06-08-2017, 11:08 AM,
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RE: चूतो का समुंदर
अली और आज़ाद इस घटना से पूरी तरह अंजान थे...पर आमीन की आँखो मे ये घटना घर कर चुकी थी.....
असल मे अली के दूसरे बेटे के जन्म के बाद से ही अली ने चुदाई बहुत कम कर दी थी...जिससे आमीन चुदाई के लिए प्यासी रहने लगी....
उपर से अली का लंड भी आज़ाद से छोटा था....तो ये बात भी आमीन की आँखो मे समा गई...
पर किसी तरह आमीन ने अपने दिल को संभाला और उस घटना को भूलने की कोसिस करने लगी....
पर कहते है ना...कि अगर कुछ भी होना होता है ...अच्छा या बुरा...तो हालात धीरे-धीरे उस मक़सद तक पहुँचा ही देते है....यहाँ भी वही हुआ...
एक दिन आज़ाद ने अपने फार्महाउस पर पार्टी रखी....दोस्त और उनकी फॅमिली के साथ.....
सब लोगो ने खूब एंजाय किया...खा-पी कर साम को सब खेतों मे टहलने लगे....सब अलग-अलग अपनी मस्ती मे घूम रहे थे.....
पर तभी अचानक बारिश हो गई....और जब बारिश हुई तो उस समय....आमीन चने के खेत मे थी....
आमीन वहाँ से भाग कर पेड़ के नीचे आती ...उससे पहले ही वो पूरी भीग चुकी थी....उसकी साड़ी बदन से चिपकी हुई थी और ब्लाउस के अंदर से ब्रा सॉफ नज़र आने लगी....साड़ी मे उसकी गान्ड भी सॉफ दिख रही थी....
आमीन ने अपनी हालत देखी और फिर आस-पास देखा...वहाँ कोई नही था....आमीन रिलॅक्स हो गई....
बारिश ज़्यादा तेज थी...इसलिए वो जा भी नही सकती थी...और उपेर से सर्द हवा उसके जिस्म को ठिठूरा रही थी..
आमीन(मन मे)- ऐसे ही खड़ी रही तो सर्दी बैठ जाएगी....और सीने मे सर्दी बैठ गई...तब तो मुसीबत हो जाएगी....
अब क्या करूँ...ये बारिश भी तेज है...जा भी नही सकती....
एक काम करती हूँ....कपड़े निचोड़ के पहन लेती हूँ...पर यहाँ...कोई देख ना ले...
आमीन काफ़ी देर सोचती रही कि बारिश रुक जाए...पर बारिश तो और तेज हो गई थी....और उसके जिस्म मे सर्दी भी बढ़ गई थी....
आमीन(मन मे)- अब मैं सर्दी नही सह सकती....कपड़े निचोड़ ही लेती हूँ...वैसे भी यहाँ कोई नही...पेड़ के पीछे से कर लेती हूँ...हां...
अमीन ने डिसाइड किया और पेड़ के पीछे आ गई....
पर वो इस बात से अंजान थी कि उसी तरफ एक दूसरे पेड़ के पीछे आज़ाद भी बारिश से बच रहा था....जो आमीन को नही दिखा...पर आज़ाद को आमीन दिख रही थी....
आमीन मे पेड़ के पीछे आते ही अपनी साड़ी निकाल दी...वो ब्लाउस-पेटिकोट मे आ गई....
ये नज़ारा देख कर आज़ाद सकपका गया....हालाकी उसने कभी आमीन पर गंदी नज़र नही रखी थी...पर था तो वो अयाश...इसलिए आमीन को देख कर उसकी नज़रे ठहर गई....
आज़ाद(मन मे)- ये क्या...ये मेरे दोस्त की बीवी है...नही...ये ग़लत है...मुझे इसे नही देखना चाहिए...
आज़ाद ने अपने आपको समझाया और नज़रें हटा ली....पर उसके दिल मे चिंगारी सुलग चुकी थी...जो उसे वापिस देखने को मजबूर कर गई...
जब आज़ाद ने वापिस देखा तो आमीन अपनी साड़ी निचोड़ चुकी थी और साड़ी को अलग टाँगकर अपना ब्लाउस खोल रही थी...
आज़ाद के देखते ही देखते आमीन का ब्लाउस निकल गया और उसने ब्लाउस निचोड़ कर अलग टाँग दिया....
अब आमीन पेटिकोट-ब्रा मे खड़ी हुई थी....उसके बड़े बूब्स ब्रा से झाँक रहे थे...जो आज़ाद की आग भड़का रहे थे...
आज़ाद ना चाहते हुए भी वो नज़ारा देखता रहा और आमीन ने अपनी ब्रा भी निकाल दी....
आमीन के बड़े और गोरे बूब्स देख कर आज़ाद के तन मे आग लग गई...अब उसे इस सीन मे मज़ा आ रहा था....
फिर आमीन ने ब्रा निचोड़ के रखी और जल्दी से पेटिकोट निकाल दिया....
आमीन की गोरी, चिकनी जांघे देख कर आज़ाद सब भूलता गया ....अब उसके दिल मे हवस जाग चुकी थी...वो एक तक लगाए आमीन को घूर रहा था....
तभी आमीन ने अपने तन का आख़िरी कपड़ा...यानी उसकी पैंटी भी निकाल दी...और आज़ाद को अपनी चूत के दर्शन करा दिए....
चूत देखते ही आज़ाद होश खो बैठा...उसका मन आमीन की चूत पाने को होने लगा....वो ललचाई नज़रों से आमीन को घूर रहा था....
थोड़ी देर बाद आमीन ने अपने बदन को पोंछ कर सारे कपड़े वापिस पहन लिए...
पर आज़ाद तो सब देख चुका था...उसके दिल मे आमीन के लिए हवस जाग चुकी थी...
आमीन कपड़े पहन कर वापिस अपनी जगह आ गई...पर आज़ाद वैसा ही बैठा रहा...
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06-08-2017, 11:10 AM,
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RE: चूतो का समुंदर
कुछ देर बाद चीखे शांत हो गई ...और उसके कुछ देर बाद आग पर काबू पा लिया गया...पोलीस भी आ गई...
पर अंदर से मिली 2 लाशे....अली और उसकी गोद मे लिपटा हुआ आमिर....और दोनो ही बुरी तरह जले हुए......बाकी सब खाक हो चुका था....
मैं- बस..बस...बस करो...अब मैं और नही सुन सकता.....
रिचा- क्यो नही सुन सकते...सच सुनने का शौक है ना तुम्हे....
मैं- हाँ है...पर अभी नही...मेरा सिर फट रहा है....अभी और नही...
रिचा- अब और कुछ बचा भी नही ..
मैं- मतलब...अभी सरफ़राज़ की बात तो आई नही...
रिचा- हाँ...आ ही गई थी...सुनो...बस थोड़ा और....
ये खबर सुनकर सरफ़राज़ गाँव आया...पर उसे यही बताया गया कि आग अपने आप लग गई थी...और वो भी ये मान गया था.....
पर गाँव मे दबी ज़ुबान ये बात चल पड़ी कि इसके पीछे आज़ाद का हाथ है...पर कोई आज़ाद के सामने ये बात नही बोल पाया....
आज़ाद ने पोलीस से मिल कर ये केस बंद करा दिया और चैन की साँस ली...क्योकि असलियत यही थी कि ये सब आज़ाद ने अपने गुनाह छिपाने को किया था....
फिर एक दिन अली के खास आदमी ने सरफ़राज़ को अली और आज़ाद के बीच हुई बहस के बारे मे बता दिया...और ये भी बता दिया कि उसके कुछ दिन बाद ही ये आग लगी ..मतलब सॉफ है...ये आज़ाद ने किया...
बस...तभी से सुरू हो गई सरफ़राज़ की दुश्मनी...तुम्हारे दादाजी की वजह से उसकी पूरी फॅमिली मारी गई...इसलिए वो भी तुम्हारी पूरी फॅमिली मिटाना चाहता है...बस...यही बात है....
मैं- क्या ये सब सच था....
रिचा- हर एक बात सच है...
मैं- ओके...मुझे अभी जाना होगा...
रिचा- और मेरी बेटी...
मैं- उसे ले कर ही आउगा....वेट करो...
फिर मैं वहाँ से उठा और अपनी कार से निकल गया....
मेरे जाने के बाद रिचा रिलॅक्स हो गई....और अपनी बेटी का इंतज़ार करने लगी....
लगभग 2ह्र के बाद रिचा की डोर बेल फिर से बजी...
रिचा खुश हो गई ..ये सोच कर कि उसकी बेटी आ गई...
पर गेट खोलते ही उसके गाल पर एक जोरदार थप्पड़ पड़ा और वो ज़मीन पर गिर गई...
रिचा ने संभाल कर गेट की तरफ देखा तो वो सहम गई...और डरते हुए बोली...
रिचा- त्त्त...तुम...पर...मारा क्यो....????????????????
इतना बोलते ही रिचा के गाल पर एक और थप्पड़ पड़ा और रूम मे थप्पड़ की आवाज़ गूँज उठी....
""कककचहााआटततटत्त्ताआआक्कककककककक.......""
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रिचा के मुँह से फ्लॅशबॅक सुन कर मेरा माइंड गरम हो चुका था....
मेरा दिल ये मानने को तैयार ही नही था कि मेरे दादाजी इतनी जॅलील हरक़त कर सकते है....
जहाँ तक अली की बीवी का सवाल था....उसमे तो उसकी भी बराबर ग़लती थी...जितनी मेरे दादाजी की....
माना कि दोस्त की बीवी के साथ सेक्स करना ग़लत था...पर आमीन ने ही उनको इसमे आगे बढ़ने पर मजबूर किया....
क्योकि बिना औरत की मर्ज़ी के उसे कोई हाथ भी नही लगा सकता....हाँ...रेप ज़रूर कर सकता है...पर यहाँ तो सब उसकी मर्ज़ी से हुआ था....
अब दादाजी भी क्या करते....मर्द तो औरत का नंगा जिस्म देख कर लालची हो ही जाता है...उपेर से औरत की हाँ हो तो फिर कैसे रुक पायगा...
पर मेरा दिल ये मानने को तैयार नही था कि मेरे दादाजी ने अपने दोस्त और उसके बेटे को जिंदा जला डाला....
और इसी सवाल को दिल मे लिए मैं अपने सीक्रेट हाउस पहुँच गया....अपने सवाल का जवाब लेने....
सीक्रेट हाउस पर.........
जैसे ही मैं हाउस मे एंटर हुआ तो मेरे सामने मेरा आदमी एस आ गया...
मैं- आप यहाँ....इस वक़्त...
स- हाँ...फ्री था तो सोचा एक राउंड मार लूँ...
मैं- ओके...
स- क्या बात है...बड़े परेशान दिख रहे हो...
मैं- नही...ऐसा तो कुछ नही...
स- क्या हुआ...कहाँ से आ रहे हो...
मैं- रिचा के घर से....
स- ओह..तो ये बात है...उसी की किसी बात से मूड खराब है....वैसे क्या बका उसने...
मैं- जो भी बका...वो बहुत बुरा है....बहुत ही बुरा...
स- पहले बैठो...और मुझे पूरी बात बताओ....आओ बैठो...
फिर मैने स को सारी बात बता दी....जिसे सुनकर उसे भी हैरानी हुई...और उसने यही बोला कि पूरी सच्चाई जाने बिना किसी रिज़ल्ट पर मत पहुँचना....
मैं- यही जानने तो आया हूँ...उस बहादुर को कुछ पता होगा...
स- ह्म्म्म ...तुम बात करो...मैं निकलता हूँ...बाद मे बताना....और हाँ...अगर रिचा की बात थोड़ी सी भी ग़लत निकले...तो छोड़ना मत साली को...ओके
मैं- ह्म्म...
और फिर स निकल गया और मैं पहुँचा बहादुर के रूम मे...
बहादुर- अरे...छोटे मालिक...आप...
मैं- मुझे अंकित ही कहो तो अच्छा लगेगा मुझे ...वैसे आप कैसे हो...
बहादुर- बस कृपा है आपकी....मैं और मेरा परिवार ...दोनो सुरक्षित है....अरे..बैठिए ना...
मैं- नही...मैं बैठने नही आया...मुझे कुछ सवालो के जवाब चाहिए...
बहादुर- तो पूछिए ना....मुझे पता होगा तो ज़रूर बताउन्गा....
मैं- ह्म्म..तुम अली को तो जानते ही होगे...उसके बारे मे जो भी जानते हो..बताओ...
बहादुर- अली...हाँ ...अली तो आज़ाद साब के खास दोस्त थे...बहुत ही नेक स्वाभाव के....सीधे -सादे इंसान....
मैं- ह्म्म..और उनकी फॅमिली...
बहादुर- उसकी फॅमिली मे पत्नी और 2 बेटे थे....उनकी पत्नी भी उन्ही की तरह नेक दिल थी...बहुत ही सुलझी हुई...और छोटा बेटा भी अपने माँ-बाप की तरह था....जो भी उससे मिलता ..वो उसे पसंद ही करता था....हाँ...उनके बड़े बेटे को नही जानता...वो सहर मे रहता था...कभी-कभी देखा तो था...पर ज़्यादा नही पता....
मैं- अच्छा ये बताओ...की मेरे दादाजी और अली के बीच कोई दुश्मनी हुई थी क्या....
बहादुर- दुश्मनी....नही बेटा...वो दोनो तो एक दूसरे की जान थे...अली तो हमेशा तुम्हारे दादाजी के भले के लिए ही सोचते रहे....दुश्मनी तो दूर की बात थी....
मैं- जैसे कि....
बहादुर- तुम जानते हो बेटा...जब तुम्हारे पिता गाँव से चले गये ...तो अली ही थे जिन्होने उनका ख्याल रखा...और तुम्हारे माँ-बाप की शादी भी करवाई...और आज़ाद साब को भी मना लिया...कि वो अपने बेटे को माफ़ कर दे...
मैं- अच्छा...और जब मेरे डॅड बापिस गाँव आए....जब वो घटना हुई...जिसमे मेरी बुआ मारी गई...तब अली ने क्या किया ....
बहादुर- करते तो तब...जब वो वहाँ होते बेटा....
मैं- मतलब...वो कहाँ थे...
बहादुर- बेटा...उस घटना के कुछ समय पहले एक दुर्घटना मे अली अपनी बीवी और बेटे के साथ दुनिया से चल बसे थे....
मैं- क्या....कैसे...कब...???
बहादुर- तुम्हारे डॅड की शादी के बाद...एक दिन आज़ाद साब घर पर आराम कर रहे थे तभी एक आदमी भागता हुआ आया...और उसने बताया कि अली के घर मे आग लग गई है....
आज़ाद साब तुरंत अली के घर भागे...पर वहाँ जा कर देखा तो पूरा घर तेज लपटों से जल रहा था....
आज़ाद साब ने आग भुजवाने की हर कोसिस की...पर आग बुझते-बुझते देरी हो गई थी....
आग बुझने पर घर मे सिर्फ़ 3 जली हुई लाषे थी...अली, उनकी बीवी और बेटे की....सब खाक हो चुका था...आज़ाद साब की दोस्ती भी....
मैं- तो..तो क्या अली की बीवी भी अली के साथ ही मरी थी....
बहादुर- हाँ बेटा...एक ही दिन मे मियाँ-बीवी और बच्चा....सब एक साथ चले गये.....
मैं- ओह्ह...और उनके बड़े बेटे का क्या हुआ...वो कहाँ गया....
बहादुर- वो गाँव आया था...पर आज़ाद साब से बात भी नही की...साब ने उसे अपने साथ रहने को बोला...पर वो वहाँ से निकल गया....कहाँ गया...पता नही...पर सुना था कि वो अपने परिवार के लोगो की मौत को हत्या समझता है....
मैं- और आप क्या समझते है...ये हादसा था या हत्या....
बहादुर- हादसा ही था बेटा...और वजह सॉफ है...एक तो अली की किसी से दुश्मनी नही...और फिर आज़ाद साब के दोस्त....जिन्हे पूरा गाँव मानता था...तो उनके दोस्त को कौन नुकसान पहुँचायगा....ये हादसा ही था...
मैं- पर हादसे की कोई वजह तो होगी ही....
बहादुर- पोलीस के हिसाब से...उनके घर मे रखी पेट्रोल की कॅन से ये आग लगी...वही पास मे अनाज पड़ा था...तो आग फैल गई...फिर लाइट के तारों से पूरा घर जलने लगा....
मैं- पर अली को इतना सब होने पर ये पता क्यो नही चला...
बहादुर- अंदाज़ा ये था कि दोपहर को सब सो रहे होंगे...और जब तक नीद खुली...तब तक देर हो गई थी....
मैं- ओह माइ गॉड....ये बात बिल्कुल सही है ना...
बहदिर- हाँ..पर अचानक ये बात ...
मैं(बीच मे)- कुछ नही...आराम करो....वैसे आपकी बीवी और बेटी कहाँ है...
बहादुर- वो यही खेत मे है...आ रही होगी...आप बैठो मैं बुलाता हूँ...
मैं- नही..अभी मैं जल्दी मे हूँ..बाद मे मिलूँगा...आप भी आराम करो...
बहादुर की बात सुन कर मुझे रिचा पर बहुत गुस्सा आ रहा था....साली ने झूठ बोला मुझसे....सब झूठ...अब बताया हूँ रंडी को....आज तो तू गई रिचा ...
और मैने कार रिचा के घर पर दौड़ा दी....
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