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RE: Antarvasna kahani वक्त का तमाशा
"अहहहहौमम्म्म भाई...... येस्स्स्स फाटसेर प्लस्ससस्स हहुउऊउफफफफफ्फ़....." शीना की आवाज़ तेज़ होने लगी....
"अहहहाः फास्टर्र्ररर भाइईइ अहहः हान्न्न हान्ं हान्ं एसस्स...आइ एम कमिंग भाई अहहह... डॉन'ट लीव नाउ..." शीना तेज़ी से चिल्लाने लगी और अपने हाथ और शरीर को आगे ले जाके रिकी के चेहरे को अपनी चूत में घुसाने लगी...
"ओह्ह्ह्ह नूऊ.... भैईई फफफफ्फ़..........फ़्फुूक्ककककककककककककक.." शीना की एक तेज़ चीख निकली जिसके साथ उसकी चूत ने अपना पानी छ्चोड़ दिया और रिकी भी जैसे बरसो का प्यासा उसकी चूत रस की आखरी बूँद तक निचोड़ डाली.... जब अपना चेहरा शीना की चूत से उपर उठाया तो शीना बिस्तर पे निढाल पड़ी थी.... रिकी थोडा उपर हुआ और उसकी नाभि को चूमने लगा....
"उम्म्म... नूऊ.प्लस्स...." शीना ने आँखें बंद रखे ही कहा और रिकी को अपने उपर खींचने लगी...
"इट'स पेनिंग आ लॉट... आंकल के साथ अब थाइस में भी पेन हुआ थोड़ा..और सब आपकी वजह से..." शीना ने रिकी की नंगी छाती पे मुक्का मारते हुए कहा और अपना चेहरा छाती पे चिपका लिया
"ह्म्म्मी... सही कहा..." रिकी ने बस इतना ही कहा और शीना के बालों की महक लेके उसके सर को चूम लिया
"मेरे ही तो होंठ सुख रहे थे इतनी सुबह सुबह.. इतनी सुबह सुबह मैने तुमको फोन करके बुलाया था..." रिकी ने मज़ाक में कहा जिसके जवाब में शीना बस उसके सीने से लिपटी रही और मुस्कुराने लगी... तन्हाई में अगर खुद से बातें करनी हो, अगर अपने दिल की आवाज़ सुननी हो तो उस शक्स के लिए रात के 2 से 5 का समय अनुकूल होता है.. चारो तरफ सन्नाटा पसरा हुआ, काला अंधेरा.. इसके अलावा आदमी को अपने दिल की सुनने के लिए और क्या चाहिए... सुबह के 5 से थोड़ा ज़्यादा वक़्त और दो प्रेमी एक दूसरे के आलिंगन में खोए हुए थे..दोनो एक दूसरे की दिल की धड़कनो को सुनने में व्यस्त थे और बस बाहों में बाहें डाले इस खामोशी का मज़ा ले रहे थे.. जब दो दिल जुड़े होते हैं, तो आदमी शब्दों को नही, दिल की धड़कन को समझने लगता है..यह दोनो भी ठीक इस मुकाम पे पहुँच गये थे, जहाँ इन्हे शब्दों की नही, दिल की भाषा समझ आने लगी थी
"भाई......."
"उम्म्म्मममम"
"प्लीज़ नेवेर लीव मी अलोन.."
शीना की इस बात का रिकी ने कोई जवाब नही दिया बस उसे अपनी बाहों में और दबा लिया और मज़बूती से पकड़ लिया...
"भाई.. देयर'स सम्तिंग आइ वॉंट टू अस्क यू..." शीना ने रिकी के सीने से अलग होते हुए उसकी आँखों में देख के कहा
"पूछो" रिकी ने बस हल्के से यही कहा
"जब जब मैने आपसे कहा है कि आप मुझे अकेला नही छोड़ना कभी, तो आप बस उम्म्म्म करते हो... बट आज तक यह नहीं बताया के कैसे करोगे यह सब..." शीना ने सीरीयस होके पूछा, एक सीधा सवाल , उसके चेहरे पे कोई भाव नहीं थे, कोई हँसी नहीं थी.. बस आँखों से मिलती आँखें और लफ़्ज़ों से निकलता यह सवाल..
"आइ विल थिंक सम्तिंग..." रिकी ने प्यार से शीना के चेहरे को अपने दोनो हाथों में थाम के कहा
"भाई... कॅन आइ से वन मोर थिंग.." शीना ने हिचकिचके कहा
"शीना...तुम कुछ कहो, उससे पहले मैं तुम्हे बताता हूँ तुम क्या कहना चाहती हो.." इस बार रिकी ने थोड़ा सीरीयस होके कहा
"क्या..." शीना ने थोड़ा शॉक होके पूछा
"शीना राइचंद... यस.. आइ विल मॅरी यू..." रिकी ने नम आँखों से ऐसी बात कही जिसे सुन शीना की आँखें भी नम होने लगी और रिकी से चिपक के रोने लगी... रिकी और शीना दोनो जानते थे कि जो वो सोच रहे थे, जो वो कह रहे थे या जो वो करना चाहते थे, वो मुमकिन नहीं है... दोनो की आँखें तो नम थी पर आवाज़ संभली हुई थी, शायद कोई सुन ना ले इस वजह से काफ़ी दबी हुई आवाज़ में अपना दुख व्यक्त कर रहे थे..
"आइ नो भाई.. मैने प्रॉमिस किया था की ऐसी कोई कमिटमेनट नहीं लूँगी आपसे.. मैने दिल को काफ़ी समझाने की कोशिश भी की, लेकिन मैं ना कामयाब रही" शीना ने अपने आँसू पोछ के कहा
"आइ विल मॅरी यू शीना..." रिकी ने बस इतना ही कहा और नम आँखों से शीना को देखने लगा
"भाई..ईज़ इट पासिबल..." शीना को जैसे एक उम्मीद सी दिखी रिकी की आँखों में लेकिन आवाज़ अभी भी रुआंसी सी थी
"यस..मैं देख लूँगा वो... प्लीज़ रोना नही अब इस बात के लिए..." रिकी ने शीना की आँखों से आँसू हटाते हुए कहा और वहाँ से उठ के जाने लगा, के तभी पीछे से फिर शीना ने आवाज़ दी..
"भाई..." शीना की आवाज़ सुन रिकी रुक गया और पीछे मूड के उसे सुनने लगा
"भाई...जो भी हो, जो भी करोगे, जो भी सोच रहे हो...हर एक कदम में मैं आपका साथ दूँगी..." शीना ने इतना कहके अपना चेहरा शरम से नीचे कर दिया, जिसके जवाब में रिकी ने कुछ नहीं कहा और वहाँ से अपने कमरे में चला गया.. रिकी अपने कमरे में आके अपने आप से लड़ने लगा कि कैसे वो शीना से किया हुआ वादा पूरा करेगा... जब वो जानता था के शीना नहीं बच सकती तो कैसे उसने वादा किया शीना से.... कुछ देर कमरे में यहाँ से वहाँ टहलता और सोचता रहता के आख़िर वो क्या करे...ना चाहते हुए भी, उसने सोच समझ के एक फोन किया
"हेल्लू...." रिकी ने फोन लगा के कहा
"ह्म्म्मच.. बोल ना, इतनी सुबह सुबह, तेरी आदत अब तक नही बदली, रात भर जागता रहता है...क्या हुआ, कौनसा उड़ता तीर पकड़ लिया तूने जो मुझे तंग कर रहा है.." सामने वाले ने वक़्त देखते हुए कहा और आलस में अंगड़ाई लेते हुए बात करने लगा
"मैं मज़ाक के मूड में बिल्कुल नहीं हूँ अभी.." रिकी की आवाज़ में गुस्सा सॉफ झलक रहा था..
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RE: Antarvasna kahani वक्त का तमाशा
"अछा, चल बोल...क्या हुआ..व्हाई सो स्ट्रेस्ड आउट.." सामने वाले ने रिकी को गंभीर लेना शुरू किया और अपने बिस्तर से उठ के रिकी की बात सुनने लगा
"मैं शीना से शादी करना चाहता हूँ.." रिकी ने सीधी बात कही जो उसे कहनी थी..
"ओके... और कुछ.." सामने वाले ने हँस के बस इतना कहा और फिर अपने लिए कुछ बनाने लगा
"मैं मज़ाक नहीं कर रहा समझ रहा है तू.." रिकी की आँखें लाल हो रही थी इस बात से
"देख तू होश में है या नहीं, मुझे नहीं पता.. पर यह पासिबल नहीं है.. अब तक तो मैं तेरी हर बात को मज़ाक में लेता था, लेकिन यह बात पासिबल नहीं है.. हर बार जब तूने कहा कि शीना के बदले तुझे मारु तो उसे मज़ाक समझा, लेकिन आज कोई मज़ाक नहीं चलेगा समझा तू.. शीना क्या राइचंद नहीं है, राइचंद'स के साथ वो भी मरेगी...और अगर तू बीच में आया तो याद रखना, " आख़िरकार सामने वाले की भी आवाज़ उँची हुई, उसका सब्र का बाँध टूटा और उसकी आँखों में भी गुस्सा उतरने लगा
"जो चाहे कर ले, मुझे तू कभी नहीं मार सकता.. इतना मैं जानता हूँ, और शीना को मैं कुछ नहीं होने दूँगा.. मेरे बिना तू एक कदम आगे नहीं बढ़ पाएगा इस प्लान में.." यह कहके रिकी कुछ देर खामोश रहा और सामने से भी कोई आवाज़ नहीं आई.. शायद सामने वाला जानता था कि रिकी जो कह रहा है सही कह रहा है.. यह देख रिकी ने फिर अपनी बात कहना शुरू की.. "जब तूने मुझे इस काम के लिए कहा था, उस दिन तूने मुझसे कहा था कि मैं जो बोलूं तू वो देगा मुझे... आज मैं तुझसे माँग रहा हूँ.. शीना को कुछ नहीं होना चाहिए.." रिकी की आँखें लाल होने के साथ साथ किसी पत्थर की तरह कड़क भी होने लगी थी, इतना गुस्सा दिख रहा था उसकी आँखों में जैसे अगर वो उसके सामने होता तो अभी का अभी उसे मार डालता
"मुझे अच्छी तरह याद है, और तुझे भी याद होगा.. मैने सॉफ सॉफ कहा था कि इस लड़की से दूर रहना, यह तेरी कमज़ोरी ना बन जाए.. लेकिन तूने वो बात मानी, तूने भी भुला दी ना यह बात...तो फिर मुझसे क्यूँ कुछ एक्सपेक्ट कर रहा है हाँ..देख मैं सॉफ सॉफ बोल रहा हूँ, शीना..."
"शीना को कुछ नहीं होगा.. सुना तूने... उसे एक खरॉच भी आई तो तेरा प्लान अंत में जाते जाते भी बिगड़ सकता है..." रिकी ने उसे बीच में टोकते हुए कहा और खुद ब खुद उसकी उंगली उपर उठ गयी जैसे कोई किसी को धमकी देने को उठाता है
"मतलब मैं समझा नहीं... क्या कहना चाहता है तू, कैसे अंत में..." सामने वाला फिर कुछ कह पाता उससे पहले रिकी फिर बोल पड़ा
"वो सब छोड़...मेरी बात को सुन.. अगर शीना को कुछ हुआ तो तू सब भूल जा, यह सब जो कर रहा है इसे बिगड़ते एक मिनट भी नहीं लगेगा..अगर शीना को कुछ नहीं हुआ, तो जैसा तूने सोचा है वैसे ही सब होगा..." रिकी ने अपने गुस्से को शांत किया और ऐसी बात कही जिससे सामने वाले को अब तक का सबसे बड़ा झटका लगा..
"एक लड़की की वजह से अपने दोस्त को धोखा देगा.."
"नहीं...एक लड़की की वजह से अपने दोस्त को कोई धोखा नहीं दूँगा, लेकिन उस लड़की की वजह से ही आज मैं ऐसा हूँ.. आज उसकी वजह से ही जी रहा हूँ, आज उसकी वजह से ही मैं खुल के किसी से बात कर सकता हूँ.."
"मैं कुछ नहीं कहना चाहता अभी... मैं कुछ नहीं करूँगा तेरी शीना को.. लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि उसे कुछ हो नहीं सकता, तू बचा ले उसे.. देखेंगे किस्मत को क्या मंज़ूर है.." सामने वाले ने इतना कहके फोन कट कर दिया और रिकी की बात के बारे में सोचने लगा...
"गुड मॉर्निंग शीना..." ज्योति ने शीना के कमरे में जाते हुए कहा जहाँ शीना अभी भी हल्की हल्की नींद में थी..
"गुड मॉर्निंग डार्लिंग...कम हियर..." शीना ने हल्की सी आँखें खोल के कहा और ज्योति को अपनी बाहों में बुला लिया.. बिना कुछ सोचे ज्योति भी उसके पास गयी और उसके पास जाके बैठ गयी.. ज्योति के बैठते ही शीना ने अपने सर को उसकी गोद में रखा और फिर आँखें बंद कर ली..
"अरे डियर, उठ जाओ.. आज रिज़ॉर्ट नहीं जाना.." ज्योति ने हल्के से शीना के सर को सहलाते हुए कहा
"डॅड से पर्मिशन लो पहले, " शीना की आँखें अभी भी बंद थी
"ताऊ जी मान गये हैं..चलो गेट अप... मैं भैया को देखूं...चलो उठो भी.." ज्योति ने धीरे से शीना के सर को अपनी गोद से हटाया और रिकी के पास जाने लगी..
"यह साली शराब और शबाब की आदत ऐसी है, कि एक बार होंठों पे लग जाए तो फिर छूटने का नाम नहीं लेती.." राजवीर ने रूम के बार पे बैठे बैठे दो पेग बनाए और खुद से बातें करने लगा...
"मैं कैसी लग रही हूँ..." स्नेहा ने राजवीर के पीछे से उसे आवाज़ दी.. स्नेहा की आवाज़ सुन राजवीर मुस्कुरा के पीछे मुड़ा और सामने का नज़ारा देख उसकी मुस्कान और बड़ी हो गयी..
"लगता है नज़ारा अच्छा नहीं लगा आपको...चलिए अब बताइए कैसे लगा.." स्नेहा ने फिर कहा और अपने शरीर पे बँधा हुआ टवल भी उतार के फेंक दिया और अपने शरीर की नुमाइश करने लगी राजवीर के आगे
"उफ्फ.....मेरा भतीजा बहुत नसीब वाला था जो ऐसी मुर्गी रोज़ ख़ाता था...ज़हेर लग रही हो एक दम.." राजवीर ने अपने होंठों पे जीब फेर के कहा
"हाहहाा...आप ना, बातें बनाना तो कोई राइचंद'स से सीखे... सब एक से एक हैं" स्नेहा नंगी ही आगे बढ़ती गयी और राजवीर की गोद में जाके बैठ गयी.. स्नेहा के नंगे शरीर को महसूस करके राजवीर का लंड उसकी जीन्स के अंदर से ही हिचकोले खाने लगा... स्नेहा ने भी उसके खड़े लंड को अपने चुतड़ों पे महसूस किया और आग भड़काने के लिए धीरे धीरे अपने चुतड़ों को उसके लंड पे रगड़ने लगी...
"साली बेन्चोद रंडी.... अपने ससुर की आग को ठंडा करने के बदले और भड़का रही है..." राजवीर ने उसके एक चुचे को हाथ में लेके ज़ोर से मसल दिया
"ओउउुचह.....मेरे चोदु ससुर जी... धीरे मारिए अपनी रंडी बहू को..कहीं भागी तो नहीं जा रही मैं..." स्नेहा ने दर्द और मस्ती से उछलते हुए जवाब दिया...
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RE: Antarvasna kahani वक्त का तमाशा
"हेलो..." रिकी जब महाबालेश्वर पहुँचा ज्योति और शीना के साथ तो वो तीनो घर पे बैठ के आराम से हँसी मज़ाक कर रहे थे कि तभी रिकी का फोन बजा
"उफ़फ्फ़. भाई, आप फोन बंद करो ना प्लीज़.." शीना ने उसके बजते हुए फोन को देख कहा
"एक सेकेंड स्वीटहार्ट...हेलो..." रिकी ने फिर फोन पे जवाब दिया
"सर... गुड ईव्निंग...मैं कामत बोल रहा हूँ, इरीटा मराठा से.."
"यस बताइए..." रिकी को तुरंत याद आया कि उसने होटेल के मॅनेजर को फोन के लिए कहा था अगर राजवीर और स्नेहा आते हैं तो
"सर, वो दो शक़्स फिर से यहाँ आए हैं.. और हम ने उन्हे वोही रूम अलॉट किया है..आप यहाँ जल्दी आ जायें तो अच्छा होगा" कामत ने दबे लफ़ज़ो से अपनी कॅबिन में बात कर रहा था
"कितनी देर हुई उन्हे आने में..." रिकी ने बाहर जाके पूछा क्यूँ कि वो नहीं चाहता था कि शीना और ज्योति सुन लें उनकी बातें
"सर करीब 15 मिनट हुए हैं..." कामत ने अपनी टाइ लूस करके जवाब दिया क्यूँ कि चिंता उसके चेहरे पे सॉफ झलक रही थी..
"ओके , आप एक काम करें...आप उनपे नज़र रखिए, और हो सके तो उन्हे करीब 2-3 घंटों के लिए बिज़ी रखें..मैं तब तक अपनी टीम के साथ वहाँ पहुँचता हूँ कर पाएँगे आप.." रिकी ने अपना दूसरा फोन निकाला और कुछ देखने लगा
"जी सर, कोई बात नहीं, लास्ट टाइम इन लोगों ने 3 घंटे बाद ही चेक आउट किया था, तो आप के पास इतना टाइम रहेगा आज भी आइ गेस.." कामत ने अपने पास रखा हुआ पानी पीते हुए कहा
"ठीक है..थॅंक्स आ लॉट मिस्टर कामत. मुंबई पोलीस आपकी शुक्र गुज़ार है, मैं जल्दी मेरी टीम के साथ आता हूँ...बाइ" रिकी ने फोन काटा और दूसरे फोन पे बात करने लगा
"हेलो..एक काम कर, किसी को इरीटा मरता के बाहर नज़र रखने को बोल.. स्नेहा राजवीर वहीं हैं, मैं निकल रहा हूँ यहाँ से अभी.." रिकी ने अंदर जाते हुए कहा
"तू इतनी दिलचस्पी क्यूँ ले रहा है उनके रिश्ते में..स्नेहा ने प्रॉपर्टी अपने नाम करवा ली है, और हम वो उससे ले चुके हैं..और क्या चाहिए, करने दे ऐश उनको..."
"अबे..भाईं के भाई, प्रॉपर्टी पेपर्स मैने पढ़े, उसके क्लॉज़ सुन सुन के दिमाग़ खराब हो जाएगा तेरा.. और इनके रिश्ते में दिलचस्पी नही है, लेकिन यही फ़र्क है तेरी सोच में और मेरी सोच में.. मैं कुछ और पता लगाना चाहता हूँ..."
"और वो क्या है..."
"देख, अगर बात सिर्फ़ फिज़िकल रीलेशन की होती तो ओके, लेकिन राजवीर ने सिर्फ़ फिज़िकल रीलेशन के लिए अपनी प्रॉपर्टी स्नेहा को दे दी.. यह बात हजम नहीं हो रही..तू जानता है जब उनकी यह बात हुई थी, तू सुन सकता था उसको.." रिकी ने फिर बाहर आके उससे सवाल किया
"नहीं ना.. उस वक़्त उसने वो..."
"हां समझ गया, बस इसलिए कह रहा हूँ...मुझे पता करने दे, यहाँ खड़े खड़े 2 मिनिट बिगाड़ दिए मेरे.. तू जल्दी से किसी को भेज, और अब वापस फोन नहीं करना...गेट लॉस्ट..." रिकी ने फोन कट किया और पीछे मूड के अंदर जा ही रहा था कि उसे पीछे शीना खड़ी दिखी... शीना को खड़ा देख रिकी को एक झटका सा लगा...
"कहीं इसने कुछ सुन तो नहीं लिया...." रिकी अंदर ही अंदर सोचने लगा और आगे बढ़ के शीना के पास जाने लगा
"कौन था..." शीना ने हंस के पूछा..
"फेववव..थॅंक गॉड..." रिकी ने फिर खुद से कहा और शीना को घूर्ने लगा
"घूर क्या रहे हो...जवाब भी दो" शीना ने थोड़ा चिल्ला के कहा
"अरे, कुछ नहीं.. उः, याद है उस दिन होटेल में गये थे... वहाँ के मॅनेजर का फोन था..बता रहा था कि स्नेहा और राजवीर के नाम से कोई चेक इन किया है.." रिकी ने शीना को जवाब दिया
"व्हाट.... अभी क्या करेंगे हुम्म....." शीना ने चौंक के कहा
"धीरे बोलो.. ज्योति सुन ना ले... तुम एक काम करो, ज्योति को बिज़ी रखो, आइ मीन उसको यह नहीं लगना चाहिए कि मैं काफ़ी टाइम से नहीं हूँ समझी... लेट मे गो आंड हॅव आ चेक.. आज रंगे हाथों पकड़ना है उन्हे..." रिकी ने कड़क आवाज़ में कहा
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RE: Antarvasna kahani वक्त का तमाशा
"बट भाई.. अभी आप जाएँगे, और हम अकेले... और आप नही जाओ प्लीज़...." शीना डरने लगी थी
"अरे मेरी स्वीटहार्ट...प्लीज़ डरो नही.. यह सब गार्ड्स हैं ना..मैं इन्हे कह देता हूँ, घर के उपर, नीचे आगे पीछे खड़े हो जाएँगे..कुछ नहीं होगा, अगर इस बार तुम्हे कुछ भी हुआ तो ट्रस्ट मी.. उसे सबसे पहले मुझ से गुज़रना पड़ेगा." रिकी ने शीना को आश्वासन देते हुए कहा
"व्हाट भाई... यहाँ भी गार्ड्स, कहीं प्राइवसी ही नहीं..फिर फ़ायदा क्या वीकेंड पे यहाँ आने का" शीना ने मायूसी में वो बात की जो रिकी को भी सही लगी..
"ह्म्म्मो... एक काम करो, ज्योति कहाँ है..." रिकी ने आस पास नज़र घुमाई और गार्ड्स सब लॉन के पास खड़े थे, मतलब उन दोनो से करीब 50 फीट दूर..
"वो किचन में है..कॉफी बना रही है क्यूँ" शीना ने आस पास देख के पूछा
"एक काम करो... यू कीप दा वित युवरसेल्फ...." रिकी ने अपने पेर को उपर उठाया और अपने जूते में छुपी हुई गन निकाली और शीना को दिखाई.. गन देख शीना की आँखें फटी की फटी रह गयी, उसे यकीन नहीं हो रहा था कि वो गन देख रही थी रिकी के हाथों में...
"क्या हुआ.. टेक दिस..." रिकी ने शीना के कंधों पे हाथ रखते हुए कहा तो शीना को होश आया...
"भ्ाआभह....बाऐईयइ...यययी ईएहह कययी आककय्ाआअ हाईईइ.." शीना के मूह से लफ्ज़ नहीं फुट रहे थे
"कॅन यू प्लीज़ काम डाउन...आंड होल्ड दिस.." रिकी ने फिर शीना के कंधों पे ज़ोर दिया और गन उसके हाथ में थमाने लगा...
शीना ने अपने काँपते हाथ आगे बढ़ाए और गन को पकड़ने लगी.... गन पकड़ते ही शीना के हाथ एक दम ठंडे पड़ गये और उसके बदन में जैसे एक करेंट दौड़ गया हो...
"शीना नाउ लिसन टू मी केर्फुली...यह तब चलना जब ज़रूरत हो, इन एक्सट्रीम केस ओन्ली..आइ रिपीट, इन एक्सट्रीम केस ओन्ली.." रिकी ने बड़े धीरे से शीना के कानो में कहा..
"पर भाई, दिस ईज़ वेरी हेवी...आंड मुझे चलानी नहीं आती..." शीना ने अपने होश संभाल के कहा
"देखो... दिस ईज़ ट्रिग्गर, यू जस्ट नीड टू अनलॉक इट..लाइक दिस वे...आंड जिसको मारनी है उसके सामने रख दो...मेक श्योर जब तुम गोली चला रही हो तब हाथ स्टेडी होना चाहिए..नहीं तो गोली कहीं की कहीं भी लग सकती है.." रिकी ने उसको गन अनलॉक और लॉक करके दिखाया और तब तक दिखाता रहा जब तक शीना ने खुद दो तीन बार सेम चीज़ रिपीट नहीं की...
"शीना...दिस ईज़ लोडेड ओके...लोडेड, मीन्स फुल ऑफ बुलेट्स...जब भी एमर्जेन्सी हो, आइ रिपीट एक्सट्रीम एमर्जेन्सी तब ही फिर करना...नहीं तो मैं कुछ नहीं कर पाउन्गा ओके.." रिकी ने फिर शीना के कंधों पे हाथ रखा और सेम बात कही.. शीना ने अपने होश को संभाला और रिकी की हां में हां भरने लगी...
"भाई, वैसे यह गन कहाँ से आई आपके पास..और क्यूँ है.. और कौनसी है.." शीना ने उत्सुकता और कन्फ्यूषन दोनो भाव दिखाते हुए पूछा
"एके 47 स्वीटहार्ट...चाचू ने दी है, हमे कभी भी ज़रूरत पड़ सकती है इसलिए हम सब के पास है... फिलहाल तुम जल्दी अंदर जाओ और देखो कहीं ज्योति बाहर ना आए.. मैं गार्ड्स से कहता हूँ वो आगे ही रहेंगे, प्राइवसी ईज़ ऑल युवर्ज़ ओके..." रिकी ने फिर नॉर्मल होते हुए कहा और शीना को चूम के अपनी गाड़ी में बैठ के मुंबई की तरफ निकल गया..
"हां सुन... कोई आदमी हो तो उसको बोल यहाँ पे निगरानी रखे, लड़कियाँ अकेली हैं.." रिकी ने गाड़ी चलाते हुए फोन पे कहा
"ठीक है..."
"ठीक है... साले भाईं के भाई... इस बार सवाल नहीं पूछा"
"ज्योति भी है ना... तभी.."
"वाह..आपकी ज्योति ही इंसान है, कोई नहीं... मैने वैसे भी शीना को गन दी है ..." रिकी ने ध्यान आगे रखते हुए कहा
"अबे चुउ.... साले, गन उसको दे दी, हमे कभी ज़रूरत पड़ी तो"
"उसको एर गन दी है , हाइयेस्ट क्वालिटी की जो हम ने खरीदी थी, वो नहीं जानती कि वो गुण नकली है. सिर्फ़ वेट देख के ही इंप्रेस हो गयी..और अश्यूर भी कि वो सेफ है.."
"हां.. यह ठीक है, इस बात में मेरी ज्योति अकल वाली है..हहहहीए"
"तेरी माआआआआ...के चरणों को छूके प्रणाम करूँ...बकवास बंद कर, शीना के खिलाफ लफ्ज़ नहीं...मैं अब जल्दी पहुँचना चाहता हूँ..चल निकल अब.." रिकी ने कहके फोन कट कर दिया और गाड़ी की स्पीड बढ़ा दी मुंबई पहुँचने के लिए
"शीना, रिकी भैया कहाँ गये...हियर, युवर कॉफी..." ज्योति जब बाहर आई तो शीना अकेली बैठी थी और उसके आने तक शीना ने गन भी पिल्लो कवर के अंदर छुपा ली थी...
"अरे वो भैया को रिज़ॉर्ट वाला है ना..क्या नाम है, उसका .. विलसन हां, उसका फोन आया था, तो उससे मिलने गये हैं.." शीना ने कॉफी पीते हुए जवाब दिया
"स्ट्रेंज..भैया ने मुझे नहीं बताया, एनीवेस... यू से, कैसा लगा काम अब तक का..इट वाज़ गुड ना ?" ज्योति ने शीना से पूछा
"अरे.. इट वाज़ इनडीड माइंड ब्लोयिंग..आइएम ट्रूली इंप्रेस्ड, मैं खुद श्योर नहीं हूँ कि मैं क्या यह सब कर पाती.. दस आइ थिंक यू ट्रूली डिज़र्व दिस डियर.."
"अरे.. अचानक एमोशनल.. वो भी शीना राइचंद..उम्म्म, कुछ तो गड़बड़ है.." ज्योति ने मज़ाक में कहा
"हाहहा.. ना ना, नतिंग लाइक दट.. सही में, स्वेर ऑन गॉड..आइ एम हॅपी कि तू ही कर रही है यह.. शायद मैं कभी यह सब अकेली नही कर पाती, बट लेट'स नोट डिसकस दिस.. आज कितने दिन बाद तेरी तारीफ़ की मैने.. पार्टी तो बनती है बॉस..." शीना ने अपनी कॉफी साइड में रख के कहा और ज्योति के पास जाके बैठ गयी
"ओह्ह्ह य्स्स... बोल, क्या करें.. रेड वाइन ओर शॅंपेन.." ज्योति ने भी अपना मग साइड रखा और बॉटल निकालने बाजू बने क्लॉज़ेट को खोलने लगी
"रेड वाइन.. शॅंपेन विल बी ड्राउज़ी, इट्स ऑलरेडी चिली हियर.." शीना ने हाथ मलते हुए कहा
"यू गॉट इट..." ज्योति ने कहा और क्लॉज़ेट में वाइन देखने लगी...
"एक काम कर, लेट'स रिलॅक्स.. यू ब्रिंग दा ग्लासस आंड सम्तिंग टू गो वित वाइन..मैं उपर हॉट बाथटब ऑन करती हूँ.. काफ़ी टाइम बाद गर्ल्स अरे अलोन..लेट'स मेक मोस्ट ऑफ इट.." शीना ने आँख मारते हुए कहा और ज्योति ने भी हँस के इशारे में ओके कहा... शीना जल्दी से उपर की ओर बढ़ी और टेरेस पे जाके देखा कोई है तो नहीं.. शाम के 5.30 बजे भी एक दम सन्नाटे जैसा माहॉल था, टेरेस पे उन्हे कोई डिस्टर्ब करने वाला नहीं था.. शीना ने चैन की साँस ली और टेरेस रूम में चली गयी जहाँ उनका बाथटब फिट था..
"ओके, सो हियर आर ग्लासस.. आंड हियर ईज़ युवर बॉटल डियर.." ज्योति ने उपर आके शीना से कहा जो बाथटब में बैठी पानी के साथ खेल रही थी
"ओह यस.. जल्दी बना दो और तुम भी आ जाओ... एंजाय दा बब्ल्स बब्ब्ली..हिहिहीही" शीना ने पानी के छींटे ज्योति पे उड़ा के कहा.. ज्योति भी जल्दी से अनड्रेस हुई और अपनी लाइनाये में ही अंदर चली गयी...
"वेलकम स्वीटहार्ट..." शीना ने ज्योति से हँसते हुए कहा और उसे गले लगाने के लिए बाहें खोली जिसमे ज्योति भी हँसते हँसते समा गयी
"आइ आम सो सॉरी ज्योति फॉर ऑल दा मेस.."
"लेट'स नोट स्टार्ट अगेन... इट'स टाइम टू रिलॅक्स ओके..." ज्योति ने हँस के जवाब दिया और दोनो हँसते हसते एक दूसरे को घूर्ने लगी...
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RE: Antarvasna kahani वक्त का तमाशा
बाहर का तापमान थोड़ा ठंडा होने लगा था, अक्टोबर के महीन में महाबालेश्वर में सर्द हवायें अभी शुरू ही हुई थी, लेकिन इसका असर जल्दी फेलने लगा था, सूरज 6 बजे ही पहाड़ों के बीच डूब जाता, जिसकी जगह हल्की ठंडी पवन चलने लगती.. हॉट बाथटब में गरम पानी और बुलबुले के बीच शीना और ज्योति एक दूसरे से सटके बैठी हुई थी और गर्मी का मज़ा ले ले के वाइन पे वाइन पिए जा रही थी...बातें करते करते 2 घंटे हो गये, और इसी बीच वाइन की पूरी बॉटल ख़तम होने आई थी...
"अरे यह तो ख़तम होने आई यार..." शीना ने थोड़ी बहकी आवाज़ में कहा
"उम्म, कोई बात नही...मैं दो लाई हूँ... वेट लेट मी गेट इट..." कहके जैसे ही ज्योति टब के बाहर जाने को उठी, शीना ने उसकी ब्रा की लेस को पकड़ा जिससे ज्योति के उठते ही उसकी ब्रा शीना के हाथ में आ गयी..
"ओह्ह्ह....यह क्या था..." ज्योति ने थोड़ा अचंभे में आके कहा और दोनो हाथों से अपने चुचों को ढकते हुए बोली..." यह नशा ही था जिसकी वजह से ज्योति इस हरकत पे अभी भी मुस्कुरा रही थी..
"हाहहहा..इसमे क्या है, रिलॅक्स कर ना...मेरे अलावा कौन है यहाँ...हाथ हटा दे, शरम क्या करने की..." शीना ने अपना भी वाइन का ग्लास खाली करके कहा..
"उम्म्म्म... पर ऐसा कैसे रिलॅक्स, तुम भी तो रिलॅक्स हो जाओ..मैं भी देखूं.." ज्योति भी कॅषुयल हो गयी और अपने हाथ हटा दिए
"यह ले..इसमे क्या..." शीना ने एक झटके में अपनी ब्रा उतार दी और ज़मीन पे फेंक दी...
"नाउ वी आर स्क्वेर..." ज्योति ने हँस के कहा और दो वाइन के ग्लासस बना के फिर बाथटब में उतरी..
एक दूसरे के शरीर को देख दोनो की आँखों में नशा बढ़ने लगा और वाइन का एक और ग्लास उस सुरूर को बढ़ावा दे रहा था...
"उम्म्म्म...तुम्हारे बूब्स कितने मस्त हैं...सो फर्म...." ज्योति ने शीना के निपल्स को हाथ में लेके कहा..
"आहह......" शीना सिसक उठी जिसे सुन ज्योति ने हाथ वहीं रखे
"फर्म तो तेरे भी हैं..लुक अट दिस....ओह्ह्ह माइ गॉड...." शीना ने ज्योति के निपल को पकड़ा और उसे हल्के पिंच किया...
"वेलकम सर...." कामत ने रिकी को रिसेप्षन पे देख कहा...
"मिस्टर कामत...थॅंक्स आ लॉट फॉर दिस.. आर दे हियर ओर हॅव दे चेक्ड आउट..." रिकी ने हाथ मिला के कहा
"दे जस्ट लेफ्ट सर.. पर जब आपने कहा आप 10 मिनट में पहुँच रहे हैं..तो मैने फिर कोई रोकने की कोशिश नहीं की.." कामत रिकी के साथ रूम की तरफ बढ़ने लगा...
"यस सर.. दे जस्ट चेक्ड आउट...." रिकी ने फोन पे आक्टिंग करते हुए कहा जब दोनो रूम के अंदर घुस्से
"राइट सर.. आदमी पीछे लगे हुए हैं, टीम बाहर ही है..वी आर ऑन देम...यस वेट सर," रिकी ने फोन पे हाथ रख कहा और इशारे से कामत को बाहर जाने के लिए कहा.. कामत बाहर जाके नज़र रखने लगा...
"भैनचोद..कितनी आक्टिंग पर, " रिकी ने फोन जेब में रखते हुए कहा और उस दिन जिस वेस में ऑडियो डिवाइस रखा था उसमे से डिवाइस निकालने लगा..
"थॅंक गॉड.. यह यहीं है.." रिकी ने डिवाइस निकाला और फटाफट जेब में रख बाहर आ गया..
"मिस्टर कामत.. यू नो व्हाट हॅव यू डन.." रिकी ने गंभीर होके पूछा
"सर, आइ डिड ऐज यू सेड..." कामत डर गया था अचानक रिकी के मूह से यह शब्द सुन के..
"हाहहा.. डॉन'ट बी स्केर्ड.. वी हॅव गॉट देम.. हमारी टीम उसके पीछे थी और जब अकेले हुए तो वी गॉट देम... आप ने इतनी बड़ी हेल्प की है हमारी, कमिशनर सर ने कहा है ही विल रेकमेंड युवर नेम फॉर दा ब्रेवरी अवॉर्ड... कूडोस टू यू.." रिकी ने हाथ मिला के कहा.. कामत यह बात सुन चौड़ा हो गया और चेहरे पे अलग ही कॉन्फिडेन्स आ गया..
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07-03-2019, 04:43 PM,
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RE: Antarvasna kahani वक्त का तमाशा
"ओके.. मिस्टर कामत.. आइ शल टेक आ लीव नाउ...बाइ.." रिकी वहाँ से निकला और सीधा गाड़ी में जाके बैठा
"चूतिया.. अवॉर्ड चाहिए, चूतिया काटना आज कल बहुत ईज़ी हो गया है.. क्या लोग इतने बेवकूफ़ हैं या मैं इतना हरामी बन गया हूँ.." रिकी ने खुद से कहा और पॉकेट से डिवाइस निकाल के स्नेहा और राजवीर की बातें सुनने लगा..
रिकी ने स्नेहा और राजवीर की पूरी बात सुनी... पूरी बात में से आधी तो उनकी सेक्स की चीखें और गालियाँ थी जिसमे रिकी को कोई दिलचस्पी नहीं थी.. काम की सिर्फ़ एक ही लाइन थी उसमे...
"अरे मेरी रंडी बहू... अब अपने चाचा ससुर का काम तो कर ले..." राजवीर ने स्नेहा से कहा
"कर ही तो रही हूँ...रोज़ रोज़ आपके इस साँप को अपने बिल में छुपाने का.. और क्या करूँ.." स्नेहा ने जवाब दिया
"हाए मेरी रंडी नागिन बहू, यह नहीं... मेरे भाई अमर को कब ख़तम करेगी..ज़रा यह भी बता दे.."
रिकी ने जैसे ही आखरी लाइन सुनी उसका दिमाग़ सुन्न पड़ गया...उसे यकीन नहीं हो रहा था कि राजवीर ऐसा क्यूँ कर रहा था, और वो भी स्नेहा के हाथों..चलो ठीक है स्नेहा के हाथों या कहीं और से, पर वो ऐसा कर ही क्यूँ रहा है..इन दोनो में क्या दुश्मनी है.. रिकी ने सोचा और फिर आगे सुनने लगा लेकिन आगे कुछ हाथ नहीं लगा, फिर वोही चूमने चाटने की आवाज़ें, ससुर बहू की गलियाँ और स्नेहा का रॅनडिपन..
"रंडी बेन्चोद..." रिकी ने खुद से कहा और फोन लगाया..
"हां बता..."
"कैसी रंडी को काम सौंपा था..जिसके आगे जाती है उसके आगे नंगी हो जाती है.."
"वो सब छोड़, क्या हाथ लगा वो बता.."
"तेरे लवडे लग गये बेटा..तेरी रंडी ही आज तेरा काम करना चाहती है..."
"मतलब.."
"मतलब यह, राजवीर अमर को मरवाना चाहता है और उस काम के लिए आपकी प्रोफेशनल रंडी हाइयर की गयी है..बधाई हो, आपकी नागिन ने आपको कुछ नहीं बताया."
"हिम्मत कैसे हुई उसकी...मुझे डबल क्रॉस कर रही थी हरामजादी"
"हां जी...पर ठीक है, चिल मार, मैं करता हूँ कुछ.."
"ठीक है मैं सोचता हूँ.."
"तू सोचता रह चूतिए.. मैने सोच भी लिया..."
"तू सोचे, मैं सोचूँ...एक ही बात है, भाई है तू मेरा आख़िर"
"भाई, भाईं... साले शीना की फ़िक्र नहीं है..याद है ना एंड में कुछ नहीं होना चाहिए, तेरी भाभी को.."
"हां बाप.. मैने कहा ना कुछ नहीं करूँगा, पर उसको खुद कुछ हुआ तो.."
"कुछ नहीं होने दूँगा मैं..और हां, वहाँ सब ठीक है"
"अब तूने चोर को तिजोरी की ज़िम्मेदारी दी तो भला क्या होगा.. सब सेफ है, आराम से जा...बाइ"
रिकी ने फोन कट किया और जल्दी से महाबालेश्वर की तरफ निकल गया.. जाते जाते रिकी ने कई बार शीना और ज्योति को फोन किया लेकिन किसी ने फोन नहीं उठाया.. गार्ड को फोन कर पूछा तो पता चला सब सेफ है..
"फिर यह फोन क्यूँ नहीं उठा रही..." रिकी ने खुद से कहा और गाड़ी की स्पीड और भी तेज़ कर दी...
"मेडम कहाँ है..." रिकी ने गाड़ी रोक के गार्ड से पूछा महाबालेश्वर पहुँच के
"सर, अंदर ही हैं.. वक़्त देखिए, 10 होने आए हैं.. तो शायद सो गयी होंगी" गार्ड ने गाड़ी की चाबी लेते हुए कहा
"हां यह हो सकता है.." रिकी ने गार्ड को जवाब दिया और रिलॅक्स होके अंदर चला गया... अंदर जाते ही देखा तो सब लाइट्स जल रही थी, समान सब वैसे का वैसा था जैसे वो छोड़ के गया था...
"इतनी नींद कि यह सब बंद भी नहीं किया..खाना खाया कि नही.." रिकी ने खुद से कहा और शीना के कमरे की तरफ चला गया.... शीना का दरवाज़ा खुला देख उसको थोड़ी हैरानी हुई, लेकिन दो कदाम आगे बढ़ा कि उसका सर चकराने लगा, आसमान टूट पड़ा या जो भी मुहावरा कह लो, सब रिकी के शकल पे फिट हो रहे थे... अंदर ज्योति और शीना एक दूसरे को लिपट लिपट के चूमे जा रही थी
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07-03-2019, 04:43 PM,
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RE: Antarvasna kahani वक्त का तमाशा
"नाउ वी आर स्क्वेर..." ज्योति ने हँस के कहा और दो वाइन के ग्लासस बना के फिर बाथटब में उतरी..
एक दूसरे के शरीर को देख दोनो की आँखों में नशा बढ़ने लगा और वाइन का एक और ग्लास उस सुरूर को बढ़ावा दे रहा था...
"उम्म्म्म...तुम्हारे बूब्स कितने मस्त हैं...सो फर्म...." ज्योति ने शीना के निपल्स को हाथ में लेके कहा..
"आहह......" शीना सिसक उठी जिसे सुन ज्योति ने हाथ वहीं रखे
"फर्म तो तेरे भी हैं..लुक अट दिस....ओह्ह्ह माइ गॉड...." शीना ने ज्योति के निपल को पकड़ा और उसे हल्के पिंच किया...
"आहहह..हिहिहिहीः..." ज्योति ने दर्द और मस्ती में आके सिसक मारी..
दोनो बहनो का एक हाथ अभी एक दूसरे के चुचों पे था और दूसरे हाथ से अपनी वाइन पीए जा रही थी.. वाइन का नशा अब धीरे धीरे इनके बदन में फेल रहा था, लेकिन यूँ जाम से जाम टकरा के एक दूसरे के चुचों को नाप के आँख से आँख मिला के वाइन पीना, कुछ ज़्यादा ही नशा दिख रहा था इनकी आँखों में... यह नशा वाइन का नहीं, वासना का था...वासना एक दूसरे के जिस्म की...एक दूसरे की आँखों में घूरते घूरते वाइन पे वाइन पीए जाना बिना कुछ कहे...उनके होंठ खामोश थे, लेकिन आँखें सब बयान कर रही थी... धीरे धीरे जब वाइन ख़तम होने लगी, तो ज्योति का हाथ भी हल्का हल्का शीना के चुचे पे उपर से नीचे घूमने लगा..पहले उंगली और फिर धीरे धीरे नाख़ून से शीना के चुचे को महसूस करना, शीना पागल हुई जा रही थी..वैसे तो दोनो बहनो ने औरत के साथ इससे पहले मज़े किए थे, लेकिन एक दूसरे के साथ, ऐसी स्थिति में, कुछ अलग ही रोमांच था इस बात का.. महाबालेश्वर की ठंड में गरम पानी के बुलबुलों के बीच पानी से ज़्यादा इनके शरीर की गर्मी इनके बदन को भिगो रही थी... ऐसे वातावरण में भी इनके चेहरे से बहता पसीना बयान कर रहा था इनके बदन की आग को, जो ठंडी होना चाहती थी...
"आइ थिंक..एक एक और चलेंगे...क्यूँ..."ज्योति ने ऐसी मदहोश आवाज़ में शीना के निपल्स को अपने अंगूठे के बीच मरोड़ के कहा की शीना मना ही नहीं कर पाई
"उम्म्म्ममममममममम......."शीना ने आँखें बंद कर सिर्फ़ इतना ही कहा और ज्योति मुस्कुराते मुस्कुराते बाथटब से बाहर निकली ग्लास बनाने को.. बाहर निकलते ही शीना की सबसे पहली नज़र ज्योति के मटकते चुतड़ों पे पड़ी जो नॉर्मल से काफ़ी बड़े लग रहे थे शीना को... ज्योति की मुलायम और मखमली गंद देख शीना से रहा नहीं गया और होंठों के बीच दाँत दबा के अपने एक निपल को मसल दिया..
"हाअईएहह.." शीना की हल्की मस्ती भरी चीख काफ़ी धीमी थी, लेकिन इतनी धीमी नहीं थी कि ज्योति नहीं सुन सकती
"क्या हुआ डियर...कहीं पे दर्द हुआ क्या...." ज्योति ने पलट के देखा शीना को तो शीना का एक हाथ पानी के अंदर धीरे धीरे हिल रहा था और दूसरा हाथ अपने ही एक निपल को मसल रहा था...
"नहीं..दर्द कैसा होगा अहमम्म....मैं तो बस, तेरा पीछा कर रही थी..." शीना ने अपने दोनो हाथों को आज़ाद किया और बाथटब के बाहर आने लगी..
"फिर..क्या पता चला पीछा कर के..." ज्योति ने आँखें गोल घुमा के शीना का जवाब दिया, वो समझ रही थी कि शीना क्या कह रही है
"पता नहीं चला कुछ, पर पता चल जाएगा अभी..." शीना बहकी बहकी सी बाथटब के बाहर चलती आई, लड़खड़ाती हुई चाल, मखमल सा तराशा हुआ शॅफॉफ और बेदाग बदन धीरे धीरे ज्योति के पास आगे आ रहा था, शीना के बालों से लेके उसके पेर के तलवे तक पूरा बदन भीगा हुआ ऐसा मादक लग रहा था कि ना चाहते हुए भी ज्योति ने अपना एक हाथ आगे बढ़ाया शीना की तरफ, शीना ने जैसे ही अपना हाथ ज्योति को पकड़ाया, ज्योति ने झट से शीना को अपने पास खींचा और इस खींचाव में दोनो के एक दम नरम और गोल चुचे जिनके निपल्स काफ़ी कड़क हो चुके थे, ऐसे भिड़े जैसे एक बहुत बड़ा घमासान होने वाला था.. दोनो के बदन एक दूसरे से चिपके हुए, चुचे टकराए हुए, और हाथों में हाथ
"क्या पता करना है मेरी जानेमन बहेन को...." ज्योति ने अपना एक हाथ शीना के गीले बालों में डाला और उसे सहलाने लगी
"मैं माफी माँगना चाहती हूँ ज्योति...आओ मेरे साथ.." शीना ने ज्योति को अपने साथ लिया और आगे बढ़ने लगी..ज्योति भी बिना कुछ पूछे उसके साथ आगे बढ़ने लगी, दोनो एक दूसरे को देख आगे बढ़ती और चेहरे पे बस एक कॅटिली मुस्कान के अलावा और कुछ नहीं था
"कम हियर...आज के बाद मैं कभी ऐसी ग़लती करूँ तो मुझे जो चाहे सज़ा दे देना..." शीना ने ज्योति को टेरेस के बाथरूम में ले जाके शवर के नीचे खड़ा कर दिया और शवर को ऑन कर दिया.. शवर की ठंडी बूँदों को अपने बदन पे महसूस कर ज्योति की आँखें एका एक बंद हो गयी और एक हाथ अपने चेहरे पे चला गया.. इससे ज्योति के चुचे और चूत शीना की आँखों के सामने आ गयी... शीना ने ध्यान से देखा तो ज्योति की चूत एक दम सॉफ और चिकनी थी..
"ऐसी काफ़ी माफी मेरी जान..." ज्योति ने हल्के से पानी की बूँदों को अपने बदन पे महसूस करते हुए शीना से कहा
"अभी माफी माँगी कहाँ है मेरी जान..." शीना ने जवाब दिया और अपने हाथों को ज्योति की कमर में डाल उसे अपने पास खींचा जिससे उनके तने हुए चुचे भी आपस में घिसने लगे... दोनो के चुचे जैसे ही आपस में टकराए..
"आहहहहूंम्म..." ज्योति की सिसकी निकली
"ज्योति....आइ आम सॉरी.." शीना ने एक बार फिर धीरे से कहा और अपने होंठों को ज्योति के होंठों के पास ले जाने लगी.. शीना को यूँ अपने पास आते देख ज्योति की आँखें भी बंद हुई और उसके होंठ खुलने लगे...
"उम्म्म्ममममुंम्म्ममममाओउउफफफफफफफ्फ़.......उम्म्म्ममममममममाअहह..." दोनो बहनो की सिसकी निकली जैसे ही एक दूसरे के होंठ मिले... होंठ मिलते ही जैसे दोनो के बदन में एक करेंट सा पास हुआ....
"उम्म्म्मम आअहहूंम्म्मम.........." ज्योति ने एक मस्ती भरी आवाज़ के साथ किस तोड़ी
"माफ़ किया मेरी जानेमन...अब बाहर चलके करें..." ज्योति ने हँस के शीना के कान के पास आके कहा
"बाहर क्या करना है.." शीना ने अंजान बनते हुए कहा और शवर बंद कर दिया... जवाब में ज्योति ने सिर्फ़ शीना का हाथ थामा और बाहर आ गयी बाथटब के पास...
"यह लो... बदन पोंछ लो..." ज्योति ने शीना को टवल दिया और खुद थोड़ा आगे जाके अपने बदन को पोछने लगी... ज्योति अच्छी तरह जानती थी के शीना की आँखें अभी उसी के चुतड़ों पे टिकी हुई होगी, इसलिए पोछते वक़्त वो अपने चुतड़ों को काफ़ी हिला डुला रही थी... शीना की आँखें वहीं थी जहाँ ज्योति सोच रही थी, ज्योति के गोल मटोल चूतड़ शीना को काफ़ी आकर्षित कर रहे थे... आग में घी डालने के लिए ज्योति अपने पैर सॉफ करने के लिए थोड़ा सा नीचे झुकी जिससे उसकी सफेद गोरी गोल मटोल गान्ड बाहर को उभर आई और उसके छेद का नज़ारा शीना की आँखों के आगे घूमने लगा...
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07-03-2019, 04:44 PM,
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RE: Antarvasna kahani वक्त का तमाशा
"ज्योति... आइ वाज़ वंडरिंग..." शीना ने आगे बढ़ के कहा और अपने हाथ के पूरे पंजे से ज्योति के चुतड़ों पे थप्पड़ मारा हल्के से
"आऔहफफफ्फ़....क्या हुआ अभी..." ज्योति ने मस्तानी सी आवाज़ में नीचे झुके हुए ही पलट के शीना से कहा
"मैं यह सोच रही थी, कि यह इतनी बड़ी कैसे हुई...कहीं तूने इसमे लेना शुरू तो नहीं किया.." शीना ने अपना हाथ ज्योति के चुतड़ों पे गोल गोल फिराना चालू किया
"इसमे क्या...मैं तो आगे भी नहीं ले पाई अभी तक..." कहते कहते ज्योति ने अपनी टाँगें थोड़ी और छोड़ी की जिससे उसका छेद हल्का सा खुल गया..
"देखा तूने...अभी भी छोटा ही है ना..." ज्योति ने अपने छेद की तरफ इशारा करते हुए कहा
"देखने में तो सबका ऐसा होता है...चेक करती हूँ अभी.." शीना ने यह कहके अपनी उंगलियों पे थूकना शुरू किया जिससे वो गीली हो गयी और सेम ज्योति की गान्ड पे किया..ज्योति को समझते देर ना लगी, इसलिए उसके हाथ अपने चुतड़ों पे गये और उन्हे दोनो हाथों से खोलने लगी... जैसे ही ज्योति ने अपने चुतड़ों को खोला, शीना ने धीरे से अपनी 2 उंगलियाँ मूह में ले जाके गीली की और धीरे धीरे ज्योति की गान्ड के छेद पे रख के धीरे धीरे अंदर बाहर करने लगी....
"आअहफफफ्फ़....फक, धीरे ना जानेमन.." ज्योति ने दर्द और मस्ती भरी आवाज़ में कहा
"ह्म्म्मफ....इट'स ओके..." शीना ने फिर ज्योति को थप्पड़ मारा उसकी गान्ड पे, और टवल लपेट के बिना कुछ कहे वहाँ से नीचे चली गयी... शीना का यूँ अचानक बिना कुछ कहे जाना ज्योति को थोड़ा अजीब लगा, क्यूँ कि अभी तक तो दोनो मस्ती में थी, लेकिन अचानक क्या हुआ.. ज्योति का नशा जो अब तक अपने चरण पे था, नीचे आने लगा.. जल्दी से ज्योति ने खुद को सॉफ किया और टवल लपेट के नीचे चली गयी..
"शीना..." ज्योति ने शीना के दरवाज़े को खोलने की कोशिश की तो दरवाज़ा अंदर से लॉक्ड था.. दरवाज़ा लॉक देख ज्योति बिना कुछ कहे वहाँ से अपने कमरे में गयी...
"क्या हुआ शीना को अचानक.." ज्योति ने खुद से कहा और अपने कपड़े पहनने लगी...
"एक बार फिर देखती हूँ.." ज्योति ने खुद से कहा और कपड़े पहेन शीना के कमरे की तरफ चली गयी...
"शीना..प्लीज़ ओपन दा...." ज्योति ने जैसे ही यह कहके दरवाज़ा खोला तो वो खुल गया...
"व्हाट...ओपन ही तो है जानेमन.." शीना ने अपना टॉप पहनते हुए ज्योति को एक नज़र देखा जो अभी भी दरवाज़े पे खड़ी थी..
"हां, इट्स ओपन.. पहले लॉक्ड था.." ज्योति ने पीछे दरवाज़ा बंद किया और खुद आगे बढ़ गयी
"व्हाट हॅपंड शीना..सम्तिंग रॉंग..." ज्योति ने बेड पे बैठते हुए कहा
"नही..क्या होगा मुझे.." शीना ने बड़े आराम से जवाब दिया और ज्योति के पास जाके बैठ गयी
"ओह...यू मीन...आरे , नतिंग यार... आइ वाज़ नोट फीलिंग लाइक कंफर्टबल, आइ वाज़ हाइ.. अभी भी थोड़ी चढ़ि हुई है, शायद इसलिए ऐसा हो गया.." शीना ने आराम से कहा और ज्योति के टाँगों पे सर रख के लेट गयी...
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07-03-2019, 04:44 PM,
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RE: Antarvasna kahani वक्त का तमाशा
"थॅंक गॉड..आइ थौघ तू नाराज़ होगी..." ज्योति ने शीना के सर पे हाथ फेरते हुए कहा
"वैसे शीना.. एक चीज़ पूछनी थी, और कहनी भी थी..सिन्स वी हॅव ओपंड अप सो मच.." ज्योति ने थोड़ा हिचकिचाते हुए पूछा
"हां बोल ना.." शीना तुरंत उसके सर से खड़ी हुई और सीधी होके ज्योति की बात सुनने लगी..
"शीना प्लीज़ डॉन'ट माइंड..आज सुबह मैं तुझे उठाने आई थी , थोड़ा जल्दी..तो मैने....."ज्योति ने बस इतना ही कहा और वो रुक गयी...
"हां..आगे बोल...तू सुबह उठाने आई थी, फिर..."
"जल्दी उठाने आई थी.." ज्योति ने फिर वोही कहा
"हां जल्दी.. फिर क्या..." शीना ने जैसे ही यह कहा उसे पता चल गया ज्योति क्या कहना चाहती है...
"ओह... वेट... जल्दी, मतलब, कितने बजे.. कहीं 5 बजे के आस पास तो नहीं.." शीना ने फिर एक दम ठंडी टोन में जवाब दिया
"ह्म्म्मद.." ज्योति ने गर्दन हां में हिला के सिर्फ़ इतना ही कहा
"ओके..तो इसमे क्या पूछना चाहती है.." शीना फिर रिलॅक्स हुई और वापस ज्योति की गोद में जाके लेट गयी..ज्योति को यकीन नहीं हो रहा था कि शीना ने कुछ रिएक्ट नही किया इस बात पे...
"अब बोल भी, तू फिर सोचने लगी..मैने कहा ना, मैं आगे से तुझ पे कभी गुस्सा नहीं करूँगी..बता अब आगे क्या पूछना है"
"नही, पूछना नहीं है..यह तो बता रही थी कि मैने देखा तुम्हे और रिकी भैया को.."
"किस करते हुए ही देखा या आगे भी.." शीना ने शरारती भरे स्वर में कहा
"पूरा..." ज्योति ने अपने दांतो तले उंगली दबाते हुए कहा
"यू पीपिंग टॉम..हिहिहीही..ओके, नो प्राब्लम, वैसे भी तू जानती है सब, तो इसमे मुझे क्या परेशानी होगी..." इस बार शीना पलटी और अपने पेट के बल ज्योति की गोद में लेटी और अपने हाथ ज्योति की जांघों पे रखे
"कैसा लगता है तुम्हे यह सब करते वक़्त..." ज्योति ने फिर अपनी उंगलियाँ शीना के बालों में घुमा के कहा
"ह्म्म्म्म मममममममममम....." शीना ने एक लंबी साँस छोड़ सिर्फ़ इतना ही कहा..
"कैसा लगता है...." शीना ने फिर यह शब्द कहे और अपने होंठ ज्योति की जांघों पे हल्के से रखके उन्हे चूमा
"आहहुउऊउऊऊऊ" ज्योति की सिसकी निकली और उसकी आँखें बंद हो गयी
"यह कैसा लगा तुझे..." शीना ने ज्योति से पूछा जो गरम हो उठी थी
"उम्म्म्ममयीस्स........." ज्योति ने सिर्फ़ इतना ही कहा और आँखें बंद ही रखी...
"क्या हुआ जानेमन..." शीना ने मासूमियत से पूछा यह जानते हुए भी कि ज्योति कैसा महसूस कर रही है
"नतिंग...कम हियर..." ज्योति ने कहा और जल्दी से शीना को अपने नीचे ला के उसके होंठों पे टूट पड़ी..
रिकी ने जब इन दोनो को इस हालत में देखा तो देखता ही रह गया..उसे समझ नहीं आ रहा था कि वो क्या करे..दोनो को यूँ आपस में व्यस्त देख रिकी दबे पावं पीछे चला गया और वापस नीचे चला गया..
"व्हाट दा फक ईज़ हॅपनिंग..." रिकी ने खुद से कहा और मैं रूम में आके कॉल किया
"तू बार बार कॉल क्यूँ कर रहा है आज..." सामने वाले ने फोन उठा के कहा
"यार, वो शीना और ज्योति फोन नहीं उठा रहे, तुझे आइडिया है कुछ.."
"नहीं, थोड़ी देर पहले वाइन पीने की बात कर रही थी, फिर नही पता मुझे.. लेकिन घर पे ही हैं, बाहर नही गयी"
"चूतिए.. अब बातें सुनने का कुछ और रास्ता ढूँढना पड़ेगा.."
"क्या हुआ पर, आज मूड खराब कर रहा है..काफ़ी दिनो बाद अपनी फेव डिश खा रहा हूँ, बाइ.. अब डिस्टर्ब ना कर.." सामने वाले ने कहके फोन कट कर दिया..
"शीना.... ज्योति...... किधर हो तुम दोनो.... आइ आम बॅक.." रिकी ने चिल्ला के दोनो को पुकारा जिससे दोनो को होश आ जाए
"हेलो...."
"हू, हाई...आइ आम स्नेहा राइचंद कॉलिंग फ्रॉम मुंबई..इंडिया"
"यस मॅम..मे आइ हेल्प यू..."
"आइ आम कॉलिंग टू स्पीक टू आ फेमिली मेंबर ऑफ माइन... रिकी राइचंद.."
"विच क्लास मॅम..."
"आइ गेस ही मस्ट बी इन फाइनान्स...यस, फाइनान्स इट मे बी"
"जस्ट आ सेकेंड मॅम, लेम्मे रन थ्रू दा नेम्स.... उः, नो मॅम, नो सच स्टूडेंट हियर..."
"व्हाट आर यू सेयिंग..प्लीज़ रीचेक इफ़ यू कॅन..."
"वेट मॅम.... उः, देयर... बट ही इस नोट इन फाइनान्स मॅम, ही ईज़ इन एकनॉमिक्स..."
"एकनॉमिक्स.... आइ गेस ही वाज़ इन फाइनान्स, राइट ?"
"यस मॅम, बट देन ही हॅज़ चेंज्ड दा सब्जेक्ट फ्रॉम फाइनान्स टू एकनॉमिक्स , इट'स बिन ऑलमोस्ट आ एअर नाउ.. 9 मंत्स टू बी प्रिसाइस.."
"ओके, कॅन आइ स्पीक वित हिम"
"आइ आम सॉरी मॅम... बट ही हॅज़ ऑलरेडी लेफ्ट और यूनिवर्सिटी, इनफॅक्ट रेकॉर्ड हियर शोस दट ही हॅज़ ऑपटेड टू स्टडी फ्रॉम होम ओन्ली"
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07-03-2019, 04:44 PM,
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RE: Antarvasna kahani वक्त का तमाशा
"व्हाट....लिसन, ही ईज़ नोट हियर सिन्स दा टाइम यू मेन्षंड..आइ गेस ही मस्ट बी इन डेंजर, कॅन आइ प्लीज़ स्पीक टू एनी ऑफ हिज़ बैच मेट्स इफ़ यू डॉन'ट माइंड"
"आइ आम सॉरी मॅम, ऑल ऑफ देम मस्ट बी इन क्लास.. रिक्वेस्ट यू टू कॉल लेटर आंड प्लीज़ बी प्रिसाइस नेक्स्ट टाइम हूम यू वॉंट टू स्पीक टू.. कॅन'ट कॉल एनी रॅंडम पर्सन हियर...बू बाइ..."
"क्या कहा..." राजवीर ने अपने ग्लास से सीप लेके कहा
"कुछ नहीं..कहा किससे बात करनी है, बताओ..पर एक बात समझ नहीं आ रही.." स्नेहा ने हैरान होके जवाब दिया
"क्या"
"मुझे याद है अच्छे से, रिकी ने फाइनान्स के लिए कहा था, उसका सब्जेक्ट आइ मीन.. अभी यह कह रहे हैं कि रिकी राइचंद एकनॉमिक्स में है.." स्नेहा ने परेशानी भरे स्वर में कहा और अपना ग्लास लेने लगी
"इसमे हैरानी क्या, उसकी मर्ज़ी सब्जेक्ट चेंज किया तो, इस बात में इतनी परेशान क्यूँ हो रही हो.." राजवीर ने अपना ग्लास ख़तम कर कहा
"नहीं, फिर भी.. जैसे तुम्हारी बात, उपर से यह... रिकी, दिन ब दिन काफ़ी अलग लगता जा रहा है पहले से.." स्नेहा ने फिर हैरानी भरे स्वर में जवाब दिया
"जैसे कि..."
"जैसे कि उसके बर्ताव ले लो..सबसे घुल मिल रहा है, शीना से तो चिपका रहता है..." स्नेहा ने दाँत पीसते हुए कहा
"ओह हो.... तो परेशानी यह है...भाभी अपने देवर पे भी नज़रें गढ़ाए बैठी है, और ननद बीच में आ रही है हाँ" राजवीर ने हँसते हुए कहा
"नहीं, ऐसा नहीं है.." स्नेहा ने राजवीर की बात को हवा में उड़ाते हुए कहा
"पर यह साल, आइ मीन लास्ट दिसंबर में रिकी घर आया उससे पहले जब भी आता तब आके घर पे अपने कमरे में बंद रहता, और बस मम्मी पापा से बात करता, कभी कबार शीना से.. आप लोगों को भी कहाँ भाव देता था वो, याद नही है क्या.." स्नेहा ने राजवीर की ओर देख कहा, जिसके जवाब में राजवीर ने सिर्फ़ उसने घूर्णा सही समझा
"पर इस साल, माँ बाप के अलावा, आपसे मिलना, बातें करना, शीना से घंटो तक बातें करना, ज्योति से चिपके रहना, अब यह नया मॅच फिक्सिंग के कारनामे और अब यह अपना सब्जेक्ट चेंज...यह सब परेशानी वाली बात ही तो है..." स्नेहा ने फिर अपने लिए पेग बनाया और पीने लगी
"रूको..मैं एक काम करता हूँ, ज्योति से पूछता हूँ इस बारे में.." राजवीर ने स्नेहा से कहा और ज्योति को फोन लगाया..
"हां, यह सही है भैया...कल हम..." ज्योति और शीना रिकी के साथ बातें ही कर रहे थे कि तभी ज्योति का फोन रिंग हुआ..
"एक सेकेंड, एक्सक्यूस मी..." ज्योति ने अपना फोन निकाल के नाम देखा तो राजवीर का फोन था
"यस पापा...कैसे हैं" ज्योति ने फोन उठा के कहा
"ज्योति बेटी, कैसी हो..कैसा चल रहा है काम उधर.." राजवीर ने कुर्सी से उठ के कहा
"बस पापा ऑल गुड, आप कभी आयें तो आप को पता चलेगा ना काम के बारे में.." ज्योति ने गुस्से में कहा
"ओह हो मेरी गुड़िया नाराज़ हो गयी, नेक्स्ट वीक आउन्गा पक्का डियर.." राजवीर ने समझे बिना जवाब दिया
"हां जानती हूँ, पूरा वीक कहाँ बिज़ी रहेंगे.. एनीवेस, बताइए, कुछ काम था.." ज्योति ने इस तरह से जवाब दिया कि राजवीर को कुछ पता नही चला कि वो गुस्सा क्यूँ थी
"उः.. हां बेटा, एक काम था..क्या तुम जानती हो रिकी एमबीए कौन्से सब्जेक्ट में कर रहा था, आइ मीन अभी जो एग्ज़ॅम्स दिए.."
"हां पापा...भैया एकनॉमिक्स में थे, बट क्यूँ..आपको सडन्ली इतना इंटेरेस्ट क्यूँ इस बात में" ज्योई ने रिकी को देख कहा जिससे रिकी समझ गया कि वो क्या कहना चाहती है
"नतिंग बेटा.. चलो, का सून..टेक केर ओके.. बाय.." राजवीर ने फोन काट दिया
"सडन्ली रिकी की इतनी परवाह क्यूँ.." रिकी ने ज्योति से पूछा क्यूँ कि शीना अंदर कॉफी बनाने गयी थी
"पता नही, मैं जानती हूँ आप फाइनान्स में थे, और पापा ने पूछा तो अजीब लगा, इसलिए उन्हे ईको कहा.."
"बट इससे भी बड़ा रीज़न यह है, कि वो अभी स्नेहा भाभी के टच में हैं, और उनके बारे में शीना ने बताया है मुझे, तो शायद पापा से स्नेहा ने पूछा हो..इसलिए झूठ कहा.."ज्योति ने अपनी बात सॉफ की रिकी से..
"क्या झूठ कहा यार अब तूने.." पीछे से शीना ने कहा जो हाथ में तीनो के लिए कॉफी ला रही थी..
"अरे कुछ नहीं, पापा ने कहा कब आओगे, मैने कहा नेक्स्ट वीक डाइरेक्ट हिहीही.. और फोन कट कर दिया" ज्योति ने झूठी हँसी दिखा के जवाब दिया
"अरे सही तो कहा..वो एकनॉमिक्स ही कर रहा था, ज्योति ने भी बताया मुझे अभी" राजवीर ने स्नेहा से कहा जो उसके ठीक सामने बैठी थी
"नहीं , मैं नहीं मानती...एक काम करते हैं, लंडन चलते हैं, शायद वहाँ कुछ पता चले हमे.." स्नेहा ने राजवीर से कहा
"लंडन है, लुधियाना नहीं, कि दो दिन में होके आ गये..घर पे भाईसाब को क्या कहूँगा..और इसकी कोई ज़रूरत नही है..ज्योति ने सही कहा है, मुझे यकीन है"
"पर उस पॉइंट का क्या जो तुमने उठाया, मॅच फिक्सिंग वाला..उसका क्या करोगे.."
"भाई साब..आपकी घोड़ी बेकाबू हो रही है, लंडन जाने की बात कर रही है.." रिकी ने फोन पे सामने वाले से कहा
"नहीं, वो नहीं जाएगी..मैं मना कर देता हूँ उसको."
"तुम भूल रहे हो, कि वो राजवीर के साथ है.. अगर राजवीर उसे ले गया कैसे भी, तो उसे तुम नहीं रोक पाओगे.. और अगर वो एक बार लंडन मेरे कॉलेज पहुँच गयी तो तुम्हारे साथ मेरा भी जॅक लगा देगी वो"
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