I think I want to weep too much really what a great heart touching story , I cannot believe that story has been finished . Sir am not feel well that story on page 11 please continue the story sir what happened next in there life . I feel too much fall of heart when both children says papa to Manu I cannot express that I feel they are saying to me
(02-20-2019, 05:39 PM)sexstories Wrote: इससे पहले की मैं कहानी शुरू करूँ मैं पहले आपको इसके पत्रों से रूबरू करना चाहता हूँ| आपको बताने की जर्रूरत तो नहीं की मैंने इस कहानी के सभी पात्रों के नाम, जगह सब बदल दिए हैं| तो चलिए शुरू करते हैं, मेरे पिता के दो भाई हैं और एक बहन जिनके नाम इस प्रकार हैं :
१. बड़े भाई - राकेश
२. मझिल* - मुकेश (*बीच वाले भाई)
३. सुरेश (मेरे पिता)
४. बड़ी बहन - रेणुका
बड़े भाई जिन्हें मैं प्यार से बड़के दादा कहता हूँ उनके पाँच पुत्र हैं| उनके नाम इस प्रकार हैं :
१. चन्दर
२. अशोक
३. अजय
४. अनिल
५. गटु
मझिल भाई जिन्हें मैं प्यार से मझिले दादा कहता हूँ उनके तीन पुत्र और तीन पुत्रियाँ हैं| उनके नाम इस प्रकार हैं :
१. रामु (बड़ा लड़का)
२. शिवु
३. पंकज
४. सोनिया (बड़ी बेटी)
५. सलोनी
६. सरोज
हमारा गावों उत्तर प्रदेश के एक छोटे से प्रांत में है| एक हरा भरा गावों जिसकी खासियत है उसके बाग़ बगीचे और हरी भरी फसलों से लैह-लहाते खेत परन्तु मौलिक सुविधाओं की यदि बात करें तो वह न के बराबर है| न सड़क, न बिजली और न ही सोचालय! सोचालय की बात आई है तो आप को सौच के स्थान के बारे में बता दूँ की हमारे गावों में मुंज नमक पोधे के बड़े-बड़े पोधे होते हैं जो झाड़ की तरह फैले होते हैं| सुबह-सुबह लोग अपने खेतों में इन्ही मुंज के पौधों की ओट में सौच के लिए जाते हैं|
अब मैं अपनी आप बीती शुरू करता हूँ| मेरे जीवन में आये बदलाव के बीज तो मेरे बचपन में ही बोये जा चुके थे| मेरे स्कूल की छुटियों में मेरे पिताजी मुझे गावों ले जाया करते थे और वहाँ एक छोटे बच्चे को जितना प्यार मिलना चाहिए मुझे उससे कुछ ज्यादा ही मिला था| इसका कारन था की मैं बचपन से ही अपने माँ-बाप से डरता था पर उन्हें प्यार भी बहुत करता था| मेरे पिताजी ने बचपन से मुझे शिष्टाचार के गुण कूट-कूट के भरे थे| कुत०कुत के भरने से मेरा तात्पर्य ऐ की डरा-धमका के, इसी डर के कारन मेरा व्यक्तित्व बड़ा ही आकर्षक बन गया था|गावों में बच्चों में शिष्टाचार का नामो निशान नहीं होता, और जब लोग मेरा उनके प्रति आदर भाव देखते थे तो मेरे पिताजी की प्रशंसा करते थकते नहीं थे|
यही कारण था की परिवार में मुझ सब प्यार करते थे| परन्तु मेरी बड़ी भाभी (चन्दर भैया की पत्नी) जिन्हें मैं प्यार से कभी-कभी "भौजी" भी कहता था वो मुझे कुछ ज्यादा ही प्यार और दुलार करती थी| मैं उसे बचपन से ही बहुत पसंद करता था परन्तु तब मैं नहीं जानता था की ये आकर्षण ही मेरे लिए दुःख का सबब बनेगे|
मेरी माँ बतायाकरती थी की मैंने 6 साल तक दूध पीना नहीं छोड़ा था, और यही कारन है की जब मैं छोटा था तो मैं भागता हुआ रसोई के अंदर घुस जाता था, जहाँ की चप्पल पहने जाना मना है और खाना बना रही भाभी की गोद में बैठ जाता और वो मुझे बड़े प्यार से दूध पिलाती| दूध पिलाते हुए अपनी गोद में मुझे सुला देती| मैं नहीं जानता की ये उसका प्यार था या उसके अंदर की वासना? क्योंकि उस समय भाभी की उम्र तकरीबन 18 या 20 की रही होगी| (हमारे गावों में शादी जल्दी कर देते हैं|) मैं यह नहीं जानता तब उन्हें दूध आता भी था या नहीं, हालाँकि मेरे मन में उनके प्रति कोई भी दुर्विचार नहीं थे पर एक अजीब से चुम्बकीये शक्ति थी जो मुझे उनके तरफ खींचती थी| जब वो अपने पति अर्थात मेरे बड़े भाई चन्दर के पास होती तो मेरे शरीर में जैसे आग लग जाती| मुझे ऐसा लगता था की मेरे उन पर एक जन्मों-जन्मान्तर का हक़ है| ऐसा हक़ जिसे कोई मुझसे नहीं छीन सकता| दोपहर को जब वो खाना बना लेती और सब को खिलने के बाद खाती तो मैं बस उसे चुप-चाप देखता रहता| खाना खाने के बाद मैं भाभी से कहता की "भाभी मुझे नींद आ रही है आप सुला दो|" तो भाभी मुझे गोद में मुझे उठा कर चारपाई पर लिटाती और मेरी और प्यार भरी नजरों से देखती| मेरे मुख पर एक प्यारी सी मुस्कान आती और वो नीचे झुक कर मेरे गाल पर प्यार से काट लेती| उनके प्यार भरे होंट जब मेरे गाल से मिलते और जैसे ही वो अपने फूलों से नाजुक होंटों से मेरे गाल को अपनी मुंह में भरती तो मेरे सारे शरीर में एक झुरझुरी सी छूट जाती और मैं हंस पड़ता| इनका ये प्यार करने का तरीका मेरे लिए बड़ा ही कातिलाना था!