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RE: Bhabhi Sex Kahani हर ख्वाहिश पूरी की भाभी �...
वह तो कातिल था... भाभी मेरे साथ इस हाल में मेरी प्यास और हवस बुजाने और अपनी चूत गांड का बाजा बजवाने आने वाली थी... मेरी गाडी में बैठी... आते ही मैंने उनके पुरे बदन पर हाथ फैलाया...मम्मो की घाटी में मैंने मस्त किस किया... भाभी के बदन की खुशबु कुछ अगल बयां कर रही थी के वो नाह के आई है... मेरे लिए भाभी ने अपने बदन को सवारा था... भाभी और मैं गाडी में बैठे बैठे... अरे यार कोई कैसे अपने आप को संभाल पाये अगर एक खूबसूरत औरत जो एकदम अल्हड़ बदन की मालिक आपके सामने... माफ़ कीजिए एकदम बगल में और वो भी ऑलमोस्ट नंगी... पता है औरत अधनंगी जब सामने आ जाए तो हालात खस्ता हो जाये... ये शाम एकदम हसीं जाने वाली थी वो भाभी के स्माइल से पता चल रहा था...
अपने होठो पर अपनी लाल जीभ घुमा कर मुझे उकसा रही थी...
भाभी: हैपी बर्थडे समीर...
क्या मादक अदा और अपने मम्मे को मेरी और जुका के बोली...
मैं: भाभी तू चीज़ सच में जबरदस्त है...
भाभी: तेरी है... इस बदन का मालिक तू ही है... और आज तो तू अपना जन्मदिन मना... अभी की शाम अब तू और मैं पति पत्नी है... तू मुझे सिर्फ कीर्ति बुलाएगा...
भाभी की ये अदा जो अपने मम्मे के जलवे दिखाते हुए मेरे कड़क लण्ड पर हल्का सा दबा दिया... मुझे एकदम करीब आके प्यार किया और मस्त मेरे होठो पर कसकर किस किया... आज ये खूबसूरत औरत मेरी पत्नी थी, तन और मन दोनों से अब ये मेरी थी... अगले तिन घंटे तक... ये मेरी सबसे हसीं शाम होने जा रही थी... मैंने कार का इंजिन स्टार्ट किया ही था के भाभी ने मेरे पेंट की ज़िप खोलनी स्टार्ट की...
मैं: कीर्ति प्लीज़ अभी नहीं में अपना संतुलन खो बैठुगा...
कीर्ति: आप टेंशन मत लो मेरे स्वामी, मैं आपको अगले मुकाम पर ले जाना चाहती हूँ...
मैं: हनी... प्लीज़ अभी नहीं हाइवे पर... आज नहीं डरूंगा... आज तुजे वही मसलूँगा, ज़ाडिओ में चोदुंगा... तेरे बदन से इत्तर निकालूँगा... पर अभी नहीं प्लीज़...
कीर्ति: तो ले के चलो मुझे जहा आपका मन करे... बस मुझे अलग मत करना मैं आपको जो चाहिए वो दूंगी, जो चाहेंगे करुँगी।
भाभी का आप से जो समर्पण भाव जन्मा था... उसके पुरे मस्त बदन का मालिक मैं था...
मैं: मेरी जान बस आज तो तुजे मैं ही नहीं जो भी मिलेगा वो भी चोदेगा... बस देखती जा किस किस को तुज पे चढ़वाता हूँ...
भाभी: हा हा हा... आप जो बोलेंगे वही करुँगी और आपको जो पसंद है वही होगा...
मैंने धड़कते दिल के साथ गाडी को हाइवे की और ले ली... दोनों के मन में वासना का कुछ अलग ही लेवल था.... दोनों के मन में एकदूसरे को खुश करने का हवस साफ़ दिख रहा था... गाड़ी हाइवे पर रुकते ही... मंद मंद हवा में भाभी की और का काच निचे किया ता के ठण्डी ठण्डी हवा में वो अलग महसूस करे... ठंडक महसूस करे... कीर्ति की चूत गीली होती चली जा रही थी... मैंने देर न करते हुए गाड़ी को हाइवे पर जगह देखे बीना रोक दी... शाम का वख्त सूरज डूबने की और जा रहा था और हम दोनों गाडी के रुकते ही एकदूसरे को रोक ही नहीं पाये और एकदूसरे को एकदम आगोश में ले लिया... कीर्ति को कितनी बार चोद चूका था पर हर बार उसके बदन से मुझे एक नया ही संतोष और आंनद मिलता है... औरत वही है जो अपने बदन को हर बार अपने मर्द को अलग अलग अंदाज़ में परोसे... तो मर्द कही बाहर जा ही नहीं सकता.. दोनों की साँसे हांफते हांफते एकदूसरे को सुख देने में थी और एकदूसरे को चूमते हुए बाते करती रही...
कीर्ति: प्लीज़ प्लीज़ समीर... प्लीज़... मुझे चोदो, मुझे छोड़के मत जाना... प्लीज़ जो करना है... मुझसे करवा लेना...
मैं: कीर्ति... तू तो मेरे जीवन में आई हुई पहली औरत है.. तुजे मैं... कैसे..... छोड़ सकता हूँ... आज तुजे... हाइवे पर ही बड़ी बेरहमी से चोदने वाला हूँ... पति... हु तेरा....
कीर्ति: हा समीर बस भर ले मुझे अपनी बाहो में... आज ये मेरा वादा है... आप जो कहेंगे वो हर वादा पूरा करुँगी...
हम दोनों एकदूसरे को चूमे जा रहे थे... भाभी की लिंगरी जाली वाली थी और उसके ऊँगली फसा कर उसके बदन का लुफ्त उठा रहा था... निप्पल भी बाहर थे... जिसे मैं खीच खीच कर भाभी की आवाज़े बढ़ा रहा था...
मैं: कीर्ति मैं चाहती हूँ आज तू जो भी फिल करे वो जोर जोर से बोल... भले जिसे सुनना हो सुने... मैं तेरा पिघलना जोरो से सुनना चाहता हूँ... तू तेज़ आवाज़े कर... बस ये मुझे और उकसा रही है...
भाभी का मुह अब पूरी आज़ादी से चीखे दे रहा था... जैसे में निप्पल को खींचू... वो जोर से आउच करती... उसके मम्मो पर जोर से चपत मारता वो और जोर से आवाज़े निकालती... हर बार सेक्सी तरीके से...
मैं: चल पीछे की सिट पर...
कीर्ति: हाइवे का मतलब हाइवे.... आओ बाहर चलो... रस्ते पर ही चोद डालो... मुझे आज नहीं डरना... भले ही कोई आ जायेगा... तो उसे देख लेंगे... पिछली बार भी डर के मारे आप खुल नहीं पाये थे... पर आज नहीं... आज आपका मन मारना नहीं है मुझे... आपका बर्थडे स्पेशियल बनाना है... जो सुबह के बाद और भी रंगीन हो जाए...
मैं: हा चल मादरचोद...
कीर्ति: आप कपडे पहने रखिएगा... मैं नंगी आपके निचे...
हवस का लेवल को और आगे बढ़ा कर हम दोनों गाडी से निकल के बाहर आये... कीर्ति बड़ी बेशर्मी से अपने बदन को ढकने की कोशिश भी नहीं कर रही थी... नंगी ही तो थी... मंद मंद चलते पवन में हम दोनों बाहर निकलते ही कुछ भी देखे बिना के कहा है हम... एकदूसरे को चूमने लगे... मैं कीर्ति को बड़ी बेरहमी से सब जगह काट रहा था... चूंटी काटता... मसल रहा था... मैं बोनेट पर था और कीर्ति मुज पर... हम गाडी के एक और जाके एकदूसरे से लिपट गए... भले ही आज चुदाई पब्लिक में होने वाली थी पर जितना हो सके छुप भी रहे थे क्योकि डर तो लगा रहता है मन में.... मैंने कीर्ति को धक्का मार के हाइवे पर उसकी लिंगरी से वापस खिंचा... लिंगरी बिच में से चिर गई... एक तो पतली सी थी... वो भी खुद ने अपनी बाकी की लिंगरी का हिस्सा खुद काट डाला... पूरी नंगी हो गई... और मेरे शर्ट के बटन उसने खीच के फाड़ डाले.... हम दोनों एकदम से इन्टेन्स एकदूसरे को गले लग गए... मैं उनके मम्मो को हाथ में लिए हुए किस कर रहा था... भाभी पे सनलाइट गिर रही थी और उनका बदन चमक रहा था... किस करते करते भाभी मेरे शर्ट को निकाले मेरे छाती पर किस करते करते घुटनो पर बैठ गई... उसने मेरा बेल्ट निकाल के मेरा पेंट निकाला... तय हुआ था के मैं कपड़ो में रहूँगा... पर आज कोई प्लान काम नहीं कर रहा था... हवस जो करा रहा था वही हो रहा था...
भाभी एकदम मस्त स्माइल देते हुए, मेरे लण्ड को मुह में लेकर मस्त अपने मुह को चुदवा रही थी.... मैं भी भाभी के सर के बाल पकड़ कर अंदर बाहर चुदाई कर रहा था... भाभी की आँखे अपना मुह चुदवाने के टाइम मुझे देख कर आँख मार रही थी... उसे मैंने बालो से उठाया और बोनेट पर उल्टा रख कर पीछे से चूत में लौड़ा घुसाने लगा... खड़े खड़े भाभी ने अपना एक पैर बोनेट पर चढ़ाया और चूत में लण्ड को जाने का रास्ता दिया... मैंने सर के बाल को अपनी और खीच कर दूसरे हाथ से मम्मे पर एक जोरदार चाट मारी... और उसी टाइम लण्ड को चूत में पेल दिया... भाभी बड़ी आवाज़ कर कर के मुझे और उकसा रही थी... आसपास कोई नहीं दिख रहा था... भाभी की चूत का आगे का हिस्सा बोनेट को छु रहा था मेरे हर धक्के पर... मैंने भाभी को पूरा बोनेट पर धक्का दे दिया... अब भाभी के मम्मे बोनेट पर थे... पीठ मेरी ओर... मैं भाभी की मस्त और घमासान चुदाई कर रहा था... भाभी के चूत से अचानक लण्ड निकाल कर मैंने भाभी को सीधा कर के भाभी की चूत पर एक चमात मारी... भाभी की मुह से आवाज़ सुन कर मुझे और ताव चढ़ा और दोनों मम्मो पर एक बार फिर से चमात जड़ दी... भाभी को बोनेट पर सुला के मैं भाभी के ऊपर उसे दबोच रहा था... भाभी के मम्मो से खेल रहा था... पर लण्ड को चूत में घुसा नहीं रहा था... मैंने भाभी को ज़ाडिओ में ले जाने का फैसला किया... मैं भाभी के निप्पल को खीचते हुए नंगी लेकर ज़ाडिओ में ले गया... पर उससे पहले मैंने अपना पेंट पहन लिया था... वहा ज़ाडिओ में कांटे बहोत थे जो भाभी को परेशान कर रहे थे... मैंने मस्ती में एक कांटे को तो हलके से मम्मो और निप्पल घुमाया... वो कहर उठी...
मैं: अरे जाने मन जब निप्पल में छेद करवाओगी तो ऐसे ही किसी नुकीली चीज़ से छेद होगा...
कीर्ति: आप सिख लेना और आप ही वो दर्द दे देना.... निप्पल में कौनसी टाइप का रिंग पहनाना है वो भी आप ही तय करना...
मैं: अरे जानेमन अभी तो मैं तुजे ये कह रहा हूँ के यही नुकीली जगह पर तुज चोदना चाहता हूँ...
कीर्ति: मुझे वैसे भी दर्द भरी चुदाई पसंद है... और वैसे भी यहाँ कहा कुछ ऐसा है जो हम निचे रख पाएंगे... कोई जानवर का डर है बस... आपको कुछ नहीं होगा आप तो मेरे पर सोयेंगे न?
भाभी को मैंने घुटनो के बल वापस बैठाया... भाभी को थोड़ी तकलीफ हो रही थी क्योकि भाभी जैसे बैठी के घास भाभी के चूत को छु रहा था... मैं ये देख रहा था और इसीलिए भाभी को निचे और बैठने के लिए धक्के मार रहा था...
कीर्ति: अरे ये घास चूत में जा रहा है...
मैं: इसिलिए तो कर रहा हूँ... घास से भी चुदवाऊँ तुजे...
कीर्ति: तो ठीक है...
वो अच्छे से बैठ गई... फिर उनके बाजु में मैं बिठा और पेंट से लौड़ा निकाल कर भाभी के सर को जुका के लण्ड चुसवा रहा था... उस टाइम में भाभी के चूत में घास डाल के उसे छेड़ रहा था... उसके मम्मो पर घास घुमा रहा था... मैंने अपना पेंट निकालना चाहा तो मैं खड़े होने जा रहा था... लण्ड मुह से निकल गया...
मैं: मादरचोद खबरदार जो लण्ड मुह से निकाला तो....
मैंने अपना पेंट निकाला और अब नंगा खड़ा था... भाभी मेरे लण्ड के निचे बोल्स भी चूस ने लगी... अब मैं अपने बस में नहीं था...
मैं: चल मेरा अब होने वाला है... जल्दी सो जा... मैं अब तुज पे चढूंगा... तेरी चूत में ही माल निकालूँगा अपना... चल चल जल्दी सो जा...
भाभी ने ऐसा ही किया... घास पर वो सो गई... मैं भाभी के ऊपर चढ़ गया... और लण्ड पर हल्का सा दबाव दिया चूत में घुसाने को... तभी रोड से ट्रक निकला... मैंने कार देखि खुली थी... तो मैंने भाभी को बोला....
मैं: जा... भोसडीकि... कार बंध कर के आ... चाबी भी ले आ...
कीर्ति: अरे पहले चोद लो ना... आपका होने वाला था न?
मैं: अरे रंडी में कंट्रोल कर रहा हूँ... तू जा...
कीर्ति: हा तो उठिए तो सही मेरे पर से...
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12-07-2018, 01:31 AM,
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RE: Bhabhi Sex Kahani हर ख्वाहिश पूरी की भाभी �...
भाभी ने उनके आसु पोछे और उनको और करीब लाकर...
भाभी: चल एक और बार कर...
भोलू: मुझसे तो एक बार में भी थका जाता हु... आज गिनती भूल गया हूँ... उतना... हांफ चूका हु... और... बस... अब नहीं...
दोनों बदन एकदूसरे को वापस चूमने लगे... पसीने में लथपथ दोनों एक हुए अपने आपको दूसरे के साथ मज़े करवा रहे थे... भाभी दबी हुई भी खुश और सेक्सी लग रही थी... भाभी ने इस पोसिशन में अपने आप को थोडा बाहर निकाल के लण्ड को चूत में ही रखकर भोलू के ऊपर आ गई... पसीने में ये नज़ारा कुछ् ऐसे दिख रहा था...
अब भाभी ऊपर और भोलू निचे था... भाभी ने कमांड हाथ में लिया और एकबार फिर अपनी गांड ऊपर निचे करने लगी, लण्ड ने पकड़ मजबूत बनाये रखी थी चूत में.. भाभी उसका पूरा उपयोग कर रही थी... भोलू मम्मा चूस रहा था.. काट रहा था... और भाभी चुदवाने में भोलू को सहयोग दे रही थी... भाभी फिर एकबार जड़ गई... भोलू भी जड़ने की कगार पर था... और फिर जोर से भाभी के मम्मे से खीच कर अपनी और लेकर कस के दबा कर एक और बार पिचकारी चूत में दाल दी... चूत से और एक बार वीर्य बाहर आ रहा था... भाभी लण्ड को चूत में रखे हुए भोलू पर पड़ी रही... भोलू भी अपने पैर फैला कर पड़ा रहा और भाभी के बदन से खेल रहा था... पर कुछ सुरसुराहट थोड़ी देर में हुई.. हल्के से कान में भोलू बोला...
भोलू: मूतना है मुझे...
भाभी: कहीं नहीं जाना पड़ा रह...
भोलू: इधर ही हो जाएगा... आपकी चूत में...
भाभी: कर दे...
साले ने चूत में मूतना चालू किया... कितना सारा पानी चूत से निकल ने लगा...
मैं: ये क्या हो रहा है..?
दोनों एकदूसरे के सामने देख हसने लगे... और किस किया... मुझे बहोत मजा आया...
मैं: चलो अब और कोई आये उससे पहले निकलते है...
भाभी: चूत में लण्ड अभी भी जवां है और आपको जाना है? अगर कोई आये तो आप उससे निपट लेना... आज तो भोलू के साथ उनकी मेमसाब ऐयाशी करेंगे क्यों भोलू?
भोलू: हा मालिक ऐसा बदन हमें कहाँ नसीब होगा.. और ये तो फिर भी मेरा पहला अनुभव है... हम अंदर के रुम में ही है कोई आये तो बुला लेना... चले मेमसाब?
भाभी: क्या मेमसाब मेमसाब लगा रखा है? रंडी बुला छिनाल बुला..... गाली वाली नहीं आती क्या?
भोलू: हा मादरचोद आती भी है... पर डर रहा था.. पर तू रण्डी आ गई मेरे निचे तो अब तू मेरी भी है... चल अंदर जाकर मज़े करते है...
भाभी: चल...
भोलू ने लण्ड बाहर निकाल के रखा ही था के भाभी ने लपक मुह में ले लिया... और साफ़ किया... मैं पड़ा पड़ा देख रहा था...
भाभी: आप यह थोड़ी देर बैठिये मैं अभी इनका बिस्तर गर्म करते आती हु...
हस्ते हुए वो दोनों भोलू के रूम में चले गए...दरवाज़ा कर दिया बंध भोलू और भाभी की आवाज़े आ रही थी, भोलू पहली बार चुदाई कर रहा था... पर भाभी उनको आखरी बार मिलने वाली थी, तो वो भी पूरी तरह अपना बिस्तर गरम करवाने में लगा था.. एक घंटे तक भोलू और भाभी का कश्मकश भरी इन्टेन्स चुदाई का अंत हुआ और भोलू अपना पतलून ठीक करते हुए अपने शर्ट के बटन बंध करते हुए बाहर निकला...
मैं: वो किधर गई?
भोलू: पड़ी है मेरे बिस्तर पर साली, मलाई है साली, खूब निचोड़ के रख्खा है... वैसे ये माल मिला कहा मालिक?
मैं: मेरी बीवी है क्या बकवास कर रहे हो?
भोलू: क्या मालिक? कोई अपनी बीवी को किसी का बिस्तर गर्म करवाने ऐसे थोड़ी दे देगा? मस्त रंडिया भी शरमा जाए ऐसी काबिल है बिस्तर पर... मेरा पहला अनुभव था पर वो इतनी मस्त है की मुझे पक्का खिलाडी बना दिया... विदेसी मेमसाब भी ठीक है इनके सामने
मैं: मज़ा आया न?
भोलू: बहोत, चूत में जन्नत के द्वार है ये आज अहसास भी हो गया... क्या मख्खन माल है.. आज एहसास हुआ के आदमी का दिमाग चलने में औरत का कितना बड़ा हाथ होता है... मालिक आपने मुझे तृप्त कर दिया... ये आपका गुलाम हुआ आजसे...
मैं: मैंने थोड़ी कुछ किया है? ये तो सब मेमसाब का काम है...
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12-07-2018, 01:32 AM,
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RE: Bhabhi Sex Kahani हर ख्वाहिश पूरी की भाभी �...
इधर उधर की बाते करके मैं अंदर गया तो भाभी बिस्तर पर थकी हुई पड़ी थी... एक खटिए पर एकदम निढाल होकर पड़ी थी, उनके चहेरे पर उनके बाल बिखराये हुए थे... पैर एकदुसरे पर थे और हाथ ऊपर करके, जिससे भाभी के मम्मो में उभार और भी अच्छे लग रहे थे... मैंने भाभी को हल्का जगाया...
मैं: उठ मेरी रानी घर नहीं जाना?
भाभी: ह्म्म्म्म्म्म जाना तो है पर मन नहीं है... काश ये लम्हे खत्म ही ना हो..
मैं: (उनके मम्मो पर हाथ फिराते हुए और मज़ा अनुसार दबाते हुए) यही हम मर्द सोचते है, जब निकलने वाला होता है तब... के काश ये पल यही रुक जाए और वीर्य ज्यादा टाइम निकलता ही रहे... चल अब बड़ी चुनोती है, घर भैया से पहले पहोचना पड़ेगा... और तेरे पास कपड़े तो है नहीं...
भाभी: वो तो कम्बल ओढ़ लुंगी... भोलू का ले लेंगे
मैं: हा वो तो... ख़ुशी ख़ुशी दे देगा... पर घर पहुचने का टाइम जायेगा दो घंटे तो चलो....चले?
भाभी: हम्म्म चलो... आपके दोस्त?
मैं: वे तो आ जायेंगे अपने आप, वे टाइम पर न पहुंचे तो भी फर्क नहीं पड़ता...
भाभी: सही है...
भाभी ने वहा पड़ा एक कम्बल उठा लिया और मैंने अपना खुला बिना बटन वाला शर्ट ऐसे ही पहन लिया... हम बाहर निकले...
भोलू: अरे ये कम्बल, चलो ठीक है तू ही रख ले, देने आना वापिस...
भाभी: हा अब तो आना ही पड़ेगा... अब तू नहीं रोयेगा... मैं महीने में एक बार आया करुँगी तेरे पास इसके इलाज के लिए...
भाभी ने हल्का का दबा दिया भोलू के लौड़े को... कम्बल से हाथ बाहर निकल ते ही एक साइड का थोडा खुल्ला हो गया जहा से भाभी का आधा बदन और एक मम्मा खुल्ला हो गया जो भोलू ने पलक जपकते ही पकड़ के मसल लिया...
भोलू: एकबार इसे मुह में लेना चाहता हूँ..
भाभी: ले ले...
भोलू ने कुछ पांच मिनिट दोनों चुचिया मुह में भर के चूसी, चूत में ऊँगली करना तो बिच में चलता ही रहता था.. और फिर भाभी ने भोलू को एक मस्त किस दे कर विदा ली.. गाडी में बैठते ही हम दोनों ने वापिस एक बार मस्त किस की... और हम दोनों घर की और चल पड़े... भाभी रस्ते में सोती रही, भाभी को चोदने की इच्छा मुझे बिच रस्ते पर हुई जरूर थी पर अब घर पहुचना इतना ही जल्द था...
हमने जब गाडी कंपाउंड में एंटर की तो नई गाडी के कारन सिक्यूरिटी ने रोक दिया, तब भी भाभी सोई हुए थी, पर कम्बल थोडा निचे गिरा था तो मम्मे की घाटी थोड़े अच्छे से दिख रही थी, सिक्यूरिटी की नज़र थी वहा पर... पर वो क्या बोलता, गाडी अवैध नहीं है और हम दोनों ये बिल्डिंग में रहते है पता चलते ही गाडी को अंदर आने ही देना था... भाभी को देखने में मेरा टुटा शर्ट नज़र नहीं आया, मैंने भी सोचा भले आज ये सिक्यूरिटी वाला भी ये जलवे देख ले....
पार्किंग में जाते ही मैंने भाभी को उठाया, और फिर हम धीमे धीमे लिफ्ट की और पहोंचे, पर मुझे अँधेरे में ज़रूर दिखा के सिक्योरिटी वाला जरूर देख रहा है... भाभी और मैं लिफ्ट आते ही अंदर घुस गए और मैंने भाभी के कम्बल को निचे गिरा दिया... पूरी नंगी कर के लिफ्ट को लास्ट फ्लोर तक ले जाकर वापस पहले माले पर लाया तब तक उसके बदन से चिपक कर रगड़ता रहा... अपना एक पैर उठा कर भाभी ने मुझे पूरा सपोर्ट दिया...
थोड़ी सावधानी के साथ हम हमारे फ्लेट में आखिर दाखिल हुए... जहा हम वापस बदन से चिपके रहे... और किस देते रहे...
भाभी: एक मिनिट... तेरे भैया कभी भी आ सकते है मुझे पूछने दे...
भाभी ने फोन लगाया और पूछा तो पता चला के उसे अभी और एक घण्टा हो सकता है....
मैं: चलना रण्डी ये घण्टे का उपयोग ये घंटे से करते है...
भाभी: अभी और नहीं..
मैं: मेरा बर्थडे है... एक तो मुझे जो मिलनी चाहिए वो तो गिफ्ट का इंतेज़ाम भी नहीं किया और गिफ्ट तो दी ही नहीं...
भाभी: अरे वाह बच्चू तेरे लिए सुबह से चुदती आ रही हूँ.. और तू है की...
मैं: अरे हा वो तो तुजे भी पसन्द था वही हुआ... जो सबको मिला वही मिला... हा... मुझे गिफ्ट चाहिए...
भाभी: अरे बाप रे अभी कहा से लाउ गिफ्ट?
मैं: कुछ भी दे पर दे....
भाभी: कुछ नहीं है गिफ्ट और मुझे नहाने जाना है... अभी तेरे भैया को भी देना पड़ेगा.... बाय...
मैं: ठीक है... कोई बात नहीं...
मैं मुह बनाके बैठ गया... भाभी आके मेरी गोदी में बैठी...
भाभी: चल साथ नहाते है...
मैं: (मम्मो पर चूंटी काटते हुए) ये हुई न रण्डी वाली बात... चल
हम दोनों एकदूसरे को किस करते हुए बाथरूम में घुसे तब तक मेरे भी सारे कपड़े उतर चुके थे...
मैं: भाभी आप गालिया क्यों नहीं बोलती?
भाभी: मालिक को गालिया नहीं देनी चाहिए... तू मेरे बदन का मालिक है...
मैं: पर दूसरे?
भाभी: अरे मेरे बदन पे जो चढ़ते है वो मालिक बन जाते है...
मैं: चल जो भी है....
मैंने बातो में टाइम वेस्ट नही किया और शावर के बिच एक धमाकेदार चुदाई की... भाभी का गिला बदन... आह... मुह से स्माइल हट नहीं थी थी...
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