05-09-2019, 01:02 PM,
|
|
sexstories
Click Images to View in HD
|
Posts: 52,887
Threads: 4,447
Joined: May 2017
|
|
RE: vasna story मेरी बहु की मस्त जवानी
शाम को बहु रेड कलर की साड़ी पहने किचन में बर्तन धुल रही थी। मैं किचन में उसके पीछे एक टीशर्ट और लोअर पहने चाय की प्यालि लिए खड़ा बहु से बातें कर रहा था।।
सरोज - (अपनी साड़ी के पल्लू को कमर में खोसति हुई।।) बाबूजी।। आज रात शमशेर अंकल यहीं रुकेंगे?
मै - हाँ बहु।।
सरोज - ठीक।। अगर ऐसा है तो मैं आपका कमरा ठीक कर देती हूं, उनको वहीँ कमरे में सोने दिजिये और आप मेरे कमरे में सो जाइये।
मै - ठीक है बहु जैसा तुम्हे ठीक लगे।
सरोज - कमरा थोड़ा साफ़ करना पडेगा।।चीज़ें बिखरी पड़ी हैं बहुत दिन से हमलोगों ने साफ़ नहीं किया। मैंने बर्तन धूल लिए हैं आप अगर मेरी थोड़ी सी मदद कर दें तो मैं जल्दी से कमरा साफ़ कर दूँगी।
मै - (बहु के खुली चिकनी कमर को देखते हुए।) हाँ बहु क्यों नही।।
किचेन से निकल कर मैं और बहु मेरे कमरे में जाते हैं और बिखरे पड़े सामान को ठीक करने लगते है।।
सरोज - बाबूजी।। यहाँ रखे पुराने सामान को मैं ऊपर वुडेन कवर में रख देति हूं, बहुत सारा स्पेस हो जायेगा कमरे में।
मै - हाँ बहु रुको मैं कोई चेयर लगता हूं, जिसपे तुम चढ़ के सामान रख सको।
सरोज - अच्छा बाबूजी।।
मैन डाइनिंग हॉल से एक प्लास्टिक के चेयर लाया और कमरे में बेड के पास लगा दिया।
मैन - बहु तुम इस चेयर पे चढ़ जाओ और बॉक्स ऊपर रख दो।। और संभल के चढ़ना बेटी।।
सरोज - जी बाबूजी।
बहु ने एक बार फिर अपनी साड़ी के पल्लू को अपनी कमर में बांधे और अपनी पूरी तरह से खुली नवेल को बेशरमी से दिखाती हुई चेयर पे चढ़ गई।
सरोज - बाबूजी।। मुझे होल्ड करिये मैं गिर जॉंउगी, मैं कोशिश करती हूँ बॉक्स को ऊपर ड़ालने की।।
मै बहु के बिलकुल सामने था, उसकी नवेल मेरे फेस के पास थी। मैंने अपने दोनों हाथों से बहु के बड़ी सी हिप्स को घेर लिया, और अपनी हथेली से बहु के नर्म मुलायम गांड को साड़ी के ऊपर से दबा दिया।
बहु - आह बाबूजी।। थोड़ा ऊपर को पुश कीजिये मेरे हाथ लगभग पहुच गया है।
मैने बहु के बड़ी गांड को कस्स के दबाते हुवे ऊपर उठा दिया और अपना फेस बहु के डीप सॉफ्ट नवेल(नाभि) में चिपका लिया।। मेरे गाल और होठ बहु के नवेल से टच हो रहे थे।। मैंने बहाने से अपने होठ बहु के नवेल पे रगड दिए।
अभि २ मिनट हे हुए थे की तभी, पावर कट हो गया।। शाम हो चुकी थे और इस वजह से कमरे में अँधेरा छा गया।
सरोज - हो गया बाबूजी, अब मुझे धीरे से नीचे उतारिये प्लीज।। मुझे कुछ दिखाई नहीं दे रह था।।
मै - ठीक है बहु।। (कहते हुए मैंने हाथ के घेरे को ढीला किया और बहु को नीचे आने दिया।। )
अंधेरे में मैं अपने हाथ धीरे-धीरे बहु के गांड से होती हुये उसकी नंगी कमर को महसूस कर पा रहा था। सामने के तरफ मेरे फेस उसकी नवेल से होता हुआ अब उसके बूब्स के काफी क़रीब आ चूका था। नीचे आते वक़्त बहु के घुटने (कनी) से मेरा लोअर और अंडरवियर नीचे की तरफ खिच गया और मेरा खड़ा लंड पूरी तरह से बाहर निकल गया।
एससे पहले की मैं संभल पाता बहु चेयर से उतारते ही अपना बैलेंस खो बैठी और जमीन पे झुकते ही उसके नर्म होठ मेरे लंड से कस के रगड खा गई।
मैने अँधेरे में उसके गीले होठ को साफ़ अपने लंड पे महसूस किया।।। मैंने बिना कोई मौका गवाये अँधेरे का फ़ायदा उठाते हुये जानबूझ कर बैलेंस खोने का नाटक किया और एक हाथ से लंड का स्किन नीचे खोल बहु के मुह में डाल दिया। बहु की गरम साँस और मुह के अंदर के लार (सैल्विया) का स्पर्श पा कर मेरे लंड से थोड़ा सा पानी निकल गया।।।
|
|
05-09-2019, 01:03 PM,
|
|
sexstories
Click Images to View in HD
|
Posts: 52,887
Threads: 4,447
Joined: May 2017
|
|
RE: vasna story मेरी बहु की मस्त जवानी
रात को मैं, बहु और शमशेर डिनर करने के बाद बिस्तर पे बैठे बातें कर रहे थे।।।
शमशेर - लगता है आज सारी रात पावर नहीं आएगी, बहु को कैंडल के रौशनी में डिनर बनाने में काफी तकलीफ हुई होगी न?
सरोज - नहीं अंकल मुझे कोई प्रॉब्लम नहीं हुई, इस मोहल्ले में शम को लाइट जाना तो आम बात है।
मै - हाँ शमशीर, हमारे घर का पावर बैकअप भी ख़राब पड़ा है कल मैं उसे बाजार में ठीक कराने की कोशिश करता हूं, देखो अब तो सारे कैंडल भी ख़तम हो जाएंगे। बहु और कैंडल हैं?
सरोज - नहीं बाबूजी।। और कैंडल नहीं है।
शमशेर - (मुझे आँखों से इशारा करते हुए।। ) शायद बहु बहुत ज़्यादा कैंडल यूज करती है।। (शमशेर जानबूझ कर डबल मीनिंग में बातें की)
सरोज - हाँ अंकल मैं तो बहुत सारे कैंडल यूज करती हू।।। कैंडल भी पतले हैं तो ज्यादा देर तक नहीं चलते।। मोटा होता तो अच्छा होता
मैन - बहु तुम्हे मोटा कैंडल चाहिए तो मैं ला दूंगा।
शमशेर - मेरा कैंडल बहुत मोटा है बहु तुम्हे चाहिए तो मैं दे दूंगा।। मेरा मतलब मुझे घर से लाना होगा।।
शमशेर - वैसे बहु तुम कैंडल के अलावा और क्या-क्या यूज करती हो? (शमशेर फिर से गन्दी टॉक करते हुए।।)
सरोज - अंकल जी में।। ज्यादा तो कैंडल ही यूज करती हूँ कभी कभी किचन में अपना मोबाइल भी यूज कर लेती हूं।। उसमे टोर्च है न।।
शमशेर - बहु।।। तुम बाबूजी का मोबाइल क्यों नहीं यूज करती।।? वो बड़ा भी है और उसकी रौशनी भी ज्यादा है।
शमशेर - वैसे बहु तुम्हे मोबाइल से ज्यादा मजा आता है या कैंडल से?? मेरा मतलब आसान क्या है?
शमशेर इस बार काफी खुल के डबल मीनिंग क्वेश्चन किया, और मुझे लगा शायद बहु को भी समझ आने लगा की क्या ये डबल मीनिंग बातें हो रही है।। लेकिन फिर भी बहु शायद जानबूझ कर बोली।।
सरोज - अंकल जी।। मुझे तो कैंडल यूज करने में ज्यादा मजा आता है।।
बहु के मुँह से ऐसी बात सुन कर मेरा लंड खड़ा हो चूका था।। मैंने भी अपनी तरह से डबल मीनिंग जोड़ने के कोशिश की।।
मै - बहु क्या तुम रात में भी कैंडल उसे करती हो।।।?
सरोज - हाँ बाबूजी मैं रात में मोटा कैंडल यूज करती हूँ ताकि देर तक चले।। वरना मुझे अँधेरे में डर लगता है।
मै - कोई बात नहीं बहु आज तो मैं तुम्हारे साथ ही सोउंगा तो आज तुम्हे किसी मोटे कैंडल की जरुरत नहीं पडेगी।।
कुछ देर बात करने के बाद शमशेर सोने चला गया। मैं और बहु बैडरूम में आ गये।। बैडरूम में आने के साथ ही बहु ने मेरी तरफ प्यासी नज़रों से देखते हुए एक मादक अंगडाई ली। मैंने अपनी नज़र बहु के चेहरे से हटा कर उसके बड़े बूब्स को देखने लगा, उसकी अंगडाई देख कर ऐसा लगता था मानो बहु के दोनों चूचियां ब्लाउज का बटन तोड़ के बाहर आ जाएंगी। बहु ने अपना पल्लू निचे गिरा दिया और बोली।।
सरोज - बाबूजी आज कितनी गर्मी है कमरे में।।
मै बहु के नाभि देखने लगा, पल्लू उतरने से उसकी पेट पूरी नंगी हो चुकी थी और उसके गोरे पेट् और कमर अन्धेर में भी चमक रहे थे। मैंने भी अपनी टीशर्ट उतारते हुए कहा।।
मै - हाँ बहु बहुत गर्मी है।। ( बहु के नंगी पेट देखकर लोअर में मेरा लंड खड़ा था।।)
सरोज - पता नहीं कब लाइट आएगी।। (बहु ने अपने ब्लाउज के ३ बटन खोल दिए )
मै - (मैं बहु की क्लीवेज को देखता रहा।।उसकी चूचियां ब्रा के अंदर से बाहर निकल आयीं थी।।) बहु।। तुम साड़ी में बहुत अच्छी लगती हो।।
सरोज - सच बाबूजी।। क्या अच्छा लगता है?
|
|
|