Sex Hindi Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
01-12-2019, 02:30 PM,
RE: Sex Hindi Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
तभी राजेश कमरे से बाहर निकला ...लुटा हुआ पिता हुआ...उसे देख सुनील को अपनी वो हालत याद आ गयी ........जब उसे अपनी असलियत का पता चला था...............

कुछ दिन हुए शादी को.....और कुछ ही दिनो में सब बदल गया ......अपने हरामी होने का अहसास इंसान को जीते जी मार देता है .....जिंदगी भर लड़कियों से दूर रहा.....और जब प्यार हुआ...शादी हुई ...तो पता चला ....वो तो बहन है .....क्या है ये जिंदगी....कैसे हैं इसके रंग ....दम घुटने लगा था राजेश का .....नफ़रत होने लगी थी अपने वजूद से ....विजय के कमरे से बाहर निकल....वो घर से बाहर जाने लगा ....कहाँ...ये शायद वो भी नही जानता था .......

ऐसा कुछ होगा ...इसीलिए सुनील रुका हुआ था .....आख़िर इस सब में राजेश की क्या ग़लती थी .....सुनील के लिए अब वो वक़्त आ गया था जब उसे फिर से एक बार अपने दर्द को जीना था ...वरना राजेश तबाह हो जाता ......

सुनील ने भाग के उसे पकड़ लिया ....कहाँ जा रहा है भाई .....

राजेश ...एक फीकी हँसी के साथ उसे देख बोला ....अब भी भाई....(वो नही जानता था .....सुनील भी उसका भाई है )

सुनील ...हां .....जो तू भुगत रहा है ...मैं भी भुगत चुका हूँ ......चल सब बताता हूँ.........एक बॉटल ले आ वरना ये जहर तुझ से बर्दाश्त नही होगा........

सुनील...आरती से .......मम्मी ये रोना बंद करो और पापा के पास जाओ ..इस वक़्त उन्हें आपकी ज़रूरत है .....मैं इसे संभाल लूँगा.....

आरती रोती हुई राजेश को देखती है ....दिल फटने लगता है उसका और फिर दोनो के सर पे प्यार से हाथ फेरती हुई ....रोती हुई भाग जाती है विजय के पास .....

आरती के जाने के बाद ........देख रहा है माँ की हालत ....क्या सोच रहा है ....क्या हालत हुई होगी पापा की .......और तू चला था बाहर ........भूल गया वो प्यार वो ममता जो दोनो सारी जिंदगी तेरे पे उडेलते रहे .....

लेकिन राजेश को सुनील की कोई बात सुनाई नही दे रही थी ....ये शाम कितनी अजीब थी ...जो उसकी जिंदगी में बवंडर ले आई थी ....उसके वजूद को हिला के रख दिया था .....सारी जिंदगी जिसे वो अपना पिता समझता रहा ...वो उसका पिता नही था....जो उसका पिता था वो उसकी माँ का रेपिस्ट था...ये आघात सहना तो शायद उस उपरवाले के लिए भी आसान नही होगा ....जिस लड़की पे दिल आया .....वो उसकी सौतेली बहन निकली .....क्या संसार में और कोई लड़की नही थी ...जिसपे दिल आता ...नियती ने उसके लिए लड़की चुनी भी तो बहन.......अचानक उसके दिमाग़ में बारूद पे बारूद फटने लगे ...उसे अपने से ज़्यादा कविता की चिंता होने लगी....अगर सुहाग रात मुकम्मल हो जाती तो.........क्या होता कविता का ........क्या गुजर रही होगी उसपे ...कैसे अब कभी एक दूसरे का सामना कर पाएँगे ......उसके होंठों का वो चुंबन...उसके होंठों की मिठास....उसकी चूड़ियों की खन खन...क्या कभी इस अहसास को भूल पाएगा वो ......वो मखमली बदन ...जो सिर्फ़ ब्रा और पैंटी में रह गया था ...क्या उसकी चमक .....क्या उसका आकर्षण कभी भूल पाएगा वो...वो कमान से तनी भौए....वो लरजते हुए होंठ .....न्न्वोीनननणन्नाआआआहहिईीईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई

चिल्ला उठा राजेश और अपने बाल नोचने लगा ...............

शायद पड़ोसी उसके दिल की हालत को बेहतर समझते थे ....जो ये गाना लगा बैठे.......


स्वप्न-झरे फूल से, 
मीत-चुभे शूल से, 

लूट गये सिंगार सभी बाग के बबूल से, 
और हम खड़े-खड़े बहार देखते रहे, 
कारवाँ गुज़र गया, गुबार देखते रहे. 

नींद भी खुली ना थी कि है धूप ढल गयी, 
पावं जब तलक उठे कि ज़िंदगी फिसल गयी, 
पात-पात झर गये कि शाख-शाख जल गयी, 
चाह तो निकल सकी ना पर उमर निकल गयी. 

गीत अश्क बन गये, 
छन्द हो दफ़न गये, 
साथ के सभी दिए धुआँ-धुआँ पहेन गये, 
और हम झुके-झुके, 
मोड़ पर रुके-रुके, 
उमर के चढ़ाव का उतार देखते रहे, 
कारवाँ गुज़र गया, गुबार देखते रहे! 

क्या शबाब था कि फूल-फूल प्यार कर उठा, 
क्या सुरूप था कि देख आईना सिहर उठा, 
इस तरफ ज़मीन और आसमान उधर उठा, 
थाम कर जिगर उठा कि जो मिला नज़र उठा, 
एक दिन मगर यहाँ, 
ऐसी कुच्छ हवा चली, 
लूट गयी कली-कली कि घुट गयी गली-गली, 
और हम लूटे-लूटे, 
वक़्त से पीते-पीते, 
साँस की शराब का खुमार देखते रहे, 
कारवाँ गुज़र गया, गुबार देखते रहे! 

हाथ थे मिले कि ज़ुलफ चाँद की संवार दूँ, 
होंठ थे खुले की हर बहार को पुकार दूं, 
दर्द था दिया गया कि हर दुखी को प्यार दूँ, 
और चाँद यूँ कि स्वर्ग भूमि पर उतार दूं, 
हो सका ना कुच्छ मगर, 
शाम बन गयी सहेर, 
वो उठी लहर की ढह गये किले बिखर-बिखर, 
और हम डरे-डरे, 
नीर नयन में भरे, 
ओढ़-कर कफ़न पड़े मज़ार देखते रहे, 
कारवाँ गुज़र गया, गुबार देखते रहे! 

माँग भर चली कि एक जब नयी-नयी किरण, 
ढोलके धुनुक उठी, ठुमूक उठे चरण-चरण, 
शोर मच गया कि लो चली दुल्हन, चली दुल्हन, 
गाओं सब उमड़ पड़ा, बहेक उठे नयन-नयन, 
पर तभी ज़हर भरी, 
गाज़ एक वो गिरी, 
पुंच्छ गया सिंदूर, तार-तार हुई चूनरी, 
और हम अज़ान से, 
दूर के मकान से, 
पालकी किए हुए कहर देखते रहे! 
कारवाँ गुज़र गया, गुबार देखते रहे!!


जिसका एक एक लफ्ज़....राजेश के दिल की हालत ब्यान कर रहा था.....गिर पड़ा घुटनो के बल और फुट फुट के रोने लगा..........सब कुछ तो छिन गया था उसका ....कैसी अजीब शाम थी ये .....

उसकी ये हालत देख सुनील की आँखें भी छलच्छला गयी पर ये वक़्त उसके लिए भावनाओं में बहने का नही था ...इस वक़्त तो उसे खुद को फिर से सूली पे चढ़ाना था ...ताकि एक जिंदगी ....बर्बाद होने से शायद बच जाए ...या यूँ कहो कि दो ज़िंदगियाँ ....और दोनो ही उसके अपने थे.......

सुनील....चल उठ...यूँ लड़कियों की तरहा रोते नही ...जिंदगी का सामना करते हैं...एक दिन मेरी भी यही हालत थी ...क्यूंकी मेरा बाप भी वही था जो तेरा बाप था.........ये एक नया बॉम्ब था राजेश के लिए .....वो रोते हुए आँखें फाडे सुनील को देखने लगा.....

सुनील ने राजेश को उठाया ….और उसकी के बेडरूम में जा कर दोनो बैठ गये ……

ऐसा शायद सुनील ने जानभूज के किया था…ताकि राजेश को कविता की याद आए …….उन पलों की याद आए जो उसने कविता के साथ गुज़ारे थे …….

लव अट फर्स्ट साइट …..बहुत घातक होता है ……अगर ना मिले तो जिंदगी बर्बाद भी हो सकती है…और सुनील से बेहतर इस वक़्त राजेश को कों समझ सकता था….

कमरे में घुस राजेश की नज़र बिस्तर पे पड़ी और वो पल उसकी नज़रों के सामने आने लगे…जब …ये बिस्तर सुहाग सेज बना हुआ था …और वो मृगनयनि उसका इंतेज़ार कर रही थी …वो झील से गहरी आँखें…उसका वो मचलता मदमाता बदन….उफफफफफ्फ़ ……राजेश ने नज़रें बिस्तर से फेर ली ….

सुनील ने दो लार्ज ड्रिंक बनाए ........और एक उसे पकड़ा के सीधा बॉटम्स अप कर दिया ...राजेश भी उसे देख एक सांस में ग्लास खाली कर गया ......फिर शुरू हुई सुनील की दर्द भरी यात्रा....

कविता....सुमन और सोनल के साथ होटेल आ गयी ...उसके आँसू थमने का नाम ही नही ले रहे ....कुछ दिनो में क्या से क्या हो गया......क्या जिंदगी मिली थी उसे ...सारी जिंदगी पिता के प्यार को तरसती रही .....जो उसे एक नाजाएज जिंदगी दे कर छोड़ गया था ....और उसकी माँ जाने क्या क्या झेलती हुई उसे पाली थी और एक दिन वो भी इस निष्ठुर दुनिया से लड़ते लड़ते थक गयी थी ....और छोड़ गयी मझधार में.....एक प्यारा सा भाई मिला किस्मत से ...जो उसपे जान देता था ......उसके ही हाथों नियती ने ये गुनाह करवा दिया ...शादी करवा दी ....वो भी उस इंसान के बेटे से .......जिसने सारी जिंदगी उसकी माँ को तड़पने के लिए छोड़ दिया ....उसका पति उसका सौतेला भाई निकला ....क्या पाप किया था मैने ...जो मुझे ये सज़ा मिली.......


सुमन ......कवि बेटी खुद को सम्भालो ...इस तरहा जिंदगी नही जी जा सकती ........जिंदगी में बड़े बड़े तुफ्फान आते हैं...उनका सामना ही नही करना पड़ता ..उनमें से गुजर कर जीत के बाहर आना होता है ...ज़रा सोचो इस वक़्त राजेश की क्या हालत होगी ....सोचो उस वक़्त सुनील की क्या हालत हुई होगी....

कवि.....मम्मी भाई मिला तो वो भी उस आदमी का बेटा निकला ...पति मिला तो वो भी उस आदमी का बेटा निकला जिसकी वजह से मेरी जिंदगी बर्बाद हुई थी ...मेरी माँ की जिंदगी बर्बाद हुई थी

आग लग गयी सोनल को ......कवि की ये बात सुन...इससे पहले वो भड़कती ...सुमन ने इशारे से उसे चुप करवाया......


सुमन...थोड़ा गुस्से में...तेरा दिमाग़ खराब हो गया है क्या कवि......राजेश ...विजय का बेटा है..उसमे विजय के संस्कार हैं...सुनील...सागर का बेटा है ....इन दोनो में सिर्फ़ घिनोना बीज समर का था ...उसका असर भी कब का ख़तम हो गया ......अगर सुनील सागर का बेटा ना होता ....तो रोन्द डालता सोनल को और मुझे भी ...आज हम पति पत्नी नही होते ....वासना के पुजारी होते ........अगर राजेश के अंदर ज़रा भी असर होता ....समर का ...तो वो इतना नही टूटता ...जितना वो टूट रहा है ...खुद सोच कैसा बर्ताव था उसका तेरे साथ सुहाग रात में ....अगर वो समर का बेटा होता तो तू अभी तक कुँवारी नही होती ....इंसान को पहचानना सीख गुड़िया ...क्या कभी सुनील ने ग़लत नज़र से तुझे देखा ....मैं जानती हूँ किस तरहा मैने उसे सोनल से शादी करने पे तयार किया था ......मैं जानती हूँ...कितना लड़ता था वो खुद से ....हीरा है वो हीरा ...और राजेश भी कुछ कम नही .....ये नियती का खेल था ...जिसे हम रोक नही सके.......ठंडे दिमाग़ से सोच .....यूँ उतावले पन में...भावनाओं में बहक जिंदगी के फ़ैसले नही लिए जाते 


कवि ...सब अच्छा चल रहा था ..फिर क्यूँ ये तुफ्फान आप लोगो ने हमारी जिंदगी में घोल दिया ....छुपा रहने देते सब कुछ ...


सुमन....और जब बाद में तुम्हें सच का पता चलता ...किसी भी ज़रिए से ...तब क्या होता .....जो आज हो रहा है उससे भी बुरा होता ...तब शायद तुम माँ बन चुकी होती .....आज कितनी आसानी से तुम वो घर छोड़ बाहर निकल आई ...कल ये कर पाती .......तब दो नही बहुत सी ज़िंदगियाँ बर्बाद हो जाती ...तब तुम हमे कसूरवार ठहराती ...कि पहले सच क्यूँ छुपाया ........जिंदगी काश बहुत आसान होती .....तो उसे जिंदगी ना बोलते कुछ और ही बोलते .......थोड़ा सकुन दो अपने आप को और ठंडे दिमाग़ से सोचो क्या करना है .....

कविता चुप तो हो गयी पर उसका चेहरा बता रहा था कितने बवंडारों से जूझ रही थी वो ...ये लड़ाई उसने अकेले लड़नी थी ....ये रास्ता उसने अकेले तय करना था ...अपनी मंज़िल को खुद अब अकेले पहचानना था ...और ये इतना आसान नही था...
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01-12-2019, 02:30 PM,
RE: Sex Hindi Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
सुमन......सोनल चल ज़रा दूसरा कमरा चेक कर लें और खाने के लिए भी कुछ इंतेज़ाम कर लें........असल में सुमन इस वक़्त कविता को अकेला छोड़ना चाहती थी .....क्यूंकी अकेले में इंसान खुद को अच्छी तरहा टटोल पाता है .....

सोनल ....सुनील को फोन करती है ...कितनी देर में आएँगे आप 

सुनील....आ रहा हूँ थोड़ी देर में...शायद एक घंटा और लगेगा यहाँ.....

सोनल...सब ठीक तो है ना .......

सुनील उसके इस सवाल पे हंस दिया ...(हां जिस्म सही सलामत है ...पर दिमाग़ और दिल की धज्जियाँ उड़ चुकी हैं....अपने ही मन में सोचा ------पर वो बोला कुछ नही ...उसकी हँसी ही काफ़ी थी...)

सुनील की ये हँसी ही काफ़ी थी सोनल के लिए .......उफफफ्फ़ मेरे सुनील को क्या क्या सहना पड़ता है ...क्या हालत हो रही होगी उनकी ...उसकी आँखों से आँसू टपकने लगे .....

यहाँ सुनील अपनी सारी गाथा राजेश को सुना चुका था.......राजेश आँहें फाडे और मुँह खोले बस सुनता रहा .......किसका दुख बड़ा ..किसने क्या क्या झेला ...ये तय करना भी उसके लिए आसान नही था....

अपनी बात ख़तम कर .....सुनील....ज़रा ध्यान से एक बार सोचना ...विजय पापा के बारे में ...क्या मिला उन्हें जिंदगी में...अपनी गर्ल फ्रेंड छोड़ दी ...ताकि बहन की जिंदगी बच सके ..उसे समाज में इज़्ज़त मिल सके ...क्या कमी करी उन्होने पूछ एक बार ज़रा आरती मम्मी से ...क्या कभी कोई गिला किया कि उनकी अपनी कोई औलाद नही हुई ...उनके लिए तू ही सब कुछ था और है .....कितने साल ये बात तुझ से छुपा के रखी ...जानता है क्यूँ.....अगर आज समर जिंदा होता ..तो क्या तू निकल नही पड़ता उसे मारने के लिए अपनी माँ की बेइज़्ज़ती का बदला लेने के लिए ......क्या होता ....अगर ये पहले तुझे बता दिया जाता ....ये तो शुक्र है कि समर को उसके किए की सज़ा उपरवाले ने दे दी....वरना सोच क्या होता....और ये सच है कि तुम और कवि दोनो सौतेले हो ...आज नही बताते ...और बाद में कहीं से पता चलता ...तब क्या होता ...तब तो कवि शायद माँ भी बन चुकी होती ...कितनी जिंदीगियाँ दाँव पे लग जाती ....अभी तो तुम दोनो के बीच ढंग से रिश्ते की बुनियाद भी नही रखी गयी ....इस लिए शुक्र है कि आज ही सब पता चल गया ....ये तो ना मैने कभी सोचा था और ना ही पापा ने ...कि हमारे बीच एक ऐसा सच छुपा बैठा है जो सबको हिला के रख देगा ....काश ये बात पहले हो गयी होती ...पहले ही मैने समर के बारे में विजय पापा को बता दिया होता ....तो तुम दोनो की शादी हरगिज़ ना होती .....और ना ही तुम्हें कभी कुछ पता चलता.....लेकिन इसी को तो होनी कहते हैं...जिसके खेल निराले होते हैं....

खैर अब मैं चलता हूँ....मम्मी पापा का ख़याल रखना....वो दोनो अब तुम्हारी ज़िम्मेदारी है ...वो वक़्त अब ख़तम की तुम उनकी ज़िम्मेदारी हुआ करते थे....टेक केर ...मैं हमेशा तुम्हारे साथ हूँ और साथ ही रहूँगा बस एक आवाज़ लगा देना.....

राजेश....और कविता.....

सुनील.....इन घावों को भरने में वक़्त लगता है...एक दिन उसके घाव भी भर जाएँगे ...और उसका ये भाई है उसके साथ ...उसकी चिंता मत करो......


सुनील निकल पड़ा भारी मन लिए होटेल की तरफ....
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अपने कमरे की खिड़की से दूर तक फैले हुए समुद्रा को देखते हुए वो यही सोच रहा था ......


कॉन हूँ मैं?
कहाँ से आया हूँ?
कॉन हैं मेरे माँ बाप?
क्या करता हूँ मैं?
मैं यहाँ कैसे आया ?
क्या है मेरा नाम?


ऐसे ना जाने कितने सवाल ...हर पल उसे कचोट रहे थे ...पर उसे कोई जवाब नही मिलता.....वो कहती है मेरा नाम अमर है .....अगर उसे मेरा नाम मालूम है तो मेरे बाकी सवालों के जवाब क्यूँ नही देती .....? क्यूँ खामोश हो जाती है ?
अगर वो मेरी माँ है तो मुझे मेरे पिता के बारे में क्यूँ नही बताती? यहाँ मेरे बचपन की एक भी यादगार नही ...यहाँ मेरी इस माँ और पिता की भी कोई याद गार नही ?

कॉन है ये औरत? क्या ये सच में मेरी माँ है ???

जिंदगी की हर साँस के साथ अमर का जीना मुश्किल होता जा रहा था.......ये तड़प उससे बर्दाश्त नही होती थी .....आधी रात को उठ जाता कभी चिल्लाने लगता तो कभी रोने लगता ......

ना जाने क्यूँ और कैसे ...वो समुद्र की शांत लहरों को देख गुनगुनाने लग गया ...


कोई होता जिसको अपना
हम अपना कह लेते यारों
पास नहीं तो दूर ही होता
लेकिन कोई मेरा अपना

आँखों मे नींद ना होती
आँसू ही टालते रहेते
ख्वाबों मे जागते हम रात बार
कोई तो घूम अपना था
कोई तो साथी होता
कोई होता जिसको अपना

भुला हुआ कोई वादा
बीती हुई कुछ यादें
तन्हाई दोहराती है रात बार
कोई दिल्हंसा होता कोई तो अपना होता
कोई होता जिसको अपना
हम अपना कह लेते यारों
पास नहीं तो दूर ही होता
लेकिन कोई मेरा अपना



पीछे खड़ी सवी सुन रही थी उसका दर्द महसूस कर रही थी...पर लाचार थी .......ये गाना इसे कैसे आता है...कब सुना होगा इसने ..क्या इस गाने का इसकी यादों से कोई संबंध है ? बहुत से सवाल सवी के दिमाग़ में गूंजने लगे.....
**************

सुमन और सोनल के जाने के बाद .......कविता को कमरे की दीवारें घूरती हुई मालूम लगने लगी...घबरा के उसने आँखें बंद कर ली .......और बंद करते ही उसके सामने राजेश का हँसमुख चेहरा आ गया .....उसका हाथ अपने आप अपने गले में पड़े मन्गल्सुत्र पे चला गया......एक बार फिर उसने उसे उतारने की कोशिश करी पर उतार नही पाई ....जाने क्यूँ....कुछ लड़कियाँ या अधिकतर सभी सारे जेवर उतार देंगी ...पर मन्गल्सुत्र उतारना उनके लिए नामुमकिन हो जाता है...ये जानते हुए भी कि इस रिश्ते का कोई मायना नही रह गया फिर भी .....उनका दिल तड़प उठता है.......जब भी मंगल सुत्र उतारने की कोशिश करती हैं....

आँखों से आँसू टपकने लगे .....दिल की बात मुँह पे आ ही गयी....


वक़्त ने किया क्या हँसीन सितम

तुम रहे ना तुम हम रहे ना हम

वक़्त ने किया सितम



बेक़रार दिल इस तरहा मिले

जिस तरहा कभी हम ज़ुदा ना थे

तुम भी खो गये, हम भी खो गये

एक राह पर छलके दो क़दम

वक़्त ने किया सितम



जाएँगे कहाँ सूझता नही

चल पड़े मगर रास्ता नही

क्या तलाश है कुच्छ पता नही

बुन रहे हैं दिल ख्वाब दम-ब-दम

वक़्त ने किया सितम


गाने के बोल ख़तम हुए और कविता फुट फुट के रोने लगी ........वो समझ गयी थी कि नही भूल सकती थी वो राजेश को ......पर उसके साथ जी भी नही सकती थी ...एक भाई की बीवी बनना उसे मंजूर नही था.....उसकी मर्यादा की दीवारें बहुत उँची थी.....शायद ये जनम देने वाली माँ के दिए हुए संस्कार थे.......
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01-12-2019, 02:30 PM,
RE: Sex Hindi Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
सुनील के जाने के बाद राजेश बैठ के पीता रहा और अपनी जिंदगी में आए इस तुफ्फान से लड़ने की कोशिश करता रहा ...इतने में उसे वही गाना सुनाई देने लगा .....जो विजय तब सुना करता था जब वो बहुत उदास होता था ....बचपन से राजेश ने ये गाना जाने कितनी बार सुना था.....

ज़िंदगी का सफ़र है ये कैसा सफ़र
कोई समझा नहीं कोई जाना नहीं
है ये कैसी डगर चलते हैं सब मगर
कोई समझा नहीं कोई जाना नहीं

ज़िंदगी को बहुत प्यार हमने किया
मौत से भी मोहब्बत निभाएँगे हम
रोते रोते ज़माने में आए मगर
हंसते हंसते ज़माने से जाएँगे हम
जाएँगे पर किधर है किसे ये खबर
कोई समझा नहीं कोई जाना नहीं

ऐसे जीवन भी हैं जो जिए ही नहीं
जिनको जीने से पहले ही मौत आ गयी
फूल ऐसे भी हैं जो खिले ही नहीं
जिनको खिलने से पहले फ़िज़ा खा गई
है परेशान नज़र तक गये चारागार
कोई समझा नहीं कोई जाना नहीं


इस गाने ने मजबूर कर दिया राजेश को बहुत ही गहराई से सोचने के लिए ......क्या जिंदगी जी उसे पालनेवाले उसके पिता विजय ने ...सब कुछ अपना कुर्बान कर डाला....किसके लिए ...अपनी बहन के लिए ...किसके लिए घोड़ा बने घूमते थे ...किसके लिए रात भर जागते थे ......किसकी हर तकलीफ़ पे आँसू बहाते थे ...किसके लिए जमाने से लड़ पड़ते थे ...किसकी हर इच्छा को पूरा नही किया.....यहाँ तक की जिस लड़की से प्यार की बात कही तो उसे भी उसकी झोली में डाल दिया .....और क्या .....और क्या बच गया था जो उन्होने नही किया ...और वो चला था उन्हें छोड़ के....और सुनील....क्या नही भुगता होगा उसने ......सोच सोच के दिमाग़ फटने लग गया.....अपने आप पे ग्लानि होने लगी .......

वह रे सुनील...तू सही माइनो में भाई निकला ....चाहता तो चला जाता ...लेकिन मेरे साथ अपना हर दर्द बाँट के गया ...ताकि मेरी आँखें खुल सकें.........

कविता.....कहाँ हो तुम कविता ........कहाँ हो...मैं आ रहा हूँ.......ये आखरी ख़याल था राजेश के मन में और उसके कदम विजय के कमरे की तरफ बढ़ गये......

सुनील जब होटेल पहुँचा तो उसने सुमन और सोनल को रेस्टोरेंट की तरफ जाते हुए देखा …वो भी उनके पीछे हो लिया ……..
सुनील उनके साथ बैठ गया …….

सुनील को देखते ही ….सोनल बोल पड़ी …अरे आप कब आए …

सुनील…बस अभी तुम लोगो को यहाँ आते देखा तो मैं भी यहीं आ गया …

सुमन ने अपने लिए ब्लडी मॅरी मंगवा ली और उसकी देखा देखी सोनल ने भी ….आज शायद दोनो को कॉकटेल की ज़्यादा ज़रूरत थी … सुनील ने अपने लिए डबल लार्ज ऑन दा रॉक्स मंगवा लिया….

सुनील…उसे अकेला क्यूँ छोड़ दिया…

सुमन…ज़रूरी है …..अकेले में वो खुद से सवाल जवाब कर सकेगी …जो हमारे होते नही कर पाएगी ..कुछ वक़्त उसे अकेले रहने दो…

सोनल…वहाँ कैसा रहा ….

सुनील….राजेश लड़का है ..जल्दी सम्भल जाएगा …मुझे कवि की ज़्यादा चिंता है ….अच्छा हुआ मैं रुक गया वरना वो तो घर छोड़ के जानेवाला था….

सुमन…ओह !

सोनल…आख़िर ये सब हम लोगो के साथ ही क्यूँ…दो पल खुशी के मिलते हैं फिर कुछ ना कुछ हंगामा हो जाता है….

सुनील….इसी को तो जिंदगी कहते हैं जानेमन…

इतने में इनकी ड्रिंक्स आ जाती हैं…..

चियर्स कर दोनो एक एक सीप लेती हैं पर सुनील बॉटम्स उप कर एक और मंगवा लेता है …

सोनल कुछ बोलनेवाली थी …पर सुमन उसका हाथ दबा …उसे चुप रहने का संकेत देती है ….

सोनल उठ के सुनील के साथ बैठ गयी और अपना सर उसके कंधे पे रख दिया ….अपनी बाँहें उसकी कमर के इर्द गिर्द लप्पेट ली ….

सुमन को आज अपने सामने …..सुनील में सागर नज़र आ रहा था बिल्कुल वही ठहराव ….बात की गहराई में जाना …अच्छी तरहा सोचना ….और फिर रिक्ट करना ….उसकी आँखें छलक पड़ी …

सुनील…अब तुम्हें क्या हो गया …

सुमन…कुछ नही …खुशी के आँसू हैं …तुम जो मेरी जिंदगी में आ गये …

सोनल…दीदी फिर कुछ उल्टा सीधा सोचने लग गयी लगता है …

सुनील ने सुमन के दोनो हाथ थाम लिए ……

सुमन …..अब मैं ये विधवा का चोला कभी नही पहनुँगी ….बहुत हो गया ….सारा दिन मुझे डर लगा रहता है …पति के होते हुए विधवा का रूप रखना ..... क्यूंकी समझ से हम डरते हैं…अब नही होगा मुझ से ….कह दूँगी दो तीन साल बाद मेरा पति लोटेगा …जैसे सोनल ने कहा है ….

सुनील…जो तुम्हारा दिल करे वही करो …बस दो साल और फिर हम कहीं और चले जाएँगे जहाँ कोई बंधिश नही होगी …और तब तक ये सारे झमेले भी ख़तम हो जाएँगे ….

सुमन खुश हो जाती है ……जब तक ये दोनो औरतें अपनी एक ड्रिंक ख़तम करती हैं ….सुनील एक और ड्रिंक ले चुका था …ये लोग खाने का ऑर्डर देते हैं कमरे में डेलिवर करने के लिए …..सुनील अपने लिए एक विस्की की बॉटल का भी ऑर्डर दे देता है …..

जब ये लोग कमरे में पहुँचे तो कविता ज़मीन पे लुड़की पड़ी थी ….
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01-12-2019, 02:30 PM,
RE: Sex Hindi Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
सुमन और सोनल की तो चीख ही निकल गयी और सुनील लपका कविता की तरफ……….

पूरा मिनी फ्रिड्ज खाली था …मिनियेचरर्स की बोटले इधर उधर लुड़की पड़ी थी …..कविता के मुँह से वॉमिटिंग निकली पड़ी थी और वो बेहोश थी …ऐसी कॉकटेल तो कोई पियाक्कड भी नही पचा सकता …कविता बेचारी कहाँ से पचा पाती …..

सोनल बाथरूम भागी …गीला टवल ले के आई …और कविता को सॉफ किया ….सुनील ने उसे उठा बिस्तर पे लिटा दिया …..सुमन ने उसका चेक अप किया और एक ठंडी साँस ली ….ख़तरे की कोई बात नही थी….सुनील कमरे से बाहर निकल गया ताकि दोनो …कविता के कपड़े बदल सकें…और हाउस कीपिंग को बुला लिया ताकि रूम की ठीक सफाई हो सके…

इस सब में कोई घंटा निकल गया……..

कमरा सॉफ हो चुका था .......कविता बिस्तर पे नशे की वजह से सोई पड़ी थी ........इनका खाना भी आ गया ...दिल किसी का नही था खाने के लिए .....पर सुमन के ज़ोर देने पे सब ने कुछ ना कुछ खा लिया ....

फिर सोनल खुद ही बोल पड़ी कि वो कविता के पास रहेगी ....सुनील और सुमन दूसरे कमरे में जा कर आराम से सो जाएँ ...कोई बात होगी तो वो बुला लेगी जिसकी वैसे कोई आशंका नही थी क्यूंकी कविता सुबह से पहले नही उठनेवाली थी....

सोनल ने जान भुज के ऐसा किया था ..क्यूंकी वो जानती थी कि आज रात सुनील को सुमन की ज़्यादा ज़रूरत पड़ेगी......

सुनील ने उसके होंठों को काफ़ी देर तक चूमा फिर सुमन और सुनील दूसरे कमरे में चले गये.......


कमरे में पहुँच …पहले सुनील ने कपड़े बदले और आराम से कुर्सी पे बैठ अपने लिए पेग बनाने लगा …..सुमन फिर बाथरूम में घुस गयी और जब बाहर निकली तो गदर मचा रही थी …सुनील तो बस उसे देखता रह गया ……

सुमन ने सिर्फ़ एक पारदर्शक ब्रा और पैंटी पहनी थी ....ऐसा उसने जान भूज के किया था ताकि सुनील अपने दिमाग़ में दौड़ती सभी मुसीबतों को एक तरफ कर उसके हुस्न में खो जाए और उसे कुछ पल सकुन के मिलें....
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राजेश विजय के कमरे में घुस्स उसके पैरों पे गिर पड़ा …….मुझे माफ़ कर दो डॅड ….मुझे माफ़ कर दो …पागल हो गया था मैं…..

‘पगले तेरी जगह मेरे दिल में है पैरों में नही …’ विजय ने उसे उठा गले से लगा लिया ….आज तो बहुत खुशी का दिन है रे …आज मुझे दूसरा बेटा भी मिल गया ….

‘डॅड …मैं कविता को लेने जा रहा हूँ….’

‘नही …तुम ऐसा कोई कदम नही उठाओगे …जब तक तुम्हें खुद कविता नही बुलाती के आ कर ले जाओ …या सुनील उसे खुद छोड़ने नही आता ……तुम कहीं नही जाओगे ....वक़्त दो उसे हालत को समझने के लिए और ये फ़ैसला उस पर छोड़ दो .......इस तरहा उसके पीछे जाने से कोई फ़ायदा नही ......'

'पर डॅड इस वक़्त उसे मेरी ज़रूरत है .......'

'किस रिश्ते से .......क्या समझे वो तुम्हें...भाई या पति ......और तुम क्या समझते हो उसे ...बहन ...या बीवी .........ये फ़ैसला वक़्ती फ़ैसला नही होता ........खुद को अच्छी तरहा टटोलना पड़ता है ...और इस मे वक़्त लगता है ........काफ़ी वक़्त लगता है ....'

'डॅड....' दर्द था राजेश की आवाज़ में.....

'मैं ठीक कह रहा हूँ बेटा ....ऐसे हालातों में जल्द बाजी नही की जाती ....अगर तुम दोनो सच में प्यार करते हो आपस में तो कोई तुम्हें दूर नही रख पाएगा ...पर अगर ये प्यार एक तरफ़ा है ...तो इसके कोई माइने नही रह जाते .....जाओ अभी सो जाओ ..ठंडे दिमाग़ से सोचना ...'

भुजे दिल से राजेश कमरे से तो निकल गया ...पर नींद उसकी उड़ चुकी थी...शायद हमेशा के लिए .....वो कमरे में पहुँचा ...तो उसे कविता नज़र आने लगी ...दुल्हन बनी उसका इंतेज़ार करते हुए ........आँसू टपक पड़े उसके .......अब जिंदगी का सिर्फ़ एक ही मतलब रह गया था ....इंतेज़ार ...इंतेज़ार ..इंतेज़ार

सुमन सीधा सुनील की गोद में आ कर बैठ गयी .....होनी हो कर रहती है ...क्यूँ खुद को इतना परेशान करते रहते हो ...अब राजेश और कविता के बीच जो हुआ ...उसके ज़िम्मेदार तुम नही ....ना ही खुद को दोषी मानो ......हर वक़्त यूँ खुद को मत तडपाया करो ...जिंदगी एक बार ही मिलती है ..उसे खुल के जीओ......

सुनील ने सुमन की कमर में बाँह डाल दी और उसे खुद से चिपका लिया ....जिंदगी साथ में ज़िम्मेदारियाँ भी लाती है ...उनसे मुँह तो नही मोड़ा जा सकता.......

सुमन....बजा फरमाया हज़ूर पर इस वक़्त जो आप की ज़िम्मेदारी अपनी बीवी के लिए है अब उसे पूरा कीजिए ....और अपने होंठ सुनील के होंठों से सटा देती है........

सुनील भी उसके होंठों की मिठास का लुत्फ़ लेने लगता है .


ये चुंबन धीरे धीरे गहरे स्मूच में तब्दील हो गया .....

जब सांस फूलने लगी तो दोनो अलग हुए ....अपनी सांसो को ठीक करने लगे ....सुनील ने अपना अधूरा पड़ा पेग उठा लिया ......और होंठों से लगाने लगा ....

सूमी ने उसके हाथों से पेग खींच अलग रख दिया .....उसकी आँखें छलक पड़ी...सुनील का हंस एक के लिए इतना भावुक होना...इतना तड़पना उससे बर्दाश्त नही होता था....ये अच्छी बात थी ...के वो दूसरों के लिए अपनी ज़िम्मेदारी समझता था ...पर इतना भी क्या ....की खुद जीना छोड़ दे........

उसके लबों पे एक गीत आ गया ....उसका मक़सद बस सुनील को शराब से दूर रखना था ..उसका दिल लुभाना था.........


गम की दवा तो प्यार है
गम की दवा शराब नही
ठुकराओ ना हमारा प्यार
इतने तो हम खराब नही
गम की दवा तो प्यार है

जाता है जो जाने दो
आता है वो आने दो
जाता है जो जाने दो
आता है वो आने दो
बीती बातें बीत गयी
नयी बहारें आने दो
बगिया मे फूल हज़ारो हैं
एक ही तो गुलाब नही
गम की दवा शराब नही

घाव जिया के भर देंगे
टूटा दिल हम जोड़ेंगे
घाव जिया के भर देंगे
टूटा दिल हम जोड़ेंगे
बन के रहेंगे साथी
हम साथ कभी ना छोड़ेंगे
अब कोई तुमको सता सके
इतनी किसीमे ताब नही
गम की दवा तो प्यार है
गम की दवा शराब नही
ठुकराओ ना हमारा प्यार
इतने तो हम खराब नही
गम की दवा तो प्यार है.
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01-12-2019, 02:30 PM,
RE: Sex Hindi Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
सुनील दुखी होता था ...तो सुमन उस से भी ज़्यादा दुखी हो जाती थी......उधर दूसरे कमरे में सोनल भी तड़प रही थी....वो जानती थी ...के सुनील की हालत इस वक़्त क्या है....पर किसी को तो कविता के पास रुकना था ....और वो अच्छी तरहा जानती थी ....कि सुमन सुनील की रग रग में बसी हुई है ...एक वही है जो इस वक़्त सुनील को शराब में नही डूबने देगी ...क्यूंकी सोनल में खुद इतनी अदा अभी नही आई थी ...कि वो वो काम कर सके जो सुमन बेहतर कर सकती थी...आख़िर सुनील था तो दोनो का ही प्यार ...अब ये वक़्त और दिलो की माँग थी कि इस वक़्त सोनल खुद पे काबू रख सुमन को ही सुनील के साथ रात बिताने दे...ताकि कल की सुबह सुनील तरो ताज़ा हो ...जिंदगी को नये सिरे से समझने के लिए ...उसकी रुकावटों को सही ढंग से तोड़ने के लिए ....अपनी आँखों से छलकते आँसू रोकने की कोशिश करती पर वो निकल ही पड़ते........

गाने के अल्फ़ाज़ ख़तम हुए .........तो सुनील ने सुमन को अपने साथ भींच लिया .....और पागलों की तरहा उसे चूमने लगा .......शराब की बॉटल टेबल पे पड़ी ...अपने वजूद को समझने की कोशिश करती रही....और शायद खुद भी इस बात को समझने के लिए मजबूर होने लगी ...गम की दवा तो प्यार है...गम की दवा शराब नही....

सुमन भी पागलों की तरहा सुनील को चूमने लगी ......उसका सुनील गम की गहराई से बाहर निकल आया था....और उसे क्या चाहिए था........दोनो एक दूसरे में इतना खो गये की पता ही ना चला की कब कपड़े उतर गये.....और जिस्म अपनी चिरपरिचित भाषा एक दूसरे को समझाने लगे ........

सुनील...सुमन को उठा के बिस्तर पे ले गया और उसके उरोजो का मर्दन करते हुए असली शराब पीने लगा ...जो सुमन के नशीले होंठों से निकल रही थी ....जिसके नशे का कोई तोड़ ना था...

कभी सुनील सुमन की ज़ुबान चूस्ता तो कभी सुमन उसकी ...दोनो खो चुके थे एक दूसरे में...दीन दुनिया से कोई वास्ता नही रह गया था .....काफ़ी देर हो गयी थी...सुनील सुमन के होंठ छोड़ ही नही रहा था .....जैसे आज ही सारी मदिरा होंठों की चूस जाना चाहता हो.....सुमन ने खुद ही उसे अपने उरोजो पे धकेला और अपना निपल उसके मुँह में दे दिया ....

हन्ंनणणन् अहह चूवसूऊ अच्छी तरहा चूस्सूऊ ...पी जाओ मुझे ....

सुनील के गर्म होंठ और उसकी लपलपाति ज़ुबान सुमन के निपल पे करतब दिखाने लगे ....और सुमन की सिसकियाँ कमरे में गूंजने लगी ...

कभी सुनील एक निपल चूस्ता तो कभी दूसरा ....उसके दोनो हाथ सुमन के दोनो मम्मो का मर्दन कर रहे थे....सुमन के जिस्म में आग फैलती जा रही थी ....मचलने लगी थी वो ...और ज़्यादा फोर प्ले उसकी बर्दाश्त के बाहर था ....उसने सुनील को पूरा उपर खींच लिया और उसके लंड को पकड़ अपनी चूत से सटा दिया ......

सुनील भी उस जगह पहुँच चुका था की वापस नही लॉट सकता था ...उसने एक ही धक्के में अपना पूरा लंड सुमन की चूत में घुस्सा दिया...

आाआआईयईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई सुमन ज़ोर से चीखी....पर इस दर्द के अहसास में भी एक लुत्फ़ था जिसे सिर्फ़ वही महसूस कर सकती थी .
सुनील के धक्के अब लगातार स्टार्ट हो गये और सुमन मस्ती में सिसकते हुए चुदने लगी.......सुनील स्पीड पकड़ता गया और सुमन भी उसी तरहा अपनी गंद उछाल सिसकती हुई उसका साथ देती रही....
फिर कुछ देर बाद बिना अपना लंड बाहर निकाले सुनील ने पलटी मारी और सुमन को अपने उपर ले लिया ....

सुमन तेज़ी से अपनी चूत सुनील के लंड पे पटाकने लगी और नीचे से सुनील भी उचक उचक के उसकी चूत में लंड पेलता रहा ..............दोनो में पूरा पागलपन समा चुका था ....तप ठप जिस्मो के टकराने की आवाज़ कमरे में गूंजने लगी और सुमन की गीली चूत जो लगातार अपना रस छोड़ रही थी ....फॅक फॅक फॅक की आवाज़ निकलने लगी थोड़ी ही देर में ...सुमन का जिस्म अकड़ने लगा और वो ज़ोर ज़ोर से सिसकती हुई अपनी चूत सुनील के लंड पे पटाकने लगी.....

अहह सस्स्स्स्स्स्स्सुउुुुुुुुुुउउन्न्ञननननननन्न्निईीईईल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल

चीखते हुए वो सुनील पे गिर पड़ी और झड़ने लगी...........

सुनील ने उसे बाँहों में समेट लिया और शांत पड़ा रहा जब तक सुमन संभलती .......सुमन बुरी तरहा हाँफ रही थी...उसके चेहरे पे एक चमक आ चुकी थी ...जो बता रही थी इस चुदाई में उसे कितना लुत्फ़ मिला था ....जिस्म का पोर पोर आनंद की लहरों में खो चुका था ......

सुमन जब सम्भल गयी तो सुनील ने फिर पलटी मारी और उसे अपने नीचे ले लिया .....सुमन मुस्कुरा के उसे देख रही थी .....सुनील ने झुक के उसके होंठ चूमे और और फिर बिना रुके दे दनादन धक्के पे धक्के लगाने लगा ....

अहह ओह सी उफ़फ्फ़ सी इफफफफफफफ्फ़ उूुउउम्म्म्ममममम ह ह 

सुमन की सियकियाँ निकलने लगी और सुनील के धक्के तेज होते चले गये .,...हर धक्के के साथ सुमन के उरोज़ मचल उठते और सुनील का जोश बढ़ा ते रहते .....

कुछ देर बाद सुमन चीखती हुई फिर झड़ने लगी पर इस बार सुनील नही रुका और भी तेज़ी से चोदते हुए कुछ ही धक्कों में सुमन की चूत में झड़ने लगा ....

दोनो हान्फते हुए एक दूसरे से चिपक गये .........और यूँ ही चिपके रहे जब तक आँख नही लग गयी.....
इधर..........................
रात धीरे धीरे सरक रही थी ....पर राजेश कुर्सी पे बैठा बिस्तर को निहार रहा था....कभी कविता उसे किसी पोज़ में नज़र आती तो कभी किसी पोज़ में दिल तड़प के रह जाता ...हाथ बड़ा उसे छूने की कोशिश करता तो वो गायब हो जाती ....

कितनी देर उसकी नज़रें उसके साथ ये लूका छुपी का खेल खेलती रही ......डर लगने लग गया उसे अपने आप से...घबरा के आँखें बंद कर ली ....पर फिर वो गोआ का सीन सामने आ गया ...जब उसने पहली बार कविता को देखा था ....शर्म-ओ-हया और सुंदरता का एक नायाब करिश्मा जिसे बनानेवाले ने बड़ी फ़ुर्सत से बनाया था.....

क्या वो बनाने वाला नही जानता था कि ये मेरी सौतेली बहन है ....कहते हैं उसकी मर्ज़ी के बिना पत्ता भी नही हिलता ...तो उसने ये खेल क्यूँ खेला ...क्यूँ मेरी और उसकी शादी होने दी ...क्यूँ मेरे दिल की धड़कने उसे देख बढ़ गयी ....क्या अपने ही बनाई कयानात के साथ खिलवाड़ करना उसका शोक है ...अगर है तो में ही क्यूँ उस शोक को पूरा करने का पात्र बना ...और मेरे साथ कविता को क्यूँ इस खेल में उलझाया ......दर्द देना उसकी फ़ितरत है तो क्या मैं काफ़ी नही था...क्यूँ उस मासूम के दिल को चलनी छलनी कर दिया .....पहले सारी जिंदगी उसे पिता के प्यार के लिए तडपाया ....अब पति दिया तो चन्द दिनो में उसका वजूद बदल डाला...सौतेला भाई बना डाला.......क्या गुजर रही होगी उस पर ...कैसे झेल रही होगी इस तुफ्फान को...और डॅड कहते हैं मैं उसके पास ना जाउ...उसे तड़पने दूं.....क्या इस वक़्त उसे सुनील की ज़रूरत है या मेरी .....इसका फ़ैसला कॉन करेगा......

क्या वाक़्य में वो मुझ से मिलना नही चाहेगी ...क्या वो इतना नही समझी होगी ...अगर वो जो सबका मालिक है ..उसने हमारी शादी करवाई ..तो कुछ सोच के ही करवाई होगी....वरना भाई बहन होते हुए ...क्यूँ हम एक दूसरे को पसंद करते ...क्यूँ शादी करते ....

किसका फ़ैसला मानेगी वो ...कुदरत का ......जिसने हमे मिलाया ...या फिर इस खोखले समाज का ....जो नियम बनाता है और उन नियमों को तोड़ने वालों को बस देखता रहता है हां दिखाने के लिए कमजोर और लोगों की बलि चढ़ाता रहता है ......जो इस समझ के ठेकेदारों से लड़ नही सकते ....आए दिन लड़कियों का रेप होता है ...क्या करता है ये समझ ....आँखें..मुँह कान बंद कर लेता है ...कोई आवाज़ उठाता है तो उस मज़लूम की ही पहले खिंचाई होती है ...साबित करो के रेप हुआ ....और यही समझ उसकी दयनीय अवस्था पे चटकारे लेता है .....हिम्मत कर अगर साबित कर भी दिया की रेप हुआ ...तो बाद में उस लड़की को अपनाने से इनकार कर देता है ........क्या इस समझ की बात मानेगी वो ......या दिल में उठती हुई भावनाओं की बात .....उस कुदरत के फ़ैसले की बात......

मैं जाउन्गा उससे मिलने....एक बार तो ज़रूर मिलूँगा ....फिर जो वो कहेगी ...उसकी इच्छा का मान रखूँगा ....
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रात तो इधर भी सरक रही थी ......आँखों से आँसू टपक रहे थे ...दिल खून के आँसू रो रहा था...दिमाग़ अपने ही वजूद को कोस रहा था......कहाँ हो माँ ....बताओ ना क्या करूँ......जानती हो माँ ...मेरी शादी...मेरे ही सौतेले भाई से हो गयी .....ये क्या हुआ मा ....ये क्या हुआ.......अब क्या करूँ......मुझे रास्ता दिखाओ ..कहाँ हो तुम......ना तुम मुझे छोड़ के जाती ..ना ये सब होता ...क्यूँ मुझे अकेले छोड़ दिया....सुनील भाई बहुत अच्छा है..पर वो भी मुझे इस दल दल में गिरने से नही बचा पाया .....

कविता जार जार रोए जा रही थी ......कोई रास्ता नही सूझ रहा था ...बार बार हाथ मन्गल्सुत्र पे जाता और जैसे एक बिजली का करेंट लग जाता और हाथ छिटक के परे हो जाता.......
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01-12-2019, 02:30 PM,
RE: Sex Hindi Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
सर फटने लगा ...आँखें बंद करती तो राजेश नज़र आता .....सुहाग रात का वो मंज़र नज़र आता ...उसके तपते हुए होंठों का अहसास अपने होंठों पे महसूस होने लगता ....उसके गर्म हाथों का अहसास अपने जिस्म पे महसूस होने लगता ...तड़प के आँख खोल देती ......फिर उसकी नज़र पड़ी मिनी फ्रिड्ज पे खोल के देखा तो कुछ मिनियेचरर्स पड़े हुए थे .....अब ये तो पता नही था कि वाइन क्या होती है, वोड्का किसे कहते हैं और स्कॉच क्या होती है ....बस इतना याद था कि एक बार सुनील को देखा था पीते हुए जब वो बहुत परेशान था......अब कैसे पी जाती है ये तो पता नही था...पर शायद दिल को कुछ सकुन मिले इसलिए एक बॉटल उड़ाई और खोल के मुँह से लगा ली .....

ऊऊुुुुउउक्चह कड़विीईईईईईईई चिल्लाई फिर भी पी गयी......और एक एक बाद एक कर 4-5 पी गयी ....पेट में जो कॉकटेल बनी नीट की वो सहन ना हुई और वहीं लूड़क गयी........
*********

सूरज की पहली किरण के साथ ही सुनील की नींद खुल गयी ...तो देखा वो सुमन की बाँहों में था ....सुमन का चेहरा दमक रहा था ........होंठों पे एक मुस्कान थी .....सुनील ने अपने होंठ सुमन के होंठों से सटा दिए ....उसके होंठो की गर्मी पा सुमन ने अपनी आँखें खोली और सुनील को अपनी बाँहों में कस लिया.....

गुड मॉर्निंग डियर ......

उम्म्म सोने दो ना थोड़ी देर ...रात भर तो सोने नही दिया ......

ठीक है यार तुम सो जाओ ..मैं ज़रा कविता को चेक कर लूँ....

ह्म्म चाबी ले जाना .....मैं अभी कुछ देर सोना चाहती हूँ....

ओके..लव...

सुनील उठ गया और बाथरूम में घुस के फ्रेश हुआ फिर रेडी हो गया ..कमरे से बाहर निकल वो साथ वाले कमरे को चाबी से खोल अंदर घुस गया .......बिस्तर के एक तरफ सोनल सो रही थी और दूसरी तरफ कविता .....

सुनील चुप चाप जा के सोनल के पास बैठ गया और उसके होंठों को चूमने लगा ...

उम्म्म आ गये आप.....

सोनल कस के सुनील से लिपट गयी ...कुछ देर के लिए तो दोनो भूल ही गये थे कि कमरे में कविता भी है ....गनीमत ये रही की कविता की नींद नही खुली......

सुनील ने कुछ देर बाद खुद को ज़बरदस्ती सोनल से अलग किया तो सोनल को गुस्सा चढ़ गया ......गुड मॉर्निंग डार्लिंग ....सुनील धीरे से बोला और पास सो रही कविता की तरफ इशारा किया .....सोनल ने बुरा सा मुँह बनाया और एक ज़ोर दार चुम्मि ली सुनील की फिर उठ के बाथरूम घुस्स गयी .....

सुनील उठ के बाहर बाल्कनी में जा कर खड़ा हो गया ...और राजेश और कविता के बारे में सोचने लगा.....

कुछ देर बाद सोनल तयार हो कर बाहर बाल्कनी में 2 कॉफी ले कर आ गयी और दोनो वहीं कुर्सी पे बैठ कॉफी पीने लगे .....

इधर इनकी कॉफी ख़तम हुई और अंदर कविता उठ गयी ...हॅंगओवर के मारे उसका सर फट रहा था ....बिस्तर से उतरते हुए वो संभाल ना पाई और गिर पड़ी ..उसके गिरने की आवाज़ सुन दोनो अंदर भागे ....सुनील ने उसे उठाया और फिर बिस्तर पे बिठा दिया .....' स्टुपिड गर्ल ऐसे करते हैं क्या .....'

'वो..भाई...वो...'

''चल चुप कर ...सोनल तू इसे देख मैं घंटे भर में आता हूँ....सूमी को सोने देना ....'

सोनल के चेहरे पे शरारती मुस्कान आ गयी ...मन में सोचने लगी ....रात को ना खुद सोए होगे ना दीदी को सोने दिया होगा ...तभी अभी तक सो रही हैं...

सुनील बाहर निकल गया ....सोनल ने कविता को एल ब्लॅक कॉफी पिलाई और फिर उसे फ्रेश होने बाथरूम भेज उसका इंतेज़ार करने लगी...

घंटे बाद सुनील आया तो कविता भी तयार हो चुकी थी .......सुनील ने कोई बात नही करी ......जब की सोनल सोच रही थी की सुनील कविता से कोई बात करेगा ......और कविता भी सोच रही थी की सुनील उसे कुछ कहेगा .....पर सुनील ने ऐसा कुछ नही करा .....बस एक बात बोली .....ब्रेकफास्ट का ऑर्डर दे दिया है ........2 घंटे तक पॅकिंग कर लेना फिर सीधा एरपोर्ट जाएँगे......

सोनल.....आपने कविता से कोई बात नही करनी क्या .....

सुनील......मतलब......अगर तुम कल इसके ड्रिंक करने के बारे में कह रही हो ...तो नही ...जो हुआ उसे बर्दाश्त करना आसान नही ...एक बार खुद को उसकी जगह रख के सोचो ...समझ जाओगी.....और कविता कोई बच्ची नही ...जिसे ये सीखाया जाए की क्या ग़लत है क्या सही .......मैने तो इसका भला ही चाहा था ..पर होनी तो मेरे हाथ में नही जिसे में रोक लेता और उसका रुख़ बदल देता ......उसे वक़्त दो .....सोचने और समझने के लिए .....जो ये चाहेगी वही होगा .....अच्छा मैं जा के सुमन को उठाता हूँ ......ताकि ब्रेकफास्ट आने तक वो रेडी हो जाए .....

कविता की आँख से आँसू टपक पड़े ....वो सोच रही थी के सुनील उसे डॅंटेगा फटकरेगा पीने पर ...पर ऐसा कुछ नही हुआ ......और ना ही सुनील ने उसके इस फ़ैसले पे प्रश्न उठाया कि वो घर छोड़ इनके साथ आ गयी.....

सुनील कमरे से बाहर जा चुका था....सोनल समझ गयी थी की सुनील किस तरहा कविता को हॅंडल कर रहा है ...और उसे गर्व हो रहा था सुनील पर .....अपने प्यार पर......वहीं उसे दुख भी था जो कविता के साथ हुआ उस पर ...

सुनील जब दूसरे कमरे में गया तो सुमन...उस वक़्त बाथरूम में थी ....उसने अपने लिए कॉफी बनाई और पीते हुए अख़बार पढ़ने लगा .....सुमन नहा के बात टवल में बाहर आई ....शेसे के सामने खुद को देखने लगी फिर तयार होने लगी ......और इस बार उसने पूरी तरहा से खुद को सुहागन का रूप दे डाला......सुनील ने जब उसे देखा तो देखता ही रहा ....सुमन और सोनल आपस में इतनी मिलती थी .....कि बस उम्र का फरक ना होता तो दोनो को जुड़वा बहने ही कहा जाता ...उसे सुमन की बात याद आ गयी की अब वो बिल्कुल भी विधवा के रूप में नही रहेगी ...परेशानियाँ तो खड़ी होनी ही थी ...पर सुनील के लिए सुमन और सोनल की इच्छा को पूरा करना ही सब कुछ था .....वो मुस्कुरा उठा और दिमाग़ दौड़ाने लगा कि वापस जा कर पास पड़ोस वाले जब पूछेंगे तो क्या जवाब देना है .....

सुनील सीटी बजाने लगा और सुमन शरमा गयी .......'क्या हो गया है तुम्हें...बस करो....'

'सच में आज जो तुमको देखेगा उसकी खैर नही ...और अगर किसी बुड्ढे ने देख लिया तो कोसे गा है इतनी जल्दी बुद्धा क्यूँ हो गया मैं...'

'धत्त.....कुछ भी....' सुमन के गाल लाल रंग से भी ज़्यादा लाल हो गये ...पर होंठ पे एक छुपी हुई मुस्कान थी ...जो हर औरत के होंठों पे आ जाती है ...जब वो अपनी तारीफ सुनती है ..खांस कर उससे ..जिसे वो प्यार करती हो...

'अरे तुम्हें नही मालूम ......मेरी जान ...तुम क्या हो ....तुम तो वो आबेहयात हो .....जिसे पीने के लिए इंसान...1000 जनम भी लेने पड़े तो कम लगेंगे उसे ...'

'मारूँगी...बहुत ही बोलने लग गये हो....'

'लो कर लो बात ...बीवी के सामने सच बोलो तो बुरा ...कुछ ना बोलो तो बुरा .....और ......' आगे वो बोल ही नही पाया क्यूंकी ....सुमन ने अपने लरजते हुए होंठ उसके होंठों से चिपका दिए .....दिल धड़कने लगा था सुमन का जोरों से ...ऐसी तारीफ उसकी आज तक किसी ने नही की थी .....जिस्म और रूह दोनो ही पिघल के सुनील में सामने के लिए बेचैन हो चुके थे..
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01-12-2019, 02:31 PM,
RE: Sex Hindi Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
सुनील की तो हालत वैसे ही पतली हो गयी थी सुमन को पीली सारी में दमकते हुए देख.....

कब सुनील की पॅंट उतरी ...कब सुमन की सारी उपर उठी और पैंटी ने जिस्म का साथ छोड़ा और कब सुनील ...सुमन पे सवार हुआ ...उसकी चूत में लंड घुसा बैठा ...पता ही ना चला....एक दूसरे के होंठ चूस्ते हुए वो तुफ्फानी चुदाई में मस्त हो गये ......सोफे की चिन चिन और और सुमन की सिसकियाँ पूरे कमरे में फैलती रही .....सोफा भी आज अपनी किस्मत पे इतरा रहा होगा ...जिसपर सुमन...टाँगें खोले सुनील के धक्कों को बर्दाश्त कर रही थी और मज़े में सिसकियाँ ही नही ले रही थी ..चिल्ला रही थी ....

आधे घंटे की घमासान चुदाई के बाद जब दोनो एक साथ झाडे ......तो एक दूसरे से चिपक हान्फते रहे और आनंद की उन गहराइयों में खो गये ...जिसका अहसास इनको हर बार नया ही मिलता था....

तभी कमरे की बेल बजी ....सुमन को देख सुनील भूल ही गया था कि उसने दूसरे कमरे में ब्रेकफास्ट मॅंग वा रखा था.....फटाफट अपनी पॅंट पहनी .....अपने चेरे से सुमन की लिपस्टिक मिटाने की कोशिश करी और दरवाजा खोला तो सामने सोनल खड़ी थी......सोनल अंदर आई दरवाजा फट से बंद किया और सुनील पे टूट पड़ी .....काफ़ी देर उनका स्मूच चला.......तब तक सुमन फिर से तयार हो चुकी थी .......और उसने खंखारा तो दोनो अलग हुए .....सोनल ने सुनील के कान में बोल दिया ...रात को नही छोड़ूँगी....सुनील मुस्कुरा उठा और बाथरूम में घुस गया अपना हुलिया ठीक करने......

फिर तीनो कविता के पास पहुँच गये .........अभी इन्होंने कॉफी ही पीनी शुरू की थी कि कमरे की बेल बजी....सोनल ने दरवाजा खोला तो सामने राजेश खड़ा था.....

सोनल...राजेश को सामने देख हैरान रह गयी...उसने ख्वाब में भी नही सोचा था ...की राजेश ....यहाँ आ जाएगा .....मिलने ....वो भी इतनी जल्दी..........

सोनल रास्ते से हटी....आओ.......

राजेश अंदर आया और उसकी नज़रें कविता से चार हो गयी ....पर राजेश ने उसी पल अपनी नज़रें हटा ली ...क्यूंकी कविता की नज़रों में उसने नाराज़गी सॉफ सॉफ पढ़ ली थी....

सुनील....आओ राजेश ...बैठो ..नाश्ता करो साथ में.....

राजेश ...नही ....मैं बस कविता से कुछ कहने आया था........डॅड ने मना किया था पर मैं खुद को रोक नही पाया....

सब एक दूसरे की तरफ देखने लगे और कविता के दिल की धड़कन बढ़ गयी....

राजेश ......ग़लत मत समझिए ...अकेले नही सबके सामने और आखरी बार ......(बहुत दर्द था उसकी आवाज़ में)

कविता की नज़रें उसकी तरफ उठ गयी .......और बाकी भी उसे ही देखने लगे.....

राजेश....कविता मैं जानता हूँ...जो हुआ बहुत ग़लत हुआ ....और तुम्हारे दिल की हालत भी समझ सकता हूँ...मैं बस इतना कहने आया था.....उस उपरवाले की मर्ज़ी के बिना पत्ता भी नही हिलता ....अगर वो चाहता तो ये बात जो हमे जुदा कर रही है...शादी से पहले ही खोल देता.....लेकिन उसने हमारी शादी होने दी...उसके बाद ये राज़ खोला ...जो हमारी जिंदगी में तुफ्फान ले आया ...मैं अब कभी भी ना तुम्हें किसी तरहा तंग करूँगा और ना ही मिलने की कोशिश करूँगा....पर हां ...मैं इंतेज़ार करूँगा तुम्हारा जिंदगी की आखरी साँस तक........मेरी जिंदगी में जो जगह तुम ले चुकी हो ...वो कोई और नही ले पाएगा.......

अपनी बात ख़तम कर उसने एक बार कविता की तरफ देखा और उसके गले में पड़े मन्गल्सुत्र पे नज़र चली गयी ...बस इतना काफ़ी था राजेश के लिए ...वो पलटा और कमरे से बाहर चला गया.....

सब उसे जाता हुआ देखते रहे..ख़ासकर कविता..जिसकी आँखों से आँसू छलक पड़े .....दिल और दिमाग़ की जंग जो कुछ देर के लिए रुकी थी...फिर शुरू हो गयी...

सुनील ने सबका ध्यान नाश्ते पे लगाया और फाइनल पॅकिंग का बोल नीचे आ कर होटेल का बिल सेट्ल करने लगा ........राजेश की आवाज़ में छुपा दर्द ना जाने क्यूँ उसे कुछ जाना पहचाना सा लगा .....और उसके कदम दिन में ही बार की तरफ बढ़ गये ....डबल स्कॉच ले कर वो राजेश और कविता के बारे में सोचने लगा..

घर पहुँच कर राजेश ने खुद को कमरे में बंद कर लिया और बिस्तर के पास पड़ी फ्रम में सजी दुल्हन बनी कविता की फोटो को देखने लगा ......


दिल ने ये कहा है दिल से...
मोहब्बत हो गयी है तुम से
मेरी जान मेरे दिलबर
मेरा एतबार कर लो
जितना बेकरार हूँ में
खुद को बेकरार कर लो
मेरी धड़कनो को समझो
तुम भी मुझ से प्यार कर लो...


अपनी दिल की बात राजेश कविता से बोल रहा था...जानता था ...कि उसकी आवाज़ इस कमरे की चार दीवारी में दफ़न हो के रह जाएगी ......पर यही तो एक ज़रिया रह गया था उसके पास जीने का ...कविता की फोटो से बातें करना.....

राजेश के जाने के बाद सुमन बड़े गौर से कविता को देखने लगी ....सुमन ने कुछ कहने के लिए मुँह खोला ही था कि सुनील ने उसका हाथ दबा दिया और कुछ भी बोलने से मना कर दिया....सही टाइम पे ये लोग फ्लाइट पकड़ देल्ही पहुँच गये ....और ...जब घर पहुँचे ...तो मिनी और रूबी ...दोनो कविता की हालत देख अवाक खड़ी रह गयी...नयी नवेली दुल्हन का येरूप उन्हें हजम नही हो रहा था ....आँखों में हज़ारों सवाल उठ खड़े हुए ......मुँह खुलने ही लगे थे कि सुनील की नज़रों ने उन्हें चुप करा दिया ....

मिनी को सुनील बता चुका था कि वो सोनल से शादी कर चुका है पर अभी जब उसने सुमन को सुहागन के रूप में देखा तो.......बहुत बड़ा झटका लगा उसे .....जवान बेटी घर में बैठी है और मासी माँ ने खुद शादी कर ली ...इस बात का अब खुलेआंम एलान कर रही है ....हाई राम ..दुनिया वाले क्या बोलेंगे....ऐसा क्या हुआ मुंबई में की सुमन ने पूरी तरहा सुहागन का रूप ले लिया ...अब तक तो दिन में विधवा ही बनी रहती थी......

रूबी ...कविता को कमरे में ले गयी ......और कमरे में पहुँच ...कविता उसके गले लग फुट फुट के रोने लगी..

मिनी किचन चली गयी सबके लिए चाइ/कॉफी बनाने ...पर दिमाग़ फटने लगा था उसका.....

कविता के लिए चाइ और रूबी के लिए कॉफी मिनी ने उनके कमरे में ही दे दी ...कविता अब अभी रो रही थी और रूबी उसे चुप करने की कोशिश कर रही बार बार पूछ रही थी कि हुआ क्या ?

मिनी ......क्या हुआ मेरी जान को .....अभी आती हूँ ...तेरे भाई को कॉफी दे दूं 

मिनी ने ...सबको कॉफी दी ..और बिना वक़्त गवाए ....कविता के पास चली आई ......

मिनी......कविता क्या हुआ...तू इस तरहा वापस...ये रोना धोना...सबके चेहरे उदास ...बता ..मेरा दिल घबरा रहा है.....

कविता...भाभी ....वो ...वो .....मेरे सौतेले भाई निकले........

रूबी /मिनी...ककक्क्क्ययय्याआअ 


कविता और कोई जवाब ना दे सकी...बस रोती रही.....

मिनी ...रोते नही ..सब ठीक हो जाएगा.........

कविता बस मिनी के गले लग रोती रही ............बस गुड़िया चुप हो जा ..जिंदगी बहुत इम्तिहान लेती है.....सब भूल जा अभी बस अपना एमबीबीएस का कोर्स पूरा कर ...देख वक़्त के साथ सब ठीक हो जाएगा....

लेकिन इस तरहा दिलासा देने से ये गम कहाँ हल्के होते हैं...ना जाने कितनी देर कविता रोती रही ...और चाह कर भी ना रूबी अपने आँसू रोक सकी और ना ही मिनी.....

मिनी ....अपने आँसू पोंछते हुए .......अच्छा बस करो ये रोना धोना......मैं खाना बनाने जा रही हूँ....आज मैं तेरे पास ही रहूंगी रात को.....जिंदगी ने अभी गम दिए हैं तो कल सुख भी मिलेंगे...ये तो दुख और सुख का आना जाना लगा ही रहता है.....मिनी कविता के माथे को चूम किचन चली गयी...

कॉफी पीने के बाद सोनल और सुमन कमरे में चली गयी थोड़ा आराम करने और चेंज करने....सुनील हॉल में ही बैठा रहा और कुछ देर बाद विस्की निकाल के बैठ गया....इस से पहले वो किसी को आवाज़ देता ...मिनी खुद उसके लिए सोडा और बरफ ले आई ...टेबल पे रख मिनी बस इतना बोली....सुनील इतना मत पिया करो ..पीने से कविता की प्राब्लम सॉल्व तो नही हो जाएगी ...और अभी तुमने अपनी एमबीबीएस का कोर्स भी पूरा करना है.......ये कह वो चली गयी और सुनील उसे देखता रहा ...कितना बदल गयी थी वो....पर ये बदलाव सच का है या फिर कोई चाल..ये सुनील समझ नही पा रहा था.

सुनील ने धीरे धीरे दो ड्रिंक्स ख़तम कर ली ...इतने में मिनी ने खाना भी रेडी कर लिया....

डिन्नर के बाद सुमन बोली कि वो कविता के साथ रहेगी रात को ....मिनी चुप रह गयी .....सोनल ने देख लिया था कि सुनील का मूड कुछ ऑफ है .....आज उसने भी वही करना था जो कल रात सुमन ने किया था और वैसे भी वो सुबह बोल चुकी थी सुनील को की आज की रात वो नही छोड़ेगी......
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01-12-2019, 02:31 PM,
RE: Sex Hindi Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
सब अपने कमरे में चले गये ....सोनल ने हॉल से ड्रिंक उठा ली और कमरे में ले गयी ......सुनील के लिए हल्का सा पेग बनाया और बाथरूम में घुस गयी.....

सोनल जब बाथरूम से बाहर निकली तो सुनील उसे देखता रह गया .............लहराती बलखाती हुई वो सुनील की तरफ बढ़ी और किसी पॉर्न स्टार की तरहा हाथों में पड़े दस्ताने धीरे धीरे सरका सरका के उतार कर एक एक कर सुनील के उपर फेंकती रही.....

उसके आधे उरोज़ लाइनाये से बाहर छलक रहे थे .........काले रंग की लाइनाये में सोनल आग का धधकता हुआ शोला लग रही थी ....जो दूर बलखाती हुई सुनील को जला और तडपा रही थी....

सुनील ने फट से अपना पेग ख़तम किया और सोनल को पकड़ने भागा...सोनल छिटक के दूर हो गयी और हँसने लगी ...जंगली शेरनी को पकड़ोगे....चलो पकड़ के दिखाओ...

सुनील उसके पीछे लपकता और ऐन वक़्त पे सोनल उसके हाथ आते आते रह जाती और दूर भाग लेती....

यहाँ पॅक्डम पॅक्डायी का खेल चल रहा था और दूसरे कमरे में मिनी अपनी डाइयरी खोल एक तस्वीर देख रही थी .......इस तस्वीर में वो और सुनील थे.......

मिनी ...तस्वीर को देखते हुए ....क्यूँ कर रहे हो ऐसा मेरे साथ ....मैने तो सोचा था कि जिंदगी में कभी नही मिलोगे जब तुम अचानक गायब हो गये थे....यहाँ अचानक तुमसे मुलाकात हुई तो तुम तो ऐसे कर रहो हो जैसे हम कभी मिले ही नही ....अपना नाम भी लिखना तुमने बदल दिया है ......पहले तुम सुनेल लिखते थे अब सुनील लिखते हो ...क्या है ये सब.....उस दिन मैं तुम से झूठ पे झूठ बोलती रही ...और तुमने एक बार भी प्रतिकार नही किया ...क्यूँ? आख़िर तुम ऐसा क्यूँ कर रहे हो...अपनी बहन और माँ से शादी कर ली इसलिए या कोई और वजह है....तुम आराम से मान गये कि मेरे भाई ने मेरा रेप किया था........मत करो ऐसा मेरे साथ प्लीज़ मैं और बर्दाश्त नही कर सकती .....मिनी की आँखों से आँसू टपक पड़े और वो अपनी यादों के झारोंखों में चली गयी.......

सुमन...रूबी और कविता के बीच लेटी हुई थी ....

कविता...मैं आपको भाभी बोलूं या मम्मी.....

सुमन...जो तेरा दिल करे ....चाहे भाभी बोल या मम्मी ..रहेगी तू मेरी प्यारी सी गुड़िया है....

कविता ....माँ के बाद जो प्यार आपने दिया वो कोई माँ ही दे सकती है..मैं आपको मम्मी ही बोलूँगी ...

सुमन ने उसे गले लगा लिया ....मेरी बच्ची ...और उसके चेहरे पे चुंबनो की बरसात कर दी.....

कविता ...मम्मी ...ये क्यूँ हुआ मेरे साथ .....ना मैं उन्हें भूल सकती हूँ और ना ही उन्हें अपना सकती हूँ.......मेरा दिल गवारा नही करता कि मैं अपने ही भाई की पत्नी बनू.......

सुमन....ये सब किस्मत के खेल होते हैं.....कुछ बातें अपने हाथ में नही होती ..उन्हें वक़्त पे छोड़ देना चाहिए......मानती हूँ..भाई बहन के बीच ऐसा रिश्ता नही होना चाहिए ...पर कई बार हालत ऐसे हो जाते हैं कि ऐसे रिश्ते बन जाते हैं....अपने भाई सुनील और भाभी सोनल का ही किस्सा लेले........किसने सोचा था ...कि सोनल सुनील को प्यार करने लगेगी वो भी इतना कि सुनील उसकी हर साँस में समा गया .....सुनील ने तब भी इस रिश्ते को अपनाने के लिए सोनल को इनकार कर दिया था...बहुत लड़ता था वो अपनी मर्यादा से ...फिर भी सोनल का प्यार एक दिन जीत ही गया और दोनो आज पति पत्नी हैं...कितने खुश हैं दोनो .....ये रिश्ते प्यार के रिश्ते होते हैं......हमेशा अपने दिल की सुनना ...अगर तुम्हारा दिल कहे के तुम अपनी जिंदगी राजेश के साथ बिताना चाहती हो ...तभी हाँ करना वरना नही ....किसी की भावनाओं में आ कर ऐसे रिश्ते कबुल नही किए जाते ...और ऐसे ही नही ...शादी वो बंधन होता है ...जो या तो दिल के रास्ते से शुरू होती है ...या फिर मा बाप के बताए रास्ते से.....कई बार होनी अपना खेल खेल जाती है ....यही तुम्हारे और राजेश के साथ हुआ....अगर पहले पता होता ...तो क्या सुनील ऐसा होने देता नही कभी नही ....पर अब दो रास्ते हैं...या तो तुम दोनो का तलाक़ करवा दिया जाए ताकि दोनो इस बंधन से आज़ाद हो जाओ ...या ....अगर तुम्हारा दिल मानता है इस रिश्ते को ...तो खुशी खुशी राजेश के साथ अपनी जिंदगी बिताओ...वो तो अपने दिल की बात कह गया था...अब फ़ैसला तुमने लेना है..क्यूंकी ये तुम्हारी जिंदगी का सवाल है.....

कविता बस सुमन को देखती रही........

सुमन....जल्द बाज़ी में कोई फ़ैसला मत लेलेना ...जिसपर आगे जा कर पछताओ ...टेक युवर टाइम डार्लिंग...टेक युवर टाइम.......और खुद को इतना परेशान भी मत किया करो ...छोड़ दो वक़्त पे...वो खुद तुम्हें सही समय पे सही रास्ता दिखा देगा....अब अपना सारा ध्यान अपनी पढ़ाई पे लगा दो.....

कविता सुमन से चिपक के सो गयी ....और सोचते सोचते सुमन की भी आँख लग गयी...

दूसरे कमरे में सुनील और सोनल की पॅक्डम पॅक्डायी चल रही थी और सुनील के हाथ सोनल की लाइनाये में फस गये जब सोनल ने फिर भागने की कोशिश करी तो चााआअरर्ररर कर के फटती चली गयी.....काफ़ी मेंहगी थी ....सोनल फट से रुक गयी और सुनील ने उसे पकड़ लिया ......

सोनल...ये क्या बात हुई ........फाड़ के रख दी ...इतनी मेंहगी थी......

सुनील...तो क्या हुआ और ले लेना .....ये चक्कर क्या है ...घर में टेन्षन इतनी ...कल सूमी मेरे पीछे पड़ गयी और आज तुम...

सोनल....एक तुम ही तो हो जिसके दम पे ये घर चलता है ...जिसने हम सबको संभाल के रखा हुआ है ...क्या हमे दुख नही कविता के लिए ...है बहुत है ...और एक औरत ही दूसरी औरत को अच्छी तरहा समझ सकती है...पर हम तुम्हें दुखी नही रख सकते .....हम यही चाहते हैं तुम जिंदगी खुल के जियो ताकि हर दुख और हर विपदा को मुँह तोड़ जवाब दे सको ...ये तुम तभी कर पाओगे ...जब तुम्हारा चित शांत होगा और खुश होगा ...इसीलिए मैने और दीदी ने ये सोचा था ...की तुम्हारी हर रात को रंगीन रखा जाए ...ताकि तुम दिमागी रूप से हमेशा फ्रेश रहो... अब बात को डाइवर्ट मत करना.....देखो ना मेरा जिस्म कितना जल रहा है...

सोनल....सुनील से चिपक गयी और अपने मदिरा के प्याले उसके होंठों से सटा दिए...

रात भर सोनल ...सुनील को अपनी अदाएँ दिखाती रही और दोनो एक दूसरे में खोते रहे....सुबह तक सोनल के जिस्म का पोर पोर दुख रहा था.....पर चेहरे पे सकुन था...एक संतुष्टि बही मुस्कान थी....

कविता भी कल की सुमन की बातों से तोड़ा संभाल चुकी थी...सही वक़्त पे सुनील/सोनल/रूबी और कविता कॉलेज चले गये ....

और फिर से घर में पढ़ाई का महॉल बन गया ....सुमन रोज भगवान से प्रार्थना करती कि अब कोई और अड़चन जिंदगी में ना आए और सब की पढ़ाई सुचारू रूप से चलती रहे........

एक हफ़्ता बीत गया.......


सुनील सबको एक रेस्टोरेंट में डिन्नर करने ले गया ...ताकि थोड़ा बदलाव हो...ये लोग रेस्टोरेंट में खाना खा रहे थे .....बिल्कुल इनके पीछे की टेबल पे दो लड़के बैठे हुए थे .....ये और कोई नही राजेश और विमल थे ...लेकिन इन लोगो को आपस का पता नही था......एक बिल्कुल एक दूसरे के पीछे बैठे हुए थे....

सुनील को आवाज़ें कुछ जानी पह चानी लग रही थी..........हुआ यूँ था कि देल्ही के ऑफीस को देखने के लिए राजेश एक हफ्ते के लिए देल्ही आया था आज ...और विमल ज़बरदस्ती साथ चला आया था..

विमल...यार तुझे हो क्या गया है...कुछ बताता भी नही ...शाम होती नही ...और दारू चालू.....नशेड़ी बनना है क्या...भाभी को जब पता चलेगा तब देखना क्या हालत करेगी तेरी...

(विमल को नही पता था कि दोनो के बीच क्या हुआ है...वो तो यही समझता था कि कविता अपना एमबीबीएस का कोर्स पूरा करने देल्ही आई हुई है ...)

राजेश ....नशा शराब में होता तो नाचती बॉटल......भुतनी के तू यहाँ मेरा साथ देने आया है या लेक्चर झाड़ने ....

विमल....ठीक है बच्चू ...कल भाभी को सब बताता हूँ........

(कविता ने राजेश की आवाज़ पहचान ली थी .....खाते खाते उसका हाथ रुक गया)

राजेश......कोई मिलना विल्ना नही ...समझा ..ज़्यादा नौटंकी करेगा तो अभी वापस पार्सल कर दूँगा मुंबई ....

विमल....बात क्या है ....तू देल्ही आ कर भी भाभी से नही मिलेगा .......

राजेश ....हां नही मिलूँगा अब ज़्यादा दिमाग़ मत चाट .....

विमल......आधी बॉटल डकार चुका है बस कर ....कहीं भाभी से कोई झगड़ा तो नही हो गया.......

राजेश ....तेरे ना कान के नीचे एक दूँगा तब तू अपनी बकबक बंद करेगा....

विमल....दे ले भाई अगर तुझे इसमे तसल्ली मिलती है तो ...तेरा दोस्त हूँ ग़लत रास्ते पे जाने से तो रोकुंगा ही...

राजेश.....साले तूने सुबह सुबह मैंडक तो नही खा लिया ....टर टर ...बंद ही नही हो रही तेरी...

विमल चुप हो गया ...और चेहरा नीचे झुकाए सोचने लगा ...आख़िर क्या हो गया है इसे.........

कविता का सारा ध्यान ....राजेश पे जा चुका था...वो भूल ही गयी थी कि सब खाना खाने आए हुए हैं...सबकी बातें हो रही थी आपस में पर सबने आवाज़ बहुत धीमी रखी हुई थी...बस कविता एक दम चुप हो गयी थी..खो गयी थी कहीं....

सुनील....क्या हुआ कवि कहाँ खो गयी .......( सुनील कुछ ज़ोर से बोला था ...)

कविता..अँ आं कुछ नही भाई ........और खाना खाने लगी अन्मने मन से.....

राजेश ने सुनील और कवि की आवाज़ पहचान ली .......दिल ज़ोर से धड़कने लगा ...उसे अपना वादा याद आ गया कविता से जो उसने किया था....

राजेश.....यार यहाँ का ए/सी साला काम नही कर रहा ...चल उठ कहीं और चलते हैं.......तू बिल दे का फटाफट ....मैं बाहर वेट कर रहा हूँ......

विमल....अबे ये ड्रिंक तो ख़तम...

राजेश ...चल ना..... ( और उठ के एक दम बाहर निकल गया ....उसने एक नज़र भी मूड के नही देखा कि कविता कहाँ बैठी हुई है ...)

कविता की नज़रें...उसका पीछा करती रही ...सभी कविता को देख रहे थे पर कोई कुछ ना बोला....

विमल ...ये साले को हो क्या गया है ....झल्लाता हुआ उठा और उसकी नज़र कविता और सारे परिवार पे पड़ गयी ....एक पल कविता को देखा और दूसरे पल बाहर जाते राजेश को.....

फटाफट भागा...बिल पे किया और डोर से बाहर .....

विमल...अरे भाभी तो अंदर है पूरी फॅमिली के साथ...

राजेश...चुप चाप चल ......

विमल..पर...

राजेश...कहा ना चुप चाप चल........और राजेश विमल को किसी दूसरे बार में ले गया......
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01-12-2019, 02:31 PM,
RE: Sex Hindi Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
विमल.......भाभी वहाँ थी ...पूरा परिवार था और तू मिला नही....तू मुझ से कुछ छुपा रहा है ......जब से भाभी देल्ही आई है तू रोज पीने लग गया ....सला बॉटल तक डकार जाता है ....तुझे मेरी कसम....सच बता ...मेरा दिल घबरा रहा है ....

राजेश ...एक फीकी हँसी के साथ .....जिस रास्ते पे जाना नही उसकी बात क्यूँ करें......बस यही तक का साथ था हमारा ...अब इससे आगे कुछ मत पूछना...मैं बता नही सकूँगा....

विमल....यहीं तक का साथ .....जुम्मा जुम्मा 10 दिन नही हुए शादी को ...और यहीं तक का साथ.....

राजेश .....देख अगर तू मेरा दोस्त है....तो आज के बाद तू कभी भी कविता के बारे में कोई बात नही करेगा .......वरना अपनी दोस्ती यहीं ख़तम.....

विमल....कैसा दोस्त है रे तू ....और तू क्या समझता है मैं पत्थर का बना हूँ....ये ये जो तू अपना हाल कर रहा है मुझ से देखा नही जाता ....और तू मुझे इतना बेगाना समझता है के पूरी बात तक नही बता सकता...यही दोस्ती है तेरी ...दिल करता है अभी एक कान के नीचे दूं...

राजेश....क्यूँ बार बार मेरे ज़ख़्मों को कुरेद रहा है ..क्यूँ मेरे घाव हरे कर रहा है ...जीने दे यार कुछ दिन.....

अब विमल चुप हो गया....लेकिन उसने फ़ैसला कर लिया था कि कविता ना सही ...वो सुनील या सोनल से ज़रूर बात करेगा....आख़िर ऐसा क्या हो गया...

राजेश चला गया ...सब उसे जाता हुआ देखते रहे ...रूबी ने एक बार उठने की कोशिश करी पर साथ बैठी सोनल ने उसका हाथ पकड़ हिलने नही दिया.....

सुनील...क्या हुआ कवि.....तुम इतना क्यूँ परेशान हो रही हो.....जिंदगी में कई ऐसे मोके आएँगे जब तुम्हारा टकराव उससे बिना चाहे होगा ....तो क्या यूँ ही परेशान होती रहोगी...जिस रास्ते पे चलना तुम्हारा दिल गवारा नही करता ...तो उस रास्ते पे और कॉन कॉन है...उसके लिए तुम क्यूँ फिकर कर रही हो...भूल जाओ सब और अपने करियर पे ध्यान दो...

कविता....भाई

सुमन......बेटा वो ठीक कह रहा है.....मैं जानती हूँ...शुरू में बहुत तकलीफ़ होगी ...पर तुम्हें इसकी आदत डालनी पड़ेगी .....और कोई रास्ता नही है....

सुनील...मैं तो अपने लिए वाइन मंगवा रहा हूँ....एनी टेकर्स......

कविता ....भाई मैं भी लूँगी.......

सुनील.....तुम....रहने दो......प्लीज़ नही पचा पाओगी...उस दिन....

सोनल.......इस के लिए बस एक छोटा...चलो रहने दो...ये मेरे साथ शेर कर लेगी. (बीच में ही बात काट दी ...ताकि कविता को बुरा ना लगे)

सबने थोड़ी वाइन पी....और चलते चलते सुमन बोली....अरे मैं तो बताना ही भूल गयी...कल मेरी सहेली की बेटी का बर्तडे है...बहुत ज़ोर दे रही है ...कि सबको आना पड़ेगा ....तो कल शाम सब फ्री रखना.......

फिर सब घर की तरफ चल पड़े.....

सुमन और सागर कभी भी बच्चों को अपने दोस्तों के घर नही ले कर गये थे ....दोनो ने बच्चों को बड़ी सख्ती से पाला था और बच्चों का ध्यान सिर्फ़ पढ़ाई पे ही लगाया था.....यही वजह थी कि सुनील और सोनल ने कभी कोई ग/फ...ब/फ नही बनाया था ...इनका मक़सद बस अवाल दर्ज़े क्या सिर्फ़ टॉप करना होता था और हमेशा करते थे ......

सुमन की सहेली सिमरन इस बात का हमेशा गिला करती थी .....पर अपने बच्चों के रिज़ल्ट देख और सुमन के बच्चों के रिज़ल्ट देख चुप रह जाया करती थी .....लेकिन अब बच्चे बड़े हो चुके थे ...करियर का रास्ता तय हो चुका था.....इस बार तो उसने है तोबा कर ली थी.........सिमरन का पति एक बिज़्नेस मॅन था और उसका मुंबई बहुत आना जाना होता था........

सुमन जब सब को ले कर सिमरन के घर पहुँची तो ....सिमरन को तो हार्ट अटॅक ही होने वाला था 

सिमरन......सूमी...ये ...ये...
इस से पहले सिमरन कुछ आगे बोलती ......सुमन ने उसके कान में सिर्फ़ इतना बोला ......बाद में...अकेले में ....सब बता दूँगी......

गनीमत ये थी कि सिमरन .....डॉक्टर नही थी...वो सुमन की बचपन की सहेली थी.......वरना शहर का हर डॉक्टर यहाँ होता ....और सुमन के लिए मुश्किलें बढ़ जाती.....

पार्टी में कोई ऐसा नही था ...जो दोनो को जानता था.....

सिमरन के बेटे जयंत की नज़र जब रूबी पे पड़ी ..वो तो वहीं जम के रह गया था......हाथ में सॉफ्ट ड्रिंक्स की ट्रे पकड़े हुए .....और सिमिरन इंतेज़ार कर रही थी उसका.......

'जयंत'

'आन आह सॉरी मोम....'

सिमिरन ने उसकी नज़रों का पीछा बकिया और रूबी पे जा रुकी....एक मुस्कान आ गयी ....सिमरन के चेहरे पे...दोस्ती को रिश्तेदारी में बदलने के अरमान जाग उठे.....


...सिमिरन को उसे बुलाना ही पड़ा .......

तभी उसी वक़्त राजेश के कदम अंदर पड़े और जैसे ही उसकी नज़र सुनील आदि पे पड़ी ..वो पलट गया वापस जाने के लिए ...लेकिन...जिसका बर्तडे था....सुनीता....वो तो राजेश के इंतेज़ार में पलकें बिछाए बैठी थी...बार बार उसकी नज़र दरवाजे पे ही जाती थी...की राजेश अब आया अब आया और जैसे ही उसने देखा कि राजेश आ कर वापस पलट रहा है...वो चिल्ला पड़ी 

रुक जाओ भाई.........

राजेश के बढ़ते कदम वहीं जाम हो गये....वो दुनिया का हर दुख झेल सकता था बस सुनीता की आँख में आँसू नही....पर होनी को कॉन टाल सकता है......सुनील पे नज़र पड़ते ही वो वापस पलट गया था...पर सुनीता का क्या करता जो जयंत से ज़्यादा उसे प्यार करती थी.....

और भागती हुई राजेश से लिपट गयी...कहाँ जा रहे थे भाई ...अभी आए भी नही और चल दिए ...भाभी कहाँ है ...उनको साथ क्यूँ नही लाए.........

तभी सिमरन भी वहाँ आ गयी.......राजेश ....ग़लत बात ....अकेले क्यूँ आए ..बहू कहाँ है......हम तो शादी में आ ही नही सके ...सुनीता के एग्ज़ॅम्स की वजह से और तुमने तो चट माँगनी पट ब्याह कर डाला.....

राजेश.....वो आंटी काम ही कुछ ऐसा है कि कभी यहाँ तो कभी वहाँ......मैं तो एक क्लाइंट से मिलने आया था कि डॅड का फोन आ गया ....आज छोटी का बर्तडे है तो आ गया....अभी ज़रा एक ज़रूरी काम आ गया है...मैं बाद में आता हूँ...

सुनीता....ना जी ना ...फिर आप गायब हो जाओगे ....सालों बाद शकल दिखती है आपकी....मैं नही जाने दूँगी...सारे काम बाद में भी हो जाएँगे......

साथ में विमल भी था और उसकी नज़र कविता पे पड़ चुकी थी......समझ गया वो किसलिए राजेश यहाँ से निकलना चाहता है...पर कुछ बोला नही ....

तभी सुनीता भाग के हॉल के बीच में जा खड़ी हुई ....

लॅडीस आंड गेंटल्मन.....मेरे राजेश भैया आज सब को एक गीत सुनाएँगे ....गिव हिम आ बिग हॅंड....

राजेश....सुनीता के पास जा कर...ये क्या पागलपन है.....मैं कोई नही गाने वाला...प्लीज़ ......

सुनीता...मैं कुछ नही जानती आप गाओगे...गाओगे...गाओगे....

हॉल आनेवाले गाने के स्वागत में तालियों से गूँज उठा......

राजेश गाना शुरू करता है और चलते हुए हॉल के एक खंबे के पीछे चला जाता है ...ताकि उसकी नज़र कविता पे ना पड़ सके......

खिजान के फूल पे आती कभी बहार नहीं
मेरे नसीब में आए दोस्त तेरा प्यार नहीं
मेरे नसीब में आए दोस्त तेरा प्यार नहीं

खीज़ान के फूल पे आती कभी बहार नहीं
मेरे नसीब में आए दोस्त तेरा प्यार नहीं

ना जाने प्यार में कब मैं ज़ुबान से फिर जाउ
मैं बन के आँसू खुद अपनी नज़र से गिर जाउ
तेरी कसम है मेरा कोई ऐतबार नहीं
मेरे नसीब में आए दोस्त तेरा प्यार नहीं

मैं रोज़ एक नई राह तकता हूँ
मैं रोज़ एक नये गम की आह तकता हूँ
किसी खुशी का मेरे दिल को इंतेज़ार नहीं
मेरे नसीब में आए दोस्त तेरा प्यार नहीं

ग़रीब कैसे मोहब्बत करे अमीरों से
बिछड़ गये हैं कई रांझे अपनी हीरों से
किसी को अपने मुक़द्दर पे इकतियार नहीं
मेरे नसीब में आए दोस्त तेरा प्यार नहीं

खीज़ान के फूल पे आती कभी बहार नहीं
मेरे नसीब में आए दोस्त तेरा प्यार नहीं.


गाना ख़तम होते ही ...तालियाँ बाज उठती हैं...और राजेश विमल को ले खिसक जाता है....

कविता की नज़रें उसे ढूंडती हैं पर वो नज़र नही आता..........

सुमन....सिमरन से पूछती है.......ये लड़का कॉन है......उसका इशारा राजेश की तरफ था.......जिसे वो बाहर निकलता हुआ देख रही थी...

सिमरन....सुनीता के पापा के बिज़्नेस पार्ट्नर हैं मुंबई में...उनका बेटा है......बहुत ही अच्छा लड़का है....सुनीता तो जयंत से ज़्यादा उसे ही मानती है....तू बता ये सब क्या लफडा है....

सुमन.....तू अभी अपनी पार्टी संभाल कल घर आना फिर आराम से बात करेंगे.....

तभी सिमरन को खोजते हुए कुछ लोग आ जाते हैं....वो उनके साथ बिज़ी हो जाती है...... सुमन इज़ाज़त लेती है और सभी घर की तरफ चल पड़ते हैं.....
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01-12-2019, 02:32 PM,
RE: Sex Hindi Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
विजय समझ चुका था कि राजेश का प्यार कविता के लिए दिल से है...ये लस्ट नही जो बस एक बार देख के हो जाती है....इसलिए उसने राजेश को देल्ही भेज दिया था...एक हफ्ते के लिए ताकि शायद राजेश और कविता की कहीं मुलाकात हो जाए और दोनो में कुछ बात चीत हो जाए....विजय को नही मालूम था ..कि राजेश ने क्या वादा कर रखा है .....और राजेश धीरे धीरे अपना सारा सोशियल सर्कल ख़तम करता जा रहा था...दिन में ऑफीस शाम को दारू ...बस यही उसका रुटीन बन गया था.....

विमल भी उसके साथ देल्ही चला आया था ....अपना देल्ही ऑफीस देखने का बहाना ले कर ...लेकिन वो कुछ कर नही पा रहा था ........आज जो पार्टी में हुआ ...वो जान गया था कि राजेश कविता के बिना जी नही पाएगा ....अब उसे ही कुछ करना था.....

सुबह हो गयी थी ...राजेश धुत सोया पड़ा था और विमल चुप चाप घर से निकल गया.........सुनील के घर की तरफ....


विमल जब सुनील के घर पहुँचा तो सभी कॉलेज जाने के लिए निकल रहे थे...विमल को देख कविता ठिठक गयी....

सुनील...अरे विमल कैसे आना हुआ....

विमल...मैं लगता है ग़लत टाइम पे आ गया हूँ...बाद में मिलता हूँ...

सुनील.....शाम को आ जाना.......

विमल.....नही भाई शाम को तो मुश्किल है...उसे अकेले छोड़ दिया शाम को तो पता नही कहीं किसी नाली में ना गिरा पड़ा मिले....रोज शाम को पीने लग गया है......

विमल की नज़रें कविता पे टिकी हुई थी जैसे कह रही हों..भाभी संभाल लो उसे वरना मर जाएगा....

सुनील...ओह चल फिर एक काम कर दोपहर को में फ्री होउंगा...कॉलेज ही आ जाना ...वहीं बात कर लेंगे........

सुनील विमल को कॉलेज की डीटेल्स देता है....विमल वापस चला जाता है और सुनील वगेरह कॉलेज चले जाते हैं....

दोपहर में विमल सही टाइम पे कॉलेज पहुँच गया...सुनील उसे गेट पे ही मिल गया और अपने साथ कॅंटीन ले गया....

सुनील...हां विमल अब बोलो ...क्या बात है...

विमल....सुनील भाई ये हुआ क्या है ...राजेश कुछ बताता ही नही ...दिन भर काम करता है शाम को पीने बैठ जाता है ...सभी दोस्त यारों से खुद को अलग कर लिया है .....हुआ क्या है भाभी और उसके बीच ....

सुनील...जब वो तुम्हें कुछ नही बता रहा तो मुझ से तुम कैसे एक्सपेक्ट कर सकते हो...बस इतना कहूँगा ...इस रास्ते पे दोनो को चलना है ...अब ये रास्ता उन्हें करीब लाता है या दूर ले जाता है ..ये तो वक़्त ही बताएगा....

विमल......क्या मैं एक बार भाभी से बात ......

सुनील...नही ...उसे अकेले छोड़ दो ..बड़ी मुश्किल से संभली है...उसे वक़्त दो...जो होगा ठीक ही होगा....और हां मैं आ कर राजेश से बात करूँगा.....

फिर दोनो कुछ देर इधर उधर की बातें करते हैं और फिर विमल चला जाता है......

सुनील ....राजेश के लिए परेशान हो जाता है और शाम को ही उस से मिलने का फ़ैसला कर लेता है....

यहाँ पीछे घर पे सिमरन आ जाती है सुमन से मिलने........दोनो सहेलियाँ गले मिलती हैं फिर सुमन सिमरन को अपने बेडरूम में ले गयी ........

मिनी थोड़ी देर बाद दोनो के लिए कॉफी और बिस्कट ले आई फिर अपने कमरे में चली गयी....

सिमरन....अब बता क्या किस्सा है .....तूने शादी कब करी

सुमन....सब बच्चों का किया धरा है...मालदीव गये थे घूमने वहीं कोई पसंद आ गया...बच्चों ने भी ज़ोर दिया कि अभी उम्र ही कितनी है शादी कर लो....तो कर ली शादी...बस इनके कोर्स पूरे हो जाएँ फिर मालदीव चले जाएँगे......

सिमरन....और तेरे पति ....

सुमन...अब एक डॉक्टर को तो डॉक्टर ही पसंद आएगा ना...वो भी डॉक्टर हैं .......बस अब इंतेज़ार है दो साल का फिर हम सब यहाँ से चले जाएँगे....

सिमरन.....ह्म्‍म्म्म अच्छा तुझ से एक बात करनी थी...

सुमन...हां हां बोल ना

सिमरन....मैं चाहती थी कि हमारी दोस्ती रिश्तेदारी में बदल जाए 

सुमन...मतलब....

सिमरन....मैं चाहती हूँ..रूबी हमारे घर की बहू....

सुमन......मुझे बहुत खुशी होगी...पर अभी इन बातों का समय नही है...पहले रूबी अपना कोर्स पूरा कर ले .......और अभी तो वो शादी के नाम से ही बिदकती है....

सिमरन...ओह....चल याद रखना मेरी बात.

सुमन...हां क्यूँ नही ....बस जब सही वक़्त आएगा तब रूबी से बात करूँगी......


सिमरन...अच्छा चलती हूँ...अब तू आना घर कभी..

सुमन....हां जल्दी ही आउन्गि......

फिर सिमरन अपने घर चली गयी....

हफ्ते बाद राजेश भी वापस मुंबई चला गया और इस दोरान उसने एक बार भी कविता से मिलने की कोशिश नही करी .....

घर में कोई भी राजेश का जिक्र नही करता था......वक़्त धीरे धीरे गुजरने लगा ......सुमन ने अपनी सभी सहेलियों को बता दिया कि वो शादी कर चुकी है और बच्चों के कोर्स पूरा होने के बाद मालदीव चली जाएगी.....अब वो खुल के सुहागन के रूप में रहने लगी ...उसकी खुशी में सुनील खुश था........सभी अपनी पढ़ाई पे ध्यान देने लगे और ......आख़िर जिंदगी का एक साल निकल ही गया ....अब सुनील /रूबी और कविता का कोर्स पूरा होने में एक साल बाकी रह गया था और सोनल की एमडी में भी एक साल रह गया था...

बात आई छुट्टियों की और इनकी पहली एनिवर्सरी की ...

रूबी/कविता और मिनी पीछे ही रहना चाहते थे पर सुनील नही माना...वो किसी भी कीमत पे कविता और रूबी को अकेले नही छोड़ सकता था.......इसलिए उसने सब के घूमने का प्रोग्राम बनाया और सोनल अपनी पहली अनिवर्सरी वहीं मनाना चाहती थी...जहाँ उसकी सुहागरात हुई थी ...और सुमन के लिए भी ठीक था क्यूंकी उसने मालदीव का ही ढिंढोरा पीटा था....

तो सब लोग 10 दिन के लिए मालदीव के लिए निकल पड़े...

होनी अपनी चाल चलती रहती है और इंसान अपनी.....जो अक्सर होनी से मात खा जाता है.......किसने सोचा था...कि जिस होटेल में ये लोग रुकेंगे ...उसी होटेल में एक दिन पहले विजय आरती को लेकर घूमने आ गया था ....और राजेश जिसने बड़ी ना नुकुर की थी ...उसे विजय की बात माननी पड़ी और वो भी उसी दिन पहुँचा ....यानी जब सुनील वगेरह चेक्किन कर रहे थे उसके आधे घंटे बाद राजेश ने भी चेक इन किया था.

होप्पिंग फ्लाइट की वजह से सब थक चुके थे इस लिए अपने अपने कमरों में सोने चले गये.....सुनील ने अपने लिए सुइट बुक करवाया था ...जिसमे दो बेड रूम्स थे....

रूबी, कविता और मिनी एक ही रूम में थे ...जिसमे 3 बेड लगे हुए थे..........मिनी तो चेंज कर फट सो गयी...पर रूबी और कविता की आँखों से नींद गायब थी ....मालदीव जैसी जगह पे वॉटर स्पोर्ट्स के बारे में बहुत सुना था और दोनो बहुत एग्ज़ाइटेड थी ...इसलिए कपड़े बदल दोनो घूमने निकल पड़ी होटेल में.........और घूमते घूमते वो एक रेस्टोरेंट में जा कर बैठ गयी जहाँ एक बार भी था...बार के काउंटर पर ही राजेश बैठा ...अपनी ड्रिंक ले रहा था .........और दूर फैले समुद्र को देख रहा था.........

कविता और रूबी ने अपने लिए मॉकटेल मंगवा ली थी.......अभी इनकी नज़र राजेश पे नही पड़ी थी........

हाथ में जाम लिए वो खड़ा हो गया और रेस्टोरेंट ...जो ओपन एर था उसके किनारे पे खड़ा हो ....समुद्र की उछलती लहरों को देखते हुए गुनगुनाने लगा ....आवाज़ इतनी थी कि रेस्टोरेंट में गूँज रही थी और सभी लोग जो बैठे थे वो इस गाने का मज़ा लेने लगे ......


अभी तो हाथ में जाम है
तोबा कितना काम है
अभी तो हाथ में जाम है
तोबा कितना काम है
कभी मिली फ़ुर्सत तो भाई देखा जाएगा
दुनिया के बारे में हाँ
सोचा जाएगा
अभी तो हाथ में जाम है

जीने से पहेले कौन मरे
फ़िकरे सुबह की कौन करके
जीने से पहेले कौन मरे
फ़िकरे सुबह की कौन करके
गम की रात से कौन धरे
अभी सुहानी शाम है
ह्म्म अभी सुहानी शाम है
तोबा कितना काम है
कभी मिली फ़ुर्सत तो भाई
देखा जाएगा
अरेदूनिया के बारे में हाँ
सोचा जाएगा
अभी तो हाथ में जाम है

थका हुआ था मैं ज़रा
ज़रा सा सच मे झूठ भरा
थका हुआ था मैं ज़रा
ज़रा सा सच मे झूठ भरा
उठा के बोतल घूँट भरा
तो अब ज़रा आराम है
तोबा कितना काम है
कभी मिली फ़ुर्सत तो भाई देखा जाएगा
अरे दुनिया के बारे में हाँ
सोचा जाएगा
अभी तो हाथ में जाम है

किसी की ना परवाह करो
कभी ना यारो आह करो
किसी की ना परवाह करो
कभी ना यारो आह करो
करो अगर तो वाह करो
ये ही मेरा पैगाम है
हन ये ही मेरा पैगाम है
तोबा कितना काम है
कभी मिली फ़ुर्सत तो भाई देखा जाएगा
अरे दुनिया के बारे में हाँ
सोचा जाएगा
ह्म्म ह्म्म ह्म्म ह्म्म ह्म्म ह्म्म…


राजेश की आवाज़ पे कविता और रूबी की नज़रें उसकी तरफ मूड गयी ....बहुत बदल गया था वो...वो चेहरे पे उसके जो शरारती हँसी रहा करती थी ..उसकी जगह गम के साए लहरा रहे थे.....जिस तरहा वो गा रहा था...उस से यही लगता था कि दुनिया से उसने अपना नाता तोड़ लिया था........

गाना ख़तम हुआ लोगो ने तालियाँ बजाई...पर राजेश पे इसका कोई असर ना पड़ा ...काउंटर से एक ड्रिंक और बनवा के बाहर बीच पे चला गया.........कविता की नज़रें राजेश पे ही टिकी हुई थी ...दिल में बार बार हुक उठ रही थी ..उसके करीब जाने की उस से बात करने की..उसे पीने से रोकने की........पर हिम्मत नही जुटा पा रही थी......

रूबी ने उसे इशारा किया ....कि जाए राजेश के पास .....पर कविता आज चाहते हुए भी घबरा रही थी...उसका हाथ अपने गले में पड़े मंगल सुत्र पे चला गया....आँखों से आँसू टपक पड़े .....

रूबी उसके दिल का हाल समझ गयी और उठ के जाने लगी राजेश की तरफ ....पर कविता ने उसका हाथ पकड़ उसे रोकने की कोशिश करी .....

रूबी....कवि बस बहुत हो गया....मैं जानती हूँ तू उसे कभी नही भूल सकती ...बहुत प्यार करती है तू उसे....फिर ये नखरा क्यूँ.....जा संभाल उसे ...देख एक साल में उसने अपनी क्या हालत कर ली है....अगर तुझे वाकई में उसके साथ जिंदगी नही बितानी...तो क्यूँ नही उतारा तूने ये मंगलसूत्र आज तक.........क्यूँ रोज उसकी यादों के सहारे जीने की कोशिश करती है.....पगली वो आज भी तेरा इंतेज़ार कर रहा है........जा उसके पास......नही तो मैं जा कर उसे बुलाती हूँ.....

कविता बस धड़कते दिल से उसे देख रही थी...किस मुँह से वो राजेश के पास जाती जिसे बिना कुछ कहे वो छोड़ के चली आई थी........

रूबी ...ओह तू और तेरी शरम......चल मेरे साथ....रूबी कविता को खींचती हुई राजेश की तरफ चल पड़ी .............और कविता खींचती चली गयी...

राजेश के पास पहुँच...रूबी ने पुकारा...जीजा जी ....

कोई जवाब नही वो तो बस अपने ख़यालों की दुनिया में खोया हुआ दूर डूबते सूरज को देख रहा था....

रूबी ने राजेश के कंधे पे हाथ राका...जीजा जी कहाँ खोए हुए हो

अँ.आं राजेश पलटा तो सामने रूबी खड़ी मुस्का रही थी और कविता सर झुकाए आँसू टपका रही थी....

राजेश ने सवालिया नज़रों से रूबी को देखा...
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