जनम लेने लगा है.

रज़िया बीबी ने खुद भी 5 बच्चो को जनम दिया था. इसीलिए शाज़िया की शकल से ही रज़िया बीबी को सूरते हाल का अंदाज़ा हो गया था. मगर इस के बावजूद रज़िया बीबी शाज़िया को डॉक्टर से चेक करवा कर इस बात का यकीन कर लेना चाहती थी. कि उस की बेटी वाकई ही अपने सगे भाई के बच्चे की माँ बनने वाली है.

फिर शाज़िया के रोकने के बावजूद रज़िया बीबी अपनी बेटी को घर के पास ही एक क्लिनिक पर ले गई.

शाज़िया का अच्छी तरह मुआयना करने के बाद जब लेडी डॉक्टर ने बाहर आ कर रज़िया बीबी को कहा कि “मुबारक हो आप दादी बनने वाली हैं”. तो ये खबर सुन कर रज़िया बीबी का ना सिर्फ़ दिल बाग बाग हो गया.

बल्कि उस की अपनी चूत भी इस ख्याल से पानी पानी होने लगी. कि उस के बेटे के मोटे ताज़े लंड से निकलने वाला उस का गाढ़ा पानी आख़िर अपनी बहन की बच्चे दानी में जा कर अपना काम दिखा चुका है.

चूँकि शाज़िया अपनी जिंदगी में पहली बार प्रेग्नेंट हुई थी.

इसीलिए लेडी डॉक्टर ने चेक अप के बाद शाज़िया को कुछ खास हदायत दीं.

अपने चेक अप के बाद ज्यों ही शाज़िया डॉक्टर के कमरे से बाहर आई.तो उसे अब शरम के मारे हिम्मत नही हो रही थी कि वो अपनी अम्मी से अपनी नज़रें मिला सके.

रज़िया बीबी ने खुद भी क्लिनिक में अपनी बेटी से कुछ कहना मुनासिब ना समझा.और वो चेहरे पर खुशी की मुस्कराहट लिए शाज़िया को साथ ले कर अपने घर वापिस चली आई.

अपने घर के अंदर आते ही रज़िया बीबी ने अपनी बेटी शाज़िया को अपने गले से लगा कर उस के माथे पर प्यार भरा बोसा दिया और बोली”शाज़िया तुम को मुबारक हो कि तुम अपने ही भाई के बच्चे की माँ बने वाली हो मेरी बेटी”.

रज़िया बीबी की तरह शाज़िया भी लेडी डॉक्टर के मुँह से माँ बनने की खूसखबरी सुन कर बहुत खुस थी.
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08-12-2019, 01:30 PM,
RE: Indian Porn Kahani वक्त ने बदले रिश्ते
रज़िया बीबी की तरह शाज़िया भी लेडी डॉक्टर के मुँह से माँ बनने की खूसखबरी सुन कर बहुत खुस थी.

इसीलिए घर वापिस आते ही जब उस की अम्मी ने भी उसे अपने साथ लिपटा कर उसे माँ बनने की मुबारक दी.

तो अपनी अम्मी रज़िया बीबी की तरह शाज़िया को भी ये बात सोच कर अपनी चूत में हल्का हल्का गीला पन महसूस होने लगा. कि उस के पेट में जनम लेने वाले इस बच्चे का बाप कोई और नही बल्कि उस का अपना सगा बड़ा भाई है.

दोनो माँ बेटी एक दूसरे से इसी तरह लिपटी काफ़ी देर घर के टीवी लाउन्ज में खड़ी रहीं. कि इतनी देर में ज़ाहिद अपने घर में दाखिल हुआ.

“खैर तो है, दोनो माँ बेटी के दरमियाँ बड़ा प्यार उमड़ रहा है आज” ज़ाहिद ने जब अपनी अम्मी और बहन को एक दूसरे से लिपटे देखा.तो वो हेरान होता हुआ उन से पूछने लगा.

शाज़िया ने ज्यों ही अपने शोहर भाई की आवाज़ सुनी. तो ना जाने उसे क्यों शरम महसूस हुई और वो अपनी अम्मी से अलहदा हो कर अपने कमरे की तरफ भाग गई.

“एक तो तुम ने खुद ही अपनी ही सग़ी बहन को अपने हाथों से खराब किया है,और ऊपर से मासूम बन कर पूछते हो कि ख़ैरियत तो है” रज़िया बीबी ने जब अपने बेटे की आवाज़ सुनी. तो उस ने मुस्कुराते हुए टीवी लाउन्ज में अपने पीछे खड़े हुए अपने बेटे को देखते हुए कहा.

“अम्मी बताएँ तो सही कि क्या बात है आख़िर” अपनी अम्मी और बहन को यूँ गले लगे देखने और फिर उस की आमद पर शाज़िया का इस तरह शर्मा का कमरे में भाग जाने की वजह से ज़ाहिद से अब सबर नही हो रहा था.

“बात ये है कि तुम्हारी मेहरबानी की बदोलत मैं एक ही वक्त में नानी और दादी दोनो बनने जा रही हूँ बेटा” रज़िया बीबी ने अपने बेटे के करीब होते हुए ज़ाहिद को खींच कर अपने गले से लगा कर ज़ोर से अपनी बाहों में कस लिया.

“किययययययययययययययया” अपनी अम्मी के मुँह से खुशी की ये खबर सुन कर ऊपर से ज़ाहिद का मुँह खुला का खुला रह गया.और नीचे से ज़ाहिद का लंड उस की पॅंट में सख़्त कर खड़ा होने लगा.

रज़िया बीबी की तरह ज़ाहिद ने भी खुशी के मारे अपनी अम्मी के जिस्म के गिर्द अपनी बाहें जकड कर अपनी अम्मी के मोटे जिस्म को अपनी साथ चिमटा लिया.

ज़ाहिद के अपनी अम्मी को यूँ अपने साथ चिपटाने से रज़िया बीबी के बड़े बड़े मम्मे उस के बेटे की सख़्त छाती से लग कर दब्ते चले गये.

जब कि नीचे से पॅंट में कसा हुआ ज़ाहिद का लंड भी उस की अम्मी की शलवार के ऊपर से रज़िया बीबी की चूत को छूने की नाकाम कोशिश करने लगा.

रज़िया बीबी ने आज एक लूज़ किस्म का ब्रेज़ियर पहना हुआ था. जिस की वजह से अपने बेटे की बाहों में यूँ जकड़े होने की वजह से रज़िया बीबी के मोटे मम्मो के निपल्स ज़ाहिद की सख़्त और जवान छाती से रगड़ खा कर उस के ब्रेज़ियर में सख़्त होने लगे थे.

जब कि नीचे से रज़िया बीबी की चूत अपने बेटे के मोटे और तगड़े लंड के इतने करीब हो कर ज़ाहिद के लंड की गरमाइश को अपनी चूत की दीवारों के ऊपर महसूस कर के पानी पानी होने लगी थी.

इस से पहले कि अपने बेटे की मज़बूत बाहों में जकड़ी हुई रज़िया बीबी अपनी बेटी शाज़िया की तरह अपने जिस्म की गर्मी के हाथों मजबूर हो कर अपने बेटे ज़ाहिद के साथ कुछ और करती.

इधर दूसरी तरफ आज अपनी अम्मी के भारी वजूद को अपनी जवान बाहों में कस कर जकड़ने पर ना जाने क्यों पहली बार ज़ाहिद को अपने दिल में एक अजीब सी हल चल महसूस हुई. मगर उसे अपने दिल के यूँ बेचैन होने की फॉरी समझ नही आई.

इसीलिए ज़ाहिद ने अपनी अम्मी को अपने आप से अलग किया और बोला “में ज़रा शाजिया से मिल कर आता हूँ अम्मी”.

इस के साथ ही ज़ाहिद तेज़ी के साथ चलता हुआ अपने कमरे की तरफ चल पड़ा.

“हाईईईईईईईईईईईईईईईई अपनी बहन की चूत में अपने लंड का बीज तो डाल ही दिया है,अब मेरी इस प्यासी चूत पर अपने मोटे लंड का पानी कब बरसाओगे मेरे बच्चेययययययययययी” ज़ाहिद को अपनी बहन के पास जाता देख कर रज़िया बीबी ने अपने ज़हन में सोचा. और अपने हाथ को नीचे ले जा कर अपनी पानी छोड़ती हुई फुद्दि को शलवार के ऊपर से ही अपने हाथ से आहिस्ता आहिस्ता रगड़ कर सिसकियाँ लेने लगी. और उस की चूत से पानी रिस रिस कर उस की गुदाज और बाहरी सुडोल रानों के उपर बहने लगा.

इस के साथ ही रज़िया बीबी को यूँ लगा जैसे उस की शलवार में छुपी हुई उस की चूत अपने बेटे के मोटे लंड के लिए इंडियन मूवी “हीना” का ये गाना गुनगुना रही हो”

“कब पाओ गे कब पाओ
चूत से पानी सूख जाएगा
तब पाओ गे
देर ना हो जाए कहीं देर ना हो जाए”

उधर ज़ाहिद जब अपने कमरे में दाखिल हुआ. तो शाज़िया उस वक्त बिस्तर पर बैठ कर अपनी बिखरी सांसो को संभालने में मसरूफ़ थी.

ज्यों ही शाज़िया ने अपने पीछे पीछे अपने भाई ज़ाहिद को कमरे में दाखिल होते देखा. तो वो समझ गई कि उस की अम्मी ने उस के भाई को शाज़िया के प्रेगनेंट होने की खबर सुना दी है.

फिर जिस तरह हर आम लड़की को प्रेग्नेंट होने के बाद पहली बार अपने शोहर का सामना करने में शरम महसूस होती है.

बिल्कुल इसी तरह अब शाज़िया भी अपने कमरे में बैठी अपने भाई का सामना करने में एक शरम सी महसूस कर रही थी.

इसीलिए अपने भाई की कमरे में आमद पर उस का दिल तेज़ी से धड़कने लगा.और वो शरम के मारे करवट बदल कर बिस्तर पर लेट गई.

ज़ाहिद को अपनी बहन का उस से यूँ शरमाना अच्छा लगा. और उस की पॅंट में खड़े हुए उस के लंड को मज़ीद जोश आ गया.



ज़ाहिद आहिस्ता आहिस्ता चलता हुआ बिस्तर पर लेटी हुई अपनी बहन के पीछे बैठा. और उस ने अपनी बहन के “कान” को अपने दाँतों से काटते हुए सेरगोशी की “हाईईईईईईईईई में कितना खुस नसीब भाई हूँ जो अपनी ही सग़ी बहन के बच्चे का बाप बनने वाला हाईईईईईईईईई”

शाज़िया अपने भाई की बात सुन कर गरम हो गई. उस ने गरम होते हुए करवट बदली और अपने भाई के होंठो से अपने लब मिलाते हुए सिसकरीी“हाईईईईईई भाईईईईईई आप नही जानते कि में आप की कितनी अहसान मंद हूँ, कि आप ने मेरी सुखी कोख में अपना बच्चा डाल कर मुझे एक मुकम्मल औरत में बदल दिया है”

ज़ाहिद भी अपनी बहन का जवाब सुन कर मस्त हो गया. और अपनी बहन की कमीज़ और उस के ब्रेजियर को ऊपर उठा कर अपनी बहन के मोटे और भारी मम्मो को अपनी नज़रों के सामने नगा करते हुए बोला.



“उफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ शाज़िया मेरे प्यासे होंठो को तो बस उस दिन का इंतिज़ार है, जब मेरी बहन के इन मोटे मम्मो में दूध भरे गा, और में अपनी बहन के इन लंबे निपल्स को सक कर के अपनी ही बहन का ताज़ा और ख़ालस दूध पीऊँगा”

साथ ही ज़ाहिद ने अपने मुँह आगे बढ़ाया और अपनी बहन के मोटे मम्मो कर लंबे निपल्स को अपने मुँह में भर कर मज़े और मस्ती से चूसने लगा.

शाज़िया भी अपने भाई के इस वलिहाना प्यार को देख कर गरम होती गई. और वो अपने भाई के सर पर अपना हाथ रख कर अपने भाई के बालों में अपने हाथ की उंगलियाँ फैरने लगी.

“शाज़िया जल्दी से अपनी शलवार उतारो, मैं अपने लंड का मज़ीद पानी तुम्हारी चूत में डालना चाहता हूँ,ताकि हमारा होने वाला बच्चा सेहत मंद हो मेरी जान” ज़ाहिद ने अपनी बहन के मोटे मम्मो को चुसते हुए शाज़िया की शलवार के नाडे को पकड़ कर खोलने की कॉसिश करते हुए कहा.

“आप कहते हैं तो में अपने कपड़े उतार देती हूँ,मगर साथ ही साथ आप की इतला के लिए अर्ज़ है कि आज ही नही बल्कि तकरीबन एक महीने तक आप मेरी चूत में अपना लंड नही डाल सकेंगे भाईईईईईईईई”शाज़िया ने अपने जिस्म से खेलते हुए भाई पर हैरत का प्रहार गिराते हुए उस से कहा.

“क्िऊऊओन्न्नाणणन् जी ये क्या बतत्तटटटटटतत्त हुई भलाआआआआआ” ज़ाहिद ने एक दम चोंक कर शाज़िया के मम्मे से अपना मुँह हटाया और हेरान होते हुए उस से पूछा.

“वो असल में डॉक्टर बता रही थी, कि 30 साल की उम्र से उपर की औरतों को हमाल ठहराने के बाद कुछ टाइम अहतियात करना पड़ती है,और आप जानते हैं कि मेरी उम्र अब तकरीबन 32 साल है,इसी लिए डॉक्टर ने कहा है कि में अपने शोहर से एक महीना परहेज करूँ” शाज़िया ने अपने भाई ज़ाहिद के दिल और लंड पर बिजली गिराते हुए बताया.

अपनी बहन शाज़िया के साथ मनाई जाने वाली अपनी सुहाग रात की चुदाई के बाद तो ज़ाहिद को अपनी बहन शाज़िया की चूत की इतनी आदत हो गई थी. कि वो रात दिन अपनी बहन की चूत में अपना लंड डाल कर ही पड़ा रहता था.
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08-12-2019, 01:30 PM,
RE: Indian Porn Kahani वक्त ने बदले रिश्ते
अब ज़ाहिद जैसे गरम और अपनी बहन की चूत के आशिक़ भाई के लिए एक महीना तो क्या एक दिन भी अब अपनी बहन की चूत से दूर रहना मोहाल था.

इसीलिए अपनी बहन को अपने ही लंड से हमला (प्रेनग्नेंट) करने वाली खबर सुन कर ज़ाहिद को जितना जोश चढ़ा था.

अब अपनी बहन से डॉक्टर की कही हुई हिदायत का सुन कर ज़ाहिद की तबीयत उतनी ही परेशान हो गई थी.

“तु तुम ही बताओ,तुम्हारी चूत के बिना एक महीना में कैसे गुज़ारुँगा मेरी जान” ज़ाहिद ने शाज़िया की शलवार के नाडे को खोलते हुए मासूम अंदाज़ में अपनी बहन से पूछा.

“सबर्र्र्र्र्र्र्र्ररर मेअरयययययययययययी भाईईईईईईईईई सबर्र्र्र्र्र्र्र्र्र्ररर, इस के अलावा आप कर भी क्या सकते हो अब”शाज़िया ने अपने भाई को तसल्ली दी और अपनी शलवार और कमीज़ उतार कर बिल्कुल नंगी हो गई.

शाज़िया को अपने कपड़े उतारते देख कर ज़ाहिद भी फॉरन नंगा हो गया. और फिर ज़ाहिद ने अपनी बहन के पैरो से ले कर उस के सर के बालों तक शाज़िया के जिस्म के हर हिस्से को चूम चूम कर अपनी बहन से अपनी वलिहाना मोहब्बत का इज़हार किया.

अपनी बहन के नंगे बदन के एक एक हिस्से को चूमने के बाद ज़ाहिद बिस्तर पर नंगी लेटी अपनी बहन शाज़िया की टाँगों के दरमिया आया.



और अपनी बहन की फूली हुई चूत के होंठो पर अपनी गरम ज़ुबान रखते हुए बोला” चलो अगर में अपनी बहन की चूत में अपना लंड नही डाल सकता तो कोई बात नही,में एक महीना यूँ ही अपनी बहन की चूत के पानी को चाट चाट कर ही अपने मुँह और लंड की प्यास बुझाने की कोशिश करूँगा ”

ज्यों ही ज़ाहिद की गरम ज़ुबान उस की बहन की प्यासी चूत से टच हुई. तो शाज़िया अपने भाई की ज़ुबान और होंठो की गर्मी से मस्त होते हुए एक मछली की तरह अपने बिस्तर पर तड़प तड़प कर अपनी चूत का पानी छोड़ने लगी..

जिसे उस की टाँगों के दरमियाँ लेटा हुआ उस का भाई ज़ाहिद लेमन का पानी समझ कर पी पी कर अपने जवान जिस्म की गर्मी को कम करने की कोशिस में मसरूफ़ हो गया.

शाज़िया डॉक्टर से अपने प्रेगनेंट होने की खबर सुन कर तो पहले ही बहुत गरम हो चुकी थी.

और अब उस के भाई ज़ाहिद की उस की चूत पर फिसलती हुई ज़ुबान ने उस की फुद्दि की गरमाइश को अपनी इंतिहा पर पहुँचा दिया था.

इसीलिए ज़ाहिद की सकिंग के चन्द लम्हो बाद ही शाज़िया ने अपनी फुद्दि का गरम और नमकीन पानी अपने भाई के खुले मुँह में उडेल दिया.

“भाई मेने सोचा है कि में एक महीना अम्मी के साथ उन के कमरे में रह लूँ” जब शाज़िया अपने भाई के मुँह में अपनी फुद्दि का पानी छोड़ चुकी. तो उस ने झटके ख़ाते हुए अपने जींस को संभालने की कोशिश करते हुए ज़ाहिद से कहा.

“अम्मी के कमरे में मगर क्यों” ज़ाहिद ने शाज़िया की चूत के लिप्स से अपना मुँह अलग कर के पास रखे तोलिये से अपना मुँह पोन्छा और शाज़िया से पूछा.

“वो इसीलिए कि अगर मैं पहले की तरह आप के साथ ही सोती रही ,तो मुझे डर है कि आप ने मेरे मना करने के बावजूद एक ना एक दिन अपना लंड मेरी फुद्दि में ज़रूर डाल देना है,इसीलिए अहतियात के तौर पर में अगला एक महीना अम्मी के साथ उन के कमरे में रहना चाहती हूँ” शाज़िया ने खुल कर अपने दिल की बात अपने भाई से कर दी.

“मेरा दिल तो नही मानता लेकिन तुम ये ही चाहती हो तो ठीक है” अपनी बहन की बात ज़ाहिद के ज़हन में असर कर गई.और इसीलिए ना चाहते हुए भी उस ने शाज़िया की बात मान ली.

फिर उसी रात शाज़िया अपने कुछ कपड़े और समान ले कर अपनी अम्मी के कमरे में शिफ्ट हो गई.

वैसे तो कहते हैं अपने शोहर की जुदाई में रात के वक्त एक औरत को उस का अपना बिस्तर काटने को दौड़ता है.

और अपने शोहार के बैगेर एक औरत किस तरह करवट बदल बदल कर अपनी रात बसर करती है. ये बात सिर्फ़ एक औरत ही जान सकती है.

मगर अपनी बहन शाज़िया के बगैर आज ज़ाहिद को अपना बिस्तर सूना सूना लाग रहा था. और अपनी बहन शाज़िया के गुदाज बदन की गैर मौजूदगी में ज़ाहिद का लंड परेशान हो हो कर उस की शलवार में पागलों की तरह इधर उधर गिरता रहता था.

ज़ाहिद ये बात बखूबी जानता था. कि अपनी बहन की चूत में अपना लंड डाले बिना एक महीना गुज़ारना उस के लिए एक मुश्किल ही नही बल्कि एक ना मुमकिन बात थी.

मगर उसे अपनी बहन की कोख में जनम लेने वाले अपने बच्चे की खातिर डॉक्टर की बात मानते हुए ज़हर का ये घूँट भरना ही था.

इस दौरान तीन दिन गुज़र गये और इन तीन दिनो के दौरान ज़ाहिद और शाज़िया अलाग अलग कमरों में ही सोते रहे.

इन तीन दिनो के दौरान ज़ाहिद ने एक आध दफ़ा शाज़िया से उस की मूठ लगाने या फिर उस के लंड की चुसाइ लगाने का भी कहा. मगर शाज़िया ने अपने भाई की बात नही मानी.

क्यों कि शाज़िया को डर था कि अगर एक दफ़ा उस ने अपने भाई के लंड को हाथ लगा लिया.तो फिर ज़ाहिद तो ज़ाहिद खुद उस के लिए अपने आप को रोकना मुश्किल हो जाएगा.इसीलिए शाज़िया ने हर बार अपने भाई ज़ाहिद को ना कर दी.

इस दौरान ज़ाहिद ने एक आध बार सोचा कि काश अगर नीलोफर पाकिस्तान में होती. तो शायद वो शाज़िया से किए हुए अपने वादे को तोड़ कर नीलोफर की फुद्दि से अपने लंड की प्यास बुझा ही लेता.

मगर अब नीलोफर की गैर मौजूदगी में उस के पास एक ही हल रह गया था. कि वो अपने एरिया की किसी गश्ती के पास जा कर अपने गरम जिन्सी जज़्बात की आग को ठंडा कर ले.

लेकिन नीलोफर और फिर अपनी ही बहन की चूत के मज़े ले ले कर ज़ाहिद को अब रंडी औरतों में कोई दिल चस्पी नही रही थी. इसीलिए अब उस के भूके लंड के पास सबर करने के सिवाय कोई चारा नही रहा था.

अपनी बहन की चूत से किनारा करने के चोथे दिन जब ज़ाहिद अपने कमरे में खड़ा पोलीस स्टेशन जाने के लिए तैयार हो रहा था. तो इतने मेंशाज़िया उस के कमरे में दाखिल हुई और बोली “आप आज वापसी पर मेरे लिए बाज़ार से कुछ चीज़े तो लेते आना भाई”.

“अच्छा मुझे फोन पर बता देना क्या लेना है, में वापसी पर लेता आऊँगा” ज़ाहिद जल्दी में था इसीलिए उस ने शाज़िया को फॉरन जवाब दिया.

“मेने चीज़े पेपर पर लिख दीं है,आप लेते आना प्लीज़” शाज़िया ने जब देखा कि ज़ाहिद उस की बात पर गौर नही कर रहा. तो उस ने एक पेपर जल्दी से अपने भाई की शर्ट की पॉकेट में रखते हुए कहा.



साथ ही दोनो बहन भाई एक सही मियाँ बीवी की तरह एक दूसरे को गले मिले.और एक दूसरे के होंठो में लब डाल कर खुदा हाफ़िज़ कहते हुए एक दूसरे को अलविदा किया.

उसी शाम जब ज़ाहिद पोलीस स्टेशन से घर जाने के लिए निकला तो उस के फोन की बेल बजी.

“हेलो” ज़ाहिद ने अपने मोटर साइकल पर बैठ कर फोन को ऑन किया.

“बेटा तुम किधर हो इस वक्त” दूसरी तरफ से ज़ाहिद की अम्मी रज़िया बीबी की आवाज़ आई.

“अम्मी में थाने से निकल कर घर आ रहा हूँ” ज़ाहिद ने अपने मोटर साइकल को स्टार्ट करते हुए जवाब दिया.

“ज़ाहिद बेटा में अपनी किसी पुरानी जानने वाली औरत की तबीयत का हाल जानने एक हॉस्पिटल में आई हुई हूँ,अगर हो सके तो रास्ते से मुझे भी पिक कर लो” रज़िया बीबी ने अपने बेटे ज़ाहिद से कहा.

“ठीक है में आता हूँ” ज़ाहिद ने अपनी अम्मी से हॉस्पिटल का नाम पूछा और फिर अपनी अम्मी को लेने उस तरफ चल पड़ा.
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08-12-2019, 01:30 PM,
RE: Indian Porn Kahani वक्त ने बदले रिश्ते
जिस हॉस्पिटल के बाहर रज़िया बीबी खड़ी अपने बेटे ज़ाहिद का इंतजार कर रही थी. वो हॉस्पिटल बिल्कुल एक मेन रोड के किनारे पर था.

ज्यों ही ज़ाहिद ने अपनी अम्मी के पास आ कर अपनी मोटर साइकल को रोका.तो उस की नज़र हॉस्पिटल के साथ बने हुए एक शॉपिंग स्टोर पर पड़ी.

शॉपिंग स्टोर को देखते ही ज़ाहिद को अपनी बहन शाज़िया की सुबह दी हुई लिस्ट ज़हन में आ गई.

जो शाज़िया ने उसे घर से निकलते हुए दी थी कि वो शाम को घर वापिस आते वक्त शाज़िया के लिए शॉपिंग करता आए.

“अम्मी आप इधर की रुकिये में ज़रा स्टोर से शाज़िया के लिए कुछ चीज़े खदीद लूँ” ज़ाहिद ने अपने मोटर साइकल को स्टॅंड पर खड़ा करते हुए रज़िया बीबी से कहा.

“चलो में भी तुम्हारे साथ ही चली चलती हूँ बेटा” रज़िया बीबी ने जवाब दिया और अपने बेटे के साथ साथ चलती स्टोर में आ गई.

स्टोर में आ कर रज़िया बीबी तो औरतों की आदत के मुताबिक इधर इधर की चीज़ो को देखने लगी. जब कि ज़ाहिद ने स्टोर के सेल्स मॅन के पास जा कर अपनी पॉकेट से अपनी बहन का दिया हुआ पेपर निकाला और सेल्स मॅन से कहा कि इस पेपर पर लिखी हुई चीज़े दे दो.

सेल्स मॅन ने ज़ाहिद से पेपर लिया और एक एक कर के शम्पू,कंडीशनर,बॉडी सोप और हेर रिमूविंग क्रीम निकाल कर ज़ाहिद के सामने काउंटर पर रखना शुरू कर दीं.

ज्यों ही सेल्स मॅन ने ये सब चीज़े ज़ाहिद के सामने रखीं तो एक और कस्टमर ने सेल्स मॅन को अपनी तरफ बुलाया.

जिस पर वो सेल्स मॅन ज़ाहिद से एक मिनट में वापिस आने का कह कर दूसरे कस्टमर की तरफ चला गया.

“उफफफफफफफफ्फ़ शाज़िया ने भी ये हेर रिमूविंग क्रीम मुझ से आज इसी वक्त मंगवानी थी,जबकि एम्मी मेरे साथ हैं” आज अपनी अम्मी की मौजूदगी में अपनी बहन की चूत सफाई की क्रीम खरीदते वक्त ना जाने क्यों ज़ाहिद को शरम सी महसूस होने लगी थी.और वो दिल ही दिल में ये दुवा माँगने लगा कि कहीं सेल्स मॅन के वापिस आने तक उस की अम्मी उस की तरफ ना आ जाएँ.

मगर आज शायद ज़ाहिद की दुआ की कबोलियत का दिन नही था.इसीलिए ज्यों ही ज़ाहिद दुआ माँग कर फारिग हुआ तो उसे अपने पीछे से अपनी अम्मी की आवाज़ सुनाई दी “में भी तो ज़ेरा देखूं मेरा बेटा अपनी बहन के लिए क्या शॉपिंग कर रहा है भला”.

“उफफफफफफफफफ्फ़ लो जी अम्मी भी आ ही गई हैं” अपनी अम्मी की आवाज़ सुन कर ज़ाहिद ने अपने दिल में सोचा और उस का दिल शरम के मारे तेज़ी से धक धक करने लगा.

हालाकी ज़ाहिद अपनी अम्मी की रज़ा मंदी से अपनी ही बहन को अपनी बीवी बना कर ना सिर्फ़ अपनी सुहाग रात मना चुका था.

बल्कि उस की अम्मी ने ही तो उसे अपनी ही बहन के बच्चे का बाप बनने की खुस खबरी भी सुनाई थी.

मगर इस के बावजूद अब अपनी अम्मी के सामने अपनी बहन की मोटी फुद्दि का समान लेते वक्त ज़ाहिद को शरम से पसीना आने लगा था.

फिर ज़ाहिद के ना चाहते हुए भी उस की अम्मी की नज़र काउंटर पर रखी हुई शाज़िया की चीज़ो पर पड़ी.

“अच्छा तो मेरा बेटा मेरी बहू के नहाने धोने की आशिया (थिंग्स) खरीद रहा है” रज़िया बीबी ने एक एक कर के सारी चीज़ो को अपने हाथ में उठा कर अपनी आँखो के सामने लाते हुआ कहा.

रज़िया बीबी के ज़हन में ख्याल आया.कि उस के मेरहूम शोहर ने तो कभी अपनी जिंदगी में उस के लिए इस किस्म की चीज़े नही खरीदी थी.

जब कि आज उस का अपन सगा बेटा उस की नज़रों के सामने अपनी ही सग़ी बहन की चूत की शेव के लिए हेर रिमूविंग क्रीम खरीद कर ले जा रहा है. ये सोचते ही रज़िया बीबी की फुद्दि पानी पानी हो गई और उस की चूत में पानी आने लगा.

“जीिइई अम्मी वो शाज़िया ने आज सुबह ये लिस्ट मुझे दी थी कि वापसी पर में उस के लिए ये चीज़े लेता आऊँ” ज़ाहिद ने अपनी अम्मी से हिचकिचाते हुए कहा.

इस से पहले कि रज़िया बीबी और कुछ पूछ पाती.सेल्स मॅन वापिस आ गया और ज़ाहिद से मज़रत करता हुआ सब चीज़े पॅक करने लगा.

ज्यों ही सेल्स मॅन ने क्रीम को हाथ लगाया.तो रज़िया बीबी ने सेल्स मॅन से कहा “बेटा इस क्रीम की जगह वीट क्रीम दे दो”

इस पर सेल्स मॅन ने रज़िया बीबी की हिदायत पर यू क्रीम की जगह वीट हेर रिमूविंग क्रीम पॅक कर दी.

ज़ाहिद को अपनी अम्मी का यूँ शाज़िया की कही हुई क्रीम को चेंज करवाने पर हैरत हुई .

इसी लिए ज्यों ही वो पैसे दे कर स्टोर से बाहर निकलने लगा. तो ज़ाहिद से छुपा ना रह सका और अपनी अम्मी से अचानक ही पूछ बैठा “अम्मी शाज़िया ने तो यू क्रीम लेने का कहा था तो फिर आप ने वीट क्यों ले ली”.

अपनी बेटे के मुँह से निकलता हुआ ये अचानक सवाल सुन कर रज़िया बीबी की पहले से गरम फुददी और बहक उठी.और उस के मुँह से भी एक दम अचानक ही निकल गया “वो इसीलिए कि इस क्रीम से सफाई अच्छी होती है बेटा”.

रज़िया बीबी के मुँह से निकालने वाले ये इलफ़ाज़ इतने खुल्लम खुल्ला और अचानक थे. कि जिन को सुन कर ज़ाहिद एक दम हैरत से अपनी अम्मी का मुँह देखने लगा.

जब कि अपने मुँह से ये इलफ़ाज़ यूँ एक दम अदा करते ही रज़िया बीबी खुद भी शरम से पानी पानी होने लगी.

ज़ाहिद अपनी अम्मी के साथ चलता हुआ स्टोर के बाहर खड़ी हुई अपनी मोटर साइकल तक आया. और मोटर साइकल पर बैठ कर उसे स्टार्ट कर दिया.

अपनी अम्मी के साथ स्टोर में होने वाले इस मोकलमे (डायलॉग) पर ना जाने क्यों ज़ाहिद को आज मज़ा आया था.

जिस वजह से उस के अंडरवेार में सोया हुआ उस का लंड एक भर पूर अंगड़ाई ले कर अपनी नींद से जाग उठा.

ज़ाहिद ने ज्यों ही अपना मोटर साइकल को स्टार्ट किया. तो उस की अम्मी रज़िया बीबी खामोशी से अपने बेटे के पीछे उस की मोटर साइकल पर आन बैठी.

रज़ाई बीबी को वैसे तो मोटर साइकल की सवारी से डर लगता था. इसीलिए वो ज़्यादा तर मोटर साइकल की सवारी से पेरहेज करती थी.

लेकिन आज सुबह से वो अपनी एक पुरानी सहेली की तबीयत की खबर लेने हॉस्पिटल आने की वजह से काफ़ी थक गई थी.

इस वजह से किसी वॅन या रिक्शा में सफ़र करने की बजाय उस ने ज़ाहिद को बुलाना मुनासिब समझा. और अब ना चाहते हुए भी वो अपने बेटे के पीछे मोटर पर बैठ कर अपने घर पहुँचना चाहती थी.

मोटर साइकल पर बैठ कर रज़िया बीबी ने हल्के से अपना एक हाथ अपने बेटे के कंधे पर रख लिया.ताकि उसे अपने बेटे ज़ाहिद के जिस्म का सहारा रहे और वो मोटर साइकल से गिरने से बच जाए.



रज़िया बीबी की गान्ड इतनी मोटी,भारी और चौड़ी थी. कि उस की भारी गान्ड ज़ाहिद की मोटर साइकल की सीट पर नही समा पा रही थी.

जिस वजह से रज़िया बीबी की भारी गान्ड अब आधी मोटर की सीट पर जमी हुई थी. जब कि रज़िया बीबी की आधी चौड़ी गान्ड मोटर साइकल की सीट के पिछले डंडे पर अटकी हुई थी.

रज़िया बीबी ज्यों ही मोटर साइकल पर बैठी. तो उस का एक पावं तो मोटर साइकल के पायदान (फुट रेस्ट) पर पड़ गया. मगर रज़िया बीबी का दूसरा पावं हवा में झूलने लगा.

जिस का हल रज़िया बीबी ने यूँ निकाला कि उस ने बैठते ही अपनी एक टाँग को दूसरी टाँग के ऊपर रख लिया. जिस की वजह से रज़िया बीबी की गान्ड एक तरफ से ऊपर को उठ गई.

रज़िया बीबी ने आज अपनी शलवार के नीचे जो पैंटी पहनी हुई थी. वो पहले से ही काफ़ी तंग थी.
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08-12-2019, 01:30 PM,
RE: Indian Porn Kahani वक्त ने बदले रिश्ते
रज़िया बीबी ने आज अपनी शलवार के नीचे जो पैंटी पहनी हुई थी. वो पहले से ही काफ़ी तंग थी.

इसीलिए जब रज़िया बीबी अपनी टाँग पे टाँग रख कर मोटर साइकल पर बैठी तो रज़िया बीबी की पैंटी उस की चूत और गान्ड पर मज़ीद कस्ति चली गई.

ज़ाहिद और उस की अम्मी मोटर साइकल पर बैठ कर अभी कुछ दूर ही गये थे. कि मोटर साइकल का टाइयर रोड पर माजूद एक खड़े (होल) में से हो कर गुज़रा.

जिस वजह से मोटर को जम्प लगा. तो रज़िया बीबी की मोटी जांघे आपस में रगड़ खा गईं.

इस जम्प और रज़िया बीबी की गोश्त से भरपूर जाँघो के आपस में रगड़ने की वजह से रज़िया बीबी की टाइट पैंटी में एक खिचाव आया.

जिस की बदोलत रज़िया बीबी की पैंटी की छोटी पट्टी रज़िया बीबी की चूत के मोटे लबो में घुस कर उस की चूत के फूले हुए दाने पर रगड़ खाने लगी .

अपनी पैंटी के कपड़े की इस रगड़ से रज़िया बीबी को अपनी चूत के होंठो में एक अजीब सी सनसनाहट और मज़े दार खिचाव महसूस हुआ. और ना चाहते हुए भी रज़िया बीबी के मुँह से एक “अहह” सी निकल गई.

“अम्मी क्या हुआ” अपनी अम्मी के मुँह के निकलेने वाली आवाज़ सुन कर ज़ाहिद ने एक दम से पूछा.

“वो खड़े रहने की वजह से में थक गई थी बेटा” रज़िया बीबी ने अपने बेटे को जवाब दिया और शरम के मारे अपना दुपट्टा अपने मुँह में रख लिया. ता कि उस के मुँह से बेइख्तियारी में दुबारा ऐसी आवाज़ ना निकल पाए.

अपनी पैंटी के इस खिचाव ने चन्द ही लम्हों में रज़िया बीबी की चूत को पानी पानी कर के रख दिया.

रज़िया बीबी को आज का ये सफ़र बहुत मज़े दार तो लग रहा था. मगर इस के साथ साथ वो अभी तक मोटर साइकल की सवारी से ख़ौफ़जदा भी थी.

इसीलिए अपने घर की तरफ जाते हुए रज़िया बीबी बार बार अपने बेटे ज़ाहिद से कहती जा रही थी “ज़रा अहतियात से बेटा,ज़रा आहिस्ता चलो बेटा”.

अम्मी के बार बार इस तरह की बातें करने पर ज़ाहिद ने महसूस किया कि उस की अम्मी मोटर साइकल पर सफ़र करने से डर रही हैं.

इसीलिए उस ने मोटर साइकल आहिस्ता करते हुए अपनी अम्मी से कहा “अम्मी आप अपने बाज़ू को मेरे कंधे पर रखने की बजाए,अपने हाथ को मेरी कमर के गिर्द लपेट लो,इस तरह आप को नीचे गिरने का डर नही रहे गा”.

“नही बेटा ऐसे ही ठीक है,वैसे भी हम थोड़ी देर में घर पहुँच ही जाएँगे” रज़िया बीबी ने अपने बेटे की ऑफर के जवाब में कहा.

ज़ाहिद और रज़िया बीबी जब अपने घर के आधे रास्ते में पहुँचे. तो एक दम से एक कार ने ज़ाहिद के सामने ब्रेक लगाई. जिस की वजह से ज़ाहिद को भी अचानक ब्रेक लगानी पड़ गई.

इस तरह अचानक ब्रेक लगने से ज़ाहिद के पीछे बैठी रज़िया बीबी घबरा गई.

उस ने एक दम से ज़ाहिद के कंधे पर रखा हुआ हाथ हटाया. और अपने हाथ को ज़ाहिद की कमर के गिर्द ला कर अपने बेटे की कमर के गिर्द लपेट दिया.

रज़िया बीबी के इस तरह अपना हाथ ज़ाहिद के जिस्म के गिर्द लपेटने से रज़िया बीबी का जिस्म पीछे से अपने बेटे की कमर के साथ चिपकता चला गया.

जिस की वजह से रज़िया बीबी के तरबूज़ की मानद बड़े बड़े मम्मे उस के बेटे ज़ाहिद की कमर से लग कर चिपक गये.

“उफफफफफफफफफफ्फ़ मेरी अम्मी का बदन कितना नरम है और उन के जिस्म में कितनी गर्मी भरी हुई है” ज्यों ही रज़िया बीबी पीछे से अपने जवान बेटे की कमर से टकराई. तो ज़ाहिद के दिल में पहली बार अपनी अम्मी के मुतलक इस तरह की बात आई.

“ज़ाहिद कुछ तो शरम कर ये तुम्हारी सग़ी अम्मी हैं बेगैरत” दूसरे ही लम्हेज़हिद की इस गंदी सोच पर उस के ज़मीर ने उसे मलंत किया.

आम हालत में ज़ाहिद अपनी अम्मी के मुतलक इस तरह की बात अपने ज़हन में लेने का तसव्वुर भी नही कर सकता था.

मगर अपनी बहन की चूत से महरूमी की वजह से ज़ाहिद के जिस्म में तो जिन्सी भूक पहले ही काफ़ी भारी हुई थी. और फिर कुछ देर पहले स्टोर में कही हुई अपनी अम्मी की बात ने उस के लंड को उस की पॅंट में खड़ा कर दिया था.

इसीलिए अब जैसे ही ज़ाहिद ने अपनी अम्मी के बड़े और गुदाज मम्मो को पीछे से अपने जिस्म के साथ छूते और रगड़ खाते हुए महसूस किया.

तो अपनी अम्मी के मोटे जिस्म और उस के भारी मम्मो के असर से ज़ाहिद के जिस्म में एक करंट सा दौड़ गया. और ज़ाहिद के ना चाहने के बावजूद उस का लंड पहली बार अपनी अम्मी के भारी वजूद के लिए तड़प कर पूरा सख़्त हो गया था.

उधर रज़िया बीबी भी ज्यों ही अपने जवान बेटे की कमर में अपना हाथ डाल उस के साथ पीछे से चिपकी.

तो उसे भी अपने बेटे के जिस्म की मज़बूती और उस के जिस्म में मौजूद जवानी की गर्मी का फॉरन ही अहसास हो गया.

जिस की वजह से रज़िया बीबी की चूत में अपने बेटे के लंड की लगी हुई आग फिर से सुलगने लगी.

अभी दोनो माँ बेटा एक दूसरे के जज़्बात से बे खबर हो कर अपने अपने जिस्मो की आग को संभालने की ना काम कोशिश कर रहे थे. कि इतनी देर वो बहरिया टाउन के अंदर दाखिल हो गये.

बहरिया टाउन की सेक्यूरिटी गेट से ज़ाहिद के घर का फासला कुछ ज़्यादा तो नही था. मगर सोसाइटी की रोड्स पर जगह जगह बने हुए स्पीड ब्रेकर्स की वजह से ज़ाहिद को अपनी मोटर साइकल बहुत ही आहिस्ता स्पीड में चलानी पड़ रही थी.

ज़ाहिद अभी अपनी गली से कुछ दूर ही था. कि उस ज़हन में पोलीस स्टेशन की कोई बात आ गई. जिस की वजह से वो रोड पर माजूद आख़िरी स्पीड ब्रेक पर ध्यान नही दे पाया.

बे शक ज़ाहिद की मोटर साइकल की स्पीड बहुत कम थी.लेकिन इस के बावजूद मोटरो साइकल को एक झटका लगा.

इस अचानक झटके की वजह से अपने बेटे के पीछे सीट पर बैठी रज़िया बीबी एक दम से अनबॅलेन्स हुई.

तो ज़ाहिद की कमर के गिर्द लिपटा हुआ रज़िया बीबी का हाथ एक दम से स्लिप हो हर ज़ाहिद की पॅंट के अंदर उस की टाँगों के दरमियाँ, ज़ाहिद के अभी तक सख़्त और खड़े हुए लंड पर आ पहुँचा.

यूँ अचानक अपने बेटे के लंड से अपना हाथ टच करते ही रज़िया बीबी के होश उड़ गये .और उस ने एक दम से अपने हाथ को पीछे खैंच लिया.

हालाकी रज़िया बीबी के हाथ ने अपने बेटे के जवान लंड को एक ही सेकेंड के लिए यूँ पहली बार छुआ था.

मगर रज़िया बीबी के तजुर्बेकार हाथों ने इस एक ही लम्हे में अपने बेटे के लंड की सख्ती और गर्मी का ब खूबी अंदाज़ा लगा लिया था.

उधर दूसरी तरफ अपनी अम्मी के हाथ का लामास अपने मोटे और बड़े लंड पर महसूस करते ही ज़ाहिद की तो सेती (बेल) ही जैसे एक दम से गुम हो गई. और उस ने भी घबरा कर एक दम से मोटर साइकल का आक्सेलरेटर दबा दिया.

ज़ाहिद का घर चूँकि अगली ही गली में था. इसीलिए दूसरे ही लम्हे दोनो माँ बेटा अपने घर के गेट तक पहुँच गये.

रज़िया बीबी अपने बेटे के लंड से अपने हाथ के यूँ अचानक छू जाने से इतनी शर्मिंदा हुई.कि उस में अपने बेटे से आँख मिलाने की हिम्मत ना रही. और ज्यों ही ज़ाहिद ने घर के बाहर मोटर साइकल को रोका. तो रज़िया बीबी जल्दी से सीट से उतर कर घर के गेट की तरफ चल पड़ी.
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08-12-2019, 01:31 PM,
RE: Indian Porn Kahani वक्त ने बदले रिश्ते
अपनी अम्मी के घर के अंदर जाने के दौरान ना जाने ज़ाहिद को क्या सूझी. कि रज़िया बीबी की तरह खुद भी अपने घर में जाने की बजाय वो अपनी मोटर साइकल पर बैठ कर पीछे से अपनी अम्मी के भारी वजूद को ललचाई नज़रो से देखने लगा.



ज़ाहिद अपनी अम्मी के जिस्म को देखते हुए सोचने लगा.कि उस की बहन शाज़िया की तरह उस की अम्मी का बदन भी काफ़ी भरा भरा है.

आज अपनी अम्मी के जिस्म का दीदार करते हुए ज़ाहिद की नज़र उस की अम्मी की बड़ी और उभरी हुई मोटी मस्त गान्ड पर गई.



“उफफफफफफफफफफ्फ़ शाज़िया तो शाज़िया,मेरी अम्मी तो मेरी बहन से भी बढ़ कर एक माल है यार” अपनी अम्मी की हचकोले खाती गान्ड को देखते हुए ज़ाहिद के दिल में ख्याल आया.तो ज़ाहिद का लंड खुद ब खुद उस की पॅंट में खड़े हो कर झटके लेने लगा.

एक पल के लिए ज़ाहिद अपनी नज़रों से दूर होते हुए अपनी अम्मी के शरीर को देख कर बहका.

लेकिन तभी उस के दिल में ख्याल आया कि “बहन चोद अपनी अम्मी से तो बाज़ आ जा” ज़ाहिद ने अपने पॅंट में खड़े हुए लंड को समझाते हुए कहा.

ज़ाहिद अपने लंड को समझाने की कोशिश तो कर रहा था. मगर अभी तक उस की नज़रें अपनी अम्मी के मटकते हुए चुतड़ों पर जमी हुई थी.

मटक मटक कर चलने की वजह से रज़िया बीबी की मोटी गान्ड ज़ाहिद की आँखों का ध्यान अपनी तरफ खैंच रही थी.

जब के ज़ाहिद एक बुत की मानिंद बिल्कुल सख़्त हो कर मोटर साइकल पर बैठा ,शलवार कमीज़ में कसे हुए अपनी अम्मी के भारी चुतड़ों के सही साइज़ का अंदाज़ा लगने की कोशिश में मसरूफ़ था.

जब कि उस की पॅंट में मौजूद उस का लंड जवानी के नशे में बिल्कुल तन गया था .

रज़िया बीबी तो कब की घर के गेट में दाखिल हो चुकी थी.जब कि ज़ाहिद अभी तक घर के बाहर अपनी मोटर साइकल पर बैठा हुआ अपनी अम्मी के बारे में सोच रहा था.

उधर अपने कमरे तक जाते जाते रज़िया बीबी ने महसूस कर लिया. कि अपने बेटे के गरम और सख़्त लंड को पहली बार अंजाने में ही छू लेने की वजह से उस की फुद्दि अब बे तहासा पानी छोड़ रही है.जिस की वजह से उस की पैंटी भी गीली हो चुकी थी.

रज़िया बीबी ने अपने कमरे में जाते ही अपनी अलमारी से अपनी शलवार,कमीज़ और एक नई पैंटी निकाली.और अपने कमरे के अटेच बाथरूम की तरफ जाने लगी.

ज्यों ही रज़िया बीबी ने अपने कमरे के बाथ रूम के दरवाज़े को हाथ लगाया तो वो उसे अंदर से बंद मिला. जिस पर रज़िया बीबी समझ गई की उस की बेटी शाज़िया बाथरूम यूज़ कर रही है.

रज़िया बीबी को अपनी चूत से बहते पानी की वजह से गीली हो जाने वाली पैंटी को पहने हुए अब उलझन हो रही थी.

इसीलिए उस की कॉसिश थी कि वो जितनी जल्दी हो सके अपनी गीली पैंटी को उतार कर धोने वाले कपड़ो की बास्केट में फैंक दे.

रावलपिंडी में किराए वाले इस घर के सिर्फ़ दो ही बाथरूम थे. जिन में से एक अब शाज़िया यूज़ कर रही थी. जब कि दूसरा बाथरूम ज़ाहिद के कमरे में था.

रज़िया बीबी ने सोचा कि ज़ाहिद को मोटर साइकल खड़ी कर के अपने कमरे तक आते आते थोड़ी देर हो जाएगी. तो क्यों ना वो इतनी देर में अपने बेटे ज़ाहिद के कमरे वाले बाथरूम में जा कर उसे यूज़ कर ले.

ये सोच कर रज़िया बीबी जल्दी से आ कर अपने बेटे के बाथरूम में घुसी. और अपनी शलवार कमाीज़ और पैंटी उतार कर अपनी पानी छोड़ती चूत को देखा. तो पता चला कि वाकई ही उस की पच पच करती चूत के पानी ने उस की पैंटी को पूरा भिगो दिया था.

रज़िया बीबी के पास वक्त कम था. इसीलिए उस ने जल्दी से अपनी चूत को बाथरूम के टिश्यू पेपर से सॉफ किया और नई पैंटी पहन कर अपनी नई शलवार कमीज़ ज़बे तन कर ली.

अपने बेटे के लंड को अचानक छूने से रज़िया बीबी अपने दिल में इतनी शरम महसूस कर रही थी. कि वो अपने बेटे ज़ाहिद का सामना करने की अब हिम्मत नही पा रही थी.

इसीलिए उस की ख्वाहिश थी कि वो जितनी जल्दी हो सके अपने बेटे के बाथ रूम से निकल कर अपने कमरे में पहुँच जाए.

इसी जल्दी में अपने कमरे की तरफ जाते हुए रज़िया बीबी ना सिर्फ़ ज़ाहिद के बाथरूम के दरवाज़े के पीछे अपनी पुरानी शलवार को भी लटका छोड़ गई.

बल्कि ज्यों ही रज़िया बीबी बाथरूम से निकल कर ज़ाहिद के कमरे से बाहर जाने लगी. तो जल्दी और अंजाने में उस ने अपनी गीली पैंटी को भी ज़ाहिद के बिस्तर के बिल्कुल नज़दीक गिरा दिया. जो गिरते ही ज़ाहिद के बिस्तर की लंबी चादर के नीचे छुप गई. और रज़िया बीबी को इस वक्त जल्दी में इस बात का बिल्कुल पता ही ना चला.

रज़िया बीबी ज़ाहिद के कमरे से बाहर आई.और उस ने अपने पुराने कपड़े धोने के लिए टोकरी में फैंक दिए.

अपनी अम्मी के कमरे से जाने के थोड़ी देर बाद ज़ाहिद अपने कमरे में आया. और अपने कपड़े चेंज कर के फिर किसी काम के सिलसिले में घर से बाहर निकल गया.

उस रात ज़ाहिद देर गये अपने घर वापिस लौटा. तो उस वक्त तक उस शाज़िया और उस की अम्मी अपने कमरे में जा कर सो चुकी थी.

ज़ाहिद खामोशी से अपने कमरे में गया और जाते ही अपने बिस्तर में घुस गया.

दिन भर का थका होने के बावजूद ज़ाहिद को बिस्तर पर नीद नही आ रही थी. इसीलिए वो बिस्तर पर इधर उधर करवटें बदल रहा था.

थोड़ी देर बाद ज़ाहिद को पेशाब की हजत महसूस हुई. तो वो बिस्तर से उठ कर बाथरूम चला गया.

बाथरूम में जाते वक्त ज़ाहिद ने अपने बाथरूम का दरवाज़ा मुकम्मल बंद नही किया.

ज्यों ही ज़ाहिद कमोड पर बैठ कर पेशाब करने लगा.



तो उस की नज़र दरवाज़े के पीछे टॅंगी हुई अपनी अम्मी की शलवार पर गई.

“ये अम्मी की शलवार इधर क्यूँ और कैसे” ज़ाहिद के ज़हन में सवाल आया.

पेशाब से फारिग होने के कुछ देर बाद जब ज़ाहिद दुबारा अपने कमरे में आया. तो उस की नज़र अपने पलंग के नीचे पड़ी हुई किसी चीज़ पर पड़ी.
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08-12-2019, 01:31 PM,
RE: Indian Porn Kahani वक्त ने बदले रिश्ते
पेशाब से फारिग होने के कुछ देर बाद जब ज़ाहिद दुबारा अपने कमरे में आया. तो उस की नज़र अपने पलंग के नीचे पड़ी हुई किसी चीज़ पर पड़ी.

“ये मेरे पलंग के नीचे क्या पड़ा है” ज़ाहिद ने झुक कर फर्श से अपने बिस्तर की चादर को हटाया. और पलंग के नीचे पड़ी हुई उस चीज़ को देखने लगा.


ज़ाहिद ने जब देखा कि ये तो एक पैंटी है. तो इस पैंटी अपने पलंग के नीचे पड़ी देख कर उसे बहुत हैरत हुई.

“अगर अम्मी की शलवार बाथरूम के दरवाज़े पर लटकी हुई है,तो यक़ीनन ये पैंटी भी अम्मी की ही है”

ज़ाहिद के दिल में ख्याल आया और उस ने हाथ बढ़ा कर फर्श पर पड़ी अपनी अम्मी की पैंटी को अपने हाथ में उठा लिया.

रज़िया बीबी ने जिस वक्त अपनी पैंटी उतारी थी. उस वक्त तो पैंटी काफ़ी गीली थी.

मगर अब आधी रात के वक्त पैंटी काफ़ी हद तक सूख तो चुकी थी. मगर अब भी पैंटी पर गीले पन के असर देखे और महसूस किया जा सकते थे.

“लगता है अम्मी की चूत बहुत पानी छोड़ती रही है,इसी लिए ये इतनी मैली (डर्टी) है” अपनी अम्मी की पैंटी पर लगे हुए दाग देख कर ज़ाहिद को अंदाज़ा हो गया. कि उस की बहन शाज़िया की तरह उस की अम्मी की चूत भी बहुत ही प्यासी है. इसी वजह से उस की अम्मी रज़िया बीबी की पैंटी इतनी गंदी हालत में थी.

आज दिन के वक्त अपनी अम्मी से स्टोर में होने वाली बात चीत,मोटर साइकल पर अम्मी के मोटे मम्मो का ज़ाहिद की पीठ से टकराना,उस की अम्मी रज़िया बीबी का ज़ाहिद के मोटे लंड पर लगने वाला हाथ और फिर उस की अम्मी की मटकती हुई भारी गान्ड की ताल ने तो पहले ही ज़ाहिद के जिस्म में माजूद उस की जवानी की आग को भड़का दिया था.

मगर अब से पहले तक ज़ाहिद ने हर दफ़ा अपनी पैंट में खड़े हुए लंड को “मालमत” करते हुए ये समझा कर पुरसकून कर दिया था. कि जो भी हो आख़िर कर रज़िया बीबी उस की सग़ी अम्मी है.

ज़ाहिद की आज शाम तक ये ही सोच थी. कि अगर उस ने अपनी ही सग़ी बहन से अपने जिश्मानि ताल्लुक़ात कायम कर के एक गुनाह कर लिया है. तो ये लाज़मी नही कि वो ये ही गुनाह अब दुबारा अपनी सग़ी अम्मी के साथ भी दोहराए.

लेकिन अब अपनी अम्मी की इस्तेमाल शुदा पैंटी को अपने हाथ में थामते ही ज़ाहिद का लंड ज़ाहिद से बग़ावत करते हुए फिर से अकड़ कर उस की शलवार में पूरा अकड़ गया था.

अपनी बहन और बीवी शाज़िया की गरम फुद्दि से कुछ दिनो की महरूमी की वजह से ज़ाहिद के दिमाग़ पर तो पहले ही अपने लंड की मनमानी चढ़ि हुई थी.

इसीलिए आज अपनी अम्मी के अंडर गारमेंट को पहली बार अपने हाथ में ले कर ज़ाहिद के सबर का पैमाना लबरेज हो गया.

“ज़ाना तो ज़ाना है,और गुनाह तो गुनाह है,चाहे वो बहन के साथ हो या माँ के साथ”ज़ाहिद अपने दिमाग़ में आने वाली अपनी गंदी और घटिया सोच को जस्टिफाइ करते हुए अपने बिस्तर पर बैठा. और अपनी शलवार और कमीज़ उतार का बिल्कुल नंगा हो गया.

“पता नही मेरी अम्मी की फुद्दि केसी हो गी” अपनी अम्मी के अंडरवेार पर चूत वाली जगह पर अपनी नज़रें जमा कर ज़ाहिद के जेहन में ख्याल आया. और इस के साथ उस ने अपनी अम्मी की पैंटी को उस की चूत वाली जगह से चूम लिया.

ज्यों ही ज़ाहिद ने अपनी अम्मी की पैंटी को अपनी ज़ुबान से चूमने की खातिर अपने मुँह के नज़दीक किया.

तो रज़िया बीबी की इस्तेमाल शुदा पैंटी से उठने वाली बू (स्मेल) ज़ाहिद की नाक के रास्ते उस के नथुनो में घुस गई.

अपनी सग़ी अम्मी की चूत की महक को पैंटी पर से सूंघ कर ज़ाहिद तो जैसे पागल हो गया.और अपनी माँ की फुद्दि के नशे में टन हो कर ज़ाहिद ने अपनी अम्मी की पैंटी को को दीवाना वार चूमना और चाट्ना शुरू कर दिया.



अपनी अम्मी की पैंटी को सूंघते सूंघते ज़ाहिद का लंड बुरी तरह से अकड़ कर खड़ा हो गया था.

ज़ाहिद ने आज से पहले ना तो कभी अपनी अम्मी के मुतलक इस तरह सोचा था. और ना ही उस ने इस से पहले कभी अपनी अम्मी को बुरी नज़र से देखने की जुर्रत की थी.

लेकिन शाज़िया की चूत से दूरी ने ज़ाहिद की हालत एक ऐसे पागल कुत्ते जैसी कर दी थी. जो हादी (बोने) हासिल करने के लिए कुछ भी करने पर तूल सकता हो.

ज़ाहिद को अपनी बहन शाज़िया की चूत ने वो मज़ा और स्वाद दिया था.

जिसे किसी दूसरी औरत से हासिल करने का ज़ाहिद ने कभी तस्व्वुर भी नही किया था.

इसीलिए अपनी बहन से जहली शादी करने के बाद ज़ाहिद ने किसी और औरत की तरफ देखना तो दर किनार उस ने किसी दूसरी औरत के मुतलक सोचा तक ना था.

इस की वजह ये थी.कि शाज़िया ने ज़ाहिद की बहन से उस की बीवी बनने के बाद अपने भाई के लंड पर अपनी गरम फुद्दि का एक अजीब सा जादू चला दिया था.

शाज़िया ने अपनी प्रेग्नेन्सी से पहले तक अपने भाई ज़ाहिद को अपनी चूत दे दे कर इतना ज़्यादा पूर बाश कर देती थी.कि ज़ाहिद को किसी और की चूत की ख्वाहिश ही नही रहती थी.

मगर ना चाहने के बावजूद आज एक नई चूत के खून का ज़ायक़ा ज़ाहिद के मुँह और लंड को लग गया था.

और ये कोई आम और मामूली चूत नही थी.बल्कि ये तो वो चूत थी जिस चूत से निकल कर ज़ाहिद इस दुनिया में आया था.

ये चूत उस की अम्मी रज़िया बीबी की चूत थी. जिस की सिर्फ़ खूबू को ही सूंघ कर ज़ाहिद के होश उड़ गये थे.

और ज़ाहिद इस सोच से ही पागल होने लगा कि अगर उसे कभी अपनी अम्मी की फुद्दि चोदने को मिल गई तो फिर उस का क्या हाल हो गा.

इस के साथ ही ज़ाहिद ने बिस्तर पर लेटे लेटे अपनी अम्मी की पैंटी को अपने मुँह से हटा कर अपने लंड के उपर लपेटा.

और आँखे बंद कर के अपनी अम्मी के भारी चुतड़ों को याद करते हुए अपने लंड की मूठ लगाने लगा.

अपनी अम्मी की पैंटी को अपनी मोटी टोपी पर महसूस करते ही ज़ाहिद का लंड भी पूरा अकड़ कर सख़्त हो उठा था.

“ओह अम्म्मिईीईईईईईई जीिइईईईईईईईईईईईईईईई”अपने लंड पर अपनी अम्मी की पैंटी का एहसास आज ज़ाहिद को एक अलग ही मज़ा दे रहा था. और उस के मुँह से बार बार अपनी अम्मी का नाम ही निकलने लगा.

“ओह अमिीईईईईईई उउम्म्म्मममममममम अहह क्या ज़ालिम मम्मे है आप के, और क्या ग़ज़ब की गान्ड है आप की अम्म्मिईीईईईई,उफफफफफफफफफ्फ़ कब मेरा लंड को आप की चूत नसीब हो गी अमिीईईईईईईईईईईईईई” ज़ाहिद ज़ोर और जोश से आज पहली बार अपनी ही सग़ी अम्मी के नाम की मूठ लगाने में मसरूफ़ था.

ज़ाहिद अपनी अम्मी की छोटी सी पैंटी को अपने लंड की टोपी पर रख कर रगड़ने लगा.

और फिर कुछ ही देर इस तरह रगड़ते रगड़ते ज़ाहिद के मुँह से निकला “अम्म्मिईीईईईईईई” और ज़ाहिद के मोटे जवान लंड ने अपना गरम और सफेद वीर्य अपनी अम्मी की पैंटी पर उंड़ेल दिया.

आज काफ़ी दिन बाद अपने लंड की मूठ लगा कर जब ज़ाहिद के जिस्म की गर्मी की शिद्दत कुछ कम हुई. तो उस का जिस्म और लंड कुछ पुरसकून हो गया.

“उफफफफफफफफफफफ्फ़ ये मुझे क्या होता जा रहा है,मैं आइन्दा कभी अपनी अम्मी के बारे में कोई घटिया सोच अपने जेहन में नही आने दूँगा””अपने लंड का पानी आज पहली बार अपनी ही अम्मी के नाम पर निकालने के बाद जब ज़ाहिद के जेहन से उस के वीर्य ने खुमार उतारा. तो उसे अपनी आज की इस हरकत पर अब शर्मिंदगी महसूस हुई.

मगर वो कहते हैं ना कि “अब क्या होत,जब चिड़िया चुग गई खैत”

इसीलिए अब जो होना था वो हो चुका था. और अपनी की गई आज की हरकत को ज़ाहिद चाहते हुए भी अब बदल नही सकता था.

फिर अपनी गंदी सोच पर अपने आप को कोसते हुए ज़ाहिद बाथरूम में गया और उधर जा कर अपने लंड को अच्छी तरह सॉफ किया. और वापिस अपने बिस्तर पर आ कर सोने के लिए अपनी आँखें बंद कर लीं.

उधर दूसरे कमरे में अपने बिस्तर पर लेटी रज़िया बीबी की हालत भी आज अपने बेटे ज़ाहिद से कुछ मुक्तलफ नही थी.

अपने बिस्तर पर पड़ी रज़िया बीबी की आँखे तो ब ज़ाहिर सोने के लिए बंद ही थी. मगर वो अब अपनी बंद आँखों के साथ अपने बेटे के लंड को पहली बार छूने के मंज़र को याद कर कर के बुरी तरह गरम हुए जा रही थी.

रज़िया बीबी को अपने बेटे के जवान,सख़्त और बड़े लंड की गर्मी की तपिश अभी तक अपने हाथ पर महसूस हो रही थी. और इसी लिए अपने बेटे के लंड को याद कर कर के रज़िया बीबी की चूत पूरी तरह गीली हो चुकी थी.

रज़िया बीबी अपनी तपती चूत की गर्मी को दूर तो करना चाहती थी. मगर अपनी बेटी शाज़िया की कमरे में मौजूदगी की वजह से वो अपने बेटे ज़ाहिद के बार अख़्श अपनी चूत से खेल कर अपनी गरम चूत को ठंडा करने से महरूम थी.

रज़िया बीबी ने एक आध बार कोशिश भी की कि वो कमरे की मध्यम रोशनी और अपने जिस्म पर ओडी हुई चादर का फ़ायदा उठा कर अपनी शलवार में अपना हाथ डाले. और अपनी पानी छोड़ती चूत को आहिस्ता आहिस्ता से सकून पहुँचा ले.

लेकिन अपनी चोरी पकड़े जाने के डर से रज़िया बीबी में ये काम करने की हिम्मत नही हुई.और फिर करवट बदलते बदलते किस वक्त उस की आँख लग गई. इस का खुद रज़िया बीबी को भी पता ना चला.

दूसरी सुबह हुस्बे मामूल रज़िया बीबी अपनी बेटी शाज़िया से पहले उठ कर किचन में चली गई.

रज़िया बीबी का दिल चाह रहा था कि आज अपने बच्चो को अपने हाथों से आलू वाले परान्ठे बना कर खिलाए.

इसीलिए किचन में जाते ही उस ने अपने और अपने बच्चो के लिए सुबह का नाश्ता बनाने की तैयारी शुरू कर दी.

किचन में नाश्ते की तैयारी करते हुए भी रज़िया बीबी के दिमाग़ में एक हलचल मची हुई थी.

एक दिन गुज़र जाने के बावजूद जवान बेटे का बड़ा लंड रज़िया बीबी के होश-ओ-हवास पर छाया हुआ था.

इस दौरान आटे का पैरा बना कर रज़िया बीबी ने ज्यों ही परान्ठे को तवे पर डाला. तो उस के दिमाग़ में फिर से शाज़िया के फोन में देखी हुई अपने बेटे ज़ाहिद की नंगी तस्वीरे उभर आईं.

“उफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ क्या मज़े दार लंड है मेरे बेटा का” अपने बेटे ज़ाहिद के लंड का तस्व्वुर जेहन में आते ही रज़िया बीबी की चूत मचल उठी.

रज़िया बीबी के दिमाग़ में इस वक्त बार बार अपने बेटे ज़ाहिद के लंड का ख्याल आ रहा था. और वो अपने बेटे के ख्यालों में गुम होते हुए एक मशीन की तरह साथ ही साथ परान्ठा भी बनाती जा रही थी.

अपने बेटे के नंगे लंड को याद करते हुए रज़िया बीबी को अपनी चूत में खुजली महसूस हुई. तो रज़िया बीबी ने अंजाने में अपनी शलवार के अंदर हाथ डाल कर अपनी चूत के ऊपर खुजली शुरू कर दी.

“हाईईईईईईईईईई मेरी चूत कितना पानी छोड़ रही है ज़ाहिद के मोटे लंड के लिए”अपनी चूत पर खुजली करते हुए रज़िया बीबी को अंदाज़ा हुआ कि उस की चूत तो अपने बेटे ज़ाहिद को याद करते करते पानी पानी हो रही है.

रज़िया बीबी की चूत आज इतना पानी छोड़ रही थी. कि उस की चूत के पानी से रज़िया बीबी के हाथ की उंगलियाँ भी भीग गईं.

इतनी देर में तवे पर पड़ा हुआ परान्ठा पक कर तैयार हो गया. तो रज़िया बीबी ने बेध्यानी में अपनी पानी छोड़ती चूत से अपना हाथ हटाया. और एक दम से तवे पर तैयार परान्ठे को उसी हाथ से उतार कर प्लेट में रख दिया.

जिस तरह एक सोलह साला जवान लड़की अपनी जवानी के पहले प्यार में पागल हो कर अपने होश ओ हवाश खो बैठती है.

बिल्कुल इसी तरह रज़िया बीबी आज अपने बेटे के ख्यालों में इतनी मगन थी.कि उसे ये अंदाज़ा ही ना हुआ. कि अपनी इस अचानक हरकत की वजह से वो अपनी चूत के पानी से भीगी हुई उंगलियों के ज़रिए अपनी ही चूत का रस अपने बेटे के लिए बनाए हुए परान्ठे पर भी लगा चुकी है.

इधर अपनी गरम सोचो में डुबी हुई रज़िया बीबी अपने काम में मसरूफ़ थी.

और उधर दूसरी तरफ ज़ाहिद भी सुबह सुबह उठ कर बाथरूम गया. और नहा धो कर अपनी नोकरी पर जाने के लिए तैयार होने लगा.

ज़ाहिद अपने कमरे से तैयार हो कर बाहर आया और किचन की तरफ चल पड़ा.

जहाँ उस की अम्मी उस के लिए नाश्ता बनाने में मसरूफ़ थी.
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