Bhabhi ki Chudai देवर भाभी का रोमांस
06-02-2019, 01:20 PM,
RE: Bhabhi ki Chudai देवर भाभी का रोमांस
मेने उसे गोद से उठने का इशारा किया, तो वो थोड़ी नाराज़ सी दिखी,…

मेने कहा – एक मिनिट उठिए तो सही, एकदम से कोई आगया तो लेने के देने पड़ जाएँगे…

मेरा तो अभी धंधा ठीक से जमा भी नही है, उससे पहले ही बंद हो जाएगा…

वो मेरी बात का मतलव समझ कर गोद से उतर गयी, मेने जाकर गेट लॉक किया और फिरसे उसे अपनी गोद में लेकर अपनी सीट पर बैठ गया….

वो इस समय एक लाल रंग का टॉप और लोंग स्कर्ट में थी, गोद में आते ही वो मेरे होठों पर टूट पड़ी…मे उसकी बड़ी-2 चुचियों को मसल्ने लगा…

अभी भी कामिनी ने अपने फिगर को अच्छे से मेनटेन किया हुआ था, शायद जिम वगैरह जाती होगी,.

चुचियों में वही सुडौलता, कड़क टाइट गान्ड, सपाट पेट…भैया शायद अच्छे से उसकी मस्ती को मिटा नही पाते होंगे ड्यूटी के बोझ की वजह से…

बहुत गर्मी चढ़ि थी उसको… वो किसी भूखी कुतिया की तरह मेरे होठों को खाए जा रही थी….

मेने भी उसकी चुचियों को मसल्ने में अपनी पूरी ताक़त लगा दी, मस्ती से उसका चेहरा लाल भबुका हो गया था…


मेने उसकी स्कर्ट में हाथ डालकर उसकी चूत को जैसे ही मसाला…, वो मेरा हाथ झटक कर मेरी गोद से उतर गयी…

मे आश्चर्य से उसको देखने लगा, सोचा- साली इसको अचानक से क्या हो गया..?

मेने उसे पुछा – क्या हुआ भाभी मेरे साथ मज़ा नही करना है…?

वो एक नशीली सी स्माइल करते हुए बोली – करना है ना ! लेकिन ज़रा खुलकर..

अच्छा तो ये बात है, ये कहकर मेने उसकी स्कर्ट को खींच दिया, अब वो टॉप और पैंटी में आ गयी…

मेने उसे फिरसे अपनी गोद में खींच लिया, और उसकी चूत को पैंटी के उपर से अपनी मुट्ठी में लेकर मसल दिया…

वो मस्ती से सिसकने लगी…, हइईई…मेरे...रजाआ…. तुम्हारे हाथों में तो जादू है….

थोड़ा सा ज्ञान अपने भाई को दे देते तो कितना अच्छा रहता… उूउउफफफ्फ़……उन्हें तो बस अपनी ड्यूटी ही दिखाई देती है.. अपनी बीवी की तो कोई परवाह ही नही…. आअहह….ससिईईई…

मेने उसकी पेंटी को एक ओर करके अपनी दो उंगलिया उसकी गीली चूत में डाल दी और अंदर बाहर करने लगा….

उसने लपक कर मेरा हाथ पकड़ा और अपनी चूत से हटा दिया, खड़े होकर एक मिनिट में ही अपने वाकी के सारे कपड़े निकाल फेंके, और फिर मेरे कपड़ों पर टूट पड़ी…

उसकी व्याकुलता देख कर मेने मन ही मन कहा… लगता है साली जाने कब्से लंड की भूखी है…

जब मेरे भी सारे कपड़े निकल गये तो मेने उसे टेबल के उपर लिटा दिया, और उसकी टाँगों को उठाकर उसकी गीली चूत में अपना सोटा सा लंड पेल दिया…

सर्र्र्र्र्र्र्र्र्ररर………….से एक ही झटके में मेरा तीन-चौथाई लंड उसकी चूत में सरक गया… उसकी आँखें बंद हो गयी…. और एक मीठी सी कराह उसके होठों से फुट पड़ी…

आहह….भाभी…क्या टाइट चूत है तेरी…. अभी भी एकदम कसी कसी है….

तुम्हें अच्छी लगी….आअहह….फिर फाडो…. राजा….. बना दो इसका भोसड़ा…अब देर मत करो, आहह…. डाल दो पूरा…

उसकी उत्तेजक बातें सुनते ही मुझे जोश आ गया… और पूरी ताक़त से धक्का लगा दिया….

ढपाक से मेरे अंडे उसकी गान्ड से जा टकराए… जड़ तक मेरा लंड उसकी चूत में था, जो उसकी बच्चेदानी तक पहुँच चुका था….

आईईईईईई……….माआअ……थोड़ा धीरे ..देवरजीीइईईईई….आअहह…मज़ा आगया…मेरी जानन्न…

उसके होठ चूस्ते हुए मे उसकी चुचियों को मसल्ने लगा… और धक्के भी लगाता रहा….

मेरे तीन तरफ़ा हमले को वो ज़्यादा देर झेल नही पाई और उसकी चूत भल भला कर झड़ने लगी…, उसकी एडीया मेरी गान्ड के उपर कस गयीं….

मेने अब उसको नीचे खींच लिया और टेबल पर हाथ टिका कर उसको घोड़ी बना दिया..

उसकी चौड़ी गान्ड देख कर मेरा मन फिर ललचा गया…

भाभी ! गान्ड दोगि ?

वो – नही नही… ! तुम बहुत बेदर्दी से मारते हो… ऊस्दिन का दर्द अभी भी याद आजाता है…
मे – लेकिन अभी कुच्छ देर पहले तो आप बोली थी, वैसी ही तकलीफ़ दो मुझे.. फिर अब क्या हुआ…?

वो हँसते हुए बोली – हहहे… वो तो मेने वैसे ही तुम्हें उकसाने के लिए बोला था, और फिर मुझे घर भी तो जाना है,

लंगड़ी घोड़ी की तरह चलूंगी तो कोई भी पहचान लेगा कि छिनाल कहीं गान्ड मरा कर आई है…

मे भी इस समय उसे नाराज़ नही करना चाहता था, सो उसकी चूत में फिरसे लंड पेल कर ढका-धक चुदाई शुरू कर दी…

आधे घंटे में वो तीसरी बार झड रही थी, उसके साथ ही मेरा भी नल खुल गया और अपने वीर्य से उसकी चूत को भर दिया…

वो कुच्छ देर टेबल पर गाल टिकाए पड़ी रही, फिर अपनी पैंटी से ही अपनी चूत और मेरे लंड को सॉफ किया…, चिपचिपी पैंटी को अपने बॅग में डाल लिया, फिर हमने अपने -2 कपड़े पहन लिए….

उसके बाद मेने गेट अनलॉक किया, और फिर अपनी-2 सीट पर बैठ कर बातें करने लगे..

मे – हां भाभी ! अब कहिए… कैसे आना हुआ…?

वो कोर्ट के थ्रू मिले डाइवोर्स का नोटीस टेबल पर रखते हुए बोली – ये क्या है देवेर जी…?

मे – डाइवोर्स का नोटीस है, साइन कीजिए और अलग हो जाइए आप दोनो,
वैसे भी शुरुआत तो आपकी तरफ से हो ही चुकी है, भैया तो उस बेमानी रिस्ते से आपको आज़ाद ही कर रहे हैं बस…

वो – मेरे अपने डॅड के घर चले जाने से ही उन्होने ये सोच लिया कि हमारा रिस्ता ऐसे ही ख़तम हो जाएगा..?

मे – और भी बहुत सी बातें हैं, जो आपकी और उनकी सोच से मेल नही खाती…

अब यही ले लीजिए… आपकी शादी को इतने साल हो गये, अभी तक आप माँ नही बनना चाहती, ये भी एक बहुत बड़ी वजह है, जो दिखती है कि आप इस बंधन से आज़ादी चाहती हैं…

दूसरी वजह… जो चीज़ें उनको हर्ट करती हैं, आप जान बुझ कर वही काम करती हैं…

इन सबके बावजूद, अब आप बिना उनसे कुच्छ कहे सुने अपने पिता के घर जाकर रहने लगी…

तो इससे अच्छा है कि ये रिस्ता ही ख़तम करिए…और जी लीजिए अपनी –अपनी लाइफ, जैसे जीना चाहते हो…

वो कुच्छ देर चुप रही, फिर कुच्छ सोचकर बोली – मे मानती हूँ, कि मुझसे कुच्छ ग़लतियाँ हुई हैं… और हो रही हैं…

अब में तुम्हें अश्यूर करना चाहती हूँ.. कि आगे से उन्हें सुधारने की कोशिश ज़रूर करूँगी …मुझे बस एक मौका दिला दो…

और रही बात डॅड के पास जाकर रहने की, तो ये जानते हुए कि सन्नी मेरा चचेरा भाई है, उन्होने उसे अरेस्ट करवा दिया…

डेडी की इज़्ज़त का भी कोई ख्याल नही किया…
मे – तो आपका मतलव है कि वो बेगुनाह है,…?

वो – हम कॉन होते हैं, किसी को गुनेहगर या बेगुनाह कहने वाले, ये तो अदालत में ही साबित होना है, और हुआ भी… देखलो वो बेगुनाह साबित हुआ भी…

मे – देखिए भाभी हम यहाँ कॉन बेगुनाह है, या कॉन गुनहगार, इस विषय पर बहस करने नही बैठे,

बस मे यही कहना चाहता हूँ, कि उन्होने सिर्फ़ अपनी ड्यूटी की है…, अगर आप यही सब कहने आई हैं, तो सॉरी ! इस मामले में मे आपकी कोई मदद नही कर सकता…

और वैसे भी एक अच्छी पत्नी का कर्तव्य है, कि वो हर परिस्थिति में अपने पति के फ़ैसले के साथ खड़ी रहे… जो आपने कभी नही किया…

वो – चलो मान लिया कि मेने ग़लती की है, पर आगे से कोशिश करूँगी अपने को अच्छी पत्नी साबित कर सकूँ… बस इस बार किसी तरह से उनको समझाओ, और ये केस वापस लेलो…

मे – इसके लिए मे आपकी मदद कर सकता हूँ… लेकिन फिलहाल मामला गरम है, कुच्छ दिन और इंतेज़ार करो, सब ठीक हो जाएगा…

ये वादा करता हूँ, कि आप दोनो को फिरसे मिलने का भरसक प्रयास करूँगा…अगर आपने अच्छा बनके साबित कर दिखाया तो…

इसी तरह की कुछ और बातों के बाद वो फिर मिलते रहने का वादा करके चली गयी… और मे अपने अगले कदम को सोच कर मुस्करा उठा….!

मे किसी भी तरह से इन लोगों के बीच घुसना चाहता था, कोई रास्ता मुझे दिखाई नही दे रहा था, लेकिन अब ये सामने से ही मौका मेरे हाथ आता दिखाई देने लगा.
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06-02-2019, 01:20 PM,
RE: Bhabhi ki Chudai देवर भाभी का रोमांस
मे ठान चुका था, कि रेखा के क़ातिलों को उनके किए की सज़ा तो देकर ही रहूँगा, जो रास्ता मुझे अब तक नही मिल पा रहा था, वो कामिनी के द्वारा मिलता दिखाई दे रहा था…

मेने उसे भैया से दोबारा संबंध सुधारने का आश्वासन देकर अपने जाल में फँसा लिया था, अब वो मेरे खिलाफ कभी सोच भी नही सकेगी…

उसका मुख्य कारण था, अपने बाप की पोलिटिकल इमेज बचाना….!

मेने अपने एक आदमी को उसके पीछे लगा दिया, वो कहाँ जाती है, क्या करती है, किसके साथ उठना बैठना है…!

वो ग़लत कामों में लिप्त है, ये मुझे हिंट मिल चुकी थी…, अब कितनी अंदर तक है ये जानना ज़रूरी था…

मेने अपना आदमी उसके पीछे लगा तो दिया था, लेकिन इतनी बड़ी हस्ती के अंदर तक घुसकर ऐसे सीक्रेट निकाल पाना बड़ा मुश्किल काम था…

लेकिन कहते हैं ना कि जहाँ चाह होती है, वहाँ कोई ना कोई राह अवश्य निकल आती है, और ऐसी ही एक राह मुझे जल्दी ही मिलने वाली थी….
कुच्छ दिन रेखा वाले रेप केस में, मे इतना उलझ गया, की गुप्ता जी का एक टॅक्सेशन का मामला ही भूल गया,

वैसे तो वो अपना बिज़्नेस पूरी ईमानदारी से करते थे, समय पर टॅक्स भरना वो कभी नही भूलते थे,

लेकिन फिर भी एक घूसखोर बाबू ने जाली पेपर बनाकर कमिशनर की सील और फ़र्ज़ी साइन करके उनके ऑफीस में 25 लाख टॅक्स वकाया का नोटीस भिजवा दिया..!

गुप्ता जी ने ये मामला हल करने के लिए मुझे बोला, सारे पेपर चेक करने के बाद मे समझ गया कि ये सब फर्ज़ीबाड़ा है, तो मेने बाद में मिलने का सोच कर पेंडिंग रखा…

इसी बीच डॉक्टर. वीना से मुलाकात के बाद रेखा वाले रेप केस में बिज़ी हो गया, जिसमें उस बेचारी को इंसाफ़ तो नही मिला, उल्टे अपनी जान देनी पड़ गयी…

इस मामले से मे थोड़ा अपसेट भी था, कि इसी बीच उस बाबू का फोन भी गुप्ता जी के ऑफीस में आगया, उन्होने मुझे फोन करके याद दिलाया…

तब मुझे याद आया और उन्हें आज के आज ही ये मामला हल करने का आश्वासन देकर मे उस बाबू से मिलने उसके ऑफीस चल दिया…

स्मार्ट फोन मेरी जेब में ही था जिसे मेने उसके ऑफीस में एंटर होने से पहले ही वीडियो रेकॉर्डिंग मोड पर सेट कर दिया, अब बस ओके करने की देर थी और रेकॉर्डिंग स्टार्ट हो जानी थी,

मेने उसको सारे डीटेल समझाए, इतनी इनकम हुई, इतना पर्चेस हुआ, इतना ओवरहेड्स हुए, इतना इनकम टॅक्स जमा हुआ, इतना सेल्स टॅक्स जमा हुआ वो सारी वर्क शीट सील साइन के साथ उसको दिखाई…

उसने वो सारे पेपर एक साइड को सरका दिए, मे समझ गया, अब ये अपनी औकात पर आनेवाला है, सो चुपके से ओके बटन दबा दिया, रेकॉर्डिंग शुरू हो गयी…

वो बोला – देखिए वकील साब, अब इस बाबू की नौकरी से तो दो जून की रोटी ही हो पाती है, मे ये सब जानता हूँ कि गुप्ता जी जैसा क्लाइंट कभी धोखा धड़ी नही करता..

लेकिन कुच्छ अपना भी तो भला सोचिए, ये 25 लाख की रिकवरी का नोटीस है, कुच्छ आप भी कमा लो, और एक-दो % हमें भी दिलवा दो, मामला यहीं रफ़ा दफ़ा हो जाएगा…

वरना आप तो जानते ही हैं, एक बार मामला कोर्ट के हाथ में चला गया, तो हमारे ऑफीस को सारे ओरिजिनल डॉक्युमेंट्स चेंज करने में कितना वक़्त लगेगा…

आप लाख सबूत पेश करते रहिए कोई सुनने वाला नही है, 25 लाख खम्खा सरकार की तिजोरी में जमा करना ही पड़ेगा…, ना हमें कुच्छ हासिल होगा और ना आपको…

मे शांत होकर उसका सारा भाषण सुनता रहा, फिर वो आगे बोला – बोलिए, फिर क्या विचार है…!

उसे लाइन पर लाने के लिए इतना सबूत काफ़ी था, सो चुपके से मोबाइल की रेकॉर्डिंग ऑफ करते हुए कहा – देखिए साब मेरा उसूल है,

मे जिसके लिए भी काम करता हूँ, उसके साथ पूरी ईमानदारी निभाता हूँ, तो मे तो ये अलाउ नही करूँगा कि आपकी बात मान ली जाए…

रही बात केस करने की तो उसके लिए आप फ्री हैं, देख लेंगे अगर 25 लाख देना ही पड़ा तो सरकार को ही देंगे, कम से कम हमारा पैसा विकास के कामों तो लगेगा…

मेरी बात सुनकर वो चिड गया और झूठी गीदड़ भभकी देते हुए बोला – जुम्मा- जुम्मा चार दिन हुए हैं आपको वकालत शुरू किए हुए… ज़्यादा ईमानदारी मत दिखाओ, वरना लेने के देने पड़ सकते हैं…

हम जैसे बाबुओं के चक्कर में पड़कर अच्छे-अच्छे अपनी वकालत भूल जाते हैं…! मे फिर कहता हूँ, मेरी बात मानिए और आप भी थोड़ा बहुत कमा लीजिए…

गुप्ता जैसी मोटी मुर्गी से दो-चार अंडे ले भी लोगे तो भी उसको कोई फरक नही पड़ने वाला…!

मे - लेकिन मुझे तो फ़र्क पड़ता है, मे अपने जमीर को नही मार सकता, और रही बात पैसे कमाने की, तो गुप्ता जी मुझे बिना माँगे ही इतना दे देते हैं, कि मुझे ऐसे कामों की ज़रूरत ही नही पड़ती…

मेरी बात से वो और ज़्यादा चिढ़ गया और ठंडे से लहजे में बोला – तो नही मानेंगे आप, ठीक है फिर कोर्ट में ही मिलते हैं…!

मे – शायद मुझे इतनी दूर जाने की ज़रूरत ही ना पड़े, हो सकता है कमिशनर साब के ऑफीस में ही बात बन जाए…!

मेरी बात सुनकर वो चोंक गया…, मेने टेबल पर अपने दोनो हाथ रख कर उसकी तरफ झुकते हुए बोला – वैसे कितने बच्चे हैं आपके…?

बाबू – बच्चों से क्या मतलव है तुम्हारा…?

मे – उनका भविश्य सुरक्षित कर लिया है या उसी के लिए रिश्वत माँग-माँग कर पैसे जमा कर रहे हो…!

ऐसा ना हो नौकरी चले जाने पर बेचारे दर-दर भटकते फिरें…

बाबू – धमकी दे रहे हो, जाओ जाकर कमिशनर साब से शिकायत करदो, कोई सबूत नही है कि मेने तुमसे पैसे माँगे हैं…

मे – जानते हो मे कमिशनर साब के ही पास क्यों जा रहा हूँ..?

उसने सवालिया नज़रों से मुझे घूरा…जैसे पूछना चाहता हो कि क्यों..?

मेने आगे कहा – क्योंकि मे तुम्हारे बच्चों का बुरा नही चाहता, कमिशनर साब ज़्यादा से ज़्यादा तुम्हें कुच्छ दिनों के लिए सस्पेंड ही करेंगे…

लेकिन अगर मामला कोर्ट में चला गया ना, तो हो सकता है, रिश्वत माँगने के जुर्म में हमेशा के लिए नौकरी चली जाए और साथ में जैल भी हो सकती है…

वो भड़कते हुए बोला – क्या सबूत है तुम्हारे पास कि मेने तुमसे रिश्वत माँगी है…!
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06-02-2019, 01:20 PM,
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मेने उसकी आँखों में झाँकते हुए कहा – लो देखो, ये कहकर मेने मोबाइल की क्लिप उसके सामने चला दी…!

देखते ही उसका शरीर डर से थर-थर काँपने लगा, गिरगिट की तरह फ़ौरन रंग बदलते हुए मेरे पैर पकड़ लिए और गिडगिडाकर बोला –
मुझे माफ़ करदो वकील साब, प्लीज़ ये सबूत किसी को मत दिखाना वरना मेरे बच्चे भूखे मार जाएँगे… रहम करो मुझ पर…!

मे – वादा करो, आइन्दा कोई ग़लत रास्ते से पैसा कमाने की कोशिश नही करोगे…

वो – मे वादा करता हूँ, आइन्दा ऐसा काम कभी नही करूँगा…!

उसने वो सारे फर्जी पेपर मेरे सामने फाड़कर डस्टविन में डाल दिए, मे उसे सबक सिखाकर उसके ऑफीस से बाहर आ गया….!

करने को तो और बहुत कुच्छ हो सकता था, लेकिन उसके बाल-बच्चों का सोचकर मेने उसे धमका कर ईमानदारी पर चलने के लिए मजबूर कर दिया था…

और ये मेरा उसूल रहा है, कि पापी को मत मारो, हो सके तो उसके अंदर के पाप को ख़तम करो, जिससे वो पाप करे ही नही..

वहाँ से सीधा गुप्ता जी के ऑफीस पहुँचा, पता चला वो किसी साइट विज़िट को निकल गये थे, उन्हें फोन करके बता दिया कि मामला निपट गया है, कल घर आकर मिलता हूँ..…!

दूसरे दिन जब सुबह मे उनके घर पहुँचा, हमेशा की तरह वो पूजा में ही थे, हॉल में सेठानी नज़र आई, जो मुझे देखकर खुश हो गयी, और बड़े अपनत्व भाव से मेरी आव-भगत की…

सेठानी – सेठ जी तो अभी पूजा में है, तब तक तुम खुशी से मिल लो, बहुत याद करती रहती है तुम्हें, हर समय तुम्हारी ही बातें रहती हैं उसकी ज़ुबान पर…

मे – अभी वो कॉलेज नही गयी…

सेठानी – नही, अभी वो अपने रूम में तैयार ही हो रही होगी, जाकर मिल लो…

मे खुशी के रूम में जाने के लिए सीडीयों की तरफ बढ़ गया, मेरे पीछे सेठानी के चेहरे पर एक गहरी मुस्कान तार उठी, जिसे मे नही देख पाया…!

खुशी के रूम का दरवाजा ढलका हुआ ही था…मेरे हल्के से दबाब से वो खुल गया, उसके बेड पर उसके नाइट के कपड़े बिखरे पड़े थे, लेकिन वो कहीं नज़र नही आ रही थी…

मेने धीरे से उसे आवाज़ दी, लेकिन कोई जबाब नही आया, सोचा शायद बाथरूम में होगी, बाद में मिल लूँगा, ये सोच कर मे जैसे ही पलटा की बाथरूम का दरवाजा खुलने की आवाज़ आई…

मेने पलटकर बाथरूम की तरफ देखा, वो नहा कर बाथरूम से बाहर ही आ रही थी, इस समय उसके मांसल बदन पर मात्र एक टॉवेल लिपटा हुआ था..…

उसकी तरफ ज़्यादा ध्यान ना देकर मे वहाँ से निकलने लगा, तो पीछे से खुशी की आवाज़ सुनाई दी…!

अरे अंकुश भैया आप, आओ ना, चल क्यों दिए…?

मे – नही ! तू तैयार होज़ा मे नीचे ही हूँ, इतना कहकर मे फिर से कमरे के गेट की तरफ बढ़ा, तब तक वो मेरे पास तक आगयि, और पीछे से मेरा हाथ पकड़ कर बोली…

आप थोड़ी देर बैठो तो सही, मे दो मिनिट में तैयार हो जाउन्गि, फिर बात करते हैं… मुझे आपसे बहुत ज़रूरी काम है…

उसके हाथ पकड़ते ही मे उसकी तरफ पलटा, अब वो अपने मांसल बदन पर मात्र एक तौलिया लपेटे हुए, मेरे एकदम नज़दीक ठीक मेरी नज़रों के सामने थी…,



ना चाहते हुए मेरी नज़र उसके महकते बदन पर ठहर गयी…, मुझे यूँ अपने बदन को निहारते देख वो मंद-मंद मुस्करा रही थी…!

उसके गोल, सुडौल उमर से बड़ी चुचिया 1/3 से ज़्यादा तौलिया के बाहर थी, जिनपर उसके गीले बालों से टपकते पानी की बूँदें मोतियों के समान चमक रही थी..

उसके दूधिया उभारों को देख कर मेरे मन में हलचल सी होने लगी, मुझे लगा कि अगर एक पल और मे इन्हें देखता रहा, तो कहीं अपना संयम खोकर इन मोतियों जैसी चमाति पानी की बूँदों को चाट ना लूँ…!

सो फ़ौरन मेने अपनी नज़र नीचे झुका ली, लेकिन कहते हैं ना कि, आसमान से टपके और खजूर में अटके…!

जैसे ही मेरी नज़र नीचे को हुई, कि उसकी मोटी-मोटी केले के तने जैसी एकदम चिकनी गोरी जांघों पर जा टिकी, जो तौलिया से मात्र उसके यौनी प्रदेश को ढकने के बाद मुश्किल से 4-6” नीचे तक ही धकि हुई थी…,

एकदम गोलाई लिए उसकी जांघें इतनी सुडौल थी, क़ी फट की वजह से उसके घुटनों की डिस्क भी पता नही चल रही थी कि हैं भी या नही…! एकदम कॉनिकल उसकी टाँगें..

देखकर ही मेरा लंड खड़ा होने लगा…,
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06-02-2019, 01:20 PM,
RE: Bhabhi ki Chudai देवर भाभी का रोमांस
खुशी ने मेरे हाथ पकड़कर जबर्जस्ती बेड के पास पड़े सिंगल सोफे पर बिठा दिया, और खुद अपने कपबोर्ड की तरफ बढ़ गयी…!

उसके पलते ही जैसे कयामत टूट पड़ी मेरे लौडे पर…, पीछे से उसकी तरबूज जैसी पीछे को निकली हुई गान्ड से तौलिया एकदम उठी हुई थी, जिसमें से उसका जांघों और कुल्हों के बीच का संधि स्थल साफ-साफ दिखाई दे रहा था…

ऐसा नही था कि तौलिया छोटा था, वो तो बेचारा फुल साइज़ ही था, लेकिन इसका क्या किया जाए कि ढकने वाली का शरीर ही ऐसा था कि सामने से चुचियों को ढकना और पीछे से उसकी गान्ड को ढकना उसे भारी पड़ रहा था…

उपर से खुशी की हाइट भी ठीक-ठाक ही थी, शायद साडे 5 फीट…!

वो अपनी गान्ड मटकाते हुए कपबोर्ड के सामने खड़ी हो गयी, और अपने कपड़े निकालने के लिए उसने उसे खोला…

कुच्छ देर वो सामने से कुच्छ ढूँढती रही, शायद अपने ब्रा-पैंटी, फिर जब वो उपर नही दिखे तो उससे नीचे वाले ड्रॉ में देखने के लिए जैसे ही झुकी…

इसकी माँ की आँख, उसका तौलिया बग़ावत कर बैठा, उसने उसकी गान्ड को ढकने से साफ मना कर दिया….

अरे यार नही … ऐसा नही …जो आप सोच रहे हो, वो खुला नही लेकिन भरकम गान्ड के पीछे होते ही वो उपर चढ़ गया, और ख़ुसी की गान्ड आधे तक नंगी हो गयी…!

मोटी-मोटी जांघों के बीच से उसकी मुनिया की फांकों का निचला भाग ऐसे झाँकने लगा, मानो दो बड़े बल्लों के बीच से कोई मूह निकालकर किस करने के लिए होठ आगे कर रहा हो…!

खुशी को अपनी स्थिति का पूरा अंदाज़ा था कि उसके इस पोज़ से क्या स्थिति बन रही होगी, और मे उस पोज़ को देखने का पूरा मज़ा ले रहा हूँगा, सो उसने ऐसे ही झुके हुए ही एक बार पलटकर मेरी तरफ देखा…!

मेने सकपका कर अपनी नज़र दूसरी तरफ फेर ली, और तिर्छि नज़र से देखा, खुशी मेरी हालत को देखकर मंद-मंद मुस्करा रही थी…!

फिर वो सीधी खड़ी हो गयी, और मुझे आवाज़ दी – भैया, ज़रा इधर आना…!

मेने वहीं बैठे-बैठे कहा – क्यों, क्या काम है? जल्दी से कपड़े पहन कर तैयार हो जा, मुझे जाना भी है…

वो – अरे एक मिनिट आओ तो सही…

मे असल में उठना नही चाहता था, ताकि मेरी जीन्स में बना उभार खुशी देख पाए, लेकिन अब झक मारकर उठना ही पड़ा, और उसके पास जाकर खड़ा हो गया…

मेने उसके पीछे खड़े होकर कहा – हां बोलो क्या है..?

वो ऐसे ही कपबोर्ड के कपाट खोले उनके बीच खड़ी रही और बोली – मेने ये दोनो ड्रॉ चेक कर लिए, लेकिन मेरी ब्रा कहीं दिख नही रही…

अब उपर वाले ड्रॉ तक मे देख नही पा रही, तो प्लीज़ आप ज़रा उसमें से ढूंड कर मेरी ब्रा दे दो ना…!

मेने कहा – ठीक है, अब हटो वहाँ से ताकि में देख सकूँ…!

वो – आप मेरे पीछे खड़े होकर भी देख सकते हो ना, जल्दी करो मुझे कॉलेज के लिए लेट हो रहा है…!

मुझे अब पक्का यकीन हो गया, कि ये लड़की जान बूझकर सब कर रही है, अब मे जैसे ही इसके पीछे खड़ा होऊँगा, ये अपनी मोटी गान्ड मेरे लंड पर रगडे बिना नही माँगी…

लेकिन अब मे इसको खुलकर मना भी तो नही कर सकता, सो उसके पीछे खड़ा होकर उपर वाले ड्रॉ को चेक करने लगा,

पहले तो मेने कोशिश के, कि उससे ना सट पाऊ, लेकिन ड्रॉ कुच्छ ज़्यादा उँचा था, सो मुझे थोड़ा और आगे बढ़ना पड़ा, और वही हुआ जो मे सोच रहा था…

मेरा आगे का उभरा हुआ हिस्सा खुशी की मोटी गान्ड और कमर के बीच की उठान पर जा टिका…

अपनी गान्ड के उठान पर मेरे लंड के उभार को महसूस करते ही खुशी अपनी गान्ड को और पीछे करते हुए अपने पंजों पर खड़ी हो गयी, कुच्छ इस तरह से मानो वो भी उचक कर ड्रॉ में झाँकने की कोशिश कर रही हो..

उसके पंजों पर उचकने से गान्ड की दरार मेरे लंड से रगड़ गयी…! उसके मूह से दबी-दबी सी सिसकी निकल गयी…!

मेने ड्रॉ चेक किया, लेकिन उसमें उसकी ब्रा थी ही नही तो मिलती कहाँ से, कुच्छ देर उसके अंदर के कपड़ों को उलट-पलट कर देखने के बाद मेने कहा –

खुशी इसमें तो वो दिख नही रही, ये कहकर में पीछे को हटने लगा कि तभी उसने मेरे दोनो हाथ पकड़ कर अपनी चुचियों पर रख दिए और बोली –
कोई बात नही मे दूसरी निकाल लूँगी…!

उसकी मस्त मुलायम चुचियों का स्पर्श पाकर मेरे लंड को एक झटका सा लगा…
लेकिन मेने उन्हें दबाया नही और अपने हाथ छुड़ाकर पीछे को हट गया…
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06-02-2019, 01:21 PM,
RE: Bhabhi ki Chudai देवर भाभी का रोमांस
खुशी मेरी तरफ पलट गयी, और अपनी गद्दार चुचियों को मेरे सीने से सटाते हुए बोली – भैया मे आपको अच्छी नही लगती..?

मेने उसकी आँखों में देखकर कहा – तुम तो बहुत सुंदर हो लेकिन अभी ये सवाल क्यों किया तुमने…?

उसने मुझे अपनी बाहों में जकड लिया, उसके मोटे-मोटे गदर अनछुए उभार मेरे सीने में दब गये, जिसके मखमली एहसास से मेरी हालत खराब होने लगी..

वो मेरे बदन से चिपकते हुए बोली – तो मुझे अपनी बाहों में लेकर प्यार करो ना प्लीज़..., मुझे आपका प्यार चाहिए…!

मेने उसके कंधे पकड़कर अपने से अलग करने की कोशिश करते हुए कहा – ये क्या बच्पना है खुशी, जानती भी हो कि तुम क्या कह रही हो…

वो किसी जोंक की तरह मुझसे चिपकते हुए बोली – मुझे पता है मे क्या कह रही हूँ.., और सोच समझ कर ही कह रही हूँ, मुझे अपनी मजबूत बाहों में ले लो भैया… प्लीज़.

मे – मुझे छोड़ो खुशी, ये वक़्त इस सब के लिए सही नही है, कोई आ गया तो मेरे लिए मुशिबत खड़ी हो जाएगी..

अपनी मम्मी को तो जानती ही हो, कि वो कैसी हैं…!

वो – यहाँ मेरे पास आपको किसने भेजा था…?

मे – तुम्हारी मम्मी ने, बोला था कि तुम्हें मुझसे कुच्छ काम है…

वो – तो फिर वो यहाँ क्यों आएँगी…?

मे उसकी बात सुनकर लाजबाब हो गया, उसकी बात भी सही थी, कि जब वो ही मुझे यहाँ आने के लिए बोली थी, तो अब क्यों आएँगी…!

लेकिन फिर भी में फिलहाल इन सब पचडो में पड़ने के मूड में नही था, गुप्ता जी की पूजा कभी भी ख़तम हो सकती थी,

इसलिए फोर्स्फुली मेने उसको अपने से अलग किया, और उसके कंधे पकड़ कर बोला – तुम जो चाहती हो वो तुम्हें मिलेगा, लेकिन अभी नही…

अभी मुझे तुम्हारे पापा से कुच्छ काम है, और वैसे भी जो तुम्हें चाहिए उसके लिए सही जगह और समय की ज़रूरत होगी, जो फिलहाल नही है…

वो मचल कर बोली – तो फिर कब और कहाँ..?

मे – चिंता मत करो, मे तुम्हें इस तरह से प्यार करना चाहता हूँ, जिसे तुम हमेशा याद रखो, और हां वो समय जल्दी ही आएगा…ओके.

ये कहकर मेने आगे से उसके तौलिए की गाँठ खोल दी, वो एकदम नंगी मेरी आँखों के सामने थी, उसके लाजबाब वक्षों को कुच्छ देर देखता ही रह गया…

उसकी उम्र के हिसाब से वो आकार में ज़रूर बड़े थे, लेकिन उसके भरे हुए बदन के हिसाब से एकदम परफेक्ट अनछुए, अनटच, एक दम कसे हुए गोल-मटोल सुडौल,

एकदम सीधे ताने हुए…जिनके शिखर पर दो किशमिश के दाने जैसे कच्चे निपल जो अभी तक ज़्यादा बाहर भी नही आ पाए थे…

मेने खुशी के होठों को चूम लिया, और हल्के से उसके सुडौल मुलायम, मक्खन जैसे, स्पंज के गोलों जैसे उभारों को सहला कर उसके कमरे से निकल आया…!

इस पल भर के एहसास ने खुशी को किसी दूसरी ही दुनिया में भेज दिया, वो अपनी आँखें बंद किए हुए कुच्छ देर यौंही खड़ी रही, और फिर मन ही मन मुस्कुराती हुई अपने कपड़े पहनने लगी……!


..........................................
बिल्डर योगराज की शादी सुदा बेटी श्वेता, जिसका भाई रेखा वाले गांग रेप में शामिल था.., कामिनी की बेस्ट फ्रेंड है….

वो दोनो एक दिन माल में मुझसे टकरा गयी…श्वेता भी कामिनी की ही तरह मस्त भरे सुडौल बदन वाली औरत है…

वो दोनो इस समय जीन्स और टॉप में थी, दोनो के एकदम तने हुए कलमी आम, और मटकते हुए तरबूज जैसे कुल्हों को देखकर मेरा लंड अंगड़ाई ले उठा….!

मुझे देखते ही कामिनी चहकते हुए बोली…अरे ! देवेर जी आप और यहाँ..? व्हाट आ प्लेज़ेंट सर्प्राइज़…?

मेने अपने फेस पर स्माइल लाते हुए कहा – क्यों मे यहाँ नही हो सकता..?

वो – नही ऐसी बात नही है… मे तो बस आपको यहाँ आकस्मात देख कर बोल उठी…

फिर वो अपनी सहेली से बोली – श्वेता ही इस अंकुश शर्मा, मेरे देवर, यहीं पर लॉयर हैं.

और देवर जी ये मेरी बेस्ट फ्रेंड श्वेता, इसके हज़्बेंड बिज़्नेस मॅन हैं, इसके पापा के पार्ट्नर…

मे – इनके पापा मतलव…? मेने जानबूझ कर ये सवाल किया…

वो – बिल्डर हैं, उनका नाम योगराज है, शहर के जाने माने बिल्डर, बहुत बड़ा कारोबार है उनका…

मेने श्वेता से हाई बोला और अपना हाथ आगे कर दिया…

उसने भी हाई बोलकर मेरा हाथ अपने मुलायम रूई जैसे हाथ में ले लिया… और उसे देर तक पकड़े रही…
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06-02-2019, 01:21 PM,
RE: Bhabhi ki Chudai देवर भाभी का रोमांस
मेने उसकी आँखों में झाँक कर देखा, तो उनमें मेरे लिए एक प्रणय निमंत्रण दिखाई दिया…

मे समझ गया, कि ये भी कामिनी की तरह लंड की भूखी कुतिया ही है…

मेने उसकी तरफ अपनी एक आँख दबा कर बोला – नाइस टू मीट यू श्वेता जी…

वो सेक्सी स्माइले देते हुए बोली - ओह… सेम टू यू, और ये जी लगाने की ज़रूरत है क्या आपको…? मे भी लगभग आप ही की एज की होंगी… सो वी जस्ट फ्रेंड्स…

मे – ओह सॉरी ! श्वेता, ऑफ कोर्स नाउ वी मे फ्रेंड्स… क्यों भाभी ?

वो भी हँसते हुए बोली – इट्स युवर प्लेषर…, आइ हॅव नो इश्यू…

फिर उसने अपना सेल नंबर मुझे दिया, हम तीनों ने मिलकर एक रेस्तरा में बैठ कर कॉफी शेयर की, और कुच्छ देर बातें करके वो दोनो चली गयीं ……..........................!


अगले दिन भाभी के मायके में कोई फंक्षन था, तो वो दोनो बहनें भैया को साथ लेकर अपने मायके चली गयीं, दूसरे दिन लौटने का उनका प्रोग्राम था,

मुझे थोड़ा काम था, और वैसे भी घर पर भी कोई तो रहना चाहिए था, बाबूजी तो नौकरी के साथ-2 ज़िम्मेदारियों से भी रिटाइर हो गये थे…

घर के सारे-हिसाब किताब की मालकिन तो भाभी ही थी, तो वो ज़्यादातर खेतों पर ही रहते थे…, और आजकल अपनी सेट्टिंग मनझली चाची की सेवा से खुश थे.

मे आँगन में चारपाई डालकर बैठा, अपने ऑफीस की फाइल में लगा पड़ा था, अपने क्लाइंट गुप्ता जी के काम में,

लगभग 12:30 के समय छोटी चाची मेरे लिए खाना लेकर आई.. उन्होने किचेन से प्लेट लेकर मुझे खाना परोस कर दिया…

मेने पुछा की बाबूजी का खाना, तो उन्होने बताया कि उनके लिए तुम्हारे चाचा के हाथों भिजवा दिया है…

मे फाइल एक तरफ करके वहीं चारपाई पर बैठ कर ही खाना खाने लगा… दरअसल सर्दियों की धूप बड़ी अच्छी लगती है, तो वहाँ से मेरा उठने का मन ही नही हुआ…!

चाची वहीं मेरे बगल में बैठ गयी, और बातें करने लगी…

वो – लल्ला आजकल मुझे तो तुम भूल ही गये हो, कभी कभार घर की तरफ आजाया करो…, तुम्हारा बेटा बहुत याद करता रहता है,

मे – वो आपका बेटा है चाची…, घर के रिश्ते कभी बदल नही सकते…

वो – लेकिन सच्चाई तो यही है ना ! और फिर यहाँ हमारे अलावा और कॉन है…?

मे – दीवारों के भी कान होते हैं, ये कहावत तो सुनी होगी आपने…!

वो – मुझे पता है लल्ला… मे तो बस कह रही थी, कि कभी समय निकाल कर अपनी चाची का भी ख्याल कर लिया करो…

बातों – 2 में मेरा खाना हो गया… हाथ धोकर मेने पानी पिया, और बोला – असल में अब थोड़ी ज़िम्मेदारी बढ़ गयी हैं,

अब मेरी कोई नौकरी तो है नही कि काम करो या ना करो घर बैठे महीने के महीने पगार आजाए… मे तो जितना समय काम को दूँगा, उतना ही कमा पाउन्गा..

वो – मे जानती हूँ, इसलिए मेने पहले तुम्हें कभी कहा नही, आज अकेले देख कर बोल दिया आगे तुम्हारी इक्च्छा है, मेरा क्या है काट लूँगी किसी तरह दिन…

ये कहते हुए वो कुच्छ मायूस सी हो गयी… मेने हँसते हुए उन्हें अपनी ओर खीच लिया और उनके गाल को चूम कर बोला –

सच में चाची समय नही मिल पाता, वरना इतनी हॉट और सुंदर चाची को कैसे भुला सकता हूँ… एक काम करना आज रात को आ जाना…मज़े करेंगे..

वो – तुम्हारे चाचा तो घर ही होंगे, और फिर बिट्टू को अकेला छोड़ कर कैसे आ सकती हूँ...

मे समझ गया कि चाची का अभी का मन है चुदने का, सो लपक कर गया और मेन गेट की अंदर से कुण्डी लगा दी…

आकर मेने चाची को अपनी गोद में खींच लिया और उनके होठ चूसने लगा…
चाची शायद मुझे अकेला देखते ही मन बना चुकी थी, सो हाथ लगते ही गरम हो गयी…

मेने उनकी चुचियाँ मसलते हुए, चारपाई पर लिटा दिया, उन्होने नीचे हाथ डाल कर मेरा लंड पकड़ लिया…

मुट्ठी में आते ही वो फूलने लगा, चाची मस्ती में भरकर बोली – अह्ह्ह्ह…लल्ला क्या मस्त लंड है तुम्हारा… इसकी याद आते ही मेरी चूत पनियाने लगती है…

देखते – 2 हम दोनो ही नंगे हो गये, और समय बरवाद ना करते हुए मेने अपना लंड चाची की गरम चूत में पेल दिया…

वो सिसक पड़ी… और मज़े में उनकी कमर उपर उठ गयी… जिससे मेरा पूरा लंड उनकी रसीली चूत में समा गया….

सर्दियों की मखमली धूप में खुले आसमान के नीचे हम दोनो चुदाई का आनंद लेते रहे…

एक बार चुदाई के बाद मेने चाची को गान्ड मारने के लिए भी राज़ी कर लिया,

चाची की गान्ड मेरे लिए हमेशा ही फॅवुरेट रही थी, सो उनको वहीं चारपाई के नीचे खड़ी करके घोड़ी बना लिया…

चाची की मस्त चौड़ी चकली गान्ड के छोटे से सुराख पर थूक लगाया, और धीरे-2 करके पूरा लंड अंदर करके चोदने लगा…
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06-02-2019, 01:21 PM,
RE: Bhabhi ki Chudai देवर भाभी का रोमांस
चाची भी कुच्छ देर में ही गान्ड मारने का मज़ा लूटने लगी, और अपनी गान्ड को मेरे लंड पर मारने लगी…

दो घंटे के बाद वो पूरी तरह संतुष्ट होकर बर्तन उठाकर चली गयी और मे फिर से अपनी फाइल में खो गया…

शाम को खेतों की ओर निकल गया, बाबूजी के पास थोड़ी देर बैठा, अंधेरा होने पर वापस लौट लिया…

गाओं में घुसते ही रास्ते में वर्षा भौजी मिल गयी, वो अपने बेटे की उंगली पकड़े कहीं जा रही थी, मुझे देखते ही वो खड़ी गयी…

वो शिकायत करते हुए बोली – देवर जी आप तो अब दिखाई भी नही पड़ते.. कभी कभार कुच्छ नही तो अपने बेटे को ही देखने आ जाया करो..

मेने अपनी व्यस्तता का हवाला देकर समझाया…! लेकिन उसकी मायूस शक्ल देखकर मुझे उस पर तरस आगया….!

मेने उसे पुछा – तो बताइए कहाँ और कैसे मिल सकती हो, आज मेरे पास समय है थोड़ा बहुत तो कुच्छ कर सकते हैं…

मेरी बात सुनकर वो खुश हो गयी, और बोली – आप जहाँ कहोगे मे वहीं आ जाउन्गि…

तो फिर ठीक है, आज रात मेरे घर आ जाइए…,

ये सुनकर वो इतनी खुश हो गयी, की उसने बीच रास्ते पर ही मेरे होठों को चूम लिया, वो तो अच्छा हुआ, आस-पास कोई था नही…

और फिर रात 11 बजे आने का वादा करके खुशी में झूमती हुई, अपने बेटे को लेकर अपने घर की तरफ चली गयी…और मे अपने घर की तरफ.…!
शाम का खाना मे चाची के यहाँ खाने चला गया, कुच्छ देर बैठकर, मेने बाबूजी का खाना बैठक में लेगया, तो वहाँ पहले से ही वो खा रहे थे..

मनझली चाची नीचे बैठे, उन्हें प्यार से खाना खिला रही थी…उनके खाने को वापस ले जाकर मेने छोटी चाची को थमाया, फिर उन्हें थोड़ा सा खड़े खड़े ही उपर से प्यार करके अपने घर आ गया…

इसी में 9:30 हो गये, मेने थोड़ा बहुत अपने ऑफीस का काम निपटाया, और फिर टीवी देखने बैठ गया… वारसा रानी के इंतेज़ार में.

अभी 11 बजने में कुच्छ समय शेष ही था कि, दरवाजे पर हल्की सी दस्तक हुई, मेने उठकर गेट खोला, तो सामने कांपति हुई सी वर्षा भौजी खड़ी थी…

मेने पुछा – क्या हुआ भौजी, काँप क्यों रही हो इस तरह…

वो झट से अंदर आई और जल्दी से दरवाजे को बंद करते हुए अपने सीने पर हाथ रख कर बोली –

देवर जी ! आपके बाबूजी जाग रहे हैं, मे जैसे ही बैठक के बराबर से गुज़री, तो मुझे अंदर से कुच्छ आवाज़ें सुनाई दी…

मेने कहा – किस तरह की आवाज़ें थी,

वो बोली – मुझे लगा जैसे उनके पास कोई औरत हो, और वो दोनो हंस-हंस कर बातें कर रहे थे…

मे समझ गया, कि आज मनझली चाची की चूत शाम से ही खुजा रही थी, और वो अभी भी वहीं जमी हुई हैं…

फिर मेने प्रत्यक्ष मे कहा – औरत..? ये कैसे हो सकता है, ज़रूर आपको कोई वहम हुआ होगा… खैर छोड़ो ये सब, हम अपना काम करते हैं क्यों..? ये कहकर मेने उसकी कमर में हाथ डालकर अपने से चिपका लिया…

मेरे शरीर से चिपकते ही वो सब बातें भूल गयी, और मेरे शरीर से लिपट गयी..

उसकी गान्ड सहलाते हुए मे उसे अपने बेडरूम तक लाया, कमरे में आते ही वो किसी अमरबेल की तरह मुझसे लिपट गयी, और मेरे होठों को चूम लिया…!

मेने उसकी चुचियों को मसल्ते हुए पुचछा – और सूनाओ भौजी, रवि भैया, कभी-कभार मौज लेने आते हैं या नही…

उसने मेरे गले में अपनी मांसल गोरी-गोरी बाहों का हार डालते हुए अपनी चूत को मेरे शॉर्ट में उमड़-घूमड़ रहे लंड पर दबाते हुए कहा…

काहे की मौज, आकर मेरी प्यास और भड़का जाते हैं, पता नही इतनी उमर हो गयी, अभी तक उन्हें इतना भी नही आता कि एक औरत को कैसे खुश किया जाता है, बस अपना पानी निकालने से मतलब…

मेने उसकी उठी हुई गान्ड मसल्ते हुए कहा – तो तुम उसे सिख़ाओ ना…

वो मचलते हुए बोली – हाए देवर जी, मे इतनी बेशर्म नही हो सकती, अगर कुच्छ बताने बैठी, और उन्होने पुच्छ लिया कि ये सब कहाँ से सीखा तो…?

मेने खड़े-खड़े ही उसके कपड़े निकाल दिए, अब वो मात्र ब्रा और पेंटी में ही थी…

उसका शरीर, पहले से ज़्यादा भर गया था, जिसकी वजह से वो इस समय किसी सेक्स बॉम्ब जैसी लग रही थी,

मात्र दो छोटे-2 कपड़ों में उसकी उफनती जवानी देख कर मेरे लौडे का बुरा हाल हो रहा था…

मेने उसकी चुचियों को ज़ोर्से मसलकर कहा – कह देना जो भूत तुम्हारे उपर सवार हुआ था, उसी ने सिखाया है…,
मेरी बात सुनकर वो खिल-खिलाकर हंस पड़ी, और बोली – वैसे आइडिया बुरा नही है…फिर मेरे एकमात्र शॉर्ट को नीचे करके, लंड को मुट्ठी में कसते हुए बोली –

लेकिन ऐसा हथियार कहाँ से मिलेगा, वो तो उनके पास नही है…
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06-02-2019, 01:21 PM,
RE: Bhabhi ki Chudai देवर भाभी का रोमांस
मेने उसकी ब्रा के स्टेप्स खोल दिए, वो किसी स्प्रिंग की तरह छिटक कर नीचे टपक गयी, उसकी गोल-मटोल परफेक्ट 34 की गोलाइयों को सहलाने, चूसने लगा,

वो मेरे लंड को मुत्ठियाने लगी… फिर अपनी एकमात्र बची हुई पेंटी भी निकाल कर फेंक दी, और मेरे लंड को अपनी मुनिया के होठों के उपर रगड़ते हुए बोली….

आअहह….देवेर्जी, इसे अब डालो ना, सस्सिईइ….देखो तो बेचारी कैसी विरह में आँसू बहा रही है…

मेने खड़े-खड़े ही उसकी एक टाँग उठा ली, और दूसरी जाँघ को हाथ का सहारा देकर अपना लंड उसकी रसीली चूत में डालने लगा…

मेरे लंड की सरसराहट अपनी चूत की दीवारों पर फील करते ही उसने मेरे गले में बाहें डाल दी और मेरे होठों को चूमकर सिसकने लगी…

सस्स्सिईईई….आआहह….उूउउम्म्म्म….मज़ा आगेया….उउउइई…माआ….हाईए…थोड़ा धीरे सीए…रजाआ….आअहह…



लंड जड़ तक उसकी चूत में समा चुका था, वो उसे अपनी सुरंग के अंतिम छोर पर फील करके मस्ती में भर गयी, और अपने एक पैर के सहारे से अपनी कमर को चलाने लगी…

मज़े की पराकाष्ठा क्या होती है, वर्षा से कोई पूछे आज, वो दीवानावर अपनी कमर को चलते हुए मेरे लंड को पूरी लंबाई तक अपनी सुरंग में अंदर बाहर करने लगी…

लेकिन ये ज़्यादा देर नही चल पाया, और उसकी गति रुकने लगी, तो मेने पलंग पर ले जाकर उसकी टाँगों को अपने कंधे पर रखा और एक ही झटके में अपना मूसल फिर से उसकी ओखली में उतार दिया…

उसके मूह से आअहह…निकल गयी…और उसने अपना मूह मेरे कंधे में गढ़ा दिया…

20 मिनिट की दमदार चुदाई के बाद हम दोनो का ही ज्वार शांत हुआ, और एक दूसरे के बाजू में लेटकर अपनी साँसों को कंट्रोल करने लगे…

कुच्छ देर बाद ही हमारे हाथ फिरसे सरारत करने लगे, और एक दूसरे के अंगों को सहलाने लगे…

मेने अपनी एक उंगली वारसा की गान्ड के छोटे से छेद में डाली…

वो एकदम से उछल पड़ी, आआवउक्च्छ…. ये मत करो प्लीज़, कहकर उसने अपने हाथ से मेरी कलाई पकड़ कर उंगली बाहर निकल दी…

मे उसके कत्थयि रंग के छेद पर उंगली के पोर से सहलाते हुए बोला – कभी यहाँ ट्राइ किया है भौजी…?

वो ना में गर्दन हिलाकर बोली – भला ये भी कोई करने की जगह है..?

मेने उसकी चुचि को मसल्ते हुए कहा – अरे रानी, एक बार लेकर तो देखो, बार-बार लेने का मन ना करे तो कहना…!

वो मेरे लंड को सहलाते हुए बोली – क्या सच में वहाँ भी इतना ही मज़ा आता है, जितना आगे से आता है…

मेने अपनी उंगली उसकी चूत में डालकर गीली की, और फिर उसी को उसकी गान्ड में डालकर बोला – उससे भी ज़्यादा, एक बार ट्राइ तो करो…

ना जाने क्या सोचकर वो तैयार हो गयी, और बोली – ठीक है, पर एक बार और आगे से करना पड़ेगा..

बातों और हरकतों ने हम दोनो को एक बार फिरसे गरम कर दिया था, सो मेने उसे घोड़ी बनाकर पीछे से उसकी चूत में लंड डालकर अच्छे से उसको झडा दिया,

फिर एक वैसलीन की ट्यूब उसकी गान्ड के छेद में डालकर उसको चिकानाया, उसकी चुचियों को सहलाते हुए धीरे से अपना लंड उसकी गान्ड के छेद पर रख कर पुश किया…

कराह कर उसने अपनी गान्ड के छेद को सिकोड लिया, और मेरा अंदर गया हुआ सुपाडा भी बाहर को सरक लिया…

आअहह…देवर्जी, रहने दीजिए, नही जाएगा प्लीज़ मान जाइए, मेरी गान्ड फट जाएगी….

मेने उपस्की पीठ को सहलाते हुए चूम लिया, फिर उसकी चूत को सहला कर बोला – ओह्ह्ह भौजी, ऐसे तो दर्द होगा ही,

आप उसे अंदर जाने ही नही दे रही, थोड़ा ढीला तो छोड़िए अपनी गान्ड को तभी तो जाएगा…

बिना अंदर गये मज़ा कैसे आएगा, प्लीज़ इस बार थोड़ा ढीला रखना , ओके.

उसने हां में गर्दन हिला दी, मेने एक बार फिरसे अपना सुपाड़ा उसकी गान्ड के छेद पर रखा, और एक करारा सा धक्का मार दिया….

वो दर्द से बिल-बिला उठी, और अपनी गान्ड को इधेर-उधर करने लगी, लेकिन मेरा आधा खूँटा उसके छेद में फँस चुका था,

उपर से मेरे मजबूत हाथों का दबाब उसकी पीठ पर था, सो उसके हिलने के कोई चान्स नही थे…

कुच्छ देर उसकी चुचियों को सहला कर, उसकी चूत में उंगली डालकर उसके दर्द को मज़े में कॉनवर्ट किया, जब उसे थोड़ा राहत हुई,

तो मेने अपना पूरा लंड उसकी गान्ड के संकरे से छेद में पहुचकर रुक गया…

वो नीचे से गिगाड़ते हुए उसे निकालने की गुहार करती रही, लेकिन मेने उसकी एक नही सुनी, और धीरे-2 अपने मूसल को बाहर किया,

लंड को और थोड़ा चिकना किया, और फिर पेल दिया…

दो-तीन बार ऐसा करने से उसकी गान्ड का छेद खुल गया, और उसकी दीवारों के सेन्सेशन से उसकी चूत से काम रस टपकने लगा…

अब उसको भी मज़ा आने लगा था, सो मादक सिसकियाँ लेते हुए वो अपनी पहली गान्ड मराई का मज़ा लेने लगी…!

मेने उसका एक हाथ पकड़ कर पीछे को कर दिया, वो अपना सिर तकिये में गढ़ाए, मेरे धक्कों का मज़ा लूटने लगी…!



मेरे तबाद-तोड़ धक्कों ने उसकी रेल बनादी, लेकिन चोरी की चुदाई के लिए वो ये भी झेल गयी…

टाइट गान्ड के छेद की रगड़ से मेरा लंड और ज़्यादा फूल गया था, लेकिन ज्यदा घर्षण के कारण, 15 मिनिट में ही उसने हथियार डाल दिए,

और उसकी गान्ड के छेद में च्चिड़काव कर दिया…

गान्ड में गरम-गरम वीर्य की धार से उसकी चूत फिर से झड़ने लगी…

कुच्छ देर वो ऐसे ही औंधे मूह पड़ी रही, मेने उसकी गान्ड के उठान को पकड़ कर भींचते हुए कहा –

क्यों भौजी, गान्ड मारने में मज़ा आया की नही…तो वो मुस्करा उठी, फिर जैसे ही उसने सीधे होने की कोशिश की, उसके मूह से कराह निकल गयी…

वो मेरे होठों पर एक चुंबन लेकर बोली – मज़ा तो बहुत आया, पर दर्द भी है..

कुच्छ देर बाद वो कुच्छ संयत हुई, बाथरूम जाकर फ्रेश होकर अपने कपड़े पहनकर बोली…

अब बहुत रात हो गयी है देवर जी ! मुझे मेरे घर तक छोड़ दो, उसकी बात भी सही थी, इतनी रात को उसे अकेला नही जाने दे सकता था,

सो मेने भी कपड़े डाले, और उसे उसके घर के दरवाजे तक छोड़ कर वापस अपने घर आकर, तान चादर सो गया…

अभी रात के 9 ही बजे थे, सदर रोड पर लोगों की चहल पहल बढ़ती जा रही थी…

इतनी भीड़ भाड़ के बबजूद भी एक काले रंग की कार जिसके शीशे भी काले थे अंदर कॉन है, क्या कर रहा है बाहर से किसी को कुच्छ दिखाई नही दे रहा था…

काले रंग की कार निरंतर हॉर्न बजाती हुई लोगों को रास्ता देने पर मजबूर कर रही थी, जो हटने पर ज़रा ही हिचकिचाया या देर करता, वो उसकी चपेट मे आजाता…

उसके कोई 300 मीटर की दूरी पर एक पोलीस जीप उसके जस्ट पीछे स्प सिटी की गाड़ी, लगातार सायरन बजाती हुई चली आ रही थी….

देखने से ही पता चल रहा था कि पोलीस उस काली कार का पीछा कर रही है…
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06-02-2019, 01:22 PM,
RE: Bhabhi ki Chudai देवर भाभी का रोमांस
दोनो के बीच की दूरी निरंतर घटती ही जा रही थी, कारण था, काली कार को भीड़ का सामना ज़्यादा करना पड़ रहा था, वहीं पोलीस की गाड़ियों को भीड़ पहले से ही हटी हुई मिल रही थी…

एका-एक वो काली कार रोड के डिवाइडर के बीच में बने कट से उसी रफ़्तार में टर्न लेती है…

लेकिन स्पीड ज़्यादा होने की वजह से वो यू टर्न लेने के कारण सामने वाले फूटपाथ पर चढ़ गयी,

ना जाने कितने लोग उसकी चपेट में आए, चारों तरफ चीखो पुकार मच गयी..

फूटपाथ पर लोगों को रौन्दति हुई, वो काली कार जैसे ही फिर से रोड पर आई, कि पलट गयी… और कुच्छ दूर तक घिसती चली गयी…

कार के उपर वाले डोर से जैसे तैसे करके 3 लोग बाहर निकले…उनके हाथों में रेवोल्वेर लगे हुए थे..और मूह कपड़े से ढके थे…

जब तक पोलीस की गाड़ियाँ अगले चौराहे से टर्न लेकर उस कार तक पहुँचती, तब तक वो तीनों कार से निकल कर एक गली में घुस गये…

आनन फानन में पोलीस की गाड़ियाँ कार के पास आकर रुकी, और उनमें से पोलीस वाले निकल कर उस गली की तरफ भागे, जिधर वो तीन नकाब पॉश गये थे…

पोलीस ने हवाई फाइयर करके लोगों को एक तरफ हटने को कहा… जिससे वो उन लोगों पर निशाना साध सकें, जो लोगों की उपस्थिति के कारण संभव नही हो पा रहा था…

वो तीनों भीड़ का सहारा लिए भागे जा रहे थे, अभी वो अगले मोड़ से थोड़ा दूर ही थे कि पोलीस की तरफ से एक गोली आई और उनमें से सबसे पीछे वाले की पीठ में घुस गयी….

वो चीख मारते हुए कुच्छ देर तो उनके साथ-2 भागा… लेकिन कुच्छ दूर चल कर ही लहरा कर गिर पड़ा…
उन दोनो ने ठिठक कर अपने साथी को देखा, तब तक उनमें से एक ने दूसरे का बाजू पकड़कर उसे खीचते हुए भागने लगा…

जब तक पोलीस उन पर अगला निशाना लगाती, वो मोड़ मूड चुके थे…

ये बाज़ार के पीछे वाला रोड था, जहाँ लोगों की भीड़ भाड़ कम ही हुआ करती थी…

वो दोनो बेतहाशा भागे जा रहे थे, पोलीस शिकारी कुत्तों की तरह उनका पीछा कर रही थी…

जैसे ही पोलीस वाले उस मोड़ पर पहुँचे, उनके बीच की दूरी बढ़ गयी थी… लेकिन ऐसा भी नही था, की वो उनकी हद से बाहर निकल चुके थे…

अगर सामने से पोलीस दल आ धमका तो वो घिर सकते थे, लेकिन उन्होने भागते रहने में ही अपनी भलाई समझी…

पीच्चे से उनपर लगातार फाइयर भी किए जारहे थे…

आकस्मात दूसरी गली से कुच्छ पोलीस वाले निकल पड़े, तब तक वो उस गली को क्रॉस कर चुके थे, लेकिन अब वो दूसरी गली से आने वाले पोलीस वाले उनके बेहद करीब थे…

दूसरी गली से आने वाले पोलीस की टुकड़ी में से सबसे आगे वाले पोलीस वेल ने गोली चला दी, जो उनमें से एक नकाबपोश की पिंडली चीरती हुई निकल गयी…

अभी वो लड़खड़ा कर गिरने ही वाला था कि तभी चर्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्ररर….के साथ ब्रेक लगने की आवाज़ वातावरण में गूँज उठी…,

एक सिल्वर कलर की मारुति वॅन आकर रुकी, और रुकते ही उसका पिच्छला गेट बड़ी तेज़ी से खुला, एक हाथ बाहर निकला और उस घायल नकाब पोश को गाड़ी के अंदर खीच लिया,

इतने में वो दूसरा भी वापस मुड़ा और गाड़ी में समा गया…

देखते – 2 वो मारुति वॅन अपनी फुल स्पीड में वहाँ से भागी, और कुच्छ ही पलों में पोलीस की आँखों से ओझल हो गयी…

ये सब इतनी जल्दी में हुआ की पोलीस वाले सिवाय उस वॅन को जाते हुए ही देखते रह गये… एक दो फाइयर भी किए उसके टाइरन को निशाना बना कर….

लेकिन वॅन का ड्राइवर ये जनता था, इसलिए वो उसे लहराते हुए चला रहा था.
मज़े की बात ये थी, कि उस पर कोई नंबर प्लेट भी नही थी…

उधर एसपी कृष्ण कांत के साथ कुच्छ पोलीस वाले उस उल्टी पड़ी कार के पास ही थे, जिसमे दो इंसानी जिस्म अभी भी फँसे पड़े थे…

चूँकि कार ड्राइवर साइड को पलटी थी, सो ड्राइवर वहीं सीट और स्टेआरिंग के बीच ही फँसा पड़ा था, रोड से घिसतने के कारण उसका गेट उखाड़ चुका था…

वो दोनो बुरी तरह से घायल हो चुके थे… ड्राइवर को जैसे तैसे करके गाड़ी सीधी करके ही निकाला जा सका…

अभी वो इसी काम में जुटे थे, कि हताश टीम भी वापस आगयि…उनके साथ एक मृत नकाबपोश भी था…
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06-02-2019, 01:22 PM,
RE: Bhabhi ki Chudai देवर भाभी का रोमांस
आनन फानन में आंब्युलेन्स बुलाई गयी… ड्राइवर की हालत ज़्यादा गंभीर थी, सो उसने आंब्युलेन्स में चढ़ते ही दम तोड़ दिया…

दूसरे घायल को सिटी हॉस्पिटल ले जाया गया, जहाँ उसे एमर्जेन्सी ट्रीटमेंट देकर बचा लिया गया…

कार के बारे में पता किया गया, तो पता चला कि वो दूसरे पास के शहर के किसी बिज़्नेसमॅन की थी, जो दो दिन पहले चोरी हो गयी थी, और उसकी संबंधित थाने में रिपोर्ट भी लिखाई जा चुकी थी…

ड्राइवर और दूसरे मरे हुए नकाबपोश की बॉडी क्लेम करने कोई नही आया था, घायल को होश में आने का इंतेज़ार के अलावा अब पोलीस के पास और कोई चारा नही था…

काली कार से भारी मात्रा में ड्रग्स बरामद हुए थे…जाहिर था, पोलीस को ये खबर मिली थी कि फलाँ रंग की कार से शहर के अंदर ड्रग डीलिंग होने जा रही है…

और खबर मिलते ही पोलीस उनके पीछे लग गयी, उन्हें कुच्छ हद तक इसमें सफलता भी मिली…

लेकिन कोई ऐसा सबूत अभी तक हाथ नही लग सका था, जिससे उस माफ़िया तक पहुँचा जा सकता हो, जो इस सबके पीछे था…

उधर आँधी तूफान की तरह सड़क का सीना चीरती हुई वो सिल्वर कलर की वॅन शहर छोड़ चुकी थी, और घने जंगलों की तरफ दौड़ रही थी…

शहर से कोई 15 किमी दूर जाकर वो सड़क को छोड़कर जंगलों में घुस गयी, कुच्छ अंदर जाते ही वो एक खंडहर हो चुके चरागाह के सामने जाकर खड़ी हो गयी…

वॅन के अंदर की लाइट ऑन की गयी तब पता चला कि अंदर कॉन-कॉन थे…

उन नकाबपोश को बचाने वाले ड्राइवर के अलावा, एक गोरा चिटा 6’ 2” लंबा, हॅटा कट्टा एक 25-26 वर्षीया नौजवान था, जिसकी हल्की सी फ्रेंच कट दाढ़ी थी,

नीली आँखों वाला ये हॅंडसम नौजवान किसी भी एंगल से किसी ग़लत काम करने वाले गिरोह या संघटन से जुदा नही लग रहा था…

वो तो किसी फिल्मी हीरो जैसा, जिसे देखते ही कोई भी लड़की या औरत अपनी चूत खोलकर चुदने के लिए बेकरार हो उठे…

अरे ये क्या…? ड्राइवर की जगह कोई पेशेवर ड्राइवर नही ये तो कोई बेहद हसीन कमसिन सी लड़की थी, जो शायद 18-19 साल की ही होगी…

लेकिन जिस तरह से वो गाड़ी ड्राइव करके लाई थी, लगता ही नही था, कि उसे कोई लड़की चला रही है…

किसी तरह मोबाइल की टॉर्च की रोशनी की मदद से उन्होने आग का इंतेज़ाम किया, और एक चाकू की मदद से उस नकाब पॉश की गोली निकालने में सफलता हासिल की…

अब समस्या थी कि उसके घाव का खून कैसे बंद हो… तो वो नौजवान बोला – रूबी डार्लिंग, ज़रा अपना थोबड़ा दूसरी तरफ रखना…

और फिर उसने वो किया जिसकी किसी ने कल्पना भी नही की थी….

नौजवान ने अपने पॅंट की जिप खोली और लंड बाहर निकल कर पेशाब की मोटी सी धार उसके घाव पर मारने लगा…

वो दोनो उसको देख कर भोंचक्के रह गये… जब पेशाब उसके घाव पर पड़ा, तो उसे बेहद जलन सी हुई,

लेकिन चमत्कारिक रूप से इससे पहले कि उसका पेशाब करना बंद होता, उससे पहले ही घाव से खून निकलना ऐसे बंद हो गया जैसे कि वो किसी गोली का घाव ना होकर, मामूली सी खरोंच हो…

उसके बाद मोबाइल की टॉर्च से वो ज़मीन पर कुच्छ ढूढ़ने लगा, और एक छोटे-2 फूलों वाली घास तोड़ कर उसे अपने हाथों से उसका रस निचोड़ कर उसके घाव पर टपकाया…

उसके घाव में उसे तीव्र जलन का एहसास हुआ, और उसकी चीख निकल गयी..

हौसला रखो दोस्त, ये तुम्हारे घाव को एकदम सही कर देगी, ये कहकर उसने अपनी हथेलियों से ही उस घास की चटनी जैसी बनाकर उसके घाव पर रख दी, और एक रुमाल उसके घाव पर बाँध दिया…

इतना सब करने के बाद जब वो फारिग हुआ, और अपने दोनो हाथों को आपस में रगड़ कर सॉफ कर रहा था तब उस घायल के साथी ने अपना मूह खोला और उस नौजवान से बोला…

थॅंक यू दोस्त ! हम लोगों को तुमने बचा कर बहुत बड़ा एहसान किया है… वैसे अपना परिचय नही दोगे…?

वो बोला – मेरा नाम जोसेफ है, और ये मेरी दोस्त रूबी… हम दोनो कल ही इस शहर में आए हैं, आज इधर घूमने चले आए थे…

समय पास करने के लिए वहीं पास वाली पुलिया पर बैठे बातें कर रहे थे कि तुम लोगों को भागते देखा, और उसके बाद तुम्हारे पीछे पोलीस को…

अब पोलीस से तो हमारा पहले से ही 36 का आँकड़ा रहा है, हमने सोचा कि ये तो कोई हमारी लाइन के लोग लगते हैं, और मुशिबत में हैं…

सो पास ही खड़ी ये वॅन हमें दिखी, इसका ड्राइवर वहीं पास में खड़े होकर मूत रहा था… लक अच्छा था तुम लोगों का कि चाबी गाड़ी में ही लगी थी…

बस फिर क्या था, दौड़ा दी… और देखो हमारे इस प्रयास से तुम जिंदा हमारे सामने हो वरना अब तक तो गॉड को प्यारे हो चुके होते दोस्त !

उस बंदे ने जो कोई और नही उस्मान का बेटा असलम था, उसका दूसरा साथी, जो घायल था, वो उसका दोस्त था…बोला.

सच कहा दोस्त तुमने, आज अगर तुम लोग समय पर हमें नही बचाते तो हम दोनो ही अल्लाह मियाँ को प्यारे हो गये होते…वैसे तुम लोग करते क्या हो…?

वो – अभिषेख बच्चन और रानी मुखर्जी की बंटी और बबली फिल्म देखी है… हम वही हैं…
असलम – क्या मतलव…?

वो – बस इधर का माल उधर करके जिंदगी के मज़े ले रहे हैं…

कभी ये शहर तो कभी वो शहर…अब तो हमें याद भी नही कि असल में हम पैदा कहाँ हुए थे…

किसी दिन पोलीस के हत्थे चढ़ गये… तो खुदा जाने क्या होगा… तब तक जी लेते हैं जैसे जीना चाहते हैं अपनी जिंदगी…

असलम ने अपना हाथ आगे करते हुए कहा – तो मिलाओ हाथ… लगता है, अल्लाह की कोई नेमत होगी.. जो तुम लोग हमें मिल गये…

फिर उसने अपने बारे में सब कुच्छ बताया…उसके बाद उसने अपने बाप को फोन किया, और सारी बातें डीटेल में बताई…

उस्मान – तुम लोग वहीं रहो, अब उस वॅन से शहर की तरफ मत आना, मे दूसरी गाड़ी भेजता हूँ…
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