07-15-2017, 12:49 PM,
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RE: Kamukta Kahani मेरी बहन कविता
कुछ देर तक ऐसा करने के बाद जब दीदी ने अपने होंठ अलग किये तो हम दोनों की सांसे फुल गई थी. मैं अपनी तेज बहकी हुई सांसो को काबू करता हुआ बोला “हाय दीदी आप बहुत अच्छी हो….”
“अच्छा…बेटा मख्खन लगा रहा है….”
“नहीं दीदी…आप सच में बहुत अच्छी हो….और बहुत सुन्दर हो….” इस पर दीदी हंसते हुए बोली “मैं सब मख्खनबाजी समझती हूँ बड़ी बहन को पटा कर निचे लिटाने के चक्कर में…..है तू….” मैं इस पर थोड़ा शर्माता हुआ बोला “हाय…नहीं दीदी….आप….” दीदी ने गाल पर एक प्यार भरा चपत लगाते हुए कहा “हाँ…हाँ…बोल…..” मैं इस पर झिझकते हुए बोला ” वो दीदी दीदी…आप बोल रही थी की मैं….दि…दि…दिखा दूंगी….”. दीदी मुस्कुराते हुए बोली “दिखा दूंगी…क्या मतलब हुआ…क्या दिखा दूंगी….” मैं हकलाता हुआ बोला ” वो….वो…दीदी आपने खुद बोला था…की मैं….वो ग्वालिन वाली चीज़….”
“अरे ये ग्वालिन वाली चीज़ क्या होती है….ग्वालिन वाली चीज़ तो ग्वालिन के पास होगी…मेरे पास कहाँ से आएगी…खुल के बता ना राजू….मैं तुझे कोई डांट रही हूँ जो ऐसे घबरा रहा है…. क्या देखना है”
“दीदी…वो…वो मुझे…चु….चु…”
“अच्छा तुझे चूची देखनी है….वो तो मैं तुझे दिखा दिया ना…यही तो है…ले देख…” कहते हुए अपनी ब्रा में कसी दोनों चुचियों के निचे हाथ लगा उनको उठा कर उभारते हुए दिखाया. छोटी सी नीले रंग की ब्रा में कसी दोनों गोरी गदराई चूचियां और ज्यादा उभर कर नजरो के सामने आई तो लण्ड ने एक ठुनकी मारी, मगर दिल में करार नहीं आया. एक तो चूचियां ब्रा में कसी थी, नंगी नहीं थी दूसरा मैं चुत दिखाने की बात कर रहा था और दीदी यहाँ चूची उभार कर दिखा रही थी. होंठो पर जीभ फेरते हुए बोला “हाय…नहीं…दीदी आप समझ नहीं रही….वो वो दू…सरी वाली चीज़ चु…चु…चुत दिखाने….के लिए…”
“ओह हो…तो ये चक्कर है…. ये है ग्वालिन वाली चीज़…..साले ग्वालिन की नहीं देखने को मिली तो अपनी बड़ी बहन की देखेगा….मैं सोच रही थी तुझे शरीर बर्बाद करने से नहीं रोकूंगी तो माँ को क्या बोलेगी….यहाँ तो उल्टा हो रहा है….देखो माँ…तुमने कैसा लाडला पैदा किया है….अपनी बड़ी बहन को बुर दिखने को बोल रहा है….हाय कैसा बहनचोद भाई है मेरा….मेरी चुत देखने के चक्कर में है…उफ्फ्फ….मैं तो फंस गई हूँ…मुझे क्या पता था की मुठ मारने से रोकने की इतनी बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी….”
“दीदी की ऐसे बोलने पर मेरा सारा जोश ठंडा पर गया. मैं सोच रहा था अब मामला फिट हो गया है और दीदी ख़ुशी ख़ुशी सब कुछ दिखा देंगी. शायद उनको भी मजा आ रहा है, इसलिए कुछ और भी करने को मिल जायेगा मगर दीदी के ऐसे अफ़सोस करने से लग रहा था जैसे कुछ भी देखने को नहीं मिलने वाला. मगर तभी दीदी बोली “ठीक है मतलब तुझे चुत देखनी है….अभी बाथरूम से आती हूँ तो तुझे अपनी बुर दिखाती हूँ” कहती हुई बेड से निचे उतर ब्लाउज के बटन बंद करने लगी. मेरी कुछ समझ में नहीं आया की दीदी अपना ब्लाउज क्यों बंद कर रही है मैं दीदी के चेहरे की तरफ देखने लगा तो दीदी आँख नचाते हुए बोली “चुत ही तो देखनी है…वो तो मैं पेटिकोट उठा कर दिखा दूंगी…” फिर तेजी से बाहर निकल बाथरूम चली गई. मैं सोच में पड़ गया मैं दीदी को पूरा नंगा देखना चाहता था. मैं उनकी चूची और चुत दोनों देखना चाहता था और साथ में उनको चोदना भी चाहता था, पर वो तो बाद की बात थी पहले यहाँ दीदी के नंगे बदन को देखने का जुगार लगाना बहुत जरुरी था. मैंने सोचा की मुझे कुछ हिम्मत से काम लेना होगा. दीदी जब वापस रूम में आकर अपने पेटिकोट को घुटनों के ऊपर तक चढा कर बिस्तर पर बैठने लगी तो मैं बोला ” दीदी….दीदी…मैं….चू…चू…चूची भी देखना…चाहता हूँ”. दीदी इस पर चौंकने का नाटक करती बोली “क्या मतलब…चूची भी देखनी है….चुत भी देखनी है….मतलब तू तो मुझे पूरा नंगा देखना चाहता है….हाय….बड़ा बेशर्म है….अपनी बड़ी बहन को नंगा देखना चाहता है….क्यों मैं ठीक समझी ना…तू अपनी दीदी को नंगा देखना चाहता है…बोल, …ठीक है ना….” मैं भी शरमाते हुए हिम्मत दिखाते बोला “हां दीदी….मुझे आप बहुत अच्छी लगती हो….मैं….मैं आप को पूरा…नंगा देखना….चाहता…”
“बड़ा अच्छा हिसाब है तेरा….अच्छी लगती हो…..अच्छी लगने का मतलब तुझे नंगी हो कर दिखाऊ…कपड़ो में अच्छी नहीं लगती हूँ क्या….”
“हाय दीदी मेरा वो मतलब नहीं था….वो तो आपने कहा था….फिर मैंने सोचा….सोचा….”
“हाय भाई…तुने जो भी सोचा सही सोचा….मैं अपने भाई को दुखी नहीं देख सकती….मुझे ख़ुशी है की मेरा इक्कीस साल का नौजवान भाई अपनी बड़ी बहन को इतना पसंद करता है की वो नंगा देखना चाहता है….हाय…मेरे रहते तुझे ग्वालिन जैसी औरतो की तरफ देखने की कोई जरुरत नहीं है….राजू मैं तुझे पूरा नंगा हो कर दिखाउंगी…..फिर तुम मुझे बताना की तुम अपनी दीदी के साथ क्या-क्या करना चाहते हो….”.
मेरी तो जैसे लाँटरी लग गई. चेहरे पर मुस्कान और आँखों में चमक वापस आ गई. दीदी बिस्तर से उतर कर नीचे खड़ी हो गई और हंसते हुए बोली “पहले पेटिको़ट ऊपर उठाऊ या ब्लाउज खोलू…” मैंने मुस्कुराते हुए कहा “हाय दीदी दोनों….खोलो….पेटिको़ट भी और ब्लाउज भी….”
“इस…॥स……स…।बेशर्म पूरा नंगा करेगा….चल तेरे लिए मैं कुछ भी कर दूंगी….अपने भाई के लिए कुछ भी…पहले ब्लाउज खोल लेती हूँ फिर पेटिको़ट खोलूंगी….चलेगा ना…” गर्दन हिला कर दीदी ने पूछा तो मैंने भी सहमती में गर्दन हिलाते हुए अपने गालो को शर्म से लाल कर दीदी को देखा. दीदी ने चटाक-चटाक ब्लाउज के बटन खोले और फिर अपने ब्लाउज को खोल कर पीछे की तरफ घूम गई और मुझे अपनी ब्रा का हूक
खोलने के लिए बोला मैंने कांपते हाथो से उनके ब्रा का हूक खोल दिया. दीदी फिर सामने की तरफ घूम गई. दीदी के घूमते ही मेरी आँखों के सामने दीदी की मदमस्त, गदराई हुई मस्तानी कठोर चूचियां आ गई. मैं पहली बार अपनी दीदी के इन गोरे गुब्बारों को पूरा नंगा देख रहा था. इतने पास से देखने पर गोरी चूचियां और उनकी ऊपर की नीली नसे, भूरापन लिए हुए गाढे गुलाबी रंग की उसकी निप्पले और उनके चारो तरफ का गुलाबी घेरा जिन पर छोटे-छोटे दाने जैसा उगा हुआ था सब नज़र आ रहा था. मैं एक दम कूद कर हाय करते हुए उछला तो दीदी मुस्कुराती हुई बोली “अरे, रे इतना उतावला मत बन अब तो नंगा कर दिया है आराम से देखना….ले…देख…” कहती हुई मेरे पास आई. मैं बिस्तर पर बैठा हुआ था और वो निचे खड़ी थी इसलिए मेरा चेहरा उनके चुचियों के पास आराम से पहुँच रहा था. मैं चुचियों को ध्यान से से देखते हुए बोला “हाय…दीदी पकड़े…”
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