07-20-2019, 04:27 PM,
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RE: Hindi Kamuk Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
सब उठ के चल दिए .....बस मिनी बहुत शांत थी..क्यूंकी उसके दिमाग़ में नगाड़े बज रहे थे...जब सुनील ने रूबी को कहा था ..कि भाभी को बुला लाओ...पहले तो ये झटका लगा कि सुनील की शादी कब हुई और सबसे बड़ा बॉम्ब तब फूटा जब रूबी सोनल के साथ आई ....उसे इस बात पे गुस्सा आ रहा था कि उसने सुनील को अपने बारे में सब बता दिया था पर सुनील ने इतनी बड़ी बात छुपा के क्यूँ रखी. वो अब इंतेज़ार कर रही थी सुनील से अकेले मिलने का और अब तो उसके पास वजह भी आ चुकी थी.
सब लोग बाहर चले गये और एक दूसरे के परिवार के बारे में बातें करने लगे.....
अंदर ....
राजेश......कविता ये बेवकूफ़ पसंद आया कि नही ....अब तुम सोच रही होगी कि अभी कुछ देर पहले देखा और फट से अपने माँ बाप को तुम्हारे भाई के पास भेज भी दिया सीधा शादी की बात करने को........सच कहूँ.........कुछ देर वो चुप रहा और कविता की तरफ देखने लगा जो नज़रें झुकाए बैठी थी जिसके होंठ ही नही पूरा जिस्म कांप रहा था......जब से तुम्हें देखा तो बस यही लगा ...कि यही वो लड़की है जिसका मैं कब से इंतेज़ार कर रहा था....मम्मी तो मेरी जान खा गयी थी ..शादी के लिए...रोज किसी ना किसी लड़की की तस्वीर ले आती थी....पर मुझे कभी कोई पसंद ही नही आई....
कविता बस चुप ही रही....
राजेश ...तुम्हें कुछ पूछना नही ...
कविता ...भाई जो करेगा ...ठीक ही करेगा मेरे लिए ......
राजेश ...इतना भरोसा अपने भाई पे....
कविता...जान से भी ज़यादा ....आप नही जानते भाई ने मेरे लिए क्या क्या किया है...और आप मेरे बारे में कुछ भी तो नही जानते .....
राजेश.....इतना तो मैं गॅरेंटी से कह सकता हूँ...तुम्हारा कोई बॉय फ्रेंड नही ....तुम ऐसी लड़की हो ही नही ...इसलिए ये बहाना मत लगाना कि तुम्हारा कोई बॉय फ्रेंड है वगेरह वागेहराह ......रही बात तुम्हारे एमबीबीएस पूरा करने की और आगे पढ़ने की ....डॅड पहले ही बोल चुके हैं और मुझे भी खुशी होगी कि तुम अपनी पढ़ाई पूरी करो ....बस मैं तुम से दूर नही रह सकता...ये सब तुम शादी के बाद भी कर सकती हो...
कविता....जिंदगी के कुछ सच बहुत कड़वे होते हैं....अगर उनके बारे में बाद में पता चले तो रिश्तों में कड़वाहट आ जाती है ...
राजेश ....मैं इतना जानता और समझता हूँ कि तुम्हारी जिंदगी में कोई और नही है...बाकी किसी बात से मुझे लेना देना नही...ना ही मैं जानना चाहता हूँ....अब ये बताओ...मैं पास हूँ या फैल...
कविता ....कुछ नही बोल पाई.....
राजेश ने उसका हाथ अपने हाथ में पकड़ लिया .......लरज गयी वो कांप उठी पूरे बदन में खलबली मच गयी ....
राजेश : बोलो ना मैं पास हुआ ...या फैल.....वादा करता हूँ तुम्हें हमेशा खुश रखूँगा और मोम डॅड तो तुम्हें सर पे बिठा के रखेंगे.....प्लीज़ हां कर दो ना ....वरना में जी नही पाउन्गा....
कविता ने झट से उसके मुँह पे हाथ रख दिया और फिर फट से हटा भी लिया....
कविता....चलिए अब....
राजेश....अरे जवाब तो दो....
कविता....बस गर्दन झुका चुप चाप हां में हिला देती है....
राजेश ...उसके हाथ को अपने हाथ में मसल्ते हुए....ऐसे नही ...इन लबों को थोड़ा सा कष्ट दो ...ताकि मेरे कानो को भरोसा हो जाए .....देखो मेरा दिल कितनी ज़ोर से धड़क रहा है....कविता के हाथ को अपने सीने पे रख देता है ....कविता तो शर्म के मारे मर ही गयी थी....और अपना हाथ छुड़ाने की कोशिश करती है...
राजेश...उम ह्म...ये हाथ तो अब जिंदगी भर नही छुटेगा. अब जल्दी से हाँ बोल दो नही तो पूरी वॉल्यूम पे चिल्ला के सबके सामने पूछ लुगा
कविता ने घबरा के राजेश की तरफ देखा जैसे कह रही हो..क्यूँ रुसवा कर रहे हो..कह तो दिया हां.....प्लीज़ छोड़ो ना सब इधर ही देख रहे हैं....
राजेश ...तो जल्दी से हां बोल दो.....
कविता...बहुत ही धीमी आवाज़ में...हां बाबा हां...अब तो छोड़ दो....
राजेश ....अपना कान उसके आगे ले जाते हुए.....क्या कहा कुछ सुनाई नही दिया......
कविता....उफफफ्फ़ हां अब तो छोड़ो...
राजेश ......अब तो बिल्कुल ही नही छोड़ सकता .......कोई और पसंद कर गया तो मैं तो मारा जाउन्गा...
कविता नज़रें झुकाए मुस्कुराने लगी......
राजेश ....बड़ी ज़ोर से चिल्लाया..........ययययययययययाआआआआआआहूऊऊऊऊऊऊऊऊऊ मैं पास हो गया...................
और तभी बाकी लोग अंदर घुस्से और रेस्टोरेंट में बैठे सभी तालियाँ बजाने लगे ......कविता शर्म से लाल हुई जा रही थी ...उसे ये तो बिल्कुल भी उम्मीद नही थी की राजेश यूँ खुल के एलान कर देगा ....दिल की धड़कने सूपरसॉनिक जेट की स्पीड को भी मात करने लगी थी...
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अपने सामने घायल पड़े लड़के को देख सवी खुद को रोक ना पाई और उसने सुनील को फोन कर डाला....शायद समय आ गया था कि सुमन को उसकी जिंदगी के उस राज़ का पता चले जिसके बारे में उसे कोई इल्म नही था....और इस बात को सिर्फ़ दो लोग जानते थे समर और सवी......अभी सवी ने अड्रेस सुनील को एसएमएस करना था....पर पता नही क्यूँ उसने खुद को रोक लिया .....क्यूंकी उसे इस बात का बड़ा ताज्जुब था कि ये लड़का इस हालत में घायल हॉस्पिटल में कुछ लोगों द्वारा लाया गया...इसके मा बाप कहाँ गये ....शायद सवी इस लड़के को अच्छी तरहा जानती थी.....लड़का अभी भी बेहोश था....सवी ने सारी ज़िम्मेदारी खुद पे ली और फटाफट उस लड़के का इलाज़ शुरू करवाया...उसके सर पे काफ़ी चोटें थी...
सवी उस लड़के के होश में आने का इंतेज़ार कर रही थी.....उसका दिल तेज़ी से धड़क रहा था ...जो हालत उस लड़के की थी...कुछ भी हो सकता था...शायद वो कल की सुबह देखे ही नही.....आइसीयू में सवी रात भर उसे देखती रही ....
टिक टिक कर के रात गुजरती रही...सवी रात भर उस लड़के की मॉनिटरिंग करती रही....अगले दिन दोपहर को उस लड़के को होश आया .....पर .....वो खुद को ही नही पहचान पा रहा था.....वो चीखने चिल्लाने लगा तो उसे नींद का इंजेक्षन दे दिया गया....हो सकता था कि उसे कोई जबरदस्त सदमा पहुँचा हो जिसकी वजह से वो वक़्ती तौर पे खुद को पहचान ना पा रहा हो और ये भी हो सकता था कि वो अपनी यादशत खो बैठा हो.......
इस हालत में सवी ने सुनील और सुमन को कुछ बताना ठीक नही समझा ...पर उसे ये कहाँ मालूम था कि कविता की सगाई होनेवाली है और उसे वापस जाना ही पड़ेगा.....
यहाँ डिन्नर के बाद सब लोग अपने अपने कमरे में चले गये थे ...बस रूबी और कविता ...सुनील के कमरे में उसके साथ थे.
सुनील ने मुंबई अपने दोस्त को फोन लगा कर केपर फॅमिली के बारे में सब कुछ पता करने को कहा और उसे गोआ ही बुलवा लिया.
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RE: Hindi Kamuk Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
कल कल करती समुद्र की लहरों पे खेलती चाँद की किर्ने ...ठंडी ठंडी हवा ....और ठंडी ठंडी रेत का अहसास मौरम और महॉल को खुशनुमा बना रहे थे....इनकी हट वैसे भी दूर एक कोने में थी ...........सुनील सुमन को गोद से उतार देता है.........दोनो एक दूसरे से चिपक जाते हैं...........
सुमन कुछ घबरा भी रही थी...दिल की धड़कन बढ़ी हुई थी....
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सब कारों की लाइट्स बंद हो चुकी थी ...यहाँ तक के होटेल के सभी रेस्टोरेंट्स बंद हो चुके थे ...लाइट्स अंदर कहीं जल रही थी तो वो भी लॉबी में जो इस जगह से काफ़ी दूर थी और नाइट स्टाफ अपनी कुर्सी नही छोड़ सकता था और वैसे भी ये बीच इस हट का प्राइवेट बीच था और यहाँ दिन में एक बार सुबह होटेल का स्टाफ आता था सफाई करने ......
दोनो एक दूसरे की बाँहों में खो चुके थे और उनके चुंबन की प्रगाढ़ता बढ़ती जा रही थी ........सुनील के हाथ सुमन की लाइनाये के बधनो से उलझ गये और उसने सुमन को नग्न कर दिया अब सिर्फ़ एक छोटी पैंटी रह गयी थी सुमन के जिस्म पर ...........तभी सोनल उठ के लिविंग रूम में आई और देखा कि दोनो नदारद हैं...तो घबरा गयी और बाहर बाल्कनी में चली आई ....हट की काफ़ी रोशनी बाहर बीच पे पड़ रही थी और सोनल ने देखा दोनो बीच पे एक दूसरे की बाँहों में खोए हुए देखा .....मुस्कुरा उठी और लिविंग रूम की सारी लाइट्स बंद कर दी...सिर्फ़ एक नाइट बल्ब जला रहने दिया और वापस बेडरूम में जा कर सो गयी ....मन ही मन खुश हो रही थी की आज दीदी की भी अच्छे से ली जाएगी ...फिर पूछेगी सुबह रात का अफ़साना .....होंठों पे मुस्कुराहट फैली हुई थी और धीरे धीरे नींद की गोद में चली गयी .....
सुमन को चूमते हुए सुनील उसके दोनो उरोज़ मसल्ने लगा ......और सुमन जो पहले उसकी पीठ सहला रही थी ...उसने अपनी पैंटी उतार फेंकी और सुनील का शॉर्ट भी ढीला कर नीचे उसकी टाँगों में गिरा दिया जिसे सुनील ने पैरो से निकाल बीच पे साइड में कर दिया....अब दोनो पूरी तरहा नंगे थे सुर सुमन अपने होंठ चुस्वा रही थी अपने मम्मे मसलवा रही थी.....उसकी सिसकियाँ मुँह में घुटती जा रही थी .......सुमन ने सुनील के लंड को सहलाना शुरू कर दिया.....तभी सुनील सुमन से अलग हुआ और उसे पानी में ले गया गोद में उठा के....ठंडे पानी का अहसास अपने जिस्म पे पा सुमन कांप सी गयी और डरती हुई सुनील से चिपक गयी ....रात के अंधेरे में ....सरेआंम बीच पे नंगी..सुनील की बाँहों में अपने उरोज़ को उसकी छाती से रगड़ती हुई सुमन के जिस्म में रोमांच ही रोमांच भर गया.
दोनो एक दूसरे के होंठ छोड़ने को तयार ही नही थे और आती जाती लहरें की वजह से दोनो के जिस्म भी हिल रहे थे. काफ़ी देर दोनो पानी में रहे एक दूसरे को चूमते रहे और एक दूसरे के बदन से खेलते रहे ...दोनो आपस में इतना खो चुके थे कि उन्हें पता ही ना चला कि दो आँखें इन्हें देख रही हैं.
सुमन को पानी में ठंड लगने लगी और वो बीच की तरफ बढ़ चली ...सुनील भी उसके पीछे ही आ गया .......वो आँखे जो इन्हें देख रही थी ...छुप गयी फटा फट और छुप के इन्हें देखने लगी ...बीच के किनारे पे पहुँच सुनील ने सुमन को डॉगी स्टाइल में कर दिया और उसके बाल पकड़ते हुए बेरेहमी से अपना लंड उसकी चूत में घुसा दिया .....सुमन ने मुश्किल से अपनी चीख रोकी ...पर सुनील नही रुका और ताबड़तोड़ चुदाई करने लगा.
लहरें बार बार बीच पे आ रही थी...पर सुनील एक मशीन की तरहा सुमन को चोदता ही जा रहा था......सुमन ज़ोर ज़ोर से सिसकना चाहती थी....चिल्लाना चाहती थी .....पर उसने मुश्किल से अपनी आवाज़ दबा रखी थी.
दोनो के दिमाग़ में डर भी था देखे जाने का जो इनकी एग्ज़ाइट्मेंट को और भी बढ़ा रहा था और सुनील 10 मिनट की तेज चुदाई के बाद झड गया.....और सुमन तो मल्टिपल ऑर्गॅज़म की चपेट में आ गयी....बार बार उसका बदन अकड़ता और ढीला पड़ता.......वो दो आँखें अब गायब हो गयी थी.
ये क्या वो आँखें अपने छुपे हुए स्थान से बाहर निकल आई थी और एक एक कर अपने कपड़े उतारने लगी थी ....कपड़े वहीं छोड़ वो धीरे धीरे सुनील और सुमन की तरफ बढ़ने लगी जो इस वक़्त बीच पे लेटे आँखें बंद किए अपने आनंद की दुनिया में खोए हुए थे .....
वो साया इनके बीच आ के लेट गया अपने पेट के बल ......उसने अपने होंठों में सुमन का निपल लिया और चूसना शुरू कर दिया ......'अहह सुमन सिसक पड़ी ....वो यही समझ रही थी कि सुनील फिर शुरू गो गया.'
अपने दूसरे हाथ से उसने सुनील के लंड को सहलाना शुरू कर दिया ........'उम्म्म्म मज़े की दुनिया में खोए हुए सुनील को ये आभास ना हो पाया कि ये हाथ सुमन के नही किसी और के हैं....और उसका लंड खड़ा होना शुरू हो गया.
उसने तेज़ी से सुमन के निपल को चूसना शुरू कर दिया और उसकी पकड़ सुनील के खड़े हुए लंड पे भी सख़्त हो गयी ........सुमन और सुनील दोनो की ही आँखें खुल गयी क्यूंकी जो अहसास मिल रहा था वो एक दम नया था.....हैरानी से दोनो ने एक दूसरे की तरफ पलटने की कोशिश करी और बीच में एक तीसरा बदन देख ....दोनो ने झटके से उसे अलग किया और उठ बैठे...
वो साया भी उठ के बैठ गया और दोनो को देख मुस्कुराने लगा ........सुनील चिल्लाने ही वाला था ........कि
'श्श्श्! मज़े लो...क्यूँ बरबादी का रास्ता खोल रहे हो......'
सुनील ने सुमन की तरफ देखा वो बहुत घबराई हुई थी ....
सुनील ने सुमन को इशारा किया कि उठ जाए और मुस्कुराते हुए उसने उस साए को गोद में उठा लिया और हट की तरफ बढ़ गया.....सुमन ने दोनो के कपड़े जो वहाँ बिखरे हुए थे उठा लिए और पीछे पीछे चल पड़ी .....
हट के अंदर पहुँच ....सुनील ने उस साए को अपनी गोद से उतारा तो वो चिपक गया सुनील से और उसके होंठ चूमने की कोशिश करने लगा .....सुनील ने फट उसे अलग किया और इतनी ज़ोर का थप्पड़ मारा कि वो साया लहराता हुआ सोफे पे गिर पड़ा ......
थप्पड़ की गूँज इतनी तेज थी कि साथ में बेडरूम में सोई सोनल की नींद भी खुल गयी और वो भागी हुई लिविंग रूम में आई तो देखा .......एक लड़की सोफे पे गिरी पड़ी है नंगी ....सुमन दूर खड़ी नंगी थर थरा रही है ....और सुनील भी नंगा ही था पर उसके चेहरे पे इस वक़्त मासूमियत नही हेवानियत आ चुकी थी ...गुस्से से लाल पड़ गया था उसका चेहरा....नथुने फूलने लगे थे....
'व्हाट दा फक डू यू थिंक ...वर वी डूयिंग एनी क्राइम ......शी'स माइ वाइफ यू शिट होल....आइ कॅन डू एनितिंग विद हर एनी व्हेअर ......आंड माइंड यू वी आर लीगली वेड्डेड'
सुनील दहाड़ उठा और वो साया यूँ पलटा जैसे उसके कानो में ब्लास्ट हो गया हो...फटी हुई आँखों से कभी सोनल को देखता..कभी सुमन को और कभी सुनील.को....
सुनील की नज़र सोनल पे पड़ गयी....'ले जा इसे और कुछ कपड़े पहना इस रंडी को...'
सुमन बुरी तरहा कांप रही थी ...इसलिए नही कि जो हालत सामने आ गये थे ...परंतु इसलिए कि सुनील का ये रूप उसने कभी नही देखा था...पल को तो उसे ये ही लगा था कि अभी किसी शेर की तरहा उस शख्स को चीर फाड़ देगा ......
सुनील की नज़र सुमन पे पड़ी ....उसका गुस्सा शांत होने लगा ...फिर से वही मासूमियत उसके चेहरे पे आ गयी और उसने आगे बढ़ सुमन को अपनी बाँहों में ले लिया ...'क्या हुआ जान क्यूँ घबरा रही हो ....मैं हूँ ना ....कुछ बुरा नही होगा...ह्म्म' और सुमन के होंठ चूम लिए
सुमन तो जोंक की तरहा सुनील से चिपक गयी थी....सोनल उस शख्स को अंदर ले गयी थी और अपना एक नाइट गाउन जो बिल्कुल ठीक था .,..यानी पारदर्शक बिल्कुल नही था उसे पहनने को दे दिया.
कुछ देर में सुमन जब शांत हो गयी ....
सुनील...जान जाओ नहा लो........हां मेरे कपड़े यहीं दे दो...
सुनील उसके हाथ से शॉर्ट ले पहन लेता है .....तब तक सोनल भी उस लड़की को ले कर बाहर आ जाती है और सुमन अंदर चली जाती है ...बाथरूम में घुस वो सोचने लगती है ...सुनील को गुस्सा कितना आता है..क्या से क्या बन जाता है वो ....उफफफ्फ़ .....शवर के नीचे खड़ी अपनी आँखें बंद करती है तो सुनील का तमतमाया हुआ चेहरा उसकी आँखों के आगे आ जाता है ...घबराकर आँखें खोलती है ...फटाफट अपने जिस्म से रेत उतारती है और खुद को पोंच्छ बाहर आ एक सिंपल सा नाइट्गाउन पहन लेती है.
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RE: Hindi Kamuk Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
इसी समय यहाँ से दूर एक हॉस्पिटल में आइक्यू में पड़े एक लड़के को होश आता है ....या यूँ कहो कि नींद की दवाई का असर ख़तम हो चुका होता है.....कराहते हुए उसके मुँह से एक ही शब्द निकलता है ...माँ
नर्स ......डॉक्टर. इस पेशेंट को होश आ रहा है....
डॉक्टर. .......उस पेशेंट के पास आ कर ....उसके मासूम चेहरे को प्यार से देखती है....कैसी तबीयत है बेटा....क्या नाम है तुम्हारा....
पेशेंट....नाम .....वो अपने सर पे ज़ोर डालता है.......नाम ....क्या नाम है मेरा ....
डॉक्टर. के चेहरे पे चिंता की लकीरें खिंच जाती है ...
डॉक्टर. कोई बात नही ....सो जाओ ....सब याद आ जाएगा ...ज़ोर मत डालो अपने दिमाग़ में...
डॉक्टर. नर्स को कुछ समझाती है और टेन्षन में अपनी कुर्सी पे बैठ जाती है.......
ये डॉक्टर. और कोई नही थी ....सवी ही थी जो अब हर वक़्त आइक्यू में ही रह रही थी ....एक पल के लिए भी उस लड़के को अकेले नही छोड़ रही थी......
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और यहाँ सोनल जब उस लड़की को साथ ले बाहर आई .....
सुनील....मिनी तुमसे ये उम्मीद नही थी ...इतना कैसे गिर गयी तुम......मैने तुम्हें बहुत पहले मना कर दिया था कि मेरे करीब मत आओ ......लेकिन तुम इतना गिर जाओगी ये ख्वाब में भी नही सोचा था....
सुनील सोनल से ....ज़रा दो कॉफी तो बना दो यार ....ना रूको ...मुझे विस्की दे दो और इसके लिए कॉफी बना दो.
सुनील.....मिनी तुम अच्छे घर की लड़की हो...फिर भी ऐसी हरकत ....शर्म आनी चाहिए तुम्हें...
मिनी ...माफ़ कर दो सुनील...तुम्हें आंटी के साथ सेक्स करते हुए देखा तो बहक गयी ...खुद पे काबू नही रख पाई....तुमने तो आसानी से कह दिया था...तुम किसी लड़की से प्यार व्यार नही करते ...पर मैं क्या करूँ.....मैं तुम्हारे बिना जी नही पाउन्गि ....
उसकी बात सुन सोनल के नथुने फूलने लगे .....ये वही लड़की थी ...जिसको उसने सुनील के करीब नही आने दिया.
सुनील....खैर ...जो हुआ सो हुआ....हालाँकि मुझे कोई ज़रूरत नही कि सब कुछ तुम्हें प्रूव करता फिरू फिर भी ये देख लो.....सुनील अपने और सुमन के मॅरेज सर्टिफिकेट की कॉपी जो उसने मालदीव में बनवाया था ...उसे अपने मोबाइल पे दिखाता है ....
वो सर्टिफिकेट देख मिनी की रही सही आस ख़तम हो जाती है ....फिर भी अपने दिल की बात बोल ही देती है......'सॉरी सुनील...हो सके तो मुझे इस ग़लती के लिए माफ़ कर देना ....पर एक बात सुन लो...मेरे दिल में बस तुम हो तुम ही रहोगे और मेरी जिंदगी में कोई और नही आ सकता.......' कॉफी ख़तम हो चुकी थी ...सुनील अपनी ड्रिंक एक साँस में पी बैठा था...मिनी उठ के खड़ी हो गयी ....सुनील की तरफ हाथ बढ़ाते हुए ...विश यू आ वेरी हॅपी मॅरीड लाइफ .....सुनील उससे हाथ मिलाता है .....मिनी सोनल की तरफ मुड़ती है ....सॉरी दीदी आप भी माफ़ कर देना ...हां ये आपके कपड़े कल वापस कर दूँगी .....इतना कह वो आँखों में आँसू भरे बाहर चली गयी और इनकी हट से कुछ दूर जा अपने कपड़े उठाती है और वहीं बैठ फुट फुट के रोने लगती है ......आज उसका सब कुछ लुट गया था...जीने की जो आस उसके दिल में थी...के कभी तो सुनील उसके प्यार को समझेगा...वो दम तोड़ चुकी थी...
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अपने सामने बिस्तर पे लेटे लड़के को देख ....सवी को वो पल याद आ गया ...जब वो लड़का ज़ख्मी हालत में अड्मिट हुआ था....जब उसके चेहरे के ज़ख़्मों को सॉफ किया गया ...तो सवी कुछ पल के लिए तो पत्थर ही बन गयी थी ...क्यूंकी उसके सामने कोई और नही सुनील था ...जो बहुत ज़ख्मी था....फिर उसे याद आया सुनील तो देल्ही में है वो यहाँ कैसे आ सकता है ....उसका दिमाग़ अतीत के पुराने पन्ने पलटने लगा .....बात तब की थी ...जब उसे कुछ दिन ही बचे थे सागर के बच्चे को जनम देने में...लेकिन सुमन की लेबर पेन्स स्टार्ट्स हो चुकी थी .....समर के मना करने पर भी वो सुमन को देखने हॉस्पिटल गयी थी....उस वक़्त सागर भी वहीं था...लेकिन ....उसे एक बहुत ही एमर्जेन्सी के लिए हॉस्पिटल में कहीं और जाना पड़ा ......समर जो नर्सस ओट में जानेवाली थी उनसे कुछ अलग ही बात करने लग गया ...उनमें से 2 तो समर को जानती थी......
समर ने उन दो नर्सस को नोटो के बंड्ल दे दिए और लेडी डॉक्टर जो उसकी दोस्त भी थी उससे भी कुछ बातें अलग करी....सवी को समझ नही आ रहा था कि समर क्या कर रहा है.
सही वक़्त पर सुमन ने दो जुड़वा बच्चों को जनम दिया था और उस वक़्त वो बेहोश थी....समर उनमे से एक को ले कर हॉस्पिटल से निकल गया....सवी ने रोकने की बहुत कोशिश करी .....पर कोई फ़ायदा नही हुआ ...सागर जब वापस आया ......तो उसे यही बताया गया कि दूसरा बच्चा मरा हुआ पैदा हुआ था और उसकी हालत ऐसी थी कि दिखाया नही जा सकता था इसलिए उसे डिस्पोज़ल के लिए भेज दिया गया था.....
सुमन जब होश में आई तो बहुत रोई थी ....पर सागर के प्यार ने उसे दिलासा दिया और वो सुनील की मुस्कान में खो गयी ...
सवी को इतना झटका लगा था कि सदमे की वजह से उसे भी लेबर पेन्स स्टार्ट हो गयी थी....कुछ देर बाद सवी ने रूबी को जनम दिया था.
समर उस बच्चे को अपनी बहन को दे आया था जिसके घर कोई बच्चा नही हो रहा था और उन्हें अगले दिन ही बच्चे के साथ ये देश छोड़ने को बोल दिया था.
रूबी के पैदा होने के कुछ दिन बाद समर किसी काम से बाहर गया हुआ था और सागर सवी और रूबी से मिलने आया था....उस दिन सवी खुद को रोक नही पाई थी और उसने समर ने जो किया वो सब कुछ सागर को बता दिया था ...कि सुमन का जुड़वा बच्चा समर ने अपनी बहन को दे दिया है और वो लोग हिन्दुस्तान छोड़ के जा चुके हैं..कहाँ ये पता नही....
सागर को कुछ पल तो झटका लगा था और दिल किया कि समर का खून कर डाले...पर जाने क्यूँ खून का घूँट पी कर रह गया....शायद इसलिए कि वो बच्चा असल में समर का था ...उसका अपना नही ....उसने सवी को कसम दी कि जिंदगी भर सुमन को इस बात का पता नही चलना चाहिए .....वो नही चाहता था कि सुमन की जिंदगी में ऐसा दुख आ जाए जिससे वो कभी उभर ना सके.....एक माँ कभी भी अपने बच्चे की जुदाई बर्दाश्त नही कर सकती...चाहे उसका बाप कोई भी हो ....और ये बच्चा उसने सागर की रज़ामंदी से ही जनम दिया था...वरना वो कब का अबॉर्षन करवा लेती....
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RE: Hindi Kamuk Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
ये राज राज ही रहा ....सवी ने हमेशा के लिए अपनी ज़ुबान बंद कर ली थी ....पर आज हालत कुछ और थे....सागर जा चुका था...समर को उसने छोड़ दिया था....उसने बहुत कोशिश करी कि किसी तरहा उसकी ननंद का पता चल जाए ताकि वो जान सके कि क्या हुआ इस लड़के के साथ...क्या नाम दिया गया था इसको.....लेकिन कुछ पता ना चला....शायद परेशानी में अभी उसका दिमाग़ ही काम नही कर रहा था..
सवी अपने ख़यालों में परेशान थी ...अगर इसकी याददाश्त वापस नही आई तो...तो क्या करे ?????
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और यहाँ मिनी कुछ देर रोटी रही फिर वहीं जहाँ उसने अपने कपड़े उतारे थे उन्हें पहन लिया और सोनल के कपड़े चुप चाप वहीं बाल्कनी में फेंक दिए .....एक बार तो दिल में आया की सुबह एक हंगामा कर दे....सारी दुनिया को बता दे कि सुनील ने अपनी माँ से शादी कर ली...फिर खुद को ही लानत भेजने लगी ....प्यार का मतलब ये तो नही होता कि जिसे प्यार किया हो उसे ही बर्बाद कर दो.....अपने प्यार का फ़ैसला उसका अंजाम उसने किस्मत पे छोड़ दिया और चली गयी अपने कमरे में.....सारी रात आँखों ही आँखों में काटने के लिए........
सुनील का मूड ऑफ हो चुका था......सोनल की भी नींद गायब हो चुकी थी .....सुमन तो घबरा रही थी ...कल क्या होगा...ये लड़की क्या करेगी .....
सोनल ने खुद....सुनील को विस्की का पेग बना दिया ....एक हल्का घूँट खुद लिया ......और ऐसा मुँह बनाया जैसे 100 क़ुनैन की गोलिया मुँह में डाल दी गयी हों....
उसकी शकल देख ही सुनील खिलखिला के हँस पड़ा और ये देख दोनो को राहत पहुँची ....सुमन और सोनल दोनो को ही...और दोनो उस से चिपक गयी ...
सुमन.....पूछना चाहती थी कि उसे इतना गुस्सा क्यूँ आता है...पर रुक गयी ....क्यूंकी मुश्किल से सुनील हंसा था ...लेकिन सुनील ने उसके मन की बात पढ़ ली थी...
सुनील......वो मेरे और तुम्हारे कॅरक्टर पे उंगली उठा रही थी ....और ये मैं कभी बर्दाश्त नही कर सकता ....तुम दोनो ....कविता/रूबी/सवी को कोई भी थोड़ी सी आँच भी देने की कोशिश करेगा तो उसका वजूद ही जला के रख दूँगा....खैर छोड़ो...कोई टेन्षन मत लो....मैं हूँ ना...
सोनल/सुमन.....तुम हो तो हम हैं...वरना हम भी नही रहेंगे.......
सुनील...यार अब तुम दोनो सेनटी मत होना.......जाओ दोनो सो जाओ कल बहुत काम करना है ...कविता के लिए बहुत शॉपिंग करनी है...होटेल से एंगेज्मेंट सेरेमनी के लिए सब डिसकस करना है....
सोनल....वाह वाह ...हम दोनो जा के सो जाएँ...और हज़ूर यहाँ बाकी बची रात को ये बॉटल डकारते रहेंगे ....ना ....बिल्कुल नही....आप चलिए साथ में...नही तो मैं तो यहीं आपके पास ही बैठूँगी...
सुमन.....मैं भी तुम्हारे पास बैठूँगी....
सुनील.......अरे यार ......एक दो ड्रिंक लूँगा ....फिर सो जाउन्गा......तुम जा के सो जाओ...
सुमन....तो ले लो ...एक साथ ही जाएँगे सोने...अकेले तो नही छोड़ने वाले तुम को ...ये बात तो गाँठ बाँध लो ......
सुनील .....यार इतना मत हंसाओ....कॉलेज में भी साथ चलोगि क्या......
सुमन.....अच्छा ....आ जाऊ तुम्हारे कॉलेज में पढ़ाने ....हाथ जोड़ के बुलाते हैं.......
सुनील...फैल करवाना है क्या ....पढ़ुंगा या तुम्हें ही देखता रहूँगा
सोनल....लो जी आपका ड्रिंक...इसके बाद कुछ नही सीधा बिस्तर ...कुछ तो रहम खाओ अपनी बीवियों पर ....बदन तोड़ के रख देते हो और आराम करने से पहले कोई ना कोई कांड हो जाता है
सुनील...ड्रिंक की चुस्की लेता है और सोनल को खींच अपनी गोद में ले उसके होंठ चूमते हुए बोलता है...'बोल तो ऐसे रही है ...जैसे सारे कांड ...मैं लाउडस्पिकर लगा के इन्वाइट करता हूँ'
सोनल.....सुना और देखा तो यही था ....कि फूल पे भंवरे आते हैं...पर यहाँ सब उल्टा है ....यहाँ भंवरे पे फूल दौड़े चले आते हैं...
सोनल की बात सुन ...सुमन हँसने लगी...
सोनल...हँसो मत दीदी...कुछ झूठ बोला क्या .....सवी/ऱुब्य् मिनी/मिनी की मिसाल तो सामने है ...कॉलेज में तो पता नही कितनी और होंगी ........
सुनील....अच्छा तो मैं भँवरा हूँ....
सोनल...बिल्कुल हो ...जिसे सिर्फ़ दो फूलों पे मंडराने की इज़ाज़त है.....अब चलिए हज़ूर ...ज़रा कुछ देर सो लिया जाए .....
सुनील...दिल तो कुछ और ....
सोनल...ना बाबा ना ......आज तो हड़ताल है अब .....दीदी तुम्ही निबटाओ...मैं तो चली
जिस तरहा सोनल भाग के बेडरूम में जाती है उसे देख सुनील और सुमन दोनो का हँस हँस के बुरा हाल हो जाता है
सुमन .....चलो अब सोने ...वरना अब लंबी हड़ताल हो जाएगी मेरी भी....
सुनील बुरा सा मुँह बनाता है और सुमन को गोद में उठा बेड रूम की तरफ चला जाता है
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