Bhabhi ki Chudai देवर भाभी का रोमांस
06-02-2019, 12:42 PM,
RE: Bhabhi ki Chudai देवर भाभी का रोमांस
मेने अब उसे और ज़्यादा तड़पाना उचित नही समझा… और अपना फ्रेंची उतार कर एक ओर उछाल दिया…

मेरा 8 इंची बब्बर शेर, पूरी तरह अपने शिकार को दबोचने के लिए तैयार था…

मेने अपने लॉड को थोड़ा मुट्ठी में लेकर मसला और उस पर थूक लगा कर

निशा की मुनिया के होंठों के ऊपर रख कर दो-तीन बार ऊपर नीचे फिराया … ताकि वो एक दूसरे को अच्छे से पहचान सकें…

उसके काम रस से मेरा मूसल भी चिकना हो गया…

फिर मेने अपने हाथों के अंगूठों की मदद से उसनकी मुनिया के बंद होंठों को खोला, उसका गुलाबी छेद बहुत ही छोटा सा था…शायद अभी तक उंगली भी नही गयी होगी उसमें…

ब-मुश्किल थोड़ी सी जगह बना कर मेने अपने लंड के मोटे से सुपाडे को उसके द्वार पर टीकाया….

उसके अहसास से ही निशा की साँसें तेज होने लगी,… और वो मुट्ठी भींचे आँख बंद कर के आने वाले तूफान के इंतेज़ार में लंबी-लंबी साँसें भरने लगी…

मेने अपने लंड को थोड़ा सा पुश किया जिससे उसका सुपाडा अच्छे से उसकी मुनिया के होंठों के बीच सेट हो गया…

मेरे सुपाडे के दबाब को अपनी मुनिया के ऊपर महसूस कर के वो सिहर गयी…उसके शरीर के सारे रोंगटे खड़े हो गये….

मेने झुक कर पहले उसके होंठों को चूमा और फिर उसकी चुचियों को प्यार से सहलाकर कहा – जान ! थोड़ा मॅनेज करना पड़ेगा…

वो बस हूंम्म्म… कर के अपनी सहमति दे पाई…

उसके बाजुओं पर हाथों का दबाब रखते हुए मेने एक धक्का अपनी कमर को दिया… , मेरा सुपाडा… उसकी मुनिया की पतली-पतली गुलाबी पंखुड़ियों को फैलाता हुआ… लगभग फिट गया…

वो केरेन लगी…, उसने अपने होंठों को कसकर, चीख को अपने मुँह में जप्त कर लिया…, लेकिन दर्द की रेखायें उसके चेहरे पर नज़र आने लगी…

उसके होंठों को चूमकर मेने उसके गालों को सहलाया और एक तगड़ा सा धक्का अपनी कमर में लगा दिया…
निशा की कोरी करारी मुनिया, किसी ककड़ी की तरह चीरती चली गयी….

लाख कोशिश के बाद भी उसके मुँह से एक मरमान्तडक चीख उबल पड़ी…

माआआआआआआआ…………..मररर्र्र्र्र्र्ररर……….गाइिईईईईईईईईईईई…..रीईईईईईईईई….

मे वहीं ठहर गया, और उसके बालों को सहलाते हुए उसे पुच्कार्ते हुए बोला –

बस मेरी जान… तकलीफ़ की दीवार टूट चुकी है… बस थोड़ा सा और सहन करना होगा…

मेरा लंड उसकी झिल्ली तो तोड़ चुका था…वो आधे से अधिक उसकी सन्करि प्रेम गली में प्रवेश कर चुका था…

निशा से दर्द सहन नही हुआ, वो मिन्नतें करते हुए मुझे एक बार अपना लंड बाहर निकालने के लिए बोली….

मेने भी थोड़ा रुकना बेहतर समझा और धीरे से एक बार अपना मूसल बाहर निकाल लिया…, लंड बाहर आते ही निशा ने राहत की साँस ली…

जब मेरी नज़र उसपर गयी, तो सुपाडा खून से लाल हो चुका था…

खून की एक लकीर उसकी मुनिया से भी निकल रही थी…
मेने निशा को इस बारे में बताना सही नही समझा, और फिर से उसके होंठों को चूस्ते हुए, उसकी चुचियों को सहलाने लगा…

जब उसका कराहना थोड़ा कम हुआ तो मेने पूछा – मेरी जान ! अब आगे बढ़ें…

उसने हूंम्म…कर के पर्मिशन ग्रांट कर दी.. और मेने अपने शेर को फिरसे उसकी चिकनी चमेली के मुँह पर रख कर धक्का दे दिया…

मेरा 2.5” परिधि का सोट जैसा लंड अपनी पहली वाली मंज़िल को पीछे छोड़ते हुए कुछ और आगे तक अंदर चला गया… जो अब बस मंज़िल से थोड़ा ही दूर था…

निशा एक बार फिर तडपी…और अपने सर को इधर से उधर पटकने लगी…, उसकी आँखों की कोरों में आँसू की बूँदें झलकने लगी…

मेने उसके गाल सहलाते हुए पूछा – क्या हुआ जान ! सहन नही हो रहा…?

वो कराहते हुए बोली – हूंम्म….ये बहुत ज़्यादा मोटा है….आअहह… मेरी जान निकली जा रही है…आअहह….थोड़ा रूको…प्लेअसस्ससी…

मेने रुक कर उसे फिरसे चूमना शुरू कर दिया और उसके कड़क हो रहे निप्प्लो से खेलने लगा…साथ साथ में हल्के-हल्के अपने लंड को मूवमेंट भी देता रहा…

मेरे कुछ देर के प्रयास के बाद उसका दर्द कम हुआ… अब वो अपने मज़े की तरफ ध्यान देने लगी थी…

जिससे उसके रस गागर से थोड़ा – 2 रस रिसने लगा… और मेरे शेर को अंदर बाहर होने में आसानी होने लगी..

मेरा लंड अभी भी 2” दूर था अपनी मंज़िल से, जो उसके आने वेल सेन्सेशन के कारण आसानी से पा गया.. और वो अब पूरी तरह से अंदर फिट हो चुका था…

हल्की सी कराह के साथ निशा उसे अपनी अंतिम गहराई तक फील करने में कामयाब रही.., अब उसकी रसीली मुनिया और ज़्यादा रस बहाने लगी थी…,

क्योंकि मेरे शेर ने उसके रस के खजाने का मुँह पूरी तरह खोल दिया था…

मेने उसको चूमते हुए अपने धक्कों को गति प्रदान की और आधी लंबाई के शॉट लगाने शुरू कर दिए….

उतने से ही कुछ देर बाद ही उसका बदन एक बार ज़ोर से आकड़ा और उसने जिंदगी का पहला स्खलन लंड के ज़रिए प्राप्त कर लिया…

वो बुरी तरह से मेरे सीने से चिपक कर हाँफने लगी…

उसे सीने से चिपकाए मे थोड़ा ठहर गया…, कुछ देर बाद उसके बदन को सहलाते हुए.. मेने उसे फिर से धीरे-धीरे चोदना शुरू कर दिया….

कुछ मिनटों में ही वो एक बार फिरसे उत्तेजना के भंवर में फँस गयी, और अब उसने भी मेरा साथ देना शुरू कर दिया…

अब मेने पूरी लंबाई के शॉट लगाने शुरू कर दिए…, रास्ता खुल चुका था, सो गीली चूत में लंड को सुपाडे तक बाहर लाता… और फिर एक साथ पूरा डाल देता… !

मे अपने घुटनों पर हो गया, और निशा के कुल्हों को अपनी जांघों पर रखा, और अपने धक्कों में तेज़ी लाना शुरू कर दिया…
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06-02-2019, 12:42 PM,
RE: Bhabhi ki Chudai देवर भाभी का रोमांस
निशा…सिसकारी भरती…हुई……अपनी कमर उचका देती…..इतना मज़ा मुझे आ रहा था…. जिनका शब्दों में बयान करना नामुमकिन है….

सच में इतना आनंद मेने पहले कभी नही पाया था….,

धक्कों के कारण उसकी काँच की चूड़ियों और पैरों की पायल का मिला जुला मधुर संगीत कानों में रस घोल रहा था…

हम दोनो ही अपने अपने प्रयास में जुटे हुए थे, एक दूसरे को ज़्यादा से ज़्यादा आनंद देने की कोशिश में.

इसी प्रयास में दोनो के बदन पसीने से नहा चुके थे….

अंत में वो समय भी आ ही गया जब हम दोनो एक साथ अपने-अपने मुकाम को पा गये और लंबी-लंबी साँसें लेते हुए एक दूसरे में समा गये….

कितनी ही देर यूँ ही एकदुसरे से चिपके हम पड़े रहे…वो मेरे नीचे दबी पड़ी थी, फिर भी ना कोई शिकायत, ना शिकवा…

मुझे जब होश आया तो मे उसके ऊपर से हटा… लंड को उसकी नयी चूड़ी मुनिया सॉरी ! अब चूत कह सकता हूँ से बाहर निकाला…

जिसके साथ-साथ हम दोनो का वीर्य, खून मिश्रित बाहर आने लगा…और बेड शीट पर हमारी सुहाग रात के सबूत छोड़ता रहा…..

कुछ देर बाद मेने निशा को गोद में उठाया और बात रूम की तरफ चल दिया… उसने कहा भी की मे चली जाउन्गि…

मेने उसका प्रस्ताव ठुकरा दिया.. और उसके फूल जैसे नाज़ुक शरीर को बाथ रूम में ले जाकर उसे खड़ा किया…

हम दोनो ने एकदुसरे के बदन साफ किए,

पहली बार निशा की नज़र मेरे लंड पर पड़ी,

वो अपने मुँह पर हाथ रख कर उसे बड़े ताज्जुब से अपनी आँखें चौड़ी कर के देख रही थी, जो उसका हाथ लगते ही, फिरसे फुल फॉर्म में आ चुका था…

मेने मुस्कुरा कर पूछा – ऐसे क्या देख रही हो जानेमन… ये अब तुम्हारी सेवा के लिए ही है…

वो अपने मुँह पर हाथ रखकर बोली – हाईए… राम… इतना बड़ा..? ये कैसे मेरे अंदर गया होगा…? तभी मेरी जान निकली जा रही थी…

मेने उसकी गोलाईयों को सहलाते हुए कहा – तो इसका मतलब ये तुम्हें पसंद नही आया…!

वो झेन्प्ते हुए बोली – ऐसी बात नही है जानू ! बाद में मज़ा भी बहुत दिया इसने… नाउ आइ लाइक इट, और ये कहकर उसने उसे चूम लिया…!

मेने मेरे मूसल की मार झेल चुकी उसकी घायल मुनिया को साफ कर के चूम लिया, उसके बाद फिर उसे गोद में उठाकर बेड पर लाकर लिटा दिया…

अलमारी से एक गिफ्ट पॅकेट निकाला और उसे निशा को देते हुए मेने कहा – लो जान ! ये तुम्हारी आज की खरी कमाई…

वो – ये क्या है जानू ..?

मे – खोल कर देख लो…..

जब उसने वो खोला… तो एक स्मार्ट फोन देख कर वो मेरे गले से लग गयी..
मेने कहा – पसंद आया…?

वो – बहुत ! लेकिन इसकी क्या ज़रूरत थी…!

मेने कहा – ज़रूरत थी…! अब इसके ज़रिए… हम दूर रह कर भी हर समय पास रह सकते हैं.. एक दूसरे से वीडियो कॉल कर के बात कर सकते हैं…

निशा मेरा तोहफा पाकर बहुत खुश हुई… फिर मे उसे उसके फंक्षन वग़ैरह समझाने लगा….

कुछ देर बाद उसने टेबल से उठा कर एक ग्लास दूध का मुझे पकड़ा दिया.. जिसमें भाभी का लाड शामिल था…

हम दोनो ने मिलकर वो दूध ख़तम किया… और फिर से एक दूसरे से लिपट गये…

थोड़ी सी आपस की छेड़-छाड़ और प्रयासों से एक बार फिरसे हम उसी तूफान के भंवर में जा फँसे, जिसमें से बाहर निकलने का शायद ही किसी का मन करता होगा…

और जब बाहर निकले तो एक नये शुकून, एक नये मुकाम के साथ एक दूसरे के करीब और करीब होते हुए…

सारी रात हम दोनो एक दूसरे के प्यार में डूबे रहे, और अपनी पहली रात के सफ़र में आगे बढ़ते रहे..

फिर एक नयी सुबह की आगाज़ के साथ, एक दूसरे की बाहों में लिपटे ना जाने कब नींद ने हमें अपने आगोस में ले लिया……!

दूसरे दिन मेरी नींद बहुत देर से खुली… किसी ने मुझे जगाया भी नही… लेकिन जब नाश्ते का समय हो गया.. तब भाभी ने आकर मुझे जगाया…

मेने सीधे उठ कर पहले भाभी के पैर छुये, फिर उनके गाल पर किस किया, उन्हें निशा और मुझे मिलाने के लिए थॅंक यू कहा.. और फ्रेश होने चला गया…

भाभी अपने गाल को प्यार से सहला कर मुस्कुराती हुई मुझे बाथरूम की तरफ जाते हुए देखती रही…

आधे घंटे में ही में रेडी होकर किचिन में पहुँचा ,… वहाँ निशा स्लॅब के साथ खड़ी नाश्ता तैयार कर रही थी…

मेने उसे पीछे से जाकर अपनी बाहों में भर लिया… वो इस समय एक हल्की सी साड़ी में थी, रात की खुमारी की वजह से उसकी पलकें अभी भी भारी हो रही थीं..

मेने पीछे से उसे बाहों में लेकर उसकी गर्दन पर किस करते हुए मॉर्निंग विश किया…

मेरे किस करते ही, पहले तो वो सिहर उठी, और फिर हँसते हुए वेरी गुड मॉरिंग जानू कहा और कसमसा कर मुझे छोड़ने के लिए रिक्वेस्ट करने लगी…

छोड़िए ना जानू ! कोई आ जाएगा… वो बोली

मेने अपनी कमर को उसकी गोल-गोल थोड़ी सी पीछे को उठी हुई गान्ड पर दबाते हुए कहा – आने दो.. !

कोई चोरी थोड़ी ना कर रहे हैं हम…! अपनी जान को प्यार ही तो कर रहा हूँ.., अब इसमें भला किसी को क्या आपत्ति हो सकती है…

निशा मेरे लंड का अहसास अपनी गान्ड की दरार के ठीक ऊपर महसूस कर के गन्गना उठी और सिसकते हुए बोली – आअहह….फिर भी अच्छा नही लगता..

प्लीज़ जानू छोड़ो ना, कोई देखेगा तो क्या कहेगा.. की देखो कैसे बेशर्म हैं ये दोनो, कल ही शादी हुई है.. और आज ही कैसे एक दूसरे से चिपके हुए है…

हम अभी ये बातें कर ही रहे थे कि, बड़े भैया पीछे से आ गये…

हमें इस तरह खड़े देख कर वो उल्टे पाँव लौट गये… निशा को कुछ आभास हुआ तो उसने कहा…

सीईईई….जानू अभी कोई था गेट पर… प्लीज़ छोड़ो ना… !

मेने उसे छोड़ दिया और उसके गाल और होंठों पर किस किया..…, मेरे ट्राउज़र में आगे तंबू बन गया था, जिसे अड्जस्ट करते हुए बाहर की ओर निकल गया….

आँगन में भैया भाभी से कुछ बात कर रहे थे… जब उनकी बातें मेरे कानो में पड़ी तो पता लगा कि वो हमारे बारे में ही बोल रहे थे..

भैया – मोहिनी ये छोटू कितना बेशर्म हो गया है… वहाँ किचन में ही वो निशा को पकड़ कर प्यार करने लगा… कुछ तो लिहाज करना चाहिए इसे…

भाभी – तो इसमें किसी को क्यों एतराज होना चाहिए… पति-पत्नी हैं वो दोनो.., नयी-नयी शादी हुई है…, प्यार ही तो कर रहे हैं… कोई झगड़ा तो नही कर रहे…

भैया – फिर भी कुछ तो मर्यादा होनी चाहिए…

भाभी – आप भी क्या सुबह-सुबह मर्यादा का पाठ लेकर बैठ गये… अब सब आपके जैसे तो नही हो सकते ना…!

मुझसे रहा नही गया और उनके पास जाकर बीच में बोल पड़ा – भैया..!

कभी – 2 ज़रूरत से ज़्यादा मर्यादायों में जकड कर आदमी अपने जीवन साथी की अपेक्षाओं की भी उपेक्षा करने लगता है…

भूल जाता है कि उसकी मर्यादाओं की उसके साथी को क्या कीमत चुकानी पड़ेगी..

मेरी बात सुन कर भैया, एकदम चुप पड़ गये… शायद अपने अंतर्मन में बीते हुए दिनो का मंथन कर रहे होंगे…

मेने आगे बढ़कर दोनो के पैर छुये और उनका आशीर्वाद लिया…

आशीर्वाद देने के बाद भैया बोले – शायद तू ठीक कह रहा था भाई… ज़रूरत से ज़्यादा मर्यादाओं का पालन, आदमी को बंधनों में जकड लेता है…

जो कभी-कभी शायद उसके आस-पास के लोगों के लिए हितकर नही होता… फिर वो भाभी को संबोधित कर के बोले – मेरा भाई काफ़ी समझदार हो गया है, क्यों मोहिनी..!

भाभी ने हूंम्म… कर के जबाब दिया और आगे बढ़ कर मेरा माथा चूम लिया..

फिर हम सबने मिलकर नाश्ता किया… भैया अपने कॉलेज चले गये और मे बाबूजी का नाश्ता लेकर खेतों की ओर चला गया, उनका भी आशीर्वाद लेने…

घर लौट कर मेने निशा को पकड़ा, और शाम तक, फिर देर रात तक हम दोनो एक दूसरे के प्यार में डूबे रहे…!

निशा की सारी झिझक, शर्म जो उसके नेचर में भरी हुई थी, कुछ घंटों में ही हवा हो चुकी थी, सेक्स को एंजाय करने में वो कोई मौका हाथ से नही जाने दे रही थी…!

दूसरे दिन सुबह का नाश्ता कर के मे भी भैया के जाने के बाद ही घर से निकल लिया, और सीधा शहर जा पहुँचा….

मेने अपनी बुलेट सीधे सहयोग हॉस्पिटल की पार्किंग में ही जाकर रोकी… बाइक स्टॅंड कर के सीधा डॉक्टर. वीना के कॅबिन की तरफ बढ़ गया…

वो अभी – 2 सुबह के राउंड में मरीज़ों को चेक कर के ही आई थी..और कुछ रिपोर्ट को सीरियस्ली रिव्यू करने में व्यस्त थी…

मे आइ कम इन डॉक्टर…मेने गेट पर खड़े होकर अंदर आने के लिए पूछा…

उसका ध्यान रिपोर्ट से हटकर आवाज़ की दिशा में गया…, मुझे देखते ही फ़ौरन उसके चेहरे के एक्सप्रेशन चेंज हो गये…

जो एक पल पहले तक सीरियस्ली किसी केस की स्टडी में लगी थी, अब वो एकदम से चहक उठी… और बोली ….

आओ-आओ..अंकुश ..! अरे भाई आप तो एकदम से गायब ही हो गये,… ना कोई फोन कॉल, ना और कोई खैर खबर…

मे उसके सामने जाकर बैठ गया.. और बोला –

सॉरी डॉक्टर ! मे थोड़ा ज़्यादा ही बिज़ी हो गया था अपने कामों में…. आज ही फ़ुर्सत हुआ हूँ,.. और देखिए आपके सामने हाज़िर हो गया…

वो – एनीवेस ! कहिए.. क्या सेवा की जाए तुम्हारी..? आइ मीन क्या लोगे.. ठंडा… , गरम… या और कुछ.. ये कहकर उसने अपनी एक आँख दबाई…

मे मुस्करा कर बोला – ये बंदा तो आपके हुक्म का गुलाम है.. आप जो देना चाहेंगी.. ले लूँगा…!

वो – अभी तो चाय-कॉफी से ही काम चलाना पड़ेगा.. वाकी के लिए समय नही है.. तो बोलो क्या लोगे.. चाय या कॉफी…

मे – जो आप लेना चाहें…वही मे भी ले लूँगा…

उसने बेल बजाकर ऑफीस बॉय को अंदर बुलाया और उसको दो कॉफी लाने को कहा…फिर मेरी ओर मुखातिब होकर बोली …

और कोई सेवा हो तो बताओ… अरे हां उसका क्या हुआ जो तुमने रिपोर्ट ली थी.. वो तो अभी भी यहीं बहाने बनाए पड़ा हुआ है…!

मे – दर्सल मे उसी सिलसिले में आपसे बात करने आया था..

वो – हां बोलो… मे और क्या कर सकती हूँ तुम्हारे लिए..?

मे – असल में घी सीधी उंगली से नही निकल रहा.. तो उंगली अब टेडी करनी ही पड़ेगी.. और उसमें मुझे आपकी थोड़ी मदद चाहिए..

वो – हुक्म करो मेरे आका ! कह कर वो खिल-खिला पड़ी..!

मे – आप उसे डिसचार्ज क्यों नही कर देते…, वो ज़बरदस्ती तो कर नही सकता यहाँ रहने के लिए…

वीना – नही कर सकते ना, हॉस्पिटल के ही एक बड़े ट्रस्टी का सिफारिश है, उसे यहाँ रखने का, जब तक वो चाहे…

मे – तो फिर अब एक ही रास्ता है,… अब उसे यहाँ से ज़बरदस्ती उठाना पड़ेगा.. और उसके लिए आपको उसे कोई ऐसा ड्रग देना पड़ेगा.. जिससे वो शारीरिक तौर पर तो काम करे लेकिन मानसिक तौर पर अचेत रहे…

वो कुछ देर सोच में पड़ गयी… मेने कहा - अगर आपके लिए कोई मुश्किल हो तो रहने दीजिए.. मे कोई और रास्ता निकाल लूँगा…

वो – नही ऐसी बात नही है.. ऐसा ड्रग तो है मेरे पास पर…, लेकिन कोई रिस्क ना हो.

मे – उसकी आप चिंता मत करो, वापस आपके पास ऐसी कोई कंप्लेंट नही आएगी इसके लिए…

फिर वो मेरी हेल्प करने को तैयार हो गयी…, तब तक कॉफी भी आ गयी..हम दोनो ने कॉफी पी, फिर मेने उसको अपना नंबर शेयर किया..

जब भी वो फ्री हो मुझे कॉल कर्दे.. मे हाज़िर हो जाउन्गा उसकी सेवा में..

डॉक्टर वीना उसके बाद भानु के रूम में गयी, जो एक स्पेशल रूम लेकर मौज ले रहा था.. और उसको चेक-अप के बहाने एक इंजेक्षन दे दिया…

इस समय वो अकेला ही था… मालती अपने फ्लॅट पर थी… कुछ देर बाद उसे इंजेक्षन का असर होने लगा…
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06-02-2019, 12:42 PM,
RE: Bhabhi ki Chudai देवर भाभी का रोमांस
डॉक्टर वीना ने इशारा किया कि अब वो उस ड्रग के असर में आ चुका है.. और दो-ढाई घंटे से पहले नॉर्मल नही होगा…

इशारा पाते ही मे उसे एक वॉर्डबॉय की मदद से अपनी बाइक तक लाया, उसे पीछे बिठाया और ले उड़ा उसे हॉस्पिटल से कहीं दूर एकांत में,

जहाँ अकेले में उससे सारे राज उगलवाए जा सकें, जो उसने अपने जेहन में छिपा रखे थे अब तक..….!

मे भानु को लेकर जंगल की ओर निकल गया… जहाँ मेने एक बार दूसरे शहर से आते वक़्त जंगल के बीचो बीच एक खंडहर को देखा था…!

वैसे तो खंडहर बिल्कुल टूटा-फूटा पड़ा था, ये शायद किसी जमाने में किसी का चरागाह रहा होगा… ज़यादा बड़ा भी नही था…

इसमें एक कमरा कुछ ठीक-ठाक हालत में था, मेने भानु को उसी कमरे में लाकर बिठा दिया… उसका शरीर तो काम कर रहा था… लेकिन दिमाग़ जैसे सोया पड़ा था…

वहाँ बिठाते ही वो वहीं ज़मीन पर पसर गया… और कुछ देर में ही नींद में चला गया…

मे उस कमरे के टूटे फूटे गेट को बाहर से बंद कर के जंगल में ऐसे ही समय पास करने घूमने निकल गया… कुछ दूरी पर एक छोटी सी नदी बह रही थी…

उसी के किनारे पेड़ों की छाया में आके मे बैठ गया.. और नदी के बहते पानी में छोटे- 2 पत्थर फेंकने लगा…

बैठे – 2 मे अपने पुराने दिनो की याद में खो गया… स्कूल और फिर कॉलेज के दिनो की घटनायें, फिर ग्रॅजुयेशन के बाद घरवालों का प्रेशर डाल कर मुझे लॉ कॉलेज भेजना…

मेरा सपना था… साइन्स में कुछ रिसर्च फील्ड में आगे बढ़ने का.. लेकिन बाबूजी के सुझाव पर सबने मिलकर मुझे लॉ करने के लिए प्रेशर डाला…

और देल्ही के मशहूर कॉलेज में अड्मिशन करा दिया… और ना चाहते हुए मुझे देल्ही जाना पड़ा…

वहीं कॉलेज के हॉस्टिल में रहकर मे पढ़ाई करने लगा… और धीरे – 2 मुझे लॉ के सब्जेक्ट्स में इंटेरेस्ट आने लगा और हमेशा की तरह अपने बॅच का फ्रंट रो स्टूडेंट बन गया….

शुरू-2 में घर की यादें, भाभी, डीडियों और चाची के साथ बिताए वो लम्हे याद कर के दुखी भी हो जाता…

निशा से सारे कॉंटॅक्ट टूट चुके थे… लेकिन अपने घर पर में फोन से बात करता रहता, और भाभी से ही उसके बारे में पता कर लेता था…

इन्ही सब में कब एक साल निकल गया.. पता ही नही चला…

दूसरा साल शुरू हो चुका था.., अब मे भी कॉलेज के माहौल मे अपने आपको ढल चुका था, हॉस्टिल की लाइफ रास आने लगी थी मुझे…!

बारिश का सीज़न शुरू होने जा रहा था…, ऐसे समय में देल्ही की उबाउ गर्मी.. बहुत परेशान करती है…

मे एक दिन सनडे की शाम को पास ही एक थियेटर में मूवी देखने निकल गया…

लौटते में शाम घिर आई थी… थियेटर से बाहर निकला तो देखा.. मौसम एकदम बदला हुआ था…

एकदम से अंधेरा सा छा गया था, घटायें उमड़-गुमड़ रहीं थी आसमान में, हवायें भी तेज चल रही थी, लगभग आँधी का रूप धारण कर चुकी थी…

तेज हवा के साथ, धूल मिट्टी, आँखों को बंद होने पर मजबूर कर रही थी…

इससे पहले की बारिस शुरू हो मे वहाँ से तेज-तेज कदमों से अपने हॉस्टिल की तरफ बढ़ने लगा… मेरा हॉस्टिल वहाँ से कोई 2 या 2.5 किमी की दूरी पर ही था…,

सो कोई साधन ना मिलने की वजह से पैदल ही निकल पड़ा…
अभी में कुछ दूर ही निकला था, .. कि जोरदार आँधी के साथ बूंदा-बंदी शुरू हो गयी… जो एक आम बात थी, देल्ही में इस मौसम में..

मेने अपनी चाल और तेज करदी… लेकिन मौसम से तेज नही चल सका… और तेज बौछारो के साथ बारिश ने मुझे घेर लिया…,

अब भीगने के अलावा और कोई चारा नही बचा था मेरे पास..

तो अपनी सामान्य गति से ही चलता हुआ आ रहा था, पहली बारिश का लुफ्त उठाते हुए…
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06-02-2019, 01:04 PM,
RE: Bhabhi ki Chudai देवर भाभी का रोमांस
वैसे भी तेज हवाओं के कारण बारिस की बूँदें इतनी तेज शरीर पर पड़ रही थी मानो शरीर में कोई सूइयां चुभा रहा हो..

मुँह पर बारिस की तेज बूँदें इतनी तेज पड़ती की आँखें खोलना दूभर हो रहा था… रोड पर ट्रॅफिक ना के बराबर हो गया था…

मे अपने हॉस्टिल की ओर जाने वाले कॉलोने के सिंगल रोड पर जैसे ही मुड़ा… सामने का दृश्य देख कर मेरे पैर जहाँ के तहाँ जम गये…

घनघोर बारिश में चार बदमाश एक लड़की के साथ ज़ोर ज़बरदस्ती कर रहे थे… उनके एक तरफ एक मारुति वॅन खड़ी थी,

जो शायद उन बदमाशों की थी…, दूसरी साइड में एक सफेद रंग की अक्तिवा लुढ़की पड़ी थी, जो शायद उस लड़की की होनी चाहिए…

वो लड़की अपने को उन बदमाशों से बचने का हर संभव प्रयास कर रही थी…और चीख पुकार भी करती जा रही थी…

लेकिन इस तेज हवा और बारिस में उसकी पुकार सुनने वाला वहाँ कोई नही था, और वैसे भी दिल्ली जैसे शहर में कोई किसी का साथ देने नही आता…

मे कुछ देर वहीं खड़ा ये सब देखता रहा…

वो कभी एक बदमाश के हाथ से छूटती, तो दूसरा पकड़ लेता, उससे छूटती तो तीसरा…

सच कहूँ तो मेरी भी हिम्मत नही हो रही थी कि मे उस लड़की की कोई मदद कर सकूँ…

क्योंकि देल्ही की गुंडागर्दी के बारे में पिच्छले एक साल में बहुत कुछ सुन चुका था मे…

यहाँ आए दिन मर्डर… बीच सड़क पर बलात्कार होना आम बात थी… लोग देख कर भी अनदेखा कर के निकल जाते हैं…

ऐसे में बैठे बिठाए मुशिबत मोल लेना बेवकूफी ही थी…, लेकिन एक मजबूर लड़की की मदद ना करना…कहीं ना कहीं ये भी ग़लत लग रहा था मुझे.

मेरा जमीर मुझे अनदेखा कर के वहाँ से जाने भी नही दे रहा था…

मे अभी कोई निर्णय नही ले पाया था… की वो लड़की ना जाने कैसे उन गुण्डों के चंगुल से निकल भागी… शायद उसकी नज़र मेरे ऊपर पड़ गयी थी…

सो भागते हुए वो मेरे पास आ गयी… और हाथ जोड़ कर मुझसे मदद करने के लिए गिडगिडाने लगी….

मे बुत बना उस भीगी हुई लड़की को देखता रहा…, भीगने से उसके टाइट फिटिंग टॉप और जीन्स और ज़्यादा शरीर से चिपक गये थे, जिसकी वजह से उसके अन्तर्वस्त्र भी साफ-साफ उजागर हो रहे थे…

तब तक उनमें से दो बंदे वहाँ आ पहुँचे और उन्होने उस लड़की के दोनो बाजुओं को फिरसे थाम लिया…

वो अभी भी अपने हाथ जोड़े मुझसे मदद की भीख माँग रही थी, साथ ही साथ उनसे अपने आप को छुड़ाने का प्रयास भी करती जा रही थी…

तभी उनमें से एक गुंडा बोला… अबबे साली चल, ये लौंडा क्या बचाएगा तुझे… इसे क्या अपनी जान प्यारी नही है क्या…

ओये हीरो…! चल निकल ले यहाँ से… वरना खम्खा मारा जाएगा…

बात अब अपनी मर्दानगी पर आ गयी थी, सो मेने अब अपनी टाँग अड़ाने का फ़ैसला कर लिया…, और उस गुंडे की बात ख़तम होते ही बोल पड़ा…

अरे भाई लोगो… क्यों बेचारी अकेली लड़की को परेशान करते हो … जाने दो ना उसे…

वही गुंडा – अब्बे ! मेरी बात तेरे भेजे ना पड़ी के… निकल ले यहाँ से वरना…!

मेने उसकी बात में ही काटते हुए कहा – वरना के..?

ये सुनते ही उसकी झान्टे सुलग गयी, और उस लड़की का बाजू छोड़कर मेरी तरफ झपटा… उसका इरादा मेरे मुँह पर घूँसा जड़ने का था…

मेने पीछे हटके उसका वार खाली कर दिया और साइड में होकर उसका वही हाथ थामा…, पलटा…, उसे अपनी पीठ पर लिया और इतनी ज़ोर से से रोड पर धोबी पछाड़ मारा… कि उसकी कमर कड़क से टूट गयी…

अब वो लाख कोशिशों के बाद भी उठने की स्थिति में नही था…

अपने साथी का हश्र देख कर वो दूसरा उस लड़की को छोड़ कर अपने दूसरे दो साथियों की तरफ भागा…

उसने जैसे ही वहाँ से भागने की कोशिश की मेने उसका गिरेबान पीछे से पकड़ा…वो एक हल्के शरीर का बंदा था, तो उसे भी गले से पकड़ कर ऊपर उठाया और दे पटका रोड पर…

तब तक वो दोनो परिस्थिति को समझ चुके थे और भागते हुए मेरी ओर झपटे…
उनमें से एक के हाथ में रिवॉल्वार था… और दूसरे के हाथ में रामपुरी चाकू…

वो लड़की डर के मारे थर-थर काँप रही थी… मेने उसे अपने पीछे खड़े होने को कहा..

वो मेरी पीठ से चिपक कर खड़ी, थर-थर काँप रही थी,

इतने में वो दोनो हमारे पास तक पहुच गये…

वो रेवोल्वर वाला अपने दोनो साथियों को, ज़मीन पर पड़े तड़पते हुए देख कर गुस्से से लाल भभुका हो उठा और अपना रेवोल्वर मेरे ऊपर तान कर गुर्राया…

बहुत हेरोपंति हो गयी..छोरे…इब तेरा खेल ख़तम करना ही पड़ेगा… इतना कहते ही उसने मेरे ऊपर गोली चला दी…

मेने बचने की कोशिश भी की लेकिन फिर भी वो मेरे बायें कंधे में घुस गयी…

मुझे लगा मानो कोई गरम लोहा मेरे कंधे में घुसकर जला रहा हो…गोली लगते ही में पीछे को चक्कर ख़ाता चला गया…

अपने को संभालने की सारी कोशिशों के बाद भी मे ज़मीन पर गिर पड़ा…

सीधे हाथ से अपने कंधे को दबाए हुए मे दर्द से तड़प रहा था…

वो रेवोल्वर वाला ठहाके मरता हुआ मेरे सर पर आकर खड़ा हो गया…और मुझे गालियाँ बकते हुए वो मेरे सीने में गोली उतारने के लिए उसने निशाना ले लिया…,
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06-02-2019, 01:04 PM,
RE: Bhabhi ki Chudai देवर भाभी का रोमांस
मुझे आज अपना अंतिम समय नज़दीक दिखाई दे रहा था,

लेकिन कहते हैं ना कि जाको राखे साईयाँ मार सके ना कोई…

इससे पहले की वो ट्रिग्गर दबाता, कि तभी एक लोहे के पाइप का वार उसके रिवॉल्वार वाले हाथ पर पड़ा…,

उसकी रेवोल्वर हाथ से छूट कर कहीं गिर पड़ी, और वो अपना हाथ पकड़ कर दर्द से बिलबिलाता हुआ ज़मीन पर बैठता चला गया……..!



हुआ यौं कि, जैसे ही पहली गोली जो मेरे कंधे मैं लगी थी, मुझे गोली लगते ही वो लड़की डर के मारे पीछे को भाग खड़ी हुई….

वो थोड़ा सा ही पीछे हटी थी, कि उसका पैर वहीं साइड में पड़े एक दो फुट लंबे 1” मोटे लोहे के पाइप से टकरा गया…

उसने वो पाइप का टुकड़ा उठा लिया…, उसे हाथ में लेकर वो सोचने लगी, कि एक अंजान आदमी जो उसकी मदद करने की वजह से मौत के मुँह मैं घिर चुका है, उसे इस तरह अकेला छोड़कर यौं भागना ठीक नही है…

उसे उसकी मदद करनी ही चाहिए, अभी वो ये सब सोच ही रही थी, कि तभी उसके कानों में उस गुंडे के ठहाके सुनाई पड़े,

पाइप पर उसके हाथों की पकड़ मजबूत हो गयी, और वो हिम्मत जुटाकर पलटी,… इससे पहले की वो गुंडा मेरे सीने में गोली उतारता, पूरी ताक़त से उसने वो पाइप उस गुंडे के रेवोल्वर वाले हाथ पर दे मारा…

रेवोल्वर उसके हाथ से छूट कर ज़मीन पर गिर पड़ी, और वो गुंडा अपनी कलाई थामे ज़मीन पर बैठ गया, दर्द के कारण बिलबिलाता हुआ वो अपनी कलाई थामे दर्द कम होने के इंतेज़ार में था..

तब तक उस चाकू वाले ने एक हाथ से उस लड़की का गला पकड़ लिया..और दूसरे हाथ में थामे चाकू को उसके पेट में घुसाने वाला ही था कि…

मे अपनी पूरी चेतना शक्ति समेट कर उठ खड़ा हुआ और उस चाकू वाले गुंडे की कमर में लपेटा मारा और पूरी ताक़त से ज़मीन पर दे मारा…

जोश में आकर पटकने के कारण उसका सर सबसे पहले नीचे आया… और सड़क पर टकराने की वजह से उसका सर फट गया…

इतने में उस रेवोल्वर वाले ने अपने दर्द पर काबू पाकर पीछे से मेरे घायल कंधे को जकड लिया…और जोरे देकर मेरे जख्म पर दबाब डालने लगा…

मेरे गोली लगे कंधे में दर्द की एक तेज लहर दौड़ गयी, और लाख रोकने के बावजूद भी मेरी चीख निकल गयी…

जख्म से खून का रिसाब तेज हो गया…, दर्द और खून की कमी होने की वजह से मेरी आँखें बंद होने लगी…

तभी उस लड़की ने उसी पाइप का एक जोरदार प्रहार उसके सर पर किया… वो अपना सर पकड़ कर लहराता हुआ ज़मीन पर गिर पड़ा… और बेहोश हो गया…

इधर मे भी दर्द के कारण अपनी चेतना खोता जा रहा था, मेरे कंधे से लगातार खून बहरहा था,…

इससे पहले की मे चक्कर खाकर ज़मीन पर गिरता… उस लड़की ने मुझे थाम लिया और जैसे तैसे कर के मुझे घसीटती हुई अपनी स्कूटी तक ले गयी….

उसके बाद क्या हुआ मुझे कुछ पता नही चला…जब मेरी आँख खुली तो मे एक बेड पर लेटा हुआ था….

मेने धीरे से अपनी आँखें खोली और इधर-उधर देखने लगा…

अपने को एक अजनबी जगह पर पाकर मे झटके से उठ कर बैठ गया…झटके के कारण मेरे कंधे में दर्द की एक टीस सी उठी.. और मेरे मुँह से एक कराह निकल गयी…

मेरी कराह सुन कर पास में बैठी वो लड़की जो एक कुर्सी पर बैठी उंघ रही थी… उठ कर उसने मेरे बाजू को थाम कर फिर से लिटा दिया और बोली ….

लेटे रहो … अभी तुम्हारा घाव ताज़ा है… !

मेने उसे पूछा – मे कहाँ हूँ…?

वो – मेरे घर में हो, अब हम सुरच्छित हैं… तुम्हारी गोली निकाल दी गयी है.. लेकिन घाव ठीक होने में कुछ वक़्त लगेगा… तुम सो जाओ, सुबह बात करते हैं..

मेने अपने खुश्क होंठों पर जीभ फेरते हुए कहा – मुझे प्यास लगी है… तो उसने मुझे पानी पिलाया और बोली – कुछ खाना चाहोगे…?

मे – नही… पर अभी वक़्त कितना हुआ है…? तो उसने अपनी घड़ी पर नज़र डाली और बोली – अभी रात के 3 बजे हैं…

मे – तो क्या में इतनी देर तक बेहोश रहा…?

वो – हां ! डॉक्टर ने तुम्हें बेहोसी का इंजेक्षन दिया था, गोली निकालने से पहले… शायद उसी का असर रहा होगा इतनी देर तक…

पानी के साथ ही उसने मुझे एक गोली और खाने को दी, जिसके असर से मुझे कुछ देर बाद फिरसे नींद आ गयी और फिर जाकर सुबह ही आँख खुली…

जब मेरी आँख खुली, तो वो लड़की इस समय मेरे पास नही थी… मे बेड से उठ खड़ा हुआ और गेट खोल कर बाहर आ गया…जो एक बड़े से हॉल में खुलता था…

मुझे देखते ही हॉल में बैठे अधेड़ दंपति… मेरी ओर लपके और मुझे पकड़ कर सोफे पर बिठा दिया…

मे उन्हें देख कर चोंक गया… और मेरे मुँह से निकल पड़ा… सर आप ?

वो अधेड़ कोई और नही हमारे लॉ कॉलेज के सबसे काबिल सीनियर प्रोफेसर राम नारायण श्रीवास्तव थे…

प्रोफ़ेसर – हां ! और तुम शायद मेरे स्टूडेंट अंकुश शर्मा हो..? नेहा मेरी बेटी है…

मे – कॉन नेहा ?

प्रोफ़ेसर – जिसकी तुमने उन गुण्डों से इज़्ज़त बचाई है…वो मेरी बेटी नेहा है… लॉ करने के बाद मेरे साथ ही प्रॅक्टीस कर रही है…

जिन गुण्डों ने उसपर ये हमला किया था, दो दिन पहले उनके लीडर को हमने कत्ल के जुर्म में सज़ा दिलाई थी… शायद इसी कारण वो नेहा से बदला लेना चाहते होंगे..

लेकिन भगवान ने किसी फरिश्ते की तरह तुम्हें वहाँ भेज दिया… और एक अनहोनी होने से बच गयी…
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06-02-2019, 01:04 PM,
RE: Bhabhi ki Chudai देवर भाभी का रोमांस
हम ये बातें कर ही रहे थे… कि तभी वहाँ नेहा आ गयी.. उसने अपने मम्मी-दादी को गुड मॉर्निंग कहा, फिर मुझे गुड मॉर्निंग कह कर मेरा हाल चाल पूछा…

प्रोफ़ेसर – बेटी ये अंकुश शर्मा है, मेरा सेकेंड एअर का बहुत होनहार स्टूडेंट… देखो एश्वर ने क्या संयोग रचा.. कि इसे वहाँ तुम्हारी मदद के लिए भेज दिया…

इसकी जगह कोई और होता तो शायद वो वहाँ रुकता ही नही…हमें इसका एहसानमंद होना चाहिए…

मे – सर ! ये कह कर आप मुझे शर्मिंदा कर रहे हैं… मे नही जानता था, कि ये आपकी बेटी हैं…

बस मेरे जमीर ने कहा.. कि मुझे इनकी मदद करनी चाहिए.. सो वहाँ रुक गया…और जो बन पड़ा वो किया…

नेहा – नही ! तुमने जिस साहस और दिलेरी से उन गुण्डों का सामना किया, ये हर किसी के बस की बात नही थी… थॅंक यू वेरी मच अंकुश..! मे तुम्हारा ये एहसान जिंदगी भर नही भूलूंगी..

मे – आप भूल रही हैं नेहा जी, थॅंक यू तो मुझे कहना चाहिए आपको, कि आपकी दिलेरी और सूझ-बुझ के कारण आज मे यहाँ जिंदा बैठा हूँ…

प्रोफेसर और उनकी पत्नी यानी नेहा की मम्मी किनकर्तव्यविमूढ़ से हम दोनो की बातें सुन रहे थे… तो मेने उन्हें सारा वाकीया डीटेल में बता दिया…

वो दोनो अपनी बेटी को प्रशंसा भरी नज़रों से देख रहे थे… फिर वो बोले – चलो अच्छा हुआ कि तुम दोनो ने ही मिलकर एक दूसरे की मदद की…

लेकिन बेटे.. ये बात भी अपनी जगह बहुत मायने रखती है कि, तुमने जो एक अंजान लड़की के लिए किया है, आज के जमाने में कोई किसी के लिए अपनी जान जोखिम में नही डालता…!

इन्ही बातों के दौरान हम सबने नाश्ता किया… नेहा की मम्मी किसी एनजीओ के लिए काम करती थी, कुछ देर बाद वो दोनो अपने-अपने काम पर निकल गये….!

मेने भी अपने हॉस्टिल जाने के लिए नेहा से कहा, तो वो मुझे घुड़कते हुए बोली…

बिल्कुल नही… तुम कहीं नही जाओगे… जब तक कि पूरी तरह से ठीक नही हो जाते..इट्स आन ऑर्डर… और ये कह कर वो मुस्कराने लगी…

मे – लेकिन मी लॉर्ड ! मेरे कपड़े तो देखो.. खून से सने हुए हैं.. फ्रेश भी होना है.. तो जाना तो पड़ेगा ही ना…

वो ऑर्डर देते हुए बोली – कोई ज़रूरत नही, अपने रूम की चावी दो मुझे.. मे अभी तुम्हारे कपड़े मँगावती हूँ तुम्हारे रूम से…

मेने हथियार डालते हुए.. अपनी जेब से उसे चावी निकाल कर दी, और अपना रूम नंबर. बताया…

उसने फ़ौरन अपने नौकर को भेज कर मेरे कपड़े मंगवा दिए.. फिर मे वहीं फ्रेश हुआ, जिसमें नेहा ने भी मेरी मदद की,

मुझे फ्रेश करते समय, नहाने के दौरान मेरी कसरती बॉडी को देखकर वो बिना इंप्रेस हुए नही रह पाई…

फिर नेहा ने मुझे दवा दी… और बैठ कर एक दूसरे से गप्पें लगाने लगे…

मुझे नेहा और प्रोफेसर ने एक हफ्ते अपने घर पर ही रखा… इन दिनो में नेहा हर संभव मेरी हर ज़रूरत का ख्याल रखती थी,

यहाँ तक कि शुरू के, एक दो दिन तो उसने अपने हाथों से मुझे फ्रेश होने में मेरी मदद की…

उसके मुलायम हाथों का स्पर्श अपने नंगे बदन पर पाकर में सिहर उठता, और शायद वो भी उत्तेजित होने लगती…..,

कंधे को सेफ रख कर वो मुझे नहलाती भी… उसके बदन की खुसबु, और स्पर्श से मेरी उत्तेजना बढ़ने लगती..

नहाने के दौरान कुछ पानी उसके कपड़ों को भी गीला कर देता, जिससे उसके कपड़े बदन से चिपक जाते, और उसके बदन के कटाव झलकने लगते..

जिसे देखकर मे और ज़्यादा उत्तेजित होने लगता था, और इकलौते अंडरवेर में मेरा लंड तंबू बनके खड़ा हो जाता.. जिसे वो बड़े गौर से निहारती रहती….

जब मेरी नज़र उसकी नज़रों से टकराती.. तो वो शर्म से अपनी नज़र वहाँ से हटा लेती… और मन ही मन मुस्करा उठती…

मेरी हाइट उससे कुछ ज़्यादा ही थी, तो जब वो तौलिए से मेरे सर को सुखाती, तो उसे अपने हाथ ऊपर करने पड़ते, जिससे उसके मुलायम बूब्स मेरे शरीर से टच हो जाते…,

वो भी शायद उत्तेजित हो जाती थी, जिस कारण से मेरा सर रगड़ने के बहाने अपने बूब्स मेरे बदन के साथ रगड़ देती…

कभी कभी मेरा खड़ा लंड उसकी कमर पर टच हो जाता, तो वो अपने पंजों पर उचक कर उसे अपनी मुनिया पर फील करने की कोशिश करती…

मे जान बूझकर और अपनी गर्दन अकडा देता, तो उसे और ज़्यादा उचकना पड़ता, जिससे मेरा पप्पू उसकी मुनिया के साथ और ज़्यादा खिलवाड़ करने लगता, वो धीरे से सिसक पड़ती..

ऐसी ही प्यार भरी छेड़-छाड़ और खट्टी-मीठी यादों के चलते मेरा एक हफ़्ता उनके घर पर कब निकल गया मुझे पता ही नही चला..

आख़िर कार मे बिल्कुल ठीक होकर एक दिन अपने हॉस्टिल वापस लौट गया….!

अभी मे अपने अतीत के पन्ने पलटने में खोया हुआ कुछ और आगे बढ़ता, कि तभी मुझे भानु की याद आ गयी,…ओये तेरी का !!…

साला में तो भूल ही गया था उसको..., मेने तुरंत अपनी घड़ी . पर नज़र डाली…

यहाँ बैठे बैठे मुझे दो घंटे हो चुके थे, … मे वहाँ से फटाफट भागा और खंडहर मे पहुँचते ही उस कमरे का दरवाजा खोला…

भानु जाग चुका था, और ज़मीन पर बैठा गुस्से में भुन्भुना रहा था…

मुझे देखते ही वो भड़क उठा.., झटके से खड़ा होकर मेरी तरफ लपका, और तेज आवाज़ में गुर्राते हुए बोला – तो तू मुझे यहाँ लाया है हरामजादे…!

अपना बदला लेना चाहता है ना… ? चल मार डाल मुझे.. ,ले-ले अपना बदला..

मेने उसके कंधे पकड़ कर एकदम शांत लहजे में कहा – भानु भैया… शांत हो जाओ…, और ज़रा ठंडे दिमाग़ से सोचो,

मुझे तुम्हें मार कर ही बदला लेना होता तो यहाँ लाने की ज़रूरत ही क्या थी, और क्यों तुम्हें होश में आने देता…

जब चाहता, तुम्हारा गेम बजा सकता था…क्यों कुछ ग़लत कह रहा हूँ मे .. ?

वो सोचने लगा, मेरी बात भी सही थी… फिर क्या वजह है, जो मे उसे यहाँ उठा लाया था, यही सब सोचने लगा वो, जब किसी नतीजे पर नही पहुँच पाया तो आख़िर में पुच्छने लगा…

तो इस तरह यहाँ क्यों लेकर आए हो मुझे…?

मे – देखो भानु भैया..! तुम्हारे पिताजी ने मेरे घर आकर तुम्हारे कुकार्मों की एक बार माफी माँगी थी,… और अश्वाशन दिया था कि आइन्दा ऐसा कुछ भी तुम हमारे साथ नही करोगे…

और भविष्य में दोनो परिवारों के बीच संबंध अच्छे रहें, इसकी भरसक कोशिश करते रहेंगे…

बावजूद इसके तुमने वो घिनोना काम कर दिया.. जो किसी भी डिस्कनारी में माफी के लायक नही है, ऊपर से तुमने मुझे मारने के लिए गुंडे भी भेजे..

फिर भी मेने सोचा कि चलो कोई बात नही, अपने इलाक़े के ज़मींदार की इज़्ज़त का सवाल है, अब उन्हें कोई तकलीफ़ है, तो आपस में मिल बैठ कर सुलटा लेते हैं….!

मुझे ये भी पता था कि तुम सीधी तरह से मेरे साथ बात करने वाले थे नही, तो इसलिए तुम्हें यहाँ इस तरह लाना पड़ा…!

अब इसमें तुम्हें कोई तकलीफ़ हुई हो तो माफ़ करना…

वैसे जिस तरह से मुझे तुम्हारे खानदान की इज़्ज़त की फिकर है, क्या उसी तरह तुम्हें भी अपने परिवार की मान –मर्यादा की फिकर है..?

वो एकदम तैश में आते हुए बोला – मे किसी की जान भी ले सकता हूँ, अगर मेरे परिवार की इज़्ज़त पर आँच भी आई तो…

मेने आगे कहा – बहुत अच्छी बात कही तुमने ! सुनकर खुशी हुई.. कि तुम्हें अपनी मान-मर्यादा का इतना ख़याल है…

लेकिन भाई मेरे दूसरे की इज़्ज़त का ज़रा भी ख़याल नही किया तुमने…! क्या दूसरों की कोई इज़्ज़त नही होती..?

वो घमंड के साथ अकड़ कर बोला – हुन्न्ह… ऐसे छोटे-मोटे लोगों की भी कोई इज़्ज़त होती है…, जो तुम उसकी हमारे खानदान से तुलना करने लगे…

मे – तो तुम्हारा कहने का मतलब है, कि तुम्हारी इज़्ज़त, इज़्ज़त है, दूसरे की कोई इज़्ज़त नही…!
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06-02-2019, 01:05 PM,
RE: Bhabhi ki Chudai देवर भाभी का रोमांस
मेरी बात सुनकर उसने उपेक्षा से सर घुमा लिया…

फिर मेने अपने मोबाइल में एक फोटो ओपन कर के उसके सामने कर दिया जिसमें
मालती नंग-धड़ंग अपने घुटनों पर बैठी, अपनी चूत में उंगली डाले हुए मेरा लंड चूस रही थी…

मेरा चेहरा तो उसमें था नही… वो फोटो दिखाते हुए मेने कहा – इस फोटो को देख कर बताना… ये कॉन है…?

फोटो देखते ही भानु के होश उड़ गये… उसके होंठ सुख गये, आवाज़ गले में ही अटकी रह गयी…

मेने फिर पूछा – बताओ भानु भैया… ये कॉन है…?

वो हकलाते हुए बोला – य.ये.ये…ये फोटो तुम्हें कहाँ से मिली… और ये लड़का कॉन है…?

मे – मेने इस फोटो के बारे में पूछा है.. क्या तुम इस लड़की को जानते हो…?

वो – नही ! मे नही जानता ये कॉन है…!

मे – चलो कोई नही, फिर तो कोई बात ही नही है…, चलो ऐसा करते हैं, थोड़ा मनोरंजन करवा देता हूँ तुम्हें और मेने मालती के साथ की हुई चुदाई का वीडियो चला दिया,

जिसमें मेरी आवाज़ म्युट की हुई थी, और सिर्फ़ मेरा पिच्छवाड़ा ही दिखाई दे रहा था..,

अगर कहीं मेरा थोबड़ा दिखना होता, वहाँ शेड कर दिया था,

ऑडियो और वीडियो जैसे- 2 चलता गया…, भानु के होश गुम होते गये… गुस्से में उसकी आँखें लाल हो गयी…गला सूखने लगा…

इससे पहले की वो छोटी सी क्लिप ख़तम हो पाती उसके गले से गुर्राहट निकलने लगी.. और वो मेरे मोबाइल की ओर झपटा…

मेने अपना हाथ पीछे खींच लिया…, तो वो गुर्राते हुए बोला – मे तेरा खून पी जाउन्गा हरामजादे…ये कहते ही उसने मेरे ऊपर झपट्टा मारा…

तडाक….मेरा भरपूर तमाचा उसके गाल पर पड़ा…., वो पीछे को उलट गया…, फिर मेने उसका गिरेबान थाम कर एक और तमाचा उल्टे हाथ का दूसरे गाल पर जड़ दिया..

और सर्द लहजे में मेने उससे कहा - जब तुझे पता है, कि तू मेरी झान्टे भी नही उखाड़ सकता तो ये हिमाकत क्यों की…?
दूसरी बात ! जब तू इस लड़की को जानता ही नही.. तो फिर इतना भड़क क्यों रहा है…?

वो चिल्लाते हुए बोला – ये मेरी बीवी है हरामज़ादे… बता ये वीडियो कब और किसके साथ लिया है तूने…?

मे – चिल्लाना बंद कर भानु..! वरना वो गत करूँगा.. कि तेरा बाप भी तुझे पहचानने से इनकार कर देगा…!

इससे पहले कि में तेरे खानदान की इज़्ज़त की और धज्जियाँ उड़ा दूं.. और इस वीडियो को इंटरनेट पर डाउनलोड करूँ,

जिसे सारी दुनिया के मर्द देख-देख कर तेरी मस्त जवान बीवी के बदन को सोच-सोच कर मूठ मारें…!

और अगर फिर भी तुझे अपनी बीवी की इज़्ज़त प्यारी ना हो तो मे इसे अदालत में भी पेश कर सकता हूँ, जहाँ दो मिनिट में ये साबित हो जाएगा की तू कितना बड़ा झूठा है,

तू सारी दुनिया के सामने नंगा हो जाएगा…, फिर बजाते रहना अपने खानदान की इज़्ज़त की धज्जियाँ…

इसलिए अब मेरी बात ध्यान से सुन…अगर तू चाहता है कि ये वीडियो कोई और ना देखे, या अदालत के सामने ना आए…, तो तुझे मेरी कुछ शर्तें माननी पड़ेंगी…

वो झट से मेरी तरफ देखने लगा, उसके पास और कोई चारा नही बचा था, सो अपने कंधे झुका कर हथियार डाल दिए और गिड-गिडाते हुए बोला…

मुझे तुम्हारी हर शर्त मंजूर है अंकुश, पर इस वीडियो को किसी और को मत दिखाना प्लीज़… वरना मेरे खानदान की इज़्ज़त मिट्टी में मिल जाएगी…,

हम किसी को मुँह दिखाने लायक नही रहेंगे, हम बर्बाद हो जाएँगे…

मे – तो अब मेरी शर्तें सुन…

शर्त नंबर. 1 – तुझे राजेश के खिलाफ किया गया केस वापस लेना होगा, ये कह कर कि चाकू मेरी ही ग़लती से लगा था, वो तो सिर्फ़ अपना बचाव कर रहा था…

वो – लेकिन ऐसे तो मे फँस जाउन्गा…

मे – तुझे जैल नही होगी, ये वादा है मेरा, हां कुछ मुआवज़ा ज़रूर देना पड़ेगा… जो तेरे लिए कोई बड़ी बात नही है…

उसने हां में गर्दन हिला दी…

शर्त नंबर. 2 – तू मालती से कुछ नही कहेगा, और उसे एक अच्छे पति की तरह ही रखेगा… अगर तूने उसे कुछ भी नुकसान पहुँचाया तो समझ ले मे क्या कर सकता हूँ…,

वो तुरंत बोल पड़ा – मुझे मंजूर है…

शर्त नंबर. 3 – निशा की इज़्ज़त पर तूने किसी के कहने पर हाथ डाला था, मुझे उसका नाम और कारण चाहिए…

मेरी ये शर्त सुनकर वो सोच में पड़ गया… जब बहुत देर तक उसने कुछ नही बका… तो मेने उसे फिरसे धमकाया…

देख भानु… मुझे पता है… कि ये काम तूने किसी के कहने पर किया था… जिसके लिए तुझे मोटी रकम भी मिली थी…

मेरे मुँह से ये सब सुनकर उसका मुँह खुला का खुला रह गया… लेकिन फिर भी वो बोला कुछ नही… तो मेने फिर आगे कहा…

अगर तूने सच नही बताया तो ये मत समझना कि मे इसका पता नही लगा पाउन्गा… आज नही तो कल, मे ये जानकार ही रहूँगा कि इस सब के पीछे कॉन है…

लेकिन उस सूरत में मेरी कोई गारंटी नही होगी, कि ये वीडियो कोई और ना देख पाए.. तो बेहतर होगा..कि तू इस काम में मेरी मदद कर…

जब सारे रास्ते बंद होते दिखाई दिए तो वो किसी तोते की तरह शुरू हो गया… और उसने सारा राज उगल दिया…. जिसे सुन कर मेरी आँखें फटी रह गयीं…!

मेने भानु को उसकी बिल्डिंग के पास छोड़ा, उसके बाद अपनी बुलेट रानी को घर की तरफ दौड़ा दिया…!

रास्ते में एक बस स्टॉप था, जब मे वहाँ से गुजर रहा था, तो दूर से ही मुझे बीच सड़क पर एक औरत खड़ी दिखाई दी, जो अपने दोनो हाथ ऊपर कर के मुझे रुकने का इशारा कर रही थी…

जैसे ही मे थोड़ा उसके नज़दीक पहुँचा, तो उसे देखते ही मे चोंक पड़ा…, और गाड़ी उसके पास लेजा कर रोड की साइड में खड़ी कर के बोला – अरे वर्षा भौजी आप और यहाँ…?

तब तक उसका पति रवि, बेटे को गोद में लिए वहाँ आ पहुँचा..! मेने उसे देखते हुए कहा-

अरे वाह ! आज तो मियाँ-बीवी दोनो ही शहर में, क्या बात है, भाई… भौजी को साथ रखने लगे हो क्या..?, ये बहुत अच्छा किया आपने…,

कम से कम दोनो साथ रहोगे तो आपस में प्यार बढ़ेगा, और आपको भी खाने-पीने की चिंता नही रहेगी…!

इससे पहले की रवि कुछ बोलता, की वर्षा मुँह बीसूरते हुए बोली – उउन्न्नह…ऐसी अपनी किस्मेट कहाँ देवेर्जी, जो ये हमें शहर में रख सकें… !

वो तो बिट्टू को बड़े हॉस्पिटल में दिखाने लाए थे, इसलिए आ गयी, वरना तो वहीं चूल्हे चौके में ही सारी जिंदगी निकल जाएगी मेरी तो…!
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06-02-2019, 01:05 PM,
RE: Bhabhi ki Chudai देवर भाभी का रोमांस
मेने चिंतित होते हुए पूछा – अरे क्या हुआ बिट्टू को..? मुझे बताती, मे अच्छे हॉस्पिटल में दिखा देता, मेरी पहचान की डॉक्टर भी है यहाँ सहयोग में…!

रवि – वहीं दिखाया था, कई दिनो से फीवर था इसको, जा ही नही रहा था, पिताजी ने मुझे खबर भेजी, तब मे इन दोनो को ले आया…! वैसे अब ठीक है ये..!

मे – तो अब दो-चार दिन तो और रखोगे भौजी को यहाँ शहर में…!

रवि – अरे भाई कहाँ से रखूं, इतनी जगह ही नही है, शेरिंग में एक कमरा ले रखा है दूसरे एक दोस्त के साथ…!

अभी सोच ही रहा था, कि इन दोनो को गाँव छोड़कर कैसे जल्दी आउ, नाइट शिफ्ट भी करनी है आज…!

तुम्हारी बुलेट की आवाज़ सुनकर वर्षा ही बोली, की शायद ये तो अंकुश देवर्जी की गाड़ी की आवाज़ लगती है, सो इसने रोक लिया…

अब अगर तुम गाँव की तरफ जा रहे हो तो इन दोनो को भी ले जाओ प्लीज़…, मेरी परेशानी बच जाएगी, और आज रात की शिफ्ट भी कर लूँगा…

मे – अरे रवि भैया…, इसमें प्लीज़ कहने की क्या ज़रूरत है, मे तो जा ही रहा हूँ गाँव, ले जाउन्गा, फिर मेने वर्षा की तरफ मुस्कराते हुए कहा-

लेकिन क्या भौजी मेरे साथ आना चाहेंगी…?

वो मेरी मज़ाक को समझते हुए मेरी तरफ देखकर शरारत के साथ इठलाते हुए बोली – हुनह…मे ऐसे ही किसी के साथ कैसे चली जाउ..,

रवि उसकी बात सुनकर हड़बड़ाते हुए बोला…अरे ! ये कैसी बात कर रही हो तुम, अंकुश अपने घर के मेंबर जैसा है, तुम इसके ऊपर शक़ कर रही हो…?

वर्षा और अपने पति की परेशानी बढ़ाते हुए बोली – शक़ की क्या बात है, ये गबरू जवान आदमी, मे बेचारी अकेली जान, कहीं इनकी नीयत बदल गयी तो, ये कहकर उसने मेरी तरफ एक आँख मार दी…!

रवि बैचैन सा होकर बोला– ये कैसी बातें कर रही हो तुम… पागल तो नही हो गयी कहीं…?

इतने भले परिवार का लड़का है, और अभी-अभी शादी हुई है इसकी…

इसपर ऐसा इल्ज़ाम लगा रही हो.. कुछ तो लिहाज करो.. ये बेचारा तो हमारी मदद कर रहा है, और तुम उसी पर शक़ कर रही हो…

मे अपनी बुलेट रानी की सीट पर बैठा, उन दोनो मियाँ बीवी की नोक-झोंक का मज़ा लेते हुए मन ही मन मुस्करा रहा था…!

वर्षा ने एक बार मेरी तरफ तिर्छि नज़र से देखा, जिसमें एक प्रणय निवेदन छिपा था, फिर वो अपने बेटे से बोली – अच्छा तू बता बिट्टू, इन अंकल के साथ गाँव चलें क्या..?

बिट्टू तपाक से बोला - हां मम्मी, मे तो अंकल के साथ ही जाउन्गा, ये अंकल मुझे बहुत अच्छे लगते हैं, मुझे बहुत प्यार करते हैं…!

रवि – देखा ! बिट्टू भी अच्छे बुरे को समझता है, और तुम हो की…

वो बेचारा अभी अपनी बात ठीक से ख़तम भी नही कर पाया था, कि वर्षा मुँह मटकाते हुए बोली – ठीक है, ज़्यादा सफाई देने की ज़रूरत नही है, चले जाएँगे हम इनके साथ, आप अपनी ड्यूटी करो…

ये बात उसने ऐसे अंदाज में कही मानो, कोई बहुत बड़ा एहसान कर दिया हो बेचारे के ऊपर…

मेने बिट्टू को अपने आगे बिठाया, और वर्षा रानी मेरे पीछे ऐसे बैठ गयी, जैसे कोई बहुत बड़ी पतिव्रता स्त्री, मजबूरी में किसी के साथ बैठ कर जा रही हो…

रवि को बाइ बोलकर हम वहाँ से चल दिए, वो जैसे ही वर्षा की आँखों से ओझल हुआ, कि वो पट्ठी मेरी पीठ से किसी छिपकलि की तरह चिपक गयी…

और मेरे गले पर किस कर के मेरे कान में फुफुसा कर बोली – बिट्टू के पापा ! बहुत दिनो में हाथ आए हो, आज नही छोड़ूँगी तुम्हें…

मेने थोड़ा सर उसकी तरफ मोड़ कर कहा – ये क्या कह रही हो..? बिट्टू साथ में है, कैसे वो सब….?

वो ठुनक कर बोली – वो सब मुझे कुछ नही पता, बस आज होना है तो होना है..चाहे कैसे भी करो…!

मेने गाड़ी चलाते हुए ही सारा प्लान बना लिया था, फिर दोनो माँ बेटों को एक अच्छी सी दुकान में ले गया, उनके मन पसंद के कपड़े दिलवाए…

फिर कुछ और शॉपिंग करवाई, बिट्टू को खिलौने दिलवाए, दोनो बहुत खुश हो गये…, उसके बाद एक पार्क में ले जाकर घुमाया, बिट्टू को झूलों पर झूलाया..

शाम तक उन्हें शहर घुमाकर एक होटेल में ले गया, और एक रूम रात भर के लिए किराए पर लेकर रात गुजारने की सोची…

मेरी प्लॅनिंग देखकर वर्षा भाव-भिभोर हो गयी…

कमरे में आकर फ्रेश हुए, जल्दी खाना खाया, खाना खाते हुए मेने बिट्टू से पूछा – बिट्टू बेटा ! कैसा लगा अपने अंकल के साथ घूमकर…

उसने जबाब देने से पहले मेरे बगल में खड़े होकर गाल पर किस किया और तब बोला – थॅंक यू अंकल, बहुत मज़ा आया मुझे…!

मे – लेकिन बेटा अंकल की एक बात मानोगे..? वो मेरी तरफ देखने लगा, मानो पुच्छ रहा हो कि क्या..?

मेने कहा – मे तुम्हें ऐसे ही खिलौने और चॉकलेट खिलाया करूँगा अगर ये बात किसी को नही बताओगे तो, कि तुमने आज मेरे साथ मज़ा किया…

उसने अपना सर हिलाकर हामी भर दी, फिर सारे दिन की भागदौड़, और बिट्टू की तबीयत अभी भी थोड़ी नाज़ुक थी, सो दवा देकर वो टॅप से सो गया…!

वर्षा इसी पल के इंतेज़ार में थी, सो उसके सोते ही वो मेरे बदन से जोंक की तरह चिपक गयी, चुंबनों से उसने मेरे पूरे चेहरे को गीला कर दिया और नम आँखों से बोली…

थॅंक यू देवर जी, आज मेरी इच्छा का सम्मान कर के आपने साबित कर दिया कि अभी भी आपके दिल में हमारे लिए कितना प्यार है…!

आज हमारे बेटे ने भी जाना है, कि माँ-बाप का बच्चों के प्रति कैसा प्यार होना चाहिए…, बेचारा ऐसे प्यार के लिए कब्से तड़प रहा था…!

मेने उसे अपनी बाहों में भरकर उसके रसीले होंठों को चूमकर कहा – लेकिन बिट्टू को समझा देना कि ये सब बातें वो घर पर किसी को ना बताए, वरना खम्खा सब लोग शक़ करेंगे..!

वो मेरे बालों भरे सीने में अपनी उंगलिया घूमाते हुए बोली – वो सब आप मुझपर छोड़ दो, वैसे भी मे घर में किसी की परवाह नही करती..

ये कहकर वो मेरे लंड को नंगा कर के अपने हाथ में लेकर सहलाने लगी…

कुछ ही पलों में हम दोनो के शरीर से कपड़े गायब हो गये…वर्षा इतनी चुदासी हो रही थी, उससे सब्र करना दूभर हो रहा था,

सो मुझे पलंग पर धक्का देकर, मेरे मूसल जैसे लंड को अपनी मुट्ठी में लेकर अपनी रस से लब-लबा रही चूत के मुँह पर रखा, और उसपर बैठती चली गयी..!

बहुत दिनो बाद वो मेरे लंड को अपनी चूत में ले रही थी, सो जब मेरा मोटा सोट जैसा लंड उसकी कसी हुई चूत को चीरता हुआ अंदर गया…

दर्द की एक लहर उसके बदन में दौड़ गयी, लेकिन उसने अपने होंठों को कसकर भींच लिया, और धीरे-2 कर के मेरे पूरे लंड को अपनी चूत में निगल लिया…

फिर हाँफती हुई सी वो मेरे ऊपर लेट गयी, और मेरे होंठों को चूमकर बोली – आअहह…..कितने दिनो से राह देख रही थी इसकी…असल लंड तो ये है…
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06-02-2019, 01:14 PM,
RE: Bhabhi ki Chudai देवर भाभी का रोमांस
अबतक तो जैसे उंगली से ही काम चला रही थी…, आज मुझे इतना प्यार दो मेरे राजा, कि मे सारी दुनिया को भूल जाउ…

फिर उसने धीरे – 2 मेरे लंड पर उठना-बैठना शुरू किया…मेने उसकी गदराई हुई गोल-गोल दूध जैसी गोरी-गोरी मखमल जैसी मुलायम चुचियों को अपने हाथों में भर लिया…

चुचियों को मीजते ही वो सिसकियाँ भरने लगी और अपनी कमर को तेज़ी से चलाने लगी…

उसकी कसी हुई चूत मारने में मुझे भी बहुत मज़ा आ रहा था…

उस रात वर्षा, ना तो खुद सोई, और ना ही मुझे सोने दिया.. सारी रात अलग-अलग तरीकों से मेने उसकी सालों पुरानी प्यास को बुझा दिया…!

कितनी ही देर वो सुबक्ते हुए मेरे सीने पर पड़ी रही…फिर जब लगा कि अब बिट्टू जागने वाला है, तब हम दोनो अलग हुए…

फ्रेश होकर चाय नाश्ता किया और उन दोनो माँ-बेटों को अपनी बुलेट पर बिठाकर गाँव की तरफ चल दिया…!


आज राजेश के केस की सुनवाई थी…, एक दिन पहले मे राजेश को लेकर उनकी ससुराल गया….

उनके जैल जाने के बाद ही उनकी पत्नी भी घर छोड़कर अपने मायके जाकर बैठ गयी थी.. जो ये दर्शाता था, कि उसको भी अपने पति पर विश्वास नही था…

राजेश तो जाने से ही मना कर रहे थे, लेकिन मेरे और वाकी लोगों के समझाने के बाद वो जाने के लिए तैयार हुए…

राजेश की पत्नी शर्मिंदगी के मारे नज़र चुरा रही थी… मेने उससे कहा –

भाभी जी, पति पत्नी के रिश्ते की नींव एक अटूट विश्वास पर टिकी होती है.. भले ही दुनिया उसके पति के खिलाफ खड़ी क्यों ना हो जाए, अगर उसकी पत्नी उसके साथ है तो वो हर कठिनाई का मुकाबला कर सकता है…

लेकिन आपने तो उनका साथ उस समय पर छोड़ दिया, जब उन्हें आपके साथ की सबसे ज़्यादा ज़रूरत थी, क्या सात फेरों में यही वचन याद किए थे आपने…?

वो रोते हुए बोली – मुझे माफ़ कर दीजिए जीजा जी… मेने इन पर विश्वास नही किया… अब मे अपने बच्चे की कसम खाती हूँ आइन्दा ऐसी ग़लती कभी नही होगी..

और वो राजेश के पैरों में गिर पड़ी, रोते गिड-गिडाते हुए माफी माँगने लगी.. राजेश ने मेरी तरफ देखा…

मेने इशारा किया.. तो उसने उसके कंधे पकड़ कर उठाया.. और उसके आँसू पोन्छ्ते हुए कहा – कोई बात नही नीलू ग़लती इंसान से ही होती है…

फिर वो हमारे साथ ही विदा होकर आ गयी.., राजेश भाई उसे अपने घर लेगये…


दूसरे दिन कोर्ट में…………….,

अब मात्र फॉरमॅलिटीस ही वाकी थी, मुझे पता था भानु अपनी ग़लती मान कर केस वापस ले लेगा..

और हुआ भी यही…, पोलीस कोई सबूत दे नही पाई, और भानु ने अपना गुनाह कबूल कर लिया…

कोर्ट ने उसे गुमराह करने के जुर्म में 10 लाख जुर्माने के तौर पर रकम राजेश को देने के लिए कहा.. जो उसने मान लिया…

सूर्या प्रताप इसके लिए तैयार नही था, वो तो अपने लड़के द्वारा लिए गये इस निर्णय के ही खिलाफ था, फिर ना जाने भानु ने उसे क्या कहा कि वो भी ठंडा पड़ गया…

राजेश को कोर्ट ने बा-इज़्ज़त बरी कर दिया… सभी खुश थे…

लेकिन मे इस जड्ज्मेंट से खुश नही था, इसलिए मेने पोलीस पर मान हानि का केस डाल दिया… जिसकी लापरवाही, या कहें मुजरिम का साथ देने का मामला बनाया गया…

उस समय कोर्ट में उस एरिया का इनस्पेक्टर ही उपस्थित था… जिसके चेहरे पर हवाइयाँ उड़ने लगी…

जड्ज साब ने पोलीस को फटकार लगाते हुए… मामले पर सफाई देने को कहा… और जल्दी से जल्दी अगली तारीख मुक़र्रर कर दी…

घर के सभी बड़े लोगों ने मुझे समझाने की कोशिश की लेकिन मेने उनसे कहा… कि राजेश भाई को सताने वालों को अपनी करनी का ख़ामियाजा भुगतना ही होगा…

मेरी पहली सफलता जो कि पहली ही सुनवाई में एक 307 के केस को रफ़ा दफ़ा करा दिया था.. पूरे डिस्टिक लेवल पर फैल गयी… और लोगों की ज़ुबान पर मेरा नाम आने लगा…

अब मेने डिसाइड कर लिया कि मुझे यहीं रह कर अपनी प्रॅक्टीस शुरू कर देनी चाहिए..

अपने गुरु की पर्मिशन और आशीर्वाद लेकर, डिस्टिक कोर्ट के बाहर मेने भी अपनी दुकान जमा दी… और एक लड़के को वहाँ बिठा दिया………!

एक रोज़ सनडे का दिन था, हम सभी चौपाल पर बैठे ऐसे ही घर गाँव की चर्चा कर रहे थे आपस में,

भैया और बाबूजी के अलावा छोटे और मनझले चाचा और उनका बेटा सोनू भी थे..

तभी हमें पोलीस सायरेन की आवाज़ सुनाई दी जो धीरे- 2 हमारे घर की तरफ ही बढ़ रही थी…

हम सब चौपाल की तरफ आने वाले रास्ते पर देखने लगे… मुझे कुछ- 2 संभावना थी इसकी, लेकिन वाकी लोगों को ये किसी अनिष्ट की आशंका लग रही थी सो बाबूजी बोल पड़े..

अब ये पोलीस हमारे यहाँ क्यों आ रही है…?

मे – आने दीजिए बाबूजी… ? उन्हें हमसे कोई काम होगा..?

भैया – लेकिन हमसे पोलीस को अब क्या काम पड़ गया… पहले तो कभी आई नही..

मे – आप लोग इतने चिंतित क्यों हो रहे हैं.. आने दीजिए, देखते हैं.. क्या काम है…!

इतने में सिटी एसपी की कार, उसके पीछे को की जीप और एक लोकल थाने की जीप हमारे चौपाल के पास आकर रुकी…

पोलीस की तीन-2 गाड़ियों को हमारे यहाँ आया देख मोहल्ले के दूसरे लोग भी आ गये…
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06-02-2019, 01:14 PM,
RE: Bhabhi ki Chudai देवर भाभी का रोमांस
एसपी की गाड़ी से कृष्णा भैया..उतर कर चौपाल पर आए… पीछे – 2 अन्य पोलीस वाले भी थे…

हमने सबके बैठने की लिए कुर्सी डाल दी… लेकिन वो अपने ऑफीसर के सामने बैठ नही सकते थे… सो आकर खड़े हो गये…

भैया ने बाबूजी के पाँव छुये… मुझे ये देख कर बड़ा ताज्जुब हुआ कि उन्होने भैया और वाकी बड़ों के पैर नही छुये…

खैर मेने बड़े भाई के नाते उनके पैर छुये… तो वो कॉँमेंट पास करते हुए बोले – अरे आप रहने दीजिए वकील साब… वरना और कोई केस लाद देंगे हमारे ऊपर…

बाबूजी को उनकी ये बात नागवार गुज़री, अतः वो थोड़े नाराज़गी वाले स्वर में बोले–

आते ही ऐसी बातें ना करो कृष्णा.. वो छोटे भाई के नाते तुम्हारे पैर लग रहा है…, पद के घमंड में तुम तो अपने बड़ों को भूल ही गये हो…

बाबूजी की बात सुनकर वो खिसियानी सी हसी हँसते हुए बोले – ऐसा कुछ नही है बाबूजी.. और फिर भैया और चाचों के भी पैर छु लिए…

फिर बाबूजी ने मुझसे कहा – जा बेटा, अंदर जा कर सबके लिए चाय पानी का इंतेज़ाम करवा दे…

मे अंदर जाने लगा तो कृष्णा भैया ने रोकते हुए कहा – चाय –वाय रहने दे अंकुश, तू यहीं बैठ, मुझे तुमसे ही बात करनी थी…

मे – बस 10 मिनिट की बात है, तब तक आप बाबूजी से बात करिए.. मे अभी चाय लेकर आता हूँ..

इतना कहकर मे अंदर गया, तो भाभी ने पुच्छ लिया – ये बड़े देवर जी क्यों आए हैं अब यहाँ…?

मे – आपको तो पता ही है, पोलीस बिना गर्ज के तो आती नही है… मुझसे ही काम है.. नाक में नकेल जो डाल रखी है मेने…

निशा – मुझे तो डर लग रहा है दीदी… कहीं कुछ गड़बड़ ना हो…

मेने हँसते हुए कहा – तुम किधर से पढ़ लिख गयी हो यार निशु… इतना भी नही समझती.. कि मेने पोलीस के ऊपर मानहानि का केस किया हुआ है.. तो डर किसको होगा…?

भाभी – पोलीस का कोई भरोसा नही होता है लल्ला जी… कब क्या केस लगा दे..

मे – आप चिंता छोड़ो, और फिलहाल 8-10 चाय का जल्दी से इंतेज़ाम करो… वाकी सब अपने इस लाड़ले पर छोड़ दो… मे सब संभाल लूँगा…

मे जब चाय लेकर बाहर आया, सबको चाय सर्व की, फिर चाय पीते हुए बाबूजी बोले – बेटा छोटू, कृष्णा का कहना है, कि तुमने पोलीस के ऊपर जो केस किया है, उसे वापस ले लो..

सुनकर मेरे चहरे पर मुस्कान आ गयी.. और मेने उनसे कहा – आप क्या कहते हो बाबूजी… क्या मेने कुछ ग़लत किया है…?

पोलीस की ग़लती की वजह से एक इंसान को 6-7 महीने जैल में काटने पड़े… उसके परिवार को कितनी मुशीवतें उठानी पड़ी…

यही नही.. आप लोग कितने परेशान रहे.. राजेश भाई की बीवी अपने बच्चे को लेकर चली गयी… उसको नौकरी से निकाल दिया गया… किसकी वजह से, क्या ये ग़लत नही हुआ उनके साथ…?

एक तरह से उनकी पूरी लाइफ बरवाद हो गयी, किसकी ग़लती की वजह से..?

कृष्णा – मे मानता हूँ भाई… कि राजेश के साथ ग़लत हुआ है… और उसके लिए मेने उस सारे स्टाफ को लाइन हाज़िर कर दिया है…

मे – वाह भैया… वाह ! क्या सज़ा दी है. उन चोरों को आपने जिन्होने सूर्य प्रताप से पैसे खाकर एक निर्दोष को फसाया… और उसे जैल में सड़ने पर मजबूर कर दिया..

ऐसा कर के तो आपने अपने चम्चो की गिनती ही बढ़ा ली है…

वो – इससे ज़्यादा मे उन्हें सज़ा नही दे सकता था… लेकिन अब इस केस का सीधा असर मेरे ऊपर पड़ सकता है, इस सबका मुझे ही जबाब देना पड़ रहा है… ये तो तुम भी जानते हो..

मे – तो क्या आप ज़िम्मेदार नही हो इसके..? आज आप भाई के रिश्ते की दुहाई दे रहे हो, उस दिन तो बाबूजी का भी मान नही रखा था आपने… और कोर्ट की दुहाई देकर चले गये थे…

क्या मे ये भी समझाऊ कि उस वक़्त आप क्या कर सकते थे, या आपको पता नही था, कि आपकी पोलीस क्या कर रही है..?

वो – तू कहना क्या चाहता है.. कि मेने इसे जानबूझ कर नज़र अंदाज़ किया था…?

मे – बिल्कुल ! मे यही कहना ही नही चाहता… बल्कि कह रहा हूँ…! अगर आप चाहते तो राजेश भाई एक दिन भी जैल में नही रहते… लेकिन आपने ऐसा नही किया…

वो – मे भला ऐसा क्यों चाहूँगा… वो मेरा भी रिश्तेदार है…

मे – एग्ज़ॅक्ट्ली ! यही तो वो कारण था, जिसने आपको हम लोगों की मदद करने से रोक दिया था…,

और वो वजह मे जानता हूँ… तो बेहतर होगा… कि अब हम कोर्ट में ही मिलें….!

मेरी कोर्ट में मिलने की धमकी से कृष्णा भैया सकपका गये, उनके चेहरे पर मायूसी छा गयी…

उन्होने अपने मात-हतों को बाहर भेज दिया…, और गिड गिडाते हुए बोले….

मे मानता हूँ मुझसे ग़लती हुई थी, और वो भी किसी के दबाब में आकर, अब मे तेरे आगे हाथ जोड़ता हूँ…

किसी तरह अपने भाई की इज़्ज़त बचा ले भाई…, वरना तू तो जानता है, कि अगर ये मामला कोर्ट के थ्रू सेट्ल हुआ तो मुझे अपनी नौकरी से भी हाथ धोना पड़ सकता है…

उनकी गिड-गिडाहट देख कर बाबूजी समेत वाकी के चेहरों पर दया के भाव दिखाई देने लगे… फिर भी उनमें से किसी ने हमारे बीच में बोलने की कोई कोशिश नही की…
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