Sex Hindi Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
01-12-2019, 02:17 PM,
RE: Sex Hindi Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
सुमन ने अपनी ज़ुल्फो को यूँ लहराया जैसे हज़ारों नागिन एक साथ बल खा रही हो ….अपनी गर्देन को थोड़ा झुका वो सुनील पे अपनी नशीली आँखों से वार करने लगी……..

‘आज तो लगता मेरी खैर नही…बड़े ख़तरनाक इरादे लग रहे हैं मेरी जान के’

‘ये तो हज़ूर आपकी नज़रों की इनायत है , जो नाचीज़ को फलक पे बिठा देती है,
हम क्या ख़तरनाक इरादे रखें, जल रही है ये शमा, आपके प्यार की गर्मी से’

‘क्या बात है आज ये शायराना अंदाज़’

‘अरे कहाँ ये बस यूँ ही ‘ 

सुमन ने अपने बालों से सुनील के चेहरे को ढांप लिया……सुनील बस उसके गेसुओं की खुश्बू में खो गया और सुमन अपने चेहरे को नीचे लाती गयी जब तक दोनो के होंठ बिल्कुल करीब ना आगये.

सांसो में बसी सुगंध सुनील को मदहोश करने लगी उसके हाथों ने अपने आप सुमन के चेहरे को थाम लिया……और सुमन के लरजते हुए होंठों को अपने होंठों से छू लिया.

अहह सिसक पड़ी सुमन 

सुनील ने धीरे से सुमन के होंठ को चूसना शुरू कर दिया और सुमन उसकी गोद में बैठ गयी. सुनील के हाथ उसके चेहरे से फिसलते हुए उसकी बाँहों को सहलाने लगे और सुमन उसकी गोद में सिमटती चली गयी.

सुमन ने अपने होंठ सुनील से छुड़ाए और बोली….’तुम्हारे बिना ये 4 दिन पता नही कैसे कटेंगे…आज मुझे इतना प्यार करो इतना प्यार करो कि हर पल आज रात को याद कर ये 4 दिन काट सकूँ.’

‘मैं कॉन सा तुम दोनो के बिना जी सकता हूँ…..जान मेरी …..तुम्हारी ये सुगंध ….तुम्हारा ये रूप जो आ मेरे वजूद में समा चुका है ..ये 4 दिन काटने में मेरी मदद करेगा…और फोन पे तो बात करते ही रहेंगे……’

‘लव मी डार्लिंग’ सुमन ने फिर अपने होंठ सुनील के हवाले कर दिए

चुंबन में अब तेज़ी आ गयी थी…दोनो ही एक दूसरे के होंठ को चूसने लग गये …….सुनील के हाथ सुमन की लाइनाये के बंधन खोलने लग गये और कुछ ही देर में सुमन सिर्फ़ पैंटी में रह गयी. उसके उन्नत उरोज़ सुनील की छाती में गढ़ने लगे 

सुमन ने सुनील की शर्ट उतार दी और उसकी गोद में उस से चिपक गयी सुनील उसके गले और कंधे पे हल्के हल्के चुंबन बरसाने लगा.

धीरे धीरे सरक्ति हुई रात जैसे इन्हें इशारा कर रही थी...जल्दी की कोई बात नही मैं बहुत धीरे धीरे सरकुन्गी

‘ओह्ह्ह्ह माइ लव सुनिल्ल्ल्ल्ल लव मी डियर….लव मी’

सुनील सुमन के चेहरे उसकी गर्देन और उसके कंधों पे हल्के हल्के बोसे बरसाने शुरू हो गया .

अहह मेररीईईईई जाअंन्नगणणन् 

सुमन धीरे धीरे सिसक रही थी…….सुनील ने उसे बिस्तर पे लिटा दिया और अपने बाकी कपड़े उतार डाले……..सुमन ने खुद अपनी पैंटी उतार फेंकी……..

सुमन का नग्न मदमाता जिस्म सुनील को तड़पाने लगा.

सुमन एक दम बिस्तर पे पलट गयी और अपनी नशीली निगाहों से सुनील को देखती हुई अपनी गान्ड इस तरहा उपर उठाई कि उसकी चूत और गान्ड दोनो का ही दीदार सुनील को होने लगा

सुमन पूरा इरादा कर चुकी थी इस रात को इतना रंगीन बनाने का कि सुनील इस रात को अगले 4 दिन तक ना भूल पाए और हर पल इस रात को याद करे और इंतेज़ार करे सुमन की वापसी का

'उफफफ्फ़ तुम्हारी ये अदा'
'आगे आगे देखो मेरी जान ...काश इस रात की कभी सुबह ना हो'

सुनील सुमन के उपर छा गया और उसकी पीठ को चूमने लगा

'उम्म्म आइ लव युवर किस्सस'

सुनल के हाथ सुमन की कमर को सहलाते हुए आगे बड़े और उसके दोनो उरोज़ अपने हाथों में थाम उसकी गर्दन को चूमने लगा.

अहह उम्म्म्ममम

सिसकियाँ निकलने लगी सुमन की ......सुनील के हाथों का स्पर्श अपने उरोजो पे पा कर वो दहकने लगी .....जिस्म में तरंगों की बोछार होने लगी...आँखों में लाल डोरे बढ़ने लगे और जब भी अपने पैर हिलाती तो उसकी पायल की रुनझुन कमरे में फैल जाती.

तभी सुमन मछली की तरहा सुनील की बाँहों से फिसल कर बिस्तर से उतर के खड़ी हो गयी और मटकती हुई ड्रेसिंग टेबल तक गयी और वहाँ से उठा के मोतियों की माला अपने गले में डाल बिस्तर के दूसरे कोने में अपनी जांघे खोल घुटनो को मोड़ लेट गयी और सुनील की तरफ देखने लगी ...जैसे कह रही हो...आओ ना ..इतनी दूर क्यूँ हो.

उसके उरोजो की घाटी के बीच से होती हुई मोतियों की माला ने उसके रूप को अलग ही छटा प्रदान कर दी और सुनील हैरत से बस उसे देखता रहा..जैसे अंगार छू लिया तो कहीं मुरझा ना जाए.

'आओ ना ...'

सुनील मदहोशी में झूमता हुआ सुमन के तरफ बड़ा और उसमे इतना आवेग आ गया था कि फट उसने सुमन के होंठों पे धावा बोल दिया.

उम्म्म्म त्च त्चतच ......

सुमन सिसकी और चुंबन की आवाज़ें कमरे में फैलने लगी.......

मोतियों की माला जहाँ सुमन को और भी कामुक बना रही थी वहीं सुनील को उनसे अड़चन होने लगी....

सुनील ने माला उतार अलग कर दी और सुमन के निप्पल पे टूट पड़ा...इतनी ज़ोर से चूसने लगा जैसे आज ही दूध निकाल के मानेगा.

सुनील की उग्रता और उसके होंठों के करतब ने सुमन को हिला के रख दिया और जब सुनील उसके निपल को चूस्ते हुए उसकी चूत पे हाथ फेरने लगा तो सुमन से बर्दाश्त नही हुआ और ....उसकी चूत भरभरा के झड़ने लगी.

झाड़ते हुए सुमन इतनी ज़ोर से चीखने लगी कि सुनील को उसके होंठ बंद करने पड़े अपने होंठों से पर उसने सुमन की चूत में अपनी उंगलियों का करतब जारी रखा.
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01-12-2019, 02:18 PM,
RE: Sex Hindi Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
एक तरफ सुमन सुनील को अपनी अदाओं से हैरान कर रही थी वहीं सुनील भी अपनी काम कला से उसे ऐसे आनंद दे रहा था कि उसे हर बार एक नया ही सुख प्राप्त होता था....और आज का ऑर्गॅज़म शायद ही वो कभी भूलती ...काफ़ी वक़्त लगा सुमन को अपने आनंद की दुनिया से बाहर निकलने में.



सुमन का जिस्म जब झट खाना बंद हुआ तो सुनील उसके एक निपल को चूसने लग गया और दूसे उरोज़ को मसल्ने लग गया. कुछ ही देर में सुमन फिर सिसकने लगी.

अह्ह्ह्ह उफफफफफफफ्फ़ उम्म्म्ममममम ऊऊऊऊऊुुुुुऊउक्कककचह

कभी सुनील एक निपल को चूस्ता तो कभी दूसरे को .....और दोनो उरोजो पे उसने जगह जगह लव बाइट्स छोड़ दिए ...जिनकी कसक कम से कम 4 दिन तो बाकी रहेगी ही...जब भी सुमन बाथरूम में नहाने जाएगी और खुद को शीशे के सामने देखेगी..ये लव बाइट्स उसे आज रात की और खींच ले जाएँगे.

सुमन काफ़ी गरम हो चुकी थी ....अभी तक सुनील उसे आनंद दिए जा रहा ...आज की रात की बागडोर वो अपने हाथ में रखना चाहती थी...ताकि हर वक़्त हर लम्हा ये रात सुनील की आँखों के सामने लहराती रही ...इस रात की पुनरावृति की इच्छा उसके अंदर ज़ोर पकड़ती रहे......आज का अहसास उसकी धमनियों में समा जाए.

सुमन ने पालती मार सुनील को अपने नीचे ले लिया और उसके चेहरे को चुंबनो से भरने लगी एक बार तो सुनील के होंठ इतनी ज़ोर से काटे कि खून छलक आया 

ऊऊओउुुऊउक्कककककचह

सुनील चीख ही पड़ा और सुमन ने अपनी जुल्फे इस तरहा लहराई कि वो सुनील के चेहरे को छू और उसे सहला कर उससे जब दूर हुई तो सुनील तड़प उठा उस अहसास को फिर से पाने के लिए.

सुनील के होंठों को अच्छी तरह चूसने के बाद सुमन उसकी गर्दन को चाटते हुए उसके निपल पे आ गयी और अपनी ज़ुबान फेरने लगी .......उफफफफफफफफ्फ़ हर बार जैसे ही सुमन की ज़ुबान उसके निपल को छूती सुनील गन्गना उठता तरंगों की लहरें उसके निपल से उठती हुई उसके लंड तक जाती और वो झटके मारने लगता.

सुमन उसके निपल को ज़ोर से चूसने लग गयी और दूसरे को मसल्ने लग गयी ....दर्द और आनंद की मिश्रित लहरें सुनील को तड़पाने लगी ....



...अहह सस्स्स्स्सुउुउउम्म्म्ममिईीईईईईई उूुुउउफफफफफफफफफफफफ्फ़

सुनील की सिसकियाँ फूटने लगी. जिस तरहा सुनील ने उसके बदन पे लव बाइट्स छोड़े थे उसी तरहा सुमन भी सुनील के जिस्म पे लव बाइट्स छोड़ने लगी .....एक को काटने में मज़ा आ रहा था दूसरे को कटवाने में.....ये आनंद और दर्द का कॉकटेल भी अनोखा होता है

सुनील के बदन को चूमते और चाटते हुए वो उसके लंड तक जा पहुँची और उसके सुपाडे को हल्के हल्के दाँतों से दबाने लगी और अपनी ज़ुबान साथ में फेरने लगी.

'ऊऊऊहह गगगगगगगगगगूऊऊऊऊऊओद्द्द्द्द्द्द्द्द्दद्ड सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सुउुुुुुुुुुुउउम्म्म्मममममममममाआआआआआआआआआआआन्न्न्नननननणणन्


ये अहसास तो सुनील जिंदगी भर नही भूलने वाला था मचल के रह गया था उसका जिस्म.

धीरे धीरे सुमन उसके लंड को चाटते हुए अपने मुँह में लेने लगी यहाँ तक कि उसके गले के अंदर घुस गया.......सुमन की सांस रुकने लगी.....आँखों से आँसू टपकने लगे....गले में दर्द होना शुरू हो गया ....पर सुमन लगी रही.....कुछ देर तक उससे अपने टाँग गले का मज़ा देती फिर बाहर निकालती और फिर वही करती....सह नही सका सुनील और सुमन के सर को अपने लंड पे दबा तेज़ी से उसके मुँह को चोदने लग गया मुँह के साथ साथ सुमन का गला भी चुद रहा था...कुछ ही पलों में सुनील कराहता हुआ झड़ने लगा और उसकी सारी पिचकारियाँ सुमन के गले से उतर सीधा उसके पेट तक जाने लगी........सुमन की सांस रुकने लगी.....दर्द की शिद्दत बढ़ी लेकिन वो अपने सुनील को आनंद देने से पीछे नही हटी.....सुनील ने जब अपना लंड बाहर निकाला तो सुमन हाँफती हुई वहीं बिस्तर पे गिर पड़ी.

इस पीड़ा में भी सुमन को अनोखा आनंद मिला था ....वो फिर से सुनील के लंड को चूसने लग गयी और सुनील का लंड कड़क होता चला गया........सुनील ने उसे अपने नीचे लेना चाहा पर सुमन ने मना कर दिया और खुद अपनी जांघे फैला सुनील के लंड को पकड़ उसपे बैठने लगी..धीरे धीरे वो अपना वजन छोड़ती रही और सुनील का लंड उसकी चूत में फिसलता हुआ घुसने लगा.

आह चाइ आह अहह कककस्िईईईईईईईईई उम्म्म्ममममम

सिसकती हुई वो सुनील के लंड को अपनी चूत में लेती रही और जब पूरा अंदर घुस गया तो कुछ देर रुकी फिर अपने हाथ सुनील की छाती पे टिका धीरे धीरे उपर नीचे होने लगी....

जैसे ही सुनील का लंड दुबारा उसकी चूत में घुस ता वो सिसक पड़ती...........सुनील ने उसके दोनो उरोज़ थाम लिए और मसल्ने लग गया.....सुमन अपनी स्पीड बढ़ाती चली गयी और सुनील ने भी नीचे से धक्के लगाने शुरू कर दिए .....जिस्मो के टकराव की तप ठप और सुमन की चूत से निकलता हुआ फॅक फॅक फॅक का संगीत महॉल को और कामुक बना रहा था.

कुछ ही देर में कमरे में सूनामी आ गया.....दोनो पागलों की तरह चुदाई करने लगे ...जैसे ये आखरी मोका हो उनके पास और जिस्मो में कामुकता इतनी तेज़ी से बढ़ी कि दोनो ही ज़यादा देर ना टिक सके और कराहते हुए झड़ने लगे. 

सुमन हाँफती हुई सुनील पे लुढ़क गयी .....आनंद के मारे दोनो की आँखें बंद हो चुकी थी....साँसे धोक्नी की रफ़्तार से चल रही थी...दिल इतनी ज़ोर से धड़क रहे थे कि उनकी आवाज़ तक सुनाई दे रही थी.
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01-12-2019, 02:18 PM,
RE: Sex Hindi Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
सुमन जब कुछ संभली तो सुनील की बगल में लुढ़क पड़ी...उसके चेहरे पे आनंद से भरी मुस्कान थी.....

'ये रात मैं कभी नही भूलूंगी ....लव यू...लव यू...लव यू.......' सुमन सुनील के चेहरे को चूमने लगी और उसने सुमन को अपनी बाँहों में जाकड़ लिया.

रात भर दोनो सोए नही और कभी सुमन सुनील के उपर , कभी सुनील उसके उपर ...उनका ये प्रेम चलता ही रहा.....सुबह करीब 5 बजे दोनो की आँख लगी. एक दूसरे की बाहों में सिमट दोनो कुछ देर के लिए सो गये.

अगले दिन सुबह…..सुमन और सोनल सबके उठने से पहले ही निकल पड़ी…जाते वक़्त दोनो की आँखों में आँसू थे और सुनील ने दोनो को बड़ी मुश्किल से संभाला था. 

मिनी शायद इसी वक़्त का इंतेज़ार कर रही थी….दोनो के जाते ही वो कमरे से बाहर निकल आई और सुनील जो कि हॉल में बैठा कुछ सोच रहा था…शायद उनकी इस जुदाई को हजम करने की कोशिश कर रहा था.


‘सुनील चाइ लोगे या कॉफी ‘ आज मिनी ने उसे भाई नही कहा था….सीधा नाम से पुकारा था….

‘भाभी बना ही रही हो तो कॉफी बना दो …’

‘भाभी नही नाम से ही बुलाया करो…इतनी कोई बड़ी नही हूँ तुमसे…बराबर की ही उम्र है …ऐसे तो मुझे लगता है कि 40 की बुढ़िया हो गयी हूँ’

सुनील को ये फरक मिनी में ताड़ने में देर ना लगी…जैसे ही सुमन और सोनल गयी …मिनी ने रंग दिखाने शुरू कर दिए और बाहर भी वो लाइनाये में आई थी..अपने जिस्म की पूरी नुमाइश करते हुए.

सुनील ने दुबारा उसकी तरफ नज़र तक ना डाली और सिर्फ़ इतना कहा …ओके….बट फर्स्ट चेंज युवरसेल्फ …डॉन’ट कम आउट इन बेडरूम ड्रेसस …देअर आर टू यंग गर्ल्स टू इन दा हाउस ….आंड युवर कमिंग इन सच ड्रेस इनफ़रोंट ऑफ मी डज़ नोट सूट युवर स्टेटस आंड रीलेशन विद मी’

मिनी भड़क गयी ……..क्यूँ क्या बुराई है ….क्या मुझे नही पता ..कि घर में दो जवान लड़कियाँ हैं और क्या में तुमसे अपना रिश्ता नही जानती ….कॉन सी नंगी आ गयी मैं तुम्हारे सामने…..तुम तो ऐसे बोल रहे हो जैसे पुराने जमाने की सास बोला करती थी …इतना तो मत अपमान करो मेरा. …..आवाज़ रुंध गयी थी उसकी.

सुनील….मेरी बात को ग़लत मत समझो….मैने सिर्फ़ इतना कहा है कि बेडरूम ड्रेसस में बाहर नही आना चाहिए ….उम्मीद करता हूँ मेरी बात को समझोगी ….और रहने दो मुझे कोई कॉफी नही चाहिए……..सुनील उठ खड़ा हुआ और छत की तरफ चला गया……मिनी ने उसका मूड ऑफ कर दिया था.

मिनी उसे जाता हुआ देखती रही मर्द तो तरसते हैं औरत के जिस्म की झलक पाने के लिए …ये किस मिट्टी का बना है …मुझे इसका गुस्सा दूर करना होगा….वरना रमण से लगाई शर्त हार जाउन्गि…

मिनी अपने कमरे में चली गयी कपड़े बदलने और एक डीप कट कमीज़ और सलवार पहन ली….उसके आधे उरोज़ झलक रहे थे कमीज़ से और दोनो कपड़े इतने टाइट थे कि जिस्म का हर कटाव नुमायना हो रहा था…….उफ़फ्फ़ …ये हुस्न ये अदा…ये नज़ाकत ..कोई भी मर्द एक बार तो इस हुस्न को चखने की कामना तो ज़रूर करेगा.


फिर मिनी ने अपने और सुनील के लिए कॉफी बनाई और छत पे चली गयी……..

सुनील छत के एक कोने में खड़ा दूर आसमान पे छाए बादलों को निहार रहा था…चिड़ियों की चहचहाहट शुरू हो चुकी थी …सूरज भी बादलों को अपनी लालिमा दे रहा था…ठंडी ठंडी हवा के झोंके मस्त कर रहे थे….काश सोनल इस वक़्त यहाँ होती तो उसकी चुलबुलाहट से समा बँध जाता ….सुनील को सोनल की बड़ी याद आने लगी और बस एक ठंडी साँस भर के रह गया….

तभी …सॉरी सुनील….उसे मिनी की आवाज़ पीछे से सुनाई दी…लेकिन वो मुड़ा नही कितना अच्छा मूड हो रहा था कि मिनी उसे क़ुनैन की गोली से भी ज़यादा कड़वी लगी.

‘माफ़ कर दो ना सुनील…आगे से ऐसी ग़लती नही होगी ….’मिनी लगभग रोते हुए बोली थी…….’प्लीज़ एक बार’

सुनील उसकी रोती हुई आवाज़ सुन पलट गया तो सुनील ने उसे नयी वेशभूषा में देखा ….पर सामने कोई औरत नही स्वर्ग से उतरी कोई अप्सरा दिख रही थी…..’सुंदर…अति सुंदर’ आदमी कैसा भी हो…पर खूबसूरती की तारीफ उसके मुँह से निकल ही जाती है.

मिनी ने जब ये सुना तो उसका दिल किया अभी नाचने लगे ……’कॉफी ……प्लीज़ अब नाराज़ मत होना…..’

सुनील ने उसके हाथ से कॉफी ले ली…..और फिर दोनो के बीच रमण के उपर बात शुरू हो गयी …उसके अंदर कितनी इंप्रूव्मेंट है वगेरह वगेरह …….

ये दोनो अभी बात कर रहे थे कि सवी इन्हे ढूँढती हुई उपर आ गयी और मिनी को सुनील से बात करते हुए देखा तो तनबदन में आग लग गयी…

मिनी की नज़र सवी पे पड़ गयी ...'आइए मम्मी ...कितना अच्छा मौसम है ना क्या ठंडी हवा चल रही है....मैं गयी थी आपको उठाने पर आप इतनी गहरी नींद में थी कि दिल नही करा आपको उठा दूं...आप सुनील से बातें करिए मैं आप के लिए कॉफी लाती हूँ...सुनील और लोगे क्या.....'

'ह्म्म ले आओ चलो...अच्छी कॉफी बनाती हो ...'

मिनी की तारीफ सुन सवी तो और भी जल भुन गयी.

सवी....सुनील मुझे तुम से कुछ बात करनी है

सुनील ...बोलिए

सवी....अभी नही रात को करूँगी...अभी तुम्हें कॉलेज भी जाना है 

सुनील ....अरे बोलिए ना ऐसी क्या बात है जो सिर्फ़ रात को ही हो सकती है

सवी ...है ...बात लंबी है..अभी वक़्त नही इतना ...मैं नही चाहती तुम्हें कॉलेज के लिए देर हो...और एग्ज़ॅम्स भी बस महीने बाद हैं ....शाम को जब पढ़ के फ्री हो जाओगे तब बात करूँगी...

मिनी तब तक कॉफी ले के आ गयी और उसने सवी की बात सुन ली थी (ऐसी क्या बात है जो मोम रात को बात करेंगी...अगर ये रात को सुनील के साथ चिपक गयी तो मैं कैसे आगे बढ़ूँगी ....) अपने मन में सोचती हुई चेहरे पे मुस्कुराहट लाती हुई ...उसने दोनो को कॉफी के कप थमा दिए.

मिनी ....सुनील मैं नाश्ता तयार करती हूँ कॉफी पी कर रेडी हो जाना ....मोम आप ही रूबी और कविता को उठा दीजिए.......कह कर वो नीचे चली गयी

सुनील और सवी भी कॉफी ख़तम कर नीचे चले गयी...सवी रूबी और कविता को उठाने चली गयी और सुनील अपने कमरे में घुस गया नहाने ...जल्द बाज़ी में उसने रूम का डोर बंद नही किया था.

सुनील नहा कर टवल लप्पेट बाहर निकला और वॉर्डरोब से अपने कपड़े निकालने लगा …मिनी नाश्ता तयार कर चुकी थी और सुनील को बुलाने चली गयी ..उसने दरवाजे पे नॉक किया पर इतने हल्के से कि कोई सुन भी ना सके और क्यूंकी दरवाजा अंदर से खुला था ज़रा सा दबाव पड़ते ही खुल गया और उसके सामने सुनील वॉर्डरोब से कपड़े निकालता हुआ खड़ा था नीचे टवल लपेटा हुआ था और उपर से नंगा.. उसकी मांसल पीठ देख मिनी की सांस उपार नीचे होने लगी दिल की धड़कन तेज हो गयी ..वो तो बस पत्थर की मूर्ति बनी सुनील को देखती रही तभी रूबी की आवाज़ आई …भाभी कहाँ हो’

मिनी को होश आया….उसने आराम से दरवाजा बंद किया और फिर ज़ोर से नॉक करते हुए …सुनील नाश्ता तयार है जल्दी आओ…

मिनी भागती हुई किचन में घुसी …उसकी हालत बुरी हो चुकी थी आँखों में नशा उतार चुका था…बड़ी मुश्किल से उसने खुद को संभाला और नाश्ता टेबल पे लगाने लगी……
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01-12-2019, 02:18 PM,
RE: Sex Hindi Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
सुनील तयार हो कर अंदर आ रहा था और मिनी ख़यालों में वापस किचन जा रही थी….मिनी ने देखा ही नही कि सुनील अंदर घुस रहा है और दोनो की टक्कर हो गयी …मिनी गिरने लगी थी …की सुनील ने उसे संभाल लिया. अपनी कमर पे सुनील के हाथों का अहसास उसे और भी पागल कर गया…जिस्म में आग ही आग भड़क उठी और संभलते संभलते वो सुनील से चिपक गयी इस तारहा के उसके उरोज़ सुनील की छाती में धँस गये….’संभाल के कहाँ ध्यान रहता है..अभी गिर पड़ती….’

‘तुम हो ना बचाने के लिए ….’ इतना कह मिनी अलग हुई और अपने कमरे में भाग गयी ….उसकी साँस तेज़ी से उपर नीचे हो रही थी.

सुनील नाश्ता कर दोनो बहनों को साथ ले कॉलेज चला गया. 

दोपहर में सुनील…रूबी और कविता के साथ कॅंटीन में बैठा हुआ था…….तभी जयंत भी कॅंटीन में घुसता है और उसकी नज़र ….सुनील और रूबी…कविता पे पड़ती है..उसके कदम अपने आप उनकी टेबल की तरफ बढ़ जाते हैं…

‘हाई सुनील….कैसे हो…मे आइ जाय्न ?’

‘ओह जयंत….आओ आओ बैठो….हाउ’ज लाइफ ….क्या लोगे चाइ…कॉफी ‘

‘कॉफी ही चलेगी यार आज कल प्रोफेस्सर्स दिमाग़ को अच्छी तरहा चबा जाते हैं’

उसकी बात सुन तीनो हंस पड़े और जयंत बुरा सा मुँह बनाके बोला…..’हंस लो हंस लो..अगले साल तुम लोगो की भी बारी आनेवाली है….फिर पूछूँगा’

जयंत चोर नज़रों से कभी रूबी को देखता तो कभी कविता को ….और खुद को कोस्ता…एक पे तो टिक जा ..वरना कहीं का नही रहेगा….और दोनो सुनील की बहनें हैं…उनसे डाइरेक्ट बात करते हुए तो फटती थी….ताकि ये तो पता चले कॉन कैसी है…सुंदरता में तो दोनो एक से बढ़कर एक थी…पता नही सुनील के घरवाले क्या खाते हैं…पहले इसकी बड़ी बहन ने कॉलेज की जान निकाल रखी थी…और अब ये दो……सारी दुनिया की खूबसूरती बस इसके घर की जागीर बन के रह गयी है.

कॉफी पीता हुआ जयंत अपने ही ख़यालों में रहा कुछ खास बात नही कर पाया…एक दो बार कविता ने उसकी तरफ देखा और फट से नज़र झुका ली.

कॉफी पीने के बाद सब क्लासस में चले गये.

शाम को जब ये तीनो घर पहुँचे तो तो मिनी ने दरवाजा खोला और उस वक़्त वो सेक्सी वेशभूषा में थी…


दोनो बहने तो फट से अपने रूम में चली गयी और लग गयी पढ़ने …वादा जो किया था अपने भाई से कि किसी से कम नही रहेंगी…..

सुनील हाल में बैठ गया…..

मिनी उसके पास बैठ गयी ...'अब तो मेरी ड्रेस ठीक है ना .....कल शॉपिंग करने चल रहे हैं ना....तो मुझे कुछ ड्रेसस ले देना...ताकि तुम मुझे उन ड्रेस में ही देखो जो तुम्हें पसंद हैं '

सुनील उठ के अपने कमरे में चला गया ....और मिनी अपनी मुस्कान को छुपाती हुई किचन में चली गयी जहाँ सवी रात का खाना तयार कर रही थी.......'

मिनी …….मम्मी वो सुनील के लिए कॉफी तयार करनी है….शायद रूबी और कविता भी लेंगी…मैं पूछ के आती हूँ.

सवी ….कविता तो कॉफी नही चाइ पीटी है…फिर भी पूछ ले शायद एग्ज़ॅम आने वाले हैं तो वो भी कॉफी लेना पसंद करे….

मिनी ….…ये दोनो तो बस आते ही किताबें ले के बैठ जाती हैं.

सवी …भाई के नक्शे कदम पर चल रही हैं. काश सुनील उनका सगा भाई होता….

मिनी …क्या फरक पड़ता है मम्मी …फ़र्ज़ तो सगे से बेहतर ही निभा रहा है …..

सवी मिनी को देखती रह गयी …जो किचन से बाहर निकल चुकी थी.

कविता ने भी कॉफी ही प्रिफर की ….

मिनी जल्दी ही किचन में आ गयी और सवी की मदद कर ने लगी …..

इससे पहले कि सवी …..सुनील के लिए कॉफी ले जाती ….मिनी ने कप उठा लिया ……मोम आप उन दोनो को देदो…आप मिली भी नही उनसे जब वो कॉलेज से आई थी मैं सुनील को दे कर आती हूँ.

सवी को कुछ ग़लत महसूस ना हुआ …और वो दोनो बेटियों के पास चली गयी …

मिनी नॉक कर सुनील के कमरे में चली गयी.

‘सुनील कॉफी ….कुछ और चाहिए हो तो आवाज़ दे देना….’

‘मिनी …तुम रमण को देखो और मासी से कहो कि कॉफी की थर्मस ही बना के दे दे’

‘थर्मस में टेस्ट खराब हो जाता है…मैं हूँ ना ….फिर क्यूँ चिंता कर रहे हो……और अपने प्यारे देवर को कॉफी बना के देने से मेरे हाथ नही टूट जाएँगे……रमण तो सो रहा है …दवाइयों का असर ही ऐसा है उसपे ….’

सुनील कुछ नही बोलता और अपनी किताब पे नज़रें गढ़ा लेता है …..मिनी …उठ के बाहर चली जाती है….एक बार रमण को देखती है और फिर हाल में बैठ टीवी धीरे से चला कर फॅशन चॅनेल देखने लगती है. शायद कुछ नयी ड्रेस देखना चाहती थी जिसे पहन वो सुनील को लुभा सके…..फिर उसे याद आता है ….कि आज रात तो सवी ने बुक कर रखी है सुनील के साथ ….क्या करूँ कि सवी सुनील के पास ना जा पाए और मुझे कुछ वक़्त मिल जाए उसके साथ. कुछ पल सोचती है और उसके चेहरे पे मुस्कान आ जाती है….वो प्लान कर चुकी थी …अपनी सास को सुनील से दूर कैसे रखना है.
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01-12-2019, 02:18 PM,
RE: Sex Hindi Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
9 बजे खाने के लिए सवी सुनील को बुलाने गयी तो देखा वो अपनी किताबों खोया हुआ था…….सुनील खाने के लिए आ जाओ …..फिर पढ़ लेना और मन ही मन सोच रही थी …कि पढ़ता रहेगा तो बात कब करूँगी ….मिनी ने ये मोका जान बुझ कर सवी को दिया था….क्यूंकी पढ़ते वक़्त किसी को डिस्टर्ब करने के मतलब होता है आफ़त मोल लेना और कुछ ऐसा ही हुआ…..

उस वक़्त सुनील कुछ नुरो सिस्टम की ड्रॉयिंग्स स्टडी कर रहा था ….,तंद्रा टूटी तो विफर पड़ा ….

‘एक रात खाना नही खाउन्गा तो मर जवँगा क्या…….बना दिया है ना लेलुँगा …जब भूख लगे गी नाउ डॉन’ट डिस्टर्ब मी ‘

सवी तो बस देखती रह गयी ……..और भरे मन से डाइनिंग टेबल पे आ बैठी …

मिनी …….सासू माँ …आप खा लीजिए…देवर जी को मैं खाना गरमा गरम ही खिलाउन्गी ..जब भी फ्री होते हैं….रूबी और कविता भी नही आई हैं…ऐसा कीजिए…आप उनका खाना कमरे में ही ले जाएँ …अब एक महीने बाद एग्ज़ॅम है तो ज़यादा डिस्टर्ब करना ठीक भी तो नही ….एमबीबीएस कोई मज़ाक भी नही है…आप खुद डॉक्टर हैं तो समझ ही सकती हैं.

‘हाँ बहू तुम ठीक ही कह रही हो…रमण ने खा लिया?’

‘जी उनको खिला के ही तो बाहर आती हूँ..अब तो घोड़े बेच के सो रहे हैं ……..’

‘आप चलिए मैं खाना ले के आती हूँ….’


सवी को रूबी और कविता के पास भेज ….मिनी ने 3 प्लेट्स में खाना लगाया और ले गयी …..

कमरे में घुस कर…..’ननंद रानियों …अब पेट पूजा कर लो …खाली पेट क्या पढ़ाई करोगी …माँ आप भी इनके साथ ही खा लीजिए ….अब से इनको खाना मैं यहीं दे दूँगी …ताकि इनका वक़्त कम खराब हो…..अच्छा खाने के बाद किसी को कॉफी/ढूढ़ /कुछ चाहिए तो बता दो’

रूबी….भाभी आपको तकलीफ़ ना हो तो हमे तो कॉफी दे दो..वरना खाने के बाद जल्दी नींद आ जाती है ….

मिनी …अपनी गुड़िया के लिए तकलीफ़ कैसी ……मम्मी आपके लिए दूध ले आउ …..बहुत ज़रूरी है आपके लिए.

सवी …ठीक है बहू….

मिनी कुछ देर बाद 2 कप कॉफी और एक ग्लास स्पेशल दूध ले के आ गयी .

मिनी ने बर्तन उठाए …दोनो लड़कियाँ कॉफी पीने लग गयी और सवी दूध …काढ़ा हुआ दूध बादाम और केसर मिला हुआ (एक ग्लास गरम दूध …..एक केमपोज़ की गोली के बराबर होता है गर खाने के बाद रात को लिया जाए …लेकिन मिनी ने एक बूँद किसी सेडेटिव की भी डाल दी थी ‘

कॉफी पीने के बाद लड़कियाँ तो पढ़ने बैठ गयी पर सवी ……टांय टांय फिस्स नींद के आगोश में चली गयी

और मिनी मुस्कुराती हुई …सारे बर्तन ले किचन में रखने चली गयी .

जो बर्ताव सुनील ने सवी से किया था …मिनी को भी डर लगने लगा था …उसके कमरे में जाने से…कुछ देर हाल में बैठ के सोचने लगी …क्या करूँ……..


कुछ देर मिनी हाल में बैठी रही ……और फिर धड़कते दिल से सुनील के कमरे की तरफ बढ़ गयी …

हल्के से दरवाजा खोला ……’सुनील कॉफी लोगे या खाना…..’

‘ह्म्म्मी ब्लॅक कॉफी दे दो…’

‘ओके….रात हो गयी है…नाइट ड्रेस पहन लूँ….’

सुनील तो पढ़ने में खोया हुआ था …बस इतना ही बोला ….ह्म्म

और मिनी के चेहरे पे कातिलाना मुस्कान आ गयी….

अपने कमरे में जा कर मिनी ने पहले ड्रेस चेंज करी और फिर सुनील के लिए ब्लॅक कॉफी तयार कर उसके कमरे में चली गयी...

इस मे कोई दो राय नही कि मिनी बहुत सुंदर थी...अगर सोनल और सुमन से उसकी तुलना की जाए तो 20 ही निकलेगी 19 नही....

सुनील की नज़र जब अब उसपे पड़ी तो थोड़ा बोखला सा गया ...उसकी आँखों के आगे सोनल का मदमाता हुस्न आ गया और वो तड़प के रह गया.

'सुनील ...कॉफी .....आधे घंटे बाद तुम्हारा खाना ले आउन्गि....अब ना मत करना...मैं भी तुम्हारा वेट कर रही हूँ......और लेट खाना है तो बता दो....'

मिनी ने अपनी नज़रें झुकाए रखी थी..जान भुज कर सुनील से नज़रें नही मिला रही थी....

सुनील....मुझे ज़रूरी काम है एक घंटे बाद आ जाउन्गा...वहीं टेबल पे....'

मिनी...ठीक है मैं इंतेज़ार करूँगी.....इतना कह वो बिना सुनील की तरफ देखे बाहर निकल गयी.....

बाहर निकल वो हॉल में जा कर बैठ गयी और मुस्कुराने लगी ....कुछ तो हुआ है देवर जी...देखते हैं कब तक खुद को रोकोगे....

मिनी के जाने के बाद सुनील ने कॉफी के दो घूँट लगाए और फिर अपनी किताब में खो गया....ये क्या.....अब उसे किताब में छपे हर्फ नही नज़र आ रहे थे.....हर पन्ने में उसे सोनल नज़र आ रही थी .........नही पढ़ पाया आगे.....

मिनी के हुस्न ने उसे सोनल की याद दिला दी .....और वो तड़पने लग गया....एक पल मिनी सामने होती और दूसरे पल सोनल....घबरा गया वो...ऐसा उसके साथ पहले कभी नही हुआ था....ये क्या हो रहा है....किताब वहीं छोड़ वो बाथरूम में घुस गया और बिना कपड़े उतारे शवर के नीचे खड़ा हो गया.....

सोनल...जल्दी वापस आओ यार ...वो खुद से बात करने लगा.

आधा घंटा वो शवर के नीचे खड़ा रहा....अपना ध्यान अपने एग्ज़ॅम्स की तरफ मोड़ने लगा....तब कहीं जा कर उसका दिमाग़ शांत हुआ.....और वो बाहर आ कर अपना नाइट सूट पहन लिया....फिर हाल में चला गया और टेबल पे बैठ गया...

सुनील को आता देख मिनी उठ के किचन चली गयी और दो प्लेट में खाना ले आई .....

इस वक़्त मिनी बहुत सीरीयस थी...जैसे कुछ सोच रही थी...किसी बात से उसे गहरी पीड़ा हुई थी...चहरे पे गम के बादल छाए हुए थे....

सुनील ने खाना शुरू कर दिया और जब मिनी पे नज़र पड़ी तो पूछ ही बैठा...

सुनील...क्या हुआ ...वाइ सो सीरीयस सडन्ली...

मिनी ...रहने दो...तुम नही समझोगे ....खाना खाओ और अपनी पढ़ाई पे ध्यान दो....कल काफ़ी टाइम मेरे साथ वेस्ट हो जाएगा तुम्हारा.

सुनील......आगे कुछ नही बोला...कुछ पल मिनी को देखता रहा फिर खाने लग गया.....इस वक़्त सुनील के दिमाग़ में कुछ नही था...वो वापस अपने आप में पहुँच चुका था.

मिनी मन ही मन मुस्कुरा रही थी और खुद को दाद दे रही थी अपनी आक्टिंग पे....आख़िर सुनील ने उससे बात तो करी 

खाने के बाद सुनील अपने कमरे में जाने लगा तो मिनी बोल बैठी...मैं जाग रही हूँ....जब भी कॉफी चाहिए हो तो आवाज़ दे देना 

सुनील थोड़ा हैरान था....सवी इतनी जल्दी कैसे सो गयी आज ....वो तो रात को बात करने के लिए बोल रही थी...और ये मिनी को क्या हो गया है..क्यूँ इतनी परवाह कर रही है उसकी......

अपने बिस्तर पे बैठ वो ड्रेसिंग टेबल पे रखी सुमन और सोनल की फोटो देखने लगा ......और अपनी किस्मत को सरहाने लगा ...उसकी जिंदगी में ये दो जो आ गयी थी .....उसने सोनल को फोन मिला डाला.
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01-12-2019, 02:18 PM,
RE: Sex Hindi Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
सोनल...शुक्र है जनाब को याद तो आई ...कब से इंतेज़ार कर रही थी...खाना खा लिया.
सुनील ....याद उसे करा जाता है जिसे भूल जाओ...तुम्दोनो तो मेरे दिल में मेरे साथ रहती हो...
सोनल...खाना खाया या नही ....
सुनील ..खा लिया यार 
सोनल...क्या कर रहे हो...
सुनील ...तुम दोनो को बहुत मिस कर रहा हूँ..
सोनल...भेज दूं फिर दीदी को वापस कल....
सुनील...अरे नही....ये काम भी तो ज़रूरी है
सोनल....मिस्सिंग यू वेरी मच....ये खाली बिस्तर बहुत चुभ रहा है...तुम्हारी बाँहों की गर्मी की बहुत कमी महसूस हो रही है.
सुनील...अपना भी हाल कुछ ऐसा ही है 
सोनल......अगर नही रहा गया तो मैं तो कान्फरेन्स छोड़ के आ जाउन्गी....भाड़ में गयी ये नोकरी ....वैसे भी अभी एमडी करनी है तो क्यूँ ....
सुनील...नही जान ये एक्सपीरियेन्स...ये नालेज बहुत ज़रूरी है करियर के लिए...
सोनल....तुम हो ना...तो मुझे क्या ज़रूरत इस सब की...मैं तो बस तुम्हारी बाँहों में तुम्हारे पास हर दम रहना चाहती हूँ.....
सुनील....डॅड का सपना नही पूरा करोगी....
सोनल...बस तुम और डॅड का सपना....मेरे दिल की जो हालत होती है तुम से दूर हो कर ..वो कुछ नही...
सुनील...4 दिन की तो बात है डार्लिंग..एक दिन तो गुजर भी गया....और कुछ पाने के लिए कुछ तो खोना ही पड़ता है
सोनल ....रोज रात को बात करनी होगी ...वरना अगले दिन आ जाउन्गी...
सुनील .....रात को क्या तुम कहो तो हर घंटे बाद फोन कर लूँ...लेकिन वहाँ तुम्हारा मज़ाक उड़ जाएगा ...
सोनल....है...काश हम हर घंटे बाद बात कर पाते...
सुनील...अच्छा सूमी कहाँ है .....
सोनल ...दूसरे कमरे में...
सुनील...क्यूँ ...दोनो एक कमरे में क्यूँ नही रुकी...
सोनल...यार वो फॅकल्टी बन के आई है ...उसे सूट मिला है 
सुनील...तो तुम उसके साथ शिफ्ट हो जाती ....अकेले क्यूँ छोड़ा उसे...
सोनल...दीदी ने ही कहा था...आज की रात अलग अलग और कल में वहाँ शिफ्ट हो जाउन्गि ....
सुनील..ये क्या बात हुई....
सोनल...अब दीदी से पूछ लो मैं उन्हे कैसे मना करती.
सुनील...ओके...चल रखता हूँ...सूमी से भी बात कर लूँ....लव यू...मिस यू.
सोनल ...म्मरम्मूऊऊुआअहह लव यू.

सुनील फोन काट सुमन का फोन मिलाता है.

सुमन....हाई कब से इंतेज़ार कर थी ...अब फ़ुर्सत मिली जनाब को 
सुनिल्ल्ल....यार तुम्हें पता तो है अगले महीने एग्ज़ॅम हैं तो आके बस पढ़ने लग गया था .....हाँ अब ये पुछोगी खाना खा लिया ...तो खा लिया मेमसाहब .....दिन में फोन इसलिए नही किया था कि बिज़ी होगी तुम दोनो ....अब सोने जा रहा था तो पहले फोन कर लिया.....तुम्हारी आवाज़ के लिए तुम्हारी गर्म साँसों के लिए तरस गया हूँ...
सुमन....हंस पड़ी.....
सुनील...मेरा हाल बुरा हो रहा है और तुम हंस रही हो...
सुमन...क्या करूँ..रोने लगूँ क्या...तुम नही जानते कि मेरी क्या हालत होती है तुम्हारे बिना...सोनल से बात करी या नही अभी...
सुनील...हां अभी उससे बात करके हटा हूँ...
सुमन...हां पहले उसे ही फोन किया करो....सारा दिन उदास रही...वो..नही रह सकती एक पल भी तुम्हारे बिना.
सुनील....और तुम रह सकती हो...
सुमन...ये तो तुम जानते हो अच्छी तरहा...बस फरक ये है कि मैं अपनी भावनाओं को दुनिया के सामने नही दिखाती...
सुनील...ये तुम दोनो अलग कमरे में क्यूँ हो...एक में क्यूँ नही..
सुमन...मजबूरी है जान ...मैं फॅकल्टी बन के आई हूँ और कान्फरेन्स के बाद एक एवॅल्यूयेशन है पार्टिसिपेंट्स का....सब फिर ग़लत सोचेंगे ...अगर सोनल को अपने साथ रखा तो
सुनील...ये क्या बेहूदा बात हुई ..सारी दुनिया जानती है वो तुम्हारी बेटी है ...फिर ये ड्रामा क्यूँ...
सुमाम...ऑर्गनाइज़र्स ने मजबूर किया ...पर मैं कह चुकी हूँ...कल से सोनल मेरे साथ ही रहेगी...
सुनील ....दट'स गुड रात को अकेले में वो बहुत उदास रहेगी....तुम साथ होगी तो उसका दिल लगा रहेगा.
सुमन...आज सारा दिन मेरी हालत बहुत खराब रही...
सुनील...क्यूँ क्या हुआ...
सुमन....ओह हो देखो तो कितने इन्नकोसेंट बन रहे हैं...
सुनील...अरे बताओ ना...
सुमन....वो..वो..जाओ नही बोला जा रहा
सुनील...अब ऐसा भी क्या हो गया...
सुमन...तुमने जो कल मेरा हाल किया ...जगह जगह निशान छोड़ दिए ....जब भी उन्हें देखती हूँ...कुछ होने लगता है ....कितनी शरम आई मुझे गले पे क्यूँ निशान डाल दिया...सारा दिन बस यही देखती रही किसी की नज़र तो नही पड़ रही...
सुनील.....ओह तो ये बात है...इस बहाने याद तो रहेगी मेरी ...और तुमने कम निशान छोड़े...
सुमन....आइ मिस्सिंग यू लव ...नही रहा जाता ...आ रही हूँ मैं कल...
सुनील ..ना ना ये मत करना...सोनल को अकेले मत छोड़ना....
सुमन...ये अच्छी सज़ा मिल रही है मुझे....
सुनील...4 दिन की तो बात है...
सुमन...उफ्फ ये 4 दिन कैसे काटेंगे...
सुनील...काटने तो पड़ेंगे ...थोड़ी जुदाई के बाद मिलने का मज़ा दुगने से भी ज़यादा हो जाता है.
सुमन ....ना ..ना...ये जुदाई नही चाहिए....
सुनील.....मेरे लिए ये कान्फरेन्स ठीक ठाक करके आना ....और ज़यादा दिमाग़ मत खराब करना...बस 3 दिन और रह गये....ये भी गुजर जाएँगे....
सुमन...रात भर सो नही पाउन्गि...
सुनील....तुम अभी सोनल को अपने पास बुला लो...रहने दो वो कमरा खाली 
सुमन....आइडिया तो अच्छा है ...एक सेकेंड..
सुमन वहीं उसी वक़्त इंटरकम से सोनल को अपने कमरे में बुला लेती है...
सुनील...अब तुम दोनो आराम से सो जाओ ...कल रात को बात करते हैं....लव यू ...मिस यू टू मच.
सुमन ...लव यू डार्लिंग....इंतेज़ार रहेगा...कल फोन का.

सुमन फोन कटती है और तब तक सोनल दरवाजे पे नॉक करने लगती है....
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01-12-2019, 02:18 PM,
RE: Sex Hindi Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
यहाँ मिनी अभी भी हाल में बैठी..टीवी के चॅनेल सर्फ कर रही थी...और इसी सोच में लगी थी के सुनील को अपनी तरफ कैसे खींचे.

सूमी से बात करने के बाद सुनील को बहुत सकुन मिला था….वो फिर पढ़ने बैठने जा रहा था कि उसे याद आया …मिनी जाग रही होगी…और रात के 12 बज चुके थे….

वो कमरे से निकल हॉल में आ गया…टीवी चल रहा था पर मिनी का ध्यान कहीं और था…उसकी आँखों से आँसू टपक रहे थे…

सुनील उसके पास जा के बैठ गया…..’तुम रो रही हो…..क्या बात है ? किसी ने कुछ कहा…रमण ने सवी ने…..?’

मिनी जैसे होश में आई ….’अँ …अन्न..ना कुछ नही ….’ और अपने आँसू पोछने लगी….

मिनी …उठ खड़ी हुई …..मैं कॉफी लाती हूँ तुम्हारे लिए ….ब्लॅक लोगे क्या …या …..
सुनील…..नही कुछ नही चाहिए ….तुम बैठो….

मिनी…मुझे पता है इस वक़्त तुम्हें कॉफी चाहिए होगी …अभी लाई …मैं भी तुम्हारे बहाने पी लूँगी….

मिनी किचन की तरफ बढ़ गयी और सुनील बैठा सोचने लगा ….क्या बात है…ये रो क्यूँ रही थी ? 

कुछ देर में मिनी कॉफी ले आई …अपनी भी ब्लॅक ही लाई थी…

सुनील कॉफी पीते हुए उसे देखने लगा…..एक दो घूँट लिए और कप टेबल पे रख वो मिनी को बहुत गौर से देखने लगा …आज पता नही क्यूँ इस वक़्त उसे क्यूँ लग रहा था जैसे मिनी की आँखों में दर्द का सागर छुपा हिल्लोरे मार रहा है…..कुछ तो हुआ है इसके साथ…...ये मिनी वो मिनी नही थी …जिसे उसने सुबह डांटा था…..सुनील के अंदर बैठा सागर तड़प उठा…वो अपने घर में किसी को दुखी नही देख सकता था……

उसने मिनी के कंधों पे हाथ रखा उसे अपनी तरफ घुमाया ……’क्या बात है ? बताओ मुझे…शायद मैं तुम्हारी कोई मदद कर सकूँ’

मिनी बिलखते हुए सुनील की गोद में गिर सी पड़ी…….

घबरा गया सुनील….

‘अरे हुआ क्या…ये बच्चों की तरहा क्यूँ रो रही हो……कम ऑन टॉक टू मी ‘

सुनील ने मिनी के चेहरे को अपने हाथों में भर उसे उठाया……झील सी गहरी आँखें इस वक़्त दर्द के सागर के उफ्फान से भारी अश्रुओं की नदियाँ बहा रही थी…..

‘टॉक टू मी….स्पीक आउट…..’

‘काश मेरा भाई भी तुम्हारे जैसा होता’ वो रोते हुए बोली……’काश मेरा पति तुम्हारे जैसा होता….’ ….काश काश तुम मेरी जिंदगी के मालिक होते…..’ उसका रोना बंद नही हो रहा था……

और सुनील की फटने लगी ये सब सुन…..एक और बवाल उसे अपनी जान पे पड़ते हुए महसूस होने लगा…

उसके कानो में मिनी के वो शब्द गूंजने लगे जो उस दिन …रात को उसने सुने थे….जब ये क्लियर हुआ था कि उसका और उसके भाई के बीच जिस्मानी संबंध है…..शायद वो ज़बरदस्ती का संबंध निभा रही थी…पर रमण का जिक्र इस तरहा क्यूँ किया….क्या चल रहा है दोनो के बीच…..जितना ज़यादा वो सोचता…उतना और परेशान होता.

‘तुम कहना क्या चाहती हो………..प्लीज़ चुप हो जाओ …जो भी बात है खुल के कहो……’

मिनी का रोना बंद नही हो रहा था ……’मैं…मैं….नही बोल…सकती…फिर तुम मुझसे नफ़रत करने लगोगे….’

सुनील…..मेरा वादा …नही नफ़रत करूँगा तुमसे…निकाल लो अपने दिल में बसे जहर को…और मुक्त हो जाओ…बहुत हल्का महसूस करोगी खुद को….मैं अगर तुम्हारे लिए कुछ कर सका तो ज़रूर करूँगा….

मिनी रुन्धि आँखों से उसे देखने लगी और लपक के उस से चिपट गयी …….अब ये भाभी जो बहन समान होती है वो चिपटी थी उसके साथ या फिर एक औरत जो उसके अंदर सहारा ढूंड रही थी….सुनील कोई फ़ैसला नही कर पाया था….काफ़ी वक़्त लगा उसे मिनी को अपनी बाहों का सहारा देने में.

‘बस अब रोना नही …..जाओ अपना मुँह धो के आओ …..’

सुबक्ती हुई मिनी बाथरूम की तरफ बढ़ गयी …….सुनील का सर फटने लगा …एक और मुसीबत उसे अपने गले पड़ती नज़र आने लगी…पहले रूबी ….जो अपने भाई रमण का शिकार हुई ….अब मिनी का भी कुछ ऐसा ही किस्सा दिख रहा था…….ये हो क्या रहा है उसके चारों तरफ ……..सुनील उठ के किचन की तरफ बढ़ गया …और दो कड़क कॉफी तयार कर ली….जब तक मिनी बाथरूम से बाहर आती ….सुनील कॉफी ले कर हॉल में पहुँच चुका था और अपनी कॉफी पीने लग गया था.

मिनी उसके पास आ कर उस से सट के बैठ गयी …सुनील को अजीब लगा पर उस वक़्त चुप रहा …वो इस वक़्त मिनी के दिल को हल्का करना चाहता था..

मिनी ने कॉफी उठाई …तुम ने बनाई ….

सुनील …ब्लॅक कॉफी बनाने में देर कितनी लगती है …और कुछ मत बोल देना कभी बनाने के लिए …पता चला कुछ का कुछ बन गया ..

मिनी ..के चेहरे पे हल्की फीकी हँसी आ गयी ..

कुछ देर वो कॉफी पीती रही …और सुनील इंतेज़ार करता रहा …उसने मिनी को बिल्कुल नही छेड़ा …चाहता था …अपने आप ही उसके अंदर दबा हुआ बारूद फट के बाहर निकले…

मिनी कुछ देर सोचती रही …सुनील जानते हो …हर लड़की एक ख्वाब देखती है …उसका होनेवाला पति ऐसा होगा…वैसा होगा….एक ऐसा भाई चाहती है …जो दुनिया के कहर से उसे बचा के रखे ….लेकिन जब…जब ….वो भाई ही….(मिनी फिर रो पड़ी….इस बार सुनील कुछ नही बोला …बहने दिया उसके अंदर बसे हुए मवाद को…)

कुछ देर मिनी रोती रही …शायद रो कर ही अपने आप को हिम्मत दे रही थी …..अपने कड़वे अतीत को सामने रखने की ….वो भी अपने देवर के सामने…..उसने आगे बोलना शुरू किया….पिताजी मेरे भाई को डॉक्टर बनाना चाहते थे …लेकिन वो गाँव का बिगड़ा हुआ गुंडा टाइप बन गया…हार कर पिताजी ने उसकी शादी कर डाली…शायद आनेवाली लड़की उसे बदल सके…लेकिन पिताजी ये नही जानते थे…कि वो भाई को बदलने की जगह खुद बर्बाद हो जाएगी…उसके मासूम अरमान कुचले जाएँगे…मैं उस वक़्त छोटी थी….भाभी मुझे बहुत प्यार करती थी…मैं जब बड़ी हुई तो फार्मेसी का कोर्स किया…मेरा कोर्स ख़तम ही हुआ था..उस वक़्त मैं कोई 19 साल की एक दिन भाभी घर छोड़ के माइके चली गयी…क्यूँ गयी …क्या हुआ था..ये आज तक नही पता चला…भाभी किसीसे बात करने को तयार नही थी…..भाई मुझ से 8 साल बड़ा था……एक दिन वो मनहूस रात आई ….जब पिताजी कहीं बाहर गये हुए थे…भाई बहुत पी कर घर आया …मैं उसे बहुत डरती थी….इसलिए अंदर दुब्कि रही…करीब घंटे बाद भाई ने खाना माँगा …तो मुझे सामने जाना ही पड़ा ..और…और वो बाज की तरहा मुझ पे झपट पड़ा ……..उस रात मुझे पहली बार औरत और मर्द के संबंधों का पता चला…लेकिन किस तरहा….क्या यही ख्ववाब देखे थे मैने……सब चूर चूर हो गया…भाई ने मेरा रेप कर डाला ……(आगे मिनी से बोला नही गया और उसका रोना फिर शुरू हो गया ….) अब सुनील ने उसे अपनी बाँहों में भर लिया जैसे एक भाई एक बहन को अपनी बाँहों में भरता है …..मिनी उसके कंधे पे सर रख रोती रही…..
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01-12-2019, 02:19 PM,
RE: Sex Hindi Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
फिर रोज रात को यही होने लगा ……पिताजी घर पे होते तो भाई आधी रात को उनके सोन एके बाद मेरे कमरे में घुस जाता और सुबह तक मुझे बुरी तरहा रोन्दता …मेरी आत्मा छलनी हो चुकी थी …लेकिन मेरा जिस्म इसे पसंद करने लगा….भाई मेरी जिंदगी का पहला मर्द था …जिसने मुझे औरत बनाया…शायद धीरे धीरे मैं उसे प्यार करने लगी…अब हर रात को मैं उसका इंतेज़ार किया करती थी…एक बार भाई किसी काम से 3 दिन के लिए चला गया…वो 3 दिन काटने मेरे लिए भारी हो गयी…मैं रात को बिस्तर पे तड़पति रहती और नींद बिल्कुल नही आती …4 दिन जब भाई रात को घर आया तो मैं खुद उसपे टूट पड़ी …वासना का पुतला बना दिया था भाई ने मुझे ..हर रात मुझे भाई के गरम जिस्म का अहसास किसी भी कीमत पे चाहिए था….शायद कम उम्र की लड़की को अगर जल्दी सेक्स की आदत पड़ जाए तो यही होता है …वो रह नही पाती सेक्स के बिना…….

इतना बोल कर मिनी चुप हो गयी ….अभी तक वो सुनील के कंधे पे सर रख बोल रही थी…हिम्मत नही थी ..नज़रों से नज़रें मिलाने की….सुनील ने भी उसे अपनी बाँहों के बंधन से कब का आज़ाद कर दिया था…पर उसे टोका नही था….ना ही खुद से अलग किया था…मिनी का एक एक शब्द आग की तरहा उसके कानो को झुलसा रहा था….क्या हो गया है…भाई ही बहनों का भक्षक बनने लग गया है….अब मिनी सुनील से अलग हो गयी ….चैन की सांस ली सुनील ने लेकिन अब भी वो मिनी की कही बातों को सोच रहा था…उसका चेहरा पत्थर की तरहा सख़्त हो चला था….दिल कर रहा था अभी जा के मिनी के भाई को मार डाले……

सन्नाटा छा गया था हॉल में बस दोनो की सांस लेने की हल्की हल्की आवज़ भी सुनाई दे रही थी....ये रात ऐसी रात थी ...जो कभी ख़तम ना हो गी शायद ....इस रात का क्या असर पड़ेगा सुनील पर ...ये तो आनेवाली सुबह ही बताएगी....


कुछ देर बाद मिनी ने फिर बोलना शुरू किया ‘मेरी आत्मा मर चुकी थी..मैं भाई को ही अपना सब कुछ समझने लगी थी इस उम्मीद में रहती थी कि कभी वो मुझे कहीं बहुत दूर ले जाएगा और मेरे साथ अपनी ग्रहस्थी बनाएगा…मुझे माँ बनाएगा ..मेरे जिस्म की आग जिसे उसने जगाया था..उसे ठंडा करता रहेगा….एक बार मैं प्रेग्नेंट भी हुई …पर भाई ने मेरा अबॉर्षन करवा दिया …तब मैं बहुत रोई थी…नितांत अकेली..कोई नही था जिस से मैं अपना दर्द बाँट ती …जिसे मैं अपने बच्चे के बारे में बताती जिसे मार डाला गया….पिताजी से कुछ कह नही सकती थी और भाई से बहुत डरती थी…फिर भाई ने मुझे पिल्स देने शुरू किए …ताकि मैं फिर कभी प्रेग्नेंट ना हो जाउ …दिन भर मैं रोती रहती अपनी हालत पे पर रात को मेरा जिस्म तड़पने लगता और भाई का इंतेज़ार करने लगता….ऐसे ही दो साल गुजर गये….जब भी पिताजी मेरी शादी की बात करते…भाई किसी ना किसी तरहा उन्हें रोक देता….एक झूठी तस्सल्ली मुझे मिलती …कि वो मुझे अपने साथ रखना चाहता है…मुझे हमेशा के लिए अपनी बनाना चाहता है….लेकिन एक दिन मेरा ये भ्रम भी टूट गया….

रमण को हमारे गाँव आए हुए 3 महीने हो गये थे …इस बीच उसने अपना बहुत नाम बना लिया था…क्यूंकी हॉस्पिटल की सारी ड्वाइयाँ पिताजी ने मेरे ज़िम्मे रख दी थी..इसलिए रमण से मिलना जुलना होता रहा…उसने कभी मुझे ग़लत नज़र से नही देखा था…मेरे दिल में उसके लिए सम्मान बढ़ने लगा था…लेकिन मैं कितनी ग़लत साबित होंगी …ये मुझे 3 महीने बाद पता चला…जब भाई ने मुझे रमण के वीडियो दिखाए…..नफ़रत हो गयी थी मुझे रमण से ….लेकिन ......कल रमण ही मेरा पति बनेगा…ये कभी नही सोचा था…

इस वीडियो में रमण हॉस्पिटल की दोनो नर्स को चोद रहा था (मिनी अब खुले शब्दों का इस्तेमाल करने लगी..जिससे सुनील को परेशानी होने लगी …पर चुप रहा…..) अलग अलग वीडियो थे …दो वीडियो में तो अलग अलग उसने दोनो को चोदा था और तीसरे में जो मैने देखा मेरी अपनी हालत खराब हो गयी…एक नर्स उसका लंड चूस रही थी और वो दूसरी नर्स की चूत चाट रहा था…दो औरतें और एक मर्द …ये मंज़र मैने पहली बार देखा था….उनके वीडियो को देख मैं बहुत गरम हो गयी थी..जहाँ एक जगह मुझे रमण से नफ़रत हो रही थी वहीं ऐसी चुदाई देख मेरा जिस्म तपने लगा था..उस दिन मैने भी पहली बार भाई का लंड चूसा था और सारी रात उसे सोने नही दिया बार बार उसका लंड खड़ा करती और उसे मजबूर कर देती मुझे चोदने के लिए ….सुबह जब हुई तो मेरा खुमार जा के उतरा…

भाई रोज रात को वो वीडियो मुझे दिखाता मेरी काम अग्नि को भड़काता और हम सारी रात चुदाई करते …ऐसे ही 3 हफ्ते बीत गये……एक दिन भाई ने रात को मुझे चोदते हुए कहा….मिनी तू रमण से शादी कर ले….मैं चीख पड़ी……क्या कहना चाहते हो तुम….ऐसे आदमी से शादी करूँ जो पता नही किस किस को चोदता रहता है और …और तुम तुम …..सच में मेरी शादी करवाना चाहते हो…मैं रो पड़ी ….एक खाब जो देखा था टूट गया….मैं भाई को अपना सब कुछ समझने लगी थी …लेकिन उसने मुझे सिर्फ़ रात की लोंड़ी समझा था…..मैं और भी टूट गयी …मेरा अब चुदने का मन नही था..पर वो मुझे चोदता रहा….एक बार फिर मेरा रेप हो रहा था और मैं बेबस…उसके नीचे पड़ी उसका लंड अपनी चूत में ले रही थी.

हमारे गाँव में कभी कोई डॉक्टर 2-3 महीने से ज़यादा नही टिकता था…और पिताजी ने बड़े चाव से ये हॉस्पिटल बनाया था …लेकिन डॉक्टर की कमी की वजह से ….हॉस्पिटल बंजर ही रहता था…भाई ने मुझे पिताजी के सपने की कसम दी …कि उन वीडियो की वजह से वो रमण को मुझ से शादी करने के लिए मजबूर कर देगा…फिर रमण ये गाँव छोड़ के नही जा पाएगा…मैं तो अपना वजूद कब का खो चुकी थी …जब भाई ने बोला कि शादी के बाद वो खुल कर मुझ से मिल पाएगा…और हमारा रिश्ता यूँ ही चलता रहेगा…मुझे भाई से और भी नफ़रत हो गयी…एक जिंदा लाश बन के रह गयी मैं.
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01-12-2019, 02:19 PM,
RE: Sex Hindi Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
भाई रोज रात को मुझे चोदता…पर चाहे रात को मेरा जिस्म चुदाई माँगता..मेरा दिल नही करता था…मुझे यूँ लगता था…जैसे रोज रात को मेरा रेप होता था..मेरी आत्मा का रेप होता था…और मेरा जिस्म चुदने का मज़ा लेता था…ये लंड और चूत का रिश्ता ही ऐसा होता है…ना लंड चूत के बिना रह सकता है ना चूत बिना लंड के….आत्मा गयी भाड़ में….जब चुदाई हो रही होती है…बाद में रह जाती है बस ग्लानि…ही ग्लानि…कुछ दिन में भाई ने रमण को ब्लॅकमेल कर शादी के लिए तयार कर लिया ….और इस तरहा रमण मेरी जिंदगी में आ गया…….शादी के बाद भी भाई ने मुझे नही छोड़ा…जब भी मोका मिलता आ जाता मुझे चोदने….एक दिन मैने रमण को फिर उन नर्सस के साथ देख लिया……और मैं रमण को मजबूर करने लगी मुंबई चलने के लिए ताकि वो अपनी एमडी पूरी कर सके…और इस बहाने मैं इस महॉल से दूर हो सकूँ….

इतना बोल कर मिनी चुप हो गयी …लेकिन उसकी बातें सुनील को जहर लगने लगी …माना उसने जिंदगी में बहुत तकलीफ़ सही थी…पर देवर से इस तरहा खुले शब्दों में अपनी तकलीफ़ को ब्यान करने का मतलब था …कि मिनी वो मिनी नही रही थी …जो कभी रेप से पहले हुआ करती थी …वो इस वक़्त सिर्फ़ वासना की पुजारन बन चुकी थी …जिसकी वो कोई मदद नही कर सकता था…उसने ये खेल मिनी…रमण…और मिनी के भाई के बीच ही छोड़ने का फ़ैसला कर लिया ….दुख तो उसे मिनी की व्यथा को लेकर बहुत हो रहा था…पर वो मिनी के लिए शायद कुछ नही कर सकता था….अगर मिनी सभ्य शब्दों का इस्तेमाल कर उसे अपनी व्यथा बताती तो मिनी के लिए उसके दिल में करुन भावनाएँ अपने आप उत्पन्न हो जाती …पर ये तो वासना का खुला बखान कर रही थी….ये वो मिनी नही थी…जो कुछ देर पहले दर्द के सागर में गोते लगा रही थी…ये मिनी तो कोई और थी.


मिनी ने आगे बोलना शुरू किया……सुनील बुरा मत मानना…ये शब्द जो तुम्हें अच्छे नही लगे होंगे …मैं जान भुज के इस्तेमाल नही कर रही….मुझे बना ही ऐसा डाला गया है…..काश मेरा वो भाई तुम्हारी तरहा होता …तो आज मेरी जिंदगी में ये तूफान नही आए होते…काश मेरा पति तुम्हारी तरहा होता एक सच्चा मर्द ….तो ये शब्द मेरी ज़ुबान पे नही आए होते….एक कमसिन लड़की को जब वासना का पुतला बना दिया जाए …तो वो भूल जाती है …वो क्या कह रही है..किस तरहा अपने आपको अभिव्यक्त कर रही है …..मिनी ज़ोर ज़ोर से बिलखने लगी …और सुनील को समझ नही आया …क्या करे..क्या बोले…उसने मिनी को रोने दिया…


हम लोग मुंबई आ गये …..रमण ने अपने डॅड को खोजना शुरू किया …पता चला वो कोमा में है किसी हॉस्पिटल में…हम वहाँ गये …और रमण उनकी देखभाल करने लग गया …मुझे लगा रमण बदल गया है…लेकिन मैं ग़लत थी…वो बार बार तुम्हारी बात करता था….मेरा दिल तुमसे मिलने को करने लगा…..एक दिन रमण अपने डॅड के पास हॉस्पिटल गया था…मेरी तबीयत खराब थी ….वो अपना मोबाइल भूल गये थे..मैने ऐसे ही मोबाइल उठा लिया था…उस दिन ….उस दिन…

हां उस दिन मुझे पता चला रमण और रूबी के बारे में ….फरक इतना था …मेरे भाई ने मेरा रेप कर अपना बनाया था और फिर किसी और से शादी करवा दी ….रूबी को रमण ने सिड्यूस किया था….पर आख़िर में रेप ही तो किया था उसकी भावनाओं का……

क्या तुम सोच सकते हो मेरी क्या हालत हुई होगी उस दिन …उस दिन ये जिंदा लाश भी अपने वजूद से नफ़रत करने लगी थी…..मैने क्या गुनाह किया था सुनील…जो ये सब मेरे साथ हुआ …भाई मिला तो भाई के नाम पे कलंक …पति मिला तो पति के नाम पे कलंक…मैं क्या हूँ सुनील …मैं क्या हूँ …बस एक जिस्म जिसे भोगा जाए…..और कुछ नही…बस यही है ना मेरी ओकात…पहले मेरा भाई मुझे भोगता था…अब मेरा पति….सुबह जब तुमने मुझे डांटा था…उस वक़्त जो मैने रिएक्ट किया था…वो मैने नही किया था…वो इस लाश ने किया था…..मैं तो कहीं हूँ ही नही ….फिर जब अपने कमरे में गयी तो मुझे अहसास हुआ …मर्द क्या होता है…देखती आई हूँ इन दिनो में कैसे अपनी बहनो पे जान देते हो ..कैसे उनकी हर तकलीफ़ दूर करते हो…

सुनील जो मिनी के खिलाफ सोच रहा था…उसकी सोच बदलने लगी …इस वक़्त उसे मिनी एक मजबूर ऐसी औरत लगी जिसका सिर्फ़ शोषण होता रहा ….लेकिन वो कैसे मिनी की मदद करे…उसे कुछ समझ नही आ रहा था …उसने कल ही सुमन को सब बताने का निर्णय ले लिया…वैसे भी वो सुमन से कुछ नही छुपाता था छोटी से छोटी बात भी और ना ही सोनल से ……वो सोच ही रहा था की सुमन की कॉल आ गयी ….रात के 3 बज चुके थे…उठ के वो अपने कमरे में चला गया…….

सुमन…..अभी तक जाग रहे हो…..

सुनील…हां वो कल तुमसे बात करता हूँ………

सुमन….क्या हुआ….कुछ बात है…मेरा दिल बहुत घबरा रहा है…तुम ठीक हो ना..

सुनील…हां ठीक हूँ जान …ट्रस्ट मी कल बात करता हूँ…….

सुमन…..अभी करो ना…मैं जानती हूँ तुम इस वक़्त बहुत परेशान हो ….प्लीज़ मैं तड़पति रहूंगी…सोनल भी अचानक उठ के बैठ गयी है…उसका दिल भी तुम्हें ले कर घबरा रहा है…..
(वह जब दिल एक हो जाते हैं तो दूरी चाहे कितनी भी हो…तपिश एक दिल की दूसरे दिल तक पहुँच जाती है ….ऐसे ही तो नही कहते …पति और पत्नी …का संबंध रूह का संबंध होता है ….यहाँ सुनील मिनी की गाथा सुन तड़प रहा था …उसका असर दूर सो रही उसकी दोनो बीवियों तक पहुँच गया था)

सुनील ……जानम इस वक़्त मिनी बहुत परेशान है ….वो अपने बारे में सब कुछ बता रही है…मैं उसके साथ ही बैठा था…उसकी हालत काफ़ी खराब है….ट्रस्ट मे…कल सब कुछ बताउन्गा…पूरी बात तो सुन लूँ…

सुमन…..यार तुमने क्या ठेका ले रखा है सारी दुनिया का…….पता नही क्या है उसका रोना ….लेकिन तुम जो अंदर ही अंदर रो रहे हो …..वो हम दोनो से छुप नही सकता. 

सुनील…..जैसा भी हूँ…तुम दोनो का ही तो हूँ…..

सुमन…..फोन पे ही रो पड़ी……

सुनील…..कम ओन स्वीट हार्ट …डॉन’ट क्राइ ….मेरी कसम तुम्हें …

सुमन…ये अच्छा है…अपनी कसम दे हमे चुप करा देते हो …और खुद ……..अपने दर्द की झलक तक नही लगने देते ….क्या यही प्यार है तुम्हारा……खुद तड़पो और हमे खुशियाँ देते रहो..

सुनील …प्यार का मतलब भी तो तुमने ही सिखाया था मेरी जान …क्यूँ नाराज़ हो रही हो

सुमन …नाराज़ नही रोना आ रहा है तुम्हें अकेला छोड़ आई दो भूखी बिल्लियों के सामने

सुनील …तो क्या लगता है तुम्हे …ये बिल्लियाँ मुझे खा जाएँगी …इतना ही भरोसा है क्या मुझ पे

सुमन …तुम ग़लत सोच रहे हो…मैं उस तकलीफ़ के बारे में बोल रही हूँ …जो ये कुतिया तुम्हें दे रही हैं….

सुनील …शांत शांत जानम…ऐसे नही बोलते …क्यूँ अपनी ज़ुबान खराब कर रही हो…तुम्हारे मुँह से तो बस फूल झड़ने चाहिए ..

सुमन…ओए होए …पत्थर की समझा है क्या मुझे …..कोई तुम्हें तकलीफ़ दे और मैं बस देखती रहूं …कुछ बोल भी ना सकूँ…

सुनील…यार तुम भी कॉन तकलीफ़ दे रहा है …कोई नही …..तुम दोनो हो ना अपने प्यार की बरसात करने के लिए …मैं तो बस उस बरसात में डूबा रहता हूँ……

सुमन….अब आप कुछ देर तो सो जाइए …आधी रात से ज़यादा गुजर चुकी है ……प्लीज़ …फिर कभी उसका बाकी रोना सुन लेना …..प्लीज़…..मान जाओ ना….

सुनील….अच्छा बाबा ….अब एक बार उसे बोलने तो दो फिर कभी बात करेंगे …ओके…लव यू 

सुमन …लव यू …ये सोनल से बात कर लो…

सोनल……ऐसे रात भर जगॉगे…तो कल ही आजाउन्गी ….समझे 

सुनील….उम्म्मम्मूऊऊुूवववाहह लव यू डार्लिंग …अब सो जाओ ….मैं भी बस कुछ देर में सो जाउन्गा.

सोनल..टेक केर उउंवाअहह 

सुनील कॉल कट करता है और वापस हाल में जाता है…..इतनी देर में मिनी एक बार फिर कॉफी बना के ला चुकी थी….
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01-12-2019, 02:19 PM,
RE: Sex Hindi Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
सुनील मिनी के पास बैठ गया कुछ दूरी बना के …लेकिन मिनी नज़दीक आ गयी ….और सुनील के कंधे पे सर टिका दिया …..’आज बरसों बाद ….ऐसा महसूस हो रहा है ..कोई अपना मिल गया है…एक दोस्त मिल गया है (मिनी ने भाई नही बोला) ‘

सुनील……मिनी बहुत रात हो चुकी है …मैं भी यही हूँ और तुम भी ….चलो अब सो जाते हैं …फिर बात कर लेंगे 

मिनी….फिर शायद मैं कभी बोल ना पाउ …क्या मेरे लिए इतना भी नही कर सकते (मिनी अपने होंठ सुनील की गर्देन पे रगड़ने लगी ……सुनील बिदक गया ……)

सुनील …. मिनी ….सो जाओ अब …..मैं वो नही जो तुम समझ रही हो 

सुनील उठ के चल दिया कॉफी का कप उठा कर ….मिनी के ये हरकत …वो कभी बर्दाश्त नही कर सकता था.

मिनी बस उसे जाता हुआ देखती रही …आँखों से आँसू टपक पड़े …..दिल चीख चीख के बोलने लगा ….इसे कहते हैं मर्द …जो मेरे नसीब में नही…



मिनी उठ के सुनील के कमरे की तरफ चली गयी और दरवाजे को नॉक कर दिया अंदर से सुनील की आवाज़ आई ….प्लीज़ जा के सो जाओ …फिर कभी बात करेंगे ….

मिनी ….तुमने वादा किया था …नफ़रत नही करोगे ….आख़िर……..वो रोने लगी 

सुनील …..प्लीज़ जाओ और सो जाओ…मैं तुमसे नफ़रत नही कर रहा ….पर तुम्हारी हरकत मुझे अच्छी नही लगी …नाउ प्लीज़ ..लेट मी स्लीप फॉर सम टाइम 

मिनी भरे कदमो से अपने कमरे की तरफ चली गयी …नींद का तो सवाल ही नही था ….आज की रात तो आँखों में ही गुजारनी थी …..एक नज़र रमण पे डाली और फिर मुँह फेर लिया करवट ले ….अपनी जिंदगी के बारे में सोचने लगी …पर बार बार सुनील का चेहरा उसकी आँखों में समा जाता और वो तड़प के रह जाती……

वहाँ सोनल सो नही पा रही थी और ना ही सुमन 

सोनल …. दीदी वापस चलो ….वो बहुत तकलीफ़ में हैं…मुझ से सहा नही जाता …….और वो बीलकह बिलख के रोने लगी 

सुमन ……गुड़िया 3 दिन ही तो रह गये हैं 

सोनल….मैं नही जानती …ये कान्फरेन्स मेरी एमडी मैं कोई मदद नही करने वाली …मैं कल ही रिज़ाइन कर दूँगी …मैं उनको यूँ अकेला नही छोड़ सकती ……आपको आना हो तो आओ …मैं कल वापस जा रही हूँ …….और जिंदगी में कभी कोई कान्फरेन्स नही अटेंड करूँगी अगर वो मेरे साथ नही होंगे …मुझे बस वो चाहिए …उनका सकुन चाहिए …मुझे कुछ नही करना अपने लिए …मैं कुछ नही उनके बिना….पता नही वो कुतिया उन्हे कुछ देर सोने भी देगी या नही ….उनका एग्ज़ॅम सर पे है …..और हम दोनो उनसे दूर हैं….मैं कल वापस जा रही हूँ बस …और कुछ मत बोलना ….

सोनल ने घड़ी देखी …4 बज चुके थे…स्प्रिंग लग गये उसे…फटाफट अपना बॅग पॅक करने लगी और अगले 20 मिनट में तयार भी हो गयी….दीदी आप तो फॅकल्टी में हो …शायद नही आ पाओगि…मैं जा रही हूँ ….और सुमन के गले लग गयी …..होटेल से एरपोर्ट का ही रास्ता 1 घंटे का था ….

सुमन की आँख से आँसू टपक पड़े ….चाह कर भी वो नही जा सकती थी…

सोनल ने होटेल से ही कार ली और चल दी एरपोर्ट की तरफ …..फ्लाइट छूटने से 1 घंटा पहले वो पहुँच गयी और अपनी रिटर्न टिकेट कुछ पेनाल्टी दे कर बदलवा ली.

यहाँ ना सुनील सोया और ना ही मिनी …….सुनील को उसकी गर्देन चूमने वाली हरकत बिल्कुल ही नापसंद थी …और अब उसने दूरी रखने का फ़ैसला ले लिया था….नींद आ नही रही थी…दिमाग़ शांत नही हो रहा था…वो कमरे से बाहर निकल आया और किचन की तरफ बढ़ गया ….किचन में पहुँचा तो मिनी पहले से ही वहाँ माजूद थी …..सुनील पलट के वापस जाने लगा तो मिनी चीख ही पड़ी….रुक जाओ ….सुनील के मुड़े हुए कदम रुक गये….मिनी पीछे से उस के साथ सट गयी ….सॉरी …मैं तुम्हें अपना समझ बैठी थी….अब नही आउन्गि तुम्हारे करीब और फिर एक दम हट के किचेन के अंदर गॅस की तरफ पलट गयी…ये मिनी सुनील के लिए पहेली बनती जा रही थी….

सुनील फिर जा के हाल में बैठ गया और अपनी आँखें बंद कर ली …कुछ देर में मिनी कॉफी ले आई ……सुनील ने उस से कप लिया और छत की तरफ चला गया …मिनी उसके पीछे नही गयी…अपनी कॉफी ख़तम कर वो कमरे में जा कर लेट गयी ..कुछ देर सोने की कोशिश करने लगी…

सुनील छत पे ही टहलता रहा …..पता नही कितनी देर वो ख़यालों में ही खोया रहा ….होश में तब आया जब रूबी उसे बुलाने आई ….भाई नाश्ता रेडी है …आ जाओ…

सुनील…तुम लोग खा लो …मुझे भूख नही है…

रूबी …सुनील का हाथ पकड़ते हुए ….चुप चाप चलो खाने …भूख नही है…पता नही क्या क्या सोचते रहते हो … चलो ना ….जब दीदी वापस आ जाए तब मत खाना…अभी तो खाना पड़ेगा ….सोनल दीदी आपके खाने की ज़िम्मेदारी मुझे दे गयी है…रात को भाभी ने कसम खाई थी कि आपको खाना खिला देगी इसीलिए में नही आई थी ….मुझे कुछ नही सुनना चलो अब 

और रूबी खींचते हुए सुनील को नीचे ले चली…..

सवी भी टेबल पे बैठी हुई थी..पर कुछ सीरीयस ही थी..लग रहा था जैसे उसका सर भारी हो…

नाश्ता आज दोनो बहनो ने तयार किया था…खास तौर पे कविता ने अपने हाथ से आलू के परान्ठे बनाए थे….

‘ये आलू के परान्ठे किसने बनाए …’ सुनील ने पूछ लिया…कविता डर गयी …अच्छे नही लगे होंगे …उसकी आँखें नम हो गयी…

रूबी….भाई कविता ने…..

सुनील …अरे वाह…मज़ा आ गया….अब तू ही बनाया कर ….

कविता ने अपनी भीगी पलकें उठा सुनील की तरफ देखा ……सुनील ने उसके आँसू देख लिए …..और उठ के उसके पास आ के बैठ गया……’ये रोने क्यूँ लगी पगली….’

कविता ….मुझे लगा आपको अच्छे नही लगे होंगे 

सुनील प्यार से उसके सर पे हाथ फेरते हुए …झल्ली है तू …इतना बढ़िया बनाती है …दिल करता है तेरा हाथ भी खा जाउ….

रूबी …भाई ये जुलूम मत करना…फिर नही मिलनेवाले ऐसे लज़ीज़ परान्ठे…

कविता के चेहरे पे मुस्कान आ गयी और वो सुनील के गले लग गयी ….

सुनील….अब कभी रोना नही …कुछ भी हो जाए…ये भाई तेरा अभी जिंदा है ……सुनील ने उसके माथे को चूम लिया और कविता बिलख पड़ी ….एक भाई के प्यार को शायद पहली बार महसूस कर रही थी….और भी कस के सुनील से चिपक गयी……

‘अरे बस …..अब क्यूँ रोने लगी ….क्या हुआ….ओ झल्ली …चुप हो जा ….’

कविता …सुनील से अलग हुई …अपने आँसू पोंछे ….और सर झुका के बैठ गयी …

सुनील…क्या हुआ ….

कविता कुछ नही बोली…

सुनील…अब बोलेगी भी …

कविता…आज पहली बार महसूस हुआ भाई का प्यार कैसा होता है..तो अपने आप आँसू निकल पड़े…

सुनील…पगली …चल नाश्ता ख़तम कर और पड़ने बैठ जा…
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