Antarvasna kahani वक्त का तमाशा
07-03-2019, 04:48 PM,
RE: Antarvasna kahani वक्त का तमाशा
"हां..क्या, सॉरी... आइ वाज़ जस्ट.." ज्योति ने अपने सर पे हाथ रख के कहा




"आइ नो.. यू हॅव आ सीट.." रिकी ने उसे बीच में टोकते हुए कहा




"आओ, बहना.. बैठो..." शीना ने हँस के कहा, लेकिन इससे जब रिकी और ज्योति को स्माइल नहीं आई, तो वो स्थिति को समझी और खामोश रही




"अब बताओ..व्हाट'स रॉंग.." रिकी ने ज्योति को शीना के पास बिठा के कहा और खुद भी नीचे बैठ गया




"भैया.. आक्च्युयली.." ज्योति असमंजस में थी कि वो रिकी को स्नेहा के बारे में बताए कि नहीं, लेकिन अब जब रिकी ने समझ लिया था तो उसके पास कोई ऑप्षन नहीं था




"हां.... आक्च्युयली... फिर आगे.." रिकी ने सीरीयस टोन में कहा




"अभी मैं स्नेहा भाभी के रूम में थी और वो...." ज्योति ने उन दोनो को सब बताया जो उसने देखा




"तो इसमे तुम क्यूँ परेशान हो रही हो..." रिकी ने हल्के से हँस के कहा, लेकिन वो भी जानना चाहता था कि अचानक स्नेहा को ऐसा क्या हुआ




"भैया, वो बस ऐसे ही...."




"अरे यार, इतनी छोटी बात में परेशानी ना ले, और ना दे... वो देख लेगी खुद... अब चलो खाने, आम वेरी हंग्री.. कितने दिनो का क्लियर सूप पिया, आज जाके अपना फेव खाना खाउन्गी.. चलो अब, जल्दी से.." शीना ने ज्योति का हाथ पकड़ा और उसे बाहर ले जाने लगी...




"अब आप चलोगे कि नहीं.." शीना ने गेट पे रुक रिकी से पूछा




"मूव अहेड.. मैं फ्रेश होके आता हूँ..."




"ओके..कम सून, चलो बहना मेरी... तू भी ना.." शीना ज्योति से बतियाते बतियाते नीचे जाने लगी..




"हेलो..." रिकी ने फोन घुमा के कहा




"मैं जानता हूँ स्नेहा रो रही थी..उसका कारण यह है..." सामने से जवाब मिला और बताने लगा...




"हेलो डॅड...हेलो पीपल...." शीना ने टेबल पे पहुँच के कहा और सब से मुस्कुराने लगी..




"ओह हो... आज बड़ी खुश लग रही हो बच्ची... सदा मुस्कुराती रहो.." अमर ने शीना को गले लगाते हुए कहा




"रिकी कहाँ है शीना.." सुहसनी ने शीना से पूछा ही था कि सामने से रिकी आता दिखा..




"लो.. शैतान जी आ गये... ऐसे धीरे धीरे ना चलो और जल्दी आओ.. खाना खिलाओ, आइ विल हॅव ऑल थिंग्स टुडे..हिहिहह" शीना ने हँस के कहा और सब आपस में बातें करने लगे...





ज्योति अभी भी परेशान थी, लेकिन वो अपनी मुस्कुराहट के तले अपनी चिंता दबाने की कोशिश कर रही थी.. रिकी भी काफ़ी हैरानी में था फोन पे बातें सुन, लेकिन अपने एमोशन्स को दबाना उसे काफ़ी अच्छे से आता था इसलिए वो शीना की बातों में उसका साथ बखूबी दे रहा था.. अमर के चेहरे पे, उसके ज़हेन में भी एक तनाव उमड़ रहा था, लेकिन उसका क्या कारण है कोई नहीं जानता... स्नेहा की परेशानी प्रेम की वजह से थी लेकिन टेबल पे काफ़ी खामोश बैठी थी, किसी से कोई बात नहीं, किसी से आँखें मिलाना नहीं.. सुहसनी और राजवीर आँखों ही आँखों में सबसे छुपते छुपाते इशारे बाज़ी कर रहे थे..




"इस अड्रेस पे ले लो जल्दी.." ज्योति ने टॅक्सी में बैठ ड्राइवर से कहा... खाना खाने के बाद सब लोग अपने अपने कमरे में सोने चले गये. लेकिन ज्योति कुछ ही देर में अंधेरा बढ़ते के साथ घर से बाहर आई और बाहर आके हाइयर्ड कॅब में बैठ के कहीं जाने लगी..




"आइ वॉंट टू गो ऑन आ ड्राइव.." शीना ने रिकी के कमरे में घुसते हुए कहा... रिकी बेड पे लेटे लेटे कुछ सोच रहा था तभी शीना अंदर आ गयी और उसका ध्यान टूटा..




"नाउ..." रिकी ने आँखें बड़ी कर पूछा




"यस.. आज, अभी.. आम वेटिंग.. कम ऑन.." शीना हुकुम देके कमरे से बाहर चली गयी.. रिकी ने गाड़ी की चाबी ली और दबे पावं नीचे जाके गॅरेज के पास पहुँचा..




"इधर क्यूँ खड़ी हो.. गाड़ी वहाँ है.." रिकी ने शीना के पीछे चिपक के कहा




"व्हाट..."




"यू ड्राइव युवर न्यू कार स्वीटहार्ट.. क्या मॉडेल है.. लॅमबर्गीनी.."




"लॅमबर्गीनी अस्टेरीओं कॉन्सेप्ट .. वन ऑफ दा ओन्ली फ्यू पीसस अवेयलाबल इन इंडिया..0-100 इन 5 सेकेंड्स.." शीना ने शॉक में आके कहा




"यस.. यही.. यू ड्राइव, आंड दिस बिलॉंग्स टू यू..." रिकी ने शीना को चाबी देते हुए कहा




"यू कॅन'ट बी,...."




"आइ कॅन बी.. इन फॅक्ट आइ आम सीरीयस... चलो ड्राइव करो.. आंड आराम नाल ओके..." रिकी ने शीना का माथा चूमते हुए कहा और गाड़ी की तरफ बढ़ गया..




"ईईईईईईईई...." शीना खुशी में चिल्लाई और जल्दी से जाके ड्राइवर सीट पे बैठ गयी




"सीट बेल्ट बांधो.. हम उड़ने वाले हैं... वववूओूऊऊ.." शीना ने रिकी से कहा और गाड़ी स्टार्ट करके घर से बाहर ले गयी..




"शीना.. गो स्लॉववव...." रिकी ने घबरा के कहा




"आइ आम फ्लईईंगगगग......" शीना ने फिर चिल्ला के कहा और गाड़ी की स्पीड बढ़ा के वॉरली सी लिंक की तरफ निकल ली..
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07-03-2019, 04:48 PM,
RE: Antarvasna kahani वक्त का तमाशा
सांताक्रूज़ से बांद्रा, बांद्रा से वॉरली सी लिंक... शीना फुल स्पीड में गाड़ी चलाए जा रही थी और चिल्ला चिल्ला के अपनी खुशी का इज़हार करे जा रही थी..




"एक मिनिट.." अचानक शीना ने खुद से कहा और तेज़ी से ब्रेक मार दी जिससे गाड़ी स्किड होने लगी.. गनीमत थी कि रोड खाली होने की वजह से कोई हादसा नहीं हुआ




"डॉन'ट शाउट.. रोड खाली है, बट यू टेल मी.. आप रात के 1 बजे तक क्यूँ जाग रहे थे.." शीना ने चौंक के कहा


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"इधर आओ जल्दी...कोई देख लेगा.." ज्योति ने बन्नी का हाथ पकड़ा और दरवाज़ा लॉक कर दिया..




"मॅम, इतनी रात को..अचानक ऐसे.." बन्नी ने ज्योति से पूछा




"नो रॉंग थॉट्स ओके.. चलो दिखाओ क्या बनाया है.." दरवाज़ा बंद करके ज्योति ने बन्नी का हाथ छोड़ा और उपर सीडीया चढ़ने लगी.. बन्नी ने भी कुछ नही कहा और उसके पीछे चलने लगा..




"यह..यह देखिए मॅम.." बन्नी ने एक रूम में जाते हुए ज्योति को दिखाया




"यह रूम के इस साइड... यहाँ चार बटन हैं.. यह बटन आपको पता है तभी दिख रहे हैं, नहीं तो किसी को दिखे भी नहीं.. आप जैसे ही इस बटन को प्रेस करोगी, तो नीचे की वुडन फ्लोरिंग जो है वो खुल जाएगी.. अगर आप यहीं खड़े रहते हैं, तो बटन आपके हाथ में रिमोट कंट्रोल्ड भी हो सकता है.." बन्नी ने उसे रिमोट हाथ में पकड़ते हुए कहा




"और अगर मैं यहीं खड़ी होके रिमोट प्रेस करूँ, तो मेरे नीचे की ज़मीन खिसक जाएगी और मैं नीचे गिर जाउन्गी.." ज्योति ने बन्नी से पूछा




"यस.. और इस्पे कोई भी खड़ा रहे, कोई वेट नहीं पड़ेगा, आपको ऐसा लगेगा कि अगर कोई भारी इंसान खड़ा हो तो क्या फ्लोरिंग ओपन नहीं होगी.. जी बिल्कुल ऐसा नहीं है, 200 किलो के वेट तक को आराम से नीचे धकेला जा सकता है ऐसे.. आप ट्राइ कर सकती हैं.." बन्नी ने फिर उसे जवाब दिया




"और नीचे गिर के जाउन्गी कहाँ.." ज्योति ने रिमोट के बटन को दबा के कहा और जैसे ही बटन प्रेस हुआ
ज्योति के नीचे की फ्लोरिंग खुली और एक सेकेंड में ज्योति नीचे जाके गिरी...





"ओउक्च्छ..... फक...." ज्योति जैसे ही नीचे गिरी, खुद को एक अंधेरे कमरे में पाया जहाँ काफ़ी पुराना समान पड़ा था...





"व्हेयर दा फक आम आइ.." ज्योति ने ज़मीन से उठ के कहा और खुद को सॉफ करके लाइट का बटन ढूँढने लगी...





"आप स्टोर रूम में हैं मॅम.." बन्नी ने बत्ती जला के कहा
जिससे एक पल के लिए ज्योति चौंक गयी..




"फक यू... पहले बताते ना कि इतना समान है नीचे.. एनीवेस.. यहाँ से बाहर जाने का रास्ता बनाओ एक, एक गेट बनाओ छोटा या बड़ा जैसा तुमको लगे, जो सीधे घर के पीछे की सड़क पे निकले समझे.. और यह कचरा भी सॉफ करवा दो..." ज्योति ने फिर खुद को सॉफ करके कहा




"मज़दूर समझा है क्या... दरवाज़ा बना दूँगा, बट यह सफाई वफ़ाई खुद करवा लो.. और हां, जो काम आपने दिया था वो पूरा हुआ है, अभी मुझे मेरे पैसे चाहिए.. एक तो पहले ही कडकी है, उपर से आप के नखरे अलग.." बन्नी ने उंगली दिखा के कहा




"हां जानती हूँ.. यह लो, जैसे तय हुए थे.. दिस ईज़ फुल न फाइनल पेमेंट.. इसमे दरवाज़े का भी आ गया सब ओके.. कब ख़तम करोगे वो काम पहले बताओ." ज्योति ने पैसे आगे बढ़ा कर कहा





"20 दिन..." बन्नी ने पैसे लेके कहा

"यह रात का वक़्त ही है जब मैं अपने दिल की बातें सुन सकता हूँ, जब मैं खुद से बातें कर सकता हूँ, दिन भर इस भीड़ में हम खुद को भी खो देते हैं, यह रात का वक़्त ही है जब मैं खुद को पाता हूँ.. ध्यान से देखो इस अंधेरे आसमान को, यह छोटे चमकते सितारे तुम्हे एहसास दिलाएँगे, जैसे दिन की रोशनी में यह छिप जाते हैं, वैसे ही दिन की रोशनी में हम भी इस शहेर के शोर में छिप जाते हैं.. यह रात की शांति ही है जो हमें खुद से मिलाती है.." रिकी शीना से उपर आसमान की तरफ देखते देखते बातें कर रहा था जब दोनो रात के 2 बजे सीलिंक के साइड में गाड़ी रोक कर खड़े थे.. शीना रिकी की बातों को ध्यान से सुन रही थी और उसे सिर्फ़ समझने की नहीं, बल्कि उसके हर शब्द को महसूस करने की कोशिश कर रही थी, तभी तो रिकी की बातें सुनते सुनते उसकी आँखें बंद हुई थी और उस वक़्त चल रही हल्की सी ठंडी हवा को महसूस करके काफ़ी खुशनुमा महसूस कर रही थी.. जब रिकी ने अपनी नज़रें शीना की तरफ की तो उसने देखा के शीना की आँखें बंद, बाहें खुली थी और वो उस वक़्त को, उस माहॉल को और उसके शब्दों को खुद महसूस करना चाहती थी.. रिकी बस शीना को एक तक देखता जाता और मंद मंद मुस्कुराता...




"उम्म्म्मममम....... " शीना ने एक लंबी साँस ली और मुस्कुरा के अपनी आँखें खोल के देखा तो सामने रिकी का मुस्कुराता चेहरा पाया




"यू नो...आप जादूगर हो गये हो.... " शीना ने रिकी से कहा और फिर सामने समंदर की ओर देखने लगी




"आपकी बातें, आपकी यह आँखें जो बस हमेशा बोलती रहती है.. एक अजीब से कशिश है इनमे, आज तक ऐसा कभी महसूस नहीं हुआ मुझे, आप बातें कर रहे थे और महसूस मैं कर रही थी आप के शब्दों को.. अगर यह जादू नहीं तो और क्या है.." शीना कह तो रिकी से रही थी लेकिन उसकी नज़रें ठीक सामने समंदर की लहरों पे थी जो इस वक़्त काफ़ी शांत थी




"एक और जादू देखना चाहोगी मेरा.." रिकी ने शीना के थोड़ा करीब जाते हुए कहा जिसके जवाब में शीना ने सिर्फ़ अपनी गर्दन हां में हिला दी




"गाड़ी में बैठो, मैं चलाता हूँ और जब तक मैं ना कहूँ, तब तक आँखें बंद रखोगी.. ओके ?" रिकी ने शीना के हाथों को अपने हाथ में थामते हुए कहा




"ह्म्म्मं..." शीना ने फिर सिर्फ़ इतना कहा और रिकी के साथ गाड़ी में जाके बैठ गयी




"डॉन'ट ओपन युवर आइज़ ओके..." रिकी ने फिर शीना से आश्वासन लिया और गाड़ी स्टार्ट करके सीधा कहीं चलने लगा.. शीना काफ़ी एग्ज़ाइटेड थी यह देखने के लिए के रिकी कहाँ ले जा रहा है इसलिए आँखें बंद होने के बावजूद भी उसके चेहरे पे मुस्कान काफ़ी बड़ी और गहरी थी.. रिकी कभी गाड़ी चलाते सीधा देखता तो कभी एक नज़र शीना के मुस्कुराते चेहरे पे मार देता और उसे मुस्कुराता देख वो खुद भी काफ़ी खुश होता..




"और कितनी देर..." शीना ने आँखें बंद रख ही पूछा




"बस बस... वी आर हियर, बाकी बस 20 सेकेंड्स.. यू स्टे काम आंड आइज़ क्लोस्ड.." रिकी ने शीना को जवाब दिया और फिर गाड़ी हल्की सी तेज़ कर दी




कुछ ही देर में जब गाड़ी की ब्रेक लगी तब शीना फिर बोली




"आर वी देयर... अब आँखें खोलूं.." शीना काफ़ी एग्ज़ाइटेड थी इस पल के लिए




"यस...स्लोली स्लोली ओके.." रिकी ने उसके कान के पास जाके कहा
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07-03-2019, 04:48 PM,
RE: Antarvasna kahani वक्त का तमाशा
रिकी के कहे मुताबिक शीना ने धीरे धीरे अपनी आँखें खोली और सामने का नज़ारा देख उसके चेहरे की मुस्कान गायब और चेहरे पे गुस्से के भाव आने लगे..




"ईज़ दिस..."




"यस.. रात के 2 बजे गये हैं, मुझे नहीं सोना बट तुम्हे तो सोना है ना.. इसलिए घर से अच्छी जगह क्या होगी इस वक़्त.." रिकी अपनी हँसी दबा के शीना को जवाब देने लगा




"आइ... आइ..... आइ जस्ट.. हेट यू ओके..." शीना ने निराश होके कहा और गाड़ी के दरवाज़े को पटक के अंदर जाने लगी..




"हाहहहहा.... शीना... स्लीप वेल ओके.. हाहहहाअ.." रिकी उसे जाते हुए देखने लगा और खुद भी गाड़ी पार्क करके अपने कमरे की तरफ चला गया




उधर शीना अपने कमरे में जाके अभी फ्रेश होने जा ही रही थी कि दरवाज़े पे दस्तक सुन एक पल के लिए तो झटका खा गयी, लेकिन फिर अगले ही पल ख़याल आया कि शायद रिकी ही हो सकता है.. इसलिए उस वक़्त जिस हालत में थी वैसे ही दरवाज़ा खोलने चली गयी..




"यस..." शीना ने आधा दरवाज़ा खोल देखा तो सामने रिकी ही खड़ा था




"मतलब.." रिकी को जब अंदर आने का रास्ता नही मिला तो वो भी थोड़ा सा हैरान हुआ




"वो क्या है ना, आइ वॉंट टू स्लीप वेल.. इसलिए मुझे कोई डिस्टर्बेन्स नहीं चाहिए.." शीना ने हँस कर कहा




"अच्छा... पर मैं तो यहाँ.." रिकी ने इतना ही कहा कि शीना ने उसे अंदर खींच के दरवाज़ा बंद कर दिया.. अंदर आते ही रिकी ने शीना को जिस हालत में देखा, वो बस देखता ही रह गया.. शीना केवल ब्रा पैंटी में खड़ी उस वक़्त किसी बाला से कम नहीं लग रही थी.. सफेद दूधिया जिस्म पे उसके लंबे घने बाल जो खुले हुए थे और लातें चेहरे पे बिखर रही थी, ब्लॅक सॅटिन लेसी ब्रा पैंटी में शीना का यौवन अपने पूरे उफ्फान पे था जिसे देख कोई भी वासना के सागर में गोते खाने लगे




"ऐसे क्या देख रहे हैं.." शीना ने रिकी की नज़रों का पीछा करते हुए कहा जो अभी उसके चुचों पे ही जमी हुई थी... रिकी ने शीना की बात का कोई जवाब नहीं दिया और एक एक कदम बढ़ के उसके नज़दीक आता रहा.. रिकी के हर बढ़ते कदम के साथ शीना के दिल की धड़कनें भी बढ़ती, यह पहली बार नहीं था इन दोनो के बीच, लेकिन जब से शीना का आक्सिडेंट हुआ था तब से लेके अब तक यह दोनो जिस्मानी तौर पे नज़दीक नहीं आए थे.. रिकी जैसे ही शीना के करीब आया, दोनो के हाथ एक दूसरे के जिस्म पे कस गये और एक दूसरे को अपने अंदर समाने लगे.. दोनो के हाथ उपर से लेके नीचे तक घूमने लगे और एक दूसरे के बदन के नशे में डूबने को तैयार होने लगे.. दोनो के होंठ करीब आते ही दोनो को अपने जिस्म की गर्माहट का एहसास हुआ, तपते बदन और गरम साँसें यह बता रही थी के दोनो को एक दूसरे की, एक दूसरे के जिस्म की उस वक़्त कितनी ज़रूरत थी... रिकी का एक हाथ इस वक़्त शीना की कमर में था और दूसरा होल होल से उसके चुतड़ों को सहलाने में व्यस्त था, जब की शीना के दोनो हाथ रिकी की कमर में थे जो काफ़ी तेज़ी से घूम रहे थे जिससे ऐसा अंदाज़ा लगाया जा सकता था कि शीना इस पल का काफ़ी बेसब्री से इंतेज़ार कर रही थी




"उम्म्म्मम......" शीना ने आँखें बंद कर एक मस्त सी सिसकी छोड़ी जब उसे एहसास हुआ कि उसके आधे नंगे चुतड़ों को रिकी ने हल्के से अपने मज़बूत हाथों में दबोचा हुआ है... बिना ज़्यादा कुछ कहे या करे, रिकी ने शीना को अपनी गोद में उठाया और सामने पड़े बिस्तर पे लेटा दिया.. बिस्तर पे गिरते ही शीना के दोनो हाथ बिस्तर के कोनो में गये और चद्दर को पकड़ने लगी.. बंद आँखें, तेज़ चलती साँसें जिससे उसके चुचे उपर नीचे हो रहे थे, ऐसा नज़ारा देख रिकी के अंदर भी हलचल शुरू हो गयी और उसकी जीन्स में से ही उसका खड़ा लंड देखा जा सकता था.. दो कदम आगे बढ़ के रिकी ने अपनी शर्ट उतार फेंकी और शीना के उपर हल्के से चढ़ के अपनी गरम साँसें उसके शरीर पे छोड़ने लगा..





"उफफफ्फ़..फ.... भाईईईइइम्म्म......" शीना रिकी की गरम साँसें और उसे अपने उपर महसूस कर बहेकने लगी.. रिकी ने ज़्यादा वक़्त ना गँवाते हुए अपने होंठ उसके होंठों के करीब ले गया और धीरे धीरे उसके होंठों के रस का स्वाद चखने लगा..



"उम्म्म्मममम.....भाइियाई उम्म्म्मममम.. मेक लव टू मी प्लस्सस......उम्म्म्ममम..." शीना ने होंठ चूमते हुए रिकी से कहा और अगले ही पल अपने होंठ उससे अलग कर उसकी आँखों में गहराई से झाँकने लगी... दोनो के बीच अब बस एक खामोशी ही थी.. जहाँ शीना अपनी आँखों से पूछे गये सवाल के जवाब की खोज में खामोश थी, वहीं रिकी की आँखें कुछ अलग ही बयान कर रही थी..




"इट'स वेरी लेट शीना... टेक केर.." रिकी की गरम साँसों के बीच से बहते यह ठंडे शब्द, शीना के दिल में एक टीस सी उठी यह सुन, जब तक वो कुछ कहती तब तक रिकी उसके मस्तक पे चूम कमरे से बाहर निकल चुका था




"व्हाट'स रॉंग..." शीना ने खुद से सवाल पूछा और फिर कमरे के दरवाज़े की तरफ देखती रही जब तक वो बंद नहीं हो चुका था..






"क्या हुआ..." रिकी ने फोन उठाते कहा




"क्या कहूँ.. तू बस आशिक़ बन गया है"




"ह्म्म्मू...." रिकी ने अपने बिस्तर पे बैठते हुए कहा




"सिर्फ़ ह्म्म्म्म ... या और कुछ भी कहना है तुझे.." सामने से फिर एक बिना भाव सी आवाज़ आई




"शीना के साथ मैं कुछ भी मजबूरी में नहीं कर सकता.. फिर चाहे वो हमारा जिस्मानी तौर पे नज़दीक आना हो या कुछ और भी.." रिकी की आवाज़ में एक तड़प थी जब वो यह कह रहा था




"इसलिए तो कहा तुझे, तू आशिक़ बन रहा है... लेकिन इस चक्कर में काम भी तो नहीं हो पाएगा ना.. तब क्या जवाब देगा तू जब हमारा आमना सामना होगा.." सामने से फिर वैसे ही अंदाज़ में जवाब मिला




"तू मुझसे सवाल पूछेगा अब.." रिकी अब नॉर्मल आवाज़ में जवाब देने लगा




"देख तू बात को समझ अब, प्यार से बात कर रहा हूँ इसका यह मतलब नहीं कि तुम अपनी मर्ज़ी से करे सब कुछ.. तू.."




"यह प्लान मेरा ही है... भूल मत मैं ही इस प्लान को बनाने वाला हूँ, तेरी मंज़िल के करीब मैं ही तुझे ले जा रहा हूँ.. और अब तू मुझसे.. मुझसे सवाल पूछेगा.." रिकी ने उसे टोकते हुए उँची आवाज़ में कहा




"आ गयी ना एक लड़की तेरे और मेरे बीच.. यही चीज़ मैने तुझे समझाई थी, लेकिन नहीं माना तू.."




"शीना से प्यार करने लगा हूँ मैं.." रिकी ने रुआंदी सी आवाज़ में कहा




"भैन..... के भाई... " सामने वाले ने अपना सर पटकते हुए जवाब दिया..




"यार, क्या बोल रहा है... तccछ, चल ठीक है.. अपने हिसाब से हॅंडल कर.. तेरी शीना को.."




"पर हां, फोन रखने से पहले सुन, इसका मतलब यह नहीं कि वो अंत में ज़िंदा रहेगी..." इतना कहके सामने वाले ने फोन कट कर दिया बिना रिकी की बात सुने
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07-03-2019, 04:48 PM,
RE: Antarvasna kahani वक्त का तमाशा
"शीना.... शीना....." ज्योति ने शीना के कमरे में अंदर आके धीरे से आवाज़ लगाई, लेकिन शीना की तरफ से कुछ भी जवाब ना पाकर, ज्योति मूड के वापस जाने लगी..




"अब वापस क्यूँ जा रही है.." शीना का जवाब सुन ज्योति पीछे देख मुस्कुराइ और दरवाज़ा बंद कर दिया..




"तूने कोई जवाब नहीं दिया इसलिए, " ज्योति ने आगे आके कहा और शीना के कंबल में घुस गयी सोने के लिए




"अकेले क्यूँ नहीं सो रही, यहाँ क्यूँ आई.." शीना ने रूखी सी आवाज़ में ज्योति से पूछा




"अकेले नींद नहीं आ रही थी, इसलिए सोचा तेरे पास आ जाउ, बातें करते करते सो जाएँगे" ज्योति ने जवाब दिया




"ओह्ह्ह्ह... तो तू इस हालत में क्यूँ.." ज्योति ने फिर शीना से पूछा जब उसे एहसास हुआ कि शीना ने सिर्फ़ ब्रा पैंटी पहेन रखी थी




"ऐसे ही.. वैसे तुझे नींद क्यूँ नही आ रही, बड़ी अजीब बात है.. आज कल सब को नींद नहीं आ रही.." शीना ने फिर रूठी हुई आवाज़ में ज्योति से कहा




"सब से तेरा क्या मतलब है जानेमन.. कुछ छुपा रही है क्या मुझसे.." ज्योति ने फिर एक चहकी हुई आवाज़ में जवाब दिया




"नहीं, छुपाउंगी क्यूँ.. अभी थोड़ी देर पहले भाई आए थे, उन्हे भी नींद नहीं आ रही थी, तभी पूछा.." शीना को जवाब देके एहसास हुआ के वो क्या कह गयी




"अक्चाअ... तभी तू इस हाल में है हाँ.. " ज्योति ने खिलखिला के शीना की ओर देखा




"तब से इसी हाल में हूँ.. आगे ज़्यादा ना पूछना" शीना करवट बदल के दूसरी तरफ देखने लगी..




"ओह्ह्ह मेरी जानेमन, ऐसे नाराज़ क्यूँ होती है.. समझ गयी मैं तेरी बात को, बट कभी कभी ऐसा होता है.. यू नो, कभी कभी अंदर से ही वो फील नहीं आता, इसमे रूठने जैसा तो कुछ नहीं है शीना.." ज्योति उसे समझाने लगी और उसे अपनी तरफ पलटा दिया




"ज्योति.. आक्सिडेंट के बाद, मेरी बॉडी अच्छी नहीं है क्या, क्या मैं अब अट्रॅक्टिव नहीं दिखती जैसे आक्सिडेंट के पहले थी.." शीना ने फिर दुखी मन से सवाल पूछा




"नहीं डियर, ऐसा बिल्कुल नहीं है.. क्यूँ बार बार ऐसा सोच रही है..." ज्योति ने फिर उसके सर पे हाथ फेरते हुए कहा




"तो फिर क्यूँ भाई ने आधे में ही...." शीना कहते कहते चुप हो गयी




"आधे में ही... क्या, बोल पूरी बात" ज्योति ने आँखें दिखा के कहा




"भाई पहले रूम में आए और फिर ही किस्ड मी.. फिर व्हेन आइ आस्क्ड हिम.." शीना फिर कहते कहते चुप हो गयी और अपना चेहरा नीचे झुका लिया




"उम्म्म, बोल ना मेरी जानेमन.. पूरी बात सुना.." ज्योति ने उसके सर को उँचा कर कहा और आँख मार दी


"उम्म्म, बोल ना मेरी जानेमन.. पूरी बात सुना.." ज्योति ने शीना के सर को उँचा कर कहा और आँख मार दी




"क्या बोलूं.. कहा ना आधे में छोड़ के चले गये भाई.. मुझे अब तक समझ नहीं आ रहा ऐसा क्यूँ किया.." शीना ने चेहरा उदास करके जवाब दिया




"आधे में.. क्या, प्यासा छोड़ गये क्या तुझे तेरे ख़सम.. हिहिहीही.." ज्योति ने मज़ाकिया अंदाज़ में कहा, लेकिन शीना ने उसकी बात पे बिल्कुल रिएक्ट नहीं किया और चेहरे को उदास ही रखा




"अच्छा, चल ठीक है नहीं मस्ती करती अब.. हॅपी..माफ़ कर दे अब.." ज्योति ने कान पकड़ के कहा




"अरे ठीक है यार, मैने कहाँ कुछ कहा तुझे इस बारे में.. मैं तो बस यह सोच रही हूँ, देख.. सीधा बोलती हूँ ओके.. मैने उनसे कहा आज, तो मेक लव टू मी और इतने दिन हो गये हम दोनो को फिज़िकली करीब आए हुए, तो ऐसे कैसे आधे में छोड़ सकता है कोई, आइ मीन या तो मैं अब उनको अट्रॅक्टिव नहीं लगती या तो.." शीना फिर आधे में रुकी और कुछ सोचने लगी




"हेल्लूओ... जो तू सोच रही है, वैसा कुछ नहीं है.. इतना ट्रस्ट तो है ना तुझे उनपे, फिर क्यूँ इतनी चिंता कर रही है.. हो सकता है ही ईज़ एमोशनली ड्रेंड आउट, कभी कभी आपके दिमाग़ में इतने एमोशन्स एक साथ आ जाते हैं या इतनी चीज़ें होती हैं आसपास, के आपका दिमाग़ किसी चीज़ पे अटका हुआ होता है तो आपकी बॉडी और दिमाग़ साथ नहीं रहते, आम शुवर रिकी भैया के साथ भी वोही है.." ज्योति ने शीना को अच्छे से समझाने की कोशिश की




"मतलब.. डीटेल में बता" शीना ने उत्सुकता से कहा




"जैसे कि, देख जैसे अभी वो चाचू के साथ विकी भैया का काम भी कर रहे हैं, आंड साथ ही रिज़ॉर्ट का काम भी देखते हैं, और उपर से वो अकेले हैं घर पे, डॅड और चाचू अपने अपने काम में रहते हैं तो उन्हे कहीं भी ज़रूरत पड़ती है तो रिकी भाई को बोलते हैं.. तो जब आदमी एक साथ इतनी चीज़े करेगा तो कभी तो स्ट्रेस्ड आउट होगा ना.. आइआम स्योर उनके साथ भी ऐसा ही है... वैसे मैं सिर्फ़ गेस कर रही हूँ, इफ़ यू वॉंट यू कॅन चेक वित हिम टुमॉरो.. ध्यान से पूछना , सीधा नहीं पूछना समझी.." ज्योति अभी शीना को समझा ही रही थी कि शीना के मोबाइल पे एसएमएस आया.. एसएमएस पढ़ के शीना के चेहरे पे स्माइल आई और उसने स्क्रीन ज्योति को दिखा दी
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07-03-2019, 04:48 PM,
RE: Antarvasna kahani वक्त का तमाशा
"दिस ईज़ दा मोस्ट ब्यूटिफुल फेज़ ऑफ माइ लाइफ... टाइम्स दट आइ स्पेंड वित यू, मोमेंट्स दट वी आर मेकिंग नाउ.. आम आक्च्युयली ब्लेस्स्ड टू हॅव यू इन माइ लाइफ.. आइ आम स्योर युवर स्टिल अवेक फॉर व्हाट आइ डिड जस्ट आ वाइल बॅक, बट प्लीज़ प्लीज़ प्रॉमिस मी.. फॉर वॉटेवर हॅपन्स, फॉर व्हाट मे कम... यू विल ऑल्वेज़ बी वित मी.. रिकी.."





ज्योति जैसे जैसे यह एसएमएस पढ़ती गयी, वैसे वैसे उसके चेहरे पे मुस्कान बड़ी होती गयी और यह शब्द पढ़ के उसे भी काफ़ी खुशी होने लगी..




"अववव.... ही सो केर्स अबाउट यू.. आंड तू है, देखा, ख़ामाखाँ शक कर रही थी.." ज्योति ने उसके हाथ से मोबाइल लिया और लॉक करके साइड में रखा




"अरे, लॉक क्यूँ किया.. रिप्लाइ करने दे.." शीना ने ज्योति से कहा और मोबाइल लेने की कोशिश करने लगी




"ओह्ह्ह्ह हूओ.. तड़प तो देखो जानेमन की.. हीहेही... ओके, बट रिलॅक्स, कल रिप्लाइ करना, मैं जानती हूँ तू जितना लेट रिप्लाइ करेगी उतने एसएमएस आएँगे तुझे.. थोड़ा सा, हल्का सा तड़पने दे उन्हे.. पूरी रात नहीं सो पाएँगे देखना.." ज्योति ने फिर शीना को अपनी जगह पे सोने को कहा और अपनी बातें जारी रखी




"अरे मैं जानती हूँ, भाई सोते ही नहीं, सुबह को मैं 5 बजे भी गयी थी उनके रूम में तो ही वाज़ वाइड अवेक.." शीना ने जवाब दिया और अपनी एक टाँग ज्योति की टाँग के उपर चढ़ा दी..




जहाँ शीना सिर्फ़ अपनी ब्रा पैंटी में थी, वहीं ज्योति भी अपने डेनिम शॉर्ट्स ओर टांक टॉप में थी.. दोनो की चिकनी नंगी टाँगें एक दूसरे से मिल गयी.. शीना ने अपनी टाँग के साथ अपना एक हाथ भी ज्योति की कमर पे रखा और उसे हग कर दी..




"उम्म्म.....क्या हुआ जानेमन..." ज्योति ने शीना की ज़ूलफें संवारते हुए पूछा और एक हाथ शीना के कंधे के नीचे रख उसे अपने और नज़दीक खींचा




"कुछ नहीं.." शीना ने धीमे से जवाब दिया और अपने चेहरे को ज्योति के चुचों की ओर पास ले गयी, वहीं ज्योति भी अपनी टाँग उपर नीचे कर शीना की टाँग से घिसने लगी और जो हाथ उसके बालों को संवार रहा था, वो बालों से नीचे जाके उसके ब्रा के स्ट्रॅप पे जाता और फिर उपर कर देती.. कुछ देर तक दोनो बस यूही एक दूसरे के बदन की गर्मी को महसूस करती, लेकिन कोई कुछ नहीं बोलता.. दोनो आँखें बंद कर एक दूसरे की गरम साँसों को महसूस करती और हल्की हल्की सिसकारियाँ छोड़ती




"उम्म्म्मममम.......आहह... यह कितनी सॉफ्ट हाइईइ...." ज्योति ने अपना एक हाथ शीना के चुतड़ों पे रखा और उसे धीरे धीरे मसल्ने लगी..




"य्आहह.... जस्ट लाइक यू..." शीना ने भी सेम गरम अंदाज़ में जवाब दिया और ज्योति के शॉर्ट्स के उपर से ही उसके चुतड़ों को सहलाने लगी...




"आइ वॉंट टू . पॉर्न..." शीना ने अपना चेहरा आख़िर कर ज्योति के चुचों के उपर से हटा के कहा




"ओके.." ज्योति ने सिर्फ़ इतना कहा और अपने मोबाइल में इंटरनेट ऑन कर ऑनलाइन मूवीस ढूँढने लगी..




"आइ वॉंट टू . इन्सेस्ट.." ज्योति ने अपने मोबाइल से आँखें निकालके शीना से कहा




"कुछ भी.. जो दिखाना है दिखा...." शीना ने ज्योति को अपनी बाहों में कस के कहा




"रुक.. फिर दिखाती हूँ..." ज्योति ने अपने मोबाइल को एक पल के लिए साइड में रखा और अपने हाथ उँचे कर अपना टॉप निकाल फेंका जिससे उसके चुचे खुल के आज़ाद हो गये जिनपे पत्थर जैसे कड़क निपल्स सॉफ दिख रहे थे..




"हिहिहीही... यह क्या दिखा रही है तू.." शीना ने हँस के कहा और अपना एक हाथ ज्योति के चुचों पे रख के उसके निपल्स को हल्का पिंच किया




"आहह.....सस्सिईईई... कुछ और देखना था...उम्म्म्मम...." ज्योति ने आँखें बंद कर कहा और अपना हाथ इस बार नीचे ले जाके अपने शॉर्ट्स पे रख दिया.. अपने शॉर्ट्स के बटन पे हाथ रखते ही ज्योति ने अपनी आँखें खोली और शीना को देखने लगी जिसकी निगाहें कभी ज्योति के चुचों पे जाती तो कभी ज्योति के हाथ पे जो अभी शॉर्ट्स पे रखा हुआ था..




"लेट मी हेल्प यू.. स्शह...." शीना ने ज्योति से कहा और अपना हाथ ज्योति के शॉर्ट्स के उपर रख के उसके बटन को खोलने लगी, बटन खुलते ही 'ज़ििप्पपप..' की आवाज़ से उसकी ज़िप भी नीचे खींची और ज्योति को आँखों ही आँखों में अपनी टाँगें हवा में उठाने का इशारा किया और उसकी शॉर्ट्स को उसके शरीर से अलग करने लगी




"पॉर्न एक दम कंफर्टबल होके देखना चाहिए मेरे हिसाब से..." शीना वापस अपनी जगह पे आई और अपने हाथ खोल के लेट गयी




"यू आर राइट.. एक दम कंफर्टबल... उम्म्म्ममम" ज्योति यह कहके अपनी जगह से उठी और शीना की टाँगों के बीच आ गयी जो पहले से ही खुली हुई थी इस वक़्त के लिए.. ज्योति ने अपने दोनो हाथों की एक एक उंगली शीना की पैंटी के एक एक साइड में फसाई और शीना की टाँगें हवा में उठते ही शीना की पैंटी को नीचे खीच दिया और बेड के साइड में फेंक दिया..




"उम्म्म्मम... लेट मी मेक माइसेल्फ मोर कंफर्टबल..." शीना ने अपनी पैंटी को नीचे जाते देख कहा और एक हाथ आगे लाके अपनी ब्रा भी खोलने लगी.. जैसे ही ब्रा शीना के हाथ में आई, उसने ब्रा को ज्योति के मूह पे फेंका..




"ले.. बस, आइआम ऑल कंफर्टबल नाउ.." शीना फिर अपनी बाहें खोल के लेट गयी जिससे उसके चुचे ज्योति की आँखों के सामने आ गये जिनमे नशा ही नशा था इस वक़्त...




ज्योति उसकी ब्रा को देख मुस्कुराइ और उसे भी हवा में उछाल नीचे फेंक के, फिर से अपनी जगह पे जाके लेट गयी..




"नाउ लेट'स . इन्सेस्ट..." शीना ने फिर अपने हाथ ज्योति की बाहों के इर्द गिर्द डाल दिए और अपना सर उसके नरम चुचों पे हल्के से रखा और आँखें मोबाइल स्क्रीन पे लगा दी.. ज्योति ने भी अपने एक हाथ शीना के कंधों के नीचे से निकाला और उसे अपने पास खींच के मोबाइल में मूवी ढूँढने लगे... कुछ सेकेंड्स हुए और मोबाइल स्क्रीन पे मूवी प्ले हो गयी..




"उम्म्म्म... ही'स सो हॉट..." शीना ने मूवी के हीरो को देख कहा




"हॉट तो तू भी है मेरी जानेमन.." ज्योति ने उसे जवाब दिया अपनी आँखें मोबाइल पे रखते हुए




"मैं तो हूँ, बट तू भी कम नहीं है..." शीना ने अपना दूसरा हाथ उसके चुचों पे रखा और उसे हल्के हल्के गोल गोल घुमाने लगी




"उम्म्म... ईवन शी ईज़ सो हॉट..." ज्योति ने पॉर्न मूवी की लड़की को देख कहा
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07-03-2019, 04:49 PM,
RE: Antarvasna kahani वक्त का तमाशा
पॉर्न मूवी देखते देखते दोनो का एक एक हाथ एक दूसरे के चुचों को सहला रहा था और कभी कभी एक दूसरे के निपल्स को भी पिंच कर देते.. गरम सीन आँखों के सामने, और अपने पास गरम जिस्म को महसूस कर दोनो की टाँगों के बीच नमी सी पैदा होने लगी जिसकी खुश्बू दोनो को आ रही थी...




"उम्म्म्म.. सम्वन ईज़ वेट हाँ..." ज्योति ने शीना की जाँघ पे हाथ खिसका दिया और चूत के आसपास के गीलेपन को महसूस करने लगी




"यीएस्स्स्स्स्स्स....." शीना ने आँखें बंद कर कहा और लंबी सिसकारी लेके फिर ज्योति को देखने लगी...




"उम्म्म.... कितना लंबा है इसका लंड..." ज्योति ने शीना की एक उंगली को अपनी चूत के उपर महसूस कर कहा और आँखें बंद कर के फिर एक लंबी सी सिसकारी ली..




"आआहहह..... शीना.... एक सवाल पूछूँ..उम्म्म्म.." ज्योति ने भी अपनी दो उंगलियाँ शीना की चूत पे रखी और उन्हे उपर नीचे कर सहलाने लगी..




"आअहमम्म..... पूछ..." शीना ने आआह भर के जवाब दिया




"क्या रिकी भैया का भी उफफफ्फ़......उम्म्म्मममम" ज्योति ने जैसे ही रिकी का नाम लिया वैसे शीना ने भी अपनी उंगलियों को तेज़ रगड़ना चालू किया ज्योति की चूत पे




"उम्म्म्म....आहहाहाः, पता नही... पर जब भी अहहः ही फक्स मी... पूरी चूत भर जाती हाऐईइ अहहुउम्म्म्मम..." दोनो बहनो ने एक दूसरे की चूत को तेज़ी से रगड़ना शुरू कर दिया था...




"आहहः येस्स फाससस्स्थीर्रर्ररर.. हाआन्न अहहहाआ.." दोनो की आँखें बंद और हाथ और साँसें तेज़ी से चल रही थी..




"उफफफ्फ़ फ़हाहाहा यीएस्स....... ही ईज़ गुड अट इट आहहह, क्या बताऊ आहमम्म्ममम....... ही लिकक्कसक़सस्सस्स आहहहहा नूऊऊओ ईएससस्स फाटत्तीएरर अहहह... पूरे बदन को चाटके सॉफ करते हैं पहले अहहाहा....ओह्ह्ह माइ गगूओद्दद्ड... उनके बारे में सोचते ही उआफ्फ्फ्फ्फ्फ्फ..... फास्टर ज्योति डॉन'ट स्तटोप्प्प अहहहहा आइएम कमिंग अहहहहा ईसस्स...आइ एम कमिंग अहाहहा उम्म्म्म...." शीना पागल सी होने लगी थी, और जितनी तेज़ ज्योति अपनी उंगलियाँ चला रही थी, शीना ने उतनी तेज़ी से ज्योति की चूत से हाथ हटा के अपने चुचों पे रख दिया और तेज़ी से मसल्ने लगी..




"आहहाहा यस बेबी.. कम फॉर मी अहहहा... मुझे भी चूत रस पिला आपन्नाआहह...उम्म्म्म ईसस्साहह..." ज्योति ने अपने होंठ शीना के होंठों से मिलाए और दोनो एक दूसरे को ऐसे चूसने लगे जैसे इस रात की सुबह ही ना हो... चिकनी गीली चूत पे तेज़ चलती उंगलियाँ, जिस्म की गर्मी और उपर से अपने आशिक़ की चर्चा...




"अहहाहाः हियर ईई क्कूमम्म्मम ओह न्नूऊओ आहहहा यीएस्स्स्स्स.......... फफफककककककककककक...." शीना तेज़ी से चिल्लाने लगी और अपना पूरा चूत रस ज्योति की उंगलियों पे छोड़ दिया




"आहहहामम्म्मम आआामम्म्मम. कम हियर.... आहहा य्स्स्स...." शीना झड के ज्योति को अपने पास खींचने लगी और दोनो फिर से एक दूसरे के होंठों के रस को चखने में व्यस्त हो गये




"टेस्ट दिस आहाहम्म्म्म .." ज्योति ने अपने होंठ अलग किए और शीना के चूत रस से सनी उंगलियों को उसके मूह मे डाल के उसी के रस का स्वाद उसे चखाने लगी...




"तू भी ले नाआ आआअहह..." शीना ने ज्योति की उंगलियों को उसी के मूह में डाला और उसे अपना रस चुसवाने लगी




"मेक मी कम टू स्वीटहार्ट..." ज्योति ने शीना से कहा और उसके होंठों पे अपनी जाभ हल्के से फेर दी जिसके जवाब में शीना ने ज्योति के हाथों को पकड़ा और उसे अपने सामने आने का इशारा किया.. ज्योति जैसे ही शीना के सामने आई, शीना ने उसकी टाँगें खोली और अपनी जीभ हल्के से उसकी चूत पे रखी, जिससे ज्योति सिहर सी गई...




"उफफफ्फ़.फ......आहहह..." ज्योति ने शीना के सर को पकड़ के उसकी चूत पे दबाना चाहा पर शीना ने अपने सर को उँचा किया और ज्योति से आँखें मिला के उसके पास गयी.. दोनो के होंठ और चुचे एक दूसरे से चिपक गये और फिर से वो दोनो एक दूसरे को चूसने लगी..




"उम्म्म्म आहहह उफफफ्फ़... उम्म्म्मम...." ज्योति ने शीना के होंठों पे वार सा शुरू कर दिया




"आहहहाहा फफफककककक...... " शीना ने अपने होंठ उसके होंठों की गिरफ़्त से निकले और आँखों में आँखे डाल अपने चुचे उसके चुचों से चिपका दिए और एक दूसरे के निप्पल्सेस को आपसा में भिडाना शुरू कर दिया




"हिहहिही... दिस ईज़ सी किनकययययी आहहहूंम्म...." ज्योति ने जैसे ही यह कहा, शीना ने अपने चुचों को अलग किया और आगे बढ़ के उसके दोनो चुचों को हाथ में भर के हल्के से मसल दिया




"आआहाहा उम्म्म्मम....." ज्योति ने बस इतना ही कहा और आँखें बंद कर के मज़ा लेने लगी... ज्योति ने जैसे ही आँखें बंद की, शीना ने दोनो की टाँगें चौड़ी की और अपनी चूत के होंठों को उसकी चूत के होंठों पे रख के हल्के हल्के घिसने लगी...




"आहहहहओमम्म्म... कहाँ से सीखी अहहहा यह साब्बब उम्म्म्मम.... व्हातत्तत्त आआहहह प्लेआसूरीईई...." ज्योति ने उसकी एन टाँग को पकड़ा और खुद भी होले होले अपनी चूत को उसकी चूत से रगड़ने लगी...




"अहहहहा युवर सो आहहहहा होर्नण्यययययी अहाहा ईसस्स..... फास्टर अहहहाहा उम्म्म्म..... " शीना ने अपनी चूत की गति तेज़ की और दोनो हाथ पीछे पलंग पे रख के सपोर्ट से अपनी चूत को और तेज़ रगड़ने लगी... दोनो बहने अपनी चूतें ऐसे रगड़ रही थी जैसे कोई पत्थर से पत्थर घिस रहा हो..



"अहहहहाहा येस्स्स्स..... और तेज़ कार्ररर आहहहहाहा ईएसस्ससा अया उफफफककक...... ाओह माअमममम्मम...... आआन और तेज़्ज़्ज़ कारर्र आहहहा... यस बाबी अहहहहा.... लव यू अहहहहा मेरी बहना अहहहहहा...." शीना और ज्योति काफ़ी गरम हो चुकी थी और थक भी चुकी थी लेकिन रुकने का नाम नहीं ले रही थी...





"आहहहः हाआन्ं औरर्र कार्ररर अओउर्र्र काा आहंंणणन् माइन आ रही हुन्न्ं अओओओआंम्म.. माईंन भीईिइ आआईयईई उफफफफ्फ़.... ओह्ह्ह नूऊऊऊ.... आयेयेस्स्स......." शीना और ज्योति एक साथ झड़ने लगी और तब तक चूत घिसती रही जब तक दोनो तक के बिस्तर पे निढाल नहीं हुई...





"हाआंणन्न् उफफफफ्फ़ हाआंन्न..... दट वाज़ आहह.... अमज़िीईंगगग.....अहहहह..." ज्योति ने तेज़ साँसों के बीच अपनी आवाज़ ढूँढ के कहा




"य्आहह आइ नो आहहाअ... वित मॅन इट'स डबल दा फन उफफफफ्फ़ आहह......" शीना ने फिर ज्योति को अपने गले लगाया और उसके होंठ चूसने लगी...





"उम्म्म्म अहहह उम्म्म्मम....." शीना ज्योति के होंठों को तब तक चुस्ती रही जब तक उसका मन नहीं भरा..




"आअहहूंम्म... इतनी गर्मी...." ज्योति ने अपनी साँसों पे काबू पाके कहा




"आआहुउऊन्न्ञणन् हूउहह.... आइ वाज़ वेट रिकी भाई के नाम से ही... वैसीए उउउहह... एक बात शेयर करना चाहती हूँ तेरे साथ..." शीना ने भी अपनी साँसों को काबू किया और ज्योति की आँखों में देखने लगी...
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07-03-2019, 04:49 PM,
RE: Antarvasna kahani वक्त का तमाशा
"हां बोल भी, देख क्या रही है.." ज्योति ने नॉर्मल होते ही उसे जवाब दिया




"मैं भैया से शादी करना चाहती हूँ, ही ईज़ फाइन वित दट.." शीना ने ज्योति से सरलता से कहा




"आइ न्यू कि बात यहाँ पहुँचेगी.. बट ईज़ दिस पासिबल..." ज्योति को जैसे कुछ नया नहीं लगा यह सुन के..




"आइ डॉन'ट नो.. इट'स जस्ट दट, कभी मुझे तेरी मदद की ज़रूरत पड़े तो बी देयर, प्लीज़.. तेरे अलावा कोई और नहीं है जिसपे मैं विश्वास कर सकती हूँ.." शीना ने ज्योति के चेहरे को अपने हाथों में थाम के कहा




"मैं नहीं जानती कि यह मुमकिन है कि नहीं.. लेकिन तुम दोनो को खुशी होगी तो मैं करूँगी जो मैं कर सकूँगी.. बट एक बार प्रॅक्टिकल बनके सोचना, क्या यह सही में हो सकता है.." ज्योति ने एक दम सटीक बात की




"नहीं जानती... बस दिल की बात शेयर की, इससे ज़्यादा कुछ नहीं कह सकती.." शीना भी अपनी आवाज़ में वही विश्वास लाके जवाब देने लगी




"ओके.. डन.. बट वैसे, मैं भी कुछ शेयर करना चाहती हूँ, मीन्स.. कुछ माँगना चाहती हूँ, तुझसे.. और यह तेरी इस बात के बदले फेवर नहीं है, बस एक बात है, अगर तुझे पसंद ना आए तो मना कर देना, पर प्लीज़ प्रॉमिस कर कि इससे हमारे इस न्यू रीलेशन में कोई फरक नहीं आएगा.. तू मुझसे बात करना बंद नहीं करेगी.."




ज्योति की यह बात सुन शीना को कुछ समझ नहीं आया कि वो क्या कहना चाहती है.. इसलिए उसकी बात सुन कुछ देर सोच में पड़ गयी, और फिर सोच के उसने जवाब दिया




"ठीक है.. बता, क्या है.. मैं नाराज़ नहीं होउंगी" शीना ने एक मुस्कान के साथ जवाब दिया




"गुड मॉर्निंग एवेरिवन.." ज्योति ने नाश्ते की टेबल पे बैठते हुए कहा जहाँ सब लोग पहले ही बैठ के बातें कर रहे थे..




"गुड मॉर्निंग बेटा.. काफ़ी दिनो बाद नाश्ता कर रही हो हमारे साथ.." अमर ने ज्योति को गले लगाते हुए कहा




"हां ताऊ जी.. इतने दिन रिज़ॉर्ट के चक्कर में सुबह जल्दी जाना फिर वहाँ से वापस आना.. सब बहुत मेसी लगने लगता है.." ज्योति ने टेबल पे बैठते हुए कहा




"तो फिर आज क्यूँ नही गयी काम पे... मैं तेरी सॅलरी कट कर दूँगी समझी.." शीना ने सामने से मज़ाकिया अंदाज़ में कहा




"हाहहा.. सॉरी बॉस, आज की छुट्टी दीजिए प्लीज़, थोड़ा अर्जेंट काम है.." ज्योति ने भी उसी अंदाज़ में जवाब दिया





"नहीं, काम बताओ पहले, फिर बॉस डिसाइड करेगा कि छुट्टी मिलनी चाहिए कि नही" शीना ने फिर झूठा रोब दिखाते हुए कहा




"वो क्या है ना बॉस... कि कुछ महीने पहले हम ने एग्ज़ॅम्स दी थी, तो उसके रिज़ल्ट्स आएँगे आज, इसलिए हमें रिज़ल्ट देखने जाना है.." ज्योति ने यह जवाब देके रिकी को देखा जो रिज़ल्ट का नाम सुन एक दम से झटका खा गया




"रिज़ल्ट आज है क्या.." रिकी ने हैरान होते हुए कहा




"नहीं.. 2 महीने पहले ही आ चुका है, यह तो आज मैने रिमाइंडर लेटर्स देखे जो आपने ओपन भी नहीं किए थे तभी ध्यान आया" ज्योति ने उसे काग़ज़ देते हुए कहा




"कहाँ ध्यान है तुम दोनो का आख़िर, और बेटा रिज़ल्ट तो नेट पे आएगा ना.. फिर कहाँ जाना है" इस बार राजवीर ने ज्योति से कहा




"सही कहा पापा, लेकिन क्यूँ कि इनकी यूनिवर्सिटी परदेस में है तो इनको रिज़ल्ट कौरीएर की गयी है लोकल टाइ अप वाली कॉलेज में.. इसलिए इन्हे तो फिज़िकल रिज़ल्ट लेने जाना ही पड़ेगा ना.. और मेरी तो नेट पे देख ली मैने, लेकिन फिज़िकल लेने मुझे भी जाना ही पड़ेगा ना.. इसलिए मैने सोचा के आज फ्राइडे है, तो आज जयपुर के लिए निकल जाउ, और मेरी फ्रेंड्स से मिलके कल शाम तक लौट आउन्गि.." ज्योति ने राजवीर से कहा




"हाँ यह ठीक है, मैं अभी तुम्हारी फ्लाइट करवा देता हूँ, गाड़ी एरपोर्ट पे आ जाएगी लेने तुम्हे.." राजवीर ने फोन निकालते हुए कहा




"वो सब कर दिया है पापा.. बस अभी 2 घंटे में फ्लाइट है, बात है कि भैया की रिज़ल्ट लेने पुणे कौन जाएगा" ज्योति ने अपना जूस ख़तम कर कहा




"वो खुद जाएगा, इसमे क्या.." अमर ने ज्योति से कहा




"ताऊ जी, यहाँ से पुणे और पुणे से महाबालेश्वर.. डिस्टेन्स काफ़ी लंबा हो सकता है दो घंटे की जगह तीन घंटे की ड्राइव और कॉलेज में अलग टाइम लगेगा, अगर अभी भी निकले तो भैया को पहुँचते पहुँचते दोपहर के एक होंगे, और विलसन को आज भैया से भी मिलना है, दिस मे क्रियेट आ प्राब्लम" ज्योति ने अमर को समझाते हुए कहा




"मैं जाउन्गी भैया की रिज़ल्ट लेने.." शीना ने बीच में उछल के कहा जिसे देख सब की नज़रें उसकी तरफ गयी




"शीना, अभी तुम ठीक हुई हो, उसमे फिर यह सफ़र.. नहीं, " सुहसनी ने उसे आँख दिखाते हुए कहा




"मोम, मैं ठीक हूँ.. और सफ़र कैसा, आराम से बैठ के ही जाना है पीछे, फिर क्या प्राब्लम.. और पुणे की फॅशन स्ट्रीट में न्यू कलेक्षन भी है, साथ में वो भी देखना है.... चलो ओके ना, मैं जाउन्गी... ओके ना पापा.. थॅंक यू सो मच..हिहिहीः.." शीना किसी की बात सुने बिना वहाँ से उठी और अपने कमरे में तैयार होने के लिए गयी
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07-03-2019, 04:49 PM,
RE: Antarvasna kahani वक्त का तमाशा
"यह लड़की... खैर, ज्योति, तुम्हारी फ्लाइट तक हम छोड़ आते हैं तुम्हे.." अमर ने ज्योति से कहा




"और एक बात है ताऊ जी.. बैठिए, आप सब भी प्लीज़ ध्यान से सुनें.." ज्योति ने सब की आँखों में एक एक कर देखा और अपनी बात कहना शुरू किया




"आज काफ़ी वक़्त के बाद रिज़ॉर्ट बस बनने ही वाला है, बस कुछ फिनिशिंग टचस हैं जिसकी वजह से विलसन और रिकी भैया का मिलना ज़रूरी है, रिकी भैया जा रहे हैं तो क्यूँ ना एक बार स्नेहा भाभी भी उनके साथ जाए" ज्योति अपनी बात कहके सबकी प्रतिक्रिया का वेट करने लगी.. अमर और राजवीर के चेहरे पे कुछ भाव नहीं थे, लेकिन सुहसनी और रिकी के चेहरे पे अलग अलग भाव उमड़ आए.. सुहसनी का चेहरा गुस्से से लाल हो चुका था वहीं रिकी भी हैरान था उसकी यह बात सुन..




"ठीक है ज्योति.. तुम सही कह रही हो, स्नेहा को जब प्रॉपर्टी मिली है तो फिर उसे इन सब कामो में भी आक्टिव रहना पड़ेगा.. स्नेहा , बेटी तैयार हो जाओ, जाके देख आओ आज अपनी प्रॉपर्टी को.." अमर ने पहले ज्योति से कहा और फिर स्नेहा से कहा.. स्नेहा बिना कुछ कहे अपने कमरे में तैयार होने चली गयी..




"रिकी.. तुम्हे कोई प्राब्लम तो नहीं.." अमर ने रिकी से पूछा, जिसका जवाब रिकी ने सिर्फ़ ना में गर्दन हिला कर जवाब दिया




"चलो ज्योति.. वी आर वेटिंग आउटसाइड, बॅग ले आओ अपना.. " राजवीर ने ज्योति से कहा और अमर और सुहसनी के साथ बाहर जाने लगा..




"व्हाई वाज़ दिस नीडेड... शुड हॅव आस्क्ड मी." रिकी ने ज्योति से कहा जैसे ही अमर और बाकी के लोग वहाँ से निकल गये




"भैया, सब साइड में, लेकिन मेरे हिसाब से भाभी रो रही थी तो शायद उन्हे कुछ अच्छा ना लग रहा हो, आपके साथ बाहर जाएगी तो शायद उनका मन अच्छा फील करने लगे.." ज्योति ने बड़ी सरलता से जवाब दिया




"तुम्हे इतनी फ़िक्र क्यूँ है यार भाभी की, आख़िर.."




"वो जो भी हो, कोई रोता है तो अच्छा नही लगता.. प्लीज़ मेरी यह बात मान लीजिए.. आंड प्लीज़ शीना को नहीं कहना, नहीं तो वो फिर मुझसे नाराज़ हो जाएगी.. चलिए बाइ.. टेक केर" ज्योति ने रिकी के गालों को चूम कर कहा और बाहर चली गयी..





उधर स्नेहा जब अपने कमरे में आई, उसका मन बिल्कुल नहीं था कहीं बाहर जाने का.. जबसे प्रेम की चिंता हुई थी उसे, तब से उसका मन बुझ सा गया था हर चीज़ से.. अभी भी अमर के कहने पे जा रही थी नहीं तो पिछले काफ़ी दिनो से वो अकेली अकेली सी रहती, ना किसी से बात करती, ना कुछ. बस घर के कुछ काम करती और अपने कमरे में बैठे बैठे प्रेम की चिंता में डूबी रहती.. अभी भी भुजे हुए मन से वो तैयार हो रही थी कि उसका फोन बजने लगा.. फोन की स्क्रीन पे एक नज़र डालते ही स्नेहा के चेहरे पे एक बहुत बड़ी मुस्कान तैर आई और उसका दिल झूमने लगा नंबर देख..








"भाभी... यह है मेन हॉल.. इधर तकरीबन 250-300 लोग बड़े आराम से अयमडेट हो जाएँगे विच ईज़ गुड कभी फंक्षन जैसा किसी को रखना हो तो.." रिकी स्नेहा को रिज़ॉर्ट का मुआयना करवा रहा था , अब तक जितना काम हो चुका था उस बारे में सब बता रहा था... स्नेहा और रिकी जब से मुंबई से निकले थे, तब से रिकी काफ़ी अनकंफर्टबल महसूस कर रहा था स्नेहा के साथ.. पता नहीं क्यूँ लेकिन स्नेहा रिकी को एक नज़र नहीं भाती, उपर से आज स्नेहा ने जैसी ड्रेसिंग की थी वैसे देख तो कोई भी उसके उपर दीवाना हो जाता.. सफेद डिज़ाइनर शिफ्फॉन की साड़ी के साथ स्लीवेलेस्स ब्लाउस जो उसकी बाहों को कुछ ज़्यादा ही एक्सपोज़ कर रहा था, बाल खुले हुए और बदन से आती एक तेज़ तरार खुश्बू.. जब जब स्नेहा रिकी के करीब आती या गुज़रती तो वो खुश्बू रिकी को पागल कर देती.. पूरे रास्ते में यह खुश्बू रिकी को काफ़ी परेशानी में डाल रही थी, उपर से एसी की वजह से वो खुश्बू पूरी गाड़ी में फेल गयी, जिस वजह से रिकी साँस भी लेता तो उसमे स्नेहा की खुश्बू समा जाती..




"उः... रिकी, इधर वॉशरूम है.." स्नेहा ने उसे बीच में रोकते हुए कहा




"हां भाभी, गो अप, टू दा लेफ्ट आंड राइट, वेरेवर यू लाइक इट.." रिकी ने इशारा करके कहा.. स्नेहा ने रिकी के इशारों पे चलना शुरू किया और एक एक कदम सीढ़ी पे रख के उपर जाने लगी.. स्नेहा बड़े ही आराम से, अपनी गान्ड मटका मटका के उपर चढ़े जा रही थी और चुप के से रिकी की नज़रों को भी देखती, लेकिन यहाँ उसे निराशा हाथ लगी, रिकी उसे नहीं बल्कि अपने फोन पे कुछ देख रहा था.. यह देख स्नेहा तेज़ी से वॉशरूम की ओर बढ़ गयी रिकी को मन में गालियाँ देते हुए...




"यह तो मेरी तरफ देख ही नहीं रहा... क्या करूँ कि यह फँस जाए.." स्नेहा ने खुद से कहा और शीशे के सामने खड़े रहके अपने बाल बनाने लगी... बाल बनाते बनाते उसकी नज़र अपने चुचों पे गयी और एक मादक सी मुस्कान तैर गयी उसके चेहरे पे..




"मैं तुझसे बाद में बात करता हूँ चल.." रिकी ने फोन पे कहा जब उसे स्नेहा के सॅंडल्ज़ की आवाज़ सुनाई दी.. सामने से सीडीयों से उतरती स्नेहा एक एक कदम रख बहुत ही कमसिन सी चाल चलके नीच की तरफ आ रही थी और रिकी भी उसे घूरे जा रहा था




"रिकी, अभी क्या देखोगे.... ऊप्सस्स...." स्नेहा जैसे ही उसके पास पहुँची, उसका पेर हल्का सा फिसला जिससे उसकी साड़ी का पल्लू उसके चुचों के उपर से खिसक के नीचे गिर गया
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07-03-2019, 04:50 PM,
RE: Antarvasna kahani वक्त का तमाशा
"यस शीना..." रिकी ने फोन उठा के कहा




"भाई.. व्हेयर आर यू.."




"मैं महाबालेश्वर, बताया तो था.."




"हां वो तो है, एनीवेस, मैने तो आपका रोल नंबर पूछा ही नहीं, तो रिज़ल्ट कैसे लूँ"




"हां, मैं भी बताना भूल गया.. नोट इट डाउन.." रिकी ने जवाब दिया और अपना एनरोलमेंट नंबर बताया




"भाई.. शाम को कितने बजे तक आओगे आप.. आइ विल बी बॅक बाइ 6, उससे लेट मत होना"




"ह्म्म्मत, मैं भी तब तक आ जाउन्गा.. अभी फिलहाल कुछ इंटीरियर्स का काम है"




"आंड कब तक फिनिश होगा यह सब, आइ मीन 8 मंत में व्हाट'स दा डेवेलपमेंट.."




"मेडम.. घर आके आपको रिपोर्ट सब्मिट करूँगा, इफ़ यू डॉन'ट माइंड प्लीज़.."




"हाहहहहा.. या या, ओके.. चलो सी यू.." कहके शीना ने फोन कट किया तब जाके रिकी की जान में जान आई




"फेववव.... अगर इसी बीच वो स्नेहा की बच्ची की आवाज़ आती तो शीना तो मार ही डालती.." रिकी ने खुद से कहा और घड़ी में देखा तो अभी दोपहर के 1 बज रहे थे लेकिन ना तो विलसन का ठिकाना था और ना ही स्नेहा का




"कर क्या रही है यह इतनी देर.. बेन्चोद ब्रा निकाल के सिड्यूस करने आई थी, कब तक रोकने का खुद को.. यह तो अच्छा हुआ जब उसका पल्लू सरका, तभी शीना का एसएमएस आ गया और मैने नज़रें फेर ली, नहीं तो गयी थी वो आज..." रिकी खुद से बातें करते करते फिर शीना के साथ एसएमएस पे बात करने लगा.. आधा घंटा और बीत गया लेकिन ना तो स्नेहा आई थी और ना ही विलसन... जब शीना से भी बातें हुई, उसके बाद फिर रिकी ने विलसन को वापस कॉल किया




"मिस्टर विलसन.. वी आर वेटिंग फॉर यू, यूआर ऑलरेडी लेट बाइ 30 मिन्स.." रिकी ने फोन पे झल्ला के कहा




"आइ आम सॉरी मिस्टर राइचंद.. बट वी हॅड आ कार ब्रेकडाउन.. वी आर ऑन और वे, विल बी देयर इन नेक्स्ट 30-45 मिनिट्स.. वी शैल सी यू डाइरेक्ट्ली अट दा साइट इफ़ दट'स ओके फॉर यू.." विलसन ने जवाब दिया




"या दट'स फाइन... सी यू देन.. बाइ.." रिकी की आवाज़ में फ्रस्ट्रेशन सॉफ दिख रहा था




"एक घंटा और बेन्चोद.. उपर से भूख भी लगी है, और यह साली आ ही नहीं रही.." रिकी ने फिर स्नेहा को गाली देना शुरू किया और उसको फोन करने लगा, लेकिन स्नेहा का फोन अभी भी स्विच्ड ऑफ..




"इसकी माँ का.. फोन स्विच्ड ऑफ, बेन्चोद रूम मे बुलाने जाओ अब सेठानी को.. कहाँ फस गया हूँ साला.." रिकी ने फिर खुद से कहा और सोफे पे बैठ के स्नेहा का इंतेज़ार करने लगा..




"भाभी.... भाभिईीईई.... हम लेट हो रहे हैं.." 20 मिनट और इंतेज़ार करने के बाद रिकी ने चिल्ला के स्नेहा को बुलाया, लेकिन इस बार भी कोई जवाब नहीं..





"दिस ईज़ फक्किंग पाठेटिक बेन्चोद.. मैं क्या किसी का नौकर हूँ.." रिकी ने सोफे से उठ कहा और स्नेहा को बुलाने चला गया.. फर्स्ट फ्लोर पे जाते ही उसे एक दरवाज़ा आधा खुला दिखा जिसमे स्नेहा फ्रेश हो रही थी..




"भाभी.. हमे लेट हो रहा......" रिकी ने बिना नॉक किए या इनफॉर्म किए दरवाज़ा खोला तो सामने स्नेहा को देख उसका मूह खुला का खुला रह गया.. सामने स्नेहा एक छोटा सा टवल पहेन के खड़ी थी जो उसके आधे चुचों को दिखा रहा था और घुटनो के हल्का सा उपर तक था.. स्नेहा अभी अभी नहा के निकली थी इसलिए उसके बालों के साथ उसके जिस्म पे भी पानी की बूँदें बिछी पड़ी थी, पूरे रूम में उसके पर्फ्यूम की खुश्बू फेली हुई थी, स्नेहा बेड पे एक पेर रख के अभी नाइल पोलिश ही लगा रही थी कि सामने से रिकी की आवाज़ सुन उसने अपना चेहरा उपर किया तो रिकी की आँखों से आँखें चार हुई.. रिकी के आने से भी उसके पेर अभी वैसे के वैसे ही थे, सामने से नज़ारा ऐसा था कि रिकी की सीधी नज़र उसकी मूसल चिकनी जांघों पे पड़ती और पैर हल्का खुला होने की वजह से थोड़ी कोशिश करने पर उसकी चूत के दर्शन भी हो लेते.. रिकी को देख स्नेहा के चेहरे पे मुस्कान आ गयी, उसकी मुस्कान से बयान हो रहा था कि वो क्या करने का सोच रही है..




"अरे, देवर जी.." स्नेहा ने पैर सीधे किए और रिकी की तरफ बढ़ गयी, जो अभी भी दरवाज़े पे एक दम बुत सा बन खड़ा था... रिकी को यूँ देख स्नेहा की मुस्कान और बढ़ती गयी




"कहिए देवर जी.. कैसी सेवा कर सकती हूँ मैं आपकी.." स्नेहा ने रिकी के पास जाके थोड़ा सा झुक के कहा.. रिकी की लंबाई स्नेहा से ज़्यादा थी तो स्नेहा के ऐसे झुकने से टवल के बीच में से उसके चुचों की घाटी के सॉफ दर्शन हो रहे थे रिकी को.. ना चाहते हुए भी रिकी की नज़र जब वहाँ पड़ी तो स्नेहा के गदराए हुए चुचे देख उसकी हलक भी सूखने लगा...




"ओफफ़फो.... कहने में इतनी देर कर रहे हैं तो जब करने पर आएगी तब तो कितना वक़्त लोगे आप.." स्नेहा ने फिर मुस्कुरा के कहा




स्नेहा की यह बात सुन रिकी ने अपने आप को संभाला




"भाभी.... वॉ.... वो मैं कह रहा था कि...." रिकी ऐसे हालत में कुछ बोल नहीं पा रहा था, शब्द जैसे मूह से फूटने को तैयार ही नहीं थे




"हां. देवर जी... मैं भी वोही देख रही हूँ, आगे भी तो दिखाइए...." स्नेहा ने अपनी नज़रें हल्की सी नीचे की और रिकी के जीन्स के उपर से ही उसके लंड को निहारने लगी जो हल्का सा उभरा हुआ था




"जीए...." रिकी ने फाइनली अपने आप को संभाला और होश में आके कहा




"जीए देवर जी, मैं भी तो बोल रही हूँ.. आप यहाँ कैसे आए वो बताइए ना.." स्नेहा ने एक मादक अंदाज़ में जवाब दिया




"भाभी.. वो मीटिंग है ना, तो 15 मिनट में स्टार्ट होगी.. उससे पहले खाना भी खाना है तो आप जल्दी कीजिए थोड़ा, भूख बहुत लगी है मुझे.." रिकी अटक अटक के स्नेहा से बोलने लगा




"आपकी भूख तो मिट जाएगी... लेकिन मेरी प्यास का क्या.. उसे भी तो भुझा दीजिए ना मेरे देवर जी..." स्नेहा ने फिर एक सुखी हुई आवाज़ में जवाब दिया




"खैर छोड़िए... आप चलिए, मैं अभी आती हूँ..." स्नेहा ने रिकी को यूँ खामोश देख फिर कहा और गान्ड मटकाती हुई तैयार होने चली गयी... रिकी ज़्यादा कुछ बोले बिना वहाँ से जल्दी नीचे आ गया और आके फिर सोफे पे बैठ गया..




"तेरी माँ की चुत बेन्चोद, शीना के प्यार की वजह से रुका हुआ हूँ, नही तो अब तक तो चुद चुकी होती.. प्यास बुझानी है, बेन्चोद.. और वैसे भी..." रिकी अभी खुद से बोल ही रहा था कि उसका फोन बजने लगा.. जैसे ही उसने स्क्रीन पे नज़र डाली तो उसके दिल को जैसे एक सुकून मिला




"थॅंक गॉड तुमने कॉल किया.." रिकी ने फोन उठाते ही कहा




"भाई, सुबह से बातें ही तो कर रहे हैं, अब अचानक क्या हुआ .." शीना ने सामने से जवाब में कहा




"बस ऐसे ही.. वाज़ मिस्सिंग यू बॅड्ली, इसलिए.. खैर रिज़ल्ट मिली मेरी.." रिकी ने बात संभालते हुए कहा




"हां, उसके लिए ही फोन किया है.. आइ डॉन'ट बिलीव के यह रिज़ल्ट आपका है.." शीना ने निराशा जनक टोन में कहा




"क्यूँ क्या हुआ, 100 % आए हैं क्या.." रिकी ने मज़ाक में कहा, लेकिन उसका मज़ाक सुन शीना ने कुछ रिएक्ट नहीं किया और बस खामोश ही रही..




"सॉरी, बताओ क्या है.." रिकी ने शीना की खामोशी महसूस कर सीरीयस होके कहा




"सिर्फ़ 45 % .... यह कोई रिज़ल्ट है आपका..." शीना ने गुस्से भरी आवाज़ में कहा




"अरे इससे ज़्यादा तो मैं पढ़े बिना ले आती, 1स्ट सें 80 % , 2न्ड सें 75 % , 3र्ड सें डाइरेक्ट 35 % ," शीना ने ट्रांसक्रिप पढ़ के कहा




"हां तो इंप्रूव्मेंट हुआ ना फ्रॉम 35 % तो 45 %.. " रिकी ने फिर मज़ाक में कहा




"भाई आइ आम सीरीयस... यह दिखाऊ पापा को, क्या है यह.." शीना बहुत गुस्से में थी




"तू फिलहाल किसी को नहीं दिखाना, घर जाके पापा से बोलना कि भाई के साइन चाहिए थे इसलिए उन्होने उसे ही बुलाया है.. आंड ध्यान से, अपने पास रिज़ल्ट रखना.. किसी के हाथ नहीं लगे समझी.." रिकी ने फिर घड़ी देख कहा, स्नेहा लंबा इंतेज़ार करवा रही थी..




"आइ आम डिसपायंटेड भाई..." शीना ने निराश होके कहा और फोन कट कर दिया
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07-03-2019, 04:50 PM,
RE: Antarvasna kahani वक्त का तमाशा
"अब तुम्हे क्या बताऊ कहाँ कहाँ फस गया था मैं यार..." रिकी ने फोन साइड रख के कहा और फिर स्नेहा के लिए चिल्लाने ही वाला था कि सीडीयों से आती उसकी सॅंडल की आवाज़ सुन उसकी नज़र जैसे ही उपर पड़ी, सामने से कहर धाती हुई स्नेहा को देख एक बार फिर उसे अंदर तक झटका लग गया.. स्नेहा एक ब्लॅक स्लीवेलेस्स टाइट चुरिदार में नीचे उतर रही थी, उसके काले रेशमी बाल खुले हुए, माथे पे हल्की बिंदी, और कानो में छोटे छोटे झुमके.. उसकी कमीज़ थोड़ी सी शॉर्ट थी, जिससे सामने वाले की नज़र कमीज़ से हटते ही उसकी मूसल जांघों पे जाती जो टाइट चूड़ीदार की पाजामी में क़ैद थी.. रिकी ने उपर से लेके नीचे तक नज़र घुमाई तो बीच में जो उसकी नाभि वाला हिस्सा था वो पारदर्शी था, उसमे से स्नेहा का चिकना और सपाट पेट सॉफ दिखता था.. नाभि के थोडा सा उपर उसके दो विशाल चुचे देख रिकी के मूह में पानी आने लगा, दुपट्टा ओढ़े बिना डीप कट वाली कमीज़ पहनना, स्नेहा अपने प्लान में धीरे धीरे ही सही, लेकिन कामयाब हो रही थी.. रिकी की हालत देख वो समझ गयी कि उसे थोड़ी सी मेहनत और करनी है और फिर उसका काम हो जाएगा.. स्नेहा जैसे ही रिकी के करीब आती रही, वैसे वैसे उसके बदन से आती खुश्बू रिकी को पागल कर रही थी.. वो मदहोश सा हुए जा रहा था लेकिन फिर भी उसने यह स्नेहा को नहीं जताया..




"चलिए देवर जी.. चलते हैं, आपकी भूख मिटेगी तभी तो मेरी प्यास बुझाने की ताक़त आएगी आप में.." स्नेहा ने रिकी के एक दम पास आके कहा और फिर धीरे धीरे एक एक कदम उठा कर घर के बाहर जाने लगी...




"बेंकचूद्द्दद्ड...." रिकी ने स्नेहा की मटकती हुई गान्ड देख कहा और खुद भी जल्दी से बाहर जाने लगा..




"भाभी, यहाँ नज़दीक में ही एक अछा रेस्तरॉ और बार है, वहाँ चलते हैं, बाकी सब यहाँ अच्छा नहीं है.." रिकी ने गाड़ी स्टार्ट करते हुए कहा




"जहाँ चलना है चलो.. बस ध्यान रखना, आप की भूख के बाद ही मेरी प्यास बुझेगी..." स्नेहा ने हल्का सा झुक के कहा जिससे फिर उसके चुचों की घाटी रिकी को दिखने लगी




रिकी ने बिना कुछ रिएक्ट किए अपनी आँखों पे चश्मा लगाया और आगे बढ़ने लगा...




"हाउ बोरिंग ना देवर जी.. कुछ म्यूज़िक सुनते हैं.." स्नेहा ने फिर अपने बोबे मटकाते हुए कहा और सीडी प्लेयर ऑन कर दिया




"मैं तो तंदूरी मुर्गी हूँ यार... गटका ले सैयाँ आल्कोहॉल से.." स्नेहा ने जैसे ही यह लाइन सुनी उसकी आँखों में चमक आ गयी और रिकी को देखने लगी..




"लगता है इसे भी भूख और प्यास है देवर जी..." स्नेहा ने सीडी बंद की और रिकी को देखने लगी.. रिकी जानता था कि स्नेहा उसे ही देख रही है लेकिन उसने इग्नोर करके अपना ध्यान आगे ही रखा




"हेलो मिस्टर विलसन.." रिकी ने फोन लगा के बात शुरू की




"यस मिस्टर राइचंद.. वी आर अराइविंग इन 5 मिन्स"




"मिस्टर विलसन, स्माल चेंज हियर, लेट'स मीट अट ***** रेस्टोरेंट.. वी विल हॅव लंच आस वेल अलॉंग-विथ दा डिस्कशन"




"ओके मिस्टर राइचंद, सी यू देयर" कहके विलसन ने फोन कट किया और रिकी की बताई हुई जगह पे पहुँच गया..




रिकी ने भी अपनी गाड़ी की स्पीड बढ़ाई और जल्दी से उस जगह पे पहुँचने लगा.. गाड़ी से उतरते ही स्नेहा ने अपना दुपट्टा भी ओढ़ लिया ताकि कोई और उसे ऐसी हालत मे देख नियत ना खराब करे..




"मिस्टर राइचंद.." रिकी ने रेस्टोरेंट के अंदर कदम रखा कि सामने से विलसन उसके पास आता दिखाई दिया




"मिस्टर विलसन.. हाउ आर यू.." रिकी उससे मिला और स्नेहा की भी मुलाकात करवाई




"मिस्टर विलसन.. मीट स्नेहा, शी ईज़ माइ सिस्टर इन लॉ आंड दा अफीशियल ओनर ऑफ और रिज़ॉर्ट.."




"प्लेषर मॅम.. हाउ आर यू.."




"आइ आम गुड मिस्टर विलसन.. आंड डॉन'ट गो बाइ व्हाट ही सेज़, वॉटेवर ईज़ माइन, बिलॉंग्स टू हिम ऐज वेल..." स्नेहा ने हँसते हुए जवाब दिया और रिकी को देखने लगी..




"कम दिस वे प्लीज़..." विलसन अपनी टीम के साथ जहाँ बैठा हुआ था रिकी और स्नेहा को वहाँ ले गया





टेबल पे एक साइड विलसन और उसकी टीम के दो मेंबर बैठे हुए थे और दूसरे साइड रिकी और स्नेहा बैठ गये.. सबसे फॉर्मली मिलने के बाद काम की बातें शुरू हुई और मॉकटेल्स और खाने का दौर भी स्टार्ट हुआ.. रिकी इतनी देर का भूखा, खाना आते ही जल्दी से उसपे टूट पड़ा और काम को साइड रख खाने का मज़ा लेने लगा.. स्नेहा ने चुपके से मौका देखा तो सब लोग खाने के मज़े लेने में लगे हुए थे, उसने धीरे से अपनी सॅंडल्ज़ निकाली और एक पैर से साइड में बैठे रिकी के पैर को सहलाने लगी.. रिकी को जैसे ही स्नेहा के पैर महसूस हुए, उसके बदन में एक झुरजुरी सी फेलने लगी.. स्नेहा हल्के हल्के अपने पैर और उंगलियों से उसके जीन्स के उपर से ही उसको सहलाने लगी.. जैसे जैसे वक़्त गुज़रता वैसे वैसे स्नेहा के चेहरे पे मुस्कान और बढ़ती जाती यह करके.. विलसन के सामने रिकी काफ़ी सैयम से बैठा था और शांति पूर्वक उनकी बातें सुन रहा था और अपनी बातें भी कर रहा था, लेकिन उसके शरीर के अंदर आते झटके से वो सहम रहा था.. स्नेहा के पैरों का जादू भी बढ़ता जा रहा था..
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