Bhabhi ki Chudai देवर भाभी का रोमांस
06-02-2019, 01:44 PM,
RE: Bhabhi ki Chudai देवर भाभी का रोमांस
ये सच है, कि जाने अंजाने ही सही, जब कोई मर्द या औरत सेक्षुयली सेन्सेशन फील करने लगता है, तो वो उसे और ज़्यादा पाने की कोशिश में लग जाता है, फिर उसे अपने आस-पास का भी भय नही रहता…

ऐसा ही कुछ हम दोनो के साथ भी हो रहा था…मेने अपनी वो उंगली, जिसकी गाँठ उसकी गान्ड के छेद पर दबी हुई थी उसको मोड़ कर उपर उठा दिया...

उधर मेघना ने ट्रेन के हिचकॉलों का सहारा लेकर अपनी गान्ड को आगे पीछे मूव करना शुरू कर दिया…

उसने अपनी जाँघ को दूसरी जाँघ पर और ज़्यादा चढ़ा लिया, जिससे उसकी गान्ड थोड़ी और उपर हो गयी, अब वो मेरी उठी हुई उंगली पर अपनी गान्ड के छेद को और अच्छे से घिस सकती थी..!

उसकी गर्मी निरंतर बढ़ती जा रही थी, एक कदम और आगे बढ़ते हुए उसने अपनी गान्ड को और पीछे धकेला….

ट्रेन के हिचकॉलों के साथ-साथ वो अपनी गान्ड को आगे पीछे करते रहने की वजह से अब मेरी उंगली उसकी मुनिया के होठों के अंतिम सिरे तक पहुँचने लगी…

मुनिया के द्वार पर मेरी उंगली की गाँठ की दस्तक पाकर, उसकी आँखें मूंद गयी, उसकी पैंटी गीली हो चुकी थी जो मेरी उंगलियों से पता चल रहा था…

उसका साथ देते हुए, मेने भी अपने हाथ को आगे की तरफ सरकाने के साथ साथ उसे पलटा दिया… अब मेरी उंगली सीधी होकर उसकी चूत के होठों पर सैर कर रही थी..

मेघना का हाल-बहाल हो चुका था, अब उसके कान तक गरम होकर लाल पड़ चुके थे, गले की नसें खिचने लगी……. फिर एक समय ऐसा आया…

और मेघना सारी शर्मो-हया भूल कर उसका हाथ उसकी जँहों के बीच चला गया… और उसने मेरे हाथ को पकड़ कर अपनी चूत के उपर दबा दिया…

मेरी एक उंगली जो उसकी चूत के उपर थी… वो उसकी सलवार और पैंटी को साथ लिए कुछ अंदर तक उसकी चूत में घुस गयी….,

उसने अपने होठों को कस कर भींच लिया जिससे उसकी आहह….होठों से बाहर ना निकले, और अपनी जांघों को कसकर भींचते हुए वो झड़ने लगी…..!

बहुत देर तक वो यौंही अपनी जांघों को कसे रही…फिर जब उत्तेजना शांत हुई…तो धीरे – 2 ढीला छोड़ा…!

उसकी जांघों का कसाव हटते ही मेने अपना हाथ बाहर खींच लिया…

उसने अपनी नज़र आस-पास दौड़ाई, भीड़ में किसी का ध्यान किसी की तरफ नही था…वैसे भी वो पहाड़ जैसी औरत सामने खड़ी थी…तो उसकी आड़ में कॉन देखने वाला था…

फिर उसने मेरी तरफ देखा, तो में अपनी नज़र डिब्बे में बैठे लोगों की तरफ घूमाते हुए उसके रस से गीली उंगलियों को नाक पर रख कर सूंघने लगा..!

ये देखकर वो बुरी तरह शरमा गयी, अपनी नज़र नीची करके मन ही मन मुस्करा उठी…!

फिर मौका देखकर मेघना ने अपनी मुनिया को रगड़ कर उससे निकले रस के गीलेपन को अपने कपड़ों से पोंच्छ लिया….!
कुछ देर के बाद ही एक बड़ा सा स्टेशन आया, और डिब्बे की सारी भीड़ वहाँ उतर गयी, कुछ और नये मुसाफिर भी चढ़े, लेकिन अब उतनी भीड़ नही थी….

हमने कुछ खाने पीने का सोचा, दीदी कुछ समान घर से बना के लाई थी, वो निकालने लगी…

मेघना बोली – आप खाना निकालो भाभी, तब तक में टाय्लेट जाकर आती हूँ, ये कहकर वो टाय्लेट चली गयी…

में समझ रहा था, वो टाय्लेट क्यों जा रही है…!

सफ़र के अंत तक मेघना ने मेरी तरफ आँख उठाकर भी नही देखा,
मुझसे नज़रें मिलाने की उसकी हिम्मत ही नही हुई, और सच कहूँ तो मेरी भी नही.

अंधेरा होते – 2 हम अपने घर आ गये…मे स्टेशन तक अपनी कार ले गया था, जो लौटने में बहुत काम आई, और आराम से हम साजो-समान के साथ घर तक आ गये…

दीदी सभी से मिलकर बहुत खुश हुई, रूचि को खेलने के लिए आर्यन के रूप में एक और साथी मिल गया…

अभी तक तो वो चाची के अंश के साथ ही थोड़ा बहुत खेल लेती थी… मेघना भी घर में सभी से मिलकर बहुत खुश हुई….!

निशा ने तो उसे अपना दोस्त ही बना लिया…, और उसका समान अपने कमरे में शिफ्ट कर दिया…..! उन दोनो को देख कर लग ही नही रहा था, कि ये पहली बार मिली हैं…

भाभी का लास्ट मंत चल रहा था, वो ज़्यादातर रेस्ट ही करती रहती थी…, रामा दीदी ज़्यादातर भाभी के पास ही अपना समय बिताने लगी…

शादी एक सादा और सिंपल तरीके से होने वाली थी, तो ज़यादा नाते-रिश्तेदारों का जमावड़ा लगने वाला नही था… और कोई विशेष तैयारियाँ भी नही होनी थी…

तय हुआ था, कि हम सभी लोग शहर में ही एक गेस्ट हाउस और पार्टी प्लॉट रेंट पर ले लेंगे, वहीं प्राची और उसका परिवार भी आजाएँगे, सारी रस्म अदा करके, सिंपल तरीके से शादी हो जाएगी…

गाओं में आकर रिसेप्षन करके सारे गाओं को दावत खिला दी जाएगी…!

मे कई दिनो से अपने ऑफीस नही जा पाया था, सो दूसरे दिन सुबह-सुबह ही गाड़ी लेकर अपने ऑफीस को निकल लिया…!

कुछ केसस आए थे, जो मेरे असिस्टेंट ने हॅंडल कर लिए, कुछ बड़े केसस की डेट पोस्टपोन करके कुछ दिन बाद की करवा ली…..!

जल्दी – 2 सब काम निपटाकर मे शाम को ही घर वापस लौट आया…

कपड़े चेंज करके, मे भाभी के कमरे में आकर बैठ गया, कुछ देर
रूचि को पढ़ाता रहा,

फिर मेघना आर्यन को लेकर वहीं आ गयी, तो रूचि अपनी पढ़ाई बंद करके उसके साथ खेलने में लग गयी…!
दूसरे दिन सुबह जल्दी उठकर आदतन मेने एक्सर्साइज़ वग़ैरह की, और चाय पीकर खेतों की तरफ निकलने की सोची…

अभी मे चौपाल तक ही पहुँचा था, कि पीछे से मेघना की आवाज़ सुनाई दी…, आर्यन को गोद में लिए वो मेरे पास आकर बोली –

वो - कहीं जा रहे हैं अंकुश जी…?

मे – हां ! तोड़ा खेतों की तरफ चक्कर मार कर आता हूँ, कोई काम था..?

वो – हमें नही दिखाएँगे अपने खेत…?

मे – अरे ! व्हाई नोट…? चलिए, अच्छा है, ताजी हवा मिलेगी और वैसे भी हमारे खेतों में बहुत कुछ है देखने लायक…!

मेने आर्यन को अपनी गोद में ले लिया और चल पड़े हम दोनो खेतों की तरफ..
आपस में बातें करते हुए, आर्यन के साथ खेलते हुए, हम ट्यूबिवेल तक पहुँच गये…,

रास्ते में आर्यन के बहाने हम दोनो एक दूसरे के काफ़ी नज़दीक भी आए…

ट्यूबिवेल पर आकर, मेने आर्यन को बाबूजी के पास छोड़ा, और मेघना को लेकर अपने बगीचे की तरफ चल दिया…

हम पानी की नाली के साथ – 2 चले जा रहे थे, एक तरफ मे चल रहा था, और नाली के दूसरी तरफ मेरे बराबर में ही वो चल रही थी….

अचानक से उसका पैर स्लिप हो गया, और वो पानी की नाली में गिरने ही वाली थी, कि मेने उसकी कमर में हाथ डालकर उसे थाम लिया….

उसके पैर नाली में थे, मेरा एक हाथ उसकी कमर को थामे हुए था, उसकी गोल-2 मुलायम एक चुचि मेरे बदन से दब गयी…

दूसरे हाथ का सहारा देने के लिए मेरा हाथ आगे आया, तो वो थोड़ा सा आगे को घूमी, मे पकड़ना चाहता था उसका कंधा, लेकिन उसके घूमने की वजह से मेरा वो हाथ उसकी चुचि पर पड़ा…
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06-02-2019, 01:44 PM,
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चुचि पर हाथ लगते ही उसके मुँह से सिसकी नकल गयी…उसने अपना एक हाथ मेरी कमर में डाल कर, अपना सर मेरे कंधे पर टिका दिया…!

मेने हड़बड़ा कर अपना हाथ उसकी चुचि से हटाना चाहा…तो फ़ौरन उसने अपना एक हाथ मेरे हाथ के उपर रख दिया, और उसे ज़ोर्से दबा कर वो मेरे शरीर से चिपक गयी…

अपनी गर्दन उठाकर उसने मेरी आँखों में झाँका…हम दोनो की नज़रें जुड़ गयी…और कुछ देर तक टक-टॅकी लगाए एक दूसरे को देखते रहे…

उसकी कमर से लिपटे मेरे हाथ ने शरारत कर दी, और वो उसकी गोल-मटोल, बाहर को उभरी हुई गान्ड, जो इस स्थिति में और ज़्यादा उभर आई थी, उसपर फिसल कर पहुँच गया… और उसके गान्ड के उभर को ज़ोर्से भींच दिया…

औचह….मुम्मिईीईईईईईई…. उसके मुँह से एक मेते-2 दर्द भरी कराह निकल गयी… और इसी के साथ हम दोनो की तंद्रा भी भंग होगयि…!

वो झट से अलग हो गयी, और गर्दन झुकाए मेरे बराबर में फिरसे चलने लगी…
मेने उससे पुछा – मघना जी कहीं चोट तो नही आई आपको…?

वो – नही, थॅंक्स आपने मुझे गिरने से बचा लिया….!

मे – सॉरी ! वो आपको संभालने के चक्कर में थोड़ा ज़ोर से पकड़ लिया आपको..

वो गर्दन नीचे करके मंद-मंद मुस्करती हुई बोली – इट्स ओके, मे ठीक हूँ..

दो-तीन खेत पार करते ही हम बगीचे में पहुँच गये… मन्झ्ले चाचा ने उसको अच्छे से संभाला हुआ था, अब बीच – 2 में कुछ फूलों के पेड़ भी लगा दिए थे…

बगीचे की हरियाली देख कर वो बड़ी खुश हुई…, इधर से उधर घूम-2 कर फूलों पर उड़ती हुई रंग-बिरंगी तितलियों को पकड़ने की कोशिश करने लगी..

फूलों की क्यारी के बीच में एक आम का बहुत बड़ा और पुराना पेड़ था, जिसके मोटे तने के सराउंडिंग मिट्टी डालकर एक गोल सा चबूतरा बनाया हुया था, जिस पर हरी-2 दूब घास खड़ी थी…

मे उस चबूतरे पर जाकर बैठ गया, और उसे इधर से उधर दौड़ते हुए देखने लगा…

कभी कभी, सुबह की ठंडी हवा के हल्के-2 झोंकों से उसकी जुल्फें उड़कर उसके गुलाबी गालों को चूम लेती थी…!

कुछ देर बाद वो थक गयी, और मेरी बगल में बैठकर अपनी साँसों को संयत करने लगी…….!

उसकी साँसों की गति के साथ-साथ उसकी 34 की चुचियाँ भी उपर-नीचे हो रही थी..

साँसों को कंट्रोल करते हुए वो बोली - आपका गाओं सच में बहुत अच्छा है, और सबसे अच्छा आपका ये बगीचा है, जी करता है यहीं रह जाउ…!

मेने जब उसकी तरफ निगाह डाली, तो वो एकटक मेरी ओर ही देख रही थी… मेने उसके चेहरे पर नज़र डालते हुए कहा – रुक जाइए ना ! आपका ही घर है ये भी…

वो थोड़ा मायूसी भरे स्वर में बोली – मजबूरी है, पढ़ाई भी तो करनी है…मम्मी पापा के अरमान पूरे करने हैं…!

फिर अपनी गर्दन नीचे झुका कर बोली – आप लोगों के बारे में मे कितना ग़लत थी, लेकिन यहाँ आकर आपके परिवार का अपनापन देख कर मुझे अपने आप पर ग्लानि सी होने लगी है….!

और मेरा हाथ अपने हाथ में लेकर कहने लगी – आप सच में बहुत अच्छे इंसान हैं, निशा भाभी बहुत खुश नसीब हैं, मुझे तो अब उनसे जलन हो रही है…

झोंक-2 में उसके मुँह से ये शब्द निकल तो गये… लेकिन जैसे ही उसने इस बारे में ध्यान दिया, फ़ौरन शर्मिंदगी के कारण उसकी गर्दन झुक गयी……!

मेघना के मुँह से ऐसे शब्द सुनकर मे उसकी तरफ देखने लगा, जो अब शर्म से अपनी गर्दन झुकाए अपनी नज़रों को ज़मीन में गढ़ाए हुई थी…!

इतने में उसके बालों की एक लत शरारत करती हुई उसके गुलाबी गाल पर आकर खेलने लगी, लगा मानो चाँद पर कोई बदली का कतरा आ ठहरा हो..

बरबस ही मेरा हाथ उठा और उसकी लट को संवारते हुए उसके चाँद से मुखड़े पर नज़र गढ़ाए हुए बोला – आपको निशा से जलन क्यों हो रही है मेघना जी….?

मेरी बात का उसने तुरंत कोई जबाब नही दिया, बस अपनी नज़रें ज़मीन में गढ़ाए बैठी रही…!

उसके चेहरे पर शर्मिंदगी साफ दिखाई दे रही थी, मेने उसके हाथ को सहलाते हुए फिर से पुछा – बोलिए ना मेघना जी…

उसके होंठ कंप-कपा उठे, बड़ी मुश्किल से अपनी पलकों को उठाकर उसने एक नज़र मेरे चेहरे पर डाली, और अपने काँपते होठों को खोला – आप जैसा हॅंडसम और सुलझा हुआ जीवन साथी जो मिला है उन्हें…!

मेने ठहाका सा लगाते हुए कहा – मे ऑर हॅंडसम, आप मज़ाक बहुत अच्छा कर लेती हैं मेघना जी, ऐसा क्या दिखा आपको मुझमें जिससे मे हॅंडसम दिखाई दे रहा हूँ…?

उसने भरपूर नज़र मेरे चेहरे पर डाली और फिर मेरी आँखों में आँखें डालकर बोली – मेरी नज़र में आप किसी फिल्मी हीरो से कम नही हैं,

और सबसे बड़ी खूबी आप सभी के साथ इतने अच्छे से समन्वय बना लेते हैं, हर बात का सल्यूशन है आपके पास…,

एक परफेक्ट मॅन की सारी खूबियाँ हैं आपके पास, एक लड़की को अपने जीवन साथी से और क्या चाहिए…!

मे – तो अब जलन करने से क्या हासिल होगा, जो होना था सो तो हो गया, अब आपके जो भी अरमान हों, जो भी मुझसे पाना चाहती हैं, वो अभी भी मिल सकता है…!

मेरी बात सुनते ही एक झटके से उसने अपना सर उठाया, और मेरी तरफ देखने लगी…, उसकी आँखों में एक सवाल था, मानो वो पुच्छना चाहती हो कि क्या ऐसा संभव है...?

मे उसकी नज़रों की भाषा अच्छे से समझ चुका था, मेरे चेहरे पर एक अर्थ्मयि मुस्कान तैर गयी,
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06-02-2019, 01:44 PM,
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अपना एक हाथ उसकी कमर में डालकर मेने उसको अपनी तरफ खींचा, और उसके थर थराते हुए होठों पर अपने होठ रख दिए…!

उसकी आँखें बंद हो गयी चेहरा शर्म और लाज़ से लाल हो गया…, दो मिनिट तक हम एक दूसरे के होठों का रास्पान करते रहे… फिर मेने उसे छोड़ दिया…!

मेरे अलग होते ही वो झटके से वहाँ से उठ गयी, और थोड़ी दूर जाकर खड़ी हो गयी, उसकी पीठ मेरी तरफ थी, तो ये देख पाना मुमकिन नही था, कि वो इस समय क्या सोच रही होगी…?

मेरे मन में थोड़ा डर सा पैदा हुआ, पता नही साला, कहीं इसको बुरा तो नही लगा…
कुछ देर बाद मे हिम्मत करके उठा, और पीछे से उसके कंधे पर अपना हाथ रख दिया…

मेरे हाथ लगते ही वो सिहर गयी…, और लंबी-लंबी साँसें भरने लगी.
मेने उसके बिल्कुल पास आकर कहा – सॉरी मेघना जी, मुझे लगा…आप भी..ये सब… चाहती होंगी…तो…

उसने मेरी तरफ देखा, उसकी आँखें तो कह रही थी क़ि उसे भी वो सब अच्छा लगा… फिर यों उठके दूर जाने का क्या मतलब था…!

अब हमें घर चलना चाहिए…. काफ़ी वक़्त हो गया है यहाँ आए हुए, आर्यन भूखा होगा.. उसने मेरी बात का कोई जबाब ना देते हुए कहा…!

फिर हम वहाँ से ट्यूबिवेल की तरफ चल दिए, वहाँ पहुँच कर पता चला कि बाबूजी आर्यन को लेकर घर चले गये है, शायद वो अपनी मम्मी के पास जाने के लिए ज़िद करने लगा होगा…

मे बैठक वाले कमरे में गया, मेरे पीछे – 2 वो भी आ गयी, और जाकर सीधी चारपाई पर अपने पैर नीचे लटका कर बैठ गयी…

मेने कहा – अब घर नही चलना है…?

वो बोली – आर्यन को तो अंकल जी ले ही गये हैं, तो थोड़ी देर और बैठते हैं…आइए आप भी बैठिए…

ये कहकर उसने मेरा हाथ पकड़ा और अपने पास बिठा लिया….!

मेने अपने मन में कहा – आख़िर ये लड़की चाहती क्या है… कभी लगता है, मुझसे दूर भाग रही है, तो दूसरे ही पल लगता है, की कुछ है इसके मन में भी..

क्या सोचने लगे…? मुझे यूँ चुप देख कर वो बोली…

मे हड़बड़ा कर बोला--- क.क.कुछ नही, बस ऐसे ही…

मेरी हड़बड़ाहट देख कर वो खिल खिलाकर हँस पड़ी… और बोली – आप बिल्कुल बुद्धू हो सच में… इतना कह कर उसने मेरे होठों को चूम लिया और बोली…

एक लड़की के मन को समझना इतना आसान नही है मिस्टर. अंकुश शर्मा… ! और मुझे चारपाई पर धक्का देकर मेरे सीने पर हाथ रख कर खुद भी मेरे बाजू में लेट गयी…!

फिलहाल मेने अपने आप को उसके हवाले कर दिया, और मन ही मन कहा – अच्छा मेडम, अब तुम भी पता लगाना, कि एक मर्द के मन में क्या है…!

उसकी मुलायम गोल-गोल संतरे जैसी चुचियाँ मेरे सीने से दबी हुई थी… अपनी एक टाँग को उसने मेरे उपर रख लिया और मुस्कराते हुए उपर को बढ़ने लगी…!

अब वो मेरे उपर सवार थी, गले में अपनी नाज़ुक बाहों का हार डालकर मेरे होठों को चूसने लगी…

मेने अपने हाथ एकदम बिस्तर पर रख दिए… और उसकी प्रेमलीला का आनंद लूटने लगा…

मेने भले ही अपने आपको इनॅक्टिव कर रखा था, लेकिन लंड महाराज तो मेरे अधिकार में थे नही,
भेन्चोद साला उसकी मोटी-मोटी रूई जैसी मुलायम जांघों की रगड़ लगते ही किसी डंडे जैसा सख़्त हो गया…,

वो मेरे उपर आ गयी और अपनी गान्ड को मेरे कोब्रा के उपर रखकर मसल्ने लगी…!

बुरी तरह से मेरे होठों को चुस्ती हुई वो अपनी चुचियों को मेरे सीने से रगड़ने लगी, साथ ही उसकी मुनिया मेरे लंड को मसाज दे रही थी…

वो एक टॉप और स्लेकक में थी, बहुत देर तक वो मेरे उपर अपनी मनमानी करती रही जिससे उसका चूत रस बहाते – 2 पैंटी को गीला करने लगी…!

मेरी तरफ से कोई रिक्षन ना होते देख, उसने मेरी तरफ सवालिया नज़रों से देखा, मानो कहना चाहती हो कि प्लीज़ अब मुझे चोद डालो…

मेने मुस्कराते हुए, पहली बार अपने हाथों को हरकत दी, और उसकी गान्ड को ज़ोर से मसल दिया….

आईईईईईईई….म्माआआआअ…..धीरीई……

फिर मेने उसकी बगलों में हाथ डालकर उसे पलटा दिया, और उसे नीचे करके खुद उसके उपर आ गया…

नीचे से उसके टॉप में हाथ डालकर ब्रा के उपर से मेने उसके बूब्स को ज़ोर्से मसल डाला…और कपड़ों के उपर से ही अपने लंड को उसकी चूत के मुँह पर अटका दिया….!

ससिईईईईईईईई…….आअहह….उउफफफफ्फ़…..आअसशह….ह.

मेरा लॉडा इतना कड़क हो गया था… कि उसके दो कपड़ों के बावजूद भी कपड़ों समेत वो उसकी सुरंग के मुंहाने में फँस गया…

वो मज़े से सराबोर….मादकता में चूर होने लगी…जब मेने उसके बगल में आकर उसकी चूत को अपनी मुट्ठी में लेकर दबाया…तो…

उसकी कमर हवा में लहरा उठी…और उसकी चूत ने अपना काम रस छोड़ दिया…जिससे पैंटी के साथ साथ उसकी स्लेकक भी आगे से गीली हो गयी…!

वो हान्फ्ते हुए बोली – उफफफफ्फ़…. डार्लिंग नाउ फक मी…प्लीज़…आइ कॅन’ट वेट मोर…

मे उसे और तड़पाना चाहता था…लेकिन जब वो चुदने के लिए बेकरार दिखने लगी तो मेने एक कदम आगे बढ़ाते हुए उसका टॉप निकाल दिया और उसकी चुचियों को ब्रा के उपर से ही मसल्ने लगा…

वो नागिन की तरह बिस्तर पर लहराती हुई बुरी तरह से लंड के लिए तड़पने लगी…फिर जब मेने उसके निपल को ब्रा के उपर से ही पकड़ कर उमेठ दिया….तो…

ओउक्चह…..वो बुरी तरह उछल पड़ी…..और मुझे अपने उपर से धकेल कर एक बार फिर मेरे लंड पर बैठ कर अपनी चूत को उसपर रगड़ने लगी…

सीईईईईईईईई…..आहह…..डार्लिंग…उउफफफफफफ्फ़….अब क्यों तडपा रहे हूऊ….

वो सिसकते हुए बोली…फक मी जस्ट नाउ…आइ वान्ट युवर डिक इनसाइड मी.. प्लेआसी…,

मेने फिरसे उसको बिस्तेर पर लिटा दिया…, और उसके लोवर को निकाल कर पैंटी के उपर से ही उसकी चूत को सहलाते हुए उसकी पैंटी को खींच कर घुटनों तक ही कर पाया था..

क़ि तभी, मुझे बाहर से किसी के इस तरफ आने की आहट सुनाई दी……….!
मेने फिरसे उसको बिस्तेर पर लिटा दिया…, और उसके लोवर को निकाल कर उसकी चूत को सहलाते हुए उसकी पैंटी को खींच कर घुटनों तक ही कर पाया था.. कि, तभी…!

मुझे बाहर से किसी के इस तरफ आने की आहट सुनाई दी…..!

किसी के आने की आहट पाकर मेरे कान कुत्ते की तरह खड़े हो गये, मेने फ़ौरन बिस्तर से नीचे जंप लगा दी, और उसे अपने कपड़े ठीक करने का बोल कर बाहर की तरफ लपका…….!

मेने गेट के बाहर झाँक कर देखा लेकिन मुझे वहाँ कोई दिखाई नही दिया, फिर मे जैसे ही पानी की हौदी की तरफ आया, सामने से बाबूजी आर्यन को गोद में लिए खेतों की तरफ से आरहे थे….

मेरा लॉडा अभी भी बुरी तरह अकडा हुआ था, उसे जैसे तैसे उपर को एलास्टिक में खोंसा और अपनी टीशर्ट को थोड़ा नीचे को खींच कर उसे छुपाने की अनर्थक कोशिश की..
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06-02-2019, 01:45 PM,
RE: Bhabhi ki Chudai देवर भाभी का रोमांस
मुझे बाबूजी को थोड़ी देर बाहर ही रोकना था, जब तक कि मेघना अपने कपड़े नही पहन लेती… सो लपक कर उनके पास पहुँचा और अचंभित स्वर में बोला…

अरे बाबूजी ! आप अभी तक यही थे… मेने सोचा आर्यन को लेकर घर चले गये होंगे..

वो उसके गाल को पुच्कार्ते हुए बोले…, घर नही गये थे ! इसे थोड़ा खेतों की तरफ घुमाने ले गया था, वहाँ प्रभा बहू मिल गयी तो वो इसे खिलाने लगी…, मेघना बेटी कहाँ है…?

अभी मे उनकी बात का कोई जबाब देने ही वाला था कि वो भी अपने कपड़े सही करके बाहर आती हुई बोली… अरे अंकल जी आप भी अभी यहीं हैं… आर्यन भूखा होगा…?

मेने बाबूजी से लेकर आर्यन को अपनी गोद में लिया, और उसे लेकर हम घर की तरफ चल दिए…!

मेघना मेरे आगे – 2 चल रही थी, उसकी 36” की गान्ड कसे हुए स्लेकक में थिरकति हुई क्या मस्त मटक रही थी, मन किया कि पीछे से एक थप्पड़ तो लगा ही दूं,

लेकिन अधूरी प्यास लिए ना जाने उसके मन में क्या चल रहा हो, जो अभी तक उसने मेरे से कोई बात भी नही की थी…

अब इस अवस्था में ना जाने क्या रिक्ट करे, सो अपना मन मसोस कर रह गया…!

फिर मेने अपनी तरफ से ही बात शुरू करते हुए कहा – सॉरी मेघना जी ! वो मे वो…आपकू… अधूरा….

मेने उसका रिक्षन जानने की गरज से अपनी बात को अधूरा ही छोड़ दिया…!

मेरी बात पर वो ठितकी, और बराबर में आकर, थोड़ी स्माइल देते हुए उसने मेरी तरफ देखते हुए कहा – इसमें आपको सॉरी बोलने की क्या ज़रूरत है…

आपकी भी तो वही कंडीशन है जो मेरी है, अब अंकल जी आगये तो इसमें किसी की क्या ग़लती…. थॅंक्स टू गॉड, उन्होने हमें देखा नही वरना, पता नही आज क्या होता..

किसी को मुँह दिखाने लायक नही रहते हम लोग…

मे – इसका मतलब, कुछ ग़लत कर रहे थे हम लोग…?

उसने अपनी नज़रें झुका ली और अपने निचले होठ को दाँतों से काटते हुए बोली – सही ग़लत तो पता नही, लेकिन उस वक़्त मे अपना कंट्रोल ज़रूर खो चुकी थी… आइ आम सॉरी !

ये क्या मेघना जी, अभी थोड़ी देर पहले आपने मुझे सॉरी बोलने को मना किया, और अब आप क्यों कह रही हैं…,

वैसे भी इसमें आपकी कोई ग़लती नही थी, अब सिचुयेशन ही ऐसी हो गयी कि कोई भी अपना कंट्रोल खो सकता था…!

मेरी बात पर वो कुछ और ज़्यादा शरमा गयी, और अपनी गर्दन झुका कर चलने लगी… इन्ही बातों के चलते पता ही नही चला कि हम कब घर पहुँच गये…..!

मेरी गोद से आर्यन को लेते हुए दीदी ने पुछा – कहाँ घूम आए..?

मेने बताया कि हम इसे खेतों पर घूमने ले गये थे… उसने इशारे से पुछा कि वो भी साथ में थी क्या..?

मेने भी इशारे से हां बोल दिया… फिर जब मेघना निशा के पास चली गयी तो दीदी बोली – ये बिगड़ी घोड़ी तो लगता है लाइन पर आ गयी…वैसे कुछ बात बनी कि नही…?

मे – बस लगाने ही वाला था, कि बाबूजी आ गये….

वो अपने मुँह पर हाथ रख कर बोली – हाए राम….फिर, … कहीं पकड़े तो नही गये..?

मेने हंसते हुए कहा – नही ! बाल-बाल बच गये…वरना आज तो लौडे लग ही जाने थे…..

घर में मेंबर बढ़ने से अब मेरा और निशा का कार्यक्रम भी नही हो पा रहा था, आज सुबह सुबह मेघना के साथ हुए अधूरे एनकाउंटर ने मेरा दिमाग़ खराब कर रखा था….!

लंच के बाद मे अपने कमरे में लॅपटॉप लेकर बैठ गया, कुछ केसस के अपडेट किए… एक दो रिव्यू देकर असिस्टेंट को मैल भेज दिए…!

मे अपने काम में लगा हुआ था कि तभी निशा अपना किचेन का काम निपटाकर आ गयी…, वो इस समय एक सिल्क की फुल लंबाई की मेक्सी पहने थी…

फिटिंग साइज़ की मेक्सी में से अपनी चोंच चम्काते उसके कबूतरों ने मेरे कुछ राहत की साँस ले चुके लंड को फिरसे भड़काने का काम कर दिया…!

वो अलमारी खोलकर थोड़ा झुक कर उसमें से कुछ निकल रही थी, गोल मटोल गान्ड के कट मेक्सी से एकदम क्लियर उभर आए थे,

गान्ड की दरार को तो उसकी पैंटी ने कुछ हद तक संभाल लिया था.. फिर भी मेरा मन भटक ही गया, और मे लॅपटॉप का कवर डाल कर धीरे से उठा, और अपना लंड उसकी गान्ड की दरार में जा टिकाया…

मेरे लंड को अपनी गान्ड पर फील करते ही वो झटके से खड़ी हो गयी, और पलटकर मुस्कराते हुए मुझे अपने से दूर धकेलते हुए बोली….

इस घोड़े को थोड़ा काबू में रखो… मुझे अपने कपड़े निकालने दो…..
मेने उसकी चुचियों को मसल्ते हुए कहा – मे तुमसे क्या कह रहा हूँ, तुम अपना काम करती रहो…!

वो प्यार से घुड़कते हुए बोली – ऐसे कैसे करती रहूं, आपका क्या भरोसा, यहीं खड़े-2 ही इसे मेरी गान्ड में डाल दिया तो….?

मे – तो क्या आफ़त आ जाएगी, वो तो जाने वाली जगह में जाएगा ही…ये कहकर मेने उसके होठों पर अपने होठ रख दिए….!

कुछ देर वो अपने हाथ को मेरे सीने पर रख कर मुझे दूर करने के लिए कोशिश करती रही,

लेकिन एक मिनिट में ही उसका विरोध धराशायी हो गया, और वो भी मेरे चेहरे को अपने दोनो हाथों में लेकर साथ देने लगी…

जब उसने मोर्चा संभाल लिया तो मेने अपने हाथों को दूसरे इंपॉर्टेंट काम पर लगा दिया, और उसकी गान्ड को मसल्ने लगा…

हम दोनो की जीभ एक दूसरे से अठखेलियाँ करने लगी थी, निशा अपनी आँखें मुन्दे, मज़े से किस्सिंग में खोने लगी…

मौका देखकर मेने उसकी मेक्सी उपर करदी, नीचे वो मात्र एक पैंटी में ही थी.

उसने किस तोड़कर कहा – गेट खुला है राजे, कोई आ जाएगा…

मे – कोई नही आ रहा, दोपहर में सब आराम कर रहे होंगे…ये कहकर मेने अपना लोवर नीचे सरका दिया…

फिर मेने उसे मेक्सी से पूरी तरह आज़ाद करके मात्र ब्रा और पैंटी में ही उसे दीवार के सहारे सटा दिया,
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06-02-2019, 01:45 PM,
RE: Bhabhi ki Chudai देवर भाभी का रोमांस
कुछ देर उसकी चुचियों को मसल्ने के बाद मेने उसके उन दो छोटे-2 कपड़ों को भी निकाल फेंका….

दीवार से पीठ टिकाए निशा लंबी-लंबी साँसें भरने लगी, चुदाई की खुमारी उसके उपर हावी हो चुकी थी…

मेने उसकी एक जाँघ के नीचे हाथ ले जाकर उसे उपर उठाया, और खड़े-खड़े ही अपना लंड उसकी चूत में डाल दिया…
ससिईईईई……..आआअहह……राजीईई….धीरे….मेरे सैंय्ाआ…बहुत जालिम हो……कहीं भी कैसे भी पेल देते हो…

उसकी सेक्सी बातों ने मुझ पर जबरदस्त असर किया, और मेने एक और झटका देकर पूरा लंड उसकी सुरंग में डाल दिया…

निशा के मुँह से एक मीठी सी आहह………निकल गयी… फिर उसने अपनी उस टाँग को मेरी कमर में लपेट लिया….

मुझे ऐसे खड़े-2 चुदाई में बहुत मज़ा आ रहा था, निशा भी भरपूर साथ दे रही थी….

जब धक्कों की गति और तेज हो गयी.. तो निशा का खड़ा रहना मुश्किल होने लगा, और सिसक कर बोली---

आहह…..जानू, मुझे पलंग पर ले चलो, खड़ा होना मुश्किल हो रहा है…

उसकी बात सुनते ही मेने उसकी दूसरी टाँग भी उठा कर अपनी कमर पर रखली और अपने धक्के जारी रखे…



निशा की बाहें मेरे गले में लिपटी हुई थी, टाँगें कमर के इर्द गिर्द थी, पीठ दीवार से टिकाए वो मस्ती में चूर मेरे ताबड़तोड़ धक्कों का मज़ा ले रही थी………

आअहह….सस्स्सिईइ…हाईए…रामम्म…बहुत मज़ा आरहाआ…मेरे रजाअजीी…, हम बीच-बीच में स्मूच करते हुए चुदाई का मज़ा लूट रहे थे…

तभी मुझे महसूस हुआ कि कोई गेट पर है और हमारे गरमा-गरम शो का मज़ा लूट रहा है…,



अपने तबाद-तोड़ धक्के जारी रखते हुए मेने जैसे ही गाते की तरफ देखा………!

वहाँ मुझे दरवाजे में हल्का सा गॅप दिखा, जिसमें से मेघना की एक झलक दिखाई दी,

जैसे ही मेने उसे देखा, वो झट से दरवाजे की ओट में हो गयी… मुझे पता था, कि वो गयी नही है, और हमारी चुदाई देख रही है…

मेने ऐसा जाहिर किया जैसे मेने उसे देखा ही नही, और अपना काम जारी रखा…

वो हमें देख रही है, यही एहसास मुझे और ज़्यादा उत्तेजित करने लगा, और मेरे धक्कों की रफ़्तार और ज़्यादा बढ़ गयी…



मे जैसे ही धक्का लगता… निशा पूरी तरह उच्छल जाती, और उसके मुँह से मादक कराह निकल पड़ती….

आज आपको क्या हो गया है, राजे…. मेरी कमर ही चटखा डी…आईईईई….माआ.. आहह….हाईए….राजा.. धीरी…प्लीज़….बस करो..उईई…माआ….में तो गाइिईईईईईईई…रीई…. निशा के पैर मेरी कमर से कसने लगे…

किसी छिप्कलि की तरह वो मेरे सीने से चिपक कर झड़ने लगी…

कुछ देर यौंही चिपके रहने के बाद मेने उसके होठ चूम लिए. फिर उसे नीचे उतार कर पलटा दिया…

अब उसका मुँह दीवार की तरफ था, उसके हाथ दीवार से टिका कर थोड़ा झुकने को कहा… वो जैसे ही थोड़ा झुक कर खड़ी हुई….

मेने गेट की तरफ तिर्छि नज़र डाली, मुझे मेघना की आँखें दिखाई दे गयी…उसे अनदेखा करते हुए, मेने अपना मुँह निशा की गान्ड में डाल दिया…

उसकी गान्ड के छोटे से भूरे रंग के छेद को जीभ से कुरेद कर चूत के निचले भाग को नोक से चाट लिया…

निशा एक बार फिरसे गरम होने लगी, और अपनी गान्ड को और पीछे को उभार दिया…

नीचे मेरा मूसल, सीधा 120 डिग्री के आंगल पर लहरा रहा था, जिसपर मेघना नज़र गढ़ाए हुए टक-टॅकी लगा कर देख रही थी…

सही मौका ताड़ मेने अपने मूसल को हाथ में लिया, उसे मेघना को दिखाकर दो-तीन बार मसला, उसे दरवाजे की तरफ करके मुठियाने लगा…

मेरा उद्देश्य मेघना को हद से ज़्यादा गरम करने का था, जिसमें कामयाबी मिलती दिख रही थी…

उसका हाथ पैंटी के अंदर जाता हुआ साफ दिखाई दे गया…

मेने निशा की गान्ड को थपथपाया, और पीछे से अपना लंड उसकी चूत में डाल दिया…
दीवार की आड़ लेकर खड़ी मेघना, हमारी चुदाई का सीन देख कर इतनी गरम हो गयी, कि अपने होठों पर जीभ फिराती हुई, अपनी चूत को मसल्ने लगी…!

मेने निशा की गान्ड पर थप्पड़ मारते हुए कहा – आअहह…निशा रानी क्या मस्त गान्ड है तेरी, किसी दिन इसको तो मे फाड़ के रख दूँगा…!

तभी मेघना का एक हाथ अपनी गान्ड पर चला गया और वो उसे सहलाते हुए अपनी चूत में उंगली करने लगी…!

मेरे धक्कों ने निशा को हिलाकर रख दिया, उधर मेघना अपने पंजों पर खड़ी दे दानंदन अपनी चूत में उंगली अंदर बाहर कर रही थी…

हम तीनों ही अपने चरम की तरफ बढ़ते जा रहे थे… कमरे के अंदर और बाहर मादक सिसकियाँ माहौल को और मादक बना रही थी…

आख़िरकार… एक साथ तीन तीन आहें वातावरण में गूँज उठी… और जोरदार आहें भरते हुए तीनों ही एक साथ झड़ने लगे….!

निशा पलट कर मेरे सीने से लिपट गयी… मे दरवाजे की तरफ मुँह करके प्यार से उसकी गान्ड सहलाए जा रहा था…

मेघना अपने कमरस से गीले हाथ को अपनी पैंटी से पोन्छ्ते हुए उसे उपर चढ़ा रही थी…
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06-02-2019, 01:45 PM,
RE: Bhabhi ki Chudai देवर भाभी का रोमांस
मेघना अपने कमरस से गीले हाथ को अपनी पैंटी से पोन्छ्ते हुए उसे उपर चढ़ा रही थी…

कुछ देर बाद मुझे लगा कि मेघना वहाँ से जा चुकी है, तो मेने निशा को अपने से अलग किया… वो अपनी मुस्कुराती आँखों से मुझे देखने लगी..

मे – क्या हुआ मेरी जान ? ऐसे क्या देख रही है…?

मेरे होठों को चूमते हुए वो बोली – मे कितनी किस्मत वाली हूँ, जो मुझे आप जैसा जीवन साथी मिला है…कहकर वो फिरसे मुझसे लिपट गयी…,

मेने उसकी गान्ड में उंगली करते हुए कहा – और मन है क्या…?

वो फ़ौरन मेरे से दूर हो गयी और हँसते हुए बोली – ना बाबा ना ! इसके अलावा मेरे पास और बहुत काम है करने को..,

आपका क्या, आप तो यही चाहते हैं कि हर समय ये मूसल मेरी चूत में ही पड़ा रहे…,

ये कहकर वो खिल-खिलाकर हँसते हुए अपने कपड़े निकालने लगी…, और फिर बाथ रूम में घुस गयी, मे अपने काम में फिरसे लग गया…!

शाम को दिन ढले, मे टारेस पर जाकर अपनी एक्सर्साइज़ करने लगा, निशा और रामा दीदी किचेन में रात के खाने के इंतेज़ाम में व्यस्त थी,..

मे रूचि को अपनी पीठ पर बिठाकर पुश-अप कर रहा था, मेघना ना जाने कब से आकर हमें देख रही थी…रूचि अपने दोनो टाँगें मेरे बाजू से लटकाए मेरी कमर पर बैठी गिनती बोलती जा रही थी…

जब मे पूरी तरह थ्क गया, और पेट के बल ही लेटा रह गया, तो रूचि मेरी पीठ पर बैठे -2 ही बोली - क्या हुआ चाचू, थक गये… आजकल आप जल्दी थक जाते हो…

मे – क्या बात कर रही है, पूरे कर तो दिए…

रूचि – हां ! कर तो दिए, पर ऐसे पड़े तो कभी नही रहे ना !

मे – हां ! बेटा सो तो है, अब आजकल कुछ काम ज़्यादा रहता है ना इसलिए…

फिर मेने उसे अपने उपर से उठने के लिए कहा, और खुद भी खड़ा होकर मेने जीने की तरफ मुँह किया तो सामने मेघना को खड़े देख कर बोला…

अरे मेघना जी आप ! कब आईं, आइए ना… प्लीज़…फिर मेने रूचि को कहा – बेटा नीचे जाकर मौसी से मेरा जूस तो ले आ…. रूचि भागते हुए नीचे चली गयी…

मेघना धीरे- 2 चलती हुई मेरे पास आकर बोली – बहुत देर से देख रही हूँ आपको… काफ़ी स्ट्रॉंग हैं आप, सच में.. इतनी बड़ी रूचि को उपर बिठाकर पुश-अप कर रहे थे….

फिर वो मेरी बॉडी को निहारने लगी, और अपने हाथ से दबा दबाकर देखने लगी…

वाउ ! एकदम पत्थर जैसा शरीर है आपका, फिर मेरे मसल्स को दबा दबाकर देखती रही…

हम दोनो आमने सामने खड़े, बातें कर रहे थे, दोनो के बीच बस कोई एक फीट का ही फासला रहा होगा.

तभी आर्यन और उसके पीछे अंश भागते हुए आए, और उसी तेज़ी में आर्यन अंश से बचने के लिए अपनी बुआ यानी मेघना से आ लिपटा, झोंक में वो मेरे सीने से आ लगी…

मे छत की बाउंड्री की तरफ खड़ा था, सो मेरी कमर बाउंड्री से सॅट गयी, तो मे और पीछे नही हट सकता था… नतीजा, मेघना का पूरा शरीर मेरे शरीर पर छा गया…

उसकी मौसमी साइज़ की चुचियाँ मेरे सीने से दब गयी, और मेरा लंड उसकी चूत के उपरी भाग से सॅट गया…

हड़बड़ाहट में उसने अपनी बाजू मेरी पीठ में लपेट दी, और मेरे हाथ उसकी गान्ड की गोलाईयों को नापने लगे…

बच्चे तो फिरसे भागते हुए नीचे चले गये, लेकिन हम दोनो यौंही खड़े रह गये… दोनो की नज़रें एक दूसरे में खो गयी,

और होठ भी धीरे-2 एक दूसरे से जुड़ने के लिए वाकी बची मंज़िल को तय करते हुए सटने के लिए पास होते चले गये…

इससे पहले कि हम दोनो के होठ एक दूसरे से जुड़ते, कि तभी रूचि की आवाज़ सुनाई दी…

हम फ़ौरन एक दूसरे से अलग हो गये, वो तो अच्छा था, कि उसने दो सीढ़ी नीचे से ही आवाज़ लगाई… चाचू ! ये लो अपना जूस…

वो मेरे बगल में आकर खड़ी हो गयी, मेने रूचि से जूस लेकर मेघना की तरफ बढ़ा दिया… लेकिन उसने मना कर दिया, तो मेने भी ज़्यादा फोर्स नही किया, और एक ही साँस में पूरा एपल जूस का ग्लास खाली कर दिया…!

खाली ग्लास लेकर रूचि नीचे चली गयी, और हम दोनो फिर एक बार अकेले छत पर रह गये…..!

मेने मेघना के चेहरे की तरफ देखा, उसके होठ थर थरा रहे थे, मानो कुछ कहना चाहते हो, लेकिन संकोच वस कुछ कह नही पा रही थी…

आज सुबह से ही वो कई मौकों पर इतनी चुदासी हो चुकी थी, पता नही अपने आपको कैसे संभाले हुई थी अब तक…

जबकि एक बार तो लंड उसकी चूत के दरवाजे पर दुस्तक भी दे चुका था…और दूसरी बार उसने चुदाई का लाइव शो भी देख लिया था…

अभी थोड़ी देर पहले हुए अनायास इन्सिडेंट की वजह से उसका चेहरा अभी तक लाल हो रहा था…नज़रें ज़मीन में गढ़ाए वो पता नही किस सोच में डूबी थी…

फिर मेने जैसे ही उसके हाथ अपने हाथों लिए, मेरे हाथों के स्पर्श होते ही वो अपना आपा खो बैठी, और तड़प कर मेरे बदन से लिपट कर मेरे होठों को चूम लिया…….!
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06-02-2019, 01:46 PM,
RE: Bhabhi ki Chudai देवर भाभी का रोमांस
शाम का धूंधलका गहराता जा रहा था, गाओं में वैसे भी जल्दी ही रात जैसी घिरने लगती है, मेघना मेरे बदन से सटी हुई खड़ी मेरी आँखों में झाँक रही थी…,

मेने उसके कुल्हों को सहला कर पुछा - क्या हुआ मेघना जी… आप कुछ परेशान सी लग रही हैं…

उसने मेरे गले में अपनी बाहें डाल दी, और अपनी मुनिया को मेरे जंग बहादुर से सटाते हुए बोली - मुझे और मत तडपाओ अंकुश जी,

प्लीज़ जल्दी से कुछ करो, वरना कहीं में पागल ना हो जाउ… वो तड़प कर बोली.

मे – आप ही बताइए ऐसा मे क्या करूँ..जिससे आपकी परेशानी दूर हो सके….?

मेरी बात सुनकर वो कुछ मायूस सी दिखने लगी… शायद वो समझ नही पा रही थी कि मे उसके साथ ऐसा व्यवहार क्यों कर रहा हूँ,

क्या मे उसकी इच्छा को समझ नही पा रहा या जानबूझ कर ऐसा कर रहा हूँ…

फिर वो सारी शर्मोहया ताक पर रख कर मेरी आँखों में झाँकते हुए बोली-

आप मेरे साथ ऐसा क्यों कर रहे हैं..? लगता है, अभी तक आपने मुझे माफ़ नही किया है, जबकि मे अपने ग़लत व्यवहार के लिए माफी माँग चुकी हूँ..

मे – मे तो उन बातों को कब का भुला चुका हूँ… फिर इसमें माफी का तो कोई सवाल ही नही उठता…

वो – तो फिर आप मुझे इग्नोर क्यों कर रहे है, प्लीज़ मेरी प्यास बुझा दीजिए… मे बहुत प्यासी हूँ…!

मे – देखिए मेघना जी ! मे ठहरा ठेठ गँवार आदमी, आप क्या चाहती हैं मे कैसे जानू… आप सीधे सीधे कहिए ना, आपको मेरे से क्या चाहिए…?

मेने ठान लिया था कि जब तक ये बिगड़ी घोड़ी मेरा लंड लेने के लिए खुलकर अपने मुँह से चोदने के लिए नही कहेगी, तब तक मे उसे नही चोदने वाला…

मेरी बात सुनते ही, उसने मेरे उपर हमला बोल दिया, और अपने दाँतों से मेरे होठों को लगभग कुचल ही डाला… मेने भी उसके सर को पकड़ कर अपनी जीभ उसके मुँह में ठेल दी....

दो मिनिट तक हम एक दूसरे के साथ यूँही चूमा चाटी करते रहे… फिर उसने झटके से अपना सिर पीछे किया, उसकी साँसें ढोँकनी की तरह चल रही थी, चेहरा और आँखें वासना की आग में जलने लगी…

प्लीज़ अंकुश नाउ फक मी….चोदो मुझे…ये कहकर उसने मेरे लंड को ही पकड़ लिया और उसे ज़ोर्से दबाते हुए बोली… आइ वॉंट युवर कॉक इनसाइड माइ पुसी!

मेरे चेहरे पर स्माइल आ गयी…, उसे थोड़ा और छेड़ते हुए बोला – मे देसी आदमी हूँ मेघना, हिन्दी में कहो क्या करवाना चाहती हो तुम मेरे से…

वो – ओहूओ…. , कम ऑन अब इतने भी अनपढ़ की तरह बिहेव मत करो, अब जल्दी से अपना ये लंड मेरी चूत में डालकर मुझे चोद दो मेरे रजाअ….,

मेरी चूत बहुत फुदाक रही है इसे लेने को.., इसे डालकर इसकी खुजली मिटा दो प्लीज़…

उसकी खुले शब्दों में चुदने की बात सुन कर मेने उसे अपनी गोद में उठा लिया.. और फर्स्ट फ्लोर पर बने एक कमरे में ले गया, जो अक्सर खाली ही रहता था मेहमानों के लिए…, यहाँ किसी के आने के चान्स भी नही थे..
उसे पलंग पर लिटाया और खुद उसके उपर आकर पसर गया...!

उसके पके आमों जैसी गोल-गोल भरी हुई चुचियों को मसलते हुए उसके होठों को चूसने लगा….

वो अपनी एडियों को आपस में जोड़ कर रगड़ने लगी…., फिर मेने अपना एक हाथ नीचे ले जाकर जैसे ही उसकी चूत को अपनी मुट्ठी में भरकर मसला….

वो गुउुन्न्ं…2 करके अपनी कमर को उचकाने लगी… उसकी चूत बुरी तरह से पानी छोड़ रही थी, जिस वजह से उसकी स्लेकक..पैंटी समेत आगे से पूरी गीली हो गयी…

मेने जैसे ही उसके होठों को आज़ाद किया… वो सिसकते हुए बोली…

ससिईईई….आअहह जालिम…अब और ना तडपाओ…. डाल दो अपना लंड मेरी चूत में…, फाड़ दे इसे राजा…, बना ले अपनी रंडी मुझे….!

उसका उतबाला पन देख कर मेरे चेहरे पर स्माइल आ गयी, और फटाफट उसके सारे कपड़े नोंच डाले…

खुद भी अपने कपड़े निकाल मेने उसकी गीली चूत को एक बार चूम लिया… और हाथ से सहला कर अपने लंड को उसकी भीगी हुई चूत के मुँह पर रख कर उपर से नीचे घिसने लगा……!

वो अपनी अंगारे बरसाती आँखों से मुझे घूरती हुई बोली – भेन्चोद, साले और कितना धार लगाएगा इसमें, जल्दी डाल ना मदर्चोद….!

मेने मुस्काराकर उसकी तरफ देखा, और उसकी मोटी-मोटी चुचियों पर थप्पड़ लगाते हुए कहा – साली कितनी आग लगी है तेरी चूत में कुतिया…

मादरचोद गाली देती है साली रंडी, अब देख मे कैसे तेरी माँ चोदता हूँ.., ये कहकर मेने अपने गरम टमाटर जैसे सुपाडे को उक्की चूत में दबा दिया….!

वो सिसकते हुए बोली – सस्सिईइ…आअहह… भडुवे पहले मुझे तो चोद, मेरी माँ को बाद में देखना…, ये कहते हुए उसने अपनी कमर को उचका दिया..

मेरा सुपाडा आराम से उसकी चूत में समा गया था…, इसका मतलब था कि वो पहले भी लंड खा चुकी है…!

मेघना के कमर उचकाते ही मेने भी उपर से एक धक्का दे दिया…., मेरा आधे से भी ज़्यादा लंड उसकी चूत में सरक गया…

उसके मुँह से एक दबी-2 सी कराह निकल गयी… उसने अपने होंठ कस कर भींच लिए…

भले ही वो पहले चुद चुकी थी, लेकिन फिर भी मेरा लंड उसकी चूत में बुरी तरफ से कस गया था…

मेने उसे पुछा…. मेघना ! तुम्हें दर्द तो नही हो रहा…?

उसने अपनी गर्दन हां में हिलाई, मेने कहा – तो फिर क्या करूँ..? निकाल लूँ…इसे बाहर….

नही … बिल्कुल नही… जान ले लूँगी तुम्हारी अगर ऐसा किया तो…, बड़ी मुश्किल से हाथ आए हो.. मेरे दर्द की चिंता मत करो… प्लीज़ गो अहेड….वो कराहते हुए बोली.

ऐज यू विश… इतना कहकर मेने अपने लंड को थोड़ा सा बाहर को खींचा, और एक जोरदार धक्का अपनी कमर में लगा दिया….

एक ही झटके में पूरा लंड उसकी चूत में फिट हो गया, लेकिन इस बार उसकी चीख होठों की सीमा तोड़कर बाहर निकल गयी…

कुछ देर मे उसकी चुचियों को मसलता रहा…, उसकी गोल-गोल चुचियों को हाथों में लेकर दबा दिया, जिससे उसके निपल मटर के दाने जितने उभर कर कड़क हो गये, एक को अपने मुँह में लेकर काट लिया…,

वो अपनी चूत का दर्द भूलकर कमर उचकाने लगी…सस्सिईइ…आआहह…काटो मत…, चोदो अब…,

मेने अपने धक्के लगाना शुरू कर दिए… अब वो भी मेरा साथ देने लगी थी…!

बहुत देर तक हमारी चुदाई धुँआधार तरीके से चलती रही, इस दौरान वो एक बार झड चुकी थी… ये मेने अच्छी तरह से महसूस किया, लेकिन उसने अपनी तरफ से जाहिर नही होने दिया…

वो लगातार मादक कराहें भरती हुई मुझे उकसाती रही…,

कुछ देर बाद मेने उसे एक करवट से कर दिया, एक टाँग उठाकर उसके पिच्छवाड़े से अपना रोड जैसा सख़्त लंड उसकी चूत में पेल दिया…!

इस पोज़िशन में मेरा पूरा लंड जड़ तक उसकी चूत की थाह लेने लगा…, गहरी चुदाई से उसकी चूत बुरी तरह से कामरस छोड़ने लगी…!

मेरे ताबड-तोड़ धक्कों ने उसे हिलाकर रख दिया, वो अपनी मादक बातों और कराहों से मुझे और ज़ोर्से चोदने पर मजबूर कर रही थी…!

मे पीछे से चिपक कर उसकी हिलती चुचियों का मसल्ते हुए दे दनादन धक्के लगाए जा रहा था.., चूत रस टपक टपक कर उसकी जाँघ के साथ साथ मेरी गोलियों को भी गीला करने लगा...

अंत में जब मेरा छूटने वाला था, कि तभी लास्ट मोमेंट पर मेने अपना लंड उसकी चूत से बाहर खींच लिया, और उसे सीधा करके अपनी सारी मलाई उसकी चुचियों पर उडेल दी…!

मेरे लंड पर कुछ कतरे खून के भी दिखे, जो ये बताने के लिए काफ़ी थे कि वो आज पहली बार ढंग से चुद पाई है…

अपनी उंगली से वो मेरे वीर्य को छुकर अजीब सा मुँह बनाकर देखने लगी…

मेने कहा – ये अमृत है मेरी जान, इसे इस तरह से मत देखो, विश्वास ना हो तो चख कर देखलो…

धीरे से वो अपनी उंगली को पहले अपनी नाक के पास ले गयी, उसे सूँघा, फिर अपने होठों तक ले गयी.. और अपनी जीभ पर रख कर उसका स्वाद चेक करने लगी…

मेने मुस्कराते हुए कहा – कैसा लगा…?
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06-02-2019, 01:46 PM,
RE: Bhabhi ki Chudai देवर भाभी का रोमांस
तो वो कुछ देर और उसका टेस्ट लेती रही, फिर चटखारा सा लेकर बोली – अच्छा है, कुछ नमकीन, कुछ मीठा सा…

उसकी बात पर हम दोनो हँसने लगे… वो उठकर अपने आपको साफ करने चली गयी…

लौट कर उसने मुझे अपने गले से लगा लिया, और किस करके बोली – थॅंक यू वेरी मच डार्लिंग… आइ लव यू…

मेने भी उसकी गान्ड को मसल्ते हुए आइ लव यू टू बोला…फिर मेने अपने कपड़े पहनते हुए मेघना को कहा…

मे अभी बाहर जा रहा हूँ, तुम मेरे कुछ देर बाद नीचे आना, और कोई मेरे बारे में पुच्छे तो बोल देना कि मुझे पता नही, वो तो बहुत पहले ही आ गये थे नीचे…

इतना समझाकर मे अपने कपड़े पहन कर नीचे चला गया….!

मेघना की अच्छे से बजाकर, उसे कुछ बातें समझाई फिर उसे कुछ देर बाद आने का बोलकर मे नीचे आया और चुपके से सीधा छोटी चाची के घर की तरफ निकल गया…!

चाची किचन में रात का खाना बना रही थी, आँगन में रूचि के साथ अंश और आर्यन खेल रहे थे,

कुछ देर मे भी बच्चों के साथ खेला…, थोड़ी देर उनके साथ खेलने के बाद मे किचेन की तरफ बढ़ गया…

चाची स्लॅब के साथ खड़े होकर खाना बना रही थी, इस समय वो एक सॉफ्ट कपड़े की वन पीस मेक्सी में थी… जिसमें से उनके शरीर के सारे कटाव एकदम साफ-साफ दिख रहे थे…

चाची की गान्ड शुरू से ही मेरी कमज़ोरी रही है, जब वो रोटियाँ बेल्ति तो उनकी गान्ड एक रिदेम के साथ गोलाई में हिलने लगती…जिसे देख कर मेरा कुछ देर पहले ही झडा लंड फिर से सिर उठाने लगा…

मे कुछ देर चुपचाप रसोई के गेट पर खड़ा होकर उनकी हिलती गान्ड का नज़ारा लेता रहा…, फिर दबे पाँव उनके पीछे जाकर मेने उन्हें अपनी बाहों में भर लिया….

मेरा आधा खड़ा लंड उनकी गान्ड की दरार में घुस गया…, अपने उपर अचानक हुए हमले से चाची हड़बड़ा गयी… और इसी चक्कर में उनकी गान्ड और पीछे को हो गयी…

जब उन्होने देखा कि ये में हूँ, और मेरा लंड उनकी गान्ड में सेट हो चुका है, तो एक मिनिट में ही चाची की आवाज़ भारी हो गयी…. और मादक स्वर में बोली…

हइई…..लल्लाआअ….तुमने तो मुझे डरा ही दिया…. छोड़ो मुझे… बच्चे आँगन में ही खेल रहे हैं, रूचि अब समझदार होती जा रही है,

ग़लती से भी इधर आ गयी.. तो वो क्या सोचेगी हमारे बारे में…!

मेने चाची की मस्त कच-कची गदर चुचिओ को अपने हाथों में भर लिया और उनके पसीने से तर बतर गले पर चूमते हुए बोला –

मे क्या करूँ चाची, आपकी गान्ड है ही ऐसी, देखते ही कंट्रोल खोने लगता है मेरा…ये कहकर मेने चाची के खरबूजों को ज़ोर से मसल दिया…

सीईईईईईईईईई…….आअहह….. आराम से… बोलकर उन्होने अपना हाथ पीछे किया और मेरे लंड को पाजामे के उपर से ही अपनी मुट्ठी में कसकर मरोड़ दिया….

आईईईईईईईई….चाची…क्या करती हो…. तोड़ॉगी क्या इसे….

वो मेरी तरफ पलट गयी, आँखों में देखते हुए बोली – जब तुमने मेरी चुचियों को इतनी ज़ोर से दबाया तो मुझे कुछ नही हुआ..??? मुझे भी तो दर्द होता है…

ये कहकर उन्होने मेरे लंड को ज़ोर-ज़ोर्से दो-तीन बार आगे-पीछे करके मसल दिया…!

मेने लपक कर चाची को अपनी बाहों में भर लिया, उनके होठों को चूमकर अपनी कमर को आगे कर दिया…!

अब मेरा फुल टाइट लंड चाची की मेक्सी को दबाता हुआ उनकी मोटी-मोटी जांघों के बीच घुस्स गया,

अपनी चूत की फांकों पर मेरे लंड की ठोकर से चाची सिसक उठी…!

सस्सिईइ…आअहह…लल्ला मान जाओ प्लीज़, जाओ यहाँ से.., ये कहकर उन्होने अपनी हथेली मेरे सीने पर जमा दी, और धकेलते हुए मुझे किचेन के बाहर निकलने लगी…, अब जाओ यहाँ से बाद में मौका देख कर आ जाना…

मे हँसता हुआ एक बार और चाची की गदर गान्ड को मसल कर बच्चों के पास आ गया, फिर रूचि और आर्यन को लेकर घर की तरफ चला आया….!

घर में अटॅच्ड बाथ केवल मेरे ही रूम में था, निशा के उपर सारे घर के कामों की ज़िम्मेदारी थी, तो उस बेचारी को रोज़ सुबह जल्दी उतना, नित्य कर्म करके घर के कामों में लग जाना यही दिन चर्या बन चुकी थी.

भाभी की डेलिवरी को पूरा समय चल रहा था, कुछ दिन ही शेष थे, तो वो ज़्यादातर बस आराम ही करती रहती थी,

रामा दीदी के आने से निशा को कुछ काम में मदद हो गयी थी…

दूसरे दिन सुबह – 2 निशा तो नहा धोकर किचें के कामों में लग चुकी थी, दीदी भी उसकी मदद करवा रही थी…

मे भी जल्दी उठके एक्सर्साइज़ करके बाथरूम में नहा रहा था, कमरे का मेन गेट ढलका ही रखा था बस…

शरीर पर पानी डालकर मे साबुन लगा रहा था, कि तभी नहाने के लिए मेघना भी आ गयी…

बाथरूम का गेट खुला देख, वो दनदनाती हुई अंदर घुस आई…, मे मात्र एक फ्रेंची में साबुन के झाग से लिपटा हुआ खड़ा था, आँखें भी बंद ही थी…

आहट सी पाकर मेने आवाज़ भी दी… कौन ?

लेकिन कोई जबाब नही मिला, मेने सोचा कुछ वैसे ही लगा होगा…और अपना साबुन लगाने में लगा रहा….

फिर थोड़ी ही देर के बाद बाथरूम का गेट बंद होने की आवाज़ सुनाई दी, तब तक मे साबुन लगा चुका था, और अंदाज़े से शवर चलाने के लिए हाथ बढ़ाया ही था कि अचानक से वो चालू ही हो गया….

कुछ देर तक मे पानी गिरने से साबुन सॉफ करने लगा, की तभी मेघना ने मुझे पीछे से अपनी बाहों में जाकड़ लिया…

उसके नंगे बदन को अपने शरीर से चिपके होने का एहसास होते ही मे चोंक गया… मन ही मन विचार किया, कि निशा तो कब की नहा के जा चुकी है, तो ये फिर कौन है…?

बदन मेघना का भी लगभग उतना ही मांसल था, बस थोड़ी सी हाइट कम थी…

मेरी आँखें जब देखने लायक हुई, तो मेने उसके हाथों को पकड़ कर अपने आगे की तरफ किया, और जैसे वो मेरे सामने आई… मुझे एकदम झटका लगा…

मे – अरे मेघना जी आप ? प्लीज़ जाइए यहाँ से, निशा ने देख लिया तो मेरी शामत ही आ जाएगी…

उसने मेरी बात का कोई जबाब दिए बिना ही मेरे अंडर वेअर को नीचे खींच दिया.. और मेरे लंड को मुट्ठी में लेकर आगे पीछे करते हुए बोली …

वो दोनो किचेन में काम कर रही हैं, हम जल्दी से एक बार कर लेते हैं…
इतना कहकर उसने मेरे होठों को चूसना शुरू कर दिया…

वो एकदम मदरजात नंगी मेरे सामने खड़ी थी, उसकी चूत की खुसबु सूंघते ही मेरा पप्पू फुल अटेन्षन में आ गया,

मेने उसकी चूत को सहला कर उसमें अपनी एक उंगली डाल दी, और अंदर बाहर करते हुए कहा – अगर ग़लती से कोई इधर आ गया तो क्या होगा..?

ससिईईई….आअहह…. कोई नही आरहा….आअहह…. अब जल्दी से अपना ये मूसल मेरी चूत में डालकर चोद दो मेरे रजाअ….
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06-02-2019, 01:47 PM,
RE: Bhabhi ki Chudai देवर भाभी का रोमांस
मेने उसके सिर को नीचे की तरफ दबाकर कहा – ठीक है, पहले मेरे लंड को चुस्कर तैयार तो करो….

उसने बिना समय गँवाए, फ़ौरन पंजों पर बैठ गयी और मेरे लंड को चूसने लगी….

कुछ देर लंड चुसवाने के बाद मेने उसे दीवार से सटा दिया, और थोड़ा पीछे को झुककर, पीछे से उसकी चूत में अपना लंड डालकर चोदने लगा..

पानी और उसके चूटरस से गीली चूत लंड तो आराम से निगल गयी, लेकिन अपनी कराह नही रोक पाई वो…

मेने थोड़ा आराम से आधे लंड से उसको चोदना शुरू किया, और धीरे – 2 करके पूरा अंदर डालकर धक्के मारने लगा…

अब वो भी मज़े में आ चुकी थी, और मादक सिसकियों के साथ अपनी गान्ड को मेरे लंड पर पटक पटक कर चुदने लगी…

ये मेरी जिंदगी का पहला चान्स था, जब मे किसी को बाथरूम में चोद रहा था… उपर से पानी की फुआरें और सामने एक मदमस्त गान्ड…!

बहुत मज़ा आरहा था मुझे, उसकी मस्त हिलती हुई चुचियों को देखकर मुझे और जोश चढ़ गया, मेने उसके बाल पकड़ कर अपनी तरफ खींचे,



उसका सिर ऊँटनी की तरह उपर को हो गया, गान्ड और ज़्यादा पीछे को उभर आई, मेने उसे पूरी तरह से घोड़ी बनाकर सवारी कर ली…!

उसके दोनो हाथों को पकड़ कर पीठ पर लगा दिया, धक्के लगाते हुए मेने उसके बाल पकड़ कर खींचे…!

मेघना का बुरा हाल हो रहा था, मेने आज इसकी पूरी तरह गर्मी निकालने की ठान ली, अपने तेज धक्कों से उसे चीखने पर मजबूर कर दिया…!

मेरे तेज धक्कों से वो बुरी तरह हिल रही थी.., कुछ देर में ही वो पट्ठि एक बार पानी छोड़ गयी,

फिर मेने उसे पलटा कर अपने सामने खड़ा कर लिया, और उसकी एक टाँग को उठाकर आगे से अपना खूँटा ठोक दिया..…

वो मेरे गले में अपनी बाहें डालकर, बाथरूम की दीवार से पीठ टिकाए चुदाई का मज़ा लूटने लगी…..!

अंत में हम दोनो ही एक साथ झड गये, झड़ने से पहले मेने अपने लंड को उसकी चूत से बाहर निकाल कर अपने वीर्य से उसके शरीर को नहला दिया…..!

वो बुरी तरह से हान्फ्ते हुए बोली – आज तो आपने मेरी दम निकाल दी, क्या हो गया था आपको…

मेने अपने गीले लंड को उसकी चुचियों पर रगड़ते हुए कहा – मेने सोचा आज तुम्हारी सारी गर्मी निकाल ही दूं, तो बस हो गया ये.., मज़ा नही आया..?

वो मुस्करा कर मेरे लंड की मलाई को अपने बदन पर मलते हुए बोली – मज़ा तो बहुत आया.., लेकिन पूरा बदन तोड़ दिया…!

फिर हम दोनो एक साथ नहाए, मेने उसकी चुचियों पर साबुन मलते हुए कहा – तुमें बुरा ना लगे तो एक बात पुछू मेघना..!

वो मुस्कुराते हुए मेरे लंड पर साबुन मलते हुए बोली – मे जानती हूँ आप क्या पूच्छने वाले हो..? यही ना कि मे वर्जिन क्यों नही थी…!

मेने अपने हाथों में उसकी मोटी गान्ड कसते हुए कहा – बड़ी तेज हो तुम तो, मेरे पूच्छने से पहले ही जान लिया,

मेघना – दरअसल हॉस्टिल में रूम मेट के साथ लेज़्बीयन करते करते एक बार वो इतनी एक्शिटेड हो गयी कि साली ने अपनी चूत में डालने के लिए जो मोटी वाली मोमबत्ती रखती थी वही मेरी कुँवारी चूत में डाल दी..!

बहुत दर्द हुआ मुझे उस टाइम, पूरी मोमबत्ती खून से लाल हो गयी थी, गुस्से में मेने उसे दो थप्पड़ भी लगा दिए थे…

उसने मुझे सॉरी कहा, मेने सोचा इसमें अकेले इस बेचारी की भी ग़लती नही है, मे भी तो एक्शिटेड हो गयी थी.. सो मेने उसे फिरसे अपने बदन से चिपका लिया…

उस दिन के बाद से जब ज़्यादा मन करता है तो कई बार अपनी उंगली भी डाल लेती हूँ…!

मेने उसके होठ चुस्कर कहा – इतना तो चलता है हॉस्टिल लाइफ में, दोस्तो के साथ रहकर..,

कुछ देर और हम एक दूसरे के अंगों के साथ छेड़-छाड़ करते रहे, फिर नहा-धोकर कपड़े पहने और किचन में आकर एक साथ नाश्ता लिया…!
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आज कृष्णा भैया और प्राची की शादी थी, सुबह से ही हम सब तैयारियों में जुट गये, और ज़रूरत का समान लेकर सारे परिवार के साथ शहर की तरफ रवाना हो गये…

वहाँ हमने एक गेस्ट हाउस बुक कर लिया था, जिसमें प्राची की फॅमिली भी आ चुकी थी…

शादी थी तो सादे तरीके की, लेकिन भैया के स्टाफ के लोग जिनमें नये कमिशनर से लेकर इनस्पेक्टर रंक तक के सभी ऑफिसर्स शामिल हुए…

जस्टीस ढीनगरा समेत मेरे कुछ क्लाइंट और पहचान वाले भी थे..

खाने पीने की अच्छी व्यवस्था की थी मेने, मेहमान लोग खा-पीकर चले गये, उसके बाद देर रात तक सारे रीति रिवाजों के साथ दोनो की शादी सम्पन हुई…!

वर-बधू एक दूसरे के साथ बंधन में बँध कर बेहद खुश थे…!

लाख सुविधाओं के बावजूद, शादी की गहमा-गहमी और भागदौड़ के चलते… भाभी के दर्द शुरू हो गये, लेकिन वो बड़ी जीवट जिगर वाली निकली.

शादी के दौरान कोई व्यवधान पैदा हो, इसलिए वो अपने दर्द को अंदर समेटे रही, जबतक कि सारे काम अच्छे से निपट नही गये…

लेकिन सुबह होते-होते उनकी हिम्मत जबाब दे गयी…

आनन फानन में उन्हें डॉक्टर. वीना के हॉस्पिटल में भरती कराया, जहाँ उसने सब कुछ अच्छे से संभाल लिया.

हमें भाभी को हॉस्पिटल में भरती किए दो घंटे ही हुए थे, कि भाभी ने एक सुंदर से बेटे को जन्म दिया…

सभी की खुशी का ठिकाना नही था, एक के बाद दूसरी खुशी देख कर बाबूजी और बड़े भैया खुशी से नाचने लगे…!

मौका देखकर मे भाभी के पास चला गया, और उन्हें मुबारकवाद दी…
उनकी आँखों से खुशी के आँसू निकल पड़े और मुझे अपने पास बैठने का इशारा किया..

मेरा हाथ अपने हाथ में लेकर उन्होने चूम लिया और धीरे से बोली – तुमें भी एक और बेटा मुबारक हो देवर्जी…

मेने आश्चर्य से भाभी की तरफ देखकर पुछा – आज ये देवेर जी.. किसलिए भाभी, मे तो आपका लल्ला ही ठीक हूँ…

वो थोड़ी स्माइल के साथ बोली – तुम मेरे बेटे के बाप भी तो हो, तो इतनी इज़्ज़त तो बनती है ना देवर्जी….

मेने मुँह फूलकर कहा – नही भाभी, मे तो आपका लल्ला ही रहूँगा, आइन्दा अगर आपने मुझे देवर जी कहा तो मे आपसे कभी बात नही करूँगा…हां..!

मेरी आक्टिंग देखकर भाभी खुल कर हंस पड़ी, और लेटे-लेटे ही अपना हाथ लंबा करके मेरा कान पकड़ लिया और उसे खींचते हुए बोली…

ठीक है लल्ला, जैसी तुम्हारी मर्ज़ी…. मेरे लाड़ले देवर… थोड़ा नीचे झुको तो..

फिर मुझे अपने उपर झुका कर मेरा माथा चूम लिया… मेने भी भाभी के गाल पर एक चुंबन लिया, और अपने नवजात बेटे के माथे को चूमा…

डेलिवरी भी नॉर्मल ही हुई, कोई ज़्यादा कॉंप्लिकसी वाली बात पैदा नही हुई थी…

चाचियों ने मिलकर सब कुछ अच्छे से संभाल लिया था… फिर उसी दिन शाम को छोटी चाची और मेरे परिवार के सदस्यों को छोड़कर वाकी के लोग गाओं लौट गये…

प्राची के पैर घर के लिए शुभ साबित हुए, सबने उसे सर आँखों पर बिठा लिया, इस मौके पर प्राची की माँ और छोटा भाई संजू भी मौजूद थे…

इतने मिलनसार परिवार में अपनी बेटी को देखकर वो बेहद खुश थी…प्राची और उसकी माँ ने अपने पिता से अभी तक कोई वास्ता नही रखा था.

दो दिन बाद भाभी को हॉस्पिटल से डिसचार्ज मिल गया, तो उन्हें हम लोग घर ले आए, साथ में मन्झ्ले भैया और प्राची जो अब मेरी भाभी थी, वो भी थे.

घर में हर्षो-उल्लास का माहौल व्याप्त था…रूचि को अपने छोटे भाई के रूप में एक खिलोना मिल गया, वो बहुत खुश थी…

शादी में शामिल होने लोकेश जीजा जी भी आए थे, लेकिन वो हमारे हॉस्पिटल से आने से पहले ही मेघना को साथ लेकर देल्ही वापिस लौट गये, रामा दीदी कुछ दिनो के लिए रुक गयी…!

निशा बेचारी पर काम का और बोझ बढ़ गया था, लेकिन अच्छे संस्कार वाली प्राची ने भैया से ज़िद करके घर पर रहने का फ़ैसला किया और जल्दी ही वो घर के कामों में निशा का हाथ बांटने लगी.

उन दोनो की मदद के लिए घर काम के लिए एक मैड को भी रख लिया था, वो घर के बाहरी कामों को निपटा लेती थी…

कहने को तो निशा प्राची की देवरानी थी, लेकिन उमरा में वो उससे बड़ी थी, सो प्राची उसको दीदी ही बोलती थी…

तीनों देवरानी- जेठनियाँ आपस में सग़ी बहनों की तरह रहने लगी, जिससे घर में सुख शांति का साम्राज्य कायम था…..!
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06-02-2019, 01:47 PM,
RE: Bhabhi ki Chudai देवर भाभी का रोमांस
कुछेक महीने में ही भाभी ने घर की कमान फिरसे अपने हाथ में ले ली… और एक ज़िम्मेदार गृहणी के साथ साथ गाओं के सार्पंची के काम भी संभालने लगी…..!

कृष्णा भैया भी अब हर हफ्ते या बीच में क्षेत्र के दौरे के बहाने घर आ जाते थे, मेरा तो लगभग रोज़ का आना जाना रहता था, सिवाय किसी अर्जेंट काम के.

लेकिन उनके एसएसपी जैसे ज़िम्मेदार पद पर रहते हुए ज़्यादा दिन ये संभव नही था… तो हम सबने समझा बूझकर प्राची को शहर में ही रहने पर राज़ी कर लिया…

क्योंकि भैया को संभालने के साथ-साथ अभी वो अपना ग्रॅजुयेशन भी कर रही थी…,

वो इस शर्त पर शहर जाने को राज़ी हुई कि उसका जब मन होगा वो गाओं आ जाया करेगी…!

मेने और प्राची ने एक अच्छे दोस्त के नाते, अपने पुराने संबंधों को भूल कर इस नये रिस्ते को सम्मान देते हुए देवेर भाभी के रिस्ते को दिल से अपना लिया…!

प्राची की माँ मधुमिता जी और उनका बेटा संजू मेरे वाले फ्लॅट में रहते थे, जिसका पता अभी तक घर में किसी को भी नही था, वो सब यही समझते थे कि ये घर प्राची का ही है…

मधुमिता जी 42 साल की एक एवरेज सी अधेड़ महिला थी, अपने पति की कम आमदनी उसी में तीनों बच्चों के साथ खर्चे को मेनटेन करके चलना इस सबके चलते अब तक का उनका जीवन बड़ा तंगी में बीता था…

रेखा के शूसाइड के बाद से तो पिच्छले 6 महीनों से उन्होने अपने पति से भी कोई वास्ता नही रखा था, और खुद ही एक रेडीमेड गारमेंट की छोटी सी फॅक्टरी में काम करके घर चला रही थी…!

कामकाजी महिला होने की वजह से उनके शरीर में अभी तक कहीं एक्सट्रा चर्बी नही थी, सिवाय थोड़े चेहरे के वो कहीं से भी 32-35 से ज़्यादा नही लगती थी…

जिस उमर में एक स्त्री को भरपूर रति-सुख चाहिए होता है, उस उमर में उन्हें अपने पति का साथ छोड़ना पड़ा था, इस वजह से वो कुछ बुझी-बुझी सी रहने लगी थी…

प्राची की शादी के बाद अब उनकी ज़िम्मेदारी कुछ कम हो गयी थी, कुल मिलाकर माँ-बेटे खुश थे संजू भी अब अच्छे से पढ़ रहा था…!

मेरे फ्लॅट में आकर थोड़ा अच्छा रहना, अच्छे ख़ान पान की वजह से उनके चेहरे की झुर्रियाँ जो मूषिबतों के कारण आ गयी थी, वो ख़तम होने लगी, और चेहरे की रौनक लौटने लगी थी…

फ्लॅट काफ़ी बड़ा था 3बीएचके का जिसमें मेने अपने लिए एक रूम सेपरेट रखा था, जब कभी भी रुकना होता, तो यूज़ कर लेता था…!

ऐसे ही एक दिन मुझे शहर में रुकना पड़ा, रात का खाना पीना हम तीनों ने मिलकर खाया, कुछ देर मे और संजू साथ बैठकर हॉल में टीवी देखते रहे तब तक उसकी मम्मी ने किचन का काम ख़तम कर लिया…

फिर एक-एक ग्लास दूध पीकर सोने चले गये…

मेरी आदत है, रात को अंडरवेर निकाल कर अकेला शॉर्ट पहन कर ही सोता था, दूसरे दिन सुबह उठने में थोड़ी देर हो गयी….

मधु आंटी संजू को स्कूल भेजकर जल्दी ही अपने काम पर भी निकलना होता था, सो उन्होने अपने समय पर उठ कर संजू के लिए नाश्ता तैयार किया, तब तक मे सोया हुआ ही था…

उसे स्कूल के लिए विदा करके उन्होने चाय बनाई, और उसे लेकर मेरे रूम में आ गयी…,

आदत्नुसार मे कभी गेट लॉक करके नही सोता हूँ, सो वो अंदर ही चली आई, अब सुबह सुबह का एरॅक्षन, कुछ तो मूत लगने की वजह से और कुछ हसीन सपनों का आगमन,

मेरा लॉडा फुल मस्ती में खड़ा था, बिना अंडरवेर के उसने शॉर्ट के सॉफ्ट से कपड़े को उठाकर जबदस्त तंबू बनाके रखा हुआ था…!

कमरे में कदम रखते ही उनकी नज़र मेरे तंबू पर पड़ी, उसके आकर से ही उन्होने मेरे लंड का जियोगॅफिया अच्छे से पढ़ लिया, मेरे तंबू को देखकर उनकी आँखें फैल गयी…!

6 महीने से अधिक समय से अपने पति से अलग रह रही मधु आंटी की सोई हुई काम इच्छाएँ झंझणा उठी, वो अपने मुँह पर हाथ रखे टक टॅकी लगाए उसे देखने लगी…!

ना जाने मेरे सपने में क्या चल रहा था, जिसकी वजह से वो बीच-बीच में हल्के-हल्के झटके भी मार देता था…, उसकी ये हरकत देखकर वो मन ही मन मुस्करा उठी……!

फिर शायद उनके मन में रिश्तों की दीवार आड़े आ गयी, अपनी बेटी के देवर के प्रति अपने मन में ऐसे विचार आना उन्हें अच्छा नही लगा और वो अपना मन मसोस कर चाय का प्याला लिए वहाँ से लौटने लगी…!

लौटते हुए भी उनके मन की इच्छा ने उन्हें उसपर नज़र डालने पर एक बार फिरसे विवश कर दिया, और तभी मेरे लंड ने एक जोरदार झटका दिया…!

लंड के झटके ने उनके पैरों में जंजीर डाल दी, उनके बाहर को बढ़ते कदम ठिठक गये..,

इतने दिनो से सोई हुई मुनिया के बंद होठ फड़-फडा उठे…, और ना चाहते हुए भी उनके कदम मेरे बेड की तरफ बढ़ गये….!
लंड के झटके ने उनके पैरों में जंजीर डाल दी, उनके बाहर को बढ़ते कदम ठिठक गये..,

इतने दिनो से सोई हुई मुनिया के बंद होठ फड़-फडा उठे…, और ना चाहते हुए भी उनके कदम मेरे बेड की तरफ बढ़ गये….!



उन्होने चाय का कप साइड टेबल पर रख दिया, और धीरे से बेड पर मेरे पास आकर बैठ गयी…!

वो बड़े गौर से मेरे लंड की हरकतें देख रही थी, उनकी इतने दिनो से सोई हुई काम वासना जागने लगी, मेरे लंड को अपनी प्यासी चूत में लेने की कल्पना मात्र से ही उनकी चूत गीली हो गयी…!

चूत के गीले पन के एहसास से अनायास ही उनका एक हाथ अपनी जांघों के बीच चला गया…,

वो मेरे लंड के उभार और उसकी बीच-बीच में हो रही नॉटी हरकतें देख-देख कर अपनी चूत को गाउन के उपर से ही सहलाने लगी…!

मेरे लंड को अपने हाथ में लेकर देखने की उनके मन में तीव्र इच्छा हो रही थी फिर भी एक लोक लाज के कारण चाहकर भी वो ऐसा नही कर पा रही थी, लेकिन वासना का क्या करें जो निरंतर बढ़ती जा रही थी…

जब वो किसी के सिर पर चढ़ने लगती है तो इंसान की सोचने समझने की शक्ति खोने लगती है, ऐसा ही कुछ उनके साथ भी हो रहा था…

वो लाख कोशिश कर रही थी कि यहाँ से चली जाए, ये ठीक नही है, अपनी बेटी के देवर के बारे में ये सब सोचना उचित नही है, लेकिन वासना के वशीभूत उनका मंन मेरे लौडे को हाथ में लेकर सहलाने के लिए उकसा रहा था…!

जब उनसे नही रहा गया, तो एक बार गौर से उन्होने मेरे चेहरे पर नज़र डाली, जहाँ उन्हें एक गहरी नींद में सोए हुए इंसान के भाव ही नज़र आए…!

पूरी तरह आश्वस्त होने के बाद की मे गहरी नींद में ही हूँ, उन्होने धीरे से मेरे तंबू पर अपना हाथ रखा…!

हाथ लगते ही वो ठुमक उठा, उन्होने डर कर अपना हाथ अलग हटा लिया, और मेरे चेहरे की तरफ देखने लगी, लेकिन वहाँ उन्हें ऐसा कुछ नही दिखा जिससे ये लगे कि मे नींद में नही हूँ…!

उनके चेहरे पर घबराहट के बबजूद स्माइल आ गयी, अपने निचले होठ को दाँतों में दबाकर बड़े सेक्सी अंदाज में बुदबुदाई, तो शैतान नींद में ही उच्छल-कूद कर रहा है…

जब इसका सोते हुए ये हाल है, लेकिन जब निशा की चूत में जाता होगा तो कैसी तबाही मचाता होगा…,

सच में निशा बड़ी भाग्यशाली है, जिसे ऐसा लंड लेना नसीब में है..!

हाए राम, अपनी बेटी समान लड़की के लिए ये मे क्या सोच रही हूँ, ये मुझे क्या होता जा रहा है..?

मुझे अब यहाँ से चले जाना चाहिए वरना कुछ ग़लत हो गया तो ये मेरे बारे में ना जाने क्या सोचेंगे..?

इसी असमनजस की स्थिति में वो बेड से खड़ी हो गयी, और एक बार अपनी लार टपका रही चूत को अपने गाउन से पोन्छ्ते हुए उन्होने मेरे कंधे पर हाथ रख कर जगाया…!

लेकिन बीते दिनो ज़्यादा व्यस्तता रहने की वजह से मे ठीक से सो भी नही पा रहा था, इसलिए बिना कोई अलार्म लगाए आज चैन की नींद ले रहा था, उनके एक बार जगाने से मेरे उपर कोई फ़र्क नही पड़ा…!

वो फिरसे बेड पर बैठ गयी, और धीरे से मुझे आवाज़ देकर कंधे से हिलाया तो मे थोड़ा सा कुन्मूनाकर उनकी तरफ करवट लेकर फिर सो गया…!
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