Sex Hindi Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
01-12-2019, 02:09 PM,
RE: Sex Hindi Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
सुमन अच्छी तरहा जानती थी कि इस वक़्त सुनील कितनी तकलीफ़ से गुजर रहा था….उसका दिल अंदर ही अंदर रो रहा था …..आख़िर सुनील उसका प्यार था…उसका सबकुछ था….विधाता ने उसे ही क्यूँ चुन के रखा है…हर कसौटी पे परखने के लिए…..सुनील का दर्द रिस रहा था सुमन के दिलो-दिमाग़ में…तड़प रही थी वो साथ साथ लेकिन कुछ भी नही कर पा रही थी…सिवाए अपना प्यार लुटाने के ….और कुछ नही कर पा रही थी….और इस वक़्त सुनील को सबसे ज़यादा उसकी ही ज़रूरत थी. सुमन को पता ही नही चला कब वो झुकती चली गयी और अपने होंठ उसके होंठों से सटा दिए…जैसे उसका सारा दर्द चूस लेना चाहती हो.

और इसी वक़्त सवी उनके दरवाजे के बाहर खड़ी ये सोच रही थी कि अंदर क्या हो रहा होगा…उसके दिल में एक हुक सी उठी …आँखों से आँसू के कतरे बह निकले…….अपने आँसू पोंछ उसने दरवाजा खटखटाया ….खाना रेडी है आ जाओ.

ये बोल वो रूबी के कमरे की तरफ बढ़ गयी.

सोनल रूबी को साथ ही डाइनिंग टेबल पे ले आई …. सुनील उसी जगह बैठा था जहाँ कभी सागर बैठ ता ..रूबी की नज़रें वहीं टिक गयी …शायद वो अपने प्यारे अंकल को खोज रही थी. उसकी आँखों के सामने सागर का मुस्कुराता हुआ चेहरा आ गया और पलों में वो चेहरा सुनील के चेहरे में बदलता चला गया. आज उसे समझ में आया कि सुनील को जिस कुर्सी पे उसने बिठा के रखा था वो कोई और नही उसके सागर अंकल की ….वो आदर वो दीवानापन जो उसके अंदर सुनील के लिए था….वो वो प्यार था जो वो अपने सागर अंकल से किया करती थी और आज वो जगह सुनील ले चुका था….उसकी आँखें टपक पड़ी ….. वो अपनी कुर्सी से उठी और सुनील के कदमो के पास जा के बैठ गयी ……उसकी जाँघो पे अपना सर रख रोते हुए बोली …..माफ़ कर दो भैया….मैं पहचान ही नही पाई मुझे मेरा प्यारा अंकल वापस मिल गया आपके रूप में’

सुमन और सोनल दोनो की आँखें डबडबा गयी …….सागर इस रूप में भी सामने आएगा …ये कोई नही सोच सकता था.

सुनील ने फट से उसे उठाया ….पगली रोते नही हैं …मैं हूँ ना…..और रूबी को लग रहा था सागर बोल रहा है …मैं हूँ ना…देख तुझे छोड़ के नही गया …मेरा ही दूसरा रूप तेरे पास है…मेरा सुनील तेरे पास है…

'भैया !!!!!' रूबी रोते हुए सुनील के गले लग गयी.

'बस गुड़िया ....बस.....'

सविता की भी आँखें डबडबा गयी भाई बहन के इस मिलन को देख......काश उसका रमण भी ऐसा निकलता ......रमण का ख़याल आते ही जैसे उसके दिल पे कोई छुरियों से वार करने लगा....और उसकी रुलाई निकल पड़ी.

सुमन ने सविता को चुप करवाया.

‘चल खाना खा फटा फट और आराम कर…कल कॉलेज भी जाना है …और हां अब तू मेरे साथ जाएगी और मेरे साथ ही वापस आएगी’

रूबी सोनल के पास जा बैठी और तब उसकी नज़र सोनल पे ध्यान से पड़ी ….माथे पे सिंदूर, गले में मन्गल्सुत्र ….बिल्कुल एक नयी नवेली दुल्हन …..

‘दीदी….ये ये आप…..की शादी….क क कब ‘

‘सॉरी तुझे तो बताना ही भूल गयी ….तेरी जो हालत थी …उसके बाद तो मैं भी भूल गयी थी कि मेरी शादी हो चुकी है ….मिलाउन्गी तुझे तेरे जीजा से वक़्त आने पर …अभी वो बाहर हैं….’

‘पर ये सब हुआ कब ….’

‘बस मालदीव में मिल गया था मेरे सपनो का राजकुमार और हो गयी शादी’

‘वाउ चट मँगनी पट शादी …..ऐसा तो फ़िल्मो में ही देखा है…..जीजा जी की फोटो तो दिखाओ…’

‘खाना खा सब दिखाउन्गी आराम से’

रूबी मशीन की तरहा खाने लगी.

सुनील :अरे आराम से खा.

रूबी : बस बहुत नाराज़ हूँ आप सब से ….चुप चाप दीदी की शादी कर दी ….ना बॅंड बाजा ना बारात …ना कोई नाच गाना…….ऐसे भी कोई शादी होती है…कितने अरमान थे दीदी की शादी के सब मिट्टी में मिला दिए.

सोनल :जब जीजा जी से मिलेगी ना तब खूब नाच लेना 

रूबी : आप तो रहने ही दो…आज की रात आप मेरे पास ही रहोगी …बहुत सी बातें करनी है आपसे.

सोनल :अच्छा मेरी गुड्डो…पर आराम से खा ..मैं कहीं भागी नही जा रही.

रूबी के इस बच्पने ने महॉल हल्का कर दिया था.

कहने के बाद तो रूबी सोनल को खींचती हुई ले गयी…..सवी का चेहरा जो अभी कुछ देर खुशी से दमका था रूबी को चहकता हुआ देख फिर डूब सा गया…वो हसरत भरी नज़रों से सुनील को देखने लगी…जिसने उसकी कोई परवाह ना करी और सुमन के कमरे में चला गया.

सुनील कमरे में जा के ड्रिंक करने लग गया…जहाँ उसे इस बात की खुशी थी कि रूबी रास्ते पे आ गयी थी वहीं वो अपने घर की औरतों की हिफ़ाज़त के लिए परेशान था.
सुमन उसके पास आ के बैठ गयी…..ज़यादा मत लेना..कल कॉलेज भी जाना है .

अब रात को कोई कमरे में नही आनेवाला था…सुमन अपना रूप बदलने लगी….फिर से सुहागन के रूप में आने के लिए.


सुनील अपनी दिलरूबा को रति का रूप धारण करते हुए देखता रहा…….
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कॉलेज के स्टाफ क्वॉर्टर्स में एक फ्लॅट में डॉक्टर. रविकान्त जो माना हुआ सर्जन था….अभी तक उसने शादी नही करी थी. इस वक़्त सुमन की फोटो हाथ में पकड़े हुए आँसू बहा रहा था. वो कॉलेज के जमाने से सुमन से दिल ही दिल में प्यार करता था…पर कभी कह नही पाया…….हमेशा वो इस बात का ध्यान रखता था कि कभी सुमन को कोई तकलीफ़ ना हो. सागर के जाने के बाद तो उसने खास तौर पे सुमन पे नज़रें रखी हुई थी…इस लिए नही कि वो उसे पाना चाहता था…इसलिए कि वो खुश तो है उसे कोई तकलीफ़ तो नही…….रूबी की हालत का उसे पता चल गया था….वो कभी सामने नही गया…पर नर्स से सारी खबर मँगवाता रहा और खुद को तयार करता रहा कि कहीं कोई एमर्जेन्सी ऑपरेशन ना करना पड़े. सुनील को वो अपने बेटे की तरहा ही समझता था और हमेशा सुनील की कोई ना कोई मदद करता ही रहता था.

दूर बहुत दूर मुंबई के एक हॉस्पिटल में रमण किसी के पैरों पे सर झुका रो रहा था.
ये आदमी और कोई नही था…समर था…जो आक्सिडेंट के बाद से कोमा में था.
रमण के साथ एक लड़की भी थी…और उसे देख कोई भी कह सकता था कि हाल ही में उसकी शादी हुई है.

एक घंटा हो चुका था रमण को अपने डॅड के पैरों पे सर रख रोते हुए और ना जाने कितनी बार उसने माफी माँगी होगी.

जब वो मुंबई वापस आया था तो अकेला नही था…उसके साथ उसकी दुल्हन थी वो सीधा अपने घर गया जहाँ उसे पता चला कि समर तो उस दिन से गायब है……वो समर को ढूंढता रहा फिर पता चला के एक हॉस्पिटल में समर महीनो से कोमा में पड़ा हुआ है…क्यूंकी सारे डॉक्टर्स उसे जानते थे …इसलिए समर का इलाज़ चलता रहा. 

रमण रोज उसे मिलने जाता घंटों उसके पास बैठ ता रोता बील्कखता बार बार माफी माँगता …पर समर कहीं और ही था किसी और दुनिया में शायद वो भी अपने करमो का पश्चाताप कर रहा था. उसका अवचेतन मश्तिश्क उसे होश में आने ही नही दे रहा था….शायद उसे किसी का इंतेज़ार था…..किसी से वो दिल से माफी माँगना चाहता था…पर लगता है बहुत देर हो चुकी थी.

‘सुनिए…कब तक ऐसे रोते रहेंगे….रोने से तो कुछ हासिल ना होगा….बस उपरवाले पे भरोसा रखिए …एक दिन पापा ज़रूर ठीक हो जाएँगे ….बहुत देर हो चुकी है…चलिए अब घर चलते हैं….ऐसे रो रो कर तो आप अपनी सेहत खराब कर लेंगे….फिर पापा को कॉन देखेगा’

रमण उसकी तरफ देखता है और उसके पेट से अपना चेहरा लगा उसे अपनी बाँहों में कस लेता है.

वो लड़की भी रमण के सर पे हाथ फेरते हुए कहती है ….’बस कीजिए अब…महीनो से देख रही हूँ…रोज यहाँ आते हैं और आप बस रोते ही रहते हो …ऐसा कब तक चलेगा.’

उसकी आवाज़ में कुछ था जो रमण का रोना रुक गया.

‘ डॅड देखो आपकी बहू मिनी रोज आपसे आशीर्वाद माँगने आती है ….होश में आओ डॅड’ एक बार समर के माथे को चूम रमण और मिनी घर के लिए निकल पड़े.

इधर सुमन तयार हो कर सुनील के साथ बैठ गयी ….जो अब भी ड्रिंक कर रहा था.

‘बस भी कीजिए …जानती हूँ बहुत परेशान हो …पर एक चिंता तो कुदरत ने ही दूर कर दी ….रूबी खुद रास्ते पे आ गयी ……बाकी भी सब ठीक हो जाएगा…मस्ती के लिए कभी पी लो चलता है…पर ये टेन्षन में पीना…नही …मैं और नही पीने दूँगी….और इसमे वो नशा कहाँ जो हुस्न में होता है….नशा ही करना है ….तो इधर आइए और पी जाइए इस हुस्न को’
सुमन ने सुनील के हाथ से ग्लास अलग रख दिया. और खुद उसकी गोद में सर रख लेट गयी ……….

‘सोनल को बुलाऊ क्या …..’ सुमन ने मोबाइल की तरफ हाथ बढ़ाया. 

सुनील ने उसके हाथ से मोबाइल ले अलग रख दिया ….’तुम से कुछ बात करनी है….’


‘जिस दिन रूबी हॉस्पिटल में अड्मिट हुई थी …अगले दिन कमल आया था……………..’

सुनील सारी बात सुमन को बताता है …यहाँ तक के उसपे शक़ हुआ था फिर छोड़ दिया गया था.’

‘भूल जाओ उसे और रूबी को भी वॉर्न कर दो ….डिस्टेन्स रखे उस से’

‘क्या सोच के ये बोल रही हो …मुझे भी बुरा लगा था कि रूबी की ऐसी हालत में उसने प्रपोज़ किया वो भी जब अभी खुद उसका करियर सेट्ल नही और ना ही रूबी का’

‘सिंपल सी बात है…उसका माइंड स्टेबल नही है ….. जो लड़का लड़कियों से दूर रहता हो वो अचानक ओपन्ली प्रपोज़ कर दे ……जो लड़का ये जानता है कि लड़की मोत से लड़ रही है आ के हॉस्पिटल में घर वालों को शादी का प्रपोज़ल दे दे…….ही’सर्टन्ली कॅन’ट हॅव स्टेबल माइंड …..उसको कुछ तो साइकिक प्राब्लम है ….मैं रूबी की जिंदगी को दाव पे नही लगा सकती ……आपको इस बात का खास ख़याल रखना होगा ….कि वो रूबी के नज़दीक ना आने पाए’


‘ह्म्म्मो’ मैं भी कुछ ऐसा ही सोच रहा था…लव यू एक उलझन दूर कर दी

‘चलो अब छोड़ो इन बातों को सोते हैं …..कल आप को कॉलेज भी जाना है श्रीमान ’

‘जब तुम पास होती हो तो नींद किस गधे को आएगी’ सुनील ने झपट्टा मार सुमन को अपने नीचे ले लिया……’

उम्म्म ना ना प्लीज़ …..आपको सुबह जाना है …..ऊऊुउउच …उफफफफफफफ्फ़ ना जान समझा करो प्लीज़ ……उफफफफफ्फ़ ओह हो ….देखो मैं नाराज़ हो जाउन्गि…….

जैसे ही सुमन ने नाराज़ शब्द बोला सुनील ऐसे अलग हुआ …जैसे करेंट लग गया हो.

विस्की की बॉटल उठाई और कमरे से बाहर निकल गया अपने कमरे की ओर भाग पड़ा और ज़ोर से दरवाजा बंद कर लिया …..नीट ही पीने लग गया……..
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01-12-2019, 02:09 PM,
RE: Sex Hindi Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
सुमन की हालत ऐसी थी कि वो उसी वक़्त उसके पीछे भाग नही सकती थी सुहागन के रूप में……..रोना छूट गया उसका और मजबूर हो उसने सोनल को फोन कर डाला.

जिस वक़्त सुमन ने सोनल को फोन किया था …उस वक़्त तक रूबी सोनल का दिमाग़ खा खा कर सो चुकी थी …..सोनल को भी नींद नही आ रही थी … कुछ उसे परेशान कर रहा था..पर वो कुछ क्या था वो समझ के भी वो समझना नही चाहती थी …पर जब सुमन का फोन आया तो उसने सिर्फ़ इतना कहा मैं आती हूँ ……और एक नज़र रूबी पे डाल चुप चाप कमरे से बाहर निकल गयी …..

सुमन के कमरे में पहुँची तो सुमन को रोते हुए पाया ………..

‘क्या हुआ …वो कहाँ हैं ….आप रो क्यूँ रही हो ….’

सारी बात सुनने के बाद …..’आप भी ना…खुद ही उन्हें दावत दी और खुद ही नकार दिया ……अब गुस्सा नही करेंगे तो क्या करेंगे …….आपकी प्राब्लम बताऊ ……वो कोई बच्चे नही हैं जितना हम सब का दिमाग़ दौड़ता है वो उसके आगे का सोचते हैं …….और अब आप भूल जाइए कि आप उनकी माँ हैं ……आप सिर्फ़ और सिर्फ़ उनकी बीवी हैं …….परेशान मत होइए मना के भेजती हूँ उन्हें अगर मुझ से भी नाराज़ ना हों तो…..चियर अप दीदी …ये तो विवाहिक जीवन में होता ही रहता है’ सुमन के होंठों पे छोटा सा चुंबन जड़ वो सुनील के कमरे की तरफ बढ़ गयी और सुमन सोचने लगी उसने क्या ग़लती करी………



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वहाँ रमण और मिनी जब घर पहुँचे ……आप बैठिए मैं खाना तयार करती हूँ…..

‘खाना आज बाहर से मंगवा लेते हैं …..बस मेरे पास रहो’ रमण फोन कर किसी रेस्टोरेंट को ऑर्डर कर देता है ………मिनी उसके पास ही बैठी गयी....

………..रमण उसकी गोद में सर रख लेट जाता है ………’आज भी इस बात पे यकीन नही होता …मुझ जैसे गलिज़ आदमी को तुमने पसंद कर लिया ….और पसंद ही नही किया …मुझे उपर से नीचे तक बदल दिया’

‘आप बुरे तो कभी थे ही नही …आपके हालत ही ग़लत थे ……और जब कोई आदमी ग़लत हालत में पालेगा ….तो ग़लत ही बनेगा ना ……लेकिन देखो आप कैसे कोयले की ख़ान में से हीरा बन के बाहर आए ‘

‘मैने बहुत पाप किए हैं मिनी …..जिस बहन का मुझे रक्षक बनना था …जिसकी राखी की लाज को सलामत रखना था …मैं उसका ही भक्षक बन गया और तो और अपनी दूसरी बहन को भी ग़लत नज़रों से देखने लग गया ……….मुझे तो नर्क में भी जगह नही मिलेगी ‘

‘देखना वो दोनो आप को माफ़ कर देंगी एक दिन …..मैं एक बार सब से मिलना चाहती हूँ ….हाथ जोड़ के माफी माँग लूँगी …..देखना सब ठीक हो जाएगा’

‘ये नही हो सकता ….मुझे आज भी सुनील की वो दहक्ति हुई निगाएँ याद हैं …..वो एक भाई की थी ….जो मैं कभी नही बन सका……मैं कभी उन आँखों का सामना नही कर पाउन्गा’

‘तो क्या आप कभी मम्मी जी से भी नही मिलेंगे …..आप बेटे हैं उनके…..आपको उनकी ज़िम्मेदारी उठानी चाहिए….सब कुछ आप सुनील भाई पे छोड़ देंगे ……अब तो अंकल भी नही उनके साथ…..ज़रा सोचिए ….आप से छोटे हैं वो और अकेले जिंदगी के तूफान से लड़ रहे हैं…..शर्म नही आती आप को …कुछ बुरा भला ही कहेंगे ना ….,है तो आपके अपने ‘

‘तुम नही समझोगी ‘

‘मुझ से बेहतर कॉन समझे गा जी आप को …….और इतना तो समझ ही चुकी हूँ …….आपके घरवाले हीरा हैं हीरा …जिनकी कदर आप नही समझते ….’

‘ तो तुम क्या चाहती हो…मैं उनके सामने जाउ और गालियाँ सुनू’

‘हां एक बार नही ..हज़ार बार सुनो और मुझे भी सुनवाओ’ मिनी रो पड़ी 
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यहाँ सोनल ….सुनील के दरवाजे को खटखटा रही थी ….’खोलिए ना….प्लीज़….देखो ऐसे नाराज़ नही होते …..प्लीज़ खोलो ना……खोलिए नही तो शोर मचा दूँगी हां ‘
सुनील कोई जवाब नही देता….

‘मैं रो पड़ूँगी और वो भी रो रही है…खोलो ना….प्लीज़….’

सुनील फिर भी नही खोलता….कैसे खोलता…पूरी बॉटल जो नीट चढ़ा गया था गुस्से में’

सोनल कुछ देर खटखटाती रही और फिर रोती हुई सुमन के पास चली गयी….

सोनल जब कमरे में घुसी तो सुमन रो रही थी……सोनल उसके गले लग रोने लगी…..’क्यूँ मना किया आपने उनको…..अपना हक़ तो माँग रहे थे…….’

‘तू तो जानती है कितने दिनो से कॉलेज मिस हुआ है…..अगर करने देती तो रात भर नही छोड़ते और फिर सुबह जल्दी कैसे उठते….क्या मेरा दिल नही करता कि उनकी बाँहों में रहूं……’

‘अब आप ही उन्हें सुबह मनाना…लगता है पी के लूड़क गये हैं….इतना गुस्सा क्यूँ आता है उनको….’

‘सारी ग़लती मेरी है …..एक बार कर लेते तो उनको थोड़ा सकूँ मिल जाता…मैं भी कितनी गधि हूँ’

दोनो बातें करते करते एक दूसरे के आँसू पोंछते हुए सो गयी.

रात करीब 12बजे का ही समय था….आज भी कमल अपने कमरे से बाहर निकला ….जयंत सो चुका था….

एक साया फिर लड़कियों के हॉस्टिल की तरफ बढ़ रहा था…………उसने फिर एक लड़की के कमरे को खटखटाया ……और फिर घृणात्मक कार्य हुआ …उसका लड़की का रेप कर फिर उसकी छाती में के गोद कर वो जैसे आया था वैसे गायब हो गया.
शायद उसे पहले से ही मालूम था कि वो लड़की अपने रूम में अकेली होगी ….. ……..ये साया कहाँ से आया और कहाँ गायब हुआ पता ही ना चला..

जब कमल अपने कमरे में पहुँचा तो हाँफ रहा था …जैसे कहीं से भाग की आ रहा हो…अंधेरे में वो टेबल से टकराया…और जयंत की नींद खुल गयी उसने लाइट जला डाली ….स्विच उसके बेड के पास था….कमल को देखा जो अभी हाँफ रहा था……

‘क्या हुआ हाँफ क्यूँ रहा है…कहीं गया था क्या तू …..’

‘वो बस नींद नही आ रही थी तो बाहर चला गया था….पता नही कहाँ से चमगडाह आ गये तो भाग के आना पड़ा….’

जयंत का माथा ठनका….ये कुछ छुपा रहा है……..इस वक़्त वो कुछ ना बोला….चुप चाप लेट गया…..पर इस वक़्त रात को ये कहाँ गया था…और चमगडाह तो यहाँ है ही नही …क्यूँ झूठ बोल रहा है …..

जयंत ने अब कमल पे रात को भी निगरानी रखने का फ़ैसला कर लिया.

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अगले दिन सुबह सुनील की नींद जल्दी खुल जाती है….अपने पास पड़ी खाली बॉटल देखता है और रात की सारी बातें याद आने लगती है….किस तरहा वो गुस्से से सुमन के कमरे से बाहर निकला था……..

ग़लती किसकी ………अपने आप से तर्क वितर्क करता है…..तो ग़लती उसे अपनी ही ज़यादा लगती है…….दुखी हो जाता है …….कि उसने अपनी सुमन को रुला दिया….फटा फट तयार होता है ……उसके कुछ कपड़े उसके ही रूम में रखे होते हैं दुनिया को दिखाने के लिए…पर उनमे कोई अच्छी ड्रेस नही होती…ऐसे ही कामचलाऊ घर पहनने वाले होते हैं….वो उनमे से ही कुछ पहन लेता है और सीधा सुमन के कमरे में झाँकता है……..जहाँ अभी सुमन और सोनल दोनो ही सो रही थी….घड़ी पे नज़र पड़ती है….अभी सुबह के 5 ही बजे थे…….हॅंगओवर से उसका सर भन्ना रहा होता है….कसम खा लेता है…कभी नीट नही पिएगा और इतनी ज़यादा तो कभी नही चाहे मूड कितना भी ऑफ क्यूँ ना हो.

किचन जा कर तीन कॉफी तयार करता है और सुमन के कमरे में चला जाता है…….

कॉफी साइड टेबल पे रखता है और सुमन के पास जा के बैठ जाता है…गालों पे आँसू सुख चुके थे और उनके निशान सॉफ सॉफ दिख रहे थे….तड़प उठता है और उसके गालों को चाटने लगता है……सुमन थोड़ा कुन्मूनाती है…..और सुनील धीरे से अपने होंठ उसके होंठों पे रख देता है……..नींद में ही सुमन की बाँहें उसके गले का हार बन चुकी थी……सुनील धीरे धीरे सुमन के होंठों का रस चुराने लगता है और कुछ देर में सुमन की आँख खुल जाती है…वो कस के सुनील से चिपक जाती है.

सुनील ….अपने होंठ अलग करता है ….उसकी आँखों में देखता है और….’सॉरी’ बोलने वाला होता है …कि सुमन उसके होंठ अपने होंठों से बंद कर देती है.

दोनो फिर अलग होते हैं………..और एक साथ ही दोनो के मुँह से निकलता है….’गुड मॉर्निंग डार्लिंग’ 

फिर सुनील उसे कॉफी का कप पकड़ता है और बिस्तर के दूसरी तरफ जा वो सोनल पे झुक जाता है…..

सोनल जाग चुकी थी और इंतेज़ार कर रही थी….सुबह के उस पहले मीठे चुंबन का ….जिसके बाद ही वो अपनी आँख खोलती …..सुनील के होंठ जैसे ही उसके होंठों को छूते हैं…..वो लिपट जाती है सुनील से…..इनके बीच की नाराज़गी बस इतनी ही देर की होती है…एक चुंबन उस नाराज़गी को …..दूर कर देता है……ऐसा है इनका प्यार …….सोनल और सुनील एक दूसरे में खो जाते हैं…..और किसी की नज़र उन दो आँखों पे नही पड़ती जो इन्हे देख रही थी….और आँसू बहा रही थी…..बेधयानी में सुनील ने दरवाजा खुला ही छोड़ दिया था….



रूबी बहुत खुश थी….सोनल की शादी की फोटोस देखती देखती पता नही कब सो गयी थी…सुबह जल्दी ही उठ गयी…और सोचा कि आज सबको कॉफी पिलाकर सर्प्राइज़ देगी…..खास कर अपने भैया को…रोज तो कभी सुमन और कभी सविता ही मॉर्निंग टी/कॉफी बनाती थी…और आज वैसे भी जल्दी उठ गयी थी..फ्रेश हो कर वो नीचे आई तो देखा सुनील किचन से कॉफी बना के बाहर निकला और सुमन के कमरे में घुस गया….वाह क्या बात है भैया की सुबह सुबह खुद ही कॉफी बना के आंटी को देने चले गये.
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01-12-2019, 02:10 PM,
RE: Sex Hindi Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
उसके कदम उधर ही बढ़ गये…मॉर्निंग विश करने के लिए लेकिन उसी वक़्त उसे झटका लगा जब उसने सुमन की तरफ ध्यान दिया…..सुहागन के रूप में और सुनील किस तरहा झुक के आंटी के होंठों को चूमने लग गया और आंटी ने भी उसे अपनी बाँहों में लप्पेट लिया.. वो इस झटके से बाहर नही निकली थी कि सुनील को सोनल की तरफ जाते देखा और जब सोनल भी उस से लिपट गयी….उसकी आँखें फटी रह गयी……मुझे किस तरहा पाठ पढ़ाया…….और खुद……तभी उसे याद आया कि सोनल का दूल्हा तो बहुत जाना पहचाना लग रहा था….यानी …सुनील ही उसका जीजा है….अगर ये सच है तो फिर सुमन आंटी के साथ….उनका ये रात को बदला हुआ रूप.

तभी उसे अपने कंधे पे किसी का हाथ महसूस हुआ…..घबरा के पलटी तो पीछे सविता थी….जिसकी आँखें भी बरस रही थी…एक दर्द था उन आँखों में……..

सविता रूबी को अपने साथ अपने कमरे में ले गयी……..

तू बैठ मैं अभी कॉफी ले कर आती हूँ.

सविता कुछ ही देर में कॉफी ले कर आ गयी.

‘माँ….ये……’

‘आराम से कॉफी पी सब बताती हूँ…..तभी सुनील कमरे में घुसता है ……’लेट हर हियर फ्रॉम हॉर्स’स माउत ……साली साहिबा…जा के सूमी और सोनल को भी बुला लाओ …..’ 

सुनील जैसे ही कमरे से बाहर निकला उसने रूबी के पर्फ्यूम की सुगंध हवा में पकड़ ली थी….और उसे ये समझने में देर ना लगी कि रूबी देख चुकी है…अपने आप पे गुस्सा चढ़ा कि दरवाजा बंद क्यूँ नही किया…..खैर जो होना था हो गया…….अब रूबी को सब समझाना पड़ेगा….उसके कदम रूबी के कमरे की तरफ बढ़ गये. तभी कमरे में सवी दाखिल हुई थी कॉफी ले कर.

सुनील ने सवी को साली बोला….ये एक धमाका था….रूबी के लिए….यानी माँ जानती थी. लेकिन सुनील की जो छवि उसके दिल में बसी हुई थी…वो उसे सुनील के बारे में कुछ भी ग़लत नही सोचने दे रही थी…वो शांत रही…जब तक सारी बात नही पता चल जाती.

कुछ देर में सवी दोनो को ले कर आ गयी…सभी के चेहरे सीरीयस हो चुके थे….ये दिन तो आना ही था एक दिन…पर सब कुछ बहुत ही जल्दी जल्दी हो रहा था….


‘आओ बैठो तुम दोनो ….जो मेरे अपने हैं उनके लिए मैं एक खुली किताब हूँ ….मैं रूबी के अकेले भी बात कर सकता था….पर वो मुझे ठीक नही लगा….मैं चाहता था कि जो भी बात हो वो तुम दोनो के सामने हो …..क्या पता मेरी किसी बात को रूबी ना समझ पाए तो तुम दोनो भी तो उसे समझा सकती हो……..

रूबी जो मैं कहने जा रहा हूँ…ध्यान से सुनना….बहुत से सवाल तुम्हारे दिमाग़ में अभी होंगे और बहुत से बीच बीच में नये पैदा होंगे ….जब सारी बात ख़तम हो जाए…तब पूछना तुमने जो पूछना हो…बीच में मत बोलना’


‘ ये सारा कांड तब शुरू हुआ जब तुम्हारे डॅड ने सगाई के टाइम सुमन को देखा….उनका बस चलता तो वो सवी से नही सूमी से ही शादी करते…पर सूमी की शादी हो चुकी थी…..तुम्हारे डॅड सूमी के करीब होना चाहते थे…इसलिए सवी से शादी कर ली और तो और कुछ दिनो बाद मुंबई से देल्ही भी शिफ्ट हो गये…ताकि किसी ना किसी बहाने से सूमी को मिलते रहें……..

समर तब सागर के करीब आने लग गया और इतना करीब आ गया कि उसे सागर की एक कमज़ोरी का पता चल गया और उसने इसका फ़ायदा उठा लिया.’

( रूबी आँखें फाडे कान खोले सब सुन रही थी……….)

तभी कॉलेज से फोन आता है….एक और रेप की खबर….और कॉलेज आज के लिए बंद…..

‘कॉलेज में एक और रेप हुआ है कल रात…इसलिए आज कॉलेज बंद है…..उफफफ्फ़ ये हो क्या रहा है …..खैर हम आराम से अपनी बात कर पाएँगे……सोनल यार एक ब्लॅक कॉफी ले आ ‘ टेन्षन से सुनील अपना सर दबाने लगा तो सूमी फट से उसके पास आ गयी और उसका सर दबाने लगी.

सोनल किचन में चली गयी ……..और सुनील बहुत सीरीयस हो चुका था….ये दूसरा रेप वो भी कॉलेज में….क्या करती है कॉलेज की सेक्यूरिटी……सुनील तब तक चुप रहा जब तक सोनल नही आ गयी….

सोनल सब के लिए कॉफी ले आई थी…..सुनील ने कॉफी के दो घूँट भरे फिर आगे बोलना शुरू किया…..

‘समर ने सवी को सागर की झोली में डाल दिया…..बहुत टाइम से वो सागर से स्वापिंग के बारे में बात कर रहा था और धीरे धीरे उसे तोड़ रहा था …….’

यहाँ सवी ने बीच में बोलना शुरू कर दिया……शायद यही वक़्त था जब वो सूमी को सही जवाब दे पाती.

‘मुझे तो शादी के कुछ दिनो बाद ही तोड़ना शुरू कर दिया था…जब देखो तब रोल प्ले करते थे और खुद सागर बन जाते थे ….धीरे धीरे मेरे दिमाग़ में सागर घुसने लग गया….फिर समर ने स्वापिंग की बात शुरू की …मैं बहुत विरोध किया….रोल प्ले तक ठीक था…पर आगे मैं जाने को तयार नही थी…एक दिन तो मुझ पे हाथ भी उठा दिया था…मैं तब भी नही मानी तो डाइवोर्स तक बात आ गयी थी….ये मुझे कबूल नही था. तब तक रमण पैदा हो चुका था…..कैसे पालती उसे अकेले और मोम…डॅड को क्या बोलती किसलिए डाइवोर्स दे रहे हैं ….मैं टूट गयी …..और एक दिन ये मुझे सागर के पास ले गये और ….और….सब कुछ हो गया….टाइमिंग समर ने ऐसी रखी थी कि सूमी आ जाए और सब अपनी आँखों से देख ले …..’

बोल कर सवी ने सूमी की तरफ देखा जैसे कह रही हो ….ये है सच्चाई…..अब तो मुझ से नफ़रत नही करोगी.

सुमन : तब भी अगर तुम मुझे सब बता देती ….तो शायद ये सब नही होता…..मैं सागर को रोक लेती और समर की भी अकल को ठिकाने पे ले आती…..खैर जो गया उसे बदला तो नही जा सकता.

सुनील – इसके बाद शुरू हुआ इन का स्वापिंग का सिलसिला और ये चार खुद को एक जान 4 बदन मानने लगे और बात यहाँ तक बढ़ी कि एक बार स्वापिंग टाइम एक महीने का हो गया……..और इस एक महीने में मेरी और तुम्हारी बुनियाद रखी गयी ……..हां तुम सागर का खून हो और मैं समर का ( थूक दिया सुनील ने ज़मीन पे ये बोल कर)

रूबी को अपने कानो पे विश्वास ही नही हुआ….. पर सब सामने बैठे थे…..और हर एक का चेहरा यही बता रहा था…..कि सुनील सच बोल रहा है.

अब दो दो बच्चों की ज़िम्मेदारी पड़ गयी थी…सोनल और रमण बड़े हो रहे थे….तब शायद सूमी ने ही ज़ोर डाला था कि स्वापिंग कम कर दी जाए या बंद कर दी जाए…. पहले कम हुई और फिर समर मुंबई शिफ्ट हो गया. तब भी स्वापिंग बंद नही हुई….साल में ये एक पर्सनल हॉलिडे मनाने लगे …एक हफ्ते का…जिसमे सूमी समर के साथ रहती और सवी सागर के साथ.
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01-12-2019, 02:10 PM,
RE: Sex Hindi Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
सालों तक यूँ ही चलता रहा……..लेकिन बात तब की है जब मैं सोनल को बचाते वक़्त ज़ख्मी हो गया था. मेरे ठीक होने के बाद ही इनका टाइम था या फिर डेले किया गया था…इनका पर्सनल हॉलिडे गोआ में हुआ.

एक दिन मैं बहुत उदास था….सुमन की बहुत याद आ रही थी…ये वो दिन था जब सोनल ने अपने प्यार का इज़हार किया था मुझ से…मेरे पैरों के तले ज़मीन निकल गयी थी…उस वक़्त मुझे अपनी माँ की सख़्त ज़रूरत थी..मैने फोन कर दिया…..लेकिन मुझे नही मालूम था कि ये फोन मुझे एवरेस्ट से उठा के सीधा पटल में फेंक देगा……उस दिन मुझे पता चला कि ये स्वापिंग करते हैं….और मैं सागर का नही समर का बेटा हूँ….और समर उस वक़्त सुमन को मुझे सेक्स लेसन्स देने की बात कर रहा था…….ज़मीन तक फट गयी थी मेरे लिए……शायद मैं अगले दिन खुद को ख़तम ही कर डालता ….पर सोनल से बहुत प्यार करता था मैं…एक भाई की तरहा…एक बार उसे उठाने की कोशिश करी गयी थी ….मेरे ना होने के बाद तो कुछ भी हो सकता था…मैने आत्म हत्या करने से खुद को रोक लिया ….पर मैं 24 घंटे अंगारों पे लोटने लग गया.

अगले दिन ये अपना बाकी का हॉलिडे कॅन्सल कर वापस आ गये. और सुमन मुझे खजुराहो ले गयी. समर की बातों में आ मुझे और भी जहन्नुम में धकेलने के लिए.

सुमन …..सुनील का फोन आने के बावजूद भी समर ने मुझे नही छोड़ा वो मेरे साथ सेक्स करता रहा…मुझ से बात करनी मुश्किल हो गयी और फोन मेरे हाथों से छूट गया….तब मैने यही सोचा था कि फोन बंद हो गया….उस दिन समर मुझे सुनील को सेक्स लेसन्स देने के लिए ज़ोर डालने लगा…यहाँ तक कि उसने रोल प्ले भी शुरू कर दिया खुद सुनील बन गया….और मैं बहकति चली गयी …..ऑर्गॅज़म्स के वक़्त मुझे सुनील ही दिखाई देने लगा ….अगले दिन पता चला कि सुनील ने सब सुन लिया है …मेरी जान निकल गयी…सुनील तो मेरी हर धड़कन का हिस्सा था…ऐसा बेटा नसीब वालों को ही मिलता है…इसकी हालत का अंदाज़ा में लगा सकती थी …इसलिए फटाफट वापस आई और अगले दिन ही इसे अपने साथ खजुराहो ले गयी…थे सिटी ऑफ सेक्स टेंपल्स…..मेरी जिंदगी में कोई सच्चा दोस्त नही था…मैने सुनील को ही अपना दोस्त चुना….एक वक़्त ऐसा भी आता है कि माँ बाप अगर बच्चों के दोस्त ना बने तो बच्चे गुमराह हो जाते हैं…मैने इसे सेक्स लेसन्स देने शुरू किए…लेकिन हर पल मैने देखा किस तरहा ये खुद से लड़ रहा है….इसको जो संस्कार मैने और सागर ने दिए थे वो हर बार आड़े आ रहे थे….और यहाँ बात उल्टी ही हुई ….यहाँ कोई बच्चा गुमराह नही हो रहा था…यहाँ एक माँ गुमराह हो चुकी थी…..और ये बुरी तरहा भाड़क गया…इसने मुझे ये अहसास दिलाया कि हम सब समर के हाथों की कठपुतली बन चुके थे जिससे वो अपनी मर्ज़ी से इस्तेमाल कर रहा था. 

सुनील : और तब डॅड (सागर) के दो एसएमएस आए ….एक वो जो तुमने डॅड को भेजा था ….सेव मी अंकल.
एक डॅड का : रीप्लेस मी इन सुमन’स लाइफ और एक वो एमएमएस जो रमण ने तुम्हें भेजा और तुमने डॅड को.
यही वजह थी डॅड को अटॅक आया और वो नही बचे….क्यूंकी तुम उनकी बेटी थी….तुम्हारा शोसन होता रहा और एक बाप ये सच्चाई झेल नही पाया.

(आज रूबी को पता चला कि उसका प्यारा अंकल …अंकल ही नही उसका बाप भी था…और उसकी मोत के पीछे उसका भी हाथ था…..बिलख बिलख के रोने लगी वो)



सविता ….सब को भूख लग रही होगी ….मैं नाश्ता लेके आती हूँ……

सुमन : चल मैं भी साथ चलती हूँ…जल्दी काम निबट जाएगा

ये दोनो ब्रेकफास्ट बनाने निकल पड़ी और सुनील ….रूबी को चुप करने लग गया.

रूबी का रो रो कर बुरा हाल हो रहा था…..मेने अपने अंकल को मार डाला…मेरी वजह से उनकी मोत हुई…और आप आज बता रहे हो….क्यूँ किया मेरे साथ ऐसा….वो वो मेरे पापा थे….मेरे पापा थे वो…ओह गॉड ….आज समझ में आया क्यूँ वो डॅड से भी ज़यादा मुझ से प्यार करते थे…मैं जब भी परेशान होती थी..उनके पास ही जाती थी………कम से कम एक बार तो उनके आखरी दर्शन करवा देते. क्यूँ किया ऐसा मेरे साथ…


तब तक सवी और सूमी भी आ गये नाश्ते का समान लेकर.

सूमी ने रूबी को गले से लगा लिया….बस कर गुड़िया….ये सब होनी का खेल है ….क्या करता ये तेरा भाई उस वक़्त …..सोच इसकी क्या हालत हो रही होगी ….जिस समर की ये शकल नही देखना चाहता था..तेरी वजह से वहाँ गया और तुझे यहाँ लेके आया…सवी को तब पता चला समर मुझ से क्या करवाना चाहता था…और ये भी साथ चली आई ……इतना मत कोस अपने भाई को.

रूबी हिचकति रही और कुछ देर बाद गमगीन चेहरा लिए चुप चाप बैठी रही …….उसके मन से ये बात निकल ही नही रही थी …की सागर की मोत में उसका हाथ है.

सब ने चुप चाप नाश्ता किया…..

सुनील ने फिर बोलना शुरू किया….’वक़्त गुजरने लगा …मैं तुम्हें और सवी को यहाँ ले आया था….तुम्हारा यहाँ अड्मिशन करवा दिया…तब मैं रमण से मिला …मिलना नही चाहता था पर अपने एक दोस्त की वजह से मिलना पड़ा…वो उस वक़्त हॉस्पिटल में अड्मिट था….मैने उसे बस इतना कहा ….कि तुम्हारी जिंदगी में कभी दुबारा कदम रखने की कोशिश ना करे….और अगर वो सच में तुमसे सच्चा प्यार करता है तो तीन साल बाद मिले ….तब तक तुम्हारी डिग्री भी पूरी हो जाएगी …तुम अपना भला बुरा समझने लगो गी ….तब अगर तुम और रमण दोनो एक साथ जिंदगी गुज़ारना चाहोगे तो में बीच में नही आउन्गा.

सुनील कुछ देर रुका रूबी का रियेक्शन देखने के लिए …पर उसने नज़र तक ना उठाई……..सुनील ने फिर बोलना शुरू किया…..

सुमन धीरे धीरे खुद को मारती चली गयी…उसके मन में जीने की आस ख़तम होती चली गयी ….ये मुझ से बर्दाश्त ना हुआ….हम दोनो ही खुद से लड़ रहे थे….डॅड के आखरी हुकुम को ले कर……मैं दो तरफ़ा खुद से लड़ रहा था…मुझे सूमी से प्यार हो गया था…वो पहली औरत है जिसने मुझे चुंबन का अहसास कराया था…पर मैं अपनी मर्यादा में जकड़ा हुआ था….सुमन भी अपनी मर्यादा में जकड़ी हुई थी ….ये फ़ैसला लेना इतना आसान नही था…..एक माँ एक बेटे की पत्नी बने और एक बेटा अपनी माँ का पति बने….जब तुम दोनो बाहर गये हुए थे कुछ दिनो के लिए तब मर्यादा की दीवारें टूट गयी मैने डॅड के हुकुम को मान लिया और उनको सूमी की जिंदगी में रीप्लेस कर दिया…. तब भी एक बार सुमन के अंदर बसी माँ बिलबिला उठी थी…लेकिन मैं उसकी माँग भर चुका था….दूसरी बार अपना सिंदूर पोंछने की उसमे हिम्मत ना हुई…..क्यूंकी उसका मतलब था मेरी मोत…..और हम इस बंधन में बँध गये.

सोनल उस वक़्त बंगलोर गयी हुई थी. सुमन ने दुल्हन का रूप ले लिया था…..हमने सोचा यही था कि सबके आने पर जब तक मेरी डिग्री पूरी नही हो जाती …तुम्हारी और सोनल की शादी नही हो जाती…ये रिश्ता हर एक से छुपा के रखेंगे…दिन के उजाले में सुमन मजबूर हो कर विधवा का ही रूप रखेगी. .पर होनी को कुछ और मंजूर था. 

सवी अगले दिन टपक पड़ी और सूमी को दुल्हन के रूप में देख बुरा भला कहने लगी ….तब हमने सवी को डॅड के उस एसएमएस के बारे में बताया ….जिसमे डॅड ने लिखा था…रीप्लेस मे इन सुमन’स लाइफ……सवी ने मुझे जीजा के रूप में स्वीकार कर लिया.

पर इस जीजा साली के रिश्ते में वो कुछ और भी खोजने लगी….साली आधी घरवाली …को वो सच करने पे तुल गयी ….और ये मैं कभी मंजूर नही कर सकता था…..मुझे ऐसा लगा जैसे कोई भुंचाल आ गया हो……सूमी को भी ये मंजूर नही था….कि हमारे बीच ऐसा कोई भी रिश्ता बने…

रूबी के लिए एक न्यूक्लियर बॉम्ब से कम नही था…जिस भाई पे वो खुद आसक्त हो गयी थी..उसकी माँ भी उसी भाई पे आसक्त है……वो कुर्सी से उछल ही पड़ी थी और फटी आँखों से सवी को देखने लगी……

सवी के लिए भी ये एक बॉम्ब से कम नही था..कि उसके दिल की बातें उसकी बेटी के सामने खुल जाएँगी.

सवी को समझ नही आया कि क्या करे….सुनील इस तरहा उसे बेनकाब करेगा रूबी के सामने …ये तो ख्वाब में भी नही सोचा था….(अभी वो ये नही जानती थी कि रूबी भी सुनील पे आसक्त है) ….अगर सुनील ने ऐसा ही करना था तो उस चुंबन का क्या मतलब है जो उसने हॉस्पिटल में किया था…आख़िर सुनील चाहता क्या है…..

सुनील ने सवी पे ध्यान नही दिया और आगे बोलता रहा…..
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01-12-2019, 02:10 PM,
RE: Sex Hindi Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
हमारा कोई इरादा हनिमून का नही था…मैं सवी को अकेले में अपनी जिंदगी के बारे में सोचने के लिए वक़्त देना चाहता था …..मैने सवी से सॉफ सॉफ कह दिया था…या तो कोई जीवन साथी चुन ले या फिर मैं इसका और रूबी का कहीं और इंतेज़ाम कर दूँगा….रूबी की ज़िम्मेदारी मेरी ही रहेगी.

इस लिए हम तीन दिन के लिए मसूरी चले गयी – एक तरहा से ये फोर्स्ड हनिमून हो गया था…..

पर अभी मेरी बची कूची मर्यादा के और चिथड़े उड़ने बाकी थे…..सवी ने मेरे बारे में सोचना नही छोड़ा और सोनल कान्फरेन्स बीच में छोड़ के आ गयी …उसने सवी को ऐसी हालत में देखा और वो सब बोलते हुए सुना जो इसकी बर्दाश्त के बाहर हो गया. 


सोनल बेहोश हो गयी थी ….और ये ना तो मैं बर्दाश्त कर सकता था और ना ही सुमन …हम उसी वक़्त वापस भागे….

होश में आते ही सोनल फट पड़ी…..सूमी को रंडी …छिनाल जाने क्या क्या नही बोला…..जो मैं कभी भी सुन नही सकता था….और सूमी तो पत्थर बन गयी थी…उसकी बेटी कभी उसे ऐसी गालियाँ देगी ….ये कोई माँ नही सह….सकती ……..मुझे सब सोनल को बताना ही था….और जैसे आज तुम्हें बता रहा हूँ…ऐसे ही सोनल को भी बताया था…तब जाके ये शांत हुई थी ….

सोनल की आँखें बरसने लगी….वो सुमन की गोद में सर रख रोने लगी.

सुमन : चुप हो जा पगली …ये सब होनी का किया धरा था. अब क्यूँ अपना मन मैला कर रही है.

सुनील ने आगे बोलना जारी रखा ……मैं सोचता था सोनल के दिल से मेरे लिए जो भावनाएँ जनम ले चुकी थी …वो वक़्त के साथ निकल गयी होंगी…क्यूंकी मैने कभी भी सोनल को एक लड़की की तरहा नही देखा था…मेरे लिए वो हमेशा मेरी बहन थी ..जिसके लिए मैं अपनी जान तक दे सकता था..पर मुझे नही मालूम था …मेरे ठुकराए जाने के बाद ये कुछ बोल नही रही थी पर अंदर ही अंदर ये मर रही थी.

मैने तो यही सोचा था कि सब कुछ बताने के बाद सोनल हालत को समझेगी ….मैं एक बात भूल गया था पर सूमी के जेहन में वो छाप गयी थी …इसने मुझे बेवफा बोला था जब इसने हमे पहली बार बेहोश होने से पहले फोन किया था ….सूमी इसकी वजह ढूँढने लगी ….और एक दिन सूमी के हाथ इसकी डाइयरी लग गयी…..वो पढ़ के सूमी की आत्मा तक रो पड़ी थी…उसकी बेटी इतना दर्द झेल रही थी और उसे पता ही ना था…उसने वो डाइयरी मुझे दी..पढ़ने के बाद मैं भी रो पड़ा…हम दोनो की आत्मा छलनी हो चुकी थी..पर मेरी मर्यादा मेरा पीछा नही छोड़ रही थी…इंसान हूँ…कितनी बार टूटता..पर सोनल के प्यार के आगे टूटना ही पड़ा.

मैं तब भी शायद नही टूटता सोनल को समझाने की आखरी कोशिश करता..पर शादी से पहले सूमी ने मुझ से वादा लिया था कि जब मैं 28-030 का होउंगा तो अपनी पसंद की लड़की से शादी करूँगा .....सूमी ने मुझे वो वादा याद दिलाया और उसे सोनल से अच्छी कोई लड़की ना नज़र आई जो दिल से..अपनी रूह से मुझे प्यार करती है....ऐसी लड़की तो चिराग लेके भी ढूंढता तो नही मिलती .....और मैं टूट ही गया.

अब सुनील ने सोनल की तरफ देखा …कि वो खुद अपने दिल की बात बोले जो उसने डाइयरी में लिखी थी.

इस दौरान रूबी सवी को घूरती जा रही थी…उसका बस चलता तो फट पड़ती….पर सुनील ने उसे रोक रखा था…जब तक सारी बात ख़तम नही होती …तब तक उसे चुप ही रहना था…और वो बस आँखे फाडे….कानो में बॉम्ब फुट हुए महसूस कर बस सुनती जा रही थी…और हर पल उसके अंदर सुनील के लिए इज़्ज़त बढ़ती जा रही थी.

सोनल : आज मेरी जिंदगी में खुशियाँ ही खुशियाँ हैं …मुझे मेरा प्यार मिल गया….और इस प्यार को मुझे सोपने वाली और कोई नही मेरी प्यारी दीदी हैं (सुमन के गले लगते हुए)

(रूबी देख रही थी कैसे रिश्ते बदले कैसे दो औरतें एक की हो के रह गयी और इतना प्यार आपस में ….काश वो एक झूठी पत्तल ना होती तो आज अपने देवता के चरणों में बिछ जाती और अपनी जिंदगी की गुहार लगती…..रो पड़ा उसका दिल…..काश वो सागर के साए तले पनपती …काश उसका शोसन ना होता…….दिल तक रोते हुए हिचकियाँ लेने लगा)


मैने कभी इन्हें किसी और नज़र से नही देखा था…मुझे इस बात पे हमेशा गर्व होता था…मुझे कितना प्यारा भाई मिला है….यकीन के साथ कह सकती हूँ….किसी का भी भाई इनकी तरहा नही होगा…ये अपने आप में एक मिसाल हैं……ये छोटे होते हुए भी एक चट्टान की तरहा हर वक़्त मेरी हिफ़ाज़त करते रहे.


वो दिन आज भी जब मेरी आँखों के सामने आता है..मेरे रोंगटे खड़े हो जाते हैं…किस तरहा घायल होने के बाद भी ये मेरी हिफफज़त के लिए लड़ते रहे…और मुझे बचा के निकाल लाए…वरना मैं कब की लुट गयी होती…और ऐसा होता तो आज जिंदा भी ना होती…उस दिन ये मेरे हीरो बन गये थे…मेरे दिल में ये वो जगह ले चुके थे जो मैं पहचान नही पाई थी…क्यूंकी कभी लड़कों में इंटेरेस्ट नही रखा था..इसलिए जब किसी लड़के से प्यार हो जाता है …इस बात का मुझे ना कोई अहसास था ना कोई समझ ….हां उसी दिन से मैं इन्हें प्यार करने लग गयी थी…पर इस प्यार को मैने बहुत देर बाद समझा.

बुरी तरहा से ज़ख्मी हुए थे ये…हाथ में प्लास्टर ,टाँग में प्लास्टर, सर ज़ख़्मों से भरा हुआ…जिस्म का कोई हिस्सा भी ना बचा था जहाँ इन्हें चोट नही आई थी….
मेरी जान पे बनी रही जब तक ये होश में नही आए थे …तब एक बहन ही रोती थी अपने भाई के लिए….लेकिन जब ये घर आए …तो इनकी सपंगिंग का जिम्मा मैने लिया…किसी और को इनकी सेवा कैसे करने दे सकती थी……तब मुझे अहसास हुआ इनकी बॉडी देख …पूरा बांका छैल छबीला था मेरा भाई…..दिल में प्यार की कोंप्लें फूटने लगी थी..पर मैं पहचान नही पाई थी…
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01-12-2019, 02:10 PM,
RE: Sex Hindi Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
एक दिन इनकी क्लासमेट रजनी आई थी…वो इन्हें प्यार करती थी..मैने उसे इन्हें किस करते हुए देख लिया था…बस पता नही क्यूँ मेरे तन बदन में आग लग गयी …उस दिन मुझे अहसास हुआ …ये मेरे हीरो ही नही मेरे सब कुछ बन चुके हैं…मेरा दिल, मेरी आत्मा सब इनकी हो चुकी थी …..फिर मैने रजनी को कभी कोई मोका नही दिया इनके साथ एक पल भी अकेले बिताने का…….मैं इनसे प्यार करने लगी थी…पर भाई –बहन का रिश्ता हमेशा बीच में आता और मैं इन्हें कभी कुछ नही बोल पाती थी…मेरा प्यार मेरे अंदर ही दम तोड़ रहा था….बात तब की है जब मोम डॅड हॉलिडे पे गये थे …तब मैं और ये अकेले घर रह गये थे…..मैं रोज सोचा करती थी कि आज इन्हें बोल दूं…आज इन्हें बोल दूं…पर इनको देख के डर जाती थी…इनके चेहरे की मासूमियत ..इनका रिश्तों पे भरोसा …मेरी हिम्मत तोड़ देता था….लेकिन उस दिन हम फिल्म देखने गये थे…मैने इन्हें रिझाने के लिए भड़कीले कपड़े पहन लिए थे…पर जनाब पता नही किस मिट्टी के बने हुए थे…शायद कुछ असर तो हुआ ही था इन्पर…पर इनकी मर्यादा की दीवार तो बॅंकर से भी मजबूत थी…..फिल्म देख के जब हम वापस आए तो मैं ना रह सकी मैने अपना प्यार इन्पर जाहिर कर दिया….ये ऐसे बिद्के जैसे मैं कोई लड़की नही भूत हूँ…और मुझे मर्यादा का पाठ पढ़ा अकेला छोड़ दिया….लेकिन मैं वहाँ पहुँच चुकी थी..जहाँ से मेरा वापस लोटना नामुमकिन था…बस मोत ही मुझे इनको चाहने से रोक सकती थी……ये मुझ से दूर होते चले गये और मैं तड़पति रही…मेरा दिल रो रो कर गुहार करता पर ये कुछ सुनने को तयार ना थे. मैं अपनी हर बात अपनी डाइयरी में लिखा करती थी. 

मेरे हर सपने में ये होते थे..मेरी हर साँस बस इनकी तमन्ना में चल रही थी.

जिस दिन मैं कान्फरेन्स छोड़ वापस आई ….उस दिन …मैने सविता मासी को फिंगरिंग करते हुए देखा …उनके ख़यालों में ये थे….वो बार बार बोल रही थी…सुमन को अपना लिया ..हनीमून मनाने चले गये..मुझे क्यूँ तड़प्ता छोड़ दिया…..

मेरी आँखों के आगे अंधेरा छा गया…मैं भूल,गयी कि मैं एक बेटी भी हूँ…वो लड़की जिसके अरमान कुचले हुए थे वो विफर उठी …उसे दीदी अपने प्यार पे डाका डालते हुए दिखी और मैं फट पड़ी…

इसके आगे जो हुआ तुम जानती ही हो….एक दिन दीदी मेरे कमरे में आई और बोली…मेरी सौतेन बनोगी….उस दिन…उस दिन मुझे तीसरी बार नयी जिंदगी मिली थी….पहली बार…जब मेरा जनम हुआ था…दूसरी बार जब इन्होने मुझे बचाया था…तीसरी बार जब दीदी ने मुझे अपनी सौतेन बनाना स्वीकार किया था…..

कमरे में सन्नाटा छा गया था……..

कुछ देर ऐसे ही सन्नाटा छाया रहा...जिसे सुनील ने तोड़ा....

'ब्लॅक कॉफी मिलेगी क्या ??' इस बार उसने ना सूमी को कहा ना सोनल को ...क्यूंकी बात खुल चुकी थी...उसके लिए दोनो में से कोई भी लाती एक ही बात थी.

सोनल हैरानी से उसे देखने लगी ....वो ब्लॅक कॉफी तब ही माँगता था..जब बहुत टेन्षन में होता था...यानी अब भी कुछ बाकी था सुनील के जेहन में..

इस से पहले वो उठती सूमी उठ गयी ....और जाने से पहले सबसे पूछ लिया....'एनी बॉडी केर फॉर सम्तिंग' ......कोई इस हालत में होता तो कुछ बोलता.....उसको हँसी आ गयी ...जिंदगी क्या क्या झटके देती है...वो चली गयी सबके लिए कॉफी बनाने.....



सूमी कुछ ही देर मैं सवी के लिए चाइ और बाकी सबके लिए कॉफी ले आई …सुनील के लिए ही ब्लॅक कॉफी थी.

कॉफी के दो घूँट लेने के बाद सुनील ने गर्देन ऐसे हिलाई जैसे बहुत थक गया हो…..

सोनल और सूमी दोनो ही उसके पास जाने को खड़ी हो गयी ….इशारे से सुनील ने रोक दिया…मन मसोस के दोनो बैठ गयी…..

सुनील ने बोलना शुरू किया …..

‘रूबी ना मैं समर बन सकता हूँ (इशारा सवी को था…मुझे भूल जाओ) ना ही मैं रमण बन सकता हूँ ( इशारा रूबी को था मेरे ख्वाब देखना छोड़ दो)
परसों जब तुमने अपने प्यार का इज़हार मुझे किया था ( सवी के हाथ से कप गिरते हुए बचा…..ये एक और बॉम्ब फटा था उसके लिए….माँ बेटी दोनो एक ही शक्स को चाहने लगी थी)

(रूबी तो बगले झाँकने लगी …उसके प्यार की खुली नुमाइश उसे पसंद ना आई ….सुनील इस बात को दबा के भी तो रख सकता था…..अब मोम क्या सोचेंगी…वो और मैं दोनो एक ही आदमी से प्यार करती हैं. फिर उसे सुनील के अल्फ़ाज़ याद आए …मैं एक खुली किताब हूँ……और मन मसोस के रह गयी.) 

मुझे ऐसे लगा था कि मैं फिर पाताल की गहराइयों में गिरता चला जा रहा हूँ…मेरा दम घुटने लग गया था…..ज़िम्मेदारी उठाने का मतलब ये निकल आएगा…मैने ख्वाब में भी नही सोचा था…..तुम्हें खुद समझाने की मुझ में हिम्मत नही थी…इसलिए सोनल तुम्हें समझाने आई थी …..और कल जब तुमने मुझे दिल से भाई कहा था …तुम नही जानती मुझे कितना सकून मिला था…

लेकिन आज सुबह वो हो गया जिसकी मैं कल्पना नही कर सकता था …या फिर लापरवाह हो गया था…कल ऐसे ही छोटी बात पे मैने सूमी का दिल दुखा दिया था…तो आज सुबह नींद जल्दी तो खुलनी ही थी..क्यूंकी मैं सोया नही था…सारी बोतल गुस्से में आ कर एक सांस में चढ़ा गया था…अब नशे से आँखें तो बंद होनी ही थी..वही हुआ..नशा उतरा आँखें खुली और अपनी ग़लती का अहसास हुआ…..इसलिए आज इनके लिए कॉफी बना के ले गया था…. जो तुमने देखा वो मैं एक माँ से नही ..एक बहन से नही अपनी दोनो बीवियों को किस कर के उन्हें मना रहा था….हमारे बीच में ना कोई सॉरी बोलता है ना कोई थॅंक यू…..ये सब हमारी डिक्षनरी में नही हैं.

उम्मीद करता हूँ….आज सुबह जो तुमने देखा वो तुम्हारी उन भावनाओं को हवा नही देगा …जो परसों थी.


अब ये इशारा था रूबी के लिए .....जो भी सवाल तुम्हारे दिमाग़ में हो ...पूछ लो.....

‘भाई आज मुझे इस बात का बहुत अफ़सोस होता है …मैं अपने पापा (सागर) ----के साए तले क्यूँ नही पली….मुझे रमण की जगह आप मिलते….एक दिल से प्यार करनेवाला भाई मिलता …ना कि शोसन करने वाला ……आज मैं एक झूठी पत्तल हूँ…जो मैं चाह कर भी अपने देवता के चरणों में नही चढ़ा सकती ‘

सुनील कुछ बोलने को हुआ…….

‘नही भाई …..अब आप तब बोलोगे…जब मैं चुप हो जाउन्गि….तब तक आप कुछ नही बोलोगे …ना कोई और बीच में बोलेगा’

‘माँ अकेली क्या कर लेती जब डॅड ही ऐसे थे…..जो परवरिश आपको मिली अगर वो हमे मिली होती तो…तो…आपकी ये बहन इतनी ज़ख्मी नही होती……. हालाँकि आप उम्र में मेरे बराबर हो…लेकिन फ़र्ज़ एक बड़े का ही निभा रहे हो….इसलिए अब आपको पहले की तरहा नाम से नही बुला सकती ……मैं तो हर तरहा से आप से छोटी ही हूँ …….’ 

बोलते बोलते रूबी रो पड़ी……..


सुमन उसके पास आ के बैठ गयी और प्यार से उसका सर सहलाने लगी ‘बस गुड़िया…रोते नही’

रूबी ने खुद को संभाला…..वहाँ घर में तो वासना का वास होता था…ना कि सरस्वती का जो यहाँ होता है….मैं छोटी उम्र में …किस से क्या बात करती….कितनी बार मोम डॅड को …ऐसी हालत में देखा….जो दिमाग़ पे अंकित होती चली गयी …और जब रमण ने हाथ बढ़ाया तो पके हुए फल की तरहा गिर पड़ी….दो साल…दो साल तक उसने मुझे भोगा …और एक दिन मुझे भोगते हुए ….वो सोनल भाभी का नाम ले बैठा. ( सोनल ने एक दम उसकी तरफ देखा ) चोंकों मत भाभी …अब जब रिश्ते बदल ही चुके हैं तो मुझे मेरे भाई की छत्र छाया में जीने दीजिए…जितना भी जीवन बाकी है.

(रूबी का एक एक शब्द हथौड़े की तरहा सब के दिल-ओ-दिमाग़ पे पड़ रहा था.) उस दिन मुझे पता चला मैं तो प्यार करती थी…पर वो मुझे भोगता था बस…..अगर रोल प्ले होता…तो पहले बोल देता…पर ऐसा रोल प्ले तो मैं कभी ख्वाब में भी स्वीकार नही करती….उस दिन मुझे पता चला …कि मेरे साथ क्या हो रहा है…और जब भी मुझे तकलीफ़ होती थी …मेरा एक ही .सहारा था….मेरे सागर अंकल …..जो आज पता चला मेरे पापा थे……मैं रमण से दूर हो गयी…उसकी शक्ल से नफ़रत हो गयी थी मुझे…ये वही वक़्त था …जब मोम डॅड पर्सनल हॉलिडे पे आए थे….मैं बहुत डर गयी थी और अपनी सहेली के घर चली गयी…..रमण ने बहुत बार कॉल किया..मैने कभी जवाब नही दिया…एक दिन…..उसने एमएमएस भेजा….जो ग़लती से पापा के पास भी चला गया….क्यूंकी मैं पापा को वो एमएमएस कभी नही भेज सकती थी……मैने बस एक एसएमएस भेजा था…सेव मी.
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01-12-2019, 02:10 PM,
RE: Sex Hindi Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
उसके बाद जो हुआ…वो आप जानते हो…….आगे रूबी जो बोलना चाहती थी…उसके लिए उसे कुछ हिम्मत और चाहिए थी.

उसने सोनल को ही कहा …..सोनल भाभी एक ब्लॅक कॉफी मिलेगी ……. सोनल ने प्यार से उसके सर पे हाथ फेरा और सुनील को नज़रों से पूछा और चाहिए क्या….सुनील ने हां में सर हिला दिया.

रूबी ने सुमन की गोद में अपना सर रख दिया ‘बड़ी भाभी आपना साया हमेशा मेरे सर पे रखना वरना ये दुनिया चील कोओं से भरी हुई है …जो इंतेज़ार कर रहे हैं…कब मैं अकेली पडू और मेरे बासी मास को नोच नोच के खा जाएँ’

‘रूबी मेरी बच्ची ---ये क्या उत्पाटांग सोचने लग गयी तू …..तुझे कभी अकेला छोड़ सकते हैं क्या…..तू तो जान है हमारी ….खबरदार जो कभी ऐसी मनहूस बातें सोची भी तो ‘ सुमन ने उसे अपने से चिप्टा लिया.

सुनील मन ही मन दुआ कर रहा था….’नही रूबी….नही तू ग़लत रास्ते पे चल पड़ी है बहन …रोक ले खुद को……खुदा के लिए रोक ले खुद को’

सोनल कॉफी ले आई ….. रूबी ने कप उसके हाथों से ले लिया….कुछ देर वो कॉफी पीती रही….

‘भाई ….ये मुरझाया हुआ फूल तो आपके कदमो में न्योछावर नही कर सकती …….मेरी आगे आने वाली जिंदगी आपके हाथों में है…जैसे रखोगे …वैसे जी लूँगी …पर कभी शादी के लिए मत बोलना ….किसी से भी…..ना…..ना…कुछ नही बोलेगे आप….मैं ये झूठा बदन…घायल दिल….किसी को दे कर उसे धोखे में रखू…ये मुझ से नही होगा…….और जिसको भी सच बोलेगे मेरे बारे में …वो मुझे भोग कर बाजार में बिठा देगा……ऐसी जलील जिंदगी मत देना भाई’

कमरे में सभी के आँसू निकल पड़े…..सुनील कुछ बोलने वाला था…पर चुप रह गया …..कुछ बोलने को था ही नही उसके पास.


‘भाई आज आपसे, और अपनी दोनो भाभियों से कुछ मांगू तो दोगे ….ना …मत करना भाई ….अपने लिए कुछ नही माँगने वाली …..’

रुधे हुए गले से तीनो बोल पड़े ‘तेरा तो हम पर कर्ज़ है पगली…जो चाहिए बोल ‘

‘वादा’

‘हां वादा’

‘मोम ने बहुत दुख झेले हैं….मैं ये नही कहती कि उन्हे भी मेरी भाभी बनाओ …..पर थोड़ा प्यार उनकी झोली में भी डाल दो ….मेरी माँ को जीवन दान दे दो ‘

ये कहते हुए रूबी बिलख पड़ी…और कमरे में भुंचाल आ गया…..शायद सबके कान खराब हो गये थे…रूबी ने जो माँगा…..वो समझना आसान नही था किसी के लिए भी.

मरघाट सा सन्नाटा छा गया था कमरे में.

एक तरफ सवी को यकीन नही हो रहा था कि उसकी बेटी जो सुनील से प्यार करती है वो उसके लिए तीनो के सामने प्यार की भीख माँगेगी….ये सागर का खून बोल रहा था रूबी के अंदर ….इस बात को सवी को समझने में देर ना लगी ….और वो सुनहरे पल जो सागर के साथ उसने बिताए थे…वो उसकी आँखों के सामने लहराने लगे और दिल में जोरों का दर्द उठा……..वो लहरा के गिर पड़ी…..

जैसे ही वो गिरी सबको होश आया….और सवी की तरफ लपके…..कमरे का महॉल शायद बहुत गरम हो गया था…..सुनील उसे गोद में उठा कर अपने कमरे में ले गया.
रूबी घबरा रही थी कि सवी को क्या हो गया…….

सुमन सब कुछ भूल एक डॉक्टर की तरहा सवी को देखने लगी……उसे माइल्ड अटॅक हुआ था…..और सुनील को फट से आंब्युलेन्स मंगवाने का बोल प्राथमिक उपचार करने लगी.

सुनील ने रूबी को गले से लगा लिया ‘कुछ नही होगा सवी को…जिसकी इतनी प्यारी बेटी है…उसे कुछ नही हो सकता’

सवी का प्राथमिक उपचार कर सुमन ने सोनल को उसे देखने के लिए कहा और अपने रूम में भाग गयी…उसे अपना हुलिया जो बदलना था…फिर से विधवा के रूप में आना था.
जब तक आंब्युलेन्स आती सुमन खुद को बदल चुकी थी……रूबी ने जब उसे विधवा के रूप में देखा तो जहाँ उसे अपनी माँ की चिंता थी वहीं उसे सुमन का ये रूप देख दर्द महसूस हुआ….क्या जिंदगी ज़ीनी पड़ रही है सुमन को….एक लड़की ये बात अच्छी तरहा समझ सकती है.

खैर फटाफट सवी को हॉस्पिटल ले जाया गया और आइसीयू में अड्मिट करवा दिया गया. सुमन खुद आइसीयू में चली गयी…उसकी ख्याती इतनी थी कि कोई उसे रोक ना सका उल्टा वहाँ के डॉक्टर्स खुश थे कि सुमन वहाँ माजूद थी.

कुछ देर बाद सवी को होश आ जाता है…वो ख़तरे से बाहर थी…पर दूसरा अटॅक शायद जानलेवा भी हो सकता है अगर वो मेंटल स्ट्रेस में ज़यादा रहे. 
24 घंटे के लिए उसे आइसीयू में ही रखा जाना था …अंडर अब्ज़र्वेशन……होश में आने के बाद उसने सुनील को बुलवाया.

सुनील उसके पास जा के बैठ गया 

सुनील ; कुछ मत बोलो….ज़यादा स्ट्रेस मत लो…सब ठीक हो जाएगा.

सवी : मुझे अपनी चिंता नही….रूबी बहुत टूटी हुई है…उसे संभाल लो….वरना वो बिखर जाएगी…नही जी पाएगी.

सुनील : ना तुम्हें कुछ होगा …ना उसे कुछ होगा…भरोसा रखो मुझ पे सब ठीक हो जाएगा……

सुनील उसके होंठों पे किस करता है….उसे दिलासा देने के लिए.

‘अब आराम करो बाद में खूब बातें करेंगे’

सुनील बाहर आ गया और रूबी दौड़ती हुई उसके पास गयी ‘भाई…….’

‘वो बिल्कुल ठीक है….आज बस अब्ज़र्वेशन में रखेंगे….कल वो घर आ जाएगी’

तभी सुमन भी बाहर आती है ….’मैं यहाँ हूँ….तुम लोग घर चले जाओ…सब ठीक है…कुछ ज़रूरत होगी तो मैं बुला लूँगी ‘

सुनील : इन दोनो को भेज देते हैं….मैं यहाँ रुकता हूँ.


सुमन : नही जो हालात चल रहे हैं ..इन दोनो को मैं कभी अकेला नही छोड़ूँगी ….सच यहाँ कोई ज़रूरत नही है ….जाओ ना साथ में इनके.
‘ओके’

सुनील दोनो के साथ घर चला गया. तेंनो हाल में ही बैठ गये.

सोनल : आप कुछ चाइ/कॉफी लोगे.

सुनील : ह्म्म ले आओ

सोनल : तू क्या लेगी गुड़िया

रूबी : भाभी मैं भी कॉफी ही लूँगी.

जब तक सोनल आई ….सुनील आँखें बंद कर अढ़लेटा हो गया ….और सोचने लगा …ये कैसा वादा ले लिया रूबी ने.

तभी सुनील का मोबाइल बजा ……विक्रम की कॉल थी…वो सुनील को बुला रहा था. सुनील ने घर की प्राब्लम समझाई और अगले दिन मिलने का बोल दिया.
सोनल तब तक तीनो के लिए कॉफी ले आई 

कॉफी पीते वक़्त …..

‘गुड़िया ….मैं भी चाहता हूँ…सवी की झोली हमेशा खुशियों से भरी रहे ……इसीलिए तो उसे समझाया था जिंदगी में आगे बढ़े और एक अच्छे जीवनसाथी की तलाश करे …मैं और सब हैं ना ….और सच कहूँ ….हमारे ही कॉलेज में एक प्रोफेसर हैं ड़कटोर. रविकान्त….पता नही क्यूँ अभी तक बॅचलर ही रहे हैं…अच्छे इंसान हैं……एक बार सवी हां कर दे तो बात शुरू करता हूँ….’

‘आप बातों को घुमाना अच्छी तरहा जानते हो भाई …..’

‘मैने क्या ग़लत कहा…..’

‘आप ने कैसे सोच लिया ….माँ किसी और से शादी करेगी …..आज पापा पे गुस्सा आ रहा है….बड़ी भाभी के लिए आप को हुकुम दे दिया…..और मेरी माँ को भूल गये…..क्या वो उनकी जिंदगी का हिस्सा नही बन चुकी थी….जिसका जीता जागता सबूत मैं हूँ ….मैं उनके प्यार की निशानी हूँ…या फिर व्यभिचार की……’

निरुत्तर कर दिया था रूबी ने सुनील को और सोनल का दिल बैठने लगा…..कितने टुकड़ों में बँटेगा उसका सुनील.

‘तू अच्छी तरहा जानती है …मेरी जिंदगी में कोई और औरत नही आ सकती…ये जो भी हुआ …तुझे समझा चुका हूँ…क्यूँ इस भाई का ऐसा इम्तिहान लेने पे तूल गयी है ….के बस वो तड़प्ता ही रहे……..’
Reply
01-12-2019, 02:10 PM,
RE: Sex Hindi Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
‘भाई ये विधि की विडंबना है…ये होनी का खेल है….क्या आपने कभी सोचा था…एक दिन मासी मेरी बड़ी भाभी बनेगी….क्या आपने कभी सोचा था एक दिन मेरी दीदी मेरी भाभी बनेगी…….जब पापा ने आपको मासी के जीवन में आने का आदेश दिया था तो क्या उसके पीछे साथ साथ ये आदेश नही छुपा था…कि मेरी माँ भी है…क्या कहा था उन्होने सेव रूबी …….यही कहा था ना….तभी आप दौड़े दौड़े मुंबई आए थे….तो जब रूबी की माँ ही नही बचेगी..तो रूबी कैसे बच जाएगी भाई…..ये नही सोचा आपने. भाई ये विष तो आपको पीना ही पड़ेगा….जानते हो…जिसने विष पिया बना शंकर…..शायद आपका जनम ही इस विष को पीने के लिए ही हुआ है……ध्यान से सोचो भाई….मैं आपसे वही माँग रही हूँ….जो पापा ने आपको कहा था.’

रूबी तो बोल के चुप हो गयी पर सुनील तड़प के रह गया ….जिसका दर्द सोनल सॉफ सॉफ महसूस कर रही थी………
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01-12-2019, 02:10 PM,
RE: Sex Hindi Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
सुनील खड़ा हो गया और रूबी के सामने ज़मीन पे बैठ गया. ‘मुझे बहुत खुशी है तुम सवी की इतनी चिंता करती हो….और सच कहूँ तो बेटियाँ होती ही ऐसी हैं…बेटों से ज़यादा चिंता बेटियों को होती है माँ बाप की….पर तेरे सोचने का तरीका ग़लत है गुड़िया…..तेरा जो लॉजिक है उस हिसाब से तो इस घर की सभी औरतों को प्यार देने का जिम्मा मेरा है …..प्यार देने से मैने कब मना किया…पूछले अपनी माँ से क्या मैं उस से प्यार नही करता…..प्यार का मतलब जिस्मानी संबंध नही होता…..बिना जिस्मानी संबंध के दो इंसानो में जो विश्वास का रिश्ता होता है …एक दूसरे का जो आदर होता है…एक दूसरे के लिए जो चिंता होती है….वो होता है सच्चा प्यार ……अगर उस प्यार में जिस्मानी भूख शामिल हो जाए …तब वो प्यार पवित्र नही रहता ….पाप का समावेश हो जाता है उसमे ….क्या तू चाहती है तेरा भाई पाप के रास्ते पे चले…हर वक़्त गुनाह करे और फिर तडपे …कि ये गुनाह मैने क्यूँ किया……अपने मन की सभी खिड़कियाँ खोल….और पहचान प्यार क्या होता है…..तब तुझे अपने भाई की बात समझ में आएगी.’

सुनील उठ के खड़ा हो गया …….’इन्सेस्ट ईज़ नोट दा वे ऑफ लाइफ हनी ….रेर्ली इट बिकम्स नेसेसिसिटी इन दा लाइफ ऑफ टू इंडिविजुयल्स लाइक इट हॅपंड बिट्वीन मी आंड सूमी आंड देन मी आंड सोनल ….इट डज़ नोट मीन तट आइ शुड हॅव इन्सेस्ट रिलेशन्स वित माइ एंटाइयर फॅमिली. और रिलेशन्स गॉट देयर ऑरिजिन फ्रॉम लव फॉर ईच अदर ….इट वाज़ माइ लव आंड रेस्पेक्ट फॉर डॅड तट फोर्स्ड मी टू वेंचर इंटो इट …..इफ़ इन्सेस्ट ओरिजिनेट्स ऑन अकाउंट ऑफ बॉडी हंगर …देन इट’स क्राइम….थिंक ओवर इट.’

इतना कह सुनील सूमी के कमरे में चला गया….सोनल और रूबी को हॉल में छोड़.


सुनील के जाने के बाद सोनल …रूबी के पास जा के बैठ गयी ….’अपने भाई की बात समझ में आई कुछ ……अपने आप को देख किस तरहा नफ़रत करती है तू रमण से आज ……क्यूंकी उस रिश्ते की बुनियाद एक दूसरे के लिए प्यार नही था…बस जिस्मानी भूख थी……क्या मिला उस रिश्ते से ….अंत में दर्द …क्यूंकी तू इतनी बड़ी नही थी …कि इन बातों की मार्मिकता को समझ पाए…दूसरे वहाँ महॉल ही ऐसा था …जो जिस्मानी भूक को बढ़ावा देता था…ना कि रिश्तों के बीच निस्चल प्रेम की स्थापना करता था….तूने हम तीनो से वादा लिया है….और हम तीन अब अलग नही हैं…एक जान तीन जिस्म हैं…दीदी को आने दे आराम से उनसे पूच लेना ……जो वो कहेंगी हम दोनो को मंजूर होगा ….अब चल आराम कर ….शायद शाम को हॉस्पिटल जाना पड़े’

रूबी ने एक ठंडी साँस भरी और सर झुकाए अपने कमरे में चली गयी और सोनल सुनील के पास.

हॉस्पिटल में सवी की हालत काफ़ी सुधर गयी थी..उसे आइसीयू की ज़रूरत नही थी..इसलिए सुमन ने उसे एक रूम में शिफ्ट करवा दिया….और उसके पास ही बैठी रही.

सवी : दीदी एक बात कहूँ….

सुमन : एक नही दस बोल लेना पर अभी आराम कर …नही तो मैं यहाँ से चली जाउन्गि.

सवी …बस एक बात सुनलो…..रूबी बच्ची है ….उसकी बात का बुरा मत मानना.

सुमन …..वो बच्ची अब बड़ी हो गयी है…उसे अपनी माँ का दर्द महसूस होता है …बस उसका रास्ता ग़लत है …..समझ जाएगी कुछ और वक़्त के बाद. ----बस अब कोई और बात नही जब तक घर नही पहुँचते.

रूबी अपने कमरे में जा के लेट गयी और सुनील की बातों को सोचने लगी….वह क्या संस्कार हैं भाई के …..कोई मरे …पर इनकी मर्यादा …इनका साथ नही छोड़ती ….और एक वो हरामज़ादा रमण था….वो होता तो अब तक माँ को नीचे लिटा चुका होता जाने कितनी बार…….मेरी भी क्या किस्मेत है…प्यार भी हुआ तो ऐसे आदमी से …जो मेरा दूसरा भाई है…पर क्यूंकी मैं झूठी हो चुकी हूँ तो मैने अपने लिए तो कुछ नही माँगा…अपनी माँ के लिए ही तो माँगा था…अब तो रिश्ते बदल चुके हैं…और जीजा –साली के रिश्तों में बहुत कुछ होता है…फिर भाई क्यूँ इनकार कर रहे हैं….इतना भी क्या अच्छा होना….मैं जानती हूँ माँ इन्हें पसंद करती है….अगर ये जिद्दी हैं तो मैं भी जिद्दी हूँ……जान दे दूँगी…पर माँ को उनका हक़ दिला के छोड़ूँगी….आज नही तो कल मेरी बात भाई को माननी पड़ेगी…इतनी ही मर्यादा का पालन करते हैं तो अपने वादे को पूरा करें….कह रहे थे इन्सेस्ट तब ही होता है जब दो इंसान में प्यार होता है…क्या वो तब भाभी से प्यार करते थे जब भाभी को अपनाया था…एक तरफ़ा ही थाना….ऐसे ही माँ का प्यार भी एक तरफ़ा है…फिर उसे क्यूँ नही अपनाते…मैं कॉन सा कहती हूँ कि शादी करो…बस कुछ सकूँ माँ को देदेंगे तो कॉन सा पहाड़ टूट जाएगा….आने दो बड़ी भाभी को…देखती हूँ..कैसे मुकरते हैं.

शाम को सुनील ने फोन किया सुमन को ….तो सुमन ने आने के लिए मना कर दिया और सुबह आने के लिए बोला तब तक सवी डिसचार्ज हो जाएगी.

सोनल ने रात का खाना तयार किया और रूबी को बुला लिया…रूबी बहुत सीरीयस थी …कोई बात नही कर रही थी…सुनील ने जब बात करने की कोशिश करी तो फट पड़ी ….भाई आप अपनी मर्यादा सम्भालो ..कोई जिए या मारे ..आपको क्या …आने दो बड़ी भाभी को तब बात करूँगी……

बारूद फट गया सुनील के लिए …छलनी छलनी हो गया वो ….कितना समझाने की कोशिश करी रूबी को ….पर शायद वो समझने को तयार नही थी…..सुनील ने आगे बात नही करी चुप चाप खाना खाया और कमरे में चला गया….इस बार सोनल भी चुप रही…रूबी की बात में जो आक्रोश छुपा था उसे वो पहचान गयी थी….पर क्या करें अब इस हालत में ….दिमाग़ फटने लग गया उसका…….
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01-12-2019, 02:11 PM,
RE: Sex Hindi Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
सोनल जब कमरे में पहुँची तो सुनील ड्रिंक कर रहा था…उसकी आँखें शुन्य में कुछ तलाश कर रही थी.

सोनल उसके साथ चिपक के बैठ गयी ….क्यूँ इतना परेशान हो रहे हो…..दीदी समझा देगी उसको 

सुनील …..वो अपनी उम्र से बहुत आगे निकल गयी है ….जिंदगी के झटकों ने उसका विश्वास डगमगा डाला है…….उसे सकुन ….चाहिए अपने लिए हो या अपनी माँ के लिए ….बस मुझ में दिखाई देता है…….बहुत ग़लत हुआ है दोनो के साथ इसका मतलब ये तो नही कि मैं दोनो को अपना लूँ..देखना कल सवी बोलेगी कि रूबी को अपना लूँ. पागल हो जाउन्गा इस महॉल में.

सोनल ……सुनील के चेहरे को अपनी तरफ घूमती है …….कुछ नही होगा जान ….बहुत लड़ लिए खुद से आप….और अपने होंठ सुनील के होंठों से चिपका देती है…….

सोनल ….सुनील के होंठ चूसने लग गयी और खुद ही उसका हाथ अपने मम्मे पे रख दिया……वो सुनील को दिमाग़ में चल रहे द्वंद से बहुत दूर ले जाना चाहती थी……एक पत्नी अपने धर्म का पालन कर रही थी…अपने शोहर को सकूं पहुँचाना चाहती थी……….कुछ देर तक सोनल सुनील के होंठ चूस्ति रही…फिर अचानक उसे याद आया कि दरवाजा उसने सिर्फ़ भिड़ा है अंदर से लॉक नही किया ……वो उठ के दरवाजा बंद करती है ……और ठुमकती हुई सुमन का वॉर्डरोब खोल उसमे से एक नाइटी निकल बाथरूम में घुस जाती है.

सुनील जब तक सोनल आती ड्रिंक में मस्त हो गया इस वक़्त वो अपने दिमाग़ को बिल्कुल खाली रखना चाहता था तंग आ गया था जो भी उसके साथ हो रहा था उस से…अब समझाने का वक़्त ख़तम हो चुका था…वो फ़ैसला कर चुका था ……या तो दोनो अलग रहें …या फिर वो करें …जो वो चाहता है..उनकी जिंदगी को ढंग से बसाने के लिए ….एनफ ईज़ एनफ.

एक नज़र उसने खिड़की पे डाली….ढंग से बंद है या नही …..दरवाजा खिड़की बंद होने से कमरे में गर्मी होने लगी थी….उसने ए/सी चालू कर दिया और इस वक़्त वो अपनी ड्रिंक एंजाय करने लगा……जब से हनिमून से वापस आया था कोई ना कोई भासुडि होती जा रही थी……उसे सूमी का इंतेज़ार था अपना फ़ैसला सुनाने के लिए …एक बार वो सूमी के कानो में डालना चाहता था कि वो क्या चाहता है …फिर सूमी जाने और उसकी बहन ….इस पचाड़े से खुद को अब बाहर निकलना चाहता था.

अपनी ब्रा का फ्रंट हुक लगाते हुए सोनल बाहर निकली तो सुनील बस उसे देखता ही रह गया.......जब बीवी अपनी पे आजाए तो मर्द चाहे कितनी भी टेन्षन से भरा बैठा हो ....वो सब भूल दूसरी दुनिया में पहुँच जाता है....ऐसा ही कुछ सुनील के साथ हुआ.....अपनी बीवी की सुंदरता में डूब गया .....और सोनल थी भी रति का रूप

हुस्न कभी तारीफ का मोहताज नही होता ...लाखों तरसते हैं उसकी एक झलक पाने को ...लेकिन जब शोहार ही आशिक़ बन जाता है तो लब गुरेज़ नही करते ये कहने को

मेरे हर खवाब की ताबीर तुम हो,
मेरी मोहब्बत की जागीर तुम हो,

बरसों तराशा है खुदा ने जिस संगे मर-मर को,
उस संगे मर-मर की हँसी तस्वीर तुम हो,

एक दीदार की खातिर लाखों परवाने है फिदा,
इस ज़माने में हुस्न-ए-अफ्रीन कि सरकार तुम हो,

दिल धड़कता है तो इस दिल की धड़कन तुम हो,
सांस आती है तो ज़िंदा रहने की वजह तुम हो,

हीरे की कीमत ज़ोहरी जाने, तेरे हुस्न की कदर हम,
इस कायानात में सबसे धनवान तुम हो,

कोई झोंका हवा का जब च्छू कर गुज़रे लगता है कि तुम हो,
कोई फूल खिल कर जब महकने लगता है कि तुम हो,

खुदा की परिस्थिति की तो हर दुआ में माँगा तुम को,
हर दुआ का बदला ज़न्नत तुम हो,

इसे दीवानगी कहो कि या दीवानापन,
मेरी तो हर नज़म में तुम हो गाज़ल में तुम हो.


सोनल तो बावली हो गयी ये सुन …….उसका प्यार जो जिंदगी के अंधेरे में डूबा रहा था …उजाले में फिर से लॉट आया ……इतनी खुशी उसे इन लफ़्ज़ों को सुन ना हुई थी …जितनी उसे अपने सुनील को फिर से आशिकाना मिजाज़ में आते हुए देख कर हुई थी ……..
‘वाउ !!!!
मेरी जान यूँ ना करो तारीफ इस कनीज़ की 
…कि कहीं इस बोझ तले मर ना जाएँ हम
……ये आपका का प्यार है जो समझता है हमे इस काबिल 
…वरना हम तो सेहरा में भटकती हुई बस एक धूल है’

सोनल भागती हुई सुनील के गले लग गयी ……..उफफफफ्फ़ ये सकुन ….कितनी मुश्किल से मिला था उसे उसका प्यार पल भर को तो आँखें डबडबाने लगी थी ….फिर याद आया अपना फ़र्ज़ …..अपने शोहर को उसको उसकी टेन्षन से दूर करना था उसे …….(क्या कभी कोई बीवी ऐसा करती है …….ये एक सवाल है मेरा इस कहानी के मॅरीड रीडर्स से) ‘ जानू जब से तुम मेरी जिंदगी में आए हो बस बहार ही बहार है ….ये दुश्वरियाँ तो जिंदगी का हिस्सा होती हैं जानू …इन्हें दिल पे मत लगाया करो……आज की रात भूल जाओ सब …….और अपनी इस बीवी को अपने प्यार की नैमत से नवाज दो…..भर दो उसकी झोली अपने प्यार की बरसात से …….और कुछ मत सोचो…….बस आप और मैं और ये रात ….बना दो इस एक याद गार रात ……लव मी डार्लिंग ….टेक मी….आइ’म डाइयिंग फॉर इट’

‘सोनल …….मेरी जान ……तुम दोनो हो तो मैं हूँ …वरना मेरा कोई वजूद नही …..मैने कभी ख्वाब में भी नही सोचा था….मुझे सबसे ज़यादा प्यार करने वाली ….मेरी हर सांस की देखभाल करनेवाली और कोई नही ….तुम दोनो हो …..और तुम ……वो हो जो मुझे हर पल नयी उर्जा देती हो ….और सूमी …..तो मेरे वजूद की बुनियाद है ….वो मेरी धमनियों में वास करती है’

‘मैने आपसे कभी कोई शिकायत करी जी …मुझे दासी भी बना के रखोगे तो कबूल है’ 

‘ना तुम कभी दासी बन सकती हो ना कभी सूमी….तुम दोनो का राज है मेरे दिल पे जिसका मैं बटवारा नही कर सकता …..वो तुम दोनो के ही अधिकार में है …वो तुम दोनो की वजह से ही धड़कता है…..ना मैं तुम्हारे बिना जी सकता हूँ और ना ही सूमी के बिना’

‘आप भी क्या बातें ले के बैठ गये ….देखिए ना ये बदन टूट रहा है …इसे थोड़ा सहला तो दीजिए’ एक कातिलाना अंगड़ाई लेते हुए सोनल बोली …….’आइए ना …..छुईए ना मुझे ….अपनी सांसो को मेरी सांसो से घुलने दीजिए…….मेरे रोम रोम पे अपने प्यार की बरसात कर दीजिए …..कम हनी ….किस मे ‘ और सोनल ने अपने लरजते हुए होंठ सुनील के होंठों से मिला उन्हें दावत दे डाली ….कम सक अस ….महसूस करो हमे ….चूस लो हमारा सारा शहद…ये सिर्फ़ और सिर्फ़ तुम्हारे लिए है …..ये जन्मे ही तुम्हारे लिए थे….आओ देखो कितनी मीठास है इनमे.'

सुनील …सोनल की के होंठों की मीठास में खो गया ……उम्म्म्म सोनल अपने होंठ छुड़ाती एक साँस भरती और फिर अपने लबों को चूसने के लिए अपने रहनुमा को सोन्प देती …….
सोनल ….सोनल…सोनल …….सुनील उसका नाम लेता रहा और उसके होंठ चूस्ता रहा….नारी के ये दो लब अपने आप में कयामत को समेटे हुए होते हैं …..इनकी मीठास के आगे शहद भी फीका लगने लगता है …..और सुनील की क्या बिसात थी जो इन लबों की दुनिया में खो ना जाता. आँखें दोनो की बंद हो चुकी थी….जिस्म दोनो के कांप रहे थे…मचल रहे थे एक दूसरे में सामने के लिए…….सुनील ने सोनल की ब्रा का हुक खोल दिया……और उसके मदमाते उरोज़ आज़ाद हो गये ……
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