Antarvasna kahani वक्त का तमाशा
07-03-2019, 04:15 PM,
RE: Antarvasna kahani वक्त का तमाशा
"आआहह.. लेट मी सक माइ भैया'स लंड अहहहहा... मेरे भाई आहह...उम्म्म..." ज्योति ने एक नज़र रिकी के लंड पे डाली जो उसके सामने किसी लकड़े की समान खड़ा था, ज्योति ने अपने पूरे हाथ पे अपनी थूक लगाई और गीले हाथों से रिकी के लंड को पकड़ के उसे उपर नीचे करने लगी... उधर रिकी ने फिर ज्योति की चूत पे हमला बोल दिया और उसे चूसने लगा....




"अहहहाहा... ईसस्सस्स ईईईईईईई.." ज्योति को जैसे जन्नत नसीब हो गयी थी और वो फिर आनंद की लहरो में गोते खाने लगी...




"ओउउंम्म स्लूर्र्रप्प्प अहहहह स्लूर्र्रप्प अहहह....." रिकी ज्योति की चूत के कोने कोने को चाटने लगा




"आआहः यस भाईयाीई..... उम्म्म लेट मी सक अहहहहा..." ज्योति ने अपनी बात अधूरी ही छोड़ी और रिकी के लंड को मूह में डाल के उसे आइस क्रीम कॅंडी की तरह चूसने लगी..





"अहहहहा भैईई.... युवर कॉक अहहहहूंम्म्मम..... गुणन्ं गुणन्ञन् गुणन्ं... आअहह सीईईईई ईज़ सो नाइस अहहहहहहा... उम्म्म्म गुणन्ञणन् अहाहाः उम्म्म्म...." ज्योति लंड को मूह में लेती, फिर उसे निकाल के कुछ बोलती और फिर वापस उसे अपनी हलक में उतार देती




"अहहाहा युवर कंट आअहहूंम्म्मम उम्म्म स्लूर्रप्प्प्प्प्प्प अहाहहा स्लूर्र्ररप्प्प्प आहह ईज़ ऑल्सो जुवैसी अहहहहाहा उम्म्म्मम स्लूर्र्रप्प्प्प आहः सिसतररर......." रिकी ज्योति की चूत को चाट के बोलता और उसकी गान्ड के छेद में एक उंगली फिरा देता




"अहहहहः यस भाई हहाहह फक युवर जुवैसी सिस ना अहह...फक माइ माउत ना भाई अहाहा... उम्म्म गुणन्ं गुणन्ञणणन् अहहाहा " ज्योति फिर लंड को अंदर बाहर करती.. ज्योति की बात सुन रिकी नीचे से अपनी टाँगें हिलाना शुरू कर दिया जिससे उसका लंड ज्योति के मूह के अंदर बाहर होने लगता और उसके मूह को चोदना चालू कर दिया




"अहहहः ... भाईयाीई अहहः उम्म्म गुणन्ञन् गुणन्ञन् गुणन्ं..आहहहा तपप्पप तपप्प्प्प्प्प्प.." ज्योति के मूह की चुदने की आवाज़ रूम में अच्छी तरह गूँज रही थी











"अहाहहा यस..... उम्म गुणन्ं गुणन्ं..." ज्योति अभी भी लंड के धक्कों को अपने मूह में ले रही थी और चीख रही थी..




"अहहा भईई.... अहहाहा यस फॅटररयाया आहम्म आइम कमिंग अगांन अहहह उफफफ्फ़.फ.... और ज़ोर से कार्रूऊ अहहहाहा बेंककचहूऊद्ददड..द...... भाईयाया अहहह.." ज्योति इस बार इतना चीखी के रिकी की गति तीन गुना बढ़ गयी जिसका नतीजा ज्योति दूसरी बार झडी और फिर रिकी के मूह में ही.....



ज्योति का पानी पीके रिकी ने ज्योति को सीधा किया और बेड पे सुला दिया.. एक नज़र रिकी ने ज्योति की चूत पे डाली तो वो पूरी भीग चुकी थी, एक दम गीली चूत और वो भी चिकनी,





"वांटेड टू हॅव फन ना... लेट मी शो यू दा सेम...विल बी ऑल रॉ बेबी...." रिकी ने ज्योति की आँखों में देख कहा जो ज्योति की थकान को बयान कर रही थी, दो बार झाड़ के ज्योति में अब बिल्कुल भी जान नहीं बची थी, उसकी टाँगें अकड़ चुकी थी, साँसें टूट चुकी थी, बस गहरी और लंबी साँसें छोड़े जा रही थी.. रिकी की बात सुन वो कुछ समझती उससे पहले उसकी चीख निकल गयी




"आअहह नूऊऊ........ अनूऊऊऊऊओ प्लेआसीए नूऊऊऊओ बाऐईयइ......" रिकी ने पहले धीरे से अपने लंड को ज्योति की चूत पे सेट किया और एक ज़ोर का झटका मार के पूरा का पूरा लंड ज्योति की चूत के अंदर उतार दिया




रिकी के लंड को अपने अंदर महसूस कर जैसे ज्योति को करेंट सा लग गया था, रिकी ने बिना किसी दया या वॉर्निंग के अपने लंड को ज्योति की चूत में अंदर उतार दिया, चूत काफ़ी गीली थी इससे रिकी को कोई दिक्कत नही हुई सीधे अंदर उतारने में, लेकिन ज्योति की आँखों में आँसू आ गये...




"अहाहाः यू बस्टार्द्दद्ड अहहहहा... स्लोववववववल्ल्लययययी प्लेआईईई....." ज्योति बस इतना ही कह पाई, क्यूँ कि तब तक रिकी ने अपने लंड को एक बार फिर बाहर निकाला और उतनी ही तेज़ी से फिर अंदर डाल दिया..




"ओह नूओ भाय्ाआअ... प्लीज़ धीरे धीरे... आहाहहहहह..." ज्योति की यह बात जैसे रिकी सुनने के मूड में ही नहीं था...



"क्यूँ बहेन.. मज़ा नहीं आ रहा क्या हान्ं...." रिकी ने एक बार फिर लंड को बाहर निकाला और तेज़ी से अंदर डाल दिया



ज्योति की आँखों से आँसू बहे जा रहे थे, लेकिन वो रिकी को रुकने के लिए नहीं कह रही थी.. शायद यही दर्द पाने के लिए वो इतना तड़प रही थी.. वक़्त बीतते जब रिकी के धक्के तेज़ होते गये, तब ज्योति का दर्द भी कम होता रहा और वो उछल उछल के अपनी चूत रिकी से चुदवाने लगी....




"बाऐईयइ अहहहह... एक मिंससा हह प्लीज़.." ज्योति ने रिकी को रुकने का इशारा किया, रिकी रुका तो ज्योति उठ खड़ी हुई और तेज़ी से जाके रिकी के सीने से लिपट गयी और फिर उसे चूमने लगी...




"अहहहाहा उम्म्म्म.... फक मी अहहहहा ... आईने के सामने आहहाहहा ना प्लीज़......" ज्योति ने रिकी के होंठों को चूमते हुए कहा और रिकी भी उसे कंधों पे चूमते हुए उठा के बाथरूम में ले गया और वॉश बेसिन के सामने खड़ा कर पीछे से उसकी चूत में लंड डाल दिया




"अहहहहहा य्स्स्स.... बाऐ...... ज़ोर से चोदो ना आअहह...." ज्योति फिर जोश में आ गयी और टाँग पीछे कर कर के चुदवाने लगी, और रिकी भी उसकी चूत के चिथड़े करने में लगा हुआ था......




"अहहहाहा ओह्ह्ह नूऊओ अहहाहा आइ वास्स्सस्स अहहूंम्म्म मिस्सिंग आलल्ल्ल्ल्ल श्िित्त्त आहहह ज़ोर से और अहहहाआ.... ऑल दिस फन्न आहहहाआ... फक यू भाई अहहहहहाअ..... ओह गगूओद्दद्ड...... आइ लव यू आ आ आहहह नूऊऊ अहहः फास्टर आहहहः..." ज्योति ने एक टाँग अपनी वॉश बेसिन के पत्थर पे रखी हुई थी




"ओह्ह्ह ईसस्स..... मेरी बेहन अहहहाआ.... कम हियर.. अहहा..." रिकी ने अपने लंड को बाहर निकाला और उसे सीधा कर दिया और आगे से उसकी चूत में लंड घुस्सा के उसे चोदने लगा




"ओह्ह्ह्ह आह्न्‍ंननणणन् भाई आहह और ज़ोर से अहाहहाः चोदो ना अहहह... ऐसे ही चोदते रहननाअ अहहह.. एससस्स आअहमम्म फक्किंग अहहहहा होत्तत्त अहहहा.." ज्योति रिकी के लंड की गर्मी से मदहोश हुई जा रही थी










"ओह्ह्ह्ह नूऊऊ. ज्योति अहाहहा... आइम कमिंग सिसतीएररर अहह.." रिकी अपनी टाँगों में अकड़न महसूस करने लगा.. रिकी की बात सुनते ही, ज्योति ने अपनी चूत को रिकी के लंड की गिरफ़्त से आज़ाद किया और नीचे झुक के रिकी के लंड के सामने बैठ गयी... एक हिझटके में रिकी के लंड ने अपना सारा पानी उगल दिया जो जाके सीधा ज्योति के चेहरे गिरा










"उम्म्म्मम अहाहाहह टेस्टी भाई... आहह स्लूर्र्रप्प्प्प्प.." ज्योति ने अपने चेहरे पे गिरी कुछ बूँदों को अपनी उंगली में लिया और उसे चाटने लगी...




रिकी और ज्योति जब दोनो थक गये , बाथरूम से निकल के एक पल अपने रूम में आके अपने आस पास ही लेट गये... रिकी की आँखें तो बंद थी लेकिन ज्योति ने एक नज़र बेड शीट पे डाली तो उसे लाल पाकर काफ़ी खुश हुई... रिकी थकान के मारे आँखें बंद किए कुछ सोच रहा था, कि ज्योति इतने में बाथरूम में घुस गयी और फ्रेश होने लगी... करीब एक घंटे बाद अपनी चूत को ठंडक पहुँचा के बाहर निकली तो रिकी अभी भी बेसूध होके बिस्तर पे पड़ा था...




"भाई... प्लीज़ फ्रेशन अप..." ज्योति ने उसे इतना ही कहा, के रिकी एक झटके में उठ खड़ा हुआ और बिना कुछ कहे फ्रेश हो गया... फ्रेश होके वो बिना ज्योति से कुछ कहे नीचे में हॉल में सोने चला गया.. ज्योति समझ गयी पर उसने कुछ नहीं कहा और वो भी दूसरे रूम में सोने चली गयी




पूरी रात रिकी की आँखों के आगे शीना का चेहरा ही छाया रहा, रिकी काफ़ी गिल्टी फील कर रहा था, लेकिन बार बार वो यह सोचता कि शीना को इस बात का पता बिल्कुल नहीं लगने देगा....



"लेकिन इस दिल का क्या... मेरा क्या, कैसे सामना करूँगा शीना का मैं... मैं तो जानता हूँ कि मैने शीना को.... फिर मैं कैसे करूँगा उसकी आँखों का सामना.." रिकी ने खुद से कहा और फिर बेड पे उठ खड़ा हुआ.. घड़ी पे नज़र डाली तो अभी रात के सिर्फ़ 2 ही बजे थे... रिकी ने अपने दिल को झूठा दिलासा दिया और फिर नींद करने की कोशिश करने लगा.. बड़ी मुश्किल से उसे नींद आई.. फिर से शीना का चेहरा उसकी आँखों के सामने आ गया..



"ओह्ह्ह नो...." रिकी इस बार नींद में चीखा और जैसे ही उठने की कोशिश की, वो उठ नहीं पाया.. आँखें खोल के देखा तो उसके दोनो हाथ बेड के दोनो कोनो से बँधे हुए थे.. थोड़ा सा सर उपर करके देखा तो ज्योति उसके सामने गन लेके खड़ी थी










"ज्योति.. व्हाट नॉनसेन्स ईज़ दिस.." रिकी ने गुस्से में चिल्ला के कहा



"स्शह.... चिल मार स्वीटहार्ट..." ज्योति ने अपने होंठों पे उंगली रख के कहा और फिर अपने लिए एक सिगरेट जला के पास रखी कुर्सी पे बैठ गयी



"ह्म्‍म्म.... सो... टेल मी, हू आर यू..." ज्योति ने एक कश लेते हुए रिकी से पूछा
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07-03-2019, 04:15 PM,
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"यस शीना...." रिकी ने फोन उठाते हुए कहा



"भाई, कब निकल रहे हो महाबालेश्वर से.." शीना ने घड़ी देखी, अभी शाम के सिर्फ़ 4 ही बजे थे और सनडे भी था.. शीना काफ़ी एग्ज़ाइटेड थी रिकी से मिलने के लिए



"बस अभी गाड़ी में बैठा हूँ स्वीटहार्ट, ज्योति सेक्यूरिटी गार्ड्स को कुछ हिदायत दे रही है.. 10 मिनट में निकल जाएँगे.." रिकी ने अपने ग्लासस ठीक करते हुए कहा



"चलो जल्दी करो भाई, उसको छोड़ दो उधर ही...हेहहे... चलो एनीवेस, सी या सून... मिस्सिंग यू आ लॉट भाई..." शीना ने एक किस देके फोन कट कर दिया और इतने में ज्योति भी आके रिकी के पास बैठ गयी... ज्योति के आते ही रिकी ने गाड़ी महाबालेश्वर से मुंबई के लिए भगा दी.. काफ़ी देर तक दोनो ने एक दूसरे से बात तक नहीं की, रिकी अपनी नज़रें सड़क पे गाढ़े ध्यान से गाड़ी चला रहा था, वहीं ज्योति भी एक तक सामने ही देख रही थी, लेकिन उसके दिमाग़ में एक चीज़ काफ़ी देर से चल रही थी, लेकिन वो रिकी को कह नहीं पा रही थी.. बार बार उसके दिमाग़ में बस वो सीन याद आ जाता..




पिछली रात जब रिकी सो गया था, तब ज्योति ने चुपके से आके उसके हाथों को एक मोटी रस्सी से बाँध दिया था, ताकि वो उससे कुछ पूछ सके.. सुबह जब रिकी की नींद खुली तो वो खुद बेड पे बँधा हुआ था और सामने ज्योति गन लेके खड़ी थी..



"व्हाट दा हेल ईज़ दिस.." रिकी ने हाथों को ज़ोर देके रस्सी को खोलने की कोशिश की



"स्शह.... चिल मार स्वीटहार्ट..." ज्योति ने अपने होंठों पे उंगली रख के कहा और फिर अपने लिए एक सिगरेट जला के पास रखी कुर्सी पे बैठ गयी



"ह्म्म्म.... सो... टेल मी, हू आर यू..." ज्योति ने एक कश लेते हुए रिकी से पूछा



"व्हाट दा फक डू यू मीन बाइ हू आम आइ.. देखो ज्योति मैं मज़ाक के मूड में बिल्कुल नहीं हूँ.." रिकी ने एक बार फिर हाथों को ज़ोर देके कोशिश की लेकिन नाकाम रहा



"देखो, झूठ बोलने की कोई ज़रूरत नहीं है.. सीधे सीधे बताओ, तुम कौन हो.." ज्योति ने फिर एक कश लेते हुए कहा.. इससे पहले रिकी कुछ जवाब देता ज्योति का फोन बज उठा, ज्योति ने स्क्रीन पे देखा तो फिर प्राइवेट नंबर फ्लश हुआ...



"तुम्हे तो मैं बाद में देखूँगी, " कहके ज्योति जैसे ही बाहर निकलने को हुई रिकी ने उसे टोक दिया



"रूको, रूको.. फोन मेरे सामने उठा सकती हो,मेरी ही बात होनेवाली है वैसे भी.." रिकी ने एक शैतानी हँसी हँस के ज्योति को कहा



रिकी की बात सुन, ज्योति को कुछ समझ नहीं आया, इसलिए वो दरवाज़े पर ही रुक गयी और शॉक होके कभी अपने बजते हुए फोन को देखती तो कभी सामने . हुए रिकी को जो अभी भी वैसी ही हँसी हँस रहा था.. जब तक ज्योति को कुछ समझ आता, तब तक फोन कट हो गया.. ज्योति अभी झटके से बाहर निकली ही नहीं थी कि फिर उसका फोन बज उठा.. इस बार उसने एक ही रिंग में फोन उठा लिया



"हेल्लूओ..." ज्योति ने कांपति हुई आवाज़ से कहा



"मैने तुम्हे कहा अपनी चालाकी दिखाने को?.. " सामने से उसे सवाल मिला



"पर...." ज्योति ने सिर्फ़ इतना ही कहा कि सामने से फिर उसे आवाज़ आई



"यह जो भी कर रहा है मेरे कहने पे ही कर रहा है.. क्यूँ कर रहा है, कैसे कर रहा है और कब से कर रहा है.. यह तुम उससे पूछ लो, अगर तुम्हे वो बता दे तो ठीक है, नही तो इन सब के अंत में तुम्हे यह पता ही लग जाएगा... यह रिकी राइचंद ही है समझी"



"पर क्यूँ.." ज्योति को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि वो क्या कहे



"ज्योति... इस खेल को तुम जितना सीधा समझ रही हो, उतना सीधा नहीं है.. इस खेल में राजा भी मैं हूँ, मोहरा भी मैं ही हूँ.. वज़ीर भी मैं ही हूँ.." सामने से फिर एक रिलॅक्स्ड टोन में उसे जवाब मिला



"मैं कुछ समझी नहीं" ज्योति को अभी भी कुछ समझ नहीं आ रहा था



"समझ समझ के समझ को समझो... समझ . भी एक समझ है.." इस बार सामने बेड पे लेटे हुए रिकी ने उसे जवाब दिया



"हाहहाहा... सुना ज्योति, उसने सही कहा बिल्कुल..." ज्योति ने पहले रिकी को देखा और फिर सामने बात सुन के फिर उसके दिमाग़ का फ्यूज़ उड़ गया था..



"हाहहहाहा.... हाहहहहहहहहा....." ज्योति फोन पे और सामने रिकी से यही हँसी की आवाज़ सुन रही थी.. ऐसा प्रतीत हो रहा था मानो शैतानो के बीच वो अकेली इंसान हो..



"अब खोल दो मेरे हाथ, और फोन मुझे दो.." रिकी ने ज्योति से कहा



"चलो ज्योति, उसके हाथ खोल दो.. वैसे सिर्फ़ एक बात कहना चाहता हूँ तुम्हे, तुम इसके साथ जो करना चाहती हो वो अंत में कर लेना, इसे भी मारना ही है हाहहहहहा..." इतना कहके फिर से फोन कट हो गया.. फोन कट होते ही ज्योति को यकीन नहीं हो रहा था इन सब पे, वो फोन अपने कान के पास पकड़ के ही बैठी थी और कभी रिकी को तो कभी फोन को देखती... काँपते हाथों से ज्योति ने धीरे धीरे आगे बढ़ के रिकी की रस्सी खोली



"ओउच.... बड़ा कस्के बाँधती हो यार." रिकी ने अपने हाथों को स्ट्रेच करके कहा और इतने में फिर ज्योति का फोन बज उठा



"एक्सक्यूस मी.. यह मेरे लिए है..." रिकी ने ज्योति के हाथ से फोन लिया जो अभी भी शॉक में ही थी



"हेलो....ह्म्‍म्म्म, नहीं, बस यह चालाक लोमड़ी बैठी है मेरे सामने इसे ही.. पर समझ नही आया कैसे, जासूस है..हाहहाहा, हां.... सब ठीक है, डॉन'ट वरी.. रिज़ॉर्ट बढ़िया चल रहा है..ना ना, जल्द ही मिलेंगे भाई... बहुत जल्द....चल रखता हूँ, लोमड़ी घूर रही है...हाहः, बाइ.." रिकी ने बात करके फोन कट किया और ज्योति को थमा दिया..



"अब चलें... देर हो रही है, माइ लव विल बी वेटिंग फॉर मी.." रिकी ने ज्योति को देख कहा और वहाँ से निकल गया




"मैं यह सब क्यूँ कर रहा हूँ.. यह सबसे बड़ा सवाल तुम्हारे ज़हेन में है ज्योति..है ना.." रिकी ने गाड़ी चलाते हुए ज्योति से पूछा, यह सवाल सुन ज्योति का ध्यान टूटा और रिकी की तरफ देखने लगी, लेकिन उसने कोई जवाब नहीं दिया..



"हां बोलो, इतनी देर खामोश तो ऐसे ही नहीं बैठी थी तुम, तुम्हारा दिमाग़ कुछ ज़्यादा ही अब्ज़र्व करता है, और हां.. जो तुम्हे स्नेहा ने सिखाया है कि सब बातें एंड के लिए रखो, वो तुम्हारे काम आएँगी.. वो ग़लत है, स्नेहा नहीं जानती कि मैं भी राइचंद हूँ.. राइचंद हमेशा दो कदम आगे रहते हैं.." रिकी की यह बात सुन ज्योति के दिमाग़ के परखच्चे उड़ गये...



"देखो, यह सब मैं नहीं पूछूंगी अब..लेकिन मैं शीना के बारे में सोच रही हूँ...तुम उससे प्यार का नाटक.." ज्योति ने इतना ही कहा कि रिकी ने तेज़ी की ब्रेक मार के गाड़ी रोक दी... गाड़ी रोक के ज्योति को देखने लगा और धीरे से अपने ग्लासस उतारे..



"शीना को अंत तक कुछ नहीं होगा, अगर तुमने शीना को बताया कुछ तो तुम खुद ज़िंदा नहीं रहोगी... शीना के साथ मेरा प्यार झूठा नहीं है.." रिकी की आँखों में एक आग थी यह कहते समय



"तुम चाहे जो कर लो...मेरा कुछ नहीं कर सकते समझे. तुम सिर्फ़..." ज्योति ने सिर्फ़ इतना ही कहा के रिकी ने उसे फिर टोक दिया



"इस खेल में राजा भी मैं हूँ, मोहरा भी मैं ही हूँ.. वज़ीर भी मैं ही हूँ.... ऐसा ही जवाब मिला था ना तुम्हे थोड़ी देर पहले..." रिकी ने हंस के ज्योति को देखा जिसके नीचे से आज ज़मीन तक नहीं बची थी खिसकने के लिए



"अगर तुम्हे लगता है स्वीटहार्ट, कि तुम उसकी फेव हो.. तो भूल जाओ, मैं तुम्हे यहीं के यहीं गोली मार के फेंक सकता हूँ और वो मेरा कुछ नहीं बिगाड़ सकता.. देखना चाहोगी..." यह कहके ही रिकी ने अपने जूतों के साइड से बंदूक निकाली और ज्योति के सर पे तान दी.. यह सब देख ज्योति की हालत खराब होने लगी, उसके सर से लेके पेर तक पसीने से भीग चुका था, इतने में फिर उसका फोन बजा,



"ह्म्‍म्म..." रिकी ने आँख से ज्योति को उठाने के लिए कहा



"हह...ह... हेल्ल्लूओ..." ज्योति ने डरते हुए जवाब दिया



"मैं तुम्हे बताना भूल गया, वो कुछ भी कर सकता है तुम्हे, तुम्हे क्या, मुझे भी कर सकता है..बेहतर होगा उसके सामने इतराना बंद करो.. और वो जो चाहे वो करो.. बाइ.." इतने में ज्योति का फोन कट हो गया..



"खेल खेलना तो दूर की बात है ज्योति, खेल सीखना भी सीख जाओ तो वोही बहुत है तुम्हारे लिए.. और रही बात सोचने की, तो ज़्यादा ना सोचो, घुटनो में दर्द होगा... अब मेरी बात सुनो, अगर शीना को इस बात की भनक भी लगी, मेरा कुछ नहीं होगा, तुम मर जाओगी, लिटरली मार डालूँगा मैं तुम को... और तुम दोनो को अंत में कुछ नहीं होगा, तुम्हारा ध्यान तो वो रख ही रहा है, शीना का ध्यान मे रखूँगा.. बस वो करो जो मैं कह रहा हूँ.." रिकी ने बंदूक उसके सर से हटाते हुए कहा



"क्या करना है मुझे.." ज्योति के मूह से बड़ी मुश्किल से यह चन्द लफ्ज़ निकले..



"शीना से दोस्ती, और हर वक़्त उसका ध्यान रखो जब तुम घर पे हो... वैसे मैने मना किया था प्रॉजेक्ट तुम्हे ना मिले, लेकिन वो तुम्हारे मामले में पागल हो जाता है, इसके लिए तुम्हे प्रॉजेक्ट में लाना पड़ा मुझे.. " रिकी ने फिर गाड़ी स्टार्ट करके कहा



"इसका मतलब..." ज्योति ने चौंकते हुए कहा



"हां, शीना पे हमला होगा मैं जानता था.. मजबूरी थी मेरी , शीना को जितनी चोट लगी, उससे कहीं ज़्यादा दर्द मुझे महसूस होता है... पर यह काम मुझे पूरा करना है, तभी ऐसा होने दिया.. इसलिए तुम जब भी घर पे हो उसके साथ रहो.. उसके पास रहो, बहेन की तरह ध्यान रखो.. स्नेहा से भी मिलती रहो, वो क्या क्या कर रही है उसका ध्यान रखो.." रिकी की आवाज़ में एक दर्द के साथ एक मज़बूती भी थी.. दर्द था शीना के लिए..



"हां जानती हूँ, सब तुम्हे बताती रहूंगी..." ज्योति ने सीधी बैठ के कहा



"नही बताना, हमे सब पता लग रहा है वैसे भी... और कैसे, यह नही सोचो, फिर घुटनो का दर्द बढ़ जाएगा.." रिकी ने अपने ग्लासस पहने और फिर गाड़ी मुंबई की तरफ दौड़ा दी
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07-03-2019, 04:15 PM,
RE: Antarvasna kahani वक्त का तमाशा
"अरे पर आप इतने भावुक क्यूँ हो गये आख़िर.." शीना ने रिकी को डाँट लगा के कहा जिसका जवाब रिकी नहीं दे पा रहा था



"यह रिज़ॉर्ट आपका ड्रीम है, फिर भी भाभी के नाम कर दिया.. और लिख लो, मैं कहती हूँ कि जैसे ही यह कंप्लीट होगा वो आ जाएगी कि यह मेरा है, तुम लोग गेट आउट करो..उसके लिए तो हम मज़दूर ही बन गये हैं ना.." शीना ने फिर रुक के पानी का ग्लास पिया और ख़तम करके फिर बोलने लगी



"ऐसे देखो मत, मज़दूर ही हुए ना, हम सब काम कर रहे हैं, देख रहे हैं कि सब अच्छा बने, सब आइडिया हमारा, सब मेहनत हमारी, और आके बैठ जाएगी वो.. फिर उस दिन क्या करोगे आप जब वो आके मालिक की कुर्सी पे बैठेगी.." शीना ज़्यादा झल्ला रही थी यह सोच सोच के कि अब स्नेहा के नाम हो चुका है वो रिज़ॉर्ट.. वैसे तो शीना को रिकी ने बताया था यह पहले भी, लेकिन शीना ने उस वक़्त रिकी को कुछ नहीं कहा, वो नहीं चाहती थी उसकी वजह से रिकी का मूड अपसेट हो और महाबालेश्वर जैसे रास्ते पे उसका दिमाग़ चलने लगे.. इसके लिए शीना ने जैसे सोचा था कि रिकी के वापस आते ही उसकी क्लास लेगी, और अब वो वोही कर रही थी.. रिकी शीना से कुछ नहीं कह पा रहा था और ज्योति भी उनके साथ खड़ी उनकी बातें सुन रही थी.. सीन ऐसा लग रहा था मानो स्कूल के प्रिन्सिपल ने एक शैतान बच्चे को और क्लास के मॉनिटर को बुलाया है और बस डाँट रहा है डाँट रहा है...



"अब कुछ बोलो भी, ऐसे चुप क्यूँ खड़े हैं आप..." शीना ने अपने चेहरे से बालों को हटा के कहा



"क्या कहूँ यार, सेम बात कल भी कही थी, फिर आज भी कह रही हो.. डिसाइड कर लो कितनी बार डांटना है सेम बात पे.." रिकी की यह बात सुन ज्योति की हँसी छूट गयी



"अब तुम क्यूँ हँस रही हो..." शीना ने ज्योति को घूर के देखा जिससे ज्योति खामोश हो गयी लेकिन अंदर ही अंदर रिकी को देख हँसे जा रही थी



"शीना, प्लीज़ रिलॅक्स.. यह लो, तुम्हारे लिए जूस लाई हूँ.." ज्योति ने आगे बढ़ते हुए शीना को ग्लास दिया



शीना ने एक पल रिकी को घूर्ना जारी रखा, लेकिन फिर ज्योति के हाथ से ग्लास लेने लगी..



"अरे अरे.. ऐसे नही स्वीटहार्ट, मैं अपने हाथ से पिलाउन्गी मेरी डियर सिस को.." ज्योति शीना के बगल में बैठ गयी और मुस्कुरा के अपने हाथों से जूस उसे पिलाने की कोशिश करने लगी



शीना को यह देख थोड़ा अजीब लगा के अचानक ज्योति इतना प्यार क्यूँ करने लगी, और फिर एक नज़र रिकी को देख के जैसे आँखों ही आँखों में कुछ पूछने लगी



"डॉन'ट स्टेर अट मी.. हम जब महाबालेश्वर से लौट रहे थे तो ज्योति ने ही खुद बताया तुम दोनो के डिफरेन्स के बारे में.." रिकी ने खड़े खड़े शीना को जवाब दिया



"यस शीना, अब तक जो भी मैने किया या कहा, आइ आम सॉरी फॉर दट.. और सीधी बात बोलूं तो तुमने जो तुम्हारे और भैया के बारे में कहा, मुझे सच में उसके बारे में कुछ नहीं सोचना चाहिए, आप लोग कंफर्टबल हैं इस रीलेशन में तो कोई तीसरा क्यूँ पंगा लेगा.. और रही बात मेरे इंटर्फियरेन्स की तो आइ आम सॉरी फॉर दट, बट यकीन करो मैं कुछ जासूसी नहीं कर रही थी, आइ वाज़ जस्ट पस्सेसिव फॉर यू गाइस.. हर साल मैं यहाँ आती हूँ और हम जो साथ में वक़्त बिताते हैं उसके बारे में जब भी सोचती हूँ तो ऐसा लगता है कि इस साल क्या हो गया ऐसा जो हम दोनो के मतभेद होने लगे..इस सवाल के जवाब की गहराई में जब उतरी तो मैने खुद को ही दोषी पाया.. हम बहनें हैं, पर उसका मतलब यह नहीं कि मैं तुम्हारे हर काम में दखल दूं, तुम्हारी हर हरकत पे निगरानी रखूं.. तुम्हारे इस हमले के लिए जितना दुख तुम्हे और भैया को है, उससे कहीं ज़्यादा दुख मुझे भी है, पर एक खुशी है कि इसी बहाने में फिर तुम्हे अपना दोस्त बना लूँगी, तुम्हारा ख़याल रखने की पूरी कोशिश करूँगी, हो सकता है इससे शायद तुम्हे मेरी बातों पे यकीन हो और जो भी हमारे बीच मतभेद हुए हैं वो शायद सुलझ जायें.. मतभेद होना चाहिए, लेकिन मनभेद नहीं..." ज्योति ने शीना की आँखों में देख के यह बात कही, और अगले ही पल उसकी आँखें नीचे झुक गयी.. यह ज्योति आक्टिंग नहीं कर रही थी, वो सही में शीना से फिर पहले जैसा नॉर्मल रिश्ता चाहती थी, हां उसने ज़रूर कुछ चीज़े हद से ज़्यादा कर ली थी जो शीना को पसंद नहीं आई, लेकिन दिल से वो कभी भी शीना को नुकसान नहीं पहुँचाना चाहती थी.. सिर्फ़ शीना को, ज्योति कोई नुकसान नहीं पहुँचाना चाहती थी...



"अब पिला भी दे जूस, आगे तो कर ग्लास..." शीना ने हँस के ज्योति से कहा जिसे सुन ज्योति की आँखें चमक उठी और बिना देरी किए ज्योति अपने हाथों से शीना को जूस पिलाने लगी और उसके सर पे हाथ फेरने लगी..



"थॅंक यू शीना.." ज्योति ने नम आँखों से शीना को कहा जिसके रियेक्शन में शीना ने अपने हाथ की एक उंगली को ज्योति की नम आँखों पे रखा और उसके आँसू को हल्का सा अपनी ज़ुबान पे रखा



"एक... कितना गंदा टेस्ट है इसका, आगे से यह मुझे मेरे सामने नहीं चाहिए समझी.." शीना ने हँस के ज्योति से कहा और दोनो बहने गले मिल गयी..



"ग्रेट गाइस..." रिकी यह कहके शीना के बगल में बैठा ही था कि शीना ने फिर उसे टोका



"आपको किसने कहा बैठने को... मैं अभी भी नाराज़ हूँ कि रिज़ॉर्ट आपने भाभी के नाम कर दिया.. मेहनत हमारी और फल खाएगी वो, यह कहाँ का इंसाफ़ है यार.." इस बार शीना ने रिकी और ज्योति से आइ कॉंटॅक्ट बना के कहा.. दोनो कोई जवाब देते इससे पहले तीसरी आवाज़ ने उसकी बात का जवाब दिया



"डॉन'ट वरी अबाउट दट ननद जी.." स्नेहा ने दरवाज़े पे खड़े रहके कहा और फिर कमरे के अंदर आ गयी



"चिंता नहीं करो शीना, तुम्हारी यह शिकायत मैं दूर करूँगी.. और रही बात रिज़ॉर्ट की, तो मुझे नहीं चाहिए ऐसी चीज़ जिसकी वजह से मेरे बारे में पीछे ऐसी बातें हो.." स्नेहा के चेहरे पे गुस्सा सॉफ दिख रहा था लेकिन वो दबा के बैठी थी



"नहीं भाभी, इसका ऐसा मतलब नहीं है..." रिकी ने बीच में बात को संभालते हुए कहा



"तो क्या मतलब है तुम्हारा शीना जो तुमने कहा उससे..." स्नेहा ने शीना को देख फिर सवाल किया



"मुझसे क्यूँ पूछ रही हो.. मेरी बात का सब मतलब यह जानते हैं, तो आप इनसे ही पूछो... बोलो भाई, क्या मतलब था मेरा, बताओ भाभी को, मैं भी सुनू..." शीना ने अपनी आँख रिकी पे जमाते हुए कहा...



"उः भाभी.. शीना का मतलब था, कि अगर आप भी रिज़ॉर्ट आके देखें कि काम कैसा चल रहा है और आपको कुछ भी इनपुट्स देने हो तो आप प्लीज़ आ सकते हैं.." इस बार रिकी कुछ कहता उससे पहले ज्योति ने स्नेहा को जवाब दिया



"वैसे आप क्यूँ आई थी इधर.." शीना ने स्नेहा से पूछा जो ज्योति की बात का जवाब देने जा रही थी



"मैं तुम लोगों की बातें नहीं सुन रही थी, डिन्नर रेडी है.. नीचे आ जाइए देवर जी और ज्योति तुम भी.. और हां ज्योति, मेरे जाते से ही पूछ लेना शीना से कि जो तुमने कहा अगर मैं वो करूँगी तो उसमे उसको प्राब्लम तो नहीं, या उसमे भी कोई मिस्टेक निकालेगी" स्नेहा ने ज्योति से कहा और कमरे से बाहर जाने लगी



"उः... भाभी, दो मिनिट प्लीज़ रुकिये.." ज्योति ने स्नेहा को वापस बुलाया और रिज़ॉर्ट के बारे में उसे बताने लगी.. अब क्योंकि रिज़ॉर्ट उसके नाम था तो स्नेहा ने भी थोड़ी रूचि दिखाई उसकी बातों में और बीच बीच में अपनी राय देने लगी...



"ओके लॅडीस.. आप बातें कीजिए, मैं चलता हूँ.. शीना, आइ विल गेट युवर डिन्नर..." रिकी ने सब से कहा और बाहर चला गया.. शीना के कमरे से बाहर आके रिकी ने आस पास देखा तो कोई नहीं था, मौका पाते ही वो धीरे धीरे स्नेहा के कमरे की तरफ बढ़ा और दरवाज़े को धक्का दिया तो कमरा खुल गया..



"गुड इट'स नोट लॉक्ड..." रिकी ने खुद से कहा और अंदर जाके रूम को लॉक कर दिया...



कमरे की बतियां जली हुई थी इसलिए उसका काम आसान था, उसने फोन निकाला और नंबर घुमा दिया..



"ह्म्‍म्म बोलो.." सामने से एक ही रिंग में फोन आन्सर हो गया



"मैं आ गया हूँ यहाँ.." रिकी ने धीरे से कहा और रूम के हर कोने में नज़र दौड़ाने लगा



"ग्रेट.. अब स्नेहा का वॉर्डरोब खोलो.."



"ह्म्‍म्म..रूको, हां ओपन किया"



"अब इसमे ढुंढ़ों, हमारे काम की चीज़ होगी इसमे ही.."



"क्या बोल रहा है यार..हमारे काम की चीज़ वो यूँ खुले में थोड़ी रखेगी"



"अबे बेन... के भाई, मतलब थोड़ा हाथ पेर मार, कुछ मिलेगा, तू देख तो.."



"कुछ नहीं है यार.. बस कपड़े ही कपड़े हैं, सारी एक से एक , वेस्टर्न , आअहह उसकी ब्रा पैंटी भी है.. तेरे लिए ले लूँ क्या हाहहा.."



"अरे भाई, यह सब छोड़, देख ना प्लीज़, हाथ पेर मार.."



"कुछ नहीं है यार.."



"कहीं और ढूँढ फिर..जो हमें चाहिए, वो इसी कमरे में है"



"अच्छा.. रुक...." रिकी ने कह के वॉर्डरोब बंद ही किया कि उसकी आँखों ने कुछ देखा



"रुक रुक... यहाँ कुछ है..."



"देख देख, जल्दी क्या है.."



"ह्म्‍म्म.. तो यह कपड़ों के बीच छुपा बैठा है.. अब इसका पास कोड कौन देगा.."



"रुक मेरे को देखने दे..." कहके सामने वाले ने सामने रखा वॉलेट उठाया और उसमे कुछ ढूँढने लगा



"यार, सरकार अगर 1000 से बड़े नोट भी निकालेगी ना तो यह अमीरों को काम ही लगेगा, कोई अपने वॉलेट में 50000 लेके घूमता है क्या" सामने वाले ने वॉलेट में कुछ ढूँढते हुए कहा



"तूने कुछ खर्च नहीं किया क्या.." रिकी ने जवाब में कहा



"नहीं यार, यह सब मेरा पैसा ही है. तो सोच रहा हूँ इसको बचा बचा के चलूं , हाहहहा..."



"चल चल, ढूँढ कुछ मिला क्या, नहीं तो इसका पॅज़कोड कहाँ से लाएँगे"



"रुक, देखने दे ना.. वॉलेट भी कितना बड़ा है.... हां, यह रहा.." सामने वाले को एक फोल्ड किया हुआ पेपर मिला



"यार, इसमे तो काफ़ी सारे पासवर्ड्स हैं.. काम की चीज़ है यह, नेट बॅंकिंग, वाह.. स्विस बाँक्स के भी हैं.. अब तो हम यूरो में भी खेलेंगे... लेकिन जो चाहिए, उसका पॅज़कोड नहीं मिल रहा..उम्म्म, यह बॅंक, वो बॅंक, यह लॉकर, वो लॉकर, हां.. यह रहा..." सामने वाले ने फिर अपनी उंगली एक जगह रखते हुए कहा



"हां बता.." रिकी ने उत्सुकता दिखाते हुए कहा



"हां.1914581.."



"रुक... 1914581..." रिकी ने पॅज़कोड पंच किया और एरर..



"भाई ग़लत है.." रिकी ने सामने एरर देखते हुए कहा
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07-03-2019, 04:36 PM,
RE: Antarvasna kahani वक्त का तमाशा
"यार यही लिखा है, 1914581" सामने व्वाले ने फिर ध्यान से देखा और जवाब दिया



"यार ग़लत है, यह 5 डिजिट का होना चाहिए...उससे ज़्यादा नही" रिकी ने सामने की ओर देखा और फिर कहा



"भाई, यहाँ यही लिखा है..." सामने वाले ने उसे जवाब दिया



"रुक.." रिकी ने सामने पड़ी पेन उठाई और हाथ पे पॅज़कोड 1914581 लिखा



"जल्दी कर, नहीं तो कोई आ जाएगा" सामने से फिर रिकी को जवाब मिला



"नहीं आएगा, जब तक मैं ना कहूँ स्नेहा यहाँ नहीं आ सकेगी..उसकी चिंता नहीं है. अब खामोश रह, मुझे सोचने दे..." रिकी ने हाथ पे पॅज़कोड लिखा और सामने वाले ने भी पॅज़कोड लिखा और कुछ सोचने लगा



"यस... गॉट इट..." दोनो ने एक साथ एक दूसरे को कहा



"चलो, दूरी होने के बावजूद भी हमारे दिमाग़ सेम हैं.. गुड गोयिंग" सामने वाले ने जवाब दिया और रिकी ने पॅज़कोड पंच किया.. एंटर का बटन दबाते ही सामने रखी चीज़ "बीएपप.." की आवाज़ के साथ खुली और रिकी की ज़रूरत की चीज़ें उसके सामने आ गयी



"ह्म्म... तो भाईसाब, आपके ज़रूरत की सब चीज़ें मेरे हाथ में आ गयी हैं.." रिकी ने सामने रखी चीज़ें उठा के फोन वाले को कहा



"ठीक है, जब मिलेंगे तब ले लूँगा और ध्यान से देखेंगे.." सामने वाले ने वॉलेट को साइड में रख के कहा



"वो सब तो ठीक है, लेकिन तू आ कब रहा है...." रिकी ने सामने वाले से फोन पे पूछा



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"ज्योति.. ज्योति...." स्नेहा ने ज्योति को उसकी बातों के बीच में रोकते हुए कहा



"यस भाभी..." ज्योति ने उसकी आँखों में देखते हुए कहा



"बाकी बातें खाने की टेबल पे करो... यहाँ खड़े खड़े बातें करना, अब चलो भी..." स्नेहा जाने के लिए मूडी कि ज्योति ने उसे फिर रोक दिया



"भाभी रूको तो.." ज्योति ने उसे कहा



"अब क्या है यार.." स्नेहा ने झल्ला के कहा और ज्योति की तरफ पलट गयी... ज्योति कुछ कहने ही जा रही थी कि सामने से उसे रिकी आता हुआ दिखा



"ओके चलिए, बाकी बातें नीचे करते हैं.." ज्योति ने स्नेहा से कहा और दोनो बाहर निकलने लगी... स्नेहा तो काफ़ी आगे निकल चुकी थी जल्दी जल्दी लेकिन ज्योति धीरे धीरे कमरे के बाहर आई



"काम हो गया... गुड जॉब..." रिकी ने ज्योति से धीरे से कहा और शीना के लिए खाना लेके कमरे के अंदर चला गया. ज्योति ने उसकी बात सुनी और कुछ सोचती सोचती खाने की टेबल की तरफ बढ़ गयी



"आओ भाई.. आओ..." शीना ने रिकी को फिर घूरते हुए कहा



"गुस्से में ना देख, अब आराम से खाना खाओ, चिंता नहीं करो, रिज़ॉर्ट तुम्हारे नाम ही रहेगा.." रिकी शीना के पास बैठा और खाना खिलाने लगा



"जाओ ना झूठे, बस झूठ बोलो...है ना.." शीना ने नाराज़गी जताते हुए कहा लेकिन खाना भी खाने लगी रिकी के हाथ से...



"तुम्हारी कसम..." रिकी ने सीरीयस होके शीना से कहा



"वाह.. अब आप मुझे मारना चाहते..." शीना ने इतना ही कहा कि रिकी ने अपने हाथ से शीना के मूह पे हाथ रखा और अपनी गर्दन ना में हिलाने लगा



"प्लीज़ ऐसा नहीं कहो...तुम्हे कुछ हो मैं ऐसा सोच भी नहीं सकता, ऐसे दस रिज़ॉर्ट्स मैं तुम्हारे नाम पे बना दूँगा, पर प्लीज़... कभी ऐसी बात नहीं कहना, " रिकी ने अपना हाथ पीछे किया और उसकी आँखें नीचे झुक गयी... नम तो उसकी आँखें नहीं थी, लेकिन शीना सॉफ देख सकती थी कि रिकी को बहुत बुरा लगा



"सॉरी जी... माफ़ कीजिए... मैं नहीं जानती थी आप मुझसे इतना प्यार करते हो..." शीना ने अपने हाथ से रिकी के चेहरे को उपर करके कहा



"तुम कभी नहीं समझ पाओगी कि मैं तुमसे कितना प्यार करता हूँ.." रिकी ने शीना का हाथ पकड़ के कहा



"अच्छा... आज आप बता ही दीजिए आप मुझसे कितना प्यार करते हैं.." शीना ने रिकी के हाथों को मज़बूती से थामे रखा और उसकी आँखों में देखने लगी... रिकी और शीना दोनो एक दूसरे की आँखों में देखने लगे, दोनो ने एक दूसरे का हाथों को ऐसे थाम के रखा था कि जैसे एक दूसरे को पकड़ के बस यहीं बैठे रहें, सारी दुनिया से बेख़बर होके, दोनो की आँखें एक दूसरे में खो गयी...



"इस आपके प्यार के सुरूर में मैं..कुछ ऐसा कर जाउन्गा
बन कर खुश्बू..हवा में फेल जाउन्गा...
गर भूलना चाहोगे मुझे तो भूल ना पाओगे...
साँस लोगे तो मैं आपके दिल में उतर जाउन्गा.."



रिकी की कही यह चन्द पंक्तियाँ, सीधे ज्योति के दिल में उतर गयी... उसे बिल्कुल भी होश नहीं था कि वो कहाँ है..वो बस आँखें बंद किए उस वक़्त को, उस पल को अपने ज़हेन में हमेशा हमेशा उतारने की लिए कोशिश कर रही थी...कुछ देर दोनो यूही बैठे रहे.. कहते हैं कि लड़कियों को बातें करने वाले , उन्हे हसने वाले लड़के ज़्यादा पसंद आते हैं.. वैसे तो शीना भी यह सोचती थी कि उसे भी ऐसा लड़का पसंद आएगा, लेकिन रिकी की खामोशी भी उसके दिल से बातें करती थी.. रिकी के मूह से निकला एक एक अल्फ़ाज़ भले ही उसके चेहरे पे हँसी लाए या ना लाए, लेकिन उसके दिल को ज़रूर खुश करता था.. रिकी के साथ होते हुए शीना को किसी बात की फ़िक्र नहीं रहती थी, रिकी पे उसे खुद से ज़्यादा भरोसा था.. शीना की आँखें बंद देख रिकी से रहा नहीं गया और उसके हाथ को अपने होंठों के पास लाके उसे हल्के से चूम लिया.. रिकी के लबों को अपने हाथों पे महसूस करके शीना के चेहरे पे एक मुस्कान तैर गयी, उसकी आँखे अभी भी बंद ही थी लेकिन यह हसी देख रिकी समझ गया कि शीना को यह पसंद आया..



"क्या हुआ.. अब तो आँखें खोलो..." रिकी ने उसके चेहरे को अपनी हथेली में थाम के कहा



"भाई, 2 मिनट्स..." शीना ने रिकी के हाथों को फिर पकड़ लिया और आँखें बंद ही रखी... जब तक शीना की आँखें बंद थी, तब तक रिकी मंद मंद मुस्कुराते हुए उसे ही देखे जा रहा था... अंत में शीना ने एक लंबी साँस ली, जैसे किसी की महक ले रही हो. और अपनी आँखें खोली... आँखें खोलते ही रिकी को सामने देख उसके चेहरे की मुस्कान और बढ़ गयी...



"अवववव भाई... आइ लव यू आ लॉट...." शीना ने अपनी बाहें खोल के कहा और रिकी को गले लगा लिया



"आइ लव यू टू स्वीटी... बट हुआ क्या, वो तो बताओ.. आँखें बंद करके क्या देख रही थी..' रिकी ने शीना के हाथों को पकड़ के कहा



"मैने एक मस्त खूबसूरत सपना देखा भाई..." शीना ने अपनी चुलबुली हँसी के साथ जवाब दिया



"अच्छा, मुझे भी बताओ, पता तो चले कि क्या देखा.." रिकी ने अपनी कोहनी बेड पे टिका दी और शीना को सुनना चाहा



"मैने देखा कि...." शीना ने इतना ही कहा कि रिकी का फोन बज उठा



"ओफफफ्फ़...आपका फोन यार.." शीना ने गुस्से से रिकी को देखा



"एक मिनिट यार.. रुक जाओ.." रिकी ने शीना को कहा और फोन पे नंबर देख के चोकन्ना हो गया



"शीना, एक मिनट प्लीज़... दिस ईज़ अर्जेंट.." रिकी ने फोन आन्सर करते हुए कहा और कमरे के बाहर निकल गया



"हां बोलो.." रिकी कमरे के बाहर आ गया लेकिन शीना को वो सामने देख सकता था, जो बैठे बैठे उसे फ्लाइयिंग किस भेज रही थी



"तुझे पहले ही कहा था इन सब से बच के रहना.." सामने से उसे जवाब मिला, यह लाइन इतनी कठोर आवाज़ में कही गयी थी कि रिकी सहम गया



"मैने तुझसे क्या कहा था..लेकिन तू हमेशा मेरी बात को भूल जाता है.." सामने से फिर उसे जवाब मिला लेकिन इस बार आवाज़ में थोड़ी नर्मी थी



"मुझे याद है..." रिकी ने बस इतना ही कहा और सामने बैठी मासूम शीना को देख के उसकी आँखें लाल होने लगी



"शीना या यह काम.. आज मुझे तेरा जवाब चाहिए..." सामने वाले ने फिर उसे सवाल पूछा.. यह सवाल सुन रिकी की आँखों के सामने कुछ ऐसे मंज़र आ गये जिन्हे याद करके वो अंदर ही अंदर बिलखने लगा, उसका दिल रोने लगा..लाल सुर्ख हो चुकी आँखें अब धीरे धीरे नम होने लगी थी..



"शीना या यह काम... जवाब दे मुझे.." सामने वाले की आवाज़ फिर कड़क हो गयी



"यह काम..." रिकी ने दिल पे पत्थर रख के जवाब दिया और अपनी आँखों से बह रहे आँसुओं को समेटने की कोशिश करने लगा



"ग्रेतत्त्त्त्तह... राइचंद'स में से कोई भी नहीं बचेगा... शीना भी नहीं... याद रखना..." सामने वाले ने रिकी से कहा और फोन कट कर दिया
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07-03-2019, 04:36 PM,
RE: Antarvasna kahani वक्त का तमाशा
दूर कहीं एक घना सा जंगल था, जंगल से होते हुए कहीं एक कोने में एक सुंदर बहता सा झरना, झरने का पानी मानो दूध सा सफेद है.. एक लड़की उछलती खेलती जंगल से होते हुए झरने के पास दौड़ती हुई आ रही थी.. सुनहेरे खुले बाल, सफेद रंग की ड्रेस, कानो में दो छोटे छोटे झुमके, नाक में बाली और इतनी खूबसूरत, मानो जैसे कोई हाथ लगाए तो मैली हो जाएगी.. दौड़ती दौड़ती वो लड़की झरने के पास पहुँचती है और जैसे किसी से छुपने के लिए कुछ जगह ढूँढ रही थी.. हस्ती मुस्कुराती वो झरने के पीछे एक विशाल पेड़ के पास जाके खड़ी हो जाती है और मटकती आँखों से किसी को खोजती है और फिर अपनी प्यारी सी हसी हँसने लगती है.. उसे देख के नहीं लग रहा था के वो किसी से डरी हुई है इसलिए चुप रही है, पर वो जिससे छुप रही थी वो दूर दूर तक कहीं नहीं दिख रहा था.. जंगल में अब आवाज़ थी तो बस झरने से पानी गिरने की और कुछ पन्छियो की जो शाम ढलते वक़्त अपने घरों को वापस लौट रहे थे... कुछ देर में लड़की हस्ती हुई बार बार पेड़ के पीछे से निकलती और हँसती हँसती फिर छुप जाती, लेकिन जैसे ही अंधेरा होने लगा, लड़की की हँसी की आवाज़ कम होती गयी और उसके चेहरे पे झरने की पानी की बूँदों की जगह पसीना आने लगा था.. लड़की चिंतित होके
पेड़ के पीछे से निकली और आगे आके इधर उधर देखने लगी... घने जंगल के बीचो बीच इतनी शांति में किसी को भी डर लग सकता है, यह तो फिर भी एक कमसिन मासूम सी लड़की थी..



"तुम हो इधर..." लड़की ने ज़ोर से पुकारा और यह पंक्ति पूरे जंगल में गूँज उठी, लेकिन कोई जवाब नहीं आया



"तुम कहाँ गये हो...." लड़की ने फिर से ज़ोर से पुकारा लेकिन इस बार भी कोई जवाब नहीं... लड़की ने इधर उधर देखा तो बाहर जाने का रास्ता ना मिलने पर उसके चेहरे से बहता पसीना उसके मस्तक से लेके उसके होंठों पे आ रहा था.. अभी लड़की बीचो बीच खड़ी ही थी कि अचानक पीछे से एक हॅटा कट्टा आदमी, जो देखने में तो सामान्य व्यक्ति जैसा ही लग रहा था, लेकिन इरादे उसके शैतान के थे.. धीरे धीरे चुपके चुपके कदम बढ़ते हुए वो आदमी उस लड़की की तरफ आ रहा था और लड़की की पीठ उसकी तरफ होने से वो आराम से उसके पास आता जा रहा था.. लड़की से बस एक कदम दूर वो आदमी खड़ा रहा और धीरे धीरे अपने दोनो हाथ आगे बढ़ाता चला... लड़की इतनी चिंता में थी कि उसे इस चीज़ का बिल्कुल भी आभास नहीं हुआ, जब तक लड़की को पता चलता तब तक वो दोनो हाथ उसकी कमर में पहुँचे और उसे हवा में उठा के उसे झुलाने लगे..



"ओह्ह्ह्ह......छोड़ो मुझे.... छोड़ो..." लड़की ने पहले आँखें बंद करके चिल्लाया और फिर एक नज़र पीछे की तो अपने प्रेमी को देखा तो उसकी जान में जान आ गयी और एक लंबी गहरी साँस छोड़ी..



"उम्म्म. .. चलो छोड़ो मुझे..." लड़की ने उसके हाथ हटाने की कोशिश की लेकिन उसके मज़बूत हाथ टस से मस नहीं हुए



"छोड़डूऊ मुझे... चलो नीचे उतारो..." लड़की ने थोड़ा चिल्ला के कहा तो लड़के ने भी हँसते हुए उसे नीचे उतारा और उसके चेहरे को देख के हँसता ही रहा



"बड़ा मज़ा आता है ना मुझे सताने में.." लड़की ने शिकायत की लड़के से जो अभी भी उसके चेहरे को देख हँसे जा रहा था



"एक तो इतना सताते हो और उपर से हँसते जा रहे हो.. तुम्हे मेरी कोई परवाह नहीं है..." लड़की ने रूठ के मूह फेर दिया और लड़का उसके पीछे जाके मनाने लगा... जब वो लड़की नहीं मानी तो लड़के ने धीरे से उसकी कमर में अपने दोनो हाथ सरकाए और हल्के हल्के उसकी नाभि सहलाता रहा... लड़के की इस हरकत से लड़की ने आँखें बंद कर ली और अपनी पीठ उसकी बाहों में टिका दी.. कुछ ही देर की इस हरकत से लड़की मदहोश होने लगी और आँखें बंद कर अपने हाथ पीछे ले जाके लड़के के बालों में घुमाने लगी...



"अहहाहाहहा..उम्म्म्ममम......" लड़की ने हल्की सी सिसकारी निकाली जिसे सुन लड़के ने अपने सर को हल्का सा नीचे किया और उसकी गर्दन पे अपनी जीभ धीरे धीरे कर फेरने लगा और अपनी गरम गरम साँसें उसपे छोड़ने लगा



"आअहुफफफ्फ़........" लड़की इस बार फिर सिसकी और पीठ घुमा के अपना चेहरा लड़के सामने कर दिया, लड़की की आँखें अभी भी बंद थी लेकिन उसकी साँसें काफ़ी तेज़ हो चुकी थी.. लड़का हल्के से मुस्कुराया और लड़की के चेहरे पे गिर रही उसके ज़ुल्फो की लाटो को अपनी उंगली से हटा के उसके सुंदर से चेहरे को देखने लगा... लड़की की साँसें अभी थम
चुकी थी, लेकिन आँखें बंद थी और होंठ सूखे और खुले... लड़का थोड़ा सा आगे हुआ और अपने होंठों को लड़की के होंठों के पास ले गया.. दोनो के बदन बिल्कुल तप चुके थे, उनकी गरम साँसें बयान कर रही थी कि वो आज रुकना नहीं चाहते थे..



"फिर..." रिकी ने शीना से पूछा जब वो कुछ देर खामोश रही..



"फिर आपने टोक दिया और मेरा सपना टूट गया.." शीना ने जवाब दिया और अपना सूप पीने लगी



"मैने कब टोका..." रिकी ने आँखें घुमा के पूछा



"अभी थोड़ी देर पहले, जब मैं आँखें बंद करके यह सब देख रही थी तो बीच में टोकने लगे, और फिर जब आगे बढ़ रही थी तो आपका फोन आ गया.. फोन आया तो ना ही मैने आगे कुछ देखा और ना ही आपके कॉल ने बोलने दिया.." शीना ने अपने सूप को लबालब पीते हुए कहा



"क्या यार... इट वाज़ सो प्रेटी... आइ मस्ट से यू हॅव आ वेरी स्ट्रॉंग इमॅजिनेशन हाँ..." रिकी ने शीना के हाथ से चम्मच लिया और उसे अपने हाथ से सूप पिलाने लगा.. दोनो बातें करते करते खाना खाने लगे और काफ़ी मस्ती मज़ाक भी करने लगे...



"ह्म्म्मन.. हो गया खाना, बुलाओ ज़रा उस दासी को और कहो यहाँ से यह सब ले जाए.. अभी हमे आराम करना है.." शीना अपने हाथों को सर के पीछे ले गयी और टेका लेके कहा



"शीना.... चिल, मैं रख के आता हूँ..." रिकी ने बर्तन उठा के कहा और नीचे जाने के लिए मुड़ा ही कि शीना ने उसे रोक दिया



"भाई... आप आगे की बात नहीं सुनना चाहोगे..." शीना ने एक हल्की सी मुस्कुराहट से कहा जिसे सुन रिकी पीछे घूम गया और शीना को देख मुस्कुराने लगा



"नहीं, सुन के मज़ा नहीं आएगा..." रिकी ने साइड टेबल पे प्लेट्स रखी और शीना की तरफ फिर बढ़ गया



"फिर... कैसे आएगा मज़ा..." शीना ने अंजान बनते हुए पूछा...



"उम्म्म्म....अब वो तो इमॅजिन करने में या आक्च्युयली में करके ज़्यादा मज़ा आएगा" कहते कहते रिकी शीना के पास बैठ गया और अपना चेहरा शीना के चेहरे के पास ले गया



"इमॅजिन करने की एनर्जी अब मुझ में नहीं है.. आगे आप की मर्ज़ी है..." शीना ने कहा और हल्के से उपर उठा के अपने चेहरे के साथ अपने होंठों को भी रिकी के और करीब ले गयी.. शीना और रिकी की आँखें मिलते ही वो दोनो एक दूसरे में डूब गये और दोनो अपने अपने हाथ एक दूसरे के बालों में लेके सहलाने लगे... देखते ही देखते दोनो के होंठ मिल गये और दोनो धीरे धीरे कर एक दूसरे के होंठों को चूसने लगे

"उम्म्म्मम भाइईईईयाहह...उम्म्म्म......." शीना हल्की हल्की सिसकारी निकलने लगी



"ओहाहहह शीना.....आइ हॅव बीएन उम्म्म्मम अहाआहहह क्रेविंग अहहहाहा फॉर यू हनी अहहहहूंम्म्मम.....यस सक इट आआहहा हार्डर ना आहह..." शीना और रिकी दोनो अपने चुंबन में ऐसे खोए हुए थे कि उन्हे पता ही नहीं चला के उनके सामने स्नेहा खड़ी रहके उन्हे ही देख रही थी.. स्नेहा शीना के कमरे में प्लेट्स लेने आई थी, लेकिन सामने का नज़ारा देख उसके कदम वहीं जम गये.. रिकी और शीना के चुंबन को देख पहले तो स्नेहा सहम सी गयी, लेकिन फिर अगले ही पल थोड़ा पीछे जाके कमरे के बाहर छुप गयी और चोरी चोरी उन्हे देखने लगी...
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07-03-2019, 04:36 PM,
RE: Antarvasna kahani वक्त का तमाशा
"आहाहाहा भाई... उफफफ्फ़.... यस अहाहहा चुसिये ना...." शीना ने रिकी के सर को पकड़ के अपनी ओर दबाना चाहा और धीरे धीरे रिकी भी अब शीना के सीने के उपर आने लगा था...



शीना की यह बात सुन स्नेहा भी धीरे धीरे गरम होने लगी, वैसे उसे तो पता था कि दोनो के बीच चक्कर है लेकिन आज यह पहली बार देख रही थी... स्नेहा ने सबसे पहले अपना मोबाइल ढूँढा, लेकिन मोबाइल हाथ में ना होते हुए उसे खुद पे गुस्सा आया...



"मोबाइल होता तो दोनो को कॅमरा में रेकॉर्ड करके अपनी उंगलियों पे नचाती... स्शहुउ.." स्नेहा ने खुद से कहा और अंदर का नज़ारा फिर देखने लगी.. शीना और रिकी बेसूध होकर एक दूसरे में खोए हुए थे और बड़े ही प्यार से एक दूसरे के होंठों का रस निचोड़ने में लगे हुए थे... दोनो की साँसों की गर्मी और सिसकारियाँ सुन स्नेहा भी नीचे से गरम होने लगी, और खुद ब खुद उसका हाथ उसके ट्रॅक पॅंट के अंदर घुस गया और दूसरा उसके चुचे पे चला गया...




"अहाहाहा उफ़फ्फ़...... कितने गरम हैं दोनो साले अहहहा...." स्नेहा ने खुद से कहा और एक बार फिर अंदर का नज़ारा देख अपने कमरे में दौड़ती हुई चली गयी



"उम्म्म्माहहह....स्लूऊर्रप्रप्प्प्प्पाहहह..." रिकी और शीना ने होंठ अलग कर दिए और तेज़ साँसों से एक दूसरे को देखने लगे..



"गेट वेल सून... आइ आम मिस्सिंग यू आ लॉट नाउ...." रिकी ने अपनी साँसों को संभालते हुए कहा और शीना के मस्तक को चुम्के वहाँ से निकल गया... शीना ने भी अपने भावनाओ पे रोक लगाई और नींद की आगोश में डूबने को तैयार हो गयी,...




"अरे ज्योति...." सुहसनी ने ज्योति से कहा जो अपने कमरे की ओर बढ़ रही थी



"जी ताई जी..." ज्योति ने मूड़ के सुहसनी से कहा



"यह मोबाइल ज़रा बहू को दे दो, इधर उधर रख देती है और फिर हम ध्यान रखें " सुहसनी ने ज्योति को मोबाइल पकड़ाते हुए कहा



"चिल ताई जी.. मैं दे देती हूँ.. चलिए गुड नाइट.." ज्योति ने हँसकर कहा और अपने कमरे की ओर जाने लगी....



"हेलो... एक्सक्यूस मी..." ज्योति ने बीच में रिकी को देख के कहा



"ह्म्म्म ..." रिकी ने अपनी नज़रें मोबाइल पे जमा के रख के ही उसे जवाब दिया



"उपर देखो..." ज्योति ने उसे फिर कहा



"काम बोलो, मैं कहीं बिज़ी हूँ.." रिकी फिर कुछ देखने लगा मोबाइल में



"उपर देखोगे तो कहूँ ना..." ज्योति ने इस बार टोन नीची की



"ह्म्म्मो... बोलो.." रिकी ने मोबाइल से नज़रें हटा के ज्योति को देखा



"आज बड़े क्यूट लग रहे हो वैसे..." ज्योति ने स्माइल करके कहा



"उम्म्म... टाइम वेस्ट नहीं करो, एक ग़लती मैं ऑलरेडी कर चुका हूँ, अब दूसरी बार सेम नही करना चाहता..." रिकी ने फिर अपनी नज़रें मोबाइल में लगा दी



"जो चीज़ मर्ज़ी से हुई हो उसे ग़लती नहीं कहते..." ज्योति ने उतना ही कहा कि रिकी ने झट से अपने हाथ से उसका मूह बंद किया और मोबाइल पे कुछ टाइप करने लगा.. जब तक ज्योति कुछ समझती या कहती रिकी ने अपने मोबाइल की स्क्रीन उसे दिखाई और टाइप किया हुआ पढ़ने का इशारा किया.. जैसे जैसे ज्योति उसके मोबाइल पे लिखे हुए शब्दों को पढ़ती गयी, उसकी आँखें बड़ी होती गयी.. रिकी ने अपना हाथ और अपना मोबाइल एक साथ उसके मूह और नज़रों से हटाया और अपने कमरे की तरफ बढ़ गया



रिकी के जाते ही ज्योति ने अपने ठनके हुए दिमाग़ को सही जगह पे लाया और कुछ सोचने लगी...



"शितत्त.... यह मैने पहले क्यूँ नहीं सोचा..." ज्योति ने जैसे खुद से फुसफुसा कर कहा



कुछ देर ज्योति वहीं खड़ी रही और अपने हाथों में स्नेहा का मोबाइल देख उसे याद आया कि स्नेहा के पास जाना है.. ज्योति थोड़ा आगे बढ़ी और स्नेहा के कमरे के पास पहुँची...



"भाभी.. आपका मोब्ब्बीईईईईईईई..." ज्योति ने दरवाज़ा खोल के जैसे ही सामने देखा वैसे ही उसकी नज़रें सामने का नज़ारा देख बरफ जैसे जम गयी और उसका दिमाग़ जो पहले ही एक झटके से गुज़र चुका था, सामने देख उसका दिमाग़ एक दम सन्न पड़ गया और वो बस मूह खोले वहीं देखती रही




सामने स्नेहा बेड पे नंगी लेट के ज़ोर ज़ोर से अपनी चूत को रगड़ने में मस्त थी.. आँखें बंद कर वो बार बार शीना और रिकी के चुंबन वाले दृश्य को इमॅजिन करती और अपनी चूत को ठंडा करने लगती...



"अहहहा... यस रिकी अहहहा.. भाभी को भी चोदो ना अहहहा... बहेन के साथ उफफफ्फ़ अहहाहा..." स्नेहा अपनी चूत मसल्ते मसल्ते सिसकारियाँ ले रही थी

अचानक ज्योति की आवाज़ सुन उसने आँखें खोली और ज्योति की आँखों में देखने लगी... स्नेहा ने अपनी चूत से हाथ तो नहीं हटाया मगर ज्योति को देख उसकी तेज़ी थोड़ी कम हो गयी.. ज्योति यह नज़ारा देख एक दम पुतले की तरह बन गयी थी, उसके मूह से कुछ नहीं निकल रहा था... स्नेहा ने जब यह भाँपा तो धीरे धीरे अपनी जगह से खड़ी होके चूत रगड़ते रगड़ते ही ज्योति के पास पहुँची और उसकी आँखों में देखते देखते ही अपनी चूत पे हाथ तेज़ी से चलाने लगी..




"आऊ नाअ अज्योतीइ......" स्नेहा ने ज्योति का हाथ पकड़ा और उसे अपने बिस्तर पे ले गयी.. बिस्तर पे बैठते ही स्नेहा ने ज्योति के चुचों को उसके टॉप के उपर से ही मसला जिससे ज्योति होश में आई..



"बाहह बब्ब भाभिईिइ.. यीहह आपक्कककााअ म्मू म्म्मो मोबिलीई लाई थी.." ज्योति को यूँ अटकते देख स्नेहा खुश हुई और उसके हाथ से मोबाइल लेके साइड में फेंक दिया..



"मोबाइल को छोड़ो... तुम इधर आओ.." स्नेहा उसके पास गयी और उसके चेहरे को पकड़ के अपनी जीभ उसके मूह के अंदर घुस्सा के अपनी जीभ को धीरे धीरे चलाने लगी... ज्योति अब तक कुछ रिक्ट नहीं कर रही थी इसलिए स्नेहा ने जीभ के साथ साथ अपने हाथ भी चलाना शुरू किया और एक हाथ उसके चुचे पे और दूसरा उसकी चूत पे रख के दोनो को चलाने लगी... जींस के उपर से ही चूत मसल्ते मसल्ते स्नेहा उसे लुभाने की कोशिश करने लगी... तीन तरफ से प्रहार देख ज्योति से भी रुका नहीं गया, और उपर से स्नेहा के मुख से रिकी का नाम सुन ज्योति पहले ही भड़क चुकी थी.. धीरे धीरे आँखें बंद कर वो भी स्नेहा को चूमने लगी और उसका साथ देने लगी
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07-03-2019, 04:37 PM,
RE: Antarvasna kahani वक्त का तमाशा
"उम्म्म... अहाहाहा तू कितनी मीठी है ज्योति अहहाहा उम्म्म्म..." हल्का सा चूमना छोड़ स्नेहा अब तेज़ी से ज्योति के होंठों को चूसने लगी और दोनो हाथों से ज्योति को बेलीबास करने में लग गयी.. ज्योति कुछ बोले बिना यह पहला अनुभव एंजाय करने में लगी हुई थी.. देखते देखते स्नेहा ने ज्योति का टॉप उतार फेंका और नीचे से जीन्स को भी खिसकाने लगी... ज्योति ने स्नेहा को अपने उपर खींचा और नीचे से जीन्स उतारने में उसकी मदद करने लगी...




"आहहहााहाः भाभी अहाहाआ... प्लीज़ मी...... अहाआहहा.." ज्योति जब नंगी हुई तो अपनी टाँगें फेला के कहा, जिसे सुन स्नेहा ने भी अपनी चूत ज्योति की चूत पे रखी और आपस में उन्हे रगड़ने लगी




"ओह्ह्ह अहहा मैं तो कर दूँगी तुझे ठंडा.... अहहः फिर मेरा क्या आ अहाहाः उम्म्म....." स्नेहा चूत रगड़ते रगड़ते बोलने लगी...




"मैं ही करूँगी ना मेरी रंडी भाभी अहहाहा उफफफफ्फ़. ज़ोर से प्लेआसीए.... उफफफफ्फ़ फक्क्क्क...." ज्योति उतेज़ित हो चुकी थी और तेज़ी से उपर नीचे हो रही थी......

"अहाहहा यस भाभी आइ आम कमिनंग्ज्ग अहहहाआ...... ऑश शिट्ट एस फास्टरर अहहह... हां अभी अभी अहहहः रुकना मत उफफफफ्फ़ अहहहहा...




ज्योति की सिसकारी सुन स्नेहा वहाँ से उठी और जाके ज्योति की चूत पे जीभ रख दी और उसे चाटने लगी...




"ओह्ह्ह्ह नूओ भाआभिईीईईई... यस डिग डीपर प्लेआसीए हहूंम्म्ममममम..."

स्नेहा ने भी अपनी जीभ तेज़ी से उपर नीचे करना जारी रखा और दूसरे हाथ से उसकी गान्ड के छेद को कुरेदना शुरू किया





"ओह्ह्ह नूऊओ भाभी प्लीज़ अहाहहाहा येस्स्स्स हियर ईयी कूम्म्म्माअहह..." ज्योति एक बड़ी सी चीख से साथ झड़ने लगी और स्नेहा ने उसका पूरा रस गटक के पी लिया





"अहहहा भभिईीईई उफफफ्फ़........" ज्योति की साँसें तेज़ चल रही थी और उसे कुछ कहा नहीं जा रहा था...




"अभी तो मज़ा बाकी है मेरी प्यारी ननद अहाहाआ..." स्नेहा बेड से खड़ी हुई और अपने बेड के नीचे से एक स्ट्रॅप ऑन डिल्डो निकाल के कमर पे बाँधने लगी... ज्योति ने जब आँखें खोल देखा तो कुछ कहने से पहले स्नेहा पलंग पे चढ़ चुकी थी और डिल्डो को ज्योति की चूत पे रख दिया था




"गो स्लॉववव भाभिईीई अहहा नूऊऊओ फक उउउउउ" ज्योति की वॉर्निंग किसी काम की नहीं थी, क्यूँ कि स्नेहा ने बड़ी ही ज़ोर से डिल्डो को अंदर बाहर करना चालू किया था.... जिस तरह से डिल्डो आसानी से घुस्सा, स्नेहा समझ चुकी थी कि ज्योति खुल चुकी है, लेकिन इस ख़याल को साइड कर उसने अपना काम जारी रखा...




"आहहा भाभी स्लूओवव्वव इट पेनसा अहह" ज्योति की यह बात सुन स्नेहा ने अपनी गति कम की और ज्योति की चूत को मज़े देने लगी


"अहहहहा यस बेबी अहहहहः उम्म्म्म...... थोड़ा ज़ोर से प्लीज़...... मैं आ रही हुन्न्ञन् अहाहाआ.. हां ऐसे ही अहहहहहाआ और ज़ोर से एआःाहहहाआ... हां अभी आहहाहा नो नो डोंट अहहः डोंट स्टॉप्प्प्प प्लेआस्ीईए ककककक्कूमम्म्माहहहा आम कमिनंग्ज आहहाहा भभिईिइ....." ज्योति ने फिर अपना पानी छोड़ दिया और स्नेहा को अपने उपर से हटा दिया धक्का

देके...





"हाए मेरी ननद... अभी अपनी भाभी को मज़ा दे ज़रा....." स्नेहा ने डिल्डो अपनी कमर से निकाल के ज्योति को पकड़ाया... ज्योति ने डिल्डो की चमक देखी तो उसे स्नेहा के मूह के पास ले गयी जो उसका इशारा समझ गयी और चूस के ज्योति के पानी को चाटने लगी...



"अभी रूको मेरी रंडी भाभी..." कहके ज्योति ने जैसे ही अपनी कमर पे डिल्डो बाँधा तभी उसकी नज़र घड़ी पे गयी... वक़्त देख उसे याद आया कि उसे रिकी ने बुलाया था...



"भाभी, आप अपना काम जारी रखो.. मुझे कुछ काम है.." ज्योति ने डिल्डो को बेड पे फेंका और अपने कपड़े पहनने लगी...



"ऐसे कैसे ज्योति... यह क्या..." स्नेहा झल्ला गयी उसकी इस हरकत से




"सॉरी बेबी.. बट अर्जेंट है प्लीज़..." ज्योति ने अपना टॉप पहनते हुए कहा




"सॉरी की बच्ची, चूत खुलवा के आई है बाहर से और अभी नाटक कर रही है.." स्नेहा ने ब्लॅकमेल करने को कहा




"आप अपने पति को कौनसा सील पॅक मिली होगी... चुदवाया तो आपने भी होगा ना.. मैने भी वोही किया...." ज्योति ने अपने बाल ठीक करके कहा और स्नेहा के कमरे के बाहर निकल गयी.. उसने एक नज़र भी पीछे मूड के स्नेहा को नहीं देखा जो गुस्से से लाल हुए जा रही थी...




ज्योति जल्दी से अपने कमरे में गयी और फ्रेश होके रिकी के कमरे की तरफ बढ़ी ही थी कि उसे कुछ याद आया... अपने रूम में गयी और ड्रेसिंग टेबल पे आके कुछ देखा और फिर एक सेकेंड में रिकी के पास चली गयी...





"ह्म्म्म्म .. तो ऐसे करते थे तुम लोग हां... और मुझे इस बात का अंदाज़ा ही नहीं लगा..." ज्योति ने रिकी से कहा, जब दोनो आमने सामने बैठ सिगरेट फूँक रहे थे

"पर मुझे अभी तक एक बात समझ नहीं आई.." ज्योति ने सिगरेट के धुएँ को हवा में छल्ला बना एक फेंका और रिकी से कहा



"जानता हूँ.... लेकिन वक़्त आने पे तुम्हे सब पता चल जाएगा..इससे ज़्यादा फिलहाल मैं कुछ नहीं कह सकता..." रिकी ने ज्योति की आँखों में देख के कहा



"और शीना..मुझे सही में फ़िक्र है उसकी..." ज्योति ने इस बार थोड़े गंभीर स्वर में कहा



"शीना को कुछ नहीं होगा.....वैसे भी आज तक मैने जिसे चाहा है वो मुझे कभी नहीं मिला..." रिकी ने यह आखरी लाइन दबी हुई आवाज़ में कही



"क्या....क्या कहा..." ज्योति ने झट से रिकी को कहा जब उसे रिकी की आखरी लाइन ध्यान से नहीं सुनाई दी



"कुछ नहीं... फिलहाल यू शुड लीव..." रिकी अपनी जगह से खड़ा हुआ और ज्योति के लिए दरवाज़ खोल दिया



"क्यूँ...अभी तो हमें वो नहीं सुन सकता, तो वी कॅन हॅव ऑल दा फन ना.." ज्योति ने अपने बदन पे उंगली फेरते हुए कहा



"सुना तो उसने उस रात को भी नहीं..मैं उसे धोका दे सकता हूँ और अपनी मर्ज़ी से देता हूँ और वो मेरा कुछ भी नहीं कर सकता...." रिकी ने अपनी शर्ट उतार के फेंकते हुए कहा



"तो फिर क्या प्राब्लम है.. कद्दू कटने के लिए तैयार है.." ज्योति ने भी अपना एक हाथ अपने टॉप पे रखा और उसे उपर करने लगी..



"मैं शीना को धोखा नहीं दे सकता ज्योति..उस रात जो हुआ वो मेरे हाथ में नहीं था...आज मैं जान बुझ के यह नहीं कर सकता..." रिकी इस बार अपने बेड पे लेट गया और कुछ पढ़ने लगा



"ओह ऐसा, तो मतलब रूम्स में लगे हुए कॅमरास से डर गये हो तुम.." ज्योति ने रिकी को उकसाने के लिए कहा



"हर रूम की कॅमरा को बंद किए हुए कम से कम एक हफ़्ता तो हो ही गया है..अब तुम प्लीज़... गेट आउट.." रिकी ने फाइनली अपना ध्यान बुक से हटाया और दरवाज़े की तरफ इशारा कर दिया
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07-03-2019, 04:37 PM,
RE: Antarvasna kahani वक्त का तमाशा
ज्योति बिना कुछ कहे वहाँ से निकल गयी और चुपके चुपके अपने कमरे में पहुँची.. पहुँच के सबसे पहले उसने रिकी की बात की पुष्टि कि, हर कमरे की कॅमरा को देखा, लेकिन सब डीऐकटिवेटेड.. ज्योति को यह समझ नहीं आया, कि अचानक सब एक साथ कैसे बंद हो सकती है...ज्योति कुछ सोच ही रही थी कि उसे एसएमएस आया



"ज़रूरी नहीं है हर चीज़ की कोई वजह हो.. कॅमरास बंद हैं तो बंद हैं, इसमे ज़्यादा सोचने की नो नीड.. और चिंता नहीं करना, यह मैने जस्ट गेस ही किया है कि तुम वो सोच रही हो, अगर तुम वो नहीं सोच रही जो मुझे लगता है तो तुम्हे आराम करना चाहिए.. गुड नाइट.." ज्योति ने रिकी का यह एसएमएस देखा तो उसे कुछ समझ नहीं आया, रिकी पता नहीं क्या कहना चाहता था.. लेकिन उसने बिना किसी देर के अपने दिमाग़ को आराम दिया



"गुड मॉर्निंग स्वीटहार्ट..." रिकी ने शीना के कमरे में प्रवेश करते हुए कहा जहाँ शीना लेटे लेटे एक नॉवेल पढ़ रही थी और ज्योति उसके साथ बातें कर रही थी



"गुड मॉर्निंग स्वीटहार्ट..." शीना ने रिकी को देख के कहा और ज्योति को देखने लगी, जिसने कुछ रिएक्ट नहीं किया शीना की इस बात पे



"यह लो.. तुम्हारा जूस.." रिकी ने शीना को जूस देके कहा और ज्योति को देखने लगा



"तुम महाबालेश्वर नहीं जा रही.." रिकी ने ज्योति को देखते हुए कहा



"हां, बस इन ए वाइल..." ज्योति ने झेन्प्ते हुए जवाब दिया जिसे शीना ने नोट किया



"इसे क्या हुआ, डर क्यूँ गयी अचानक.." शीना ने रिकी से पूछा और ज्योति को देखने लगी



"अरे, नतिंग लाइक दट यार..कल रात को थोड़ा देर से सोई..चलो यू गाइस एंजाय, शाम को मिलती हूँ ओके... बाइ.." ज्योति ने कहा और जल्दी से रिज़ॉर्ट के लिए निकल गयी... रिकी और ज्योति के एग्ज़ॅम हो चुके थे, इसलिए अब इनके पास कुछ काम करने को तो था नहीं, रिकी ने अब फुल टाइम विक्रम का काम देखना शुरू किया और ज्योति पूरा वक़्त रिज़ॉर्ट में देती.. जब भी रिकी को लगता , तब वो रिज़ॉर्ट पे काम देखने पहुँच जाता...



"तो आज का क्या प्लान है आपका.." शीना ने अपने ग्लास से रिकी को जूस पिलाते हुए पूछा



"नतिंग मच यार, विकी भैया की ऑफीस में काम है.. चाचू के साथ वहाँ जाउन्गा, फिर वहाँ से निपटा के फिर घर मेरी स्वीटहार्ट के पास.." रिकी और शीना ने मिलके कुछ हसीन पल बिताए और फिर अपने अपने काम में लग गये...



"चाचू.. वैसे आपको बताया नहीं उसके लिए पहले से सॉरी, लेकिन पिछले कुछ दिनो से रणजी ट्रोफी की मॅचस भी चल रही हैं.." रिकी ने अभी यह कहा ही था की राजवीर ने उसे टोक दिया



"हम रणजी में बिल्कुल भी इंट्रेस्टेड नहीं है रिकी.. हम क्या, उसमे बीसीसीआइ भी इंट्रेस्टेड नहीं है आज कल.." राजवीर ने सीधे देखते हुए जवाब दिया



"सॉरी चाचू, पर उसकी एक दो बेट्स हम ने , आइ मीन मैने ले ली है..." रिकी ने सहमी हुई आवाज़ में कहा



"कोई बात नहीं.. बेट कॅन्सल कर दो, लाख दो लाख का नुकसान चलेगा, पैसे दे दो.." राजवीर ने फिर ठंडे स्वर में कहा



"उः.. चाचू, दो बड़ी बेट्स हैं, 10 करोड़ की.." रिकी ने जैसे बॉम्ब सा फेंका था राजवीर पे..



"रिकी तुम पागल हो चुके हो... मैने कितना समझाया है कि कुछ भी करने से पहले मुझसे पूछ लिया करो..." राजवीर ने अचानक चिल्ला के जवाब दिया, जिसे सुन रिकी कुछ नहीं बोल पाया और बस गाड़ी चलाता रहा..



"बेट क्या है..." राजवीर ने अपना फोन निकाल के रिकी से पूछा



"सेम चाचू.. खिलाड़ी और मिस्टर ओबेरोइ..." रिकी ने बड़े ही कूल अंदाज़ में जवाब दिया



"माइ गॉड... जिस चीज़ को हम हाथ तक नहीं लगाते थे आज तुम उसे इतना बड़े करने पे तुल्ले हो कि हम उसपे निर्भर हो जायें..रिकी , आर यू आउट ऑफ युवर माइंड.." राजवीर ने फिर चिल्ला के कहा



"देयर ईज़ नो पॉइंट क्राइयिंग नाउ..." रिकी ने शांति से जवाब दिया



"क्या कहा तुमने... से अगेन.." राजवीर ने चिढ़ के पूछा



"नतिंग चाचू.. अब इसको सुलझाने का सोचें प्लीज़..." रिकी का पूरा ध्यान गाड़ी चलाने में था, सुबह के वक़्त हेवी ट्रॅफिक और बाजू में राजवीर चीख रहा था, लेकिन रिकी आराम से गाड़ी चला रहा था और सिस्टम में बज रहे गाने के बोल गुनगुनाने लगा



"हेलो...." राजवीर ने फाइनली एक फोन करके कहा



"कितनी बार कहा है, मेरे को इस नंबर पे फोन नही किया करो.." सामने से उसे जवाब मिला



"मुझे भी शौक नहीं है तुम्हारी सड़ी हुई आवाज़ सुनने का सुबह सुबह, काम ही ऐसा है कि इसी नंबर पे करना पड़ा.." राजवीर ने झल्ला के जवाब दिया



"बको..क्या हुआ है अब.." फिर सामने से जवाब मिला



"रणजी में क्या कर सकते हैं.. और यह अर्जेंट है" राजवीर ने जैसे हिदायत देके कहा हो



"रणजी.. यह क्या है... ओह हां, अब तुम सोच लो, जो चीज़ मुझे याद तक नहीं, उसमे मैं क्या कर सकूँगा हाहहहहाअ.." सामने से फिर राजवीर को जवाब मिला और राजवीर कुछ कहता उससे पहले फोन कट हो गया



"हेलो... हेल्लूऊ.... फक इट.." राजवीर ने फोन पटकते हुए कहा



"जिस चीज़ में बीसीसीआइ रूचि नहीं लेती, हम वो नहीं कर सकते समझे.. अब नुकसान कौन भरेगा... और बात नुकसान की नहीं है, बात है कि मेरी जानकारी के बाहर यह सब क्यूँ होता है..." राजवीर ने रिकी को देख के कहा जो शांति से गाड़ी चला रहा था..



"यू नो चाचू.. क्वीन'स नेकलेस सुबह सुबह बहुत बिज़ी रहता है यार, कुछ दूसरा रास्ता ढूँढना पड़ेगा अब.." रिकी ने राजवीर को देख के कहा जब दोनो नरीमन पॉइंट पे ट्रॅफिक में अटके थे



"मैं यहाँ क्या बोल रहा हूँ, और तुम क्या राग अलाप रहे हो हाँ.." राजवीर ने अपने सर के बाल नोचते हुए कहा.. राजवीर जितना गरम था, रिकी उतना ही शांत और ठंडा..



"चाचू , ब्रबोवर्न नज़दीक है.." रिकी ने उंगली दिखा के कहा



"तो..." राजवीर को जैसे कुछ समझ नही आया



"कल रणजी की मॅच ब्रबोवर्न में है.. चलिए आज पिच इनस्पेक्षन करके आते हैं.." रिकी ने अपने ग्लासस पहेन के कहा और गाड़ी उल्टी घुमा के ब्रबोवर्न स्टेडियम की तरफ दौड़ा दी...



"रिकी, तुम करना क्या चाहते हो आख़िर..." राजवीर ने रिकी से पूछा, लेकिन रिकी जवाब देने के मूड में बिल्कुल नहीं था.. सीधा अपनी गाड़ी दौड़ाने में लगा हुआ था और एक राइट घुमा के वो पहुँच गया ब्रबोवर्न स्टेडियम की पार्किंग में...


"रिकी, सीधा सीधा कहो क्या करना है.." राजवीर ने फिर रिकी से पूछा, लेकिन रिकी ने कोई जवाब नहीं दिया और अपनी पॉकेट से दो कार्ड्स निकाल के एक राजवीर को थमा दिया.. राजवीर ने जब कार्ड देखा और कुछ पूछने के लिए मूह खोला तब तक रिकी बाहर निकल चुका था... राजवीर ने जल्दी से वो कार्ड पहना और रिकी की तरफ बढ़ा...



"गुड मॉर्निंग सर..." गेट कीपर ने रिकी और राजवीर को सल्यूट किया जब दोनो मेन गेट के पास पहुँचे...



"गुड मॉर्निंग..." रिकी ने बस इतना ही कहा और बड़े ही आराम से अंदर बढ़ने लगा..



"रिकी, यह बीसीसीआइ के कार्ड्स कहाँ से लाए तुम हाँ.. अगर बीसीसीआइ को पता चला तो जानते हो हम फस सकते हैं.." राजवीर ने कार्ड देखते हुए कहा
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07-03-2019, 04:37 PM,
RE: Antarvasna kahani वक्त का तमाशा
"चाचू.. मेरी नज़र से सामने की तरफ देखो.. रणजी ट्रोफी नहीं.. नयी लाइन है बिज़्नेस की... वो भी बिना बीसीसीआइ कमिशन के.." रिकी ने अपना हाथ सामने की तरफ करते हुए कहा










रिकी और राजवीर दोनो सामने देखने लगे... राजवीर को यकीन नहीं हो रहा था कि रिकी ऐसी चीज़ सोच सकता है, लेकिन फिलहाल खुद को ठिकाने पे लाते हुए उसने रिकी से पूछा



"सॉफ सॉफ कहो रिकी.."



"चाचू जैसा कि आपने कहा और बीसीसीआइ के सो कॉल्ड बाप ने भी कन्फर्म किया, उन लोगों को बिल्कुल नहीं पड़ी कि रणजी में क्या होता है.. तो क्यूँ ना हम डाइरेक्ट प्लेयर्स से बात करके फिक्स करें.. " रिकी ने राजवीर से सीधे और सरल शब्दों में कहा



"यह उतना आसान नहीं है रिकी जितना तुम समझ रहे हो.." राजवीर ने बात को हसी में उड़ाते हुए कहा



"आइए चाचू, मैं आपको लाइव डेमो दिखाता हूँ.." रिकी ने राजवीर से कहा और ना चाहते हुए भी रिकी के साथ उसे जाना पड़ा... मैं स्टॅंड्स से होते हुए, दो फ्लोर नीचे टीम्स के ड्रेसिंग रूम बने हुए थे.. ड्रेसिंग रूम तक पहुँचने से पहले रिकी ने अपना बीसीसीआइ का कार्ड उतार दिया और राजवीर से भी वोही करने को कहा..



"यह तो ड्रेसिंग रूम है रिकी.. अगर हम पकड़े गये तो.." राजवीर ने इतना ही कहा कि रिकी आगे की बात सुने बिना सामने कुछ प्लेयर्स से मिलने चला गया



"ओह, तो वो कहाँ मिलेगा अभी.." रिकी ने एक प्लेयर से पूछा



"वो तो पीछे नेट प्रॅक्टीस में होगा, लेकिन आप कौन.." उस प्लेयर ने रिकी से पूछा



"मैं यह हूँ..." रिकी ने अपना कार्ड जेब से निकालते हुए दिखाया



"ओह.. सॉरी सर, वो पीछे हैं.." उस प्लेयर ने चुपचाप जवाब दिया और रिकी को वहाँ जाने का रास्ता बताया



राजवीर चुपचाप खड़ा यह सब देख रहा था और रिकी के पीछे पीछे चलता रहा... मैं ग्राउंड और स्टॅंड्स के पीछे, क्रिकेटर्स के लिए अलग प्रॅक्टीस पिचस थी जहाँ कुछ क्रिकेटर्स काफ़ी पसीना बहा रहे थे.. कोई बोलिंग में, कोई बॅटिंग में, कोई ड्रिल में, कोई कॅच में...



"मिस्टर जोशी..." रिकी ने एक बंदे को देख के कहा जो इस वक़्त अपने स्ट्रेट ड्राइव की प्रॅक्टीस में लगा हुआ था.. यूँ रिकी की आवाज़ सुन उस खिलाड़ी ने नज़र घुमाई तो सामने रिकी को देख एक पल के लिए तो खामोश रहा, लेकिन जब रिकी ने इशारे से उसे बुलाया तो वो सहमा सा उसके पास बढ़ने लगा



"यस...आप कौन हैं... और आप यहाँ क्या कर रहे हैं... सेक्यूरिटी..." वो चिल्लाया ही कि रिकी ने उसे खामोश रहने का इशारा किया



"मिस्टर जोशी, यह ज़रूरी सवाल नहीं है कि मैं कौन हूँ, इस वक़्त ज़रूरी यह है कि मैने आपको ही क्यूँ बुलाया और उससे भी ज़्यादा ज़रूरी यह है कि मैं आपके लिए क्या क्या कर सकता हूँ.."



"सीधा सीधा बोलो..."



"मिस्टर जोशी.. कल आपकी मॅच है गुजरात से..."



"हां है, तो उसका क्या..."



"मैं चाहता हूँ तुम वो मॅच हार जाओ.."



"क्या बकवास है... सेक्यूरिटी, प्लीज़ कम हियर.." जैसे ही जोशी फिर चिल्लाया, उसके आस पास खड़े कुछ दूसरे खिलाड़ी उसके पास आने लगे, लेकिन रिकी ने अपना बीसीसीआइ का कार्ड हवा में लहरा के उन्हे दिखाया, जिसे देख वो लोग पीछे हो गये..



"तुम बीसीसीआइ से ही..."



"नहीं.. यह कार्ड ड्यूप्लिकेट है.. लेकिन यह सिर्फ़ मैं जानता हूँ.. तुम खुद सोच लो अब क्या करना है..." रिकी की बात सुन जोशी ने कुछ नहीं कहा



"तुम ओपनिंग आते हो ना...तुम्हारे लिए 50 लाख.. बाकी के बॅट्समेन के लिए 20-20 लाख"



"मतलब.."



"मतलब, पहले के टॉप 5 बॅट्समेन का स्कोर 40 से उपर नहीं होना चाहिए... और गुजरात के पहले 5 बॅट्समेन का स्कोर 400 से उपर होना चाहिए"



"मैं यह सब नहीं कर सकता..."



"सोच लो, रणजी की एक मॅच का 25000 रुपया कितने दिन तक चलेगा... तुम लोग ज़िंदगी भर इंटरनॅशनल खेलने की फिराक में रहते हो, तुम में से जो कुछ लोग बीसीसीआइ के बाप के तलवे चतोगे वो इंटरनॅशनल पहुँचोगे, बाकी के क्या करोगे.. कभी सोचा है, मैं तुम्हे यह ऑफर दे रहा हूँ जो आज तक इंटरनॅशनल खिलाड़ी को भी नहीं दी... और तुम तो बहुत अच्छे बॅट्समेन हो, सुना है कि तुम्हारे दूसरे साथी को इंटरनॅशनल में मौका मिलने वाला है.. वो मौका जो तुम्हारा था.. अगर यह सच हो गया तो सोचा है क्या करोगे..." रिकी की बात सुन जोशी कुछ सोचने लगा..



"इंटरनॅशनल खेलके भी तुम अपनी माँ के वो कंगन नहीं छुड़ा पाओगे जो उसने तुम्हे यहाँ पहुँचने के लिए गिरवी रखे हैं.. और इंटरनॅशनल पहुँचने के लिए कितनी बार अपनी बीवी को बीसीसीआइ के बाप के नीचे सुलाओगे हाँ.." रिकी की यह बात सुन जैसे जोशी खड़े खड़े ही मर गया हो



"मैं सब जानता हूँ, तुम्हारी बीवी माँ बनने वाली है ना..उसका क्या करोगे, खर्चा कहाँ से लाओगे.." रिकी ने अपना आखरी वार किया और जोशी के जवाब का इंतेज़ार करने लगा



"इतना नहीं सोचो, अगर मैं चाहूं तो तुम्हे इंटरनॅशनल भी पहुँचा सकता हूँ, वो भी जिस देश से तुम चाहो.. और अगर मना करोगे, तो मैं कुछ नहीं करूँगा, लेकिन तुम भी जानते हो, तुम सिर्फ़ टॅलेंट के बलबुत्ते पे यहीं के यहीं रहोगे.."



"मैं यह सोच रहा हूँ कि ब्लर्स को भी तो कुछ देना पड़ेगा, साथ ही फीलडरर्स को...तभी 400 स्कोर होगा.." जोशी ने फाइनली जवाब दिया



"हाहाहा.. आइ लाइक दिस हाँ.... रूको, 2 मिनट.." रिकी ने जवाब दिया और फोन किया



"हेलो... हां जी, मैं बोल रहा हूँ.. मैने वो ओबेरोई से बात की पर वो 5 लाख रुपया पर ऋण बोल रहा है..जी, नहीं मेरी कोई सेट्टिंग रणजी में नहीं है नहीं तो मैं अभी आपको बता देता...जी, फिकर किस बात की है.. नेक्स्ट मॅच में आप जो कहेंगे हम वो करेंगे, अभी ओबेरोई को जवाब देना है पहले वो बता दें...यस.. ओके, डन... आंड डोंट वरी, आप की जीती हुई रकम से मेरी कोई कमिशन नहीं जाएगी.. इतने पुराने क्लाइंट हैं आप, आपका यह फ़ायदा तो कर ही सकते हैं...बाइ..." रिकी ने फोन कट किया और जोशी को देखने लगा



"तुम्हारे 50 लाख.. और बाकियों के लिए 20-20 लाख... गुजरात के पहले 5 बॅट्समेन का स्कोर अब 450 चाहिए..." रिकी ने हाथ बढ़ा के कहा



"हो जाएगा..लेकिन वो बीवी वाली बात.."



"अरे, प्लीज़ फिकर नही करो.. मैं दोस्त बना के काम करने में मानता हूँ... एक इंसान दूसरे इंसान की मदद करे, इसी से दुनिया चलेगी..." रिकी ने हाथ बढ़ा के कहा और वहाँ से निकलने लगा




"और हां...एक बात तो मैं भूल ही गया.. आधा अड्वान्स आपके लॉकर में रखवा दिया है... एंजाय दा गेम बडी..."
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"तो रिज़ॉर्ट का काम कैसा चल रहा है.."



"ठीक है, जैसा सोचा था उससे कहीं ज़्यादा खूबसूरत बनवाया है शीना ने"



"देख फिर लड़की देख के फिसल रहा है तू..."



"फिसल नहीं रहा, बस कह रहा हूँ, उसकी डिज़ाइन वाज़ वेरी नाइस"



"मुझे डिज़ाइन से क्या लेना देना..बस रिज़ॉर्ट चाहिए और कुछ नहीं"



"पर वो तो स्नेहा को देने को कहा था ना तूने"



"स्नेहा भी हमारी ही है"



"एंड में तो तू सब को मार ही देगा ना..क्या अपना क्या पराया"



"हाहाहा..."



"जवाब नहीं दिया तूने..एंड में तो सबको मार देगा ना"



"तुझे कुछ नहीं होगा..."



"शीना को कुछ नहीं होना चाहिए.."



"तू फिर सेम बात कर रहा है..मैने पहले ही कहा था तुझे इन चीज़ों से सावधान रहने को"



"मेरी बात का जवाब दे"



"तू खुद को ज़िंदा देखना चाहता है कि शीना को.."



सामने वाले की यह लाइन सुन रिकी खामोश हो गया..अलग अलग ख़याल आ रहे थे उसके दिमाग़ में..
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07-03-2019, 04:37 PM,
RE: Antarvasna kahani वक्त का तमाशा
"खामोश हो गया ना, बेटा पहला ही कहा था मैने तुझसे, यह प्यार की बाते तेरी समझ के बाहर है..अगर इतना ही होता ना..."


"शीना..." रिकी ने अपने आँसुओं को रोकने की कोशिश करते हुए कहा



"क्या...फिर से बोल..." सामने वाले ने अपनी बात अधूरी छोड़ कहा, जैसे उसे विश्वास नहीं था रिकी की बात सुन



"शीना को कुछ नहीं होना चाहिए..."



"तू पागल हो गया है..."



"तुझे जवाब चाहिए था ना.. मेरा जवाब है शीना..." रिकी ने आँसुओं पे रोक लगा के जवाब दिया



"देख तू होश में नहीं है, आज स्कॉच ज़्यादा हो गयी है तेरी"



"नहीं.. बस मेरा जवाब याद रहे.. शीना.."





"क्या हुआ भाई....किसे मेरा नाम बता रहे हो आप...." पीछे से शीना की आवाज़ सुन रिकी चौंक गया और बिना कुछ बोले फोन कट कर दिया.. शीना का सामना करने से पहले रिकी ने अपने चेहरे को सॉफ किया और पलट गया



"अरेयी..तुम ऐसे..." रिकी सामने शीना को देख सर्प्राइज़ हुआ



"देखा, खा गये ना झटका.. आज दो महीने हुए हैं मेरे आक्सिडेंट को, तो आइ स्टार्टेड वॉकिंग ऑन दीज़ स्टिक्स.." शीना ने आगे बढ़ते हुए कहा.. जैसे जैसे शीना लन्ग्डाते आगे बढ़ रही थी वैसे वैसे उस दर्द की शिकन शीना के चेहरे पे दिखती, पर उससे कहीं ज़्यादा दर्द रिकी अपने अंदर महसूस कर रहा था.. शीना धीरे धीरे आगे बढ़ रही थी कि अचानक उसकी स्टिक कहीं पे अटक गयी और वो गिरने लगी...



"शीनाअ.आ....." रिकी चिल्लाता हुआ आगे बढ़ा और शीना को संभालने लगा..



"क्या हुआ भाई..." शीना की आवाज़ से रिकी वापस होश में आया तो शीना आराम से उसके पास पहुँच चुकी थी..



"यह सिर्फ़ ख़याल था मेरा.." रिकी ने खुद से कहा



"कैसा ख़याल.. और यह आपको इतना पसीना क्यूँ आ रहा है.." शीना ने रिकी के कंधों को थाम के कहा... रिकी ने जल्दी से उसकी स्टिक्स साइड रखी और उसको सहारा देके पास बने झूले पे जाके शीना के साथ खुद भी बैठ गया



"क्या हुआ भाई.. बताओ अब... क्या ख़याल था, और इतना पसीना क्यूँ.." शीना ने रिकी के बाहों में हाथ डाला और उससे बातें करने लगी



"नहीं, नतिंग.. पसीना तो आएगा ही गर्मी में.." रिकी ने अपनी कांपति हुई आवाज़ को संभाल के कहा



"भाई.. आप कुछ छुपा रहे हो मुझसे.." शीना ने एक बहुत ही सुखी लेकिन एक ठहरी हुई आवाज़ में कहा.. इस आवाज़ में ना तो मज़ाक था ना ही हँसी, कोई भाव नहीं.. बस आँखों से आँखों को देख के सीधा फेंका गया एक सवाल जिसको जवाब के अलावा कुछ नहीं चाहिए था



"नतिंग शीना....नोट्त्त..... नोत्तीननगज्गग आइ सेड ना स्वीटी.." रिकी के मस्तक पे फिर से बल पड़ने लगे, शिकन दिखने लगी जिस पर से पसीना बहे जा रहा था..



"भाई.. व्हाट'स रॉंग हाँ...प्लीज़ हॅव दिस..आंड कम डाउन.." शीना ने अपना जूस कॅन पकड़ाते हुए रिकी से कहा.. जूस लेते वक़्त और पीते वक़्त, रिकी के हाथ भी काँप रहे थे.. शीना ने अपने स्टोल से रिकी के सर को पोछा




"भाई.. एक सेकेंड हाथ दोगे प्लीज़.." शीना ने रिकी से फिर कहा जिसके जवाब में रिकी ने अपना हाथ आगे बढ़ाया.. शीना ने उसका हाथ पकड़ा और अपने सर पे रख दिया



"अब बताओ, खाओ मेरी कसम के कोई बात नहीं है.." शीना ने रिकी से कहा



"शीना.... तुम्हारी इस हालत का ज़िमेदार मैं हूँ... और कोई नहीं..." रिकी ने शीना से कहा और अपना हाथ उसके सर से हटा दिया... उसके सर पे हाथ रख के उसने सच तो कहा, लेकिन हाथ हटा भी दिया



"भाई मज़ाक कर रहे हो आप.." शीना ने रिकी से पूछा जो शीना से नज़रें चुरा रहा था



"शीना, उस शाम अगर मैं घर से निकला नहीं होता तो तुम इस हालत में नहीं होती.. आज तुम बिल्कुल ठीक होती, तुम्हारे हर बढ़ते कदम का दर्द मैं महसूस कर सकता हूँ..महसूस कर सकता हूँ उस दुख को जो अभी तुम्हारे अंदर है, इस दर्द की वजह से जो वक़्त, जो पल हम साथ नहीं बिता पा रहे हो, उस रंजिश को मैं अपने अंदर तुमसे कहीं ज़्यादा महसूस कर रहा हूँ.. आंड ट्रस्ट मी, मैं हर खोए हुए पल की भरपाई करूँगा.. बस सही वक़्त का इंतेज़ार है.." रिकी झूले से उठके खड़ा हुआ और शीना को जवाब दिया



"सही वक़्त.. मतलब.. ओफफो भाई, क्या वक़्त वक़्त लगा रहे हो, सब ठीक है.. मैं बिल्कुल ठीक ही हूँ, कहो तो अभी आपको एक किक मारके दिखाऊ.." शीना ने आँख मारके कहा.. शीना की यह बात सुन रिकी के चेहरे पे मुस्कान तैर गयी और उसने शीना के खूबसूरत और मासूम चेहरे को अपने दोनो हाथों में गुलाब की पंखुड़ियों के जैसे थाम के उसके मस्तक को चूमा



"अववव.... आप जानते हो, आप की इस हरकत पे बड़ा प्यार आता है मुझे.." शीना ने अपने लाल चेहरे को झुका के रिकी से कहा



"चलो खाने चलें..और अभी ऐसे ही चलोगि, बेड रेस्ट ओवर..." रिकी ने शीना को फिर सहारा देके खड़ा किया



"हां...आाू... " शीना हल्के से कराही दर्द को महसूस करके....



"ओह्ह... हां भाई, अभी डॉक्टर ने कहा आइ नीड टू स्टार्ट वॉकिंग नाउ..आंड अच्छा ना, विल बी फिट सून.." शीना ने रिकी के कंधे को पकड़ा और दोनो धीरे धीरे आगे बढ़ने लगे



"भाई.. एक ज़रूरी बात पूछनी थी.. रूको दो मिनिट.." शीना ने रिकी से कहा तो रिकी रुक गया और आँखों से कुछ पूछा



"बता रही हूँ रूको..बैठने दो.." शीना ने हास के जवाब दिया और दोनो फिर नीचे बैठ गये



"हां.. यह ठीक है, अब बताइए.. सब ठीक है ना.. आइ मीन, वो भाभी वाली बात जो थी, विकी भैया की डेत..आपने कुछ इंक्वाइरी की" शीना की इस सवाल की उम्मीद रिकी को बिल्कुल ना थी.. उसे लगा वक़्त जाते जाते शीना शायद सब भूल जाएगी, लेकिन आज यह अचानक, सवाल सुन रिकी स्तब्ध रह गया..



"बताओ ना, क्या सोच रहे हो..." शीना ने फिर रिकी को कहा



"सब ठीक है शीना, विकी भैया की डेत की इंक्वाइरी की, मैं खुद कमिशनर अंकल से मिला..उन्होने बताया कि यह आक्सिडेंट ही है.. मैने उन्हे स्नेहा भाभी के बारे में भी बताया, इसलिए पिछले दो महीनो से पोलीस उनपे भी नज़र रख रही है, हाला कि यह बात डॅड नहीं जानते.. कल शायद मिलने जाउन्गा कमिशनर अंकल से, वो भी कह रहे थे कि उन्हे कुछ डाउट नहीं लगा अब तक.. इसलिए एयह वाच रखना भी बंद करना पड़ेगा अब" रिकी ने बात को संभालते हुए कहा



"ओह... " रिकी का ज्वाब सुन शीना ने बस इतना ही कहा और फिर किसी सोच में डूब गयी..



"लेकिन भाई, जो मैने सुना, उसका क्या.." शीना ने फिर वोही सवाल खड़ा किया



"जानता हूँ शीना, लेकिन दो महीने से भाभी ने ऐसा कुछ नहीं किया जिसपे हम शक कर सकें.. पोलीस को भी ऐसा कुछ नही मिला, और रही फोन कॉल्स की बात, तो हमने उनका नंबर चेक किया और साथ ही पोलीस ने भी देखा, बट नतिंग.. तो अब बताओ कैसे करें आगे" रिकी ने बड़े ही शांति से शीना को जवाब दिया, क्यूँ कि वो जानता था कि एक चूक और शीना फिर देख लेगी उसके बिहेवियर को



"ह्म्म्मर..." शीना ने फिर इतना ही कहा और सामने की ओर देखने लगी..



"अभी चलें अंदर.. पहले तुम ठीक हो जाओ, फिर कुछ करेंगे, मैने कुछ सोचा है, तुम्हारे ठीक होते ही हम वो करेंगे.." रिकी ने शीना का हाथ थाम के कहा.. बदले में शीना सिर्फ़ मुस्कुराइ और रिकी के साथ अंदर चली गयी..




उधर अंधेरी में स्थित इरीटा मारता, प्रेसिडेन्षियल सूयीट में राजवीर और स्नेहा अपने ही नशे में डूबे हुए थे.. स्नेहा ने बड़े अच्छे से फाँस रखा था राजवीर को, राजवीर भी किसी नौ सीखिए की तरह स्नेहा में डूबता जा रहा था.. दिन रात जब चूत चाहिए होती तब स्नेहा उसके करीब ही होती..



"चियर्स मेरे चोदु ससुर..." स्नेहा ने दो जाम बनाए और एक राजवीर को थमा दिया



राजवीर ने बिना कुछ कहे ग्लास ले लिए और जाम पीने लगा..
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