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RE: Antarvasna kahani घरेलू चुदाई समारोह
“बैठ जा इस पर, छिनाल… चल साली कुतिया… चोद मेरे लौड़े को। अब किस बात का इंतज़ार है… मुझे पता है कि मुझसे ज्यादा तू तड़प रही है मेरा लौड़ा अपनी चूत में खाने के लिये। बैठ जा अब इस पर राँड… चोद अपनी गीली चूत पूरी नीचे तक मेरे लण्ड की जड़ तक…”
“ये ले… साले हरामी…” कोमल बोली और उस मोटे लण्ड को जकड़ने के लिये उसने अपनी चूत नीचे दबा दी- “हाय… कितना बड़ा और मोटा महसूस हो रहा है, विशाल सख्त लौड़ा… अपना लण्ड मेरी चूत में ऊपर को ठाँस… चोदू, मुझे पूरा लण्ड दे दे… मैंने अपनी चूत में कभी कुछ भी इतना बड़ा नहीं लिया। ऐसा लग रहा है जैसे ये लौड़ा मेरी चूत को चीर रहा है…”
कोमल सच ही बोल रही थी। ये अदभुत ठुँसायी जो इस समय उसकी चूत में महसूस हो रही थी, इसकी कोमल ने कभी कल्पना भी नहीं की थी। उसे लग रहा था कि उसकी तंग चूत इतनी फैल जायेगी कि फिर पहले जैसी नहीं होगी। फिर भी बोली- “मुझे पूरा चाहिये… बेरहमी से चोद मुझे कर्नल… मेरी चूत में ऊपर तक ठाँस दे… चीर दे मेरी चूत को, इसका भोंसड़ा बना दे…”
कर्नल को हैरानी हो रही थी कि इस उछलती और चिल्लाती औरत ने उसका पूरा लण्ड अपनी चूत में ले लिया था। उसने पहले जितनी भी औरतों को चोदा था, कोई भी उसका लण्ड आधे से ज्यादा नहीं ले सकी थी। उसे खुशी थी कि आखिर उसे ऐसी औरत मिल गयी थी जिसने न सिर्फ़ उसका पूरा लण्ड अपनी चूत में ले लिया था बल्कि और माँग कर रही थी। वो कोमल की झुलती चूचियों को मसलते हुए बोला- “चोद इसे… भारी चूचियों वाली राँड…”
“ओह… हाँ… वही तो मैं हूँ, दो-टके की राँड… चोद अपनी बड़ी चूचियों वाली राँड को अपने इस गधे के लण्ड से, ठूंस दे मेरी चूत अपने लण्ड से… बना दे मेरी चूत का भोंसड़ा…” कोमल बोली और जब उत्तेजना और जोश में उसका शरीर थरथराने लगा तो वो अपनी आँखें बंद करके अपना सिर आगे-पीछे फेंकने लगी। अपनी दहकती चूत की दीवारों पर मोटे लौड़े का घर्षण महसूस करती हुई कोमल अपना हाथ नीचे लेजाकर अपनी सख्त हुई क्लिट रगड़ने लगी। कोमल को विश्वास हो गया था कि अगर भविष्य में उसे गधे या घोड़े से चुदवाने का मौका मिला तो वो छोड़ेगी नहीं क्योंकी कर्नल का लण्ड भी किसी गधे-घोड़े के लण्ड से कम नहीं था।
जब कर्नल ने कोमल की चूचियों को एक साथ मसला और उसके निप्पलों पर चुटकी काटी तो कोमल को चरम सीमा पर पहुँचाने के लिये यही काफी था। ,उसका बदन ऊपर उठा जब तक कि सिर्फ सुपाड़ा ही उसकी तंग चूत में रह गया था। जब सनसनाती आग उसकी चूत में धधकने लगी तो कोमल उसी तरह एक लंबे क्षण के लिये स्थिर हो गयी। फिर जितनी जोर से हो सकता था, कोमल ने उतनी जोर से अपनी चूत उस भीमकाय लण्ड पर दबा दी और जब तक उसका परमानंद व्याप्त रहा तब तक बहुत जोर-जोर से अपनी चूत उस लण्ड पर ऊपर-नीचे उछालती रही।
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RE: Antarvasna kahani घरेलू चुदाई समारोह
“हेलो, सुनील…”
“ओह हेलो मनीषा…” पर उसने खास ध्यान नहीं दिया।
मनीषा को बहुत तेज़ गुस्सा आया। पर आज उसने अपने आपको समझाया- “क्या तुम मेरी थोड़ी मदद करोगे, सुनील…”
“कहो, क्या करना है…”
“क्या तुम अंदर आओगे…”
इस बार सुनील ने उसे नज़र भरकर देखा। उसकी आंखें मनीषा के छोटे से ब्लाउज़ में से झाँकती चूचियों पर कुछ देर रुकी भी।
जब सुनील अंदर आ गया तो मनीषा ने उससे पूछा- “सुनील क्या तुम मेरे साथ एक ठंडी बीयर पियोगे… अभी काम करने के लिये मौसम बहुत गर्म है। या तुम्हें डर है कि कोमल ने तुम्हें यहाँ देख लिया तो झमेला खड़ा कर देगी…”
“नहीं, वो तो खैर दिन भर नहीं आने वाली। पर…”
“पर क्या… फिर तो चिंता की कोई बात ही नहीं है…” यह कहते हुए मनीषा उसे अंदर खींच ले गई।
कुछ ही देर में दोनों ने तीन-तीन बोतल बीयर चढ़ा लीं थीं और सुनील काफ़ी खुल गया था। उसकी नज़र अब बार-बार मनीषा के ब्लाउज़ से झाँकते सुडौल उरोजों पर ठहर रही थी। मनीषा को तो ऐसा लग रहा था कि वो उसी समय कपड़े उतारकर उस आकर्षक आदमी से चुदवाना शुरू कर दे। पर वह पहले माहौल बनाना चाहती थी और फिर अपने शयनकक्ष में चुदवाने का आनंद ही और था।
“मुझे माफ़ करना, पर क्या तुम मेरा एक और काम कर सकते हो, प्लीज़…” मनीषा ने अपना जाल फेंका।
“तुम बोलो तो सही…”
“मेरे बैडरूम की एक दराज़ खुलती नहीं है। उसमें मेरी कुछ जरूरी चीज़ें रखी है। क्या तुम…”
उसकी बात खत्म होने से पहले ही सुनील उठकर शयनकक्ष की ओर जाने लगा- “बिलकुल, अभी लो…”
“क्या सोचते हो, खुल पायेगा…”
“पता नहीं, यहाँ अंधेरा बहुत है, सारे पर्दे क्यों गिराये हुए हैं… कुछ दिखता ही नहीं…”
“तुम्हें जो करना है उसके लिये बहुत अच्छे से देखने की जरूरत नहीं है, सुनील…” मनीषा ने हल्के से अपने ब्लाउज़ का बटन खोलते हुए कहा। इससे पहले कि उस बेचारे आदमी को अपने आपको संभालने का मौका मिलता, उसकी आंखों के सामने कुदरत के दो करिश्मे दीदार हो गये। मनीषा ने अपना ब्लाउज़ उतार फेंका और अपने सीने को सामने किया और तान दिया।
सुनील के तो छक्के ही छूट गए।
“अब मुझे छोड़कर भागना नहीं, सुनील… जब से रितेश मुझे छोड़कर गया है मैं प्यासी हूँ… मुझे एक मर्द चाहिये… मैनें कई मर्दों के साथ सम्बंध बनाये पर कोई मुझे संतुष्ट नहीं कर पाया। मुझे तुम्हारी बेहद जरूरत है सुनील। मैं जानती हूँ कि तुम एक अच्छे चुदक्कड़ हो। मेरा मन कहता है कि तुम मेरी प्यास मिटा सकोगे। तुम्हें भी मेरी जरूरत है… कोमल तुम्हारा ध्यान जो नहीं रखती…” यह कहते हुए मनीषा ने अपने रहे-सहे कपड़े भी उतार फेंके। मनीषा अब सिर्फ़ ऊँची एंड़ी के सैंडल पहने हुए बिल्कुल नंगी खड़ी थी और उसे उम्मीद थी की उसकी जवान नंगी काया को देखने के बाद सुनील का संयम टूट जायेगा।
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RE: Antarvasna kahani घरेलू चुदाई समारोह
सुनील तो जैसे सकते में था। वह उस शानदार नंगे बदन पर से अपनी आंखें नहीं हटा पा रहा था। उसकी चूत पर गिनती के बाल थे जिससे कि वह दूर से ही चमचमा रही थी- “अगर मैंने तुम्हारे साथ कुछ किया तो कोमल मुझे मार डालेगी। यह तुम भी भली-भांति जानती हो। तुम दोनों की वैसे भी पटती नहीं है…”
“मुझे कोमल से दोस्ती करने का कोई शौक नहीं है न ही ऐसी कोई मंशा है… मैं तो सिर्फ़ तुमसे दोस्ती करना चाहती हूँ… दोस्ती से कुछ ज्यादा…”
यह कहते हुए मनीषा आगे बढ़ी और सुनील की पैंट के बाहर से उसके लण्ड को मुट्ठी में लेने की कोशिश की, और बोली- “अब बेकार में समय मत गंवाओ सुनील… मैं तुम्हारी हूँ। अगर तुम मुझे सिर्फ़ और सिर्फ़ आज ही चोदना चाहते हो और फिर कभी नहीं तो मुझे यह भी मंज़ूर है। मैं वादा करती हूँ कि कोमल को कभी पता नहीं चलेगा। आओ, मैं बहुत गर्म हूँ, मेरी चूत तो ऐसे जल रही है जैसे उसमें आग लगी हो…”
अपनी बात सिद्ध करने के लिये मनीषा ने सुनील का हाथ पकड़कर अपनी लपलपाती चूत पर रख दिया- “तुम अपने आप देख लो कि तुमने मुझे कितना गरमाया हुआ है। तुम मुझे ऐसे छोड़कर तो जाओगे नहीं। है न सुनील… तुम नहीं चाहोगे कि मैं तुम्हारे होते हुए किसी ठंडे वाइर्बेटर का सहारा लूं…”
सुनील ने अपने हाथ को हटाने की कोई कोशिश नहीं की। कुछ सोचे बिना उसकी एक उंगली मनीषा की चूत में धीरे से जा समाई- “तुम वाकई बहुत गर्मी में हो…” कहते हुए सुनील ने अपनी उंगली को थोड़ा और अंदर घुसाया और अपनी एक बांह मनीषा की कमर में डाल दी।
मनीषा ने झुकते हुए सुनील के पैंट की ज़िप खोल दी- “देखूं सुनील तुम्हारे पास मेरे लिये क्या है… देखूं तो तुम्हारा लण्ड कितना बड़ा है…”
“ठीक है, जान अगर तुम्हें इतनी बेसब्री है तो मैं भी तुम्हें तब तक चोदूंगा जब तक तुम मुझे रुकने के लिये मिन्नतें नहीं करोगी… मैनें तुम्हें कई बार आंगन में अधनंगी फुदकते हुए देखा है। अगर मुझे कोमल की फ़िक्र न होती तो मैं कब का तुम्हें चख चुका होता… पर अब मैं नहीं रुकूंगा…”
“मैं भी यही चाहती हूँ कि रुकने के लिये मुझे मिन्नतें करनी पड़ें… पर मैं तुम्हें बता दूँ कि यह इतना आसान नहीं होगा। एक बार तुमने मेरी चूत और गाण्ड का स्वाद चख लिया तो इसके दीवाने हो जाओगे। इनके बिना फिर जी नहीं पाओगे…”
जैसे ही सुनील ने अपने कपड़े उतारना समाप्त किया मनीषा ने अपने घुटनों के बल बैठते हुए उसका लण्ड अपने हाथ में लेकर झुलाना शुरू कर दिया, और बोली- “मैं तुम्हें बता नहीं सकती कि कितनी बार सपनों में मैने यह लण्ड चूसा है…” मनीषा ने हसरत भरी निगाहों से उस शक्तिशाली लौड़े को देखते हुए कहा।
“चूसो इसे मनीषा, आज तुम्हारा सपना साकार हो गया है…”
मनीषा को तो जैसे मलाई खाने का लाइसेंस मिल गया। उसने लपक कर सुनील का लण्ड अपने मुँह में भर लिया। उसके नथुनों में लण्ड की महक समा गई- “हूँउंउंह, और…”
सुनील- “पता नहीं मैं इस मौके को इतने सालों तक क्यों छोड़ता आया…”
मनीषा- “क्योंकी तुम बेवकूफ थे, पर अब तुम होशियार हो गये हो। अब तुम्हें पता है कि तुम्हारे पड़ोस में हलवाई की ऐसी दुकान है जो मुफ्त में जब चाहो मिठाई खिलाने को तैयार है…”
“चूसो मुझे मनीषा, चूसो और मेरे रस को पी जाओ…” कहते हुए सुनील ने अपना लण्ड मनीषा के छोटे से मुँह में जड़ तक पेल दिया और धकाधक अंदर-बाहर करने लगा - ऐसे जैसे कि वो मुँह नहीं चूत हो।
मनीषा की वर्षों की इच्छा थी कि वो सुनील के लण्ड का रस जी भरकर पिये। और अब जब वह मौका उसके हाथ में था तो उसे लग रहा था कि वो खुशी से बेहोश न हो जाये। लण्ड के फूलने से उसे यह तो पता लग गया कि उसको थोड़ी ही देर में अपना पेट भरने को माल मिलने वाला है।
“मनीषा, मनीषा, मनीषा…” सुनील ने दोहराया और फ़िर उसने मनीषा का मुँह अपने रस से भर दिया- “पी अब, बड़ी प्यासी थी न तू… अब जी भरकर पी… और ले… और…”
मनीषा ने भी बिना सांस रोके, पूरा का पूरा वीर्य पी लिया, और कहा- “खाली कर दो अपने टट्टों का पानी मेरे मुँह में…” जब मनीषा ने जी और पेट भर लिया तो उसने सुनील का हाथ पकड़ा और बिस्तर की ओर ले गई और उसे बिस्तर पर गिरा दिया। फिर उसने अपनी गर्मागर्म पनियाई हुई चूत को सुनील के मुँह पर रख दिया। उसे तब ज्यादा खुशी हुई जब बिना बोले ही सुनील ने अपनी जीभ को उसकी चूत के संकरे रास्ते से अंदर डाल दिया और लपलपाकर चूसने लगा।
“चोद मुझे अपने मुँह से…” मनीषा ने अपने बड़े मम्मों को अपने हाथों से मसलते हुए और सुनील के मुँह पर अपनी चूत को जोर से रगड़ते हुए चीख मारी।
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RE: Antarvasna kahani घरेलू चुदाई समारोह
सुनील को चूत चूसने से कोई परहेज़ नहीं था। कोमल की चूत तो वो सालों से चूस ही रहा था, पर उसने और भी कई घाटों का पानी पिया था। उसे इस बात का बड़ा अचरज था कि हरेक का स्वाद अलग रहा था। कोमल की चूत मनीषा से ज्यादा मीठी थी, पर पानी मनीषा ज्यादा छोड़ रही थी।
“मेरी गाण्ड भी चाटो…” मनीषा फिर चीखी और उसने अपने शरीर को थोड़ा सा आगे सरकाया जिससे कि सुनील को आसानी हो। फिर बोली- “हाँ ऐसे ही, तुम वाकई हर काम सही तरीके से करते हो…”
जब सुनील अपने काम में व्यस्त था।
मनीषा ने अपनी चूत को रगड़ना शुरू कर दिया। एक बार पहले भी वह इस तरह से झड़ी थी और आज तक उसे वह दिन याद था। उसे उम्मीद थी कि सुनील अपना मुँह उसकी गाण्ड पर से हटायेगा नहीं। वो बोली- “रुकना नहीं सुनील… अपनी जीभ मेरी गाण्ड के अंदर डालने की कोशिश करो। मुझे एक बार यूं ही झड़ाओ। मुझे यह बहुत अच्छा लगता है। मैं भी तुम्हारे साथ ऐसा ही करूंगी बाद में…” और जब सुनील की जीभ उसकी गाण्ड में गई तो मनीषा तो बेकाबू हो गई।
उसने अपनी चूत को बेहताशा नोचना शुरू कर दिया- “मैं झड़ी रे… खा जा मेरी गाण्ड… तू क्या चुदक्कड़ है रे… वाह झड़ गई रे… न जाने कितने दिन हो गये इस तरह झड़े हुए… तुम्हारा बहुत-बहुत धन्यवाद सुनील…” जब उसका शरीर काबू में आया तो मनीषा ने नीचे उतरकर सुनील का एक गहरा चुम्बन लिया।
सुनील- “मैं फिर आऊँगा, पर कोमल को इस बारे में पता नहीं चलना चाहिये…”
मनीषा ने अपना मुँह फिर से सुनील के लण्ड की ओर बढ़ाया- “मुझे खुशी है कि तुम मुझे फिर से चोदने के लिये आओगे। पर हम अभी पूरी तरह से फ़ारिग कहाँ हुए हैं… अभी तो मुझे यह जानदार लौड़ा अपनी चूत में अंदर डलवाना है…” यह कहते हुए सुनील का लण्ड मनीषा ने वापस अपने मुँह में डाल लिया।
“यह क्या कर रही हो…” सुनील ने पूछा।
“तुम्हारे लौड़े को वापस से सख्त कर रही हूँ… ज़रा सोचो, इसके बाद मैं तुम्हें इस बल्लम को अपनी चूत में घुसाने दूंगी… पर मुझे पहले इस कड़ा करना है। क्योंकी उसके बाद ही मुझे उस तरह से चोद सकोगे जैसा कि मैं इतने सालों से चाहती हूँ। बोलो, तुम जबरदस्त तरीके से चोदोगे न मुझे…”
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03-15-2019, 03:13 PM,
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RE: Antarvasna kahani घरेलू चुदाई समारोह
मनीषा को लगभग 20 सेकंड लगे सुनील के लौड़े को अपने लिये तैयार करने में। उसके बाद सुनील ने उसके कंधों को जोर से पकड़ा और उसे उसकी कमर के बल लिटा दिया। मनीषा के हाथ ने उसके लण्ड को अपने हाथ में लिया और उसका मोटा सुपाड़ा अपनी सुलगती हुई चूत के मुहाने पर लगा दिया, और उसने आंख बंद करते हुए कहा- “अब मुझे और इंतज़ार न कराओ…”
“हुर्रर…” सुनील ने एक ही धक्के में अपना पूरा का पूरा लौड़ा मनीषा की चूत में पेल दिया। जिस भीषण गर्मी ने उसके लण्ड का स्वागत किया वह अभूतपूर्व थी। इस जोरदार धक्के से वह खुद भी मनीषा पर जा गिरा और उसका बलिष्ठ सीना मनीषा के विशालकाय स्तनों को दबाने लगा।
लण्ड से भरी हुई मनीषा ने आंखें खोलीं- “मैं जानती थी, मैं जानती थी कि तुम्हारा लण्ड मेरे अंदर तक खलबली मचा देगा… मैं जानती थी…” उसके बाद तो मनीषा को रोकना ही असम्भव हो गया। उसने अपनी गाण्ड उचका-उचका कर जो चुदवाना चालू किया तो सुनील की तो आंखें ही चौंधिया गईं।
उसने भी दनादन अपने लौड़े से पूरे जोर के साथ लम्बे-लम्बे गहरे-गहरे धक्के लगाने शुरू कर दिये। मनीषा भी उसे और जोर और गहराई से चोदने के लिये प्रोत्साहित कर रही थी। सुनील को आश्चर्य था कि इतनी संकरी चूत में यह महाचुदक्कड़ औरत कितना बड़ा लौड़ा खा सकती थी। वो जितना जोर से पेलता, वह उतना ही ज्यादा की माँग करती थी। उसकी प्यासी चूत उसके लण्ड को केले के छिलके की तरह पकड़े हुए थी। जब उसका लण्ड अंदर की तरफ जाता था तो उसे ऐसा लगता था जैसे वह भट्ठी उसके लण्ड को ही छील देगी।
मनीषा ने अपनी जीभ सुनील के मुँह में डाल दी- “मुझे और जोर से चोदो… मेरे मुँह को भी अपनी जीभ से चोदो…”
सुनील ने उसका मुँह और चूत दोनों को तन-मन से चोदना चालू रखा। जब दोनों एक साथ झड़े तो जैसे तूफ़ान आ गया। मनीषा तो जैसे उस भारी लण्ड को छोड़ने को ही राज़ी नहीं थी। न वो रुकी न सुनील और दोनों का ज्वालामुखी फट गया।
“हाय मेरे महबूब, फाड़ दे मेरी चूत को… मैं झड़ रही हूँ मेरे यार… ओ मेरी माँ देख तेरी बेटी का क्या हाल कर दिया इस पड़ोसनचोद ने… हाय रे, मैं मरी रे…” उसके शरीर का कौन सा अंग क्या क्रिया कर रहा था इस बात से वो बिलकुल अनभिज्ञ हो चुकी थी।
जब वह थोड़ी ठंडी हुई तो मनीषा ने सबसे पहले सुनील का लण्ड अपने मुँह से साफ़ किया। फिर उसने मज़ाक किया- “क्या तुम उस दराज को आज ठीक करोगे…”
सुनील उसकी बात समझ न पाया और बोला- “नहीं आज नहीं, मैं कल आकर ठीक कर दूंगा। कल कोमल दिन भर घर में नहीं होगी और इसमें काफी समय लग सकता है…”
“मैं यहीं रहूंगी…” मनीषा मुश्कुराई। उसे पता था कि कल सुनील कौन सी दराज को ठीक करने आएगा।
“सजल यह लो कार की चाभी और जाकर थोड़ी ठंडी बियर ले आओ। प्रमोद को भी अपने साथ ले जाओ…” कोमल ने सजल से कहा। उसने उन दोनों दोस्तों को कार में जाते हुए देखा। उसकी नज़र जब प्रमोद के कसे हुए जिश्म पर पड़ी तो उसकी चूत में एक खुजली सी हुई। वह वापस घर के अंदर जाते हुए यही सोच रही थी कि क्या वो प्रमोद से अपनी प्यास मिटाने में कामयाब हो पायेगी…
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RE: Antarvasna kahani घरेलू चुदाई समारोह
वह सजल के साथ तीन दिन से आया हुआ था और कोमल की उसे चोदने की इच्छा हर रोज़ तीव्र होती जा रही थी। वैसे भी वो बहुत चुदासी थी। इस पूरे हफ्ते में वह सजल को सिर्फ़ एक ही बार चोद पाई थी। पता नहीं क्यों सुनील भी पिछले कुछ दिनों से चोदने के मूड में नहीं था। वह हर बार थकने का कारण बताकर उसे नहीं चोद रहा था। उसके दिमाग में एक बार तो यह ख्याल आया कि कहीं वह इधर-उधर मुँह तो नहीं मार रहा था, पर फिर उसने इस विचार को दरकिनार कर दिया। अभी तो उसका ध्यान इस बात पर ज्यादा था कि प्रमोद को कैसे अपने काबू में किया जाये।
उसने सजल से पहले पूछा था कि- “क्या उसने प्रमोद को बताया है कि वो अपनी मम्मी को चोदता है…
सजल ने जवाब दिया था- “अगर मैं कहूंगा तो वो मुझे पागल समझेगा…”
“क्या तुम्हें अपनी मम्मी को चोदने में शर्म आती है…” उसने कुछ दुख से पूछा।
“नहीं, मुझे शर्म नहीं आती पर अधिकतर लोग हमारी बात को नहीं समझेंगे…” सजल ने कहा।
“क्या तुम समझते हो कि प्रमोद मुझे चोदना चाहेगा…”
“क्या तुम प्रमोद को चोदना चाहती हो…”
“तुम्हें ईर्ष्या तो नहीं होगी न…”
“पता नहीं, मैनें कभी इस बारे में सोचा ही नहीं कि मुझे और पापा के अलावा भी कोई तुम्हारे साथ सम्पर्क रखे। पर मेरी जान-पहचान के लड़के के साथ… ये कुछ ज्यादा है… लगता है तुम्हें जवान लड़कों का शौक है…”
“यह तो मैं नहीं कह पाऊँगी, पर हाँ मुझे चुदवाने का बेहद शौक है, यह बात पक्की है…”
“अगर प्रमोद तुम्हें न चोदना चाहेगा तो…”
“पहले यह बात पता तो लगे… मैं यह जानना चाहती हूँ, पर मैं तुम्हारी भावनाएं समझना चाहती थी…”
“क्या तुम हम दोनों को एक साथ चोदना चाहोगी…” सजल के प्रश्न ने कोमल को भौंचक्का कर दिया।
“मुझे डर था कि तुम शायद इसके लिये तैयार न हो…” कोमल के जिश्म में यह सोचकर कर सनसनी फैल गई कि अगर ऐसा हुआ तो कैसा लगेगा।
सजल ने कंधे उचका कर कहा- “अगर कोई अपनी मम्मी को चोद सकता है तो वो कुछ भी कर सकता है…”
“तो फिर देखते हैं कि यह प्रोग्राम चलता है या नहीं। मुझे खुशी है कि तुम मेरे साथ हो। अब मैं प्रमोद से सही समय पर बात करूंगी…”
अब जबकि कोमल उन दोनों लड़कों की वापसी की राह देख रही थी, उसे विश्वास हो चला था कि प्रमोद को अपने दिल की बात कहने का समय आ गया था। उसने अपने कमरे में जाकर भड़काऊ कपड़े पहने जिससे कि उसका जिश्म छिप कम और दिख अधिक रहा था। आवश्यकता के अनुरूप उसने न चड्ढी पहनी थी न ही ब्रा। साथ ही उसने अपने गोरे पैरों में चमचमाते पट्टों वाले ऊँची एंड़ी के सैंडल भी पहन लिए क्योंकी एक तो उसकी चाल सेक्सी हो जाती थी और दूसरे उसका अनुभव था कि ज्यादातर मर्द ऊँची एंड़ी के सैंडल पहनी औरत की तरफ जल्दी आकर्षित होते हैं। इस रूप में उसे देखकर, अगर प्रमोद उसे चोदेगा नहीं तो कम से कम वह पागल तो ज़रूर हो जायेगा। इतने में ही उसने गाड़ी के वापस आने की आवाज़ सुनी और वो रसोई में सामान रखने के लिये चली गई।
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RE: Antarvasna kahani घरेलू चुदाई समारोह
प्रमोद ने सजल की ओर देखा। सजल ने हामी में अपना सिर हिलाया कि वह सही समझ रहा था।
“तुम सही सोच रहे हो प्रमोद… मैं सजल को चोदने की ट्रेनिंग दे रही हूँ। क्या तुम नहीं चाहोगे कि मैं तुम्हें भी यह शिक्षा दूँ। मैं जानती हूँ कि तुम मुझे चोदना चाहते हो क्योंकी तुम जिस तरह से मेरे शरीर को देख रहे थे उसका कोई और मतलब हो ही नहीं सकता…”
कोमल ने बीयर की बोतल प्रमोद के हाथों से ली और उसका ठंडा हाथ अपने नंगे पेट पर रख दिया। फिर आहिस्ता से उन्हें अपनी चूचियों पर लगा लिया।
“देखो ये कितने बड़े और गर्म हैं। हाय, तुम्हारे हाथ कितने ठंडे हैं। पर चिंता मत करो थोड़ी ही देर में ये भी गर्मा जायेंगे…” कोमल ने अपनी चूचियों को उसके हाथों से दबाते हुए कहा।
प्रमोद तो जैसे सपना देख रहा था। किसी औरत के मम्मों को वह सचमुच में दबा रहा था यह उसे अभी तक विश्वास नहीं था। उसे परसों की रात याद आई जब उसने कोमल के नंगे शरीर के बारे में सोचते हुए मुठ मारी थी। उसने कितने अच्छे से बाथरूम साफ़ किया था उसके बाद - यह सोचकर कि कहीं उसके वीर्य के अवशेष कोमल को न मिल जायें। और अब वह उसी औरत की छातियों में अपना हाथ डाले हुए बैठा था।
“अपने हाथ मत हटाना…” उसने प्रमोद से कहा- “सजल, मेरा टाप तो उतार ज़रा बेटा। प्रमोद को भी तो अपने मम्मों की छटा दिखाऊँ…”
सजल ने अपनी मम्मी की आज्ञा मानी और कोमल के दोनों स्तन अपनी पूरी बहार में खिल उठे।
“अब तुम दोनों एक-एक बांट लो। सजल एक तुम दबाओ और प्रमोद एक तुम…” कोमल ने एक अच्छे शिक्षक की तरह समझाया- “दबाओ मेरे बच्चों… आह्ह…”
जब दोनों लड़के उसके मम्मों के साथ खिलवाड़ कर रहे थे, कोमल ने प्रमोद की शर्ट उतार डाली, बोली- “तुम्हारी छाती तो बड़ी चिकनी है…” फ़िर उसके हाथ प्रमोद की पैंट की ओर बढ़े। उसने धीरे से उसकी बेल्ट खोली और फ़िर पैंट।
“देखूं तुम मुझसे क्या छिपा रहे थे…” कहकर उसने प्रमोद की पैंट उतार दी और दूसरे ही क्षण इससे पहले कि प्रमोद कुछ समझ पाता उसकी चड्ढी भी जमीन चाट गई।
“अच्छा है, प्यारा और सख्त…” कोमल ने खुशी का इज़हार किया। वह सजल की तरह बड़ा नहीं था पर फिर भी काफी सख्त और मज़बूत था। उसे अपनी मुट्ठी में लेकर सहलाते हुए कोमल बोली- “और गर्म भी…”
“ऊँहह…” कहते हुए प्रमोद ने अपनी पकड़ कोमल की चूची पर और तेज़ कर दी। उसने एक नज़र अपने हाथ में मौज़ूद चूची पर डाली और तय कर लिया कि उसे आगे क्या करना है।
“तुम इसे चूस सकते हो… प्रमोद, चूसो और इसका स्वाद लो… तुम भी सजल…”
प्रमोद के होंठ खुले और कोमल की चूची के काले निप्पल पर सध गये। उसने धीरे से चूसना चालू किया। फिर थोड़ा जोर से और जब देखा कि कोमल को इससे आनंद मिल रहा है तो और तेज़ी दिखाई। उधर सजल ने भी यही कायर्क्रम शुरू किया हुआ था। कोमल तो जैसे स्वर्ग की ओर जा रही थी। कोमल दो-ढाई बोतल बीयर पी चुकी थी और उसपर शुरूर छाया हुआ था।
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