Antarvasna kahani वक्त का तमाशा
07-03-2019, 04:55 PM,
RE: Antarvasna kahani वक्त का तमाशा
रॉनी.. वैसे पूरा नाम तो रोनक है, लेकिन यहाँ आके स्टड बन गया है इसलिए रोनक का रॉनी.. रॉनी हमारे कॉलेज फुटबॉल टीम का कॅप्टन है, अब कॅप्टन है तो लड़कियों के नज़दीक आना तो बनता ही है, पर इसकी ख़ास बात यह है कि किसी भी लड़की को आस पास नहीं भटकने देता, लड़कियों के मामले में इसका अपना टेस्ट है, अपना क्लास है




"अबे हां बेन्चोद, कंधे शरीर से अलग कर देगा क्या.." मैने रॉनी को दूर करते हुए कहा




"भाई, मज़ाक नहीं कर, अगर कल नहीं जीते तो इज़्ज़त की माँ तो चुदेगि ही, लेकिन साथ ही स्वीटी भी दूर होगी" रॉनी ने टेन्षन में आके कहा




"स्वीटी , उसकी वजह से खेलनी है क्या गेम.." मैने उसके हाथ से बॉल छीन के कहा और सब लोग अपनी अपनी किट लेके तैयार होने लगे..




"लेट'स स्टार्ट.." रॉनी ने चिल्ला के कहा और हम ने अपना फुटबॉल का गेम खेलना शुरू किया.. करीब 90 मिनट की गेम में तीन गोल मिस हुए, लेकिन उसमे भी कोई प्राब्लम नहीं हुई मुझे




"कोई बात नहीं भाई, गोल कीपर ने रोके ना, किक बढ़िया लग रही है हम सब की.. कल सेम खेलना है ओके.." रॉनी ने प्रॅक्टीस ख़तम होते हुए सब को जूस देते हुए कहा




"सन्नी, कल सुबह 7 बजे.. और 7 बजे मीन्स 7 बजे ही.. " रॉनी ने वॉर्निंग देते हुए कहा




"7 बजे उठ जाउन्गा मैं.." मैने जवाब दिया




"अबे भोसड़ी के, 7 बजे पहुँचना है.. तो तू 6 बजे उठना, तेरे घर के पास ही है ग्राउंड, मैं पिक करने आउन्गा तुझे.." रॉनी ने कहा और मैने सिर्फ़ थंब्स अप करके हां में जवाब दिया




फ्राइडे.. जुम्मा, वॉरली के पास आज काफ़ी भीड़ थी, अभी शाम के 5 ही बजे थे, लेकिन यह रोज़ का नज़ारा था इधर.. भीड़ होती थी हाजी अली की दरगाह में जाने वाले लोगों की, कभी कभी उस भीढ़ में मैं भी शामिल हो जाता था.. प्लीज़ नहीं, इससे मेरी रिलिजन के बारे में बिल्कुल नहीं सोचना.. मैं चर्च भी जाता हूँ, मैं गुरुद्वारा भी जाता हूँ, मैं मंदिर भी जाता हूँ और मैं मस्जिद भी जाता हूँ.. हां यह बात अलग है कि इसे मेरे सभी दोस्त, या जितने भी दोस्त हैं, पब्लिसिटी स्टंट समझते थे, पता नहीं कैसे लॉजिक से, लेकिन मुझे कभी इस बात में उनकी परवाह नहीं थी.. इसलिए मुझे हमेशा ही यहाँ भी अकेले आना पड़ता था.. हाजी अली की दरगाह समंदर के बीचों बीच बनी हुई है, वहाँ जाने के लिए बाहर अपनी गाड़ी रोक के वहाँ से पैदल एक थोड़ा सा छोटा, लेकिन बेहद मज़बूत रोड बना हुआ है, वहाँ से गुज़रना पड़ता है अंदर जाने के लिए.. मैं गाड़ी लॉक करके अंदर जाने लगा और चलते चलते ही अपने सर पे रुमाल बाँधने लगा.. मैं जब भी किसी भी धर्म स्थल पे जाता, कुछ समझ नहीं आता कि क्या प्रार्थना करूँ, क्यूँ कि वैसे देखा जाए तो मेरे पास सब कुछ था और देखा जाए तो कुछ भी नहीं.. इसलिए बस हमेशा ऐसी जगह पे जाके मैं मन ही मन बस एक लाइन कहता




"प्लीज़.. हम सब को खुश रखें.."




उस दिन भी यही हुआ, मैने अंदर जाके चादर चढ़ाई और थोड़ी देर पीछे किनारे पे जाके बैठ के डूबते सूरज को देखने लगा




"बच्चा, यहाँ नहीं बैठो..." पीछे से एक चाचा ने आवाज़ दी जिसे सुन मैं अपने ध्यान से बाहर आया और उनसे मुस्कुरा के बाहर जाने लगा




काफ़ी लोग गाड़ियों में भी आए हुए थे आज, वैसे गाड़ियाँ थोड़ी कम रहती हैं जिससे पार्किंग में दिक्कत नहीं होती, लेकिन आज गाड़ियों की भीड़ काफ़ी थी.. आज कुछ अछा नहीं लग रहा था, दिल में एक अशांति सी थी, पता नहीं क्यूँ बस मूड ठीक नहीं था, कुछ दिन कहीं अकेले रहने चला जाउ, बार बार दिल यह कह रहा था, लेकिन फिर दूसरे कोने से तुरंत आवाज़ आती, भाई , अभी तो अकेला ही है..




"क्या करूँ.. कहाँ जाउ, गोआ.. ना, सेप्टेंबर में भीड़ होगी... केरला, ना, बहुत ज़्यादा अकेला होगा.. तो फिर.." मैं खुद से बातें करते करते गाड़ी में बैठ गया और स्टार्ट का सेल मारा ही था कि अचानक "खाटततटतत्त...." की आवाज़ आई




"अबे बेन्चोद..होश में आ, " मैने खुद से कहा और देखा तो गाड़ी गियर में होने की वजह से आगे खड़ी नयी चमचमाती बीएमडब्ल्यू 7 सीरीस को ठुक गयी थी..




"बीएमडब्ल्यू 7 सीरीस.. कितना नुकसान होगा, भर दूँगा.. लेकिन फिर भी नहीं माना तो.." मैं अभी अपने ख़यालों में था ही के उसमे से एक 7 फुट लंबा आदमी, एक दम गोरा चिट्टा, चेहरा इतना लाल था मानो ऐसा लग रहा था कि डाइरेक्ट किसी का खून पीके आया था




"टक टक..." मेरी गाड़ी के शीशे पे दस्तक देके मुझे बाहर निकलने को कहा




"फेववव... चलो.." मैने खुद से धीरे से कहा और बाहर आ गया




"यस सर.." मैने शांति से उसे देखते हुए कहा.. वैसे कद और शरीर की बनावट से लग वो ख़ूँख़ार रहा था, लेकिन चेहरे पे मुस्कान थी, इतनी बड़ी नहीं, हल्की सी




"यार बीएमडब्ल्यू 7 सीरीस चला रहा है, इतना टुच्छा थोड़ी होगा कि नुकसान की वजह से लड़ेगा..चिल" मैने अंदर खुद से कहा और फिर उसके जवाब का वेट करने लगा




"तुम्हारा नाम क्या है.." उसने हाथ आगे बढ़ाते हुए कहा




"जी.." मैने थोड़ी अजीब शकल बना के कहा




"नाम नाम.. इंग्लीश में, व्हाट युवर नेम ईज़.."




"सन्नी.." मैने हाथ आगे बढ़ा के कहा




"सन्नी..... आगे.."




"बस सर, आखरी नाम से फरक नहीं पड़ेगा, सन्नी ख़ान हूँ या सन्नी डसूज़ा या सन्नी गुप्ता.. नुकसान तो मैं ही भर के दूँगा आपको.." मैं अभी भी सोच रहा था कि क्या कहूँ इसके अलावा




"रूको.." उसने मुझे कहा और अपनी जेब से डाइयरी निकाली और कुछ लिखने लगा




"सर, नाम लिखने की नो नीड, मैं आपका नुकसान भर दूँगा.." मैने उसकी डाइयरी की तरफ इशारा करके कहा




"बहुत पैसे वाले हो जो बार बार नुकसान भरने की बात कर रहे हो.." उसने कुछ लिख के डाइयरी फिर अपनी पठानी की राइट पॉकेट में डाल दी




"पैसा ही तो है मेरे पास.." मैने निराशा भरी आवाज़ में कहा और नीचे देखने लगा




"बंदे को बाबा कहते हैं.. बाबा ख़ान.." उसने हाथ आगे बढ़ाते हुए कहा




"ओके.." मैने सिर्फ़ इतना कहा और उससे हाथ मिला लिया




"कहाँ रहते हो.." उसने फिर पूछा




"सांताक्रूज़ ईस्ट.."
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07-03-2019, 04:55 PM,
RE: Antarvasna kahani वक्त का तमाशा
"मेरे साथ चाइ पियोगे... सन्नी" उसने अपनी कड़क आवाज़ में पूछा




"देखिए सर, मैं माफी चाहता हूँ, वो मैं कुछ सोच रहा था और पता नही कैसे.." मैं उसे समझाने की कोशिश कर रहा था और वो मुझे सुने जा रहा था




"सन्नी, मैने यह सब पूछा भी नहीं और तुम जवाब दे रहे हो.. जिस चीज़ का सवाल है, उसका जवाब दो.. चाइ पियोगे के नहीं.." बाबा ख़ान की भूरी आँखें देख एक बार डर लगने लगा




"ठीक है सर.." मैने सिर्फ़ इतना कहा और अपनी गाड़ी में बैठने लगा




"उधर नहीं, इधर.. मेरी गाड़ी में.." बाबा ख़ान ने कहा और फोन करने लगा किसी को




"हां उस्मान, जल्दी गाड़ी के पास आ.." बाबा ख़ान ने फोन रखा और मुझे सहमा हुआ देख कहा




"डरने की ज़रूरत नहीं है.."




"जी भाई.." एक दूसरे आदमी ने बाबा ख़ान से कहा




"उस्मान, यह मेरा दोस्त है सन्नी, इसकी गाड़ी ले और मेरे पीछे आ.." बाबा ने मेरे हाथ से चाबी छीन उसे दी और खुद अपनी गाड़ी में जाके बैठ गया.. ऐसी सिचुयेशन देख मेरी हालत खराब हो गयी थी, पता नहीं साला ध्यान कहाँ था कि इसकी गाड़ी को ठोका, आगे से बेन्चोद गाड़ी चलाना बंद, लेकिन अब क्या करूँ.. डॅड को फोन करूँ, नहीं , फिर उन्हे हज़ारो एक्सप्लनेशन देने पड़ेंगे.. अगर यह मुझे गाड़ी में कहीं बिठा के ले गया और पीछे से इसके उस्मान ने मेरी गाड़ी कहीं और भगा दी तो, डॅड को क्या कहूँगा.. अरे वो सब छोड़, इसने मुझे कुछ किया तो.. मेरे मन में ना जाने कितने ख़याल एक साथ आ रहे थे




"सन्नी.." बाबा ने चिल्ला के बुलाया और मजबूरन मुझे उसके साथ बैठना पड़ा, उसकी गाड़ी में


मुंबई फ़ोर्ट जिसे अब लोग दलाल स्ट्रीट के नाम से भी पुकारने लगे हैं, साउत मुंबई का काफ़ी पुराना एरिया है, पोर्चुगीज़ लोगों ने अपना ज़माने में अपने हिसाब से दुनिया की सबसे उम्दा कारीगरी करवाई थी.. तभी तो उनके जाने के बाद भी किसी ने वहाँ की शकल को बदलने की तकलीफ़ नहीं उठाई थी.. लंबी लंबी दीवारें जिन्हे देख पुराना ज़माना याद आ जाए, उस एरिया में काफ़ी सारे ईरानी रेस्टोरेंट्स थे.. यहाँ के ईरानी रेस्टोरेंट की चाइ और बन मस्का और खीमा पाव, पूरे इंडिया में फेमस है.. कोई भी एक बार अगर आता है मुंबई तो उसे यहाँ इन सब को चखने के लिए आना ही पड़ता है..




"दो चाइ, और दो मुस्का बन.." बाबा ने एक आदमी को ऑर्डर दिया और अपने तीन मोबाइल टेबल पे निकाल के रखे.. पठानी के उपर का बटन लूस किया जिससे उसके गले में चमकती सोने की भारी चैन भी मुझे दिखी, हाथ आगे बढ़ाया और टेबल पे रखा जिससे उसकी कलाईयों पे बँधा ब्रेस्लेट और उंगलियों में तीन गोल्ड की अंगूठियाँ भी मुझे दिखी




"इतना गोल्ड.. गर्मी नहीं होती बेन्चोद पहेन के, खोता शो ऑफ बीसी.." मैने फिर खुद से कहा और अपने हाथ और गले पे हाथ फेरा जो खाली थे, और मुझे ऐसे ही पसंद थे, नो गोल्ड, नो डाइमंड..




"सिगरेट लोगे.." बाबा ने अपनी आँखों से डार्क रेड चश्मा उतार के पूछा




"भाई, चाबी.." उस्मान ने उसके पास आके कहा और बाबा ने चाबी मुझे पकडाई..




"थॅंक्स.." मैने चाबी लेके एक लंबी साँस ली.. चलो अच्छा है, कुछ भी नहीं हुआ, मैने फिर खुद से अंदर ही अंदर कहा




"सिगरेट लोगे कि नहीं.." बाबा ने फिर चुटकी बजा के पूछा




"जी.. जी नहीं, प्लीज़, थॅंक यू.." मैने अपने ख़यालों से बाहर आके जवाब दिया और बाबा ने भी उस्मान को वहाँ से जाने का इशारा कर दिया




"तुम जानते हो मैं तुम्हे यहाँ क्यूँ लाया सन्नी.." बाबा ने मुझे देख कहा, मैं अभी भी अपने ख़यालों में खोया हुआ था




"सन्नी..." बाबा फिर चुटकी बजा के मुझे होश में लाया




"सॉरी सर.. वो मैं.."




"जानता हूँ, समझता हूँ तुझे... तभी तो तुझे यहाँ लाया.. डरने की ज़रूरत नहीं है, तेरी गाड़ी सेफ है, तू सेफ है.. क्या तुझे अब भी डर लग रहा है.." बाबा ने कुर्सी पे टेका देके कहा और मैं सोचने लगा कि बात तो इसकी सही है.. वैसे नुकसान तो मैने इसका किया था लेकिन फिर भी अब तक इसने मुझे कुछ कहा नहीं है..




"नहीं सर.. ऐसा नहीं है.." मेरी घबराहट थोड़ी सी कम हुई थी




"ख़ान साब बोल.. सर बहुत इज़्ज़त वाला शब्द है, और बाबा तू बुला नहीं सकता.." बाबा ने अपनी भूरी लाल आँखों से मुझे देख कहा




"ओके.. ख़ान साब.."




"तू जानता है, जब पहली बार मुझसे भी कोई ऐसे ही मिला था, मैने उसे अपना आखरी नाम नहीं बताया था.. आज तूने पुराने दिन याद दिलवा दिए.." बाबा ने सिगरेट के धुएँ का छल्ला बना के कहा और हमारा ऑर्डर भी आ गया




"सन्नी.. अब बता , क्या मसला है तुझे.." बाबा ने अपनी सिगरेट फेंकी और मेरी आँखों में देखने लगा




"मतलब, मुझे कोई प्राब्लम नहीं है सर.. आइ मीन, ख़ान साब.. मैं बिल्कुल ठीक हूँ.." मैने हकला के जवाब दिया




"तेरी उमर कितनी है, और क्या करता है तू..सच सच बताना" बाबा ने चाइ की चुस्की लेते हुए कहा




"मैं 21 साल का हूँ और मीठी बाई जूनियर कॉलेज में हूँ.. हां एक साल फैल हुआ था, तभी अब तक जूनियर्स में हूँ, नेक्स्ट एअर जूनियर्स क्लियर होगा.." मैने उसे सच बताना बेहतर समझा, वैसे फैल होने पे गर्व नहीं था मुझे, लेकिन कहता के 21 साल का हूँ और जूनियर्स में हूँ, तो वो फिर कॅल्क्युलेट करके कहता कि अब तक जूनियर्स में क्यूँ, इसलिए सामने से उसे सब बता दिया
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07-03-2019, 04:55 PM,
RE: Antarvasna kahani वक्त का तमाशा
"मैं 50 का होने वाला हूँ लड़के, 21 साल की उमर में कोई समंदर के किनारे बैठ डूबते सूरज को नहीं देखता.."




"मतलब आप..."




"हां, मैं तुझे तभी से देख रहा हूँ, दरगाह में भी तू खोया खोया था, फिर जाके अकेले बैठना, फिर किस्मत देख, तूने मेरी गाड़ी ठोकी और अब मेरे साथ है.. इसलिए बोल रहा हूँ लड़के, क्या बात है बता.. अजनबी हूँ, इसलिए बता, किसी को कुछ नहीं पता चलने दूँगा.. वो इंग्लीश में कहूँ तो, आइ आम आ गुड कॉन्फिडेंट.." बाबा ने फिर हँस के कहा




बाबा की बात ख़तम होते ही मैं सोचने लगा के इसको क्या बताऊ, और इसको क्यूँ बताऊ, वैसे बताने में कोई मुश्किल नहीं थी, लेकिन जान ना पहचान, अगर मैं अजनबी को सब बता दूं और कल कुछ मेरी इन्फर्मेशन का मिसयूज़ करे तो, पर दिल की दूसरी आवाज़ थी, कि भाई ने इतना अच्छे से बात करी है अब तक, रंग ढंग देख तो बिल्कुल ऐसा नहीं लग रहा , तीन मोबाइल हैं, बीएमडब्ल्यू 7 सीरीस, इतना सोना, इसे पैसों की कोई कमी नहीं होगी फिर यह क्यूँ मेरी कोई इन्फो मिसयूज़ करेगा




"लड़की का चक्कर..." बाबा की तेज़ आवाज़ से मैं अपने ख़यालों से बाहर आया और उसे देखने लगा




"जी.." मैने असचर्या में आके पूछा




"लड़की का चक्कर है ..या दोस्त से झगड़ा, या माँ बाप ने कुछ कहा ... कुछ भी हो, तू बता तो दे कम से कम, विश्वास रख, नुकसान नहीं होने दूँगा तुझ को.. मैं भी तेरे जैसा ही था , इसलिए तुझे पूछ रहा हूँ.." बाबा ने मेरे हाथों को अपने हाथों में पकड़ के पूछा




"यह मेरे जैसा.. मतलब मैं भी 50 साल में इतनी चैन, मोबाइल्स और बीएमडब्ल्यू 7 सीरीस लेके घूमूंगा.." मैने खुद से कहा और चेहरे पे हल्की मुस्कुराहट आ गयी




"बोल भी दे भाई, यह किसी से इतनी बात नहीं करते.." जिस आदमी ने हमारा ऑर्डर लिया था वो प्लेट्स उठाते वक़्त बोल गया




"ख़ान साब... मेरी प्राब्लम यह है कि...." मैने बाबा को बताना शुरू किया, घर से लेके दोस्तों तक , दोस्तों से लेके गर्ल फ्रेंड तक, गर्ल फ्रेंड से लेके मेरे बर्तडे के दिन हुई बातों के बारे में.. बताते बताते वक़्त कहाँ निकलता गया मुझे पता ही नहीं चला, और मैने भी जो बातें उसे बताई, उनकी डीटेल्स भी उसे बताने लगा.. एक से दो, दो से तीन और तीन से चार घंटे बीते, लेकिन बाबा ध्यान से मेरी बातों को सुनता रहा और बीच में बिल्कुल नहीं टोका




"तो प्राब्लम जानते हो आप.. प्राब्लम यह है.."




"चलो, क्लोसिंग टाइम है.." एक वेटर ने आके हमे कहा जिसे सुन मेरी आवाज़ बंद हुई और मैने घड़ी देखी तो वक़्त देख के हैरान हो गया




"बहनचोद.. कुछ देर बाद आ जाता, " बाबा ने उस वेटर से कहा और गुस्से से देखने लगा




"शिट.. आइ आम सो सॉरी, मुझे वक़्त का तक़ाज़ा ही नहीं रहा, आपको मेरी वजह से लेट हुआ.." मैने घड़ी देखी तो 12 बज रहे थे.. मैने जल्दी से वॉलेट निकाला और कुछ पैसे उसमे रख बाहर चलने लगा.. बाबा भी मेरे साथ बाहर आया और खामोश ही रहा





"ख़ान साब.. थॅंक यू वेरी मच.. पर मुझे बहुत लेट हो रहा है, कल सुबह मॅच भी है, अगर लेट पहुँचा तो सब गालियाँ देंगे.. इट वाज़ नाइस मीटिंग यू.." मैने हाथ आगे बढ़ा के कहा जिसे देख बाबा मुस्कुराया और मेरे हाथ को कस के पकड़ा और अपनी गाड़ी की तरफ ले जाने लगा




"सर, देखिए प्लीज़, मुझे जाने दो.. हेलो.. ख़ान साब, बाबा ख़ान जी, सर..." मैं बस उसे बोलता रहा और मुझे अनसुना कर वो अपनी गाड़ी की तरफ आ गया





"सर.... प्लीज़.." मैं उसकी गाड़ी के पास रुका और उसे लिटरली भीख माँगते हुए कहा




"सन्नी, मेरे साथ खाना खाओगे.." बाबा ने हँस के पूछा और ज़बरदस्ती अपनी गाड़ी में बिठा के अपने घर ले जाने लगा




फ़ोर्ट से महिम तक का सफ़र मैने बहुत डर डर के निकाला, अचानक एक आदमी जिसकी गाड़ी मैने ठोकी थी, वो चाइ पिलाता है, मेरी बातें सुनता है और खाना भी खिलाता है..उससे डर नहीं तो और क्या लगेगा.. बन्चोद, तू ही चूतिया है, सब कुछ बता दिया उसे, गान्ड मरवा लो अब, यह तो होना ही था मेरे साथ, मैने अंदर फिर खुद से कहा और सोचने लगा यह क्या करने वाला है...




"आओ.." बाबा ने गाड़ी बंद कर जब कहा, तब मुझे ध्यान आया कि मैं इस वक़्त महिम चर्च के पास खड़ा हूँ.. बाहर निकल के बाबा के पीछे पीछे चलने लगा.. थोड़ी ही दूरी पे बाबा का घर था जहाँ बाहर काफ़ी लाइट्स लगी हुई थी और काफ़ी भीड़ थी..




"कोई अकेशन है क्या आज, " मैने बाबा से चलते चलते पूछा जिसका जवाब उसने कुछ नहीं दिया और बस मुस्कुराता मुस्कुराता आगे बढ़ने लगा




"ख़ान भाई को जनमदिन की ढेरों शुभकामनायें... हमारी दुआ है आप हमेशा महफूज़ और सलामत रहें भाई जान..." बाबा के घर के पास हम जैसे ही पहुँचे, भीड़ में से एक आदमी चिल्ला के बाहर निकला और बाबा के गले लगने लगा.. भीड़ में खड़े दूसरे लोग भी काफ़ी खुश हुए और सब बाबा को जनमदिन की बधाइयाँ देने लगे..




"तो आज क्या करेंगे भाई जान.. हुकुम करें.." फिर पहले वाले बंदे ने उससे पूछा




"फिलहाल तो मेरे नये दोस्त से बातें करनी हैं.." बाबा ने मेरी तरफ इशारा करके कहा जिससे सब लोग मुझे देखने लगे




"हाई... " मेरे गले से इतनी आवाज़ निकली जिसे मैं भी ठीक से नहीं सुन सका..




"ठीक है भाई जान.. आप चलें उपर, " उस आदमी ने सीडीयों की तरफ इशारा किया और बाबा मुझे अपने साथ उपर लेके आ गया




"तो अब बताओ सन्नी.. हम कहाँ थे.." बाबा ने मेरे आगे खाना लगाते हुए कहा




"आप कौन हो .. " मैने बाबा की आँखों में देख सवाल पूछा, यह पहली बार था जब बाबा से मिलके मेरी आवाज़ में विश्वास था




"मेरा मतलब, मैने आपकी गाड़ी को ठोका, मुझपे गुस्सा होने के बदले यह सब.. मैं कुछ समझ नहीं पा रहा.." मैने हैरान होके पूछा
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07-03-2019, 04:55 PM,
RE: Antarvasna kahani वक्त का तमाशा
"मैं कहा ना सन्नी, मैं 25 साल तक अकेला था, तेरे जैसे ही गुम्सुम रहता था, कोई दोस्त नहीं, माँ बाप नहीं, और जिसने मेरा हाथ थामा वो भी मुझे दरगाह के पास ही मिले थे.. तेरा केस सेम ही है, दोस्त नहीं, माँ बाप हैं लेकिन ना जैसे ही.. तू भी मुझे दरगाह के बाहर मिला.. और अगर इससे ज़्यादा जानना है तो कल तक मेरे साथ रहना पड़ेगा, बोल रहेगा इधर मेरे साथ.." बाबा ने हँस के कहा




"जी नहीं, कल मेरी मॅच है.. मेरे कॉलेज के बाद मिलूँगा आपसे, रह नहीं सकता.. झूठ नहीं कहूँगा, बट आपने इतने अच्छे से मेरी बातें सुनी, मुझे बहुत अच्छा लगा.. थॅंक यू वेरी मच.." मैं मुस्कुरा उठा




"अरे बस कर रे, ले खाना खा और फिर मैं समझाता हूँ तुझे.." बाबा ने कहा और हम दोनो खाना खाने लगे




"जानता है सन्नी, ज़िंदगी में जितना किसी एक के पीछे भागेगा, वो तुझसे उतना ही दूर जाएगा.. यार दोस्त गर्ल फ्रेंड, यह सब कोई मायने नहीं रखते, मायने ज़िंदगी में सिर्फ़ एक चीज़ रखती है.. वो है पैसा.. लेकिन हां, इसका मतलब यह नहीं के तू ज़िंदगी भर तन्हा रहे, एक साथी की तलाश कर, जो तुझे समझ सके, जो तुझसे प्यार करे तेरे पैसों को नहीं, जो तेरे मन की बात सुने तेरे पैसों की खनक नहीं.. और दूसरी बात, अपनी ज़िंदगी का दुख तू जीतने लोगों का सुनाएगा, लोग तेरा उतना ही फ़ायदा उठाएँगे, यहाँ कम सिर्फ़ एक चीज़ होती है, खुशियाँ.. आज आदमी अपने दुख से ज़्यादा दूसरे की खुशियों से दुखी है.. इसलिए हमेशा याद रख, चाहे कितनी बड़ी ठोकर क्यूँ ना लगे तुझे, तू ही उसको ठीक कर सकता है, और कोई नहीं.. बहुत सहमा हुआ है, अकेले जी के देख क्या है ज़िंदगी, तब तू जान पाएगा तू क्या कर सकता है... सब के पीछे भागेगा तो सब दूर जाएँगे, सब से दूर भागेगा तो सब तेरे पास आएँगे समझा.." बाबा ने रूम के चक्कर लगाते हुए कहा




"हे मीन्स, लर्न टू वॅल्यू युवरसेल्फ, देन ओन्ली पीपल विल नो युवर वॅल्यू.." बाबा की कड़क आवाज़ को काट के पीछे से एक काफ़ी खूबसूरत मीठी सी आवाज़ आई जिसे सुन मेरा ध्यान तो उधर गया ही, लेकिन बाबा के चेहरे पे भी मुस्कान आ गयी




"आइए आइए..." बाबा ने मूड के कहा




"हमारी दुआ है कि आप हमेशा खुश और आबाद रहें.."वो औरत बाबा से गले लगते हुई बोली




"शुक्रिया मेरी जान... " बाबा ने हँस के कहा और मेरी तरफ मूड गया




"सन्नी.. यह है मेरी बेगम साहिबा, मेरी जाने जिगर, मेरी सब कुछ.. ऋतु.."




"ऋतु, यह सन्नी है.." बाबा ने अपनी बीवी से इंट्रो करवाया





"इन लोगों में भी ऋतु नाम होता है.. नहीं, शायद नहीं, पर यह कैसे.." मैं उसका नाम सुन के सोचने लगा




"लगता है आप भी इनके जैसे हैं, काफ़ी सोचते हैं हाँ.. वैसे हमारी रिलिजन अलग है, लव मॅरेज है, यहाँ आके मैने इनके लिए इस्लाम को अडॉप्ट किया और मेरी पहचान ना खोए इस वजह से आज तक यह मुझे ऋतु ही बुलाते हैं.." ऋतु ने फिर अपनी मीठी आवाज़ में कहा




"ओह.. जी नहीं, मैं वो नहीं सोच रहा.. ग्लॅड टू मीट यू.." मैने हाथ आगे बढ़ा के कहा और ग़लती का एहसास होते ही फिर पीछे खींच लिया




"हाहहहहा... " बाबा और ऋतु दोनो मुस्कुराने लगे और ऋतु हमे अकेला छोड़ फिर बाहर चली गयी




"समझा, जो तुझसे प्यार करेगी, वो सब कुछ सोचे बिना तेरे साथ रहेगी, बस उसे ढूँढ, तेरी तकलीफ़ दूर हो जाएगी.." बाबा ने मेरे कंधे पे हाथ रख कहा




"वैसे, सर, मैं ढूंढूं कहाँ उसको, और हर कोई आप जैसा लकी नहीं होता.. बट हां मैं कोशिश पूरी करूँगा, लेकिन जब तक वो नहीं मिलती, तब तक क्या करूँगा.. और एक दूसरी बात पूछूँ, प्लीज़ बुरा नही लगाना, लेकिन आप क्या काम करते हो.." मैने उत्सुकता से काफ़ी सवाल एक साथ पूछ लिए जिसे सुन बाबा भी मुस्कुरा उठा




"मैं कुछ नहीं करता, मेरे लिए लोग करते हैं.." बाबा ने एक बड़ी सी फाइल निकाली और मेरे हाथ में पकड़ा दी




मैने बिना कुछ सोचे वो फाइल उठा ली और उसे ध्यान से देखने लगा.. जैसे जैसे पन्ने पलटने लगता, वैसे वैसे समझ आता कि क्या है वो सब.. लेकिन काग़ज़ों पे लिखे नंबर्स, मेरा दिमाग़ घुमाने लगे..




"ओके.. सॉरी, शायद मैं ग़लत होऊ तो माफ़ कर दें, आप बेट्टिंग करते हो.." मैने आँखें बड़ी करके पूछा




"जो मुझे विरासत में मिला वो करता हूँ.. आगे की बात समझने के लिए कल मिलना पड़ेगा.." बाबा ने सोफे पे बैठ कहा




"मैं श्योर नहीं हूँ, लेकिन पूरी कोशिश करूँगा के आपसे मिलूं, मुझे भी आपसे मिलके अच्छा लगा"




"अच्छा नहीं लगा, मुझसे मिलके तू हल्का महसूस कर रहा है.. चल अब घर जा, मॅच है तेरी कल.. और हां मेरी गाड़ी तेरे पीछे रहेगी जब तक तू घर नहीं पहुँचता समझा.." बाबा ने फिर फोन निकाला और उस्मान को निर्देश दे दिए




"गुड नाइट ख़ान साब.." मैने बस इतना ही कहा और मूड कर जाने लगा तब फिर पीछे से उसने बुलाया




"अच्छा, जब तक कोई तेरी बातें सुनने वाली तुझे नहीं मिलती, तब तक तू क्या करेगा.." बाबा ने सवाल पूछा जिसे सुन मुझे कुछ जवाब नहीं सूझ रहा था
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07-03-2019, 04:56 PM,
RE: Antarvasna kahani वक्त का तमाशा
"पता नहीं, " मैने कंधे उचका के कहा




"यह ले.. यह तेरी सखी.. इंग्लीश में बोलूं तो, बेस्ट फ्रेंड बनके रहेगी.." बाबा ने मेरी तरफ डाइयरी फेंकते हुए कहा




"जब तक कोई ना मिले, तब तक इसके साथ बातें कर, जैसे ही कोई मिले, इसे छोड़ देना.. समझा, " बाबा ने फिर कड़क आवाज़ में कहा और मैं वहाँ से डाइयरी लेके निकल पड़ा घर की तरफ



बाबा ने जो डाइयरी दी उसमे मैने मेरे बर्तडे के दिन से लेके लिखना शुरू किया, वैसे तो डाइयरी की पहली लाइन यह होनी चाहिए थी, लेकिन मैं कोई प्रोफेशनल राइटर नहीं हूँ, इसलिए जब मुझे एहसास हुआ कि वाकई में मेरी ज़िंदगी में कोई है नहीं, नाम के लिए तो कई मेरे अपने हैं, लेकिन ख़ालीपन दूर करने के लिए कोई भी नहीं.. उस वक़्त मैने यह लाइन लिखी.. खैर, बाबा से मिलके काफ़ी अच्छा लगा, कौन यकीन करेगा कि मैने जिसकी इतनी महनगी गाड़ी का आक्सिडेंट किया, उस बंदे ने मुझे ज़िंदगी की असली मायने सिखाने का बेड़ा उठा लिया है.. पर बार बार बाबा की एक लाइन मेरे कान में गूँजती





"बहुत सहमा हुआ है, अकेले जी के देख क्या है ज़िंदगी, तब तू जान पाएगा तू क्या कर सकता है"




चीज़ो को ख़ामाखा खींचना मेरा काम नहीं है, मुझे जो चीज़ पसंद नहीं है वो पसंद नहीं है, सिंपल है, लेकिन मैं सहमा हुआ तो नहीं हूँ.. हां यह ज़रूर सही है कि फिलहाल मुझे जीने के लिए कोई मोटिवेशन चाहिए, कोई मकसद चाहिए.. जीने की कोई वजह तो होनी चाहिए, पर क्या है वो, क्या वो मुझे खुद ढूँढनी पड़ेगी या खुद ब खुद मुझे पता चलेगा कि मेरे जीने की वजह क्या है.. सोचते सोचते रात को नींद आ ही रही थी लेकिन कॉफी पे कॉफी पीक खुद को जगाए रख रहा था, बाबा के घर से आके सबसे पहला काम मैने डाइयरी लिखना शुरू किया, सुबह के 5 बजे तक तो डाइयरी लिखी, फिर अगर नींद आती तो सुबह का गेम मिस होता और फिर रॉनी का वही चिल्लाना मुझसे देखा नहीं जाता.. इसलिए एक घंटा और जाग जाग के इधर से उधर घूमता, कभी बाल्कनी में तो कभी लिविंग रूम में.. देखते देखते वक़्त बीत गया और मैं फ्रेश होके रॉनी के साथ ग्राउंड की तरफ निकल गया..




"तुम लोगों को बेन्चोद नींद नहीं आती क्या, 9 बजे की गेम रखते हो साले.." मैने रॉनी से जूस छीनते हुए कहा और वो बिना किसी जवाब के गाड़ी ग्राउंड की तरफ बढ़ता चला गया..




"भाई, देख आज जीतनी ही है समझा.. सिर्फ़ तुझे बता रहा हूँ , ग्राउंड पे स्वीटी भी आ रही है तो प्लीज़ देख लेना यार.." रॉनी गाड़ी रोक के बोला




"अबे हां.. और यह स्वीटी की कोई फरन्ड नहीं है क्या यार, थोड़ा अपनी भी सेट्टिंग करवा.." मैने फाइनली अपनी डेस्पेटनेस दिखा के कहा




"हां है ना, शायद उसके साथ आएगी भी आज.. देख लेना, वैसे भी स्वीटी तो तुझसे बात करती है, हो जाए तो जमा लेना कुछ" रॉनी ने फिर गाड़ी स्टार्ट की और इस बार सीधा जाके ग्राउंड पे रोकी जहाँ काफ़ी मेंबर्ज़ आ चुके थे हमारी टीम के.. रॉनी और मैं तैयार तो थे, इसलिए फटाफट जैसे ही बाकी के सब लोग आए हम ने गेम स्टार्ट किया.. रॉनी की स्वीटी भी आई थी देखने गेम इसलिए हमारे कप्तान आज कुछ ज़्यादा ही चिल्ला रहे थे, लेकिन उसके साथ की लड़की को मैं ठीक से देख नहीं पाया, दूरी इतनी थी, लेकिन सोचा चलो कोई ना, एंड में मिल ही लेंगे.. इसलिए अपना सारा ध्यान गेम पे लगाया.. फर्स्ट हाफ में तो 0-1 से ट्रेल कर रहे थे, इसलिए हाफ टाइम के बाद रॉनी कुछ ज़्यादा ही हाथ पैर हिला रहा था..




"पास करो, यह करो, खाली जगह पे मारो," रॉनी इतना चिल्ला रहा था कि समझ ही नहीं आ रहा था कि गेम खेलें या इसकी चीखें सुने, मेरे साथ बाकी सब का भी यह हाल था




"कॅप्टन एक और चीज़ है..." हमारी टीम के एक दूसरे प्लेयर ने रॉनी से कहा




"व्हाट ईज़ इट.. टेल मी नाउ, गेम में 20 सेकेंड्स हैं बाकी.." रॉनी चूतियों की तरह चिल्लाने लगा




"तू तोड़ा धीरे चिल्ला, तेरी छमिया सुन नहीं पा रही तुझे गान्डू..." उस बंदे ने कहा और उसकी बात सुन सब हँस के अपनी अपनी पोज़िशन्स लेने लगे..




सेकेंड हाफ के पहले 5 मिनिट में ही हमारी टीम ने एक गोल स्कोर करके स्कोर लेवेल कर दिया, लेकिन अगले 20 मिनट तक जब कुछ नहीं हो रहा था, तो हम सब से ज़्यादा रॉनी का ब्लड प्रेशर हाइ हो रहा था.. भगवान ने उसकी तब सुनी जब 75थ मिनिट में हमे एक कॉर्नर मिला.. वैसे तो कॉर्नर रॉनी खुद लेता है लेकिन इस बार अपनी स्वीटी रानी को इंप्रेस करने साहब खुद आगे खड़े रहे और कॉर्नर के लिए मुझे भेज दिया ताकि खुद हेड गोल का मौका ना छोड़े, उससे स्वीटी डबल इंप्रेस होनी थी.. खैर जो भी था, मैने वोही किया जैसे कहा गया, आख़िर कप्तान जो था, और काफ़ी मिनटों के बाद रॉनी का हेड इस बार ठीक निशाने पे लगा और उसने हमे लीड दिला दी.. टाइम वेस्ट करके अगले 15 मिनिट्स हमने निकाले और हम गेम जीत गये.. मेरा स्कोर था 0....




"ओह्ह्ह ववूऊ बाबययी... दट वाज़ सो कूल..." स्वीटी ने रॉनी के गले लगते हुए कहा और रॉनी और चौड़ा होता गया




"वेल प्लेड सन्नी, बट इस बार रॉनी वाज़ बेटर दॅन यू.." स्वीटी ने इतरा के कहा और रॉनी के कंधों पे अपना हाथ रखा




"ऑफ कोर्स, दट ईज़ व्हाई ही ईज़ दा कॅप्टन.." मैने हँस के कहा और स्वीटी के पास खड़ी लड़की को स्माइल दे दी




"ओह.. बाइ दा वे, शी ईज़ राशि.. कॉलेज फ्रेंड.. राशि, ही ईज़ सन्नी.." स्वीटी ने इंट्रो करवाया और मैने भी राशि से हाथ मिलाया




"वेल प्लेड सन्नी.." राशि ने सिर्फ़ इतना ही कहा और अपने ग्लासस उतार दिए




"ओह, राशि, मैं बताना भूल गया यहाँ से स्वीटी और मैं बाहर जा रहे हैं, तो आइ होप यू डॉन'ट माइंड अगर सन्नी तुझे ड्रॉप करे तो..ओके, बाइ .." रॉनी ने हम से कहा और स्वीटी को कुछ कहते कहते वहाँ से चलने लगा




"भाई.. गोल देने को थॅंक्स, स्वीटी आज खुशी से दे देगी इस वजह से, और उसी वजह से तेरे को अकेला छोड़ा राशि के साथ, इससे ज़्यादा मैं कुछ नहीं कर सकता..बाइ" रॉनी का यह एसएमएस आया तब समझ आया स्वीटी का सेट्टिंग




"तो सन्नी, व्हाट डू यू डू बिसाइड स्टडीयिंग.." राशि ने बातें स्टार्ट की और हम चलते चलते बातें करने लगे..




"वैसे स्वीटी बता रही थी कि युवर डॅड ईज़ इन स्टॉक आंड ईज़ आ बिग शॉट.. सो, यू मस्ट बी वेरी बिज़ी हाँ वित हिम" राशि ने फिर वोही बात की जिससे मुझे नफ़रत थी, लेकिन फिर भी मैने उसे इग्नोर करना ठीक समझा




"यू नो राशि, लेट'स नोट डिसकस माइ डॅड.. आइएम मोर इंट्रेस्टिंग दॅन हिम." मैने उसे आँख मार के कहा




"उः हुह.. लेट सी, शाम को मिलते हैं, जुहू बोरा बोरा, देख लूँगी कितनी इंट्रेस्टिंग हो.." राशि ने भी सेम टोन में जवाब दिया और हम टॅक्सी पकड़ के घर की तरफ आने लगे..




"वैसे राशि, सॉरी बट तुम्हारा नंबर तो दो, बोरा बोरा आके वेट कर्वाओगी तुम तो कॉल कहाँ करूँगा.." मैने टॅक्सी वाले को पैसे देके जैसे ही राशि से कहा तो उसकी आँखें कहीं और ही थी..




"राशि..." मैने उसकी आँखों का पीछा किया तो आसमान में देख रही थी




"नाइस ब्लू क्लियर स्काइस ना.." मैने उपर देख के कहा




"ड्यूड, यू स्टे हियर.." रश्मि ने आँखें नीची कर कहा




"उः.. नो , इधर मेरे अंकल रहते हैं.. आज उनसे कुछ काम है, इसलिए" मैने जवाब दिया




"ओह, नाइस बिल्डिंग, एनीवेस, व्हेयर डू यू स्टे.." राशि ने फिर अपने ग्लासस पहेन कहा




"मैं बोरीवली ईस्ट, वो स्टेशन के पास वाला मार्केट है ना, उससे थोड़ा वॉक करके आगे जाएँगे तो मंगलमूर्ति हॉस्पिटल है, बस ठीक उसके पास वाला मकान हमारा है.."




"उ स्टे इन बोरीवली.. ओह, नाइस... " राशि ने अपनी आँखें फेर के कहा




"ओके.. आइ विल कॉल यू शाम को, स्वीटी से नंबर ले लूँगा ओके.."




"हां हां, भैया, वेरसोवा ले लो जल्दी.." राशि आगे बिना कुछ सुने चली गयी




"डॅड से दूर जाना ही पड़ेगा अब साला.." मैने फिर खुद से कहा और घर पे चला गया..




आज कॉलेज जाने का मूड बिल्कुल नहीं था, वो तो वैसे भी कभी नहीं होता, लेकिन आज बस गेम खेलनी थी घर बैठ के, इसलिए मॅच से आके डाइरेक्ट अपने रूम को लॉक किया और गेम खेलने लगा.. सुबह के 11 से शाम के 4 तक लगातार गेम खेल के जब बोर फील हुआ तब जाके कहीं याद आया कि आज बाबा से भी मिलना था.. जैसे ही तैयार होके गाड़ी में आया, उसी वक़्त अननोन नंबर से फोन आया




"हेलो..." मैं थोड़ी जल्दी में कहा




"अभी तक तू आया नहीं सन्नी, अभी तक डरा हुआ है क्या.." सामने बाबा की आवाज़ थी




"आपको मेरा नंबर कैसे..." उसे बोलते बोलते मैं सोच में पड़ गया
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07-03-2019, 04:56 PM,
RE: Antarvasna kahani वक्त का तमाशा
"मैं तो यह भी बता सकता हूँ कि तू सुबह से लेके अब तक क्या कर रहा था, वैसे वो लड़की जो ब्लॅक टॉप में थी तेरे साथ, वो अच्छी थी.." बाबा ने हँस के कहा




"आप मुझ पे नज़र रख रहे हैं.." मैने थोड़ी उखड़ी आवाज़ में कहा




"तेरी हिफ़ाज़त कर रहा हूँ.. "




"किससे.." मैने गाड़ी स्टार्ट कर के कहा




"तेरे खुद से.. चल अब पहेलियाँ बुझाना बंद करते हैं, एक घंटे में माटुंगा रेलवे जिमखाना आजा" कहके बाबा ने फोन कट कर दिया.. पहले तो समझ नही आया कि उसे मेरा नंबर कैसे मिला, लेकिन फिर सोचा छोड़ो, आख़िर कब तक साला सोच सोच के पागल होता रहूं, देख लेते हैं क्या है माटुंगा में..




"सन्नी.. कोई भी 6 नंबर बोल.." बाबा ने मुझसे कहा जब मैं उसे माटुंगा जिमखाना में मिला, जिमखाना में शाम को भीड़ अच्छी ख़ासी रहती थी, टाइम पास करने वाले लोग भी आते, दो नंबरी लोग भी रहते और लड़कियाँ भी रहती है..




"मतलब.. नंबर्स क्यूँ" मैने बाबा से पूछा




"अरे आँकड़ा, तू नंबर बोल बाद में समझाता हूँ तुझे.." बाबा ने कहा और कुछ समझाने की तकलीफ़ नहीं की




"उः... " मैने कुछ सोचा और 6 नंबर्स उन्हे बता दिए




जिस सीरियल में मैने नंबर्स बोले बाबा ने उसी सीरियल में नंबर्स सामने फोन पे कहे और फिर इधर उधर की बातें करने लगा..




"वैसे आपको मेरा नंबर कैसे मिला, और सुबह वाली बात, मैं समझा नहीं कुछ.." मैने चाइ लेते हुए कहा




"देख, नंबर निकालना कोई बड़ी बात नहीं है लेकिन कल रात जबसे तू गया तब से उस्मान तेरे पीछे है, पता नहीं क्यूँ बस फ़िक्र है तेरी, अगर पसंद नहीं तो मैं उस्मान को मना कर देता हूँ"




"अभी तो मना कर ही दीजिए, रही फ़िक्र की बात, तो कभी कुछ होगा तो आपसे ज़रूर शेयर करूँगा.."




"वैसे वो लड़की का क्या हुआ, मिलना विलना है कि नहीं.." बाबा ने राशि की बात छेड़ी जिसका जवाब मैने वोही दिया जो हुआ




"हाहहहाअ.. अच्छा किया.. हाहहहाअ.. " बाबा हंसता रहा और इससे आगे मैं कुछ कहता उससे पहले उसका फोन बजने लगा




"अब पता चल जाएगा तू कितने पानी में है.." बाबा ने फोन उठाते हुए कहा और कुछ देर सामने सुन के फोन कट कर दिया




"तूने जो नंबर्स कहे थे उसमे से एक भी नहीं लगा मुझे.." बाबा ने फोन कट करके कहा




"ओह.." मैने बस इतना ही कहा, क्यूँ कि मुझे बिल्कुल आइडिया नहीं था कि वो क्या कह रहा है




"6 लाख का नुकसान हुआ है मेरा.." बाबा ने हँस के कहा




6 लाख ... 6 लख्स... 6 के आगे 5 0.. वैसे डॅड के मूह से यह सब नंबर्स काफ़ी बार सुने हैं, लेकिन मैने खुद 6 लाख कभी नहीं कमाए.. कमाना तो दूर, आज इसका 6 लाख का नुकसान हुआ है और वो भी मेरी वजह से.. अब अगर यह भरने के लिए बोलेगा तो.. मैं कहाँ से लाउन्गा.. मेरे पास तो सिर्फ़ बॅंक में 50000 हैं, और उसके अलावा कुछ नहीं..




"सन्नी... क्या हुआ.." बाबा ने चुटकी बजा के फिर मुझे होश में लाया




"मैं कैसे दूँगा आपको इतने पैसे, मेरे पास नहीं हैं, आप हर मंत ले लेना मुझ से प्लीज़, आपके साथ खाना खाया है, झूठ नहीं बोलूँगा, लेकिन प्लीज़ घर पे नहीं बताना आप.." मैने घबरा के कहा और अपने चेहरे पे आए पसीने को पोछने लगा




"तुम हर बार कुछ कहने से पहले ही जवाब दे देते हो.. मैने तुमसे पैसा माँगा क्या.." बाबा ने हँस के कहा और दो चाइ दूसरी मंगवा ली




"ले चाइ पी, और चल मेरे साथ.. आज मैं देखना चाहता हूँ, कि तू कितने नुकसान या फ़ायदे का है.." बाबा ने अपनी बात ख़तम की और मुझे सोचने पे मजबूर कर दिया कि आख़िर यह चाहता क्या है, जब से मिला है बिहेव ऐसे कर रहा है जैसे बरसो की जान पहचान हो.. एक पल को मैने सोचा कि मैं अजय या पंकज को बुला लूँ किसी बहाने से लेकिन फिर वो लोग आएँगे तो मेरे साथ देने के बदले मुझसे ही 10 सवाल पूछेंगे और इधर उधर की सुनने लगेंगे




"चलें.." बाबा ने मुझसे कहा और मैं उसके साथ चल पड़ा.. माटुंगा से फिर महिम तक मैं खामोश रहा, माहिम बाबा के घर के ठीक पीछे वाली बिल्डिंग के उपर जाते जाते मेरे मॅन में डर सा समाने लगा लेकिन फिर भी डर को साइड कर मैं उसके साथ उपर चलता गया..




" ओह बेबी डॉल मैन सोने दी.. यह दुनिया पित्तल दी.." जैसे ही हम बिल्डिंग के टॉप फ्लोर के सबसे पहले दरवाज़ा खोल अंदर गये, लाउड म्यूज़िक सुन के मेरे कान फटने को आ गये , उपर से यह गाना, कभी कभी ज़्यादा इरिटेटिंग लगता था.. इतनी भीढ़ देख मैं वहीं रुक गया और देखने लगा लोगों को




"चल, किस्मत आज़माते हैं.." बाबा ने कहके मेरा हाथ पकड़ा और म्यूज़िक से दूर ले जाता रहा और कॉर्नर में एक दूसरा दरवाज़ा था.. वो खोलके अंदर आए तो कुछ शांति मिली.. कोई म्यूज़िक नहीं, कोई शोर शराबा नहीं, बस सिगरेट का धुआँ और अंधेरे में जलते हल्के हल्के लाल बल्ब..




"भाई जान.. " बाबा को देख एक टेबल से आदमी उठा और उससे गले मिलने लगा




"रशीद.. एक गेम लगा.. तीन पत्ती, लेकिन जीत या हार, सिर्फ़ एक ही गेम खेलूँगा.. और मेरे पत्ते यह लड़का उठाएगा.." बाबा ने टेबल पे बैठ कहा और अपनी सिगरेट जला ली




रशीद ने मुझे उपर से नीचे तक ऐसे देखा जैसे शेर अपने शिकार को मारने से पहले देखता है, मैं अभी भी डरा हुआ था लेकिन रशीद से ज़्यादा डर बाबा से लग रहा था अब..




"सर, ऐसा मत करिए, मैने कभी इससे पहले यह सब नहीं किया.. करना तो दूर , मैं आज तक देखा भी नहीं यह सब, " मैने बाबा के पास झुक के कहा




"तुझसे पैसा लिया क्या.. अब ज़्यादा नाटक मत कर, इधर बैठ.. रशीद, क्या बोलता है.. एक गेम, ऑल इन ऑर ऑल आउट.." बाबा ने स्टाइल से धुआँ छोड़ के कहा
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07-03-2019, 04:56 PM,
RE: Antarvasna kahani वक्त का तमाशा
"ठीक है भाईजान.." रशीद ने कहा और पत्ते निकाल के बाँटने लगा




तीन पत्ते आते ही, मैने झट से उसे उठाने का सोचा, क्यूँ कि पता नहीं फिर जीतेगा या हारेगा यह सोच के उत्सुकता बढ़ती जा रही है.. उत्स्कुता जीतने की, और डर हारने का..




"अरे रुक रुक.." रशीद ने चिल्ला के कहा जिसकी वजह से मैने हाथ वापस ले लिया और रुमाल निकाल पसीना सॉफ करने लगा




"कहाँ से लाए ये नींबू भाई.." रशीद ने बाबा से कहा और दोनो हँसने लगे




"यह ले, पानी पी... रशीद, " कहते कहते बाबा रुक गया और सिगरेट का कश लेने लगा




"5 लाख की बाज़ी.." बाबा ने अपनी पठानी की पॉकेट में हाथ डाल 1000 के नोट के 5 बंड्ल निकाले




"ओके भाई.." रशीद ने भी सेम किया और उसने भी अपने पैसे टेबल पे रखे..




10 लाख.. इतना बड़ा जुआ, जुआ क्या, मैने तो आज तक इतने की शॉपिंग भी नहीं की थी, शॉपिंग क्या, मेरे तो क्रेडिट कार्ड की लिमिट भी 50000 थी, बॅंक में 50000 और सीसी में 50000, एक लाख और वॉलेट में करीब 3000 रुपीज़ थे, टोटल एक लाख तीन हज़ार रुपये, 5000 की ., और कपड़े शायद 3 हज़ार दूसरे.. एक लाख ग्यारह हज़ार.. गाड़ी तो दाव पे नहीं लगा सकता, इसलिए वो नहीं.. एक लाख 11 थाउज़ंड रुपीज़, और 10 लाख, मैं यहाँ से भागु, पर इतनी भीड़ है.. मैं क्या करूँ, अब से हाजी अली जाना बंद, ना तो वहाँ जाउन्गा, ना तो ऐसे सनकी लोग मिलेंगे..




"येस... मैं नहीं जाउन्गा..." मैने चिल्ला के कहा




"कहाँ नहीं जाएगा, " बाबा ने मुझे कंधे से हिलाते हुए कहा तो मैं सामने देखता रह गया टेबल पे पड़े नोट के बंडल्स को




"क्याअ.....काहनाहन्न्न.." मैं पसीने से भीग चुका था




"सन्नी पत्ते उठा.. देख रशीद ने 6 निकाला है, तू लकी 7 दे दे मेरी जान.." बाबा ने फिर वही हँसी हँस के देखा




बिना कुछ सोचे मैने तीनो पत्ते उठाए और उन्हे देख ज़ोर से चीखा




"येस्स्स..... य्स्स्स.... " चिल्ला के मैने बाबा को पत्ते दिए और फिर चिल्लाया




"यह रहा 7.." मैने फिर बाबा को देखा तो उसके चेहरे पे अजीब से एक्सप्रेशन थे, और रशीद भी देख के हँसता जा रहा था जिससे मैं समझ गया कि क्या हुआ होगा




"7 है तो सही, यह रहा.." मैने एक पता दिखाते हुए कहा




"मैने 7 माँगे, उसका मतलब यह नहीं कि सिर्फ़ एक पत्ता 7 का.. तू भी ना.." बाबा ने सर फोड़ते हुए कहा और रशीद से अलविदा लेके बाहर चला आया




"मैने 7 माँगा था बांगड़ू, तूने सिर्फ़ 2 दिया.." बाबा ने गाड़ी चलाते चलाते बताया और तीन पट्टी कैसे खेलते हैं समझने लगा




"देखिए सर, मैने आपसे पहले ही कहा था मुझे यह सब नहीं आता.. हां, आइआम सॉरी, बट मैने यह सब नहीं खेला कभी.." बाबा को यह सब समझाते समझाते हम कभी माटुंगा पहुँचे उसका ध्यान ही नहीं रहा




"सर, प्लीज़ आम सॉरी, मेरी वजह से इतना नुकसान आपका.." मैने बाबा से कहा लेकिन उसका ध्यान तो अपने तीसरे मोबाइल में था.. ओह सॉरी, मोबाइल नहीं, आइ-फोन




"क्रिकेट खेलता है.." बाबा ने मोबाइल से ध्यान निकाल के पूछा




"जी... नहीं, लेकिन देखता हूँ, फॉलो करता हूँ.." मैने शांत रह के कहा




"एक काम कर, कल सुबह 9 बजे आ जाना मेरे पास.. एक आखरी बार तुझ पे खेलना चाहता हूँ.." बाबा ने फिर अपना ध्यान मोबाइल पे लगाया और बिना कुछ सुने वहाँ से निकल गया
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07-03-2019, 04:56 PM,
RE: Antarvasna kahani वक्त का तमाशा
"नतिंग'स गॉना चेंज माइ लव फॉर यू..." सन्नी बैठ के आने वाले वक़्त के बारे में सोच ही रहा था कि उसके फोन की रिंग

से उसका ध्यान टूटा और वो अपने ख़यालों से बाहर आया.. भुजे हुए मन से टेबल पे रखा फोन उसने उठाया तो स्क्रीन पे

नाम देख उसका दिल बेचेन हो उठा.. अजीब सी कशमकश में था, वैसे ज्योति के कॉल का जवाब देने में सन्नी कभी इतना

नहीं सोचता था, लेकिन आज अंदर ही अंदर वो खुद से ही जूझ रहा था.. अगर कॉल उठाएगा तो क्या जवाब देगा ज्योति के

सवालों का, और अगर नहीं उठाता तो भी उससे रहा नहीं जाता.. इसी कशमकश में दो कॉल्स तो मिस हुए, लेकिन ज्योति भी कॉल पे कॉल किए जेया रही थी, तब तक, जब तक सन्नी कॉल उठा नहीं लेता..




"नतिंग'स गॉना चेंज माइ लव फॉर यू..." ... तीसरी बार जैसे ही रिंग बजी, सन्नी ने तुरंत ग्रीन आइकान पे अपनी उंगली

स्लाइड की और फोन को काफ़ी धीरे धीरे अपने कान के नज़दीक लाया , शायद डरा हुआ था ज्योति के आनेवाले सवालों से..

इसलिए तो फोन अपने कान के पास लाके भी उसने अपने मूह से कुछ नहीं कहा, बस सामने ज्योति के शब्दों का इंतेज़ार करने लगा.. फोन सन्नी के कान के पास ही था लेकिन सामने से भी ज्योति कुछ नहीं कह रही थी.. सन्नी धीरे धीरे फोन पे साँसें ले रहा था जिससे उसके डर का प्रतीत हो रहा था, सामने ज्योति भी बस उसकी साँसों को ही सुने जा रही थी लेकिन उसके होंठ बंद थे, उसकी साँस लेने की आवाज़ भी सन्नी के कानो तक नहीं पहुँच रही थी.. दोनो तरफ एक अजीब सी खामोशी थी.. आवाज़ थी तो सिर्फ़ सन्नी की साँसों की, जो धीरे धीरे टूट रही थी




"फूऊऊऊऊऊऊऊऊऊओ..." ज्योति के फोन से पहली बार कोई आवाज़ सन्नी के कानो में पड़ी जो कि एक लंबी सी साँस

छोड़ी गयी थी, और उसके तुरंत ही बाद एक हल्की सी सिसक, जैसे कोई रोना चाहता था लेकिन अपने आँसुओं को रोकने की कोशिश कर रहा था




"शीना...." सन्नी ने अपनी रुआंसी सी आवाज़ में बस इतना ही कहा कि ज्योति का फोन कट हो गया.. फोन कट होते ही सन्नी के दिल में एक आग सी लग गयी.. करीब एक साल होने आया था जब वो शीना से मिला था, आज तक ऐसा नहीं हुआ था कि शीना ने फोन बिना कुछ कहे कट किया हो, लेकिन आज ऐसा होने पर सन्नी के दिल को काफ़ी तकलीफ़ हुई और वो अंदर ही अंदर बिखरने सा लगा था




"अब क्या फ़ायदा, तूने भी तो उसे रुलाया है ना, तूने भी तो उसे धोखा दिया है, फिर उसकी इस बात से कैसा दर्द.." सन्नी के मन से उसे आवाज़ आई




"लेकिन मैने उसकी भावनाओ के साथ कोई खिलवाड़ नहीं किया, मैने जो भी वहाँ रहके किया वो सब धोखा था, लेकिन शीना के लिए मेरी फीलिंग्स, मेरा प्यार कभी झूठा नहीं था.." सन्नी ने खुद से कहा




"ग़लत... वो प्यार तुझसे नहीं करती, वो फीलिंग्स तेरे लिए कभी नहीं थी.. वो प्यार, वो भावनाए, वो चिंता, वो सब

उसके भाई रिकी के लिए था, तू रिकी नहीं, तू सन्नी है.. भूल मत, यह रिकी का चेहरा, यह रिकी का नाम बस अब कुछ देर की ही बात है, उसके बाद तू वोही सन्नी बन जाएगा.. वोही अकेला और तन्हा सन्नी.. फिर वोही माँ बाप, फिर वोही दोस्त, जो तेरे नहीं हैं, सिर्फ़ तेरे बाप के पैसे की वजह से हैं, फिर वोही रोज़ का रोना, अकेले में बातें करना.. तू और तेरी डाइयरी फिर अकेले ही रह जाओगे..." उसके मन ने उसे फिर एक कठोर जवाब दिया




"अकेलेपन और तन्हाई से डर नहीं लगता अब.. लेकिन क्या वो प्यार, वो भावनाए, और जो भी वक़्त शीना और मैने साथ

गुज़ारा, क्या वो सब सिर्फ़ एक नाम के साथ था, एक चेहरे के साथ था, मैने तो सुना था दिल से दिल जुड़ने चाहिए, उसके अलावा कुछ मायने नहीं रखता, तो फिर आज ऐसा क्यूँ, क्यूँ मेरा चेहरा ही मायने रख रहा है, कहाँ गये वो वादे, कहाँ गयी
वो बातें जो घंटो बैठ के किया करते थे.." सन्नी झुंझलाता हुआ खुद से ही चिल्ला चिल्ला के बोलने लगा




"शीना प्लीज़ स्टॉप क्राइयिंग..." उधर ज्योति शीना को सहारा दे रही थी जो समझ नहीं पा रही थी कि उसके साथ ही ऐसा

क्यूँ हुआ




"ज्योति..." शीना ने आँसुओं से लड़के सिसक के उसे देख कहा




"व्हाई डिड ही...." शीना इतना ही बोल पाई कि फिर उसके आँसू उसके चेहरे से बहने लगे




ज्योति को समझ नहीं आ रहा था वो शीना से क्या कहे, हर स्थिति में दिमाग़ से काम लेने वाली ज्योति आज दिल के सहारे मजबूर थी, बात ही ऐसी थी, वो जानती थी कि शीना और रिकी (सन्नी) एक दूसरे से कितना प्यार करते हैं, और उसकी निशानी उसे अभी ही दिखी, जब उसके फोन से शीना ने स्पीकर मोड रख सन्नी को कॉल किया तो एक सिसक से ही सन्नी ने शीना को पहचान लिया




"शीना.. लुक अट मी प्लीज़.." ज्योति ने शीना को कंधे से पकड़ अपनी तरफ मोड़ा और उसकी आँखों में देखने लगी जो रो रो के लाल सुर्ख हो चुकी थी, लेकिन वो खामोश होने का नाम ही नहीं ले रही थी..




"शीना.. प्लीज़ कीप क्वाइयेट, मैं जो कहने जा रही हूँ उसके लिए तेरे दिमाग़ और तेरे दिल का साथ होना बहुत ज़रूरी है.. प्लीज़ खुद पे काबू रख," ज्योति ने उसको हिम्मत देना चाही और उसको पानी पिलाने लगी.. अभी ज्योति कुछ कह ही रही थी कि उसके मोबाइल पे एक एसएमएस आया




"प्लीज़ टेक केयर ऑफ हर, अगर कुछ भी हो, ज़रा सा भी स्ट्रेस लगे तो डॉक्टर ईज़ अवेलबल, ही विल बी देयर इन आ मिनिट.. बस, इसका ध्यान रखना प्लीज़.. आइ बेग यू.." सन्नी का यह एसएमएस पढ़ ज्योति के दिमाग़ पर आज दिल हावी होने लगा, लेकिन मोबाइल रख उसने फिर अपना ध्यान शीना की तरफ किया जिसके आँसू थम चुके थे, लेकिन वो रोने की सिसकारियाँ थमने का नाम ही नहीं ले रही थी..




"शीना.. मैं किसी की साइड नहीं ले रही, और ना ही मैं इतनी मज़बूत हूँ कि यह सब इतनी आसानी से पढ़ रही हूँ, लेकिन यह सब सोचते वक़्त, यह सब पढ़ते वक़्त, अभी कुछ देर पहले जो तेरी बात हुई, इन सब से क्या तू खुद नहीं देख सकती उसका प्यार,

भूल गयी तू वो हर बार तुझे कहता था, कि तू किसी भी हालत में उसे अकेला नहीं छोड़ेगी, मैं शायद कठोर साउंड
करूँ, लेकिन शीना क्या तूने उससे प्यार सिर्फ़ इसलिए किया था कि उसकी शकल उसका नाम, भाई जैसा था.. मानती हूँ कि हम ने उसकी असली शकल अब तक देखी भी नहीं, लेकिन तू अपने दिल से पूछ, क्या तेरा प्यार इतना कमज़ोर है कि नाम या शकल बदलने से वो टूट जाएगा, मैं फिर कह रही हूँ.. मैं उसकी साइड नहीं ले रही, जितने सवाल तेरे मन में हैं, उससे कहीं ज़्यादा सवाल मेरे मन में भी हैं, लेकिन मेरे आँसू नहीं निकल रहे, और तेरा दिल टूटा है, हम दोनो में बस यही फरक है..

यह जानते हुए भी कि तू अभी शायद कभी उसकी ना हो पाएगी, उसके बाद भी वो तेरा ख़याल रखना चाहता है.. मुझे उसके
प्यार पे कोई शक़ नहीं है शीना.. तू अपनी शकल बदल दे, अपना नाम बदल दे, वो तब भी तुझे अकेला नहीं छोड़ेगा,

मुझे उसपे इतना यकीन है.." ज्योति ने अपने दिल की बात कही और फिर शायद उससे जवाब की उम्मीद पाने में उसकी आँखों में ही देखती रही




"नतिंग'स गॉना चेंज माइ लव फॉर यू..." सन्नी का फोन फिर बजा और इस बार कॉलर का नाम देखते ही उसने ज़रा भी देर नहीं की कॉल उठाने में, ऐसा ही तो होता था, शीना के कॉल को वो एक रिंग में रिसीव करता था और आज भी... सन्नी ने वैसा ही किया




"शीना... मैं जानता हूँ तुम्हारे मन में कई सारे सवाल हैं, शायद तुम मुझसे नफ़रत भी करोगी यह सब पढ़ के, लेकिन
प्लीज़ तुम अपना ख़याल रखो, मेरे लिए तुमसे ज़्यादा कुछ और ज़रूरी नहीं है.. यह ऐसा वक़्त है जब मुझे तुम्हारे साथ होना चाहिए, तुम्हारे पास होना चाहिए.. लेकिन मेरी किस्मत को यह मंज़ूर नहीं है.." सन्नी ने फोन उठा के जवाब दिया और शीना के लफ़्ज़ों का इंतेज़ार करने लगा, लेकिन शीना और ज्योति स्पीकर पे उसकी आवाज़ सुन खामोश हो गये थे..
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07-03-2019, 04:56 PM,
RE: Antarvasna kahani वक्त का तमाशा
"सन्नी..." शीना के मूह से उसकी आवाज़ सुन, उसकी आवाज़ से अपना नाम सुन, सन्नी के दिल को जो सुकून मिला था, वो काफ़ी था उसके बहते आँसुओं को रोकने के लिए




"सन्नी... क्या तुम मेरी बात का सच सच जवाब दोगे.." शीना ने मुश्किल से अपनी आवाज़ पे कंट्रोल रख पूछा




"शीना, आज तक मैने जो भी झूठ कहे तुमसे, वो कभी अपनी मर्ज़ी से नहीं थे.. सच जवाब ही दूँगा, अब तुमसे झूठ बोलने

का मेरे पास कोई कारण नहीं है..." सन्नी की आवाज़ में एक अजीब सी कसम्कस थी




"सन्नी, मैने तुमसे झूठ कहा था... मैं प्रेग्नेंट नहीं हूँ.." शीना ने भारी मन से कहा, जिसे सुन ज्योति का सर तो
चकरा ही गया, लेकिन सन्नी के दिल के टुकड़े हुए, या यूँ कहें उसके साथ अब उसका दिल भी बिखर चुका था




"मैने तुमसे इतने झूठ कहे, तो तुम्हारा एक झूठ भी सह लूँगा.. लेकिन...." सन्नी अपने आँसुओं को रोकने लगा और फिर कहने लगा




"लेकिन.. यह झूठ क्यूँ शीना.." सन्नी का दर्द शीना भी महसूस कर रही थी लेकिन वो भी मजबूर थी




"मैं बस यह देखना चाहती थी, कि तुम कहीं मजबूरी में तो मुझसे प्यार नहीं कर रहे, मैं बस यह देखना चाहती थी कि
अगर कभी ऐसी कठिन परिस्थिति आई तो तुम मेरे साथ खड़े रहोगे कि नहीं.." शीना ने एक साँस में तो यह सब कहा
लेकिन ज्योति का हाथ पकड़ वो भी बिलख रही थी




"मैं तुमसे कभी दूर नहीं जाउन्गा शीना.. तुमसे दूर जाउ भी तो कहाँ, दिल में हमेशा तुम्हारी ही तलाश थी, हर रोज़,

हर वक़्त, हर एक पल में बस यही सोचता हूँ, काश हमारी मुलाक़ात ऐसे ना हुई होती.. तुमसे दूर होके भी मैं हमेशा

तुम्हारे पास रहूँगा शीना, मैं हमेशा ही जीने का मकसद ढूंढता था, आज वो मकसद, वो वजह तुम में दिखी है

मुझे.." सन्नी ने खुद को और अपने मन को सैयम में रखा और उसे जवाब दिया




सन्नी का जवाब सुन शीना ने बिना कुछ कहे फोन कट किया और ज्योति के कंधे पे सर रख रोने लगी..




"आइ टोल्ड यू शीना.. ख़ामाखा झूठ कहा कि तू प्रेग्नेंट नहीं है, मैने कहा था तुझसे उसका जवाब नहीं बदलेगा.. मे बी तू

उसकी आँखों में नहीं देख पाई अब तक, पर मैने हमेशा देखा, उसकी आँखें हमेशा तुझे ढूँढती, उसका दिल तेरे पास

ही रहने का होता.. आज भी वो कहाँ है तूने उससे पूछा ही नहीं, लेकिन वो हर एक घंटे में तेरे लिए फोन और एसएमएस किए जा रहा है.. देखने का नज़रिया बदल शीना, वो तेरी दुनिया में आया, और तुझे खुश रखा, हमेशा उसने वोही किया जो

तूने उससे कहा, यहाँ तक कि ताऊ जी तो उसे प्रॉपर्टी दे चुके थे, लेकिन उसके दिल में तेरे लिए हमेशा प्यार ही है, इसलिए

बिना कुछ सोचे समझे उसने वोही प्रॉपर्टी तुझे लौटा दी.." ज्योति बोलती रही और शीना उसे ध्यान से सुनती रही




"आज की शाम, जब उसने तुझे गले लगाया रिज़ॉर्ट के बाहर , तू भूल गयी उसने तुझे क्या कहा था..." ज्योति ने शीना के

चेहरे को अपने हाथ में थामा और बड़े प्यार से उसे याद दिलाने लगी सन्नी के वो शब्द




"मैं चाहता हूँ यू शुड फील सेफ वित मी.. आंड आफ्टर मी...." ज्योति के याद दिलाने पे शीना के कानो में यह शब्द गूंजने

लगे




"आज जब उसे तेरी सबसे ज़्यादा ज़रूरत है, तब तू उसे अकेला छोड़ने का नहीं सोच सकती शीना.. मे बी मैने कभी प्यार
नहीं किया किसी से भी, लेकिन इतनी दुनिया ज़रूर देखी है कि असली प्यार को पहचान सकूँ.. तूने सोचा कि अगर उसका काम प्रॉपर्टी हासिल करना था तो वो भी तुझे वापस दे दी, तो जिसके लिए वो काम कर रहा है, जब उसे पता चलेगा यह, तो क्या होगा सन्नी का.." ज्योति की इस बात से शीना के दिल में दफ़न हुई एक बात उसके होंठों पे आ गयी




"विकी भैया की मौत का ज़िम्मेदार भी यही है ज्योति.." शीना ने ज्योति की आँखों में देख कहा जिसे सुन ज्योति के कानो से जैसे खून निकलने वाला हो, उसे विश्वास नहीं हो रहा था कि उसने क्या सुना




"शायद.. मैं खुद श्योर नहीं हूँ पर ज्योति.." ज्योति को हैरान देख शीना फिर बोली




"मतलब.. तू कहना क्या चाहती है आख़िर..." ज्योति के दिल की धड़कनें भी तेज़ हो चुकी थी, लेकिन शीना को यूँ देख वो

भी समझ नहीं पा रही थी कि शीना को खुद अपनी बात पे यकीन है कि नहीं..



,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
"सर.."




"हां सन्नी... ठीक है तू लड़के, आज कितने दिन बाद फोन किया.." बाबा ने एक ठंडी साँस लेके कहा




"वक़्त आ गया है.. आप तैयार हैं ना.." सन्नी ने एक दम धीमी सी आवाज़ में कहा




"हां लड़के, तू फ़िक्र ना कर, मैं तेरे साथ हूँ.." बाबा ने आश्वासन देते हुए कहा सन्नी को




"उस रात मुझे बिल्कुल भी नींद नहीं आई... पता नहीं बाबा ने क्रिकेट के बारे में क्यूँ पूछा.. क्या करवाएँगे वो, वैसे

तो उसकी बात से सॉफ था कि वो क्रिकेट बेट्टिंग करवाएगा, लेकिन डर मुझे इस बात का है कि इसमे भी अगर वो हार गया तो मैं उससे सामना कैसे करूँगा." ज्योति और शीना ने डाइयरी फिर पढ़ना शुरू की




वैसे तो रात को नींद कम ही आती थी मुझे, सोने के नाम पे बस 2 घंटे भी सो लूँ तो पूरे दिन में एनर्जी कम नहीं

रहती, लेकिन जब भी नींद आती तो वो सुबह 5 के बाद कभी भी आती थी, फिर वो चाहे 6 हो या 7.. अभी इस वक़्त तो 6
बजे हैं, अगर अभी नींद आई तो 9 बजे बाबा से नहीं मिल पाउन्गा, और नहीं मिल पाया तो..



नहीं मिल पाया तो क्या, क्या होगा.. बाबा थोड़ी मुझे मार डालेगा, या एक लाइन में कहूँ तो वो टोटली इग्न्नोर कर देगा इस

बात को, क्यूँ कि वो एमोशनल बंदा है सेम मेरे जैसा, लेकिन मैं इतना उत्सुक क्यूँ हूँ उससे मिलने को, यह बार बार सोचता

रहा मैं, लेकिन इसका जवाब नहीं ढूँढ पाया..




"अरे सन्नी.. गॉट अप सो अर्ली सन.." पापा की आवाज़ से मैने डाइयरी से चेहरा उपर किया तो वो मेरे सामने खड़े थे वो भी एक दम तैयार होके




"कहीं जा रहे हैं डॅड, सो अर्ली.." मैने घड़ी देखी तो अभी 7 बजने वाले थे




"यस.. मीटिंग है, क्लाइंट को नाराज़ नहीं कर सकता, सी यू.." कहके डॅड जल्दी से निकले




अभी कुछ दिन पहले ही मैने कहा था सुबह को वॉक करने चलें, तो यह कहके मना किया था कि रात को काफ़ी लेट हो जाता है ऑफीस से, इसलिए सुबह उठ नहीं सकता, और आज इतनी जल्दी ऑफीस...




"वाह डॅड.. " मैने फिर खुद से कहा और डाइयरी बंद कर अपने लिए कॉफी बना के पीने लगा..




"वैसे तू सोया क्यूँ नहीं रात को.." बाबा और मैं जब उसकी लॅंड क्रूज़र से उतरे तो सीधा मुझसे सवाल पूछा
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07-03-2019, 04:56 PM,
RE: Antarvasna kahani वक्त का तमाशा
"मुझे नींद नहीं आती, पता नहीं क्यूँ.. उपर से आपने जबसे डाइयरी दी है तबसे तो 4 घंटे की नींद भी 2 घंटे में

तब्दील हो चुकी है.."




"हहा.. अच्छा है, जागेगा तभी तुझे वो मिलेगा जिसकी तुझे तलाश है.." बाबा ने फिर पहेली कही और मैने कुछ पूछे बिना

उसके साथ आगे बढ़ना सही समझा




"वैसे, आप यह कहाँ ले आए हैं आज.." बाबा और मैं इस वक़्त एक छोटे से रूम में बैठे थे, जहाँ सिर्फ़ दो तीन लॅपटॉप्स

और 5 या 6 मोबाइल पड़े थे




"क्या हाल हैं भाई जान.. आज कल याद नहीं करते.." हमारे सामने का दरवाज़ा खुला तो उसमे से दो आदमी एक साथ निकले जो बाबा को देख खुश हुए और गले मिलने आगे बढ़े




"बस आप लोगों की दुआ है.. वैसे यह है सन्नी, " बाबा ने मेरी तरफ इशारा करते हुए कहा




"और यह है संतोष और वो है समीर.." बाबा ने फिर मुझे उनके नाम बताए




"सही टाइम पे आए भाई जान.. आज वर्ल्ड कप का पहला मॅच है, और आप की एंट्री इतनी लेट.. लगता है कुछ बड़ा हाथ

मारेंगे हाँ.." समीर ने हँस के कहा




ओह तेरी.. हां यार, आज से तो वर्ल्ड कप है.. और इंडिया होस्ट कर रही है... शिट, मैं कैसे भूल गया यह.. अभी जाके

वानखेडे की टिकेट्स ले लेता हूँ, सचिन तो फाड़ ही देगा साला सब की इस बार, और यह न्यू कॅप्टन भी अच्छा है, काश इस बार इंडिया जीते, तो मज़ा आ जाए.... समीर की बात सुन मैं सोचने लगा कि वर्ल्डकप के बारे में मैं कैसे भूल गया..




"समीर.. क्या भाव चल रहा है.." बाबा ने अपनी सिगरेट जलाई और समीर से एक काग़ज़ लेके मुझे पकड़ाया




"मैं क्या करूँ, मुझे कुछ पता नहीं चलता सर.." मैने लिस्ट वापस वहीं रख कहा




"तू बता, कौनसी टीम ले जाएगी वर्ल्ड कप.." बाबा ने अपनी सिगरेट से धुआँ छोड़ कहा




"हाउ डू आइ नो.. मेरा मतलब, मुझे अगर पता होता तो मैं खुद इनको पैसे लगाने को देता, और वैसे भी मेरे पास इतने

पैसे नहीं है कि मैं यह सब कर सकूँ.." मैने नज़रें नीची कर कहा




"बेट्टिंग के लिए पैसा बाद में, सबसे पहले जिगरा चाहिए.. कलेजा चाहिए, जो तेरे पास नहीं, लेकिन मेरे पास तो है..

अब तू बता, कौन जीतेगी.. " बाबा ने कुर्सी पे फेल के कहा




"भाई जान, इस बार आफ्रिका का भाव सबसे कम है.. और उसके बाद न्यू ज़ीलॅंड.. वैसे कंगारू भी हैं फेवोरिट्स.." समीर

ने अपने लॅपटॉप में कुछ देख कहा




"क्या बोल रहे हैं, ऑस्ट्रेलिया तो स्पिन खेल ही नहीं पाएगी इंडियन पिचस पे.. और इस बार क्वॉर्टर फाइनल नॉक आउट्स हैं, तो ऑस्ट्रेलिया अगर भूल से भी क़फ में पहुँची, और इंडिया के सामने आई तो आगे नहीं बढ़ेगी, और सेम प्राब्लम हर
फॉरिन टीम की है.." मैने सब कुछ भूल अपनी बात कही समीर को




"तेरे हिसाब से कौन जीतेगा.." बाबा ने फिर वोही सवाल दोहराया जिसे सुन मैं खामोश ही रहा




"भाई जान, बच्चे को छोड़ो, मैं आपको ग़लत नहीं कहूँगा, न्यू ज़ीलॅंड.. बेस्ट है, सेमाइस तक जाती ही है, इस बार फाइनल

तक जाने की उम्मीद है हमे.." समीर ने फिर अपनी बात कही




"एशियन टीम्स.. इंडिया, श्री लंका और पाकिस्तान.. इन तीन के अलावा कौन पहुँचेगा सेमाइस में आपके हिसाब से.." मैने समीर की आँखों में देख कहा तो वो समझ गया उसे बाबा से नहीं, क्रिकेट में मेरे साथ बात करनी है.. क्रिकेट तो हम मुंबई
वालों के रगों में दौड़ता है, मुंबई के हर ग्राउंड में एक सचिन, एक सहवाग होता है.. शिवाजी पार्क हो या जॉगर्स पार्क..

बात पकड़ हम कहीं भी घुस जाते हैं, तो इस खेल में तो हम किसी के बाप को भी हरा सकते हैं, फिर यह समीर क्या
चीज़ है.. इतना विश्वास मैने आज तक खुद में कभी नहीं देखा था..




"न्यू ज़ीलॅंड और आफ्रिका फाइनल है इस बार.." समीर ने आँखों से आँखें मिला के जवाब दिया




"सर.. इंडिया.." मैने बाबा की तरफ रुख़ करके कहा




"सन्नी, आज तक कोई भी होम टीम वर्ल्डकप नहीं जीती..." बाबा ने अपनी सिगरेट फेंक कहा




"इस बार जीती तो.. और वैसे भी कल आप मेरी वजह से 6 लाख हारे ना.. आज 4 लाख लगाइए.. पूरे 10 लाख" मैने बाबा

से उँची आवाज़ में कहा




"अबे सत्केले, एडे.. ख़ामाखाँ बाबा के पैसे लुटवा रहा है, भाई यह किस चूतिए को ले आए हो इधर.." संतोष ने जवाब
दिया इस बार




इस बार भी अगर मैं ग़लत हुआ तो गाड़ी बेच के बाबा के पैसे दे दूँगा, लेकिन इतनी गाली सुनने के बाद तो इंडिया पे ही
लगाउन्गा, आगे जो होगा देख लूँगा.. इनसे अपनी बेज़्ज़ती क्यूँ सहुं, अब तो चाहे जो हो, इंडिया ही लगानी है..




"यह लीजिए मेरी गाड़ी की चाबी.. होंडा की एसयूवी है, शायद आपके सब पैसे निकल जाएँगे अगर यह बार भी हारे तो.. लेकिन इंडिया मीन्स इंडिया ही..." मैने ताव में आके बाबा की तरफ हाथ आगे बढ़ाया और चाबी उन्हे देने लगा

"इंडिया इंडिया कहके तो आ गया.. लेकिन कौन्से बेस पे कहा यह भी तो बता दे, जबसे मिला हूँ तुझसे, इतना विश्वास आज तक नहीं देखा.. आज इतना कॉन्फिडेंट था तो उसकी कोई ख़ास वजह.." बाबा ने मुझसे पूछा जब हम दोनो क्रॉफर्ड मार्केट के पास बने ईरानी रेस्तरो में बैठ के खाना खा रहे थे.. 3 दिन से मोम डॅड के कॉल भी काफ़ी कम आए थे, घर पे हूँ कि नहीं, या कॉलेज जाता हूँ कि नहीं, यह सब पूछने का टाइम ही नहीं था.. डॅड को न्यू क्लाइंट मिला था तो उसके चक्कर में दौड़ रहे थे, और मोम पुशी की बर्तडे पार्टी प्लान कर रही थी.. बर्तडे पार्टी पुशी की और प्लॅनिंग मेरी मोम की.. इससे ख़तरनाक कॉंबिनेशन क्या हो सकता था मेरे लिए, शायद यह भी एक वजह थी कि बाबा से मिलके अभी मुझे डर नहीं लगता था..




"ज़्यादा से ज़्यादा क्या करेगा... मार डालेगा और क्या, वैसे भी जी के क्या कर लिया है साला.." मैने खुद से कहा लेकिन यह भूल गया कि बाबा ने भी सुना होगा..




"कौन मारेगा तुझे..." बाबा ने मुझे फिर चुटकी बजा के होश में लाया




"कोई नहीं, वैसे आप बताओ, हमेशा मुझसे पूछते हो, लेकिन आप तो बताओ.. आप इतने मेहेरबान हैं मुझ पे, 6 लाख वैसे भी हार चुके हैं मेरे कारण, उपर से 4 लाख और लगा दिए, और हां, कोई कारण नहीं है मेरा,बस ऐसे ही कह दिया, वो सचिन है ना, तभी.. अगर आप यह भी हार गये ना, तो मैं खुद को कभी माफ़ नहीं कर पाउन्गा.." मैने चाइ की चुस्की लेते हुए कहा




"अरे लड़के, तेरी सुई हर बार पैसे पे आके क्यूँ अटक जाती है.. क्या मैने कभी कहा तुझे, या अब तक तुझे कोई तकलीफ़ हुई है मेरे कारण, और रही बात 10 लाख की, तो कोई प्राब्लम नहीं है.. तेरे लिए मेरे पास 1 करोड़ तक है, तू 1 करोड़ तक हार सकता है.. समझा" बाबा ने फिर मेरे गाल थपथपा के कहा




"1 करोड़ क्यूँ.. इससे अच्छा किसी अच्छे काम में लगाओ, और मेरे पे इतनी मेहेरबानी क्यूँ, आज मैं जान के ही रहूँगा.." मैने बाबा से आँखें मिला के कहा




मेरी इस बात का बाबा ने कोई जवाब नहीं दिया और ना ही मैने उस बात पे इतना ज़ोर दिया, शांति पूर्वक खाना ख़ाके हम वहाँ से निकले, अभी शाम के 4 ही बज रहे थे और घर पे कुछ ख़ास नहीं था, इसलिए मैने अपनी गाड़ी ली और बाबा मेरे साथ बैठ के मेरे साथ चलने लगा.. क्रॉफर्ड मार्केट की भीड़ से निकलते निकलते कुछ वक़्त लगा, लेकिन जब मंज़िल पता ना हो तो रास्ता कभी ख़तम होने का नाम नहीं लेता.. मेरे साथ भी ठीक वैसा ही था, जाना कहाँ है पता नहीं, तभी तो गाड़ी बस रोड पे भगाए जा रहा था, वॉरली दादर माहिम, फिर से नरीमन पॉइंट, बांद्रा जुहू पारला, आधा मुंबई चक्कर मार के जब हम चर्च गेट पहुँचे तब बाबा ने गाड़ी घुमाने का इशारा किया और मराइन लाइन्स चलने को कहा.. शाम के 6 बजे, 2 घंटे और साथ ही कितना डीसल वेस्ट, खैर अब क्या कर सकते हैं, मैने भी बिना कुछ कहे गाड़ी मराइन लाइन्स पे जाके रोकी और बाहर उतर के मरीन लाइन्स पे बने पत्थरों पे जाके बैठ गये... जैसे जैसे वक़्त ढलता, वैसे वैसे वहाँ भीड़ भी बढ़ती जाती, 6 से 7 हुए ही थे कि नरीमन पॉइंट पे काम करने वाले लोग, चर्च गेट से लोकल पकड़ने के लिए दौड़े जा रहे थे... वैसे मुंबई तो जाना ही जाता है फास्ट लाइफ के लिए, लेकिन कभी कभी अपनी लाइफ देख के डाउट होता था उसपे, नॉर्मल वीक डे और मैं इधर वेला बन के बस समंदर की लहरों को देख रहा हूँ और वो भी उस आदमी के साथ जिससे मिले मुझे ख़ास वक़्त नहीं हुआ.. बाबा और मैं हमारे पैरो से टकराती समंदर की लहरों को महसूस कर उसका आनंद उठाते और बहती हवाओं की नमी जब हमारे चेहरे को छूति, तब ऐसा लगता कि बस यह वक़्त ऐसे ही चलता रहे और हवायें बहती रहें, क्यूँ कि इसमे जो सुकून था, वो कहीं और नहीं..
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