Antarvasna kahani वक्त का तमाशा
07-03-2019, 04:52 PM,
RE: Antarvasna kahani वक्त का तमाशा
"हां भाई, तो हम से कब मिलेंगे, आप तो अब बहुत बड़े रिज़ॉर्ट के मालिक बन गये हो.." फोन वाले बंदे ने रिकी से कहा




"हां जी, शुक्रिया.." रिकी ने चिंतित स्वर में कहा




"बहुत स्ट्रेस्ड आउट लग रहा है.." फोन पे फिर उसे जवाब मिला




"नहीं, कहा था ना, अभी थक चुका हूँ, कहीं अकेला जाना चाहता हूँ" रिकी ने अपने सर को अपने हाथों में लेते हुए कहा




"अकेला या शीना के साथ"




"अकेला.. वहाँ से आके शीना के साथ ज़िंदगी शुरू करूँगा.."




"ह्म्म्मा, अब हम कब मिल रहे हैं.." फोन वाले ना सवाल पूछा




"कल, बस घरवालों को रिज़ॉर्ट दिखा के आउन्गा, फिर तुझसे मिलता हूँ.."




"ठीक है.. शाम को 7 बजे, तेरी फेव स्कॉच के साथ" फोन वाले ने इतना कहा और फोन कट कर दिया




फोन कट होते ही रिकी फिर किसी सोच में डूब गया और अपनी आँखें बंद कर ली... आँखे बंद करते ही उसके ज़हेन में जो चेहरा आना चाहिए था वो नहीं आया.. हर बार कोशिश की और हर बार बस एक ही चेहरा जिसे देख वो घबरा जाता..




"शीना.... आइ आम वेरी सॉरी टू डू तीस...." रिकी ने खुद से कहा और अपना वॉर्डरोब खोल एक अंदर का दरवाज़ा खोला और अपने हाथ में गन पकड़ उसमे गोलियाँ भरने लगा..



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"आर यू रेडी बॉय.." बिली ने सन्नी के कंधों पे हाथ रख के कहा जो अभी एलिमिनेटर खेलने जा रहे थे




"ओह्ह येस्स्स कॅप्टन... लेट'स डू इट.." सन्नी ने हाथ मिला के कहा




"लेट'स डू इट फॉर डूक्स उूओ वूऊओ.."




"ना ना.. लेट'स डू इट फॉर जेन्निफर, यू नो व्हाट आइ मीन हाँ" सन्नी ने आँख मारते हुए कहा




"3-0.. 3-0 ओके... आइ विल गिव हर वन कॉल आंड शी विल कम वित यू.. लेट'स गो नाउ" बिली ने कहा और सबसे चिल्ला के ग्राउंड पे आने को कहा...




"देयर दे कम... लेड बाइ देयर वेरी ओन फॉर्वर्ड... दिस दे विल आइदर मेक हिम ऑर ब्रेक हिम..." कॉमेंटेटर अपनी आवाज़ एक दम उँची कर चिल्लाते चिल्लाते कहने लगे..




"डी... यू... के.... ए... एस..... ड्यूवूऊववूक्क्क्कीस्स्स..... गूऊऊऊ" चियर लीडर्स अपने पिम पॉम लेके डॅन्स करने लगी और देखते ही देखते खेल शुरू हुआ..




"चल चल भाई दौड़, आज कनाडा है दाव पे, 3-0 से ज़्यादा ही करना है नहीं तो साला बहाना मारेगा..." सन्नी बॉल को ड्रिब्ब्ल करता हुआ आगे बढ़ने लगा और आस पास अपनी टीम के खिलाड़ियों को पास देता देता गोल पोस्ट के पास पहुँचने लगा..




"दिस... दिस ईज़ व्हाट ही ईज़ गुड अट.. ही ईज़ ऑन दा रोल, वी माइट सी और फर्स्ट गोल ऑफ दा दे ओव.. हियर'स पास, अनदर वन.. बिली टू सन्नी, सन्नी टू टीम... टीम ईज़ मूविंग

अहेड, टीम अगेन टू सन्नी... आंड इट्स आ गूवाअलल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल..." कॉमेंटेटर की चीख के साथ पूरा ग्राउंड झूमने लगा.. डूक्स का पहला गोल 15थ मिनिट में और उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा, स्टूडेंट्स के साथ कोच, और चियर लीडर्स पागलों जैसे नाचने लगे..




"पास पपाससस हियर... आइआम ऑल एंप्टी.." सन्नी चिल्ला के टीम से कहने लगा, पर टीम जैसे ही पास करता उससे पहले विरोधी टीम का खिलाड़ी उससे बॉल छीन गया और दूसरी तरफ दौड़ लगाने लगा बॉल को घसीट के...




"बॉल वित वान नाउ, वॅन मूविंग फॉर्वर्ड, ही ईज़ पासिंग दट, वान तो रोजर.., रोजर मूविंग अहेड, रोजर टू वान अगेन, दे आर वेरी क्लोज़ टू गोल पोस्ट नाउ... वॅन सीम्स टू बी गोयिंग फॉर इट... आंड ही हॅज़...." कॉमेंटेटर ने जैसे यह कहा और फील्ड पे यह होते देख सन्नी की मानो दुनिया थम गयी




"सेव दिस ओनीई...... सेव कनदद्दााअ प्लेआस्ीई....." सन्नी ने चिल्ला के कहा जैसे ही वान ने गोल पोस्ट की तरफ किक मारी




"ओह.... ही हॅज़ मिस्ड इट..." कॉमेंटेटर ने ठंडी आवाज़ से कहा और बॉल मिस होते देख सन्नी की जान में जान आई




"फेववव... अगर एक भी होता तो आज जेन्निफर जानी थी बेन्चोद.." सन्नी ने साँस लेके कहा और दौड़ पड़ा फिर से फील्ड पे...




"आंड इट्स आ गोअलल्ल्ल्ल्ल्ल्ल...." कॉमेंटेटर ने चीख के कहा और हाफ टाइम के तीसरे मिनिट में ही डूक्स का दूसरा गोला साधा सन्नी ने...




"आंड इट्स आ गोालल्ल्ल्ल......." कॉमेंटेटर चीखते चीखते थक गया था लेकिन आज डूक्स का स्कोर कार्ड रुकने का नाम नहीं ले रहा था..




"टीम स्ट्रेचस दा लीड नाउ.. डूक्स 3-0 आंड वी आर जस्ट इंटो 70त मिनिट..." कॉमेंटेटर ने अपनी टाइ ठीक कर कहा




"बस, अब बचना है, हो गया तो ओके , नहीं हुआ तो भी ठीक, बट सामने वालों का रोकना है कैसे भी.." सन्नी फील्ड पे दौड़ते दौड़ते खुद से बोलता..




"इंटो दा 85थ मिनिट नाउ... डूक्स आर शुवर्ली इन नाउ, नो वन आंड आइ रिपीट नो वन कॅन स्कोर थ्री गोल्स इन 5 मिनिट्स... आंड इट'स आ फाउल... डूक्स गेट आ कॉर्नर नाउ.. टाइम फॉर 4- 0.." कॉमेंटेटर आज रुकने का नाम नहीं ले रहा था




"बिली,. यू टेक दा कॉर्नर, आइ विल टेक माइ पोज़िशन.." सन्नी ने कॅप्टन से कहा और बिली कॉर्नर किक लेने चला गया..




"ही ईज़ रेडी.. ही हॅज़ हिट इट, देयर कम्ज़ दा टीम हेड आंड इट्स आ गोअल्ल....... डूक्स 4-0... दिस ईज़ ब्रूटल..." कॉमेंटेटर चिल्लाने लगे और सब स्टूडेंट्स स्टॅंड्स से बाहर आने को मचलने लगे...




"येस्स्स...... वी हॅव डन इट..." बिली ने फाइनल विज़ल सुनते ही कहा और सन्नी और टीम से गले लगने लगा और साथ ही पूरी टीम एक दूसरे पे कूद पड़ी फील्ड पे. स्टूडेंट्स तो मानो आज रुकने का नाम ही नहीं ले रहे थे.. फील्ड पे ही बियर के कॅन्स बॉटल्स खुलने लगे और पूरी टीम उस जश्न में डूब गयी...




"वेल डन टीम... प्राउड ऑफ यू बाय्स.." बिली ने सब से ड्रेसिंग रूम में कहा और सन्नी की तरफ देखा




"हाहाहा.. बॉय, बॅक इन फॉर्म हाँ... आइ अस्क यू 3-0, यू गिव मे.. 4-0.. फीववव.... इनस्पाइरिंग हाँ" बिली ने सन्नी को गले लगा के कहा




"नो इन्स्पिरेशन, ओन्ली कॅनडा.. टाइम टू लाइव युवर वर्ड हाँ.." सन्नी ने बिली से अलग होके कहा




"नो वेस.. आर यू क्रेज़ी, आइ आस्क्ड यू 3-0.. नो 4-0 ओके... चंप्प्प...... यू प्लेड वेल बट..." बिली ने सन्नी से आँख मार कहा और वहाँ से निकल गया




"डू यू मीन.... आर यू......" सन्नी को शब्द नहीं मिल रहे थे कुछ बोलने को




"तूने देखा ना, वो मेरा चूतिया बना गया और मैं साला कुछ नहीं कर सका.." सन्नी ने समर से कहा जब दोनो गेम के बाद बियर पीने गये हुए थे




"चूतिया तो तू है ही.. 4-0 क्यूँ किया, 3-0 ही देता..."




"घंटा.. बेन्चोद, कमीना, साला आज तो लड़की के नज़दीक भी नहीं गया, दूर से ही लात पड़ी.." सन्नी ने घूँट मार के कहा




"ले बियर पी... तुझसे नहीं होगा, पिछले 5 महीनो से 5 लड़कियाँ और एक के साथ भी बिस्तर पे नही.. इसे चूतिया नहीं तो क्या कहा जाए.." समर ने सन्नी का मज़ाक बना के कहा

और दोनो फिर लड़ाई करने लगे मस्ती मस्ती में..




"ऑल दा पॅसेंजर्स फ्लाइयिंग टू लंडन फ्रॉम स्विस एर ल्क्स345 आर रिक्वेस्टेड टू बी अट गेट नंबर 5..." मुंबई इंटरनॅशनल एरपोर्ट पे अगली सुबह 5 बजे जैसे ही यह अनाउन्स्मेंट हुई सब लोग लंडन जाने वाली गेट की तरफ बढ़ने लगे...




"यू नो इट'स बीन ऑलमोस्ट 3 अवर्स नाउ आंड आइ हॅव नोट रिसीव्ड माइ लगेज... ऑल दा वे आइ फ्लाइ फ्रॉम लंडन टू माइ होम आंड आइ गेट व्हाट.. दिस शिट.. व्हेयर'स माइ लगेज.." एक बंदा फ्लाइट स्टाफ पे चिल्ला रहा था लेकिन उसे कोई ढंग का जवाब नहीं मिल पा रहा था




"सर.. प्लीज़ गिव अस युवर कॉंटॅक्ट डीटेल्स आंड फिल दिस फॉर्म.. वी शल सेंड यू लगेज अट युवर होम एयेसेप.." एक लड़की ने फॉर्म देते हुए उस बंदे को कहा




"दट'स बेटर.." फॉर्म लेके उस बंदे ने फॉर्म भरा और वापस थमा के एग्ज़िट गेट की तरफ जाने लगा...




राडो की ., गूक्सी का सूट और आँखों में एवियेटर ग्लासस लगा के बंदा बड़े स्टाइल से एग्ज़िट गेट की तरफ जा रहा था.. उसकी चाल में, ढाल में, एक स्वॅग था.. एरपोर्ट पे स्थित हर इंसान उसे देखता और उसके स्टाइल में खो जाता...




"एक्सक्यूस मी सर..." एक ऑफीसर ने उस बंदे को रोका




"यस ऑफीसर.." बंदे ने स्टाइल से घूम के जवाब दिया




"कॅन आइ प्लीज़ चेक युवर पासपोर्ट.." उस ऑफीसर ने बंदे से पासपोर्ट माँगा और उस ने भी शांति से उसके हाथ में पासपोर्ट थमा दिया




"व्हाट'स युवर नेम सर..." ऑफीसर ने पासपोर्ट खोले बिना बंदे से पूछा.




"मी.... आइ आम रिकी राइचंद.." उस बंदे ने हाथ आगे बढ़ा के कहा
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07-03-2019, 04:52 PM,
RE: Antarvasna kahani वक्त का तमाशा
"वैसे भाई... आपसे कुछ बात करनी थी.." शीना ने रिकी से कहा जब दोनो बाल्कनी में बैठे बातें कर रहे थे




"ह्म्म्म्म म...." रिकी आँखें बंद कर कहीं खोया हुआ था, शीना की आवाज़ सुन उसके मूह से बस इतना ही निकला




"भाई... आप प्लीज़ बुरा नही लगाना.." शीना की आवाज़ एक दम धीमी सहमी हुई सी थी




"तुम्हारी किसी बात का बुरा कैसे लग सकता है शीना.." रिकी ने आँखें खोल जवाब दिया और शीना के मासूम से चेहरे को देखने लगा




"भाई.. उः.. आपको याद है जब उस रात हम..." कहते कहते शीना रुक गयी जिससे रिकी के चेहरे पे चिंता झलकने लगी




"शीना.. क्या हुआ, ईज़ एवेरितिंग फाइन.." रिकी ने अपनी जगह से उठके कहा और शीना के हाथों को अपने हाथों में थाम लिया जो बहुत तेज़ी से काँप रहे थे




"शीना...बेझिझक बोलो, तुम जो भी कहोगी मुझे ना ही बुरा लगेगा और ना ही तुम्हे बुरा लगने दूँगा.. रिमेंबर, इन थिक ऑर थिन.. आइ आम ऑल्वेज़ वित यू.." रिकी ने शीना को आश्वासन देते हुए कहा




"भाई.. आक्च्युयली दो बातें हैं.. समझ नहीं आ रहा.. कौनसी पहले कहूँ.." शीना इससे पहले कभी इतना नहीं सहमी थी




"शीना.. जो भी तुम्हे ठीक लगे, बताओ प्लीज़.. घबराओ नहीं.. मैने कहा ना, कोई भी बात होगी,मैं तुम्हारे साथ ही रहूँगा.." घबराहट रिकी के मन में भी थी लेकिन वो उस घबराहट को अपने चेहरे पे नहीं आने दे रहा था




"भाई.. ज्योति ने एक बात कही है मुझसे.. बहुत ही, इनडीसेंट बात है, हाला कि मैने उसे उसी वक़्त मना कर दिया, लेकिन आपको बताना ज़रूरी समझ रही हूँ तट ईज़ व्हाई आइ आम
शेरिंग दिस वित यू..." शीना ने अपनी बात रोक के रिकी को देखा जो बस ध्यान से उसे सुने जा रहा था




"ज्योति, हमारे साथ.. आइ मीन हम दोनो के साथ.. आइ मीन... आपके साथ और मेरे साथ..." कहते कहते शीना फिर खामोश हो गयी और रिकी से कुछ शब्दों की उम्मीद लगा के उसे
देखने लगी लेकिन रिकी ने कुछ नहीं कहा और बस शीना को देखता ही रहा




"ज्योति आपके साथ सेक्स करना चाहती थी और मुझे भी उसमे इन्वॉल्व करना चाहती थी, लेकिन मैने मना कर दिया और मैने उससे कहा कि आगे से कभी मुझसे बात नहीं करे, फिर उसने कहा मुझे कि मैं उससे नाराज़ ना होऊ क्यूँ कि वो हमारा रिश्ता खराब नहीं करना चाहती थी तभी उसने सामने से पूछा बस, और फिर कहा कि शी ईज़ अलोन दट ईज़ व्हाई उसके दिमाग़ में यह ख़याल आया जो उसने शेयर किया मेरे साथ और इस बात का बुरा ना लगाए हम, आगे से वो अपने मन पे कंट्रोल करेगी.." शीना ने यह सब एक ही साँस में बोल दिया और बात ख़तम करके अपने चेहरे पे आए पसीने को पोंछने लगी और लंबी लंबी साँसें छोड़ने लगी.. रिकी ने शीना की बात सुन कुछ रिएक्ट नहीं किया और शीना को यूँ देख पास में रखा पानी उसे पिलाने लगा.. शीना ने एक ही घूँट में सारी बॉटल ख़तम की लेकिन फिर भी उसकी साँसें उसके बस में नहीं थी..




"रिलॅक्स शीना..." रिकी ने शीना को अपनी बाहों में भरा और उसके बालों को सहला के उसके सर को चूमते हुए बोला




"शीना.. सीधा कहती, ज्योति वांटेड टू हॅव थ्रीसम वित अस.."




"भाई..." शीना ने रिकी के सीने पे मुक्का मारते हुए कहा




"हाहाहा, रिलॅक्स, तुमने मना किया ना.. फिर कैसी चिंता है.. आइ आम ग्लॅड के इतनी ज़्यादा एमोशनल नही हुई तुम ज्योति की बातों में.." रिकी ने फिर अपने बारे में सोचा और अंदर ही
अंदर खुद से लड़ने लगा के उसने वो ग़लती क्यूँ की ज्योति और स्नेहा के साथ




"ओबविओ सोचूँगी ना.. मैं उससे नाराज़ नहीं हुई, पहले गुस्सा आया बट उसने मुझसे प्रॉमिस लिया था कि मैं उसकी बात पे गुस्सा नही करूँगी, तो आइ कन्सोल्ड हर आंड टोल्ड हर कि
जल्दी से शादी कर ले.." शीना थोड़ी नॉर्मल हुई और आराम से बातें करने लगी रिकी के साथ




"सेक्स के लिए शादी.. इंट्रेस्टिंग... एनीवे, अभी दूसरी बात कहो.. और प्लीज़ उसमे इतना बड़ा बिल्ड अप नहीं करना, रिक्वेस्ट.." रिकी ने फिर शीना की आँखों में देखा और उसके
हाथों को थाम लिया




"दूसरी बात बताते वक़्त हाथ काँपे उससे पहले ही पकड़ना ज़रूरी है.." रिकी ने शीना के बिना कुछ पूछे जवाब दिया जिसे सुन शीना की आँखों में फिर वोही घबराहट बहने लगी और दिल की धड़कनें तेज़ होने लगी..




"भाई..." शीना ने फिर सहमी सी आवाज़ में कहा




"भाई इस ऑल इयर्स तो उ स्वती, प्लीज़ बोलो ना, दर्र लग रहा है अब मुझे भी" रिकी ने शीना के हाथों को दबा के कहा




"भाई... आइ आम एक्सपेक्टिंग..." शीना ने इतनी धीमी आवाज़ में कहा कि रिकी को तो पहले सुनाई ही नहीं दिया, लेकिन फिर एका एक उसके दिमाग़ में शीना के शब्द गूंजने लगे.. कुछ देर के लिए शीना और रिकी बस एक दूसरे को ही घूरते रहे, दोनो की आँखें और दिल जैसे जुड़ से गये थे.. रिकी के लिए मानो वो पल वहीं थम सा गया था, बहती हवायें रुक गयी, समंदर की उछालती लहरें भी शांत हो गयी, आकाश में से गूँजती पन्छियो की आवाज़ें बंद हो गयी थी.. कुछ आवाज़ थी उस वक़्त तो वो बस उनके दिलों की..




"भाई.. आइ आम रियली सॉरी.." शीना ने रिकी की नम आँखों को देख कहा और खुद भी सुबकने लगी




"सॉरी फॉर व्हाट डियर..." रिकी ने आँसुओं से लड़ते हुए जवाब दिया और शीना को अपने हाथों से खड़ा किया और खुद झुक के शीना के पेट पे नज़र डाली और फिर एक नज़र शीना की आँखों में जो अभी भी नम थी आँसुओं से.. रिकी के चेहरे पे एक मुस्कान तैर गयी और शीना के पेट पे धीरे से चूमा और दोनो बाहें फेला कर उससे लिपट गया जैसे कोई छोटा बच्चा अपनी माँ से लिपट जाता है..




"इससे अच्छी चीज़ मेरे लिए कुछ हो ही नहीं सकती शीना.." रिकी ने फिर शीना के पेट पे हल्के से चूमा और शीना के हाथों को थाम खुद खड़ा हुआ और शीना की आँखों से आँखें मिला दी जो शर्म से झुकी हुई थी और आँसुओं की वजह से सुर्ख लाल हो चुकी थी




"यूआर नोट हॅपी..." रिकी ने शीना से पूछा




"नूओ.... आइ आम वेरी हॅपी..." शीना ने सुबक्ते सुबक्ते जवाब दिया




"आइ आम वेरी स्केर्ड, कैसे होगा यह सब..." शीना अपने आँसुओं को थामने की कोशिश करने लगी लेकिन कोई फ़ायदा नहीं हुआ




"हीएयय... कम हियर..." रिकी ने बड़े प्यार से कहा और शीना को गले लगा लिया




"ट्रस्ट मी.. सब ठीक होगा, " रिकी ने शीना को खुद से अलग किया और आँखों से आँखें मिला के कहा




"कैसे.." शीना के आँसू थम चुके थे पर सुबकना अभी भी चालू था




"थोड़ा वक़्त दो, तुम्हे सब पता चलेगा...लेकिन..." कहते कहते रिकी रुक गया




"लेकिन क्या भाई..." शीना ने अपनी नाक सिकोड के कहा




"वादा करोगी एक शीना.." रिकी ने अपना हाथ आगे बढ़ा के कहा




"भाई, जो भी कहो आप सब करूँगी.. बस आप मुझे कभी अकेला नहीं छोड़ोगे ना.." शीना ने फिर रिकी के गले लगते हुए कहा और रिकी ने भी उसे अपनी बाहों के आगोश में ले लिया




"नहीं.. कभी नहीं शीना.." रिकी ने शीना के कान में कहा और अंदर ही अंदर टूटने लगा


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07-03-2019, 04:52 PM,
RE: Antarvasna kahani वक्त का तमाशा
"बधाई हो पापा जी..." रिकी जब शीना को अपने कमरे में सुला के आया तो उसे फोन आया




"हां बोल..." रिकी ने बस इतना ही कहा और अपने चेहरे पे आए आँसुओं को सॉफ करने लगा




"तू खुश नहीं है इस काम से.."




"मैं अभी कोई बात नहीं कर सकता तुझसे.. कल मिलता हूँ शाम को, और अभी एक लफ्ज़ भी आगे नहीं बोलना.." रिकी ने गुस्से में कहा और बिना कुछ सुने फोन काट दिया




"मैं कुछ नहीं करूँगा.." सामने वाले ने फोन रखा और अपनी आँखों में आए खुशी के आँसुओं को रोकने लगा





अगली सुबह :-





"क्या हमारा काम हुआ.." सामने वाले ने फोन पे स्नेहा से पूछा




"हां..." स्नेहा ने अपने हाथ में प्रेग्नेन्सी टेस्ट डिवाइस पकड़े कहा




"गुड..तुमसे जल्द मुलाक़ात होगी.." सामने वाले ना जवाब दिया




"वो सब ठीक है, पर प्रेम कब आएगा.." स्नेहा ने फिर प्रेम की चिंता जताते हुए कहा




"प्रेम से उस दिन तो बात करवाई थी तुम्हारी, वो ठीक है कहा ना.. यकीन नहीं है तो उसे फोन करो, उसका मोबाइल है उसके पास अभी" सामने वाले ने जैसे ही यह कहा,
स्नेहा ने आगे बिना कुछ सुने फोन कट किया और प्रेम का नंबर मिलाने लगी... फोन लगते ही, प्रेम ने तीसरी रिंग में ही फोन रिसीव कर लिया




"हां दीदी, आप कैसे हो.." प्रेम ने जवाब देते हुए कहा




"थॅंक गॉड... तू ठीक है.." स्नेहा ने चेन की साँस लेते हुए कहा




"क्यूँ दीदी, मुझे क्या हुआ, अभी कुछ दिन पहले तो बात की थी जब आप अपने देवर के साथ रंगीन होने जा रही थी.." प्रेम ने हँस के जवाब दिया




"हाहहाहाहा... हां वो तो है, खैर तुम कब आ रहे हो मुंबई..." स्नेहा ने प्रेम से पूछा




"बहुत जल्द दीदी, आके फिर आपको भी तो खुश करना है ना मुझे..."




"हां भाई, जल्दी आजा.. तुझे एक दूसरी गुड न्यूज़ देनी है, लेकिन फिलहाल अभी जाती हूँ नहीं तो फिर दस सवाल पूछेंगे यह लोग.." स्नेहा ने कहके फोन कट किया और अपनी
प्रेग्नेन्सी कीट को फेंक दिया




"प्रेग्नेंट माइ फुट.. हुह्म..." स्नेहा ने खुद से मन में कहा और नीचे चली गयी




"वैसे ज्योति, पार्टी तो तेरी भी बनती है हाँ, एक बार रिज़ॉर्ट देख आयें फिर तू नहीं बचेगी मुझसे ..." शीना ने ज्योति को गले लगाते हुए कहा और दोनो डाइनिंग टेबल की
तरफ बढ़ने लगी जहाँ सब लोग तीनो बच्चों का इंतेज़ार कर रहे थे




"यह लो.. हमारी दो राक स्टार तो आ गयी.. लेकिन तीसरा आज के दिन का सितारा कहाँ है... कहाँ है रिकी..." अमर ने ज्योति और शीना को देख कहा और सभी को देख मुस्कुराने लगा..





"मैं इधर हूँ पापा..." मेन गेट से आई आवाज़ को सुन सभी लोग उस दिशा में मुड़े और सामने खड़े शक्स को देख सब लोग चौंक उठे..




"पापा, मम्मी.. कैसे हैं आप..." लंडन से लौटा रिकी आगे बढ़ने लगा और सीधा अमर और सुहासनी के गले लगा.. अमर और सुहसनी के साथ वहाँ मौजूद हर शक्स को यकीन नहीं हो रहा था कि वो क्या देख रहे हैं... ज्योति, शीना स्नेहा और राजवीर, सब की आँखें और मूह खुले के खुले रह गये थे..




"अरे शीना, कैसी हो तुम, कितने दिन से फोन नहीं किया हाँ.. आज तेरे कान खीचुँगा मैं... और ज्योति, तुम ठीक हो ना..." रिकी ने उन दोनो से पूछा लेकिन वहाँ खड़ा कोई
शक्स कुछ नहीं बोल रहा था.. शीना के पैरों तले तो ज़मीन खिसकने लगी थी, वैसा ही हाल वहाँ मौजूद राइचंद परिवार के हर शक्स का था..




"अरे कोई कुछ बोल क्यूँ नहीं रहा.. क्या हुआ है, सब ठीक है ना... चाचू, आप कैसे हैं, कुछ बोलते क्यू नहीं..." रिकी राजवीर की तरफ गया जो हक्का बक्का होके बस रिकी को देख रहा था..




"कोई कुछ बोलता क्यूँ नहीं, प्लीज़ कुछ तो बोलो.." रिकी पागल हो रहा था सब का ऐसा बिहेवियर देख




"तूमम्म.... तूमम्म्मम कौन हहूऊओ..." अमर ने बड़ी मुश्किल से खुद को संभालते हुए कहा




"पापा, मैं कौन हूँ... मैं, आप मुझे नहीं जानते.. मैं आपका बेटा हूँ... रिकी... रिकी राइचंद पापा..." रिकी फिर अमर की तरफ गया और अमर के कंधे पकड़ सब को देखने लगा लेकिन सब की आँखें अभी तक शॉक के मारे बड़ी हो रही थी






"अगर तुम रिकी हो... तो फिर मैं कौन हूँ.." सीडीयों से उतरता हुआ पहले वाला रिकी बोलने लगा




उसको देख सब लोग अपनी आँखें मलने लगे.. रिकी 1 सीडीयों से उतरा और दूसरे रिकी से आँखें मिलाने लगा...




"व्हाट !!! यह..... यह कौन..." दूसरे रिकी ने रिकी 1 को देख कहा




"रिकी राइचंद.. " पहले वाले रिकी ने हाथ आगे बढ़ा के कहा




"रिकी राइचंद मैं हूँ..." दूसरे रिकी राइचंद को यकीन नहीं हो रहा था कि वो क्या करे, क्या कहे




"तो फिर मैं कौन हूँ.." रिकी 1 ने ठंडे दिमाग़ से कहा




"तू कोई भी बहरूपिया हो सकता है.. डेड्ड... मैं रिकी हूँ, शीना, मेरी बहेन, तू तो मेरी बात का यकीन कर प्लीज़... चाचू, आप ही देखो... मैं मैं हूँ, रिकी..." रिकी 2 फिर से सब को कन्विन्स करने लगा...




"चल मान लिया, कि तू रिकी है... है इस बात का कोई सबूत कि मैं बहरूपिया हूँ.." रिकी 1 अभी भी ठंडे दिमाग़ से काम ले रहा था




"सबूत कैसा... यह मेरा घर है... यह मेरे माँ बाप है... यह सब मेरे परिवार वाले हैं, इससे बड़ा सबूत क्या दूं मैं..." रिकी 2 चिल्लाने लगा था




"रिकी राइचंद, कभी इतना गुस्सा नहीं करता.. हम दोनो में से गुस्सा कौन है, वो सब देख रहे हैं..." रिकी 1 ने एक दम शांत लिहाज़ से काम लिया




"यू शट्ट अवुपप्प्प्प... तेरे पास क्या सबूत है कि तू असली रिकी है.." रिकी 2 ने अपने गुस्से को शांत करने की कोशिश की लेकिन उसकी साँसें अभी भी फूली हुई थी




"शीना...." रिकी 1 ने शीना की ओर देखा जो अब तक सब कुछ समझने की कोशिश कर रही थी कि अचानक रिकी 1 की आवाज़ सुन होश में आई




"शीना.. "




"हहा...हाआंणन्न् भ्ााईइ..." शीना ने हिचकिचाते हुए कहा
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07-03-2019, 04:52 PM,
RE: Antarvasna kahani वक्त का तमाशा
"शीना, मैं भाई हूँ.. मैं, प्लीज़ पहचान मुझे.." रिकी 2 फिर बीच में बोला लेकिन शीना को अब तक कुछ नहीं पता चल रहा था वो क्या करे.. शीना क्या, ऐसी हालत में कोई भी हो, उसके मूह से एक शब्द ना फूटे, दो हूबहू दिखने जैसे लोग, जब आमने सामने आए तो पहचान पाना मुश्किल होता है.. सुहसनी और अमर के दिल तो झटका खाने के नज़दीक ही थे, राजवीर अभी भी अपनी आँखें नहीं मीच रहा था, स्नेहा भी कुछ सोचने लगी, लेकिन आँखें अब तक उतनी ही बड़ी जितनी पहले थी... ज्योति, इस वक़्त दूसरे रिकी को बड़े ध्यान से देख रही थी.. कुछ भाँप रही थी और साथ ही साथ दिमाग़ को तेज़ दौड़ा रही थी




"शीना, इग्नोर हिम.. प्लीज़ मेरे कमरे में जाओ, आंड देयर ईज़ आ बॅग.. वो बॅग ले आओ प्लीज़, बेड पे ही रखा हुआ है.." रिकी ने शीना को हिदायत देते हुए कहा और शीना भी जैसे किसी जादू में खोई सी सीडीयाँ चढ़ के रिकी के कमरे की तरफ प्रस्थान करने लगी




"मम्मी, पापा, और आप सब लोग, उस बॅग में मेरे सारा समान, कॉलेज सर्टिफिकेट्स, रिज़ल्ट्स, अड्मिशन फीस, पासपोर्ट और हर चीज़ जो वेरिफिकेशन के लिए काम आती है, वो
सब है.. कोई ज़रा इस महाशय से पूछेगा कि अगर वो रिकी है, तो उसका सब सामान कहाँ है..." रिकी 1 ने बड़े आराम से कहा और राजवीर को देखने लगा..




"हां भाई, जवाब दो.. है कुछ तेरे पास..." राजवीर की हिम्मत भी लौटने लगी और वो दोनो रिकी के बीच आके खड़ा हुआ




"चाचू, सब दूँगा मैं आपको.. मेरा लगेज अब तक हीतरो एरपोर्ट से नहीं आया, बस वो आ जाने दो..." रिकी 2 अपनी बात कहने लगा




उपर जब शीना डर डर के रिकी के रूम में पहुँची तो बेड पे रखा हुआ बॅग देखा और उसे उठा के कुछ सोचने लगी...




"ओह माइ गॉड.. अब यह क्या, मैं तो एक्सपेक्ट कर रही हूँ.. ओह्ह्ह शिट्ट... कहीं यह ड्यूप्लिकेट या बहरूपिया निकला तो..." शीना अपने मन में सोच ही रही थी कि उसके मोबाइल पे
एक एसएमएस आया.. एसएमएस की टोन सुनते ही शीना ने अपने दिल को मज़बूत किया और एसएमएस खोला.. एसएमएस पढ़ते ही शीना ने एक नंबर घुमाया और बॅग लेके नीचे जाने लगी...




"ओके... अग्रीड, कि तुम्हारा समान हीतरो से आया ही नहीं.. वहाँ से यहाँ तक आए, उसकी टिकेट दिखाओ.." राजवीर ने हाथ आगे बढ़ाते हुए कहा.. राजवीर के यह शब्द सुनते ही रिकी 2 ने अपने ब्लेज़र की जेब टटोली और कुछ ढूँढने लगा, लेकिन खाली हाथ




"ओह शिट्ट... चाचू, टिकेट तो फ्लाइट से निकलते ही फेंक दी.. लेकिन पासपोर्ट देखिए मेरा" रिकी 2 ने सर पीट के कहा और अपना पासपोर्ट दिखाते हुए कहा




"भाई... आपका बॅग..." शीना ने काँपते हाथों से बॅग देते हुए कहा... रिकी 1 ने जब शीना को इस हाल में देखा तो उसे ख़याल आया कि ऐसी सिचुयेशन शीना के दिल के लिए अच्छी नहीं, और शीना एक्सपेक्ट कर रही थी..




"ज्योति, शीना को लेके प्लीज़ बैठ जाओ, और उसके लिए एक ग्लास पानी ले आओ..." रिकी ने शीना को पास में बिठाया और ज्योति से कहा




"कोई कहीं नहीं जाएगा, जब तक सच झूठ का फ़ैसला नहीं होता..." रिकी 2 ने झुंझला के कहा




"ज्योति.. इस्पे ध्यान नहीं दो और पानी लाओ..." रिकी 1 ने फिर शांति से कहा




"मैने कहा ना कोई कहीं नहीं जाएगा.." रिकी 2 आगे बढ़ा और ज्योति को कंधों से पकड़ लिया




"तूने हाथ कैसे पकड़ा...." रिकी 1 ने चिल्ला के कहा और कस के तमाचा जड दिया जिससे रिकी 2 जाके ज़मीन पे गिरा.. रिकी 2 के ज़मीन पे गिरते ही राजवीर ने पीछे से उसके
दोनो हाथों को पकड़ा और घुमा के तीन चार तमाचे और कसने लगा




"तू रिकी हो ही नहीं सकता.. वो कभी ज्योति को ऐसे नहीं पकड़ता समझा..." राजवीर ने फिर उसे कहा और 2 मुक्के और मारे उसके पेट में




"चाह्कचुउऊउउ.... प्लीज़्ज़ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज ट्रस्ट मी...." रिकी 2 की साँसें टूटने लगी लेकिन वो वही बोलता रहा..




"तुम रिकी नहीं हो.." सब को चौंकाते हुए ज्योति ने बीच में कहा और शीना को पानी का ग्लास दिया




"डॅड, ताऊ जी, ताई जी, शीना, भाभी.. और आप भैया.. आप ही हमारे रिकी भाई हो.." ज्योति ने रिकी 1 की तरफ देखते हुए कहा




"ज्योति बेटी, तुम इतनी श्योर कैसे हो..." अमर ने इस बार पूछा




"क्यूँ कि..." ज्योति ने इतना कहा और रिकी 2 की तरफ बढ़ने लगी..




"क्यूँ कि ताऊ जी.. रिकी भाई की गर्दन पे यह निशान कभी नहीं था, और आगे यह कुछ कहे इससे पहले मैं बता दूं, यह निशान काफ़ी पुराना है, जैसे हमे कैसे बचपन में चोट लगती है तो निशान रह जाता है, यह वैसा है.. रिकी भाई को ऐसा निशान कभी नहीं था.. और दूसरी बात, रिकी भाई की हाइट तकरीबन 5 11 या 6 फीट है.. इन साहब की हाइट 5 9 से ज़्यादा नहीं हो सकती, चाहें तो आप मेषर कर लीजिए.. 1 या डेढ़ इंच का फरक कोई नहीं देख सकता.." ज्योति ने रिकी 2 की आँखों में आँखें डाल कहा जिसे सुन वहाँ सभी लोगों को थोड़ी हिम्मत आने लगी और ज्योति की हां में हां मिलाने लगे..




"सिवाय तुम्हारे.." रिकी 2 ने मुस्कुरा के कहा और जब तक कोई उसकी बात को समझता तब तक रिकी 2 ने पास खड़े राजवीर को धक्का मारा और अपनी जेब से रिवॉल्वार निकाल ज्योति की कन पट्टी पे रखी और घुमा के उसे बाहर ले जाने लगा..




"कोई अपनी जगह से नहीं हिलेगा समझे.." उस बहरूपीए ने सामने की तरफ बंदूक की और ज्योति को अपने साथ बाहर ले जाने लगा




"मैं कहता हूँ रुक जाओ, मेरी बेटी को कुछ हुआ तो.." राजवीर ने इतना ही कहा कि उस बहरूपीए ने हवा में गोली चला दी




"अगर कोई आगे बढ़ा तो अगली गोली इसके भेजे के आर पार करूँगा समझे..." बहरूपीए ने धमकी दी और ज्योति के साथ धीरे धीरे पीछे बढ़ने लगा




"भाई, पीछे मूडकर देख लो एक बार.. शायद आपके काम के लोग खड़े हैं पीछे.." रिकी ने मुस्कुरा के बहरूपीए से कहा जिसे सुन उसके चेहरे पा आई हँसी थम गयी.. जैसे ही पीछे पलटा तो पीछे पोलीस इनस्पेक्टर के साथ 4 हवलदार अपनी बंदूक ताने खड़े थे.. मौका देख ज्योति ने भी अपनी कोहनी से उसके पेट पे वार किया और वहाँ से भाग के सामने गयी..
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07-03-2019, 04:53 PM,
RE: Antarvasna kahani वक्त का तमाशा
"चाल्ल्ल..." इनस्पेक्टर ने कहा और अपनी लात मार के उसे नीचे गिरा दिया.. नीचे गिरते ही हवलदारो ने अपनी बंदूक उसपे साधी और वो बहरूपिया हार मान बैठा




"थॅंक्स आ लॉट इनस्पेक्टर... बेटी आर यू फाइन.." राजवीर ने ज्योति को गले लगा के कहा और उसके आँसू बहने लगे




"आइ आम फाइन डॅड... " ज्योति ने हंसकर जवाब दिया और रिकी के गले लगी..




"वैसे इनस्पेक्टर , आप यहाँ कैसे... आंड थॅंक यू वेरी मच.." अमर ने आगे बढ़ते हुए इनस्पेक्टर से कहा




"थॅंक यू आप शीना जी का कीजिए, उन्होने हमे फोन करके यहाँ बुलाया.." इनस्पेक्टर ने अमर से कहा और सब की आँखें शीना की तरफ मूडी..




"थॅंक हर... नोट मी..." शीना ने ज्योति की तरफ इशारा कर के कहा




"हां, जब शीना बॅग उपर लेने गयी थी, तब मैने उसे एसएमएस किया था, कॉल पोलीस.. बहरूपीए की नज़र जैसे ही हटी, मैने चुपके से एसएमएस टाइप किया.. पहचान तो मैं उसे 5 मिनिट में गयी थी, लेकिन वक़्त सही दिखा तब मैने यह किया.." ज्योति ने सब को कहा




"सर, मैं ले जाता हूँ इसे, आप कमिशनर सर की ऑफीस आ जाइएगा, उन्होने ही हमे यहाँ भेजा, शाम को कुछ पूछ ताछ होगी..."




"जस्ट आ मिनिट इनस्पेक्टर.." पीछे से एक कड़क आवाज़ आई और जैसे ही सब पलते पीछे पाँच ऑफिसर्स की टीम आई थी जो सब वाइट शर्ट और नेवी ब्लू पॅंट में थे




"हाई... आइ आम गोमेज़.. सीनियर कस्टम्स... यह बहरूपिया इंडिया का मशहूर क्रिमिनल राणा है, पहले एक घर पे नज़र रखता है, और बहरूपिया बन के उस घर में घुस के सब को मार देता है और जायदाद लूट लेता है.. लंडन में भी सेम काम करके आज वापस यहाँ आए हैं, सुबह सुबह एरपोर्ट पे इम्मिग्रेशन ऑफीसर ने इन्हे पकड़ा तो पासपोर्ट देख के ही उन्हे शक हुआ.. लेकिन हम ने इनका पीछा करना सही समझा, क्यूँ कि कोई ठोस सबूत नहीं था.. आप लोग और यह इनस्पेक्टर भी सबूत बन गये हैं कि यह बहरूपिया है.. तो पोलीस से पहले हमारी टीम इनसे पूछताछ करेगी, क्यूँ कि इसमे इंटरनेशनल ऑफिसस भी इन्वॉल्व्ड है और फेक पासपोर्ट के 10 केसस दर्ज हैं.. इनस्पेक्टर, शाम तक हमारी पूछताछ चलेगी, फिर आप इन्हे ले जायें..." गोमेस ने सब एक साँस में कहा और इनस्पेक्टर के जवाब का इंतेज़ार करने लगा जो अब तक खामोश था




"ओह... मैं समझ गया, यह देखिए.. मेरा कार्ड, बॅड्ज, आंड इनको अरेस्ट करने के पेपर्स वित इंटररपोल अप्रूवल्स ऐज वेल.." गोमेस ने एक फाइल देके कहा





"ओह.. प्लीज़ नहीं, ऐसा नहीं है, ठीक है, आप इन्हे ले जाइए.. हम शाम को हमारी फोर्स और मीडीया के साथ आएँगे.. आख़िर जनता तक इसका चेहरा पहुँचना चाहिए.."
इनस्पेक्टर ने गोमेस से हाथ मिलाते हुए कहा और बहरूपीए को गोमेस के हवाले कर निकल गया





"अब हम भी चलते हैं.. यू ऑल स्टे सेफ प्लीज़.." गोमेस ने सब से कहा और बहरूपीए को बाहर लेके निकल गये..




गोमेस के निकलते ही अमर ने ज्योति को गले लगाया और शीना और ज्योति की बहादुरी की तारीफ़ की..





"ताऊ जी.. अब चलें, रिज़ॉर्ट देखने.." ज्योति ने सब को देख कहा





"रिज़ॉर्ट चलें, उससे पहले मुझे कुछ काम है.." सुहसनी ने सबसे कहा और अमर को लेके अपने साथ मेन हॉल से लेके दूसरे रूम में गयी





"ताऊ जी और ताई जी को भी रोमॅन्स अभी सूझता है.." ज्योति ने मज़ाक में रिकी से कहा, लेकिन रिकी की आँखें अभी भी शीना पे थी जो आँखें बंद कर अपने आँसुओं को बहने से रोक रही थी




"ज्योति.. प्लीज़ कॉन्सोल हर.." रिकी ने ज्योति से धीरे से कहा और ज्योति उसे समझाने लगी, लेकिन रिकी जानता था कि शीना क्यूँ रो रही थी..




"ठीक है सुहसनी.. मैं आज ही कर देता हूँ, क्या भरोसा है वक़्त का.." अमर ने सुहसनी से कहा और एक फोन करके तकरीबन 10 मिनिट के बाद बाहर आ गया.. तब तक शीना भी सम्भल चुकी थी और राजवीर और स्नेहा भी स्थिर हो चुके थे..




"हाँ तो बच्चो.. चलें रिज़ॉर्ट देखने.." अमर ने बाहर आके सब से कहा और सब , अभी जो हुआ उसे भुला के अपनी अपनी गाड़ियों में महाबालेश्वर की तरफ बढ़ने लगे




रिकी की गाड़ी में सिर्फ़ शीना उसके साथ थी.. इसलिए गाड़ी के थोड़ा आगे बढ़ते ही शीना फूट फूट के रोने लगी और रिकी ने भी उसे अपनी आगोश में ले लिया..




"तुम्हे मुझ पे ट्रस्ट नहीं था मतलब.." रिकी ने धीरे से कहा और गाड़ी चलाता रहा.. शीना ने उसे कुछ जवाब नहीं दिया और बस अपने चेहरे को उसकी मज़बूत बाहों में छुपाए रही




"आइ लव यू.. " शीना ने दबी आवाज़ में कुछ देर बाद कहा




"ओके..." रिकी ने बस इतना ही कहा और गाड़ी चलाता रहा




"आइ फील सेफ वित यू, आइ फील प्रोटेक्टेड वित यू.. इतना भरोसा है मुझे आप पे.." शीना ने अपने आँसुओं को रोक कहा और रिकी के कंधे पे सर रख दिया और पूरे सफ़र में
दोनो बस खामोश रहे, एक शब्द नहीं कहा एक दूसरे से..


………………………………………….

"तो... कैसा लगा आप सब को रिज़ॉर्ट..." ज्योति ने सबसे पूछा जो रिज़ॉर्ट के हर एक कोने को देख के आए थे और इस वक़्त रिज़ॉर्ट की एंट्रेन्स के पास खड़े थे..




"भाई, रिज़ॉर्ट तो बढ़िया है... हमे नहीं पता था, कि हमारे बच्चे इतने काबिल हैं.. आज मैं बहुत खुश हूँ..." अमर ने शीना और ज्योति को गले लगाया और दोनो के मस्तक को चूम दिया





"रिकी, अभी तुम्हे ही इन सब का ख़याल रखना है, मुझे कोई भी शिकायत नहीं चाहिए समझे.." अमर ने शीना और ज्योति को अलग किया और रिकी के पास जाके खड़ा हुआ





"मैं समझा नहीं पापा.. आप कहाँ जा रहे हैं, ऐसी बात क्यूँ.. आप हैं तो हम सब हैं, आप नहीं.. तो कुछ भी नहीं.." रिकी ने अमर के पैर छू के कहा





"मैं अब बूढ़ा हो गया हूँ.." अमर ने बस इतना ही कहा के सामने एक रेंज रोवर आके रुकी





"आओ, सब आओ, बताता हूँ..." अमर ने रिकी को पकड़ा और उसके साथ सभी आगे बढ़ने लगे..





"यह लीजिए सर, जैसा आपने कहा सब वैसा किया है.." एक आदमी ने अमर के हाथ में एक फाइल देके कहा




"वकील साब को शुक्रिया बोलना मेरी तरफ से.." अमर ने फाइल लेते हुए कहा




"वकील, क्यूँ पापा.." रिकी के चेहरे पे कई सवाल थे




"रिकी.. आज से तुम हमारी प्रॉपर्टी के मालिक हो, घर से लेके कंपनीज़, रिज़ॉर्ट से लेके इनवेस्टमेंट्स, सब चीज़ तुम्हारी.. अब तुम सम्भालो इसे.." अमर ने फाइल देते हुए कहा..
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07-03-2019, 04:53 PM,
RE: Antarvasna kahani वक्त का तमाशा

अमर की बात सुन राजवीर के दिमाग़ में जैसे किसी ने गोली डाल दी थी, खड़े खड़े मर गया था वो, स्नेहा के चेहरे का रंग फीका हो गया था, दोनो जिस प्रॉपर्टी के लिए अमर को मारना चाहते थे वो अब रिकी की थी.. राजवीर ने एक नज़र सुहसनी को देखा तो सुहसनी ने उसे आँखों से खामोश रहने को कहा और सेम इशारा राजवीर ने स्नेहा से किया..




"पापा.. दिस ईज़ नीडलेस.. आप प्लीज़ ऐसा ना करें.. हम सब साथ ही हैं, फिर यह सब क्यूँ" रिकी ने नम आँखों से कहा




"रिकी, आज जो हुआ, खुदा ना ख़स्ता अगर कुछ उन्च नीच होती तो यह सब कौन संभालता, इसलिए अब से तुम यह सब सम्भालो... और मुझे आज़ाद करो.." अमर ने मज़ाक में कहा

जिसे सुन रिकी को समझ नहीं आ रहा था कि वो क्या करे..




"आप सुनिए..एक काम करेंगे प्लीज़..." रिकी ने उस आदमी को देख कहा जो पेपर्स लाया था..




"यस सर, बताइए"




"यह पेपर्स मेरे पास रहने दीजिए.. कल सुबह तक यह पेपर्स शीना राइचंद के नाम पे ट्रान्स्फर करें प्लीज़..." रिकी के यह शब्द सुन राजवीर और स्नेहा तो जैसे बेहोश होने लगे, और साथ खड़ी सुहसनी भी अंदर ही अंदर गुस्से की आग में जलने लगी




"भाई, व्हाट.." शीना ने बस इतना ही कहा कि रिकी ने उसे खामोश रहने को कहा




"अब यह मेरी प्रॉपर्टी है, मैं चाहे जिसके नाम करूँ.. आप प्लीज़ चलिए, सुबह तक पेपर्स आप पर्सनली मुझे लाके देंगे, ओके.." रिकी ने उससे कहा और अलविदा कह दिया




"आइ डॉन'ट नीड दिस.. आइ डॉन'ट वॉंट दिस भाई..." शीना ने अपनी आँखे बड़ी कर कहा




"मेरी तरफ से तुम्हारे लिए गिफ्ट.. थोड़ी देर पहले कहा ना तुमने यू फील सेफ वित मी.. मैं चाहता हूँ यू शुड फील सेफ वित मी.. आंड आफ्टर मी...." रिकी ने बड़े भारी दिल से यह आख़िरी शब्द कहे




"यू नो.... यूआर....." शीना फिर सुबकने लगी और रिकी के गले लगी..





"नतिंग'स गॉना चेंज माइ लव फॉर यू...." रिकी का फोन बजा तो उसने शीना को अलग किया और सबसे दूर आके बात करने लगा




"हां बोल.."




"प्रॉपर्टी मिली.."




"प्रॉपर्टी, आज सुबह को जानता है क्या हुआ.." रिकी ने चिल्ला के पूछा




"जानता हूँ, राणा टुच्छा आदमी है, ऐसे लोगों से नहीं डरना कभी"




"बेन्चोद.. एक पल के लिए तो मैं भी डर गया था, खुद पे शक करने लगा था मैं.."




"सब निपट गया ना.."




"हां, तुम तो कुछ करोगे नहीं, सब मुझे ही करना पड़ा.. ज्योति ने बचाया"




"ज्योति बहुत स्मार्ट है, तभी तो वो मेरी जान है"




"और यह सब तुझे निपटाने का, मैं नहीं आता बीच में इन सब में.." फोन वाले ने फिर कहा और रिकी खामोश हो गया




"खैर.. प्रॉपर्टी मिली.."




"हां, मेरे नाम हो गयी.." रिकी ने फिर आधा सच बताया




"तो 7 बजे आने वाला था.. अभी 6 बजे हैं, कब आओगे आप.."




"अभी यहाँ से निकल रहा हूँ, 10 बजे मिलूँगा, शीना भी मेरे साथ होगी इसलिए"




"बहुत शीना शीना हो गया यार अब.."




"बस आख़िरी दिन.. आज के बाद से वो मेरी तरफ देखेगी भी नहीं.. जी भर के देख लेने दे एक बार, और कुछ नहीं माँगूंगा मैं तुझसे.." रिकी ने रुआंसी सी आवाज़ में कहा

जिसे सुन सामने वाले ने फोन कट किया और अपनी नम आँखें भी पोंछने लगा




"डॅड.. लेट'स गो..." रिकी ने अमर से कहा और सब महाबालेश्वर की तरफ निकल गये




"शीना, तुम ड्राइव करो प्लीज़.." रिकी ने गाड़ी की चाबी देते हुए कहा




"मालकिन को ड्राइवर बनाओगे.." शीना ने मज़ाक में चाबी लेते हुए कहा




"मालकिन को जी भर के देखना चाहता हूँ..." रिकी ने मुस्कुरा के कहा




महाबालेश्वर से मुंबई के रास्ते में, सारा वक़्त रिकी शीना को देखता रहा और बार बार पूछने पर बस यह बोलता..




"जी भर के देख लेने दो शीना... आज नहीं कहो कुछ भी प्लीज़.."






"शीना..." रिकी शीना के कमरे में पहुँचा तो देखा शीना कुछ पढ़ रही थी..




"भाई, यह देखिए, माइ न्यू नॉवेल, मस्त है बहुत.." शीना ने उछल के कहा




"शीना.. मेरी डाइयरी पढ़ना चाहोगी..." रिकी ने भारी आवाज़ से कहा




"भाई, व्हाट'स रॉंग.. जब से वहाँ से निकले हैं, तब से आप बहुत अजीब बिहेव कर रहे हो.. यू फाइन ना, रात का खाना भी नहीं खाया और अभी कहीं जा रहे हैं क्या.." शीना ने घड़ी देख कहा जिसमे 10 बजने में 5 मिनिट बाकी थे




"आइ आम.... उहह... आइ आमममम्म आब्सोल्यूट..... आब्सोल्यूट्ली फिन्नीई...." रिकी अपने आँसुओं से लड़के कहने लगा




"भाई... व्हाट हॅपंड.." शीना ने गंभीर होके पूछा, जवाब में रिकी ने अपनी डाइयरी आगे की और शीना से कहा




"रीड दिस.. बट प्रॉमिस मी, इसको पढ़ के हमारा प्यार नफ़रत में नहीं बदलेगा.." रिकी टूटी हुई आवाज़ में बोला




"भाई... व्हाट ईज़ इट..." शीना का दिल घबराने लगा था




"शीना... ज्योति को बुलाओ प्लीज़.. " रिकी ने कहा और शीना ने भी जल्दी से ज्योति को बुलाया




"ज्योति.. शीना ईज़ प्रेग्नेंट.." रिकी ने जैसे ही ज्योति से यह कहा ज्योति की हालत खराब हो गयी और उसे सुने हुए पे विश्वास नहीं हो रहा था..
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07-03-2019, 04:53 PM,
RE: Antarvasna kahani वक्त का तमाशा
"यस.. दा किड ईज़ माइन.. मैने शीना को एक डाइयरी दी है, तुम इसके साथ बैठ के पढ़ो.. हो सकता है इसे पढ़ के शायद शीना को अच्छा ना लगे, झटका लगे, पर मैं नहीं चाहता शीना को कुछ भी हो.. तुम इसके साथ यहाँ रहो, और दोनो डाइयरी पढ़ो..." रिकी ने ज्योति से कहा जो अभी भी शीना को उसकी प्रेग्नेन्सी की न्यूज़ सुनके घूरे जा रही थी




"ज्योति.. मेरा प्यार अब तुम्हारी ज़िम्मेदारी है, अगर इसे कुछ हुआ तो मैं भी इस दुनिया में नहीं रहूँगा.." रिकी ने अपने आँसुओं को कंट्रोल किया और वहाँ से बाहर जाने लगा..




"ज्योति... यह क्याआअ...." शीना डरते हुए ज्योति से बोली




"शीना रिलॅक्स कर..सबसे पहले बैठ..और पानी पी..." ज्योति ने शीना को पानी पिलाया और खुद उसके साथ बैठ गयी




"तू तैयार है..." ज्योति ने शीना से कहा जो अपने आँसू पोछने लगी और हां में गर्दन हिला दी.. ज्योति ने एक लंबी साँस ली अपनी आँखें बंद कर.. आँखें खोल के, दिल को मज़बूत किया और डाइयरी खोल दी..




सन्नी डेज़... माइ लाइफ... किताब के सबसे पहले पेज पे ब्लॅक पेन से यह शब्द लिखे थे..

"हॅपी बर्तडे सन्नी..." मेरे 19थ बर्तडे की सुबह की शुरुआत थोड़ी अलग थी.. आज से पहले हर बर्तडे की सुबह मुझे मेरे मोम डॅड को याद दिलवाना पड़ता था मेरे बर्तडे के बारे में.. नहीं नहीं, जैसा आप सोच रहे हैं हैं वैसा नहीं है.. मेरे मोम डॅड मुझसे प्यार तो बहुत करते हैं लेकिन उनके प्यार करना का स्टाइल थोड़ा सा अलग है.. उनका प्यार उनके चेहरे या उनके एमोशन्स से कम, मेरे वॉलेट में ज़्यादा दिखता था..




"थॅंक यू माँ.." मैने सिर्फ़ इतना ही कहा और मैं फ्रेश होने चला गया.. उन्हे इग्नोर करके नहीं, बल्कि हॅपी बर्तडे बोलके वो फिर कमरे के बाहर चली गयी क्यूँ कि उनकी फ्रेंड पुशी बाहर किसी वजह से वेट कर रही थी.. पुशी मेरी मोम की फ्रेंड थी, सोशियल फ्रेंड.. हमारे वहाँ, मतलब मुंबई में आप घर पे कितना टाइम स्पेंड करते हैं वो ज़्यादा मॅटर नही करता, पर उससे ज़्यादा मॅटर करता है कि आपकी किटी पार्टी में कितने लोग आए, आपने कितने कनेक्षन्स बनाए और आपने क्या पहना था..




"गुड मॉर्निंग डॅड..." मैं फ्रेश होके आया और नाश्ता करने बैठ गया.. सांताक्रूज़ वेस्ट में हमारा घर खुद में एक अजूबा था.. आर्किटेक्चर की वजह से नही, बल्कि लोगों की वजह से..




"गुड मॉर्निंग सन्नी.. हाउ आर यू.." पापा ने जवाब दिया पर उनकी आँखें अभी भी एकनामिक टाइम्स के फर्स्ट पेज पे ही थी.. मेरे पापा मेरे मार्क्स से ज़्यादा सेंसेक्श के नंबर्स पे ज़्यादा ध्यान देते थे.. मेरी बर्त डेट के बदले इपो लिसटिंग डेट को ज़्यादा याद रखते थे..




"आइएम ग्लॅड यू आस्क्ड मी.." मैने बिना आँख उपर किए जवाब दिया और अपना जूस पीने लगा..




"सन्नी, आज का क्या प्लान है..." मम्मी ने किचन से चिल्ला के पूछा




"कुछ नहीं मोम.. बस आप लोगों के साथ कहीं बाहर चलूँगा, फिर आप लोगों के साथ वापस घर आके अच्छी तरह बातें करूँगा और फिर केक कट करके आप लोग मुझे अपनी गोद में सुलाएँगे.. बस यही प्लान है..." मैने रूखे टोन में जवाब दिया




"ओह शिट... हॅपी बर्तडे बेटा..." पापा ने कहा और आज पहली बार उनकी आँखें न्यूसपेपर से बाहर निकली




"यू मेड माइ डे डॅड.. वाउ... नाइस मेमोरी हाँ..." मैने अपने लिए टोस्ट बनके कहा




"सन्नी, पापा से कोई ऐसे बात करता है... और आप भी.. आज की डेट कैसे भूल सकते हैं.." मोम ने मेरे पास बैठ के कहा




"हां डॅड, आपको याद रखनी चाहिए मेरी बर्थ डेट, जैसे मोम ने मार्क कर रखी है.. देखिए.." मैने कॅलंडर दिखा के कहा




"25 ऑगस्ट.. किटी पार्टी अट पुशी'स रेसिडेन्स आंड मिसेज़ गोस्वामी सोशियल पार्टी.. फिर यह रहा, मेरी बर्त डेट का छोटा सा रिमाइंडर.." मैने कॅलंडर उनके पास इज़्ज़त से फेंकते हुए कहा और मोम डॅड को देखने लगा




"खुद से तो कुछ याद रहता नहीं, और मुझे सिखाने चली हो.." डॅड ने न्यूसपेपर को बंद करके मोम से कहा और अपने वॉलेट में से 500 के 20 कड़क नोट मेरे मूह पे दे मारे.. मूह पे दे मारे मीन्स फेंके नहीं, हाथ आगे बढ़ा के दिए





"सन्नी.. बेटा एंजाय ओके, टेक दिस" डॅड ने पैसे वाला हाथ आगे बढ़ा के कहा




"आप मुझसे कितना प्यार करते हैं डॅड... यह देखिए.. आप का प्यार, मेरे पास बहुत है.. इतना डर लगता है इसे खोने से मुझे, कि मैं इन्हे खर्च करता ही हूँ कि यह फिर मेरे पास खुद बा खुद आ जाते हैं.." मैने डॅड से पैसे लिए और उन्हे मेरा भरा हुआ वॉलेट दिखा दिया




"सिखा नहीं रही हूँ, बता रही हूँ, पूरा दिन बस स्टॉक स्टॉक और मार्केट... घर की तो कुछ पड़ी ही नहीं है आपको.. बेटे की तो छोड़िए, मेरी बर्थ डेट कब याद रखी है आपने.." मोम ने अपना जूस साइड में रख के कहा




"तुम तो मुझे बड़ा विश करके थकि हुई हो.. मुझसे ज़्यादा तो उस पुशी और गोस्वामी की डेट्स याद रहती हैं तुम्हे.." डॅड ने अपने स्पेक्स निकाल के जवाब दिया..




मैने शांति से अपना जूस उठाया और पीते पीते मेरा मॉर्निंग शो देखने लगा..




"आप यीह.... तुम ववोह.... आअप आईसीईए..... तुम वैसीए......" मोम डॅड की आवाज़ हमेशा मेरे कानो में गूँजती ही रहती, वो अगर प्यार की बात भी करते तो ऐसा लगता था कि खुद पे एहसान कर रहे हो..




"सुबह सुबह यह सब लेके बैठ गयी.. शरम करो कुछ बच्चे के आगे.." पापा ने मेरी ओर इशारा करके कहा




"ओह.. आइ आम सो सॉरी.. मुझे पता नहीं था मेरे आगे आप खुल के लड़ भी नहीं सकते.. प्लीज़ कंटिन्यू.." मैने शांति पूर्वक कहा और अपना बॅग लेके बाहर निकल गया




"सन्नी, बेटा वेट.. वी नीड टू..." बस, मैं कॉरिडर से गायब होने से पहले सिर्फ़ इतना ही सुन पाया था..




मेरी रोज़ सुबह की शुरुआत ऐसे ही होती... रोज़ मोम डॅड का हर छोटी बात पे लड़ना, उसपे ऐसे चिल्लाना जैसे वो देश की सबसे बड़ी समस्या हो.. कभी कभी सोचता था कि पार्लिमेंट के लाइव डिस्कशन के बदले मेरे घर का डिस्कशन टेलीकास्ट होना चाहिए.. उधर 543 लोग चिल्लाते हैं, इधर 2 लोग ही 543 पायंट्स लेके बैठ जाते हैं, वैसे एक बात समझ नहीं आती थी कि इन्हे इतनी पायंट्स पे डिस्कशन के लिए एनर्जी कहाँ से आती है.. खैर, मैं अभी अपने अपार्टमेंट की पार्किंग में पहुँचा ही था कि सामने से हमारी बिल्डिंग के शंभू काका ने मुझे देखा




"सन्नी बाबा.. एक मिनिट.." शंबू काका ज़ोर से चिल्लाए और दौड़ते हुए मेरे पास आए




"जी काका, बोलिए.." मैने अपना मोबाइल निकाला और दोस्त को कॉल करने लगा




"हॅपी बर्तडे सन्नी बाबा.." शंभू काका आए और मुझसे गले लगा कर मुझे लड्डू खिलाने लगे




"वाह शंभू काका.. लड्डू मस्त है.." मैने एक और उठाया और उन्हे भी खिला दिया.. मेरे मोम दाद से ज़्यादा खुश तो मुझे शंभू काका करते थे, स्पेशली मेरे हर बर्तडे पर वो महालक्ष्मी का प्रसाद लेके आते थे




"आज भी कॉलेज.." शंभू काका ने मेरा बॅग देख कहा




"पता नहीं काका.. हां घर से दूर ज़रूर जा रहा हूँ.." मैने अपने ग्लासस पहेन कहा




"ऐसा नहीं बोलते बेटा, माँ बाप ही बच्चो के मार्गदर्शक होते हैं.." शंभू काका ने मुझे समझाते हुए कहा




"फिलहाल तो मुझे ऐसा कुछ नहीं दिखा, अब तक तो मुझे बस..." मैने अपनी बात अधूरी छोड़ी और अपने वॉलेट से निकाल के उन्हे कुछ पैसे दिए




"बेटा इतने नहीं.." शंभू काका ने वापस देते हुए कहा




"ले लीजिए सर, इसकी कमी नहीं है.. जिसकी कमी है वो कभी वॉलेट में नहीं आ सकता.." मैने अपनी कार ढूँढते हुए कहा




"बाबा यह बहुत है.. इतने नहीं" शंभू काका ने फिर गिनते हुए कहा




"यह तो 10.."




"कम हैं... और देता हूँ काका, " मैने वॉलेट निकाला और फिर उन्हे दूसरे दिए




"अरे बाबा, यह 10 हज़ार हैं, इतने क्या करूँगा..." काका ने मुझे वापस दिए




"काका, अब ज़्यादा बिल्ड अप ना करो आप भी, आप खर्च करना 2000 और बाकी के बच्चों के स्कूल की फीस हैं.. आप ना.." ज़्यादा कुछ कहे या सुने बिना मैं वहाँ से निकल गया




घर से कॉलेज कुछ ज़्यादा दूरी पे नहीं था, 10-15 मिनट इन हेवी ट्रॅफिक.. मितिबाई कॉलेज फॉर जूनियर्स.. नाम ही सिर्फ़ जूनियर्स था, बाकी कोई ऐसा काम नहीं था जो कोई ना करता हो.. उसके बारे में आगे पता चल ही जाएगा..




"हॅपी बर्तडे सन्नी... हॅपी बर्तडे भाई... भाई को जनमदिन की बधाई हूऊऊ..." जैसे ही मैं कॉलेज में पहुँचा, मेरे दोस्त मुझे विश करने लगे, खैर फ़ॉर्मलटी के लिए तो सब को थॅंक्स बोल दिया लेकिन मेरे कान अब तक वो नहीं सुन पा रहे थे, जो मैं दिल से सुनना चाहता था...




"भाई.. आज तो पार्टी तेरी तरफ से.." जैसे ही मेरे एक फरन्ड ने कहा, इट वाज़ लाइक आ म्यूज़िक फॉर माइ इयर्स... थॅंक यू भगवान, एक और जनमदिन जिसमे मेरे डॅड का प्यार काम आएगा, मैने आँखें उपर की और आसमान को देखने लगा




"चलो चलो... कहाँ चलना है.." मैने फिर अपनी गाड़ी अनलॉक की और सब लोग उसमे बैठ गये




"हुक्का हुक्का.. काफ़ी दिन हुए, आज वहाँ जाना है.." मेरी एक फरन्ड ने कहा और सब लोग उसके हां में हां मिलाने लगे




"चलो.." मैने सिर्फ़ इतना कहा और गाड़ी जुहू की तरफ बढ़ने लगा




ओह.. वो तो बताना ही भूल गया, मेरे लास्ट बर्तडे पे यानी की 18थ पे, मेरे पापा को बहुत ज़्यादा प्यार आया था मुझ पे.. उनका इतना प्यार उनके शरीर में समाया ही नहीं, तो उसे हल्का करने के लिए उन्होने मुझे नयी एसयूवी दिलाई थी.. होंडा सीआरवी... अब गाड़ी बड़ी थी तो उसके लिए अंदर बैठने के लिए लोग भी तो होने चाहिए.. इसलिए मेरे दोस्तों ने मुझपे एहसान किया और मुझसे दोस्ती करके मेरी ज़िंदगी में आ गये और गाड़ी की शोभा बढ़ा दी उसमे रोज़ रोज़ बैठ के.. मेरे दोस्त, वैसे तो दोस्त थे, लेकिन आज तक दोस्ती.. खैर, उनका इंट्रो देता हूँ.. अभी मेरे साथ जो बैठा है उसका नाम है


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07-03-2019, 04:53 PM,
RE: Antarvasna kahani वक्त का तमाशा
अजय.. भाई है तू यार अपना, लेकिन प्लीज़ सिर्फ़ यह काम कर दे आगे से कभी तुझे नहीं कहूँगा, प्रॉमिस.. यह इसका पेटेंटेड डाइलॉग था




अजय के ठीक पीछे बैठी है रिया.. अजय की गर्ल फ्रेंड.. रात को छोड़ के पूरा दिन अजय के साथ रहती थी.. रात को कहाँ सोती थी.. वो तो आज तक किसी को नहीं पता चला सिर्फ़ मुझे छोड़ के..




रिया के पास बैठी है एक दूसरी लड़की.. श्वेता.. श्वेता दिन में भी अपने बाय्फ्रेंड के साथ नहीं रहती थी, दिन में उसके लिए काफ़ी लोग थे, बाय्फ्रेंड उसने रात के लिए पाला हुआ था




रिया के पास बैठा है उसका बॉय फ्रेंड.. पंकज.. पंकज श्वेता का बाय्फ्रेंड.. नहीं, गुलाम था.. दिन भर उसके पीछे घूमता, वो जो कहती वो करता और रात को श्वेता को खुश करता..




इन चार के अलावा भी एक और बंदी है जिसका इंट्रो आगे दूँगा.. लेकिन फिलहाल तो इंट्रो देते देते मेरी गाड़ी लाउंज के वहाँ भी पहुँच गयी..




"यार आज ट्रॅफिक कम था ना.." मैने बाजू में बैठे अजय से कहा




"अबे दो घंटे लगे इधर आने में.. ध्यान कहाँ है तेरा.." अजय ने गाड़ी से उतर के कहा.. मैने अपना दिमाग़ झटका और गाड़ी वलेट को दे दी..




"चलें.." मैने सब से कहा लेकिन सब की नज़रें मुझ पे या मेरी बात के बदले सामने की तरफ टिकी हुई थी




"क्या हुआ.." मैने सामने की ओर देखा, तो देयर शी वाज़.. मेरी ज़िंदगी में बस इसकी ही कमी थी और वो सामने से चलती हुई मेरे पास आ रही थी.. रेशमी खुले बाल जो उसकी कमर तक आते थे, माथे पे एक छोटी सी पिंक बिंदी, कानो में दो चाँदी के झुमके जो उसकी स्किन के साथ मॅच कर रहे थे, आसमानी रंग का सूट जिसमे वो बहुत प्यारी लग रही थी.. मेरे पास आती गयी और मैं उसके ख़यालों में खोता गया..




"हाई...." उसने इशारा किया हाथ हिला के और मेरे पीछे खड़े आदमी की गाड़ी में जाके बैठ गयी




"हाई बाय..." उसके पीछे दूसरी लड़की आई जो मेरी गर्ल फ्रेंड थी.. वो ड्रेस वाली तो पता नहीं कौन थी, बस अच्छी लगी तो इसके बारे में लिख दिया




"ओह.. हाई, कैसी हो.." मैने उसके गले लगते हुए कहा




वेट... फ्लॅशबॅक लूँ... हां ठीक है... यह है ऋतु.. पोप कट बाल, मूह में बबल गम, डेनिम स्कर्ट और टांक टॉप में चलती हुई मेरे पास बढ़ती आई और आके मुझसे गले लगी.. ऋतु मेरे लिए कुछ स्पेशल नहीं थी, वो भी बाकियों की तरह थी लेकिन मैं फिर भी उसके साथ था, क्यूँ कि जब जब मैं अकेला होता तो किसी के साथ बात करने का दिल होता था, और गर्ल फ्रेंड के अलावा कौन हो सकता है उससे अच्छा.. ऋतु मेरी बात ध्यान से सुनती भी थी क्यूँ कि उसके बर्तडे की पार्टीस, वीकेंड पार्टीस, कॉलेज पार्टीस और कयि तरह की पार्टीस का ध्यान मेरे डॅड का प्यार रखते थे..




"हॅपी बर्तडे बेबी... माइ क्यूटी पिए..." ऋतु ने मेरे गाल चूम के कहा और बाकियों से मिलने लगी




क्यूटी पिए, बेबी, शोना , जानू.. और पता नहीं क्या क्या, आज तक साला यह समझ नही आया कि यह सब शब्द किसने निकाले..




"फ़ेसबुक..." मेरे फरन्ड ने पीछे से कहा




"क्या.." मैं अपने ख़यालों से बाहर आते हुए बोला




"भाई फ़ेसबुक पे टॅग कर रहा हूँ.. एंजायिंग हमारे भाई का बडी.." अजय ने मुझसे कहा और सब को टॅग करने लगा




"अब चलें.. और मैं फ़ेसबुक पे नहीं हूँ.." मैने सबसे कहा और लाउंज के अंदर चलने लगा..




"3 हुक्के.. फ्लेवर आपको जो ठीक लगे, 4 क्लब सॅंड्विचस, 5 कोल्ड कॉफी, 3... नहीं , 4 पास्ता, वाइट ग्रेवी आंड 2 पिज़्ज़स.. अभी फिलहाल इतना लाइए, बाकी का बाद में देख लेंगे.." पंकज ने ऑर्डर देते हुए कहा और सब आपस में बातें करने लगे




"अगर यह सब अभी खाएँगे, तो इसके बाद कुछ बचेगा खाने को.." मैं अंदर ही अंदर सोचने लगा और खुद से बातें करने लगा




"इट वाज़ फन ना बेबी." ऋतु ने मेरे कंधे पे हाथ रख कहा और मुझे मेरे ख़यालों से बाहर निकाला




"अरे ऋतु.. वैसे सन्नी को क्या गिफ्ट दोगि, खाली हाथ आ गयी, बॉय फ्रेंड को कुछ तो दो.." श्वेता ने ऋतु को ताना मार के कहा




"मेटीरियल चीज़े मायने नहीं रखती कभी, मेरा प्यार ही काफ़ी है मेरे शोना के लिए.. है ना बेबी.." ऋतु ने मेरी आँखों में देख कहा




"डायलॉग बाज़ी में तुझसे कोई घंटा भी नहीं जीत पाएगा.. क्या लोड्‍ा जवाब दूं.." मैने फिर अंदर खुद से कहा




"ऑफ कोर्स.. " मैने सिर्फ़ इतना कहा और उनकी बातें सुनने लगा




"वैसे स्वेता, तुम सब भी तो बिना गिफ्ट के आए हो, पार्टी तो पहले ले ली.." ऋतु ने बातों के बीच अपने ताने का जवाब दे दिया




"अया.. दा ऑर्डर ईज़ हियर.." श्वेता ने ऋतु की बात को इग्नोर किया और सामने से आ रहे वेटर को देख बोली




बर्तडे पार्टी देना हमारे वहाँ एक बड़ा ट्रेंड बन चुका था, बर्तडे है तो कोई भी गिफ्ट दे ना दे, लेकिन पार्टी सब लेते थे.. आज के बर्तडे की पार्टी तो मैं दे रहा था लेकिन मुझे छोड़ सब अपनी अपनी बातों में लगे हुए थे, सेंटर ऑफ अट्रॅक्षन बर्तडे बॉय नहीं था, यह पहली बार देख रहा था.. एनीवे, हम अपनी अपनी बातों में लगे हुए थे कि कुछ देर में माहॉल ठंडा हो गया.. ऋतु पिछले काफ़ी वक़्त से शांत बैठी थी और श्वेता भी बाकी सब से बातें कर रही थी, बीच बीच में उनको याद दिलाने के लिए कि इस पार्टी के पैसे मैं दे रहा हूँ, मैं भी ह्म्म्मं , ओके जैसे शब्द बोल लेता था.. करीब 10 मिनिट और हुए कि अजय ने इशारे से मुझे ऋतु को देखने को कहा.. मैने ऋतु को देखा तो उसकी आँखों में दुनिया के सबसे बड़े आँसू बाहर निकलने के लिए वेट कर रहे थे




"ऋतु.. आर यू फाइन.." मैने पानी का ग्लास जैसे ही आगे बढ़ाया वैसे ही दुनिया की सबसे बड़े सूनामी उस वक़्त जुहू में आ गयी, ऋतु की आँख से आँसू ऐसे बहने लगे जैसे दुनिया आज निपटने वाली है और भगवान ने कहा है, कि जो सबसे ज़्यादा और सबसे मोटे आँसू निकालेगा वो उसको बक्ष देंगे




"व्हाट हॅपंड... बेबी..." मैने मारे हुए दिल से कहा




"यू नो बेबी..." ऋतु ने टिश्यू पेपर लिया और अपने आँसू सॉफ करती हुई आगे बोली




"आइ डॉन'ट थिंक यू डिज़र्व आ गर्ल लाइक मी.. यू डिज़र्व मोर दॅन दट.." ऋतु ने फिर रोते रोते कहा और बाहर दौड़ के चली गयी..




"व्हाट डिड शी जस्ट से.." रिया ने खड़े होके कहा और श्वेता के साथ बाहर चली गयी उससे बात करने




"भाई.. चल देख तो.." पंकज ने अजय से कहा और दोनो बाहर चले गये




यह सही था, पार्टी मेरी, गर्लफ्रेंड मेरी, ऑर्डर दोस्तों ने दिया खाने का, बिल मैं भरूं, मेरी गर्ल फ्रेंड मुझे डंप कर रही है और देखने यह चूतिए लोग गये हैं.. सही है... सोचते सोचते मैं उठा और बाहर जाके देखा तो चारों लोग उससे बात कर रहे थे और कुछ समझा रहे थे, लेकिन वो कुछ कहने के बदले बस रोए जा रही थी
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07-03-2019, 04:53 PM,
RE: Antarvasna kahani वक्त का तमाशा
"यू नो, यू वर राइट, सन्नी डिज़र्व्स मच मोर दॅन यू.." रिया ने आवाज़ उँची करके कहा जब उसने मुझे वहाँ खड़ा पाया




"तेरी पार्टी के खर्चे मैं नहीं उठाने वाला अब.." मैने अंदर खुद से कहा और उसको एक स्माइल पास कर दी




"लीव मी अलोन आइ सेड..." ऋतु ने चिल्ला के कहा जिससे चारों लोग शांत हुए




"सन्नी.. आइ आम सॉरी..." ऋतु ने बस इतना ही कहा और बिना मेरा जवाब सुने वहाँ से चली गयी




"शी ईज़ सच आ बिच..." श्वेता ने कहा




"आइ नो..." ऋतु ने उसका साथ देते कहा




"भाई सॉरी यार, यह सब में पूरा मूड खराब हुआ तेरा और हमारा भी.." अजय ने ऐसे टोन में कहा जैसे कोई मर गया हो और मुझे बहुत दुख था




"इट'स ओके.. चलें, मैने बिल भर दिया है.." मैने वलेट को टोकन पकड़ाया और गाड़ी लाने को कहा




5 सो कॉल्ड दोस्त, जिनमे से मेरी एक्स गर्ल फ्रेंड भी थी, 5 लोगों में से किसी ने गले लगा के विश नहीं किया और पूछा हो.. सन्नी, आज कुछ कहना चाहते हो.. सब बेन्चोद पार्टी पार्टी, साला मेरे जनम में जैसे इनका सबसे बड़ा कॉंट्रिब्यूशन हो.. वैसे मेरे बर्तडे में जिनका सबसे ज़्यादा कॉंट्री था, वो भी तो कुछ ख़ास नहीं करते थे.. गिफ्ट तो दूर दूर तक की बात है, मेरी गर्लफ्रेंड जो अभी मेरी एक्स बन चुकी थी उसने मुझे आज के दिन पे ही डंप किया.. और वो भी क्यूँ, क्यूँ कि पिछली रात उसके घर पे कोई नहीं था और हम आराम से उसके घर पे वाइन पी रहे थे.. अब ज़रूरी तो नहीं कि वाइन पीने के बाद सेक्स करना ही पड़ता है, कभी कभी आदमी सुकून को भी महसूस करना चाहता है, कभी कभी दिल चाहता है कि बस दो लोग यूँ हाथ पकड़ के आँखे बंद कर एक दूसरे को महसूस करे, लेकिन नहीं, मेडम ने जब मुझे कहा तो मैने बहाना मार दिया कि आइ आम टाइयर्ड टुडे




"यू डॉन'ट फाइंड मी अट्रॅक्टिव अनीमोर नाउ.." पिछली रात ऋतु ने कहा




"नहीं ऋतु, नतिंग लाइक दट.." मैने उसे समझाना चाहा




"नहीं, ऐसी ही बात है, आज कल श्वेता से बहुत क्लोज़ हो रहे हो ना, हाउ विल यू टॉक टू मी नाउ, यही है ना" ऋतु मेरे उपर चढ़ने लगी




"हूऊओ... रिलॅक्स ऋतु.. बेब, टेक आ चिल पिल ओके.. कल मिलते हैं.." मैने घड़ी देख के कहा जिसमे अभी 12.30 हुए थे, मतलब मेरा बर्तडे का दिन आ चुका था, लेकिन मेडम तो अपनी भूख में इतनी खो गयी थी कि ध्यान ही नहीं रहा और मैं भी वहाँ से निकल आया





"बस कर भाई.. क्या गाड़ी दीवार के अंदर घुसाएगा.." अजय ने चिल्ला के कहा जिससे मुझे होश आया और अचानक ब्रेक मारी..




"फेववव... थॅंक गॉड, मेरे डॅड के प्यार का आक्सिडेंट नहीं हुआ.." मैने मन ही मन सोचा और अजय को देखने लगा




"तू ठीक है ना.." अजय ने कहा




"हां यार, क्यूँ क्या होगा अचानक.." मैने अंजान बनते हुए कहा




"नहीं वो ऋतु की वजह से शायद.." अजय कहते कहते चुप हो गया




"अरे, ना ना, ठीक है, शीत हॅपन्स.. तुम चलो, मैं निकलूं, कहीं पे काम है मुझे.." मैने झूठ कहा क्यूँ कि कुछ देर अकेला रहना चाहता था, प्राब्लम यह नहीं थी कि ऋतु ने छोड़ दिया, प्राब्लम यह थी कि जब जब मुझे वो सुनती थी मेरे दिल को अच्छा लगता था, अपने दिल की बातें उसे सुनाता था, लेकिन अब ऋतु नहीं है तो क्या करूँगा.. बस यह सोचने के लिए अकेला रहना था.. अजय, श्वेता रिया और पंकज के उतरते ही मैं घर की तरफ चला गया




"अब क्या करूँ.. किसको बोलूं.." सोचते सोचते मैने फोन निकाला और कॉंटॅक्ट लिस्ट स्क्रोल करने लगा.. 478 नंबर्स थे कॉंटॅक्ट लिस्ट में, लेकिन उनमे से एक भी ऐसा नहीं था जिसको मैं कभी भी कॉल करके बात कर सकूँ.. मन मारके लिफ्ट का बटन दबाया और फोन अंदर रख दिया




"करूँ क्या.. कोई तो हो यार, ऐसे अकेले अकेले अच्छा नहीं लगता.." हताश होके मैं खुद से ही लिफ्ट में बातें करने लगा और देखते ही देखते मेरा फ्लोर भी आ गया




"मोम..." मैने जैसे ही दरवाज़ा खोल के कहा सामने खड़े लोग देख कर मेरे होश उड़ गये और एक दम से दरवाज़ा वापस बंद कर लिया




"यह मेरा घर ही है ना.." मैने खुद से कहा और नंबर देखा




"हां.. 238, मेरा ही है.." मैने फिर खुद से कहा और अंदर धीरे धीरे दरवाज़ा खोल जाने लगा




"सन्नी.. कम हियर..." मोम ने मुझे डोर से बुलाया जो उस वक़्त अपनी फरन्डस पुशी और मिसेज़ गोस्वामी के साथ ड्रिंक पी रही थी




"काश यह पार्टी मोम डॅड ने सर्प्राइज़ रखी हो.. सर्प्राइज़ ही होगी, मेरे बर्तडे के अलावा आज कुछ अकॅशन भी तो नहीं है.." मैं मन में सोचने लगा और स्माइल करता हुआ मोम के पास चला गया




"मोम, यह पार्टी कैसी.." मैने खुश होते हुए पूछा




"यह तुम्हारे डॅड ने दी है बेटा.. कल कोई बहुत बड़ी डील मिली है इनकी कंपनी को, इसलिए.. पुशी, आज सन्नी का बर्तडे है विश करो, " मोम ने अपनी ड्रिंक पीते पीते कहा




"हाई... बाइ..." मैने पुशी से कहा और अपने रूम में जाके गेम खेलने लगा.. गेम खेलते खेलते कब नींद आ गयी पता ही नहीं चला, रात को करीब 10 बजे जब आँख खुली तो घर पे एक खामोशी सी थी.. बिल्कुल अंधेरा, लाइट जला के देखा तो घर पे कोई नहीं था..




"डॅड आंड मोम आउट अट आ डिन्नर.. प्लीज़ हीट दा फुड आंड हॅव इट.." मोम का एसएमएस देखा तो अपने लिए बाहर से खाना मंगवा के खाने लगा और सोचने लगा..




"मेरी ज़िंदगी का एक और दिन.. वैसे ही ख़तम हुआ जैसे रोज़ होता है..."





डाइयरी का पहला पन्ना पढ़ के ज्योति और शीना के दिल रुक से गये थे.. ज्योति ने फिर भी खुद को संभाला हुआ था, लेकिन शीना के दिल की धड़कनें रुकने का नाम नहीं ले रही थी... उन दोनो के मूह खुले के खुले रह गये थे, आँखों से आँसू बहने का नाम नहीं ले रहे थे... उन्हे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि कैसे रिएक्ट किया जाए..




"शीना, प्लीज़ काम डाउन.." ज्योति ने शीना को पानी पिलाते हुए कहा जब उसने देखा कि अचानक ही शीना की साँसें तेज़ चलने लगी थी




"ज..ज.... जयय्योत्त्तीी... ईईएहह ईएहह...." शीना आगे बोल नहीं पा रही थी और ज्योति उसे संभालने की कोशिश कर रही थी.. शीना 1 मंत प्रेग्नेंट थी इसलिए फिलहाल कोई बड़ी रिस्क नहीं थी, लेकिन शीना इतने मज़बूत दिल की नहीं थी, यह पढ़ के दिल के साथ दिमाग़ का भी काम करना बंद हो गया था




"शीना.... प्लीज़ रिलॅक्स डियर.. मैं समझ सकती हूँ, प्लीज़ रिलॅक्स... काम डाउन..." ज्योति ने फिर उसे अपने से गले लगाया और उसे संभालने की कोशिश पे ज़ोर लगा दिया




करीब 10 मिनट बाद शीना के दिल की धड़कन नॉर्मल सी होने लगी, ज्योति ने अपने नॅपकिन से शीना के सर पे आया पसीना पोंच्छा और एक बार फिर उसे पानी पिलाने लगी




"शीना... प्लीज़ रिलॅक्स, फिलहाल किसी कंक्लूषन पे नहीं पहुँचना.. मैं जानती हूँ तू क्या सोच रही है, लेकिन अभी के लिए जस्ट फोकस ऑन दिस.." ज्योति ने डाइयरी हाथ में लेके कहा जिसके जवाब में शीना ने सिर्फ़ हां में गर्दन हिलाई और अब तक आँखों के अंदर पनप रहे आँसू बाँध तोड़ के बहने लगे थे, लेकिन शीना फिर भी उनसे लड़ के खुद को संभालने में लगी हुई थी...

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07-03-2019, 04:55 PM,
RE: Antarvasna kahani वक्त का तमाशा
"ओह्ह्ह्ह..... मेरे भाई.... यू आर हियर...." फोन वाले ने सन्नी को अपने सामने देख चिल्ला के कहा और उसके पास आके उसे गले लगाने लगा




"आआहह....... उम्म्म्मममममम.." फोन वाला सन्नी से गले लगने लगा और उससे मिलके अपनी खुशी ज़ाहिर करने लगा




"आजा, तेरी फेव स्कॉच, फेव मीट और सिगरेट, सब रेडी है" फोन वाला सन्नी के कंधे पकड़ उसे अपने साथ आगे ले गया




"नहीं यार... स्कॉच मीट सिगरेट.. कुछ नहीं चाहिए आज..." सन्नी ने भुजे मन से कहा और सोफा पे जाके गर्दन झुका के बैठ गया




"शीना..." फोन वाले ने बस इतना ही कहा और सन्नी की आँखों में देखने लगा जिनमे से एक एक कर आँसू बह रहे थे




"रुक.." फोन वाले ने सन्नी को देख कहा और मोबाइल से ज्योति को एसएमएस किया




शीना और ज्योति अभी आगे पढ़ ही रही थी कि ज्योति के मोबाइल पे एसएमएस रिंग सुन, दोनो का ध्यान उस तरफ गया.. शीना तो अपने में ही खोई हुई थी, इसलिए ज्योति ने एसएमएस पढ़ा तो शीना ने कोई सवाल नहीं किया




"ईज़ शीना ओके..." ज्योति यह एसएमएस पढ़ के आग बाबूला हुई




"माइंड युवर ओन बिज़्नेस.." ज्योति ने बस इतना ही जवाब दिया




"दिस ईज़ माइ बिज़्नेस... जितना पूछ रहा हूँ जवाब दो, शीना ठीक है.."




"या शी ईज़ फाइन.. आंड वी वॉंट टू मीट यू... मैं तुमसे, और शीना इससे... जिसकी यह डाइयरी है... सन्नी, ऑर व्हाटेवेर"




"डाइयरी पढ़ लो, डाइयरी के बाद तुम्हे पता चलेगा कि यह सब क्या हुआ, कैसे हुआ.. लेकिन क्यूँ हुआ वो सब तुम्हे मुझसे ही पता चलेगा.. उसके लिए तो हम ज़रूर मिलेंगे, आंड शीना का ध्यान रखना, तुम्हे कुछ हो जाए मुझे चलेगा, लेकिन शीना को कुछ हुआ तो मैं सन्नी को दुखी नहीं देख पाउन्गा... बाइ.." फोन वाले ने आखरी जवाब दिया और फिर सन्नी के पास जाके बैठ गया




"शी ईज़ फाइन.." सन्नी ने रुआंसी से आवाज़ में पूछा




"यस.. शी ईज़.. आंड डॉन'ट वरी, जो भी होगा तेरी मर्ज़ी से होगा.. मैं सब कुछ कर सकता हूँ, लेकिन तुझे दुखी नहीं कर सकता.." फोन वाले ने सन्नी को अपने पास खींच के कहा




"यह ले... तेरे पेपर्स.. यह राजवीर की प्रॉपर्टी के, जो स्नेहा के नाम थे और यह अमर के, लेकिन राजवीर वाली प्रॉपर्टी का एक क्लॉज़ हटाने के लिए तुझे ज्योति के सिगनेचर्स भी लेने पड़ेंगे.. कर पाएगा.." सन्नी ने पानी की बॉटल पीके कहा




"मैं सन्नी थोड़ी हूँ जो शीना को देख कमज़ोर हो जाएगा मेरी जान... उन्हे डाइयरी पढ़ने दे, दारू नहीं, बियर तो पी, बियर तेरे लिए काफ़ी ज़रूरी है वैसे भी.. आजा.." फोन वाले ने फिर सन्नी से कहा और दोनो फिर अपनी बातों में लग गये..




"वैसे.. ज्योति को यही चेहरा दिखाएगा.." सन्नी ने सामने बैठे शक्स से पूछा




"ओह... अरे, नहीं... ना ना, उसकी तैयारी मैने कर ली है... मिस्टर टेलर..." उस शक्स ने थोड़ी आवाज़ उँची की तो कुछ देर बाद एक डॉक्टर आया और उसके साथ दो तीन लोग दूसरे थे




"आआहह.. मिस्टर टेलर.. हाउ हॅव यू बीन.." उस बंदे ने टेलर से हाथ मिला के कहा




"वेरी वेल.. स्पेशली आफ्टर रिसीविंग आ स्चेक ऑफ 10 लॅक पाउंड्स फ्रॉम यू गाइस येस्टरडे, आइ हॅव स्टार्टेड फीलिंग मच यंगर नाउ.. थिंकिंग टू गेट मॅरीड अगेन हाँ..." टेलर ने ठहाका मार के जवाब दिया और उससे हाथ मिलाने लगा




"फर्स्ट थिंग्स फर्स्ट मिस्टर टेलर.. नाउ प्लीज़ गिव अस बॅक और ओन आइडेंटिटी, विल यू.."




"ओह ऑफ कोर्स.. सो वी माइट टेक सम 20 अवर्स फॉर दिस ट्रीटमेंट.. व्हेन डू यू वान्ट टू गेट स्टार्टेड, आइ हॅव ऑल माइ सेट अप रेडी वित माइ मोस्ट इंटेलिजेंट टीम" टेलर ने टिपिकल अँग्रेज़ अंदाज़ में कहा



"मिस्टर टेलर.. उः, माइ फ्रेंड माइट नीड दिस फेस फॉर सम लोंग आइ गेस, बट यू कॅन प्लीज़ स्टार्ट वित मी..लेम्मे फिनिश माइ बियर आंड आइ विल जाय्न यू गाइस.. टिल देन यू ऑल्सो हॅव युवर फुड, बियर.." उस ने टेलर से कहा और फिर सन्नी के पास आके बैठ गया




"तुझे कब अपनी शकल ठीक करवानी है, बता दे मुझे.." उस शक्स ने फिर सन्नी का ग्लास भरते हुए कहा




"पता नही, तेरा काम तो हो जाए पहले, डाइयरी ख़तम होने के बाद मैं शीना से बात करूँगा पहले, फिर देखेंगे.." सन्नी ने इस बार थोड़ी नॉर्मल आवाज़ में कहा



,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,इधर

"किसका एसएमएस था.." शीना ने ज्योति से पूछा और डाइयरी बंद करके अपने सीने से लगाने लगी




"मेरी फरन्ड का था मेरी जान, वैसे तू श्योर है, तू आगे पढ़ना चाहती है.." ज्योति ने शीना को जवाब दिया और उसकी आँखों में देख उसके जवाब का वेट करने लगी... शीना खामोश थी, लेकिन उसकी आँखें चीख चीख के जवाब दे रही थी और उसके दिल की उत्सुकता को बयान कर रही थी




"शीना..प्लीज़ होल्ड इट टाइट ओके..." ज्योति ने शीना के हाथ थाम कहा और एक लंबी साँस छोड़ के उससे डाइयरी ली आगे पढ़ने लगी



"हे सन्नी... एग्ज़ॅम्स के नोट्स चाहिए कि नहीं..." पीछे से अजय ने मुझे रोकते हुए कहा




"नहीं यार, आइ हॅव ना, मैं वो रेफर कर लूँगा.." मैने उसे जवाब दिया और हम दोनो कॅंपस के ग्राउंड पे आ गये




"तेरे पास नोट्स कब आए भाई.. तू क्लासस भी जाता है"




"अबे बुक्स तो हैं, वो देख लूँगा, और 50% लेक्चर्स तो शायद अटेंड किए थे, 50.. या 40.. पता नहीं, कितने भी, उनमे से देख लूँगा, चिंता कैसी इसमे" मैने अजय को जवाब दिया और ग्राउंड पे जाके अपनी टीम का इंतेज़ार करने लगा




"भाई मार्क्स तो चाहिए, लास्ट एअर भी तेरे सिर्फ़ 45 % थे.. कोई कुछ कहता नहीं है क्या.." अजय भी मेरे साथ बैठ गया




"भाई कोई रिज़ल्ट देखेगा तो कहेगा.. आंड छोड़ ना, मार्क्स पे नहीं, फिलहाल मुझे गेम पे ध्यान देने दे.. कल मॅच है, इसलिए प्रॅक्टीस करनी है अच्छे से.." मैने फिर अजय को जवाब दिया और सामने से टीम को आते देख चेन की साँस ली, नहीं तो अजय अपने सवालों से मेरी जान ही ले रहा था..




"हाई गाइस..." मैने सामने से आते सब को कहा और बारी बारी सबसे मिलने लगा




"भाई, कल की मॅच जीतनी ही है, तू अपनी पोज़िशन पिक कर , जो भी तू कहे पर कल जीत चाहिए मतलब चाहिए.." रॉनी ने मेरे कंधे झींझोड़ते हुए कहा...
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